Maa Sex Kahani माँ की अधूरी इच्छा - Page 23 - SexBaba
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Maa Sex Kahani माँ की अधूरी इच्छा

सरिता: ये क्या हुआ सरला ।
सरला: माँ अब ये ऐसे ही करते है ।
अरुण: छोडो उन्हें ये बताओ कैसा लगा।
सरिता: बहुत अच्छा मेरे बच्चे मजा आ गया।
सरला: माँ अच्छा लगा मेरे बेटे का ।
सरिता: बहुत अच्छा आज पूरे १५ साल बाद लंड गया था चुत में।बहुत दर्द हुआ पर अच्छा लगा।
मेरी बेटी मेरे आने का इतना फायदा होगा मुझे पता नहीं था ।आ जाओ मेरे बच्चो सो जाओ रात काफी हो गई है
कल देखते है रमेश क्या गुल्ल खिलाता है।
सरला: मेरी बच्ची नीतू रह गई आज।
सरिता: मतलब।
सरला: मतलब मेरी बच्ची चुदने से रह गई आज।
सरिता: इसका मतलब।
सरला: हाँ माँ नीतू ने अरुन की दूसरे नंबर की बीवी और रांड है।
सरिता: तुम दोनों माँ बेटा पता नहीं क्या क्या करके मानोगे।

अगले दिन रमेश सरिता से नज़र नहीं मिला रहा था
और सरला उसको देख कर मंद मंद मुस्कुरा रही थी
पर नीतू आज सरला से बात नहीं कर रही थी।
ओ ग़ुस्सा थी की उसको आये हुए पूरा एक दिन हो गया पर अभी तक अरुन ने उसे चोदा नहीं था।
इधर प्रीति परी को समझा रही थी अब आज कुछ भी हो जाये वो अरुन से चुद कर रहेगी।
सूबह सभी नास्ता कर के फ्री हो जाते है।
सरला सरिता से।
सरला: माँ किसी तरह भाई और रमेश को कुछ घण्टो के लिए बाहर ले जाओ जिस से मैं नीतू को अरुन के पास भेज दु।
मुझे रमेश की चिंता नहीं है पर भाई की है अगर उन्होंने देख लिया तो क्या सोचेंगे।
सरीता: ठीक है मन तो नहीं है जाने का पर नीतू के लिए कुछ करती हूँ।
और सरिता ने ऐसा प्लान किया की
राजेश रमेश को लेकर घर से चला गया और सरिता भी घर पे रुक गई।
जैसे ही दोनों घर से बाहर गये।
नीतु सब के सामने अरुन से लिपट गई।
और अरुन ने भी नीतू को निराश नहीं किया और उसको गोदी में उठा कर रूम में ले गया ।
और सब देखते रह गये।
और अंदर से रूम बंद कर के ।
नीतु की ऐसी ठुकाई की की बहां सब नीतू की चीखे सुनते रहें।
और नीतू की चीख सुनने के बाद परी प्रीति से।
परी: माँ मुझे नहीं चुदना अरुन से उसने नीतू की क्या हालत की होगी की पिछले आधे घंटे से नीतू चीखे जा रही है।
प्रीति: पागल है पहली बार में दर्द होता है तुझे पता नहीं है क्या उसके बाद तो मज़े ही मज़े है ।
अगर तुझे नहीं करना कोई बात नहीं मुझे तो चुदना है अरुन के मुसल से और गाण्ड में भी लेना है।
थोड़ी देर बाद रूम का दरवाजा खुला और उसमे से अरुन बाहर निकला और घर से बाहर चला गया।
और सब रूम में आए।
जहाँ बेड पे नीतू नंगी लेटी थी और उसकी गाण्ड से खून निकल रहा था।
परी: देखा माँ क्या हाल किया है नीतू का।
तुम्हारा भी ऐसा ही होगा। अगर गाण्ड मरवाओगी।
प्रीति: चुप कर।
नीतु के सर पे हाथ फेरते हुए।
बेटा दर्द हो रहा है तो गाण्ड में क्यों लिया।
नीतू: बुआ मजा तो दर्द में ही है आज जो मजा आया न वो रवि से कभी नहीं आता तभी तो भाई से चुदती हूँ।
प्रीति परी से।
देखा ये तुझ से छोटी है और देख क्या कह रही है
तेरा तो नसिब ख़राब है पति दुबई में पड़ा है।
और तुझे यहाँ मुसल दिला रही हु तो तेरी गाण्ड फट रही है लिए बिना।
प्रीति: बेटा अरुन कहा गया है।
नीतू: बुआ वो कोई ऑइंटमेंट लेने गए है
उसे लगाने से गांड का दर्द कम हो जायेगा बोल रहे थे
प्रीति: देख परी अरुन कितना ख़याल रखता है पहले मज़े दिए अब दवाई लेने गया है।
सरला: ज्यादा दर्द तो नहीं हो रहा।
नीतू: नहीं माँ बिलकुल नहीं।
और उठने लगती है।
पर दर्द की बजह से फिर से लेट जाती है।
सरिता: बेटा आराम कर तु।
नीतू: नानी आप भी ।
सरिता: हाँ तो क्या करूँ ।क्या तुम्हारा ही मन करता है मेरा नही।
और सब हँस पडते है।
 
