MmsBee कोई तो रोक लो - Page 16 - SexBaba
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MmsBee कोई तो रोक लो

आंटी की बात सुनकर, निशा को इस तरह सर झुकाते देख, सबको यकीन हो गया था कि, निशा कुछ छुपा रही है. इस बात पर सीरू ने उस से सवाल करते हुए कहा.

सीरत बोली “भाभी, आंटी ये किस बात के बारे मे, बात कर रही है. आपने अज्जि भैया के बारे मे हम सब से क्या बात छुपा कर रखी है.”

सीरू की इस बात का निशा को कोई जबाब नही सूझ रहा था. उसने सीरू को समझाते हुए कहा.

निशा बोली “उस बात का इस सब से कोई मतलब नही है. मैं वो बात तुम्हे फिर कभी बता दुगी.”

लेकिन निशा की बात सुनकर, आरू ने भड़कते हुए कहा.

अर्चना बोली “कैसे मतलब नही है. जिस बात को सुनकर, आंटी ने अपने बेटे की मौत का ज़रा सा गम तक नही किया. उस बात को आप कैसे कह सकती है कि, उस बात का इस सब से कोई मतलब नही है. यदि इस सब के बाद भी आप वो बात हमको नही बताती तो, हम ये ही समझेगे कि आपकी नज़रों मे हमारी कोई अहमियत नही है.”

लेकिन आरू की बात सुनने के बाद भी निशा ने बात को टालते हुए कहा.

निशा बोली “मैने कहा ना कि, उस बात का इस सब से कोई मतलब नही है तो नही है. अब इसके बाद मैं इस बारे मे कोई बात नही करना चाहती. तुम लोगों को जो समझना हो, समझ सकती हो.”

जिस अज्जि के लिए अभी सब मिल कर शिखा के घर आए थे. अब उसी की किसी एक बात के लिए सब आपस मे बहस कर रहे थे. मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि, ये सब अचानक क्या होने लगा है. आख़िर ऐसी क्या बात है, जिसे निशा इतना सब होने पर भी किसी को बताना नही चाहती है.

एक तरफ निशा ने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया था. वही निशा का ये जबाब सुनकर आरू ने और भी ज़्यादा भड़कते हुए कहा.

अर्चना बोली “आप क्या सोचती है. यदि आप हमको नही बताएगी तो, ये बात हमे पता नही चलेगी. यदि आप ऐसा सोचती है तो, आप ग़लत सोचती है. मैं अभी जाकर भैया से पूछती हूँ.”

ये कह कर अर्चना बाहर जाने के लिए मूड गयी. लेकिन तभी निशा ने उसका हाथ पकड़ कर उसे रोकते हुए कहा.

निशा बोली “तुम्हे अज्जि से कुछ पूछने की ज़रूरत नही है. मैं नही चाहती कि, उसके जख्म फिर से ताज़ा हो जाए. मैं तुमको बताती हूँ कि, वो बात क्या है.”

ये कह कर निशा एक बार फिर किसी गहरी सोच मे डूब गयी. सब बेसब्री से निशा के बोलने का इंतजार करने लगे. थोड़ी देर बाद निशा ने अपनी बात बोलना सुरू किया.


अब आगे की कहानी निशा की ज़ुबानी….


जिस दिन आरू की दूसरी सर्जरी थी, उसी रात को अज्जि की मिल मे आग लग गयी. ऐसे मे अज्जि को फ़ौरन सूरत के लिए निकलना चाहिए था. लेकिन ये आरू की बड़ी सर्जरी थी. जिस वजह से उसे दर्द भी महसूस हो रहा था. इसलिए अज्जि ने अपने मॅनेजर से कहा कि, वो कल के पहले नही आ सकता है. मगर वो वहाँ के एस.पी. को कॉल कर देता है. वो सब संभाल लेगे.

वहाँ का एस.पी. अज्जि का दोस्त था. इसलिए अज्जि ने उसे कॉल करके अपनी स्तिथि बताई और वहाँ का माहौल संभाल लेने को कह दिया. एस.पी. ने मौके पर पहुच कर सब कुछ संभाल लिया. लेकिन उसने शक़ के आधार पर 5 लोगों को हिरासत मे भी ले लिया.

जब उन 5 लोगों से सख्ती के साथ पूछ ताछ की गयी तो, उन ने कबुल किया कि, ये आग लगी नही बल्कि लगाई गयी थी और इसमे अज्जि की मिल्स के जनरल मॅनेजर धीरू शाह का हाथ था. एस.पी. ने उनको भी हिरासत मे ले लिया.

धीरू शाह अज्जि के पिता जी के समय से उनकी मिल्स के जनरल मॅनेजर थे. लेकिन अज्जि के पिता उनको अपना दोस्त मानते थे और उन पर पूरा विस्वास करते थे. इसलिए अज्जि के घर उनका रोज का आना जाना था और अज्जि के परिवार का भी उनके घर आना जाना था.

दोनो परिवारों के बीच एक दोस्ताना माहौल था. आज्जि उनको अंकल आंटी कह कर पुकारता था और हेतल अज्जि को भैया कहती थी. ये सिलसिला अज्जि के माता पिता की मौत के बाद भी जारी रहा और अज्जि ने भी उनको वो ही सम्मान दिया, जो अज्जि के पिता के समय पर उनका था.यही वजह थी कि, आरू के साथ हुए हादसे के बाद भी, अज्जि को अपने बिज़्नेस की कोई ज़्यादा फिकर नही थी.

इसी बीच एक दिन हेतल ने अज्जि से एक लड़के को नौकरी पर रखने की सिफारिश की तो, अज्जि ने उस लड़के को अपने पापा से मिला देने की बात कही. मगर हेतल ने गुस्से मे अज्जि से कहा कि, क्या आपके लिए मेरी कोई अहमियत नही है. यदि मुझे पापा से ही ये बात करना होती तो, मैं आप से ये बात क्यो कहती.

अब अज्जि हेतल को अपनी बहन ही मानता था. इसलिए उसने हेतल की बात रखते हुए उस लड़के की क़ाबलियत को देखते हुए, उसे अपनी नयी मिल मे सेल्स मॅनेजर की जॉब दे दी. वो लड़का मेहनती होनहार होने के साथ साथ ईमानदार भी था.

कुछ ही दिन काम करने के बाद उस लड़के को अहसास हुआ कि, धीरू शाह मिल के माल मे बहुत गड़बड़ी कर रहा है. लड़के ने अज्जि को आगाह किया कि, आपकी गैर-मौजूदगी मे मिल मे लाखों का हेर फेर किया जाता है.

लेकिन अज्जि इस बारे मे कोई कदम उठा पाता कि, उस से पहले ही इस बात की भनक धीरू शाह को भी लग गयी. उसने अपनी चोरी पकड़े जाने से बचाने के लिए मिल मे आग लगा दी. जब मिल मे आग लगी तो, अज्जि फ़ौरन वहाँ नही पहुच सका था.

दूसरे दिन जब अज्जि वहाँ पहुचा तो, हेतल और उसकी मम्मी रोते हुए अज्जि के पास आई. उन्हो ने बताया कि, हेतल के पापा को रात को पोलीस पकड़ कर ले गयी. आज्जि जब अपने एस.पी. दोस्त से मिला तो, उसने बताया कि, ये लोग तुम्हारी मिल मे हेरा फेरी करते थे और अपनी उसी हेरा फेरी को छुपाने के लिए अब ये मिल मे आग लगा कर उसे हादसे का रूप देना चाहते थे.

ये सब बातें सुन लेने के बाद भी, अज्जि हेतल और उसकी माँ की वजह से, धीरू शाह पर कोई मामला दर्ज नही होने देना चाहता था. जिसकी वजह से वो सब लोग पोलीस की हिरासत से छूट गये. मगर इसके साथ ही अज्जि ने सबको नौकरी से निकाल दिया और धीरू शाह की जगह उस नये लड़के को जनरल मॅनेजर बना दिया.

लेकिन ये सब तो बस बातें तो अज्जि की जिंदगी मे आने वाले तूफान की एक झलक बस थी. असली बात तो, अब अज्जि के सामने आने वाली थी. अगले दिन जब अज्जि वापस सूरत पहुचा तो, उन 5 लोगों मे से एक आदमी अज्जि के ऑफीस मे आया. आज्जि उन पर बहुत गुस्सा था. इसलिए उस ने उस आदमी से मिलने से मना कर दिया.

लेकिन वो आदमी बहुत मुसीबत मे था और अज्जि से मिले बिना जाने को तैयार नही था. तब अज्जि ने अपने नये मॅनेजर को उस से मिलने भेजा. वो जाकर उस आदमी से मिला और फिर आकर, अज्जि को बताया कि, कल उसकी बेटी की शादी है और धीरू शाह ने उसे पैसों का लालच देकर ये काम करवाया था. मगर अब पकड़े जाने के बाद, धीरू शाह ने उसे पैसे देने से मना कर दिया है. इसलिए वो मदद के लिए आपके पास आया है.

अपने मॅनेजर की बात सुनकर, अज्जि ने अपने मॅनेजर से कहा कि, वो जितने पैसे माँग रहा है, उसे दे दो. उसके करमो का फल उसकी बेटी को नही मिलना चाहिए. आज्जि की बात मानकर, मॅनेजर ने उसको पैसे दे दिए. अजय की वापसी की फ्लाइट का समय हो रहा था. इसलिए वो एरपोर्ट जाने के लिए अपने ऑफीस से बाहर आ गया.

आज्जि अपनी कार मे बैठने ही वाला था कि, तभी उस आदमी ने आकर उसके पैर पकड़ लिए. वो पैर पकड़ कर अज्जि से माफी माँगने लगा. लेकिन अज्जि उस से बहुत ज़्यादा नाराज़ था और उसकी शकल तक देखना पसंद नही कर रहा था. आज्जि ने गुस्से मे उस पर भड़कते हुए कहा.

अजय बोला “मैने तुम्हारा क्या बुरा किया था. जो तुमने मुझसे बदला लेने के लिए, हज़ारों मजदूरों की रोज़ी रोटी को जला दिया. एक मिल के जल जाने से मेरा कुछ नही बिगड़ जाएगा. लेकिन उन मजदूरों का क्या. जिनकी रोज़ी रोटी का सहारा सिर्फ़ ये मिल ही थी. मैं तुम्हे इस सबके लिए कभी माफ़ नही करूगा.”

आज्जि को गुस्से मे देख कर भी, वो आदमी अज्जि के पैर छोड़ने को तैयार नही था और उस से अपने किए की माफी माँगे जा रहा था. मगर जब अज्जि ने उसे माफ़ नही किया तो, उसने जो पैसे अपनी बेटी की शादी के लिए थे. उन पैसों को अज्जि के पैरों के पास रखते हुए कहा.

आदमी बोला “साहब जब आप मुझे माफ़ करना नही चाहते तो, मुझ पर ये उपकार किस लिए कर रहे है. मुझे मेरे किए करमो की सज़ा मिलनी ही चाहिए और मेरी सज़ा ये ही है कि, मेरी बेटी की डॉली ही ना उठे.”

ये कह कर, वो आदमी रोता हुआ वहाँ से जाने लगा. लेकिन उस आदमी के आँसू देख और उसकी बातें सुनकर, अज्जि का दिल पिघल गया. उसने उस आदमी को रोकते हुए कहा.

अजय बोला “आए रूको, एक तो ग़लती करते हो और अपनी उस ग़लती की सज़ा अपनी बेटी को देना चाहते हो. वो तुम्हारी बेटी ही नही, मेरी बहन भी है और मेरी बहन की डॉली मेरे होते कोई उठने से नही रोक सकता. ये पैसे लो और खुशी खुशी उसकी शादी करके मुझसे आकर मिलो.”

ये कह कर अज्जि ने ज़मीन से पैसे उठाए और उस आदमी को देने लगा. मगर अज्जि का ये रूप देख कर वो और भी ज़्यादा रोने लगा. आज्जि को अब जाने मे देर हो रही थी. इसलिए उसने उस आदमी को समझाते हुए कहा.

अजय बोला “देखो, मेरी बहन मुंबई के हॉस्पिटल मे भरती है. मैं यदि उसके पास नही पहुँचा तो, वो सारा हॉस्पिटल सर पर उठा लेगी. मैं अब और ज़्यादा देर यहाँ नही रुक सकता. मेरा अभी ही निकलना ज़रूरी है.”

मगर उस आदमी ने अज्जि से उसकी एक बात सुनने को कहा. अपनी बात सुने बिना वो अज्जि से किसी भी हालत मे पैसे लेने को तैयार नही था. आख़िर मे अज्जि ने उस से अपनी गाड़ी मे बैठने को कहा और फिर एरपोर्ट के लिए निकल गया.

रास्ते मे वो आदमी अज्जि को अपनी बात बताने लगा. जिसे सुनकर, अज्जि की आँखों से आँसू छलक गये और उसका चेहरा गुस्से से लाल हो गया. कभी उसकी आँखों मे अपने माँ बाप का चेहरा घूम रहा था तो, कभी उसके दिमाग़ मे उस आदमी की कही बातें घूम रही थी.

उस के लिए ये कुछ भी सोच पाना मुस्किल हो रहा था. वो समझ नही पा रहा था कि, वो क्या करे और क्या ना करे. लेकिन तभी अज्जि के सामने आरू का चेहरा आ गया और उसने अपने आपको संभालते हुए उस आदमी को पैसे दिए और मुंबई आ गया.

लेकिन मुंबई आने के बाद भी, उस आदमी की बातों ने अज्जि का पिछा नही छोड़ा था और वो उस बात की वजह से बहुत बेचैन था. उसकी इस बेचैनी को सीरू ने भी महसूस कर लिया था और इसलिए उसने इसकी वजह जानने का फ़ैसला किया था.

अगले दिन जब मेरी और सीरू की बात सुनकर, अमन सूरत पहुचा तो, अज्जि घर मे ही चहल कदमी करता मिल गया. वो शायद किसी के आने का इंतजार कर रहा था. अचानक से अमन को अपने सामने पाकर, वो चौके बिना ना रह सका. अमन ने उसे अपने आने की सारी बातें बता दी.

अमन की बात सुनते, ही अज्जि के दिल मे दबा दर्द बाहर निकल आया. वो अपने आँसुओं को बहने से रोक ना सका और अमन से लिपट कर फुट फुट कर रोने लगा. आज्जि को इस तरह टूटता हुआ देख, अमन को समझते देर नही लगी कि, अज्जि को बहुत बड़ी बात परेशान कर रही है. उसने अज्जि को दिलासा होते हुए कहा.

अमन बोला “रोता क्यो है. तेरा भाई तेरे साथ है ना. मुझे बता क्या बात तुझे परेशान कर रही है.”

अमन का सहारा पाकर, अज्जि ने अपने दिल का गुबार निकालते हुए उसे सारी बातें बताई और उस से कहा.

अजय बोला “मेरे माता पिता की मौत कोई रोड आक्सिडेंट नही थी. वो एक सोची समझी साज़िश थी. वो एक कत्ल था.”

उसका चेहरा गुस्से से लाल हो गया. उसने अज्जि को पकड़ कर हिलाते हुए कहा.

अमन बोला “तू ये क्या कह रहा है. कौन है वो जिसने ये साज़िश रची थी.”

अजय बोला “वो कोई और नही. हमारा मॅनेजर और पापा का करीबी दोस्त धीरू शाह है.”

आज्जि की ये बात सुनकर, अमन के दिमाग़ मे एक और धमाका हुआ. अमन धीरू शाह को अच्छे से जानता था और उसे एक बहुत अछा इंसान समझता था. आज्जि के परिवार से धीरू शाह के रिश्ते को भी अमन जानता था. इसलिए उसे अब भी अपने कानो पर विस्वास नही हो रहा था.
 
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अमन को समझ मे नही आ रहा था कि, धीरू शाह जैसा इंसान ऐसा कैसे कर सकता है. अमन ने अज्जि से सवाल करते हुए कहा.

अमन बोला “ये तू क्या बोल रहा है. धीरू अंकल ऐसा क्यो करेगे.”

अजय बोला “पापा का एक हॉस्पिटल बनाने का सपना था. उस हॉस्पिटल के लिए उन्हो ने एक ज़मीन देखी थी. जिसे वो मूह माँगी कीमत देकर भी खरीदने को तैयार थे. वो ज़मीन शहर के बीच मे थी और कयि बड़े लोग उस ज़मीन को हासिल करना चाहते थे. मगर उस ज़मीन का सौदा पापा के साथ पक्का हो गया था.”

“पापा को उस ज़मीन खरीदने से रोकने के लिए, किसी बिज़्नेसमॅन ने धीरू अंकल को बड़ी रकम दी थी. लेकिन पापा ने उनकी बात मानने से इनकार कर दिया था. जिस वजह से धीरू अंकल ने उनका रोड आक्सिडेंट करवा दिया. मेरे जिस बाप ने उन पर एक सगे भाई की तरह विस्वास किया था. उन्हो ने उसी के साथ विस्वास घात करके, सिर्फ़ ज़रा से पैसे के लिए उनकी जान ले ली.”

आज्जि की बात सुनकर, अमन की आँखे भी भीग गयी. लेकिन उसने अज्जि को संभालते हुए कहा.

अमन बोला “तू फिकर मत कर, उसे उसके किए की सज़ा ज़रूर मिलेगी. मैं अभी अभय (एस.पी.) से बात करता हूँ. साला अब जिंदगी भर जैल की चक्की पिसेगा.”

ये कह कर अमन ने एस.पी. को कॉल लगाने के लिए अपना मोबाइल निकाला और कॉल लगाने लगा. लेकिन अज्जि ने उसे कॉल लगाने से रोकते हुए कहा.

अजय बोला “ऐसा मत कर, ज़रा हेतल और आंटी के बारे मे भी सोच, ये सब वो लोग कैसे सह पाएगी.”

आज्जि की बात सुनकर, अमन ने भड़कते हुए कहा.

अमन बोला “तू पागल हो गया है क्या. जिसने तेरे परिवार को ख़तम कर दिया. तू उसी के परिवार के बारे मे सोच रहा है.”

अजय बोला “नही, मैं उसके परिवार के बारे मे नही सोच रहा हूँ. मैं अपनी उस बहन के बारे मे सोच रहा हूँ. जिसने आरू के जाने के बाद, मेरे अकेलेपन को महसूस करके, मुझे हंसाने की कोसिस की थी. मैं अपनी उस बहन के बारे मे सोच रहा हूँ, जिसने धीरू शाह की हरकत पता लगने पर, अपने दोस्त से उन्हे च्छुपाने की जगह सब कुछ मुझे बता देने को कहा था.”

“मैं अपनी उस बहन के बारे मे सोच रहा हूँ, जिसे अपने पिता के मेरी मिल मे आग लगाने की बात पता चली तो, उसने अपने पापा के काम से निकाले जाने पर एक बार भी नाखुशी जाहिर नही की और शरम से उसने मेरा सामना करना ही बंद कर दिया. मैं चाह कर भी इन सब बातों को अनदेखा कर, उसे दुनिया के सामने एक कातिल की बेटी कहलाने की सज़ा नही दे सकता.”

आज्जि की इस बात ने अमन को सोच मे डाल दिया. उसे लग रहा था कि, अज्जि ने धीरू शाह को माफ़ कर दिया है. इस बात की हक़ीकत जानने के लिए उसने अज्जि से कहा.

अमन बोला “तो क्या तूने इस सब के लिए धीरू शाह को माफ़ कर दिया है.”

अजय बोला “नही, मैने उसे माफ़ नही किया. लेकिन उसको सज़ा देना मेरे बस की बात नही है. उसके इस गुनाह की सज़ा उसे उपर वाला ही देगा.”

अभी अज्जि और अमन बात कर ही रहे थे कि, तभी अज्जि का नया मॅनेजर उसके पास भागता हुआ आया और उसने अज्जि से कहा.

मॅनेजर बोला “सर, एक बुरी खबर है. हेतल ने अपने आपको आग लगा ली है और उसे हॉस्पिटल ले जाया गया है.”

मॅनेजर बहुत ज़्यादा घबराया हुआ था और उसकी बात सुनकर, अज्जि भी घबरा गया. लेकिन अमन ने मॅनेजर की ये हालत देख कर, उस से कहा.

अमन बोला “तुम्हे ये बात कैसे पता लगी और तुम इतना घबरा क्यो रहे हो.”

अमन की बात सुनकर, मॅनेजर ने हकलाते हुए कहा.

मॅनेजर बोला “सर, मैं ही वो लड़का हूँ, जिसके लिए हेतल ने ऐसा कदम उठाया है. हम दोनो एक दूसरे को बहुत प्यार करते है. ये बात जब उसके पिता को पता चली तो, वो उसकी शादी कहीं और पक्की करने की कोसिस करने लगे. जिसकी वजह से उसने ऐसा कदम उठा लिया.”

उसकी बात सुनकर, अज्जि ने फ़ौरन हॉस्पिटल जाने की बात की और वो तीनो हॉस्पिटल पहुच गये. हॉस्पिटल मे हेतल का जला हुआ चेहरा और उसे तड़प्ता देख अज्जि के आँसू निकल गये. वही अमन ने हेतल की हालत देखी तो, वहाँ के डॉक्टर. से बात की और फिर उसने अपनी चिंता जाहिर करते हुए अज्जि से कहा.

अमन बोला “हेतल ने अपने आपको मारने की कोशिस की है. इसलिए आग लगने के बाद भी उसने अपने आपको ज़रा भी बचाने की कोसिस नही की, जिस वजह से वो बहुत ज़्यादा जल गयी है. यहाँ के डॉक्टर. कहते है कि, उसका बचना मुस्किल है. लेकिन मेरे ख़याल से यदि इसे जल्दी ही मुंबई ले जाया जाए तो, इसके बचने की कुछ उम्मीद की जा सकती है.”

अमन की बात सुनकर, अज्जि ने उस से कहा.

अजय बोला “हम इसका मुंबई के अच्छे से अच्छे हॉस्पिटल मे इलाज करवायगे. तुम अभी निशा को यहाँ का सारा हाल बताओ. मैं तब तक इसे मुंबई ले जाने का इंतेजाम करता हूँ.”

आज्जि की बात सुनकर, अमन ने मुझे कॉल लगा कर, सारी बातें बताई. मैने अमन से कहा कि, मैं हर मुमकिन मदद करने को तैयार हूँ. तुम अज्जि से कहो कि, वो जल्द से जल्द हेतल को मुंबई ले आए. तब तक मैं हेतल के बारे मे डॉक्टर. से बात करके रखती हूँ.

अमन की मुझसे बात होने के बाद, अज्जि ने बाहर आकर, आंटी से कहा कि, हेतल को इलाज के लिए मुंबई ले जाना ज़रूरी है. हम हेतल को मुंबई ले जाना चाहते है. आज्जि की बात पर आंटी ने तो अपनी सहमति दे दी. लेकिन धीरू शाह ने हेतल को कही भी ले जाने से मना कर दिया. इस पर अज्जि को उस पर गुस्सा आ गया और गुस्से मे धीरू शाह का गिरेबान पकड़ कर, उसे धमकाते हुए कहा.

अजय बोला “तू मेरे माँ बाप का कातिल है. ये जानते हुए भी यदि मैने तुझे कुछ नही कहा तो, उसकी वजह सिर्फ़ हेतल है. लेकिन यदि हेतल को कुछ हुआ तो, तू इतना समझ कर रख ले कि, तुझे मुझसे कोई नही बचा सकता. तेरी बोटी बोटी करके यदि कुत्तो को ना खिला दिया तो, मैं भी अपने बाप की औलाद नही.”


उस वक्त अज्जि की आँखों से शोले बरस रहे थे. जिसके सामने धीरू शाह की बोलती बंद हो गयी और साथ ही उसकी नज़रों से ये परदा भी उठ गया कि, उसकी काली करतूत के बारे मे कोई कुछ नही जानता.

