Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल - Page 3 - SexBaba
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Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल

कृष्णा मेरे करीब आया और मुझे ही कहते हुए पूछा- “धन्नो तुम यहाँ कैसे?”
मैंने डरते हुए कहा- “मैं रोहन और बिंदिया के साथ आई हूँ...”
कृष्णा ने कहा- “अच्छा तो फिर वो दोनों कहाँ हैं?”
मैंने कहा- “वो कपड़े धोने गये हैं उनके ऊपर चाय गिर गई थी...” मैं अब भी उससे डरकर बात कर रही थी।
कृष्णा ने कहा- “तुम इतना डर क्यों रही हो? तुमने उस दिन जो देखा था वो फिर से देखना चाहती हो?”
मैंने अपना सिर ना में हिला दिया।
कृष्णा ने कहा- “क्यों उस दिन मजा नहीं आया था?
मैंने कहा- मुझे डर लगता है।
कृष्णा- “इसमें डरने की क्या बात है? तुम जवान और खूबसूरत हो, अपनी जवानी को ऐसे ही जाया कर दोगी क्या? बिंदिया को देखो... वो भी तो रोहन के साथ मजे कर रही है...”
तभी मुझे खयाल आया की बिंदिया और रोहन को गये हुए काफी टाइम हो गया था। अचानक कृष्णा ने अपना हाथ मेरे कंधे पर रख दिया और सहलाने लगा। मेरे सारे बदन में झुरझुरी होने लगी। उसका मर्दाना स्पर्श मुझे पागल बना रहा था। अब उसने अपना हाथ मेरे कंधे से नीचे ले जाते हुए मेरी बैक से होते हुआ मेरी कमर में डाल दिया। मेरी तो जान ही निकल गई। मेरी आँखें मदहोशी में बंद होने लगी।
तभी मुझे होश आया। मैंने कृष्णा के हाथ को पकड़कर दूर झटक दिया।
कृष्णा ने मुश्कुराते हुए कहा- “देखो धन्नो, कल मैं उसी लड़की को लेकर आऊँगा। तुम हमें देखकर मजे करना और हाँ मुझसे डरने की कोई जरूरत नहीं है। मैं तुम्हारी मर्जी के बगैर तुम्हें हाथ भी नहीं लगाऊँगा...”

उधर रोहन ने दरवाजा बंद करते ही बिंदिया को अपनी बाँहों में भर लिया और उसके नरम होंठों को चूसते हुए अपने हाथों से बिंदिया का सारा जिश्म सहलाने लगा। बिंदिया पहले से ही बहुत गरम थी। वो रोहन के होंठों को चूमने लगी। रोहन की मजबूत बाँहों में आते ही उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां रोहन के सीने में दब गईं। बिंदिया के । मुँह से आअह्ह्ह... निकल गई। रोहन ने बिंदिया के जिश्म को सहलाते हुए अपने हाथ उसके मोटेऽमोटे चूतड़ों में डालकर उसे दबाने लगा। अब रोहन बिंदिया के होंठों को छोड़कर नीचे जाने लगा और अपना मुँह उसकी कमीज के ऊपर से ही बिंदिया की चूचियों पर रख दिया।
बिंदिया के मुँह से एक बड़ी सिसकी निकल गई। रोहन को अपने मुँह पर एक नरम अहसास होने लगा। उसने अपने हाथ को बिंदिया की कमीज में डालकर उसकी एक चूची को अपने हाथ से सहलाने लगा। बिंदिया ने अपना हाथ नीचे लेजाकर रोहन की पैंट की जिप नीचे कर दी और अपना हाथ अंडरवेर के ऊपर से ही रोहन के लण्ड पर रख दिया। रोहन के मुँह से एक सिसकी निकली और उसने अपने हाथ से बिंदिया की ब्रा के ऊपर से एक खड़ी निपल को उंगलियों से मसलने लगा। रोहन के हाथ रखते ही उसके सारे जिम में झुरझुरी होने लगी और उसकी साँसें उखड़ने लगी। बिंदिया उखड़ती साँसों के साथ अपने हाथ से रोहन के पूरे लण्ड को ऊपर से नीचे तक सहलाने लगी।
 
