hotaks444
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मार्केट जाना तो एक बहाना था क्यूंकी माँ के साथ मैं एकदम प्रेमी जोड़ो की तरह ही घूमना फिरना चाहता था रोड क्रॉस करते वक़्त उसने कस कर मेरी बाँह में अपने हाथ को फँसाया...हम एकदुसरे से चिपके हुए रोड क्रॉस करते बाइक पे भी सवार माँ मुझसे लिपटके बैठी होती...फिर उसकी मनपसंद चीज़ें खाने पीने के बाद हम मार्केट आए वहाँ महेंगे कान के सेट्स लिए और मैने माँ को अपनी पसंद की दो साड़ी दिलाई...फिर हम घर लौट आए
आजकल सॅंपल्स में कॉसमेटिक का सामान भी घर ले आता था अगर मैं चाहता तो उसे रख भी सकता था अपने पास इसलिए मैने माँ को लिपस्टिक और उनकी साइज़ की अनगिनत ब्रा ऐसी दिलवाई थी जो उन्हें पूरी फिट आती मैं खुद उनके टू पीस वाली ब्रा में आयने के वक़्त उन्हें देखके मुआयना करता था माँ शरमाती नही थी मुझसे उसने ईवेन जो साड़ी दिलाई थी एक काला ब्लाउस और गुलाबी साड़ी और एक लाल साड़ी वित मॅचिंग ब्लाउस जिन्हें पहनी वो पूरी सेक्सी लग रही थी उनकी नाभि के नीचे से उनके स्ट्रेच मार्क्स दिख जाते जिन्हें वो पल्लू से छुपा रही थी उन्हें इसलिए साड़ी पहनने की आदत नही थी...मैने कहा कोई बात नही बाहर ना पहने पर घर में यही पहना करे मुझे अच्छा लगेगा माँ मेरी ज़िद्द मान गयी और उस रात वो मेरी गुलाबी वाली दिलाई साड़ी पहनी
उफ्फ क्या कहेर ढा रही थी उनका फिगर काफ़ी उभर गया था....मुझे उनके नाभि के बीच स्ट्रेच मार्क्स और उनके बगलो के बाल काफ़ी पसंद थे क्यूंकी देसी औरतो की वो निशानी होती है मेरी ऐसी फॅंटेसी को जब माँ ने जाना तो वो लजा गई मुझसे...उस रात माँ वो साड़ी पहने ही मेरे साथ सो गयी मैं उनके गुदाज़ पेट पे हाथ रखके उसे अपने बदन से लिपटाए सो गया....
होमटाउन आए 1 माँस होने को था....इतने 30 दिनो के अंदर मेरे और मेरी माँ अंजुम के बीच के रिश्तो की दरार फ़ासले जैसे ना के बराबर होने लगे थे....साथ ही साथ जो दूरिया और जो फंसाद रुकावटें जो हमारे संबंध बनने के बीच आड़े आ रही थी...उसे मैने होमटाउन आके जरह से उखाड़ फैका...ना यहाँ माँ की कोई सहेली थी...ना यहाँ मेरा कोई दोस्त था और जो अवैध नाजायज़ संबंध बनाए भी थे वो माँ के मेरे संग आ जाने के बाद उनका वजूद ही मिट चुका था...अब सिर्फ़ मैं था और मेरी माँ...और मुझे मेरी अंजुम से कोई भी दूर नही कर सकता था कोई भी नही
अगली सुबह सनडे पड़ गया इसलिए जी भरके आज सो रहा था...सुबह के 10 बज चुके थे और माँ अकेले अकेले काम सारा निपटाए घर का झाड़ू पोंच्छा लगाए और कपड़े धोने के साथ गुसलखाने की ऑर नहाने चली गयी....उसने मुझे दो मर्तबा बार उठाया भी पर मैं गहरी नींद में सो रहा था...मेरी मेहनत और थकान दोनो देख माँ ने मेरे चेहरे को प्यार से सहलाया और नहाने चली गयी..लेकिन उसके सहलाने से ही मेरे बदन सिहर उठा इसलिए मैं जाग चुका था...अचानक मुझे कुछ सूझा और मैने शरारत के लहज़े में अपना पाजामा उतार फैका और अपने उपर एक झिल्ली सी चादर डालके आँखे मूंद ली...सोने का नाटक करीबन माँ के कमरे में आ जाने तक कर रहा था
