Mastram Kahani खिलोना - Page 8 - SexBaba
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Mastram Kahani खिलोना

"..वो अपनी बाइक से भाग रहा था & मैं 1 कार से उसका पीचछा कर रहा था.जब वो पुल पे पहुँचा तो बाइक थोड़ी स्लो हुई,मैं सही टाइम पे ब्रेक नही लगा पाया & पीछे से कार उसकी बाइक से जा भिड़ी.टक्कर के चलते बाइक उस पुराने पुल की कमज़ोर रेलिंग को तोड़ उसमे अटक गयी.बाइक आधी हवा मे & आधी पुल पे थी & रवि उच्छल कर रेलिंग के उस पार गिर गया था.पर उसने गिरते हुए किसी तरह पुल को पकड़ लिया था & अब उस से लटका हुआ था."

"..अगर वो बच जाता तो मेरा भंडा फूट जाता & साथ ही साथ इनका भी,",उसने अपने पिता की ओर इशारा किया.उसके होठ अब उसके पैरो को छ्चोड़ उपर उसकी गोरी टांग पे आ गये थे,"..मैने इधर-उधर देखा,जगह बिल्कुल वीरान थी.मैने अपना हाथ नीचे बढ़ाया तो उसने सोचा कि मैं उसे उपर खींचुँगा & मेरा हाथ थाम लिया.ऐसा करते ही मैने हाथ छ्चोड़ दिया & वो नीचे नदी मे जा गिरा.1 धक्के के बाद बाइक भी नदी मे थी & थोड़ी देर बाद मैं & इस हादसे से अंजान शंतु प्लेन मे बैठे थे."

रीमा बुत की तरह बैठी थी & दोनो उस से खिलोने की तरह खेल रहे थे,"..तो इस कमीने ने उसके रवि का खून किया था!कैसे घिनोने लोग हैं ये!इन्ही बाप & भाई से बिछदने का गम था बेचारे रवि को!"

"..कजरी राइ रवि की मौत के 2 हफ्ते पहले ही चल बसी थी & उसके वकील ने उसकी वसीयत के मुताबिक उसी दिन सवेरे-जिस दिन रवि की मौत हुई-बॅंगलुर आके सवेरे काग़ज़ात पे उसके दस्तख़त लिए थे & रवि से 1 इंसान को अपना नॉमिनी बनाने के लिए कहा था ताकि अगर रवि की मौत हो जाए तो उसके हिस्से की सारी दौलत उस इंसान को मिल जाए.रवि ने तुम्हे अपना नॉमिनी बनाया था.",शेखर उठ कर बैठ गया था & उसका हाथ रीमा की जाँघो से फिसलता हुआ उसकी चूत की ओर बढ़ रहा था.

"..हमे ये बात पता चली तो तुम्हारा हमारे करीब होना ज़रूरी हो गया & फिर पिताजी तुम्हे यहा ले आए.वकील ने हमे पेपर्स दिखाए,उनमे सॉफ-2 लिखा था कि अगर रवि की अन्नॅचुरल डेथ होती है तो 3 महीने बाद ही तुम्हे सारी दौलत मिलेगी.उन 3 महीनो तक ये ज़रूरी था कि रवि की मौत के पीछे साज़िश होने की बात ना खुले बल्कि सबको ये लगे कि वो 1 रोड आक्सिडेंट था वरना वकील मामले को पोलीस के पास ले जाता.आख़िर करोड़ो रुपयो का सवाल था!"

"..तो ये थी असली बात!ये सारा खेल उसे पोलीस के पास जाने से रोकने & दौलत हड़पने के लिए इन दोनो बाप-बेटे ने खेला था!",रीमा ने सोचा.

"...फिर तुम्हारी जिस्म की भूख ने भी हमारा साथ दिया.हमने तो सोचा भी नही था की तुम खुद हम दोनो के बिस्तर गरम करोगी!",शेखर & विरेन्द्र जी दोनो उसकी चूचिया मसल रहे थे,शेखर 1 हाथ से उसकी चूत भी रगड़ रहा था.

"..वकील ने तुमसे कॉंटॅक्ट करने की कोशिश की पर तुम बंगलोर मे नही मिली तो वो पिताजी के पास आया.पिताजी ने वकील को ये कहा कि तुम अभी भी बहुत दुखी हो & इन सब चीज़ो से तुम्हे कोई मतलब नही है,तो उसने पिताजी को 1 काग़ज़ दिया जिसमे ये लिखा था कि तुम ही रवि की पत्नी हो & उसकी वसीयत के मुताबिक अब सारी दौलत तुम्हे मिलेगी पर इसके लिए तुम्हे 2 महीनो तक इंतेज़ार करना पड़ेगा...& कल 2 महीने पूरे हो रहे हैं.आज जिन काग़ज़ो पे तुमने साइन किया है,उनमे यही लिखा कि तुम्हे रवि की दौलत मिल रही है."

"..पर उसके नीचे 1 पेपर और भी है जिसपे तुमने साइन करके उस दौलत को जैसे चाहे इस्तेमाल करने की पॉवेर ऑफ अटर्नी हम दोनो को दे दी है.",शेखर ने उसकी चूत मारते हुए उसके होठ चूम लिए.