इस वक़्त सभी एक ही कश्ती पे सवार थे और वो कश्ती थी अरुन का लंड ।
जीसे पाने की चाहत सब के मन में थी।
और एक होड लगी थी की पहले मैं पहले मैं।

कुछ देर बाद अरुन आ गया ।
और पहले सव ने मिल कर खाना खाया।
खाना खाने के बाद किचन का काम ख़तम करके सरला प्रीति और परी को अरुण के रूम में ले जाती है।और अरुण के पास पहुंचाकर आ जाती है।

प्रीति-देख ले अरुण मैंने जो वादा किया था उसे पूरा कर दिया।ले ले मेरी बेटी परी की चूत और गांड।
परी:नहीं भैया मैं आपका लंड सिर्फ चूत में लुंगी गांड में नहीं।नहीं तो नीतू दी की तरह मेरी भी गांड से खून निकाल दोगे।
अरुण:ठीक है मेरी जान।
प्रीति:पहले परी को खुश कर दे फिर मैं तुझे खुश कर दूंगी।
अरुण:बुआ तुमने अपनी भी गांड देने का वादा किया था।उसका क्या।

बुआ ने अरुण का लोअर उतार दिया.अरुण ने हल्का सा खुद को उठा कर लोअर उतारने मे प्रीति की मदद की. अब अरुण दोनो के माँ बेटी के दरमियाँ बिल्कुल नंगा बैठा था. परी की नज़रे अरुण के सेमी एरेक्टेड लंड पर थीं जो कि प्रीति के हाथ मे था. उस का दिल अब और भी ज़ोर से धडकने लगा था.
“अरुण बेटा इस को बड़ा करो.” प्रीति ने कहा.
“बुआ आप खुद ही कर लो ना, आप को तो आता है ना.” अरुण ने बुआ की तरफ देखते हुए जवाब दिया.
“बड़ा होशयार हो गया है मेरा बेटा. चल तू लेट जा हम खुद ही कर लेते हैं इस को बड़ा.”बुआ ने अरुण को कंधे से पकड़ कर लिटा दिया और खुद उसकी टाँगो की तरफ आ गई और परी का हाथ जो अभी तक अरुण के सीने पे था पकड़ कर अरुण के लंड पे रख दिया.
“पकड़ो इसे!!! आज से ये तुम्हारा है.”
और परी ने ड़रते हुए अरुण का लंड हाथ मे ले कर मुट्ठी बंद कर ली. उसे लगा की जैसे उस ने कोई गर्म गर्म रोड पकड़ लिया है वो काफ़ी सख़्त हो रहा था और झटके ले रहा था. अरुण परी के हाथ की नर्मी और गर्मी अपने रोड पे महसूस कर के और भी हार्ड होने लगा.
“ऐसे करो बेटी.” बुआ ने परी का हाथ पकड़ के अरुण के लंड पे ऊपर नीचे किया और परी अपने हाथ को हल्के हल्के उपर नीचे करने लगी और अरुण के लंड की रगो को अपने हथेली मे महसूस करने लगी.
“मम्मी ये तो बहुत बड़ा है.” परी ने आहिस्ता से सरगोशी की.
“हां, और मज़े का भी.”बुआ ने परी की आँखो मे देखा और थोड़ा सा झुक कर अरुण के हार्ड लंड के हेड पे किस की और अरुण के पूरे बदन मे करेंट सा दौड़ गया.
“चलो बेटी अब तुम्हारी बारी.” बुआ ने परी को कहा और परी ने एक नज़र अरुण की तरफ देखा. अरुण सिर उठा कर उस की तरफ ही देख रहा था.