वही आंटी भी अज्जि की ये बात सुनकर, सन्न रह गयी थी. उन्हे समझ मे नही आया कि, अज्जि ये क्या कह रहा है. वो अज्जि से इस बारे मे जानना चाहती थी. लेकिन अज्जि ने अभी हेतल को देखने की बात कह कर बात को टाल दिया.

उसके बाद अज्जि हेतल को मुंबई लाने के इंतज़ाम मे लग गया. धीरू शाह की हिम्मत नही हुई कि, वो अज्जि को ऐसा करने से रोक सके. कुछ ही देर मे हेतल को मुंबई ले आया गया और उसे मुंबई के एक बड़े से हॉस्पिटल मे भरती करा दिया गया.

आज्जि के साथ आंटी और वो मॅनेजर भी आया था. वो मॅनेजर हेतल को देख कर, रोता ही जा रहा था. अमन ने उसे दिलासा देते हुए कहा.

अमन बोला “फिकर मत करो. मुझे उम्मीद है कि हेतल बच जाएगी. लेकिन अब वो पहले की तरह सुंदर नही हो सकती. क्या ऐसे मे भी तुम उसका साथ दे सकोगे.”

अमन की बात सुनकर, उस मॅनेजर ने कहा.

मॅनेजर बोला “सर, वो बच बस जाए और मुझे कुछ नही चाहिए. आग से उसका शरीर ज़रूर जल गया है. लेकिन उसके दिल मे मेरे लिए जो प्यार बसा हुआ है. वो प्यार तो नही जला ना. मैं हेतल से अब भी प्यार करता हूँ और मैं आपको यकीन दिलाता हूँ कि, मैं हर हाल मे हेतल का साथ निभाउन्गा. मेरे लिए वो हमेशा ही वो ही हेतल रहेगी, जो जलने से पहले थी. बस आप उसे बचा लीजिए.”

मॅनेजर की बात सुनकर, अज्जि ने उसे दिलासा देते हुए कहा.

अजय बोला “हेतल को कुछ नही होगा. वो बिल्कुल ठीक हो जाएगी. मुझे खुशी है कि, मेरी बहन ने तुम जैसे लड़के को अपने लिया चुना है. लेकिन साथ ही इस बात का दुख भी है कि, उसने ऐसा कदम उठाने से पहले एक बार तो अपने इस भाई को आजमा कर देख लिया होता. मैं इतना बुरा तो नही था कि, उसकी शादी तुमसे नही करवाता.”

ये कहते कहते अज्जि की आँखें छलक गयी. वही उस मॅनेजर ने हेतल की तरफ से सफाई देते हुए कहा.

मॅनेजर बोला “नही, सर ऐसा नही है. उसने मुझे आपके पास जॉब पर ही इसलिए रखवाया था कि, यदि आप मुझे पसंद कर लेते है तो, फिर उसके पापा को मनाना मुस्किल नही होगा. लेकिन वो पहले से ही अपने पापा की मिल मे हेरा फेरी करने की हरकत की वजह से शर्मिंदा थी. उस पर उसके पापा ने मिल मे आग लगा कर, उसे और भी शर्मिंदा कर दिया.”

“जिसकी वजह से वो आपका सामना करने की हिम्मत नही कर पा रही थी. इस बात के उपर से उसका अपने पापा से बहुत झगड़ा हुआ और उसने उसी दिन घर छोड़ने के फ़ैसला कर लिया और मेरे सामने शादी करने की बात रख दी. मगर ये सारी बातें उसके पापा को पता चल गयी और वो उसे घर मे बंद कर, उसकी शादी कही दूसरी जगह पक्की करने लगे.”

“आप पहले ही मिल और अपनी बहन को लेकर परेशान थे. ऐसे मे वो आप पर कोई नया बोझ नही डालना चाहती थी. जब उसे कुछ समझ मे नही आया तो, उसने गुस्से मे ऐसा कदम उठा लिया.”

मॅनेजर की बात सुनकर, अज्जि के आँसू थमने की जगह और भी बहने लगे. उसने अपने मन का गुबार निकालते हुए कहा.

अजय बोला “पता नही उपर वाला मुझे किस गुनाह की सज़ा देना चाहता है. यहाँ एक बहन के चेहरे के दाग मिटाने आया तो, वहाँ दूसरी बहन ने अपने चेहरे को ज़ख्मी कर लिया. उसने ये तक नही सोचा कि, बहने कभी भाइयों पर बोझ नही होती. वो तो भाइयों के सर का ताज होती है, भाइयों के दिल का सुकून होती है.”

अजजी का ये रूप देख कर अमन का दिल भी भर आया. आज उसे ये बात समझ मे आ रही थी कि, अज्जि के लिए सबसे ज़्यादा अहमियत आरू की होने के बाद भी, सीरू और सेलू, अज्जि से इतना ज़्यादा प्यार क्यो करती है.

क्योकि भले ही अज्जि के दिल मे आरू के लिए जो प्यार था उसकी बराबरी कोई नही कर सकता था. लेकिन इसके बाद भी उसके दिल मे अपनी हर एक बहन के लिए इतना प्यार था कि, हर एक बहन उसके लिए जान देने को तैयार रहती थी.

आज्जि ने धीरू शाह वाली बात किसी को भी बताने से मना कर दिया था. जिसकी वजह से हेतल के हॉस्पिटल मे रहने की बात को भी अभी राज रखना ज़रूरी हो गया था. अब अज्जि की जिंदगी दो हॉस्पिटल के बीच सिमट का रह गयी थी. दिन मे वो हेतल की हॉस्पिटल मे रहता तो, रात को आरू के साथ हॉस्पिटल मे रहता और बीच के 2-4 घंटे के लिए अपने बिज़्नेस को भी देख लेता.

आज्जि का बिज़्नेस अब राम भरोसे चल रहा था. क्योकि उसका वो मॅनेजर जिस पर वो सबसे ज़्यादा विस्वास करने लगा था. वो भी अब उसके साथ मुंबई मे ही डेरा डाले हुए था. कुछ दिन बाद, हेतल की तबीयत मे सुधार होने लगा और डॉक्टर को उसके बचने की उम्मीद नज़र आने लगी तो, हेतल की मम्मी ने धीरू शाह को फोन पर बहुत खरी खोटी सुनाई.

जिसके बाद धीरू शाह मुंबई आया. लेकिन हेतल ने उसे देख कर, मूह फेर लिया. जिसे देख कर उसे लगा कि, हेतल को उसकी सारी सच्चाई का पता लग गया है. मगर आंटी ने उसे दुतकार लगाते हुए बताया कि, अजजी ने वो बात हेतल तो क्या, किसी से भी कहने से मना किया है.

इस सब को देख सुन कर धीरू शाह को अपने किए पर बहुत पछ्तावा हुआ और वो अज्जि के घर का पता हासिल कर, उस से मिलने शिखा के घर पहुच गया. अपने सामने धीरू शाह को देख कर, अज्जि को गुस्सा तो बहुत आया. लेकिन वो शिखा के घर मे किसी तरह का कोई हंगामा खड़ा करना नही चाहता था.

धीरू शाह उस से अपनी ग़लती की माफी माँगता रहा और अज्जि उसे किसी भी हालत मे माफ़ करने से मना करता रहा. जब धीरू शाह ने देखा कि, अज्जि उसे किसी भी हालत मे माफ़ करने को तैयार नही है. तब वो खुद को क़ानून के हवाले करने की बात कह कर उधर से जाने लगा.

आज्जि को अब भी उसकी बात मे सच्चाई नज़र नही आ रही थी. लेकिन वो यदि सच मे अपने आपको क़ानून के हवाले कर देता है तो, शायद ये हेतल के लिए अच्छा ना हो. बस ये ही सोच कर अज्जि को उसको रोकते हुए, उस से पूछता है कि, उसने ऐसा क्यो किया. उसने उसके पिता के साथ इतना बड़ा विस्वास घात क्यो किया.

इसके जबाब मे धीरू शाह अज्जि के सामने अपनी सारी सच्चाई खोल कर रख देता है. जिसे सुनने के बाद, अज्जि को महसूस होता है कि, वो झूठ नही बोल रहा है. लेकिन फिर भी उसका दिल उसे माफ़ करने के लिए तैयार नही हो रहा था. ऐसे हालत मे अज्जि ने उस से सवाल करते हुए कहा.

अजय बोला “जब आपको अपनी ग़लती का अहसास हो ही गया था तो, आप मेरे पास क्यो आए. आपने अपने आपको सीधे क़ानून के हवाले क्यो नही कर दिया. आख़िर आपके इस जुर्म की सज़ा तो सिर्फ़ क़ानून ही आपको दे सकता है.”

अजय की बात सुनकर, धीरू शाह ने शर्मिंदा होते हुए कहा.

धीरू शाह बोला “मैं अपने आपको क़ानून के हवाले ही करने जा रहा था. लेकिन तुम्हारी आंटी ने कहा कि, क़ानून से पहले मैं तुम्हारा मुजरिम हूँ. इसलिए मुझे माफ़ करने या सज़ा देने का पहला अधिकार तुम्हारा है. इसलिए उन से तुम्हारा पता लेकर मैं यहा आ गया.”

धीरू शाह की बात सुनकर, अज्जि को लग रहा था कि, वो सच मे अपने किए पर शर्मिंदा है. इसलिए अज्जि ने उसे माफ़ करते हुए कहा.

अजय बोला “यदि आपको सच मे अपनी ग़लती का अहसास है तो, भूल जाइए इन सब बातों को और हेतल को उसका ऐसा बाप दे दीजिए. जिसकी वजह से उसे मेरे तो, क्या किसी के सामने भी शर्मिंदा ना होना पड़े.”

आज्जि की बात के जबाब मे धीरू शाह ने कहा.

धीरू शाह बोला “इन सब बातों को मैं इतने साल तक भुला था. मगर अब इन बातों को भूलना मेरे बस मे नही है. मैं सिर्फ़ तुम्हारा या अपनी बेटी बस का गुनहगार नही हूँ. बल्कि उन हज़ारों लोगों का भी गुनहगार हूँ. जिनके इलाज के लिए एक हॉस्पिटल खोलने का सपना तुम्हारे पिता देख रहे थे. इतने लोगों का गुनहगार होने के बाद, मैं माफी नही सिर्फ़ सज़ा ही चाहता हूँ. तुमने मुझे माफ़ कर दिया है तो, अब मैं क़ानून की सज़ा भी खुशी खुशी कबुल कर लुगा.”

धीरू शाह की बात सुनकर, अज्जि की आँखों मे अपने पिता का चेहरा घूमने लगा. आज्जि ने अपने पिता के सपने के बारे मे सोचते हुए धीरू शाह से कहा.

अजय बोला “मेरे पिता का वो सपना ज़रूर पूरा होगा और वो सपना मैं पूरा करूगा. मैं इंडिया का सबसे बड़ा हॉस्पिटल बनाउन्गा. जिसमे आने वाले हर इंसान का इलाज उसकी बीमारी को देख कर किया जाएगा. उसकी अमीरी ग़रीबी देख कर नही.”

आज्जि की इस बात को सुनकर, धीरू भाई के चेहरे पर चमक आ गयी. उसने अज्जि के सामने हाथ जोड़ कर कहा.

धीरू शाह बोला “बेटा यदि ये सच है तो, मुझे भी उस हॉस्पिटल के काम मे शामिल कर लो. मैं वहाँ ईंट पत्थर ही ढो लुगा. शायद इस काम से ही मेरी आत्मा का बोझ कम हो जाए.”

धीरू शाह की इस बात के जबाब मे अज्जि ने उस से कहा.

अजय बोला “और उस जलि हुई मिल का क्या होगा. जिसे आपने अपने फ़ायदे के लिए जला दिया था.”

आज्जि की ये बात सुनकर, धीरू शाह का सर शरम से झुक गया. लेकिन अज्जि ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा.

अजय बोला “आपको ईंट पत्थर ढोने की ज़रूरत नही है. हमे इतने बड़े हॉस्पिटल को बनाने के लिए बहुत पैसो की ज़रूरत पड़ेगी. आप सूरत जाइए और उस जली मिल को जल्दी से सुरू करने की कोसिस कीजिए. क्योकि अब जब तक वो हॉस्पिटल नही बन जाता. तब तक मैं मुंबई मे ही रहना चाहता हूँ.”

आज्जि की पूरी बात सुनकर धीरू शाह ने कहा.

धीरू शाह बोला “लेकिन बेटा, अब मैं तुम्हारी मिल्स मे काम करने के काबिल नही रहा. मैं अब ये काम नही कर सकता.”

धीरू शाह की बात के जबाब मे अज्जि ने उसे समझाते हुए कहा.

अजय बोला “कौन काबिल है और कौन काबिल नही है. इसका फ़ैसला आप मुझ पर छोड़ दीजिए. आप मेरा साथ देना चाहते है या नही, इसका फ़ैसला मैं आप पर छोड़ देता हूँ. आपको जो ठीक लगे आप फ़ैसला ले सकते है.”

आज्जि की इस बात के बाद, धीरू शाह के पास कुछ भी कहने को नही बचा था. उसने अज्जि का साथ देने का वादा किया और फिर आंटी को सारी बात बता कर, वो वापस सूरत जाकर, अज्जि का बिज़्नेस देखने लगा. वो सच्चे मन से अपनी ग़लती का प्रायश्चित कर रहा था. जिस बात का सबूत वो जली हुई मिल थी. जिसके बारे मे अज्जि का अनुमान था कि वो तीन महीने से पहले चालू नही हो सकती. लेकिन धीरू शाह ने उस मिल को दिन रात मेहनत करके एक महीने के अंदर ही चालू कर दिया था.

इधर हेतल की हालत मे भी दिनो दिन सुधार आ रहा था. जिस वजह से हेतल का बाय्फ्रेंड भी अपने काम पर वापस चला गया था. आज्जि को अब बिज़्नेस की तरफ से ज़्यादा चिंता नही थी. इसलिए अब वो अपने पिता के सपने को पूरा करना चाहता था. आरू के घर वापस आते ही अज्जि ने, मेरे और अमन के सामने हॉस्पिटल बनाने की बात रख दी.

इसके बाद हमने एक बड़ी सी ज़मीन खरीद कर, वहाँ हॉस्पिटल की इमारत खड़े करने का काम लगा दिया. जिसका काम अब समाप्ति की तरफ है. आज्जि ने इस हॉस्पिटल के लिए 7 ट्रस्टीस बनाए है. ये ट्रस्टीस मैं, अमन, शिखा, बरखा, सीरत, सेलू और हेतल है.

आज्जि को डर था कि, सच्चाई पता चलने के बाद शायद शिखा उसकी शकल भी देखना पसंद ना करे. इसलिए उसने इस हॉस्पिटल मे कहीं भी अपना या आरू का नाम शामिल नही किया है. ये हॉस्पिटल अज्जि के पिता का सपना था. लेकिन आख़िरी समय मे उसने इसमे से अपने पिता का नाम अलग कर इसे शिखा के भाई के नाम पर कर दिया.

आज्जि हॉस्पिटल के पूरे होने तक मुंबई मे ही रहना चाहता था. लेकिन शिखा को सच्चाई बताने के बाद, यदि शिखा का मन उसकी तरफ से नही बदलता तो, ऐसे मे उसका मुंबई मे रह पाना मुस्किल हो जाता.

बस इसी वजह से अज्जि अपनी सच्चाई को बताने के लिए हॉस्पिटल के पूरे होने का इंतजार कर रहा था. ताकि उसकी सच्चाई जानने के बाद, यदि शिखा का दिल, उसकी तरफ से नही बदलता है तो, वो शिखा की जिंदगी से, हमेशा हमेशा के लिए चला जाएगा.



अब आगे की कहानी पुन्नू की ज़ुबानी….



इतना कह कर निशा चुप हो गयी. आज्जि की कहानी बताते हुए उसकी आँखें भीग चुकी थी. लेकिन ये हाल उस अकेली का नही था. वहाँ खड़े हर एक की आँखों मे नमी छा गयी थी. निशा की बात सुनने के बाद, हेतल ने रोते हुए शिखा से कहा.

हेतल बोली “भाभी, क्या भैया के बार मे इतना सब जानने के बाद भी, आपके दिल से नफ़रत ख़तम नही हुई.”

पहली बार किसी ने शिखा को भाभी कह कर पुकारने की हिम्मत दिखाई थी. हेतल की बात सुनते ही, सब की नज़र शिखा की तरफ उठ गयी. लेकिन शिखा अब भी अपने सर को झुकाए, आँसू बहा रही थी. शिखा को खामोश देख, कर सेलू ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा.

सेलिना बोली “आप यदि नाराज़ है तो गुस्सा ही कर लीजिए. लेकिन कुछ तो बोलिए.”

हेतल और सेलू की बात सुनकर, निक्की से भी चुप नही रहा गया. उसने भी अपनी बात सामने रखते हुए कहा.

निक्की बोली “आपकी खामोशी यही बता रही है कि, आप भी भैया को बहुत प्यार करती है. फिर ये झूठी नाराज़गी किस लिए दिखा रही है.”

निक्की का ये कहना था कि, शिखा भड़क उठी. उसने निक्की की बात का जबाब गुस्से मे देते हुए कहा.

शिखा बोली “मेरा गुस्सा झूठा है. सच्चे तो, सिर्फ़ तुम लोग और तुम्हारे भैया है. तुम्हारे भैया तुम्हारे लिए देवता है तो, क्या मेरा भाई मेरे लिए कुछ नही था. तुम्हारे भैया देवता हो सकते है. मगर मेरी नज़र मे वो मेरे भैया के कातिल है और कातिल ही रहेगे.”

शिखा के जबाब से सभी के चेहरे पर निराशा के बादल छा गये. लेकिन सीरू ने शिखा के सामने हार ना मानते हुए कहा.

सीरत बोली “आपका कहना सही है. लेकिन आपके भैया आंटी के बेटे भी थे. आंटी ने तो उनको इस बात के लिए माफ़ कर दिया. आपके भैया बरखा के भी भैया थे. अब ज़रा बरखा से भी पुच्छ कर देख लीजिए कि, वो मेरे भैया को कातिल मानती है या नही.”

मगर शिखा ने सीरू की चाल मे ना फँसते हुए टका सा जबाब देते हुए कहा.

शिखा बोली “मेरी माँ और बहन उनको क्या समझती है. इस से मुझे कोई मतलब नही है. मेरे दिल मे उनके लिए नफ़रत थी, नफ़रत है और हमेशा नफ़रत रहेगी. मैं उनको क्या समझती हूँ. ये अब मैने तुमको बता दिया. अब इसके बाद मैं कुछ सुनना नही चाहती.”

शिखा के इस जबाब को सुनकर, सीरू की भी बोलती बंद हो गयी. सब की शिखा को समझाने की सारी कोशिशे बेकार हो चुकी थी. मगर अब तक खामोशी से सब कुछ सुन रही आरू के दिल मे, शिखा की अपने भैया के बारे मे कही गयी, ये बातें चुभ गयी.

इतना सब कुछ सुनने के बाद, उसके लिए अब अपना गुस्सा रोक कर रख पाना मुस्किल हो गया था. उसने भड़कते हुए शिखा से कहा.

अर्चना बोली “ये आपने उनको उनको क्या लगा रखा है. यदि आपको उनसे इतनी नफ़रत है तो, उनको इतनी इज़्ज़त देने की ज़रूरत क्या है. सीधे उनका नाम लेकर क्यो नही बुलाती. अपने भाई के कातिल को इतनी इज़्ज़त देते हुए आपको शरम नही आती.”

आरू की जली कटी बातें सुनकर, शिखा हैरानी से उसके इस बदले हुए रूप को देखने लगी. वही निक्की आरू को बोलने से रोकने की कोसिस करने लगी. लेकिन आरू ने उसको अपने पास से दूर धकेलते हुए शिखा के सामने आते हुए कहा.

अर्चना बोली “आपकी नफ़रत सिर्फ़ उस एक बोतल खून की वजह से है ना. जिसकी वजह से आपके भाई की जान गयी और जो अभी मेरी रगों मे बह रहा है. आज मैं ये झगड़ा ही ख़तम कर देती हूँ.”

ये कह आरू ने सामने टेबल पर रखा हुआ, चाकू (नाइफ) एक झटके मे उठा लिया और अपना हाथ शिखा के सामने कर, बिजली की गति से खच खच दो बार घुमा दिया. ये सब इतना अचानक हुआ कि किसी को भी कुछ नज़र नही आया और जब तक नज़र मे आया, तब तक खून से साना चाकू, आरू के हाथ से छूट कर ज़मीन पर आ गिरा था.
 
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लेकिन जैसा सब सोच रहे थे, ऐसा कुछ भी नही हुआ था. हुआ वो था, जिसके होने की कोई कल्पना भी नही कर सकता था. आरू ने फुर्ती से चाकू उठा कर, चाकू बिजली की गति से अपने हाथ पर चला तो दिया था. मगर उस से भी ज़्यादा तेज़ी शिखा ने दिखाई थी.

शिखा ने आरू के चाकू उठाते ही, फुर्ती से उसे रोकने के लिए अपने हाथ आगे फैलाए थे. जिसका नतीजा ये हुआ कि, वो चाकू आरू के हाथ पर ना चल कर, शिखा के फैले हुए हाथों पर चल गया था. जिस से उसके हाथ लहू लुहान हो गये थे.

शिखा के लहू लुहान हाथों को देखते ही आरू के हाथ से चाकू छूट कर ज़मीन पर गिर गया और उसकी आँखों से आँसू बहने लगे. वही निशा फ़ौरन शिखा के पास आई और उसके दोनो हाथों को आरू से ज़ोर से पकड़ने का बोल कर, बरखा को फर्स्ट-एड बॉक्स लाने और अपनी कार की चाबी निक्की को देकर उसे अपना मेडिकल बॅग लाने को कहा.

उधर आरू को समझ मे नही आ रहा था कि, उसके हाथ से ये सब कैसे हो गया. वो खामोशी से शिखा के दोनो हाथ पकड़ कर घुटनो के बल ज़मीन पर बैठी हुई थी. शिखा के हाथ से बहते खून को देख देख कर, आरू के आँसू भी रुकने का नाम नही ले रहे थे.

इधर फर्स्ट-एड बॉक्स के आते ही, निशा ने शिखा की ड्रेसिंग (मरहम-पट्टी) करना सुरू कर दिया. तब निक्की भी उसका मेडिकल बॅग भी ले आई थी. दोनो हाथों की ड्रेसिंग हो जाने के बाद, निशा ने अपने बॅग से एक इंजेक्षन निकाल कर, शिखा को लगा दिया और फिर एक चैन की साँस लेते हुए वापस अपनी जगह पर आकर बैठ गयी.

शिखा के दोनो हाथों मे अब पट्टियाँ बँधी हुई थी और आरू अब भी शिखा के पास ज़मीन पर बैठी, उसके हाथों को ही देख रही थी. आरू को रोते देख, शिखा ने अपने हाथ बढ़ा कर, उसके आँसू पोछ्ना चाहा. लेकिन आरू ने बीच मे ही उसके हाथों को पकड़ कर, अपने हाथों मे थाम लिया और फिर उन्हे देख कर, बिलख कर रोते हुए कहा.

अर्चना बोली “आपने ऐसा क्यो किया. क्या हम भाई बहन की किस्मत मे, बस आपको दर्द देना ही लिखा है.”

आरू का रोना इस तरह का था कि, पत्थर का कलेजा भी छल्नी कर देता. फिर वो तो शिखा थी, जिसके दिल मे आरू के लिए बेशुमार प्यार छुपा रखा था. उस से अब अपने दिल का हाल और छुपाते ना बना. उसने आरू की इस बात का जबाब देते हुए कहा.

शिखा बोली “तुमने मुझे कोई दर्द नही दिया. आज यदि तुम्हारे खून की एक बूँद भी इस घर मे गिर जाती तो, मैं कभी तुम्हारे भैया से नज़र नही मिला पाती. मैने जो किया, अपनी खुशी के लिए किया. इस सब मे तुम्हारा कोई दोष नही है.”

