Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल - Page 10 - SexBaba
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Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल

सोनू मेरी चूत से निकलते हुए पानी को चाटने लगा, मगर मेरी चूत से इतना पानी निकल रहा था की सोनू का पूरा चेहरा भीग गया। थोड़ी देर बाद मैंने अपनी आँखें खोली तो सोनू वैसे ही बैठा मेरी चूत को चाट रहा था और उसका मुँह मेरी चूत के पानी से गीला था।

मैंने उठते हुए सोनू को धक्का देकर बेड पर गिरा दिया और खुद उसके पेट पर बैठते हुए अपनी जीभ निकालकर उसके मुँह से अपनी चूत का लगा हुआ पानी साफ करने लगी। सोनू ने अपने हाथों से मेरी चूचियों को पकड़ लिया और उन्हें सहलाते हुए अपना मुँह खोलकर मेरी जीभ को पकड़ लिया और उसे चाटने लगा।

मैं फिर से गरम होने लगी। मैंने सोनू के मुँह से जीभ निकालकर नीचे होते हुए उसकी बालों वाली छाती पर फिराने लगी। सोनू का लण्ड झटके खाता हुआ मेरी गाण्ड पर टक्कर मारने लगा। मैं सोनू के लण्ड का स्पर्श पाते ही सिहर उठी और नीचे होते हुए अपनी चूत को सोनू के लण्ड पर रगड़ने लगी। सोनू का लण्ड अपनी चूत पे रगड़ते ही मेरे मुँह से निकल पड़ा- “अयाया...”

सोनू ने मेरी कमर में हाथ डालकर नीचे झुका लिया और नीचे से अपने लण्ड को मेरी चूत पर रगड़ते हुए मेरे गुलाबी होंठों का रस चूसने लगा। मैं सोनू के ऊपर ऐसे झुकी हुई थी की उसका लण्ड मेरी गाण्ड से लेकर मेरी चूत के दाने तक रगड़ खा रहा था। मैं अपनी चूचियों को सोनू के सीने पर रगड़ते हुए, अपने चूतड़ उसके लण्ड पर आगे-पीछे करने लगी। मैं जैसे ही अपने चूतड़ों को थोड़ा आगे सरकाती सोनू का लण्ड सीधा मेरी चूत के छेद को चूम लेता और मैं उसे अपनी चूत के छेद पर रगड़ते हुए फिर से नीचे हो जाती।

मेरा सारा शरीर हवस की आग में झुलस रहा था। मैं अपने होंठों को सोनू के मुँह से अलग करते हुए नीचे होने लगी। नीचे होते हुए सोनू का लण्ड मेरे पेट से रगड़ता हुआ मेरी चूचियों से टकरा गया। मैंने अपनी चूचियों को थोड़ी देर तक सोनू के लण्ड पर रगड़ा।

सोनू अपने लण्ड पर मेरी चूचियों को रगड़ता महसूस करके सिसक उठा- “आहहह...”

मैंने अपनी चूचियों को सोनू के लण्ड से अलग करते हुए उसके काले लण्ड को अपनी मुट्ठी में पकड़ लिया। मेरा हाथ सोनू के लण्ड पर पड़ते ही मेरा पूरा शरीर सिहर उठा और मेरा हाथ अपने आप उसके लण्ड पर ऊपर-नीचे होने लगा। मेरा हाथ सोनू के लण्ड पर पड़ते ही मेरी साँसें बहुत जोर से चलने लगी। मेरी चूचियां मेरी साँसों के साथ ऊपर-नीचे हो रही थी। मैंने अपनी धड़कती साँसों के साथ अपनी जीभ निकाली और अपनी जीभ को सोनू के गरम और काले लण्ड के टोपे पर रख दिया।

मेरी जीभ अपने लण्ड पर महसूस होते ही सोनू के मुँह से निकल पड़ा- “आअह्ह्ह...” सोनू के लण्ड से मुझे अजीब किस्म की गंध आ रही थी। मेरी जीभ उसके लण्ड पर पड़ते ही मुझे पूरे शरीर में अजीब किस्म की सिहरन महसूस होने लगी।
 
उसके लण्ड से आती हुई अजीब गंध से मेरी आँखें बंद होने लगी, और मेरी जीभ अपने आप उसके लण्ड पर ऊपर से नीचे होने लगी। मैं अपनी जीभ से सोनू के पूरे लण्ड को ऊपर से नीचे तक चाटने लगी और अपने हाथ से उसकी काली गोटियों को सहलाने लगी। सोनू का लण्ड मेरी जीभ का अहसास पाते ही बहुत जोर के झटके खाने लगा और उसके लण्ड के छेद से प्री-कम की बूंदें निकलने लगी।

मैं अपने हाथ से उसके लण्ड को पकड़ते हुए अपनी जीभ से उसके लण्ड के छेद से निकलती हुई प्री-कम की बूंदों को चाटने लगी। मैं सोनू के लण्ड के छेद में से प्री-कम की बूंदें चाटते हुए उसके लण्ड के छेद में अपनी जीभ को फिराने लगी।

सोनू- “आहह्ह.. आअह्ह्ह... मेमसाहब...”

