hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
दो नंगी औरतें और उनके बीच उनके बेटे की उमर का लड़का जिसका लंड हाथो में लिए मालिश की जा रही थी..फिर सुधिया काकी ने थोड़ा सा घी और लिया और मेरे अंडकोष को मला और उसकी अच्छे से मालिश की..."बेटा जब झड़ने को हो तो बता देना".....सुधिया काकी ने कहा
आदम : जी काकी (मैं अपने दोनो हाथ पीछे एकदुसरे से जोड़े हुए था...वो मेरे लिंग को अपने दोनो हाथो से मालिश करे जा रही थी)
जैसे ही कुछ ही टाइम में मैं झड़ने को हो गया तो उन्होने मेरे लिंग को जड़ से मज़बूती से मुट्ठी में थाम लिया और मालिश रोक दी...मेरे लिंग का रक्त संचार जैसे थम सा गया और फिर उन्होने मेरे लिंग के सुपाडे को भी दबा दिया कुछ देर मे मेरा लिंग छोटा होने लगा और फिर वो ज़ोर ज़ोर से मेरे लिंग की मालिश करने लगी...मेरे चमड़ी कटे लिंग को वो बड़े ही प्यार से मालिश कर रही थी फिर उन्होने लिंग ताहिरा के हाथो में दे दिया....ताहिरा मौसी के हाथो के स्पर्श से मेरा लिंग फन्फनाते हुए फिर अपनी औकात पे खड़ा हो गया
मौसी को सुधिया काकी अहेतियात करते हुए समझा रही थी कि कैसे मालिश करनी है कुछ ही देर में ताहिरा मौसी बिल्कुल सुधिया काकी की तरह मेरे लिंग को भरपूर तरीके से मालिश करने लगी सुपाडे के चारो तरफ उंगली से घी लगाते हुए उस जगह को मालिश करने लगी मेरे आने के वक़्त उसने भी कस्के मेरे लिंग को दबोच लिया अंडकोष और लिंग की जड़ से फिर मेरे थमते ही उन्होने मेरी मालिश फिर शुरू कर दी....उसके बाद अंडकोष को एक हाथ से सुधिया काकी तो दूसरे हाथ से ताहिरा मौसी मेरे लिंग की मालिश कर रही थी दोनो औरतों की हाथो के स्पर्श से मुझे काफ़ी मज़ा मिल रहा था.....
सुधिया काकी : एक बार इसे मोटा और लंबा होने दे फिर देखना ताहिरा चुदाई में तुझे बड़ा मज़ा आएगा
ताहिरा मौसी : हां काकी आप भी चाहो तो इस लिंग का मज़ा ले सकती हो
सुधिया काकी : हां पर अभी 1 महीने तक सिर्फ़ हाथ लगाके मालिश करना ना इसे मुँह में लेना है और ना अपनी चूत में समझी
दोनो औरतो को बेशर्मी से बात करते देख मेरा तो जैसे मन कर रहा था कि दोनो को पटक के चोद दूं ख़ासकर अपनी मौसी को..पर सुधिया काकी को लगता था खुजली ज़्यादा थी इसलिए मेरे जैसे जवान उमर के लड़के का लंड देखके उसकी आँखो में चमक आ गयी थी...आख़िरकार 20 मिनट बाद मालिश थम गयी फिर उन्होने एक कपड़े से बड़ी सख्ती से मेरे लिंग को पोंछ दिया...और दोनो औरतें अपने अपने कपड़े पहन्के हाथ धोने चली गयी
यही प्रक्रिया कयि दिनो तक चलती रही जब कभी ताहिरा मौसी ना आ पाती तो सुधिया काकी आके मेरे लिंग की मालिश करके चली जाती...तो कभी मौसी साथ में आके मालिश करने में उनका सहयोग करती मैं जब झड़ने को होता तो वो रोक देती...इस तरह मैं अपने झड़ने पे संयम पाने में सक्षम हो गया
और अब बिना उनके कहें मेरे लिंग की कयि मिनटों तक मालिश के बाद भी वीर्य निकलता था....मेरे लिंग के झड़ने का समय बढ़ गया था...और इस बीच मैने मूठ तक नही मारी थी हालाँकि दोनो औरतो की गरम मालिश देने के बाद मैने काफ़ी हद तक खुद को काबू किया था मूठ मारने से रोकने से...और साथ में दवाई के सेवन से मेरे अंदर सेक्स करने की अज़ब सी तलब जागने लगी....मैं 1 दिन में कभी कभार 2-3 बार मूठ मारने लगा था उन एक मूठ मारी के नाम पर मुझे अपनी माँ अंजुम का चेहरा भी दिख जाता जो कि मेरे लिए ताज्जुब की बात थी....लेकिन मुझे ऐसा करने से अच्छा लगता था