परी बहुत अच्छी एक्टिंग कर रही थी शरमाने की. अरुण (मन में) साली कई दिन से मेरे से चुदने के लिए तड़प रही थी ।
पर आज अपनी माँ के सामने बेचारी शरमा भी रही थी इसलिए लग रहा था जैसे सबकुछ आज पहली बार हो रहा है. परी ने शरमाते हुए जल्दी से अरुण के तने हुए लंड के सिर पे किस कर दी.
“शाबाश.”बुआ ने कहा. “अब तो तुम दोनो की शरम उतर गई ना.”
“बुआ मैं अकेला ही नंगा रहूंगा क्या?” अरुण ने बुआ से पूछा.
“नही हम भी उतारने लगे हैं कपड़े तुम परेशान क्यों होते हो, ये लो बाबा.” और बुआ ने अपनी कमीज़ एक झटके से उतार दी और उनकी बड़े बड़े मुम्में उछल कर बाहर आ गए.
“चलो बेटी उतारो इसे.” बुआ ने परी की कमीज़ पकड़ कर कहा.
“मुझे शर्म आती है आप ही उतारो.” परी ने नज़रे झुकाते हुए कहा.
“ओह! हो अभी भी शर्म, लाओ इधर आओ ज़रा.” और बुआ ने परी की कमीज़ भी उतार दी. परी ने बाज़ू उपर कर के बुआ की हेल्प की.
“गुड!” बुआ ने कहा और उस की कमर पे हाथ लेजा कर उस की ब्रा भी खोल दी.
 
अब परी की गोल गोल पर्फेक्ट तने हुए 34 साइज़ के मम्में बाहर आ गए. बुआ ने दोनो पे हाथ फेरा और कहा, “लो ज़रा मेरी ब्रा तो खोलना.” बुआ ने अपनी कमर परी की तरफ की.
और उस ने बुआ की ब्रा खोल दी. अब दोनो के जिस्मो पे सिर्फ़ शलवार थीं. अरुण कमरे की ब्लू रोशनी मे दोनो के चमकते हुए मम्में देख रहा था.
“लो मेरे राजा तुम इन से खेलो हम इस से खेलते हैं.” बुआ ने परी की एक चूची को पकड़ कर अरुण के सामने कर दिया और अरुण ने हाथ बढ़ा कर परी की चूची को पकड़ लिया और दबाने लगा. परी को अरुण आज उसकी माँ के सामने छू रहा था. उसे बेहद मज़ा आने लगा और बुआ ने अरुण के हार्ड लंड को अपने हाथो मे ले लिया और फिर थोड़ा सा झुक कर लंड पे किस्सिंग करनी शुरू कर दी. अरुण को बुआ की गर्म गर्म साँसे पागल कर रही थीं और अरुण की आँखे बंद हो गईं. उधर परी और नज़दीक हो कर अरुण के दोनो हाथो से अपने मम्मों को मसलवा रही थी और आँखे बंद कर के लंबी लंबी साँसे ले रही थी. उस का दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था. तभी बुआ ने मुँह खोल कर अरुण का आधे से ज़्यादा लंड अपने अंदर ले लिया और चूसने लगी.
इसी दौरान अरुण ने एक जोर का धक्का मारा और पूरा लंड बुआ के मुँह में पेल दिया।
प्रीति:धक्का देके लंड निकालते हुए।अरुण क्या हुआ तुझे।
“बुआ आज पता नही क्या हुआ.” अरुण ने धीरे से कहा.
“हां मुझे पता है. आज तेरे हाथों मे बहन के मम्में जो हैं. कैसा लगा?” बुआ ने कहा.
“बहुत ही अच्छा बुआ बड़ा मज़ा आया.” अरुण मस्ती से भरी आवाज़ मे कहा और ज़ोर से परी के मम्में को दबा दिया.

