desiaks
Administrator
- Joined
- Aug 28, 2015
- Messages
- 24,893
सतीश के रूम के बाहर पहुच कर सोनाली गेट खोलने ही वाली थी की उसे कल वाला इंसिडेंट याद आ जाता है और वो रुक जाती है, अब उसके मन मे खलबली मची हुयी थी एक तरफ तो वो सोच रही थी की उसे नॉक करना चाहिए डोर पर..... वहि दुसरी तरफ उसका मन अंदर जाकर उस हसीन नज़ारे के दर्शन करने को कह रहा था...
सोनाली असमंजस की स्थिति मे थि, की तभी उसे कल वाला सीन याद आ जाता है जब उसने सतीश के लंड को देखा था, कितना भयानक लग रहा था वह, कितना बड़ा और मोटा था जिसकी चुत मे भी वो जाता उसे तो जन्नत नसीब हो जाती...
सोनाली अपने आप को रोकने की बहुत कोशिश कर रही रही पर उसे अपनी जिस्म की आग के आगे झुकना ही पडता है...
सोनाली अपने मन मे- ये जरुरी तो नहि की एक दिन उसका लंड बिना कपड़ो के देखने को मिल गया तो हर बार मुझे वो बिना कपड़ो के.देखने को मिल जायेगा.... पर हो भी सकता है की वो बिना कपड़ो के देखने को मिल ही जाए......
ओर वो बिना गेट पर नॉक करे रूम मे एंटर हो जाती है अंदर सतीश नंगा लेते हुए सोने की एक्टिंग कर रहा था और हलकी सी आँखें खोक कर गेट की ही तरफ देख रहा था....
अपनी माँ को आया देख कर ही उसका लंड और भी अकड जाता है. ...
उधर सोनाली को ये लगता है की सतीश सो रहा है और वो बेखोफ टकटकी लगाये सतीश के लौडे को देखने लगती है...
अपनी माँ को ऐसे लंड घुरता हुआ देख कर उसका लंड और झटके मारने लगता है...
सोनाली की चुत उस मदमस्त लौडे को देख कर पानी बहाने लगती है, सोनाली जिसके एक हाथ मे ट्रे थी अपने दूसरे हाथ से अपनी चुत को अपने नाइटी के ऊपर से रगड देती है.....
सतीश उसकी इस हरकत से चौक जाता है उसे तो यकीन ही नहि होता की उसकी माँ अपने बेटे के लौडे को देख कर इतनी गरम हो गई है की उसे अपनी चुत को शांत करने के लिए मसलना पड़ रहा है....
तभी सोनाली को पता नहि क्या सूझता है की वो पलट कर सतीश का गेट लॉक करती है और फिर सतीश की तरफ बढ़ जाती है, सोनाली ट्रे को बेड के पास पड़े टेबल पर रखती है और फिर सतीश के पैरों के बीच मे आकर बैठ जाती है और उसके लौडे को देखने लगती है.... उसके चेहरे के एक्सप्रेशन पल प्रति पल बदल रहे थे जिन्हे सतीश अच्छे से देख सकता था.....
सोनाली को सतीश के इतने करीब उसकी सतीश के लंड को पास से देखने की प्रबल इच्छा ले आई थी....
सोनाली सतीश के लंड के इतने करीब थी की उसके लंड की खुशबू उसके नथुनो से होते हुए अंदर चलि गई थी....
सोनाली अपने ऊपर से कण्ट्रोल खोती जा रही थी वो अपना हाथ आगे बड़ा कर सतीश के लंड को अपने हाथ मे ले लेती है, सोनाली की इस हरकत से सतीश की बॉडी काँप उठती है बड़ी मुस्किल से वो अपनी सिस्कियों पर रोक लगाता है...
सतीश की बॉडी मे हुए कम्पन से सोनाली डर के अलग हो जाती है और सतीश के चेहरे की तरफ देखति है और उसे सोता देख उस थोड़ी संतुस्टि होती है... और वो ट्रे उठाकर वापस किचन की और चल देती है...
उसे अपने आप पर यकीन नहि हो रहा था की कैसे वो अपने बेटे के साथ ये सब कर सकती है... उसे अपने पर घिन भी आ रही थी और कभी वो उसके बारे मे सोच सोच कर गरम हो रही थी....