इतने में मेरी सोच अनुसार माँ भीगे बदन अपने खुले गीले बालों को झाड़ते हुए कमरे में प्रवेश की वो अपने बालों को समैट रही थी उसके बाज़ू उठाने से मैने अधखुली निगाहो से झाँका तो पाया माँ की दोनो बगलो में बाल थे उन्होने अब तक बगल के बाल सॉफ नही किए थे जो काफ़ी लंबे लंबे हो चुके थे वोई देखके ही मेरा लंड तनाव में आ गया...एक तो उन्होने छाती के उपर से होते हुए घुटनो के उपर तक सफेद तौलिया बाँध रखा था और उनका बदन एकदम पानी से भीगा हुआ था
मैं उनके हिलते नितंबो के उभार को नोटीस करने लगा...वो जब चल रही थी तो उसके हिलते चूतड़ मेरे लंड में सनसनी दौड़ा रहे थे...उनके चुतड़ों के उभार पहले से कितने ज़्यादा लग रहे थे....माँ गुनगुनाते हुए अपने बाल सुखाते हुए उन्हें बिखेरने लगी...मैने मुआयना किया कि शायद उन्हें यही लगा हो कि मैं तो जल्दी उठने नही वाला इसलिए नंगे बदन तौलिया ही लपेटे वो चेंज करने मेरे सामने अपने बेटे के सामने अलमारी को खोल कपड़े निकालने लगी उनके एक हाथ में ब्रा का फीता लटका हुआ था और उसी के साथ उनकी गुलाबी सी छोटी सी पैंटी...मेरा बस चले तो उन्हें अंडरगार्मेंट्स कभी पहनने ही ना दूं...
माँ ने एक बार मेरी तरफ देखा मैं झट से सोने की आक्टिंग करने लगा ऐसा लग रहा था जैसे मैं कितनी गहरी नींद में हूँ...वो वापिस से अपने कपड़े निकालने को झुकी तो उसका तौलिया जो घुटनो तक था पीछे उठ गया....मैने हल्का सा झाँका तो लगा जैसे दो टाँगो की भैंस झुकी हुई हो..ख़ास कुछ निगाह नही पड़ा बस उसकी मोटी मोटी जांघों का दीदार हुआ...
फिर उसने खड़े होके कपड़े बिस्तर पे रखके और अपने बाल समेटते हुए अपनी ब्रा को सीधा करने लगी...उसने एक बार फिर मेरी तरफ देखा मैं बहुत मुस्किल से खुद पे क़ाबू कर पा रहा था....अचानक वो ब्रा पलट ही रही थी इतने में उसके तौलिए का गाँठ खुल गया...वो एकदम से हल्की सी चीखी "उूउउइइ".....उनकी आवाज़ सुन मैने हल्का सा आँख खोला तो मैं दंग रह गया
उफ्फ वो एकदम मदरजात मेरे सामने नंगी खड़ी हुई थी..उसकी टाँगों के बीच काफ़ी झान्टे उगी हुई थी...उसके मोटे मोटे नितंब की गोलाइयाँ और पेट के निचले भाग से लेके झान्टो के अंदर तक बहुत ज़्यादा स्ट्रेच मार्क्स हो रखे थे जिससे तालपेट का चमड़ा सिकुडा हुआ था...वो एकदम से झट से झुक गयी तो उसके पेट की तोंद और गहरी नाभि मेरी आँखो से ओझल हुई और उसके झुकने से उसके मोटे ब्राउन निपल्स जो उसके 35इंच की चुचियो के साथ झूल रहे थे काफ़ी मस्त लग रहे थे....वो झुकके जैसे तैसे तौलिया उठाने की कोशिश में पलट गयी जिससे मुझे उसके मोटी मोटी गान्ड के बीच की दरार सॉफ नज़र आई उफ्फ उसके गान्ड का सिकुडे छेद के आसपास थोड़े बहुत झान्ट उगे हुए थे...