शिखा की इन बातों मे आरू को एक उम्मीद की किरण नज़र आई. उसने फिर से अपनी बात को शिखा के सामने रखते हुए कहा.

अर्चना बोली “जब आप भैया को इतना चाहती है तो, फिर आप खुद इस बात को क्यो नही समझती कि, मेरे भैया आपके बिना नही रह पाएगे. प्लीज़ उन्हे माफ़ कर दीजिए.”

लेकिन आरू की इस बात पर शिखा ने, उसे अपनी सफाई देते हुए कहा.

शिखा बोली “माफ़ तो उसे किया जाता है, जब कोई माफी माँग रहा हो. जो अपनी ग़लती ही ना मानता हो, उसे कौन माफ़ कर सकता है. यहाँ इतना सब कुछ घट गया. लेकिन उन्हो ने एक बार अंदर आकर, ये देखने तक की ज़रूरत नही समझी कि, अंदर किसे क्या हो गया.”

शिखा अभी अपनी बात पूरी भी नही कर पाई थी कि, तभी निक्की ने उसकी बात को काटते हुए कहा.

निक्की बोली “अभी जब मैं बाहर गयी थी. तब भैया बाहर नही थे. उनका समान बाहर खड़ी गाड़ी मे चढ़ाया जा रहा है. वो शायद उपर अपने कमरे मे थे.”

निक्की की बात सुनते ही सबको एक झटका सा लगा. सीरू और सेलू बाहर जाने के लिए हुई थी कि, मैने उनको रोकते हुए कहा.

मैं बोला “दीदी आप लोग एक मिनट रुकिये. क्या आप लोगों को ऐसा लगता है कि, आपके भैया गुस्से मे कोई ग़लत कदम उठा सकते है. यदि आप मानती है कि, वो ग़लत कदम उठा सकते है तो, आप बेशक उनके पास जाकर, उन्हे ऐसा करने से रोकिए. लेकिन यदि आपको ऐसा नही लगता तो, आपको कही भी जाने की ज़रूरत नही है.”

मेरी बात सुनकर, वो दोनो बाहर जाते जाते रुक गयी. मगर अज्जि के जाने की बात सोच सोच कर, सबकी धड़कने बड़ी हुई थी. तभी शिखा गुस्से मे उठी और उठ कर बाहर चली गयी. उसके पीछे पीछे बरखा जाने को हुई तो, मैने उसे भी रोकते हुए कहा.

मैं बोला “दीदी, अब क्या आपको भी अलग से यही रुकने के लिए बोलना होगा. हमारा उनको समझाने का काम हो गया है. अब उन दोनो को अपने गिले शिकवे मिटाने का मौका दीजिए. देखना जब वो नीचे आएगे तो, सब कुछ ठीक हो जाएगा. क्योकि हमसे ज़्यादा वो दोनो एक दूसरे को समझते है.

मेरी बात सुनकर, बरखा भी वापस अपनी जगह पर जाकर खड़ी हो गयी. लेकिन निशा ने मुझे निशाना बनाते हुए कहा.

निशा बोली “आए हीरो, शिखा और बरखा भी तेरी दीदी. सीरू और सेलू भी तेरी दीदी. आख़िर तू दोनो मे से किसकी तरफ से है.”

शिखा की बात का जबाब मैने भी उसी के अंदाज मे देते हुए कहा.

मैं बोला “भाभी मैं तो आपकी और आपकी बहन की तरफ से हूँ.”

मेरा जबाब शायद किसी की समझ मे नही आया था. इसलिए सब सोचते रह गये थे. लेकिन निशा ने मेरे जबाब का मतलब समझ लिया था. उसने फ़ौरन हँसते हुए कहा.

निशा बोली “तू बात को घुमा फिरा कर वही ले आया. मुझे भाभी बोल कर, आरू लोगों का भाई बन गया और मेरी बहन का साथ देकर, शिखा का भाई भी बन गया. तू बहुत चालाक है.”

निशा की बात समझ मे आते ही सब हँसने लगे. सबको हँसते देख निशा भी बात को बढ़ाती जा रही थी. मैं उसके ऐसा करने के मतलब समझ गया था. वो सबको बातों मे उलझा कर, सबका ध्यान शिखा और अज्जि की तरफ से भटकना चाहती थी और वो अपनी इस कोसिस मे कामयाब भी हो रही थी.

आरू को छोड़ कर, सबका ध्यान निशा की बातों की तरफ ही था. आरू भी सबकी बातें सुनकर, मुस्कुरा रही थी. मगर उसका चेहरा इस बात की गवाही दे रहा था कि, उसका ध्यान अभी भी अपने भैया और भाभी की तरफ ही लगा है.

अभी बातों हम लोगों की बातों का सिलसिला चल ही रहा था कि, तभी मेरा मोबाइल बजने लगा. मैने देखा तो, शिखा का कॉल आ रहा था. मैने कॉल उठाया तो, शिखा ने उपर आने को कहा. मैने सब से बताया कि, दीदी मुझे बुला रही है. इतना बोल कर मैं उपर चला गया.

मैं उपर पहुचा तो शिखा का चेहरा खिला हुआ था. मैने शिखा के पास पहुच कर, अपने दोनो कान पकड़ कर उस से कहा.

मैं बोला “सॉरी दीदी, मैं आपकी ही तरफ था. बस आपको गुस्सा दिला कर, यहाँ भेजने के लिए मुझे अज्जि की तरफ होने का नाटक करना पड़ा.”

मेरी बात सुनकर, शिखा ने चौुक्ते हुए कहा.

शिखा बोली “लेकिन तुमको कैसे पता कि, इनके जाने की बात सुनकर, मैं गुस्से मे इधर आउगि.”

मैं बोला “ये सब बातें हम बाद मे भी कर लेगे. अभी सब बेसब्री से नीचे आप लोगों का इंतजार कर रहे है. आप पहले ये बताइए कि, मुझे यहाँ किसलिए बुलाया है. फिर आप दोनो नीचे चलिए.”

मेरी बात सुनकर, शिखा ने अपनी परेशानी बताते हुए कहा.

शिखा बोली “सबको हमारे घर आए बहुत देर हो गयी है. अब खाने का टाइम भी हो रहा है. क्या सबको खाना खाए बिना जाने देना ठीक रहेगा.”

मैं बोला “बिल्कुल नही, हमको किसी को भी बिना खाना खाए नही जाने देना है.”

शिखा बोली “मैं ये ही बात इनसे बोल रही थी. लेकिन ये कहते है कि, कुछ नही होता. सब घर के ही लोग है.”

मैं बोला “इनको कहने दीजिए. सब हमारे घर आए है. सब की खातिर करना हमारा फ़र्ज़ है. आप सिर्फ़ ये बताइए कि, सबको खिलाना क्या है. बाकी सब आप मुझ पर छोड़ दीजिए.”

शिखा बोली “जो आपको ठीक लगे ले आइए. लेकिन ज़रा जल्दी. क्योकि अब सब ठीक होते ही, सबको भागने की जल्दी पड़ेगी.”

ये कह कर, शिखा मुझे पैसे देने लगी. मगर मैने पैसे लेने से मना करते हुए कहा.

मैं बोला “दीदी, मेरे पास इतना पैसा तो है कि, घर आए हुए मेहमआनो की खातिरदारी कर सकूँ.”

मेरी बात सुनकर, अज्जि ने भी शिखा को पैसे देने से रोक दिया. इसके बाद मैं और अज्जि नीचे आ गये. लेकिन शिखा नीचे आने से शरमा रही थी. नीचे सबकी नज़रे दरवाजे पर ही टिकी हुई थी. हमारे नीचे आते ही सीरू, सेलू, बरखा, हेतल, निक्की और आरू दौड़ कर हमारे पास आ गयी. इस से पहले कि, कोई कुछ बोल पाता, उसके पहले ही मैने सब से कहा.

मैं बोला “अब आप लोग मेरी दीदी को अपने घर ले जाने की तारीख पक्की कर लो.”

मेरी बात सुनते ही सभी ने उपर की तरफ दौड़ लगा दी. लेकिन मैने निक्की को रोकते हुए कहा.

मैं बोला “आप अपनी भाभी से कुछ देर बाद मिल लेना. अभी तो आप मेरी दीदी के काम से मेरे साथ चलिए.”

मेरी बात सुनकर, निक्की का चेहरा मुरझा गया. शायद इस समय उसको मेरे साथ जाना अच्छा नही लग रहा था. मैने उसका उतरा हुआ चेहरा देखा तो, उस से कहा.

मैं बोला “कोई बात नही, आप भी जाकर अपनी भाभी से मिल लो. मैं अकेला ही चला जाता हूँ.”

लेकिन मेरी बात सुनते ही निक्की का चेहरा वापस खिल उठा. उसने मुझसे जल्दी से कहा.

निक्की बोली “आप बस 2 मिनट रूको, मैं 10 मिनट मे आती हूँ.”

इतना कह कर वो बिना मेरा जबाब सुने ही उपर भाग गयी. निक्की की बात को जब मैने समझा तो, मैं भी हँसे बिना ना रह सका. निशा अंदर आंटी के साथ बैठी थी तो, मैने अज्जि को अंदर जाने को कहा और मैं निक्की के वापस आने का वेट करने लगा.
 
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मैं अभी अकेला था, इसलिए मैने कीर्ति का मोबाइल निकाला और हेलो कहा. मगर मेरे हेलो कहते ही कीर्ति ने कॉल काट दिया. मुझे उसकी ये हर्कत समझ मे नही आई. लेकिन तुरंत ही वापस उसका कॉल आने लगा. मैने कॉल उठाते ही कहा.

मैं बोला “ये क्या था. इतनी देर से कॉल पर बनी हुई थी और मेरे हेलो कहते ही कॉल काट दिया.”

कीर्ति बोली “कॉल कटने मे सिर्फ़ 5 मिनट बाकी थे. मैने सोचा कि निक्की वापस आए, उसके पहले ही कॉल काट कर लगा देती हूँ.”

मैं बोला “इतनी देर से तू अपने कमरे मे है. किसी ने तुझे कुछ बोला नही है.”

कीर्ति बोली “किसने कहा कि मैं पूरे समय कमरे मे थी. मैं तो मोबाइल की आवाज़ बंद (मूट) करके और हॅंड फ्री लगा कर सारे घर मे घूम रही थी. सब ये ही समझ रहे थे कि, मैं सॉंग सुन रही हूँ.”

कीर्ति की ये बात सुनकर, मैं हँसे बिना ना रह सका. लेकिन मैने उस पर झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा.

मैं बोला “ये बात तूने मुझे पहले क्यो नही बताई. खुद हॅंड फ्री लगा कर घूमती रहती है और मुझे कान मे मोबाइल लगाए लगाए घुमाती रहती है.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने हंसते हुए कहा.

कीर्ति बोली “नही, तुम्हारे लिए ये ही सही है. तुमको मोबाइल मे बिज़ी देख कर, कोई भी लड़की समझ जाएगी कि, तुम किसी के साथ एंगेज हो. ऐसे मे कोई भी लड़की तुम्हारे पास नही आएगी.”

कीर्ति की बात सुनकर, मैने फिर हँसते हुए कहा.

मैं बोला “चल अपनी नौटंकी अब बंद कर और ये बता तेरे पेट का दर्द अब कैसा है.”

कीर्ति बोली “मेरी तबीयत पूछने की बड़ी जल्दी याद आ गयी.”

मैं बोला “बता ना, मुझे तेरी बहुत फिकर हो रही है. जब से तेरी तबीयत का सुना है, मुझे कुछ भी अच्छा नही लग रहा. बस दिल कर रहा है कि, सब कुछ छोड़ कर तेरे पास आ जाउ.”

कीर्ति बोली “मुझे कुछ नही हुआ है. तुमने रात को खाना खाने से मना कर दिया था. इसीलिए मैने मौसी से झूठ कहा था कि, मेरे पेट मे दर्द है.”

कीर्ति की बात सुनकर, मुझे उस पर बहुत प्यार आ रहा था. उसकी बात के जबाब मे मैने उस से कहा.

मैं बोला “जब तुझे मेरी इतनी फिकर रहती है तो, फिर मुझे इतना परेशान क्यो करती है.”

कीर्ति बोली “तुम ही मुझे गुस्सा दिलाते हो. अगर तुम मुझे गुस्सा ना दिलाओ तो, मैं भला क्यो तुम्हे इतना परेशान करूगी.”

मैं बोला “लेकिन क्या तुझे याद है कि, तूने इस गुस्से मे मुझे क्या क्या कह दिया है.”

कीर्ति बोली “सॉरी, मुझे सब याद है. तुम इस सब के लिए मुझे जो भी सज़ा देना चाहो, तुम मुझे दे सकते हो.”

मैं बोला “मैं भला तुझे क्या सज़ा दूँगा. ये सब करके तो, तू खुद को ही सज़ा देती रहती है. तुझसे मैने कहा भी था कि, गुस्सा कम किया करा. यदि मेरी कोई बात तुझे ग़लत लगती है तो, मुझे बोल दिया कर. लेकिन तू मेरी कोई बात सुनती ही नही है.”

कीर्ति बोली “ओके बाबा, अब तुम गुस्सा मत करो. आयेज से ऐसा कुछ नही होगा. अब ये बोलो आगे क्या करने का इरादा है. मुझे तो लगता है कि, अज्जि की जिंदगी मे अब सब कुछ ठीक हो गया है.”

मैं बोला “हन, ठीक तो हो गया है. बस अब शादी होना ही बाकी है. देखते है कि दोनो के घरवाले कब शादी की तारीख निकालते है.”

कीर्ति बोली “निक्की को उपर गये हुए, बहुत देर हो गयी है. लगता है वो अपनी भाभी से मिलकर, नीचे आना ही भूल गयी है. उसे कॉल लगा कर बुलाओ, वरना यही खड़े रह जाओगे.”

मैं बोला “तू ठीक कहती है. मैं अभी उसको कॉल करता हूँ. लेकिन तू ऐसे कब तक कॉल पर बनी रहेगी. अब तू भी कॉल रख दे.”

कीर्ति बोली “नही, मुझे सब सुनना है कि, वहाँ क्या हो रहा है. मैं कौन सा तुमको परेशान कर रही हूँ. मुझे कॉल पर रहने दो ना.”

मैं बोला “ओके, जैसी तेरी मर्ज़ी. मैं अब मोबाइल जेब मे रख रहा हूँ.”

ये कहते हुए मैने मोबाइल जेब मे रख लिया और फिर दूसरा मोबाइल निकाल कर निक्की को कॉल लगा दिया. मेरे कॉल लगाने के थोड़ी देर बाद निक्की नीचे आ गयी और देर से आने के लिए सॉरी बोल कर चलने की बात कहने लगी.

उसकी बात सुनकर, मैने उसे बताया कि, हम कहाँ जा रहे है. इसके बाद निक्की जिस नयी कार मे आई थी, उसी कार मे हम लोग खाना लेने चले गये. खाना लेकर, वापस आने मे हम लोगों को लग-भग एक घंटा लग गया.

हम लोग खाना लेकर वापस आए तो, घर के बाहर एक कार और खड़ी थी. उस कार को मैं पहचानता था. वो डॉक्टर. अमन की कार थी. उनकी कार को देखते ही, मैने निक्की से कहा.

मैं बोला “लगता आपके दूसरे भैया भी आ गये है.”

निक्की बोली “उनको तो पहले ही आ जाना था. लेकिन शायद निशा भाभी ने उनको पहले आने से रोक दिया होगा.”

मैं बोला “ये तो निशा भाभी ने सही ही किया. वरना मुझे लगता है कि, ये दीदी की तरफ़दारी करने के चक्कर मे बन रही बात भी बिगाड़ देते.”

निक्की बोली “ऐसा नही है. वो अपना प्यार किसी के सामने जाहिर नही करते मगर उनको हमेशा सबकी फिकर लगी रहती है. बस वो किसी भी काम को जज्बाती होकर करना पसंद नही करते. उनकी हर बात मे जिंदगी की कड़वी सच्चाई छुपि होती है.”

मैं बोला “ओके, अब आपके भाई की तारीफ पूरी हो गयी हो तो, हमे अंदर चलना चाहिए. दीदी हमारे आने का इंतजार कर रही होगी.”

इसके बाद हम दोनो गाड़ी से नीचे उतरने लगे. लेकिन गाड़ी से उतरते ही, शिखा का फोन आने लगा. मैने कॉल उठाया तो शिखा ने कहा.

शिखा बोली “भैया आप ज़रा बाहर ही रुकिये. मैं अभी बरखा को आपके पास भेजती हूँ.”

सीखा की बात सुनकर, मैं बाहर ही खड़ा बरखा का इंतजार करने लगा. थोड़ी देर बाद बरखा दूसरे दरवाजे को खोल कर बाहर आई और हमे अंदर चलने को कहा. मैं समझ गया कि, शिखा ने मुझे बाहर क्यों रोका था और फिर हम उसके पीछे पीछे घर के अंदर आ गये.

मगर जिस कमरे मे हम पहुचे वहाँ कोई नही था. मैने वहाँ खाना रखने के बाद, बरखा से कहा.

मैं बोला “दीदी कहाँ है. क्या वो सबके साथ बैठी है.”

बरखा बोली “नही, दीदी तो अभी भी उपर ही है. उन्हो ने मुझे कॉल करके कहा था कि, तुम आ गये हो और मैं बाहर आकर तुम्हे दूसरे दरवाजे से अंदर ले आउ.”

मैं बोला “ठीक है, मेरे लिए कोई और काम तो नही है.”

बरखा बोली “नही, अब तुम बाहर चल कर बैठो. तब तक मैं सबके लिए खाना लगाने की तैयारी करती हूँ.”

बरखा की बात सुनकर, मैं और निक्की उस कमरे मे आ गये, जहाँ सब बैठे हुए थे. लेकिन वहाँ का नज़ारा बिल्कुल ही उल्टा था. निशा आरू लोगों के साथ खड़ी हुई थी और जहाँ निशा बैठी थी, उस जगह पर अब दो महिलाए बैठी हुई थी. जो देखने मे 45-50 साल की लग रही थी.

इसके बाद जिस जगह पर शिखा बैठी थी. वहाँ अब अमन अज्जि और एक बुजुर्ग बैठे हुए थे. उनको देख कर, मुझे अनुमान लगाते देर ना लगी कि, वो दोनो महिलाओं मे से एक अमन की माँ और दूसरी अमन की चाची है. जबकि वो बुजुर्ग अमन के चाचा हो सकते थे.

मेरी इस शंका का समाधान भी अज्जि ने कर दिया था. उसने मुझे देखते ही उन सब से मेरा परिचय कराया तो, मेरा अनुमान सही ही निकला. मेरे से परिचय होने के बाद वो लोग फिर से अपनी बातों मे लग गये.

वो लोग अज्जि और शिखा की शादी को लेकर चर्चा कर रहे थे. अमन की माँ चाहती थी कि, अमन के साथ साथ ही अज्जि की शादी भी फ्राइडे को हो जाए. लेकिन शिखा की माँ का कहना था कि, उनके लिए इतनी जल्दी मे शिखा की शादी कर पाना संभव नही है.

अभी शादी की तारीख पर कोई फ़ैसला नही हो पा रहा था. फिर भी उन लोगों के बीच की ये बातें सुन कर मुझे बेहद खुशी हो रही थी. मेरा मन ये बातें शिखा को बताने का हुआ और मैने निक्की से धीरे से कहा कि, मैं दीदी के पास होकर आता हू.

ये कह कर मैं उपर शिखा के पास आ गया. लेकिन उपर आते ही मैं ये देख कर चूक गया कि, शिखा एक चेयर पर बैठी, मोबाइल अपने कान मे लगा कर बात सुनने मे खोई हुई है.

मैं देखते ही समझ गया कि, हो ना हो शिखा नीचे चल रही बातें सुनने मे लगी हुई है. ये जानते हुए भी मैने अनजान बनकर शिखा के पास आते हुए कहा.

मैं बोला “दीदी ये सब क्या है. मैं आपको यहा एक अच्छी खबर देने के लिए आया था. मगर आप हो की यहा आराम से बैठी किसी के साथ गॅप लड़ाने मे लगी हुई हो.”

मेरी आवाज़ सुनते ही शिखा घबरा कर खड़ी हो गयी. उसने घबराते हुए कहा.

शिखा बोली “नही भैया, ये मेरा मोबाइल नही है. ये तो आरू मुझे जबबर्दस्ती पकड़ा कर चली गयी थी.”

मैं बोला “तो इसका मतलब है कि, आप नीचे चल रही सारी बातें सुन रही है.”

मेरी बात के जबाब मे शिखा ने अपनी सफाई देते हुए कहा.

शिखा बोली “मैं तो सुनना नही चाहती थी. लेकिन आरू के आगे मेरी एक नही चली. उसने और सेलू ने मिल कर ये सब किया है.”

मुझे शिखा को और ज़्यादा परेशान करना ठीक नही लगा. इसलिए मैने उसकी घबराहट को दूर करने के लिए उस से कहा.

मैं बोला “आरू ने ये बहुत अच्छा किया. वरना आप यहाँ अकेली बैठी, बस ये ही सोचती रहती कि, नीचे क्या चल रहा है. लेकिन अचानक ये सब यहा कैसे आ गये.”

शिखा बोली “निशा दीदी ने अमन भैया को कॉल करके यहाँ की सारी बातें बता दी थी. जिसके बाद अमन भैया अपनी मॅमी और चाचा चाची के साथ यहाँ आ गये.”

मैं बोला “क्या उन सब से कभी आपकी मुलाकात हुई है.”

शिखा बोली “हां, आरू के जनमदिन की पार्टी एक होटेल मे दी गयी थी. उसी मे मैं सब से मिली थी.”

मैं बोला “क्या उस पार्टी मे भी आपको समझ मे नही आया कि, आरू के मम्मी पापा कौन है.”

शिखा बोली “कैसे समझ मे आता. आरू की मम्मी खुद मुझसे बोली कि, आरू उनके लिए बेटी जैसी ही है. अब कोई माँ क्या अपनी ही बेटी को बेटी जैसा बोलती है.”

शिखा की बात सुनकर, मुझे हँसी आ गयी. मैने मज़ाक करते हुए उस से कहा.

मैं बोला “इसका मतलब तो ये हुआ कि, आपको बहू बनाने की साज़िश मे वो तीनो बहने ही नही, बल्कि पूरा घर शामिल है.”

मेरी बात सुनकर, शिखा को भी हँसी आ गयी. उसने हंसते हुए कहा.

शिखा बोली “मुझे इसके बारे मे कुछ नही मालूम. जो भी बातें हुई है, सब आपके सामने ही हुई है.

मैं बोला “एक फोन पर सबका आना और आते ही शादी की बात पक्की करने लगना तो, यही बताता है कि, सब इसके लिए पहले से तैयार थे. बस आपके हां कहने का इंतजार कर रहे थे.”

लेकिन मेरी ये बात सुनकर, शिखा कुछ सोच मे पड़ गयी. उसकी इस सोच ने मुझे भी परेशान कर दिया. उसकी इस सोच की वजह पता करने के लिए, मैने उस से कहा.

मैं बोला “क्या हुआ दीदी. क्या मैने कुछ ग़लत बात कह दी है.”

शिखा बोली “नही, आपने कुछ ग़लत बात नही कही. लेकिन मैं सोच रही थी कि, कहीं मैने इस रिश्ते की हां कह कर कुछ ग़लत तो नही किया.”

मैं शिखा की परेशानी की असली वजह समझ गया था. मैने उसकी इस परेशानी को दूर करने के लिए उस से कहा.

