hotaks444
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मैने उसकी एक चुचि को अपने हाथो में लेके मसला....तो माँ काँप उठी मैने महसूस किया उसका कलेजा आगे पीछे हो रहा था उफ्फ लगता है मेरे छूने से ही उसकी दिल की धड़कन इतनी तेज़ हो गयी थी ...मैने उसके चेहरे को अपनी ओर किया और अपनी जीन्स की बेल्ट निकाली उसके हाथ बँधे थे तो मैने उसे कुतिया की मुद्रा में झुका डाला...
माँ : मुहब्बत वासना से नही प्यार से होता है आहह ससस्स
आदम : जानेमन ये तो खुमारी है मेरी अब देखती जाओ (मैने मन ही मन माँ को इशारा कर रहा था कि मेरे उसके चूतड़ पे कस कर थप्पड़ मारने से दर्द तो नही हुआ तो उसने एकदम से ना में अपना सर झटका)
मैने उसके उभरे हुए चुतड़ों पे दो तीन कस कर थप्पड़ मारे और उसे हाथो में लेके भीचा....हाथो में लेके मसलते ही उसके दोनो नितंबो को मैने थोड़ा आहिस्ते पर कस कर पिंच किया...माँ चीख उठी...."आहह दर्द होता है"........
."दर्द होता है हाहहाहा मेरी जान अभी तो तुझे दर्द सहना बाकी है"....मैने और कस कर उसकी नितंबो को पिंच किया तो माँ के चूतड़ पे लाल लाल निशान से आ गये...मुझे अच्छा नही लगा तो मैने नितंबो को सहलाते हुए उस पर दो-तीन थप्पड़ और जड़ दिए फिर उसकी गान्ड की फांको को फैलाए उसके निचले गुलाबी चूत के सिरे से देखते हुए उसकी गान्ड के सिकुडे खुलते छेद को घूरा...
माँ को अहसास नही था कि अब मेरा अगला वार क्या होगा?...मैने अपना चेहरा उसके नितंबो के ठीक बीच लाया फिर उसके छेद पे अपना मुँह लगाया इस बीच मेरे हाथ उसकी चूत के हिस्से को भी अंगुल कर रहे थे...और मेरी ज़बान उसके छेद को चाट रहे थे....स्लूर्र्रप्प एम्म्म स्लूर्रप्प्प म्म....माँ इस अहसास से किसी खाँसी की तरह हिल गयी तो उसके चूतड़ भी हिल गये...मैने कस कर उसके नितंबो को हाथो से फैलाया और छेद पे ज़ुबान लगाए रखा...माँ हल्की हल्की आह भर रही थी...
मैं उसके गुदा द्वार को ज़ुबान से जैसे छेड़ रहा था....उसके बाद जब मैने अपना चेहरा उसके छेद से अलग किया तो उसके गान्ड पे ढेर सारा थूक लगा हुआ था...मैने इस बीच अपनी दो उंगली उसमें घुसा दी तो माँ का बदन काँप उठा मैने एक हाथ से माँ की पीठ को जकड़ा और उसके छेद में उंगली करता रहा....उस बीच मैने एक दो बार ज़ुबान फिर छेद पे लगाते हुए उसे खोला...माँ को अपनी गान्ड में उंगली का मज़ा लग रहा था....वो अब खुद गान्ड ढीली छोड़ मेरी उंगलियो को अपनी गहराई तक ले जाने की प्रक्रिया कर रही थी..
इस बीच मैने उसके दोनो छेदों को चाटना शुरू किया उंगली करना छोड़ दिया...जब सूजी चूत को चूसने और फांको में जीब फेरी तो माँ का बदन सिहर उठा...वो ओह्ह्ह्ह की आवाज़ निकाले फिर खामोश हो गयी...मैने फिर उसकी चूत में सीधे तीन उंगलिया डालने की कोशिश की इस बार जब काम ना बना तो पास रखा ल्यूब ही हाथो में लगाया और चूत के अंदर उंगलिया पेल दी...
