Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत - Page 33 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत

ज़्यादा ख़ास वक़्त नही लगा चूँकि ये एक बिज़्नेस टूर था इसलिए मिस्टर.जमशेद का बताया आदमी उसी का इन्तिजार स्टेशन से बाहर एक लाल गाड़ी में कर रहा था..आदम उससे मिला फिर तपोती और वो उसके साथ होटेल के लिए रवाना हुए.....उसने जब तपोती को देखा तो बस देखता रह गया उसने पूछा भी रास्ते में आदम से तो आदम ने झूठ कहा कि वो उसकी बीवी है....ड्राइवर सिर्फ़ मुस्कुराया

जल्द ही उस आदमी ने बड़े ही फॉरमॅलिटी से दोनो को दार्जीलिंग के सबसे अच्छे 5 स्टार होटेल में छोड़ा और वहाँ से ये कहते हुए निकल गया कि मिस्टर.जमशेद को आने में अभी 1 दिन और लगेगा कोई बिज़ी शेड्यूल में है क्लाइंट के साथ ही पहुचेंगे बागड़ोगरा एरपोर्ट से सीधा दार्जीलिंग....आदम को महसूस हुआ कि चलो 1 दिन फालतू का उसे मिल गया था आराम और घूमने को....

अपने होटेल रूम पहूचकर आदम थका हारा बिस्तर पे चुर्र होके सो गया....तपोती को जैसे उस पर प्यार आया क्यूंकी उसने नोटीस किया था कि पूरी रात ट्रेन में वो उसके लिए जगा हुआ था जैसे उसकी निगरानी कर रहा हो तपोती ने उससे कुछ नही कहा वो बरामदे में खड़ी बाहर की खूबसूरत हिल को देख रही थी....उँचे पहाड़ और हरी भारी वादियाँ....

जब होटेल स्टाफ खाना लेके पहुचा तब उसने आदम को जगाया....आदम और तपोती दोनो ने साथ में लंच किया फिर फारिग हुए.....दिन अच्छा कट रहा था....तो तपोती ने आदम से कहा कि क्या वो बाहर घूम सकते है?.....आदम ने कहा कि क्यूँ नही? चलो....दोनो होटेल से नीचे आके मॅनेजर से मिले और उससे दार्जीलिंग में कोई घुमने की जगह अच्छी से पूछने लगे...तो मॅनेजर ने बताया कि मिरिक अधिकतर लोग जाते है आप वहाँ जा सकते है....

आदम : तो ठीक है तपोती आज मिरिक ही घूम आते है क्यूँ?

तपोती ने सहमति में मुस्कुराए सर हिलाया....तो आदम ने एक ड्राइवर और एक गाड़ी को हाइयर किया फिर दोनो गाड़ी में सवार ड्राइवर के साथ मिरिक पहुचे....वहाँ के खूबसूरत नज़ारे को देख जैसे दोनो के आँखे ठंडी सी हो गयी....एक तो सर्दी का मौसम शुरू हो रहा था और उपर से क्या जगह थी मिरिक टाउन.....वो सुमेंडू लेक के किनारे खड़े हुए थे....

आदम ने बोट हाइयर किया और दोनो बोट पे सवार हुए....आदम एकदम सटके तपोती के साथ बैठा हुआ था...सिर्फ़ दो जनों के लायक जैसे वो बोट थी....तपोती कस कर आदम को पकड़ी हुई थी क्यूंकी पानी में बोट एकदम तैर रही थी....आदम बड़े आराम से बोटिंग कर रहा था पाँव से...

कुछ देर बाद दोनो किनारे बोटिंग करते हुए पहुचे..उसके बाद तपोती नाव से उतरी...फिर आदम भी....पेमेंट चुकाने के बाद....दोनो गाड़ी से वापिस अपने होटेल की तरफ रवाना हुए..मौसम बिगड़ ने लगा था जल्द ही कोहरा में बरसात शुरू होने लगी.....

अचानक गाड़ी के सामने एक पेड़ आ गिरा....तो फ़ौरन गाड़ी को थामना पड़ा "क्या हुआ ड्राइवर गाड़ी क्यूँ रोक दी?"........

."सर आगे पेड़ गिर गया है"......

.आदम ने ड्राइवर के कहे अनुसार उसने भी झाँका तो सच में भारी बरसात से एक पेड़ गिरा हुआ था...

ड्राइवर : सच ऐसे में आगे गाड़ी को क्रॉस करना मुस्किल है और उपर से फिसलन वाली रोड है अगर ज़रा सी भी चूक हुई तो पहाड़ से गाड़ी गिरने का ख़तरा हो सकता है....
 
आदम ने ड्राइवर के कहे अनुसार उसने भी झाँका तो सच में भारी बरसात से एक पेड़ गिरा हुआ था...

ड्राइवर : सच ऐसे में आगे गाड़ी को क्रॉस करना मुस्किल है और उपर से फिसलन वाली रोड है अगर ज़रा सी भी चूक हुई तो पहाड़ से गाड़ी गिरने का ख़तरा हो सकता है....

बरसात एकदम तेज़ हो चुकी थी...."उफ्फ अब कैसे क्या होगा?".......आदम ने देखा कि अंधेरा तो कबका हो चुका था लेकिन इतनी ज़्यादा मौसम बिगड़ चुकी थी कि उसे अंदाज़ा ना लगा कि वक़्त क्या हुआ था?...