ओ दोबारा चाय बना कर कप्स मे दाल कर सतीश के रूम की तरफ बाद जाती है.... सतीश के रूम के बाहर पहुच कर वो डोर नॉक करती है अंदर सतीश जोकि अभी तक अपनी माँ की.हारकत से रोमाँचित था उठ कर एक शार्ट ड़ालता है और थोड़ी देर वेट करता है जब तक सोनाली उसके गेट पर २-३ बार और नॉक नहि करति.... शार्ट मे उसका लंड टेंट बनाये हुए साफ़ पता चल रहा था वो गेट खोलता है और सोनाली को गुड मॉर्निंग बोलता है... सोनाली उसे कप देती है, सोनाली तिरछी नजरो से सतीश के शार्ट मे बने तम्बू को देख रही थी... और सतीश भी उसकी हरकतो को नोट कर रहा था...
सोनाली उसे चाय देकर तेजी से शिप्रा के रूम की तरफ बढ़ जाती है और सतीश के चेहरे पर विजई मुस्कान आ जाती है...
शिप्रा के रूम मे जाकर वो शिप्रा को जगाती है और उसे चाय देकर फ्रेश होकर नीचे आने को बोल देती है और नीचे किचन मे जाकर उनके लिए नाश्ता तैयार करने लगती है, पर अभी भी वो सतीश के लौडे के बारे मे ही सोच रहा थी,
सोनाली अपने मन मे- इतनी सी उम्र मे कितना बड़ा हो गया है इसका पेनिस मुझे तो यकीन ही नहि हो रहा की मैंने जो देखा वो रियलिटी थी या फिर कोई भ्रम्... इतनी सी उम्र मे ही ये तो बड़ी से बड़ी औरत को मजा देणे लायक हो गया है... ये तो खेली खाई रण्डियों को भी चिखा दे फिर मे तो इतने समय से चूदी नहि हूँ और चूदी भी हूँ तो ५ इंच के लौडे से ये तो मेरी चुत का भोसडा बना देगा....
ओर सोनाली की चुत रस बहाने लगती है... सोनाली अपने हाथ से अपनी चुत सहलाते हुये- हाय ये तो बेटे के लंड के बारे मे सोच कर ही पानी बहा रही है, तो जब वो मेरी चुत मे जायेगा तो इसका क्या हाल होगा....
सोनाली अपने मन मे ही- छि छितू ये ऐसा सोच भी कैसे सकती है वो भी अपने बेटे के बारे मे तुझे शर्म करनी चाहिए अपने आप पर सोनाली भला कभी कोई माँ कभी अपने बेटे के बारे मे ऐसा सोचती है कहि....
सोनाली नाश्ता तैयार करके बाहर आकर कुरसी पर बैठ जाती है... और अपने विचारो मे खो जाती है उसे समझ नहि आ रहा था की क्या गलत है और क्या सही है
सोनाली असमंजस की स्थिति मे थि, की तभी उसे कल वाला सीन याद आ जाता है जब उसने सतीश के लंड को देखा था, कितना भयानक लग रहा था वह, कितना बड़ा और मोटा था जिसकी चुत मे भी वो जाता उसे तो जन्नत नसीब हो जाती...
सोनाली अपने आप को रोकने की बहुत कोशिश कर रही रही पर उसे अपनी जिस्म की आग के आगे झुकना ही पडता है...
सोनाली अपने मन मे- ये जरुरी तो नहि की एक दिन उसका लंड बिना कपड़ो के देखने को मिल गया तो हर बार मुझे वो बिना कपड़ो के.देखने को मिल जायेगा.... पर हो भी सकता है की वो बिना कपड़ो के देखने को मिल ही जाए......
ओर वो बिना गेट पर नॉक करे रूम मे एंटर हो जाती है अंदर सतीश नंगा लेते हुए सोने की एक्टिंग कर रहा था और हलकी सी आँखें खोक कर गेट की ही तरफ देख रहा था....
अपनी माँ को आया देख कर ही उसका लंड और भी अकड जाता है. ...
उधर सोनाली को ये लगता है की सतीश सो रहा है और वो बेखोफ टकटकी लगाये सतीश के लौडे को देखने लगती है...
अपनी माँ को ऐसे लंड घुरता हुआ देख कर उसका लंड और झटके मारने लगता है...
सोनाली की चुत उस मदमस्त लौडे को देख कर पानी बहाने लगती है, सोनाली जिसके एक हाथ मे ट्रे थी अपने दूसरे हाथ से अपनी चुत को अपने नाइटी के ऊपर से रगड देती है.....
सतीश उसकी इस हरकत से चौक जाता है उसे तो यकीन ही नहि होता की उसकी माँ अपने बेटे के लौडे को देख कर इतनी गरम हो गई है की उसे अपनी चुत को शांत करने के लिए मसलना पड़ रहा है....