इससे माँ की चूत में 4 उंगली आराम से सरक उठी अब तो उसकी चूत एकदम गीली और बार बार चुदने से खुल ही चुकी थी...वो कुतिया की मुद्रा में अपनी चूत में हो रही उंगलियो के अंदर बाहर होने से काँप उठी थी...उईईई...मैने कस कर उंगली गहराई तक डालनी चाही जिस बीच माँ सिसक उठी...इससे माँ का पूरा बदन काँप उठा....मैने फिर हाथ बाहर निकाला और उन उंगलियो को चाटा जिसपे कुछ सफेद पदार्थ लगा हुआ था...उफ्फ वो सफेद सफेद माँ की चूत से निकला रस उसे मैं माँ को दिखा कर एक एक उंगली चुस्स रहा था जैसे कितना स्वादिष्ट उसका स्वाद हो....माँ शरम से आँखे नीचे कर लेती है
मैं उठा और अपनी लेदर बेल्ट निकाली...माँ ने किरदार को भंग करते हुए कह दिया कि ज़ोर ज़ोर से नही प्ल्ज़्ज़...मैने सिर्फ़ उसे हाथ दिखाया...फिर हल्के हल्के उसकी चुतड़ों पे बेल्ट मारने लगा.
."अफ अहः आहह हाहह आहह सस्स आह आहह नहिी आहह आहह आहह".....माँ के चुतड़ों पे बेल्ट के लगते ही माँ सिसक उठती उसकी चीख निकल जाती उसे शायद हल्का हल्का दर्द हो रहा होगा लेकिन मैं इतना ज़ोर ज़ोर से उसे मार तो नही रहा था शायद वो जानबूझ के हर बार बेल्ट के चूतड़ को छूटे ही दर्द से सिसक उठ रही थी...
चुतड़ों पे लगातार बेल्ट मारने के बाद मैने फिर उन्हें हाथो में लिए दबोचा फिर माँ को उठाया वाक़ई दोनो चूतड़ लाल लाल हो गये थे.."चलो अंजुम अब थोड़ा नहा लिया जाए".......इतना कहते हुए मैने नल चलाया तो शवर का ठंडा तेज़ पानी माँ के नंगे शरीर पे गिरने लगा....मैने माँ को कस कर जकड़ा हुआ था मैने उसका मास्क हल्का उसके होंठो से उपर तक उठा लिया था...माँ का पूरा बदन भीगें जा रहा था...मैं उसे गीला करता रहा...और वो गीली होती रही...
जब वो पूरी गीली हो गयी तो मैने वैसे ही रेज़र उठाया और पास पड़ी मेरी शेविंग क्रीम उठाई और उसके आर्म्पाइट्स और चुतड़ों के बीचो बीच कस कस कर मल दिया....
"नहिी मैने सॉफ किए हुए है प्ल्ज़्ज़".........
"मुझे निश्चिंत करना है डार्लिंग ......
माँ कुछ समझ ना सकी एक तो वैसे ही ठंडे पानी से ठिठुर रही थी और अब मैं उसकी दोनो बगलो को उठाए उसकी बगलो पे मेरी दाढ़ी बनाने वाले शेविंग क्रीम पे रेज़र चला रहा था...."सस्स ससस्स आह"....माँ को हल्की हल्की जलन हो रही थी...
मैने आहिस्ते आहिस्ते दोनो बगलो को एक एक कर सॉफ कर दिया फिर चिकनी चूत पे शेविंग क्रीम का झाग और बनाते हुए मुंहाने के भीतर तक रेज़र हल्का सा चला दिया फिर चूतड़ के पीछे नितंबो के निचले हिस्से पे भी रेज़र चलाया...माँ जलन से सिहर उठती फिर मैने उसे घोड़ी बनाए वैसे ही झुकाए रखा फिर उसके चुतड़ों को धोया फिर आगे उसे खड़ा किए उसकी चूत को फिर उसकी बगलो पे भर के मग पानी का डाला और उसके तीनो जगह को चिकना कर दिया...माँ को फिर मैने बाहों में उठाया घर में ले आया और सीधे बिस्तर पे ही पटका..
