Mastram Kahani खिलोना - Page 7 - SexBaba
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Mastram Kahani खिलोना

[size=large]ये क्या मज़ाक है,सुमित्रा!",मैं चीखा & चादर खींच कर अपने नंगेपन को ढँक लिया. -'क्यू?ये तुम्हे सुंदर नही लगती?विरेन्द्र क्या कमी है इसमे?'कजरी खूबसूरत थी पर सुमित्रा से अलग किस्म से.जहा सुमित्रा 1 ऊँचे कद की भरे बदन वाली गदराई जवान लड़की थी.वही कजरी छ्होटे कद की बड़ी मासूम दिखने वाली लड़की थी.वो हमेशा घाघरा-चोली पहनती थी & उस वक़्त भी वही पहने थी.सुमित्रा ने हाथ बढ़ा 1 झटके मे उसकी चोली की डोरिया खींच दी & उसे उतारने लगी.. -'मुझे शरम आती है,दीदी.' -'चल,पगली!ये तुझे अच्छे नही लगते क्या & वैसे भी तू कितने दीनो से नही चूदी है.',सुमित्रा ने उसकी चोली उतार दी & मेरी आँखो के सामने कजरी की छातिया चमक उठी.उसकी छातिया सुमित्रा जितनी बड़ी नही थी पर उतनी छ्होटी भी नही थी.सुमित्रा की छातिया अब तोड़ा ढीली हो गयी थी पर उसकी बिल्कुल कसी हुई थी ठीक तुम्हारी तरह.",उन्होने रीमा की चूचिया अपने हाथो मे भर ज़ोर से दबाई. "उम्मह..!",रीमा अपनी तारीफ से खुश हो मुस्कुराइ. "..& उसके निपल्स बिल्कुल काले रंग के थे & उसके भूरे अरेवला का घेरा तो बहुत बड़ा था..कम से कम इतना बड़ा..",उन्होने अपनी उंगलियो से रीमा के अरेवला के बाहर 1 दायरा बनाया तो रीमा ने उनका हाथ पकड़ के चूमा & फिर अपने गाल से लगा उनके लंड को रगड़ते हुए,उन्हे गाल सहलाने का इशारा करने लगी. "..मेरी नज़रे उसके सीने पे चिपक गयी.. -'देखो,विरेन्द्र.कितनी मस्त हैं ये.. ',सुमित्रा ने अपने हाथो मे उसकी छातिया ले दबाई,"तुम्हे इन्हे चूमने का दिल नही करता?",उसने उसकी चूचिया चूम ली. -'आहह.मत करो ना दीदी.अच्छा नही लगता!' सुमित्रा ने उसके घाघरे का नाडा खींच दिया,-'देखो तो झूठी को,विरेन्द्र!चूत पानी छ्चोड़ रही है & ये कह रही है कि अच्छा नही लगता.' उसने उसकी गंद पे 1 ज़ोर की चपत लगाई,-'मस्त है ना गंद!उसने उसकी पीठ मेरी तरफ कर दी.सच मे गंद भी उतनी चूदी नही थी पर क्या मस्त थी.सुमित्रा के थप्पड़ पड़ते तो फांके सिहर जाती.ये देख मेरा लंड खड़ा हो गया था & चादर मे तंबू बना रहा था. -'& ये देखो इसकी चूत.झांते भरी हैं पर कितनी कसी है.',उसने 1 उंगली उसके अंदर डाली तो कजरी कराहने लगी,'अफ!उंगली भी बड़ी मुश्किल से अंदर जा रही है तुम्हारा राक्षस कैसे जाएगा इसके अंदर?!' -'वैसे उसका भी हाल बुरा है.दिखाओ ना कजरी को अपना लंड.मैने बाते तो इसे यकीन नही आ रहा था कि इतना बड़ा भी किसी का हो सकता है.',वो कजरी का हाथ पकड़ बिस्तर पे ले आई & मेरी चादर खींच दी. -'हाअ!है राम...',कजरी की आँखे हैरत से फैल गयी & उसने अपना हाथ मुँह पे रख लिया.उसकी नज़रे मेरे लंड से चिपक गयी.मुझे भी अपनी मर्दानगी पे गर्व महसूस हुआ.",रीमा आँखे बंद किए अपने ससुर की मस्त दास्तान से बस पागल हो गयी थी.कमर हिलाते हुए वो झाड़ गयी & उनके सीने पे गिर गयी,"..ये है ही इतना मस्त.कोई भी लड़की आपकी दीवानी हो जाए.उसने हाथ नीचे ले जाके लंड को च्छुआ,"फिर क्या हुआ?" "-'क्यू विरेन्द्र?अब भी नही चोदोगे इसे?',सुमित्रा ने मुझ से पुचछा तो मैने नज़रे फेर ली.सुमित्रा ने उसे मेरी बगल मे लिटा दिया & उसके उपर सवार हो गयी,-'देखो तो सही मेरे नीचे दबी ये कितनी हसीन लग रही है.',उसने उसकी छातिया दबाते हुए उसके होंठ चूम लिए,नीचे कजरी की फैली टाँगो के बीच उसकी झांतो भरी चूत पे वो अपनी चूत से धक्के लगा रही थी.कजरी भी गरम हो गयी थी & उसे पकड़ दीदी-2 करते हुए उसके साथ अपना बदन रगड़ रही थी.",विरेन्द्र जी ने अपनी बहू के होंठ चूमे & उसका 1 हाथ पकड़ उसे पीछे ले जाके अपने लंड पे रख दिया,"ज़रा इसको इसकी सही जगह तो दिखाओ."[/size]
 