मेरी जीभ को अपने लण्ड के छेद में महसूस करते ही सोनू कांप उठा और मुझे बालों से पकड़ते हुए अपने लण्ड पर दबाने लगा। मैं अपने मुँह को पूरा खोलकर सोनू के लण्ड का मोटा टोपा अपने गुलाबी होंठों में अटका लिया

और पूरा जोर देकर उसे अपने मुँह में भरने लगी। सोनू ने मेरे सिर को बहुत जोर से अपने लण्ड पर दबा दिया। उसके लण्ड का टोपा मेरे होंठों को फैलाता हुआ मेरे मुँह में घुस गया और मैं अपने होंठों से उसके टोपे को चाटने लगी।

सोनू- “आअहहह... मेमसाहब आज तक मेरा लण्ड किसी ने अपने मुँह में नहीं लिया, आप बहुत अच्छी हैं..” सोनू अपने लण्ड को मेरे मुँह में घुसाते ही बड़बड़ाने लगा।

मुझे सोनू के लण्ड का स्वाद बहुत अच्छा लग रहा था। इसीलिए मैं उसके लण्ड को अपने होंठों से चूसते हुए उसपर अपनी जीभ भी फिराने लगी। सोनू मेरे दोहरे हमले से सिहर उठा और नीचे से अपने चूतड़ों को बहुत जोर का धक्का दे दिया। सोनू के हाथ मेरे सिर को पकड़े हुए होने की वजह से उसका लण्ड मेरे मुँह को फैलाता हुआ आधा अंदर घुस गया।

मेरी आँखों से आँसू बहने लगे। सोनू मेरी परवाह ना करते हुए मेरे सिर को पकड़कर अपना लण्ड अंदर-बाहर करने लगा। मेरे मुँह से पूँ-हूँ की चीखें निकलने लगी। सोनू कुछ देर तक मेरे मुँह में दबाता रहा और फिर मेरे सिर को अपने हाथों से आजाद कर दिया। मेरा सिर आजाद होते ही मैंने सोनू के लण्ड से अपना मुँह हटा लिया और जोर से खांसने लगी।


सोनू ने मुझे बेड पर सीधा लेटा दिया, और मुझे गौर से देखते हुए बड़ी बेशर्मी से कहने लगा- “मेमसाहब माँ कसम मैंने आज तक जितनी भी लौंडिया चोदी है, उनमें से आप जैसी गोरी और खूबसूरत लौंडिया कोई भी नहीं थी..." और वो मेरे ऊपर चढ़ते हुए मेरी गोरी-गोरी चूचियों पर टूट पड़ा और उन्हें चूसता हुआ नीचे होने लगा।

सोनू नीचे होता हुआ मेरी टाँगों के बीच आ गया और मेरी टाँगों को घुटनों तक मोड़ते हुए मेरे पेट पर रख दिया। सोनू ने एक तकिया उठाकर मेरे चूतड़ों के नीचे रख दिया। मेरी चूत इस पोजीशन में बाहर निकलकर सोनू के सामने आ गई थी। मेरा पूरा शरीर तप चुका था और मेरी चूत में से पानी की बूंदें निकल रही थी। सोनू ने मेरी रस बहाती चूत को देखकर ललचा गया।

सोनू अपने होंठों पर जीभ फिराते हुए कहा- “मेमसाहब आपकी चूत का रंग गुलाबी है, और वो मक्खन जैसी नरम है। मेरा लण्ड तो आज जन्नत की सैर करेगा." सोनू ने यह कहते हुए अपनी जीभ को मेरी चूत के गुलाबी छेद पर रख दिया और उसमें से निकलता हुआ पानी चाट लिया।
 
सोनू की जीभ अपनी गरम चूत पर पड़ते ही मेरे मुँह से आहें निकल गई- “आअह्ह्ह...”

सोनू अब अपने काले लण्ड को पकड़कर मेरी गुलाबी चूत पर घिसने लगा। सोनू का लण्ड अपनी चूत पर महसूस करते ही मेरे पूरे शरीर में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी, और मैं अपने चूतड़ों को सोनू के लण्ड पर उछालने । लगी। सोनू मुझे अपने चूतड़ों को उछालता हुआ देखकर बड़ी बेशर्मी के साथ अपने लण्ड को जोर से मेरे चूत के सुराख पर घिसते हुए कहा- “मेमसाहब अगर मेरा लण्ड अपनी चूत में लेना है तो बोलो कि सोनू अपना लण्ड मेरी चूत में डालो..."

मैं इतनी ज्यादा गरम हो चुकी थी की सोनू का लण्ड अपनी चूत में लेने के लिए कुछ भी कर सकती थी। मैं सिसकते हुए बोली “उईई... सोनू डाल दो ना क्यों तड़पा रहे हो?”

सोनू मेरे मुँह से ऐसी बात सुनकर खुश होते हुए बोला- “क्या डालू मेमसाहब बताओ ना?”

मैं आहें भरते हुई बोली- “तुम बड़े बेशर्म हो अपना वो डाल दो...”