..ड्राइवर ने कहा कि ऐसे हादसे कयि बार हुए है गाड़ी बॅक करके वो लोग वापिस हो सकते है लेकिन दिक्कत ये है की उन्हें कही भी ठहरने की मुकम्मल जगह शायद ही मिल पाए अगर पीछे के रोड भी यही हाल रहा तो गाड़ी बीच में घाटी में ही फसि रह जाएगी और पूरी रात उन्हें वहीं काटनी पड़ेगी

आदम ने तत्काल अपने कान में फोन लगाया लेकिन नेटवर्क नही मिला...."उफ्फ नेटवर्क भी नही मिल रहा ड्राइवर एक काम करो गाड़ी को बॅक करो और जैसे तैसे हमे टाउन ले चलो आज वहीं हम ठहर लेंगे"..........ड्राइवर ने आदेश अनुसार गाड़ी को बॅक किया और फिर दोनो जहाँ से आ रहे थे ठीक उस ओर बढ़ गये..

हेडलाइट्स ऑन थी कच्ची उबड़ खाबड़ रास्ते से गुज़रती हुई गाड़ी हिचकोले बार बार खाए जैसे काँप उठ रही थी...तपोती को बहुत डर लग रहा था....गाड़ी दो बार सामने से गुज़रती ट्रक से बाल बाल बची....फिर जैसे तैसे उनकी गाड़ी टाउन पहुचि....

वहाँ रोड पर लंबी जाम थी इसलिए आगे गाड़ी जा ना पाई उन्हें वहीं ठहरना पड़ा.....आदम ने आस पास जब कोई होटेल ना पाया तो उसे चिंता हुई...वो बरसात में ही ठिठुरते हुए निकल गया और तपोती को ड्राइवर के साथ छोड़े एक घर की ओर बढ़ा...कुछ देर बाद एक बुज़ुर्ग आदमी ने दरवाजा खोला

तपोती ने देखा कि आदम उनसे जैसे रिक्वेस्ट के लहज़े में कुछ कह रहा था...बुड्ढे आदमी ने एक बार उनकी गाड़ी की तरफ देखा फिर जैसे सहमति में सर हिलाया....आदम वैसे ही भीगते ठिठुरते काँपते हुए गाड़ी के पास पहुचा...और तपोती को हाथ दिए बोला कि सामान लो और चलो साथ में उसने ड्राइवर को भी आने को कहा...

वो जब घर में दाखिल हुए तो मालूम चला किसी रिटाइर्ड कर्नल बेंगाली का वो घर था जो रिटाइर्ड लेके वहीं दार्जीलिंग में रह रहे थे...उनके साथ उनकी बीवी भी रह रही थी जो करीब उनके ही उमर की वृद्ध महिला थी....ड्राइवर को लिविंग रूम में सोने की जगह मिल गयी...और आदम और तपोती उनके साथ उनके बताए कमरे में दाखिल हुए....आदम को बहुत ज़्यादा भीगने से ठंड लगी हुई थी उसने जैसे तैसे अपने कपड़े उतारे और ठिठुरते काँपते हुए बिस्तर पे जाके लेट गया....
 
तपोती को अहसास हुआ कि उसकी तबीयत कुछ ठीक नही थी....शायद बरसात में भीगने के वजह से उसे सर्दी लग गयी थी....इतने में वो वृद्ध महिला दोनो के लिए रज़ाई लाई और उन्हें देते हुए जाने लगी

तपोती : माँसी माँ (आंटी) लगता है इन्हें तेज़ जाड़े का बुखार आ गया है आपके पास कोई दवाई मिलेगी

वृद्ध महिला ने देखा तो सच में उसे आदम बिस्तर पे काँपते हुए दिखा...उसे जैसे रहम आ गया उसने तपोती की तरफ देखा

वृढ महिला : क्या तुम इसकी बीवी हो?

तपोती : ज.जीई (उस वक़्त वहीं कह पाई तपोती शरम से)

वृद्ध महिला : ह्म रूको ज़रा

वृद्ध महिला कमरे से निकल गयी जब वो आई तो उसने एक शराब की बोतल लाके तपोती को दी तो वो चमकी

वृद्ध महिला : सोचो नही ज़्यादा दवाई समझके ही इसे पिला दो इससे उसके शरीर में थोड़ी गर्मी आ जाएगी और हो सके तो रज़ाई अच्छे से उसे ओढ़ा दो अगर बीमार पड़ गया तो फिर मुस्किल हो जाएगी तुम्हें

वृद्ध महिला ने अभी कहते हुए तपोती के हाथ में विस्की की वो बॉटल दी ही थी कि वो फिर उसके पास आके बोली "जब तुमने कहा कि तुम उसकी वाइफ है तो फिर एक काम और कर सकती हो".........

"क्या माँसी माँ?"........

"देखो ऐसे हालातों में तंन की गर्मी ही ज़्यादा सही होती है तुम समझ रही हो ना मैं क्या कह रही हूँ? वैसे ही करना अब जाओ बेटा सो जाओ".......कहते हुए वृद्ध औरत चली गयी...

उसके जाते ही तपोती ने जल्दी से दरवाजा लगाया फिर कुण्डी लगाए आदम के पास आई....आदम को उसने झिंजोड़ा लेकिन उसका शरीर एकदम ठंडा सा पड़ गया था...पूरे शरीर के जैसे रोए रोए खड़े हुए थे...

तपोती : आए माँ अब मैं क्या करू? यहाँ तो अंजुम काकी भी नही जो कुछ मदद कर सके...