मैने उसके दोनो टांगे फैलाई...और उसकी चिकनी चूत पे एक बार ज़ुबान लगाई..."उफ्फ बस करो ना मैं से नही पाउन्गी"........मेरा पूरा मुँह माँ की चूत पे उस वक़्त जुड़ा हुआ था मैं उसे मुस्कुराए उसकी चूत चुसते हुए सुन रहा था...मैं उठा और उसकी चूत पे हाथ रगड़ते हुए अपना मूसल जैसा लंड बाहर निकाला
फिर उसके भीतर में ही कुछ ही सेकेंड में मेरा लंड फ़च से उसकी गीली चूत की दीवारो को फाड़ता हुआ अंदर अपनी जगह बनता चला गया....माँ का इस बीच पूरा बदन मैने दोनो हाथो से जकड़ा हुआ था इसलिए उसके हिलने की कोई गुंज़ाइश नही थी....
जब उसकी बच्चेदानी को छूती मेरा लंड का अहसास हुआ...तो मैने जड़ तक लंड घुसाए रखा उसकी चूत के भीतर....वो मुझे खुद ही धकेलने लगी कि उससे सवर नही हो पाएगा....मैने बस वैसे ही ठिठका रहा और फिर झट से ताबड़तोड़ धक्के अंदर बाहर करने शुरू किए.
."नहिी नहिी आहह ससस्स"....माँ इस बीच दाँतों पे दाँत रखते हुए अपने दर्द को झेलने लगी
क्यूंकी मैने इससे पहले उसकी ऐसी भीषण चुदाई नही की थी...मेरा लंड फ़च फ़च निकालती उसकी चूत की आवाज़ो के साथ अंदर बाहर किसी ड्रिल मशीन की तरह हो रहा था और उसकी छातिया उसके हिलने से आपस में एकदुसरे से टकरा रही थी जब मैने उनपे हाथ रखके उन्हें थामा तो उनके निपल्स काफ़ी सख़्त और कठोर हो चुके थे...
अंजुम : नहिी प्लस्स रुक्क जाआअ आहह आहह उघह
माँ : मुहब्बत वासना से नही प्यार से होता है आहह ससस्स
आदम : जानेमन ये तो खुमारी है मेरी अब देखती जाओ (मैने मन ही मन माँ को इशारा कर रहा था कि मेरे उसके चूतड़ पे कस कर थप्पड़ मारने से दर्द तो नही हुआ तो उसने एकदम से ना में अपना सर झटका)
मैने उसके उभरे हुए चुतड़ों पे दो तीन कस कर थप्पड़ मारे और उसे हाथो में लेके भीचा....हाथो में लेके मसलते ही उसके दोनो नितंबो को मैने थोड़ा आहिस्ते पर कस कर पिंच किया...माँ चीख उठी...."आहह दर्द होता है"........
."दर्द होता है हाहहाहा मेरी जान अभी तो तुझे दर्द सहना बाकी है"....मैने और कस कर उसकी नितंबो को पिंच किया तो माँ के चूतड़ पे लाल लाल निशान से आ गये...मुझे अच्छा नही लगा तो मैने नितंबो को सहलाते हुए उस पर दो-तीन थप्पड़ और जड़ दिए फिर उसकी गान्ड की फांको को फैलाए उसके निचले गुलाबी चूत के सिरे से देखते हुए उसकी गान्ड के सिकुडे खुलते छेद को घूरा...
माँ को अहसास नही था कि अब मेरा अगला वार क्या होगा?...मैने अपना चेहरा उसके नितंबो के ठीक बीच लाया फिर उसके छेद पे अपना मुँह लगाया इस बीच मेरे हाथ उसकी चूत के हिस्से को भी अंगुल कर रहे थे...और मेरी ज़बान उसके छेद को चाट रहे थे....स्लूर्र्रप्प एम्म्म स्लूर्रप्प्प म्म....माँ इस अहसास से किसी खाँसी की तरह हिल गयी तो उसके चूतड़ भी हिल गये...मैने कस कर उसके नितंबो को हाथो से फैलाया और छेद पे ज़ुबान लगाए रखा...माँ हल्की हल्की आह भर रही थी...
