Mastaram Stories हवस के गुलाम - Page 5 - SexBaba
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Mastaram Stories हवस के गुलाम

सलीम मुस्कुराते हुए सुलोचना को जवाब देता है.

सलीम: मालकिन ठीक ही तो बोला अल्लाह हो या भगवान, मेहनत करेगा इंसान तो होगी संतान, बिना मेहनत के कैसे कुछ देगा आपका भगवान..

सुलोचना: अरे तेरी बात 16 आना सच है लेकिन अंजलि बहू है घर की उसके सामने....

सलीम सुलोचना की बात बीच में ही काट देता है..
सलीम: अरे मालकिन छोड़ो वो सब जाने दो.. अभी आपने पोते पोतियों की बात कर ही दी है तो सुनो. में आज एक हकीम के पास गया था... मालकिन बहुत पहुँचा हुआ है वो.. उसने कहा है कि ये दवा किसी भी औरत को 10 से 15 दिन सुबह शाम खिला दो तो बच्चा 100% ठहर जाएगा..
ऐसा कह कर सलीम एक पोटली खोल कर दवा दिखाने लगता है.

सुलोचना: सच सलीम, क्या ये दवा कारगर साबित होगी.

सलीम: माजी ज़रूर होगी.. आज पहली बार थोड़े ही ले रहा हूँ में उनसे दवा...

सुलोचना: तो क्या तुम्हारी बीवी भी अब तक पेट से नहीं हुई...

सलीम: अरे क्या बात करती हो मेम साहेब. मेरी बीवी तो कब की हथियार से खोफ़ खा कर भाग गयी.. अम्मा कहाँ से बनेगी..

सुलोचना: क्या लेकिन क्यूँ..अच्छे भले तो हो.. फिर तुम्हारी बीवी क्यूँ भागी..

सलीम: बेशर्मी से हाथ अपने लोड्‍े पर लगाता है.. और बोलता है.. साली रंडी इसकी वजह से भाग गयी..

सुलोचना : गुस्से से ज़ोर से चिल्लाती है..सलीम? ये क्या बदतमीज़ी है...

सलीम: माफी दे दो मालकिन लेकिन जो भी बोला सच बोला.. आप खुद देख लो.. अल्लाह ने कितनी बड़ी सज़ा दी है मुझे..
ऐसा कह कर सलीम अपना पाजामा उतार देता है..और अपना लंड पकड़ कर सुलोचना को देखता है...
देखो आप और रोने लगता है या यूँ कहूँ कि रोने का नाटक करने लगता है..

और सुलोचना..
सुलोचना तो एक टक सलीम के जंगबहादुर को देखती रहती है... उसके ललाट पर पसीने की बूंदे छलक आती है सुलोचना को कुछ समझ नहीं आता कि क्या करे..
 
तभी सलीम अपना पाजामा उपर चढ़ा कर बाँध लेता है और सुलोचना के पैरों में गिर जाता है..

सलीम: मालकिन मालकिन हमें माफ़ कर दो मालकिन हम भावनाओ में बहकर बहुत कुछ ग़लत कर बैठे आपके सामने हमें माफ़ कर दो..
और सुलोचना सलीम को अपने कदमों में गिरा देख कर दया करने लगती है . सुलोचना सलीम के कंधो को पकड़ कर उसे उठाती है और बोलती है.. कोई बात नहीं सलीम.. जाओ अभी तुम खाना पकाओ.. और हां अंजलि को तुम्हारी वाली दवा खिलाते रहना..और मुस्कुराती है...

सलीम: जी मालकिन.. बिल्कुल...

सलीम तो मन ही मन खुश था.. कि बहुत जल्द सुलोचना को लाइन पर ले आउन्गा लेकिन इन सब से बड़ी खुशी की बात ये थी कि इन 10 दिनो में वो इकलौता मर्द इस घर की 3 जवान हसीनाओं के साथ होगा...

सुलोचना दरवाजे से बाहर निकल जाती है...

और सलीम अगले 2 घंटे में अपना किचन का काम करके फ्री हो जाता है और अंजलि के रूम को नॉक करता है....

अंजलि: अंदर से. कॉन है..

सलीम: में हूँ सलीम

अंजलि: हाँ काका बोलिए.. कुछ काम था?

