Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत - Page 13 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत

राजीव : ह्म काफ़ी हाथ पाँव चलाए उसने भी....कह रहा था कि वो अपने रिश्तेदारो से बात करना चाहता है लेकिन फिर ज़्यादा ख़ौफ्फ दिलाने पे वो चुप हो गया क्यूंकी कसूर उसका ही तो था अगर कल को उसके रिश्तेदारो को ये मालूम चलता कि वो एक अन्य ज़िले मे आके किसी घरेलू औरत को परेशान कर रहा है तो यक़ीनन उसके बोल नही फूटते है उल्टे उसके ही रिश्तेदार उसे कोसते...खैर फिर भी उसकी बीवी से उसकी बात कराई पूछताछ पे मालूम चला कि उसका नाम शमा था

आदम : फिर?

राजीव : फिर कल शाम को ही वो अपने क्वॉर्टर से बच्चो के साथ आई थी उसने अपने हज़्बेंड के लिए भीक माँगी कि उसे छोड़ दे..बाद में उसकी ज़मानत भी करनी चाही पर ज़मानत खारिज कर दी गयी क्यूंकी आजकल औरतो के साथ हो रहे अत्याचार से क़ानून बहुत सख़्त हो गये है (मैने सहमति में सर हिलाया) हालाँकि अब उसने ऐसा कोई प्राणघातक काम तो किया नही था इसलिए उसे कम से कम 6 महीने या 1 साल की जैल तो होके रहेगी...उसकी सिफारिश की रेलवे पोस्टिंग भी उससे छीन ली जा चुकी है जैसे ही रेलवे वालो को मालूम चला बुरा तो लगा दो बच्चो का बाप था और देखो क्या कर बैठा? ऐसे छिछोरो का यही नतीजा होता है

आदम : ह्म

राजीव : अब तुम्हें टेन्षन लेने की कोई ज़रूरत नही है अगर वो जैल से रिहा भी हो जाएगा तो उसे सख़्त हिदायत मिलेगी की वो फिरसे कोई ऐसा गुनाह ना करे वरना इस बार सज़ा बेहद सख़्त होगी और शायद इस बार उसे जैल में लंबा जाना पड़ जाए

आदम : ह्म बिल्कुल ठीक हुआ उसके साथ जिस तरीके से उसने मेरी माँ का फ़ायदा उठाना चाहा कसम से राजीव दा मेरे तो!

राजीव : रिलॅक्स रिलॅक्स आदम अब फिकर की कोई बात नही है सो जस्ट चिल यार...खैर अब ये सब टॉपिक छोड़ो और ये बताओ कि अब कब शिफ्ट हो रहे हो?

आदम : बस आपकी दुआ से बहुत जल्द ही मैने पॅकर्स आंड मोवेर्स वालो से बात कर ली है वो लोग कुछ दिन में ही सामान यहाँ धीरे धीरे शिफ्ट करना शुरू कर देंगे

राजीव : दट'स ग्रेट खैर अब आदम एक बात कहूँ तुमसे?

आदम : हां कहिए ना

राजीव : यार तुम कुछ दिन के लिए कहीं घुमाने माँ को ले जाओ

आदम : घूमने? हाहाहा पर कहाँ?

राजीव : अबे यार इस छोटे से टाउन में कहाँ घुमोगे? मेरी मानो तो आउट ऑफ स्टेशन या कोई अच्छी जगह कुछ दिन काटो यार

आदम : भैया नौकरी की प्राब्लम है ना? और राज़ौल के चक्कर में मालिक ने भी काफ़ी पूछताछ की

राजीव : ओह हो ज़्यादा प्राब्लम अगर है तो मैं तुम्हारे हेड से बात करता हूँ एक पोलिसेवाले के ब्यान पे वो शायद तुम्हारी बात पे यकीन कर ले

आदम : वो समझ गये है वैसे भी मैं एक शरीफ लड़का हूँ भला उन्हें मुझपे क्या शक़ हाथा पाई करना कोई जुर्म नही होता?

राजीव : हाथा पाई अर्रे तुम तो उसका कल्याण ही कर देते अगर मैं ना आता

आदम : हाहाहा (राजीव और मैं दोनो ही ठहाका लगा कर हँसने लगे राजीव दा ने चाइ ख़तम करते हुए फिर धीमे से कहना शुरू किया)

राजीव : ज़ोर से कहूँगा तो तेरी ज्योति भाभी सुन लेंगी (उन्होने इशारे से मुझे अपनी कान मेरे पास लाने को कहा हम दोनो एकदम नज़दीक आगे धीरे धीरे बातें करने लगे)

राजीव : अगर तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड या बीवी होती तो मैं तुम्हें सन टेंपल जाने को कहता है जो पूरी के पास उड़ीसा स्टेट में पड़ता है

आदम : हां हां वो जगह वाक़ई वो जगह तो ज़्यादातर शादी शुदा लोग ही जाते है वहाँ पे काफ़ी प्राचीन मूर्तिया है जो कि काफ़ी नंगी होती है और तो और वो सब प्रेम क्रीड़ा को दर्शाते है

राजीव : हां हां वहीं जगह काफ़ी मस्त जगह है ज़्यादातर वहाँ उन मूर्तियो को देखने ही लोग जाते है काफ़ी हिस्टॉरिकल जगह है दोस्त लेकिन तुम्हारी बदक़िस्मती कि तुम अकेले हो पर कभी अगर जाना पड़े तो अपनी किसी गर्लफ्रेंड को लेके जाना

आदम : बिल्कुल बिल्कुल राजीव दा खैर वैसे माँ को कहाँ ले जाउ एक काम करता हूँ न्यू दीघा ले चलता हूँ वहाँ का बीच भी देख लेंगी और थोड़ा हवा भी बदल जाएगी

राजीव : ह्म पर्फेक्ट आइडिया

आदम : वैसे आप कभी गये हो क्या?

राजीव : तेरी ज्योति भाभी के साथ गया था रे (बोलते बोलते राजीव दा का चेहरा लाल हो गया शरम से) बहुत मज़े किए थे हम दोनो ने अच्छा कभी जाएगा ना तो वहाँ पे काफ़ी नज़दीकी होटेल्स मिल जाएगा तुझे काफ़ी सस्ते भी पड़ते है तू जाना कभी क्सिी के साथ

आदम : बिल्कुल राजीव दा पक्का जाउन्गा (मैने और राजीव दा ने हाथ मिलाते हुए मुस्कुराया)
 
मैं वैसे माँ से ही पहले सुनता था कि ऐसा कोई पूरी के पास मंदिर पड़ता है जो कि सूर्य मंदिर कोनर्क कहलाता है ये उड़ीसा में स्थित है और ज़्यादातर यहाँ प्राचीन मूर्तिया जिन्हें प्राचीन काल में किसी राजा ने बनाया था उसे देखने जाते है ज़्यादातर शादी शुदा लोग ही वहाँ जाते है क्यूंकी वो मूर्तिया ऐसी अवस्था में होती है कि आपस में उनके सेक्स पोस्चर्स और प्रेम आलिंगन को प्रकट करती है वो मूर्तिया इतनी नगन और अडल्टरी होती है कि वहाँ पे सिर्फ़ मिचयोर्ड लोग ही जाते है...उड़ीसा के सन टेंपल कोनर्क को जाने के लिए मैं इक्चुक हो गया...

जानता भी था कि इस बीच माँ और मैं कही घूमने भी नही गये थे और उपर से इतना कुछ हादसा हो गया था....इसलिए माँ का मूड बेहद खराब था पर माँ को राज़ी करना ज़रूरी था...इधर राजीव दा को ये नही मालूम कि उन्होने मुझे माँ को ऐसी जगह ले जाने का आइडिया दे दिया था कि ऐसी जगहो में माँ के साथ और अपना वक़्त मौज मस्ती से काट सकता था....राजीव दा और भाभी से मिलके मैं घर लौटा...

माँ उस टाइम नाहके निकली ही थी मेरी उपस्थिति पाके माँ मुस्कुराइ मैने कहा कि आज इतना लेट तो माँ ने कहा कि वो घर के कुछ सामानो को सॉफ करने में जुटी हुई थी...वो मेरे सामने ही अलमारी खोल अपने तौलिए की गाँठ खोलते हुए उसे एक झटके में अपने बदन को पोंछते हुए उपर लगी रस्सियो पे टाँग देती है....माँ एकदम नंगी थी और मेरी नज़र उसकी नंगी पीठ से होते हुए उसके गोल गोल नितंबो में थी और साइड से दिखती उसकी चुचियाँ जिन्हें बस मैं एकटक देखें जा रहा था....इस बीच माँ मेरी ओर पलटते हुए अपनी ब्रा पहनने लगी....मैं इस बीच माँ से उड़ीसा में छुट्टी बिताने की बात कहने लगा..तो माँ आश्चर्य भाव से मेरी ओर पीठ करते हुए अपने ब्रा का हुक लगाने लगी

अंजुम : क्या कह रहा है तू? अभी और मुझे लेके घूमने

आदम : अर्रे मेरी जान यही तो ज़िंदगी है नौकरी हो गयी घर भी हो गया अब कुछ दिन तो घूमने चलना बनता है ना (मैं माँ के पास आया और खुद ही उसकी ब्रा का हुक लगाने लगा)

अंजुम : नही नही आदम अभी तो हम शिफ्ट भी नही हुए और इतना खर्चा नही नही

आदम : अर्रे माँ क्या बुराई है जाने में? अब हमारे बीच और रह ही क्या गया है? क्या तू नही चाहती कि कही घूमने चलें

अंजुम : अर्रे बाबा वो सब तो ठीक है पर इतनी जल्दी (माँ मेरे सामने ही झुकते हुए अपनी पैंटी अपनी टाँगों में फन्साते हुए उसे उपर उठाते हुए अपनी चिकनी चूत और गान्ड की दरार पे चढ़ा लेती है)

आदम : देख माँ कोई जल्दबाज़ी नही हो रही....कुछ दिन अगर यहाँ से निकलेंगे तो हर्ज़ क्या है? तू लोन की पेमेंट की फिकर ना कर मेरे पास है मैं चुका लूँगा कोई ज़्यादा मेहनत नही करनी होगी मुझे वैसे भी पहले से मैने ऑलरेडी काफ़ी पैसा फिक्स भी कर दिया है कम्यूनिटी में भी डाल दिया

अंजुम : देख मैं सिर्फ़ इतना चाहती हूँ कि तू ज़्यादा खर्चा ना करे और तू मुझे पूरी के पास उड़ीसा की मंदिर ले जाना चाहता है तुझे पता भी है वहाँ ज़्यादातर कौन जाते है? मैने सिर्फ़ सुना है देखा नही मेरी एक सहेली की जब नयी नयी शादी हुई तो वो गयी थी बोली थी काफ़ी सेक्सी जगह है और तू मुझे अपनी माँ को वहाँ ले जाना चाहता है छी

आदम : अर्रे किसको पता चलेगा कि तुम मेरी कौन हो? मैं तो चाहता ही हूँ कि आप मेरी धरमपत्नी ही बनके जाओ

अंजुम ने हल्की सी चपत बेटे को लगाते हुए पास रखी सलवार और जंपर को मुस्कुराते पहनना शुरू कर दिया..."ठीक है लेकिन मुझे थोड़ा सोचने दे और सुन ज़िद्द मत करना ठीक है"..........माँ के फ़ैसले से मैं थोड़ा उदास हो गया क्यूंकी मेरा जाने का बहुत मन था वहाँ...

