Maa Sex Story आग्याकारी माँ - Page 13 - SexBaba
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Maa Sex Story आग्याकारी माँ

सतीश उसके जिस्म को निहार रहा था. मोमबत्ती की पीली रोशनी में श्वेता का गोरा चिकना बदन चमक रहा था. उसके निप्पल तने हुये थे. उसकी सांसें थोड़ी तेज थीं. जब श्वेता सांस लेती, तो उसके बॉब्स कामुक अंदाज में ऊपर नीचे होने लगते. श्वेता सर झुकाए खड़ी थी, सतीश घूम कर उसके जिस्म का निरीक्षण कर रहा था. फिर वह पीछे आया और उसकी गांड पे हाथ फेरते हुए सतीश ने श्वेता के गांड पर एक जोर की चपत लगा दी. फिर लगातार वह कई चपत उसके गांड पर लगाता चला गया. चपत लगने से उसकी गांड बड़े ही कामुक अंदाज में हिल रही थी. चपत लगते ही उनपे लाल निशान पड़ जाते, जो कि धीरे धीरे गायब हो जाते.
सतीश के अचानक इन वारों से श्वेता एक स्टेप आगे को आ गयी और ‘उम्मम्म ईस्स..’ की आवाज से कसमसा उठी.
सतीश ने पीछे से उसके बाल पकड़ कर खींचे, जिससे उसका सिर ऊपर को हो गया. सतीश ने उसके हाथ फिर से ऊपर कर दिए. सतीश ने उसके हाथ ऊपर करके नीचे आने लगा. सतीश उसके जिस्म पे हाथ फेरते हुए नीचे आ रहा था. सतीश श्वेता की कोहनियों से होते हुये श्वेता की दोनों बांहों पे हाथ फेरते हुए नीचे आ रहा था. श्वेता की त्वचा एकदम मुलायम मख़मल जैसी थी.
सच कहे तो आज से पहले कभी सतीश ने उसे ऐसे टच किया ही नहीं था. सतीश का हाथ सरकता हुआ श्वेता की बांहों से नीचे की तरफ आ रहा था. सतीश अपना हाथ आगे की तरफ से श्वेता की बगलों के नीचे से आगे बॉब्स की तरफ ले गया. सतीश उसके बॉब्स पे हल्के से हाथ फिरा रहा था. श्वेता आंखें बंद किये हुए मीठी आहें भर रही थी. श्वेता वासना से भरे हुये सतीश के स्पर्श का मजा ले रही थी. सतीश ने एक ही झटके में उसके बॉब्स को दबोच लिया. उसके निप्पल सतीश की उंगलियों के बीच दब गये. श्वेता के बॉब्स सतीश की हथेली में दबे हुये थे.
सतीश के अचानक किये इस हमले का उसको अंदाजा ही नहीं था. उसे दर्द हुआ था … और दर्द उसके चेहरे पे साफ दिख सकता था. श्वेता बेरहमी से दूध मसले जाने के दर्द से सिहर उठी थी. उसके मुँह से ‘आहह आहह आ ओहह..’ की आवाजें निकल पड़ीं.
इस दर्द को सतीश उसके चेहरे पे पढ़ सकता था. कुछ पलों में श्वेता सामान्य हुई. लेकिन सतीश ने उसे सामान्य होने का मौका ही नहीं दिया. सतीश ने उसके निप्पल को दोबारा अपनी उंगलियों के बीच फिर से दबा दिया. श्वेता फिर से दर्द से बिलबिला उठी. उसके मुँह से ‘आहह … आह …’ की दर्द भरी आवाजें निकल पड़ीं. श्वेता सर ऊपर करके अपनी नंगी पीठ और गांड को सतीश की तरफ धंसा रही थी.
इधर एक बात ध्यान देने योग्य थी कि श्वेता को असहनीय पीड़ा हुई लेकिन उसने सतीश को रुकने को नहीं कहा. श्वेता बस आंख मूंदे उस दर्द का भी आनन्द ले रही थी. सतीश ने दांत से उसके कंधे पे काट के किस किया. जिससे उसके मुख से दर्द भरी कामुक आवाज निकल गई ‘इईस्स … उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओह.’
सतीश श्वेता को बालों से पकड़ कर खिंचकर ले गया और उसे ले जाकर डाइनिंग टेबल पे पटक दिया. उसके गिरते ही सतीश खुद उसके ऊपर चढ़ गया. सतीश के भार से श्वेता मेज पर दबी थी. सतीश ने उसके दूसरे कंधे पे दांत से काट के किस किया और वैसे ही दांत से काटते हुए नीचे आने लगा.
अब सतीश श्वेता की नंगी पीठ पर काटते चूमते हुए नीचे आ रहा था. सतीश के काटने से उसके मखमली गोरे बदन पे सतीश के दांतों के निशान पड़ जाते. श्वेता बस मीठे दर्द से आनन्दित हो रही थी. श्वेता आंखें बंद कर के ‘उम्म्म ईस्स … हम्म आह..’ की सिस्कारियां ले रही थी.
नीचे आते हुए सतीश उसके गांड पर आ पहुंचा. सतीश उसकी मस्त गांड को भी अपने दांतों से काट के खाने लगा. श्वेता अपने दांतों से होंठों को कामुक अंदाज में भींचे हुए सतीश के दांतों के लव बाइट के मजे ले रही थी. सतीश उसकी गांड को काटता हुआ चाटता जा रहा था. इससे उसके माथे पे हल्की सी शीकन भी नहीं थी. बल्कि उसके होंठों पर कामुक मुस्कान थी.
श्वेता ‘ओह्ह … यस … हम्म …’ की आवाजें निकाल रही थी. सतीश ने नीचे देखा, तो श्वेता की चुत से उसका प्रेम रस बह के नीचे टांगों की तरफ जा रहा था. शायद अब तक श्वेता गर्म हो के एक बार झड़ चुकी थी.
सतीश ने एक लंबी सांस ली और श्वेता की चुत की खुशबू को अपने ज़हन में उतार लिया. श्वेता की मादक खुशबू सतीश को पागल कर रही थी. सतीश का मन तो कर रहा था कि श्वेता की चुत में मुँह डाल के उसका रस चूस लू … खा लूँ, लेकिन सतीश श्वेता को और तड़पाना चाहता था. यही श्वेता की मर्जी भी थी.

 
सतीश ने मेज़ पर रखी श्वेता की पैंटी उठायी और चूत से रस पौंछने लगा. सतीश ने टांगों से लेकर चुत तक का सारा रस श्वेता की पैंटी से ही पौंछा. पैंटी उसके प्रेमरस से भीग गयी थी. फिर सतीश उठा और उसी तरह श्वेता की पैंटी को उसके मुँह में ठूंस दिया. उसने मुँह खोल कर बड़े आराम से पैंटी को अपने मुँह में ले लिया. अभी भी श्वेता इसी हालत में थी.
अब श्वेता चुदने के लिए तैयार थी. सतीश ने उसे बाल पकड़ के ही उठाया और कमरे में ले गया. कमरा भी पूरी तरह से सजा हुआ था. कैंडल्स से रंग बिरंगी रोशनी वाले बल्बों से सजावट थी. सतीश ने उसे वहीं बांधा, जहां कल बांधा था. सतीश ने श्वेता की गर्दन पे किस किया और आंखों पे पट्टी बांध दी.