वो एकदम से तौलिया उठाए अपनी छातियो के साथ साथ अपनी टाँगों के बीच की झान्टेदर चूत को छुपाते हुए मेरी तरफ शरमाई निगाहो से देखने लगी...वो तो गनीमत थी कि मैने उसके नंगे जिस्म को देखके एक पल में ही आँख कस कर बंद कर ली थी वरना मैं पकड़ा जाता...
अंजुम लज्जा से सेहेम उठी....वो खैर मनाने लगी कि उसका बेटा अब भी सो रहा था जैसे ही उसने अभी आँख पलटी ही थी कि उसे अपने बेटे की आधी चादर में ढके जिस्म में कुछ हरकत सी लगी ये हरकत उसकी टाँगों के बीच के बनते उभार से उसे लग रही थी...जो टाँगों के बीच से उठता एकदम तंबू बन गया था....उसका खड़ा लंड माँ को आभास कराने के लिए सॉफ था कि उसका बेटा या तो जगा हुआ है या सेक्सी सपने देख रहा है
अंजुम ने एक एक पाँव आगे बढ़ा कर अपने बेटे को धरने के चक्कर में उसकी चादर एक ही झटके में उसके जिस्म से अलग कर दी तो उसकी आँख फटी की फटी रह गयी...ये उसका कोई तीसरा बार था जो उसने अपने बेटे को नंगा पाया था उसकी टाँगों के बीच उसका लंड एकदम तोप की तरह खड़ा एकदम सख़्त मोटा और लंबा था...अंजुम थूक घोटने लगी उसने एक बार हड़बड़ा के आदम को जगाना चाहा लेकिन उसके क्या मन में आया? उसने चादर वैसे ही बेटे के उपर ऊढा दी और लगभग कपड़ा लिए कमरे से बाहर निकल गयी....आदम ने आँख खोला और करीब मुस्कुरा उठा...उसकी ये शरारत में उसे काफ़ी मज़ा आया था
जब सोके उठा था तो करीब 12 बज गया था...उसे बड़ा गुस्सा आया अपने उपर वो पहले मूतने गया अपने लंड को मुठियाए पेशाब की धार छोड़ी और वापिस कमरे से होते हुए रसोईघर में आया जहाँ उसकी माँ रोटिया बना रही थी...माँ ने बेटे को जगा देख मुस्कुराया....
अंजुम : उफ्फ उठ गये महाराज जी अब लीजिए लेट सवेर नाश्ता कीजिए
आदम : अर्रे माँ छुट्टी तो मिलती है ना इसलिए जी भरके आराम करता हूँ
अंजुम : बेटा इसलिए कहती हूँ रात को जल्दी सो जाया कर आज सनडे है तो क्या हुआ? इंसान को आलस्पन मार देता है
आदम : अच्छा दे
अंजुम ने बेटे की तरफ चोरी निगाहो से देखा और उसे एक सेक्सी लहज़े में मुस्कुराए ताना मारी
अंजुम : तू अंदर कुछ पहना कर ?
आदम : क्या माँ?
अंजुम : तू जब सोता है तो सिर्फ़ पाजामा पहनके सोता है अंदर कुछ भी नही पहनता इतने कच्छे पड़े है तेरे पास क्यूँ नही पहनता?
आदम : हाहाहा बस माँ ऐसे ही मैने सुना है लिंग को भी हवा लगनी चाहिए वो भी तो शरीर का एक अंग है
अंजुम : आए हाए बड़ी तुझे अपने नुन्नु की चिंता होने लगी
आदम : हां माँ
मैने हल्का रज़ामंद होते हुए आँख मारी तो माँ शरमा गयी .