आदम : देख अंजुम (इस बार मैने उसके दोनो कंधे पे हाथ रखते हुए उसे अपनी तरफ मोड़ ते हुए कहा)

आदम : एक बार प्लीज़ मेरे खातिर चल तो सही तू अगर चाहे तो मैं उसके बाद और भी जगह तुझे लेके जाउन्गा प्रॉमिस

अंजुम : अच्छा बाबा अच्छा पर कम से कम मुझे सोचने का थोड़ा अवसर तो दे अभी तू यहाँ मुझे लाया एक साल भी नही हुआ अभी तूने मेरे लिए फ्लॅट भी ले लिया और अब घूमने की बात कर रहा है छि .. मुझे तो शरम आ रही है तू जहाँ जाने का ज़िक्र भी कर रहा है
 
आदम : ठीक है दिया तू हर वक़्त ऐसी ही शरमाती रहना जा मैं तुझसे बात नही करता जा

आदम बिना कुछ कहे बाहर निकल गया.."अर्रे सुन तो अर्रे बेटा सुन तो सही उफ्फ काफ़ी ज़िद्दी है ये लड़का भी ना ...माँ मन ही मन जैसे हंस पड़ी उसकी हरकते देखकर

सच ही तो था कि पति ने कभी उसे टाइम नही दिया ना उसे कही लेके गया एक अच्छा कपड़ा भी उसे नही दिलाया एक मार्केट घूमने भी जाने को कहती तो झल्ला जाता उस पर उस जैसा बद्शौकीन तो उसका बेटा नही था वो बेचारा तो ज़िंदगी की उसे सारी खुशिया दे रहा था...और बेटा उदास हो गया था जो अंजुम बर्दाश्त नही कर सकती थी फिर उसे याद आई सहेली बात फिर उसे अहसास हुआ कि उसका बेटा उसके साथ किस कदर और करीब आना चाह रहा था उसकी हसरत दिन पे दिन उसके प्रति कितनी बढ़ती जा रही थी ये सोचते ही माँ का चेहरा शरम से लाल हो गया और एका एक उसके चेहरे पे मुस्कुराहट आ गयी....उसने सोचा थोड़ी देर बेटे को तरसाए थोड़ा तडपाए फिर उसे कहेगी अपना फ़ैसला क्यूंकी वो अपने बेटे के साथ वहाँ अगर जाएगी भी तो लोग क्या सोचेंगे? या तो उसे अपना परिचय बीवी का देना होगा क्यूंकी कोई फॅमिली वाकेशन वाली साइड तो थी नही जहाँ ले जाना चाह रहा था जहाँ सिर्फ़ अडल्ट्स और कपल को जाने की अनुमति थी...अंजुम टहलते हुए काफ़ी देर सोचती रही....फिर रात का खाना बनाने किचन में चली आई..

आदम ब्रिड्ज के पास खड़ा नदी की लहरो को देख रहा था इतने में उसका फोन बज उठा....तो उसने पाया नंबर माँ का था....उसने जैसे ही फोन कान में लगाया और हेलो कहा तो उधर माँ ने शरम और नज़ाकत से मुस्कुराते हुए कहा कि वो जाने को राज़ी है......आदम जैसे झूम उठा...वो कितनी बार चिल्लाते हुए माँ को लव यू लव यू कह रहा था आस पास के लोग सुनके हंस रहे थे...जब उसे अहसास हुआ तो झिझकते हुए शरमाते हुए नज़रें चुराए जल्दी से बाइक पे बैठा और घर लौटा...वो घर आके माँ से गले लग गया..

अंजुम : अर्रे खाना तो कम से कम बनाने दे बेटा

आदम : नही माँ आज मैं तुझसे जी भरके प्यार करूँगा

अंजुम : वो तो तू रोज़ ही करता है रात को

आदम : फिर भी माँ आज मैं बहुत खुश हूँ

अंजुम को अपनी तरफ मोडते हुए आदम ने उसके गाल को चूमा तो माँ ने उसे शांत होने को कहा..."शांत शांत पर मेरी कुछ बात मानी होगी".........

"हां बोल तो सही"......

."पहली बात अपने राजीव को ये बात ना कहना और ना उनकी बीवी से उन्हें पता नही चलना चाहिए कि तू मुझे अपनी माँ को लेके जा रहा है"........

"ठीक है मंज़ूर".........

"दूसरा यह कि वहाँ तू मुझे क्या पहचान देगा लोगो को अगर किसी ने पूछा मान ले"......

."अर्रे किसी को क्या फरक़ पड़ता है? चल कह दूँगा कि तू मेरी वाइफ है"........

."वाहह लोग तो यही कहेंगे कि माँ की उमर की है और अपने से जवान लड़के के साथ घूम रही है".........

."अबे यार तुम्हारा दिमाग़ भी ना मैं यही कहूँगा कि तू मेरी वाइफ है कोई क्या कहेगा इससे मुझे फरक़ नही पड़ता".......

."पर".......

."तेरी बहुत पर वर सुन ली क्या माँ क्या तू नही चाहती की ऐसा हो .....

."बेटा मैं तुझे बेपनाह चाहती हूँ पर तू बीवी कहेगा थोड़ा अज़ीब लगेगा ......

."ठीक है फिर जाना कॅन्सल"......

."नही नही अच्छा बाबा चल तू जीता मैं हारी".........

आदम ने माँ को अपने गिरफ़्त में खींचते हुए उसकी ज़ुल्फो को प्यार से सहलाया

आदम : माँ सच कहता हूँ तूने मुझे ज़िंदगी की वो खुशियाँ दी है जो आजतक मुझे किसी से नही मिली (आदम ने सोचा अपने पिछले नाजायज़ रिश्तो के बारे में जिससे सिर्फ़ उसे दुख ही मिला था फिर उसने माँ की तरफ अपना पास्ट भूलते हुए देखा और मुस्कुराया) और सच में तेरे साथ एक एक वक़्त गुज़ारना मेरे जीवन का जैसे अरमान बन गया है

अंजुम : हट पागल और कितना अपनी माँ को झाड़ के पैड पे चढ़ाएगा

आदम और माँ दोनो हंसते हुए एकदुसरे के गले लग गये माँ को अपने सीने से कस कर बेटे ने लिपटा लिया...माँ ने भी बेटे की पीठ पे अपने हाथ मज़बूती से पकड़ करते हुए उसे थाम लिया जैसे...दोनो कुछ देर तक वैसे ही लिपटे रहे...

बेसवर आदम से सवर् भी नही हो सका और वो सुबह सुबह ही अगले दिन रेलवे काउंटर की लाइन में लग कर उड़ीसा के लिए दो टिकेट्स ले लेता है....घर आके वो माँ को ये खुशख़बरी बताता है माँ भी सोच रही थी कि जब उसकी नींद टूटी तो बिस्तर पे उसका बेटा उसे क्यूँ नही मिला? वो तो आदम को हँसी खुश देख काफ़ी खुश हो रही थी ऐसा लग रहा था जैसे उसकी खोई हुई मुस्कान उसके चेहरे पे वापिस आ गयी हो....

इस बीच आदम ने नये फ्लॅट में शिफ्टिंग कर ली..क़ुरान खानी भी कराई और फिर दावत पे राजीव दा और उनकी पत्नी को भी आमंत्रित किया आदम ने...पड़ोसी नही बल्कि अपने हो कुछ ऐसा ही माहौल बना था उस वक़्त....भाभी तो माँ से जैसे जुड़ गयी थी और मैं और राजीव दा तो जैसे गप्पे लड़ाने में ही व्यस्त थे...खैर राजीव दा को इतना बताया कि माँ को लेके दीघा जा रहा हूँ घुमाने कुछ दिन के लिए थोड़ा उनका मूड अच्छा हो जाएगा तो उन्हें जानके खुशी हुई..

12 तारीख आते आते हम चलने की तय्यारी कर चुके थे माँ ने सारा समान पॅक कर लिया था जाने के लिए मैने कहा लगेज थोड़ा कम लेके ही चलेंगे माँ ने सहमति में इशारा करते हुए हामी भरी ....12 तारीख के दिन हम उड़ीसा के लिए ट्रेन से रवाना दे चुके थे ट्रेन सूपरफास्ट थी और ट्रेन में माँ के साथ सफ़र बड़ी अच्छी कट रहा था....और करीब डेढ़ दिन बाद ही हम उड़ीसा पहुच गये अपने लंबे सफ़र को काटते हुए....

ट्रेन से उतरते हुए मैं और माँ अपना लगेज लिए स्टेशन से बाहर आए..इस बीच राजीव दा ने जो होटेल का ज़िक्र किया था वहाँ मैने ऑनलाइन ही बुकिंग करवा ली थी ...सो इसलिए मुझे किसी गाइड या ऑटो वाले की मदद लेनी नही पड़ी....हालाँकि काफ़ी लोग हमारा रास्ता चैक रहे थे पर मैने मना कर दिया....उड़ीसा के पूरी स्टेशन से बाहर आते हुए माँ को लेके मैने सीधे एक टॅक्सी को हाइयर किया...