मैं बोला “नही दीदी, आपने कुछ भी ग़लत नही किया. आपके दिल मे अज्जि के लिए जो नफ़रत थी, वो बेवजह थी. क्योकि अज्जि की उस हरकत को तो ग़लत कहा जा सकता है. लेकिन इस बात को नही माना जा सकता कि, आपके भाई की मौत की वजह अज्जि है. क्योकि जिस हादसे मे कुछ घंटे बाद, मलबे से निकल जाने के बाद भी आरू की हालत नाज़ुक बनी हुई थी. उसी हादसे के बारे मे मैने पेपर मे पढ़ा था कि, एक लड़की मलबे मे से तीन दिन बाद सही सलामत बाहर निकल आई.”

“इस से पता चलता है कि, जिंदगी देना और लेना दोनो उस उपर वाले के हाथ मे होता है. हम इंसान कुछ भी कर ले, लेकिन उसके लिखे को नही बदल सकते. इसलिए अपने मन से इस बात को हमेशा के लिए निकाल दीजिए कि, किसी भी तरह से, आपके भाई की मौत की वजह अज्जि है. ये तो सिर्फ़ एक होनी थी, जो हो गयी और अज्जि के साथ आपकी शादी भी एक होनी ही है, जो अब होने जा रही है. आज्जि तो बस होनी का एक ज़रिया है.”

लेकिन मेरे इस जबाब के बाद भी शिखा की उलझने कम नही हुई थी. उस ने मुझसे सवाल करते हुए कहा.

शिखा बोली “लेकिन ऐसा उनके ही साथ क्यो हुआ. यदि उन्हे मेरे भाई की मौत का ज़रिया बनना था तो, फिर मुझे ही उनका जीवन साथी क्यो बना दिया गया. मान लो मैं इस बात को भूल भी जाउ कि, वो मेरे भाई की मौत की वजह है तो, क्या वो भी इस बात को भूल जाएगे कि, कहीं ना कहीं वो मेरे भाई की, मौत के ज़िम्मेदार है. क्या दिन रात मुझे अपने सामने देखने के बाद भी, उनको इस बात का अहसास नही होगा.”

शिखा की बात सुनकर, मैने मुस्कुराते हुए कहा.

मैं बोला “दीदी आपके सवाल का जबाब भी, आपके सवाल मे ही छुपा है. आज्जि एक बहुत अच्छा इंसान है और उसके जैसा इंसान मैने अपनी जिंदगी मे आज तक नही देखा. उसे जानने वाले लोग तो उसे देवता तक मानते है. शायद ये ही वजह थी कि, उपर वाले ने अज्जि के चरित्र पर ये दाग लगा दिया. ताकि उसे जिंदगी भर इस बात का अहसास रहे कि, वो एक इंसान है और ग़लतियाँ उसने भी की है.”

ये बोल कर, मैं शिखा की तरफ देखने लगा. शायद शिखा को भी मेरे इस जबाब से संतुष्टि हो गयी थी. उसने मेरी तरफ देखते हुए कहा.

शिखा बोली “भैया, आप इतनी अच्छी बातें कैसे कर लेते है. जो बात मुझे इतने लोग मिल कर भी नही समझा सके. वो बात आपने 2 मिनट मे मुझे समझा दी.”

मैं बोला “दीदी, इसकी वजह ये है कि, अज्जि और मेरी जिंदगी एक दूसरे से बहुत कुछ मिलती है. जैसे अज्जि के माता पिता नही है और उसे जिंदगी जीने की ताक़त आरू से मिली. ऐसे ही मेरी माँ मेरे बचपन मे ही मुझे छोड़ कर चली गयी. मेरे पिता का होना ना होना मेरे लिए एक बराबर है. ऐसे मे मेरी नयी माँ ने मुझे जीने की ताक़त दी. आज आरू की तरह मेरी भी दो बहने है. जिन्हे मैं अपनी जान से भी ज़्यादा प्यार करता हूँ. इसलिए अज्जि के हालत समझ पाना, मेरे लिए कोई मुस्किल बात नही थी.”

मेरी बातों से शिखा की सारी उलझने दूर हो गयी थी और उसके चेहरे पर मुस्कान आ गयी थी. उसने मेरे लिए अपना अपनापन जाहिर करते हुए कहा.

शिखा बोली “भैया आपको मेरी वजह से बहुत परेशानी उठना पड़ रही है. एक तो रात भर जागते रहे और अभी भी खाना पीना खाए बिना मेरे लिए जाग रहे है.”

मैं बोला “दीदी, ये आप कैसी बात कर रही है. मैं आपका सिर्फ़ नाम का भाई नही हूँ. खून के रिश्ते से भी मैं आपका भाई ही हूँ.”

मेरी इस बात ने शिखा को हैरत मे डाल दिया. उसने हैरान होते हुए मुझसे कहा.

शिखा बोली “क्या मतलब.? मैं समझी नही कि, आप क्या कहना चाहते है.”

शिखा की बात सुनकर, मैने हँसकर, उसकी हैरानी दूर करते हुए कहा.

मैं बोला “दीदी, इतना हैरान मत होइए, मेरे कहने का मतलब सिर्फ़ इतना था कि, मेरा ब्लड ग्रूप भी वो ही है. जो आपके भाई और आरू का है.”

मेरी बात सुनकर, शिखा के चेहरे पर चमक आ गयी. लेकिन उसके कुछ बोलने के पहले ही हमे निशा की आवाज़ सुनाई दी. निशा शायद मेरी ये बात सुन चुकी थी. उसने मेरी इस बात के जबाब मे कहा.

निशा बोली “ये तो सच मे हैरानी वाली बात है. जिस ब्लड ग्रूप की वजह से अज्जि और जिंदगी मे इतना बड़ा तूफान आया था. आज उसी ब्लड ग्रूप के तीन लोग मेरे सामने है.”

निशा अभी अभी सीडिया चढ़ती हुई हमारी तरफ चली आ रही थी. लेकिन उसकी इस तीन लोगों का ब्लड ग्रूप, एक सा होने वाली बात ने तो, मुझे भी हैरान करके रख दिया था. मेरी समझ मे नही आ रहा था कि, मेरे और आरू के सिवा, वो तीसरा कौन है, जिसका ब्लड ग्रूप भी यही है.
 
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मैं और शिखा दोनो ही निशा की ये बात सुन कर उसकी तरफ देख रहे थे. हमे इस तरह से हैरान होते देख, निशा ने हँसते हुए कहा.

निशा बोली “इसमे चौकने वाली कोई बात नही है. तुम्हारे और आरू के अलावा प्रिया का ब्लड ग्रूप भी एबी- ही है. अब ये मत पुच्छने लगना कि ये मैं कैसे जानती हूँ.”

निशा की बात सुनकर, मेरी और शिखा की हैरानी दूर हो गयी. मैने निशा की आख़िरी बात का जबाब देते हुए कहा.

मैं बोला “प्रिया आपकी पेशेंट (मरीज) है तो, उसका ब्लड ग्रूप आपको मालूम होना कोई बड़ी बात नही है.”

मेरी बात सुनकर, निशा ने मुझे आँखे दिखाते हुए, शिखा से कहा.

निशा बोली “ये लड़का जितना भोला दिखता है, असल मे इतना भोला है नही. लगता है अब इस पर नज़र रखना पड़ेगी.”

निशा की ये बात सुनते ही शिखा से ना रहा गया. उसने बिना कुछ सोचे समझे ही निशा से कहा.

शिखा बोली “नही दीदी, भैया ऐसे नही है. ये तो बिल्कुल उनके जैसे ही है.”

शिखा की बात सुनकर निशा ने एक पल के लिए शिखा को भी घूरा. लेकिन शिखा ने निशा के देखते ही अपना सर नीचे झुका लिया. जिसे देख कर निशा को हँसी आ गयी और उसने शिखा से कहा.

निशा बोली “अब तुम्हारा इनको, उनको करना हो गया हो तो, तुम नीचे चलो. सब तुम्हारा इंतजार कर रहे है.”

निशा की बात सुनकर, हम सब नीचे आ गये. नीचे आकर शिखा दूसरे दरवाजे से घर के अंदर चली गयी और हम लोग सबके पास आ गये. अभी भी शादी की तारीख पर कोई सहमति नही बन पाई थी और सभी इसी बात को लेकर अपनी अपनी राय दे रहे थे.

थोड़ी देर बाद शिखा भी, एक पिंक साड़ी पहन कर सबके बीच आ गयी. उसने आकर सबसे पहले, अमन के घर के सभी बडो के पैर छु कर आशीर्वाद लिया और फिर निशा के कहने पर सबके साथ, वही बैठ गयी. शिखा अभी भी बहुत शरमा रही थी और किसी भी बात का जबाब देने मे झिझक रही थी.

लेकिन आरू, सीरू, सेलू, निक्की और हेतल मिलकर, हर बात मे उसका साथ दे रही थी. इसी तरह बात चीत का सिलसिला चलता रहा और आख़िर मे आंटी ने, अमन की शादी के दिन ही शिखा और अज्जि की शादी करने की सहमति दे दी. शादी की तारीख पक्की होते ही सबके चेहरे खुशी से खिल गये और सब एक दूसरे को बधाई देने लगे.

इसके बाद, सब ने जाने की अनुमति माँगी तो, बरखा ने सबसे खाना खाने की बात रख दी. अमन की मम्मी और चाचा चाची बाद मे कभी खाना खाने की बात बोल कर जाना चाहते थे. लेकिन शिखा के कहने पर उनको भी खाना खाने के लिए तैयार होना ही पड़ा.

खाना पीना खाने के बाद, सबने 2 बजे शॉपिंग पर जाने का समय तय किया और फिर इसके बाद, एक एक करके सभी वापस जाने लगे. सबसे पहले अमन अपनी कार मे, अपनी मम्मी और चाचा चाची को लेकर गया. उसके बाद निशा भी अपनी कार मे वापस चली गयी.

इसके बाद भी अभी 3 कार वहाँ खड़ी थी. पहली कार जिसमे हेतल आई थी. दूसरी कार जिसमे सीरू और सेलू आई थी. तीसरी कार जिसमे आरू आई थी. बाहर आते ही सीरू ने अज्जि से कहा.

सीरत बोली “भैया, इन दो कार मे से आपको कौन सी कार रखना है.”

सीरू की बात सुनकर, अज्जि ने एक नज़र वहाँ खड़ी कार पर डाली और फिर सीरू से कहा.

अजय बोला “तुम लोग दो नही, तीन कार मे आई हो.”

आज्जि की बात सुनकर, सीरू ने हंसते हुए कहा.

सीरत बोली “दो इसलिए कि, न्यू कार तो आप ने आरू को दे दी है. आज हम लोग इसी मे शॉपिंग करने जाएगे. इसलिए ये कार अब हमारे पास ही रहेगी.”

सीरू की बात सुनकर, अज्जि ने मुस्कुराते हुए कहा.

अजय बोला “ठीक है, मुझे मोम वाली कार दे दे. अभी मैं उसी से काम चला लूँगा.”

आज्जि की बात सुनते ही, सीरू ने उस कार के ड्राइवर को चाबी लेकर बुलाया जिस मे वो और सेलू आई थी. फिर ड्राइवर से चाबी लेकर उसने वो अज्जि को दे दी और ड्राइवर से कहा.

सीरू बोली “आप तीनो पापा वाली कार मे घर चले जाइए. हम लोग दूसरी कार मे आ जाएगे.”

ये कह कर वो तीनो ड्राइवर को घर वापस भेजने लगी. लेकिन अज्जि ने उसे टोकते हुए कहा.

अजय बोला “इन तीनो को तू घर वापस भेज रही है तो, फिर ये कार कौन चलाएगा.”

आज्जि की बात का सीरू ने मुस्कुरा कर जबाब देते हुए कहा.

सीरत बोली “अरे मैं चलाउन्गी और कौन चलाएगा.”

मगर सीरू की बात पर अज्जि ने नाराज़गी जाहिर करते हुए कहा.

अजय बोला “नही, तू कार नही चलाएगी. मैं तेरा कार चलना देख चुका हूँ.”

लेकिन सीरू ने अज्जि की इस बात को हँसी मे उड़ाते हुए कहा.

सीरत बोली “क्या भैया, आप अब भी इतनी पुरानी बात को लेकर बैठे हुए है. अब मैं कोई आक्सिडेंट नही करती. आप चाहो तो, इन लोगों से पुच्छ सकते है.”

ये कह कर, सीरू ने सेलू लोगों की तरफ इशारा किया. लेकिन अज्जि ने उसकी इस बात को अनसुना करते हुए कहा.

अजय बोला “मुझे किसी से कुछ नही सुनना. मैने कह दिया कि, तू गाड़ी नही चलाएगी तो, मतलब की तू गाड़ी नही चलाएगी. अब यदि तूने दोबारा गाड़ी चलाने की बात की तो, मुझसे बुरा कोई नही होगा.”

आज्जि की बात सुनकर, सीरू का चेहरा उतर गया और उसकी आँखों मे आँसू आ गये. उसने गुस्से मे गाड़ी की चाबी फेकि और अपना मूह फेर कर खड़ी हो गयी. शिखा को ये सब अच्छा नही लगा. उसने अज्जि को समझाते हुए कहा.

शिखा बोली “आपने सीरू को बेमतलब रुला दिया. यदि वो गाड़ी चलाना चाहती है तो, इसमे बुरा क्या है.”

अजय बोला “तुम इसके आँसुओं पर मत जाओ. ये बहुत बड़ी नौटंकी बाज है. मैं इसके किसी झाँसे मे नही आने वाला हूँ.”

आज्जि की ये बात सुनते ही, सीरू शिखा के पास आई और उसके गले से लिपट कर रोते हुए कहा.

सीरत बोली “भाभी आपने देख लिया ना. अब मेरा रोना भी इनको एक नाटक लग रहा है.”

सीरू का रोना देख कर मुझे भी बुरा लग रहा था. लेकिन अगले ही पल उसकी हरकत से मेरी हँसी छूट गयी. उसने रोते रोते अपनी बात कही और फिर धीरे से सेलू को आँख मार दी. जिसे समझते ही सेलू आगे आई और कहने लगी.

सेलिना बोली “जाने दो दीदी. भैया नयी गाड़ी की टूट फुट की वजह से आपको गाड़ी नही चलाने दे रहे है. आपको चलाना ही है तो आप पुरानी गाड़ी चला लो.”

आज्जि उन दोनो की हरकतें समझ रहा था. इसलिए उसने सेलू की बात सुनते ही, उस पर भड़कते हुए कहा.

अजय बोला “अब तू अपनी चालबाजी मत दिखा. मैं तुम दोनो को अच्छी तरह से समझता हूँ. तुम दोनो मिल कर मुझे बेवकूफ़ नही बना सकती.”

लेकिन शिखा को उनकी ये सब हरकतें समझ मे नही आ रही थी. उसे लगा कि, वो दोनो अज्जि की बात का ग़लत मतलब निकल रही है. इसलिए उसने दोनो को समझाते हुए कहा.

शिखा बोली “आप दोनो ग़लत सोच रही है. आपके भैया को नयी गाड़ी की नही, आप लोगों की फिकर है. आपको नयी गाड़ी चलाना है तो, आप गाड़ी ले जाओ. मैं देखती हूँ कि, ये आपको कैसे रोकते है.”

ये कहते हुए शिखा गाड़ी की चाबी उठा कर, सीरू को देने लगी. लेकिन सीरू चाबी लेने से ना नुकुर करने लगी. मगर बाद मे सेलू ने उस से चाबी लेने को कहा तो, सीरू ने नाखुशी दिखाते हुए चाबी ले ली.

शिखा की वजह से अज्जि उनको कुछ ना कह सका और फिर सब जाकर एक एक करके गाड़ी मे बैठने लगी. पहले सीरू और सेलू गाड़ी मे जाकर आगे बैठ गयी. उसके बाद और निक्की भी गाड़ी मे पिछे जाकर बैठ गयी.

लेकिन हेतल गाड़ी मे बैठते बैठते रुक गयी और वापस आकर अज्जि के सीने से लग कर रोने लगी. सब हेतल के इस रोने के मतलब को समझ सकते थे. लेकिन अज्जि को उसके रोने का मतलब समझ मे नही आया और उसने उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा.

अजय बोला “क्या हुआ. अब तो तुम लोगों ने सब कुछ सही कर लिया है. फिर तू रो क्यो रही है.”

आज्जि की ये बात सुन कर, हेतल ने अपना सर उपर उठा कर अज्जि को देखा और भावुक होते हुए उस से कहा.

हेतल बोली “भैया, आपने मेरे लिए जो किया है. उसके बदले यदि मैं अपनी जान भी दे दूं तो, वो भी कम है.”

आज्जि अभी भी हेतल की बात का सही मतलब नही समझ सका था. उसने हेतल की बात का कोई और मतलब निकालते हुए उस से कहा.

अजय बोला “तू पागल है. तेरी प्लास्टिक सर्जरी करवा कर, मैं कोई महान काम नही कर रहा हूँ. हर भाई अपनी बहन को सही सलामत देखना चाहता है. मैं तो तेरी सर्जरी पहले ही करवाना चाहता था. लेकिन अमन तेरी सर्जरी किसी बड़े सर्जन से करवाना चाहता था. इस वजह से हमे इतना इंतजार करना पड़ गया. अब जल्दी ही तू फिर से पहले जैसी दिखने लगेगी.”

आज्जि के इस भोलेपन को देख कर, हेतल और भी ज़्यादा भावुक हो गयी. उसके आँसू रुकने का नाम ही नही ले रहे थे. उस से कुछ भी कहते नही बन रहा था. तभी शिखा ने आकर उसके सर पर हाथ रखा तो, उसने शिखा से लिपट कर रोते हुए कहा.

हेतल बोली “भाभी, मैं कुछ नही बोल पा रही हूँ. आप ही इन से बोलो ना, मैं क्या कहना चाहती हूँ.”

शिखा हेतल की हालत को अच्छे से समझ रही थी. इसलिए उसने हेतल को समझाते हुए कहा.

शिखा बोली “उन्हे कुछ भी समझाने की ज़रूरत नही है. उन्हो ने जो कुछ भी किया, अपनी बहन की खुशी के लिए किया है. यदि आप सच मे अपने भैया की खुशी चाहती है तो, आप सिर्फ़ खुश रहिए.”

हेतल शिखा की इस बात से समझ गयी थी कि, वो उसे अज्जि से कुछ भी बताने से मना कर रही है. इसलिए उसने अपने आँसू पोछते हुए कहा.

हेतल बोली “भाभी, सच मे आप दोनो एक दूसरे के लिए ही बने है. जितने अच्छे मेरे भैया है. उतनी ही अच्छी मेरी भाभी भी है. लेकिन एक बात आप दोनो भी कान खोल कर सुन लीजिए. मैं आप दोनो की शादी को मिस करना नही चाहती. इसलिए अभी मैं सर्जरी नही करवाउन्गा.”

हेतल की इस बात को सुनकर, अज्जि ने उस पर गुस्सा करते हुए कहा.

अजय बोला “ऐसा नही हो सकता है. बड़ी मुस्किल से उस सर्जन को इंडिया आने के लिए तैयार किया है. वो सिर्फ़ तेरी सर्जरी के लिए यहाँ आया है और 2 दिन मे वापस चला जाएगा. इसलिए तू शादी मे शामिल होने की बात अपने दिमाग़ से निकाल दे.”

लेकिन हेतल ने अज्जि की इस बात के जबाब मे टका सा जबाब देते हुए कहा.

हेतल बोली “तो आप भी मेरी सर्जरी की बात को दिमाग़ से निकाल दीजिए. यदि मैं आपकी शादी मे शामिल नही हो सकती तो, मुझे भी कोई सर्जरी नही करवाना है. मैं आज ही घर वापस चली जाती हूँ.”

हेतल की इस ज़िद की वजह से अज्जि के सामने एक नयी परेशानी खड़ी हो गयी थी. ना तो हेतल अपनी बात से पीछे हटने को तैयार थी और ना ही अज्जि अपनी बात से पीछे हटने को तैयार था. उन दोनो की बहस चलते देख कर, सीरू और बाकी लोग भी कार से उतर कर बाहर आ गये और उनकी बातों को समझने की कोसिस करने लगे.

जब उन लोगों को बहस का असली मुद्दा समझ मे आया तो, वो भी हेतल को समझाने की कोसिस करने लगे. मगर हेतल किसी भी तरह से इस बात को मानने को तैयार नही थी. मगर जब शिखा ने देखा कि, हेतल किसी की बात नही सुन रही है तो, शिखा ने हेतल की तरफ़दारी करते हुए कहा.

शिखा बोली “हेतल ठीक ही तो कह रही है. वो भला अपने भैया की शादी को कैसे मिस कर सकती है.”

शिखा की बात सुनकर, जहा हेतल खुश हो गयी. वही अजजी ने शिखा पर भड़कते हुए कहा.

अजय बोला “तुम समझती क्यो नही. बड़ी मुस्किल से वो सर्जन इंडिया आने को तैयार हुआ है. आज रात को वो वहाँ से निकलने वाला है और कल सुबह वो यहाँ होगा. उसके बाद परसो इसकी सर्जरी है. इसलिए आज इसे यहाँ बुलाया था.”

आज्जि की बात सुनकर, शिखा ने अपनी बात उसे समझाते हुए कहा.

शिखा बोली “लेकिन उसको अभी यहाँ आने के लिए मना भी तो किया जा सकता है.”

अजय बोला “मना किया जा सकता है. लेकिन ये ज़रूरी नही है की फिर वो हमारे कहने पर दोबारा यहाँ आने को तैयार हो जाए.

शिखा बोली “यदि वो यहाँ नही आ सकता तो क्या हुआ. क्या हम भी वहाँ नही जा सकते.”

शिखा की बात सुनकर, अजजी कुछ सोच मे पड़ गया. उसने अमन को कॉल लगा कर, सारी बात बताई. जिसके बाद अमन ने भी शिखा की बात पर सहमति दे दी. आज्जि ने ये बात सबको बताई तो, सब खुश हो गये. मगर बात सुनने के बाद, सीरू ने बड़ी धीरे से कहा.

सीरत बोली “ये तो अभी से ही जोरू के गुलाम हो गये.”

सीरू ने ये बात बड़ी धीरे से कही थी. मगर सबको सुनाकर कही थी. जिसे सुनते ही सब हंस पड़े और अज्जि सीरू को मारने को हुआ. मगर सीरू भाग कर कार मे जाकर बैठ गयी. इसके बाद बाकी सब भी कार मे बैठ गये और सीरू कार लेकर चली गयी. उनके साथ ही साथ वो दूसरी कार भी चली गयी.

उन लोगों के जाने के बाद, मैने भी जाने की बात की तो, शिखा शॉपिंग पर साथ चलने की बात कहने लगी. मगर मैने रात को हॉस्पिटल मे रुकने और अपनी नींद पूरी ना होने की बात कह कर, उसके साथ जाने से मना कर दिया.

आज्जि ने मुझे घर छोड़ने की बात की तो, मैने उस से कहा कि, मेरी बाइक अभी हॉस्पिटल मे ही खड़ी है. इसलिए वो मुझे हॉस्पिटल मे ही छोड़ दे. मेरी बात मान कर अज्जि मुझे हॉस्पिटल मे छोड़ने के लिए तैयार हो गया और वहाँ से निकलते समय उसने शिखा से कहा.

अजय बोला “2 दिन बाद हमारी शादी है और मॉम (अमन की माँ) बोल कर गयी है कि, मैं अब घर मे ही आकर रहूं. इसलिए अब मैं यहाँ नही रहुगा और पुनीत भी अब वही खाना खाया करेगा.”

शिखा ने अज्जि के उसके घर मे ना रहने की बात का तो कोई विरोध नही किया. लेकिन मेरे खाना खाने की बात पर उसने अज्जि से कहा.

शिखा बोली “आपको जहाँ भी रहना है, आप वहाँ रह सकते है. लेकिन भैया खाना सिर्फ़ मेरे घर पर ही खाएगे.”

अजय बोला “नही, ऐसा नही हो सकता. पुन्नू मेरा दोस्त है. इसलिए ये खाना मेरे साथ ही खाएगा. मैं यहाँ था तो, उसने यहाँ खाना खाया और अब मैं वहाँ रहुगा तो, ये वहाँ खाना खाएगा.”