सलीम: अंजलि जी वो खाना पका दिया है... और मालकिन अभी तक बाहर से लौटी नहीं है.. कुछ और काम हो बता दो..

अंजलि: क्यूँ कही जा रहे है आप...

सलीम: जी वो में बाबू के पास..
 
अंजलि बाबू का नाम सुनते ही उसे कामया के साथ घटा इन्सिडेंट याद आ जाता है.. वो अपनी सास की बातो में इतना खो गयी थी कि उसने सब कुछ भुला दिया था. अपनी सास की दादी बन ने की इच्छा अंजलि को नये सपनो की दुनिया में ले गई और सलीम की बाबू का नाम लेना अंजलि को वापस वास्तविक दुनिया में ले आता है...

अंजलि: काका..

सलीम: जी बोलिए..

अंजलि: काका एक बार देख लीजिए ना कामया को क्या वो सही है अब..

सलीम: जी में देखता हूँ.

अंजलि: थॅंक यू काका में बस 10 मिनिट में आ रही हूँ..

अंजलि इस वक़्त नहाने के बाद कपड़े चेंज कर रही थी...

सॉरी में वो सीन नहीं दिखा सकता क्यूकी अंजलि का गेट लॉक है भाई...
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सलीम अंजलि के दरवाजे से वापस कामया के गेट की ओर जाता है.. सलीम गेट खोल कर देखता है है कि कामया सो रही है...अंजलि ने जाने से पहले उसे कपड़े पहना दिए थे लेकिन फिर भी पूरी तरह से तैयार नहीं किया था... बस सलीम की घटक गयी.. सलीम एक बार बाहर झाँक कर देखता है तो उसे वहाँ कोई नज़र नहीं आता... सलीम कुछ सोचता है और फिर वापस किचन में जाता है... सलीम वहाँ से एक ग्लास में पानी डाल कर उसमे 2 नींबू निचोड़ लाता है... और सीधा कामया के रूम में... सलीम कामया के सिरहाने बैठ जाता है.. कहाँ सलीम के मन में हवस थी और कहाँ अब सलीम कामया को ऐसे ट्रीट कर रहा था जैसे वो उसकी कुछ लगती हो... सलीम कामया के गाल पर धीरे से मार कर उसे उठाने की कोशिश करता है..

सलीम: कामया जी कामया जी... उठिए...

2-3 बार ऐसे करने पर कामया हल्का सा नशे में कुन्मूनाती है... बस इतना काफ़ी था सलीम नींबू पानी कामया को पिलाने लगता है.. कामया थोड़ा सा पानी अपने कपड़ो पर गिरा लेती है... बाकी सलीम समझदार था उसने आधे से ज़्यादा पानी कामया के हलक से नीचे उतार दिया.. सलीम ग्लास उठाता है और किचन में रखने चला जाता है..

अब सलीम घर के बाहर जा ही रहा था कि उसके मन में एक बार फिर से कामया का ख्याल आता है... वो एक बार रुक कर फिर से कामया के रूम में जाता है. वहाँ जाकर देखता है कि कामया अपने बेड पर आधी नीचे लेटी हुई है और फर्श पर उल्टी कर रही है.. नींबू पानी का असर कुछ ऐसा हुआ कि नशा उतरने से ज़्यादा उसके शरीर से बाहर निकाल दिया.. सलीम भाग कर कामया के पास जाता है उसकी पीठ थप थपाता है. कामया उल्टी करते हुए अपने बिस्तर और कपड़े दोनो खराब कर चुकी थी.. सलीम उसे अपनी गोद में उठा कर बेड के सहारे से बिठा देता है और फटाफट चादर हटा कर नई बिछा देता है... उसकी कंबल भी बदल देता है... फिर कामया को एक पल के लिए देखता है और फिर बाथरूम जाकर एक टवल गीला करके लाता है..और कामया का मूह सॉफ करता है..कामया का मूह सॉफ करने के बाद देखता है कि कामया की टी-शर्ट भी गंदी हो रखी है तो वो कामया की टी-शर्ट निकाल देता है... साथ ही मन में सोचता है जब इतना कुछ कर चुका हूँ तो अब अकेले में देखने में क्या खराबी है. सलीम कामया की टी शर्ट निकाल देता है.. फिर नीचे देखता है तो लोवर भी थोड़ा बहुत खराब हो रखा है.. सलीम कामया का लोवर भी निकाल देता है... और उसे बिस्तर पर फिर से गोद में उठा कर लिटा देता है है...

