hotaks444
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" हां भैया मैं समझती हूँ ..अच्छी तरेह समझती हूँ ..आज के बाद मैं आप को कभी भी परेशान नहीं करूँगी भैया ,,कभी नहीं ...मुझे अपने प्यार पर भरोसा है ... जैसे आप को अपने प्यार पर भरोसा है ......"
उफफफफफ्फ़ कैसा प्यार है इन दोनों भाई बहेन का .... प्यार में तड़प , दर्द और सब कुछ झेलने को तैयार ...सिर्फ़ एक मिलन की आस में .....
...दोनों की आँखों में आँसू थे ..कैसी विडंबना थी .... कैसा त्रिकोण था ....सभी प्यार करते एक दूसरे से ..बस सिर्फ़ नज़रिए का फ़र्क था ...
" अरे कहाँ हो शशांक -.शिवानी ..?? "
मोम की आवाज़ ने दोनों भाई बहेन को जगा दिया ..वापस ले आया हक़ीकत की दुनिया में ..जहाँ हसरतें हमेशा पूरी नहीं होतीं ..पर फिर भी लोग अपनी अपनी हसरतो के ख्वाब का सहारा लिए आगे बढ़ते जाते हैं ..एक बड़ी आशा के साथ के शायद कभी..???? इसी शायद पर ही तो उनकी दुनिया अटकी है ...
दोनों भाई-बहेन मोम के कमरे की ओर बढ़ते हैं ..
मोम बीस्तर पर पीठ के बल अढ़लेटी है ..
" अरे मैं यहाँ कब आई ...मैं तो सोफे पर थी ना ..?"
"हां मोम ...पर तुम इतनी गहरी नींद में थी कि हम ने तुम्हें अपनी बातों से डिस्टर्ब करना ठीक नहीं समझा ..मैं और भैया ने तुम्हें उठा कर यहाँ लिटा दिया.." शिवानी ने उन से कहा
"ओह माइ गॉड मैं भी कितनी गहरी नींद में थी ..तुम लोग उठा कर मुझे यहाँ ले आए और मैं सोती रही ..उफ़फ्फ़ .मैं भी ना ....अच्छा यह बताओ अभी टाइम क्या हुआ है..?? "शांति ने उनसे पूछा.
" मोम अभी शाम के सिर्फ़ 8 बजे हैं ..पर यह तो बताओ मोम आप का सर दर्द कैसा है अब ..? " शशांक ने पूछा
" अब तेरे जैसा सर दबानेवाला हो तो फिर सर दर्द तो क्या कोई भी दर्द कहाँ टीक सकता है बेटा..?? " मोम ने जवाब दिया ..
" ओह मोम ..क्या बात है.. " शशांक के चेहरे पर चमक आ जाती है ... और वो अपनी मोम से लिपट जाता है ..
शिवानी मुस्कुराती है भैया को देख ..और मोम उसे प्यार से धक्का देते हुए हटाती है
" अच्छा चलो हटो बहोत आराम हो गया ..मैं जाती हूँ किचन में कुछ बना लूँ खाने को ..तेरे पापा भी अब आते ही होंगे .."
शांति किचन की तरेफ जाती है और इधर शिवानी अपने भैया से फिर से चीपक ती है ...
" वाह भैया ..लगे रहो .... पर कुछ ख़याल इधर भी कर लो भाई....."
शशांक उसे धक्का देते हुए अलग कर देता है
" देख अब तू मार खाएगी ....अभी तू ने कहा था ना मुझे परेशान नहीं करेगी ..?"
"वाह जब बेटा अपनी मोम से चीपक सकता है ..बहेन भाई से चीपक नहीं सकती ..??? बड़ी ना-इंसाफी है ..."
" उफ्फ तू भी ना शिवानी ...." वो उसकी ओर बढ़ता है उसे मारने को..पर शिवानी भागते हुए किचन में घूस जाती है ...
तभी फोन के घंटी की चीख सुनाई पड़ती है ....