रोहन अब मजे से हवा में उड़ने लगा। उसे बिंदिया का नरम हाथ बहुत सुकून पहुँचा रहा था। अचानक रोहन ने बिंदिया का हाथ अपने लण्ड से हटाया और अपना मुँह उसके कपड़ों के ऊपर से ही नीचे ले जाते हुए उसकी चूत पर रख दिया। बिंदिया की मजे से आँखें बंद हो गई। रोहन ने अपने हाथ से बिंदिया की सलवार खोलकर नीचे कर दी। सलवार नीचे होते ही रोहन के होश उड़ गए। एक छोटी सी चड्ढी बिंदिया के भारी मोटे चूतड़ ढकने की नाकाम कोशिश कर रही थी। चड्ढी बिंदिया के चूतड़ की लकीर में फंसी थी और उसके मोटे गोरे चूतड़ बिल्कुल नंगे रोहन के सामने थे और आगे से उसकी फूली हुई चूत आधी चड्ढी के बाहर थी।
रोहन को बिंदिया के चूतड़ बहुत अच्छे लग रहे थे, उसके मुँह में पानी आ गया। रोहन ने बिंदिया की कमर में हाथ डालकर उसे अपने सामने उल्टा खड़ा किया और उसे सामने दीवार के सहारे खड़े रहने को कहा। बिंदिया के ऐसा खड़े होने से उसके मोटे-मोटे चूतड़ रोहन के मुँह के सामने आ गये। वो अपने हाथों से बिंदिया के चूतड़ों को मसलने लगा। रोहन ने बिंदिया से उसकी टाँगों को थोड़ा चौड़ा करने को कहा। रोहन ने अपना हाथ नीचे लेजाकर बिंदिया की कच्छी के ऊपर से उसकी चूत को मसलते हुए अपने मुँह से उसके चूतड़ों को चाटते हुए अपने दाँतों से काटने लगा।
बिंदिया के मुँह से हल्की सिसकी निकल गई- “ओईई... क्या कर रहे हो?”
रोहन ने बिंदिया को थोड़ा और पीछे किया और बिंदिया ने अपने चूतड़ जितना हो सकते थे पीछे कर लिया और अपना सारा वजन दीवार पे डा दिया। रोहन बिंदिया की कच्छी में हाथ डालकर बिंदिया की चूत के दाने को मसलने लगा। अचानक रोहन अपना हाथ नीचे करते हुए बिंदिया की चूत के होंठों को अपनी उंगलियों से हटाते हुए अपनी उंगली अंदर घुसाने लगा।
बिंदिया की चूत पहले से बहुत गीली थी। रोहन की उंगली जड़ तक बिंदिया की चूत में उतर गई। बिंदिया के मुँह से एक हल्की चीख निकल गई- “ओईई... क्या कर रहे हो रोहन?”


रोहन ने अपनी उंगली बाहर निकाली और फिर अंदर कर दी और अंदर-बाहर करने लगा। बिंदिया की मजे से आँखें बंद हो गई और वो अपने चूतड़ रोहन की उंगली पर धकेलने लगी। रोहन समझ गया की बिंदिया झड़ने वाली है, और उसने अपनी उंगली की रफ़्तार तेज कर दी।
अचानक बिंदिया के मुँह से जोर की सिसकियां निकलने लगी- “ऊऊह्ह... आह्ह्ह..." और झड़ने लगी।
रोहन का हाथ बिंदिया के रस से गीला हो गया। बिंदिया को कुछ देर बाद होश आया और वो फौरन सीधी होकर अपनी सलवार पहनी और अपने आपको ठीक करते हुए जाने लगी।
रोहन ने बिंदिया का हाथ पकड़ लिया और कहा- “जान कहां जा रही हो, मुझे भी तो ठंडा कर दो?”
बिंदिया ने कहा- “धन्नो बहुत देर से बाहर अकेली बैठी है, तुम किसी और टाइम अपनी हसरत पूरी कर लेना...” और अपने कपड़े धोकर बाहर जाने लगी।
अचानक रोहन को याद आया की वो लेडीस बाथरूम है। वो जल्दी से इधर-उधर देखकर बाहर निकल गया। बिंदिया भी जल्दी से बाहर आई।
रोहन भी उसके पीछे आने लगा, और सामने कृष्णा को देखकर कहा- “तुम यहाँ कैसे?”
कृष्णा ने मुश्कुराते हुए कहा- “यहाँ की चाय की बहुत तारीफ सुनी है वो पीने आ गये.."
 