."चल हट बहुत बिगड़ गया है तू चल अब मुझे खाना बना लेने दे जा जल्दी से नहा ले कपड़े धो दिए तेरे और हां सुन पाजामा अपना टब में डाल देना सर्फ डालके"..
आजकल सॅंपल्स में कॉसमेटिक का सामान भी घर ले आता था अगर मैं चाहता तो उसे रख भी सकता था अपने पास इसलिए मैने माँ को लिपस्टिक और उनकी साइज़ की अनगिनत ब्रा ऐसी दिलवाई थी जो उन्हें पूरी फिट आती मैं खुद उनके टू पीस वाली ब्रा में आयने के वक़्त उन्हें देखके मुआयना करता था माँ शरमाती नही थी मुझसे उसने ईवेन जो साड़ी दिलाई थी एक काला ब्लाउस और गुलाबी साड़ी और एक लाल साड़ी वित मॅचिंग ब्लाउस जिन्हें पहनी वो पूरी सेक्सी लग रही थी उनकी नाभि के नीचे से उनके स्ट्रेच मार्क्स दिख जाते जिन्हें वो पल्लू से छुपा रही थी उन्हें इसलिए साड़ी पहनने की आदत नही थी...मैने कहा कोई बात नही बाहर ना पहने पर घर में यही पहना करे मुझे अच्छा लगेगा माँ मेरी ज़िद्द मान गयी और उस रात वो मेरी गुलाबी वाली दिलाई साड़ी पहनी
उफ्फ क्या कहेर ढा रही थी उनका फिगर काफ़ी उभर गया था....मुझे उनके नाभि के बीच स्ट्रेच मार्क्स और उनके बगलो के बाल काफ़ी पसंद थे क्यूंकी देसी औरतो की वो निशानी होती है मेरी ऐसी फॅंटेसी को जब माँ ने जाना तो वो लजा गई मुझसे...उस रात माँ वो साड़ी पहने ही मेरे साथ सो गयी मैं उनके गुदाज़ पेट पे हाथ रखके उसे अपने बदन से लिपटाए सो गया....
होमटाउन आए 1 माँस होने को था....इतने 30 दिनो के अंदर मेरे और मेरी माँ अंजुम के बीच के रिश्तो की दरार फ़ासले जैसे ना के बराबर होने लगे थे....साथ ही साथ जो दूरिया और जो फंसाद रुकावटें जो हमारे संबंध बनने के बीच आड़े आ रही थी...उसे मैने होमटाउन आके जरह से उखाड़ फैका...ना यहाँ माँ की कोई सहेली थी...ना यहाँ मेरा कोई दोस्त था और जो अवैध नाजायज़ संबंध बनाए भी थे वो माँ के मेरे संग आ जाने के बाद उनका वजूद ही मिट चुका था...अब सिर्फ़ मैं था और मेरी माँ...और मुझे मेरी अंजुम से कोई भी दूर नही कर सकता था कोई भी नही
अगली सुबह सनडे पड़ गया इसलिए जी भरके आज सो रहा था...सुबह के 10 बज चुके थे और माँ अकेले अकेले काम सारा निपटाए घर का झाड़ू पोंच्छा लगाए और कपड़े धोने के साथ गुसलखाने की ऑर नहाने चली गयी....उसने मुझे दो मर्तबा बार उठाया भी पर मैं गहरी नींद में सो रहा था...मेरी मेहनत और थकान दोनो देख माँ ने मेरे चेहरे को प्यार से सहलाया और नहाने चली गयी..लेकिन उसके सहलाने से ही मेरे बदन सिहर उठा इसलिए मैं जाग चुका था...अचानक मुझे कुछ सूझा और मैने शरारत के लहज़े में अपना पाजामा उतार फैका और अपने उपर एक झिल्ली सी चादर डालके आँखे मूंद ली...सोने का नाटक करीबन माँ के कमरे में आ जाने तक कर रहा था