एक बार फिर से सलीम कामया के पास बैठ कर उसके मूह को गीले टवल से सॉफ करता है. कामया के गले और उसकी चुचियों पर भी थोड़ी बहुत गंदगी थी उसे भी वो टवल से सॉफ करता है फिर नीचे से उसकी नाभि और जन्नत को गीले कपड़े से सॉफ करता है..

इस वक़्त कामया पूरी नंगी सलीम की आँखों के सामने थी लेकिन पता नहीं क्यूँ सलीम इस वक़्त हवस से कोषो दूर था... तभी अंजलि की एंट्री होती है..

अंजलि एकदम से कामया के रूम में आती है तो देखती है कि कामया एक दम न्यूड बोले तो नंगी बेड पर लेटी है सलीम उसके सर के पास बैठा है उसके हाथ में एक टवल है जो कामया की नाभि के नीचे और चूत के 2 इंच उपर है जहाँ वो उस टवल को घुमा रहा है.. अंजलि ये सीन देख कर आग बबुला हो जाती है.. उसे सलीम पर इतना गुस्सा आता है कि वो बिना कुछ सोचे समझे सलीम पर चिल्लाती है...
 
अंजलि: कुत्ते दिखा दी ना अपनी जात. तुम हो ही ऐसे .... भरोसे के लायक नहीं हो..एक नादान बेबस लड़की सामने आ गई तो उस से अपनी हवस मिटाने के लिए तैयार बैठे हो... शर्म नहीं आई तुम्हे.. ओह कैसे आएगी... तुम्हे शर्म तुम्हे ये सब करने की छूट(छूट) भी तो मेने ही दी है ना...

सलीम कुछ समझ ही नहीं पा रहा था कि आख़िर हुआ क्या. उसने अंजलि का ये वाला रूप पहली बार देखा है...

अंजलि: सलीम का गिरेबान पकड़ कर उसे उठाती है और दूर झटका देती है सलीम 2 3 कदम पीछे हट जाता है... खबरदार जो मेरे परिवार पर अपनी बुरी नज़र भी डाली तो..

सलीम: अंजलि जी.. सुनिए तो.. हुआ क्या?

अंजलि सलीम का ये सवाल सुनते ही पीछे घूमती है इस वक़्त अंजलि की आँखे लाल थी हवस से नहीं भाई गुस्से से..

अंजलि बिना कुछ सोचे समझे 2 3 झापड़ सलीम के गालों पर रसीद देती है...

अंजलि: कमीने तुम्हे काका बोलकर तुमसे रिश्ता बनाया. तुम्हारी बात सुन ने के लिए मेने सारी मर्यादाए तोड़ दी.. और तुम यहाँ कामया को अकेला जान कर ये सब करने आगये...

सलीम: लेकिन मेने किया क्या है? (गुस्से मे)

अंजलि: अंजान बन ने की कोशिश मत करो... जब मम्मी जी ने बुलाया तब मेने कामया को कपड़े पहना दिए थे.. तुमने वो सब उतारे है है ना...

सलीम: हाँ मेने उतारे है लेकिन...

अंजलि: मिस्टर. सलीम आप सिर्फ़ हाँ या ना में जवाब दो आइ डॉन'ट नीड एनीकाइंड ऑफ एक्सप्लनेशन.

सलीम: हाँ उतारे है लेकिन..

अंजलि: वो तुम्ही थे ना जिसने मेरे सामने कामया के साथ वो सब गंदी हरकते की..

सलीम: जी में ही था..

अंजलि: बस कीजिए मिस्टर. सलीम यू कॅन गो.. आप जा सकते है दुबारा अपनी शक्ल मत दिखाना वरना आपकी उमर का लिहाज भी नही करूँगी और खून कर बैठूँगी..

सलीम: मेरी बात तो सुनिए आप..

अंजलि एक दम से तिलमिला जाती है और एक और थप्पड़ सलीम के गालों पर.. अंजलि की आँखों से आँसू आने लगते है..
 
वो जैसे ही दूसरा थप्पड़ मारने वाली होती है कि सलीम उसका हाथ पकड़ लेता है. और एक जोरदार थप्पड़ इस बार अंजलि के गालों पर पड़ता है...

अंजलि कामया के बिस्तर पर गिर जाती है..