परी ने बड़ी मुश्किल से अपनी चीख रोकी और बोली, “क्या करते हो भैया दर्द होता है यहाँ, आहिस्ता पकडो ना.” परी ने अरुण के चेहरे पे हाथ फेरते हुए कहा.
“ओह! सॉरी परी मैं दरअसल जोश में आ गया था ना पता ही नही चला.”
“चलो अब तुम ज़रा परी को भी वो मज़ा दो मैं तुम्हे दोबारा सक करती हूँ.” बुआ ने कहा तो अरुण ने परी को बेड पे सीधा लिटा दिया और उस की टाँगे ज़रा सी खोल कर करवट के बल उस के ऊपर आ गया और परी के होंठो पे किस्सिंग करने लगा तो बुआ अरुण के लंड के पास लेट गई और अरुण के लंड पे ज़ुबान फेरने लगी जिस से लंड और हार्ड होने लगा.
 
परी ने पहले तो अपने होंठ कस के बंद किए हुए थे लेकिन उसे जब मज़ा आने लगा अरुण के चूमने का तो वो भी रेस्पॉन्स देने लगी उस ने अपने होंठ खोल दिए. अब अरुण और परी की ज़ुबाने एक दूसरे से खेलने लगीं. ऐसी किस्सिंग का परी को बहुत मज़ा आता था. बुआ ने चूम के चाट के चूस के अरुण का लंड पूरा हार्ड कर दिया था और वो मुसल लंड उपर से नीचे तक चाट रही थी और फिर वो अरुण के लंड के नीचे थैली मे बंद बॉल्स को ज़ुबान से चाटने लगी. अरुण के बदन मे लहरे सी उठने लगीं और एक नया सा सरूर आने लगा और उसकी किस्सिंग मे जोश सा आ गया और उसने परी के पूरे चहरे को चूमना शुरू कर दिया. फिर उस के कानो पे आया और गर्दन पे और फिर दोनो हाथ मे परी के मम्में पकड़ लिया और उस के लेफ्ट निपल को मुँह मे ले कर चूसने लगा और ज़ुबान उस पे फैरने लगा. परी के दोनो निपल्स हार्ड हो कर खड़े हो गये थे. अरुण की ज़ुबान उस के निपल के गिर्द गोल गोल घूम रही थी और वो मज़े की दुनियाँ मे आँखे बंद किए उड़ रही थी. अरुण दीवानो की तरह अब उस की मम्मों को चूस रहा था, काट रहा था और दोनो हाथो से ज़ोर ज़ोर से सहला भी रहा था।
तभी परी को महसूस हुआ कि उस की टाँगो के दरमियाँ फँसी हुई चूत से पानी का सैलाब आ गया है. और वो झडने लगी. उस ने अपनी टाँगे और भी फैला लीं और अपने कुल्हो को ज़रा सा उठा कर अपनी चूत को अपने उपर लेटे हुए अपने भाई की पसलियो से लगाया और अच्छी तरह ज़ोर से रगड़ा. अरुण ने ये हरकत महसूस की और परी की मम्मों से हाथ हटाया और उस की शलवार उतारने लगा.परी ने गाँड को उठा कर अरुण को अपनी शलवार उतारने दी. इस हरकत से अरुण का लंड बुआ के मुँह से निकल गया और वो उठ कर बैठ गई और देखने लगी क़ि अरुण परी की शलवार उतार रहा है।
“गुड! अब आए हो ना दोनो तुम पूरे मज़े मे! शाबाश बेटा आज इस को वो मज़ा देना कि सारी ज़िंदगी याद रखे.” बुआ ने जोश से भरी आवाज़ मे कहा और अरुण को भी जोश आ गया और उसने परी की शलवार उतार कर उस की टांगे ज़रा सी और फैला दीं और झुक गया परी की चूत पर और अपना मुँह रख दिया।