लेकिन शिखा भी अज्जि की ये बात मानने को तैयार नही थी. उसने अज्जि से बहस करते हुए कहा.

शिखा बोली “ये मेरे भैया है और मैं इस बारे मे कोई फालतू की बहस करना नही चाहती. ये खाना यही खाएगे तो, मतलब यही खाएगे.”

अजय बोला “बहस तो तुम कर रही हो. जब एक बार बोल दिया कि, ये मेरे साथ खाना खाएगा तो, इसमे बहस करने की ज़रूरत ही क्या है.”

वो दोनो मेरे खाना खाने की बात पर बहस कर रहे थे और बरखा उसकी बहस को देख कर हँस रही थी. मैं सिर्फ़ खामोशी से उनकी बहस के ख़तम होने का इंतजार कर रहा था. जब उनकी बहस किसी नतीजे पर नही पहुचि तो, बरखा ने बीच मे आते हुए कहा.

बरखा बोली “आप दोनो तो बेकार मे ही बहस कर रहे है. जिसे खाना खाना है, उस से ही क्यो नही पुछ लेते कि, उसे कहा पर खाना खाना पसंद है.”

बरखा की ये बात सुनकर, तो मुझे ऐसा लगा जैसे उसने मेरे सर पर कोई बॉम्ब पटक दिया हो. मैं गुस्से मे घूर कर बरखा की तरफ देखने लगा. वही बरखा की बात सुनकर, अज्जि और शिखा दोनो मेरी तरफ देखने लगे.

बरखा की एक बात ने, उन दोनो की बहस के बीच मुझे फसा दिया था. मुझे समझ मे नही आ रहा था कि, अब मैं किसके साथ खाना खाने की हां बोलू और किसके साथ खाना खाने की ना बोलू.

मेरे लिए तो अज्जि और शिखा दोनो ही अज़ीज थे. एक तरफ मेरी वो मूह-बोली बहन थी. जिस से थोड़े ही समय मे मुझे इतना ज़्यादा लगाव हो गया था, जैसे उससे मेरा बरसो का साथ हो तो, दूसरी तरफ मेरा वो दोस्त था, जिसकी वजह से मुझे इतने सारे अपने मिले थे.

दोनो बड़ी बेसब्री से मेरे जबाब का इंतजार कर रहे थे. मैं किसी भी सूरत मे, दोनो मे से किसी दिल दुखाना नही चाहता था. ना ही दोनो मे से किसी को एक दूसरे के सामने छोटा दिखाना चाहता था. मैं अजीब ही धरम-संकट मे फस गया था. जिस से बाहर निकलने का मुझे कोई रास्ता नज़र नही आ रहा था.

मैं अभी उनके इस सवाल का कोई जबाब ढूँढ ही रहा था कि, तभी मेरे मोबाइल पर मेसेज टोन बजी. मैं मोबाइल निकाल कर, मेसेज देखने लगा. मसेज देखते ही मुझे उनके इस सवाल का जबाब मिल गया और मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी.
 
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मैने मेसेज देखने के बाद, मोबाइल अज्जि की तरफ बढ़ा दिया. आज्जि मेसेज देखने लगा और मेसेज देखने के बाद, उसके चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गयी. हम दोनो को मेसेज देखने बाद इस तरह मुस्कुराते देख, शिखा ने बेचैनी भरे स्वर मे कहा.

शिखा बोली “क्या हुआ. आप दोनो किस बात पर इतना मुस्कुरा रहे है.”

शिखा की बात सुनकर, अज्जि मेरे मोबाइल का मेसेज पढ़ कर सुनाने लगा.

मोबाइल का मेसेज “निशा भाभी ने आज मुझे हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी है. मैं कुछ देर बाद ही घर चली जाउन्गी. उन्होने अंकल की भी छुट्टी की बात कर ली है और आज शाम तक अंकल की भी छुट्टी हो जाएगी. तुमने मुझसे वादा किया था कि, जब मैं बोलुगी, तुम घर वापस आ जाओगे. इसलिए अब तुम नींद से उठते ही, घर वापस आ जाओ. वरना कल फिर मैं तुमको वापस हॉस्पिटल मे ही मिलुगी.”

ये मेसेज सुनकर, बरखा के तो कुछ समझ मे नही आया. लेकिन शिखा समझ गयी थी कि, ये प्रिया का मेसेज है. मगर इस मेसेज को सुनने के बाद, शिखा के मन मे एक सवाल आया और उसने बड़ी हिम्मत करते हुए मुझसे कहा.

शिखा बोली “भैया, क्या आप और प्रिया एक दूसरे को पसंद करते हो.”

शिखा की इस बात का मैं कोई जबाब दे पाता, इस से पहले ही अज्जि ने मेरी तरफ से जबाब देते हुए कहा.

अजय बोला “ऐसा कुछ नही है. असल मे बात ये है कि, प्रिया और पुन्नू मे किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया. गुस्से मे प्रिया ने पुन्नू से अपने घर से चले जाने को कह दिया. लेकिन बाद मे उसे अपनी ग़लती का अहसास हुआ और वो इसे रुकने के लिए मनाती रही. मगर इसने उसकी बात नही मानी और उसका घर छोड़ कर आ गया. प्रिया पहले ही दिल की मरीज थी और ये सदमा ना सह सकी. जिस वजह से उसकी तबीयत खराब हो गयी.”

आज्जि की बात सुनकर, शिखा ने कुछ सोचते हुए मुझसे कहा.

शिखा बोली “इसका मतलब कि, आज से आप प्रिया के घर मे रहेगे.”

मैं बोला “दीदी, आप ने शायद पूरा मेसेज ध्यान से नही सुना है. प्रिया के साथ साथ आज अंकल की भी छुट्टी हो रही है. ऐसे मे ज़्यादा से ज़्यादा आज रात को ही हमे यहाँ रुकना पड़ेगा. कल किसी भी समय हम लोग घर वापस जा सकते है.”

मैने ये बात शिखा के साथ बस थोड़ा सा मज़ाक करने के लिए कही थी. उसकी शादी के पहले मेरा वापस जाने का कोई इरादा नही था. लेकिन मेरी इस बात को सुनकर, शिखा के चेहरे पर उदासी छा गयी. उसे समझ मे नही आ रहा था कि, वो मुझे घर वापस जाने से कैसे रोके. मगर कुछ देर बाद, शिखा ने अपने दिल की बात मुझ पर जाहिर करते हुए कहा.

शिखा बोली “लेकिन भैया, ये तो ग़लत बात है ना. यहाँ आपकी बहन की शादी है और आप घर जाने की बात कर रहे हो. क्या मैं आपके लिए कुछ नही हूँ.”

मैं शिखा को ज़्यादा परेशान करना नही चाहता था. इसलिए मैने मुस्कुराते हुए उस से कहा.

मैं बोला “मगर दीदी मैने ये कब कहा कि, मैं घर वापस जा रहा हूँ. मैने तो बस इतना कहा कि, अब हम किसी भी समय घर वापस जा सकते है. आपकी शादी के पहले मेरे वापस जाने का कोई इरादा नही है.”

मेरी बात सुनकर, शिखा के चेहरे पर मुस्कुराहट वापस आ गयी. इसके बाद, मैने सब से इजाज़त ली और फिर अजय की कार मे उसके साथ हॉस्पिटल आ गया. हॉस्पिटल आने के बाद, अजय निशा के पास चला गया और मैं सीधे प्रिया के पास आ गया.

जब मैं प्रिया के पास पहुचा तो, वहाँ पर रिया बैठी थी. मुझे देखते ही रिया और प्रिया दोनो के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी. रिया से पिच्छले कुछ दिनो से मेरी कोई बात नही हुई थी. उसे भी इस बात का अहसास हो चुका था कि, मैं शायद उस से नाराज़ हूँ. इसलिए उसने अभी मुझे अपने सामने देखा तो मुझसे कहा.

रिया बोली “तुम तो घर से जाने के बाद, मुझे भूल ही से गये हो.”

रिया को लेकर मेरे मन मे कोई मैल नही था. क्योकि मैं हर बात का ज़िम्मेदार अपने बाप को ही मानता था. इसलिए मैने रिया की इस बात मुस्कुरा कर जबाब देते हुए कहा.

मैं बोला “नही, ऐसी कोई बात नही.बस अंकल और प्रिया दोनो के हॉस्पिटल मे रहने की वजह से मैं यहाँ कुछ ज़्यादा ही उलझ गया था. मगर आज दोनो की हॉस्पिटल से छुट्टी होने की वजह से, अब मेरे पास समय ही समय है. अब तुम्हे मुझसे इस बात की कोई शिकायत नही होगी.”

अभी मेरी रिया से बात चल ही रही थी कि, तभी निशा वहाँ आ गयी. उसने प्रिया के सर पर हाथ फेरते हुए उस से कहा.

निशा बोली “देखो प्रिया, आज तुम्हारी छुट्टी ज़रूर हो रही है. लेकिन अभी तुम्हे अपनी सेहत का पूरा ख़याल रखना है. कुछ दिन तक तुम्हे घर पर सिर्फ़ आराम ही करना है. मुझे उम्मीद है कि, तुम मुझे शिकायत का कोई मौका नही दोगि.”

निशा की बात सुनकर, प्रिया ने मुस्कुराते हुए कहा.

प्रिया बोली “भाभी, आप फिकर मत करो. मैं आपको शिकायत का कोई मौका नही दुगी. लेकिन आपने भी आज मुझे शॉपिंग करने का वादा किया था. अब मैं घर जा रही हूँ तो, अब मेरी शॉपिंग का क्या होगा.”

निशा बोली “मुझे अपने दोनो वादे याद है. मैं आज तुमको शॉपिंग भी कराउन्गि और तुम मेरी शादी मे भी शामिल हो सकोगी. लेकिन शादी मे शामिल होने के लिए अभी तुम्हारा 2 दिन आराम करना बहुत ज़रूरी है. यदि इस बीच तुम्हे कोई भी परेशानी हो तो तुम बेफिकर होकर मुझे कॉल कर लेना.”

प्रिया बोली “ओके भाभी, मैं ऐसा ही करूगी.”

निशा बोली “ओके, अब मैं चलती हूँ. आज मुझे बहुत काम है.”

इतना कह कर निशा जाने लगी. लेकिन जाते जाते उसने मुझे अपने साथ चलने का इशारा किया और मैं उसके साथ साथ बाहर आ गया. बाहर अज्जि पहले से ही खड़ा हमारे आने का इंतजार कर रहा था. बाहर आकर निशा ने मुझसे कहा.

निशा बोली “वैसे तो तुम बहुत समझदार हो. लेकिन फिर भी मैं तुमसे ये बोल देना ज़रूरी समझती हूँ कि, प्रिया को अभी किसी भी तरह का कोई टेन्षन मत देना. ये बात मैं तुमसे इसलिए कह रही हूँ, क्योकि मैं इस बात को अच्छी तरह से समझती हूँ, कि प्रिया के दिल मे तुम्हारी क्या जगह है.”

“प्रिया बहुत भोली है और अभी तुम्हारे उसके सामने होने की वजह से, उसका दिल इस सच्चाई को कबूलने को तैयार नही है कि, तुम उसके नही हो सकते. लेकिन तुम्हारे जाने के बाद उसका दिल धीरे धीरे इस सच्चाई को कबूलने लगेगा. तुम्हारा दिया कोई भी सदमा उसके लिए जान लेवा साबित हो सकता है. इसलिए बेहतर यही होगा कि, अभी प्रिया को कोई सदमा ना दिया जाए.”

निशा की बात सुनकर, मैने उसे विस्वास दिलाया कि, मेरी वजह से प्रिया को कोई दुख नही पहुचेगा. मैं जब तक यहाँ हूँ, उसको खुश रखने की पूरी कोसिस करूगा. मेरी बात सुनकर, निशा ने भी राहत की साँस ली.

इसके बाद अजय ने बताया कि उसने अंकल के हॉस्पिटल के बिल का भुगतान कर दिया है और हम वापस जाने की भी कोई फिकर ना करे. वो हमारे वापस जाने के टिकेट भी करवा देगा. मैने उसे ये सब करने से मना किया. लेकिन वो मेरी इस बात पर नाराज़ होने लगा.

निशा ने भी उसकी इस बात मे साथ दिया और फिर मुझसे चुप रहने के सिवा कुछ भी कहते ना बना. इसके बाद दोनो ने मुझे बाद मे मिलने की बात कही और वो दोनो अपने अपने घर के लिए निकल गये.

उनके जाने के बाद, मैं वापस प्रिया के पास चला गया. रिया घर जाने की तैयारी कर रही थी. अब आंटी भी वहाँ आ चुकी थी. इसलिए मैं उपर अंकल के पास चला गया. अंकल के भी घर जाने की तैयारी चल रही थी. उनके पास इस समय राज और मेहुल दोनो थे.

कुछ देर मे उनके घर वापस जाने की तैयारी भी पूरी हो गयी. लेकिन उनकी छुट्टी 3 बजे के बाद होनी थी. जबकि प्रिया की छुट्टी अभी ही हो रही थी. राज कह रहा था कि, वो प्रिया को घर छोड़ने के बाद, अंकल को लेने आ जाएगा.

इसके बाद मैं और राज नीचे आ गये और प्रिया का समान गाड़ी मे रखने लगे. कुछ ही देर बाद प्रिया रिया और आंटी राज के साथ घर के लिए निकल गयी. मैने प्रिया से अंकल की छुट्टी होने के बाद घर आने की बात बोल दी.

प्रिया को घर छोड़ने के बाद राज वापस आ गया. फिर कुछ देर मे अंकल की भी छुट्टी हो गयी. मगर डॉक्टर. ने 3 दिन बाद अंकल को फिर से दिखाने की बात कही थी. जिस वजह से, सनडे के पहले हमारे घर वापस लौटने की कोई उम्मीद नही थी.

मैने घर फोन लगा कर, सबको अंकल की हॉस्पिटल से छुट्टी हो जाने की बात बता दी और कीर्ति से भी बाद मे बात करने की बात कह कर उसका कॉल भी रख दिया. मेहुल ने मुझसे राज के घर चलने की बात पूछी तो, मैने कहा की मैं अपना समान लेकर अभी कुछ देर मे पहुचता हूँ.

इसके बाद राज और मेहुल अंकल को लेकर घर के लिए निकल गये. उनके जाने के बाद मैने भी बाइक उठाई और अज्जि के बंग्लॉ की तरफ निकल गया. वहाँ जाकर मैने अपने समान की पॅकिंग की और फिर बाइक से ही राज के घर के लिए निकल गया.

इसके बाद 4 बजे के करीब मैं राज के घर पहुच गया. मुझे एक बार फिर से अपने घर मे वापस देख कर, सब बहुत खुश थे. निक्की के अलावा सब घर मे ही थे. रिया ने बताया कि, उनके आने के बाद, निक्की को लेने डॉक्टर. निशा की गाड़ी आई थी. वो डॉक्टर. निशा के घर गयी है.

रिया की इस बात से मैं समझ गया था कि, निक्की सबके साथ शॉपिंग के लिए गयी है. प्रिया इस वक्त अपने कमरे मे आराम कर रही थी और अंकल अपने कमरे मे थे. मैं अंकल के पास चला गया. वहाँ मेहुल बैठा था और अंकल से घर के बारे मे बात कर रहा था. मेरे पहुचने पर मेहुल ने मुझे बताते हुए कहा.

मेहुल बोला “हम लोग सॅटर्डे को पापा को डॉक्टर. को दिखाएगे और फिर सनडे को यहाँ से घर के लिए निकलेगे. लेकिन मेरी समझ मे एक बात नही आई है कि, हमारा हॉस्पिटल का बिल किसने भर कर दिया और क्यो.”

मेहुल की इस हैरानी को दूर करते हुए मैने उसे बताते हुए कहा.

मैं बोला “ये बिल मेरे उसी दोस्त ने पेड किया है. जिसके घर मे मैं पिच्छले 2 दिन से रह रहा था. मैने उसे ऐसा करने से मना भी किया था. लेकिन वो माना ही नही, कहने लगा कि, तुम्हारे अंकल मेरे भी अंकल है. इस वक्त वो मेरे मेहमान है और ये सब उसका फ़र्ज़ है.”

मेरी बात सुनकर, अंकल और मेहुल दोनो की हैरानी का ठिकाना नही रहा. अंकल ने मुझसे कहा.

अंकल बोले “लेकिन तुम्हारा ये दोस्त है कौन. तुमने उस से कभी हमे मिलाया क्यो नही.”

मैं बोला “अंकल वो डॉक्टर. अमन का दोस्त है. वो मेरे साथ रात को हॉस्पिटल मे ही रहता था. लेकिन वो हॉस्पिटल के अंदर नही आता था. अब 2 दिन बाद उसकी शादी है. उस दिन मैं ज़रूर आप दोनो को उस से मिला दूँगा.”

इसके बाद थोड़ी देर अंकल और मेहुल से यहाँ वहाँ की बात करने के बाद, मैं अपने कमरे मे आ गया. कमरे मे आकर मैने अपने दोनो मोबाइल चार्जिंग मे लगाए और फ्रेश होने की बात सोच कर, आँख बंद करके लेट गया. लेकिन आँख बंद करते ही, मुझे पता नही चला कि, कब मई गहरी नींद मे चला गया.

फिर मेरी नींद रात को 8:30 बजे किसी के दरवाजा खटखटाने से खुली. मैने दरवाजा खोला तो निक्की मेरे सामने खड़ी मुस्कुरा रही थी. मुझे देख कर, निक्की ने मुस्कुराते हुए कहा.

निक्की बोली “ज़रा अपना मोबाइल देख लीजिए. शायद किसी का कॉल आया हो.”

निक्की की ये बात मुझे कुछ अजीब सी लगी. लेकिन फिर भी मैं पलट कर मोबाइल के पास आया और मोबाइल उठा कर देखा तो, उसमे शिखा के 10-12 मिस्ड कॉल थे. मैने हैरानी से निक्की की तरफ देखते हुए कहा.

मैं बोला “दीदी के 10-12 मिस्ड कॉल है. शायद वो बहुत देर से मुझे कॉल लगा रही थी.”

निक्की बोली “जी हां, आपकी दीदी, खाने पर आपका इंतजार कर रही है. आपने कॉल नही उठाया तो, उन्हो ने मुझे कॉल लगा कर, आपको ये खबर देने को कहा है.”

निक्की की ये बात सुनकर, मैने परेशान होते हुए कहा.

मैं बोला “मैं अजीब परेशानी मे फस गया हूँ. दीदी चाहती है कि, मैं उनके घर पर खाना खाऊ और प्रिया चाहती है कि, मैं यहाँ रहूं. अब मेरी समझ मे नही आ रहा है कि, ऐसी हालत मे मैं क्या करूँ.”

निक्की बोली “आपकी इस परेशानी को मैने दूर कर दिया है. जब भाभी ने मुझसे ये बात कही, तभी मैने प्रिया को ये सब बता दिया. उसे आपके वहाँ जाने या खाना खाने से कोई परेशानी नही है. आपकी खुशी मे ही वो अपनी खुशी समझती है. वो बस इतना चाहती है कि, आप उसकी आँखों के सामने रहे.”

निक्की की बात सुनकर, मुझे कुछ सुकून महसूस हुआ और मैने उस से कहा.

मैं बोला “तो फिर आप दीदी को कॉल करके उन से बोल दीजिए कि, मैं थोड़ी देर मे वहाँ पहुचता हूँ. तब तक मैं फ्रेश होकर, तैयार हो जाता हूँ.”

मेरी बात सुनकर, निक्की वहाँ से चली गयी. मैं भी फ्रेश होकर तैयार होने लगा. तैयार होने के बाद, मैं दादा जी और बाकी लोगों को बता कर, शिखा के घर के लिए निकल गया.

जब मैं वहाँ पहुचा तो, शिखा बड़ी बेसब्री से मेरा इंतजार कर रही थी. मेरे पहुचते ही उसने खुशी खुशी खाना लगाना सुरू कर दिया. आंटी और बरखा के चेहरे पर भी मुझे देख चमक आ गयी थी. शायद शिखा की तरह आंटी को मेरे अंदर अपना बेटा और बरखा को अपना भाई नज़र आने लगा था.

मैने सबके साथ खाना खाया और फिर शिखा की शादी की बातें चलती रही. कल से उनके घर मे धूम मचने वाली थी. जिसे लेकर बरखा बहुत उत्साहित थी. थोड़ी देर ये ही सब बातें करने के बाद, जब मैने वापस जाने की बात की तो, शिखा ने एक पॅकेट मुझे देते हुए कहा.

शिखा बोली “भैया, ये आपकी ग़रीब बहन की तरफ से आपके लिए एक छोटा सा तोहफा है.”

शिखा की ये बात मेरे दिल को चुभ गयी और ना चाहते हुए भी मेरी आँखों मे नमी आ गयी. मेरी आँखों की नमी को देख कर शिखा भी घबरा गयी. उसने घबराते हुए कहा.

शिखा बोली “क्या हुआ भैया. क्या मैने कुछ ग़लत बोल दिया है.”

मैं बोला “दीदी, ग़लत तो आपने बोला ही है. क्या एक भाई के लिए उसकी बहन कभी ग़रीब हो सकती है क्या. बहन का दिया हुआ, छोटे से छोटा तोहफा भी भाई के लिए बहुत कीमती होता है.”

मेरी बात सुनते ही शिखा को अपनी ग़लती का अहसास हो गया. उसने अपनी ग़लती मानते हुए कहा.

शिखा बोली “सॉरी भैया, सच मे मुझसे ग़लती हुई है. लेकिन ये भी सच है कि, ये तोहफा ज़्यादा कीमती नही है. इसलिए मुझे ये देने मे अच्छा नही लग रहा था.”

मैं बोला “कैसी बात करती हो दीदी. इस से कीमती तोहफा तो कोई हो ही नही सकता. भला बहन के प्यार की भी कोई कीमत लगाई जा सकती है क्या. मेरे लिए तो ये तोहफा सबसे ज़्यादा कीमती है. क्योकि इसमे आपका प्यार है.”

इसके बाद मेरी सब से शादी को लेकर थोड़ी बहुत बातें और हुई. उसके बाद मैने रात ज़्यादा होने की बात कही और फिर 10:30 बजे मैं घर के लिए निकल आया. मैं 10:45 बजे घर पहुच गया. घर पहुचने के बाद, थोड़ी देर अंकल के पास बैठा और फिर 11 बजे अपने कमरे मे आ गया.

कमरे मे आकर मैने कपड़े बदले और लेटने के बाद कीर्ति को कॉल लगाने की सोच ही रहा था कि, तभी प्रिया का कॉल आ गया. मेरे कॉल उठाते ही प्रिया ने कहा.

प्रिया बोली “ये सब क्या है.?”

मैं बोला “क्यो क्या हुआ. तुम किस बात के बारे मे बोल रही हो.”

प्रिया बोली “इस से अच्छी तो मैं हॉस्पिटल मे थी. कम से कम रात को तुमको, देख तो पाती थी. यहाँ तो मुझे तुम्हारी शकल तक देखना नसीब नही हो रहा है.”

मैं बोला “अब इसमे मैं क्या कर सकता हूँ. मैं तो घर पर कितनी देर रहा. लेकिन तुम उपर से नीचे आई ही नही.”

प्रिया बोली “यदि मैं नीचे नही आ सकती तो क्या हुआ. तुम तो उपर आ सकते थे ना.”

मैं बोला “मैने सब से पूछा कि, प्रिया कैसी है. सब ने कहा कि, अच्छी है. अपने कमरे मे आराम कर रही है. किसी ने ये नही कहा कि, उपर जाकर देख लो. फिर भला मैं उपर कैसे आ जाता.”

प्रिया बोली “मुझे कुछ नही सुनना. तुम अभी मुझसे मिलने आओ. नही तो मैं तुमसे मिलने नीचे आती हूँ.”

