hotaks444
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सुनील
गाँव में एक आदत मैंने सीख ली थी , लड़कों की निगाह तो सीधे उभारों पर पड़ती ही थी उसमें मैं कभी बुरा नहीं मानती थी ,लेकिन अब जैसे वो मेरे कबूतरों ललचाते थे , मेरी निगाह बिना झिझक के सीधे उनके खूंटे पे पहुँच जाती थी , कितना मोटा ,कितना कड़ा ,कितना तन्नाया बौराया ,...
सुनील का खूंटा तो लग रहा था कपडे फाड़ के बाहर आ जाएगा ,और अगर वो मेरे जोबन को रगड़ मसल सकता था तो मैं क्यों नहीं ,
कपडे के ऊपर से ही मैं उसे रगड़ने मसलने लगी।
बस मेरे छूते ही उसकी हालत ख़राब , लेकिन चन्दा फिर मैदान में आगयी।
" अरे तेरा तो वो खोल के रगड़ मसल रहा है तो तू क्यूँ ऊपर से आधा तीहा मजा ले रही है। "
और मुझसे पहले चन्दा ने ही उसके कपडे खींचके ,... ... और फिर जैसे संपेरा कोई पिटारा खोले और खुलते ही मोटा कड़ियल जहरीला नाग फन काढ़ कर खड़ा हो जाए।
बस उसी तरह सुनील का , मोटा खड़ा ,कड़ा खूब भूखा ,तन्नाया ,... लेकिन मैं भी तो विषकन्या थी ,सांप के फन से खेलना उसका जहर निकालना मुझे अच्छी तरह आता था।
और मैं भूखी भी थी , २४ घंटे से ज्यादा हो गया था मेरे मुंह में 'कुछ ' गए हुए।
बस मैंने उसे मुंह में , पूरा नहीं सिर्फ उसका फन , ... सुपाड़ा मुंह में ले लिया।
वही बहुत मोटा था , मैं लगी उसे चूसने चुभलाने , मेरी जीभ कभी मोटे मांसल सुपाड़े को चाटती तो कभी जीभ की नोक से सुपाड़े की आँख ( पी होल , पेशाब के छेद पे सुरसुरी कर देती ).
बिचारा सुनील,... मस्ती में वो चूतड़ उचका रहा था , मेरा सर पकड़ के अपने मोटे लण्ड को को मेरे मुंह में ठेल दिया।
मैं गों गों करती रही लेकिन अब सुनील बैठा हूआ था और दोनों हाथों से उसने कस के मेरे सर को लण्ड के ऊपर दबा दिया था।
सुनील का मोटा लण्ड आलमोस्ट हलक तक धंसा था। मेरे तालू से रगड़ता हुआ अन्दर तक , मैं ऑलमोस्ट चोक हो रही थी , मेरे गाल दुःख रहे थे ,मुंह फटा जा रहा था। पर फिर भी मैं जोर जोर से चूस रही थी , नीचे से जीभ मेरी सटासट सुनील के कड़े लण्ड को चाट रही थी , कुछ दिख नहीं रहा था।
लेकिन ऐसा लगा की गन्ने के खेत में सरसराहट सी हुयी , कोई और लड़का आया।
मै लण्ड चूसने में इतनी मगन थी की कुछ फरक मुझे नहीं पड़ रहा था ,और सुनील भी बस जैसे मेरी बुर में लण्ड पेल रहा हो वैसे अपने चूतड़ उठा उठा के हलके हलके धक्के लगाता और साथ में गालियों की बौछार ,
साली ,तेरी माँ का भोसड़ा चोदूँ , क्या मस्त माल पैदा किया है , क्या चूसती है जानू ,चूस कस कस के ,...