अरुण ने जैसे ही परी की चूत को चूमा परी की तो जैसे जान ही निकल गई उस ने गाँड उठा कर अपनी चूत को अरुण के मुँह पे और दबा दिया. बुआ इतने मे परी के पहलू मे आ गई और परी के मम्में चूसने लगी. अरुण ने ज़ुबान निकाल कर परी की चूत के लबो पर फेरनी शुरू कर दी परी की चूत का ज़ायक़ा अरुण की ज़ुबान पे आने लगा और वो दीवाना हो गया. आज तो बहुत मज़ा आ रहा था.आज बुआ के सामने मज़ा ज़्यादा आ रहा था. बुआ उसके मम्मों को चूस रही थी. परी तड़प रही थी मस्ती से. अरुण और ज़ोर से परी की चूत चाटने लगा. परी भी अपनी गाँड उठा उठा कर अरुण की ज़ुबान को अपनी चूत के और अंदर लेने की कोशिश कर रही थी. उस के मुँह से हल्की हल्की आवाज़ मे तेज़ तेज़ सिसकियाँ निकालने लगीं.
बुआ ने परी को बुरी तरह कसमसाते हुए महसूस कर के कहा, “अरुण बेटा बस करो तेरी बहन मज़े से मर जाएगी. उठो अब मैं बताती हूँ क्या करना है.” बुआ ने अरुण के सिर मे हाथ फेरते हुए अरुण को परी की चूत से उठाया.
अरुण बुआ की तरफ देखने लगा. उसके गालो पे परी की चूत का सारा पानी लगा हुआ था. अरुण ने परी की चूत से मुँह हटाया तो परी ने कसमसाना बंद कर दिया लेकिन उस की आँखूं मे से आँसू निकलने लगे थे.
“ऊपर आओ, इस की टाँगो के दरमियाँ और परी की चूत पे अपना लंड रखो.” बुआ के मुँह से ये सुन कर एक बार तो अरुण खुश हुआ कि आज दिल की मुराद पूरी होगी. अरुण बहुत खुश था कि आज अपनी बेटी को चोद्ने का मौका बुआ दे रही हैं. फिर अरुण अपने घुटनो के बल उपर आ गया. अब अरुण लंड परी की चूत के बिल्कुल सामने था. बुआ ने हाथ बढ़ा के अरुण का लंड पकड़ा और परी की चूत के लबो पे फेरने लगी. परी की चूत पे अरुण का गरम गरम लंड जैसे ही लगा उस ने एक झरजरी सी ली. अरुण को भी इस मे बहुत मज़ा आ रहा था. बुआ को तो चोदा था पर परी की चूत चोद्ने का पहला मौका था.अरुण थोड़ा और झुक गया अब बुआ अरुण का लंड अपनी बेटी परी की चूत की फांको के बीच ऊपर से नीचे फेरने लगी।
परी की गीली गीली चूत मे गुदगुदी करने लगी.
“अया ह आअहह आ ह्म्‍म्म्मम.” परी के मुँह से बाक़ायदा सिसकियाँ निकलने लगी.
 