करिश्मा, कृष्णा, और रोहन होटेल के कमरे में रोहन और बिंदिया बैठे ही थे की सामने से मैंने कल वाली लड़की को आते हुए देखा। वो लड़की सीधा कृष्णा के पास आ गई। कृष्णा ने उस लड़की का हमसे परीचय कराया ओर कहा- “यह है मेरी गर्लफ्रेंड करिश्मा...” और फिर हम सभी के बारे में करिश्मा को बताया।
थोड़ी देर बातें करने के मैंने बिंदिया से कहा- “बहुत देर हो गई है हमें चलना चाहिये.."
रोहन ने कृष्णा को कहा- “तुम बैठो मैं इन्हें रिक्शा में बिठाकर आता हूँ...”
हम दोनों उठकर रोहन के साथ जाने लगे। रोहन ने हमें रिक्शा में बिठाकर बाइ किया। रोहन वापस कृष्णा के पास आया और उससे कहा- “साले तुम्हारी चाय तो आ गई मगर मेरा भी कुछ बंदोबस्त करो...”
कृष्णा रोहन की डबल मीनिंग समझ गया और हँसते हुए कहा- “कोई बात नहीं। हम यारों के यार हैं आधी-आधी पी लेंगे...”
करिश्मा हमारी बातें गौर से सुन रही थी, उसने कहा- “चाय कहां है?”
कृष्णा और रोहन उसकी बात सुनकर जोर से हँसने लगे।

कृष्णा ने कहा- “मेरा कमरा इस होटेल में है चलो वहाँ बैठकर बातें करते हैं..." फिर कृष्णा काउंटर के पास गया और अपने कमरे की चाबी लेकर रोहन और करिश्मा के साथ अपने कमरे में पहुँच गया।
कमरा बहुत ही शानदार था, उसमें एक डबल बेड रखा हुआ था। वो पूरा एसी रूम था। कृष्णा ने दरवाजा अंदर से लाक किया और करिश्मा को कहा- “यह मेरा सबसे बढ़िया दोस्त है, तुमको इससे शर्म करने की कोई जरूरत नहीं। यह हमारी बातें किसी को नहीं बताएगा...” और कृष्णा ने उस लड़की को बेड पर बैठते हुए अपनी गोद में बिठा लिया।
रोहन सामने पड़े सोफे पर बैठ गया और उन दोनों को देखकर मजा लेने लगा। वो लड़की बिल्कुल गोरी थी ओर उसकी चूचियां बहुत बड़ी तो नहीं थी, मगर बहुत छोटी भी नहीं थी। कृष्णा अपने हाथ से उसकी कमीज उतारने लगा। कमीज उतरते ही उसकी गोरी-गोरी चूचियां ब्रा में ही आधी नजर आने लगी। कृष्णा ने उसकी ब्रा के हुक खोल दिये और किसी कुत्ते की तरह उसपर झपट पड़ा और उन्हें अपने मुँह में लेकर चूसने और काटने लगा, करिश्मा के मुँह से हल्की चीखें निकल रही थी।
वो सब देखकर रोहन का बुरा हाल होने लगा और वो अपनी पैंट उतारकर अंडरवेर के ऊपर से अपने लण्ड को सहलाने लगा। कृष्णा ने अपनी शर्ट और पैंट उतार दी अब वो सिर्फ अंडरवेर में था। उसने करिश्मा की सलवार उतारकर उसकी कच्छी को भी नीचे सरकाकर उतार दिया और अपने हाथों से उसकी टाँगों को पकड़कर फैला दिया। उस लड़की की चूत पर ढेर सारे बाल थे। कृष्णा ने अपना मुँह उसकी चूत पर रखा और अपना हाथ नीचे लेजाकर अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाल दी, और आगे-पीछे करने लगा।
करिश्मा बहुत गर्म हो गई थी। वो अपने चूतड़ उठा-उठाकर कृष्णा की उंगली अंदर ले रही थी। अचानक कृष्णा ने अपनी जीभ निकालकर उस लड़की की चूत में डाल दी। वो लड़की मजे से सिसक उठी आअह्ह्ह... और कृष्णा ने अपनी जीभ अंदर-बाहर करते हुए अपनी उंगली से उसकी गाण्ड को कुरेदने लगा। उस लड़की ने कृष्णा के सिर को अपने हाथों से पकड़ लिया और अपनी चूत पर दबाने लगी।
रोहन का हाल बहुत बुरा था। करिश्मा को देखकर हैरान था की वो किसी अंजान आदमी के सामने ऐसा कर रही है। अचानक कृष्णा ने उस लड़की की चूत से जीभ निकाली और सीधा बेड पर लेट गया।
करिश्मा उठकर कृष्णा के ऊपर चढ़ गई और उसे किस करने लगी और कहने लगी- “आगे बढ़ो ना प्लीज ऐसे क्यों बीच में छोड़ दिया?”
 
