hotaks444
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पिछली शाम जो कुछ भी हुआ था वो अंजुम के दिल-ओ-दिमाग़ से नही निकल पा रहा था...उसे अब भी अहसास हुआ था कि वो कितनी बड़ी मुसीबत से बच निकली थी....सुबह पति के उठाने पे ही उसने आँख खोली थी तो पाया कि वो काफ़ी कल की वजह से थकि हुई थी हालाँकि वो जल्दी सोई भी नही थी...उसने फटाफट उठके नाश्ता पति के लिए बनाया और टिफिन पॅक किया....पति फ़ौरन घर से ऑफीस के लिए निकल पड़ा...अंजुम भी उबासी लेते हुए अपनी अधूरी नींद पूरी करने के लिए दुबारा लेट गयी...
इस बीच उसका बेटा आदम बिस्तर पे करवट लिए आँखे मुदें सोया पड़ा था...अंजुम को जैसे उस पर प्यार आया लेकिन वो उसे छूती वो जाग जाता कल उसने वैसे भी कैसे अपनी जान जोखिम में डालके अपनी माँ की जान बचाई थी? यही सोचते हुए वो सो गयी...अचानक उसकी नींद टूटी तो उसने पाया कि आदम अपने बिस्तर पे नही है....कहीं वो टाय्लेट में तो नही था? उसे हर पल आदम के पास ना होने से अज़ीब सा लगता था..
वो उठके एक बार बाथरूम में झाँकी तो पाया आदम वहाँ नही था....उसका पति सुबह 7 बजे के लगभग निकल चुका था और अभी 7:30 हुए थे वो तो कचरे की जो गाड़ी आती है उसकी आवाज़ ने उसे जगा दिया था....उसने पाया कि दूसरे कमरे में गुम्सुम आदम बैठा हुआ है....वो आदम के करीब आई और उसके कंधे पे हाथ रखके उसके बगल में बैठ गयी
अंजुम : क्या हुआ सब ठीक तो है इतनी सुबह सुबह तो कभी उठता नही और यहाँ ऐसे एकात मे इस कमरे में अकेले तू इतना चुपचाप क्यूँ बैठा हुआ है?
आदम : माँ मैं तुमसे बहुत नाराज़ हूँ
अंजुम : क्या तूने अभी तक अपनी माँ को मांफ नही किया?
आदम : माँ मैं तुमपे नाराज़ इसलिए हूँ कि तुम मुझे बिना बताए झूंट बोलके नानी के घर का बहाना लगाए उस गंदी हेमा के साथ उस पार्टी में चली गयी पता है अगर मैं वहाँ ना पहुचता और अगर समीर ने मदद ना की होती तो वो तो दोस्त है...क्या सोचा होगा? उसने जब आपको नशे की हालत में पाया मुझे कितना बुरा लगा आप जानती है?
अंजुम चुपचाप थोड़ी सी उदास हो गयी ऐसा लग रहा था जैसे वो फिर सूबक रही थी..."हां आदम ग़लती मेरी ही है तेरी बात मानके भी मैने वहाँ जाने का फ़ैसला किया अगर तू ना आता तो कसम से वो कमीना तो मेरे नशे का फ़ायदा उठा लेता हेमा से कल जब बात हुई थी तो उस रंडी ने बताया कि उसे चार पैसे भी नही मिले थे वो तो मुझसे भी ज़्यादा घबराई हुई थी बलात्कार जो हो जाता उसके साथ अगर समीर वक़्त पे वहाँ दाखिल नही होता और ना जाने मेरा भी क्या हाल होता?....लेकिन जो भी हो मुझे अब उस औरत से कोई ताल्लुक़ात नही रखना लेकिन तू प्लीज़ मुझे बार बार कल हुई घटना का कुछ भी याद मत दिला"........अंजुम ने बेटे की तरफ देखते हुए कहा
आदम : आइ आम सॉरी माँ मैं शायद आप पे बरस पड़ा...लेकिन कसम से कोई गैर इंसान अगर तुम्हारे बदन पे हाथ भी रखता है ना मुझे ऐसा लगता है कि उसकी जान ले लूँ...तुम नही जानती मैं नही चाहता कि तुम कही भी मुझे बिना बताए अकेले कही जाओ
अंजुम उसके बर्ताव में आए परिवर्तन को देख हैरत से देखते हुए मुस्कुराती है....वो बड़े गौर से अपने बेटे को देखती है....आदम का चेहरा गुस्से में जैसे लाल तमतमा उठता है...एकदम से उसकी माँ बीच में उसे रिलॅक्स करती है
अंजुम : रिलॅक्स बस बस इतना गुस्सा ठीक नही मुझे पता है तू मेरा सबसे ज़्यादा ख़याल रखता है लेकिन एक बात बता तुझे तेरी माँ में ऐसा क्या? मेरा मतलब है क्या महसूस हुआ कि तू एकदम से होमटाउन और नौकरी छोड़के महेज़ मेरे लिए चला आया?