अरे बेटी मज़ा आने पर ऐसे ही होता है. अभी तू आहिस्ता आहिस्ता सिसक रही है जब भाई का लंड अंदर जाकर तुझे चोदेगा तो मज़े से चिल्लाने लगेगी तू. मज़ा आ रहा है ना तुम दोनो को?” बुआ ने परी की तरफ मुँह कर के कहा.
अरुण ने हां किया और परी ने भी सर हिला दिया.अरुण और परी दोनो ही सरूर की दुनियाँ मे डूब चुके थे. अरुण ज़रा सा अनबॅलेन्स हुआ और उसका हार्ड लंड परी की गीली चूत के छेद मे घुस गया. परी ने बड़ी ही मुश्किल से अपनी चीख अपने होंठो मे दबाई लेकिन फिर भी ज़रा सी निकल ही गई. बुआ का हाथ भी अरुण के लंड के साथ परी की चूत को जा लगा था.
“बस इतनी सी बात थी बेटी. अरुण आहिस्ता आहिस्ता अब और नीचे जाओ, और अंदर करो अपना लंड अपनी बहन की चूत मे. लेकिन देखो आहिस्ता करना पहली बार इतना मोटा ले रही है. क्यों बेटी आज पहली बार मोटे लण्ड से चुद्वा रही हो ना?” बुआ ने अपना हाथ दोनो के बीच से हटा कर अरुण के सिर पे फेरते हुए कहा.
“जी मम्मी आज पहली बार इतना मोटा लण्ड भैया का अंदर जा रहा है.” परी ने अब खुलकर बिना शरम के कहा.
अब अरुण आहिस्ता आहिस्ता अपने मोटे लंबे लंड को परी की चूत मे अंदर करने लगा. परी अपना सिर इधर उधर मारने लगी. उस ने आँखे ज़ोर से बंद कर लीं थीं और टाँगो को बंद करने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसकी टाँगों के बीच मे अरुण था.
“बाअस्स्स!!! अया आह अह्ह्ह्ह!!!” परी के मुँह से निकला ।वो दर्द से मरी जा रही थी.
“रूको.” बुआ ने अरुण से कहा.
अरुण बुआ की बात सुन के वहीं रुक गया. परी तेज़ तेज़ साँसे ले रही थीं. उस के मम्में उस के सीने पे पूरी तरहा फूल और पिचक रहे थे. बुआ उस के सिर मे हाथ फेरने लगी.
 
“मम्मी भैया से कहो अपना लंड मेरी चूत से निकाले नही तो मैं मर जाऊंगी. आ आ.” परी ने बुआ की तरफ देखते हुए कहा.
“बेटी यही दर्द तो लड़कियों को वह मज़ा देता है जिसके लिए लड़कियाँ कुछ भी कर सकती हैं. तुम बहुत खुशनसीब हो जो तुमको तुम्हारा भाई ही तुम्हे यह दर्द दे रहा है. अभी मज़ा आएगा. अब कुछ नही होगा. पहली बार मोटा लंड लेने पर होता है मुझे भी हुआ था. ये बर्दाश्त कर लो तो समझो बहुत मज़ा आएगा, ज़रा सी देर और.” बुआ ने परी के बालो मे हाथ फेरते हुए उस समझाया.
“नही, नही!!! बाकी फिर कभी भैया को कहो निकाल ले,आह आह आहह!!” परी ने सिर हिलाते हुए कहा.
“अरे बेटी क्या कर रही है. अभी जब मज़ा आएगा तब देखना.” बुआ ने उसके मम्मों को सहलाते कहा.
“नही मम्मी आपने कहा था कि आप भैया से चुदवाकर मुझे दिखाइंगी. अब आप ही चुद्वाइये भैया से, मुझे छोड़ो.” परी तड़पते हुए बोली.
“अच्छा मैं कुछ करती हूँ!” ये कहती हुई बुआ अरुण के पास आई. अरुण आधा लंड परी की टाइट चूत मे फँसाए हुए वहीं झुका हुया था. अरुण अपना वज़न अपने हाथो पर रखा था जो परी की साइड मे बेड पे रखे थे.
“बेटा जब मैं इस की किस्सिंग करने लगूँ तो तुम एक ही झटके से पूरा अंदर पेल देना और वहीं रुके रहना समझे.” बुआ ने मेरे कान मे सरगोशी की और खुद जा कर परी के होंठो को चूमने लगी.
इतने मे परी का दर्द कुछ कम हो गया. उसे मम्मी की किस्सिंग का मज़ा आने लगा और अपनी चूत मे फँसे हुए अरुण के लंड का भी मज़ा लेते उसने ज़रा सा अपनी गाँड को उठाया. अरुण समझ गया कि यही टाइम है और उसने ज़ोर का झटका दिया कि अरुण का पूरा लंड परी की चूत मे घुस गया और अरुण की हल्की हल्की झांटें परी के साफ सुथरे प्यूबिक एरिया से जा लगीं और वह वहीं रुक गया. उसे महसूस हो रहा था कि उसका लंड किसी टाइट से शिकंजे मे फँस गया है. परी के मुँह से निकली हुई चीख बुआ के मुँह मे ही रह गई. वह अपना सर ज़ोर से दाई बाईं करने लगी. उस की आँखों से आँसू निकलने लगे. उसे महसूस हो रहा था कि जैसे उस की चूत मे आग लग गई हो कोई दहकता हुआ लोहे का रोड उसकी चूत के अंदर घुसा दिया गया हो. बुआ उस को चूमे जा रही थी और हाथो से परी के मम्मों को दबा भी रही थी
कुछ देर मे परी का दर्द कम हुआ और वह कुछ संभल गई. उस ने एक ज़ोर की साँस ली और बोली, “आअहह मम्मी मुझे तो भैया ने मार ही डाला था.”
“बेटी अब दर्द कम हुआ ना?”
“हां अब ठीक है.” परी अब खुश थी. “बेटा अब तुम अपना लंड हल्के हल्के अपनी बहन की चूत मे अंदर बाहर करो.” बुआ ने अरुण से कहा और अरुण अपने लंड को परी की चूत मे आहिस्ता आहिस्ता अंदर बाहर करने लगा.
 