सोनू ने अपने लण्ड को और जोर से मेरी चूत के छेद से लेकर उसके दाने तक रगड़ते हुए कहा- “मेमसाहब मैं समझा नहीं, नाम बताओ ना वो क्या डालना है?”


मेरी बर्दाश्त जवाब देने लगी और मैंने सिसकते हुए कहा- “सोनू अपना वो मोटा लण्ड मेरी चूत में डालो, मुझसे अब सहन नहीं होता...”

सोनू मेरे मुँह से लण्ड का नाम सुनकर और ज्यादा उत्तेजित होते हुए अपने हाथों से मेरी चूत के दोनों होंठों को खोलते हुए अपना लण्ड चूत के छेद पर टिका दिया और मेरी टाँगों को जोर से पकड़ते हुए एक जोर का धक्का मार दिया। सोनू का लण्ड मेरी चूत को चीरते हुए उसमें आधा घुस गया।

“ओईए... आह्ह्ह...” उसका लण्ड मेरी चूत में घुसते ही मेरे मुँह से एक चीख निकल गई।

सोनू ने मेरी चीख की परवाह ना करते हुए अपने लण्ड को मेरी चूत से बाहर खींचते हुए बहुत जोर के तीन-चार धक्के लगा दिये। उसका लण्ड मेरी चूत को चीरता फाड़ता हुआ जड़ तक घुस गया।

मैं चिल्लाई- “ओईई माँ आह्ह्ह... मर गई... मेरे चूत फट गई..” सोनू का लण्ड मेरी चूत में जड़ तक घुसते ही मेरे मुँह से चीखें निकलने लगी और मेरा पूरा शरीर काँपने लगा।

सोनू मेरी टाँगों को जोर से पकड़ते हुए अपने लण्ड को मेरी चूत में अंदर-बाहर करने लगा। सोनू के धक्कों से अब मेरी चूत का दर्द कम होते हुए मीठे मजे में बदलने लगा।

सोनू का लण्ड मेरी चूत को पूरी तरह भरे हुए था और उसका लण्ड मेरी चूत की गहराइयों में रगड़ खाता हुआ मेरे पेट तक ठोकरें मार रहा था। मेरे मुँह से अब चीखों के बदले सिसकियां और आहें निकल रही थी। सोनू अपने लण्ड को टोपे तक खींचते हुए फिर से मेरी चूत की जड़ तक घुसा देता। उसके हर धक्के के साथ मेरा पूरा शरीर कांप उठता।

सोनू मेरी चूत में जोर के धक्के लगाते हुए बड़बड़ाने लगा- “मेमसाहब आपकी चूत बहुत गरम और टाइट है, मैंने आज तक ऐसी टाइट चूत नहीं चोदी..."

सोनू की बातें सुनकर मेरा पूरा शरीर अकड़ने लगा, और मेरा पूरा शरीर झटके खाता हुआ सोनू के लण्ड पर झड़ने लगा और मेरी चूत उसके लण्ड पर सिकुड़ने लगी। मेरे मुँह से झड़ते हुए “आह्ह्ह...” की जोर की सिसकियां निकलने लगी।
 
मेरे झड़ते हुए सोनू अपना लण्ड मेरी चूत में जोर से अंदर-बाहर करने लगा। मेरे झड़ने की वजह से सोनू का लण्ड मेरी चूत में आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। सोनू ने अचानक मेरी चूत में से अपना लण्ड निकाल लिया। उसका लण्ड पच्च की आवाज के साथ मेरी चूत से निकल गया और उसने मुझे उल्टा होने को कहा।

मैं उल्टा होकर लेट गई।

अब सोनू ने अपना लण्ड पीछे से मेरी चूत में डाल दिया और मेरे चूतड़ों को पकड़ते हुए बहुत जोर के धक्के लगाने लगा। सोनू के हर धक्के के साथ के मेरी चूत में से पच-पच की आवाज आने लगी, और सोनू ने मेरी गाण्ड पर थप्पड़ मारते हुए ‘आअहह्ह... करते हुए मेरी चूत में झड़ते हुए अपना वीर्य भरने लगा।

सोनू के लण्ड से गरम वीर्य की पिचकारियां अपनी चूत में महसूस करते ही मैं भी झड़ने लगी और अपनी चूत को सोनू के लण्ड पर सिकोड़ते हुए अपनी आँखें बंद करते हुए ‘आहहह... ओहह...' करने लगी। सोनू आपने लण्ड से न जाने कितनी देर तक मेरी चूत में वीर्य भरता रहा, और फिर निढाल होकर मेरे ऊपर ढेर हो गया। सोनू कुछ देर तक ऐसे ही मेरे ऊपर पड़ा रहा। उसका लण्ड अब भी मेरी चूत में पड़ा हुआ था।

सोनू ने अपनी आँखें खोलते हुए कहा- “मेमसाहब सच में आपकी चूत मक्खन जैसी चिकनी है...”

