desiaks
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सतीश उसके जिस्म को निहार रहा था. मोमबत्ती की पीली रोशनी में श्वेता का गोरा चिकना बदन चमक रहा था. उसके निप्पल तने हुये थे. उसकी सांसें थोड़ी तेज थीं. जब श्वेता सांस लेती, तो उसके बॉब्स कामुक अंदाज में ऊपर नीचे होने लगते. श्वेता सर झुकाए खड़ी थी, सतीश घूम कर उसके जिस्म का निरीक्षण कर रहा था. फिर वह पीछे आया और उसकी गांड पे हाथ फेरते हुए सतीश ने श्वेता के गांड पर एक जोर की चपत लगा दी. फिर लगातार वह कई चपत उसके गांड पर लगाता चला गया. चपत लगने से उसकी गांड बड़े ही कामुक अंदाज में हिल रही थी. चपत लगते ही उनपे लाल निशान पड़ जाते, जो कि धीरे धीरे गायब हो जाते.
सतीश के अचानक इन वारों से श्वेता एक स्टेप आगे को आ गयी और ‘उम्मम्म ईस्स..’ की आवाज से कसमसा उठी.
सतीश ने पीछे से उसके बाल पकड़ कर खींचे, जिससे उसका सिर ऊपर को हो गया. सतीश ने उसके हाथ फिर से ऊपर कर दिए. सतीश ने उसके हाथ ऊपर करके नीचे आने लगा. सतीश उसके जिस्म पे हाथ फेरते हुए नीचे आ रहा था. सतीश श्वेता की कोहनियों से होते हुये श्वेता की दोनों बांहों पे हाथ फेरते हुए नीचे आ रहा था. श्वेता की त्वचा एकदम मुलायम मख़मल जैसी थी.
सच कहे तो आज से पहले कभी सतीश ने उसे ऐसे टच किया ही नहीं था. सतीश का हाथ सरकता हुआ श्वेता की बांहों से नीचे की तरफ आ रहा था. सतीश अपना हाथ आगे की तरफ से श्वेता की बगलों के नीचे से आगे बॉब्स की तरफ ले गया. सतीश उसके बॉब्स पे हल्के से हाथ फिरा रहा था. श्वेता आंखें बंद किये हुए मीठी आहें भर रही थी. श्वेता वासना से भरे हुये सतीश के स्पर्श का मजा ले रही थी. सतीश ने एक ही झटके में उसके बॉब्स को दबोच लिया. उसके निप्पल सतीश की उंगलियों के बीच दब गये. श्वेता के बॉब्स सतीश की हथेली में दबे हुये थे.
सतीश के अचानक किये इस हमले का उसको अंदाजा ही नहीं था. उसे दर्द हुआ था … और दर्द उसके चेहरे पे साफ दिख सकता था. श्वेता बेरहमी से दूध मसले जाने के दर्द से सिहर उठी थी. उसके मुँह से ‘आहह आहह आ ओहह..’ की आवाजें निकल पड़ीं.
इस दर्द को सतीश उसके चेहरे पे पढ़ सकता था. कुछ पलों में श्वेता सामान्य हुई. लेकिन सतीश ने उसे सामान्य होने का मौका ही नहीं दिया. सतीश ने उसके निप्पल को दोबारा अपनी उंगलियों के बीच फिर से दबा दिया. श्वेता फिर से दर्द से बिलबिला उठी. उसके मुँह से ‘आहह … आह …’ की दर्द भरी आवाजें निकल पड़ीं. श्वेता सर ऊपर करके अपनी नंगी पीठ और गांड को सतीश की तरफ धंसा रही थी.
इधर एक बात ध्यान देने योग्य थी कि श्वेता को असहनीय पीड़ा हुई लेकिन उसने सतीश को रुकने को नहीं कहा. श्वेता बस आंख मूंदे उस दर्द का भी आनन्द ले रही थी. सतीश ने दांत से उसके कंधे पे काट के किस किया. जिससे उसके मुख से दर्द भरी कामुक आवाज निकल गई ‘इईस्स … उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओह.’
सतीश श्वेता को बालों से पकड़ कर खिंचकर ले गया और उसे ले जाकर डाइनिंग टेबल पे पटक दिया. उसके गिरते ही सतीश खुद उसके ऊपर चढ़ गया. सतीश के भार से श्वेता मेज पर दबी थी. सतीश ने उसके दूसरे कंधे पे दांत से काट के किस किया और वैसे ही दांत से काटते हुए नीचे आने लगा.
अब सतीश श्वेता की नंगी पीठ पर काटते चूमते हुए नीचे आ रहा था. सतीश के काटने से उसके मखमली गोरे बदन पे सतीश के दांतों के निशान पड़ जाते. श्वेता बस मीठे दर्द से आनन्दित हो रही थी. श्वेता आंखें बंद कर के ‘उम्म्म ईस्स … हम्म आह..’ की सिस्कारियां ले रही थी.
नीचे आते हुए सतीश उसके गांड पर आ पहुंचा. सतीश उसकी मस्त गांड को भी अपने दांतों से काट के खाने लगा. श्वेता अपने दांतों से होंठों को कामुक अंदाज में भींचे हुए सतीश के दांतों के लव बाइट के मजे ले रही थी. सतीश उसकी गांड को काटता हुआ चाटता जा रहा था. इससे उसके माथे पे हल्की सी शीकन भी नहीं थी. बल्कि उसके होंठों पर कामुक मुस्कान थी.
श्वेता ‘ओह्ह … यस … हम्म …’ की आवाजें निकाल रही थी. सतीश ने नीचे देखा, तो श्वेता की चुत से उसका प्रेम रस बह के नीचे टांगों की तरफ जा रहा था. शायद अब तक श्वेता गर्म हो के एक बार झड़ चुकी थी.