इससे अरुण और परी को मज़ा आने लगा. परी की सिसकियाँ फिर से गूंजने लगी. उस ने आँखे बंद कर लीं.अब अरुण ने अपने स्टाइल में परी को पेलना शुरू किया।पहले तो परी रोती चिल्लाति रही लेकिन कुछ देर बाद उसे मज़ा आने लगा और वह निचे से अपनी गांड उठाके चुदवाने लगी।
अरुण:देखो बुआ मेरी रंडी कितना मज़ा ले रही है।पहले साली कितना शरमा रही थी।अब देखो कैसे अपनी माँ के सामने नंगी होकर अपने भाई से चुदवा रही है साली रंडी।
परी:भाई कितनी गन्दी गाली देते हो मुझे।
अरुण:चुप कर साली रांड।कितनी देर से आराम से पेल रहा हूँ।चुपचाप कुतिया बन जा।नहीं तो यही लंड तेरी कुँवारी गांड में पेल दुँगा।
परी जल्दी से कुतिया बन जाती है।और अरुण परी की चूत में पूरा लौड़ा पेल कर तेज तेज धक्के मारकर चोदने लगता है।कुछ ही देर में परी को मज़ा आने लगता है और वह गांड पीछे करके अरुण का पूरा लंड लेने लगती है।अरुण प्रीति को भी परी के ऊपर कुतिया बना देता है।और लंड परी की चूत से निकाल कर प्रीति की चूत में पेल देता है।

अब अरुण अपना मोटा लंड बारी बारी माँ बेटी की चूत में पेलने लगता है।दोनों मज़े से चिल्ल्लाने लगती है।और अरुण कभी बुआ की चूत में पेलता है तो कभी उनकी बेटी की चूत में।दोनों दो दो बार झड़ चुकी है।लेकिन अरुण घोड़े की तरह दोनों को चोद रहा है।कुछ ही देर में अपना वीर्य दोनों को सीधा करके दोनों रंडियों के मुँह पर गिरा देता है।जिसे दोनों माँ बेटी चाट चाट कर साफ कर देती है।

आधे घंटे बाद अरुण प्रीति की कुँवारी गांड मारता है।जिसमे परी उसकी हेल्प करती है।वह अरुण के लंड को चूसकर पूरा खड़ा करती है और फिर अरुण के लंड को पकड़कर अपनी माँ की गांड के छेद पर सेट करती है।और अरुण प्रिती की कुँवारी गांड मारता है।प्रीति दर्द से चिल्लाती है।लेकिन बाद में मज़े लेने लगती है।अरुण प्रीति की गांड और चूत दोनों चोदता है।जिसे देख कर परी गरम हो जाती है फिर अरुण माँ बेटी दोनों की आधे घंटे तक जबरदस्त चुदाई करता है।जिसमे झड़कर माँ बेटी शांत हो जाती है।
परी:माँ ज़िन्दगी में मुझे इतना मज़ा कभी नहीं आया जो आज अरुण भइया ने दे दिया।
प्रीति:इसलिए तो मैं तुझे साथ ले के आई थी।
 