मैंने अपनी आँखें खोलते हुए अपने गुलाबी होंठ उसके होंठों पर रख दिए। मेरे होंठों का स्पर्श पाते ही उसका लण्ड फिर से मेरी चूत में तनने लगा। मैंने सोनू को अपने ऊपर से उठाते हुए बेड पर सीधा लेटा दिया। उसका लण्ड मेरी चूत से निकल गया और मेरी चूत में से उसके लण्ड से निकला हुआ वीर्य जो उसके लण्ड की वजह से अंदर रुका हुआ था, निकलकर बेड पर गिरने लगा। सोनू सीधा बेड पर लेटा हुआ था और उसका लण्ड वीर्य से भरा हुआ था।

मैं उसके वीर्य से गीले लण्ड को देखकर फिर से गरम होने लगी। मैं आज जी भरकर सोनू के मोटे और लंबे लण्ड का मजा लेना चाहती थी। मैं अपना मुँह सोनू के लण्ड के पास लेजाकर उसकी गंध सँघने लगी। सोनू के लण्ड की गंध से मेरा पूरा शरीर सिहर उठा, और मेरी जीभ अपने आप मेरे मुँह से निकलकर सोनू के लण्ड पर लगा हुआ वीर्य चाटने लगी।
 
सोनू के वीर्य का स्वाद फीका और अजीब था, मगर मुझे उस वक़्त उसका वीर्य प्रसाद से ज्यादा मीठा लग रहा था। मैंने अपनी जीभ से उसके पूरे लण्ड का वीर्य चाटकर साफ कर दिया। सोनू का लण्ड मेरी जीभ के स्पर्श से फिर से तनने लगा। मैं सोनू के लण्ड को चाटते हुए, नीचे जाते हुए उसके गोटियों पर अपनी जीभ फिराने लगी। सोनू मेरी जीभ को अपनी गोटियों पर महसूस करके सिहर उठा। मैं उसकी गोटियों पर जीभ फिराते हुए अपना मुँह खोलकर उन्हें अपने मुँह में भरकर चाटने लगी।

सोनू की गोटियां मेरे मुँह में आते ही उसके मुँह से सिसकियां निकलने लगी, और उसका लण्ड पूरा आकार करके झटके मारने लगा। मैं सोनू की गोटियों को जी भरकर चूसने के बाद ऊपर उठते हुए अपनी दोनों टाँगों को फैलाकर उसके पेट पर बैठ गई और अपनी चूचियों को उसके सीने से रगड़ते हुए अपनी जीभ निकालकर उसके मुँह में डाल दी। सोनू मेरी जीभ को चाटते हुए अपने दोनों हाथ मेरे बालों में डाल दिया और मेरी जीभ को जितना हो सकता था खींचकर अपने मुँह में लेकर चाटने लगा। सोनू मेरी जीभ को जी भरकर चाटने के बाद । अपने हाथ मेरी चूचियों पर ले गया और उन्हें बहुत जोर से दबाने लगा। सोनू ने मेरी चूचियों को इतनी जोर से दबाया था के मेर मुँह से ‘ओह...' निकल गया।

सोनू मेरी जीभ को अपने मुंह से निकालते हुए मुझे ऊपर खींचते हुए मेरी चूचियों को अपने मुँह में लेने लगा। मैंने सोनू के हाथों को अपने हाथों से पकड़ते हुए उसके सिर के ऊपर रख दिए और अपनी चूचियों को उसके मुँह के पास ले जाने लगी। सोनू मेरी चूचियों को अपने मुँह के पास आते ही अपना मुँह खोलकर उनपर झपटा, मगर मैंने अपनी चूचियों को वापस ऊपर कर लिया।

सोनू मेरी तरफ देखते हुए कहने लगा- “मेमसाहब इस गरीब को क्यों इतना तड़पा रही हो?”

मैंने उसकी बात सुनकर अपनी चूचियों को उसके मुँह के ऊपर रख दिया। सोनू ने खुश होते हुए मेरी बांयीं वाली चूची को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगा। मैंने कुछ देर अपनी बांयीं वाली चूची को उसके मुँह में चुसवाने के बाद, अपनी उस चूची को उसके मुँह से निकालकर अपने दायीं वाली चूची को उसके मुँह में डाल दिया। मैंने अपनी चूचियों को जी भरकर चुसवाने के बाद अपने चूतड़ों को थोड़ा उठा लिया और सोनू के लण्ड को पकड़कर अपनी चूत के गुलाबी छेद पर रख दिया। सोनू ने अपना लण्ड मेरी चूत के छेद पर आते ही नीचे से एक धक्का मार दिया।


मगर मैंने अपनी चूत को थोड़ा ऊपर कर लिया। मैं सोनू को थोड़ा तड़पाना चाहती थी। सोनू मेरी तरफ सवालिया नजरों से देखने लगा। मैंने अपनी चूत को थोड़ा सा दबाव दिया, और उसके लण्ड का टोपा मेरी गीली चूत में फिसलता हुआ अंदर दाखिल हो गया। सोनू और मेरे मुँह से एक साथ ‘आअह्ह... निकल गई। सोनू फिर से। नीचे से धक्का मारने की कोशिश करने लगा मगर मैंने अपने हाथों से उसके लण्ड को पकड़ लिया और अपनी चूत को उसके लण्ड के टोपे पर गोल-गोल फिराने लगी।

सोनू- “आहहह... मेमसाहब क्यों तड़पा रही हो, मेरे लण्ड को अपनी मक्खन जैसी चूत में अंदर लो ना...”