सतीश ने ध्यान दिया कि उसका मुँह वासना से पूरी तरह लाल हो गया था. श्वेता की आंखों में नशा सा छाया हुआ था.
अपनी बहन के कानों पे सतीश ने किस किया और बोला- “क्या तुम पूरी रात मजे करने के लिए तैयार हो”?
श्वेताने हामी में सर हिलाया.
सतीश ने उसे गाल पे किस किया और उसे वैसे छोड़ कर टेबल की तरफ बढ़ा, जहां वाइन की बॉटल रखी थी. आइस बकेट में आइस थी, पूरा बकेट ऊपर गुलाब से सजा हुआ था. सतीश ने एक ग्लास में वाइन डाली और आइस डाल कर श्वेता के पास आया. सतीश ने उसके मुँह से पैंटी निकाली और उसे वाइन पिलाने लगा. श्वेता तो जैसे प्यासी थी, उसने झट से पूरा ग्लास खाली कर दिया.
सतीश ने उससे पूछा- “और चाहिए”?
श्वेताने नशीली आंखों से हां में सर हिलाया. सतीश ने ग्लास को वाइन से फिर से भरा और उसे पिलाने लगा. श्वेता दूसरा ग्लास भी पी गयी.
सतीश ने तीसरी बार गिलास भर लिया और पूछा- “और”?
इस बार सतीश आश्चर्य चकित था. उसने हां में सर हिलाया.
सतीश ग्लास उसके मुँह के पास ले गया, श्वेता पीने के लिए मुँह आगे करने लगी. सतीश ने हाथ वापस खींच लिया. श्वेता ने नाराज होने जैसा चेहरा बना लिया.
सतीश ने उससे बोला- “ना … ना … ऐसे नहीं”.
सतीश ने वाइन की एक सिप ली और उसके होंठों पे होंठों को रख दिया. उसके होंठ चूसते हुए सतीश ने वाईन को उसके मुँह में उड़ेल दिया. मुस्कुराते हुए श्वेता गटक गयी. सतीश उसके होंठों को चूसते हुए अलग हुआ.
इसी तरह सतीश ने वाइन उसे फिर से पिलाई और उसके होंठों पे फिर होंठों रख दिए. उसने वाइन सतीश के मुँह में उढ़ेल दिया. सतीश उसके होंठों को चूमते हुए पी गया.
कुछ देर ऐसा करने के बाद सतीश ने उसके गाल पकड़ के दबाये और पूरा मुँह खोल के ऊपर कर दिया. फिर पूरी बोतल उठा के उसे पिलाने लगा. श्वेता वाइन को इस तरह से पीने को मजबूर थी. उसका मुँह सतीश ने जबरदस्ती खोल रखा था. सतीश वाइन उसके मुँह में डाल रहा था. श्वेता जितना हो सके वाइन अन्दर गटकती जा रही थी. करीब आधी बोतल सतीश ने ऐसे ही खाली कर दी.
जब सतीश ने उसे छोड़ा, तब उसने आखिरी घूँट गटक कर चिहुँक के ऐसे सांस ली, जैसे उस की जान में जान आयी हो. कुछ वाइन उसके चेहरे पे फैल गयी थी. सतीश ने उसके बाल पकड़ के खींचे, जिससे उसका चेहरा ऊपर को हो गया. उसके चेहरे से लग रहा था कि उसे सतीश की इस हरकत का अंदाज नहीं था. सतीश ने उसके मुँह से गिरी वाईन, जोकि उसके गालों पर लग कर टपक रही थी, उसी अवस्था उसके गालों को चाटना शुरू कर दिया.
सतीश ने ऐसे ही चाट चाट कर सारी वाइन उसके चेहरे से साफ की. सतीश को ऐसा प्रतीत हो रहा था, जैसे श्वेता के होंठों से लग के वाइन और भी नशीली हो गयी थी. सतीश उसके होंठों को चूसते हुए अलग हुआ. श्वेता सतीश का पूरा सहयोग कर रही थी. उसे इस तरह की सेक्स क्रियाओं में बड़ा मजा आ रहा था.
पिछले कई घंटो से सतीश श्वेता को अलग अलग तरीकों से उत्तेजित कर रहा था. पहले हॉल में, फिर सड़क पर, फिर यहां अपनी ही बिल्डिंग में श्वेता को नंगी घुमा रहा था. श्वेता अब इतनी गर्म हो चुकी थी कि अभी उसे जिस मर्द का भी लंड मिले, वह उससे चूत खोल कर चुद जायेगी.
श्वेता एक बार झड़ भी चुकी थी … ये भी उसे याद नहीं था. उसे जो हल्की थकान महसूस हो रही थी, वह भी वाइन के नशे से गायब हो चुकी थी. श्वेता सतीश से कहना चाहती थी कि ‘बस कर भाई … अब अपनी रंडी बहन को चोद दे’.

 
लेकिन श्वेता ने खुद को रोका. श्वेता ने लॉकेट की तरफ देखा और खुद को याद दिलाया कि ‘वह भाई की गुलाम है’. वास्तव में नार्मल सेक्स तो श्वेता ने अपने भाई के साथ बहुत बार किया है. लेकिन ऐसे अपने भाई की निजी रंडी बनके चुदने का मजा ही कुछ और था.
श्वेता के दोनों हाथ ऊपर बार से बंधे हुए थे. इस वक्त श्वेता पीटी करने वाली पोजीशन में बंधी थी. सतीश ने श्वेता को ऐसे बांध रखा था कि श्वेता अपनी एड़ियों पे उचक कर असहाय सी खड़ी थी. श्वेता कुछ देख नहीं सकती थी, उसकी आंखों पे पट्टी थी. भले ही वह देख नहीं पा रही थी. लेकिन हां वह महसूस सब कुछ कर रही थी. श्वेता अपने भाई के जूतों की आवाज को सुन सकती थी. उसे महसूस हो रहा था कि सतीश उसके चारों तरफ घूम के उसके जिस्म का निरीक्षण कर रहा था. सतीश को ऐसे घूरने में पता नहीं क्या मजा आता था. श्वेता के मन में तरह तरह के ख्याल उठ रहे थे कि पता नहीं अब सतीश उस के साथ क्या करेगा?. श्वेता अब एक नए दर्द भरे रोमांच के लिए खुद को तैयार कर रही थी.
तभी अचानक जूतों की आवाज रुक गई. एक कामुक से अहसास से श्वेता की सांसें तेज हो गईं. श्वेता नहीं जानती थी कि अगले ही पल क्या होने वाला है. उस के नंगे जिस्म में वासना की एक लहर सी दौड़ गयी.
सतीश अपनी बहन के नंगे जिस्म को तरसा रहा था. सतीश मन में सोच रहा था कि श्वेता न जाने मुझे कैसे चोदने को मिल गई. आह … उसका गोरा जिस्म … कड़क उठे हुए स्तन, उन पे गुलाबी निपल्स, सपाट पेट, नंगी पीठ, गोरी बांहें, सुराही दार गर्दन, पतली कमर, उठि हुयी और कसी हुई गांड. सब मिला के उसे श्वेता कामवासना की देवी लग रही थी.