तपोती सोच रही थी और साथ साथ देख रही थी कि आदम का शरीर एकदम अकड़ रहा था...उसने कस कर तपोती के हाथ को पकड़ लिया...बाहर बिजली की तेज़ गरगराहट सुनाई दे रही थी..."मैं हूँ ना आदम यहाँ क्या हुआ?".........

"म...मेररे पास्स रहो तपोततिी मुझहहे घबड़ाहट हो रही है"..........तपोती को अहसास हुआ कि उसे बहुत तेज़ ठंड लग रही थी शायद यही वजह से उसकी हालत खराब हो रही थी...
 
तपोती ने उठके शराब का ढक्कन खोला और ग्लास में कुछ शराब डाला फिर उसे आदम को दिया...आदम को जैसे तैसे उठाए उसके लबों से शराब का ग्लास लगाया....जैसे तैसे मुँह कड़वा किए आदम ने उसे दवाई की तरह पी लिया..तपोती ने उसे फिर रज़ाई ओढ़ा दी....

उसने आदम के पाओ को अच्छे से हाथो से रगड़ते हुए उसकी एडियीयो को गरम किया....फिर अच्छे से रज़ाई ढकते हुए उसने अपने कपड़े उतारे....जो हल्का सा भीगे हुए थे....उसने एक बार आदम की ओर देखा जो आँखे मुन्दे जैसे अब भी ठिठुर रहा था....तपोती ने शराब के आधे भरे ग्लास को घूरा फिर उसे पी लिया जैसा वृद्ध औरत ने कहा था क्यूंकी सर्द रात में बस एक वहीं चीज़ काम आने वाली थी...

उसे पीके तपोती को अच्छा तो ना लगा पर कुछ ही देर में उसे जैसे गर्मी सी महसूस हुई...उसके धधकते दिल की रफ़्तार जैसे नॉर्मल सी हुई....उसने एक बार आदम की ओर देखा जो अब भी काँप रहा था....तपोती ने काफ़ी देर सोचने के बाद उसकी रज़ाई को उसके उपर से हटाया तो पाया जल्दबाज़ी में उसकी जीन्स गीली वैसी की वैसी उसने पहन रखी थी...

तपोती ने जैसे तैसे बेल्ट को ढीला करके खोला फिर जीन्स की बटन को खोला और फिर ज़िप को उतारके बड़े ही शरम निगाहो से उसने जीन्स को उसके पाओ से अलग किए उतार दिया....तपोती ने काँपते हाथो से आज पहली बार किसी मर्द के कपड़े उतारे थे...तपोती ने उसके अंडरवेर को भी जैसे तैसे करके अपनी निगाह दूसरी ओर किए पाओ से अलग किए उतार दिया.....

आदम एकदम नगन उसके सामने बेसूध लेटा हुआ था....तपोती ने एक बार उसके लिंग की तरफ देखा और फिर ठिठुरते आदम के शरीर की ओर....तपोती शरम कर रही थी...लेकिन उसके पास कोई चारा नही था....उसने धीरे धीरे अपनी साड़ी उतारनी शुरू कर दी....और कुछ ही देर में बिस्तर के पास उसके साड़ी ब्लाउस पेटिकोट ब्रा और यहाँ तक पैंटी भी उतारी हुई थी....

वो अपने नंगे बदन को हाथो से सहलाते हुए अपने होंठो पे जीब फेर रही थी उसने ऐसी हरकत कभी नही की थी....उसने आदम से अपने शरीर को जैसे सटाया और फिर उस मोटी रज़ाई को अपने और आदम के शरीर पे अच्छे से ढक दिया..दोनो रज़ाई के भीतर जैसे एकदुसरे के शरीर से लिपटे हुए थे....

एक तो शराब का नशा और उपर से रज़ाई के अंदर की गर्मी ने दोनो को इस कदर एकदुसरे से लिपट जाने पे मज़बूर कर दिया की उस वक़्त आदम को रत्तिभर अहसास ना हुआ कि तपोती के स्तन उसके सीने से दबे हुए थे और उसकी चूत का हिस्सा उसके उपर तपोती के सवार होके लिपट जाने से उसके लिंग से दबा हुआ था...
 
तपोती जैसे आदम के उपर सवार हुए अपनी ज़ुल्फो को बार बार हटाए उसके बेशुध चेहरे की ओर देख रही थी....उसने अपने होंठो से पहले आदम के माथे को चूमा और फिर उसके इर्द गिर्द गाल और गले पर भी चूम लिया...

आदम के हाथ तपोती की पीठ पर चलने लगे....उसे तपोती के बार बार उपर नीचे होने से उसकी चूत के मुंहाने पे अपना लंड घिसता महसूस हुआ...उसने तपोती के बालों को पीठ से एक ओर समेटा और उसके गर्दन को चूमते हुए उसकी पीठ को सहलाने लगा..अति उत्तेजित हालत में दोनो की साँसें एकदुसरे के चेहरे से टकरा रही थी

आदम को तपोती की गरम साँसों के साथ साथ मुँह से शराब की गंध महसूस हुई...हो ना हो तपोती ये सब आधे होश में और आधे नशे में ही चूर हुई बिना झिझकते हुए कर रही थी....इतने में आदम ने तपोती को अपने सीने से लगा लिया और उसके कान को काटा...

