hotaks444
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मजा पहली होली का, ससुराल में
lekhak -komal
मुझे त्यौहार में बहोत मजा आता है, खास तौर से होली में. पर कुछ चीजें त्योहारों में गडबड हैं. जैसे, मेरे मायके में मेरी मम्मी और उनसे भी बढ़के छोटी बहनें कह रहीं थीं की मैं अपनी पहली होली मायके में मनाऊ, मेरी बहनों की असली दिलचस्पी तो अपने जीजा के साथ होली खेलने में थी. पर मेरे ससुराल के लोग कह रहे थे की बहू की पहली होली ससुराल में ही होनी चाहीये. मैं बड़ी दुविधा में थी. पर त्योहारों में गडबड से कयी बार परेशानीयां सुलझ भी जाती है. इस बार होली दो दिन पडी, मेरी ससुराल में १४ मार्च को और मायके में १५ को. मायके में जबरदस्त होली होती है और वो भी दो दिन. तय ये हुआ की मेरे घर से कोयी आके मुझे होली वाले दिन ले जाय और 'ये' होली वाले दिन सुबह पहुंच जायेंगे. मेरे मायके में तो मेरी दो छोटी बहनों नीता और रीतू के सिवाय कोयी था नहीं . मम्मी ने फिर ये प्लान बनाया की मेरा ममेरा भाई, चुन्नू, जो ११ मे पढ़ता था, वही होली के एक दिन पहले आ के ले जायेगा.
* चुन्नू की चुन्नी...” मेरी ननद गीता ने छेडा. वैसे बात उसकी सही थी. वह बहुत कोमल,खूब गोरा, लड्कीयों की तरह शर्मीला ...बस यों समझ लीजीये कि जबसे वो क्लास ८ में पहुंचा लड्के उसके पीछे पड़े रहते थे ,यूं कहिये की ‘नमकीन और हाईस्कूल में उसकी टाईटिल थी, है शुकर की तू है लडका.” पर मैने भी गीता को जवाब दिया.
* अरे आयेगा तो खोल के देख लेना क्या है अंदर अगर हिम्मत हो तो.”
* हां पता चल जायेगा की ...नूनी है या लंड.” मेरी जेठानी ने मेरा साथ दिया.
“ अरे भाभी उसका तो मूंगफली होगा...उससे क्या होगा हमारा.” मेरी बडी ननद ने चिढाया.
* अरे मूंगफली है या केला ये तो पकडोगी तो पता चलेगा. पर मुझे अच्छी तरह मालूम है। की तुम लोगों ने मुझे ले जाने के लिये उसे बुलाने की शर्त इसलीये रखी है की तुम लोगो उससे मजा लेना चाहती हो.” हंस के मैं बोली.
* भाभी उससे मजा तो लोग लेना चाहते हैं, पर हम या कोयी और ये तो होली में ही पता चलेगा, आपको अब तक तो पता चल ही गया होगा की यहां के लोग पिछवाडे के कितने शौकीन होते हैं. मेरी बडी ननद रानू जो शादी शुदा थी, खूब मुंह फट्ट थी और खूल के मजाक करती थी.
lekhak -komal
मुझे त्यौहार में बहोत मजा आता है, खास तौर से होली में. पर कुछ चीजें त्योहारों में गडबड हैं. जैसे, मेरे मायके में मेरी मम्मी और उनसे भी बढ़के छोटी बहनें कह रहीं थीं की मैं अपनी पहली होली मायके में मनाऊ, मेरी बहनों की असली दिलचस्पी तो अपने जीजा के साथ होली खेलने में थी. पर मेरे ससुराल के लोग कह रहे थे की बहू की पहली होली ससुराल में ही होनी चाहीये. मैं बड़ी दुविधा में थी. पर त्योहारों में गडबड से कयी बार परेशानीयां सुलझ भी जाती है. इस बार होली दो दिन पडी, मेरी ससुराल में १४ मार्च को और मायके में १५ को. मायके में जबरदस्त होली होती है और वो भी दो दिन. तय ये हुआ की मेरे घर से कोयी आके मुझे होली वाले दिन ले जाय और 'ये' होली वाले दिन सुबह पहुंच जायेंगे. मेरे मायके में तो मेरी दो छोटी बहनों नीता और रीतू के सिवाय कोयी था नहीं . मम्मी ने फिर ये प्लान बनाया की मेरा ममेरा भाई, चुन्नू, जो ११ मे पढ़ता था, वही होली के एक दिन पहले आ के ले जायेगा.
* चुन्नू की चुन्नी...” मेरी ननद गीता ने छेडा. वैसे बात उसकी सही थी. वह बहुत कोमल,खूब गोरा, लड्कीयों की तरह शर्मीला ...बस यों समझ लीजीये कि जबसे वो क्लास ८ में पहुंचा लड्के उसके पीछे पड़े रहते थे ,यूं कहिये की ‘नमकीन और हाईस्कूल में उसकी टाईटिल थी, है शुकर की तू है लडका.” पर मैने भी गीता को जवाब दिया.
* अरे आयेगा तो खोल के देख लेना क्या है अंदर अगर हिम्मत हो तो.”
* हां पता चल जायेगा की ...नूनी है या लंड.” मेरी जेठानी ने मेरा साथ दिया.
“ अरे भाभी उसका तो मूंगफली होगा...उससे क्या होगा हमारा.” मेरी बडी ननद ने चिढाया.
* अरे मूंगफली है या केला ये तो पकडोगी तो पता चलेगा. पर मुझे अच्छी तरह मालूम है। की तुम लोगों ने मुझे ले जाने के लिये उसे बुलाने की शर्त इसलीये रखी है की तुम लोगो उससे मजा लेना चाहती हो.” हंस के मैं बोली.
* भाभी उससे मजा तो लोग लेना चाहते हैं, पर हम या कोयी और ये तो होली में ही पता चलेगा, आपको अब तक तो पता चल ही गया होगा की यहां के लोग पिछवाडे के कितने शौकीन होते हैं. मेरी बडी ननद रानू जो शादी शुदा थी, खूब मुंह फट्ट थी और खूल के मजाक करती थी.