"..फिर शंतु का क्या हुआ?",रीमा ने उसके होठ से अपने होठ अलग किए.

"तुमने वो ब्लॅंक कॉल्स वाली बात बताई तो पता नही क्यू मेरा माथा ठनका कि हो ना हो ये शंतु ही है.बस मैने पता लगाना शुरू किया तो मालूम हुआ कि उसने दुबई के बाद अपनी पोस्टिंग यहा करा ली थी.मैने उस से मुलाकात की & उसे जम के दारू पिलाई.नशे मे धुत शंतु को मैने उसके घर पहुँचाया,जहा वो बेसूध सोने लगा & मैने उसका फ्लॅट छानना शुरू किया.शंतु को 1 गंदी आदत थी-जर्नल लिखने की.दिल मे जो भी ख़याल आते या कोई ऐसी बात सुनता जो उसे अच्छी लगती तो वो उसे उसमे लिख लेता."
 
"..शुरू के पन्नो मे तो इधर-उधर की बाते थी,फिर 1 पन्ने पे उसने बस अपना दर्द लिखा था कि कैसे उसके माता-पिता उसे नही समझते थे-उसने उन्हे अपने गे होने के बारे मे बताया था & वो भड़क गये थे...& आगे के पन्नो मे उसने लिखा था कि उसे शक़ था कि रवि की मौत से मेरा कुच्छ लेना-देना है.उसने ये भी लिखा था कि वो तुमसे बात करना चाहता है पर हिम्मत नही जुटा पा रहा है.मेरे लिए इतना काफ़ी था.1 रस्सी को उसके गले मे बाँध मैने पंखे से लटका कर 1 टेबल पे खड़ा किया & फिर टेबल को लात मार दी.थोड़ी देर तक लटका तड़प्ता रहा & फिर शंतु हुमेशा के लिए शांत हो गया.मैने उस पन्ने को फाडा जिसमे उसने मा-बाप & अपने डिप्रेशन के बारे मे लिखा था...आख़िरी लाइन्स मे सॉफ लिखा था कि वो अब और जीना नही चाहता.उसके नीचे मैने उसके नकली दस्तख़त किए & उसकी मौत को ख़ुदकुशी की शक्ल दे दी."

रीमा के चेहरे से तो लग रहा था कि जैसे उसे कुच्छ समझ नही आ रहा,पर उसका दिमाग़ बहुत तेज़ी से काम कर रहा था.उसे कैसे भी करके यहा से निकलना था.ये दोनो अभी उसे चोदेन्गे,ये वो जानती थी & उसने चुदाई को ही अपना हथ्यार बनाने की सोची.उसने तय किया कि वो उनके साथ इतनी बार & इतनी जम के चुदाई करेगी कि उन्हे थक कर सोना ही पड़ेगा & जैसे ही दोनो नींद के आगोश मे गये वो यहा से निकल भागेगी!

क्रमशः........................
 
खिलोना पार्ट--20

रीमा ने अपने मन के जज़्बातों को चेहरे पे नही आने दिया,"फिर तो शंतु बेवजह मारा गया."

"ऐसे क्यू कह रही हो?",शेखर की उंगली चूत मे कुच्छ ज़्यादा तेज़ होने लगी थी.

"ये सारा खेल किस लिए खेला आप दोनो ने-पैसों के लिए ही ना?मुझे आप दोनो के साथ चुदाई करके कितना मज़ा मिला है,वो तो मैं लफ़ज़ो मे बयान नही कर सकती.रवि की मौत के बारे मे तो मुझे शुरू से ही कुच्छ खटक रहा था,इसीलिए सवाल करती रहती थी...पर अब मुझे बस इनसे मतलब है.",शोखी से मुस्कुराते हुए उसने दोनो के लंड को अपने हाथो मे पकड़ कर मसल दिया.

शेखर के लिए अब सब्र करना नामुमकिन हो गया,उसने रीमा को पकड़ कर लिटा दिया & उसकी टांगे फैला कर 1 ही झतके मे अपना लंड उसकी चूत मे उतार दिया.फिर उसके उपर लेट उसे चूमते हुए धक्के लगाने लगा.

"..आअहह...!उफफफ्फ़.....कितना मज़ा आ रहा है....इस से बड़ी कोई दौलत हो सकती है दुनिया मे?..आहह...मैं तो बस पूरी ज़िंदगी आपलोगो के साथ बस ऐसे ही चुद्ते हुए गुज़रना चाहती हू...",शेखर के धक्को से रीमा का सर पलंग के किनारे से नीचे लटक गया था & उसके लंबे बाल नीचे ज़मीने को छुते झूल रहे थे.उसने उसे अपनी बाहो मे भर लिया था & उसके बालो मे हाथ घुसाए उसके सर को अपनी चूचियो पे दबा रही थी.उसने देखा कि उसके ससुर दोनो को चुदाई करते देख अपना लंड हिला रहे हैं.

"..आप भी आइए ना...",उसने उनकी तरफ हाथ बढ़ाया तो वीरेंद्र जी फ़ौरन उठ कर उसके पास आ गये.