उसके नंगे जिस्म को देख के इतनी उत्तेजना बरस रही थी कि कोई भी झड़ जाए. सतीश के कदमों की आहट से श्वेता अवगत थी. सतीश के कदमों के आहट से श्वेता की सांसें तेज हो रही थीं. हर बार जब श्वेता सांस लेती, तो उसके स्तन ऊपर नीचे होने लगते. उसके स्तनों का इस तरह से उठना गिरना, उस पूरे दृश्य को और भी कामुक बना रहे था.
सतीश एक पल के लिए रुका. सतीश ने ड्रावर खोला, जिसमें उसने सारे सेक्स के सामान रखे हुए थे. उसमें से सतीश ने कुछ सामान निकाला. उसे पास में स्टडी टेबल पे रखा … फिर वापस उसके पास आया.
अब सतीश उसके नीचे आ गया. सतीश ने अपनी बहन के गांड पे किस किया. श्वेता की नंगी पीठ पे किस करते हुए ऊपर की तरफ बढ़ा. सतीश ने उसके लेफ्ट हाथ को खोला और उसे पुलअप मशीन के दूसरे बार से फैला कर बांध दिया. यही काम सतीश ने उसके पैरों के साथ किया. अब श्वेता लगभग एक्स आकार में पिछली रात की तरह बंधी थी. श्वेता नशे तथा वासना से लिप्त थी. उसे बस सेक्स दिख रहा था. उसे याद है कि जब सतीश उसके नंगी पीठ पे किस कर रहा था. श्वेता किस तरह कामुक तरीके से दांते भींचे हुए मजे ले रही थी. सतीश ने सेक्स खिलौनों में से झाड़ूनुमा एक खिलौना लिया, जिसे ‘व्हिप’ कहते थे, उसे अपने हाथ में उठाया.
यह व्हिप नामक सामान एक झाड़ू जैसा खिलौना होता है. जो कि सॉफ्ट लेदर की रस्सियों का बना था. आगे यह रस्सियां खुले गुच्छे के रूप में खुली हुई होती हैं. पीछे ये सब गुंथ कर एक हैंडल सा बनाती हैं. इन सब चीजों से उसी ने सतीश को अवगत कराया था. सतीश ने उस व्हिप को लिया और वापस उसके पास आया.
सतीश अब घूम के फिर से श्वेता की हालत का मुयाअना करने लगा. उसका पूरा जिस्म स्थिर था. क्योंकि श्वेता रस्सी से बंधी थी. बस सतीश के कदमों की आहट पाकर श्वेता की सांसें फिर से तेज हो जाती थीं.
सतीश घूमते हुए श्वेता की दायीं तरफ आया और व्हिप से उसके नंगे सपाट पेट पे दे मारा. श्वेता ‘आ..’ की आवाज से चिहुंक उठी. श्वेता की सांसें एक सेकंड के लिए जैसे अटक सी गईं. हालांकि उसे दर्द हुआ होगा … लेकिन दर्द पे वासना हावी था. कुछ सेकंड में श्वेता की सांस में जान आयी. उसने लम्बी संतोष भरी हम्मम … की आवाज के साथ सांस छोड़ी.
सतीश- “कैसा लगा”?
श्वेता सांसें सम्भालते हुए कांपती सी आवाज में बोली- “यह बहुत ही अच्छा था”

 
सतीश ने दूसरी बार में व्हिप को सामने से उसके पेट वाले हिस्से पे मारा, श्वेता फिर से चिहुंकी. सांसें श्वेता की फिर से अटक सी गईं. लेदर उसके जिस्म पे सटीक चिपक रहा था. स्लो मोशन में देखें, तो लेदर उसके नंगे स्किन पे सटाक से चिपकता और एक कम्पन के साथ वापिस आता. हर बार पे श्वेता की सांसें अटक सी जातीं.
सतीश ने उससे इस दूसरे वार के साथ बोला- “बोलो एक और बार मास्टर, आग्रह करो मारने के लिए”
उसने कांपते हुए दर्द भरी आवाज में कहा- “यस्स … प्लीजज … वन्स हम्म वन्स मोर्रर्र … मास्टर”
श्वेता की आवाज से जाहिर था कि उसे दर्द हो रहा था. लेकिन उसके चेहरे पे वासना के भाव थे.
सतीश घूमते हुए श्वेता की बायीं तरफ आया और उसके नंगे सॉफ्ट गांड पे दे मारा. श्वेता जोर से चिहुंकी.
श्वेता-‘आहह ईसस्सस … हम्म..’
सतीश- ‘से … अगेन..’
उसने एक झटके में जल्दी से बोला- “वंस मोर मास्टर”
सतीश ने उसके दूसरे गांड पे मारा. श्वेता दांत भींच कर दर्द से चिहुंक उठी.
‘आहह … उक्क..’
श्वेता की ‘आहह..’ दर्द से अटक के रह गयी. फिर एक पल बाद उसने ‘उम्मम्मम … ईस्स..’ की आवाज के साथ लंबी सांस छोड़ी.
सतीश होंठों को दांत से चबाते हुए बड़े ही कामुक लहजे में बोला- “फिर से बोलो”.
‘उम्म्म यसस्स … वंस मोर मास्टर … हम्म आहह …
उसके इस अंदाज से सतीश के अन्दर वासना की लहर सी दौड़ गयी. श्वेता किसी एक्सपर्ट रंडी की तरह बर्ताव कर रही थी. शायद यह वाइन के नशे का नतीजा था. श्वेता दर्द को अपना चुकी थी और अब सतीश के वार का मजा ले रही थी. साथ ही श्वेता बड़बड़ा भी रही थी- “उम्म्म … ओह … यस मास्टर … आई लाईक दैट … उम्म्मम … हम्मम … आहह … यस प्लीज मास्टर … वन्स मोर मास्टर”
ऐसा करते हुए श्वेता अपने गांड बड़े कामुक अंदाज में हिलाते हुए दांतों से होंठों को काटने लगी. वाइन के नशे ने उसे रंडी बना दिया था.
उसके इस अंदाज से सतीश भी गर्म हो गया और सतीश ने जोर से श्वेता की नंगी पीठ, उठे हुए नग्न बॉब्स, नंगे पेट, नंगी गांड, मखमली टांगों पे लगातार कई कोड़े बरसा डाले.
श्वेता बस दर्द के मारे ‘आ आहह … ओह ओ ईईईई … ऊम्म..’ करके चीखती रही. श्वेता कुतिया की तरह चिल्ला रही थी.
सतीश ने कोड़े बरसाना रोका. उसने सिसकते हुए सांस ली … श्वेता रो रही थी. श्वेता की आंखों में आंसू थे. लेकिन चेहरे पे वही कामुक भाव थे. श्वेता निढाल पड़ी सांसों पे काबू पाने की कोशिश कर रही थी. श्वेता की चीखें काफी तेज थीं. सतीश को लगता था कि श्वेता की तेज आवाजें आसपास के नजदीक के फ्लैट तक सुनाई पड़ी होंगी.
अब सतीश रुक गया. सतीश श्वेता की आंखों में आंसू नहीं देख सकता था. सतीश ने उससे पूछा- “आरामसे करना चाहती हो”?
श्वेता कुछ नहीं बोली, उसने बस ना में सर हिलाया.
सतीश ने उससे बोला- “हम कभी बाद में कर सकते हैं जब तुम तैयार हो रहोगी”
श्वेता ने गुस्से से उसे देखा.