तपोती भी आदम के जैसे सीने से लिपटते हुए बड़ी गहराई से उसका चम्बन लेती रही गालों का और होंठो का...शायद उसे अहसास नही था कि उसे आगे क्या करना है? क्यूंकी शकल चाहे चंपा जैसी हो लेकिन गुण तो उसके तरह नही थे जो खुद मर्दो को रिझाना और उनके औज़ार से खेलना जानती हो...

आदम ने उसकी कमर को कस कर बाज़ुओ से थामते हुए ठीक उसे अपने नीचे बिस्तर पे लेटा दिया...आदम ने लॅंप की रोशनी में देखा जो दीवार पे टंगा हुआ था...कि तपोती पूरी नंगी उसके आगोश में थी....आदम ने उसकी दोनो छातियो को एक बार देखा जिनका साइज़ करीब करीब उसकी बहन जैसा ही था एकदम दशहरी आमो सा मोटे मोटे चुचे...उन्हें मुँह में लेके आदम ने तपोती को तडपे देखा...

तपोती ने मुँह पे उल्टा हाथ रखा और कसमसाने लगी...आदम इस बीच उसकी दोनो चुचियो को कस कस कर भीचते हुए उनका रस्पान करने लगा....आज जैसे आदम को अहसास नही हुआ कि चंपा के रूप में उसे पूरी तपोती मिल चुकी थी....आदम वैसे ही दोनो छातियो को चुस्सता रहा कुछ देर तक...जब तक तपोती की साँसें गहरी ना हो गई और उसका चेहरा लाल ना हो गया.....

जब उसने छातियो से अपना सर हटाया तो उसने निपल्स को उसने कठोर पाया....उसने फिर तपोती की टाँगों को हल्का हल्का फैला दिया.....तपोती जानती थी वो कुछ ना कहीं....आदम उसकी आँखो में झाँकता हुआ....उसके छातियो को फिर चूम कर नीचे होने लगा..इतना नीचे की वो अब उसकी नाभि पे अपनी ज़ुबान चला रहा था....फिर जीब से पूरे पेट को चाटते चूमते हुए वो नीचे खिसकते हुए चूत के मुआने पे आया..उसने पाया चूत एकदम पसीने पसीने हो रही थी और उसमें एक अज़ीब सी गंध आ रही थी चूत फूली हुई थी..जिसकी मांसो को फैलाए आदम ने पाया कि छेद एकदम सिकुडा हुआ था....उसने अपने गीले जीब को मुँह से बाहर किया और चूत की फांको में अपनी जीब डाल दी...फिर उसे लज़्ज़त से चाटने लगा...
 
तपोती ने उठके शराब का ढक्कन खोला और ग्लास में कुछ शराब डाला फिर उसे आदम को दिया...आदम को जैसे तैसे उठाए उसके लबों से शराब का ग्लास लगाया....जैसे तैसे मुँह कड़वा किए आदम ने उसे दवाई की तरह पी लिया..तपोती ने उसे फिर रज़ाई ओढ़ा दी....

उसने आदम के पाओ को अच्छे से हाथो से रगड़ते हुए उसकी एडियीयो को गरम किया....फिर अच्छे से रज़ाई ढकते हुए उसने अपने कपड़े उतारे....जो हल्का सा भीगे हुए थे....उसने एक बार आदम की ओर देखा जो आँखे मुन्दे जैसे अब भी ठिठुर रहा था....तपोती ने शराब के आधे भरे ग्लास को घूरा फिर उसे पी लिया जैसा वृद्ध औरत ने कहा था क्यूंकी सर्द रात में बस एक वहीं चीज़ काम आने वाली थी...

उसे पीके तपोती को अच्छा तो ना लगा पर कुछ ही देर में उसे जैसे गर्मी सी महसूस हुई...उसके धधकते दिल की रफ़्तार जैसे नॉर्मल सी हुई....उसने एक बार आदम की ओर देखा जो अब भी काँप रहा था....तपोती ने काफ़ी देर सोचने के बाद उसकी रज़ाई को उसके उपर से हटाया तो पाया जल्दबाज़ी में उसकी जीन्स गीली वैसी की वैसी उसने पहन रखी थी...

तपोती ने जैसे तैसे बेल्ट को ढीला करके खोला फिर जीन्स की बटन को खोला और फिर ज़िप को उतारके बड़े ही शरम निगाहो से उसने जीन्स को उसके पाओ से अलग किए उतार दिया....तपोती ने काँपते हाथो से आज पहली बार किसी मर्द के कपड़े उतारे थे...तपोती ने उसके अंडरवेर को भी जैसे तैसे करके अपनी निगाह दूसरी ओर किए पाओ से अलग किए उतार दिया.....

आदम एकदम नगन उसके सामने बेसूध लेटा हुआ था....तपोती ने एक बार उसके लिंग की तरफ देखा और फिर ठिठुरते आदम के शरीर की ओर....तपोती शरम कर रही थी...लेकिन उसके पास कोई चारा नही था....उसने धीरे धीरे अपनी साड़ी उतारनी शुरू कर दी....और कुछ ही देर में बिस्तर के पास उसके साड़ी ब्लाउस पेटिकोट ब्रा और यहाँ तक पैंटी भी उतारी हुई थी....

वो अपने नंगे बदन को हाथो से सहलाते हुए अपने होंठो पे जीब फेर रही थी उसने ऐसी हरकत कभी नही की थी....उसने आदम से अपने शरीर को जैसे सटाया और फिर उस मोटी रज़ाई को अपने और आदम के शरीर पे अच्छे से ढक दिया..दोनो रज़ाई के भीतर जैसे एकदुसरे के शरीर से लिपटे हुए थे....