"इधर नीचे खड़े हो जाइए..",विरेन्द्र जी उसके सर के पीछे खड़े हो गये तो रीमा ने हाथ शेखर के सर से हटा कर अपने पीछे ले जाके अपने ससुर की कमर को पकड़ अपनी ओर खींच उनके लंड को अपने मुँह मे ले लिया.अपनी टांगे उठा के उसने शेखर की कमर को लपेट लिया & नीचे से कमर उचका कर उसके धक्को का जवाब देने लगी.

शेखर काफ़ी देर से गरम था & अब उसकी चूत मे जल्द से जल्द झड़ना चाहता था.रीमा की चूचियो को दबोच उसने उसके निपल्स को अपनी उंगलियो मे मसल्ते हुए अपने मुँह मे भरा & गहरे धक्के लगाने लगा.रीमा का भी बुरा हाल था,ससुर का लंड मुँह मे होने के कारण वो आहे नही भर सकती थी पर उसकी चूत अब कुच्छ ही देर मे पानी छ्चोड़ कर झड़ने वाली थी.उसने विरेन्द्र जी की गंद को खरोंछते हुए उसकी फांको को फैलाया & अपनी 1 उंगली उनके गंद के छेद मे डाल दी.

विरेन्द्र जी कराह उठे & कमर हिलाकर अपनी बहू के मुँह को चोदने लगे.तीनो तेज़ी से अपनी-2 मंज़िल की ओर बढ़े चले जा रहे थे.तभी शेखर का बदन झटके खाने लगा & वो रीमा की छाती मे अपने दाँत गढ़ाता हुआ उसकी चूत को अपने पानी से भरने लगा.उसके इन आख़िरी धक्को ने रीमा की चूत को भी पस्त कर दिया & उसने भी अपने जेठ की कमर को अपनी टांगो मे कस के जाकड़ लिया & झाड़ गयी.झाड़ते वक़्त उसकी उंगली विरेन्द्र जी की गंद मे कुच्छ ज़्यादा ही अंदर चली गयी & 1 तेज़ आह के साथ वो भी अपने लंड को उसके मुँह मे खाली करने लगे.रीमा ने गतगत उनका सारा पानी पी लिया.

शेखर उसके सेनए पे सर रखे हाँफ रहा था & विरेन्द्र जी अपना सिक्युडा लंड उसके मुँह से खींच अब उसके बगल मे लेट गये.शेखर भी उसके उपर से उतर उसकी दूसरी तरफ लेट गया.थोड़ी देर तक तीनो बस ऐसे ही आँखे बंद किए लेटे रहे.

फिर रीमा ने करवट बदली & शेखर के सीने से जा लगी & उसके निपल्स को अपने नखुनो से हल्क-2 कुरेदने लगी & उसके चेहरे को चूमने लगी.शेखर उसकी पीठ सहलाने लगा.रीमा ने सोच लिया था कि वो इन दोनो बाप-बेटे को आज 1 पल भी आराम नही करने देगी जिस से कि वो जल्द से जल्द तक कर सो जाएँ.
 
अब वो अपना चेहरा उठा शेखर के सीने पे झुक उसके निपल्स को चूस रही थी & उसका हाथ उसकी छाती & पेट पे घूम रहा था.हाथ घूमते-2 शेखर के सिकुदे,गीले लंड पे पहुँच गया,"..ओह्ह..ये तो अभी भी गीला है..इसे साफ कर देती हू.",और रीमा शेखर के सीने को चूमती हुई नीचे जाने लगी.जब वो उसकी नाभि के पास पहुँची तो उसने उसमे अपनी जीभ फिरा दी.शेखर के मुँह से मस्ती भरी आह निकल गयी.

उसकी नाभि को चाटने के बाद रीमा और नीचे पहुँची & उसकी झांतो को चूमते हुए उसकी लंड की जड़ तक आके उसे वाहा पे चूम लिया.शेखर 1 बार फिर गरम होने लगा था.रीमा ने लंड को हाथ मे लिया & चाट कर उसका गीलापन साफ करने लगी.उसके सूपदे को उसने बिना मुँह मे लिए बस अपनी जीभ फिरा के पूरा चॅटा.शेखर का लंड उसकी इस हरकत से फिर खड़ा हो गया.रीमा ने उसके आंडो को दबाया & आधे लंड को मुँह मे लिया & आधे को हाथ से हिलाने लगी.

उसने आँखो के कोने से देखा की विरेन्द्र जी कमरे से बाहर जा रहे हैं...कही दूसरे कमरे मे सोने तो नही जा रहे...इसका मतलब उसे पहले शेखर को थकाना हो गा & बाद मे उन्हे.वो आँखे बंद कर उसके लंड से खेलने लगी.शेखर मस्ती मे आहे भरता हुआ उसके सर को पकड़ अपने लंड पे दबाने लगा.तभी रीमा ने लंड छ्चोड़ दिया & अपने घुटने उसके बदन के दोनो तरफ रख उसके उपर आ गयी.शेखर ने हाथ बढ़ा कर उसे पकड़ना चाहा तो उसने उसके हाथो को पकड़ उसके सर के दोनो तरफ पलंग पे दबा दिया.