फिर सभी बाहर आ जाते है।
वो कुछ प्रोग्राम बनाते तभी राजेश आ गया।
सरला: भाई आप आ गए। वो कहा है।
राजेश: दी जीजाजी जी ने ये क़ाग़ज़ दिया है तुम्हे देने के लिए बोले है अकेले में पढने को बोले है।
सरला ने क़ाग़ज़ लिया और अपने रूम में आ गई।
और क़ाग़ज़ खोल कर पढने लगी।


सरला
मुझे पता चल गया है की मेरे हाथ में अब कुछ नही
है।तूम सब अब अरुन के गुलाम हो ।
मै चाह कर भी तुम्हे बापिस नहीं पा सकता और जो कल रात को हुआ उससे तुम लोगो की नज़र में मैं और गिर गया हूँ।।
इसलिए मेरे और तुम सब लोगो के लिए यहि अच्छा है की मैं तुम लोगो की ज़िन्दगी से कही दुर चला जाऊँ।
जीससे तुम सब अपनी ज़िन्दगी अपने हिसाब से जी सको ।
मुझे दूँढ़ने की कोशिश मत करना।
और हो सके तो मुझे माफ़ कर देना।
क्यूं की आज जो भी हालात है मेरी बजह से।
अगर मैंने तुम्हे तुम्हारे हक़ का प्यार दिया होता तो शायद ये दिन हम लोगो को नहीं देखना पड़ता ।

तुम्हारा गुनहगार

रमेश

सरला लेटर पढ़ कर बेड पे बैठ जाती है ।
थोड़ी देर बाद अरुन अंदर आता है।
और लेटर पढ़ कर
सरला को समझाने की कोशिश करता है।
और बाद में सभी आ जाते है।

पर राजेश के समझ में कुछ नहीं आ रहा था।
सरिता राजेश को कुछ देर के लिए घर से बाहर भेज देती है।
और सब सरला को समझा रहे थे।
तभी वो उठी और ड्रेसिंग टेबल पे से सिन्दुर की डिब्बी ले आई और अरुन के हाथों में देते हुए।
सरला: क्या तुम मुझसे शादी करोगे।
अरुन सिन्दुर ले कर सरला की मांग भर देता है।
मै पापा की तरह कभी भी आप का साथ नहीं छोड़ुंगा।
आप अब से सिर्फ मेरी हो जब तक मैं ज़िंदा हु। आप मेरी हो और मैं आप का और सरला को अपनी बाँहों में भर लेता है।
और वहाँ खड़े सब की आँख भर आती है।
नीतु : माँ और पापा मैं आप के साथ हूँ।
प्रीति: भाभी मैं भी आप के साथ हु और अब अरुन मेरा भतीजा ही नहीं भाई भी है।
परी: मैं भी आप के साथ हूँ मामी।

और सरला की आँख भर आती है।
पर ये तो ख़ुशी के ऑंसू थे ।फिर सभी रिश्तेदार अपने अपने घर चले जाते है।लेकिन नीतू अपनी माँ के पास रुक जाती है क्योंकि वह अब माँ बनना चाहती है।सरला नीतू और अरुण जमकर मेहनत करते है।जिससे नीतू के पेट में अरुण का बच्चा पलने लगता है।और वह अपने घर लौट जाती है।जहाँ कुछ दिनों बाद सभी को अपने पेट से होने की बात बताती है।उसके पति और सास की खुशियों का कोई ठिकाना नहीं था।
इधर सरला और अरुण की हर दिन सुहागदिन और हर रात सुहागरात थी।

समाप्त।
 
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