[size=large]रीमा ने मुस्कुराते हुए लंड को थाम अपनी चूत मे ले लिया.2 धक्को मे लंड जड़ तक उसकी चूत मे धंसा था,"अब आगे बताइए." "उन दोनो का ये गरम खेल देख कब मेरा हाथ लंड पे पहुँच गया & मैं उसे हिलाने लगा मुझे पता ही ना चला.सुमित्रा ने मुझे ऐसा करते देखा तो कजरी के बदन से अलग हो गयी,-'शर्म आनी चाहिए तुझे कजरी!तेरे होते तेरे साहब को हाथ से काम लेना पड़ रहा है.' -'पर दीदी,मुझे डर लगता है.ये इतना बड़ा है मेरी ज़रा सी चूत मे कैसे जाएगा.' -'मेरी मे कैसे जाता है?',उसने उसकी गांद पे 1 थप्पड़ जड़ दिया,-'चल,पहले इस से दोस्ती कर फिर देख ये कैसे तेरी प्यासी चूत को अपने पानी से शांत करता है.चल उठ.' सुमित्रा ने उसे उठा कर मेरे लंड को थमा दिया.ये पहली बार था जब उसके अलावा किसी और औरत ने मेरा लंड थामा था.कजरी के छ्होटे से हाथ मे लंड कुच्छ और बड़ा लग रहा था,-'देखती ही रहेगी,हिला ना.',कजरी ने पहले धीरे-2 फिर तेज़ी से मेरे लंड को हिलाना शुरू किया.थोड़ी देर बाद सुमित्रा ने उसका हाथ हटाया,-'चल अब मुँह मे ले.'कजरी ने ऐसे देखा जैसे मना कर रही हो,-'अरे गीला नही करेगी तो अंदर कैसे जाएगा.चल चूस.' कजरी ने होठ कस दिए मेरे लंड पे तो मैने आँखे बंद कर ली और हवा मे उड़ने लगा.",रीमा भी हवा मे उड़ रही थी,1 बार फिर अपने घुटनो पे बैठ वो अपने ससुर के लंड पे कूदने लगी थी. "कजरी नौसीखिया थी पर उसके दिल मे चुदने का & मुझे खुश करने का जज़्बा था & इसी कारण मुझे उसके ज़ुबान की हरकते बहुत मज़ेदार लग रही थी.सुमित्रा उसकी पीठ सहलाते मुझे देख रही थी,वो समझ गयी कि मैं झड़ने वाला हू,-'चल अब उठ & लेट जा.अब चुदने का वक़्त आ गया है..रुक ज़रा तेरी चूत को भी गीला कर दू..',& वो उसकी चूत पेझूक कोई 2-3 मिनिट तक उसे चाटती रही.कजरी अब जोश मे पागल हो चुकी थी. -'ऑफ ओह!लंड तो फिर सुख गया.',अपन1 ज़ुबान से उसने उसे गीला किया,-'चलो विरेन्द्र अब तो चोदो इस मासूम कली को.',उसने मेरा लंड पकड़ कर खींच कर मुझे कजरी की टाँगो के बीच आने पे मजबूर कर दिया.सुमित्रा ने मुझे चूमा,-'चलो अब धीरे-2 घुसाओ.बहुत दीनो से नही चूदी है,ज़रा आराम से करना.तू घबरा मत कजरी मैं हू ना!ज़्यादा तकलीफ़ नही होगी.' उसने मेरा लंड पकड़ उसकी चूत पे रखा तो मैने 1 धक्के मे ही पूरा सूपड़ा अंदर पेल दिया. -'आईीययईए..!'मैने 1-2 धक्के & दिए & आधा लंड अंदर घुसा दिया.सुमित्रा ने बाहर बचे लंड को पकड़ मुझे अब चोदने को कहा,अब मैं आधे लंड से कजरी को चोदने लगा.थोड़ी देर मे उसे मज़ा आने लगा तो सुमित्रा ने अपना हाथ खींच लिया.उसकी चूत कुच्छ ज़्यादा ही कसी हुई थी & मैं अपना पूरा लंड अंदर घुसाने को बेताब था.मैने 1 ही झटके उसकी चूत मे लंड धंसा दिया & उसकी चीखो से बेपरवाह उसे चोदने लगा.सुमित्रा उसपे झुक उसे चूमते हुए उसकी चूचिया सहलाते हुए उसे संभालने लगी. थोड़ी देर मे कजरी की चूत को मेरे लंड की आदत पड़ गयी & वो भी कमर हिला कर मेरा साथ देने लगी.-'देखो तो कैसे कमर उच्छल कर मज़ा ले रही है.अब मैं घुटनो पे बैठा उसकी टांगे पकड़ उसे चोद रहा था & सुमित्रा अपने घुटनो पे मेरी तरफ चेहरा कर उसके मुँह के उपर बैठ गयी,-'चल अब ज़रा मेरी चूत को भी कुच्छ आराम दे.',कजरी उसकी चूत चाटने लगी तो मैने हाथ बढ़ा कर अपनी बीवी की चूचिया थाम ली & उन्हे मसल्ने लगा,-'आह...विरेन्द्र...ऐसे ही करो...हा..आनन्न..'.अब मुझसे बर्दाश्त नही हो रहा था,मैने अपनी धक्को की रफ़्तार तेज़ कर दी & सुमित्रा की चूचिया मसल्ते हुए उसे खींच कर चूमने लगा नीचे कजरी सुमित्रा की जंघे पकड़ उसकी चूत पे अपनी जीभ फिरा रही थी.हम तीनो अपनी-2 मंज़िल की ओर पहुँच रहे थे कि कजरी की चूत ने मेरे लंड को कस लिया & उसका बदन जैसे ऐंठ गया,वो झाड़ गयी थी & उसके झड़ते ही मैने भी सुमित्रा की चूचिया मसल्ते हुए & उसे चूमते हुए अपना पानी कजरी की चूत मे छ्चोड़ा & साथ ही सुमित्रा की चूत ने भी कजरी की जीभ से परेशान हो पानी छ्चोड़ा 7 वो आगे गिरती हुई मुझे चूमते हुई मुझसे लिपट गयी." ठीक उसी वक़्त अपने ससुर की बातो & लंड से मदहोश हो रीमा 1 बार फिर झाड़ गयी.[/size]
 
[size=large][size=large]खिलोना पार्ट--17
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"ये तो शुरुआत थी,छैल मे उन 4 दीनो मे हम तीनो ने जिस्मो का ये मदहोश खेल जम के खेला.उन 4 दीनो मे पता नही कितनी बार मैने कजरी की चूत को अपने पानी से भरा.सुमित्रा भी यही चाहती थी की मैं कजरी के अंदर ज़्यादा से ज़्यादा झाड़ू.उसने मुझे उसकी चूत मे बस 2 ही बार झड़ने दिया.",रीमा झाड़ के वीरेंद्र जी के सीने पे गिर अपनी साँसे संभाल रही थी & वो उसके बालो & पीठ को सहला रहे थे.



"सुमित्रा अपने मक़सद मे कामयाब हो गयी,छैल से आते ही हमे पता चल की कजरी प्रेग्नेंट हो गयी है.हमने सारे परिवार वालो को ये बात दिया की सुमित्रा प्रेग्नेंट है.उसके बाद 9 महीने तक हमने कजरी को दुनिया की नज़रो से च्छुपाए रखा.साथ ही ये ख़याल रखा कि सुमित्रा भी किसी जान-पहचान वाले की नज़र मे ना आए.",विरेन्द्र जी ने करवट लेटे हुए,बिना चूत से लंड निकाले,अपनी बहू को लिटा दिया & उसके उपर आ गये.



"..9 महीने बाद कजरी की कोख से शेखर का जन्म हुआ.उसके बाद 3-4 महीने तक वो हमारे साथ रही & उसके बाद सुमित्रा & उसकी मा के बीच हुए सौदे के मुताबिक वो पैसे ले के ये वादा करके चली गयी कि अब कभी भी हमसे ना मिलेगी या ये राज़ खोलेगी.",विरेन्द्र जी रीमा की दोनो छातियो को हाथो मे भर दबा रहे थे &.



"फिर रवि किसका बेटा है?",रीमा ने अपने ससुर के मुँह को अपनी छाती पे दबा दिया.



"उपरवाले के भी अजीब लीला है!अगले साल सुमित्रा भी प्रेग्नेंट हुई & रवि को जनम दिया.",उसके कड़े निपल्स को चूसने के बीच उन्होने कहा.



"..पर कजरी ने अपना वादा नही निभाया.उसे कोई बीमारी हो गयी थी & वो बस कुछ ही दीनो की मेहमान थी.उस वक़्त शेखर कॉलेज मे गया ही था.कजरी ने किसी तरह हमारा पता लगा लिया & हमे 1 खत लिखा.इत्तेफ़ाक़ देखो उन दीनो हम सब किसी शादी मे पंचमहल से बाहर गये थे & केवल शेखर ही घर पे था.खत उसके हाथ लग गया & उसे ये राज़ पता चल गया.",विरेन्द्र जी अब उसकी चूचियो से खेलने के साथ हल्के-2 धक्के भी लगा रहे थे.