उसने तुरंत बताए हमारे 4 स्टार होटेल की तरफ रवानगी दी....माँ पूरे रास्ते इधर उधर के जगहो और लोगो को देख रही थी जल्द ही पूरी सी बीच के सामने से गुज़रते हुए जल्द ही होटेल के सामने आके रुकी...."चल माँ आ गये".....माँ को एकदम से बताते हुए मैने अपना एक हॅंडबॅग साथ में लिया और गाड़ी से बाहर निकलते हुए झटपट माँ की तरफ का दरवाजा खोला जिससे माँ गाड़ी से बाहर आई वो होटेल उसे काफ़ी महँगा लग रहा था....वो बस एकदम हैरत से देख रही थी...

अंजुम : वाह बेटा ये तो महँगा होटेल लगता है वो भी समुन्द्र के पास है

आदम : अर्रे मेरी जान तू फिर पैसो की बात लेके बैठ गयी आस पास का नज़ारा देख कितना दिलकश है सामने मेन रोड और पीछे बीच है ना लाजवाब

अंजुम : बेटा तुझे इतना खर्चा करने की क्या ज़रूरत थी?

आदम : अब यहीं सारी कसर निकाल लो क्या ज़रूरत और क्या नही थी? प्ल्स डॉन'ट से नो...फिलहाल हम यहाँ छुट्टी बिताने आए है मूड फ्रेश करने आए है और वहीं हम करेंगे (माँ के कंधे पे हाथ रखते हुए माँ मुस्कुरा कर मेरे कंधे पे सर मारे हल्के से हंस पड़ी)
 
हम दोनो होटेल में दाखिल हुए तो रिसेप्षनिस्ट के साथ मॅनेजर को मौज़ूद पाया..मैने अपना परिचय दिया और अपनी बुकिंग डीटेल्स दी माँ इसलिए शरमा गयी क्यूंकी मैने कुछ ऐसा वहाँ मेन्षन किया था "उम्म्म आइ हॅव बिन बुक्ड फॉर आ सिंगल रूम इन दा नेम ऑफ मिस्टर आंड मिसेज़ शैख़ .

"ओह या सर ये लीजिए आपकी चाबी".........

"थॅंक यू"....मैने चाबी ली तो एक लड़का आके मॅनेजर के ऑर्डर अनुसार मेरा सामान कमरे तक ले जाने लगा....

माँ इस बीच चुपचाप थी....हम लड़के के पीछे पीछे जाने लगे...."सर आप लोगो का रूम नंबर 205 है जो कि चौथे मामले पे है इसलिए प्लीज़ मॅम दिस साइड".......माँ की तरफ देखते हुए उसने बड़े लहज़े में इशारा करते हुए कहा....क्यूंकी माँ आगे बढ़ रही थी उल्टे साइड जा रही थी....हम लिफ्ट में दाखिल हुए....फिर मैं उस लड़के से होटेल के बारे में पूछताछ करने लगा...

रूम बॉय ने खुद ही मुझसे चाबी ली और दरवाजा खोलते हुए हमारा वेलकम किया...हम अंदर आए और रूम देखने लगे जहाँ किंग साइज़ डबल बेड थी वेल-फर्निश्ड पूरा रूम था सामने एक बड़ी सी बाल्कनी थी जिसका शीशे का स्लाइडिंग डोर था...रूम बॉय ने जाके स्लाइडिंग डोर को खोला और समुन्द्र की तेज़ हवा कमरे के अंदर आने लगी....मैं अपना सामान पलंग के पास रखे बाहर बाल्कनी का जायेज़ा लेने लगा..."अंजुम इधर आओ देखो कितना शानदार व्यू दिखता है यहाँ से".......माँ मेरे ऐसे कहने से शरमा गयी...उसने मेरी तरफ देखा थोड़ा गुस्से में कि ये क्या हरकत थी? पर मैने तो ऑलरेडी उसे अपनी वाइफ बताके ही रूम लिया था इसलिए वो चुपचाप मेरे पास आई...वो भी चारो तरफ की तेज़ हवा को महसूस करते हुए सामने के बीच को देखने लगी....बीच की लहरो का शोर सुनाई दे रहा था...

रूम बॉय : सर जो भी कपल्स यहाँ आए है वो यह रूम अक्सर लेते है पूछके... मोस्ट्ली ऐसी बाल्कनी रूम्स की डिमॅंड करते है ताकि बीच का व्यू सॉफ दिखे

आदम : ह्म वाक़ई भला ऐसे खूबसूरत नज़ारे को देखने के लिए ही तो लोग यहाँ आते होंगे इस होटेल में

रूम बॉय : यू'रे राइट सर वेल,आप और मॅम को अगर कोई भी चीज़ की ज़रूरत परे तो इंटरकम कर दीजिएगा चलता हूँ

मैने जाते जाते रूम बॉय को कुछ टिप दे दी जिससे वो खुश हो गया...वो वहाँ से चला गया...मैने देखा कि माँ कमरा देखते हुए टाय्लेट चली गयी फिर मुझे आवाज़ दी...मैं वहाँ आया तो उनका मुँह बना हुआ था..."बेटा ये इंग्लीश टाय्लेट है"........

"अर्रे माँ यहाँ संडास करने के लिए कौन सा देसी टाय्लेट लगा हो अच्छे लोग आते है अर्रे यार थोड़ा अड्जस्ट कर लो ना काम तो एक ही तो करना है ........माँ मेरी शरारत भरे लहज़े को सुन लजा गई

"अच्छा तू जा मैं थोड़ा फ्रेश हो लूँ".....मैं माँ का वाक़्य समझा तो उसे कहा कि दरवाजा लॉक ना करे....तो माँ ने मुझे पीठ पे एक कस कर थप्पड़ मारते हुए मुस्कुराहट दी

मैं हंसते हुए कमरे में आया....प्सससस माँ शायद मूत रही थी इसलिए उसकी आवाज़ सुनके मेरे रोम रोम जैसे काँप उठे....मैं क्या इस कंफर्टबल रूम का आनंद लेता मेरे दिमाग़ में तो बस माँ ही घूम रही थी...मैं आहिस्ते आहिस्ते दबे पाँव टाय्लेट के रूम में गया और झट से दरवाजा खोला इससे माँ हड़बड़ाई जो टाय्लेट सीट पे बैठी हुई थी और उसके सूट का पाजामा उसके घुटनो के नीचे पाँव के बीच फसा हुआ था....मैने सॉफ देखा कि उसकी चिकनी चूत से पेशाब की मोटी धार बह रही थी...माँ मुझे देखके लजा गई और लगभग चिल्लाई

अंजुम : अर्रे पागल ये क्या हरकत है? शरम नही आती माँ को पेशाब करते हुए देख रहा है

आदम : हाहाहा करती रहो माँ रोको मत (माँ ने शायद हड़बड़ी में अपने गुप्त द्वार को रोक लिया था इसलिए पेशाब की धार निकलनी बंद हो गई थी)

अंजुम : पर ऐसे हो नही पाएगा

आदम : अर्रे कर तो ना थोड़ा ज़ोर लगा चल मैं ही तेरे सामने मुतता हूँ

इतना कहते हुए मैं माँ के सामने ही अपने कपड़े उतारते हुए सिर्फ़ एक जॉकी कच्छा में आ गया...उसे भी खिसकाते हुए मैने पाँव से आज़ाद कर दिया....फिर माँ के सामने ही अपना झूलता मोटा सा लंड हाथ से हिलाते हुए उसे दिखाने लगा....माँ यह दृश्य देखके अपना थूक घोंट रही थी बड़ी बड़ी आँखो से मेरे लंड को घूर्र रही थी....ज्यो ही उसने धीरे धीरे शांत होना शुरू किया उसकी पावरोटी जैसी गुलाबी चूत की छेद से पेशाब की मोटी धार छूटने लगी.....गॅड गॅड करते हुए टाय्लेट सीट में माँ की पेशाब के गिरने की आवाज़ सॉफ सुनाई दे रही थी ऐसा लग रहा था जैसे की बाल्टी में खुले नल का पानी गिर रहा हो
!
 
मैं ये दृश्य देखके संडास की मुद्रा में बैठते हुए पास ही की नाली के पास मूतने लगा...माँ और मैं साथ मुते जा रहे थे....जब माँ की आख़िरी बूँद पेशाब की निकलते हुए थम गयी...तो वो उठके हिचखिचाने लगी कि किससे धोए तो मैने पास आते हुए उठके...पास टंगा हॅंड टॅप हाथ में उठाया और उसे जैसे ही प्रेस किया उसमें से पानी की धार छूटने लगी उसे मैने माँ की टाँगों के बीच पेशाब की बूँदो से लगी गीली चूत पे बरसाने लगा चूत पूरी सॉफ हो गयी थी पानी की धार से...जिससे माँ ने खुद ही अपने हाथ ले जाते हुए मेरे सामने चूत को मलते हुए सॉफ किया...फिर मैने नल को दीवार पे लगे काग्गर में बने होल्डर में टाँग दिया...."चल जा वॉशबेसिन में हाथ धो ले"...मैने माँ से कहा...तो वो अपनी गान्ड मटकाते हुए मेरे सामने ही अपना पिछवाड़ा किए वॉशबेसिन के नल को खोले पास रखके हॅंडवॉश से अपने हाथ को सॉफ करने लगी फिर उसने पास रखे हॅंड टवल से पोंछ लिया..