करिश्मा झड़ने के बिल्कुल करीब थी उसके मुँह से जोर की सिसकियां निकल रही थी- “आअह्ह्ह... जोर से करो मैं झड़ने वाली हूँ...”
रोहन अब अपना लण्ड सुपाड़े तक निकालकर जोर से धक्का देकर जड़ तक घुसा देता। करिश्मा जोर से आह्ह्ह करते हुए झड़ गई। लेकिन रोहन अभी तक नहीं झड़ा था। वो ऐसे ही धक्के लगता हुआ करिश्मा को चोद रहा था और अपने होंठ करिश्मा के होंठों पर रखकर उसे चाट रहा था। कुछ देर में करिश्मा फिर से गरम हो गई और रोहन के होंठों को काटने लगी। रोहन ने अपनी स्पीड बढ़ा दी और तेज धक्के लगाने लगा।
कृष्णा से बर्दाश्त नहीं हो रहा था, उसने बेड पर चढ़कर अपना लण्ड करिश्मा के मुँह में डाल दिया।
रोहन के हर धक्के के साथ करिश्मा हिल जाती और उसके मुँह में लण्ड और अंदर चला जाता। करिश्मा ने अचानक रोहन को सीधा लेटने को कहा। रोहन के लेटते ही करिश्मा उसके ऊपर आ गई और उसके लण्ड को अपनी चूत पर सेट किया और उसपर बैठकर धक्के लगाने लगी। रोहन के सामने करिश्मा की चूचियां उछल रही थी। उसने अपना हाथ आगे बढ़ाकर उसकी चूचियां थाम ली और उन्हें मसलने लगा। करिश्मा थोड़ा झुककर अपनी चूचियां रोहन के मुँह के पास लाकर फिर से उठ जाती। रोहन ने उसकी कमर में हाथ डालकर नीचे झुकाया और उसकी चूची के निपल को अपने मुँह में लेकर दांतों से काटने लगा।
करिश्मा के मुँह से हल्की चीखें निकलने लगी।
कृष्णा का हाल बहुत बुरा हो चुका था वो ड्रेसिंग टेबल से एक वैसेलीन ले आया और करिश्मा के पीछे बैठकर उसकी गाण्ड में एक उंगली को वैसेलीन लगाकर अंदर कर दिया।
करिश्मा चौंक कर उछली- “कृष्णा क्या कर रहे हो?”
मगर कृष्णा ने उसकी ना सुनते हुए अपनी दो उंगलियां अंदर डाल दी।
करिश्मा के मुँह से चीख निकल गई- “ओईई... आह्ह्ह..”
रोहन को भी कुछ समझ में नहीं आ रहा था।

अचानक कृष्णा ने अपना लण्ड करिश्मा की गाण्ड पर रखा और जोर का धक्का लगाकर अपना आधा लण्ड उसकी गाण्ड में घुसा दिया। करिश्मा दर्द के मारे झटपटाने लगी और बहुत जोर से चीखने की कोशिश की। मगर रोहन ने अपना मुँह उसके मुँह पर रख दिया और उसके सिर को पकड़ लिया। वो जानता था की चीखें सुनकर कोई भी आ सकता है।
रोहन को बहुत मजा आ रहा था। उसका लण्ड जैसे किसी तंग छेद में फंस गया हो। करिश्मा की आँखों से आँसू बह रहे थे। कृष्णा अपने आधे लण्ड से ही उसकी गाण्ड मारने लगा। कृष्णा अपना बाहर करता तो रोहन को उसका लण्ड अपने लण्ड से रगड़ खाता महसूस होता। अचानक रोहन का बाँध टूट गया और वो हाँफते हुए झड़ने लगा। उसका लण्ड सिकुड़ कर बाहर निकल गया वो नीचे से उठा और बाथरूम में घुस गया।
कृष्णा ने करिश्मा की गाण्ड मारते हुए अपने लण्ड का एक जोर का धक्का मारा और उसका पूरा लण्ड उसके अंदर था। करिश्मा के मुँह से एक जोर की चीख निकल गई। कृष्णा बिना रुके उसकी गाण्ड मारता रहा और उसकी गाण्ड में ही झड़ गया।
 
कृष्णा ने कहा- “जाओ पहले मेरे दोस्त को खुश करो...”
करिश्मा बहुत गरम हो चुकी थी उसने रोहन को अपनी बाहों में भर लिया और अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए। रोहन पहले से ही बहुत गर्म था। उसने उस लड़की को अपनी गोद में उठाकर बेड पर लेटा दिया और अपने मुँह से उसकी चूचियों को चूसने लगा। उस लड़की ने रोहन की शर्ट उतार दी और रोहन को नीचे लेटाते हुए उसके ऊपर आ गई और उसका अंडरवेर हटा दिया।