अब वो उसके उपर झुकी थी पर उसका बदन शेखर को बिल्कुल भी नही च्छू रहा था.रीमा नीचे झुकने लगी तो शेखर ने सोचा कि वो उसे चूमेगी पर रीमा उसके होंठो तक अपने होठ लाई & जैसे ही शेखर ने उन्हे अपने होंठो मे दबाना चाहा वो हंसते हुए फिर उपर हो गयी.शेखर हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगा,"..नही..हाथ नही छुड़ाना है..",रीमा शरारत से बोली.

1 बार फिर उसने झुक के शेखर को ललचाया & फिर उसे प्यासा छ्चोड़ दिया.शेखर का खड़ा लंड भी बेकाबू हो रहा था & वो कमर उचका कर उसकी चूत मे उसे घुसाना चाह रहा था.रीमा ने ये देखा तो बहुत धीरे से अपनी कमर नीचे करने लगी & जैसे ही लंड के सूपदे ने उसकी चूत को छुआ वो 1 झटके मे वापस उपर हो गयी.शेखर तो बस पागल ही हो गया.

अपना मुँह उठा कर उसने रीमा की 1 चूची को मुँह मे भरना चाहा तो रीमा ने अपनी चूचियो को उपर खींच लिया & उसे तड़पाने के लिए हंसते हुए उन्हे उसकी आँखो के आगे हिलाने लगी.फिर कमर नीचे लाई & जैसे ही चूत ने लंड को छुआ,फिर से उपर उठ गयी.शेखर अब बुरी तरह तड़प रहा था नीचे से अपनी कमर उचका रहा था,"..अब आ भी जाओ,जान.बैठ जाओ मेरे लंड पे & चूसने दो ये रसीली चूचिया.."

"इतनी भी क्या जल्दी है?बस थोड़ी देर पहले ही तो आपने मेरी चुदाई की थी.",रीमा ने हंस कर उसे और तडपाया तो शेखर हाथ छुड़ाने लगा.इस पे रीमा नीचे झुकी & अपनी छाती उसके मुँह मे दे दी,"..बड़े बेसबरे हैं आप!...ओईइ...!...अफ...काटिए मत ना!दर्द होता है.."
 
फिर वो झुकी & बाद धीरे से उसके लंड को अपनी शेखर के ही पानी से गीली चूत मे घुसाने लगी.जब लंड आधा घुस गया तो वो रुक गयी.इस पर शेखर तड़प उठा & नीचे से कमर उचका कर लंड पूरा अंदर घुसाने की कोशिश करने लगा पर रीमा बार-2 उठ कर उसकी ये कोशिश नाकाम कर देती.

कुच्छ आहट हुई तो उसने मूड के देखा कि उसके ससुर फिर से कमरे मे आ गये थे & उनके हाथो मे कोई डिबिया थी.रीमा वापस सर घुमाके अपने जेठ को देखने लगी & वैसे ही उसका आधा लंड लिए झुक कर उसके हाथो को आकड़े उसे चूमने लगी.

"ऊओवव्व..!",वो चिहुन्क उठी,विरेन्द्र जी ने उस डिबिया से क्रीम अपनी उंगली मे ले उसे,उसकी गंद की छेद मे घुसा दिया था.रीमा समझ गयी कि ज़िंदगी मे पहली बार आज उसकी गंद भी मारी जाएगी.उंगली के घुसते ही वो खुद ही शेखर के लंड पे बैठ गयी थी & उसे पूरा अपने अंदर ले लिया था.विरेन्द्र जी थोड़ी देर तक उसकी गंद के छेद मे वैसे ही उंगली करते रहे .

शेखर के हाथो पे रीमा की पकड़ ढीली होते ही उसने हाथ छुड़ा रीमा की कमर को जाकड़ लिया & उचक कर उसकी चूचिया चूसने लगा.विरेन्द्र जी ने उंगली निकाली & बिस्तर पे चढ़ अपने बाए घुटने & दाए पैर पे अपना वज़न रख 1 हाथ से अपनी बहू की गंद की फांको को फैला कर उसके छेद को थोडा और खोला & दूसरे से अपने क्रीम से गीले लंड को उसकी गंद मे घुस दिया.

"ऊओउउइईईईई....म्माआआआआआअ.......!",रीमा सूपदे के अंदर जाते ही चीखी.विरेन्द्र जी उसकी कमर को पकड़े दूसरे हाथ से उसकी गोरी पीठ सहलाते हुए लंड को और अंदर पेलने लगे,"..ना..ना...गंद को कसो मत,रीमा..उसे ढीला छ्चोड़ो..बस थोड़ी देर दर्द होगा...फिर तो इतना मज़ा आएगा कि पुछो मत.",रीमा की हालत खराब थी.नीचे से शेखर धक्के लगाता तो वो अपने ससुर के लंड को अपनेआप थोड़ा और अपनी गंद मे ले लेती.वो बहुत धीरे-2 अपने लंड को अंदर घुसा रहे थे.जब आधा लंड अंदर घुस गया तो रीमा को लगा कि अब अगर उसके ससुर ने लंड को और पेला तो उसकी गंद फट जाएगी.

"...आअहह...आईय्य्यीए...बस इतने से ही करिए,पिता..जी.....इस से ज़्यादा मैं नही ले पाऊँगी..बहुत ज़्यादा दर्द हो रहा है.."

"ठीक है.",विरेन्द्र जी ने लंड घुसाना छ्चोड़ दिया & बस स्थिर हो वैसे ही उसकी गंद मे बस लंड डाले खड़े रहे.