मैं इस बीच शरारत से माँ के नितंबो के बीच की फांको में अपना मुँह घुसा देता हूँ जिससे मुझे उसकी नितंबो के बीच के पसीने और गान्ड के छेद की मिली जुली महेक अपने नाक में लगती है....उफ्फ उस अहसास से ही मेरा दम घूँट गया और मैं माँ की गान्ड के छेद में अपनी नाक लगाए सूंघने लगा...फिर हल्के से नाक से ही छेद को कुरेदते हुए लंबा साँस भरने लगा...माँ मेरी इस हरकत से हड़बड़ा उठी लेकिन मैं माँ को उल्टा खड़ा किए उसके नितंबो के बीच अपना चेहरा रगड़ते ही रहा..जिससे माँ को मज़ा मिल रहा था...वो अब लगभग मेरे चेहरे पे ही अपने दोनो नितंबो को रगड़ रही थी...और उस वक़्त मेरा चहेरा उसकी गान्ड की दरार के बीचो बीच था इससे उसके नितंबो के भीतर मुँह घुसाने और उसके अपनी गान्ड को दाए बाए हिलाने से उसके दोनो नितंबो के बीच मेरा चेहरा रगड़ खा रहा था और मेरा दम घूँट रहा था..फिर मैने ही उसके नितंबो को दोनो हाथो से मज़बूती से पकड़ा और अपना चेहरा उसके गान्ड की फांको से बाहर निकाला...माँ मुझे हांफता हुआ देख हंस पड़ी...

मैने हल्के से उसकी नितंब पे एक थप्पड़ मारा जिससे नितंब हिल गये...फिर दोनो को दबोचते हुए मैं छेद पे अपनी ज़ुबान लगाके कुरेदने लगा तो माँ का छेद मुझे बंद होता और सिकुड़ता दिखा..मैं उस पर तब भी जीब चलाता ही रहा इससे माँ अपनी गान्ड को ढीला छोड़ने लगी...और कुछ ही देर में मैने दोनो नितंबो को हाथो से मसल दिया..जिससे माँ चिहुक उठी उसने थोड़ा ज़ोर लगाया और पाद मारी..प्र्रर्र्ररर की आवाज़ के साथ एक महेक मेरे नथुनो में जैसे समा गयी क्यूंकी मेरा चेहरा उसके नितंबो के ठीक करीब ही था...

हम फिर अलग अलग हुए ये मेरे लिए एक नया अहसास था..."अब बस भी कर और क्या क्या हरकत करवाना बाकी है?

....मैं हंस पड़ा माँ की बात को सुन उसने मेरे गाल खीचे फिर खुद ही मेरे चेहरे को हाथो से धोने लगी...फिर हम अंदर आए...इंटरकम पे बोलते ही रूम बॉय कुछ ही देर में आ गया...और उसने दरवाजा खटखटाया हम माँ-बेटे नॉर्मल हो गये उसके सामने फिर उसके जाते ही हमने लंच किया....उसका आनंद लेते हुए हम बातचीत कर रहे थे....

अंजुम : बेटा मैं अक्सर सुनती हूँ कि ऐसे होटेल्स में कॅमरा वग़ैरा भी लगे होते है आए दिन ऐसे किस्से भरे देखने को मिलते है कि म्मस बन जाता है फिर उन्हें ब्लॅकमेलिंग वग़ैरा

आदम : हाहाहा अर्रे माँ ये सूयीट है काफ़ी नामी और साथ ही साथ प्रसिद्ध भी भला ऐसे वाहियात काम करके होटेल बंद होगा क्या? तू फिकर ना कर राजीव दा तो मुझसे भी रोमॅंटिक है भला वो अपनी बीवी को कहाँ कहाँ नही चोदे होंगे? वो यहाँ आए थे उन्होने ही मुझे बताया था इस जगह के बारे में थोड़ा सस्ता भी पड़ता है बजेट में पड़ा मेरे इसलिए आ गया और वैसे भी दो-तीन दिन ही तो ठहरेंगे फिर सुर्य मंदिर कोनर्क को देखके वापिस घर

अंजुम : अच्छा बाबा बस मैं ऐसे ही सोच रही थी

आदम : मानता हूँ सतर्कता अच्छी बात है पर ठोक बजा कर ही किसी चीज़ को इख्तियार करना चाहिए वहीं मैने की काफ़ी सर्चिंग की है भाई और उपर से राजीव दा वो भला ग़लत जगह का पता थोड़ी ना देंगे वो यहाँ आ चुके है पोलीस वाले है वो

अंजुम : ह्म चल ठीक है फिर आज कहीं घूमने चले क्या?

आदम : मेरे हिसाब से तो आज सामने की बीच पे चलते है आस पास का दौरा भी करेंगे की कैसी जगह है?

अंजुम : अच्छा चल लेकिन एक बात तो बता तू ज़्यादा ज़्यादा आगे नही बोल रहा है तूने मेरा नाम लिया है रूम बॉय के सामने

आदम : अर्रे मेरी माँ थोड़ा समझने दे उन्हें उन्हें भी तो लगे कि हम मॅरीड कपल है तभी तो यहाँ होटेल रूम बुक हुआ वरना सिंगल बेड और अलग अलग रूम्स ही देते और साथ ही में ये बाल्कनी वाला रूम शायद हमे नही नसीब होता

अंजुम : तू भी ना बहुत बड़ा हो गया है कैसे टाँग खीचता है मेरी?

आदम : अच्छा छोड़ तू फटाफट नहा धो ले फिर मैं भी तय्यार हो जाता हूँ फिर चलते है

अंजुम ने हामी भरी...और फिर अपनी पहनने के लिए बेटे कहे अनुसार एक नीली साड़ी और काला ब्लाउस फिते वाला बेड पे ही छोड़के बाथरूम में घुस गयी...शवर की आवाज़ सुनके आदम ने सोचा कि माँ को निकलने में अभी वक़्त लगेगा तो थोड़ा बाहर हो ले....आदम अपनी कसी जीन्स और शर्ट वैसे ही पहने हुए था वो नीचे उतरा...फिर मॅनेजर से मिला वो उससे पूछताछ करने लगा कि सब ठीक तो है कोई दिक्कत की तो बात नही....आदम ने निश्चिंत होते हुए ना में सर हिलाके मुस्कुरा के शुक्रिया अदा किया...फिर दोनो कुछ देर बातें करने लगे...बातों ही बातों में मालूम चला कि वो आने वाले कपल्स को उड़ीसा घूमने के लिए गाइड भी देता है....तो आदम ने ज़िक्र किया कि वो और उसकी वाइफ सन टेंपल घूमने आए थे....

मॅनेजर : अर्रे इसमें पूछने की क्या बात सर? यहाँ अक्सर फॉरिन टूरिस्ट्स भी वहीं जाते है वेल इस होटेल में अक्सर कपल्स आते है जो हाइली यही डिमॅंड करते है एक यही तो पुरी का सबसे मशहूर हिस्टॉरिकल जगह है जहाँ लोग जाने के लिए उड़ीसा अक्सर यहाँ आते है...

आदम : ह्म

मॅनेजर : मेरा गाइड आपको ले जाएगा फिलहाल तो आज आप लोग रेस्ट कर लीजिए क्यूंकी शाम होने को है फिर कल आप सुबह सुबह चले जाइएएगा

आदम : ह्म ठीक है फिर कल का फिक्स कर दीजिए (आदम ने गाइड की चार्जस पक्की करते हुए मॅनेजर से सुनिश्चित करते हुए वापिस रूम में आया)

अंदर पलंग पे बैठा ही था कि माँ अपने बाल सुखाते हुए तौलिया लपेटे ही नंगी गीले बदन बाहर निकल आई थी...."वाहह क्या आइटम है बॉस? .....आदम हंस पड़ा...तो माँ शरम से लजा गई...

"चल बेशरम मुझे साड़ी पहनने दे"......

"अच्छा पहन लो बाबा मैने कब रोका है"........

"जा तू भी नहा धो ले जब से आया है सिर्फ़ पेशाब किया है तूने जा".....

मैं मुस्कुराते हुए मैं नहाने चला गया...
 
जब बाहर आया तो माँ साड़ी पहन चुकी थी वो काफ़ी हॉट लग रही थी...मैने उसके फितेदार ब्लाउस पे हाथ फेरते हुए उसकी पीठ से होते हुए उसकी कमर पे हाथ लपेटते हुए उसे अपनी तरफ कस कर खीचा..

"अर्रे क्या कर रहा है हट"......माँ मेरे चेहरे को अपने चेहरे से दूर करते हुए शरमाई उसने नज़रें झुका ली मुस्कुराते हुए

आदम : दिल कर रहा है कि यहीं तुझसे शादी कर लूँ

अंजुम : हट पागल कुछ भी चल छोड़ मुझे चलना नही है

आदम : मन नही मान रहा

अंजुम : वो वक़्त सब मिलेंगे फिलहाल हम यहाँ छुट्टिया मनाने आए है बिस्तर गरम करने नही

आदम : हाहाहा अच्छा चल (मैं माँ को वैसे ही अपने से लिपटाये तय्यार हुया बाहर निकला हमने गेट लॉक किया और होटेल से बाहर आए)

मैने सॉफ देखा था कि मॅनेजर मेरी माँ और मेरी जोड़ी देखते हुए मुस्कुरा रहा था...हो सकता है मेरी बला की खूबसूरत माँ पे उसका दिल आ गया होगा...वैसे हमारी तरह यहाँ काफ़ी कपल्स थे इसलिए मुझे इतना सोचने की ज़रूरत नही थी....

हम बीच पे आए वाअहह पुरी का बीच कितना शानदार था? और ढलता सूरज सॉफ दिख रहा था....क्या नज़ारा था दिल देखके ही खुश हो गया लहरों का शोर्र और ल़हेरो का पानी हमारे टाँगों को गीला करते हुए वापिस समुन्द्र में वापिस चले जा रहा था....आस पास बुड्ढे बच्चे सब खेल रहे थे कयि कपल्स एकदुसरे के साथ पानी में खेल रहे थे तो कोई कॅमरा मेन से अपनी तस्वीर खिचवा रहा था....हम थोड़ा एकात में गये और वहीं रेत और किनारो के बीच चलते हुए एकदुसरे का हाथ थामें मज़ा ले रहे थे...

अंजुम : उफ्फ कितना शांत और ठंडा सा महसूस हो रहा है अफ मान शांत हो गया वाक़ई समुन्द्रि इलाक़ा मुझे बड़ा पसंद है

आदम : ह्म

माँ मुझे एकटक बड़ी नज़ाकत से घूर्र रही थी...मेरा हाथ प्कड़े वो मुझसे बार बार लिपट रही थी....मैने भी मुस्कुरा कर उसकी तरफ देखा

आदम : क्यूँ रे आज मुझे बड़ा गौर से देख रही है मेरी जान?