मैंने अपने हाथों को उसके लण्ड से अलग किया और एक ही झटके में उसके लण्ड पर पूरे वजन के साथ बैठ गई। सोनू का पूरा लण्ड मेरी चूत में घुसते ही मेरे मुँह से “ओह्ह...” निकल पड़ा। सोनू भी सिसकते हुए नीचे से मेरी चूत में धक्के मारने लगा। मेरे पूरे शरीर में अजीब किस्म की सिहरन दौड़ रही थी।

सोनू ने मुझे कमर से पकड़ते हुए नीचे झुका लिया और मेरे गुलाबी होंठों का रस चूसते हुए नीचे से तूफान की रफ़्तार के साथ धक्के लगाने लगा। सोनू के धक्कों की रफ्तार इतनी तेज थी की मेरी चूत के होंठ उसके लण्ड के साथ अंदर-बाहर हो रहे थे, और मेरी पूरी चूत में उसका लण्ड इतनी तेज रगड़ खा रहा था की मैं मजे से हवा में उड़ने लगी। सोनू ने मेरे होंठों को चूसते हुए अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। जिसे मैं बड़े प्यार से चूसने लगी।

अचानक मेरे पूरे शरीर में अकड़न होने लगी, और मैं सोनू के होंठों से अपना मुँह हटाते हुए उसके लण्ड पर बहुत जोर से ऊपर-नीचे होने लगी। मेरा सारा शरीर पशीने में डूब गया और मेरी चूत सोनू के लण्ड पर सिकुड़ने लगी। सोनू मेरी चूत को अपने लण्ड पर सिकुड़ता हुआ देखकर समझ गया की मैं झड़ने वाली हूँ इसीलिए वो नीचे से बहुत जोर के धक्के लगाने लगा।

आअहह्ह...” करते हुए मेरा पूरा शरीर झटके खाने लगा और मैं अपनी आँखें बंद करके अपनी जिंदगी का सबसे हसीन झड़ने का मजा लेने लगी।
 
मैं कुछ देर झड़ने के बाद निढाल होकर सोनू के सीने पर लेट गई और सोनू मेरे होंठों को चूमता हुआ मुझे अपनी बाहों में ले लिया। सोनू ने कुछ देर बाद मुझे अपने ऊपर से उठाते हुए बेड पर उल्टा लेटा दिया। मेरे उल्टे लेटते ही वो मेरे पीछे आ गया और अपनी जीभ निकालकर मेरी चूत और उसके लण्ड के वीर्य का मिला जुला रस चाटने लगा। सोनू ने मेरी चूत को चाटते हुए अपनी जीभ को मेरी चूत के छेद में डाल दिया। उसकी जीभ मेरी चूत में घुसते ही मेरे मुँह से ‘आअहह्ह... निकल गई।

सोनू ने अपनी जीभ से मेरी चूत को चाटते हुए अपनी एक उंगली को मेरी गाण्ड में घुसा दिया। सोनू की उंगली मेरी गाण्ड में घुसते ही मेरे मुँह से “ओईई...” निकल गया। सोनू वैसे ही मेरी चूत को चाटते हुए मेरी गाण्ड में उंगली को अंदर-बाहर करने लगा, मैं मजे से ‘आअह्ह... करते हुए अपने दोनों छेदों में होने वाली रगड़ का अनोखा मजा लेने लगी।

सोनू ने अचानक अपनी दो उंगलियों को एक साथ मेरी गाण्ड में डाल दिया। मैं “ओईई... माँ..” करके फिर से उछल पड़ी। मगर सोनू की जीभ मेरी चूत में इतना जोर से चल रही थी की मैं मजे में डूबी हुई सिसक रही थी।


सोनू मेरी चूत में अपनी जीभ डाले हुए अपनी दो उंगलियां मेरी गाण्ड में अंदर-बाहर करने लगा। कुछ देर दो उंगलियां अंदर-बाहर करने के बाद सोनू ने अपनी जीभ मेरी चूत से निकाल दी और अपनी दोनों उंगलियां मेरी गाण्ड से निकालते हुए अपनी जीभ मेरी गाण्ड में डाल दी।
सोनू की जीभ अपनी गाण्ड में घुसते ही मेरे मुँह से आह्ह्ह... ऊओह्ह... निकल गया।

सोनू अपनी जीभ को मेरी गाण्ड के चीरे में फिराते हुए अपने नाक से मेरी गाण्ड की गंध सँघने लगा। मेरी गाण्ड की गंध सँघते हुए उसकी आँखें बंद हो गई और वो अपनी जीभ को मेरी गाण्ड से निकालकर अपनी साँसों को पीछे खींचते हुए कहने लगा- “मेमसाहब, आपकी गाण्ड कमाल की है और आपकी गाण्ड से ज्यादा उसकी महक कमाल की है...”