सलीम: माइंड युवर लॅंग्वेज मिसेज़. देवराज. हाउ डेर यू ब्लेम मी फॉर एवेरितिंग. डू यू हॅव एनी नालेज तट व्हाई आइ डिड दट? व्हाट वाज़ दा मोटिव बिहाइंड माइ आक्ट. नो.. यू डॉन'ट नो.. बट यू...
आप को बस अलिगेशन्स लगाना आता है एडवोकेट. अंजलि सिंग.
अब कान खोल कर सुनिए जब में कामया जी के रूम में आया तो ये बेहोशो की तरह सो रही थी अगर इसी तरह रहती तो शायद 2 3 दिन ठीक से होश में भी नहीं आती...इसलिए इन्हे किचन से नींबू पानी लाकर पिला दिया था. आपने तो सुना होगा नींबू पानी नशा कम करने के काम आता है. फिर में जा ही रहा था कि पता नहीं मुझे क्या हुआ में ग़लती से वापस रूम में आ गया जहाँ पर कामया जी आधी बिस्तर पर लटकी हुई थी और उल्टी कर के बेहोश सी पड़ी थी.. नीचे फर्श पर देखिए.. उल्टी के कारण बिस्तर भी खराब हो गया था और कामया जी के कपड़े भी...

आपने सिर्फ़ कामया जी के कपड़े देखे जो वो पहन नहीं रखी थी या जो आपने पहनाया था वो उनके बदन पर नहीं है लेकिन आपने ये नोटीस किया कि बिस्तर भी वो नहीं है जो उस वक़्त था.. क्यूँ कि मेने बिस्तर चेंज किया . कामया जी के कपड़े उतार कर मेने उनका बदन सॉफ किया... और अभी ये फर्श सॉफ करने ही वाला था कि आपने मुझ पर हाथ उठाया मेरी वफ़ादारी पर उंगली उठाई और तो और आप तो मेरे साथ साथ मेरी पूरी जात को बेईमान बोलने लगी... किसने दिया आपको ये हक़.. क्या ये हक़ आपकी वकीलगिरि ने दिया है... या फिर आपके पति की पोलीस की वर्दी ने.. या फिर आपकी सास के पूजा पाठ ने...

अंजलि जी इंसान को उसके लिबास से या रहन सहन से जज मत कीजिए.. अगर ये ही उसकी असली औकात बता पाते तो भगवान किसी को भी सोचने के लिए दिमाग़ और चाहने के लिए दिल नहीं देता...

चलता हूँ.. जब ज़रूरत पड़े तो याद कीजिएगा.. लेकिन प्लीज़ इस बार तब ही याद करना जब भरोसा हो वरना नहीं.. सलीम इतना बोलकर घर के बाहर निकल जाता है...
 
अंजलि चुप चाप सलीम की बाते सुनकर शॉक हो जाती है..अंजलि चारो ओर घूम कर देखती है तो उसे पता चलता है कि सलीम सच कह रहा था... कामया के कपड़े बाथरूम में पड़े थे साथ में चादर भी... और फर्श पर उल्टी थी.. और वो टवल भी जो गीला था उल्टी से खराब था.. अंजलि परेशान हो जाती है...

अंजलि मन ही मन सोचती है.. ओह गॉड ये क्या होगया मुझसे.. ये मेने क्या कर दिया.. सलीम जी इतना अच्छा काम करते थे.. उपर से उन्होने जो भी किया कामया के भले के लिए ही तो किया था.. अब क्या करू...

कुछ ग़लत नहीं किया अंजलि. इस बुड्ढे की हिम्मत तो देख तुझ पर हाथ उठाया.. अरे तू मालकिन है उसकी कोई नोकर नहीं... और फिर कामया के साथ भी तो कितना कुछ कर गया था वो... वो तो उपर वाले की कृपा से बच गई ये...

लेकिन बचाया भी तो सलीम ने ही ना.. और कामया के साथ करना वो तो तुमने ही पर्मिट किया था ना.. और फिर जिस सिचुयेशन में वो था शायद कोई रोके ना रुकता लेकिन वो रुक गया...और और अभी तुमने उसे इतने चान्टे मारे है बिना ग़लती के उसने तो तुम्हे ग़लत होने पर थप्पड़ मारा मालिक हो या नोकर सच तो सब का अधिकार है.. हे भगवान ये मेने क्या कर दिया.. मुझे उन्हे वापस लाना होगा... लेकिन कैसे मेरे पास तो नंबर. भी नहीं है.. कि उन्हे फोन कर के सॉरी बोल सकूँ.. और ना ही उनका अड्रेस जानती हूँ.. क्या करूँ...