एक तो शराब का नशा और उपर से रज़ाई के अंदर की गर्मी ने दोनो को इस कदर एकदुसरे से लिपट जाने पे मज़बूर कर दिया की उस वक़्त आदम को रत्तिभर अहसास ना हुआ कि तपोती के स्तन उसके सीने से दबे हुए थे और उसकी चूत का हिस्सा उसके उपर तपोती के सवार होके लिपट जाने से उसके लिंग से दबा हुआ था...

तपोती जैसे आदम के उपर सवार हुए अपनी ज़ुल्फो को बार बार हटाए उसके बेशुध चेहरे की ओर देख रही थी....उसने अपने होंठो से पहले आदम के माथे को चूमा और फिर उसके इर्द गिर्द गाल और गले पर भी चूम लिया...

आदम के हाथ तपोती की पीठ पर चलने लगे....उसे तपोती के बार बार उपर नीचे होने से उसकी चूत के मुंहाने पे अपना लंड घिसता महसूस हुआ...उसने तपोती के बालों को पीठ से एक ओर समेटा और उसके गर्दन को चूमते हुए उसकी पीठ को सहलाने लगा..अति उत्तेजित हालत में दोनो की साँसें एकदुसरे के चेहरे से टकरा रही थी
 
आदम को तपोती की गरम साँसों के साथ साथ मुँह से शराब की गंध महसूस हुई...हो ना हो तपोती ये सब आधे होश में और आधे नशे में ही चूर हुई बिना झिझकते हुए कर रही थी....इतने में आदम ने तपोती को अपने सीने से लगा लिया और उसके कान को काटा...

तपोती भी आदम के जैसे सीने से लिपटते हुए बड़ी गहराई से उसका चम्बन लेती रही गालों का और होंठो का...शायद उसे अहसास नही था कि उसे आगे क्या करना है? क्यूंकी शकल चाहे चंपा जैसी हो लेकिन गुण तो उसके तरह नही थे जो खुद मर्दो को रिझाना और उनके औज़ार से खेलना जानती हो...

आदम ने उसकी कमर को कस कर बाज़ुओ से थामते हुए ठीक उसे अपने नीचे बिस्तर पे लेटा दिया...आदम ने लॅंप की रोशनी में देखा जो दीवार पे टंगा हुआ था...कि तपोती पूरी नंगी उसके आगोश में थी....आदम ने उसकी दोनो छातियो को एक बार देखा जिनका साइज़ करीब करीब उसकी बहन जैसा ही था एकदम दशहरी आमो सा मोटे मोटे चुचे...उन्हें मुँह में लेके आदम ने तपोती को तडपे देखा...

तपोती ने मुँह पे उल्टा हाथ रखा और कसमसाने लगी...आदम इस बीच उसकी दोनो चुचियो को कस कस कर भीचते हुए उनका रस्पान करने लगा....आज जैसे आदम को अहसास नही हुआ कि चंपा के रूप में उसे पूरी तपोती मिल चुकी थी....आदम वैसे ही दोनो छातियो को चुस्सता रहा कुछ देर तक...जब तक तपोती की साँसें गहरी ना हो गई और उसका चेहरा लाल ना हो गया.....

जब उसने छातियो से अपना सर हटाया तो उसने निपल्स को उसने कठोर पाया....उसने फिर तपोती की टाँगों को हल्का हल्का फैला दिया.....तपोती जानती थी वो कुछ ना कहीं....आदम उसकी आँखो में झाँकता हुआ....उसके छातियो को फिर चूम कर नीचे होने लगा..इतना नीचे की वो अब उसकी नाभि पे अपनी ज़ुबान चला रहा था....फिर जीब से पूरे पेट को चाटते चूमते हुए वो नीचे खिसकते हुए चूत के मुआने पे आया..उसने पाया चूत एकदम पसीने पसीने हो रही थी और उसमें एक अज़ीब सी गंध आ रही थी चूत फूली हुई थी..जिसकी मांसो को फैलाए आदम ने पाया कि छेद एकदम सिकुडा हुआ था....उसने अपने गीले जीब को मुँह से बाहर किया और चूत की फांको में अपनी जीब डाल दी...फिर उसे लज़्ज़त से चाटने लगा...

किसी पराए मर्द ने पहली बार अपना मुँह तपोती की टाँगों के बीच दिया था..इससे वो पिघल गयी उसने कस कर चादर को हाथो से पकड़ लिया होंठो को कस कर भीच लिया और..आँखे मूंद ली

आदम बड़ी गहराई से चूत को नीचे से उपर तक चुस्सता रहा उसने इस बीच अपने अंगूठे से भी तपोती के दाने को काफ़ी देर तक छेड़ा....बदहवास तपोती को आहें लेता देख उसने चूत को चुस्सना जारी रखा.....स्लूर्रप्प स्लूर्रप जैसे चूत में उसके मुँह की चलती गीली ज़ुबान से चूत एकदम गीली होके ऐसे आवाज़ निकाल रही थी...

तपोती ने अपनी दोनो जांघें आदम की पीठ पर रख दी...जैसे उसे चाह रही हो कि वो ना रुके और करे...पर आदम पेशेवर मर्द था उसे मालूम था कि वो ज़्यादा देर तक अगर करता रहा तो तपोती का झड़ना तय था फिर उसके बाद उसका शरीर पष्ट पड़ जाता और फिर शायद वो ठंडी पड़ जाती...