सोनू ने मेरी गाण्ड को जी भरकर चाटने के बाद अपना लण्ड पीछे से मेरी चूत में डाल दिया और बहुत जोर से मुझे चोदते हुए अपनी एक उंगली को मेरी गाण्ड में डालकर अंदर-बाहर करने लगा।

मेरा पूरा शरीर मजे से काँप रहा था। सोनू मेरी चूत में बहुत जोर के धक्के लगा रहा था। अचानक उसने अपनी दो उंगलियां मेरी गाण्ड में डाल दी और अपने लण्ड से मेरी चूत में जोर के धक्के लगाता हुआ अपनी दोनों उंगलियां मेरी गाण्ड में अंदर-बाहर करने लगा। सोनू अपने लण्ड से इतने जोर के धक्के लगा रहा था की हर धक्के के साथ उसका लण्ड मुझे अपनी बच्चेदानी में ठोकरें मार रहा था और उसके हर धक्के के साथ मेरे मुँह से आऽs निकल रही थी।

मेरे दोनों छेदों में सोनू की उंगलियां और लण्ड इतनी जोर की रगड़ रहे थे की अब मुझे अपने आपको रोकना नामुमकिन था, इसीलिए मेरा पूरा शरीर अकड़ने लगा, और मेरी चूत सोनू के लण्ड पर अकड़ने लगी। मेरा शरीर झटके खाते हुए झड़ने लगा और मैंने “आहहह... इस्स्स्स ..' करते हुए अपनी आँखें बंद कर ली।

सोनू मेरी चूत का सिकुड़ना बर्दाश्त ना कर सका और वो भी ‘आअहह्ह...' करते हुए मेरी चूत में अपना वीर्य भरने लगा। सोनू का लण्ड झड़ते हुए ज्यादा फूल गया था। मुझे अपनी चूत में उसका लण्ड बहुत मोटा महसूस हो रहा था। कुछ देर तक हम दोनों झड़ते रहे और फिर निढाल होकर बेड पर गिर पड़े। हम अपनी आँखें बंद किए बेड पर लेटे हुए थे की दरवाजा खटकने की आवाज आई।

सोनू दरवाजे की आवाज सुनकर थर-थर काँपने लगा और जल्दी से उठकर अपने कपड़े पहनने लगा। मैं भी उठकर अपने कपड़े पहनने लगी और सोनू को अपने कमरे के बाथरूम में छुपाकर मैं दरवाजा खोलने बाहर चली गई। मैंने जैसे ही दरवाजा खोला, तो सामने मोहित खड़ा था।
मुझे देखकर मोहित ने अंदर आते हुए पूछा- “धन्नो तुम इतना जल्दी कैसे आ गई?”
 
मैंने मोहित से कहा- “मेरी तबीयत खराब थी इसीलिए आ गई..”

मोहित ने फिर मुझसे कहा- “आँटी कहाँ है?”

मैंने कहा- “वो बाजार से समान खरीदने गई हैं...”

मोहित यह सुनकर मुझे खींचते हुए अपनी बाहों में भर लिया और मेरे होंठों को चूमने लगा।

मैंने मोहित को अपने से दूर करते हुए कहा- “मोहित छोड़ो, मेरी तबीयत सही नहीं है...”

मोहित ने मुझे अपनी बाहों से आजाद कर दिया और अपने कमरे की तरफ जाते हुए कहा- “मैं अपने कमरे में जा रहा हूँ, तुम आराम कर लो...”

मोहित के जाते ही मैंने सुख की साँस ली। मैं दौड़ते हुए अपने कमरे में घुसी। मैंने सोनू को बाथरूम से निकालते हुए कहा- “चलो अभी भागो, किसी ने देख लिया तो तुम्हारी खैर नहीं...”

सोनू पहले से डरा हुआ था। मेरी बात सुनकर वो और डर गया और दौड़ते हुए वहाँ से भाग गया। सोनू के जाते ही मैं नहाने बाथरूम में चली गई। मैं फ्रेश होकर बाहर अपने कमरे में आ गई और लेटते हुए आँटी के बारे में सोचने लगी, उसके बारे में सोचते-सोचते कब मुझे नींद आ गई पता ही नहीं चला।

आँटी ने मुझे उठाते हुए कहा- “धन्नो उठो, बहुत नींद कर ली, लंच तो कर लो..”

मैं अपनी आँखें मलते हुए उठी और बाथरूम में जाकर फ्रेश होकर अपने कमरे से निकलकर बाहर आ गई। बिंदिया, करुणा भी आ गई थी, और वो दोनों खाने की टेबल पर बैठकर मोहित से बातें कर रही थी। हम सबने मिलकर खाना खाया और उठकर अपने-अपने कमरे में जाने लगे।

मैं करुणा के साथ उसके कमरे में चली गई और दरवाजा अंदर से बंद करते हुए उससे बातें करने लगी। मैंने बातें करते हुए करुणा से पूछा- “रात को मजा आया था?”

करुणा शर्म के मारे लाल हो गई और अपना सिर नीचे झुकते हुए कहा अपना कंधा हाँ में हिला दिया।

मैंने उससे पूछा- “तुम्हारे दिल नहीं करता किसी लड़के से चुदवाने के लिए? तुम्हरी दीदी को देखो कैसे अपने होने वाले पति से मजे ले रही थी। मुझसे शर्माओ मत मैं भी तुम्हारे जैसी लड़की हूँ..”