वही सलीम मन में सोचता हुआ..
ये मेने क्या किया हे ऊपरवाले मेने खुद ही अपने पेट पर लात मार ली.. और अपने लंड पर भी आज नहीं तो कल सब अपनी मर्ज़ी से मुझसे चुदती.. जोश जोश में होश खो बैठा में भी..अब क्या करू क्या करू. या अल्लाह अब तू ही कुछ रास्ता दिखा... क्या करूँ.

अंजलि फटाफट भाग कर अपने बेडरूम में जाती है और अपना मोबाइल लेकर बालकनी में आती है वो तुरंत कुछ नंबर. डाइयल करती है
2 3 बार ट्राइ करने पर भी कॉल नहीं लगता अंजलि फिर से कोशिश करती है इस बार कॉल लग गया...

अंजलि: हेलो... हेलो... हेलो देव...

देव: हेलो .. अंजलि..

अंजलि: हेलो देव मेरी आवाज़ आ रही है..

देव: नोट क्लियर बट यस.. क्या बात है अंजलि..

अंजलि: देव मुझे... ???? नंबर. सेंड करो...

देव: किसके नंबर..

अंजलि: काका के..

देव: किसके .

अंजलि: सलीम काका के...

देव: क्यूँ क्या हुआ..

अंजलि: मेरे पास उनके नंबर. नहीं है वो मार्केट गये है कुछ समान मंगाना था..

देव: ओके... में सेंड करता हूँ..
 
अंजलि: कहाँ थे तुम तुम्हारी आवाज़ क्लियर नहीं आ रही थी..

देव: सॉरी जान वो ड्राइव कर रहा था ऑफीस जा रहा था ना सो..

अंजलि: ओके ओके तुम नंबर. सेंड करो फटाफट..

अंजलि: देव वो रहते कहाँ है ?

देव: अरे हमारे गेस्ट हाउस में..

अंजलि: अब क्या पूछती सो चुप हो गई
अंजलि: ओके ओके तुम नंबर. सेंड करो...

फोन डिसकनेक्ट हो जाता है..
बीप के साथ अंजलि के मोबाइल पर एक मेसेज आता है... ये म्स्ग देव का था..देव ने सलीम के नो. अंजलि को म्स्ग किए थे..
अंजलि तुरंत उन नो. को आड कॉन्टेक्ट कर लेती है..

अब अंजलि के लिए मुसीबत थी की वो सलीम काका को कैसे मनाए..
तभी अंजलि को एक आइडिया आता है.. अंजलि मुस्कुराने लगती है..
अंजलि तुरंत कॉल करती है सलीम को..
अंजलि 2 3 बार कॉल करती है बुत सलीम अटेंड नहीं करता... तभी अंजलि फटाफट गाते से बाहर आती है अओर जैसे ही बाहर जाने लगती है उसे गेस्ट हाउस ओपन नज़र आता है.. अंजलि कुछ सोच कर वही रुक जाती है और फिर से कॉल करती है.. गेस्ट हाउस में कॉल बजता है...

सलीम उस कॉल को देख कर वापस बेड पर फोन फेंक कर कुछ पॅक करने लग जाता है..

तभी अंजलि गेस्ट हाउस के गेट के पास पहुँच जाती है...

अंजलि गेट पर खड़ी होकर.

अंजलि: आपने देखा ना कि मेने आपको कॉल किया है..

सलीम : आवाज़ सुनकर अपना पॅकिंग वही रोक देता है..

सलीम बिना कोई जवाब दिए फिरसे पॅक करने लगता है...

तब अंजलि चल कर सलीम के सामने खड़ी हो जाती है और सलीम के पॅक किए सामान को.फिरसे बाहर निकाल कर फेंक देती है..
सलीम एक टक अंजलि की ओर देखता है..

अंजलि: आपने जान बुझ कर मेरा कॉल नहीं अटेंड किया...