धीरे धीरे 1 महीने बाद भी मालिश जारी थी और काफ़ी देर की मालिश के बाद दोनो औरतों के हाथ दुख जाते पर मेरा लिंग एकदम आइरन रोड जैसा खड़ा ही रह जाता था हालाँकि उसके कफि देर बाद ढीले होने से हल्की हल्की पानी जैसी प्री-कम की बूँदें निकल जाया करती थी...3 महीने की कड़ी मालिश और दवाई के सेवन से मेरा लंड काफ़ी हद तक 8 इंच लंबा और 4 इंच मोटा हो चुका था और अंडकोष भी नींबू जैसे आकार के हो गये थे जो सदा लिंग के नीचे झूलते हुए से रहते थे...
मेरी माँ अंजुम को इस बात का ज़रा सा भी ईलम नही था....कि उसका बेटा होमटाउन में क्या गुल खिला रहा है?....और कितनी औरतों को अपने लंड के नीचे ला चुका है जो उसकी माँ की उमर से भी बड़ी है....वो अपने से दुगनी उमर की औरतों को चोदता है और उन्हें संतुष्ट करता है...ना अंजुम को ये मालूम था कि उसका बेटा चंपा नाम की रंडी के साथ भी कयि रातें गुज़ार चुका है.....यही वजह थी कि उसका आगाह डोल जाता था और उसे लगता था कि उसका बेटा ग़लत संगत में फँसता जा रहा है
हालाँकि माँ का दिल था इसलिए वो ये सोच अपने दिमाग़ से कयि बार झटकते हुए ना मंज़ूर कर देती थी....पर असलियत कुछ ऐसी ही थी...अब तो बेटा भी दिल्ली अपने घर कम कॉल करने लगा था अब उसे रत्ती भर का बड़े शहर आने का दिल नही करता था....उसकी थरक की प्यास उसे सस्ते में ही अपने जनम स्थान में ही मिल जाती थी...उपर से अब तो सुधिया काकी भी लिस्ट में शामिल थी...तो ऐसे में किसका दिल बड़े शहर में आके कमाई करने और ठोकर खाने में लगे
अच्छी टाउन में कमाई भी थी और दिल बहलाने को ताहिरा मौसी और चंपा जैसी चुदक्कड औरतें....अब तो अंजुम ने अपनी सहेली हेमा के यहाँ जाना कम कर दिया था...क्यूंकी आजकल उसका सो-कॉल्ड सरदार पति घर पे होता था....हालाँकि सरदार जी अंजुम की बड़ी इज़्ज़त करते थे....पर अंजुम को किसी मर्द की प्रेज़ेन्स में हेमा के घर जाना भाता नही था....सरदार जी के आने से हेमा के चाहने वाले भी घर में कम आने लगे....
उस दिन अंजुम को हेमा ने सुबह कॉल किया कि उसका पति टूर पे उसे आउट ऑफ स्टेशन लेके जा रहा है..हो सकता है वैष्णो देवी जाने का प्रोग्राम बन जाए...अंजुम को लगा इतने दिन हो गये है तो चलो आज हेमा से मुलाक़ात कर ली जाए....अंजुम दोपहर तक काम निपटाके हेमा के घर पहुचि वो दूसरी माले पे रहती थी...इसलिए उपर आके उसे घंटी बजाने की ज़रूरत नही पड़ी...अंदर का माहौल शांत था...लिविंग रूम में आते ही अंजुम को कुछ आहों की आवाज़ सुनाई दे रही थी
अंजुम पास के टेबल पे बैठने वाली थी कि बिना उसने शोर किए रूम के दरवाजे के करीब आके खड़ी हो गयी....दरवाजा कमरे का खुला था और अंदर का दृश्य सॉफ दिख रहा था...अंदर हेमा अपने पति सरदार जी के साथ बिस्तर के उपर मदरजात नंगी खड़ी हुई थी और सरदारजी भी बिल्कुल नंगा था उसका फनफनाया मोटा सांवला खाल से ढका लिंग हेमा के हाथो में था....जिसे वो मुत्ठियाँ रही थी.....अंजुम का यह दृश्य देखके दिल की धड़कने तेज़ हो गयी..