करुणा ने थोड़ी हिमत करते हुए कहा- “दिल तो करता है, मगर डर लगता है...”

मैंने कहा- “किसका बात डर लगता है?”

करुणा ने कहा- “अगर किसी को पता चल गया तो? या बच्चा हो गया तो? मैं किसी को मुँह दिखाने के लायक नहीं रहूँगी, और फिर मुझसे कौन शादी करेगा?”

मैं उसकी बात सुनते हुए हँसने लगी और कहा- “पगली किसी को कुछ पता नहीं चलेगा... मेरे बारे में आज तक किसी को पता चला है? और तुम्हारी मम्मी के बारे में आज तक किसी को पता चला है? और बच्चा रोकने की टैब्लेट मिलती है.”

मेरी बात सुनकर करुणा ने हैरान होते हुए पूछा- “धन्नो मम्मी के बारे में तुम क्या कह रही हो? क्या वो भी ऐसे काम करती हैं?”

मैंने हँसते हुए कहा- “करुणा तुम अब बच्ची नहीं रही। तुम अब एक जवान लड़की हो, तुम्हें तो पता होना चाहिये की एक औरत मर्द के बिना नहीं जी सकती... और आँटी की उमर ही क्या है? वो भी एक औरत हैं। उसको भी तो लण्ड चाहिये?”
 
मेरे मुँह से ऐसी बातें सुनकर करुणा गर्म होने लगी और मुझसे कहने लगी- “मैंने अपनी सहेलियों से सुना है की पहली बार कराने में बहुत दर्द होता है...”

मैंने जानबूझ कर अंजान बनते हुए कहा- “क्या कराने में दर्द होता है?”

करुणा ने मेरी बात सुनकर अपने गले की थूक गटकते हुए कहा- “वोही दीदी जो रोहन और बिंदिया कर रहे थे...”

मैं करुणा के मुँह से गंदी बातें निकलवाना चाहती थी इसीलिए मैंने उससे कहा- “रोहन और बिंदिया क्या कर रहे थे? बता क्यों नहीं रही?”

करुणा ने हार मानते हुए कहा- “दीदी आप बहुत बदमाश हो, आप जानबूझ कर मेरे मुँह से वो लफ्ज़ सुनना चाहती हो। मैंने सुना है की लड़की की पहली चुदाई के वक़्त बहुत दर्द होता है...”

मैं करुणा को खुलता हुआ देखकर खुश होते हुए बोली- “पगली, पहली चुदाई में जो दर्द होता है वो उस मजे से कई गुना कम है जो हमें पूरी जिंदगी मिलता है...”

करुणा ने फिर से कहा- “मगर आपकी चूत और बिंदिया की चूत बहुत बड़ी है। मगर मेरी इस छोटी सी चूत में इतना बड़ा लण्ड कैसे घुसेगा? मैं तो मर ही जाऊँगी..."

करुणा की बात सुनकर मैंने उसे समझते हुए कहा- “पगली, हमारी चूत भी पहले छोटी थी। मगर एक बार चुदवाने के बाद औरत की चूत अपने आप खुलने लगती है...”

करुणा ने फिर से कहा- “मगर दीदी मेरी चूत तो इतनी छोटी है की मैं अपनी उंगली घुसाने की कोशिश करती हूँ। तो मुझे दर्द होने लगता है। फिर इतना बड़ा लण्ड मेरी चूत में कैसे घुसेगा?”

मैंने करुणा की बात सुनकर उससे कहा- “अरे पगली, भगवान ने औरत की चूत बनाई ही ऐसी है की पहली चुदाई से पहले उसमें उंगली भी नहीं घुसती, मगर एक बार उसकी झिल्ली टूट जाए तो फिर उसमें कितना भी बड़ा लण्ड घुसाओ कुछ नहीं होता...”

करुणा ने मेरी बात सुनकर कहा- “दीदी आपकी बातें सुनकर मेरी चूत में अजीब किस्म की गुदगुदी होने लगती है, और मुझे भी किसी मर्द से चुदवाने को जी करता है...”

करुणा की बात सुनकर मैंने उससे कहा- “तुम्हें मोहित कैसा लगता है?”
 
करुणा ने हैरान होते हुए कहा- “दीदी मोहित तो बिल्कुल बुद्धू है, वो तो मेरी तरफ देखता भी नहीं...”

मैंने करुणा से कहा- “मोहित सिर्फ दिखने में बुद्धू है। मगर चुदाई के मामले में वो मास्टर है, वो मुझे कई बार चोद चुका है, और मेरी कुँवारी गाण्ड भी मार चुका है...”

करुणा मेरी बात सुनकर हैरान होते हुए बोली- “दीदी मोहित तुम्हें चोद चुका है और गाण्ड भी मारी है? क्या लण्ड गाण्ड में भी डाला जाता है?”

करुणा की बात सुनकर मैंने कहा- “हाँ गाण्ड में भी लण्ड डाला जाता है और मुँह में भी... औरत के पास तीन छेद होते हैं, मर्द को खुश करने के लिए...”