रोहन का मोटा और बड़ा लण्ड स्प्रिंग की तरह लहराता हुआ करिश्मा के सामने था। वो लड़की रोहन का लण्ड देखकर ज्यादा गरम हो गई, और अपनी जीभ निकालकर ऊपर से नीचे तक उसे चाटने लगी। रोहन की आँखें मजे से बंद होने लगी। करिश्मा रोहन के लण्ड पर जीभ फिराते हुए अपने हाथों से उसकी गोटियों से खेलने । लगी। अचानक करिश्मा रोहन को बेड पर गिराते हुए उसके ऊपर चढ़ गई। करिश्मा ने उल्टा होकर अपनी चूत रोहन के मुँह पर रख ली और अपनी जीभ से रोहन के लण्ड का सुपाड़ा चाटने लगी।
रोहन का मजे के मारे बुरा हाल था। उसे करिश्मा की चूत में से अजीब खुश्बू आ रही थी। अचानक करिश्मा अपनी जीभ रोहन के सुपाड़े के बीच वाले छेद में फिराने लगी। रोहन अपनी जीभ निकालकर करिश्मा की चूत पे फिराने लगा। पहले उसे कुछ अजीब लगा मगर फिर उसने अपनी जीभ उसकी चूत में डाल दी और अंदर-बाहर करने लगा।
करिश्मा यही तो चाहती थी। उसने अपना मुँह खोलकर उसका लण्ड जितना हो सकता था अपने मुँह में ले लिया। करिश्मा अपने मुँह में रोहन के लण्ड का चौथा हिस्सा ही ले पा रही थी और अपने होंठों से उसे आगे-पीछे कर रही थी। रोहन से अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था। उसने करिश्मा को बेड पर सुलाया और उसकी टांगों को घुटनों तक मोड़कर अपना फनफनाता लण्ड उसकी गीली चूत पर रगड़ने लगा। करिश्मा के मुँह से सिसकियां निकलने लगी।
उधर कृष्णा भी यह सब देखकर बहुत गर्म हो चुका था और वो अपना अंडरवेर उतारकर अपने लण्ड को सहला रहा था।
रोहन ने अपना लण्ड सही निशाने पर रखा और एक जोर का धक्का मारा, तो रोहन का आधा लण्ड करिश्मा की चूत में था। करिश्मा के मुँह से एक बड़ी सिसकी निकल गई ओह्ह्ह... करिश्मा पहले भी कई लण्ड खा चुकी थी मगर रोहन का लण्ड बहुत मोटा था और उसकी चूत भी अभी तक कसी हुई थी। रोहन ने अपना लण्ड थोड़ा । बाहर निकाला और फिर एक जोर का धक्का लगाया। इस बार रोहन का लण्ड करिश्मा की चूत को चीरता हुआ जड़ तक घुस गया।
करिश्मा के मुँह से एक जोर की चीख निकल गई- “ओईई... निकालो तुम्हारा बहुत मोटा है, मेरी चूत फट गई...”
रोहन ने नीचे होते हुए उसकी चूची अपने मुँह में ले ली और चाटने लगा। करिश्मा को रोहन का लण्ड अपनी बच्चेदानी तक महसूस हो रहा था और उसे अपनी गाण्ड पर रोहन की गोटियां महसूस हो रही थी। कुछ देर बाद करिश्मा अपने चूतड़ उछालने लगी। रोहन समझ गया की उसका दर्द गायब हो गया है, और वो अपने लण्ड से हल्के धक्के लगाने लगा। रोहन अपने मुँह से अब उसकी चूचियों को काटते हुए नीचे से जोर के धक्के लगाने
लगा।
 
रोहन जैसे ही बाथरूम से निकला उसने देखा की करिश्मा अभी तक रो रही थी। कृष्णा उससे कह रहा था“जाओ बाथरूम में जाकर अपनी गाण्ड ठंडे पानी से धो लो, पहली बार दर्द होता ही है...”
करिश्मा की गाण्ड से खून निकलकर बेडशीट पर धब्बा बना चुका था। वो सुबकते हुए बाथरूम में चली गई। वो थोड़ा लंगड़ाकर चल रही थी।
रोहन ने कृष्णा से कहा यार मैं अब चलता हूँ बहुत देर हो गई है।
मैंने बिंदिया से बातें करते हुए पूछा की तुम बाथरूम में इतनी देर क्या कर रही थी? उसने मुझे सारी बात बता दी। मैं वो सब सुनकर बहुत गरम हो गई। घर पहुँचकर हमने पढ़ाई की और खाना खाने के बाद सो गये।
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सोनाली, आकाश और जय का थ्री-सम