माँ : देख रही हूँ ज़िंदगी कितनी बदल दी तूने एक टाइम था कंप्यूटर में हमेशा बैठे रहने वाला नादान सा लौंडा आज अपनी माँ को घुमा फिरा रहा है संभाल रहा है उसे ज़िंदगी की सारी ऐशो आराम दे रहा है और अब एक आशियाना भी दे चुका जिसके लिए मैं बरसो से तर्सि थी

आदम : अर्रे माँ क्यूँ ऐसा सोचती है? तुझे तो खुश होना चाहिए कि देख तेरे बेटे ने तेरी खातिर क्या कुछ नही कर दिखाया? वहीं बाप बोलता था ना कि मैं किसी लायक नही देख लिया उसने

माँ : मैं तो उस वक़्त ऐसा नही सोचती थी बस विश्वास था तुझपे कि तू किसी काबिल एक दिन ज़रूर बनेगा पर थोड़ा पढ़ लेता आगे तो और भी अच्छा होता

आदम : माँ मौका ही कहाँ मिला? तू तो जानती है कितने कम मार्क्स आए थे मेरे फिर कैसे आगे की पढ़ाई के लिए अड्मिशन लेता गान्ड घिस्सता रहा लेकिन सरकारी जॉब मिलने से रही खैर जो है अब इसी में मुझे अपना कल सावरना है और खुदा के करम से आज मेरे पास सबकुछ है और सबसे बड़ी दौलत तू है माँ तू है जो मेरे पास है मेरे साथ है

माँ : तुझे भला मुझमें ऐसा क्या दिखा? जो तू मेरा इतना दीवाना हो गया (माँ ने इस बार बड़े गौर से मेरी तरफ देखते हुए अपनी दोनो बाँह मेरे कंधे पे रखी और लगभग चेहरा मेरे नज़दीक किया)

आदम : माँ किसी दीवाने से पूछ कि मुहब्बत क्या होती है? बस वहीं अट्रॅक्षन वहीं कशिश वहीं एक तरफ़ा नशा ही है मुझे तेरा जो पहले नही था शायद उस वक़्त वो आदम अलग था जिसे दौलत शौहरत और वासना ही भाती थी पर अब वो नही रहा मैं माँ मैं अब सिर्फ़ तेरा हो चुका हूँ तुनने मुझे बदल दिया है माँ तूने मुझे बदल दिया

माँ मेरी बातों से थोड़ी इमोशनल हो गयी उसकी आँखो से जैसे आँसू उमड़ने लगे तो उसने अपनी उंगलियो से आँखो के आँसुओ को पोंछते हुए मेरी तरफ मुस्कुराया और मेरे गाल और होंठ पे कस कर पप्पी किया....मैं मुस्कुरा कर माँ को अपने सीने से लगाए ढलती सूरज की ओर इशारा करते हुए दिखाने लगा....हम दोनो ढलते सूरज और ल़हेरो के पानी को अपने घुटनो तक महसूस करते हुए देख रहे थे एकदुसरे से लिपटे एकदुसरे की बाहों में...

"सिररर सिर्र"....इतने में मैं और माँ हड़बड़ाये....कोई आदमी था हल्की दाढ़ी रखी हुई थी उसने और एक शर्ट और जीन्स पहन रखी थी उसने हमे कपल समझा था..मैने माँ से कहा चल दो-तीन तस्वीरे खिचवा लेते है...तो माँ मान गयी पर उसे देखके ना जाने क्यूँ शरमाने लगी? इसलिए दूर दूर खड़ी होने लगी मुझसे..

आदम : अर्रे शरमाओ मत अंजुम थोड़ा पास आओ तो हाहाहा (मेरे इतना कहते हुए माँ मुझसे एकदम चिपक्के हंस पड़ी)

कॅमरामॅन ने मुस्कुराते हुए कुछ तस्वीरें हमारी ली अलग अलग अंदाज़ो में और ज़्यादातर तस्वीरे माँ और मेरी काफ़ी चिपकी और लिपटी हुई सी मुद्रा में थी जहाँ कही उसके गले में हाथ डाले उसे अपने सीने से लगाए कही उसने मुझे कंधे से पकड़ रखा था तो कही मैने पीछे से उससे लिपटा हुआ था...

कॅमरा मॅन : सर हो गया मैं तस्वीरे क्लीन करते हुए लाता हूँ (इतना कह कर वो चला गया)

जब वो वापिस आया तो उसके हाथ में तस्वीरे थी हम उसकी खीची तस्वीरो की तारीफ करने लगे....बंदे ने अपना नाम इमदाद बताया कहा कि वो ओड़िया वासी है और यही पुरी टाउन में ही रहता है...जब उसने मेरा परिचय लिया तो मैने माँ को अपनी बीवी बताया हमने बताया कि हम पास ही के होटेल में रुके है तो उसने इशारो इशारो में हमारे होटेल का नाम बताया क्यूंकी वो बीच के सबसे करीबी होटेलो में से था इस वजह से..और नामी भी क्यूंकी उसमें ज़्यादातर कपल्स ही आते थे...मैने और माँ ने हां में सर हिलाया

उसने मॅनेजर का नाम बताया फिर कहा कि वो यहाँ बहुत साल से है वीक्ली ये काम करता है वरना तो यहाँ आने वाले फॉरिनर्स को और फॅमिली और कपल्स को टूर भी करवाता है पूरे दिन का और वो हमारे होटेल के मॅनेजर के अंडर में ही ऐज आ टूर गाइड का काम करता है....हमने कहा तो ठीक है फिर कल होटेल पहुचो वहीं मॅनेजर से बात हो रखी है हमारी तुम ही हमे ले चलना तो उसने सहमति में सर हिलाया....वो काफ़ी मिसुक था इसलिए मुझे उस पर भरोसा हुआ वरना अभीतक तो मैं सबको गैरो की तरह ही ट्रीट कर रहा था...

आदम : उफ़फ्फ़ माँ तुम्हारा पल्लू थोड़ा नीचे से गीला हो गया

अंजुम : हां रे लगता है समुन्द्र के खारे पानी से गीला हो गया घुटनो तक जो हम आ गये यहाँ

आदम : हाहाहा कोई बात नही मेरे भी पाँव में रेत काट रही है चल

अंजुम और मैं एकदुसरे का हाथ पकड़े वापिस होटेल पहुचे मैं नंगे पाँव था इसलिए मेन रोड पे आते ही जूते पहन लिए फिर होटेल में दाखिल हुए मॅनेजर को उसी टूर गाइड इमदाद के बारे में बताया तो वो बोला हां हमारा सबसे ट्रस्टेड और सबसे पसंद किए जाना वाला गाइड वहीं एक्मात्र है...मैने उसे ही कल हमे पुरी के सूर्य मंदिर ले जाने के लिए फिक्स कर लिया...फिर हम वापिस कमरे में आए..
 
माँ काफ़ी थक चुकी थी बाहर का गोलगप्पा और कुछ सी फुड भी हमने खा लिया था...जिससे माँ को हल्की हल्की गॅस बनने लगी...मुझे डर हुआ कि कहीं तबीयत ना खराब हो जाए उनकी पर उन्होने कहा कि कोई ज़्यादा दिक्कत की बात नही है....उन्होने मुझसे ली आंटॅसिड दवाई खाई और फिर संडास करने चली गयी जब वापिस लौटी तो मुझे रज़ाई ओढ़े पाया मैं टी.वी देख रहा था वो भी मेरे बगल में टी.वी देखने लगी इतने में दरवाजे पे दस्तक हुई तो मैं अपनी लूँगी पहने ही दरवाजा खोला और रूम बॉय से खाने की प्लेट्स ले ली....हम दोनो ने बिस्तर पे ही रात का भोजन किया फिर रूम बॉय को बुलाके झूठे बर्तन भिजवा दिए...उसे इस बीच कमरे में आने तक ना दिया मैने क्यूंकी मैं खुले बदन था और लूँगी पहना था और माँ ने मेरे कहे अनुसार एक सेक्सी सी फिते वाली नाइटी ही पहन रखी थी और अंदर कुछ भी नही पहना था

हम रज़ाई ओढ़े ही फिल्में देखते हुए एकदुसरे से लिपटे नींद की आगोश में डूब गये....जब दूसरे दिन आँख खुली तो माँ को बिस्तर पे ना पाके मैं एकदम से हड़बड़ा कर उठा..तो पाया माँ बरामदे में खड़ी सामने बीच के नज़रें को देख रही थी....मैं उसके पास आया और उसके गर्दन और कंधे को चूमा मेरे हाथ उसकी नाइटी के उपर से ही छातियो के उभारों को मसल रहे थे...वो दबी आवाज़ में बोली "उठ गया बेटा"......मैने सिर्फ़ हां में सर हिलाया...ऐसा लग रहा था जैसे ये छुट्टिया कभी ख़तम ही ना हो और हम यूही खड़े एकदुसरे से ऐसे ही सीसाइड का मज़ा लेते रहे..

माँ ने मुझे धकेला और कहा जाओ फ्रेश हो लो रूम बॉय सुबह सुबह आया था पर जनाब तो घोड़े बेचके सो रहे थे मैने कहा ठीक है तू भी तय्यार हो जा फिर इमदाद आ जाएगा...ठीक वहीं हुआ मॅनेजर ही हमारे दरवाजे पे दस्तक देने आ गया कहा कि काफ़ी देर से इमदाद आप लोगो का वेट कर रहा है वैसे आज किसी और कपल को ले जाना था पर आज वही आपका टूर गाइड बनेगा उसने बताया कि आपने ही उसको पर्सनली फिक्स किया है मैने हां में सर हिलाया...माँ और मैं जब नीचे आए तो पाया कि इमदाद टोपी पहने हुए रिसेप्षन में ही खड़ा हमारा इन्तिजार कर रहा था उसने मुझे और माँ को देखके मुस्कुरा कर हेलो कहा फिर हम वहाँ से होटेल से निकले सामने खड़ी उसकी ब्लॅक कार में पीछे बैठते हुए सवार हुए..