इतने में मेरी सोच अनुसार माँ भीगे बदन अपने खुले गीले बालों को झाड़ते हुए कमरे में प्रवेश की वो अपने बालों को समैट रही थी उसके बाज़ू उठाने से मैने अधखुली निगाहो से झाँका तो पाया माँ की दोनो बगलो में बाल थे उन्होने अब तक बगल के बाल सॉफ नही किए थे जो काफ़ी लंबे लंबे हो चुके थे वोई देखके ही मेरा लंड तनाव में आ गया...एक तो उन्होने छाती के उपर से होते हुए घुटनो के उपर तक सफेद तौलिया बाँध रखा था और उनका बदन एकदम पानी से भीगा हुआ था
मैं उनके हिलते नितंबो के उभार को नोटीस करने लगा...वो जब चल रही थी तो उसके हिलते चूतड़ मेरे लंड में सनसनी दौड़ा रहे थे...उनके चुतड़ों के उभार पहले से कितने ज़्यादा लग रहे थे....माँ गुनगुनाते हुए अपने बाल सुखाते हुए उन्हें बिखेरने लगी...मैने मुआयना किया कि शायद उन्हें यही लगा हो कि मैं तो जल्दी उठने नही वाला इसलिए नंगे बदन तौलिया ही लपेटे वो चेंज करने मेरे सामने अपने बेटे के सामने अलमारी को खोल कपड़े निकालने लगी उनके एक हाथ में ब्रा का फीता लटका हुआ था और उसी के साथ उनकी गुलाबी सी छोटी सी पैंटी...मेरा बस चले तो उन्हें अंडरगार्मेंट्स कभी पहनने ही ना दूं...
माँ ने एक बार मेरी तरफ देखा मैं झट से सोने की आक्टिंग करने लगा ऐसा लग रहा था जैसे मैं कितनी गहरी नींद में हूँ...वो वापिस से अपने कपड़े निकालने को झुकी तो उसका तौलिया जो घुटनो तक था पीछे उठ गया....मैने हल्का सा झाँका तो लगा जैसे दो टाँगो की भैंस झुकी हुई हो..ख़ास कुछ निगाह नही पड़ा बस उसकी मोटी मोटी जांघों का दीदार हुआ...
फिर उसने खड़े होके कपड़े बिस्तर पे रखके और अपने बाल समेटते हुए अपनी ब्रा को सीधा करने लगी...उसने एक बार फिर मेरी तरफ देखा मैं बहुत मुस्किल से खुद पे क़ाबू कर पा रहा था....अचानक वो ब्रा पलट ही रही थी इतने में उसके तौलिए का गाँठ खुल गया...वो एकदम से हल्की सी चीखी "उूउउइइ".....उनकी आवाज़ सुन मैने हल्का सा आँख खोला तो मैं दंग रह गया
उफ्फ वो एकदम मदरजात मेरे सामने नंगी खड़ी हुई थी..उसकी टाँगों के बीच काफ़ी झान्टे उगी हुई थी...उसके मोटे मोटे नितंब की गोलाइयाँ और पेट के निचले भाग से लेके झान्टो के अंदर तक बहुत ज़्यादा स्ट्रेच मार्क्स हो रखे थे जिससे तालपेट का चमड़ा सिकुडा हुआ था...वो एकदम से झट से झुक गयी तो उसके पेट की तोंद और गहरी नाभि मेरी आँखो से ओझल हुई और उसके झुकने से उसके मोटे ब्राउन निपल्स जो उसके 35इंच की चुचियो के साथ झूल रहे थे काफ़ी मस्त लग रहे थे....वो झुकके जैसे तैसे तौलिया उठाने की कोशिश में पलट गयी जिससे मुझे उसके मोटी मोटी गान्ड के बीच की दरार सॉफ नज़र आई उफ्फ उसके गान्ड का सिकुडे छेद के आसपास थोड़े बहुत झान्ट उगे हुए थे...
