hotaks444
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वो मुस्कुराइ उसने एक बार गौर से आदम की ओर देखा उसका चेहरा कितना भोला भाला सा था..लग ही नही रहा था कि इतना अमीर आदमी ऐसा मासूम सा भोला भाला भी हो सकता है...जिसके दिल में इतने ज़ज़्बात भी हो सकते है....कितने अहेसान थे उसके उसपर? की उसने उसे एक तरह सड़क से मोहताजीयत भरी अधूरी राह से उठाकर अपने घर में जगह दी शायद ये सब कुछ उसकी बहन की बदौलत ही था जिससे उसे बेहद प्यार था...कल रात हुआ सारा वाक़या उसके जैसे दिमाग़ में घूमने लगा...
उसने इस बार आदम के बदन को छूने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया...वो एक कुँवारी लड़की थी किसी ऐसे गैर मर्द को छूने में उसे झिझक तो हो ही रही थी..कल रात जब आदम ने उसके चेहरे को छुआ था तो उसके पुरे शरीर में अज़ीब सी झुनझुनाहट सी हुई थी...
जैसे ही उसने आदम की चादर को उठाए थोड़ा सा उसकी पीठ पे हाथ दिया तो जैसे उसके पूरे बदन में सिरहन सी उठी...इससे उसका हाथ काँपा उसने तुरंत हाथ को खींच लिया और दो कदम पीछे होके खड़ी हो गयी पर आदम ने कोई हरकत नही की...
इस बार उसने थोड़ा ज़ोर से आदम का नाम पुकारा...और इसी के साथ उसने इस बार उसके कंधे पे हाथ रखके उससे झींझोड़ा जिससे आदम का शरीर एकदम से हरकत में हुआ और उसने उठने के प्रयास से करवट बदली तो वो जैसे सीधा हुआ तो उसकी चादर जैसे खिसकते हुए उसकी टाँगों के बीच आ गयी....
इससे तपोती ने सॉफ देखा कि उसने महेज़ एक वी-शेप की फ्रेंची पहन रखी थी जिससे उसकी टाँगों के गुच्छेदार बाल सॉफ दिख रहे थे और बाल झान्ट में तब्दील होते हुए अंदर तक जा रहे थे...चड्डी में बड़ा सा उभार बना हुआ था ऐसा लग रहा था जैसे थैली में अंडकोष के साथ साथ सोता आदम का लिंग भी मज़बूती से दबा हुआ था....इसे देख तपोती के जैसे पूरे बदन में सिरहन दौड़ गयी.....
उसने आज से पहले कभी भी किसी मर्द के लिंग को घूरा नही था....उसने जब इतमीनान से कच्छे के बने उभार को बड़ी गौर से देखा तो उसे उसके साइज़ का अहसास हुआ....वो इसी से सेहेम उठी और फिर आदम को अंगड़ाई लेते हुए उठता पाई...उसने हड़बड़ाते हुए पास की चाइ की प्याली उठाई और बाहर जाने की बजाय आदम के सामने थोड़ा झुकके उसे चाइ पेश करने लगी...
उसने इस बार आदम के बदन को छूने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया...वो एक कुँवारी लड़की थी किसी ऐसे गैर मर्द को छूने में उसे झिझक तो हो ही रही थी..कल रात जब आदम ने उसके चेहरे को छुआ था तो उसके पुरे शरीर में अज़ीब सी झुनझुनाहट सी हुई थी...
जैसे ही उसने आदम की चादर को उठाए थोड़ा सा उसकी पीठ पे हाथ दिया तो जैसे उसके पूरे बदन में सिरहन सी उठी...इससे उसका हाथ काँपा उसने तुरंत हाथ को खींच लिया और दो कदम पीछे होके खड़ी हो गयी पर आदम ने कोई हरकत नही की...
इस बार उसने थोड़ा ज़ोर से आदम का नाम पुकारा...और इसी के साथ उसने इस बार उसके कंधे पे हाथ रखके उससे झींझोड़ा जिससे आदम का शरीर एकदम से हरकत में हुआ और उसने उठने के प्रयास से करवट बदली तो वो जैसे सीधा हुआ तो उसकी चादर जैसे खिसकते हुए उसकी टाँगों के बीच आ गयी....
इससे तपोती ने सॉफ देखा कि उसने महेज़ एक वी-शेप की फ्रेंची पहन रखी थी जिससे उसकी टाँगों के गुच्छेदार बाल सॉफ दिख रहे थे और बाल झान्ट में तब्दील होते हुए अंदर तक जा रहे थे...चड्डी में बड़ा सा उभार बना हुआ था ऐसा लग रहा था जैसे थैली में अंडकोष के साथ साथ सोता आदम का लिंग भी मज़बूती से दबा हुआ था....इसे देख तपोती के जैसे पूरे बदन में सिरहन दौड़ गयी.....
उसने आज से पहले कभी भी किसी मर्द के लिंग को घूरा नही था....उसने जब इतमीनान से कच्छे के बने उभार को बड़ी गौर से देखा तो उसे उसके साइज़ का अहसास हुआ....वो इसी से सेहेम उठी और फिर आदम को अंगड़ाई लेते हुए उठता पाई...उसने हड़बड़ाते हुए पास की चाइ की प्याली उठाई और बाहर जाने की बजाय आदम के सामने थोड़ा झुकके उसे चाइ पेश करने लगी...