हम दोनो करीब सुबह 10 बजते बजते होटेल से उसकी गाड़ी से रवाना देते है..काफ़ी सुहाना मौसम था आज और ज़्यादा धुंप भी नही थी इसलिए हमे खुशी हो रही थी...इस बीच सूर्य मंदिर कोनर्क की बात चीत शुरू हो गयी और माँ उससे ऐतिहासिक चीज़ो के बारे में सुनने लगी मैं भी बड़े चाव से खासकरके उन प्राचीन मूर्तियो के बारे में सुन रहा था

इमदाद गाड़ी अच्छी ड्राइव कर रहा था...इसलिए मैं और माँ आराम से सीट पे पसरे हुए बाहर के नज़रों को देख रहे थे...जल्द ही रेल की पटरी को क्रॉस करते हुए हमारी गाड़ी भीड़ भाड़ से दूर हाइवे मेन रोड पे गुज़रने लगी आस पास हरियाली छा गयी थी...कुछ ही देर में खेत खलिहान शुरू हो गया और आस पास के ग्रामीण क्षेत्रों से गुज़रते हुए हमारी गाड़ी एकदम सीधी और तेज़ चल रही थी....इस बीच हम दोनो खामोश थे तो इतने में इमदाद ने चुप्पी तोड़ी...

इमदाद : सर सफ़र थोड़ा लंबा होगा क्यूंकी हम शहर से डिस्ट्रिक्ट में आ चुके है..और यहाँ से कोनर्क सन टेंपल 35 किमी की दूरी पे है


आदम : ह्म यानी दूर है

इमदाद : हां सर आप नही जानते होटेल के ज़्यादातर ठहरने वाले कपल्स को रोज़ ले जाना होता है

अंजुम : हाहाहा तब तो तुम रोज़ भी घंटे हो सही है

इमदाद : हां माँ क्या करें? काम ही कुछ ऐसा है अपना भी अच्छा टाइम पास हो जाता है

अंजुम : ह्म अच्छा इमदाद तुम यहीं पूरी के हो

इमदाद : जी नही दरअसल मेडम मैं भुबनेश्वर का हूँ वहाँ से नौकरी छोड़के अभी यहाँ गाइड का काम पकड़ा है क्यूंकी पूरी के इन हिस्टॉरिकल साइट्स में लाने और ले जाने में काफ़ी पैसा मिल जाता है कॅमरा मॅन वाला काम तो पार्ट टाइम है

अंजुम : अच्छा शादी हो गयी तुम्हारी? (मैं माँ और इमदाद की वार्तालाप को चुपचाप सुन रहा था माँ बातुनी किसम की है इसलिए किसी से भी फ्रेंड्ली होते ही बात करने लगती है..इमदाद माँ के शादी लव्ज़ सुनते ही शरमा गया)

इमदाद : जी हां अभी 1 साल ही हुआ है हमारे निक़ाह को

अंजुम : अच्छा क्या नाम है?

इमदाद : जी नफीसा नाम है

आदम : अर्रे वाहह क्या लव मॅरेज हुई थी?

इमदाद : ज..जी नही असल में हमारे खानदान में आपस में रिश्तेदारो में ही रिश्ता कर दिया जाता है...वो मेरी खाला की लड़की हैं

मैं हैरत से मुस्कुराया....वाक़ई क्या ज़िंदगी है? या यूँ कहो इत्तेफ़ाक की बार बार व्यभचार रिश्तो के बारे में मालूमत चल रही है अपनी सग़ी मौसेरी बहन के साथ शादी वाक़ई ये भी तो खूनी ही रिश्ता हुआ ना

इमदाद : हमारे यहाँ जायेज़ है बाकी जो काफ़ी एजुकेटेड होते है या मॉडर्न थिंकिंग रखते है उनके यहाँ आपस में शादी गुनाह माना जाता है लेकिन हममे भी एक कायदा है अगर मेरी माँ ने किसी लड़की को दूध पिलाया हो तो उससे मैं शादी नही कर सकता

अंजुम : हां ये सब काय्दे तो मैं बखूबी जानती हूँ वैसे क्या वो यही रहती है?

इमदाद : नही माँ हफ़्तो में जाता हूँ घर ना तो फिर एक आध दिन ठहरके फिर दुबारा पूरी आ जाता हूँ होटेल के काम के लिए

आदम : ह्म मतलब अपनी वाइफ को टाइम नही देते हो ग़लत बात

माँ ये सुनके मुझे आँख दिखाते हुए...मेरी सीट पे रखके हाथ पे च्युंती काटती है...मैं मुस्कुरा देता हूँ...इस बीच इमदाद भी शरमा जाता है...वो शायद माँ की वजह से झिझक रहा था....पर माँ को मैने इतना खोल दिया था कि वो शरमाई ज़रूर पर खामोश नही रही यक़ीनन इमदाद उनके बेटे जैसा ही तो था.

अंजुम : तो क्या ग़लत है इसमें? अपने घर को चलाने के लिए अभी से इतनी मेहनत कर रहा है अच्छी तो बात है

आदम : ह्म्म्म्म

इमदाद : जी माँ लेकिन सर सच ही कहते है भला वाइफ को भी टाइम देना चाहिए मैं तो उसे कही घुमाने तक नही ले जा पता टाइम ही नही

आदम : अर्रे बाबा तो कभी यहाँ भी थोड़ा घूमने ले आओ

इमदाद : हाहाहा सर वो क्या है ना? कि छोटे ज़िले से है और काफ़ी शरमो हया वाली है इसलिए इनकार कर देती है (एका एक इमदाद शरमा सा गया)
 
आदम : अर्रे कुछ नही माँ बस ऐसे ही वो शरमा रहा था क्यूंकी आगे जाने का आक्सेस अडल्ट्स को है और हम यही तो देखने आए है

माँ : उफ्फ उसे पता तो नही चला हमारे बारे में

आदम ; अबे यार हम यहाँ घूमने आए है और तुमको तो अपना भेद खुलने का ही डर सता रहा है वो कोई हमारा जानने वाला है क्या? हुहह छोड़ो चलो आगे चलो (माँ और मैं एकदुसरे का हाथ थामें आगे बढ़े)

कोई भी हमे नोटीस करता तो यही समझता कि हम प्रेमी जोड़ा है या शादी शुदा कपल है..इस बीच हमने देखा कि गार्ड से अँग्रेज़ लोग कॅमरा अंदर ले जाने की हुज़्ज़त कर रहे थे पर उन्हें इंग्लीश में सॉफ बोर्ड दिखाते हुए कहा कि नो पर्मिशन अलोड कॅन'ट आक्सेस विद कॅमरास.....हम आगे बढ़े माँ उन्ही को देख रही थी...जल्द ही हम आगे बढ़े तो हमे नगन अवस्थाओ में दीवारो पे बनी वो शिलप आकृतियों का दीदार हुआ...वाहह काफ़ी रचनाओं में और काफ़ी चित्रो की दृष्टि में दिखाई दे रही थी लाइन से....वाक़ई कहीं दरबार तो कहीं देवता तो कहीं जानवरों का इन सब को एक सुत्र में जैसे आकृतियों में दिखाया गया था...माँ और मैं इस बीच काफ़ी आनंद ले रहे थे क्यूंकी हर एक मुद्रा में आलिंगन में जकड़े कहीं एक तो कहीं अनेक आकृतियाँ एक दूसरे के साथ जुड़ी हुई थी....उनकी बनावट में महिला और पुरुष सॉफ सॉफ जान पड़ रहे थे माँ ये देखके शरमाने लगी..

माँ : यही सब तू दिखाने मुझे यहाँ लाया था बेशरम (माँ ने मुस्कुराते हुए कहा)

आदम : माँ इसमें बेशर्मी कैसी? ये सब तो प्रेम और काम को जैसे और एक्सप्लाय्ट कर रहे है देखो किन मुद्राओ में ये प्राचीन शिल्प आकृतियाँ है उफ्फ यक़ीनन किसी बड़े महान कलाकार की रचना है यह वाक़ई

माँ : हां रे उफ्फ (माँ की नज़र एक आकृति पे गयी जिसमें काफ़ी कामुकता थी जिसमें एक लिंग को थामें तो एक महिला पुरुष की गोद में हुए उन्हें चुंबन कर रही थी)

ये सब देखते ही देखते मेरे मन में भी कामवासना सी जाग गयी....मैने भी सोचा कि काश मैं माँ को राजा रानी की वेशभूषा और जेवरतो में नंगी देखता और उसके साथ सेक्स करता उफ्फ कामवसना तो अपने आप मुझमें जाग रही थी...हम एकटक खामोशी से आगे बढ़ते हुए एकदुसरे का हाथ पकड़े उन शिल्प आकृतियों को घूर्र रहे थे...

माँ ने एक जगह पे मुँह पे हाथ रखके शरम से मुस्कुराया फिर मुझे ड्काहने को इशारा किया मैं भी हंस पड़ा सच में ऐसा लग रा था की बार बार इन एरॉटिक स्कूल्पुतुरेस को देखता राहु वाक़ई क्या नागन आकृतीया थी वो..हमने इस बीच पाया की आस पास काफ़ी कपल लोग मज़ूद एकदुसरे के साथ छेड़म छेड़ करते हुए उन आकृतीयो का नज़ारा ले रहे थे...हम फिर वापिस लौटे..फिर और कुछ मंदिरो के बारे में जो सुना उसे देखने गये...डेढ़ घंटे बिताने के बाद हम वपयस बाहर लौटे इस बीच धुंप तेज़ हो गयी थी ऐसा लग रहा था जैसे दोपहर अपने पयमाने पे था..

आदम : अफ मज़ा आया ना

माँ : अफ मुझे तो बड़ा अज़ीब लग रहा था सब हमे भी देख रहे थे

आदम : हाहाहा यहाँ किसी को किसी से क्या मतलब शादी शुदा क्या प्रेमी जोड़ा क्या? सब जाते है देखने खासकरके उन आकृतीयो को देखा कितनी हिस्टॉरिकल और प्राचीन साइट है हमारे देश में

माँ : ह्म वाक़ई चल बहुत भूक लगी है अब कुछ खा ले

आदम : हां चल ना

बाहर निकले तो गाड़ी के पास ही इमदाद मिला उसने हमारी मज़ूद्गी का अहसास पाते ही गाड़ी से उठ खड़ा हुआ फिर हम दोनो को देखके मुस्कुराया उसने सॉफ देखा माँ पसीना पोंछ रही थी और उसकी साँसें एकदम तेज़ चल रही थी..मैने उसकी चुप्पी तोड़ने के लिए कहा कि यार भूक लगी है कोई रेस्टोरेंट है आस पास तो उसने कहा हां बस थोड़ा चलना होगा पास ही में है...तो मैने उसे कुछ पैसे की वो भी कुछ खा ले तो उसने कहा कि वो ख़ाके आ चुका है वो यही इन्तिजार करेगा हमारा तब तक हम आ जाए..