तभी सोनाली को पता नहि क्या सूझता है की वो पलट कर सतीश का गेट लॉक करती है और फिर सतीश की तरफ बढ़ जाती है, सोनाली ट्रे को बेड के पास पड़े टेबल पर रखती है और फिर सतीश के पैरों के बीच मे आकर बैठ जाती है और उसके लौडे को देखने लगती है.... उसके चेहरे के एक्सप्रेशन पल प्रति पल बदल रहे थे जिन्हे सतीश अच्छे से देख सकता था.....
सोनाली को सतीश के इतने करीब उसकी सतीश के लंड को पास से देखने की प्रबल इच्छा ले आई थी....
सोनाली सतीश के लंड के इतने करीब थी की उसके लंड की खुशबू उसके नथुनो से होते हुए अंदर चलि गई थी....
सोनाली अपने ऊपर से कण्ट्रोल खोती जा रही थी वो अपना हाथ आगे बड़ा कर सतीश के लंड को अपने हाथ मे ले लेती है, सोनाली की इस हरकत से सतीश की बॉडी काँप उठती है बड़ी मुस्किल से वो अपनी सिस्कियों पर रोक लगाता है...
सतीश की बॉडी मे हुए कम्पन से सोनाली डर के अलग हो जाती है और सतीश के चेहरे की तरफ देखति है और उसे सोता देख उस थोड़ी संतुस्टि होती है... और वो ट्रे उठाकर वापस किचन की और चल देती है...
उसे अपने आप पर यकीन नहि हो रहा था की कैसे वो अपने बेटे के साथ ये सब कर सकती है... उसे अपने पर घिन भी आ रही थी और कभी वो उसके बारे मे सोच सोच कर गरम हो रही थी....
ओ दोबारा चाय बना कर कप्स मे दाल कर सतीश के रूम की तरफ बाद जाती है.... सतीश के रूम के बाहर पहुच कर वो डोर नॉक करती है अंदर सतीश जोकि अभी तक अपनी माँ की.हारकत से रोमाँचित था उठ कर एक शार्ट ड़ालता है और थोड़ी देर वेट करता है जब तक सोनाली उसके गेट पर २-३ बार और नॉक नहि करति.... शार्ट मे उसका लंड टेंट बनाये हुए साफ़ पता चल रहा था वो गेट खोलता है और सोनाली को गुड मॉर्निंग बोलता है... सोनाली उसे कप देती है, सोनाली तिरछी नजरो से सतीश के शार्ट मे बने तम्बू को देख रही थी... और सतीश भी उसकी हरकतो को नोट कर रहा था...
सोनाली उसे चाय देकर तेजी से शिप्रा के रूम की तरफ बढ़ जाती है और सतीश के चेहरे पर विजई मुस्कान आ जाती है...
शिप्रा के रूम मे जाकर वो शिप्रा को जगाती है और उसे चाय देकर फ्रेश होकर नीचे आने को बोल देती है और नीचे किचन मे जाकर उनके लिए नाश्ता तैयार करने लगती है, पर अभी भी वो सतीश के लौडे के बारे मे ही सोच रहा थी,
सोनाली अपने मन मे- इतनी सी उम्र मे कितना बड़ा हो गया है इसका पेनिस मुझे तो यकीन ही नहि हो रहा की मैंने जो देखा वो रियलिटी थी या फिर कोई भ्रम्... इतनी सी उम्र मे ही ये तो बड़ी से बड़ी औरत को मजा देणे लायक हो गया है... ये तो खेली खाई रण्डियों को भी चिखा दे फिर मे तो इतने समय से चूदी नहि हूँ और चूदी भी हूँ तो ५ इंच के लौडे से ये तो मेरी चुत का भोसडा बना देगा....
ओर सोनाली की चुत रस बहाने लगती है... सोनाली अपने हाथ से अपनी चुत सहलाते हुये- हाय ये तो बेटे के लंड के बारे मे सोच कर ही पानी बहा रही है, तो जब वो मेरी चुत मे जायेगा तो इसका क्या हाल होगा....
सोनाली अपने मन मे ही- छि छितू ये ऐसा सोच भी कैसे सकती है वो भी अपने बेटे के बारे मे तुझे शर्म करनी चाहिए अपने आप पर सोनाली भला कभी कोई माँ कभी अपने बेटे के बारे मे ऐसा सोचती है कहि....
सोनाली नाश्ता तैयार करके बाहर आकर कुरसी पर बैठ जाती है... और अपने विचारो मे खो जाती है उसे समझ नहि आ रहा था की क्या गलत है और क्या सही है