सोनाली ने आकाश को फोन किया- “हेलो मैं सोनाली बात कर रही हूँ...”
आकाश- हाँ डार्लिंग क्या हाल है, मैं भी तुम्हें ही याद कर रहा था।
सोनाली- आपकी बहुत याद आ रही है आप जय से कहकर आज भी आ जाओ।
आकाश खुश होते हुए- “डार्लिंग, मैं अभी जय से बात करता हूँ, तुम सच में बहुत गरम माल हो...”
थोड़ी देर बाद सोनाली के मोबाइल पर जय का फोन आया। जय ने कहा- “सोनाली आकाश सर, आज फिर से आने को कह रहे हैं। उसे तुम बहुत पसंद आ गई हो...”
सोनाली ने नाटक करते हुए कहा- “जय मैं तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकती हूँ जैसा तुम्हें अच्छा लगे...”
जय- “आज मेरा भी बहुत मूड है। आकाश सर के साथ मैं भी आ जाता हूँ..."
सोनाली यह बात सुनकर बहुत गर्म हो गई। आज उसे दो लण्ड मिलने वाले थे। सोनाली नहाने चली गई और फ्रेश होकर अपने जिश्म पर बाडी स्प्रे किया और कपड़े पहनकर उन दोनों का इंतेजार करने लगी। कुछ देर बाद दरवाजे की आवाज सुनकर सोनाली ने जाकर दरवाजा खोला और उन दोनों को अपने कमरे में ले आई।।
आकाश ने सोफे पर बैठते हुए कहा- “आज मैं तुम दोनों की चुदाई देखना चाहता हूँ..”
जय ने आगे बढ़कर सोनाली की कमीज उतार दी। उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां ब्लैक ब्रा में चमक रही थी। सोनाली पहले से ही बहुत गरम थी। उसने जय की शर्ट उतार दी और पैंट का बेल्ट खोलकर उसे भी नीचे गिरा दिया। जय ने अपने होंठ सोनाली के होंठों पर रखे और उसका नीचे वाला होंठ चूसने लगा। आकाश बेड पर बैठा उन दोनों का खेल देख रहा। जय ने सोनाली के होंठ चूसते हुए अपने हाथों से उसकी ब्रा उतार दी। जय सोनाली की बड़ी-बड़ी चूचियां देखकर पगला गया और उसकी चूचियों को बड़े जोर से चूसते हुए अपने दाँतों से उसे काटने लगा। सोनाली के मुँह से सिसकियां निकलने लगी।
 
जय नीचे होता हुआ सोनाली की सलवार नीचे करते हुए उसकी पैंटी भी उतार दी, और अपने मुँह से अपनी जीभ निकालकर उसकी चूत चाटने लगा।
सोनाली मजे से ‘आह्ह्ह' करने लगी। वो बहुत गर्म हो गई थी। सोनाली से अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था। उसने जय को नीचे गिराया और खुद उसके ऊपर अपनी दोनों टाँगें फैलाकर बैठ गई और अपने चूतड़ जय के अंडरवेर के ऊपर से ही लण्ड पर रगड़ने लगी। जय मजे से पागल हो रहा था। उसने सोनाली की एक चूची को अपने मुँह में ले लिया और जोर से काटने लगा।
सोनाली के मुँह से एक चीख निकल गई- “ओईई... आह्ह्ह...” और उसने नीचे होते हुए जय का अंडरवेर उतार दिया और अपनी जीभ निकालकर उसका लण्ड गीला किया और अपनी चूत उसपर रखकर नीचे बैठ गई। जय का पूरा लण्ड सोनाली की चूत में घुस गया और उसके मुँह से मजे से सिसकी निकल गई। सोनाली ने जय का पूरा लण्ड अपनी चूत में लिए हुए उसे अपनी गहराइयों तक महसूस करने लगी। वो अपने चूतड़ हिलाकर जय के लण्ड को अपनी चूत के अंदर दाएं और बाएं फिराने लगी।
जय मजे के मारे सोनाली की चूचियों को मसलने लगा। सोनाली अब अपने चूतड़ उठाकर धक्के लगाने लगी और उसने अपनी जीभ निकालकर जय के मुँह में डाल दी। जय उसकी जीभ चाटता हुआ नीचे से धक्के लगाने लगा। सोनाली अब झड़ने वाली थी। वो अपने चूतड़ बहुत तेजी से ऊपर-नीचे करते हुए ‘आअह्हह' के साथ झड़ने लगी और शांत होकर जय के सीने पर लेट गई।
आकाश भी यह सब देखकर गरम हो गया था और अपनी पैंट और अंडरवेर उतारकर अपने हाथों से लण्ड सहला रहा था।
जय ने सोनाली को उल्टा किया और अपना लण्ड पीछे से उसकी चूत में डाल दिया। जय सोनाली को पीछे से बहुत जोर से चोद रहा था। हर धक्के के साथ जय के आंडे सोनाली की गाण्ड से टकरा रहे थे। अब सोनाली भी गर्म होने लगी और अपने चूतड़ों को आगे-पीछे करने लगी।
 