"..बस उसी दिन से वो हमसे नाराज़ हो गया कि हमने उस से ये बात क्यू च्छुपाई.समझ मे नही आता कि जिस मा-बाप ने उसे इतना प्यार दिया,उसमे & रवि मे कभी कैसा भी फ़र्क़ नही किया वो हमारे साथ ऐसा बर्ताव क्यू करने लगा..उसी के चलते आज सुमित्रा का ये हाल है.",रीमा उनके बालो को सहला रही थी,अब वो फिर से मस्ती मे आने लगी थी & उसकी कमर खुद बा खुद हिलने लगी थी.



"..तो ये है वो राज़..लेकिन फिर भी रीमा मुझे नही लगता कि शेखर का रवि & शंतु की मौत से कुच्छ लेना-देना है.पर फिर उसने तुमसे शंतु के बारे मे झूठ क्यू बोला?तुम बेफ़िक्र रहो,जो भी हो अब तो मैं इस मामले की तह तक पहुँच के ही रहूँगा.",लेकिन इस वक़्त विरेन्द्र जी के लिए अपनी बहू की चूत की तह तक पहुँचना ज़्याद ज़रूरी था.उन्होने उसके चेहरे को हाथो मे भर उसके रसीले होठ चूमते हुए उसकी चूत की गहराइयों मे अपने लंड को पेलना शुरू कर दिया.



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सवेरे रीमा की नींद खुली तो उसने देखा कि विरेन्द्र जी उसकी बाई छाती को दबाते हुए दाई को मुँह मे भर चूस रहे हैं,उसने अपनी उंगलिया उनके बालो मे फँसा दी.विरेन्द्र जी ने देखा कि वो जाग गयी है तो उसके सीने से सर उठा उपर आ अपने होठ उसके होंठो पे रख दिए पर उन्हे उसके जवाब मे वो गर्मी महसूस नही हुई,"क्या हुआ रीमा?कोई परेशानी है क्या?"



"देखिए,मा जी हॉस्पिटल मे हैं & यहा कोई भी ये नही जानता की मैं आपकी बहू हू.सब समझते हैं कि मैं 1 नर्स हू जो मा जी की देखभाल के लिए यहा आई थी.तो ऐसे मे मेरा यहा रहना अब ठीक नही होगा.कही लोग आप पे उंगलिया ना उठाएँ?",रीमा ने नज़रे नीची कर ली.



"बात तो तुम ठीक कह रही हो.तुम्हे यहा नही रहना चाहिए.",विरेन्द्र जी उसके दोनो निपल्स को अपनी उंगलियो के बीच मसल रहे थे.रीमा ने हैरानी & दुख से उनकी तरफ देखा.



"..मगर उस वजह से नही जो तुम्हारे दिल मे है.देखो,मुझे यकीन नही है कि शेखर ने कोई जुर्म किया है मगर फिर भी मैं कोई रिस्क नही लेना चाहता.",वो अब उसके पेट को सहला रहे थे,"..मान लो वो दोषी है तो वो तुम्हे कोई नुकसान पहुचाने की कोशिश ज़रूर करेगा क्यूकी तुमने शंतु के बारे मे पुचछा था & उसे डर होगा कि कही तुम उसपे शक़ ना करो.और तुमपे आँच आए,ये मुझे बर्दाश्त नही होगा,इसीलिए मैं तुम्हे यहा से किसी महफूज़ जगह पे ले जाऊँगा.",उनका हाथ उसकी चूत पे आ गया था & थोड़ी देर उसे सहलाने के बाद उसकी 2 उंगलिया अंदर घुस उसके दाने को मसल्ने लगी.



"उउम्म्म्मम....!..मगर ऐसी महफूज़ जगह है कहा & हम वह जाएँगे कब?.....ऊओफफफफ्फ़..!",उनकी उंगलियो की शरारत & उनकी आँखो से झलकती उसके लिए फ़िक्र से खुश हो वो कमर हिलाति हुई मुस्कुराइ.


[size=large][size=large]"हाई 1 जगह & हम वाहा आज ही जाएँगे..",वो उसकी जंघे फैला उनके बीच मे आ गये & उसके उपर चढ़ अपना लंड उसकी गीली चूत मे पूरा घुसा दिया.."..मगर इसके बाद.",विरेन्द्र जी 1 बार फिर अपनी खूबसूरत बहू की चुदाइ मे जुट गये.[/size][/size]
 
2 घंटे बाद वीरेंद्र जी की कार दोनो को लिए पंचमहल से बाहर जाने वाली सड़क पे भागी जा रही थी.कार 1 पोलीस पोस्ट के पास से गुज़री तो रीमा के दिल मे ख़याल आया कि अगर विरेन्द्र जी शेखर के बारे मे पोलीस को बता देते तो शायद होता.पर उनका दिल तो शायद ये मानने को तैय्यार ही नही था कि उसका अपने भाई & शंतु की मौतों से कोई लेना-देना था..आख़िर था तो वो उनका बेटा ही ना!..ये भी तो हो सकता है की शेखर ने किसी और वजह से शंतु के बारे मे झूठ बोला हो & सचमुच उसका इन मौतों से कोई वास्ता ना हो...लेकिन फिर उसने मीना के बारे मे इतना बड़ा झूठ क्यू बोला?

रीमा खिड़की के बाहर देख रही थी...उसने अपने जिस्म के सहारे इन दोनो मर्दो के दिल की असलियत तो जान ही ली थी & उसे अब पूरा यकीन था कि जहा उसका जेठ 1 धोखेबाज़ इंसान है,वही उसके ससुर 1 भरोसेमंद शख्स हैं.उन्होने उस से अपने शुरुआती रवैय्ये के लिए माफी भी माँग ली थी & अब तो वो उसे बेइंतहा चाहने लगे थे.रीमा के दिल मे 1 कसक पैदा हुई..अगर उन्हे पता चल गया कि वो केवल उनके साथ ही नही,शेखर के साथ भी चुदाई करती थी तो क्या होगा?..और मान लो पता ना भी चले तो उसके दिल के किसी कोने मे ये बात हमेशा फाँस की तरह अटकी रहेगी कि उसे अपने उपर जान च्चिड़कने वाले इस शख्स से मरते दम तक ये राज़ च्चिपाए रखना होगा.

कार अब हाइवे से उतर 1 सुनसान से रास्ते पे दौड़ रही थी,सामने 1 पुराना सा पुल नज़र आ रहा था जिसके नीचे बहुत शोर करती 1 नदी का पानी काफ़ी तेज़ी से बह रहा था,”ये कौन सी नदी है?”

“नदी नही बरसाती नाला है.बारिश की वजह से पूरा भर गया है,यहा से कुच्छ 5-6 किमी बाद ये जाके नदी मे मिल जाता है.गर्मी मे तो बिल्कुल सच जाता है ये.”