सतीश अपने पूरे होशोहवास में था. लेकिन श्वेता पर सेक्स का भूत सवार था. ऊपर से वाइन ने उसे और खोल दिया था. श्वेता इस वाइल्ड सेक्स का पूरा मजा ले रही थी. हालांकि सतीश उसके स्वभाव को जानता था. उसे रोका नहीं जा सकता. सतीश ढीला पड़ा, तो श्वेता नाराज हो जाएगी. यह वाइल्ड सेक्स ही तो श्वेता की इच्छा थी. उसने सतीश की कई सेक्स इच्छाओं को पूरा किया था, आज सतीश की बारी थी.
सतीश उसके पीछे आया और उसके बाल पकड़ कर खींचे. श्वेता दर्द के साथ कामुकता भरी सिसकियां ले रही थी. उसने फुंफकार के सर ऊपर किया. गुस्से और कामवासना का सम्म्लित भाव उसके चेहरे पे था. श्वेता जोर जोर से सांस ले रही थी या यूं कहें श्वेता हांफ रही थी. सच में श्वेता “हम्म हम्मम..” करके हांफ भी रही थी.
सतीश ने बोला- “तुम्हें पसन्द आया मेरी रंडी”?
उसने हामी में सर हिलाया.
सतीश ने उसे बनावटी गुस्से से डाँट के कहा “तेज बोल मेरी रंडी”
श्वेता रोती सी आवाज में कांपती आवाज में बोली- “मुझे ये अच्छा लग रहा है मास्टर”
सतीश ने उसके गांड पर फिर से व्हिप से मारा. उसने गांड उचकाते हुए “उम्म्म हम्म उम्मम्म …” की आवाजें निकालीं. श्वेता अपनी सिसकारियों को दबा रही थी … या यूं कहें कि जितना हो सके, श्वेता धीमी आवाज कर रही थी.

 
दर्द कामुकता और सेक्स की गर्मी से उसका बदन जो तप रहा था, वह पिघलना शुरू हो गया था. पसीने की कुछ बूंदें उसके माथे पर झलक रही थीं.
सतीश ने अगला कोड़ा श्वेता की चूचियों पर मारा श्वेता पहले जैसे ही जोर से सिसकी- उम्म्म हूँ उम्मम्म … आह इस्स.
दर्द भरी मादक आवाजें उसके मुँह से निकल पड़ीं. अब सतीश उसे धीरे धीरे कोड़े मारने लगा था ताकि उसे दर्द न हो. लेकिन उसका जिस्म इस वक़्त काफी सेंसटिव था. हल्का सा स्पर्श भी उसे गर्म कर रहा था.
श्वेता की आंखों में आंसू थे. लेकिन चेहरे पे वही कामवासना का भाव था. वह पक्की रंडी की तरह बर्ताव कर रही थी.
अब सतीश ने उसके गांड पे कोड़ा मारा और बोला- “कहो तुम मेरी रंडी हो”
श्वेता अपनी सांसें सम्भालते हुए बोली- “हा मैं आपकी निजी और हमेशा के लिए रखैल हूँ”
सतीश ने उसके नंगे पेट पे एक और कोड़ा मारा और बोला- “कहो मैं तुम्हारी जिंदगी भर के लिए रंडी हूँ”
उसने वैसा ही बोला- “हा मैं तुम्हारी रखैल रहूंगी जिंदगी भर”
अब श्वेता की आवाज सामान्य थी. उसने रोना बंद कर दिया था. सतीश ने दो-तीन कोड़े लगा कर व्हिप को साइड में रखा और उसके जिस्म को ताड़ने लगा. दोबारा अब श्वेता सामान्य हो रही थी. उसका जिस्म वासना से तप के लाल पड़ गया था.
श्वेता सर झुकाये पुल बार से बंधी खड़ी थी. सतीश ने एक दफ़ा उसके चेहरे को देखा. उसके माथे पे पसीने की बूंदें थीं. उसके गर्दन और कंधे के भाग से पसीना छूते हुए उसके बॉब्स के बीच की घाटी में आ रहा था. उसका बदन पसीने के बूंदों के कारण चमक रहा था.
सतीश उसके पीछे गया और पीछे से उसके गाल पे किस किया. सतीश के लबों का स्पर्श पाते ही श्वेता सिहर गयी. उसने सर ऊपर की तरफ उठा लिया.
सतीश ने उसके कान की लटकन को धीरे से काटा. उसके मुख से धीमी सी आवाज निकली- “ईईस्स …
सतीश ने उसके कान के पीछे वाले भाग पे लगे पसीने की बूंदों पर जीभ को फिरा दिया. उसने दांत भींचे धीमी सी सिसकारी भरी- उम्म … सतीश.
उसका मुँह खुला था. आंखों पर पट्टी थी. श्वेता धीमी धीमी कामुक सिसकारियां लेते हुए सतीश का नाम पुकार रही थी.
यह काफी उत्तेजना भरा दृश्य था. श्वेता काफी उत्तेजित भी थी. पिछले एक घंटे से सतीश उसे अलग अलग तरीकों से उत्तेजित कर रहा था. सतीश अपने हाथ आगे उसके सीने पे ले गया और अपनी तर्जनी उंगली से उसके सीने पर लगे पसीने को पौंछते हुए गर्दन तक आया और पीछे बाल पकड़ के उसका सर ऊपर कर दिया. इसके बाद सतीश ने अपनी उंगली को उसके मुँह में ठूंस दिया. श्वेता कामवासना की आग में जल रही थी. उसने सतीश की उंगली चाट ली.
सतीश ने उंगली को उसके लबों पे फेरा, तो श्वेता मीठी आहों के साथ बस इन खुराफातों का मजा ले रही थी. इधर सतीश भी उसके बालों को वैसे ही पकड़े हुए उसके उसके कंधे पे लगी पसीने की बूंदों को जीभ से चाट रहा था. सतीश ने जीभ श्वेता की पीठ पे फेरी, तो श्वेता तो जैसे सिहर ही उठी. श्वेता बोलने लगी- “भाई … अब चोद दे ना … कितना तड़पाएगा”.
सतीश खड़ा हुआ और उसके होंठों पे उंगली रखते हुए बोला- “कोई आवाज नहीं”
श्वेता चुप हुई तो सतीश ने कहा- “मास्टर को तुम या तो सिसकारियां लेते हुए पसन्द हो, या तो बिल्कुल चुपचाप”
श्वेता- “सॉरी मास्टर”.
सतीश ने श्वेता के स्तनों को आगे से पकड़ लिया और दबाते हुए कंधों पे, गर्दन पे, श्वेता की लटकती बांहों पे किस करने लगा. श्वेता बस “हम्मम आह उम्म्मम यस्स..” की सिसकारियां ले रही थी.
सतीश उसके बॉब्स को जोर जोर से दबाता, लेकिन उसे तो जैसे फर्क ही नहीं पड़ रहा था … उलटे उसे आनन्द आता. श्वेता बस मादक सिसकारियां लेती- ओह्ह यस … उम्म्ममम्म हम्म … ओह्ह फ़क.
सतीश ने श्वेता की चूची को और जोर से भींचा.
श्वेता फिर से बोल पड़ी- “मास्टर प्लीज मुझे चोदो”
“हम्म..”