आकाश सोनाली की लटकती बड़ी-बड़ी चूचियों को देख रहा था जो हर धक्के के साथ आगे-पीछे हिल रही थी। आकाश आगे बढ़ा और बेड पर लेटकर सोनाली की चूचियों को अपने हाथों से मसलने लगा।
अचानक जय ने अपना लण्ड सोनाली की चूत से निकालकर गाण्ड में डाल दिया।
सोनाली ने तड़पते हुए कहा- “ओहह... जय तुम सुधरोगे नहीं..."
जय का आधा लण्ड उसकी गाण्ड में था। वो आधे लण्ड से ही उसे चोदने लगा। थोड़ी देर बाद सोनाली को भी मजा आने लगा और वो अपनी गाण्ड को पीछे धकेलते हुए लण्ड पर दबाने लगी। जय धक्के लगाते हुए एक । धक्का तेज लगा देता और लण्ड थोड़ा और अंदर हो जाता। ऐसा करते हुए उसने अपना पूरा लण्ड सोनाली की गाण्ड में डाल दिया और बहुत जोर के धक्के मारता हुआ उसकी गाण्ड में पिचकारी छोड़ दी। सोनाली की गाण्ड वीर्य से भर गई। जय का लण्ड सिकुड़कर बाहर आ गया और वीर्य की बूंदें सोनाली की गाण्ड से निकलकर बेड पर गिरने लगी।
जय उठकर बाथरूम चला गया और सोनाली ने अपनी गाण्ड को तौलिये से साफ किया। मगर उसकी प्यास अभी तक बुझी नहीं थी। वो बेड पर लेट गई और आकाश के लण्ड को देखकर फिर से गर्म हो गई। आकाश भी इतनी देर से यह सब देखकर बहुत गर्म हो गया था। वो सोनाली के होंठों को चूसने लगा और अपने हाथों से उसकी छातियों को जोर से मीसने लगा।
सोनाली दर्द से चिल्ला उठी- “ओईई... धीरे दबाओ...” और अपने हाथ से आकाश के लण्ड को मुठ्ठी में लेकर आगे-पीछे करने लगी।
आकाश नीचे होता हुआ सोनाली की टाँगों को उठा लिया और उनको घुटनों तक मोड़कर अपना पूरा लण्ड एक ही। झटके में उसकी चूत में पेल दिया।
सोनाली- “ओह... आकाश तुम्हारा लण्ड कितना बड़ा और मोटा है, मेरी चूत को बहुत अच्छा लग रहा है। डार्लिंग अब जोर से इसे चोदो और फाड़ दो इसे...” सोनाली मजे लेते हुए बोली।
आकाश ने अपना लण्ड पीछे खींचा और एक जोर का धक्का मारकर पूरा अंदर डाल दिया।
सोनाली- “हाँ हाँ ऐसे ही चोदो जोर से..” सोनाली के मुँह से सिसकारी भरी आवाजें निकल रही थी।
आकाश ने पूरे जोर से उसकी चुदाई शुरू कर दी।
सोनाली भी अपने चूतड़ उछालकर ताल से ताल मिला रही थी। उसकी साँसे मजे के मारे उखड़ रही थी- “ओहह... आकाश जोर से जल्दी-जल्दी डालो। मैं अब झड़ने वाली हूँ...” इतना कहकर उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया।
 
आकाश तब तक तेज धक्के लगाता रहा जब तक सोनाली पूरी झड़कर शांत नहीं हो गई। आकाश अपना लण्ड उसकी चूत में डाले उसके ऊपर लेट गया और अपनी जीभ निकलकर उसके मुँह में डाल दी, जो सोनाली बड़े मजे से चूसने लगी।
कुछ देर बाद आकाश ने सोनाली से कहा- “मुझे वैसेलीन लाकर दो...”
सोनाली ने चौंकते हुए कहा- “क्यों क्या हुआ?”
आकाश ने कहा- “मुझे तुम्हारी गाण्ड मारनी है...”
सोनाली का मुँह फटा रह गया, और कहा- “आकाश तुम्हारा लण्ड बहुत बड़ा है, मेरी गाण्ड फट जाएगी...”
आकाश- “कुछ नहीं होगा तुम्हें मुझपर भरोसा है ना? मैं आराम से डालूंगा...”