हेमा : लगता है बीवी को चोदना कम कर दिया इसलिए आजकल ये कुछ ज़्यादा ही खड़ा हो जाता है
सरदार जी : साली तू कुछ छोड़ती है सारा रस निकाल देती है तो बीवी की चूत में क्या डालु खाली लंड...साली यहाँ 1 हफ़्ता भी रहूं तो कोई दिन छूटता नही तेरा मुझसे चुदवाने में तेरी वजह से बीवी के लिए कुछ बचता नही....बहेन की लॉडी जब भी हाथ में लेती है तो कहती है इससे क्या चुदवाऊ ये तो पहले से ही मुरझाया हुआ है किस रंडी की चूत में खाली करके लाए हो
हेमा : हाहाहा फिर तू क्या करता है रंडवे ?
सरदार जी : बेहेन्चोद एक तो अंधविश्वासी है और उपर से साली की सुखी चूत मारने का मन भी नही करता जिसका खड़ा भी होता होगा वो भी मुरझा जाएगा उसका देखकर मैं क्या करता हूँ साली को उस वक़्त दो थप्पड़ लगाता हूँ कुतिया बनाता हूँ और उसकी वैसी ही रफ चुदाई करता हूँ पूरा बंग्लॉ उसकी चीख से गूँजता है एक बार बहेन की लॉडी को ज़ोर से क्या किया खून आ गया उसका...तब से पूजा पाठ ज़्यादा और बिस्तर पे हाज़िरी देना कम करने लगी है हराम ज़ादी
हेमा : हाहाहा तब तो तू मान ले कि मेरे बाद तू किसी को चोदने लायक बचता नही
सरदार जी : भोसड़ी की तू इतनी उमर दराज़ हो गयी है पर तेरी भोसड़ी की आग और ज़्यादा भी ज़्यादा भड़क गयी है इसे चोदने के लिए तो हबशियो के लंड की ज़रूरत पड़े
हेमा : वो तो है मेरी भोसड़ी इतना निचोड़ लेती है लंड से की मर्द को नामर्द कर दे उसका भी खड़ा ना हो
सरदार जी : बहेन की लॉडी मुझसे पहले तो तूने दूसरे मर्द का लंड चूसा भी है और अपनी भोसड़ी और गान्ड की छेद में लिया भी है पर मुझे कहीं ना कहीं लगता है कि तू अब भी किसी को घर में लाके चुदवाति है
हेमा : हाए राम अपने सुहाग के होते हुए मैं ऐसा क्यूँ करूँगी? तुझे लगता है तो मेरी बेटियो की कसम
सरदार जी : अर्रे बेहेन्चोद झूठी कसम ना खा अपने बच्चों की तुझ जैसी छिनाल औरत शराब की बोतल तक अपनी भोसड़ी में डाल ले अबे रंडियो को तो तुझसे ट्रैनिंग लेनी चाहिए याद है तुझे कैसे मेरे बिज़्नेस पार्ट्नर सावंत को जो कि घर की इस घर में आया था साली तुझे क्या ज़रूरत थी चाइ लाने की तेरा पल्लू सरका और तेरी मोटी मोटी छातियो को घूर्रने लगा वो
हेमा : फिर तूने क्या किया? (मन ही मन मज़ा लेते हुए)
सरदार जी : बहेन की लॉडी मैं क्या करता? वोई कहने लगा अँग्रेज़ क्लाइंट के साथ एक रात भेज दो होटेल में तुम्हारे सारे प्रॉजेक्ट पास करा देगा....मैने जब उसे गुस्सा किया और कहा कि तू मेरी बीवी है तो लौडे को साँप सूंघ गया और माँफी मागने लगा लेकिन उसकी आँखो की हवस मुझे दिख रही थी पर साली तू इतना इतरा मत तू अब बुढ़िया हो रही है अब तेरी बेटियो का दिन है तेरी भोसड़ी में तो कोई भी अपना 5 इंच का लिंग भी ना डाले
