hotaks444
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- Nov 15, 2016
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अगली सुबह जब मैं अपने कमरे में गयी तो देखा कि इनायत तैय्यार हो रहे थे, मुझे देखते ही उन्होने
पून्छा कि मेरी तबीयत कैसी है, जिसके जवाब में मैने कहा ठीक है, अब बेहतर महसूस कर रही हूँ.
सबने एक साथ नाश्ता किया, फिर ताबू और साना ने मेरी सास की पॅकिंग शुरू कर दी. कुछ वक़्त बाद मेरी सास
अपने मिया के साथ रेलवे स्टेशन जाने को तैयार थीं, उन्होने मेरी तरफ देख कर कहा कि अपना और अपने
ससुर का ख़याल रखना. मैं समझ गयी कि वो क्या कहना चाहती हैं.इनायत और शौकत पहले ही जा चुके
थे. अब बारी साना और ताबू को चलता करने की थी सो मैने ताबू और साना से अपनी तबीयत का बहाना किया
और उनसे अपने लिए कुछ अंडरगार्मेंट्स की शॉपिंग के लिए कहा. पहले तो साना राज़ी नही थी लेकिन बाद
में मैने उससे कहा कि मैं उसको कुछ नही सिखाने वाली तो वो मान गयी और साथ मे ताबू को भी ले गयी.
अब मैं इंतेज़ार कर रही थी अपने ससुरजी का, मैने एक प्लान बनाया और मुझे लगा कि वो प्लान ज़रूर सक्सेस
फुल होगा.
करीब 1 घंटे बाद डोर बेल बजी. हमारे घर का मेन डोर आँगन के बाहर था. मैं धीरे धीरे गयी
और डोर खोला. मैने चेहरे पर दर्द के एहसास दिखाए तो मेरे ससुर मुझसे पूंछ ही पड़े.
ससुरजी:"आरा ठीक तो हो और ये साना और ताबू कहाँ गये हैं?"
मैने कराह कर जवाब दिया
मैं:"जी वो कल कुछ कपड़े लाए थे जो फिट नही हो रहे थे इसलिए वो लौटाने गये हैं आअहह"
ससुर:"तुम्हे क्या हुआ, तबीयत ठीक नही हुई"
ये कहकर उन्होने दरवाज़ा बंद किया और मेरे पीछे पीछे आने लगे, मैने लंगड़ा कर चलना शुरू किया
तो उन्होने मेरा बाज़ू पकड़ कर मुझे सपोर्ट दिया. मैं धीरे धीरे बरामदे मे आकर बैठ गयी. मैने
आज ऐसी नाइटी पहनी थी वो घुटनो के नीचे से डिवाइडेड थी और इसमे मेरे ससुर को मेरी गोरी गोरी टाँगें
सॉफ नज़र आ रही थी.
मैं:"माफ़ कीजिएगा आपको तकलीफ़ हुई मेरी वजह से"
ससुर:"कमाल करती हो तकलीफ़ क्या हुई मुझे, लेकिन इन दोनो को तुमको अकेला छोड़ कर नही जाना चाहिए था"
मैं:"नही ठीक हो जाएगा ये दर्द"
ससुर:"कहाँ दर्द है आरा"
मैं:"जी वो, जी वो,,,,,"
ससुर:"क्यूँ क्या हुआ बोलो ना"
मैं:"मेरी शरमगाह मे,,,,"
ये कहकर मैने सर झुका लिया और शरमाने लगी
ससुर:"क्या हुआ"
मैं:"जी ये कैसे कहूँ मैं"
ससुर:"बोलो , शरमाओ मत आरा"
मैं:"वो परसो रात को इनायत ने मुझे... वो"
ससुर:"समझ गया, ऐसी भी क्या हैवानियत कि किसी को तकलीफ़ पहुचाई जाए"
मैं:"जी अब मैं क्या कहूँ"
ससुर:"इसलिए तुम कल अपनी सास के साथ सोई थीं"
मैं:"हां लेकिन अब दर्द कम है, सिर्फ़ चलने से थोड़ा दर्द होता है,मैने एक क्रीम लगाई थी, उससे काफ़ी
आराम मिला है"
ससुर:"तो फिर क्रीम लगा लो"
मैं:"वही लगा रही थी कि आप आ गये"
ससुर:"कहाँ है वो क्रीम मैं लेकर आता हूँ"
मैं:"नही मैं खुद ले लूँगी आप बस मुझे सहारा दे कर मेरे कमरे तक पहुँचा दें"
ससुर:"ठीक है"
अब मैं खड़ी हो गयी और बजाए उनके आगे चलने के मैं उनके कंधे से चिपक गयी, अब मेरी गर्म गर्म
चूचिया उनसे चिपटि हुई थीं.