सोनाली उठकर वैसेलीन ले आई। आकाश ने सोनाली को उल्टा लेटाया और और वैसेलीन से एक उंगली चिकनी करके उसकी गाण्ड में अंदर तक फिराने लगा। ऐसा दो तीन बार करने के बाद जब उसे तसल्ली हो गई की। गाण्ड चिकनी हो गई है तो उसने वैसेलीन से अपना लण्ड चिकना किया और उसकी गाण्ड पर रखकर जोर लगाया, तो उसके लण्ड का टोपा अंदर चला गया। सोनाली के मुँह से 'आह' निकल गई। आकाश ने एक और धक्का मारा, तो उसका आधा लण्ड उसकी गाण्ड में घुस गया।
सोनाली दर्द के मारे चिल्ला उठी- “ओईई... ओह... आकाश दर्द हो रहा है, बाहर निकालो...”
आकाश ने उसकी ना सुनते हुये अपने आधे लण्ड से ही उसे चोदने लगा। थोड़ी देर बाद सोनाली का भी दर्द खत्म हो गया और वो मजे से अपनी गाण्ड मरवाने लगी। आकाश ने जब देखा सोनाली का दर्द खत्म हो गया है। तो उसने अपना लण्ड बाहर निकालकर एक जोर का धक्का मार दिया और अपना पूरा लण्ड उसकी जड़ तक घुसा दिया।
सोनाली- “ओईई... मर गई... मेरी गाण्ड फट गई...” और छटपटाने लगी।
आकाश ने उसे जोर से पकड़ रखा था। कुछ देर बाद सोनाली कुछ शांत हुई तो आकाश उसे हल्के-हल्के धक्के लगाने लगा। सोनाली के मुँह से अब हल्की-हल्की सिसकियां निकलने लगी। आकाश ने धक्के लगाते हुए सोनाली के चूतड़ों पे थप्पड़ मारने लगा। अब सोनाली को भी मजा आने लगा और वो अपने चूतड़ हिलाकर अपनी गाण्ड मरवाने लगी। आकाश सोनाली की गाण्ड मारते हुए अपनी उंगलियों से उसकी चूत मसलने लगा। सोनाली का दर्द बिल्कुल गायब हो चुका था, उसे अपनी गाण्ड में आकाश का लण्ड बहुत मजा दे रहा था।
सोनाली अब जोर से चिल्लाते हुए कहने लगी- “आकाश तुम्हारा लण्ड बहुत बड़ा है। मुझे बहुत मजा आ रहा है। ऐसे ही मेरी गाण्ड मारते रहो...”
 
जय कब से यह सब देखकर फिर से गरम हो गया था। उसने आकाश को कहा- “आज आपको जिंदगी का सबसे अनोखा मजा देता हूँ...” कहकर जय बेड पर आकर लेट गया और आकाश को सोनाली की गाण्ड से लण्ड निकालने को कहा और सोनाली को अपने खड़े लण्ड पर चूत रखकर बिठा दिया। उसका लण्ड सोनाली की चूत में घुस गया।
जय ने सोनाली को नीचे झुका दिया और उसकी चूचियां चाटते हुए आकाश को कहा- “सर, अब आप इसकी गाण्ड मारो..."
सोनाली यह सब सुनकर बहुत उत्तेजित हो गई। वो आज जिंदगी का सबसे अनोखा और भयानक मजा लेने वाली थी। आकाश ने सोनाली के पीछे से अपना लण्ड अपनी थूक से गीला किया और उसकी गाण्ड पर रखकर धक्का लगाया। उसका आधा लण्ड गाण्ड में घुस गया।
सोनाली के मुँह से चीख निकल गई- “ओईई... मार डाला...”

आकाश आधे लण्ड से ही उसे चोदने लगा। उसका लण्ड बहुत तकलीफ के साथ अंदर-बाहर हो रहा था, आकाश ने एक जोर का धक्का मारा और उसका लण्ड सोनाली की गाण्ड में जड़ तक घुस गया और वो फिर से चिल्ला उठी- “आहह..."
आकाश को जय का लण्ड अपने लण्ड पर महसूस हो रहा था। अब जय और आकाश दोनों धक्के लगाने लगे। आकाश अपना लण्ड बाहर करता तो जय अंदर कर देता और सोनाली को अपने दोनों छेदों में लण्ड अंदर-बाहर होते हुए बहुत अच्छा लग रहा था।
सोनाली अब सिसकते हुए- “आकाश, हाँ ऐसे ही मुझे चोदते रहो, मैं झड़ने वाली हूँ..”
आकाश और जय अब पूरी ताकत से उसे चोदने लगे। सोनाली आअह्ह्ह के साथ झड़ने लगी और उसके साथ आकाश और जय भी हाँफते हुए झड़ने लगे। सोनाली को अपने दोनों छेदों में पानी गिरता महसूस हुआ और तीनों निढाल होकर बेड पर लेट गये। कुछ देर बाद जय और आकाश चले गये। सोनाली दरवाजा बंद करके सो गई।
 
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