नीचे से शेखर उसकी 1 चूची मसल्ते हुए उसकी गर्दन चूम धक्के लगा रहा था.थोड़ी देर बाद रीमा के गंद का दर्द शांत हुआ तो वो भी अपनी कमर हिलाने लगी,विरेन्द्र जी समझ गये कि उनकी बहू अब तैय्यार है.अपने आधे लंड से ही उन्होने उसकी गंद मारना शुरू किया.

जब शेखर कमर उचका कर उसकी चूत चोद्ता ठीक उसी वक़्त विरेन्द्र जी अपनी कमर हिला उसकी गंद मारते.इन दोहरे धक्को से परेशान रीमा ज़ोर-2 से आहे भरने लगी.उसे बहुत मज़ा आ रहा था,उस वक़्त जैसे वो भूल गयी थी कि यही दोनो दरिंदे उसकी जान लेने का मंसूबा भी रखते हैं.वो तो बस अपने दोनो छेदो मे भरे लुंडो से मस्तानी हो हवा मे उड़ रही थी.

उसकी चूत अब तक 2 बार झाड़ चुकी थी & इस बार जो तूफान उसके बदन मे उठ रहा था वो शायद उसे अब तक सबसे गहरा मज़ा देने वाला था.शेखर अब ज़ोर से कमर उचका रहा था & रीमा की बाई चूची को तो मुँह से निकालने का नाम ही नही ले रहा था.विरेन्द्र जी भी 1 हाथ से उसकी कमर & दूसरे से उसकी दाई चूची को दबा तेज़ी से उसकी गंद मारे जा रहे थे.

"ऊऊऊऊओह...........माआआआ.........!",रीमा चिल्लाते हुए झाड़ गयी.झाड़ते वक़्त उसकी गंद & चूत उसके ससुर & जेठ के लुंडो पे ऐसे सिक्डी की वो दोनो भी खुद को संभाल नही पाए & अपना पानी उसके बदन के अंदर गिराने लगे.रीमा हाँफती हुई शेखर के सीने पे गिर गयी & उसकी पीठ पे विरेन्द्र जी गिर गये.थोड़ी देर तक वो दोनो के बीच दबी रही.जब लंड बिल्कुल सिकुड गया तो विरेन्द्र जी ने लंड को धीरे से उसकी गंद से निकाला & उसके उपर से उतर बिस्तर पे निढाल हो गये.
 
शेखर का लंड सिकुड कर अपनेआप उसकी चूत से निकल गया था,रीमा उसके उपर से उतर बगल मे लेटे अपने ससुर के सीने से लग गयी & उनके सीने पे प्यार से2-3 मुक्के मारे,"कितने बदमाश हैं आप!मुझे भनक भी नही लगने दी & पीच से आके मेरी गंद का कुँवारापन लूट लिया!"

"ये बताओ की मज़ा आया या नही?",विरेन्द्र जी ने उबासी लेते हुए पूचछा.उनकी आवाज़ से सॉफ झलक रहा था कि वो थक गये हैं.

"ह्म्म..",रीमा ने उनके सीने के बालो मे अपना चेहरा दफ़न कर लिया & हौले-2 चूमने लगी.बगल मे पड़ा शेखर भी अपनी तेज़ साँसे सायंत कर रहा था.रीमा जानती थी कि अभी उसका काम पूरा नही हुआ है.उसे इन दोनो को और थकाना था.

रीमा उनके सीने को चूमती हुई अपना हाथ उनके पेट पे फिराती हुई नीचे ले गयी & लंड से लगा दिया,"इसी शैतान ने मुझे तडपया था अभी!",वो उनके सीने से उठी & घुटनो पे झुक उनके लंड को हाथ मे था लिया,"..देखो तो अब कैसे शांत पड़ा है,बदमाश!",उसने लंड पे अपनी जीभ चलाना शुरू कर दिया.विरेन्द्र जी ने आँखे बंद कर ली.वो अब तक 3 बार झाड़ चुके थे,उन्हे नींद भी आ रही थी पर अपनी बहू की मस्त हर्कतो ने उन्हे जागने पे मजबूर किया हुआ था.

रीमा अब तेज़ी से उनकी लंड की लंबाई पे जीभ फिरा रही थी.उसने जान बुझ कर अपनी गंद को शेखर की तरफ कर हवा मे उठा लिया था & लंड चूस्ते हुए मुँह से ऊहह-आँह की आवाज़े निकालते हुए उसे लहरा रही थी.शेखर ने हाथ बढ़ा कर उसकी गंद को दबाया तो रीमा ने ससुर के लंड को हिलाते हुए उस से मुँह हटा के पीछे देखा & अपने होंठो को गोल कर शेखर को चूमने का इशारा किया.

फिर वापस घूम कर विरेन्द्र जी के लंड को अपने मुँह की गहराइयो मे उतार उसे चूसने लगी.शेखर भी थक गया था पर रीमा को 1 बार और चोदने का मोह वो छ्चोड़ नही पाया.अपने पिता को उसकी गंद मारता देख उसे भी ऐसा करने का दिल हो आया था.वो उठा & रीमा की मस्त गंद को सहलाते हुए अपना लंड हिलाने लगा.