आदम चूत को चाटना बंद कर तपोती की एडियों को अपनी पीठ सहलाते देख उन दोनो को अपने हाथो में पकड़ लेता है फिर टाँगों को उठाए उन्हें एक ही क्षण में चूमते हुए काफ़ी हद तक फैला देता है बिस्तर पर...तपोती रोमांच से आदम की ओर बिना पलकें झपकाए एकटक देख रही थी...

बाहर बिगड़ते मौसम की ठंड अंदर हावी हो रही थी लेकिन तंन से तंन मिलाए दोनो कामुकता की आग में जल रहे थे....आदम पंजो के बल जैसे तपोती के उपर आ सवार हुआ फिर उसने हल्के से अपना लंड उसकी चूत के मुंहाने पे सही जगह पे रखा...उसने तपोती के चेहरे से ज़ुल्फो को हटाया....फिर धीरे धीरे वो अपने लंड पे थूक मलके उसे अंदर डालने की कोशिश करने लगा....लंड के सख्ती से दाखिल होने से तपोती ने खुद को ढीला छोड़ दिया....
 
और तुरंत उसने आदम को अपने बाहों में खीच लिया दोनो एकदुसरे के होंठो को ताबड़तोड़ चूसने लगे....आदम ने सख्ती से तपोती के होंठो को अपने होंठो के क़ब्ज़े में ले लिया था...कि उसे दर्द का अहसास हो तो वो उसे खुद से धकेल ना पाए...आदम ने अपनी मर्दानी ताक़त लगाते हुए सुपाडे को और अंदर तक घुसाना शुरू किया जब तक वो पूरी तरीके से तपोती की चूत के कुंवारेपन की सील तोड़के अंदर ना समा बैठे..

इस बीच तपोती ने कस कर आँखे बंद कर ली...एम्म्म एम्म्म एम्म....आदम ने उसके होंठो से खुद के होंठो को छुड़ाने नही दिया....तपोती बस उसके पीठ पे नाख़ून गढ़ाती रही उसने इतने नाख़ून गढ़ाए कि पीठ से खून निकल गया आदम के...और ठीक उसी पल उसकी आँखे खुली और आदम की नज़रों से मिली...

उसी पल उसने घूंटति आवाज़ में जैसे दर्द से दाहदा...उररज्ग्घमम्म.......और ठीक उसी पल आदम जैसे उस पर दब गया....चूत में बुरी तरह लंड फस चुका था....जब उसने हल्के से लंड को बाहर की ओर निकाला तो उस पर चूत से निकलता खून लगा हुआ था...लाल लाल एकदम गाढ़ा खून...उसके लड़की से औरत बनने की जैसे निशानी थी...

आदम ने कस कर उस वक़्त तक खामोसी से उसके होंठो से होंठ दबाए हुए ही एक हल्का धक्का मारा...जिससे तपोती सिहर उठी और उसकी आँखे दर्द को पीते हुए बड़ी बड़ी सी दिखने लगी...और होंठ आदम के होंठो में दबे होने से गले से एक घूंटति सिसकी निकल उठी...उःम्म...आदम ने जब जब उसे ऐसे ही धक्के गहराई तक मारे..तपोती दर्द को पीते हुए वैसे ही सिसक उठती....

धीरे धीरे आदम ने अपने होंठ उसके होंठो से अलग किए...और उसे शांत होता देख अपने कुल्हो में ताक़त भरे चूत के अंदर बाहर अपना लंड करते गया...उस वक़्त तपोती ने कितनी जलन कितने दर्द को पीया उसे ही मालूम था....जब आदम ने लगातार धक्के लगाए तो उसने पाया तपोती की आँखो से आँसू बह रहे थे...आदम ने अपनी ज़ुबान से उसके आँसुयो को चाट लिया गालों से फिर उसकी आँखो को चूमा...

दोनो पसीने पसीने हो रहे थे....कुछ पल की जो ठंड उस पर सवार थी वो उतार चुकी थी...धीरे धीरे तपोती ने हल्की सी सिसकी ली हर छूट की गहराई में लंड जाते ही वो सिसक उठती...और कुछ ही देर में आदम की रफ़्तार तेज़ हो गयी छूट से फ़च फ़ाच सी जैसी आवाज़ आने लगी....इस बीच तपोती को दर्द अब मीठा मीठा लगने लगा उसे अहसास हुआ की क्यूँ औरत को अपने उपर मर्द को चढ़ाने में मज़ा आता था? उसने खुद इसे अनुभव किया...

और वो आदम के पीठ को अपने हाथो से सहलाते हुए उसके कमर पे अपनी टांगे लपेट चुकी थी....आदम वैसे ही तपोती की चूत मारता रहा..जब तक उसने अपने मुँह से आहों की आवाज़ ना निकली जल्द ही तपोती आदम के चेहरे से अपना चेहरा रगड़ते हुए जैसे अपनी चूत को सख़्त करने लगी....आदम समझ चुका था कि तपोती को अच्छा लग रहा है उसने तपोती की पीठ को हाथ नीचे ले जाए कस कर उसे अपने सीने से जकड लिया....

