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ऋतु- लल्लू तुम्हे मेरी कसम है अभी मुझे छोड़ दे. बहुत जलन हो रहा है और पैर भी दर्द कर रहा है. मुझे थोड़ा साँस लेने दे फिर करना.
लल्लू ऋतु की बात सुना ही नही.
उसके कान में तो बस काजल नाम घूम रहा था जो ऋतु झरते हुए बोली थी.
लल्लू सटक से ऋतु की चूत से लंड निकल कर उस पर ढेर सारा थूक लगाया और ऋतु जो खुश हो कर बैठने जा रही थी साँस दुरुस्त करने को, उसे उठा कर अपने गोद में ले लिया और नीचे से ठोक दिया बुर में पूरा लॉडा.
ऋतु- आहह आज ये मेरि जान ले कर मानेगा.. हे भगवान्नन् बचाअ ले.. आगीए कभि नहिी चुदुन्गी इस पागल्ल्ल वाहसीईई गधे के लौडईए से..
लल्लू हुमच हच कर ऋतु को उछलता हुआ चोदे जा रहा था.
थोड़ी देर में उसे ले कर वही एक फटे कॅमपिंग क्लॉत पर लेटा कर ऋतु के दोनो पैर को कंधे पर डाल छोड़ दिया अपना मिशल
ऋतु इस धक्के से गंगना गई.
ऋतु- कोइ बचा लो रीए. मार देगा मुझीए.
लल्लू अब अपने मंज़िल के करीब था. अब उसे कुछ नही दिख रहा था. वो ऋतु के दोनो पैर को ऋतु के छाती से चिपका कर ऋतु के ऊपर सवार हो हचक हचक कर चोदे जा रहा था फुल स्पीड में.
लल्लू एक आखरी शॉट लगा कर ऋतु के अंदर ही भलभला कर झरने लगा.
लल्लू के हाथ से ऋतु का पैर छूट गये.
ऋतु अपने पैर को फ्री होते ही हाथ पैर फैलाए लल्लू के पानी को फील करती काँपति वो भी झड़ रही थी..
ऋतु और लल्लू पूरे पसीने से भींगे हुए थे.
काफ़ी देर तक वहाँ सोए रहे वो दोनो.
ऋतु के आँखो से टपटप आँसू बह रहे थे.
लल्लू कभी दोनो चुचे दबाता तो कभी उसके मटके जैसी गान्ड क फांको को मसलने लगता.
कुछ देर ऐसे ही मसलने के बाद ऋतु का रोना कम हुआ तब लल्लू हल्के हल्के अपना लॉडा निकाल कर धीरे डालने लगा.
अभी थोड़ा ही बाहर निकालता और फिर पूरा घुसा देता था अपना लॉडा.
ऋतु को बार बार अपने पेट में बच्चेदानी पर ठोकर लगता महसूस होता.
ऋतु- कितना बड़ा है एक मुई का लॉडा. बिल्कुल गधे का है.
पता नही किस घड़ी पैदा किया था इस गधे के लौड़े को काजल.
लल्लू अब आधे से ज़्यादा लॉडा निकाल कर पेलने लगा ऋतु को.
चुचे दबाता हुआ लल्लू अब हुमच हुमच कर धक्का मारने लगा.
ऋतु हर धक्के पर कराह उठती.
ऋतु के हाथ से रेलिंग छूट जाता तो फिर उसे मजबूती से पकड़ लेती और अगले धक्के में फिर छूट जाता.
ऋतु की गान्ड लाल हो गई थी लल्लू के कमर से लग कर.
खुले आसमान के नीचे चाँदनी रात में ये दोनो दिन दुनिया से बेख़बर ठप ठप ठप की मधुर संगीत बजाए जा रहे थे.
ऋतु- आअहह मुआअ कैसी चोद रहा है.. जैसे इसीई किी माआ काजरिी की भोसरा हूँ. हाय्यी माआ रीि मेनी गैइइ..
ऋतु चिल्लाते हुए झरने लगी.
लल्लू अपने मा का नाम ऋतु के मूह से सुन कर सुन्न्ं हो गया.
उसका लॉडा जैसे और सख़्त हो गया मोटाई जैसे और बढ़ गई.
लल्लू अब तूफ़ानी गति से ऋतु के गान्ड को मसलते हुए चोदे जा रहा था.
लल्लू- ली रनडिीई बादीई गर्मी त्ीी च्छुप्प्प कार रात को लॉडा चुस्टिीई है. ले अब मेरा लोडाअ आज भोसड़ाअ बनंाअ दूँगा. आहह मेरि रनडिीई रितुऊउ.
लल्लू पता नही क्या बके जा रहा था और ऋतु के चुचे और गान्ड को तो मसल मसल कर फूला दिया था.
ऋतु लल्लू के हैवानियत को सहन नही कर पा रही थी.
जैसे उसे लग रहा था की इस से अच्छा तो वो कुवारि रह लेती. कभी नही चुदती.
अभी वो दो बार झड़ चुकी थी और अब उसको जलन हो रहा था अंदर.