और मैं दूने जोर जोर से चूसने लगती।
जितना मजा सुनील को अपना मोटा लण्ड चुसवाने में आता था उससे कहीं ज्यादा मुझे उसका लण्ड चूसने में आता था। सब कुछ भूलके मैं चूसने चाटने में लगी थी लेकिन जो बगल से सपड सपड की आवाजें सुनाई दे रही थी , उससे साफ़ लग रहा था की मेरी सहेली चन्दा भी लण्ड चूसने के मस्त काम में लग गयी थी।
और पल भर के लिए दुखते गालों को आराम देने के लिए मैंने मुंह हटाया और उसके तने लण्ड को साइड से चाटने लगी तो मैंने देखा , चन्दा रानी इतने चाव से जिसके लण्ड को चूस रही थी वो और कोई नहीं , दिनेश था।
अजय और सुनील का पक्का दोस्त और वैसा ही चुदक्कड़ ,लण्ड तो सुनील ऐसा मोटा किसी का नहीं था लेकिन दिनेश का भी उसके बराबर हो होगा , पर लम्बाई में दिनेश के औजार की कोई बराबरी नहीं थी।
ये देख के मेरी आँखे फटी रह गयी की चंदा ने एकदम जड़ तक लण्ड घोंट लिया था , बेस तक लण्ड उसके मुंह में घुसा था लेकिन वो जोर जोर से चूसे जा रही थी।
सुनील अब गन्ने के खेत के बीच जमींन पर लेट गया था , और बोला ,
" हे चल चुदवा ले अब गुड्डी , लण्ड पागल हो रहा है। "
उसके होंठों पर प्यार से चुम्मी ले के मैं बोली ,
" तो चोद न मेरे राजा , मना किसने किया है मेरे राजा को। "
"हे गुड्डी , सुन आज तू मेरे ऊपर आजा , बस थोड़ी देर मन कर रहा है मेरा प्लीज , पहले तू घोंट ले मेरा। ' सुनील ने रिक्वेस्ट की।
मन तो मेरा भी बहुत कर रहा था , ऐसी चुदवासी हो रही थी चूत मेरी , लेकिन उसका मोटा कड़ा लण्ड देखकर मेरी हिम्मत जवाब दे गयी।
सुनील की बात और थी वो करारे धक्के मार मार के मेरी कसी कच्ची किशोर चूत में मोटा मूसल ठेल देता था लेकिन मैं कैसे घोट पाउंगी।
सर हिला के मैंने मना किया और मुंह खोल के रिक्वेस्ट की ,
" नहीं तू ही आ जा ऊपर न आज बहुत मन कर रहा है , घबड़ा मत नीचे से मैं दूंगा न साथ , घोंट लेगी तू घबड़ा मत। चन्दा से पूछ कितनी बार वो ऐसे चुद चुकी है। ' सुनील बार बार रिक्वेस्ट कर रहा था।
चूत में आग लगी थी ,कित्ती देर हो गयी थी चूत में लण्ड गए लेकिन सुनील का मोटा लण्ड देखकर मेरी हिम्मत जवाब दे रही थी।
हर बार तो वही ऊपर आके ,लेकिन आज क्या हो गया था उसे , झुंझला के मैं बोली ,
"यार तुझे चोदना हो तो चोद ,वरना,... "
अब मेरा ये बोलना था की चन्दा की झांटे जैसे सुलग गईं , चूसना छोड़ के तपाक से मेरे पास वो खड़ी हो गयी। गुस्से में मुझसे बोली ,
" वरना , वरना क्या , ...मेरी पक्की सहेली भी मेरे यार को ऐसे जवाब नहीं देती। अरे क्या करेगी तू छिनार की जनी ,चली जायेगी न ,जा अभी जा , तुरंत। "
गाँव में एक आदत मैंने सीख ली थी , लड़कों की निगाह तो सीधे उभारों पर पड़ती ही थी उसमें मैं कभी बुरा नहीं मानती थी ,लेकिन अब जैसे वो मेरे कबूतरों ललचाते थे , मेरी निगाह बिना झिझक के सीधे उनके खूंटे पे पहुँच जाती थी , कितना मोटा ,कितना कड़ा ,कितना तन्नाया बौराया ,...
सुनील का खूंटा तो लग रहा था कपडे फाड़ के बाहर आ जाएगा ,और अगर वो मेरे जोबन को रगड़ मसल सकता था तो मैं क्यों नहीं ,
कपडे के ऊपर से ही मैं उसे रगड़ने मसलने लगी।
बस मेरे छूते ही उसकी हालत ख़राब , लेकिन चन्दा फिर मैदान में आगयी।
" अरे तेरा तो वो खोल के रगड़ मसल रहा है तो तू क्यूँ ऊपर से आधा तीहा मजा ले रही है। "
और मुझसे पहले चन्दा ने ही उसके कपडे खींचके ,... ... और फिर जैसे संपेरा कोई पिटारा खोले और खुलते ही मोटा कड़ियल जहरीला नाग फन काढ़ कर खड़ा हो जाए।
बस उसी तरह सुनील का , मोटा खड़ा ,कड़ा खूब भूखा ,तन्नाया ,... लेकिन मैं भी तो विषकन्या थी ,सांप के फन से खेलना उसका जहर निकालना मुझे अच्छी तरह आता था।
और मैं भूखी भी थी , २४ घंटे से ज्यादा हो गया था मेरे मुंह में 'कुछ ' गए हुए।
बस मैंने उसे मुंह में , पूरा नहीं सिर्फ उसका फन , ... सुपाड़ा मुंह में ले लिया।
वही बहुत मोटा था , मैं लगी उसे चूसने चुभलाने , मेरी जीभ कभी मोटे मांसल सुपाड़े को चाटती तो कभी जीभ की नोक से सुपाड़े की आँख ( पी होल , पेशाब के छेद पे सुरसुरी कर देती ).