हेमा : अर्रे मदर्चोद तो फिर मुझसे शादी करके यहाँ बिस्तर गरम करने क्यूँ आता है? अपनी बीवी को ही यंग बनाके चोदा कर
सरदार जी :बेहेन्चोद बीवी है इसलिए फ़र्ज़ निभा रहा हूँ वरना रखैल बनाके ही तुझे चोदता वैसे तुझमें कुछ रहा तो नही पर क्या करू? आदत पड़ गयी तुझे चोदते हुए तेरे जैसा मज़ा कोई रंडी भी नही दे सकती इस उमर में
हेमा : पत्नी मानते हो तो बेटियों के सामने ही सुबह सुबह अपनी बीवी पे चढ़ने लगे छोटी बेटी उमा देख लेती तो वो तो हमारे बिस्तर पे ही थी
सरदार जी : अबे साली तेरी बेटियो के सामने रात गये तुझे उपर ले जाता हूँ तीसरे माले में क्या वो समझती ना होंगी कि मैं उनकी माँ को चोदने ले जा रहा हूँ वो लोग तो सवाल नही करेगी क्यूंकी उनकी जेबे इतना भर देता हूँ जितना उनके बाय्फ्रेंड नही भर सकेंगे चल जल्दी चुदाई करवा फिर मैं घर भी जाउन्गा कल पूरी रात रुका था यहाँ
हेमा : हां रे ये देख ये अभी से रस निकाल रहा है
सरदारजी के लिंग को हेमा ने एक ही झटके में अपने में मुँह में लेके झुकके चूसना शुरू कर दिया....अब तक दोनो अंजुम के दरवाजे पे खड़े होने से वंचित थे....इधर अंजुम जो इतने बरसो से सेक्स की आग को दबाए हुए थी एकदम से उसकी चूत में ये दृश्य देखेक आग उठ गयी कैसे उसकी सहेली सरदार का मोटा खाल से ढका 6 इंच का लिंग मुँह में लेके चुस्स रही थी सरदार के पूरे बदन पे बाल थे और अंडकोष और लिंग के उपर सबसे ज़्यादा...
आदम : जी काकी (मैं अपने दोनो हाथ पीछे एकदुसरे से जोड़े हुए था...वो मेरे लिंग को अपने दोनो हाथो से मालिश करे जा रही थी)
जैसे ही कुछ ही टाइम में मैं झड़ने को हो गया तो उन्होने मेरे लिंग को जड़ से मज़बूती से मुट्ठी में थाम लिया और मालिश रोक दी...मेरे लिंग का रक्त संचार जैसे थम सा गया और फिर उन्होने मेरे लिंग के सुपाडे को भी दबा दिया कुछ देर मे मेरा लिंग छोटा होने लगा और फिर वो ज़ोर ज़ोर से मेरे लिंग की मालिश करने लगी...मेरे चमड़ी कटे लिंग को वो बड़े ही प्यार से मालिश कर रही थी फिर उन्होने लिंग ताहिरा के हाथो में दे दिया....ताहिरा मौसी के हाथो के स्पर्श से मेरा लिंग फन्फनाते हुए फिर अपनी औकात पे खड़ा हो गया
मौसी को सुधिया काकी अहेतियात करते हुए समझा रही थी कि कैसे मालिश करनी है कुछ ही देर में ताहिरा मौसी बिल्कुल सुधिया काकी की तरह मेरे लिंग को भरपूर तरीके से मालिश करने लगी सुपाडे के चारो तरफ उंगली से घी लगाते हुए उस जगह को मालिश करने लगी मेरे आने के वक़्त उसने भी कस्के मेरे लिंग को दबोच लिया अंडकोष और लिंग की जड़ से फिर मेरे थमते ही उन्होने मेरी मालिश फिर शुरू कर दी....उसके बाद अंडकोष को एक हाथ से सुधिया काकी तो दूसरे हाथ से ताहिरा मौसी मेरे लिंग की मालिश कर रही थी दोनो औरतों की हाथो के स्पर्श से मुझे काफ़ी मज़ा मिल रहा था.....
