hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
रीमा सोचने लगी कि आख़िर ये हैवान उसकी नाज़ुक,कसी चूत मे जाएगा कैसे.उसे डर लगा कि आज तो उसकी चूत ज़रूर फॅट जाएगी.उसका हलक सुख गया & उसने थूक गटका.विरेन्द्र जी शायद उसकी घबराहट भाँप गये थे.उन्होने बड़े प्यार से उसके गालो & बालो को सहलाया & फिर उसकी टाँगे उठा अपने कंधो पे लगा ली.
अब वो घुटनो पे बैठे उसके पैर चूम रहे थे.रीमा अपना डर भूल फिर से मस्त होने लगी.विरेन्द्र जी ने देखा की उनकी बहू फिर से मज़े मे आने लगी है तो उन्होने उसकी बाई टांग को तो कंधे पे ही रहने दिया पर दाई को उतार अपनी कमर पे लपेट लिया.फिर अपना लंड लिया & उसकी चूत पे लगा दिया.जहा 1 तरफ रीमा को डर लग रहा था वही दूसरी तरफ उसके दिल मे ख्वाहिश भी थी कि वो अपने ससुर का ये लंबा,मोटा लंड पूरा का पूरा अपनी चूत मे ले.
विरेन्द्र जी ने हल्के से लंड को उसकी गीली चूत मे धकेला तो लंड का सूपड़ा आधा अंदर चला गया.रीमा ने 1 हाथ से तकिया पकड़ लिया & दूसरा उनके पेट पे लगा दिया जैसे उन्हे रोक रही हो.विरेन्द्र जी उसकी दाई जाँघ & बाई टाँग थामे लंड अंदर पेलने लगे.
"ऊवन्न...न्नह...",जैसे ही पूरा सूपड़ा अंदर गया,रीमा अपना बदन उपर उठाते हुए करही.थोड़ी देर तक विरेन्द्र जीशांत पड़े उसकी चूचियो को दबाते & उसकी टांगे सहलाते रहे.फिर उन्होने 1 हल्का धक्का दिया तो लंड 1 इंच और अंदर चला गया.रीमा को अभी उतनी तकलीफ़ नही हुई थी.
पर जैसे ही विरेन्द्र जी ने थोड़े धक्के दिए & 2 तिहाई लंड अंदर गया कि उसकी चीख निकल गयी & विरेन्द्र जी की आह ,उन्होने नही सोचा था कि उनकी विधवा बहू किचूत इतनी कसी होगी,उन्हे लग रहा था जैसे किसी बहुत नाज़ुक हाथ ने उनके लंड को बड़ी मज़बूत गिरफ़्त मे लिया हो.रीमा तो बेचैन थी,इस से ज़्यादा आगे उसकी चूत मे कभी कोई लंड नही गया था & उसे दर्द होने लगा था.
"आहह...पिताजी...दर्द हो रहा है.इसे निकाल लीजिए ना!"
"अभी सब ठीक हो जाएगा,बहू.मुझपे भरोसा रखो.",विरेन्द्र जी उसके चेहरे को प्यार से सहलाने लगे.थोड़ी देर बाद बिना लंड को और अंदर घुसाए वो रीमा को बहुत धीरे-2 चोदने लगे.शुरू मे तो रीमा को तकलीफ़ हुई पर कुच्छ मिनिट के बाद उसे मज़ा आने लगा.वो आहें भरती हुई कमर हिलाने लगी.
विरेन्द्र जी ने अब उसकी दाई टाँग को भी अपने कंधे पे ले लिया & उसके पैरो की उंगलिया चूमने लगे.वो 1-1 उंगली को मुँह मे भर के चूसने लगे.रीमा को उसके पति या उसके जेठ ने कभी ऐसे प्यार नही किया था.उसे बहुत अच्छा लग रहा था,पैरो मे जैसे गुदगुदी हो रही थी.
दोनो पैरो को बारी-2 से चूमने के बाद विरेन्द्र जी ने उसकी कंधो पे रखी टांगे पकड़ी & 1 ज़ोर का धक्का दिया.
"ऊओ...उउउक्चह...!",रीमा चीखी,विरेन्द्र जी ने सोचा था कि लंड पूरा अंदर चला जाएगा पर वो तो बस आधा इंच ही और गया था,"...और मत घुसाइए पिताजी,प्लीज़.......आआआअ...ईईईईययययी....ययइईई...!",रीमा की गुज़ारिश को अनसुना करते हुए विरेन्द्र जी ने ज़ोर के 2-3 धक्के लगा लंड को जड़ तक उसकी चूत मे उतार दिया था.