मैं बेडरूम मे जाकर सीधा बेड पर लेट गयी वो भी इस तरहा से कि मेरी टाँगें फैल गयी और मेरी नाइटी
के बीच से मेरी चूत का नज़ारा सीधा मेरे ससुर के सामने था. मैने दर्द के दिखावा किया और आँखें
बाद कर ली, मुझे यकीन था कि मेरे ससुर अभी सिर्फ़ मेरी चूत देख रहे होंगे. मैने अब आँखें
खोली और अपने पैर सीधे कर लिए और देखा कि मेरे ससुर मेरी चूत ही देख रहे थे.उन्होने ने हड़बड़ा
कर अपनी नज़रें दूसरी तरफ की और मुझसे पूछा
ससुर:"कहाँ है वो क्रीम"
मैं:"जी वो माय्स्चराइज़िंग क्रीम जो ड्रेसिंग टेबल पर है वो दे दीजिए"
ससुर:"अच्छा, लेकिन इस क्रीम से फ़ायदा हुआ तुमको"
मैं:"जी वो परसो रात को इनायत की रगड़ की वजह से मेरी शरमगाह छिल गयी थी, इससे फ़ायदा हुआ है"
ससुर:"अच्छा ठीक है, ये लो क्रीम"
ये कह कर वो बेडरूम से बाहर चले गये,मुझे झटका सा लगा कि ये क्या हुआ, मेरा प्लान तो फैल हो रहा था,
लेकिन मैने भी प्लान तुरंत बदल लिया.
थोड़ी देर बाद मैने डिसाइड किया कि मैं खुद टाय्लेट तक जाउन्गि जो आँगन मे था और तब अपने नेक्स्ट मूव
दिसाइड करूँगी.
मैं अब बाहर आ गयी थी, देखा तो मेरे ससुर तैय्यार होकर कहीं बाहर जाने की तैय्यारि मे थे, शायद
वो काम पर जा रहे थे. मैने आँगन मे आकर फिसलने का नाटक किया और ज़ोर से चिल्ला उठी आअहह
मेरी आवाज़ सुन कर वो दौड़ कर मुझे उठाने आए.
ससुर:"आरा तुम बाहर क्यूँ आई, आराम करना चाहिए था ना तुमको"
मैं:"जी मुझे ज़ोर से पेशाब लगा है इसलिए टाय्लेट जा रही थी, आआआआआहह उई माआ, मर गयी"
ससुर:"लगता है तुम्हारे पैर मे मोच आ गयी है"
मैं:"आआआआः हान, अब मैं पेशाब करने कैसे जाउन्गि"
ससुर:"चलो मैं उठा कर तुमको वहाँ पहुँचा दूँ"
मैं:"नहीं, मुझसे बैठा नही जाएगा, आहह हााआययययययी"
ससुर:"तो तुम यहीं कर लो आँगन में बाद में मैं पानी डाल दूँगा"
मैं:"नही, बदबू की वजह से सबको मालूम पड़ जाएगा, आप मुझे टाय्लेट तक ले चलो"
ये कहना ही था कि मेरे ससुर मे मुझे गोद में उठा लिया, अब मेरी नाइटी सरक कर मेरी चूत तक आ गयी
थी और मेरी क्रॉच सॉफ सॉफ नज़र आती थी, जब वो टाय्लेट तक पहुँचे तो उन्होने एक हाथ से डोर खोला
और मुझे नीचे उतारने लगे. हमारे घर में इंडियन टाइप टाय्लेट है.लेकिन मैने नीचे उतरने से मना
कर दिया
मैं:"नहीं मैं नीचे नहीं बैठ पाउन्गि, या रब आहह बहुत दर्द है मेरे पैर में"
ससुर:"तो पेशाब कैसे करोगी"
मैं:"आप मेरी नाइटी उपर उठा दीजिए और मुझे ज़मीन के करीन अपनी गोद में बिठा दीजिए जैसे बच्चो
को पेशाब करवाते हैं"
ससुर:"अच्छा ठीक है"
मेरे सुसुर की तो जैसे लॉटरी निकल आई थी,उन्होने मेरी नाइटी उपर की तो मैने शरमाने की एकटिंग की.
अब मेरे चुतड सॉफ नज़र आ रहे थे और मेरी चूत खुल कर उनके सामने थी, उनके हाथ काँप रहे थे
और मैं ये साफ महसूस कर सकती थी.
उन्होने मुझे गोद मे लेकर ज़मीन से नीचे किया और मैने मूतना शुरू कर दिया, मैने सोचा नहीं था
कि कभी ऐसा भी दिन आएगा जब मुझे पेशाब खुद अपने ससुर के सामने करना पड़ेगा.