“हां आप जहां जैसे चाहें. जहां चाहें, बस चोद दे मुझे.”
ये सब वाइन के नशे का असर था.
सतीश बस उसे मसले जा रहा था.
श्वेता दोबारा बोल पड़ी- “प्लीज भाई चोद दो प्लीज भाई”.
सतीश- “ओके … लेकिन यहां नहीं”.

 
श्वेता की बगलों की खुशबू सतीश को पागल कर रही थीं. सतीश उसे चाटना चाहता था. लेकिन बहन के आग्रह के आगे मजबूर होके सतीश ने अपनी इच्छा का त्याग कर दिया. उस ने श्वेता की आंखों की पट्टी हटाई और उसके हाथ खोल दिए. श्वेता निढाल सी गिर पड़ी. सतीश ने उसको अपनी बांहों में सम्भाला. उसे वापस से खड़ा किया. श्वेता एक गुलाम की तरह खड़ी थी. सतीश ने उसके हाथों को ऊपर कर के आपस में रस्सी से बांध दिया. इस बार बंधन थोड़ा ढीला था. सतीश ने टेबल पे रखे कुछ सामान लिए.
फिर सतीश ने कमर में हाथ डाला और चलने लगा. श्वेता वैसे हीं हाथ ऊपर किये चल रही थी.
दोनो हॉल में सीढ़ियों की तरफ बढ़ रहे थे. यह सीढ़ियां ऊपर जाती थीं. सतीश ने उसे सीढ़ी के हैण्ड-रेल के सहारे झुका दिया. सतीश उसके नंगी पीठ पे किस करता हुआ, उसके कानों के पास गया.
सतीश उसके कानों में बोला- “एक आखरी खेल”
सतीश ने श्वेता की वही पैंटी को लिया, जो उसके जूस से भीगी हुई थी. सतीश श्वेता की टांगों के बीच में आ गया. सतीश ने देखा श्वेता की चुत का रस टपक कर श्वेता की जांघों से बह रहा था. शायद श्वेता दूसरी बार झड़ चुकी थी. सतीश ने श्वेता की चुत को उसी पैंटी से साफ किया और श्वेता की चुत में एक वाइब्रेटर, जो सतीश ने श्वेता की नजरों से छुपा के आज ही ख़रीदा था, ठूंस दिया. उसे बिल्कुल भी दर्द नहीं हुआ. होता भी कैसे, श्वेता सतीश का मोटा लंड पिछले चार पांच दिनों से ले रही थी. श्वेता काफी फिट थी और नशे में उसको बस यही सूझ रहा था कि उस की जल्दी से चुदाई हो.
सतीश ने उसे उठाया, सीधी खड़ा किया और बोला- “तुम चुदाई चाहती हो ना”?
श्वेता बड़े उत्साह में सर हिला कर कहने लगी- “हां … हां”!
सतीश- “तो आज चुदाई हम मम्मी पापा के कमरे में करेंगे, तुम्हें बस कमरे में सीढ़ी चढ़ के जाना है”.
उसने एक अच्छी स्लट की तरह हां में सर हिलाया. सतीश ने उसे कंधे पे किस किया और पैंटी उसके मुँह में ठूंस दी.
सतीश ने पूछा- “क्या तुम तैयार हो”?
उसने हां में सर हिलाया- “ओके”.
इसके बाद श्वेता लड़खड़ाती हुई सीढ़ियां चढ़ने लगी. उसके हाथ ऊपर हवा में थे. श्वेता बलखाते हुए सीढ़ियां चढ़ रही थी. सतीश श्वेता की गांड को देख रहा था. क्या कामुक दृश्य होता है जब लड़की की गांड को पीछे से ऐसे देखा जाता है.
श्वेता तीन सीढ़ियां चढ़ी थी कि सतीश ने रिमोट से बाईब्रेटर ऑन कर दिया. श्वेता रुकी और उसने गुस्से से पीछे मुड़ के सतीश को देखा. सतीश ने स्पीड 2 पे कर दी.
उसके बदन में एक झटका सा लगा. उसके घुटने मुड़ने लगे. श्वेता कांपते हुए आगे की तरफ झुकी और ऊपर की सीढ़ियों के सहारे सम्भली. सतीश ने उसे पीछे से प्रोत्साहित किया.
सतीश-“कम ऑन दीदी, यू कैन डू इट.”
सतीश का प्रोत्साहन बढ़ाना काम कर गया. श्वेता धीरे से लड़खड़ाते हुए खड़ी हुई. उसने एक पैर आगे बढ़ाया और एक सीढ़ी चढ़ गयी. उसने किसी तरह हिम्मत की … और दो और सीढ़ियां उसने इसी हालत में चढ़ीं. सतीश ने स्पीड 3 पे कर दी. अब उसका सम्भल पाना और मुश्किल हुआ. श्वेता कुछ बोल तो नहीं पा रही थी. पर श्वेता तेजी से सिसकारियां लेना चाहती थी. किसी तरह उसने रेलिंग पकड़ के 2 सीढ़ियां और पार की. अब सतीश ने स्पीड 4 पे कर दी, श्वेता एकदम से निढाल सी हो के गिरी और रेलिंग पकड़ के श्वेता किसी तरह सम्भली.
श्वेता रेलिंग के सहारे बैठने लगी. सतीश झट से उसके पास पहुंचा. सतीश ने उसे सम्भाला. श्वेता रेलिंग के सहारे झुकी थी. श्वेता ना में सर हिला रही थी कि उससे नहीं होगा. सतीश ने वाइब्रेटर ऑफ किया और श्वेता की पैंटी मुँह से बाहर निकाली.
श्वेता - “भाई मुझ से नहीं होगा. तू चाहे तो मुझे यहीं चोद दे”.
सतीश ने वाइब्रेटर श्वेता की चुत से निकाला और उसके मुँह में दे दिया. श्वेता चाटने लगी.
सतीश- “ओके इस बार सिर्फ़ एक पे”.
श्वेता कुछ नहीं बोली.
सतीश ने वापस श्वेता की चुत में वाइब्रेटर और पैंटी को उसके मुँह में ठूंस दिया.
सतीश ने वाइब्रेटर एक पे चालू किया. श्वेता धीरे धीरे किसी तरह सीढ़ी की रेलिंग पकड़े सीढ़ियां चढ़ने लगी.
 
किसी तरह उसने बाकी की सीढ़ियां चढ़ीं. आखिरी सीढ़ी पे श्वेता की हिम्मत जबाब देने लगी. अब श्वेता घुटने मोड़ के वहीं बैठने लगी. सतीश ने श्वेता की कमर में हाथ लगा के उसे ऊपर चढ़ाया. वहां पहुचते ही श्वेता घुटने के बल बैठ गयी … श्वेता हांफ रही थी. सतीश ने वाइब्रेटर ऑफ किया और उसे उठाया. सतीश उसे अपने साथ कमरे में ले जाने लगा. उसके हाथ बंधे थे. मुँह में पैंटी ठुंसी हुई थी. दर्द उसके चेहरे पे साफ था. हाथ आगे पेट के पास किये हुए श्वेता सतीश के साथ चल रही थी.
सतीश ने गेट पे उसे रोका और बोला,
सतीश-“दीदी, तुम गेम पूरा नहीं कर पाईं, इसकी सजा तो तुम्हें मिलेगी”.