रास्ते के दोनो तरफ काफ़ी हरियाली थी पर यहा उतना ट्रॅफिक नही था,बीच-2 मे इक्का-दुक्का सवारिया दिख रही थी,तभी विरेन्द्र जी ने कार को बाए मोड़ा & सामने 1 फार्महाउस नज़र आया.उसके गेट पे पहुँच उन्होने हॉर्न बजाया.रीमा ने आस-पास देखा तो पाया कि अगला फार्महाउस थोड़ा दूरी पे था-लगता था जैसे की जंगल के बीच लोगो ने थोड़े घर बना रखे है.गेट खुलने की आवाज़ आई तो उसने देखा कि 1 देहाती सा इंसान विरेन्द्र जी को हाथ जोड़ नमस्ते करता गेट खोल रहा है.कार फार्महाउस के पोर्च मे खड़ी हुई तो विरेन्द्र जी ने उसे समान उतारने को कहा.उसका नाम भूलवा था & वो यहा फार्महाउस के आउटहाउस मे अपनी पत्नी मुनिया के साथ रहता था.

“अच्छा अब मुझे जाना है,शाम को आ जाऊँगा.किसी भी चीज़ की ज़रूरत हो तो भूलवा या मुनिया से कहना & कोई भी बात हो तो मुझे फ़ौरन फोन करना.”,अपनी बहू को बाहो मे भर उन्होने चूम लिया,”..डरना मत.भूलवा को मैने ताक़ीद कर दी है की बिना मेरी इजाज़त यहा कोई बाहरी आदमी नही घुसेगा.”,उन्होने रीमा के कुर्ते मे हाथ घुसा उसकी कमर को सहलाया.

“ये किसका फार्महाउस है?..उम्म......& आपने इन दोनो के मेरे बारे मे क्या बताया है?”,शर्ट के गले मे से झाँकते अपने ससुर के बालो भरे सीने को रीमा ने चूम लिया.

“ये मेरे 1 दोस्त का था,इसे मैने कुछ दीनो पहले ही खरीदा है...शेखर को इसके बारे मे कुच्छ नही पता..”,उसकी कमर को दबाते हुए उन्होने उसकी गर्देन चूम ली,”..& तुम्हारे बारे मे ये कहा है कि तुम मेरी खास मेहमान हो.”

अच्छा अब जाता हू,शाम को जल्दी आओंगा.”,अपनी बहू को 1 आखरी बार चूम कर विरेन्द्र जी चले गये.

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अगले 4 दिन रीमा ने काफ़ी मज़े मे बिताए.शाम ढले विरेन्द्र जी आ जाते थे फिर वो उनके साथ सुबह तक तरह-2 से चुदाई करती थी.विरेन्द्र जी आते ही उसके & खुद के कपड़े उतार देते & फिर दोनो जो भी काम हो-खाना,टीवी देखना या फिर यू ही बाते करना,नंगे ही करते.दिन भर उसे कोई भी काम करने की ज़रूरत नही पड़ती.दोनो पति-पत्नी उसका पूरा ख़याल रखते.दोनो ठेठ देहाती थे.रीमा को तो उनकी बोली बड़ी मुश्किल से समझ मे आती थी पर वो उसकी बाते समझ लेते थे.दोनो वैसे भी ज़्यादा बाते नही करते थे & अपना काम ख़तम कर अपने आउटहाउस मे चले जाते थे.

फिर विरेन्द्र जी का फोन आया कि वो 4 दिन तक नही आ पाएँगे.पहली रात तो रीमा को अकेले सोने मे काफ़ी डर लगा & उसकी चूत ने भी उसे काफ़ी परेशान किया,उसे तो रोज़ भरपूर चुदाई की आदत पड़ गयी थी,बिना लंड के उसका बुरा हाल हो गया.

पाँचवे दिन उन्होने फोन किया की आज शाम 7 बजे तक वो ज़रूर आ जाएँगे लेकिन भूलवा & मुनिया 4 बजे वाहा से अपने गाँव के लिए निकल जाएँगे तो उसे 3 घंटे बिल्कुल अकेली रहना पड़ेगा.

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घड़ी 8 बजा रही थी & अभी तक वीरेंद्र जी का कोई पता नही था.2-3 दीनो से बारिश नही हुई थी,तो थोड़ी गर्मी हो गयी थी & उमस भी.रीमा ने सोचा था कि ससुर के आते ही पहले वो उनके साथ नहाएगी & फिर उनसे 1 बार चुदने के बाद उनके साथ खाना खाएगी.पर अब गर्मी के साथ-2 उनका इंतेज़ार करते -2 उसे थोड़ी खीज भी होने लगी थी.उसने अकेले ही नहाने का फ़ैसला किया.

नहाने के बाद उसने डेनिम शॉर्ट्स जोकि बस उसकी गंद की फांको को ढँके हुए थे पहने & उपर 1 लाल रंग की स्लीव्ले वेस्ट डाल ली,जिसके गले मे से उसका बड़ा सा क्लीवेज दिख रहा था.तभी उसे 1 आवाज़ सुनाई दी,जैसे कि हॉल मे कोई चल रहा हो.डर से वो जैसे जम सी गयी.उसने किसी कार की आवाज़ नही सुनी थी तो उसके ससुर तो हो नही सकते थे,भूलवा तो मुनिया के साथ 4 बजे ही निकल गया था तो कही शेखर तो नही था?

दबे पाँव वो कमरे से निकल हॉल मे आई-वाहा कोई नही था.उसके कमरे & हॉल के अलावा वाहा 4 कमरे और थे जिसमे से 3 मे ताला लगा हुआ था.तभी उस दूसरे खुले कमरे से फिर कुच्छ आवाज़ आई.डर से रीमा के माथे पे पसीना छल्छला आया था.वो किसी तरह अपने धधकते दिल पे काबू रख उस कमरे के पास गये & धीरे से उसका दरवाज़ा खोला,अंदर कोई नही था.

वो कमरे के अंदर दाखिल हुई,बेड की बगल मे रखे साइड-टेबल पे कुच्छ पेपर्स रखे थे..पहले तो वाहा कुच्छ भी नही था!वो टेबल की तरफ बढ़ने लगी कि तभी उसे पीछे से किसी ने जाकड़ लिया.रीमा की चीख निकल गयी तो वो इंसान हँसने लगा.हँसी की आवाज़ सुन रीमा का डर काफूर हो गया-ये विरेन्द्र जी थे.

उसने गुस्से से उनकी तरफ देखा & उनके हाथ झटक कर कमरे से बाहर निकल हॉल मे चली आई.

“अरे भाई,इतना नाराज़ क्यू हो रही हो?मैने तो बस मज़ाक किया था?”

रीमा कुच्छ नही बोली बस मुँह फेरे खड़ी रही.

“अच्छा बाबा,सॉरी!”,उन्होने उसे फिर से पीछे से बाहो मे लेने की कोशिश की तो रीमा फिर से छितक गयी.

“अब मान भी जाओ.”,इस बार उन्होने काफ़ी मज़बूती से उसे पीछे से थाम लिया & उसके कान को चूमने लगे,रीमा भी भी छूटने के लिए कसमसा रही थी,”..अरे भाई!नाराज़गी की वजह भी तो बताओ!”,उन्होने उसके गाल को चूम लिया

“पहले तो 4 दीनो से गायब थे,आज भी 7 बजे कहके अब आ रहे हैं & उपर से डरा के मेरी जान निकाल दी..& मुझ से वजह पुच्छ रहे हैं!”

“बहुत डर गयी थी क्या?”,उन्होने उसका माथा चूम लिया.

“हां.देखिए अभी तक दिल कैसे ज़ोर से धड़क रहा है.”,उसने उनका हाथ अपने पेट से उठा अपने क्लीवेज पे रख दिया.