सुधिया काकी : एक बार इसे मोटा और लंबा होने दे फिर देखना ताहिरा चुदाई में तुझे बड़ा मज़ा आएगा
ताहिरा मौसी : हां काकी आप भी चाहो तो इस लिंग का मज़ा ले सकती हो
सुधिया काकी : हां पर अभी 1 महीने तक सिर्फ़ हाथ लगाके मालिश करना ना इसे मुँह में लेना है और ना अपनी चूत में समझी
दोनो औरतो को बेशर्मी से बात करते देख मेरा तो जैसे मन कर रहा था कि दोनो को पटक के चोद दूं ख़ासकर अपनी मौसी को..पर सुधिया काकी को लगता था खुजली ज़्यादा थी इसलिए मेरे जैसे जवान उमर के लड़के का लंड देखके उसकी आँखो में चमक आ गयी थी...आख़िरकार 20 मिनट बाद मालिश थम गयी फिर उन्होने एक कपड़े से बड़ी सख्ती से मेरे लिंग को पोंछ दिया...और दोनो औरतें अपने अपने कपड़े पहन्के हाथ धोने चली गयी
यही प्रक्रिया कयि दिनो तक चलती रही जब कभी ताहिरा मौसी ना आ पाती तो सुधिया काकी आके मेरे लिंग की मालिश करके चली जाती...तो कभी मौसी साथ में आके मालिश करने में उनका सहयोग करती मैं जब झड़ने को होता तो वो रोक देती...इस तरह मैं अपने झड़ने पे संयम पाने में सक्षम हो गया
और अब बिना उनके कहें मेरे लिंग की कयि मिनटों तक मालिश के बाद भी वीर्य निकलता था....मेरे लिंग के झड़ने का समय बढ़ गया था...और इस बीच मैने मूठ तक नही मारी थी हालाँकि दोनो औरतो की गरम मालिश देने के बाद मैने काफ़ी हद तक खुद को काबू किया था मूठ मारने से रोकने से...और साथ में दवाई के सेवन से मेरे अंदर सेक्स करने की अज़ब सी तलब जागने लगी....मैं 1 दिन में कभी कभार 2-3 बार मूठ मारने लगा था उन एक मूठ मारी के नाम पर मुझे अपनी माँ अंजुम का चेहरा भी दिख जाता जो कि मेरे लिए ताज्जुब की बात थी....लेकिन मुझे ऐसा करने से अच्छा लगता था
धीरे धीरे 1 महीने बाद भी मालिश जारी थी और काफ़ी देर की मालिश के बाद दोनो औरतों के हाथ दुख जाते पर मेरा लिंग एकदम आइरन रोड जैसा खड़ा ही रह जाता था हालाँकि उसके कफि देर बाद ढीले होने से हल्की हल्की पानी जैसी प्री-कम की बूँदें निकल जाया करती थी...3 महीने की कड़ी मालिश और दवाई के सेवन से मेरा लंड काफ़ी हद तक 8 इंच लंबा और 4 इंच मोटा हो चुका था और अंडकोष भी नींबू जैसे आकार के हो गये थे जो सदा लिंग के नीचे झूलते हुए से रहते थे...
मेरी माँ अंजुम को इस बात का ज़रा सा भी ईलम नही था....कि उसका बेटा होमटाउन में क्या गुल खिला रहा है?....और कितनी औरतों को अपने लंड के नीचे ला चुका है जो उसकी माँ की उमर से भी बड़ी है....वो अपने से दुगनी उमर की औरतों को चोदता है और उन्हें संतुष्ट करता है...ना अंजुम को ये मालूम था कि उसका बेटा चंपा नाम की रंडी के साथ भी कयि रातें गुज़ार चुका है.....यही वजह थी कि उसका आगाह डोल जाता था और उसे लगता था कि उसका बेटा ग़लत संगत में फँसता जा रहा है
हालाँकि माँ का दिल था इसलिए वो ये सोच अपने दिमाग़ से कयि बार झटकते हुए ना मंज़ूर कर देती थी....पर असलियत कुछ ऐसी ही थी...अब तो बेटा भी दिल्ली अपने घर कम कॉल करने लगा था अब उसे रत्ती भर का बड़े शहर आने का दिल नही करता था....उसकी थरक की प्यास उसे सस्ते में ही अपने जनम स्थान में ही मिल जाती थी...उपर से अब तो सुधिया काकी भी लिस्ट में शामिल थी...तो ऐसे में किसका दिल बड़े शहर में आके कमाई करने और ठोकर खाने में लगे
अच्छी टाउन में कमाई भी थी और दिल बहलाने को ताहिरा मौसी और चंपा जैसी चुदक्कड औरतें....अब तो अंजुम ने अपनी सहेली हेमा के यहाँ जाना कम कर दिया था...क्यूंकी आजकल उसका सो-कॉल्ड सरदार पति घर पे होता था....हालाँकि सरदार जी अंजुम की बड़ी इज़्ज़त करते थे....पर अंजुम को किसी मर्द की प्रेज़ेन्स में हेमा के घर जाना भाता नही था....सरदार जी के आने से हेमा के चाहने वाले भी घर में कम आने लगे....