ज़रा ही देर में मैं पेशाब कर लिया था, और मैने शरमा कर अपने ससुर से कहा
मैं:"थोड़ा पानी से नीचे धो दीजिए"
ससुर:"ठीक है"
पून्छा कि मेरी तबीयत कैसी है, जिसके जवाब में मैने कहा ठीक है, अब बेहतर महसूस कर रही हूँ.
सबने एक साथ नाश्ता किया, फिर ताबू और साना ने मेरी सास की पॅकिंग शुरू कर दी. कुछ वक़्त बाद मेरी सास
अपने मिया के साथ रेलवे स्टेशन जाने को तैयार थीं, उन्होने मेरी तरफ देख कर कहा कि अपना और अपने
ससुर का ख़याल रखना. मैं समझ गयी कि वो क्या कहना चाहती हैं.इनायत और शौकत पहले ही जा चुके
थे. अब बारी साना और ताबू को चलता करने की थी सो मैने ताबू और साना से अपनी तबीयत का बहाना किया
और उनसे अपने लिए कुछ अंडरगार्मेंट्स की शॉपिंग के लिए कहा. पहले तो साना राज़ी नही थी लेकिन बाद
में मैने उससे कहा कि मैं उसको कुछ नही सिखाने वाली तो वो मान गयी और साथ मे ताबू को भी ले गयी.
अब मैं इंतेज़ार कर रही थी अपने ससुरजी का, मैने एक प्लान बनाया और मुझे लगा कि वो प्लान ज़रूर सक्सेस
फुल होगा.
करीब 1 घंटे बाद डोर बेल बजी. हमारे घर का मेन डोर आँगन के बाहर था. मैं धीरे धीरे गयी
और डोर खोला. मैने चेहरे पर दर्द के एहसास दिखाए तो मेरे ससुर मुझसे पूंछ ही पड़े.
ससुरजी:"आरा ठीक तो हो और ये साना और ताबू कहाँ गये हैं?"
मैने कराह कर जवाब दिया
मैं:"जी वो कल कुछ कपड़े लाए थे जो फिट नही हो रहे थे इसलिए वो लौटाने गये हैं आअहह"
ससुर:"तुम्हे क्या हुआ, तबीयत ठीक नही हुई"
ये कहकर उन्होने दरवाज़ा बंद किया और मेरे पीछे पीछे आने लगे, मैने लंगड़ा कर चलना शुरू किया
तो उन्होने मेरा बाज़ू पकड़ कर मुझे सपोर्ट दिया. मैं धीरे धीरे बरामदे मे आकर बैठ गयी. मैने
आज ऐसी नाइटी पहनी थी वो घुटनो के नीचे से डिवाइडेड थी और इसमे मेरे ससुर को मेरी गोरी गोरी टाँगें
सॉफ नज़र आ रही थी.
मैं:"माफ़ कीजिएगा आपको तकलीफ़ हुई मेरी वजह से"
ससुर:"कमाल करती हो तकलीफ़ क्या हुई मुझे, लेकिन इन दोनो को तुमको अकेला छोड़ कर नही जाना चाहिए था"
मैं:"नही ठीक हो जाएगा ये दर्द"
ससुर:"कहाँ दर्द है आरा"
मैं:"जी वो, जी वो,,,,,"
ससुर:"क्यूँ क्या हुआ बोलो ना"
मैं:"मेरी शरमगाह मे,,,,"
ये कहकर मैने सर झुका लिया और शरमाने लगी
ससुर:"क्या हुआ"
मैं:"जी ये कैसे कहूँ मैं"
ससुर:"बोलो , शरमाओ मत आरा"
मैं:"वो परसो रात को इनायत ने मुझे... वो"
ससुर:"समझ गया, ऐसी भी क्या हैवानियत कि किसी को तकलीफ़ पहुचाई जाए"
मैं:"जी अब मैं क्या कहूँ"
ससुर:"इसलिए तुम कल अपनी सास के साथ सोई थीं"
मैं:"हां लेकिन अब दर्द कम है, सिर्फ़ चलने से थोड़ा दर्द होता है,मैने एक क्रीम लगाई थी, उससे काफ़ी
आराम मिला है"
ससुर:"तो फिर क्रीम लगा लो"
मैं:"वही लगा रही थी कि आप आ गये"
ससुर:"कहाँ है वो क्रीम मैं लेकर आता हूँ"
मैं:"नही मैं खुद ले लूँगी आप बस मुझे सहारा दे कर मेरे कमरे तक पहुँचा दें"
ससुर:"ठीक है"
अब मैं खड़ी हो गयी और बजाए उनके आगे चलने के मैं उनके कंधे से चिपक गयी, अब मेरी गर्म गर्म
चूचिया उनसे चिपटि हुई थीं.