“अभी शांत कर देते है इसे.”,उन्होने उसके कान मे अपनी जीभ फिराते हुए उस हाथ से उसके क्लीवेज को दबाना शुरू कर दिया & दूसरे हाथ को नीचे से उसकी वेस्ट मे घुसा उसके पेट को सहलाने लगे.

“उम्म्म.....कहा रहे 4 दिन?”,उसने दोनो हाथ पीछे ले जाके उनके गले मे डाल दिए.

“बस कुच्छ ज़्यादा काम आ गया था.”,वो अब उसकी गर्देन चूम रहे थे.

“मेरा तो बुरा हाल हो गया आपके बिना,आपको मेरी ज़रा भी याद नही आई?”,रीमा आँखे बंद कर अपनी गंद पीछे ले जा उनके पॅंट मे क़ैद लंड पे रगड़ने लगी.

“मत पुछो.मैने कैसे ये 4 दिन गुज़ारे हैं!”,उन्होने वेस्ट की स्ट्रॅप्स को 1-1 करके नीचे कर दिया,रीमा ने नहाने के बाद ब्रा नही पहनी थी & उसकी छातिया स्ट्रॅप्स उसकी बाँहो से सरकते ही दोनो छलक के विरेन्द्र जी के हाथो के नीचे आ गयी.थोड़ी देर तक वैसे ही वो उसकी गर्देन चूमते हुए उसकी चूचियो को अपने हाथो से दबाते,मसल्ते रहे.फिर रीमा ने मस्त हो चेहरा घुमा उन्हे चूमना शुरू कर दिया तो उन्होने उसकी वेस्ट को पूरा उसकी कमर तक नीचे कर दिया.अब वो कभी उसकी चूचिया मसल्ते तो कभी उसके नर्म गोल पेट को सहलाते हुए उसकी नाभि पे लगे नेवेल रिंग को छेड़ते.

रीमा मस्ती मे अपनी गंद उनके लंड पे रगडे ही जा रही थी.विरेन्द्र जी ने हाथ नीचे ला उसके शॉर्ट्स के बटन को खोला & उसे नीचे सरका दिया.फिर अपनी 1 टांग उठा घुटनो से उपर फाँसी शॉर्ट्स को पूरा नीचे कर उसके जिस्म से अलग कर दिया.उन्होने उसकी वेस्ट को भी कमर से नीचे सरकया तो वो उसकी टाँगो के गिर्द घेरा बनके ज़मीन पे गिर गयी.

रीमा ने पॅंटी भी नही पहनी थी & अब वो पूरी नगी थी.विरेन्द्र जी अब उसके पीछे से उसे थाम 1 हाथ से उसकी चूत के दाने को रगड़ रहे थे & दूसरे से उसकी चूचिया मसल रहे थे.रीमा ने हाथ पीछे ले जा पॅंट की ज़िप खोली तो वो उसका इशारा समझ गये.वो उस से अलग हुए & आनन-फानन अपने कपड़े उतार फिर से उसे पीछे से दबोच लिया.रीमा ने हाथ पीछे ले जाके लंड को पकड़ लिया & हिलाने लगी.विरेन्द्र जी उसके गुलाबी होठ चूमते हुए फिर से उसकी चूत को रगड़ने लगे.रीमा 4 दीनो से अपने ससुर का इंतेज़ार कर रही थी & विरेन्द्र जी की उंगली की रगड़ाहट वो अपने दाने पे ज़्यादा देर तक बर्दाश्त नही कर पाई & झाड़ गयी.

झाड़ कर उसने पास पड़े डाइनिंग टेबल को थाम लिया & अपनी साँसे संभालने लगी.झुकी हुई रीमा की कमर थाम विरेन्द्र जी ने पीछे से उसकी चूत पे लंड को रख 1 धक्का दिया.चूत पूरी तरह से गीली थी & लंड 1 ही झटके मे पूरा का पूरा अंदर चला गया.वो वैसे ही उसकी कमर थाम धक्के लगाने लगे.
 
थोड़ी देर बाद रीमा फिर से मस्ती मे आने लगी तो वो सीधी खड़ी हो गयी ,सहारे के लिए 1 हाथ टेबल पे रखा & दूसरे को पीछे ले जा अपने ससुर की गर्देन थाम ली & उनके धक्को का मज़ा ले आहे भरने लगी.थोड़ी देर तक दोनो ऐसे ही चुदाई करते रहे.काफ़ी देर से खड़े रहने के कारण रीमा को थकान सी महसूस हुई,”बिस्तर पे चलिए ना.”

जवाब मे विरेन्द्र जी ने उसकी दाई बाँह उठा कर अपनी गर्देन मे डाली,फिर नीचे से उसकी दाई जाँघ उठा कर पास पड़ी डाइनिंग चेर पे रखा .फिर अपने बाए हाथ मे उसकी बाई जाँघ थाम हवा मे उठा ली & उसी वक़्त उसकी दाई जाँघ को भी थाम वैसे ही उठा दिया.अब रीमा को वो उसकी जाँघो से हवा मे उठाए हुए थे & लंड अभी भी चूत मे था.रीमा उनके गले मे बाँह डाले उन्हे चूमने लगी तो वो चलते हुए उसे उसके कमरे मे नही बल्कि उस दूसरे कमरे मे ले गये.

वाहा उन्होने उसे बिस्तर पे घुटनो के बल बिठा दिया & फिर खड़े-2 ही उसकी चूत मे 4-5 गहरे धक्के लगाए.फिर बिस्तर पे चढ़ उसे डॉगी स्टाइल मे चोदने लगे.रीमा ने सर झुका कर तकिये मे छुपा लिया.उसे चोद्ते हुए वो कभी उसकी चूचिया मसल्ते तो कभी चूत के दाने को रगड़ते.

उन्होने अचानक धक्के लगाना रोका & उसे पेट के बल पूरा बिस्तर पे लिटा दिया.अब रीमा अपनी कोहनियो पे अपना उपरी बदन उठाए हुए अपने ससुर से चुद रही थी.विरेन्द्र जी उसकी चूचियो से खेलते हुए पीछे से उसके गर्देन को चूम रहे थे तो रीमा ने मुँह घुमा उनके होंठो को अपने होंठो की जाकड़ मे ले लिया.वो अब पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी & कभी भी झाड़ सकती थी की तभी विरेन्द्र जी ने हाथ बढ़ा कर साइड-टेबल पे पड़े काग़ज़ & कलम को उठाया & उसके सामने रख दिया,”ज़रा इन्पे साइन कर दो,रीमा.”

“ह्म्‍म्म........”.रीमा ने कलाम उठाई,उसे तो बस अपने ससुर की चुदाई का होश था.उन्होने उसे कलम पकड़ाई & पीछे से धक्के लगाते हुए,उसके गाल से गाल सटा,उसे पेपर्स पे साइन करने की जगहे दिखाई.रीमा ने कुच्छ 4 जगहो पे साइन किया तो उन्होने पेपर्स को वापस टेबल पे रखा & उसके होंठो को चूमते हुए,उसकी चूचियो को मसलना शुरू कर दिया & वो कातिल धक्के लगाए कि रीमा बस आहें भरते हुए झाड़ गयी.उसके झाड़ते ही उन्होने भी उसकी चूत को अपने पानी से भर दिया & उसके उपर गिर कर उसके बालो को चूमने लगे.