उसने आश्चर्य से सतीश की तरफ देखा, सतीश ने उसे देख के हां में सर हिलाया.
उसने भी हां में सर हिलाया. उसका मतलब था
‘ओके फ़ाईन’
श्वेता - “क्या है मेरी सजा?
सतीश- “मैं तुम्हें बेड पे नहीं चोदूंगा”.
उसने फिर इशारे से पूछा- “फिर?
सतीश ने मुस्कुराते हुए खिड़की की तरफ इशारा किया. उसने मुस्कुराते हुए अपने बंधे हाथों से सतीश के सीने पे धौल मारी और हंसने लगी.
सतीश के मम्मी पापा के बेड रूम में बालकनी है. यह मध्यम आकार की है, लेकिन सामान्य से बडी है. सतीश ने बालकनी का दरवाजा खोला. यह सुविधा बिल्डिंग के टॉप फ्लोर्स के लिए थी. मम्मी को भी यह पसंद था, इसी लिए हमने ये फ्लैट भी लिया था.
सतीश ने लाइट ऑफ कर दी. श्वेता को आने का इशारा किया. श्वेता बीच बालकनी में खुले आसमानों के नीचे बिल्कुल नंगी खड़ी थी. सतीश ने शर्ट कमरे में ही निकाल दी थी. सतीश ने अपनी पेंट निकाली और कमरे में फेंक दी. फिर सतीश ने आस पास देखा, कोई उन्हें देख नहीं सकता था. सतीश उससे चिपक गया. सतीश ने उसके हाथों को खोला. अब सतीश उसके कंधों पे किस कर रहा था. उसने एक हाथ पीछे करके श्वेता के गाल पे रखे हुए थे. सतीश ने ऐसे ही किस करना चालू रखा. सतीश उसके कंधों और गर्दन के भागों को चूम रहा था तथा साथ में उसके स्तनों को भी दबा रहा था.
श्वेता अपने गांड सतीश के लंड पे रगड़ रही थी. सतीश ने बालकोनी के रेलिंग के सहारे उसे झुकाया और श्वेता की चुत में पड़ा वाइब्रेटर निकाला. सतीश ने श्वेता की नंगी पीठ को चूमते हुये उसे वापस खड़ा किया. सतीश ने उसके बाल पकड़ के अपनी तरफ घुमाया. वाइब्रेटर, जो उसके रस से भीगा था, उसके मुँह में डालने लगा. श्वेता जीभ निकाल के अपना ही रस चाटने लगी. सतीश भी उसके साथ उसके रस को चाट रहा था. सतीश श्वेता की जीभ और होंठों पे लगे रस को चाट रहा था.
फिर सतीश ने वाइब्रेटर को एक तरफ फेंका और हाथ पीछे ले जाके श्वेता की कमर से उसे पकड़ कर उसके नंगे बदन को खुद से चिपका लिया. सतीश उसके होंठों को चूसने लगा. सतीश उसके होंठों को जोर जोर से चूस रहा था. श्वेता अपनी कोमल बांहों का घेरा बना कर सतीश के गर्दन में डाल के उससे चिपक गयी. वह सतीश का पूरा साथ देने लगी.
दोनों बालकनी में बिल्कुल नंगे एक दूसरे से चिपके वासना का खेल खेल रहे थे. चांदनी रात थी. मौसम ठंडा था. चाँद की हल्की रोशनी में श्वेता के होंठों को चूसने का मजा ही अलग था. हल्की ठंडी आरामदायक हवा बह रही थी, जो उनके सेक्स की आग को और भड़का रही थी. यूँ कहूँ कि आज पूरी कायनात भी उनका साथ दे रही थी.
सतीश उसके रसीले होंठों को चूस रहा था. दोनो एक दूसरे में खो चुके थे. वह दोनों बस आंखें बंद किये वासना के सागर में गोते लगा रहे थे.
कुछ देर तक किस करने के बाद सतीश रुका, सतीश ने आंखें खोली. सतीश ने एक सेकंड के लिए उसके चेहरे को देखा. श्वेता की बड़ी बड़ी सुरमयी आंखें, खुले बाल, चाँद की रोशनी में चमकते उसके रसीले होंठ.
ये सब देखते ही सतीश उत्तेजित हो उठा, वासना की लहर सी दौड़ गयी सतीश के शरीर में. सतीश ने दोनों हाथो से उसको कमर से पकड़ कर खींचा, श्वेता सतीश के नंगे बदन से और सट गयी. उसके फूले हुए स्तन सतीश के सीने से चिपक गए. सतीश उसके कड़क निपल्स को अपने सीने पे महसूस कर सकता था. सतीश ने श्वेता की गर्दन पे स्मूच करते हुए किस करना चालू किया.
 
श्वेता अपने सर को ऊपर करके आंखें बंद किये वासना भरी ठंडी आहें भर रही थी. उसका मुँह खुला था. श्वेता धीमी सिसकारियां ले रही थी. सतीश ने उसके गांड के नीचे हाथ लगा के उठाया. श्वेता सतीश की गर्दन में बांहें डाले झूल गई और सतीश की कमर में अपनी टांगें लपेट कर सतीश के बदन से चिपक गयी. सतीश ने उसके होंठों को चूसते हुए उसे ले जाके दीवार से चिपका दिया. श्वेता नंगी पीठ के सहारे दीवार से चिपक गयी. सतीश ने उसके दोनों हाथ अपने हाथों में लिए और अपने होंठों के पास ला कर चूमा. फिर झटके से ऊपर कर के दीवार के सहारे चिपका दिए. सतीश ने उसके हाथों को जोड़ के दीवार से चिपका रखा था. सतीश का ऐसा करना उसे अच्छा लगा, उसके होंठों पे हल्की मुस्कान थी.
सतीश ने दूसरे हाथ की उंगली को श्वेता की कोमल बांहों पे फिराया. श्वेता मस्त हो उठी. उसने आंखें बंद किये हुए हल्की मुस्कान के साथ ‘उम्मम …’ की धीमी सीत्कार ली. सतीश उसे उसी अवस्था में (हाथ ऊपर करके अपने एक हाथ से दीवार में चिपकाये) दूसरे हाथ की उंगलियां उसके नंगी कोमल बांहों पे फेरते हुए नीचे आ रहा था, श्वेता मस्त हो रही थी.
सतीश की उंगलियां श्वेता की गर्दन के पास पहुँची. श्वेता मीठी सी मुस्कान के साथ मस्त होके ‘उम्म्म हम्मम्म …’ की सिसकारियां ले रही थी. सतीश ने उंगली उसके होंठों पे फेरा. श्वेता सेक्स के लिए प्यासी थी, सतीश के स्पर्श से उत्तेजित हो रही थी. उसने सतीश की उंगलियों को चूम कर दांत भींच लिया.
कामवासना उसके चेहरे पे साफ नजर आ रही थी. सतीश ने उसके चेहरे पर से, जो श्वेता की जुल्फें आ गयी थी, को उंगलियों से हटाया. उसका नूर सा चेहरा सतीश के सामने था. श्वेता आंखें बंद किये, पता नहीं कहां खोयी थी. सतीश उसके पास हो गया. उसके माथे पे चुम्बन किया. तो उसके होंठों की मुस्कान बढ़ गयी. श्वेता की सांसें तेज थीं, जो सतीश के चेहरे से टकरा रही थीं. सतीश ने श्वेता की आंखों पे किस किया. श्वेता की नाक के ऊपर किस किया. बारी बारी से उसके दोनों गालों पे किस किया.
