hotaks444
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वैसे ही फ्रॉक सी घाघरा किए हुए...वहीं बदन पे साया (पल्लू) नही...वहीं गुलाबी ब्लाउस जिसके दो बटन खुले हुए गोरे चेहरे पे सुर्ख लाल लाल होंठ...नाक में बाली...और कानो में झुमके अपने गुलाबी लाल होंठो को दाँतों से काटते हुए काजल लगी उन निगाहो से मेरी ओर . तपोती को मैने उस हाल में पाया...उसके बाल एकदम खुले बिखरे गीले हुए से थे चेहरे पे हल्का मेक अप...ऐसा लगा साक्षात मेरे सामने तपोती नही उन्ही अदाओ से मचल रही चंपा खड़ी थी...
जिसने अपनी ब्लाउस के अंदर वैसे ही कुछ पहन नही रखा था जिसके निपल्स मुझे सॉफ कठोर ब्लाउस के बाहर से ही जान पड़ रहे थे...एक पल को मैं उठा और उन नज़ाकत . आँखो में आँखे डाल बोल उठा "चंपा! ....एका एक मुझे अहसास हुआ कि तपोती चंपा सी बनी हुई थी...कोई फरक नही था कि वो चंपा नही हो सकती...
आदम : तप...पोत्ति ये सब क्या है?
तपोती : अरे आदम बाबू आप हमे देखके चौंक क्यूँ गये?
आदम : चंपा ये सब क्या है यार? (मैं मुँह पे हाथ रखके उसको उपर से नीचे तक घूर्र रहा था हंसते हुए)
तपोती : आदम बाबू आज तपोती नही आज हम है आपके सामने हम जानते है आप हमसे कितना प्यार करते है? आज हमे अपने करीब ना होने देंगे
आदम एकपल के लिए ऐसे ठिठक गया जैसे चंपा का भूत उसके सामने ठीक उसी तरह बर्ताव कर रहा हो वहीं मुस्कुराहट वहीं चुलबुली अदायें...वहीं नैन नक्श...आदम ने पाया कि पीछे उसके बालों में वैसा ही सफेद गजरा लगा हुआ था....जो अक्सर चंपा पहना करती थी....तपोती मुस्कुराए उसके पास आई
तपोती : मैं जानती हूँ आदम आप . बहन से बहुत प्यार करते थे सोचा आज उसकी कमी पूरी कर दूं...अगर मैं हूबहू उसकी जैसी दिखती हूँ तो उस जैसा खुद को महसूस क्यूँ नही कर सकती? आज मुझमें सिर्फ़ और सिर्फ़ उसे ही ढूंढीए..
"पर्र"..कहने से पहले तपोती ने मेरे होंठो पे उंगली रखी..मैं तो वैसे ही उसे देखके बदहवास हो रहा था अब उस पर ढेर हो जाने के लिए बेताब था....
आदम से बोल ना फूटा एका एक उसे अहसास हुआ कि उसके हाथ अपने आप उसकी तरफ बढ़ रहे थे उसी पल आदम ने तपोती को कमर से अपने ओर खीच लिया...दोनो मुस्कुराए एकदुसरे की ओर देख ने लगे एकटक.....
बाहर किचन से फारिग हुई कमरे पे अंजुम ने हल्के दस्तक दिए कहा...."ज़्यादा शोर शराबा नही अगर काकु आ गये ना तुम्हारे फिर मुझे ना कहना"......हँसती हुई अंजुम बेटे और तपोती को बंद कमरे में छोड़ एकदुसरे के हवाले किए किचन में काम करने चली गयी...
अब पूछो मत उस रात और क्या क्या हुआ?
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जिसने अपनी ब्लाउस के अंदर वैसे ही कुछ पहन नही रखा था जिसके निपल्स मुझे सॉफ कठोर ब्लाउस के बाहर से ही जान पड़ रहे थे...एक पल को मैं उठा और उन नज़ाकत . आँखो में आँखे डाल बोल उठा "चंपा! ....एका एक मुझे अहसास हुआ कि तपोती चंपा सी बनी हुई थी...कोई फरक नही था कि वो चंपा नही हो सकती...
आदम : तप...पोत्ति ये सब क्या है?
तपोती : अरे आदम बाबू आप हमे देखके चौंक क्यूँ गये?
आदम : चंपा ये सब क्या है यार? (मैं मुँह पे हाथ रखके उसको उपर से नीचे तक घूर्र रहा था हंसते हुए)
तपोती : आदम बाबू आज तपोती नही आज हम है आपके सामने हम जानते है आप हमसे कितना प्यार करते है? आज हमे अपने करीब ना होने देंगे
आदम एकपल के लिए ऐसे ठिठक गया जैसे चंपा का भूत उसके सामने ठीक उसी तरह बर्ताव कर रहा हो वहीं मुस्कुराहट वहीं चुलबुली अदायें...वहीं नैन नक्श...आदम ने पाया कि पीछे उसके बालों में वैसा ही सफेद गजरा लगा हुआ था....जो अक्सर चंपा पहना करती थी....तपोती मुस्कुराए उसके पास आई
तपोती : मैं जानती हूँ आदम आप . बहन से बहुत प्यार करते थे सोचा आज उसकी कमी पूरी कर दूं...अगर मैं हूबहू उसकी जैसी दिखती हूँ तो उस जैसा खुद को महसूस क्यूँ नही कर सकती? आज मुझमें सिर्फ़ और सिर्फ़ उसे ही ढूंढीए..
"पर्र"..कहने से पहले तपोती ने मेरे होंठो पे उंगली रखी..मैं तो वैसे ही उसे देखके बदहवास हो रहा था अब उस पर ढेर हो जाने के लिए बेताब था....
आदम से बोल ना फूटा एका एक उसे अहसास हुआ कि उसके हाथ अपने आप उसकी तरफ बढ़ रहे थे उसी पल आदम ने तपोती को कमर से अपने ओर खीच लिया...दोनो मुस्कुराए एकदुसरे की ओर देख ने लगे एकटक.....
बाहर किचन से फारिग हुई कमरे पे अंजुम ने हल्के दस्तक दिए कहा...."ज़्यादा शोर शराबा नही अगर काकु आ गये ना तुम्हारे फिर मुझे ना कहना"......हँसती हुई अंजुम बेटे और तपोती को बंद कमरे में छोड़ एकदुसरे के हवाले किए किचन में काम करने चली गयी...
अब पूछो मत उस रात और क्या क्या हुआ?
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