थोड़ी देर बाद उन्होने अपना लंड निकाला & उसकी पीठ पे से उठ सीधे हो लेट गये तो रीमा भी पलट कर उनकी बाहो मे आ गयी.थोड़ी देर तक दोनो लेटे हुए इधर-उधर की बाते करते रहे.रीमा का हाथ उनके सीने के बालो से खेलते हुए उनके लंड तक जा पहुँचा था,उसे अपनी उंगलियो पे गीलापन महसूस हुआ तो उसने देखा कि उसके & उसके ससुर का मिला जुला रस उसकी उंगलियो पे लग गया है.उसने मुस्कुराते हुए अपने ससुर की ओर देखा & अपनी उंगलिया चाट कर सॉफ की.फिर उठी & उनके लंड को अपने हाथो मे ले अपने मुँह मे भर लिया.आँखे बंद किए वो उनका लंड चाटने लगी.

"वाह!क्या बात है!क्या नज़ारा है!बहू किस लगन से अपने ससुर का लंड चूस रही है!,"आवाज़ सुन रीमा चौंक कर उठ बैठी-कमरे के दरवाज़े पे ताली बजा कर ये बात कहता हुआ शेखर खड़ा था.

क्रमशः...................
 
खिलोना पार्ट--18

आश्चर्या से रीमा का मुँह खुला रह गया,जब होश आया तो चादर खींच कर उसने अपना नन्गपन ढँक लिया.

"क्या छुपा रही हो,जानेमन?तुम्हारे बदन के रोम-रोम से तो मैं वाकिफ़ हू."

शर्म से रीमा का चेहरा लाल हो गया,उसने धीरे से सर घुमा कर अपने ससुर की ओर देखा तो इस बार पहले से भी ज़्यादा हैरत मे पड़ गयी-वो उसे देखते हुए मुस्कुरा रहे थे & वैसे ही नंगे बैठे थे.

बाहर बदलो के गरजने की ज़ोरदार आवाज़ आई & फिर तेज़ बारिश शुरू हो गयी,"चलो कुच्छ तो राहत मिलेगी इस उमस से.",शेखर अपने कपड़े उतार रहा था,"..आहह..!.."

"क्या हुआ शेखर?",विरेन्द्र जी ने उसके कराहने की वजह पुछि.

1 जगह फुटपाथ से टकरा कर पैर मे चोट लग गयी है.",उसने अपने जूते उतारे तो सबने देखा की टखने के पास 1 ज़ख़्म था जिस से बह के खून सुख चुका था.

"हमारी बहू अभी तुम्हारी मरहम-पट्टी कर देगी,आख़िर ट्रेंड नर्स है भाई!",वीरेंद्र जी ने ठहाका लगाया.रीमा की तो कुच्छ समझ मे नही आ रहा था.आख़िर ये दोनो बाप-बेटे कैसा खेल खेल रहे थे?

"शेखर अब पूरा नंगा हो चुका था,"नहा के आता हू,फिर ज़रा मेरी पट्टी कर देना,रीमा."रीमा ने जवाब मे कुच्छ ना कहा,"..ओह!पिताजी,ये बेचारी तो अभी भी हैरत मे है.ज़रा इसे समझाइये...अब इतनी परेशान क्यू हो,जानेमन?अब तो तुम्हे कुच्छ च्छुपाने की ज़रूरत भी नही.जब तुम्हारा जी करे,हम मे से जिसके साथ जी करे, जैसे चाहे बिना किसी डर के चुदाई कर सकती हो.",वो उसके पास आया & उसके गाल पे हाथ फेरने लगा,"..है ना अच्छी बात!वैसे भी तुम्हे चुदाई कितनी पसंद है,पिच्छले 1-1 1/2 महीने से हम दोनो देख ही रहे हैं!",दोनो बाप-बेटे ने ज़ोर का ठहाका लगाया & शेखर बाथरूम मे घुस गया.

विरेन्द्र जी ने उसकी चादर खींच कर हटा दी & अपनी बाई बाँह मे उसके कंधे को घेर अपने करीब कर लिया,"तुम्हे शर्म आ रही है,है ना?...& ये भी लग रहा होगा कि ना जाने हम दोनो तुम्हे कैसी लड़की समझते हैं.",उन्होने उसे पास खींच उसके गाल को चूम लिया,"..अपने मंन से ये सारी बाते निकाल दो.हम दोनो समझते हैं कि जिस्म की भूख होती ही ऐसी है & इसमे तुम्हारी कोई ग़लती नही है ना ही हम तुम्हे ऐसी-वैसी लड़की समझते हैं."

रीमा का दिमाग़ तो जैसे काम ही नही कर रहा था,पर उसने बड़ी कोशिश कर उसे दौड़ाना शुरू किया...दोनो बाप-बेटे मिले हुए थे,फिर 1 दूसरे को पसंद ना करने का नाटक क्यू खेला?

तभी शेखर नहा कर आ गया,"रीमा ज़रा अपना फर्स्ट-एड बॉक्स तो ले आओ.देखो ना,फिर से खून बह रहा है."

"हां,फिर मैं तुम्हारे मंन मे उठ रहे सारे सवालो का जवाब दूँगा.",विरेन्द्र जी ने कहा.

रीमा उठ कर कमरे से निकल गयी,अंदर बाप-बेटे कुच्छ बात कर रहे थे.बाहर आ कर वो छुप कर दरवाज़े से कान लगा कर खड़ी हो गयी,"..क्या कहा आपने,पिताजी,आप उसे सारी बात बता देंगे?"

"हां."

"मगर क्यू?!",दोनो काफ़ी धीमी आवाज़ मे बोल रहे थे.

"देखो,कल 12 बजे तक,किसी भी हाल मे हमारा काम हो जाएगा,फिर इसकी क्या ज़रूरत है?"

"तो इसे भी ख़तम कर देंगे?"

"हां.पर कल सवेरे तक ये हम दोनो का दिल लगाए रखेगी..लेकिन अगर इसके मन के सवालो का जवाब नही दिया तो ये उस गर्मजोशी से बिस्तर मे हमारा साथ नही दे पाएगी.इसीलिए मैने उस से ऐसा कहा."

"मान गये आपको!"
 
रीमा वाहा से दबे पाँव भाग कर अपने कमरे मे आ गयी,उसका पूरा बदन पसीने से नहा गया था..ये लोग उसकी जान लेना चाहते थे,मगर क्यू?क्या फ़ायदा होगा इस से उन्हे?उसे किसी भी तरह इनके चंगुल से निकलना था.उसने टवल से पसीने को पोंच्छा & फिर अपना फर्स्ट एड बॉक्स उठा लिया.

आज तक वो इस धोखे मे थी कि वो इन दोनो मर्दो से खिलोने की तरह खेल रही है,पर हक़ीक़त ये थी कि वो उन दोनो के हाथो का खिलोना थी & अभी तक दोनो उस से जी भर के खेले थे.लेकिन आज वो अपने इसी जिस्म का फिर से इस्तेमाल करेगी & उनके जाल को काट कर यहा से निकलेगी..वो सवेरे तक उस से मन बहलाना चाहते थे ना!ठीक है,वो उनकी इस ख्वाहिश को ज़रूर पूरा करेगी मगर पहले उनके मुँह से उनका ये सबसे बड़ा राज़ निकलवाएगी.

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"ये लीजिए हो गयी पट्टी.",दोनो बाप-बेटे पलंग के हेडबोर्ड से टेक लगाके नंगे बैठे थे.रीमा उठी तो शेखर ने खींच कर उसे अपनी गोद मे बिठा लिया & उसके बदन को मसल्ते हुए चूमने लगा.