आदम : क्यूंकी माँ मैं आपके बगैर एक पल भी नही रह सकता...खैर जाने दो जो कल हुआ सो हुआ पर एक वादा करो कि आज के बाद हेमा आंटी के पास आप भूल से भी नही जाओगी और ना ही अब किसी से मतलब नही रखोगी
अंजुम : बेटा मैं तुझे अपनी कसम देती हूँ मैं किसी से भी अब मतलब नही रखूँगी अब मैं सारा ध्यान अपने घर में और सिर्फ़ और सिर्फ़ तुझपे दूँगी खुश?(अंजुम के मुस्कुराते ही आदम उससे लिपट गया)
मैने माँ को इतनी ज़ोर से बाहों में भींचा कि माँ एकपल के लिए हैरत से मुझे देखते हुए मेरी पीठ सहला रही थी...उसने मुझे अलग किया और नज़ाकत से देखा
अंजुम : एक बात आदम मेरे दिल में केयी दिनो से ये बात चल रही है?
आदम : हाँ बोलो ना
अंजुम : तू मुझमें कुछ ज़्यादा ध्यान नही देने लगा है ? मेरा मतलब मैने कभी किसी भी बेटे को अपनी माँ के लिए इतना ज़्यादा केर करते नही देखा हालाँकि अगर कोई और लड़का होता और उसकी माँ ठीक वैसे ही मौज़ूद किसी क्लब में होती तो शायद उसे जॅलील करता या परवाह ना करता पर तुझे मैं समझ नही पा रही क्या बात है? हालाँकि कौन माँ नही चाहती कि उसे उसका बेटा इतना ख्याल रखे इतना प्यार करे..
इस बीच उसका बेटा आदम बिस्तर पे करवट लिए आँखे मुदें सोया पड़ा था...अंजुम को जैसे उस पर प्यार आया लेकिन वो उसे छूती वो जाग जाता कल उसने वैसे भी कैसे अपनी जान जोखिम में डालके अपनी माँ की जान बचाई थी? यही सोचते हुए वो सो गयी...अचानक उसकी नींद टूटी तो उसने पाया कि आदम अपने बिस्तर पे नही है....कहीं वो टाय्लेट में तो नही था? उसे हर पल आदम के पास ना होने से अज़ीब सा लगता था..
वो उठके एक बार बाथरूम में झाँकी तो पाया आदम वहाँ नही था....उसका पति सुबह 7 बजे के लगभग निकल चुका था और अभी 7:30 हुए थे वो तो कचरे की जो गाड़ी आती है उसकी आवाज़ ने उसे जगा दिया था....उसने पाया कि दूसरे कमरे में गुम्सुम आदम बैठा हुआ है....वो आदम के करीब आई और उसके कंधे पे हाथ रखके उसके बगल में बैठ गयी
अंजुम : क्या हुआ सब ठीक तो है इतनी सुबह सुबह तो कभी उठता नही और यहाँ ऐसे एकात मे इस कमरे में अकेले तू इतना चुपचाप क्यूँ बैठा हुआ है?
आदम : माँ मैं तुमसे बहुत नाराज़ हूँ
अंजुम : क्या तूने अभी तक अपनी माँ को मांफ नही किया?