उस दिन अंजुम को हेमा ने सुबह कॉल किया कि उसका पति टूर पे उसे आउट ऑफ स्टेशन लेके जा रहा है..हो सकता है वैष्णो देवी जाने का प्रोग्राम बन जाए...अंजुम को लगा इतने दिन हो गये है तो चलो आज हेमा से मुलाक़ात कर ली जाए....अंजुम दोपहर तक काम निपटाके हेमा के घर पहुचि वो दूसरी माले पे रहती थी...इसलिए उपर आके उसे घंटी बजाने की ज़रूरत नही पड़ी...अंदर का माहौल शांत था...लिविंग रूम में आते ही अंजुम को कुछ आहों की आवाज़ सुनाई दे रही थी
अंजुम पास के टेबल पे बैठने वाली थी कि बिना उसने शोर किए रूम के दरवाजे के करीब आके खड़ी हो गयी....दरवाजा कमरे का खुला था और अंदर का दृश्य सॉफ दिख रहा था...अंदर हेमा अपने पति सरदार जी के साथ बिस्तर के उपर मदरजात नंगी खड़ी हुई थी और सरदारजी भी बिल्कुल नंगा था उसका फनफनाया मोटा सांवला खाल से ढका लिंग हेमा के हाथो में था....जिसे वो मुत्ठियाँ रही थी.....अंजुम का यह दृश्य देखके दिल की धड़कने तेज़ हो गयी..
हेमा : लगता है बीवी को चोदना कम कर दिया इसलिए आजकल ये कुछ ज़्यादा ही खड़ा हो जाता है
सरदार जी : साली तू कुछ छोड़ती है सारा रस निकाल देती है तो बीवी की चूत में क्या डालु खाली लंड...साली यहाँ 1 हफ़्ता भी रहूं तो कोई दिन छूटता नही तेरा मुझसे चुदवाने में तेरी वजह से बीवी के लिए कुछ बचता नही....बहेन की लॉडी जब भी हाथ में लेती है तो कहती है इससे क्या चुदवाऊ ये तो पहले से ही मुरझाया हुआ है किस रंडी की चूत में खाली करके लाए हो
हेमा : हाहाहा फिर तू क्या करता है रंडवे ?