सलीम: जी नहीं किया जिस घर में जॅलील होगया वहाँ रुकना मुझे शोभा नहीं देता और जिसने जॅलील किया उसका फोन कैसे अटेंड करूँ क्या पता फिर से जॅलील कर्दे तो..

अंजलि सलीम का जवाब सुन कर बुरी तरह से शर्मिंदा हो जाती है..
अंजलि: सॉरी....

सलीम: क्या क्या कहा आपने..
 
सलीम: जी नहीं किया जिस घर में जॅलील होगया वहाँ रुकना मुझे शोभा नहीं देता और जिसने जॅलील किया उसका फोन कैसे अटेंड करूँ क्या पता फिर से जॅलील कर्दे तो..

अंजलि सलीम का जवाब सुन कर बुरी तरह से शर्मिंदा हो जाती है..
अंजलि: सॉरी....

सलीम: क्या क्या कहा आपने..

अंजलि सलीम की आँखों में देखती है..और ज़ोर से बोलती है..
अंजलि: आइ आम सॉरी रियली सॉरी..

सलीम: ये क्या होता है.. मुझे अँग्रेज़ी नहीं आती..

अंजलि: चौंक कर सलीम की तरफ देखती है अंजलि के ऐसे देखते ही सलीम को याद आजाता है कि उसने गुस्से में अपनी टूटी फूटी अँग्रेज़ी का कमाल अंजलि के सामने पहले ही दिखा दिया है... जाहिर की बात है अंजलि अब तक जान चुकी है कि उसे इंग्लीश समझ आती है..

अंजलि: अच्छा तो फिर वो क्या था... मतलब कही ऐसा तो नहीं है कुछ फोबीया टाइप... कि जैसे ही आपको गुस्सा आए आपको इंग्लीश आइ मीन अँग्रेज़ी समझ में आने लगती हो...

सलीम: अपना सर झुकाता हुआ.. ऐसा कुछ नहीं है वो तो..

अंजलि: आप कही नहीं जा रहे है.. और हाँ मम्मी जी अब आने ही वाली होंगी तब तक आप अपना काम करने आ जाना..

सलीम चुपचाप अंजलि की तरफ देखता है..

अंजलि: अब क्या हुआ सॉरी तो बोला.. अच्छा तो आपको अँग्रेज़ी नहीं आती ना..अंजलि अपने दोनो कान पकड़ कर.. मुझे माफ़ करदो ना. काका. प्लीज़..

अंजलि की ऐसी हरकत देख कर सलीम भी हंस पड़ता है.. और अंजलि भी..

सलीम: ठीक है शाम में 2 घंटों में आ जाउन्गा..

अंजलि : कुछ ख़ास काम है क्या?

सलीम: नहीं बस ऐसे ही मिलने जा रहा था..

अंजलि: तो फिर कभी मिल लेना.. आज ही ज़रूरी है..

सलीम: नहीं ऐसा तो नहीं है...

अंजलि : तो चलिए खाना खाते है..

सलीम : लेकिन आपकी सास .. मेरा मतलब मालकिन तो आई नहीं...

अंजलि: वो आने वाली है अब आप अंदर चलिए घर में..

सलीम: ठीक है में आता हूँ.. आप चलिए..
 
करीब 2 घंटे बीत चुके थे देव की मा को गये हुए... अब वो भी गेट पर खड़ी थी... वही अंजलि घर में जा कर खाना लगाने लगती है.. और सलीम वापस घर में जाने के लिए तैयार हो रहा था ... सलीम एक बार फिरसे ऊपर वाले का शुक्र अदा करता है...

सुलोचना: अंजलि... अंजलि बेटा कहाँ हो तुम...

अंजलि: जी माँ जी... आई..

सुलोचना: कहाँ थी तुम और कामया कहाँ है..?

अंजलि: वो माँ फ्रेंड की बर्तडे पार्टी में गयी थी तो थक गई वहाँ.. और आते ही सो गयी आप कहो तो में उठा दूं.. (अंजलि थोड़ा डरते हुए बोलती है..)

तभी सलीम आता है..

सलीम: अरे रहने दो मेड्म जी बच्ची है थक गयी होंगी तो सोग़यी.. आप तो हुकुम करो क्या करना है..