थोड़ी देर मे लंड फिर से तन गया.उसने उसकी कमर पकड़ी & लंड को थाम उसे उसकी गंद के छेद पे रख दिया,"हाई राम!अब आप भी वाहा करेंगे...मैं तो मर ही जाऊंगो..छ्चोड़िए ना!",पर वो छूटने की कोई कोशिश नही कर रही थी बल्कि अपनी गांद को और मादक तरीके से लहरा रही थी.

"बस 1 बार,जानेमन!प्लीज़!",शेखर अपने लंड से उसके गंद के छेद पे मार रहा था.

"मना करने से भी आप मानेंगे थोड़े ही!चलिए बस 1 बार पर धीरे-2 करिएगा..ज़्यादा दर्द मत पहुँचाइएएगा."

"कोई दर्द नही होगा,जानेमन!",& शेखर ने अपना लंड उसकी गंद मे डालने लगा.गंद पहले ही उसके पिता के पानी से भरी थी,इसीलिए लंड तुरंत अंदर चला गया.फिर उसका लंड विरेन्द्र जी जितना बड़ा भी नही था सो वो जड़ तक रीमा की गंद मे उतरा हुआ था & उसकी झांते रीमा की गंद की फांको पे गुदगुदी कर रही थी.

रीमा अब गंद हवा मे उठाए,उसमे शेखर का लंड भरे,झुक के अपने ससुर के लंड के बस सूपदे को अपने मुँह मे लिए हुए थी.जैसे ही शेखर ने धक्का मारा वो ससुर के लंड पे और झुक गयी & वो पूरा मुँह मे भर गया.जब शेखर अपना लंड बाहर खींचता तो वो भी विरेन्द्र जी के लंड से उठ जाती.
 
उसने उनके लंड को हाथ मे रखा बस सूपदे को मुँह मे रखा & शेखर के धक्के का इंतेज़ार करने लगी.बस अब तो वो धक्के मारता तो विरेन्द्र जी का लंड अपने आप उसके मुँह मे घुस जाता & जब वो लंड को खींचता तो ससुर का लंड भी अपनेआप उसके मुँह से बाहर आ जाता.

काफ़ी देर तक तीनो ऐसे ही मस्ती भरा खेल खेलते रहे & फिर रीमा ने अपनी जीभ कुच्छ इस शिद्दत & गर्मी के साथ अपने ससुर के लंड पे फिराई कि वो पागलो की तरह अपनी कमर उचकाने लगे.रीमा की मस्ती भरी ऊन्ह-आँह सुन शेखर भी गरम हो गया & उसके उपर झुक उसकी चूचियो को पीछे से 1 हाथ मे दबोच & दूसरे से उसके चूत के दाने को रगड़ता हुआ कातिल धक्के लगाने लगा.अचानक रीमा ने अपने होंठो मे कसे विरेन्द्र जी के लंड को,उनके नडे दबाते हुए,इतनी ज़ोर से चूसा कि वो आह भरते हुए अपनी कमर उच्छाल उसके सर को पकड़ उसके मुँह मे झाड़ गये.

ठीक उसी वक़्त उसने अपनी गंद के छेद को भी सिकोड कर शेखर के लंड पे कस दिया & वो भी उसकी इस हरकत से बहाल हो उसकी गंद मे अपना पानी छ्चोड़ने लगा.झड़ने के बाद वो निढाल हो रीमा के उपर गिरा गया तो रीमा का चेहरा उसके ससुर के झांतो भरे लंड पे जा लगा.उसने पीठ को झटका दे शेखर को अपने उपर से गिराया & अपने ससुर की कमर को अपनी बाहो के घेरे मे ले उनकी झांतो मे अपना चेहरा छुपा लिया.शेखर ने भी उसे पीछे से थाम लिया.

विरेन्द्र जी अब बहुत थक चुके थे,उन्होने रीमा के सर पे हाथ रखा पर अब वो नींद से बहाल हो चुके थे & थोड़ी ही देर मे उसके सर को सहलाते हुए सो गये.रीमा भी आँखे बंद किए सोने का नाटक करने लगी.उसकी पीठ से लगा शेखर जगा हुआ था पर अब उसे छेड़ नही रहा था,शायद तीन बार की मस्त चुदाई अब उसपे भी असर दिखा रही थी.

थोड़ी देर बाद रीमा ने महसूस किया कि शेखर भी नींद मे चला गया था.वो बहुत धीरे से दोनो के बीच से उठी & पलंग से उतर गयी.दोनो मर्द थक के चूर हो बेख़बर सो रहे थे.

रीमा कमरे से निकलने लगी तो शेखर की पॅंट पे उसका पैर पड़ा & उसमे कुच्छ चुबा,उसने पॅंट उठाई तो देखा कि उसकी जेब मे कुच्छ था.हाथ डाला तो वो उसकी कार की चाभी थी.रीमा ने उसे ले लिया,फिर कुच्छ ध्यान आया तो पलटी & दबे पाँव साइड-टेबल से वो रवि की जयदाद वाले पेपर्स उठाए.

हॉल मे देखा कि डाइनिंग टेबल के पास विरेन्द्र जी की पॅंट पड़ी थी,उसकी तलाशी मे उसे फार्महाउस की चाभीया मिल गयी.
 