" अरे कोई देखो किस का फोन है ..." मोम किचन से आवाज़ देती है ..
शशांक भागता हुआ ड्रॉयिंग रूम की ओर जाता है फोन रिसीव करने को.....
उफफफफफ्फ़ कैसा प्यार है इन दोनों भाई बहेन का .... प्यार में तड़प , दर्द और सब कुछ झेलने को तैयार ...सिर्फ़ एक मिलन की आस में .....
...दोनों की आँखों में आँसू थे ..कैसी विडंबना थी .... कैसा त्रिकोण था ....सभी प्यार करते एक दूसरे से ..बस सिर्फ़ नज़रिए का फ़र्क था ...
" अरे कहाँ हो शशांक -.शिवानी ..?? "
मोम की आवाज़ ने दोनों भाई बहेन को जगा दिया ..वापस ले आया हक़ीकत की दुनिया में ..जहाँ हसरतें हमेशा पूरी नहीं होतीं ..पर फिर भी लोग अपनी अपनी हसरतो के ख्वाब का सहारा लिए आगे बढ़ते जाते हैं ..एक बड़ी आशा के साथ के शायद कभी..???? इसी शायद पर ही तो उनकी दुनिया अटकी है ...
दोनों भाई-बहेन मोम के कमरे की ओर बढ़ते हैं ..
मोम बीस्तर पर पीठ के बल अढ़लेटी है ..
" अरे मैं यहाँ कब आई ...मैं तो सोफे पर थी ना ..?"
"हां मोम ...पर तुम इतनी गहरी नींद में थी कि हम ने तुम्हें अपनी बातों से डिस्टर्ब करना ठीक नहीं समझा ..मैं और भैया ने तुम्हें उठा कर यहाँ लिटा दिया.." शिवानी ने उन से कहा
"ओह माइ गॉड मैं भी कितनी गहरी नींद में थी ..तुम लोग उठा कर मुझे यहाँ ले आए और मैं सोती रही ..उफ़फ्फ़ .मैं भी ना ....अच्छा यह बताओ अभी टाइम क्या हुआ है..?? "शांति ने उनसे पूछा.
" मोम अभी शाम के सिर्फ़ 8 बजे हैं ..पर यह तो बताओ मोम आप का सर दर्द कैसा है अब ..? " शशांक ने पूछा
" अब तेरे जैसा सर दबानेवाला हो तो फिर सर दर्द तो क्या कोई भी दर्द कहाँ टीक सकता है बेटा..?? " मोम ने जवाब दिया ..
" ओह मोम ..क्या बात है.. " शशांक के चेहरे पर चमक आ जाती है ... और वो अपनी मोम से लिपट जाता है ..
शिवानी मुस्कुराती है भैया को देख ..और मोम उसे प्यार से धक्का देते हुए हटाती है
" अच्छा चलो हटो बहोत आराम हो गया ..मैं जाती हूँ किचन में कुछ बना लूँ खाने को ..तेरे पापा भी अब आते ही होंगे .."
शांति किचन की तरेफ जाती है और इधर शिवानी अपने भैया से फिर से चीपक ती है ...
" वाह भैया ..लगे रहो .... पर कुछ ख़याल इधर भी कर लो भाई....."
शशांक उसे धक्का देते हुए अलग कर देता है
" देख अब तू मार खाएगी ....अभी तू ने कहा था ना मुझे परेशान नहीं करेगी ..?"
"वाह जब बेटा अपनी मोम से चीपक सकता है ..बहेन भाई से चीपक नहीं सकती ..??? बड़ी ना-इंसाफी है ..."
" उफ्फ तू भी ना शिवानी ...." वो उसकी ओर बढ़ता है उसे मारने को..पर शिवानी भागते हुए किचन में घूस जाती है ...
तभी फोन के घंटी की चीख सुनाई पड़ती है ....
" अरे कोई देखो किस का फोन है ..." मोम किचन से आवाज़ देती है ..
शशांक भागता हुआ ड्रॉयिंग रूम की ओर जाता है फोन रिसीव करने को.....