वो एकदम से तौलिया उठाए अपनी छातियो के साथ साथ अपनी टाँगों के बीच की झान्टेदर चूत को छुपाते हुए मेरी तरफ शरमाई निगाहो से देखने लगी...वो तो गनीमत थी कि मैने उसके नंगे जिस्म को देखके एक पल में ही आँख कस कर बंद कर ली थी वरना मैं पकड़ा जाता...
अंजुम लज्जा से सेहेम उठी....वो खैर मनाने लगी कि उसका बेटा अब भी सो रहा था जैसे ही उसने अभी आँख पलटी ही थी कि उसे अपने बेटे की आधी चादर में ढके जिस्म में कुछ हरकत सी लगी ये हरकत उसकी टाँगों के बीच के बनते उभार से उसे लग रही थी...जो टाँगों के बीच से उठता एकदम तंबू बन गया था....उसका खड़ा लंड माँ को आभास कराने के लिए सॉफ था कि उसका बेटा या तो जगा हुआ है या सेक्सी सपने देख रहा है
अंजुम ने एक एक पाँव आगे बढ़ा कर अपने बेटे को धरने के चक्कर में उसकी चादर एक ही झटके में उसके जिस्म से अलग कर दी तो उसकी आँख फटी की फटी रह गयी...ये उसका कोई तीसरा बार था जो उसने अपने बेटे को नंगा पाया था उसकी टाँगों के बीच उसका लंड एकदम तोप की तरह खड़ा एकदम सख़्त मोटा और लंबा था...अंजुम थूक घोटने लगी उसने एक बार हड़बड़ा के आदम को जगाना चाहा लेकिन उसके क्या मन में आया? उसने चादर वैसे ही बेटे के उपर ऊढा दी और लगभग कपड़ा लिए कमरे से बाहर निकल गयी....आदम ने आँख खोला और करीब मुस्कुरा उठा...उसकी ये शरारत में उसे काफ़ी मज़ा आया था
जब सोके उठा था तो करीब 12 बज गया था...उसे बड़ा गुस्सा आया अपने उपर वो पहले मूतने गया अपने लंड को मुठियाए पेशाब की धार छोड़ी और वापिस कमरे से होते हुए रसोईघर में आया जहाँ उसकी माँ रोटिया बना रही थी...माँ ने बेटे को जगा देख मुस्कुराया....
अंजुम : उफ्फ उठ गये महाराज जी अब लीजिए लेट सवेर नाश्ता कीजिए
आदम : अर्रे माँ छुट्टी तो मिलती है ना इसलिए जी भरके आराम करता हूँ
अंजुम : बेटा इसलिए कहती हूँ रात को जल्दी सो जाया कर आज सनडे है तो क्या हुआ? इंसान को आलस्पन मार देता है
आदम : अच्छा दे
अंजुम ने बेटे की तरफ चोरी निगाहो से देखा और उसे एक सेक्सी लहज़े में मुस्कुराए ताना मारी
अंजुम : तू अंदर कुछ पहना कर ?
आदम : क्या माँ?
अंजुम : तू जब सोता है तो सिर्फ़ पाजामा पहनके सोता है अंदर कुछ भी नही पहनता इतने कच्छे पड़े है तेरे पास क्यूँ नही पहनता?
आदम : हाहाहा बस माँ ऐसे ही मैने सुना है लिंग को भी हवा लगनी चाहिए वो भी तो शरीर का एक अंग है
अंजुम : आए हाए बड़ी तुझे अपने नुन्नु की चिंता होने लगी
आदम : हां माँ
मैने हल्का रज़ामंद होते हुए आँख मारी तो माँ शरमा गयी .
."चल हट बहुत बिगड़ गया है तू चल अब मुझे खाना बना लेने दे जा जल्दी से नहा ले कपड़े धो दिए तेरे और हां सुन पाजामा अपना टब में डाल देना सर्फ डालके"..