मैं बोला “प्रिया, अब रात ज़्यादा हो गयी है. ऐसे मे मेरा उपर आना ठीक नही होगा. मैं वादा करता हूँ कि, सुबह ज़रूर तुमसे मिलने उपर आउगा.”

मगर प्रिया अब मेरी कोई भी बात सुनने को तैयार नही थी. वो ज़िद किए बैठी थी कि, या तो मैं उपर आउ या फिर वो खुद नीचे आ जाएगी. जब मेरी उसकी ज़िद के आगे एक ना चली तो, मैने उसकी बात मानते हुए, उस से कहा कि मैं उस से मिलने उपर आ रहा हूँ.
 
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कहने को तो मैने प्रिया से कह दिया था कि, मैं मिलने आ रहा हुं लेकिन अभी रात के समय, मुझे अपना ऐसा करना ठीक नही लग रहा था. फिर भी प्रिया की तबीयत का ख़याल करके, मैने अपने दिल को मजबूत किया और प्रिया से मिलने जाने के लिए अपने कमरे से बाहर निकल आया.

मैं अपने कमरे से निकल कर जब हॉल मे पहुचा तो, वहाँ दादा जी बैठे अख़बार पढ़ रहे थे. उनको इतनी रात को अख़बार पढ़ते देख, मुझे कुछ हैरानी सी हुई और मैने उसके पास आते हुए उन पर अपनी हैरानी जाहिर करते हुए कहा.

मैं बोला “दादू, ये क्या.? आप इतनी रात को अख़बार पढ़ रहे है.”

मेरी बात सुनकर दादा जी ने मुस्कुरा कर मुझे देखा और फिर अख़बार को एक किनारे रखते हुए, मुझसे कहा.

दादा जी बोले “बेटा, आज आकाश अभी तक घर नही आया है. बस इसीलिए जाग रहा था. अकेला बैठा बोर होने लगा तो, अख़बार पढ़ने लगा. लेकिन तुम बताओ, तुम अभी तक क्यो जाग रहे हो.”

मैं बोला “दादू, मैं तो सोने ही जा रहा था. लेकिन आज प्रिया के हॉस्पिटल से आने के बाद से, मैं उस से मिला नही था. प्रिया को देखने का बहुत मन कर रहा था. इसलिए सोचा कि रिया या निक्की के साथ प्रिया से मिल आउ. लेकिन आज तो यहाँ दोनो मे से कोई भी नही दिख रहा है.”

मेरी बात सुनकर, दादा जी ने कहा.

दादा जी बोले “बेटा आज निक्की बहुत थकि हुई थी. इसलिए वो खाना खाने के बाद ही सोने चली गयी. प्रिया तो हॉस्पिटल से आने के बाद नीचे आई ही नही है. उसके साथ साथ रिया भी उसी के कमरे मे है. तुम ऐसा करो कि, रिया को बुला लो. वो ही तुमको प्रिया के पास ले जाएगी.”

मैं बोला “ठीक है दादू. मैं रिया को ही नीचे बुला लेता हूँ.”

ये कहते हुए मैं वापस अपने कमरे मे जाने लगा. मुझे अपने कमरे मे वापस जाते देख कर दादा जी ने कहा.

दादा जी बोले “क्या हुआ, तुम वापस क्यो जा रहे हो.”

मैं बोला “दादू, मेरा मोबाइल कमरे मे ही रखा है. मैं रिया को कॉल लगा कर बुला लेता हूँ.”

दादा जी बोले “रूको, मैं तुमको प्रिया का कमरा बता देता हूँ. तुम खुद ही उनके पास चले जाओ.”

ये कह कर दादा जी ने, उपर सीडियों के बिल्कुल सामने बने कमरे की तरफ इशारा करते हुए कहा.

दादा जी बोले “वो कमरा देख रहे हो ना. उसके बाजू का कमरा राज का है. फिर राज के कमरे के बाद रिया का कमरा है. रिया के कमरे के बाद, निक्की का कमरा है और निक्की के कमरे के बाद प्रिया का कमरा है.”

दादा जी के प्रिया का कमरा बता देने के बाद, मैं उपर चला गया. दादा जी ने जैसे कमरे बताए थे. उसी हिसाब से उन कमरो के सामने से होते हुए, मैं प्रिया के कमरे के सामने जाकर खड़ा हो गया.

उसके कमरे से टीवी चलने की आवाज़ आ रही थी. अभी मैं प्रिया के कमरे का दरवाजा खटखटाने की बात सोच ही रहा था कि, तभी अंदर से प्रिया की आवाज़ आई.

प्रिया बोली “अंदर आ जाओ. दरवाजा खुला हुआ है.”

प्रिया की आवाज़ सुनते ही, मैने दरवाजा खोला और अंदर आ गया. प्रिया एक पिंक नाइटी मे, बेड पर बैठी टीवी देख रही थी. मुझे अपने सामने देखते ही, प्रिया के चेहरे पर एक चमक आ गयी.

उसके चेहरे की ये चमक, उस खुशी की थी. जो उसे मेरे वहाँ आने से हो रही थी. उसने बड़े ही प्यार से, मुझे पास रखी चेयर पर बैठने का इशारा किया. मैने चेयर को प्रिया के बाद के पास खिचा और फिर उस पर बैठ कर कभी प्रिया तो, कभी उसके कमरे की तरफ देखने लगा.

प्रिया का टीवी अभी भी चल रहा था. उसने मुझे इस तरह से हैरान होते देखा तो, मुस्कुरा कर, टीवी को बंद करते हुए मुझसे कहा.

प्रिया बोली “ऐसे हैरानी से क्या देख रहे हो. क्या मेरा कमरा सच मे इतना गंदा है.”

मैं बोला “नही, तुम्हारा कमरा तो बहुत अच्छा है. मैं तो बस ये सोच रहा था कि, जब तुम्हारे कमरे मे टीवी चल रहा था तो, फिर तुमको ये कैसे पता चला कि, बाहर मैं आ गया हूँ.”

मेरी बात सुनकर प्रिया के चेहरे पर, बहुत ही प्यारी सी मुस्कुराहट आ गयी और उसने मुस्कुरा कर मेरी बात का जबाब देते हुए कहा.

प्रिया बोली
“बहुत पहले से तेरे कदमो की आहट जान लेते है.
तुझे आए जिंदगी हम दूर से पहचान लेते है.”

प्रिया की इस शायरी को सुनते ही मुझे, उसकी हॉस्पिटल मे कही गयी शायरी की याद आ गयी.

प्रिया की शायरी
“ज़ख़्म मुस्कुराते है अब भी तेरी आहट पर,
दर्द भूल जाते है अब भी तेरी आहट पर,
उमर काट दी लेकिन बच्पना नही जाता,
चौक चौक जाते है अब भी तेरी आहट पर,
तेरी आहट आए तो नींद उड़ जाती है,
हम खुशी मानते है अब भी तेरी आहट पर.”

प्रिया की इस शायरी के याद आते ही, मैं उसकी शायरियों मे मेरे लिए छुपे प्यार को, अच्छी तरह से समझ सकता था. भला जो लड़की जिंदगी और मौत से लड़ते समय भी मेरी आहट पर जाग सकती है तो, उसके लिए अभी अच्छे भले होने पर मेरी आहट को पहचान पाना कोई बड़ी बात नही थी.

लेकिन प्रिया की इस शायरी का मतलब समझते हुए भी, मैने अंजान बनने का नाटक करते हुए प्रिया से कहा.

मैं बोला “देखो यार, मुझे इस शेर-ओ-शायरी के लफडे से दूर ही रखो. मैं अपने दिमाग़ पर कितना भी ज़ोर डालु मगर ये सब, मेरे भेजे मे कभी नही घुसती. तुम्हे मुझसे जो भी बोलना हो, सीधे ही बोल दिया करो.”

मैने ये बात इसलिए बोली थी, ताकि प्रिया इस बात को बदल कर, कोई और बात करने लगे. लेकिन प्रिया ने मेरी ये बात सुनते ही तपाक से मुझसे कहा.

प्रिया बोली “आइ लव यू.”

प्रिया के मूह से ये बात सुनते ही मुझे एक झटका सा लगा. मैं जिस बात से बचने के लिए उसकी शायरी से अंजान बनने का नाटक कर रहा था. उसने वो ही बात खुले शब्दों मे मेरे मूह पर कह दी थी.

प्रिया को मेरी हक़ीकत पता थी और वो भी उसको कबुल कर चुकी थी. मैं प्रिया के दिल का हाल भी अच्छे से जानता था. यदि आज कीर्ति मेरी जिंदगी मे नही होती तो, इस बात मे भी कोई शक़ नही था कि, प्रिया ही वो लड़की होती, जिसके लिए मैं अपनी जान भी दे सकता था.

लेकिन आज की हक़ीकत कुछ और थी. आज की हक़ीकत ये थी कि, मेरी जिंदगी सिर्फ़ और सिर्फ़ कीर्ति के नाम थी. उसकी जगह प्रिया तो क्या, दुनिया की कोई भी लड़की नही ले सकती थी. इसलिए मैने प्रिया की इस बात पर नाराज़गी जताते हुए कहा.

मैं बोला “प्रिया, ये कैसा मज़ाक है. सब कुछ जानते हुए भी तुम ऐसा करोगी. मुझे इस बात की ज़रा भी उम्मीद नही थी.”

मेरी इस बात से प्रिया को मेरी नाराज़गी का अहसास हो गया और शायद उसके दिल को कहीं चोट भी लगी हो. इसलिए उसके चेहरे की हँसी उसके चेहरे से गायब हो गयी. फिर भी उसने फीकी सी मुस्कुराहट के साथ, बात को बदलते हुए कहा.

प्रिया बोली “अरे इसमे नाराज़ होने वाली क्या बात है. क्या एक दोस्त दूसरे दोस्त को आइ लव यू भी नही बोल सकता. ओके, यदि तुमको अच्छा नही लगता तो, मैं ऐसा दोबारा नही करूगी. अब ये फालतू की बात छोड़ो और ये बताओ कि, अचानक ये तुम्हारी दीदी कहाँ से आ गयी.”

ये कहते हुए प्रिया ने बात का रुख़ शिखा की तरफ मोड़ दिया. मैं भी उसके दिल को कोई चोट पहुचाना नही चाहता था. इसलिए मैने भी शिखा की बात को ही आगे बढ़ाते हुए उस से कहा.

मैं बोला “क्यो, क्या निक्की ने तुम्हे इस बारे मे कुछ नही बताया.”

प्रिया बोली “नही, उसने बस इतना कहा था कि, तुम मेरे कहने पर यहाँ आ गये हो. लेकिन तुम्हारी दीदी चाहती है कि, तुम उनके साथ खाना खाओ. मैने भी कह दिया कि मुझे इसमे कोई परेशानी नही है.”

मैं बोला “कल रात को हॉस्पिटल मे, जिनके लिए तुमने बीमार होने का नाटक किया था. वो ही मेरी दीदी है.”

मेरी इस बात के जबाब मे प्रिया ने चौुक्ते हुए कहा.

प्रिया बोली “तुम शिखा दीदी की बात कर रहे हो.”

मैं बोला “हां, उनकी ही बात कर रहा हूँ. कल उनका अजय से झगड़ा हो गया था. जिस वजह से वो बहुत रो रही थी. जिस वजह से उनको चुप करने के लिए नींद से जगा कर ये बीमारी का नाटक करना पड़ा. सॉरी कल मेरी वजह से तुमको परेशान होना पड़ा.”

प्रिया बोली “कौन कहता है कि, मुझे इस बात से कोई परेशानी हुई. मुझे तो इस बात की खुशी हुई कि, इसी बहाने सही, पर मैं तुम्हारे कोई काम तो आ सकी. लेकिन अजय तो तुम्हारा दोस्त है. फिर उनका उस से झगड़ा किस बात को लेकर हो गया.”

मैं बोला “अजय डॉक्टर. अमन का भी दोस्त है. वो शिखा दीदी को प्यार करता था. लेकिन दीदी को पैसे वाले लोग पसंद नही थे. जिस वजह से अजय एक टॅक्सी ड्राइवर बन कर उनकी टॅक्सी चलता था. कल ये सब बातें वो मुझे बता रहा था. तभी दीदी कॉफी देने आई और उन्हो ने ये सब सुन लिया. जिस वजह से वो उस से नाराज़ हो गयी थी.”

प्रिया बोली “फिर क्या हुआ. क्या उनका गुस्सा शांत हुआ या नही.”

मैं बोला “गुस्सा भी शांत हो गया और उनकी शादी भी पक्की हो गयी. अब 2 दिन बाद अमन और निशा के साथ साथ अजय और शिखा की भी शादी रही है.”

मेरी बात सुनते ही प्रिया ने रोमांचित होते हुए कहा.

प्रिया बोली “वाउ, ये तो एक सूपर हिट लव स्टोरी है. मुझे उस दिन अजय को अपने घर मे देख कर लग ही रहा था कि, इसे मैने कही देखा है. मगर उस दिन तुम्हारी वजह से, मैं इस पर ज़्यादा ध्यान नही दे पाई थी. लेकिन मेरी एक बात समझ मे नही आ रही है कि, जब अजय तुम्हारा दोस्त है तो, ऐसे मे शिखा तुम्हारी भाभी लगी. फिर तुम उसे दीदी क्यो कह रहे हो.”

मैं बोला “क्योकि, मेरे दिल से उनके लिए पहली बार मे दीदी ही निकला था और फिर उन्हो ने भी मुझे अपना भाई मान लिया. उनकी शादी तो इसके बाद पक्की हुई. इसलिए अब मैं उनको दीदी ही बोलता हूँ.”

मेरी ये सब बातें सुनकर, प्रिया के चेहरे पर फिर से मुस्कुराहट आ गयी. वो अपने बेड से नीचे उतरी और आज की शॉपिंग का सारा समान लाकर बेड पर रखने लगी. फिर सारा समान रखने बाद, वापस आकर बेड पर बैठ गयी और एक एक समान खोल कर मुझे दिखाने लगी. आख़िरी मे बचा एक समान उसने मुझे खोल कर नही दिखाया तो, मैने उस से कहा.

मैं बोला “क्या ये पॅकेट खोल कर नही दिखाओगी.”

प्रिया बोली “नही, ये मेरी शादी मे पहनने वाली ड्रेस है. ये तो मैं उसी दिन पहन कर दिखाउन्गी.”

मैने उस से बहुत कहा वो ड्रेस दिखाने को मगर वो शादी के दिन देख लेने की ज़िद लगाई रही. आख़िर मे मुझे भी उसकी ज़िद के आगे झुकना पड़ गया. फिर मैने कमरे मे प्रिया के अकेले होने की वजह जानने के लिए उस से कहा.

मैं बोला “दादा जी तो कह रहे थे कि, रिया तुम्हारे साथ है. लेकिन तुम तो यहाँ अकेली हो.”

प्रिया बोली “रिया दीदी को नींद आ रही थी. मैने ही उनको सोने के लिए भेज दिया. उन्हो ने ही मुझे बताया था कि, तुम घर आ गये हो.”

मैं बोला “तो क्या तुम रात भर यहाँ अकेली ही रहोगी.”

मेरी बात सुनकर, प्रिया को फिर से शरारत सूझी और उसने मुस्कुराते हुए कहा.

प्रिया बोली “नही तो, मैं भला क्यो अकेली रहूगी. मेरे साथ रात भर अब तुम रहोगे ना.”

प्रिया की इस बात के जबाब मे, ना तो मुझसे, ना बोलते बन रहा था और ना ही हां बोलते बन रहा था. मैं मुस्कुरा कर रह जाने के सिवा कुछ ना कर सका. लेकिन प्रिया मेरी इस मुस्कुराहट का मतलब समझ गयी थी. उसने मेरी हालत पर ठहाके लगाते हुए कहा.

प्रिया बोली “डरो मत, मैं इतनी भी पागल नही हूँ. जो तुमको यहाँ रात भर रुकने को बोलू. मैं तो बस मज़ाक कर रही थी. दिन भर से तुमको देखा नही था. जिस वजह से तुमको देखने का बहुत मन कर रहा था. इसलिए मैने तुमको कॉल करके बुला लिया. अब तुमको देख लिया है तो, मैं भी आराम से सो जाउन्गी. अब मेरे पास किसी को भी रात रुकने की ज़रूरत नही है.”

प्रिया के इस भोलेपन को देख कर, ना चाहते हुए भी मुझे उस पर बहुत प्यार आ रहा था. इसलिए अब मैने भी उसे परेशान करते हुए कहा.

मैं बोला “तुम तो सच मे बहुत समझदार हो गयी हो. बहुत बड़ी बड़ी बातें करने लगी हो. ओके, अब तो तुमने मुझे देख लिया है. अब मैं चलता हूँ.”

ये कहते हुए मैं अपनी जगह पर खड़ा हो गया. मुझे यू खड़ा होते देख, प्रिया की मुस्कुराहट गायब हो गयी. उसने शायद मेरे इतनी जल्दी जाने की बात नही सोची थी. इसलिए मुझे जाते देख कर, उसका चेहरा मुरझा गया. उसका ऐसा चेहरा देख कर मेरी हँसी छूट गयी और मैने मुस्कुराते हुए उस से कहा.

मैं बोला “अब ज़रा अपना चेहरा देखो, कैसा हो गया है. मैं भी तो तुमसे मज़ाक ही कर रहा हूँ.”

ये कहते हुए मैं वापस अपनी जगह पर बैठ गया. मेरी इस हरकत से, प्रिया के चेहरे पर फिर से मुस्कुराहट वापस आ गयी. इसके बाद वो मुझसे शिखा और अज्जि के बारे मे बातें करती रही.

फिर 12 बजे मैं प्रिया को गुड नाइट कह कर नीचे आ गया. दादा जी अभी भी वही बैठे आकाश अंकल के आने का इंतजार कर रहे थे. उनसे कुछ देर बात करने के बाद, मैं वापस अपने कमरे मे आ गया.

कमरे मे आने के बाद मैने मोबाइल देखा तो, मेरे दोनो मोबाइल पर कीर्ति के ढेर सारे कॉल थे. मैं जैसे ही कीर्ति को कॉल लगाने को हुआ. वैसे ही फिर से उसका कॉल आने लगा. मैने उसका कॉल उठाया तो, मेरे कॉल उठाते ही, उसने गुस्से मे मेरे उपर बरसते हुए कहा.

कीर्ति बोली “मैं देख रही हूँ, तुम्हे आज कल, मेरी ज़रा भी फिकर नही है. मैं कब से कॉल लगा लगा कर, मरे जा रही हू. लेकिन तुम इतनी रात तक अपने आप मे ही बिज़ी हो. तुमसे ये तक नही होता कि, एक बार कॉल उठा कर कह दो कि, मैं थोड़ी देर बाद कॉल लगाऊ.”

उसकी बातों से मुझे समझ मे आ रहा था कि, वो मुझ पर बहुत ज़्यादा गुस्सा है. उसका ये गुस्सा करना भी जायज़ ही था. क्योकि पिच्छले 2 दिन से हमारे बीच कोई बात नही हुई थी. वो 2 दिन से मुझसे बात करने के लिए तड़प रही थी और आज जब उसे मुझसे बात करने का मौका मिला तो, मैं ही उसके पास नही था.

वो भी आख़िर कितना सबर करती. आख़िर मे उसके सबर का बाँध तो टूटना ही था. मुझे मेरी ग़लती का अहसास था और इसी वजह से मैने उसके सामने अपनी कोई सफाई ना डालते हुए कहा.

मैं बोला “सॉरी जान, मुझसे ग़लती हुई. मुझे ऐसा नही करना चाहिए था. तू मेरे लिए कितना कुछ करती रहती है और एक मैं हूँ जो तुझे दुख देने के सिवा कुछ नही करता.”

कीर्ति को शायद इस बात का अहसास नही था कि, मैं इतनी जल्दी उसके सामने हार मान जाउन्गा. उसे मेरा उसके सामने यूँ हार मान लेना अच्छा नही लगा और उसने मुझसे शिकायत करते हुए कहा.

कीर्ति बोली “जान, तुम पागल हो क्या है. ये क्या क्या बोले जा रहे हो. मैने तुम्हारे लिए कुछ नही किया. जो भी मैने किया सिर्फ़ अपनी खुशी के लिए किया है. मैं तो सिर्फ़ इसलिए गुस्सा कर रही थी कि, तुम मुझे मनाओगे. मगर तुम तो ऐसे सॉरी बोल रहे हो जैसे तुमने बहुत बड़ी ग़लती कर दी हो. ग़लती मेरी ही है, मैं तुमसे बात करने के लिए इतना बेचैन थी कि, मुझसे तुम्हारे बिना एक पल नही रहा जा रहा था.”

कीर्ति की बात सुनकर, मुझे थोड़ी राहत महसूस हुई कि, वो मुझसे गुस्सा नही है. मैने उसे उसके कॉल रखने के बाद की सारी बातें बताते हुए, उस से कहा.

मैं बोला “अब तू ही बता, ऐसी हालत मे, प्रिया के पास जाकर, मैने कुछ ग़लत किया है.”

कीर्ति बोली “नही जान, तुमने कुछ ग़लत नही किया है. लेकिन अब तुम प्रिया से साफ साफ कह दो कि, तुम्हारा 11 बजे के बाद का समय, मुझसे बात करने का रहता है और उस समय तुम किसी से बात करना पसंद नही करते.”

मुझे कीर्ति की ये बात अच्छी तो नही लगी. फिर भी उसका दिल रखने के लिए मैने उसकी बात मानते हुए, उस से कहा.

मैं बोला “ठीक है, मैं कल ही प्रिया से ये बात बोल देता हूँ.”

लेकिन थोड़ी देर बात ना जाने क्या सोच कर कीर्ति ने मुझसे कहा.

कीर्ति बोली “जान, रहने दो. तुम्हे उस से कुछ भी कहने की ज़रूरत नही है. कुछ भी हो, वो तुमसे प्यार करती है. ये बात सुनकर, बेचारी का दिल टूट जाएगा. फिर 2-4 दिन की ही तो बात है. तुम्हारे वहाँ से वापस आते ही, वो खुद ही इन सब बातों को समझने लगेगी.”

कीर्ति की ये बात सुनकर इस बात का अहसास हुआ कि, छोटी माँ ठीक कहती थी कि, जो हमे हासिल है, हमे उसकी कदर करना चाहिए. कीर्ति की इतनी बड़ी सोच के आगे, दिल ही दिल मे, मेरा सर उसके सामने झुक गया और मुझे खुद पर नाज़ सा महसूस होने लगा.

मैं कीर्ति की बात सुनकर, उसके इस बड़प्पन मे खो सा गया था और कीर्ति मुझे खामोश देख कर समझ रही थी कि, उसने शायद कुछ ग़लत कह दिया है. उसने मुझे टोकते हुए कहा.

कीर्ति बोली “क्या हुआ, क्या मैने कुछ ग़लत बात कह दी है.”

अब मेरा मूड ठीक था. इसलिए मैने कीर्ति को छेड़ते हुए कहा.

मैं बोला “तू कभी कोई ग़लत बात कह ही नही सकती. तू तो गालियाँ भी बहुत अच्छी अच्छी देती है.”

मेरी बात से कीर्ति को अपनी गाली देने वाली बात याद आ गयी. लेकिन उसने अपनी गाली देने की बात से मुकरते हुए कहा.

कीर्ति बोली “झूठ मत बोलो. मैं कभी कभी थोड़ा बहुत गुस्सा ज़रूर कर लेती हूँ. लेकिन कभी गाली नही देती.”

कीर्ति को गाली देने की बात से ऐसा सॉफ मुकरते देख, मैने उसे प्रिया वाली बात की याद दिलाते हुए कहा.

मैं बोला “तू गाली नही देती तो, फिर उस दिन प्रिया को इतना गंदा गंदा कौन बोल रहा था. तू चाहे भी तो इस बात से नही मुकर सकती. क्योकि तुझे गाली देते हुए घर मे भी किसी ने सुन लिया है.”