मैं उसके गुदा द्वार को ज़ुबान से जैसे छेड़ रहा था....उसके बाद जब मैने अपना चेहरा उसके छेद से अलग किया तो उसके गान्ड पे ढेर सारा थूक लगा हुआ था...मैने इस बीच अपनी दो उंगली उसमें घुसा दी तो माँ का बदन काँप उठा मैने एक हाथ से माँ की पीठ को जकड़ा और उसके छेद में उंगली करता रहा....उस बीच मैने एक दो बार ज़ुबान फिर छेद पे लगाते हुए उसे खोला...माँ को अपनी गान्ड में उंगली का मज़ा लग रहा था....वो अब खुद गान्ड ढीली छोड़ मेरी उंगलियो को अपनी गहराई तक ले जाने की प्रक्रिया कर रही थी..
इस बीच मैने उसके दोनो छेदों को चाटना शुरू किया उंगली करना छोड़ दिया...जब सूजी चूत को चूसने और फांको में जीब फेरी तो माँ का बदन सिहर उठा...वो ओह्ह्ह्ह की आवाज़ निकाले फिर खामोश हो गयी...मैने फिर उसकी चूत में सीधे तीन उंगलिया डालने की कोशिश की इस बार जब काम ना बना तो पास रखा ल्यूब ही हाथो में लगाया और चूत के अंदर उंगलिया पेल दी...
इससे माँ की चूत में 4 उंगली आराम से सरक उठी अब तो उसकी चूत एकदम गीली और बार बार चुदने से खुल ही चुकी थी...वो कुतिया की मुद्रा में अपनी चूत में हो रही उंगलियो के अंदर बाहर होने से काँप उठी थी...उईईई...मैने कस कर उंगली गहराई तक डालनी चाही जिस बीच माँ सिसक उठी...इससे माँ का पूरा बदन काँप उठा....मैने फिर हाथ बाहर निकाला और उन उंगलियो को चाटा जिसपे कुछ सफेद पदार्थ लगा हुआ था...उफ्फ वो सफेद सफेद माँ की चूत से निकला रस उसे मैं माँ को दिखा कर एक एक उंगली चुस्स रहा था जैसे कितना स्वादिष्ट उसका स्वाद हो....माँ शरम से आँखे नीचे कर लेती है
मैं उठा और अपनी लेदर बेल्ट निकाली...माँ ने किरदार को भंग करते हुए कह दिया कि ज़ोर ज़ोर से नही प्ल्ज़्ज़...मैने सिर्फ़ उसे हाथ दिखाया...फिर हल्के हल्के उसकी चुतड़ों पे बेल्ट मारने लगा.
."अफ अहः आहह हाहह आहह सस्स आह आहह नहिी आहह आहह आहह".....माँ के चुतड़ों पे बेल्ट के लगते ही माँ सिसक उठती उसकी चीख निकल जाती उसे शायद हल्का हल्का दर्द हो रहा होगा लेकिन मैं इतना ज़ोर ज़ोर से उसे मार तो नही रहा था शायद वो जानबूझ के हर बार बेल्ट के चूतड़ को छूटे ही दर्द से सिसक उठ रही थी...
चुतड़ों पे लगातार बेल्ट मारने के बाद मैने फिर उन्हें हाथो में लिए दबोचा फिर माँ को उठाया वाक़ई दोनो चूतड़ लाल लाल हो गये थे.."चलो अंजुम अब थोड़ा नहा लिया जाए".......इतना कहते हुए मैने नल चलाया तो शवर का ठंडा तेज़ पानी माँ के नंगे शरीर पे गिरने लगा....मैने माँ को कस कर जकड़ा हुआ था मैने उसका मास्क हल्का उसके होंठो से उपर तक उठा लिया था...माँ का पूरा बदन भीगें जा रहा था...मैं उसे गीला करता रहा...और वो गीली होती रही...