सतीश ने एक लंबी सांस ली और श्वेता की चुत की खुशबू को अपने ज़हन में उतार लिया. श्वेता की मादक खुशबू सतीश को पागल कर रही थी. सतीश का मन तो कर रहा था कि श्वेता की चुत में मुँह डाल के उसका रस चूस लू … खा लूँ, लेकिन सतीश श्वेता को और तड़पाना चाहता था. यही श्वेता की मर्जी भी थी.
सतीश के अचानक इन वारों से श्वेता एक स्टेप आगे को आ गयी और ‘उम्मम्म ईस्स..’ की आवाज से कसमसा उठी.
सतीश ने पीछे से उसके बाल पकड़ कर खींचे, जिससे उसका सिर ऊपर को हो गया. सतीश ने उसके हाथ फिर से ऊपर कर दिए. सतीश ने उसके हाथ ऊपर करके नीचे आने लगा. सतीश उसके जिस्म पे हाथ फेरते हुए नीचे आ रहा था. सतीश श्वेता की कोहनियों से होते हुये श्वेता की दोनों बांहों पे हाथ फेरते हुए नीचे आ रहा था. श्वेता की त्वचा एकदम मुलायम मख़मल जैसी थी.
सच कहे तो आज से पहले कभी सतीश ने उसे ऐसे टच किया ही नहीं था. सतीश का हाथ सरकता हुआ श्वेता की बांहों से नीचे की तरफ आ रहा था. सतीश अपना हाथ आगे की तरफ से श्वेता की बगलों के नीचे से आगे बॉब्स की तरफ ले गया. सतीश उसके बॉब्स पे हल्के से हाथ फिरा रहा था. श्वेता आंखें बंद किये हुए मीठी आहें भर रही थी. श्वेता वासना से भरे हुये सतीश के स्पर्श का मजा ले रही थी. सतीश ने एक ही झटके में उसके बॉब्स को दबोच लिया. उसके निप्पल सतीश की उंगलियों के बीच दब गये. श्वेता के बॉब्स सतीश की हथेली में दबे हुये थे.
सतीश के अचानक किये इस हमले का उसको अंदाजा ही नहीं था. उसे दर्द हुआ था … और दर्द उसके चेहरे पे साफ दिख सकता था. श्वेता बेरहमी से दूध मसले जाने के दर्द से सिहर उठी थी. उसके मुँह से ‘आहह आहह आ ओहह..’ की आवाजें निकल पड़ीं.
इस दर्द को सतीश उसके चेहरे पे पढ़ सकता था. कुछ पलों में श्वेता सामान्य हुई. लेकिन सतीश ने उसे सामान्य होने का मौका ही नहीं दिया. सतीश ने उसके निप्पल को दोबारा अपनी उंगलियों के बीच फिर से दबा दिया. श्वेता फिर से दर्द से बिलबिला उठी. उसके मुँह से ‘आहह … आह …’ की दर्द भरी आवाजें निकल पड़ीं. श्वेता सर ऊपर करके अपनी नंगी पीठ और गांड को सतीश की तरफ धंसा रही थी.
इधर एक बात ध्यान देने योग्य थी कि श्वेता को असहनीय पीड़ा हुई लेकिन उसने सतीश को रुकने को नहीं कहा. श्वेता बस आंख मूंदे उस दर्द का भी आनन्द ले रही थी. सतीश ने दांत से उसके कंधे पे काट के किस किया. जिससे उसके मुख से दर्द भरी कामुक आवाज निकल गई ‘इईस्स … उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओह.’
सतीश श्वेता को बालों से पकड़ कर खिंचकर ले गया और उसे ले जाकर डाइनिंग टेबल पे पटक दिया. उसके गिरते ही सतीश खुद उसके ऊपर चढ़ गया. सतीश के भार से श्वेता मेज पर दबी थी. सतीश ने उसके दूसरे कंधे पे दांत से काट के किस किया और वैसे ही दांत से काटते हुए नीचे आने लगा.
अब सतीश श्वेता की नंगी पीठ पर काटते चूमते हुए नीचे आ रहा था. सतीश के काटने से उसके मखमली गोरे बदन पे सतीश के दांतों के निशान पड़ जाते. श्वेता बस मीठे दर्द से आनन्दित हो रही थी. श्वेता आंखें बंद कर के ‘उम्म्म ईस्स … हम्म आह..’ की सिस्कारियां ले रही थी.
नीचे आते हुए सतीश उसके गांड पर आ पहुंचा. सतीश उसकी मस्त गांड को भी अपने दांतों से काट के खाने लगा. श्वेता अपने दांतों से होंठों को कामुक अंदाज में भींचे हुए सतीश के दांतों के लव बाइट के मजे ले रही थी. सतीश उसकी गांड को काटता हुआ चाटता जा रहा था. इससे उसके माथे पे हल्की सी शीकन भी नहीं थी. बल्कि उसके होंठों पर कामुक मुस्कान थी.
श्वेता ‘ओह्ह … यस … हम्म …’ की आवाजें निकाल रही थी. सतीश ने नीचे देखा, तो श्वेता की चुत से उसका प्रेम रस बह के नीचे टांगों की तरफ जा रहा था. शायद अब तक श्वेता गर्म हो के एक बार झड़ चुकी थी.
सतीश ने एक लंबी सांस ली और श्वेता की चुत की खुशबू को अपने ज़हन में उतार लिया. श्वेता की मादक खुशबू सतीश को पागल कर रही थी. सतीश का मन तो कर रहा था कि श्वेता की चुत में मुँह डाल के उसका रस चूस लू … खा लूँ, लेकिन सतीश श्वेता को और तड़पाना चाहता था. यही श्वेता की मर्जी भी थी.