हम रेस्टोरेंट गये और वहाँ दोपहर का भोजन किया..भोजन में हमने फास्ट फुड ही लिया था..खा पीके जब वापिस लौटे तो इमदाद ने हमारे लिए गाड़ी के दरवाजे खोल दिए...हम वहाँ से फिर होटेल के लिए रवाना हुए...इमदाद इस बीच एकदम चुप था फिर उसने पूछा की कैसा लगा सर?...मैने कहा बात ही जुदा है बॉस आजतक तो सिर्फ़ मुगलो का ही मीनार देखा था आज इतने ऐतिहासिक चीज़ें भी दिख गयी मैं तो मंदिर के साथ साथ उन शिल्प आकृतीयो की भी प्रशंसा उसके सामने कर बैठा तो वो मुस्कुरा दिया..इस बीच मैने पाया कि माँ मेरे कंधे पे सर रखके सो गयी थी तो मैने फॅट से अपना एक हाथ उसकी साड़ी के अंदर से ले जाते हुए उसके पेटिकोट की डोरी को हल्का सा खीचते हुए अंदर तक सरका दिया....अफ मुझे सॉफ अहसास हुआ कि वहाँ कुछ चिपचिपा सा लगा था क्या माँ अंदर ही अंदर कामवासना से स्खलित हो गयी थी हो भी क्यूँ नही उस पल मैने माँ के नितंबो को भी साड़ी के बाहर से और पेट के भाग पे भी कितना हाथ फेरा था....और उपर से खाना ख़ाके सुस्ताहट और ज़्यादा चल फिरने से थकान हुई थी इसलिए वो गहरी नींद में थी पर उसे अपनी चूत पे मेरे हाथ का स्पर्श तो महसूस हुआ ही होगा

आदम : अफ यार सच कह रहा हूँ तुम अपनी वाइफ को लेके अंदर एक बार जाना

इमदाद : देखूँगा सर हहहा अगर वो मानी तो

आदम : भाई शादी कर लिए हो धीरे धीरे खुल जाएगी फ्रॅंक्ली कह रहा हूँ (तो इमदाद शरमा गया फिर उसने बातों में मुझे उसकी बीवी की तस्वीर दिखाई काफ़ी सेक्सी थी वो देखने में साला मज़े तो बराबर लेता होगा सोचते ही मेरा लॉडा खड़ा हो गया)

आदम : ह्म सुंदर है भाई

इमदाद : थॅंक यू सर

आदम : अभी बच्चे वाच्चे मत लेना थोड़ा एंजाय करो लाइफ को (कहते हुए मैने उसे आँख मारी तो वो झेंप सा गया और फिर हँसने लगा)
!
 
माँ और मैं एकदुसरे को कातिल मुस्कुराहट देते हुए उसे फिर देखने लगे..."अर्रे इमदाद भाई तुम अभी जवान हो और अभी उमर ही क्या हुई है तुम लोगो की? और अभी नयी नयी शादी की है तुमने थोड़ा घूमाओ फिराओ टाइम स्पेंड करो तभी तो तुम्हारे और तुम्हारी वाइफ के बीच में प्यार बढ़ेगा".....ये सुनते ही इमदाद झिझकने लगा पर उसके चेहरे पे मुस्कुराहट ज़रूर दिख गयी ......

हम काफ़ी घंटो बाद सुर्य मंदिर कोनर्क पहुचे...हम वहाँ की चहेल पहेल और मंदिर के एंट्रेन्स गेट को देख रहे थे काफ़ी बड़ा द्वार था वहाँ पे....

"लीजिए सर हम आ गये चलिए उतरिये"...इतना कहते हुए इमदाद बाहर आया मैं तब तक गेट से बाहर निकला और फिर माँ के गाड़ी से निकलते ही दरवाजा लगाया..

."ह्म वाक़ई काफ़ी प्राचीन मंदिर है यार"......

"चलिए सर"....इतना कहते हुए इमदाद आगे और हम उसके पीछे..

इमदाद : ह्म देखिए सर कितना प्राचीन मंदिर है लेकिन वक़्त के साथ साथ ये जगह भी काफ़ी रूयिंड हो चुकी इसका मैं टवर करीब 229 फुट होया करता था और इनकी दीवारो की कमज़ोर मिट्टी हो जाने की वजह से ये 1837 में ढह गयी

आदम : ओह (माँ और मेरी नज़र सामने बड़े से प्राचीन मंदिर की ओर उठी थी)

आस पास के लोग ज़्यादातर फॉरिनर्स और कुछ उडिया वासी लग रहे थे...जो हमारे आज़ु बाज़ू से होते हुए सन टेंपल को हर नज़ारे से देख रहे थे....इस बीच इमदाद हमे हिस्टरी बता रहा था और माँ और मैं उसके पीछे पीछे मंदिर की दीवारो को देख रहे थे छूते हुए...

इमदाद : वो देख रहे है वो है जगह मोहन जो इस मंदिर का सबसे मैं इमारत कहलाती है इस प्राचीन मंदिर की सबसे बड़ी भूंमिका रखती है...ऐसे ही नही इस प्राचीन मंदिर को सेवेन वंडर्स ऑफ दा वर्ल्ड कहा जाता है....ये उनेस्को का हेरिटेज साइट है

सच में काफ़ी प्राचीन इमारत थी इस प्राचीन मंदिर की बनावट और इसके लगभग ज़रज़र होने की गवाह खुद इसके प्राचीन काल में स्थापित होने का सबूत देती है ये माना जाता है कि उस दशक मे इसे राजा नरसिंहदेव के द्वारा बनवाया गया था इस मंदिर का निर्माण बलुआ पत्थर और काले ग्रनाइट पत्थरो से हुआ था....इस बीच इमदाद हमे अंदर ले जाके और भी वहाँ के विचित्र और हिस्टॉरिकल चीज़ें दिखाने लगा जहाँ काफ़ी लोग भी जमा थे उनके बीच हमने देखा कि संपूर्ण मंदिर स्थल को बारह जोड़ी चक्रो वाले सात घोड़ो से खीचे जा रहे सुर्य देव के रात के रूप में बनाया गया था..बिना प्रशंसा किए हम ठहर ना सके...

फिर हम आगे बढ़े और इस सांस्कृतिक जगह का खूब देख देखके आनंद उठा रहे थे इस बीच इमदाद थोड़ा झिझका...तो मैने उसका कारण पूछा उसने मुझसे दो मिनट थोड़ा माँ से दूर हटके बात करने को कहा तो मैं उसका मतलब समझ गया..मैं मुस्कुराते हुए उसके नज़दीक आया हम माँ से दूर हटके खड़े थे माँ चुपचाप वहीं खड़ी हमारा इन्तिजार कर रही थी साथ ही साथ हमे ख़ुसर पुसर बात करते देख रही थी....बेचारा इमदाद तो जानता नही था कि माँ मेरी बीवी नही थी

इमदाद : जी वो दरअसल क्या है ना? उम्म आप तो पढ़े लिखे है जानते होंगे कि यह कोनर्क सूर्य मंदिर सिर्फ़ अपने ऐतिहासिक चीज़ो के लिए मशहूर नही है और भी एक ऐसी चीज़ है जिसके लिए मशहूर है मैं आप लोगो के साथ वहाँ नही जा सकता

आदम : क्यूँ भाई? तुम गाइड हो यार तुम नही जाओगे तो हमे मालूम कैसे चलेगा (मैं दिल ही दिल में इमदाद से मज़े ले रहा था अर्रे मैं तो खुद ही चाहता था कि वो आगे हमारे साथ ना जाए ताकि माँ और मैं जिस चीज़ को देखने आए थे उसका एकात में आनंद ले सके )

इमदाद : उम्म्म जी आप समझ नही रहे है सर अंदर कामसूत्र मुद्रा में काफ़ी नंगी आकृतियाँ मौज़ूद है और यहाँ पे आप देख नही रहे कि आगे जाने वाले ज़्यादातर फॉरिनर कपल्स और मिया बीवी का जोड़ा ही जा रहा है फॅमिली ज़्यादा नही

आदम : अच्छा तो ये बात है (मैं अंजान बनते हुए कहा) ठीक है फिर तुम एक काम करो तुम बाहर हमारा गाड़ी के पास इंटिजार करो फिर हम वहीं मिलते है

इमदाद : ओके सर एंजाय युवर वाकेशन (बोलते बोलते ना जाने क्यूँ वो मुस्कुरा के चला गया?)

मैं दो कदम आगे बढ़ा ही था कि इतने में इमदाद एकदम से दौड़ता हुआ आया...उसे हड़बड़ाता देख मैं ठिठक गया कि इसको क्या हुआ?..मैं तब तक माँ के करीब आ चुका था उसने हान्फते हुए कहा कि सिर अंदर फोटोग्राफी अल्लाओ नही है तो आप अंदर तस्वीर ना खींचे

आदम : त..ठीक है बॉस जाओ तुम फिर (इतना कहते हुए इमदाद चला गया मैने तो सोचा था कि माँ के साथ एक दो सेल्फी ले लूँगा लेकिन साला किस्मत खराब )

माँ : क्या बातें हो रही थी?