जब वो पूरी गीली हो गयी तो मैने वैसे ही रेज़र उठाया और पास पड़ी मेरी शेविंग क्रीम उठाई और उसके आर्म्पाइट्स और चुतड़ों के बीचो बीच कस कस कर मल दिया....
"नहिी मैने सॉफ किए हुए है प्ल्ज़्ज़".........
"मुझे निश्चिंत करना है डार्लिंग ......
माँ कुछ समझ ना सकी एक तो वैसे ही ठंडे पानी से ठिठुर रही थी और अब मैं उसकी दोनो बगलो को उठाए उसकी बगलो पे मेरी दाढ़ी बनाने वाले शेविंग क्रीम पे रेज़र चला रहा था...."सस्स ससस्स आह"....माँ को हल्की हल्की जलन हो रही थी...
मैने आहिस्ते आहिस्ते दोनो बगलो को एक एक कर सॉफ कर दिया फिर चिकनी चूत पे शेविंग क्रीम का झाग और बनाते हुए मुंहाने के भीतर तक रेज़र हल्का सा चला दिया फिर चूतड़ के पीछे नितंबो के निचले हिस्से पे भी रेज़र चलाया...माँ जलन से सिहर उठती फिर मैने उसे घोड़ी बनाए वैसे ही झुकाए रखा फिर उसके चुतड़ों को धोया फिर आगे उसे खड़ा किए उसकी चूत को फिर उसकी बगलो पे भर के मग पानी का डाला और उसके तीनो जगह को चिकना कर दिया...माँ को फिर मैने बाहों में उठाया घर में ले आया और सीधे बिस्तर पे ही पटका..
मैने उसके दोनो टांगे फैलाई...और उसकी चिकनी चूत पे एक बार ज़ुबान लगाई..."उफ्फ बस करो ना मैं से नही पाउन्गी"........मेरा पूरा मुँह माँ की चूत पे उस वक़्त जुड़ा हुआ था मैं उसे मुस्कुराए उसकी चूत चुसते हुए सुन रहा था...मैं उठा और उसकी चूत पे हाथ रगड़ते हुए अपना मूसल जैसा लंड बाहर निकाला
फिर उसके भीतर में ही कुछ ही सेकेंड में मेरा लंड फ़च से उसकी गीली चूत की दीवारो को फाड़ता हुआ अंदर अपनी जगह बनता चला गया....माँ का इस बीच पूरा बदन मैने दोनो हाथो से जकड़ा हुआ था इसलिए उसके हिलने की कोई गुंज़ाइश नही थी....
जब उसकी बच्चेदानी को छूती मेरा लंड का अहसास हुआ...तो मैने जड़ तक लंड घुसाए रखा उसकी चूत के भीतर....वो मुझे खुद ही धकेलने लगी कि उससे सवर नही हो पाएगा....मैने बस वैसे ही ठिठका रहा और फिर झट से ताबड़तोड़ धक्के अंदर बाहर करने शुरू किए.
."नहिी नहिी आहह ससस्स"....माँ इस बीच दाँतों पे दाँत रखते हुए अपने दर्द को झेलने लगी
क्यूंकी मैने इससे पहले उसकी ऐसी भीषण चुदाई नही की थी...मेरा लंड फ़च फ़च निकालती उसकी चूत की आवाज़ो के साथ अंदर बाहर किसी ड्रिल मशीन की तरह हो रहा था और उसकी छातिया उसके हिलने से आपस में एकदुसरे से टकरा रही थी जब मैने उनपे हाथ रखके उन्हें थामा तो उनके निपल्स काफ़ी सख़्त और कठोर हो चुके थे...
अंजुम : नहिी प्लस्स रुक्क जाआअ आहह आहह उघह