रीमा दर्द से छत्पताने लगी तो विरेन्द्र जी उसके होंठो पे झुक आए.ऐसा करने मे उसकी कंधो पे लगी टाँगे मूड गयी & उसकी जांघे उसकी चूचियो पे दब गयी,गंद भी बिस्तर से उठी हुई थी & लंड जितना अंदर जा सकता था उतनी गहराई मे उतरा हुआ था.
अब वो घुटनो पे बैठे उसके पैर चूम रहे थे.रीमा अपना डर भूल फिर से मस्त होने लगी.विरेन्द्र जी ने देखा की उनकी बहू फिर से मज़े मे आने लगी है तो उन्होने उसकी बाई टांग को तो कंधे पे ही रहने दिया पर दाई को उतार अपनी कमर पे लपेट लिया.फिर अपना लंड लिया & उसकी चूत पे लगा दिया.जहा 1 तरफ रीमा को डर लग रहा था वही दूसरी तरफ उसके दिल मे ख्वाहिश भी थी कि वो अपने ससुर का ये लंबा,मोटा लंड पूरा का पूरा अपनी चूत मे ले.
विरेन्द्र जी ने हल्के से लंड को उसकी गीली चूत मे धकेला तो लंड का सूपड़ा आधा अंदर चला गया.रीमा ने 1 हाथ से तकिया पकड़ लिया & दूसरा उनके पेट पे लगा दिया जैसे उन्हे रोक रही हो.विरेन्द्र जी उसकी दाई जाँघ & बाई टाँग थामे लंड अंदर पेलने लगे.
"ऊवन्न...न्नह...",जैसे ही पूरा सूपड़ा अंदर गया,रीमा अपना बदन उपर उठाते हुए करही.थोड़ी देर तक विरेन्द्र जीशांत पड़े उसकी चूचियो को दबाते & उसकी टांगे सहलाते रहे.फिर उन्होने 1 हल्का धक्का दिया तो लंड 1 इंच और अंदर चला गया.रीमा को अभी उतनी तकलीफ़ नही हुई थी.
पर जैसे ही विरेन्द्र जी ने थोड़े धक्के दिए & 2 तिहाई लंड अंदर गया कि उसकी चीख निकल गयी & विरेन्द्र जी की आह ,उन्होने नही सोचा था कि उनकी विधवा बहू किचूत इतनी कसी होगी,उन्हे लग रहा था जैसे किसी बहुत नाज़ुक हाथ ने उनके लंड को बड़ी मज़बूत गिरफ़्त मे लिया हो.रीमा तो बेचैन थी,इस से ज़्यादा आगे उसकी चूत मे कभी कोई लंड नही गया था & उसे दर्द होने लगा था.
"आहह...पिताजी...दर्द हो रहा है.इसे निकाल लीजिए ना!"
"अभी सब ठीक हो जाएगा,बहू.मुझपे भरोसा रखो.",विरेन्द्र जी उसके चेहरे को प्यार से सहलाने लगे.थोड़ी देर बाद बिना लंड को और अंदर घुसाए वो रीमा को बहुत धीरे-2 चोदने लगे.शुरू मे तो रीमा को तकलीफ़ हुई पर कुच्छ मिनिट के बाद उसे मज़ा आने लगा.वो आहें भरती हुई कमर हिलाने लगी.
विरेन्द्र जी ने अब उसकी दाई टाँग को भी अपने कंधे पे ले लिया & उसके पैरो की उंगलिया चूमने लगे.वो 1-1 उंगली को मुँह मे भर के चूसने लगे.रीमा को उसके पति या उसके जेठ ने कभी ऐसे प्यार नही किया था.उसे बहुत अच्छा लग रहा था,पैरो मे जैसे गुदगुदी हो रही थी.
दोनो पैरो को बारी-2 से चूमने के बाद विरेन्द्र जी ने उसकी कंधो पे रखी टांगे पकड़ी & 1 ज़ोर का धक्का दिया.
"ऊओ...उउउक्चह...!",रीमा चीखी,विरेन्द्र जी ने सोचा था कि लंड पूरा अंदर चला जाएगा पर वो तो बस आधा इंच ही और गया था,"...और मत घुसाइए पिताजी,प्लीज़.......आआआअ...ईईईईययययी....ययइईई...!",रीमा की गुज़ारिश को अनसुना करते हुए विरेन्द्र जी ने ज़ोर के 2-3 धक्के लगा लंड को जड़ तक उसकी चूत मे उतार दिया था.
रीमा दर्द से छत्पताने लगी तो विरेन्द्र जी उसके होंठो पे झुक आए.ऐसा करने मे उसकी कंधो पे लगी टाँगे मूड गयी & उसकी जांघे उसकी चूचियो पे दब गयी,गंद भी बिस्तर से उठी हुई थी & लंड जितना अंदर जा सकता था उतनी गहराई मे उतरा हुआ था.