सुलोचना: अच्छा ठीक है जाने दो सुनो में अभी निकल रही हूँ.. वो मसेज. शर्मा और उनके पति के कोई जानकार है जो ट्रॅवेल एजेन्सी में काम करते है उन्होने आज ही बस बुक कराई थी वो बस अभी 1 अवर्स में निकलेगी तो में अभी उनके साथ जा रही हूँ बाकी के लोग भी निकल जाएँगे सोसाइटी के.. तुम लोग ध्यान से रहना.. कोई प्राब्लम हो तो फोन कर देना..

अंजलि और सलीम दोनो एक साथ: जी माँ जी..

सुलोचना दोनों को देखने लगती है फिर
ध्यान रखना घर का...

अंजलि: माँ जी आप बिल्कुल फिक़र ना करे..

सुलोचना : अच्छा ठीक है तुम मेरा सामान ला दो...

तरकीबन 10 से 15 मिनिट बाद सुलोचना सामान लेकर निकल जाती है...

अंजलि: थॅंक यू काका...

सलीम: किस बात के लिए..

अंजलि: आपने मुझे माफ़ करके वापस घर आने का डिसिशन लिया..

सलीम: अच्छा कोई बात नहीं..
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अंजलि: काका एक बात बताओ...

सलीम: 2 पूछो..

अंजलि आप तो बोल रहे थे आपको इंग्लीश नहीं आती फिर आपने वो सब बाते रूम में कैसे बोली वो भी इंग्लीश मे..

सलीम: बिकॉज़ आइ वाज़ ऑल्सो अन आड्वोकेट... आइ फॉट मेनी केसस बट वन ऑफ केस ऑफ सेक्षन 354 आंड विमन मॉडेस्टी ,, स्पायिल माइ लेजेसी...

अंजलि: बट हाउ..

सलीम: लेट इट गो.. आइ रियली डॉन'ट वाना टॉक अबाउट इट.. बस इतना समझ लो उस दिन के बाद से मेने खुद प्रॅक्टीस करना छोड़ दिया..

अंजलि: लेकिन..

सलीम: बस भी करो.. अब आप आओ और खाना खाओ..

अंजलि बिना बोले चुप चाप खाना खाने के लिए टेबल पर बैठ जाती है..

सलीम अंजलि को खाना परोसने लगता है.. तभी सीढ़ियों से चलते हुए कामया नीचे आती है..

कामया अपने कपड़े भी बदल चुकी थी..

सलीम: कामया जी आप भी खाना खा लीजिए..

कामया: हाँ काका मेरा भी खाना परोस दो..

अंजलि: अब तबीयत कैसी है..

कामया:भाभी थॅंक यू.. आप नहीं होती तो क्या होता मेरा..

अंजलि;: पगली ऐसा क्यू बोल रही.. ऐसा क्या किया मेने..

कामया: वो भाभी आप नहीं होती तो मेरी ड्रेस खराब हो जाती अहहा हुआ आपने बदल दिया..

अंजलि सकपका जाती है..फिर संभाल कर..
अंजलि: इट'स ओके अब ठीक है तबीयत

कामया- हाँ भाभी..

तभी सलीम कामया और अंजलि को खाना परोस देता है और खिलाता है..

ये वही खाना था जिसमे सलीम ने हक़ीम की दवा भी मिला रखी थी..

खाना खाकर अंजलि और कामया दोनो अपने बेडरूम की तरफ चल देती है तभी सलीम अंजलि को रोक कर...

सलीम: मेड्म एक मिनिट..

अंजलि: हाँ काका.

सलीम: मेड्म ये दवा सुलोचना मेड्म आपके लिए देकर गयी है..

अंजलि: मुझे क्या हुआ है..

सलीम: कुछ हुआ नहीं तभी तो दिया है..

अंजलि: क्या मतलब..

सलीम: ये बच्चा ठहराने की दवा है.. इसे लेने के बाद आप ज़रूर माँ बन जाओगी..

अंजलि: व्हाट? मुझे नहीं चाहिए ये सब.. आइ आम फाइन..

सलीम: ले लीजिए.. वैसे भी मेड्म ने कहा था कि आप ज़रूर आना कानी करोगी तो में खुद आपको ये दवा रोज दोनो टाइम दूं.. लीजिए ये दूध का ग्लास और ये पूडिया..

अंजलि सलीम की ओर देखती है और उस पाउडर को दूध के साथ गटक जाती है.. और अपना रूम बंद कर लेती है.. और सलीम मुस्कुराता हुआ नीचे आ जाता है..
 
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