सरदार जी : बेहेन्चोद एक तो अंधविश्वासी है और उपर से साली की सुखी चूत मारने का मन भी नही करता जिसका खड़ा भी होता होगा वो भी मुरझा जाएगा उसका देखकर मैं क्या करता हूँ साली को उस वक़्त दो थप्पड़ लगाता हूँ कुतिया बनाता हूँ और उसकी वैसी ही रफ चुदाई करता हूँ पूरा बंग्लॉ उसकी चीख से गूँजता है एक बार बहेन की लॉडी को ज़ोर से क्या किया खून आ गया उसका...तब से पूजा पाठ ज़्यादा और बिस्तर पे हाज़िरी देना कम करने लगी है हराम ज़ादी
हेमा : हाहाहा तब तो तू मान ले कि मेरे बाद तू किसी को चोदने लायक बचता नही
सरदार जी : भोसड़ी की तू इतनी उमर दराज़ हो गयी है पर तेरी भोसड़ी की आग और ज़्यादा भी ज़्यादा भड़क गयी है इसे चोदने के लिए तो हबशियो के लंड की ज़रूरत पड़े
हेमा : वो तो है मेरी भोसड़ी इतना निचोड़ लेती है लंड से की मर्द को नामर्द कर दे उसका भी खड़ा ना हो
सरदार जी : बहेन की लॉडी मुझसे पहले तो तूने दूसरे मर्द का लंड चूसा भी है और अपनी भोसड़ी और गान्ड की छेद में लिया भी है पर मुझे कहीं ना कहीं लगता है कि तू अब भी किसी को घर में लाके चुदवाति है
हेमा : हाए राम अपने सुहाग के होते हुए मैं ऐसा क्यूँ करूँगी? तुझे लगता है तो मेरी बेटियो की कसम
सरदार जी : अर्रे बेहेन्चोद झूठी कसम ना खा अपने बच्चों की तुझ जैसी छिनाल औरत शराब की बोतल तक अपनी भोसड़ी में डाल ले अबे रंडियो को तो तुझसे ट्रैनिंग लेनी चाहिए याद है तुझे कैसे मेरे बिज़्नेस पार्ट्नर सावंत को जो कि घर की इस घर में आया था साली तुझे क्या ज़रूरत थी चाइ लाने की तेरा पल्लू सरका और तेरी मोटी मोटी छातियो को घूर्रने लगा वो
हेमा : फिर तूने क्या किया? (मन ही मन मज़ा लेते हुए)
सरदार जी : बहेन की लॉडी मैं क्या करता? वोई कहने लगा अँग्रेज़ क्लाइंट के साथ एक रात भेज दो होटेल में तुम्हारे सारे प्रॉजेक्ट पास करा देगा....मैने जब उसे गुस्सा किया और कहा कि तू मेरी बीवी है तो लौडे को साँप सूंघ गया और माँफी मागने लगा लेकिन उसकी आँखो की हवस मुझे दिख रही थी पर साली तू इतना इतरा मत तू अब बुढ़िया हो रही है अब तेरी बेटियो का दिन है तेरी भोसड़ी में तो कोई भी अपना 5 इंच का लिंग भी ना डाले
हेमा : अर्रे मदर्चोद तो फिर मुझसे शादी करके यहाँ बिस्तर गरम करने क्यूँ आता है? अपनी बीवी को ही यंग बनाके चोदा कर
सरदार जी :बेहेन्चोद बीवी है इसलिए फ़र्ज़ निभा रहा हूँ वरना रखैल बनाके ही तुझे चोदता वैसे तुझमें कुछ रहा तो नही पर क्या करू? आदत पड़ गयी तुझे चोदते हुए तेरे जैसा मज़ा कोई रंडी भी नही दे सकती इस उमर में
हेमा : पत्नी मानते हो तो बेटियों के सामने ही सुबह सुबह अपनी बीवी पे चढ़ने लगे छोटी बेटी उमा देख लेती तो वो तो हमारे बिस्तर पे ही थी
सरदार जी : अबे साली तेरी बेटियो के सामने रात गये तुझे उपर ले जाता हूँ तीसरे माले में क्या वो समझती ना होंगी कि मैं उनकी माँ को चोदने ले जा रहा हूँ वो लोग तो सवाल नही करेगी क्यूंकी उनकी जेबे इतना भर देता हूँ जितना उनके बाय्फ्रेंड नही भर सकेंगे चल जल्दी चुदाई करवा फिर मैं घर भी जाउन्गा कल पूरी रात रुका था यहाँ
हेमा : हां रे ये देख ये अभी से रस निकाल रहा है
सरदारजी के लिंग को हेमा ने एक ही झटके में अपने में मुँह में लेके झुकके चूसना शुरू कर दिया....अब तक दोनो अंजुम के दरवाजे पे खड़े होने से वंचित थे....इधर अंजुम जो इतने बरसो से सेक्स की आग को दबाए हुए थी एकदम से उसकी चूत में ये दृश्य देखेक आग उठ गयी कैसे उसकी सहेली सरदार का मोटा खाल से ढका 6 इंच का लिंग मुँह में लेके चुस्स रही थी सरदार के पूरे बदन पे बाल थे और अंडकोष और लिंग के उपर सबसे ज़्यादा...