बारिश रुक चुकी थी & सवेरे के 4 बज रहे थे.रीमा कपड़े पहन अपने हॅंडबॅग मे पेपर्स ले फार्महाउस के दरवाज़े पे ताला लगा रही थी.फिर उसने बहुत धीरे से मेन गेट खोला & फिर शेखर की कार मे बैठ उसे रिवर्स करने लगी.कई दिन बाद कार चला रही थी & इस वजह से उसने कार गियर मे डाल कुच्छ ज़्यादा जल्दी से क्लच छ्चोड़ दिया,कार झटका ख़ाके रुक गयी.

2-3 बार की कोशिसो के बाद वो कार को रिवर्स कार फार्महाउस से बाहर ले आई पर उसी वक़्त उसे 1 खिड़की मे लाइट जलती दिखी,अंदर कोई जाग गया था.गियर बदलते वक़्त घबराहट मे फिर वही ग़लती दोहराई & कार फिर बंद हो गयी.उसने देखा कि हॉल की 1 खिड़की खुली रह गयी थी & उसमे से कूद के शेखर बाहर आ रहा था & उसके पीछे उसके ससुर.

घबराहट के मारे रीमा काँपने लगी,जैसे-तैसे उसने कार स्टार्ट की & गियर मे डाल भाग निकली.थोड़ी देर बाद उसने देखा कि विरेन्द्र जी की कार मे दोनो बड़ी तेज़ी से उसके पीछे आ रहे हैं.रीमा का पूरा बदन पसीने से भीगे गया,उपर से रास्ते मे भी बारिश की वजह से काफ़ी फिसलन थी.उसे याद आया कि पुराना पुल पार करते ही पोलीस पोस्ट है,वो बस 1 बार वाहा पहुँच जाए.

उसके दुश्मन बड़ी तेज़ी से उसके नज़दीक आ रहे थे पर तभी उसे पुल दिखा...बस 1 बार वो इसे पार करले.उसकी कार पुल पे आई & उसने अककलेराटोर पे पैर दबाते हुए कार को टॉप गियर मे डाल दिया.वो बस आगे देखते हुए कार भगा रही थी की तभी पीछे 1 धमाके जैसी आवाज़ आई,उसने पीछे घूम के देखा तो उसके ससुर की कार अब वाहा नही थी & पुल की रेलिंग के पास धूल का गुबार उठ रहा था.तभी उसने वापस सामने देखा उसकी खुद की कार भी रेलिंग की तरफ जा रही थी...उसने जल्दी से ब्रेक लगाया पर कार स्किड करने लगी.ब्रेक दबाए हुए रीमा ने ख़ौफ़ से आँखे बींच ली & कार रुकने पे खोली.

कार रेलिंग से बस2 इंच की दूरी पे रुकी.काँपते हुए कार खोल वो बाहर आई & पीछे गयी,उसके ससुर & जेठ की कार रेलिंग तोड़ते हुए नीचे नाले मे गिर गयी थी.

भगवान ने दोनो हत्यारो कितनी सही सज़ा दी थी!जैसे उन्होने उसके पति को मारा था उन्हे भी ठीक वैसी ही मौत मिली.अब उसकी जान को भी कोई ख़तरा नही था...ये ख़याल आते ही सुकून के मारे उसके अंदर का तनाव आँखो से आँसुओं की शक्ल मे निक्ल पड़ा.थोड़ी देर बाद रीमा ने खुद को संभाला & कार को उस पोलीस पोस्ट पे ले गयी.

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सुबह के 7 बज रहे थे & थाने मे वो इनस्पेक्टर रीमा का बयान सुन रहा था.

"..तो आप इतनी बड़ी जायदाद लेने अवंती पुर जा रही थी?"

"जी.मेरे ससुर को डर था कि कोई इन पैसो के चक्कर मे मुझे नुकसान पहुँचा सकता है,इसलिए मुझे फार्महाउस मे रखा था & पंचमहल मे भी किसी को नही बताया कि मैं असल मे उनके परिवार से मेरा क्या रिश्ता है."

"ठीक है.पर इतनी सुबह फार्महाउस से क्यू निकले आप लोग & दूसरी कार आप क्यू ड्राइव कर रही थी?"

"जी,भाय्या..आइ मीन मेरे जेठ के पैर मे चोट लगी थी & वो दर्द के कारण ड्राइव नही कर पा रहे थे,इसीलिए मैं ड्राइव कर रही थी 7 हमे वकील ने ठीक 9 बजे आवंतिपुर बुलाया था इसलिए हम,यानी मेरे ससुर जी & मैं जेठ जी को पहले घर छ्चोड़ते & फिर वाहा से नाश्ता कर आवंतिपुर चले जाते.",रीमा ने पुल से पोलीस पोस्ट तक आते-2 ये फ़ैसला कर लिया था कि अगर वो अपने ससुर & जेठ की असली कहानी बताती तो कोई भी उसपे विश्वास नही करता-उन्होने अपनी ईमानदारी & नएक्दिली का ऐसा बढ़िया जाल जो फैलाया हुआ था.इसीलिए उसने ये झूठी कहानी इनस्पेक्टर को सुनाई.