मैं बेडरूम मे जाकर सीधा बेड पर लेट गयी वो भी इस तरहा से कि मेरी टाँगें फैल गयी और मेरी नाइटी
के बीच से मेरी चूत का नज़ारा सीधा मेरे ससुर के सामने था. मैने दर्द के दिखावा किया और आँखें
बाद कर ली, मुझे यकीन था कि मेरे ससुर अभी सिर्फ़ मेरी चूत देख रहे होंगे. मैने अब आँखें
खोली और अपने पैर सीधे कर लिए और देखा कि मेरे ससुर मेरी चूत ही देख रहे थे.उन्होने ने हड़बड़ा
कर अपनी नज़रें दूसरी तरफ की और मुझसे पूछा
ससुर:"कहाँ है वो क्रीम"
मैं:"जी वो माय्स्चराइज़िंग क्रीम जो ड्रेसिंग टेबल पर है वो दे दीजिए"
ससुर:"अच्छा, लेकिन इस क्रीम से फ़ायदा हुआ तुमको"
मैं:"जी वो परसो रात को इनायत की रगड़ की वजह से मेरी शरमगाह छिल गयी थी, इससे फ़ायदा हुआ है"
ससुर:"अच्छा ठीक है, ये लो क्रीम"
ये कह कर वो बेडरूम से बाहर चले गये,मुझे झटका सा लगा कि ये क्या हुआ, मेरा प्लान तो फैल हो रहा था,
लेकिन मैने भी प्लान तुरंत बदल लिया.
थोड़ी देर बाद मैने डिसाइड किया कि मैं खुद टाय्लेट तक जाउन्गि जो आँगन मे था और तब अपने नेक्स्ट मूव
दिसाइड करूँगी.
मैं अब बाहर आ गयी थी, देखा तो मेरे ससुर तैय्यार होकर कहीं बाहर जाने की तैय्यारि मे थे, शायद
वो काम पर जा रहे थे. मैने आँगन मे आकर फिसलने का नाटक किया और ज़ोर से चिल्ला उठी आअहह
मेरी आवाज़ सुन कर वो दौड़ कर मुझे उठाने आए.
ससुर:"आरा तुम बाहर क्यूँ आई, आराम करना चाहिए था ना तुमको"
मैं:"जी मुझे ज़ोर से पेशाब लगा है इसलिए टाय्लेट जा रही थी, आआआआआहह उई माआ, मर गयी"
ससुर:"लगता है तुम्हारे पैर मे मोच आ गयी है"
मैं:"आआआआः हान, अब मैं पेशाब करने कैसे जाउन्गि"
ससुर:"चलो मैं उठा कर तुमको वहाँ पहुँचा दूँ"
मैं:"नहीं, मुझसे बैठा नही जाएगा, आहह हााआययययययी"
ससुर:"तो तुम यहीं कर लो आँगन में बाद में मैं पानी डाल दूँगा"
मैं:"नही, बदबू की वजह से सबको मालूम पड़ जाएगा, आप मुझे टाय्लेट तक ले चलो"
ये कहना ही था कि मेरे ससुर मे मुझे गोद में उठा लिया, अब मेरी नाइटी सरक कर मेरी चूत तक आ गयी
थी और मेरी क्रॉच सॉफ सॉफ नज़र आती थी, जब वो टाय्लेट तक पहुँचे तो उन्होने एक हाथ से डोर खोला
और मुझे नीचे उतारने लगे. हमारे घर में इंडियन टाइप टाय्लेट है.लेकिन मैने नीचे उतरने से मना
कर दिया
मैं:"नहीं मैं नीचे नहीं बैठ पाउन्गि, या रब आहह बहुत दर्द है मेरे पैर में"
ससुर:"तो पेशाब कैसे करोगी"
मैं:"आप मेरी नाइटी उपर उठा दीजिए और मुझे ज़मीन के करीन अपनी गोद में बिठा दीजिए जैसे बच्चो
को पेशाब करवाते हैं"
ससुर:"अच्छा ठीक है"
मेरे सुसुर की तो जैसे लॉटरी निकल आई थी,उन्होने मेरी नाइटी उपर की तो मैने शरमाने की एकटिंग की.
अब मेरे चुतड सॉफ नज़र आ रहे थे और मेरी चूत खुल कर उनके सामने थी, उनके हाथ काँप रहे थे
और मैं ये साफ महसूस कर सकती थी.
उन्होने मुझे गोद मे लेकर ज़मीन से नीचे किया और मैने मूतना शुरू कर दिया, मैने सोचा नहीं था
कि कभी ऐसा भी दिन आएगा जब मुझे पेशाब खुद अपने ससुर के सामने करना पड़ेगा.
ज़रा ही देर में मैं पेशाब कर लिया था, और मैने शरमा कर अपने ससुर से कहा
मैं:"थोड़ा पानी से नीचे धो दीजिए"
ससुर:"ठीक है"