और फिर तपोती ने उसकी बढ़ती रफ़्तार के साथ चूत से अंदर बाहर होते आदम के लंड को महसूस किया उसने पाया कि आदम के चेहरे पे सख्ती आने लगी थी...वो अकड़ रहा था...और उसी पल तपोती को भी जैसे चूत के भीतर की घिसाई जैसे पागल करती जा रही थी...दोनो ने एकसाथ जैसे दहाड़ा...आआआआआआहह....और उसके बाद अपनी उखड़ती साँसें लिए एकदुसरे पे ढेर हो गये..आदम ने कस कर तपोती को जकड लिया और तपोती ने कस कर आदम के लिंग को अपनी चूत में ही सख्ती से जकड़े रखा..उसे अहसास हुआ कि आदम खल्लास होता हुआ उसकी चूत में ही अपने गरम वीर्य की धार छोड़ रहा है...

वो उस गरम गरम चिपचिपे रस को महसूस करते हुए आदम के गाल को चूमती रही फिर ना जाने क्यूँ? उसने अपनी पकड़ ढीली की सख्ती हट गयी...और लिंग छोटा होते होते अपने आप चूत को लबालब रस से भीगोएे बाहर सिकुड कर निकल गया...आदम ने लेकिन उसे अपनी बाहों से दूर नही किया..और दोनो ने अपने उपर रज़ाई जो अधखुली होके दोनो की चुदाई करने के बीच बिस्तर से नीचे की ओर लटकी थी उसे उठाए आदम ने उसे और अपने उपर ओढ़ लिया....
 
जब तपोती को होश आया तो उसने अपनी चूत पे हाथ रखा जगह एकदम सूजी सी और कल रात वीर्य के इर्द गिर्द लगे होने से चिपचिपी सी उसे जान पड़ी...उसने एक बार आदम के गुप्ताँग की ओर देखा जिसकी झान्टो के इर्द गिर्द लाल लाल खून से लगा हुआ था...आदम वैसे ही बदहाल सो रहा था...

तपोती ने अपने मुँह पे हाथ रखा फिर जैसे तैसे चल फिरने की कोशिश की टाँगों में हल्का हल्का दर्द था...तपोती वैसे ही अंदाज़ में टाय्लेट में आई और फिर पेशाब करने लगी...पेशाब की मोटी तेज़ गरम धार जब चूत के भीतर से निकली तो तपोती ने दाँतों पे दाँत रखके जैसे जलन से सिसकी लिया...फिर उसने पानी से अपने गुप्तांगो को सॉफ किया फिर उंगली डाली जिसे अंदर प्रवेश करने से उसे जलन सी हुई उसने उंगली कर करके वीर्य को बाहर अपने हाथो से निकाला...जो सुख चुका था....तपोती वैसी ही नंगी बाहर आई..

आदम अब भी सो रहा था....कल रात जो कुछ भी हुआ वो उसकी निगाहो में घूम रहा था...शराब की बोतल एक ओर पड़ी थी और ग्लास भी...तपोती ने अपनी साड़ी ली और फिर बॅग से तौलिया निकाला....वो अंदर बाथरूम में घुसके दरवाजा बंद कर लेती है....

आदम जब उठता है तो उसे अहसास होता है कि कल रात को क्या हुआ था? वो एकदम से रज़ाई हटाए देखता है कि तपोती बाथरूम में नही है लेकिन फर्श पे पानी पानी हो रखा है...शायद कुछ देर पहले ही वो नहाई थी...आदम को ग्यात होता है कि उसे ज़्यादा देर यहाँ रुकना नही चाहिए वो अंदर जाकर नहा लेता है और फिर तौलिया जो एक ओर पड़ा था उसे उठाके अपने बदन को पोंछता है...


तपोती डाइनिंग टेबल पे बैठी थी जब आदम तय्यार हो बाहर लौटा....वृद्ध बुज़ुर्ग और उसकी पत्नी वहीं बैठे हुए थे...आदम को देखते ही तत्काल उनके चेहरे पे मुस्कुराहट सी आई...."गुड मॉर्निंग बेटा".....

."गुडमॉरिंग अंकल आंड आंटी आप लोगो ने कल हमे शेल्टर दिया इसके लिए दिल से धन्यवाद आप लोगो को".....

.."हाहाहा वक़्त पे ही तो लोग एकदुसरे के काम आते है बेटा डॉन'ट मेन्षन प्ल्ज़ एनीवे नाश्ता करो".....

.आदम ने देखा कि प्लेट में नाश्ता सज़ा हुआ था..

तपोती उसे चोर नज़रों से देख रही थी..आदम सकपकाए लहज़े में नाश्ता करने लगा.

."बेटा अभी तबीयत ठीक है तुम्हारी?"......

"जी आंटी बिल्कुल ठीक है"........

."तपोती कल बता रही थी और मैने भी देखा कि तुम बहुत ज़्यादा ठंड से ठिठुर रहे थे वैसे शादी को तुम दोनो की कितना टाइम हुआ है"......

.मैं एक पल को ठहरा तपोती और उस वृद्ध औरत की तरफ देखने लगा

आदम : ज...जीई वो अभी 1 साल नही हुआ है 2 महीने (तपोती जैसे शरम से मुँह पे हाथ रख पड़ी)

"अरे तो क्या हुआ? इसमें शरमाना कैसा बेटी? अभी नया नया मॅरेज मनाया थोड़ा बहुत घूमना तो बनता है इसलिए इतना शरमाया मत करो".....

.तपोती ने हल्का सा मुस्कुरा दिया........दोनो वृद्ध मुझे मुस्कुराते हुए नज़र आए जैसे उन्हें मालूम था कि कल रात हमने कमरे में क्या किया होगा?