"अरे बेटा,इसे यहा बीच मे बिठा..ज़रा हम भी तो थोडा मज़ा ले,फिर अभ तो इसे कितनी बाते बतानी हैं.",उन्होने रीमा को बीच मे खींच लिया.दोनो बाप बेटे ने उसके दोनो हाथो मे अपने-2 लंड थमा दिए.

"हां,अब ठीक है..चलो हिलाओ,रीमा.",विरेन्द्र जी ने उसे कहा तो रीमा दोनो ले लुंडो को हिलाने लगी.

"रीमा,तुम्हे याद है हमने तुम्हे कजरी के बारे मे बताया था..",रीमा ने हां मे सर हिलाया तो विरेन्द्र जी मुस्कुरा के उसकी जाँघ सहलाने लगे,उनकी देखा-देखी शेखर भी उसकी दूसरी जाँघ पे हाथ फेरने लगा,"..तो मैने उस दिन तुमसे थोडा झूठ बोला था.

"अब सही कहानी सुनो.छैल मे उन 4 दीनो मे हमने ना जाने कितनी बार कजरी की चूत मे अपना पानी छ्चोड़ा & सुमित्रा की चूत मे बस 2 बार.पर कुदरत का कमाल देखो-कजरी तो नही सुमित्रा प्रेग्नेंट हो गयी!",रीमा ने चौंक के उन्हे देखा.

"हां,मैं भी ऐसे ही चौंक उठा था.खैर,उसके बाद हमने कजरी को पैसे दे के विदा किया & 9 महीने बाद ये हमारे साहबज़ादे सुमित्रा की कोख से बाहर आए.",शेखर अपने बाप को देख के मुस्कुराया & रीमा की छाती को दबाने लगा.

"जब ये 3 महीने का हुआ तो 1 बार फिर कजरी हमारे दरवाज़े पे आ कर खड़ी हो गयी.उसके पति का अभी तक कुच्छ पता नही चला था & मा-बेटी का हाल बुरा था.लेकिन कजरी इस बार केवल पैसो के लिए हमारे पास नही आई थी,उसे कुच्छ और भी वाहा खींच लाया था.वो था ये जिसे तुम अपने हाथो मे लिए हिला रही हो."

"..हमारे साथ छैल मे वो छुट्टिया बिताए 1 साल हो गया था & इस 1 साल मे वो किसी से भी नही चुदी थी,ऐसा उसने हमे बाद मे बताया.उसे देख कर मेरी आँखो मे भी चमक आ गयी थी.सुमित्रा को भी इस नये अंदाज़ मे चुदाई बहुत पसंद आई थी,सो हमने उसे काम पे रख लिया..",अपनी बहू की छाती को झुक के उन्होने चूम लिया.

"क्या दिन थे वो भी!कितनी खूबसूरत राते हम तीनो ने गुज़ारी थी!..लेकिन उसके बाद कजरी प्रेग्नेंट हो गयी.अब समस्या ये थी कि सब जानते थे कि उसका पति तो गायब है,तो सब उसपे उंगलिया उठाने लगते.मैने 1 बार फिर अपना तबादला कराया & 9 महीने तक किसी को भनक नही लगने दी कि कजरी मा बनाने वाली है.फिर उसने उस बच्चे को जनम दिया जो आगे जाके तुम्हारा पति बना.",रीमा बस हैरत से उनकी कहानी सुने जा रही थी,उसके हाथ दोनो मर्दो के लंड को वैसे ही हिला रहे थे.

"..सुमित्रा & मैने सबको ये बताया था कि सुमित्रा दुबारा मा बनाने वाली है.रवि को जनम देने के बाद कजरी 3 महीने तक हमारे साथ रही & उसके बाद वो चली गयी,उसे भी डर था कि कही ये राज़ ना खुल जाए.ऐसा होने पे उसकी बड़ी बदनामी होती.",विरेन्द्र जी ने उसके हाथ को अपने लंड से खींचा & अपनी गर्दन मे डाल दिया & झुक कर उसकी चूची चूसने लगे.शेखर ने भी फ़ौरन अपने बाप की नकल उतारी.

"..हम तो कजरी को भूल ही चुके थे कि 1 दिन अचानक हमारे पास 1 वकील ये खबर ले के आया कि उसकी क्लाइंट मिसेज़.राय जो कि राई ग्रूप ऑफ इंडस्ट्रीस के मालिक सूरज राइ की पत्नी हैं,मुझ से मिलना चाहती हैं.",रीमा की छाती से मुँह हटा अब वो उसके चेहरे को चूम रहे थे.
 
"..यहा से करीब 3 घंटे के सफ़र के बाद 1 बड़ा-सा शहर आता है-आवंतिपुर.ये राइ इंडस्ट्रीस वही बेस्ड है.अब .100 करोड़ के टर्नोवर वाले ग्रूप की मालकिन को मुझ से क्या काम आन पड़ा था-ये सोच के मैं हैरान था.सूरज राइ को मरे भी 2-3 बरस बीत चुके थे."

"..खैर,मैं उनके घर राइ विला पहुँचा & वाहा जब मैं मिसेज़.राइ के कमरे मे दाखिल हुआ तो चौंक उठा-मेरे सामने बिस्तर पे काफ़ी बीमार कजरी लेटी हुई थी.",शेखर अब जोश से भर चुका था & रीमा को नीचे लिटा उसे चोदना चाहता था.

"अभी नही बेटे,पहले इसे पूरी बात सुन लेने दो.",उन्होने उसे रोका,"..चलो तुम थोड़ी देर अपने हाथ इसके बदन से हटा लो & तुम भी कहानी सुनो."

"..कजरी की कहानी भी कमाल की थी!उसके पति को विदेश मे किसी ऐसे जुर्म के लिए जैल भेज दिया गया था जो उसने किया ही नही था.उसे जैल मे काफ़ी टॉर्चर भी सहना पड़ा था.जब ये हक़ीक़त सामने आई तो वाहा की अदालत ने केवल उसे जैल से रिहा करवा कर वाहा की सरकार से माफी दिलवाई बल्कि 1 मोटी रकम भी मुआवज़े के तौर पे दी.उस रकम से यहा आके अपनी मेहनत के बल पे सूरज राइ ने अपना बिज़्नेस खड़ा किया."

"..कजरी के दुख के दिन ख़त्म हो गये लेकिन 1 बहुत बड़ी कमी अभी भी उसके जीवन मे थी.टॉर्चर की वजह से सूरज कभी भी बाप नही बन सकता था.उसकी मौत के बाद कजरी को रवि का ख़याल आया & जब वो बीमार हो बिस्तर पे पड़ गयी तो उसने फ़ैसला किया कि वो अपने हिस्से की सारी जायदाद & कंपनी के शेर्स रवि के नाम कर देगी & इसीलिए उसने मुझे आवंतिपुर बुलाया था."

"अब आगे मैं बताता हू",शेखर बोला,"..ये जो मेरे पिताजी हैं,इन्हे दुनिया बहुत ईमानदार समझती है जबकि ये बहुत पहुँची चीज़ हैं.इनका मानना है कि सीधे घूस लेकर पैसे कमाना बहुत बड़ी बेवकूफी है.इन्होने नानाजी को इतना इंप्रेस किया कि उन्होने मा से इनकी शादी कर दी,मा इकलौती औलाद थी,सो सारी जायदाद अंत मे इन्हे ही मिली.उसी तरह ये नौकरी मे तो पूरी ईमानदारी बरतते थे मगर दूसरे के नाम से इन्होने खूब उल्टे-सीधे धंधे करके पैसे कमाए हैं."