आदम : माँ मैं तुमपे नाराज़ इसलिए हूँ कि तुम मुझे बिना बताए झूंट बोलके नानी के घर का बहाना लगाए उस गंदी हेमा के साथ उस पार्टी में चली गयी पता है अगर मैं वहाँ ना पहुचता और अगर समीर ने मदद ना की होती तो वो तो दोस्त है...क्या सोचा होगा? उसने जब आपको नशे की हालत में पाया मुझे कितना बुरा लगा आप जानती है?
अंजुम चुपचाप थोड़ी सी उदास हो गयी ऐसा लग रहा था जैसे वो फिर सूबक रही थी..."हां आदम ग़लती मेरी ही है तेरी बात मानके भी मैने वहाँ जाने का फ़ैसला किया अगर तू ना आता तो कसम से वो कमीना तो मेरे नशे का फ़ायदा उठा लेता हेमा से कल जब बात हुई थी तो उस रंडी ने बताया कि उसे चार पैसे भी नही मिले थे वो तो मुझसे भी ज़्यादा घबराई हुई थी बलात्कार जो हो जाता उसके साथ अगर समीर वक़्त पे वहाँ दाखिल नही होता और ना जाने मेरा भी क्या हाल होता?....लेकिन जो भी हो मुझे अब उस औरत से कोई ताल्लुक़ात नही रखना लेकिन तू प्लीज़ मुझे बार बार कल हुई घटना का कुछ भी याद मत दिला"........अंजुम ने बेटे की तरफ देखते हुए कहा
आदम : आइ आम सॉरी माँ मैं शायद आप पे बरस पड़ा...लेकिन कसम से कोई गैर इंसान अगर तुम्हारे बदन पे हाथ भी रखता है ना मुझे ऐसा लगता है कि उसकी जान ले लूँ...तुम नही जानती मैं नही चाहता कि तुम कही भी मुझे बिना बताए अकेले कही जाओ
अंजुम उसके बर्ताव में आए परिवर्तन को देख हैरत से देखते हुए मुस्कुराती है....वो बड़े गौर से अपने बेटे को देखती है....आदम का चेहरा गुस्से में जैसे लाल तमतमा उठता है...एकदम से उसकी माँ बीच में उसे रिलॅक्स करती है
अंजुम : रिलॅक्स बस बस इतना गुस्सा ठीक नही मुझे पता है तू मेरा सबसे ज़्यादा ख़याल रखता है लेकिन एक बात बता तुझे तेरी माँ में ऐसा क्या? मेरा मतलब है क्या महसूस हुआ कि तू एकदम से होमटाउन और नौकरी छोड़के महेज़ मेरे लिए चला आया?
आदम : क्यूंकी माँ मैं आपके बगैर एक पल भी नही रह सकता...खैर जाने दो जो कल हुआ सो हुआ पर एक वादा करो कि आज के बाद हेमा आंटी के पास आप भूल से भी नही जाओगी और ना ही अब किसी से मतलब नही रखोगी
अंजुम : बेटा मैं तुझे अपनी कसम देती हूँ मैं किसी से भी अब मतलब नही रखूँगी अब मैं सारा ध्यान अपने घर में और सिर्फ़ और सिर्फ़ तुझपे दूँगी खुश?(अंजुम के मुस्कुराते ही आदम उससे लिपट गया)
मैने माँ को इतनी ज़ोर से बाहों में भींचा कि माँ एकपल के लिए हैरत से मुझे देखते हुए मेरी पीठ सहला रही थी...उसने मुझे अलग किया और नज़ाकत से देखा
अंजुम : एक बात आदम मेरे दिल में केयी दिनो से ये बात चल रही है?
आदम : हाँ बोलो ना
अंजुम : तू मुझमें कुछ ज़्यादा ध्यान नही देने लगा है ? मेरा मतलब मैने कभी किसी भी बेटे को अपनी माँ के लिए इतना ज़्यादा केर करते नही देखा हालाँकि अगर कोई और लड़का होता और उसकी माँ ठीक वैसे ही मौज़ूद किसी क्लब में होती तो शायद उसे जॅलील करता या परवाह ना करता पर तुझे मैं समझ नही पा रही क्या बात है? हालाँकि कौन माँ नही चाहती कि उसे उसका बेटा इतना ख्याल रखे इतना प्यार करे..