मेरी इस बात को सुनकर, कीर्ति कुछ परेशान सी हो गयी. उसने घबराते हुए मुझसे कहा.

कीर्ति बोली “किसने और कैसे सुन लिया. मैं तो तुम्हारे कमरे मे अकेली ही थी और मैने किसी के उपर आने की आहट भी नही सुनी थी.”

मैं बोला “उपर कोई नही आया था. लेकिन जो उपर थे, उन्ही मे से किसी ने तुझे गाली देते सुना है.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति को समझ मे आ गया कि, मैं अमि निमी मे से किसी की बात कर रहा हूँ. उसने बड़ी ही बेचैनी से कहा.

कीर्ति बोली “यहाँ मेरी जान निकली जा रही है और तुमको पहेलियाँ बुझाने की पड़ी है. सीधे सीधे बताओ कि, किसने उस दिन की बात सुनी और क्या सुना है.”

मुझे भी अब कीर्ति को ज़्यादा परेशान करना ठीक नही लगा और मैने उसे अमि की बात बताते हुए कहा.

मैं बोला “उस दिन अमि ने तुझे गाली देते सुना था और उसने ये बात मुझे किसी को भी बताने से मना किया था.”

ये कहते हुए मैने कीर्ति से, उस दिन मेरी अमि से हुई सारी बातें बता दी. जिसे सुन ने के बाद कीर्ति ने मुझसे कहा.

कीर्ति बोली “ये इतनी सी लड़की मेरी जासूसी करती है.”

कीर्ति की बात सुनकर, मुझे हँसी आ गयी. मैने उसे समझाते हुए कहा.

मैं बोला “उस दिन तू खुद इतनी गुस्से मे थी कि, तुझे किसी बात का होश ही नही था. उस बेचारी की तो उस दिन नींद खुल गयी थी और उसने जब अपने कमरे का दरवाजा खुला देखा तो, वो दरवाजा बंद करने उठी थी. फिर उसे मेरे कमरे की लाइट जलती दिखी तो, वो समझ गयी कि, तू वहाँ है और वो तुझे वहाँ देखने चली गयी.”

“लेकिन जब उसने तुझे किसी को फोन पर गाली देते सुना तो, वो खुद डर गयी और जाकर चुप चाप सो गयी. उसने तो मुझे भी ये बात इसी शर्त पर बताई थी कि, मैं किसी को कुछ नही बताउन्गा और तुझे कुछ नही बोलुगा.”

मेरी बात के जबाब मे कीर्ति ने मुझ पर गुस्सा करते हुए कहा.

कीर्ति बोली “उसने कहा और तुमने उसकी बात मान कर ये बात मुझे भी बताने की ज़रूरत नही समझी. क्या अब मैं भी किसी मे आ गयी हूँ.”

मैं बोला “तेरे सर पर तो सींग लगे है. पहले तूने प्रिया को गाली दी और उसके बाद मुझसे भी लड़ाई ले ली. अब तू ही बता कि, मैं ये बात तुझे कैसे और कब बता देता.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति को अपनी ग़लती का अहसास हो गया और उसने मुझसे माफी माँगते हुए कहा

कीर्ति बोली “सॉरी, मुझसे ग़लती हुई. लेकिन अब हमे इस अमि की बच्ची से बच कर रहना होगा. ये इसके पहले भी हमारी चोरी पकड़ चुकी है.”

कीर्ति की इस बात पर मैने मुस्कुराते हुए कहा.

मैं बोला “हमे नही, सिर्फ़ तुम्हे बचना होगा. क्योकि उसने मेरी तो कोई चोरी नही पकड़ी है.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने मुझे धमकाते हुए कहा.

कीर्ति बोली “ज़्यादा शरीफ बनने की कोसिस मत करो. दोनो बार मैं तुम्हारी वजह से ही, उसके चक्कर मे फसि हूँ. अब यदि उसने कभी मुझे, किसी बात मे पकड़ा तो, मैं अपने साथ साथ तुम्हे भी घसीट…….”

अभी कीर्ति अपनी बात पूरी भी नही कर पाई थी कि, अचानक ही वो बात करते करते बीच मे रुक गयी. मुझे उसके यू बात करते करते चुप हो जाने की वजह कुछ समझ मे नही आई और मैं उसको हेलो हेलो बोलने लगा. मगर अभी भी उसकी तरफ से कोई जबाब नही आ रहा था. उसके यू अचानक चुप हो जाने वाली बात ने मुझे परेशानी मे डाल दिया था और अब मुझे उसकी चिंता सताने लगी थी.



 
149
मुझे इतना तो समझ आ रहा था कि, शायद कोई कीर्ति के पास आ गया है. इसलिए वो बात करते करते चुप हो गयी है. लेकिन मैं ये नही समझ पा रहा था कि, उसके पास इतनी रात को कौन आ सकता है.

क्योकि अमि निमी मे से किसी के आने से उसके चुप होने का सवाल ही पैदा नही होता था. वो किसी भी तरह से अमि निमी बहला सकती थी. ऐसे मे मेरे दिमाग़ मे बस एक ही चेहरा आया. जिसकी वजह से कीर्ति इस तरह से चुप हो सकती थी और वो चेहरा, मेरे पापा का चेहरा था.

पापा का चेहरा मेरे दिमाग़ मे आते ही, मेरा चेहरा गुस्से मे लाल हो गया और मेरा हाथ खुद बा खुद अपने दूसरे मोबाइल की तरफ बढ़ गया. मैने छोटी माँ को कॉल लगाने के लिए अपना मोबाइल उठा लिया.

लेकिन इसके पहले कि मैं छोटी माँ को कॉल लगा पाता. मुझे कीर्ति के मोबाइल मे एक जानी पहचानी आवाज़ सुनाई दी. ये आवाज़ आंटी की थी. उन्हो ने शायद कीर्ति के बिल्कुल पास आकर, गुस्से मे उस से कहा.

आंटी बोली “ये इतनी रात को तू फोन पर किसके साथ बात कर रही है.”

अब तक कीर्ति अपने आपको संभाल चुकी थी. उसने मुस्कुरा कर आंटी की बात का जबाब देते हुए कहा.

कीर्ति बोली “अरे आप इतना गुस्सा क्यो कर रही है. मैं तो पुन्नू से बात कर रही हूँ.”

मेरा नाम सुनते ही आंटी का गुस्सा शांत हो गया और उन्हो ने नरम होते हुए कीर्ति से कहा.

आंटी बोली “लेकिन तुम लोग इतनी रात तक फोन पर क्यो लगे हुए हो. क्या कल तुझे स्कूल नही जाना है.”

कीर्ति ने आंटी की इस बात के जबाब मे बड़ी ही मासूम बनते हुए कहा.

कीर्ति बोली “आंटी, मुझे तो नींद आ रही थी. लेकिन पुन्नू ने कहा कि, उसे बहुत ज़रूरी बात करना है. इस से पहले कि वो अपनी ज़रूरी बात बोल पाता कि, आप आ गयी. अब आप ही उस से पुच्छ लीजिए कि, उसे मुझसे क्या ज़रूरी बात करनी है.”

कीर्ति की बात सुनकर, आंटी मुझसे बात करने से मना करती रही. लेकिन उसने जबबर्दस्ती मोबाइल आंटी को पकड़ा दिया और मोबाइल हाथ मे आते ही आंटी ने मुझसे कहा.

आंटी बोली “क्या हुआ. वहाँ सब ठीक तो है ना.”

मैं बोला “जी, आंटी यहाँ सब ठीक है.”

आंटी बोली “फिर तुझे इतनी रात को क्या ज़रूरी बात करनी थी.”

आंटी की ये बात सुनकर, मुझे कीर्ति पर गुस्सा आ रहा था. उसने बेकार मे ही मुझे फसा दिया था. फिर भी मैने आंटी की बात का जबाब सोचते हुए, उन्हे अजय और शिखा की शादी की बात बता कर कहा.

मैं बोला “बस आंटी ये ही बात बताने के लिए मैने कीर्ति को इतनी रात को कॉल लगाया था.”

आंटी बोली “लेकिन ये इतनी बड़ी बात भी तो नही है. ये बात तो तू सुबह भी बता सकता था.”

आंटी का कहना भी सही था. क्योकि मैने भी यही सोच कर, रात को छोटी माँ से ये बात कॉल लगा कर नही की थी. लेकिन तभी मेरा दिमाग़ समय पर चल गया और मैने आंटी से कहा.

मैं बोला “आंटी, आप तो कुछ समझ ही नही रही है. शिखा मेरी बहन है. उसकी शादी मे मुझे भी तो कोई गिफ्ट देना होगा ना. अब यहाँ रात को जागने की वजह से मेरा सोने और जागने का समय बदल गया है. इसी वजह से अभी मैने ये बात कीर्ति को बता रहा था. ताकि वो सुबह आप लोगों को ये बात बता दे और आप सुबह मेरे जागने से पहले देने के लिए कोई गिफ्ट सोच कर रखे.”

आंटी को ये बात बोलने के बाद, मैने एक ठंडी साँस ली. अब मुझे यकीन हो गया था कि, ये बात सुनने के बाद आंटी मुझसे कोई सवाल नही करेगी और हुआ भी ऐसा ही है. आंटी ने इसके बाद मुझसे कोई सवाल नही किया और मुझे समझाते हुए कहा.

आंटी बोली “तू इस बात की ज़रा भी फिकर मत कर. मैं सुबह सुनीता को सब बता दुगी और तेरे जागने से पहले कोई गिफ्ट भी सोच कर रख लुगी. अब तू आराम से सो जा.”

मैं बोला “जी आंटी.”

इसके बाद आंटी ने फोन कीर्ति को दे दिया और उसे भी जल्दी सो जाने का बोल कर अपने कमरे मे चली गयी. उनके जाते ही सबसे पहले कीर्ति ने कमरे का दरवाजा बंद किया और फिर कॉल पर आकर कहा.

कीर्ति बोली “अब बोलो कैसी रही.”

मैं बोला “बहुत बुरी रही. तूने आख़िर अपनी बात का बदला ले ही लिया ना.”

कीर्ति बोली “अरे नही नही. तुम ये क्या बोल रहे हो. मैं भला तुमसे क्यो बदला लेने लगी.”

मैं बोला “बदला नही तो ये और क्या था. जब आंटी मुझसे बात करना नही चाहती थी तो, फिर तूने उनसे मेरी ज़बरदस्ती बात क्यो करवाई.”

कीर्ति बोली “तुम ठीक से समझे नही कि, मैने ऐसा क्यो किया है. यदि आंटी ने तुमसे बात नही की होती तो, उनके मन मे कही ना कही ये बात दबी रह जाती कि, मैं फोन पर किसी से बात कर रही थी. लेकिन अब उन्हो ने तुमसे बात कर ली है तो, अब उनके मन मे ऐसी कोई बात नही रह जाएगी और ये बात यही ख़तम हो जाएगी.”

कीर्ति की बात सुनकर, मैं भी दंग रह गया. उसने सच मे बहुत दूर की बात सोची थी. इसके बाद मेरी कीर्ति से यहाँ वहाँ की बातें होती रही. वो कॉल रखने को तैयार नही हो रही थी. मगर उसे स्कूल के लिए सुबह जल्दी उठने की वजह से मैने उसको ज़्यादा देर तक जगाना ठीक नही समझा और रात को 1:30 बजे गुड नाइट कह हम सो गये.

मैं सुबह 8 बजे तक सोता रहा. आज मुझे हॉस्पिटल नही जाना था. इसलिए शायद निक्की ने भी मुझे जगाना ठीक नही समझा था. सोकर उठते ही मैने मोबाइल उठा कर, देखा तो, कीर्ति के 2 कॉल थे.

शायद उसने भी मेरी थकान को देखते हुए, मुझे उठाने की ज़्यादा कोसिस नही की थी. अब उसको कॉल लगाने का कोई मतलब नही था. क्योकि ये समय उसके स्कूल का था. इसलिए मैं उठ कर फ्रेश होने चला गया.

फ्रेश होने के बाद, मैने निक्की को कॉल लगा कर चाय के लिए बताया और फिर मैं तैयार होने लगा. थोड़ी देर बाद मुझे किसी के दरवाजा खटखटने की आवाज़ सुनाई दी. मैने दरवाजा खोला तो, सामने प्रिया चाय लेकर खड़ी थी. प्रिया को देखते ही मैने फ़ौरन उसके हाथ से चाय लेते हुए कहा.

मैं बोला “ये क्या है प्रिया. तुम्हे ये सब करने की क्या ज़रूरत थी. अभी तुमको आराम की ज़रूरत है और तुम ऐसे काम करती फिर रही हो.”

लेकिन मेरे ये बात बोलते ही, प्रिया मुस्कुराने लगी और फिर उसने बाहर झाँक कर देखा तो, निक्की मेरे सामने आकर खड़ी हो गयी और हँसते हुए कहने लगी.

निक्की बोली “चाय तो मैं लेकर आई हूँ. प्रिया तो सिर्फ़ लेकर खड़ी हो गयी थी. फिर भी आपको इसकी इतनी फिकर हो रही है.”

मगर मैं निक्की की इस बात का कोई जबाब दे पाता. इस से पहले ही प्रिया ने हांस कर, अपना जाना पहचाना डाइलॉग मारते हुए कहा.

प्रिया बोली “अब दोस्ती की है तो, निभानी ही पड़ेगी.”

लेकिन मैने इस मज़ाक के उपर से निक्की के उपर भड़कते हुए कहा.

मैं बोला “ये कैसा मज़ाक है. अभी प्रिया को आराम करने की ज़रूरत है और आप इसको यहाँ वहाँ घुमाती फिर रही है.”

मेरी इस बात के जबाब मे निक्की ने अपनी सफाई देते हुए कहा.

निक्की बोली “जैसा डॉक्टर बोलेगा, हम वैसा ही तो करेगे ना.”

मैं बोला “लेकिन निशा भाभी ने साफ साफ कहा था कि, अभी प्रिया को आराम की ज़रूरत है.”

निक्की बोली “हां, उन्हो ने ऐसा कहा था. लेकिन जब उन ने सुबह सुना कि, प्रिया कल से अपने कमरे से बाहर ही नही निकली तो, वो गुस्सा करने लगी. उनका कहना था कि, उन्हो ने प्रिया को आराम करने की सलाह दी है. इसका मतलब ये नही है कि, वो चल फिर नही सकती या अपने कमरे से बाहर ही नही निकल सकती. चलने फिरने और सुबह शाम टहलने से प्रिया की सेहत अच्छी रहेगी. प्रिया को सिर्फ़ ज़्यादा उच्छल कूद करने, बार बार सीडियाँ उतरने चढ़ने और कोई भारी काम करने की मनाही है.”

निक्की की बात सुनकर, मैने भी राहत की साँस ली और फिर दोनो से मज़ाक मे कहा.

मैं बोला “यदि बैठने की मनाही ना हो तो, आप दोनो अंदर आ कर बैठ सकती है.”

मेरी बात सुनकर, दोनो हँसने लगी और अंदर आकर बैठ गयी. फिर हम तीनो आपस मे बात करते हुए, चाय नाश्ता करने लगे. तभी प्रिया की नज़र, शिखा के दिए गिफ्ट पर पड़ी. उसने गिफ्ट के पॅकेट की तरफ इशारा करते हुए कहा.

प्रिया बोली “वो क्या है.”

प्रिया की बात सुनकर, मैने मुस्कुराते हुए कहा.

मैं बोला “शिखा दीदी, कल शॉपिंग पर गयी थी. वही से ये गिफ्ट मेरे लिए भी ले आई.”

मेरी बात सुनते ही निक्की ने चौुक्ते हुए कहा.

निक्की बोली “शिखा भाभी ने भी आपको गिफ्ट दिया है.”

मैने हैरानी से निक्की की तरफ देखते हुए कहा.

मैं बोला “शिखा भाभी ने भी, से आपका क्या मतलब. मुझे तो बस उन्हो ने ही गिफ्ट दिया है.”

मेरी बात के जबाब मे निक्की ने मुस्कुराते हुए कहा.

निक्की बोली “इस भी का भी मतलब आपको अभी समझ मे आ जाएगा. आप बस 2 मिनट रुकिये.”

ये कहते हुए निक्की मेरे कमरे से बाहर निकल गयी. मैं और प्रिया दोनो ही निक्की की इस बात से हैरान थे. थोड़ी देर बाद ही निक्की वापस आ गयी. उसके हाथ मे 3-4 पॅकेट थे. उसने वो पॅकेट मुझे देते हुए कहा.

निक्की बोली “आपके भी का मतलब ये रहा. आपको शिखा भाभी के अलावा, बाकी सब से भी गिफ्ट मिले है.”

निक्की की बात सुनकर, मैं हैरानी से सारे गिफ्ट देखता रह गया. वही प्रिया ने जब इतने सारे गिफ्ट के पॅकेट देखे तो कहा.

प्रिया बोली “मुझे तो इसके आधे गिफ्ट भी नही मिले है.”

प्रिया की बात सुनकर, निक्की ने भी उसका साथ देते हुए कहा.

निक्की बोली “तुझे क्या, मुझे भी इतने गिफ्ट नही मिले है.”

प्रिया बोली “लेकिन इन सब पॅकेट मे है क्या और ये किस किस ने दिए है.”

निक्की बोली “ये दिए किसने है, ये तो नाम देख कर पता चल जाएगा. लेकिन इसमे है क्या, ये मुझे भी नही मालूम. ये तो गिफ्ट खोलने पर ही पता चल सकेगा.”

प्रिया बोली “ठहरो, मैं अभी सारे गिफ्ट खोल कर देखती हूँ.”

ये कहते हुए उसने बिना मेरा कोई जबाब सुने, सारे गिफ्ट उठा कर अपने पास रख लिया और फिर गिफ्ट खोलना भी सुरू कर दिया. सबसे पहले उसने शिखा वाला ही गिफ्ट खोला. उसमे एक महरूण कलर की धोती और शेरवानी थी. जो बहुत सुंदर लग रही थी. कट दाना, मशीन एमब्राय्डरी, सीक्वेन्स, स्टोन, ज़र्डोसी का काम किया गया था. जो देखने मे बहुत सुंदर लग रहा था.

इसके बाद उसने अजय का दिया हुआ गिफ्ट खोला. उसमे भी शेरवानी ही निकली. लेकिन ये वाइट कलर की पिजामा शेरवानी थी. इसमे कट दाना, सीक्वेन्स, स्टोन, थ्रेड, ज़र्डोसी, जरी का काम बहुत ही सुंदर काम किया गया था और ये देखने से ही इसके कीमती होने का अंदाज़ लगाया जा सकता था.

फिर प्रिया ने अमन का दिया हुआ गिफ्ट खोला. उसमे एक सुंदर सा बेज आंड ब्राउन कलर का 2 पीसस सूट (शर्ट, ट्राउज़र आंड ब्लेज़र) था. अमन अक्सर ऐसे ही सूट पहना करता था. जाहिर है इसलिए उसने मेरे लिए भी ऐसा ही सूट पसंद किया था. वो सूट भी सबको बहुत पसंद आया.

अभी प्रिया निशा का दिया गिफ्ट खोलने ही वाली थी कि, तभी मेहुल, रिया राज भी वहाँ आ गये. वो तीनो भी मुझे मिले गिफ्ट देखने लगे. जब उन्हो ने खुले हुए सारे गिफ्ट देख लिए तो, सब प्रिया से वो आख़िरी गिफ्ट भी खोल कर दिखाने को कहने लगे.

सबकी बात सुनकर, प्रिया आख़िरी मे निशा का दिया हुआ गिफ्ट खोलने लगी. निशा का दिया गिफ्ट खुलते ही सबकी नज़र उसी मे अटक कर रह गयी. निशा ने एक सुंदर सा ब्लॅक आंड ग्रे कलर का 3 पीसस सूट (वेयिस्कट, शर्ट, ट्राउज़र आंड ब्लेज़र) दिया था.

जो यक़ीनन ही पहले के बाकी के तीनो गिफ्ट मे से, कही ज़्यादा सुंदर और आकर्षक लग रहा था. सबको निशा का दिया हुआ सूट बहुत पसंद आया और सब मुझे शादी मे वही सूट पहनने को कहने लगे.

अभी तक मैने सिर्फ़ सुना था कि, ज़्यादा प्यार भी एक मुसीबत ही होता है. लेकिन कल से मुझे ये महसूस भी होने लगा था कि, ज़्यादा प्यार सच मे ही एक मुसीबत होता है. कल खाने को लेकर अज्जि और शिखा मे जो बहस हुई थी. उसे देखने के बाद अब मुझे लग रहा था कि, ये सारे मिले हुए गिफ्ट भी मेरे लिए, एक मुसीबत से कम नही है.

अजय और शिखा का गिफ्ट देना तो मैं समझ सकता था. क्योकि एक मेरा दोस्त था तो, दूसरी मेरी बहन थी. मगर अमन और निशा से तो मेरा कोई सीधा संबंध नही था. फिर भी उन्हो ने मुझे इतना अपनापन और इतने प्यारे गिफ्ट दिए थे.

मुझे ऐसा लग रहा था कि, जैसे ये कोई मीठा सपना हो और उस सपने मे मैं प्यार की दुनिया मे पहुच गया हूँ. जहाँ हर तरफ सिर्फ़ प्यार ही प्यार था. सब ही अपने थे और कोई पराया नही था. मेरे लिए ये यकीन कर पाना मुस्किल हो गया था कि, ये सब सपना नही बल्कि एक हक़ीकत है.

मैं अपनी इस सोच मे गुम था और सब गिफ्ट देख कर, गिफ्ट के बारे मे बातें कर रहे थे. तभी प्रिया की आवाज़ ने मुझे चौका दिया और मैं अपनी सोच से बाहर निकल आया. प्रिया ने निशा का सूट हाथ मे लेकर मुझसे कहा.

प्रिया बोली “निशा भाभी का सूट तुम पर बहुत अच्छा लगेगा. तुम शादी मे ये ही सूट पहनना.”

लेकिन मैने प्रिया की इस बात के जबाब मे हाँ या ना कहने की जगह उस से कहा.

मैं बोला “और बाकी के तीन लोगों के दिए कपड़ों का क्या करूगा.”

प्रिया बोली “इसमे करना क्या है. वो सब फिर कभी पहन लेना. ये सूट बाकी सबसे ज़्यादा अच्छा है और शादी मे ये ही पहनना अच्छा रहेगा.”

मैं बोला “बात अच्छे खराब की नही है. इन सब गिफ्ट मे इनको देने वाले का प्यार छुपा हुआ है. तुम लोगों ने सबके गिफ्ट तो देख लिए, मगर इन गिफ्ट के पिछे छुपि एक बात पर गौर नही किया है.”

मेरी बात सुनकर, सब मेरी तरफ हैरानी से देखने लगे. वही प्रिया ने मुझसे सवाल करते हुए कहा.

प्रिया बोली “कौन सी बात.”

मैं बोला “जैसे अजय और शिखा दीदी के गिफ्ट एक जैसे ही है. वैसे ही अमन और निशा भाभी के गिफ्ट भी एक जैसे ही है. इसका मतलब साफ है कि, अजय जानता था कि, शिखा दीदी मुझे क्या दे रही है. इसलिए उसने मुझे उन से भी बढ़िया गिफ्ट देने की कोशिस की और ऐसा ही निशा भाभी को भी पता होगा कि, अमन मुझे क्या गिफ्ट दे रहा है. इसलिए उन्हो ने भी मुझे अमन से बढ़िया गिफ्ट दिया है.”

मेरी बात सुनकर, जहाँ सबका ध्यान इस बात की तरफ गया. वही निक्की ने तपाक से मेरी बात का समर्थन करते हुए कहा.