लल्लू अभी वाहसी पागल था और ऋतु भी आधेर उम्र की गदराई गाय.
लल्लू ऋतु की बात सुना ही नही.
उसके कान में तो बस काजल नाम घूम रहा था जो ऋतु झरते हुए बोली थी.
लल्लू सटक से ऋतु की चूत से लंड निकल कर उस पर ढेर सारा थूक लगाया और ऋतु जो खुश हो कर बैठने जा रही थी साँस दुरुस्त करने को, उसे उठा कर अपने गोद में ले लिया और नीचे से ठोक दिया बुर में पूरा लॉडा.
ऋतु- आहह आज ये मेरि जान ले कर मानेगा.. हे भगवान्नन् बचाअ ले.. आगीए कभि नहिी चुदुन्गी इस पागल्ल्ल वाहसीईई गधे के लौडईए से..
लल्लू हुमच हच कर ऋतु को उछलता हुआ चोदे जा रहा था.
थोड़ी देर में उसे ले कर वही एक फटे कॅमपिंग क्लॉत पर लेटा कर ऋतु के दोनो पैर को कंधे पर डाल छोड़ दिया अपना मिशल
ऋतु इस धक्के से गंगना गई.
ऋतु- कोइ बचा लो रीए. मार देगा मुझीए.
लल्लू अब अपने मंज़िल के करीब था. अब उसे कुछ नही दिख रहा था. वो ऋतु के दोनो पैर को ऋतु के छाती से चिपका कर ऋतु के ऊपर सवार हो हचक हचक कर चोदे जा रहा था फुल स्पीड में.
लल्लू एक आखरी शॉट लगा कर ऋतु के अंदर ही भलभला कर झरने लगा.
लल्लू के हाथ से ऋतु का पैर छूट गये.
ऋतु अपने पैर को फ्री होते ही हाथ पैर फैलाए लल्लू के पानी को फील करती काँपति वो भी झड़ रही थी..
ऋतु और लल्लू पूरे पसीने से भींगे हुए थे.
काफ़ी देर तक वहाँ सोए रहे वो दोनो.
ऋतु के आँखो से टपटप आँसू बह रहे थे.
लल्लू कभी दोनो चुचे दबाता तो कभी उसके मटके जैसी गान्ड क फांको को मसलने लगता.
कुछ देर ऐसे ही मसलने के बाद ऋतु का रोना कम हुआ तब लल्लू हल्के हल्के अपना लॉडा निकाल कर धीरे डालने लगा.
अभी थोड़ा ही बाहर निकालता और फिर पूरा घुसा देता था अपना लॉडा.
ऋतु को बार बार अपने पेट में बच्चेदानी पर ठोकर लगता महसूस होता.
ऋतु- कितना बड़ा है एक मुई का लॉडा. बिल्कुल गधे का है.
पता नही किस घड़ी पैदा किया था इस गधे के लौड़े को काजल.
लल्लू अब आधे से ज़्यादा लॉडा निकाल कर पेलने लगा ऋतु को.
चुचे दबाता हुआ लल्लू अब हुमच हुमच कर धक्का मारने लगा.
ऋतु हर धक्के पर कराह उठती.
ऋतु के हाथ से रेलिंग छूट जाता तो फिर उसे मजबूती से पकड़ लेती और अगले धक्के में फिर छूट जाता.
ऋतु की गान्ड लाल हो गई थी लल्लू के कमर से लग कर.
खुले आसमान के नीचे चाँदनी रात में ये दोनो दिन दुनिया से बेख़बर ठप ठप ठप की मधुर संगीत बजाए जा रहे थे.
ऋतु- आअहह मुआअ कैसी चोद रहा है.. जैसे इसीई किी माआ काजरिी की भोसरा हूँ. हाय्यी माआ रीि मेनी गैइइ..
ऋतु चिल्लाते हुए झरने लगी.
लल्लू अपने मा का नाम ऋतु के मूह से सुन कर सुन्न्ं हो गया.
उसका लॉडा जैसे और सख़्त हो गया मोटाई जैसे और बढ़ गई.
लल्लू अब तूफ़ानी गति से ऋतु के गान्ड को मसलते हुए चोदे जा रहा था.
लल्लू- ली रनडिीई बादीई गर्मी त्ीी च्छुप्प्प कार रात को लॉडा चुस्टिीई है. ले अब मेरा लोडाअ आज भोसड़ाअ बनंाअ दूँगा. आहह मेरि रनडिीई रितुऊउ.
लल्लू पता नही क्या बके जा रहा था और ऋतु के चुचे और गान्ड को तो मसल मसल कर फूला दिया था.
ऋतु लल्लू के हैवानियत को सहन नही कर पा रही थी.
जैसे उसे लग रहा था की इस से अच्छा तो वो कुवारि रह लेती. कभी नही चुदती.
अभी वो दो बार झड़ चुकी थी और अब उसको जलन हो रहा था अंदर.
लल्लू अभी वाहसी पागल था और ऋतु भी आधेर उम्र की गदराई गाय.