"..हमारी ऐसी ही 1 स्कीम उस वक़्त फैल कर गयी थी & हम पर कुच्छ 4 लाख रुपये का क़र्ज़ था जब कजरी राइ ने हमे कॉंटॅक्ट किया.अब अगर पिताजी अचानक रवि को अपना लेते तो ये उनके रवैये के खिलाफ होता,जिस से रवि को शक़ हो सकता था & शायद दुनिया को भी.इनका राज़दार तो केवल मैं हू..हमारी सोच ही इतनी मिलती है.",दोनो बाप बेटे हंस दिए,"..पता है,तुम्हे इन्हे रवि की बीवी के रूप मे क्यू नही पसंद नही थी?क्यूकी तुम ग़रीब थी.इन्होने उसके लिए 1 काफ़ी मालदार असामी की लड़की को देख रखा था & तुम्हारे प्यार ने सब चौपट कर दिया."

"..मैने भी मीना से पैसो के लिए शादी की थी पर वो तो बहुत तेज़ लड़की थी,उसे मेरे लालची इरादो की भनक लगी & उसने तलाक़ ले लिया.अब रवि & उसकी जयदाद ही हमारा सहारा थे.तो इन्होने मुझे आगे किया,पर जैसे ही मैने अपनी खुरापाति स्कीम बताई,रवि भड़क गया & उसने मुझे 1 भी पैसा देने से इनकार कर दिया.पिताजी ने रवि को उसके जनम की कहानी सुना दी थी & कजरी राइ से मिलवा भी दिया था पर उस से अभी भी ऐसे पेश आते थे जैसे कि नाराज़ हो.हक़ीक़त मे वो रवि की 1-1 हरकत पे नज़र रखे हुए थे."

"..कजरी राइ को कॅन्सर था & कुच्छ दीनो बाद वो मर गयी & सारी जायदाद रवि के नाम हो गयी.जिस दिन तुम्हारी आनिवर्सयरी थी,उसी दिन सवेरे रवि ने काग़ज़ साइन किए थे."

"पर रवि ने मुझे कुच्छ नही बताया इस बारे मे?"

"शायद तुम्हे सर्प्राइज़ देना चाहता हो?"

"..अब तुम अपने पति का भी 1 राज़ सुनो जिसने उसकी जान ली लेकिन हमारा बहुत फ़ायदा कराया."

क्रमशः.........................
 
खिलोना पार्ट--19

"कौन सा राज़?",रीमा का दिल ज़ोरो से धड़कने लगा.

"बताता हू.",शेखर अब उसके पैरो की तरफ सर करके लेट गया,"..जिन दीनो मे कजरी राइ & पिताजी की आवंतिपुर मे मुलाकात हुई,उसी वक़्त पंचमहल के 1 पब मे मैं शंतु से टकराया.मैने तो उसे पहचाना ही नही,बढ़ी दाढ़ी,बिखरे बाल,नशे मे धुत...उसकी फॅमिली कॅल्कटा शिफ्ट हो गयी थी पर वो यही रह गया था.रवि के पुणे जाने के बाद से मैने उसे नही देखा था.जब उसके ऐसे हाल के बारे मे पुचछा तो वो टाल गया."

"..पर मैने भी 2 दीनो मे 2 बॉटल वोडका के सहारे उस से ये राज़ उगलवा ही लिया जिसे सुन के मैं हैरान रह गया.सुनोगी?",शेखर उसके पैरो को सहला रहा था & वीरेन्द्र जी उसकी चूचियो को दबा & चूस रहे थे.

"हन."

"तुम्हारा पति & शंतु लवर्स थे."

"क्या बकवास है!रवि गे नही था."

"जानेमन!मैने कब कहा कि वो गे था,वो तो बाइसेक्षुयल था-उसे औरत & मर्द दोनो के साथ सेक्स करने का शौक था.जब तुम्हारे प्यार मे दीवाना हो वो तुमसे शादी कर बैठा तो शंतु-जो कि गे था,उसका दिल टूट गया & वो डिप्रेशन का शिकार हो गया.वो पागल समझता था कि रवि उसके साथ पूरी ज़िंदगी बिताएगा.पर रवि ने तो तुम्हारे उसकी ज़िंदगी मे आने के बाद से ही उस से कन्नी काटना शुरू कर दिया था.",शेखर उसके पैरो की उंगलियो को चूम रहा था.

"..बस यही मौका हमे मिल गया.मेरे खुरापाति दिमाग़ ने शंतु के ज़रिए रवि को ब्लॅकमेल करने का प्लान बनाया.मैने शंतु को एमोशनली यूज़ करना शुरू किया.उस से झूठ कहा कि रवि ने तुमसे शादी करने के बाद हमसे भी नाता तोड़ लिया था & वो मुझे भी अपने बॅंक से लोन नही दिलवा रहा था."

"..मैने शंतु को इस बात के लिए तैय्यार कर लिया कि वो बॅंगलुर जाकर रवि से मिले & उसे डराए कि अगर उसने उसे .6 लाख रुपये नही दिए तो वो तुम्हे उसके & रवि के रिश्ते के बारे मे सब बता देगा.पहले तो वो झिझका पर जब मैने उसे कहा कि उन पैसो से मैं उसे दुबई मे नौकरी दिलवा दूँगा तो वो तैय्यार हो गया."

"..तो इसीलिए रवि उन दीनो परेशान था?",रीमा ने सोचा.

"..उसके बाद तो तुम जानती ही हो,कि रवि ने कैसे पैसो का इंतेज़ाम किया-कुच्छ अपने पास से,कुच्छ फ़र्ज़ी लोन से.तुम्हे खोना नही चाहता था वो-आख़िर तुम हो ही ऐसी चीज़!",शेखर उसके पैर के अंगूठे को चूस्ते हुए उसकी जंघे सहला रहा था.

"..मैने शंतु को बॅंगलुर के बाहर 1 सरॅमिक फॅक्टरी के गेस्ट हाउस मे ठहराया था.उस दिन रवि ने उसे जब पैसे दिए तो मैं वही छुपा था.जैसे ही रवि पैसे दे के निकला मैने शंतु से पैसे ले लिए & उसे एरपोर्ट भेज दिया.हम दोनो 1 ही फ्लाइट से 1 साथ वापस यहा आने वाले थे,उसके बाद शंतु दुबई चला जाता & मुझे 1 हथ्यार मिल जाता रवि को आगे भी ब्लेकमेल करने के लिए."

"..पर रवि की बदक़िस्मती देखो,पैसे देने के वक़्त उसकी जेब से उसका वॉलेट वाहा गिर गया था & जब 45 मिनिट बाद वो उसे लेने वाहा आया तो उसने कमरे मे मुझे पाया.मैं पैसे गिनना ख़त्म कर वाहा से निकलने ही वाला था कि वो कमरे मे दाखिल हुआ & 1 पल मे ही सब समझ गया.मैं उसकी ओर लपका पर उसने मुझे धक्का दे कर गिरा दिया & वाहा से निकल भागा."
 
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