hotaks444
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* क्यो बात नहीं कल जब इसे पेलेंगे तो ...पिलायेंगें, संतोष कर नन्दोयी बोले
“ अरे डरता क्यों है...” दो घूट ले उसके गाल पे हाथ फेरते वो बोले, “ तेरी बहना की भी तो कोरी थी...एकदम कसी....लेकिन मैंने छोडी क्या. पहले उंगली से जगह बनायी, फिर क्रीम लगा के प्यार से सहला के, धीरे धीरे...और एक बार जब सुपाडा घुस गया...वो चीखी चिल्लाई लेकिन अब...हर हफ्ते उसकी पीछे वाली दो तीन बार तो कम से कम...”
और उन्होने उसको फिर से खींच के अपनी गोद में सेट कर के बैठाया.
दरवाजे की फांक से साफ दिख रहा था. उनका पाजामा जिस तरह से तना था...मैं समझ गयी की उन्होने सेंटर कर के सीधे वहीं लगा के बैठा लिया उसको. वो थोडा कुन्मुनाया, पर उनकी पकड कितनी तगडी थी, ये मुझसे अच्छा कौन जानता था. उन्होने बोतल अब नन्दोयी को बढा दी.
* यार तेरी...मेरी सलहज का पीछा...उसके गोल गोल गुदाज चूतड इतने मस्त हैं देख के खड़ा हो जाता है, और उपर से गदरायी उभरी उभरी चूचीया, बड़ा मजा आता होगा तुझे । उसकी चूची पकड के गांड मारने में. है ना.” बोतल फिर नन्दोयी जी ने वापस कर दी . घूट लगा केवो बोले,
* एक दम सही कहते हैं आप उसके दोनो बडे कडक हैं,बहोत मजा आता है उसकी गांड मारने में
* अरे बडे किस्मत वाले हो साले जी तुम...बस एक अगर मिल जाय ना ...बस जीवन धन्य हो जाय. मजा आ जाय यार.” नन्दोयी जी ने बोतल उठा के कस के घूट लगायी. अपनी तारीफ सुन के मैं भी खुश हो गई थी. मेरी भी गीली हो रही थी.
* अरे तो इसमें क्या कल होली भी है और रिश्ता भी...” बोतल अब उनके पास थी. मुझे भी कोयी एतराज नहीं था. मेरा कोयी सगा देवर था नहीं, फिर नन्दोयी जी भी बहोत रसीले थे.
* तेरे तो मजे हैं यार कल यहां होली और परसों ससुराल में...किस उमर की हैं तेरी सालियां' नन्दोयी जी पूरे रंग में थे. उन्होने बोला की बड़ी वाली १६ की है और दूसरी थोडी छोटी है, ( मेरी छोटी ननद का नाम ले के बोले) ...उसके बराबर होगी.
अरे तब तो चोदने लायक वो भी हो गयी है.” हंस के नन्दोयी जी बोले.
“ अरे उससे भी चार पांच महीने छोटी है...छुटकी.” मेरा भाई जल्दी से बोला. अबतक । उन्होने उअर नन्दोयी ने मिल के उसे भी ८-१० घूट पिला ही दिया था, वो भी सरम लिहाज खो चुका था.
“ अरे डरता क्यों है...” दो घूट ले उसके गाल पे हाथ फेरते वो बोले, “ तेरी बहना की भी तो कोरी थी...एकदम कसी....लेकिन मैंने छोडी क्या. पहले उंगली से जगह बनायी, फिर क्रीम लगा के प्यार से सहला के, धीरे धीरे...और एक बार जब सुपाडा घुस गया...वो चीखी चिल्लाई लेकिन अब...हर हफ्ते उसकी पीछे वाली दो तीन बार तो कम से कम...”
और उन्होने उसको फिर से खींच के अपनी गोद में सेट कर के बैठाया.
दरवाजे की फांक से साफ दिख रहा था. उनका पाजामा जिस तरह से तना था...मैं समझ गयी की उन्होने सेंटर कर के सीधे वहीं लगा के बैठा लिया उसको. वो थोडा कुन्मुनाया, पर उनकी पकड कितनी तगडी थी, ये मुझसे अच्छा कौन जानता था. उन्होने बोतल अब नन्दोयी को बढा दी.
* यार तेरी...मेरी सलहज का पीछा...उसके गोल गोल गुदाज चूतड इतने मस्त हैं देख के खड़ा हो जाता है, और उपर से गदरायी उभरी उभरी चूचीया, बड़ा मजा आता होगा तुझे । उसकी चूची पकड के गांड मारने में. है ना.” बोतल फिर नन्दोयी जी ने वापस कर दी . घूट लगा केवो बोले,
* एक दम सही कहते हैं आप उसके दोनो बडे कडक हैं,बहोत मजा आता है उसकी गांड मारने में
* अरे बडे किस्मत वाले हो साले जी तुम...बस एक अगर मिल जाय ना ...बस जीवन धन्य हो जाय. मजा आ जाय यार.” नन्दोयी जी ने बोतल उठा के कस के घूट लगायी. अपनी तारीफ सुन के मैं भी खुश हो गई थी. मेरी भी गीली हो रही थी.
* अरे तो इसमें क्या कल होली भी है और रिश्ता भी...” बोतल अब उनके पास थी. मुझे भी कोयी एतराज नहीं था. मेरा कोयी सगा देवर था नहीं, फिर नन्दोयी जी भी बहोत रसीले थे.
* तेरे तो मजे हैं यार कल यहां होली और परसों ससुराल में...किस उमर की हैं तेरी सालियां' नन्दोयी जी पूरे रंग में थे. उन्होने बोला की बड़ी वाली १६ की है और दूसरी थोडी छोटी है, ( मेरी छोटी ननद का नाम ले के बोले) ...उसके बराबर होगी.
अरे तब तो चोदने लायक वो भी हो गयी है.” हंस के नन्दोयी जी बोले.
“ अरे उससे भी चार पांच महीने छोटी है...छुटकी.” मेरा भाई जल्दी से बोला. अबतक । उन्होने उअर नन्दोयी ने मिल के उसे भी ८-१० घूट पिला ही दिया था, वो भी सरम लिहाज खो चुका था.