श्वेता बस आंखें बंद किये सतीश के लबों के स्पर्श का आनन्द ले रही थी. उसके होंठों पे मुस्कान थी. श्वेता मुँह खोले सिसकारियां भर रही थी. सतीश ने दूसरे हाथ में उसके चेहरा पकड़ के दबाया. उसके दोनों गाल दबे हुए थे, जिससे उसके होंठों से पाउट्स बन गए थे. सतीश ने उसके रसीले होंठों को जीभ से चाट लिया.

अपने भाई की ये अदा श्वेता को बड़ी पसंद थी. सतीश धीरे धीरे प्यार करते करते अचानक से जंगली हो जाता था, जब श्वेता इसकी कामना भी नहीं कर रही होती थी. यह बात उसे और उत्तेजित करती थी.
खैर यहां खुले आसमान के नीचे सेक्स का आईडिया, बहुत ही रोमांचक था. श्वेता खुले आसमान के नीचे नंगे, अपने भाई से चुदने आयी थी. यह नया था तथा काफी रोमांचक था. यह श्वेता के रोम रोम को उत्तेजित कर रहा था. श्वेता दो बार झड़ चुकी थी लेकिन एक बार फिर गर्म होने लगी थी. पिछले दो घंटों से अलग अलग तरीकों से गर्म होने के बाद फाइनली श्वेता की चुदाई होने जा रही थी.
सतीश ने श्वेता की गर्दन पे किस किया. सतीश किस करते हुए नीचे बढ़ रहा था. सतीश उसके दोने बॉब्स को दबाये उसके सीने और गर्दन के भागों पे किस कर रहा था. सतीश श्वेता की गर्दन और कंधों तक किस कर रहा था. ऐसे ही हालात में सतीश ने उसके बॉब्स को मुँह में लिया.
श्वेता चिहुंक उठी- “आहह..
फिर उसने दांत भींच लिए और ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… इस्स हम्म …’ की आवाजें निकालीं.
पिछले 2 घंटों के करतबों के दौरान श्वेता के निप्पल बहुत सेंसिटिव हो गये थे. सतीश के होंठों का स्पर्श पाते ही जैसे उसे आराम मिला. सतीश बारी बारी से दोनों बॉब्स मुँह में लेके चूस रहा था. सतीश श्वेता की बॉब्स को पूरा मुँह में भरने की कोशिश कर रहा था. लेकिन श्वेता की बॉब्स इतनी बड़ी थीं कि सम्भव नहीं था.
सतीश ने श्वेता की बॉब्स चूसते हुए एक मिनट के लिए ऊपर देखा. उस की बहन आंखें बंद किये हुए बॉब्स चुसवाने में मस्त थी. श्वेता की बांहें अभी भी ऊपर थीं. उसका चेहरा दायीं तरफ मुड़ा हुआ था. श्वेता दीवार से सटी सिसकारियां ले रही थी.

कहानी चालू रहेगी
 
अभी तक आपने पढ़ा कि अपनी बड़ीबहन श्वेता के साथ वाइल्ड सेक्स का मजा करने के बाद श्वेता ने सतीश को चोदने को कहा. श्वेता की चुदाई के लिए सतीश बेडरूम की बालकनी में ले आया. जिधर सतीश चुदाई की तैयारी करने लगा.
अब आगे:
श्वेता- “आआ आआह उम्म यस्सस्स..”
सतीश ने उसके निपल्स को चाटते हुए दांतों से दबा लिया. श्वेता दर्द से चिहुंक गई- आ आहह आहह.
सतीश ने उसके निप्पल को छोड़ा और उसके बॉब्स को चूसना जारी रखा. श्वेता आंखें बंद किये मजे ले रही थी. सतीश नीचे की तरफ बढ़ा, सतीश ने उसके नंगे सपाट पेट पे किस किया.
श्वेता सिसकारियां भरके मजे ले रही थी. सतीश चूमते हुए नीचे आया. उसके सपाट पेट पे सबसे कामुक जगह श्वेता की नाभि थी. सतीश ने श्वेता की नाभि में जीभ घुमा दी. श्वेता वासना से सिहर उठी. उसके मुँह से
श्वेता - “ईस्स ऊम्म … हम्मम..’
की आवाज निकली. उसके हाथ उसके बालों में थे. श्वेता वासना के वशीभूत होके अपने बालों को नोंच रही थी.
सतीश किस करते हुए नीचे पहुंचा. सतीश ने देखा कि नाभि के नीचे अपनी कमर पे उसने एक ज्वेलरी पहन रखी थी जो कि पतली सी चैन थी. उस पर एक छोटा सा ताला बना था. वह गोल्डन चैन थी. इसी लिए सतीश की नजर पड़ी. छोटे ताले पे कुछ लिखा था … जोकि इतनी कम रोशनी में सतीश पढ़ नहीं सकता था.
सतीश किस करते हुए श्वेता के प्यूबिक एरिया में पहुंचा. श्वेता की चुत बिल्कुल साफ क्लीन थीं, जैसे कभी बाल उगे ही न हों.
वैसे श्वेता हमेशा क्लीन रखती थी. सतीश ने उस भाग पे किस किया. श्वेता पीछे हटी, सतीश ने हाथ पीछे ले जाके उसके गांड को पकड़ के खींचा और जीभ से चाटने लगा. सतीश हाथ से उसकी गांड को दबाता हुआ श्वेता की चुत के ठीक ऊपर के हिस्से को चाट रहा था.
श्वेता पागल हुई जा रही थी. अपने हाथों से श्वेता बालों से खेल रही थी. आंख बंद किये हुए सिसकारियां ले रही थी. सतीश ने जीभ श्वेता की चुत पे फिराई और इसके चुत में डाल दी. श्वेता तो जैसे बिन पानी के मछली जैसे छटपटा रही थी. सिसकारी ले रही थी.
श्वेता- “उम्म्म हम्म आहह उम्म्म …”

सतीश ने जीभ जितना अन्दर जा सकी, ठूंस दि. सतीश अपनी जीभ श्वेता की चुत के अंदरूनी दीवारों पे फेर रहा था.
श्वेता- “‘उम्म ओह्हः सीईईई यसस्स हम्मम्म”
कर रही थी. सतीश ने कुछ देर चुत चाटने के बाद उसे छोड़ा क्योंकि सतीश उसे झड़ने नहीं देना चाहता था. लेकिन श्वेता चाहती थी कि सतीश उस की चुत को खा जाये क्योंकि श्वेता काफी गर्म थी. उसको ऐसे सेक्स के लिए तड़पाना सतीश को अच्छा लगता था.
श्वेता की हालात तो जैसे किसी रंडी जैसी हो गयी थी. श्वेता ने भाई को पूरी तरह से खुद को समर्पित कर दिया था. सतीश को जो मन करे, उसके साथ कर रहा था. श्वेता सतीश की गुलाम थी. सतीश उसे 2 घण्टे से अलग अलग तरीकों से गर्म कर रहा था.