करुणा मेरी बातें सुनकर बहुत गर्म हो गई थी, उसने कहा- “आप मोहित के बारे में क्यों पूछ रही थी? क्या आप मोहित से मुझे चुदवायेंगी...”

करुणा की बात सुनकर मैंने कहा- “आज रात को मैं मोहित को तुम्हारे कमरे में लाकर तुझे नंगा करके उसे तुम्हारी चूत और चूचियां दिखाऊँगी, तुम सोए रहने का नाटक करना। एक बार उसने तुम्हारी छोटी चूत और चूचियां देख ली तो फिर तुम देखना वो तुम्हारे पीछे कैसे पड़ता है?”

करुणा ने मेरी बात सुनकर डर और उत्तेजना से काँपते हुए कहा- “मगर दीदी, अगर किसी को पता चल गया
तो?"

मैंने करुणा से कहा- “पगली, किसी को कुछ पता नहीं चलेगा, तुम उसकी फिकर मत करो...”

करुणा मेरी बात सुनकर चुप हो गई। करुणा अपने हाथ से बार-बार अपनी चूत पर खुजा रही थी।

मैंने उसे छेड़ते हुए पूछा- “मोहित के बारे में सोचकर अभी से तेरी चूत में खुजली होने लगी?”

करुणा ने शर्माते हुए कहा- “दीदी, तुम्हारी बातें सुनकर मेरी चूत में आग लग गई है कुछ करो ना...” उस वक़्त करुणा सलवार और कमीज पहने हुए थी।

मैंने करुणा को बेड पर सीधा लेटा दिया और उसकी सलवार का नाड़ा खोलते हुए उसकी कच्छी को उतार दिया। करुणा की भूरे बालों वाली छोटी चूत के गुलाबी छेद में से पानी की बूंदें निकल रही थीं। मैंने अपनी जीभ निकालकर करुणा की चूत के छेद पर रख दी और उसके चूत के गुलाबी छेद में से टपकता रस पीने लगी।
 
करुणा मेरी जीभ अपनी चूत के छेद पर महसूस करते ही ‘आअहहह... करके सिहर उठी। उसने अपनी टाँगों को जितना हो सकता था फैला लिया और मेरे बालों में हाथ डालते हुए मुझे अपनी चूत पर दबाने लगी।

मैं अपनी जीभ को करुणा की चूत के छेद पर गोल-गोल घुमाते हुए अपने हाथ से उसकी चूत के दाने को सहलाने लगी। करुणा मजे से सिसकते हुए कॉप रही थी। मैं अपनी जीभ को उसकी चूत के छेद से घुमाते हुए उसकी गाण्ड तक ले जाने लगी।

मेरी जीभ का अहसास अपनी गाण्ड के पास महसूस करते ही करुणा का बदन अकड़ने लगा और वो ‘आह्ह्ह...' करते हुए अपनी आँखें बंद कर ली। उसकी चूत झटके खाते हुए झड़ने लगी। करुणा को झड़ता हुआ देखकर मैंने अपनी जीभ उसकी चूत पर रख दी और उसकी चूत से निकलने वाला पानी चाटने लगी। करुणा की चूत से कुछ देर तक पानी निकलता रहा, जिसे मैं चाटती रही।

कुछ देर बाद करुणा ने आँखें खोली, और मेरी तरफ देखते हुए कहने लगी- “दीदी, तुम बहुत अच्छी हो...”

मैं कुछ देर करुणा से बातें करने के बाद वहाँ से निकलकर मोहित के कमरे में जाने लगी। मैं मोहित के कमरे में दाखिल हुई और उससे बातें करने लगी। मोहित से बातें करते हुए मैंने उससे पूछा- “मोहित तुम्हें करुणा कैसी लगती है?”

मोहित ने हैरान होते हुए कहा- “क्या मतलब कैसी लगती है?”

मैंने उससे कहा- “मेरा मतलब है की तुम्हें वो दिखने में कैसी लगती है?”

मोहित ने कहा- “अब वो है ही खूबसूरत तो अच्छी ही लगेगी। मगर तुम उसके बारे में मुझसे क्यों पूछ रही हो?”

मैंने मोहित से कहा- “तुम उसे नंगा देखोगे?”

मोहित मेरी बात सुनकर सपकपा गया और काँपते हुए बोला- “धन्नो, आज तुम्हें क्या हो गया है तुम कैसी बातें कर रही हो? करुणा तो बहुत छोटी है और वो भला मेरे सामने नंगी क्यों होगी?”

मैंने मोहित के होंठों को चूमते हुए कहा- “वो तुम मुझपर छोड़ दो, आज रात को मैं तुम्हें करुणा के नंगे जिम का दीदार कराऊँगी...”

फिर ऐसे ही काम काज करते हुए दिन बीत गया। रात का खाना खाने के बाद हम सब अपने-अपने कमरे में जाकर लेट गए। मुझे पता था की आँटी की चूत की प्यास कमल ने बुझा दी है इसीलिए वो मुझसे बात किए बगैर ही सो गई। मैं कुछ देर तक लेटे हुए ही सबके सोने का इंतजार करने लगी, और एक घंटे के बाद मैं अपने कमरे से निकलकर करुणा के कमरे में चली गई।
 
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