"आपके पास क्या सबूत है कि आप सेक्स्ना परिवार की बहू हैं?"

"ये मॅरेज सर्टिफिकेट & ये फोटोग्रॅफ्स",उसने अपने बॅग से वो दस्तावेज़ निकाले जिन्हे वो हमेशा 1 फाइल मे रखती थी & आज फार्महाउस से भागने के पहले भी उसने उन्हे अपने हॅंडबॅग मे डाल लिया था,"..& मेरे ससुर ने वकील को खुद हलफ़नामा दिया था कि मैं उनकी बहू हू."

"ह्म्म."
 
आवंतिपुर मे कजरी राइ के वकील के पास पहुँचते ही सारी बाते साफ हो गयी & 1 ही झटके मे रीमा .100 करोड़ टर्नोवर वाले ग्रूप की 5% शेरहोल्डर,उसकी बोर्ड मेंबर & सालाना प्रॉफिट की हिस्सेदार बन गयी.कजरी राइ की सारी प्रॉपर्टी & चीज़े भी उसी को मिली.इसके अलावा हर साल उसके अकाउंट मे टॅक्स देने के बाद .5 करोड़ जमा होते सो अलग.

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1 महीने बाद

आवंतिपुर के उस सबसे पॉश इलाक़े की वो सबसे शानदार इमारत थी,जिसके बाहर खड़ा वो बूढ़ा गार्ड से बहस कर रहा था.उस विशाल,आलीशान बंगल के नेम प्लेट पे राइ विला के नीचे 1 नाम चमक रहा था-रीमा सेक्स्ना.

"..पर बाबा,मेरा यकीन करो,मेडम अभी घर पे नही हैं,बाहर गयी हैं."

"मैं कुच्छ नही जानता.बिना मिले मैं नही जाऊँगा.",तभी हॉर्न की आवाज़ आई तो दोनो ने घूम के देखा,1 बड़ी सी चमचमाती कार खड़ी थी,"..किनारे हो,बाबा.देखो,मेडम अब आई हैं"

कार अंदर दाखिल हुई तो उस बूढ़े ने देखा कि जिस से वो मिलना चाहता था वो कार के अंदर ही है.जब तक वो उसे आवाज़ देता कार गेट के अंदर जा चुकी थी.बूढ़ा वैसे ही खड़ा था,"बाबा.अरे ओ बाबा!पहले तो मिलने की रट लगाए थे अब क्या हो गया?चलो मेडम ने तुम्हे देख लिया था,बुला रही हैं."

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"दद्दा!",रीमा दौड़ कर गयी & भूषण के पैर छु लिए,"कैसे हैं आप?शादी ठीक से निपट गयी?"

"तडाक...!",भूषण ने रीमा को 1 करारा तमाचा जड़ दिया,"तुम्हे पैसो की इतनी हवस थी.बोलो क्यू मारा मेरे मालिक को & झूठ क्यू कहा कि तुम उनकी बहू हो जबकि रवि भाय्या की तो शादी ही नही हुई थी?"

रीमा ने गाल पे हाथ रखे 1 फीकी हँसी हँसी,"..दद्दा!आप मुझे धोखेबाज़ समझते हैं ना?तो सुनिए मैं बताती हू आपको आपके मलिक की असलियत...

कोई 2 घंटे बाद रीमा की दास्तान ख़तम हुई तो भूषण बस मुँह खोले उसकी तरफ देख रहा था.रीमा ने उस से कुच्छ भी नही छिपाया-अपना अनाथ होना.रवि के जनम की कहानी,उसका & रवि का प्यार & शादी,उसके ससुर & जेठ की मक्कारी भरी साज़िशें & वो बात जो उसे पिता समान दद्दा को बताते हुए बहुत शर्म आई-अपने जेठ & ससुर से जिस्मानी ताल्लुक़ात बनाने की बात.

थोड़ी देर तक कमरे मे सन्नाटा छाया रहा.फिर भूषण उठ खड़ा हुआ,"..मुझे माफ़ कर दो बेटी,मैने..मैने तुम पे हाथ उठाया..",वो हाथ जोड़े खड़ा था.

"नही,दद्दा.ये थप्पड़ आपकी वफ़ादारी & ईमानदारी का सबूत था.."

"फिर भी,बेटी मुझे माफ़ करदो..अच्छा...अब मैं चलता हू..",भूषण घूम कर जाने लगा.

"दद्दा.मैने आपके सामने अपनी पूरी ज़िंदगी की कहानी कह दी.कुच्छ भी नही च्छुपाया.दद्दा,मेरे पास सब कुच्छ है.कुच्छ दीनो के लिए ही सही 1 बहुत ही अच्छे इंसान के प्यार का भी एहसास किया है,उसकी पत्नी बनके..पर कभी भी मुझे पिता का प्यार नही मिला....",उसका गला भर आया था & आँखे छलछला आई थी,"..दद्दा,क्या आप..मुझे वो प्यार देंगे?"

"बेटी...",भूषण बस इतना ही कह पाया क्यूकी आगे उसकी भी आँखो से आँसू बहने लगे थे.रीमा दौड़ के उसके गले लग गयी & दोनो फूट-2 के रोने लगे पर इस बार दुख के नही खुशी के आँसू थे.

दा एंड



...

आपका दोस्त
 
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