अब श्वेता भाई से जबरदस्त चुदाई की उम्मीद कर रही थी. लेकिन उसे श्वेता को तड़पाने में मजा आता था. ये बात श्वेता को और उत्तेजित करती थी.
लेकिन आज सतीश जैसे श्वेता के बदन से खेल रहा था. ऐसा एहसास उसे पहले कभी नहीं हुआ. खुले में चुदाई की श्वेता की फैन्टसी सच हो रही थी. श्वेता को एहसास हो रहा था कि सतीश उसकी इच्छाओं का कितना ख्याल रखता था.
यही कारण था शायद श्वेता को सतीश की गुलाम बनाने में खुशी मिलती थी. सतीश की हर यातनाएं उसे अच्छी लगती थीं.
सतीश उसे टांगों पे किस करने लगा. वह दोनों टांगों पे किस करते हुए ऊपर उठा उसके सामने आ गया. श्वेता ने हांफते हुए आंख खोली और परेशानी से सतीश को देखा. फिर हांफते हुए बोली-
श्वेता- “कर ना, रुक क्यों गया!
सतीश ने उसके बाल पकड़ के खींचे और उसे घुमा दिया. सतीश ने उसका सर दीवार में दबा दिया. श्वेता आगे की तरफ दीवार से सटी हुयी थी. उसने अपने हाथ ऊपर कर के दीवार का सहारा लिया हुआ था. श्वेता हांफ रही थी.
सतीश ने उसके सर को दीवार में दबाये हुए पूछा
सतीश- “तुम्हें तो जंगली सेक्स पसंद है ना”?
उसने हांफते हुए कहा-
श्वेता- “हां … जंगली तरीके से करना मुझे पसंद है”

 
सतीश ने उसके बालों को हटा के श्वेता की गर्दन पे किस किया. फिर सतीश ने उसके कंधे पे किस किया. उसके पीठ पे किस करता हुआ नीचे आने लगा.
श्वेता- “आहह उम्म्म हम्म ..”
श्वेता सिसकारियां भरती रही. सतीश उसके गांड पे पहुंचा. सतीश उसके गांड को किस करके चाटने लगा.
श्वेता - “आहह उम्म्म इसस हम्मम आहह..”
श्वेता मादक आवाजें निकाल रही थी.
वह खुल्लम खुल्ला ये सब कर रहे थे. उन्हें डर भी नहीं लग रहा था. अगर कोई सुन ले तो क्या कहेगा … इस बात से उन दोनों को कोई असर नहीं था. वह वासना की आग में सब कुछ भूल चुके थे कि वह कहां हैं और क्या कर रहे हैं.
खैर डरने की कोई बात थी भी नहीं. उन्हें देखने वाला कोई नहीं था.
सतीश का लंड कड़क हो चुका था. अब चुदाई के लिए श्वेता भी तैयार थी. सतीश ने उसे वैसे बाल पकड़े लाया और झूले वाले सोफे पे पटक दिया.
उनकी इस बालकोनी में एक छोटा सा झूला था. पास में कुछ कुर्सियां थीं. वह अक्सर यहां बैठ के बातें किया करते थे.
यह जगह सतीश के लिए काफी लकी रही है. क्योंकि यहीं उसे अपनी बड़ी बहन श्वेता मिली है.
उसने गिरते गिरते सोफे के किनारे को पकड़ कर अपने हाथों से खुद को सम्भाला. श्वेता ने पीछे सतीश को देखा,
श्वेता- “आराम से … पूरी रात के लिए तुम्हारी ही हूँ”
सतीश ने उसके बाल पकड़ के उसके सर को आगे सोफे पे दबाया और गांड पे चपत लगाई,
सतीश- “एक शब्द नहीं बोलोगी तुम”
श्वेता दर्द भरी वासना से कराहते हुए नशीली आवाज में बोली-
श्वेता- “आहह उम्म्म ओके मास्टर”!
सतीश ने उसी हालात में एक झटके में लंड श्वेता की चुत में डाल दिया. श्वेता दर्द से चिल्लाई
श्वेता- “आ ओओओओ सीईई….!!
श्वेता धक्के से आगे सोफे के किनारे पे गिर गयी, जिसे पकड़ के श्वेता सम्भली थी.
श्वेता ने अपने घुटना मोड़ कर एक पैर सोफे पे रखा था. उसका एक पैर नीचे था. श्वेता हाथ मोड़ के कोहनी के सहारे सोफे के किनारे से अपने को संभाले हुई थी. उसके बॉब्स लटक रहे थे. सतीश का लंड श्वेता की चुत में था. सतीश ने उसके बालो को पकड़ के सर को सोफे पे दबाया हुआ था. सतीश ने इसी स्थिति में दूसरा धक्का दिया. सतीश का पूरा लंड श्वेता की चुत में घुस गया.
श्वेता- “आहह आहह … ओह ईस्स..!!
सतीश रुका, सतीश ने जमीन पे गिरी श्वेता की पैंटी उठाके उसके मुँह में ठूंस दिया. सतीश ने धक्के लगाने चालू किये. श्वेता हर धक्के के साथ गूं गूं की आवाजें निकल रही थी. उसके मुँह में पैंटी थी. श्वेता खुल के सिसकारियां नहीं ले पा रही थी. फिर भी
“उम्म … हुम्म … की आवाज आ रही थी.
सतीश के धक्कों से पूरा झूला हिल रहा था. जिससे खचर खचर की तेज आवाज हो रही थी. सतीश खचाखच धक्के लगाये जा रहा था. झूला कोई ठोस स्थिर वस्तु नहीं होती है, इसीलिए यहां बैलेंस बनाना काफी मुश्किल था.
सतीश ने 10-15 धक्कों के बाद उसे उठाया. श्वेता घुटनों के बल आ गयी. सतीश ने पैंटी निकाली और लंड उसके मुँह में पेल दिया. कुछ देर उसके मुँह की चुदाई करने के बाद सतीश ने उसे झूले के स्टैंड बार के सहारे झुकाया. फिर वह श्वेता की चुत को चाटने लगा. श्वेता मस्त हो उठी.
जब सतीश श्वेता की चुत चाट रहा था,
श्वेता ‘उम्म्म हम्मम्म यस यस्स हम्म.’
की आवाजें निकाल रही थी. चूत चाटने के बाद सतीश उठा और पैंटी को फिर से उसके मुँह में ठूंस दिया. अब लंड श्वेता की चुत में पेल कर धक्के लगाना शुरू कर दिया.
श्वेता ‘गूं गूँ गूँ …’ की आवाजें निकाल रही थी. सतीश के हर धक्के के साथ श्वेता की तेज स्वर में
‘गूं गूं हम्म गूं उम्म्म …’ की आवाज निकल रही थी.
सतीश ने धक्के देना थोड़े और तेज किये. उसके माथे पे हल्की सी शिकन आई. सतीश ने धक्के लगाना जारी रखा.
करीब 10 मिनट उसे इसी स्थिति में चोदने के बाद जब सतीश ने लंड बाहर निकाला, तो श्वेता घूम गई. उसने झटके से पैंटी को अपने मुँह से निकाल कर सतीश का लंड मुँह में ले लिया और पूरे जोश में चूसने लगी.
कुछ पल लंड चुसाई का मजा लने के बाद सतीश ने उसे उठाया और झूले के स्टैंड बार के सहारे खड़ा कर दिया.

 
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