बिचारा सुनील,... मस्ती में वो चूतड़ उचका रहा था , मेरा सर पकड़ के अपने मोटे लण्ड को को मेरे मुंह में ठेल दिया।
मैं गों गों करती रही लेकिन अब सुनील बैठा हूआ था और दोनों हाथों से उसने कस के मेरे सर को लण्ड के ऊपर दबा दिया था।
सुनील का मोटा लण्ड आलमोस्ट हलक तक धंसा था। मेरे तालू से रगड़ता हुआ अन्दर तक , मैं ऑलमोस्ट चोक हो रही थी , मेरे गाल दुःख रहे थे ,मुंह फटा जा रहा था। पर फिर भी मैं जोर जोर से चूस रही थी , नीचे से जीभ मेरी सटासट सुनील के कड़े लण्ड को चाट रही थी , कुछ दिख नहीं रहा था।
लेकिन ऐसा लगा की गन्ने के खेत में सरसराहट सी हुयी , कोई और लड़का आया।
मै लण्ड चूसने में इतनी मगन थी की कुछ फरक मुझे नहीं पड़ रहा था ,और सुनील भी बस जैसे मेरी बुर में लण्ड पेल रहा हो वैसे अपने चूतड़ उठा उठा के हलके हलके धक्के लगाता और साथ में गालियों की बौछार ,
साली ,तेरी माँ का भोसड़ा चोदूँ , क्या मस्त माल पैदा किया है , क्या चूसती है जानू ,चूस कस कस के ,...
और मैं दूने जोर जोर से चूसने लगती।
जितना मजा सुनील को अपना मोटा लण्ड चुसवाने में आता था उससे कहीं ज्यादा मुझे उसका लण्ड चूसने में आता था। सब कुछ भूलके मैं चूसने चाटने में लगी थी लेकिन जो बगल से सपड सपड की आवाजें सुनाई दे रही थी , उससे साफ़ लग रहा था की मेरी सहेली चन्दा भी लण्ड चूसने के मस्त काम में लग गयी थी।
और पल भर के लिए दुखते गालों को आराम देने के लिए मैंने मुंह हटाया और उसके तने लण्ड को साइड से चाटने लगी तो मैंने देखा , चन्दा रानी इतने चाव से जिसके लण्ड को चूस रही थी वो और कोई नहीं , दिनेश था।
अजय और सुनील का पक्का दोस्त और वैसा ही चुदक्कड़ ,लण्ड तो सुनील ऐसा मोटा किसी का नहीं था लेकिन दिनेश का भी उसके बराबर हो होगा , पर लम्बाई में दिनेश के औजार की कोई बराबरी नहीं थी।
ये देख के मेरी आँखे फटी रह गयी की चंदा ने एकदम जड़ तक लण्ड घोंट लिया था , बेस तक लण्ड उसके मुंह में घुसा था लेकिन वो जोर जोर से चूसे जा रही थी।
सुनील अब गन्ने के खेत के बीच जमींन पर लेट गया था , और बोला ,
" हे चल चुदवा ले अब गुड्डी , लण्ड पागल हो रहा है। "
उसके होंठों पर प्यार से चुम्मी ले के मैं बोली ,
" तो चोद न मेरे राजा , मना किसने किया है मेरे राजा को। "
"हे गुड्डी , सुन आज तू मेरे ऊपर आजा , बस थोड़ी देर मन कर रहा है मेरा प्लीज , पहले तू घोंट ले मेरा। ' सुनील ने रिक्वेस्ट की।
मन तो मेरा भी बहुत कर रहा था , ऐसी चुदवासी हो रही थी चूत मेरी , लेकिन उसका मोटा कड़ा लण्ड देखकर मेरी हिम्मत जवाब दे गयी।
सुनील की बात और थी वो करारे धक्के मार मार के मेरी कसी कच्ची किशोर चूत में मोटा मूसल ठेल देता था लेकिन मैं कैसे घोट पाउंगी।
सर हिला के मैंने मना किया और मुंह खोल के रिक्वेस्ट की ,
" नहीं तू ही आ जा ऊपर न आज बहुत मन कर रहा है , घबड़ा मत नीचे से मैं दूंगा न साथ , घोंट लेगी तू घबड़ा मत। चन्दा से पूछ कितनी बार वो ऐसे चुद चुकी है। ' सुनील बार बार रिक्वेस्ट कर रहा था।
चूत में आग लगी थी ,कित्ती देर हो गयी थी चूत में लण्ड गए लेकिन सुनील का मोटा लण्ड देखकर मेरी हिम्मत जवाब दे रही थी।
हर बार तो वही ऊपर आके ,लेकिन आज क्या हो गया था उसे , झुंझला के मैं बोली ,
"यार तुझे चोदना हो तो चोद ,वरना,... "
अब मेरा ये बोलना था की चन्दा की झांटे जैसे सुलग गईं , चूसना छोड़ के तपाक से मेरे पास वो खड़ी हो गयी। गुस्से में मुझसे बोली ,
" वरना , वरना क्या , ...मेरी पक्की सहेली भी मेरे यार को ऐसे जवाब नहीं देती। अरे क्या करेगी तू छिनार की जनी ,चली जायेगी न ,जा अभी जा , तुरंत। "