मुझे ख्याल आया ड्राइवर का तो उन्होने बताया कि वो सुबह सुबह उठके पेट्रोल भरवाने शहर गया है अभी वहाँ से आके फिर हमे ले जाएगा...हमने उनका तेहदिल से शुक्रियादा किया तब तक ड्राइवर आ गया उसने बताया कि होटेल मॅनेजर हमारे बारे में उससे पूछ रहा था तो कल रात जो घटना घटती उसे बताने के बाद ही वो निश्चिंत हुआ...हमने उन बुज़ुर्ग पति पत्नी से फिर विदाई ली....उनकी वृद्ध पत्नी ने तपोती को गले लगाया और कहा सदा सुखी रहो बेटा..मैं मुस्कुरा पड़ा
 
गाड़ी तेज़ी से घाटी से पार हो चुकी थी कल रात जो पेड़ गिरा था शायद उसे मुनिसिपल वालो ने सुबह सुबह ही सॉफ कर दिया था....मैने तपोती की ओर देखा और पूरे सफ़र में हम दोनो के बीच खामोशी ही रही...

होटेल रूम में आके मैने तपोती से माँफी माँगी कि जो कुछ हुआ उसमें मेरी ग़लती थी...तपोती ने उस पल कुछ नही कहा फिर उसने चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि ग़लती हममें से किसी की नही हालात की थी वो जो कुछ भी हुआ उसमें हम दोनो का बस नही था अगर वो वैसा ना करती तो यक़ीनन बढ़ते बुखार से मुझे कुछ भी हो सकता था....मैने जाने अंजाने में ये सवाल आख़िर कह ही दिया कि अभी वो ठीक तो है?...तो उसने शरमाते हुए गुलाबी चेहरे से मेरी ओर सहमति में सर हिलाया....

तब तक मिस्टर.जमशेद का कॉल आया कि वो मीटिंग में मेरा इन्तिजार कर रहे है हमारी कल रात की हुई घटना की सूचना उसे उसके आदमी जिसने हमे होटेल लाया था उसने मॅनेजर से मालूम करते हुए उसे बता दिया था...मैने कहा कि अब फिकर की कोई बात नही हम लौट कर आ चुके हैं मैं अभी पहुचता हूँ...

मिस्टर जमशेद ने कहा कि उनका आदमी तुम्हें रिसीव करने आ जाएगा...

मैने फोन कट किया....तब तक रूम बॉय दोपहरी का लंच ले आ चुका था....हम दोनो खाना खाने लगे....

________________________

उस दिन मुझे अहसास हुआ कि मैने तपोती को पा लिया था....शायद चंपा ही समझे खुद ब खुद मेरे हाथ उस नशे और बुखार के आलम में भी उसे अपने शरीर से दूर ना कर सके..अब भी उसका नंगा बदन मेरे दिमाग़ में घूम रहा था...मुझे जाते देख उसे फिकर हुई मैने कहा कि मैं शाम तक आ जाउन्गा इस बीच होटेल से कहीं मत जाना कमरे में ही वक़्त काटना...तपोती की आँखो में सिर्फ़ मेरा इन्तेज़ार ही मुझे दिखा...

जब शाम को मीटिंग से फारिग हुए लौटा तो पाया कि मेरे दो बार दस्तक देने के बाद उसने दरवाजा खोला उसकी आँखे चढ़ि हुई थी ऐसा लग रहा था जैसे वो सो रही थी...मैने आके खुद ही खिड़कियो के पर्दे खोले वो उबासी लेते हुए वापिस बिस्तर पे लेट गयी...जैसे मुझे वापिस आए देख उसके चेहरे पे निश्चिंतता के भाव आ गये...

उस रात हमने एकदुसरे से बात चीत शुरू की....मैने तपोती को समझाया कि वो क्या चाहती है? क्यूंकी मैं हद से गुज़र चुका था...और माँ अंजुम का जो फ़ैसला था कि मैं पहेल करू अब वहीं करना एक लास्ट ऑप्षन बचा था...तपोती ने कोई जवाब नही दिया उसने मेरी तरफ देखा और कहा

तपोती : मेरे पास आपका साथ छोड़कर कही जाने का ठिकाना नही है ना मेरे पीछे कोई राह है और ना आगे...तुम बताओ कि तुम क्या चाहते हो?

आदम : देखो तपोती मैं उस रात जो तुम्हें छुआ शायद भूल ही पर मुझे ना उस बात का अफ़सोस है और ना कोई दुख मैं उस वक़्त अपने होशो हवास में था और तुमने मदद के लहज़े से ही मेरी हेल्प की...मैने तुम्हें चंपा की तरह फील किया और अब मुझे अहसास हुआ की चंपा को तो मैने कब का खो दिया? तुम्हें ये लगेगा कि मेरे दिल में तुम्हारे लिए फीलिंग नही बस चंपा के लिए थी इसलिए मैं उसके तुम्हारे हूबहू होने से तुम्हारे साथ रिश्ता जोड़ा तो ग़लत सोच रही हो तुम मैने तुम्हें तपोती अपने दिल से जान से भी ज़्यादा माना है..अगर मैने ऐसा किया है तो मैं उसके लिए तुम्हारा साथ ज़िंदगी भर निभाने को तय्यार हूँ बस अब मर्ज़ी तुम्हारी है की तुम मुझे अपनाओ या नही क्यूंकी ये जीवन तुम्हारा है मैं इसमें ज़बरदस्ती नही कर सकता
 
Back
Top