आदम : अर्रे कुछ नही माँ बस ऐसे ही वो शरमा रहा था क्यूंकी आगे जाने का आक्सेस अडल्ट्स को है और हम यही तो देखने आए है
 
जल्द ही हम 35 किमी का रास्ता तय करके होटेल पहुचे...माँ को मैने जगाया फिर मैने अंदर जाने से पहले इमदाद को पैसे दिए उसने कहा कि चाहे तो और भी जगह घूम आए...पर मेरा दिल नही माना मैने कहा देखता हूँ भाई कह दूँगा...इतना कह कर मैने उसे कुछ पैसे दिए टिप समझके तो वो खुश हो गया उसने इस बीच बताया कि पुरी में मार्केट लगती है वहाँ जाके आप लोग शॉपिंग भी कर सकते है अभी तो आप एक दिन और ठहरेंगे ही शायद..मैने कहा हां तो फिर एक काम करो कल का प्लान बनाओ..तो उसने हामी भरी...मेरे मन में क्या आया तो मैने उससे पूछा कि यार शरीर में बड़े दर्द रहता है यहाँ कोई मालिश वाली मिलेगी तो उसे लगा शायद मैं माँ के लिए कह रहा था तो उसने काफ़ी सोचा फिर कहा कि एक ओरिया औरत है लगभग 40 बरस की वो होटेल में अक्सर आके औरतो की मालिश कर देती है आप चाहे तो उसे फिक्स कर ले...मैने कहा चार्जस क्या हैं? तो उसने चार्जस बताए फिर कहा मैं उसे लेके आपके पास आ जाउन्गा आपको कहीं जाने की ज़रूरत नही..

मैं राज़ी हो गया और माँ को बिना बताए उपर ले आया....हम रूम में जैसे ही आए तक के चूर होके गिर पड़े बिस्तर पे....1 घंटे की नींद ली और उसके बाद जागे माँ इस बीच टाय्लेट करने चली गयी थी सुबह से गयी नही थी...तो मैं उसके सामने ही वॉशरूम में शेविंग करने लगा...अब एक दिन और ही तो ठहरना था होटेल में....माँ ने पूछा कि उसने सुना कि मैं कोई मालिश का ज़िक्र कर रहा था..मैने कहा कि तेरे लिए मालिश्वाली को बुलाया है वो मेरे सामने ही तेरी मालिश करेगी

अंजुम : अर्रे पागल इन सब की क्या ज़रूरत थी?

आदम : माँ अब तेरी कोई भी ज़िद्द नही चलेगी हम यहाँ क्यूँ आए है छुट्टी बिताने? तो बस मुझे ऐश कर लेने दे फिर तो वहीं काम और काम

अंजुम : तू कोई ऐसी वैसी हरकत मत कर देना उसके सामने औरत ही होनी चाहिए बेटा मालिश्वाली

आदम : माँ भरोसा रख तेरा मर्द तुझे किसी गैर मर्द के हाथो के स्पर्श से तेरे जिस्म को छूने तक ना दूँगा वादा है मेरा

अंजुम : ठीक है

मैने भी सोचा चल बेटा कल आने तो दे फिर तो जमके मालिश के बाद तेरी चुदाई करूँगा...क्यूंकी मुझे इमदाद ने हिंट दे दिया था कि मालिश नंगी ही करती है मालिश्वाली हम मॅरीड कपल थे इसलिए उसने हमे ये अरेंज्मेंट देने का वादा किया उसे मैने भारी टिप दी थी इसलिए वो मुझपे इतना मेहेरबान हो गया था...माँ इस बीच मूतने के बाद हॅगने लगी तो उसकी गोल गान्ड का छेद चौड़ा हो गया और वो काफ़ी प्रेशर लगाए हगने लगी...

प्र्रर्र्ररर प्र्रररर करते हुए पाद भी रही थी....इतमीनान होने पे उसके मुँह से आहह का स्वर भी फुट पड़ा....मैं इस बीच शरारती ल़हेज़े में अपनी गान्ड उसके मुँह के पास ले आया तो वो हंस पड़ी और मेरी नंगी गान्ड पे एक चपत लगाई....

"अर्रे इसमें भी मज़ा है माँ एक बार उंगली डाल के देख".......माँ शरमाने लगी उससे भला ये कैसे होता? फिर मैने बताया कि मुझे गान्ड में किर्मी हो जाती थी तो तू ही तो क्लिप से निकाल देती थी मेरे छेद से....तो माँ बोली कि तू अब बड़ा हो चुका है च्िी ये सब गंदा लगता है?

मैने कहा अर्रे कर तो सही जान

माँ मेरे चूतड़ सहलाते हुए नज़ाकत से बोली तू अपना पीछे वाला भी सॉफ रखता है...तो मैने कहा हान्ं माँ क्या करें? नापाक हो जाता हूँ ना संडास के वक़्त बहुत झान्ट उग जाते है पीछे इसलिए हमेशा पहले से ही सॉफ रखता आया हूँ

तो उसने मसूकुराते हुए मेरे गान्ड पे तेज़ तेज़ थप्पड़ लगाए फिर मेरे चूतड़ को सहलाते हुए अपना एक उंगली मेरे गुदा द्वार के छेद में अंदर डाली जो हल्के हल्के अंदर सरकाने लगा....मैं जानबूझ के मुँह से उः आहह की आवाज़ निकालने लगा ताकि माँ को भी मज़ा आए...माँ ने कस कर दो उंगली अंदर बाहर करते हुए मेरे छेद को जैसे खोल डाला...मैने पीछे हाथ ले जाके उसकी दो उंगलियों को निकाला और सुघने लगा माँ ये देखके शरम में पड़ गयी मुझसे पूछा कहाँ से सीखा ये सब? मैने बस इतना कहा ब्लू फिल्म से

माँ जब हॅग अवस्था से फारिग हुई तो मैने उसे खड़ा किया फिर उसे घोड़ी की मुद्रा में झुका दिया फिर उसकी नितंबो के बीच नल का पानी चला दिया फिर मैं खुद ही माँ की गान्ड धोने लगा माँ छि छि करने लगी पर मैं नही माना मैने उसके गान्ड को अच्छे से धो दिया फिर उसे खड़ा किया फिर वॉशबेसिन में जाके हाथ धोए फिर उसे सूँघा तो माँ शरमाते हुए मुझे छुट्टी काटने लगी..मैने मुस्कुराए उसे अपनी बाहों में उठा लिया उसके खुले बाल हवा में लहराने लगे...वो मेरे कंधे को पकड़े थी और एक तक मुझे देख रही थी मैं उसे बिस्तर पे लाके नंगी ही अवस्था में पटका फिर बरामदे के पर्दे को बराबर किया फिर ना जाने क्यूँ मन हुआ कि माँ को लाइट्स ऑफ करके ही छोड़ा जाए....मैने ठीक वैसा ही किया तो इस बीच मुझे अहसास हुआ कि माँ की चूत पे हल्के हल्के झान्ट उग रहे थे मैं तुरंत बाथरूम गया लाइट जलाया शेविंग फोम और ब्लेड साथ लाया

माँ मना करने लगी पर मैं नही माना और उसकी टांगे चौड़ी किए उसकी चूत पे शेविंग क्रीम लगाके फिर रेज़र को आहिस्ते आहिस्ते से उसकी झान्ट काटने लगा..कुछ ही देर में उसकी चूत फिर चिकनी हो गयी और गुलाबी होने से चमक भी रही थी...मैने उसे मुट्ठी में लेके दो-तीन बार दबोचा तो माँ काँप उठी फिर मैने उसे उल्टा लिटाते हुए उसके नितंबो को फैलाए उसके आस पास के उगते बालों को भी सॉफ कर दिया जिससे उसकी गान्ड और चूत चिकनी हो गई मैं शेविंग किट बाथरूम में छोड़ वापिस अंदर आया...

अचानक मेरी नज़र एलईडी टीवी के नीचे प्लेयर सिस्टम पे गयी जिसका तार टीवी से लगा हुआ था मैने नीचे झुकके देखा तो इस बीच माँ भी उठ बैठी नंगी उसकी छातिया लटकी हुई थी और निपल्स कठोर थे वो अपने बाल को संवारते हुए मेरी ओर हैरानी भरी निगाहो से देखी मैने उसे मुस्कुरा कर देखा और कुछ सीडीज़ दिखाया कपल सूयीट था इसलिए वहाँ दो-तीन अंग्रेज़ो की चुदाई की उपर कवर पिक्चर बनी सीडी पड़ी थी..माँ ने मुँह पे हाथ रखके शरमाया...मैने एक सीडी प्लेयर में चालू की और टीवी ऑन किया ऑन होते ही उसमें चुदाई के सीन चालू एक अँग्रेजिन को एक हबसी पेल रहा था...उफ्फ क्या मादक सीन था? एक तो वैसे ही दिन से हम बेताब थे और अब ये सेक्सी सी फिल्म

माँ और मेरी निगाह एकदुसरे से मिली और हम भी सबकुछ भूल एकदुसरे के बदन से लिपट गये....

अंधेरा हो चुका था...समुन्द्र की हवाए हमारे कमरे में आ रही थी जिसकी ठंडी हवा महसूस होते ही माँ और मेरा बदन सिहर गया....पर्दे उन हवओ से उड़ रहे थे समुन्द्र की ल़हेरो का शोर्र आसानी से सुनाई दे रहा था...और कमरे का माहौल काफ़ी गरम हो चुका था....

दीवार पे लगी एलसीडी टीवी पे खुल्लम खुल्ल्ल चुदाई भरा दृश्य चल रहा था...हबशी अपने मोटे लंड से अँग्रेजिन की चूत दन दन के पेल रहा था...उसने मुँह को काफ़ी भीच रखता है जैसे चूत की सख्ती का अहसास उसे हो रहा हो...अँग्रेजिन का पूरा चेहरा लाल था वो कुतिया की मुद्रा में चुद रही थी...उसकी छातियाँ लटक रही थी और उसके चेहरे पे दर्द और मज़े दोनो के भीषण अहसास थे...उसकी सिसकियाँ पूरे कमरे में गूँज़ रही थी..."ओह्ह्ह गूदडद फक्क्क मईए फुक्कककक मी यअहह यअहह फिल्ल्ल्ल्ल मयी पूस्सययी विद्ड़ अर सीद्द".......वो लगभग चीखते हुए बोल उठी...और इसी बीच हबसी ने रफ़्तार तेज़ करते हुए उसकी चूत लगभग फाड़ते हुए थम गया....कुछ ही पल में जब उसने अपने मोटे लिंग को चूत के मुंहाने से बाहर निकाला तो चूत ढीली पड़ते हुए वीर्य उगल रही थी उफ़फ्फ़ 1 कप भरके शायद उसकी चूत में उसने वीर्य डाला था देखके ही मैं और माँ रोमांचित हो उठे....
 
Back
Top