निक्की बोली “हां, जब मैं और हेतल अमन भैया के साथ शॉपिंग कर रहे थे. तभी सीरू दीदी ने उनसे कॉल करके पुछा था कि, वो आपको क्या गिफ्ट दे रहे है. तब अमन भैया ने कहा था कि, वो आपको एक सूट दे रहे है. सीरू दीदी ने पूछा कि, कैसा सूट तो अमन भैया ने कहा कि, जैसा मैं पहनता हूँ. अब अमन भैया तो 2 पीसस सूट ही पहनते है. इसलिए शायद निशा भाभी ने आपको ये 3 पीसस सूट दिया है.”

निक्की की इस बात को सुनकर, मैने उस पर चिड़चिड़ाते हुए कहा.

मैं बोला “जब सब आपके सामने मेरे लिए कपड़े ले रहे थे तो, क्या आपसे ये कहते नही बना कि, सबको देने के लिए कपड़े ही लेने की क्या ज़रूरत है.”

मेरी इस बात के जबाब मे निक्की ने सफाई देते हुए कहा.

निक्की बोली “हम सब वहाँ जाकर अलग अलग बँट गये थे. आरू, शिखा भाभी और सेलू दीदी साथ थी. अजय भैया, निशा भाभी और सीरू दीदी साथ थी. मैं और हेतल अमन भैया के साथ थे. इसलिए हमे सिर्फ़ अमन भैया के गिफ्ट के बारे मे ही मालूम था. मुझे लगता है कि, ये सब सीरू दीदी ने ही किया होगा. क्योकि ऐसा शैतानी दिमाग़ चलाना सिर्फ़ उन्ही का काम है. वो हर जगह कुछ ना कुछ झोल करती ही रहती है. उन्हो ने ही शिखा भाभी से भी मालूम कर लिया होगा कि, वो आपको क्या दे रही है और फिर अजय भैया से आपके लिए ये गिफ्ट खरिद्वा दिया होगा.”

निक्की की बात के जबाब मे मैने उस से कहा.

मैं बोला “आपकी सीरू दीदी ने तो, मुझे बहुत बुरा फसा दिया. मेरी समझ मे नही आ रहा कि, अब किसके कपड़े पहनु और किसके कपड़े ना पहनु. अजय और अमन तो फिर भी मेरी परेशानी को समझ ही जाएगे. लेकिन शिखा दीदी और निशा भाभी दोनो मे से कोई भी मेरी परेशानी को नही समझेगा. शिखा दीदी मूह से तो कुछ नही बोलेगी लेकिन आँखों से उनकी गंगा जमुना बहने लगेगी और निशा भाभी तो मुझे मूह से गोली मार देगी.”

मेरी बात सुनकर, सब हँसने लगे. वही मेहुल ने मुझे मेरी परेशानी से निकालने का रास्ता बताते हुए कहा.

मेहुल बोला “मेरे पास एक रास्ता है. जो तुझे इस परेशानी से बचा सकता है.”

मैं बोला “क्या रास्ता है.”

मेहुल बोला “तू अपना बोरिया बिस्तर बाँध ले और फ्राइडे के पहले ही यहाँ से निकल ले. जब तू यहाँ शादी मे रहेगा ही नही तो, फिर तेरे कुछ पहनने का सवाल ही नही पैदा होता.”

मेहुल की बात सुनकर, मैं बुरा सा मूह बना कर, उसे गुस्से मे देखने लगा. वही सब उसकी बात को सुनकर, फिर एक बार ठहाके लगाने लगे. अभी सबके ठहाके लगाने का दौर चल ही रहा था कि, तभी मेरे कमरे के सामने, एक लड़की आकर खड़ी हो गयी और सबका ध्यान, हमारी बातों से हट कर, उस लड़की की तरफ चला गया.
 
150
मैं और प्रिया बेड पर बैठे थे. मेरी पीठ दरवाजे की तरफ थी और प्रिया के सामने मैं बैठा था. इसलिए वो भी दरवाजे पर खड़ी लड़की को देख नही सकी थी. लेकिन जब बाकी सब को हमने दरवाजे की तरफ देख कर, मुस्कुराते देखा तो, मैने और प्रिया ने भी दरवाजे की तरफ देखा.

जहाँ दरवाजे पर खड़ी लड़की को देख कर, प्रिया के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गयी. वही उसे देख कर, मैं भी चौके बिना ना रह सका. दरवाजे पर खड़ी लड़की कोई और नही, प्रिया की चचेरी बहन नितिका थी. जिसके चेहरे पर इस समय खुशी और आँसू दोनो झिलमिला रहे थे. नितिका को इस तरह दरवाजे पर ही खड़े देख कर, रिया ने उस से कहा.

रिया बोली “अरे नीति तू कब आई और यू परायो की तरह बाहर क्यो खड़ी है. अंदर क्यो नही आ रही.”

लेकिन रिया की इस बात का नितिका ने ऐसा जबाब दिया. जिसे सुन कर, रिया तो क्या, वहाँ खड़े सभी लोग हक्के बक्के रह गये. नितिका ने रिया के सवाल के जबाब मे कहा.

नितिका बोली “हम ग़रीब लोग है दीदी. हम भला अंदर आकर क्या करेगे.”

नितिका के इस जबाब ने वहाँ सभी के दिल पर चोट कर दी थी. प्रिया ने जब नितिका के मूह से ये सुना तो, वो फ़ौरन नितिका के पास पहुच गयी और और जाकर उसके गले से लिपट कर कहा.

प्रिया बोली “ये कैसी बात कर रही हो दीदी. क्या किसी को अपने घर मे आने के लिए भी अमीरी ग़रीबी देखना पड़ती है. आप तो मेरी सबसे प्यारी बहन हो. मैं सच मे आपको बहुत याद करती रहती थी.”

नितिका भी बड़े प्यार से प्रिया से गले मिली और जब उसके कलेजे को ठंडक पहुच गयी तो, उसने प्रिया को खुद से अलग करते हुए, अपने अपने आँसू पोछे और उस से कहा.

नितिका बोली “चल रहने दे. अब ज़्यादा झूठा प्यार जताने की कोई ज़रूरत नही है. मैं देख चुकी हूँ कि, तुम लोग हमे कितना अपना मानते हो. तेरी इतनी ज़्यादा तबीयत खराब हो गयी. लेकिन किसी ने हमे खबर देने की ज़रूरत तक नही समझी.”

नितिका की ये बात सुनकर, प्रिया ने उसे सफाई देते हुए कहा.

प्रिया बोली “दीदी, मेरी कोई ज़्यादा तबीयत खराब नही थी. इसलिए किसी ने आप लोगों को परेशान करने की ज़रूरत नही समझी. लेकिन इसका मतलब ये तो नही कि, मुझे आपसे प्यार ही नही है. यदि चाची मुझे बुरा भला नही कहती होती तो, मैं अभी भी आपके साथ ही रह रही होती.”

प्रिया की इस बात के बदले मे, अभी निकिता कोई जबाब दे पाती कि, उसके पहले ही पद्मिहनी आंटी के साथ, एक 35-40 साल की महिला ने कमरे मे कदम रखा. उसे देखते ही मैं पहचान गया कि, वो नितिका की मम्मी मोहिनी आंटी है. उनसे मेरी कभी कोई बात चीत तो नही हुई थी.

लेकिन मेहुल के घर आते जाते, अक्सर मेरा उनसे आमना सामना हो जाता था. मेहुल से ही मुझे चला था कि, वो नितिका की मम्मी है और वो मूह की बहुत खराब है. उन्हो ने आते आते शायद प्रिया की बात सुन ली थी. इसलिए कमरे मे आते ही उन्हो ने प्रिया की बात का जबाब देते हुए कहा.

मोहिनी आंटी बोली “तू इतनी बड़ी घोड़ी होकर भी, कूल्हे मटकाती, नंगी पुँगी सी, घूमती रहती है. यदि मैने इस बात को लेकर, कभी तुझे कुछ भला बुरा बोल भी दिया तो, कौन सा पहाड़ टूट गया. मैं तेरी मम्मी की तरह ये सब देख कर भी, अपनी आँखे बंद करके नही रख सकती.”

“मैं तो नीति को भी कभी ऐसे कपड़े पहनने नही देती हूँ. यहाँ तक कि मैं इसकी उस सहेली के साथ भी इसका ज़्यादा उठना बैठना पसंद नही करती. जिससे अभी हमे तेरी तबीयत खराब होने की बात का पता चला है. वो भी तेरी तरह ऐसे ही उट-पटांग कपड़े पहना करती है.”

नितिका की मम्मी की प्रिया की तबीयत खराब होने की बात, नितिका की सहेली से पता लगने की बात से, पद्मि नी आंटी को छोड़ कर, बाकी सब लोग समझ चुके थे कि, वो कीर्ति के बार मे बात कर रही है. लेकिन उनकी आखरी की बात ने तो मेरा भेजा ही खिसका कर रख दिया था. मैने उन को, उनकी बात के बीच मे टोकते हुए कहा.

मैं बोला “आंटी, आप कहीं नितिका की सहेली कीर्ति के बारे मे तो ये बात नही कर रही है.”

मेरी बात सुनकर, मोहिनी आंटी मेरा चेहरा देखने लगी. वो शायद मुझे पहचान गयी थी कि, मैं मेहुल का दोस्त हूँ. लेकिन वो इस बात से अंजान थी कि, मैं कीर्ति का भाई भी हूँ. उन्होने बड़ी ही लापरवाही से जबाब देते हुए कहा.

मोहिनी आंटी बोली “हां, मैं उसी छमक छल्लो की बात कर रही हूँ. वो भी इसकी तरह कूल्हे मटकाती, नंगी पुँगी सी, घूमती रहती है.”

मोहिनी आंटी की ये बात को सुनते ही मेहुल, राज, रिया, निक्की, प्रिया और नितिका सबको एक झटका सा लगा. सबके सब मेरी तरफ देखने लगे. वही कीर्ति के बारे मे ऐसी बात सुनकर, मेरा चेहरा गुस्से से लाल हो गया.

राज और मेहुल मेरे कंधे पर हाथ रख कर, मुझे शांत रहने का इशारा करने लगे. वही निक्की ने बात को संभालने के लिए मोहिनी आंटी से कहा.

निक्की बोली “आंटी आप भी आते ही किस बात को लेकर बैठ गयी है. आज कल सभी लड़कियाँ ऐसे ही कपड़े पहनती है.”

लेकिन मोहिनी आंटी के बारे मे मैने जितना सुना था. वो तो उस से भी कही ज़्यादा मूह की खराब औरत निकली. उन्हो ने निक्की की बात सुनकर, उसे टका सा जबाब देते हुए कहा.

मोहिनी आंटी बोली “तू तो चुप ही कर लड़की. हम घर वालों के बीच मे तू कुछ मत बोल. तेरे बाप को तो तेरी फिकर रहती नही है. तुझे बोर्डिंग मे डाल कर, दूसरो के टुकड़ों पर पालने के लिए ऐसे छोड़ दिया. जैसे तेरी शादी करके गंगा नहा लिया हो. नीति की सहेली और तेरे मे कोई अंतर नही है. दोनो सग़ी बहने ही लगती हो. पता नही तेरा बाप उसके घर गया था या उसका बाप तेरे घर आया था.”

मोहिनी आंटी की इस बात से जहाँ निक्की का चेहरा शरम से झुक गया और उसकी आँखों मे आँसू आ गये. वही पद्मिजनी आंटी को भी सारी बात समझ मे आ चुकी थी.

उन्हो ने मेरी तरफ देखा और फिर मोहिनी आंटी को रोकने के लिए कुछ बोलने को हुई. लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. मेरे सबर का बाँध टूट गया था और मैने गुस्से मे मोहिनी आंटी पर चीखते हुए कहा.

मैं बोला “आंटी, अपनी ज़ुबान को लगाम दीजिए. आप जिसके बारे मे इतना सब कुछ बोले जा रही है. वो मेरी बहन है. आज यदि ये बात आपकी जगह किसी और ने कही होती तो, अभी तक मैं उसकी ज़ुबान काट कर फेक चुका होता. मेरी बहन आपकी बेटी से लाख गुना बेहतर है. वो क्या पहनती है और क्या नही पहनती, इसकी चिंता आपको करने की ज़रूरत नही है. ये देखने के लिए हम जिंदा है. आप……..”

अभी मैं अपने दिल की पूरी भडास भी नही निकाल पाया था की, तभी एक आवाज़ को सुनकर, मैं बोलते बोलते रुक गया. मेरे साथ साथ सब आवाज़ की तरफ देखने लगे. ये आवाज़ सीरू की थी. सीरू अपनी तीनो बहनो के साथ खड़ी थी. वो लोग भी शायद सब कुछ सुन चुकी थी और उनका चेहरा गुस्से से लाल था. मेरी बात को बीच मे ही काट कर, सीरू ने मोहिनी आंटी पर भड़कते हुए कहा.

सीरत बोली “मेडम, तुम दूसरों के पहनावे पर क्यो जाती हो. तुम ज़रा अपना पहनावा देखो. बिल्कुल किसी गाओं की गँवार लग रही हो. ये कोई तुम्हारा गाओं नही, मुंबई है, मुंबई. तुमको यहाँ घुसने भी किसने दिया. तुम दिन भर मे जितने कपड़े नही बदलती होगी. यहाँ लड़कियाँ दिन भर मे उतने लड़के बदल लेती है. दोबारा मेरी बहन की तरफ उंगली उठाई तो, ना तुम रहोगी और ना ही तुम्हारी उंगली रहेगी.”

सीरू की बात सुन कर भी मोहिनी आंटी की रवैये मे कोई फरक नही पड़ा. उन्होने उल्टे सीरू को ही आड़े हाथों लेते हुए कहा.

मोहिनी आंटी बोली “मेरे घर मे, मुझे ही उंगली दिखाने वाली तू कौन होती है. अपनी बहन से इतना ही प्यार है तो, उसे अपने साथ ले क्यो नही जाती. क्यो तेरी बहन यहाँ मुफ़्त की रोटी तोड़ रही है. खुद अपनी बहन को पालने की औकात नही है और मुफ़्त की शेखी बघारने यहाँ आ गयी.”

राज ने जब मोहिनी आंटी की बात सुनी तो, उसे लगा कि, अब बात कुछ ज़्यादा ही बिगड़ने वाली है. उसने फ़ौरन आकर मेरा हाथ पकड़ा और मुझे सीरू को रोकने के लिए इशारा करने लगा.

लेकिन मैं तो खुद ही ये चाहता था कि, सीरू मोहिनी को सबक सिखा दे. इसलिए मैने राज को चुप रहने का इशारा किया. उधर मोहिनी आंटी की बात ने आग मे घी डालने का काम कर दिया था. उनकी बात सुनकर, सीरू ने भी अपनी सारी हद पार करते हुए कहा.

सीरत बोली “तेरी जैसी दो कौड़ी की औरत, हमसे औकात की बात ना ही करे तो अच्छा है. जितना बड़ा तेरा गाओं नही होगा. उस से बड़ी निक्की के बाप की हवेली है और तेरे जैसी औरते तो, उस हवेली की नौकरानी बनने के लायक भी नही है. निक्की तो यहाँ सिर्फ़ प्रिया के प्यार की वजह से रहती है.”

“वरना यहाँ उसके भाई का, इस से भी चार गुना बड़ा बंगला है और उसके भाई की इतनी औकात है कि, वो खड़े खड़े ऐसे 10 बंगले तेरे जैसे भिखारियों के नाम पर कर दे. तुझे इसका नमूना देखना है तो, ये देख ले. इसे तू मेरी बहन का सदका समझ कर, भीख मे रख ले. लेकिन अब इसके बाद यदि तेरे मूह से एक भी गंदा शब्द मेरी बहन के खिलाफ निकला तो, मैं उसी बहन की कसम खाकर कहती हूँ कि, पुनीत ने तेरी ज़ुबान काटने की बात सिर्फ़ बोली ही थी. मगर मैं तेरी ज़ुबान काट कर भी दिखा दुगी.”

ये कहते हुए सीरू ने, सेलू के हाथ मे थामे, एक नेकलेस बॉक्स को खोल कर, मोहिनी आंटी की तरफ उछाल दिया. जिस से उस बॉक्स मे से, एक चम-चमाता हुआ गोलडेन नेकलेस सेट निकल कर, ज़मीन पर आ गिरा. सीरू की इस हरकत से जहा सन्न रह गये. वही मोहिनी आंटी की भी बोलती बंद हो गयी.

सीरू की इस हरकत से मेरे दिल को बहुत राहत पहुचि थी. प्रिया और पद्मिननी आंटी की वजह से, मैं इतना सब कुछ नही कह पाता, जितना सीरू ने कर दिया था. लेकिन सीरू को इतने सब से भी शांति नही मिली थी. उसने मोहिनी के बाद, निक्की पर बरसते हुए कहा.

सीरत बोली “अब तू यहाँ खड़ी खड़ी, क्यो अपनी बेइज़्ज़ती करवा रही है. जा और जाकर अपना समान निकाल. अब तू यहाँ एक पल भी नही रहेगी. तू अभी के अभी मेरे साथ चल रही है.”

सीरू की बात के जबाब मे निक्की से कुछ कहते और करते नही बन रहा था. वो चुप चाप पद्मिीनी आंटी का चेहरा देखने लगी. पद्मि नी आंटी भी सीरू का ये रूप देख कर दंग रह गयी थी. लेकिन जब उन्हो ने देखा कि सीरू अपने साथ निक्की को ले जाने की बात कर रही है तो, उन्हो ने उसे समझाते हुए कहा.

पद्मिेनी आंटी बोली “बेटी, अभी जो कुछ हुआ. वो मोहिनी की नादानी है. इसका मूह ही खराब है. लेकिन इसका मतलब ये तो नही की, इतनी सी बात पर निक्की घर छोड़ कर ही चली जाए. मैं तो निक्की को अपनी बेटी की तरह ही रखती हूँ और तुम सब भी मेरी बेटी की तरह ही हो. मोहिनी की तरफ से मैं तुम सब से माफी मांगती हूँ.”


पद्मिफनी आंटी की बातों को सुनकर, सीरू कुछ नरम पड़ गयी. लेकिन उसका गुस्सा ज़रा भी शांत नही हुआ था. उसने मोहिनी की तरफ देखते हुए कहा.

सीरत बोली “आंटी, आप मुझसे माफी माँग कर मुझे शर्मिंदा मत कीजिए. माफी तो मुझे माँगना चाहिए कि, मैने आपके घर मे खड़े होकर, आपके मेहमान की बेज़्जती की है. लेकिन यदि इस औरत मे ज़रा भी शरम है तो, इसे आज इस बात की समझ आ जाना चाहिए कि, पुनीत इसके घर मे खड़े होकर भी अपनी बहन की बेज़्जती सहन नही कर सका. मैने अपनी बहन की बेज़्जती के बदले इसकी इज़्ज़त उतार कर रख दी.”

“जबकि आज इसके खुद के ही घर मे, इसके ही लोगों के बीच, इसकी बेज़्जती होती रही. फिर भी इसकी तरफ से कोई नही बोला. यहाँ तक कि इसकी खुद की बेटी भी चुप चाप खड़ी तमाशा देखती रही. इसका मतलब साफ है कि, सबको इसकी ही ग़लती नज़र आ रही थी.”

“हम लोग तो यहाँ आप लोगों को शादी का कार्ड देने आए थे. बाहर हॉल मे हमे दादा जी मिले और उन्हो ने हमे सीधे यही भेज दिया. हम यहाँ आए तो इसने निक्की को जो कहा, वो सब हमने सुन लिया और फिर मैं अपनी बहन की ये बेज़्जती सहन नही कर सकी. लेकिन फिर भी मैं आप सब से, अपनी इस बदतमीज़ी के लिए एक बार फिर माफी मांगती हूँ और ये फ़ैसला निक्की पर ही छोड़ती हूँ कि, उसे यहाँ रुकना है या वो हमारे साथ जाएगी.”

सीरू की ये बात सुनकर आंटी ने राहत की साँस ली. लेकिन अब सबकी नज़र, निक्की के उपर ठहर गयी कि, अब वो क्या फ़ैसला लेती है. मगर निक्की अभी कोई फ़ैसला लेने की हालत मे नही दिख रही थी. प्रिया ने निक्की की तरफ देखा तो शायद उसे निक्की की हालत का अंदाज़ा हो गया था. इसलिए उसने निक्की के कुछ भी बोलने के पहले ही सीरू से कहा.

प्रिया बोली “दीदी, निक्की को कोई फ़ैसला लेने की ज़रूरत नही है. वो मुझसे कल ही बोल चुकी थी कि, वो अमन भैया की शादी मे वही रहेगी. वो तो आज जाने ही वाली थी. आप रुकिये, वो अभी अपना समान लेकर आती है.”

प्रिया की बात सुनते ही निक्की की आँखों से आँसू टपकने लगे और वो आकर प्रिया से लिपट गयी. एक पल को तो मुझे लगा कि प्रिया की आँखों मे भी आँसू है. लेकिन दूसरे पल ही प्रिया का मुस्कुराता हुआ चेहरा मेरे सामने था. उसने मुस्कुराते हुए निक्की से कहा.

प्रिया बोली “तू तो ऐसे रो रही है. जैसे तू अपनी भाभी को विदा करने नही, बल्कि खुद ही विदा करा कर जा रही है. चल जल्दी चल कर, अपना समान पॅक कर, वरना मैं तुझे नही जाने दुगी.”

ये कह प्रिया निक्की का हाथ पकड़ कर, उसे यहाँ से ले गयी. उनके जाने के बाद रिया ने ज़मीन पर पड़े, गोल्डन नेकलेस सेट को उठा कर नेकलेस बॉक्स मे रखा और सीरू को वापस लौटने के लिए पद्मि नी आंटी को दे दिया. लेकिन पद्मिसनी आंटी ने जब वो सेट सीरू को वापस देने की कोसिस की तो, उसने वो सेट लेने से मना करते हुए कहा.

सीरत बोली “सॉरी आंटी, अब ये सेट मैं नही ले सकती. ये सेट मैने दान कर दिया मतलब दान कर दिया.”

सीरू की बात सुनकर, पद्मि नी आंटी ने उसको समझाते हुए कहा.

पद्मिकनी आंटी बोली “बेटा गुस्से मे ऐसा नही करते. ये दुल्हन का सेट लग रहा है. तुम्हारे घर वाले बेकार मे तुम पर गुस्सा करेगे. अब अपना गुस्सा थूक दो और ये जिसके लिए लाई थी. उसे ला जाकर दे दो.”

लेकिन सीरू अभी भी अपनी ज़िद पर अडी रही और आंटी उसे समझाती रही. मगर जब आंटी सीरू की बात मानने को तैयार नही हुई तो, उसने अपना मोबाइल निकाला और कॉल करने लगी. कॉल उठते ही उसने स्पीकर ऑन करके मोबाइल आरू को थमा दिया. दूसरी तरफ से अजय की आवाज़ आई और मुझे समझते देर नही लगी कि, अब क्या होने वाला है. आरू ने अजय की आवाज़ सुनते ही कहा.

अर्चना बोली “भैया, वो आपने जो गोलडेन नेकलेस सेट दिया था ना. वो अब नही है.”

इतना कह कर आरू चुप हो गयी. लेकिन उसकी आधी अधूरी सी बात सुनकर, अज्जि कुछ घबरा सा गया. उसने घबराते हुए कहा.

अजय बोला “सेट नही है से तेरा क्या मतलब. कहीं किसी ने तुम लोगों को लूटने की कोसिस तो नही की. तुम लोग अभी कहाँ हो. तुम लोग ठीक तो हो ना. किसी को कुछ हुआ तो नही. अरे कुछ बोलती क्यो नही.”

अजजी की बात सुनकर, आरू ने मुस्कुराते हुए कहा.

अर्चना बोली “अरे आप कुछ बोलने भी तो दो. हम ठीक है, बस वो सेट हमारे पास नही है. वो मैने किसी को दान कर दिया है. अब सुन लिया सब कुछ. अब तो खुश हो ना.”

आरू की बात सुनकर, ऐसा लगा जैसे अज्जि को सुकून महसूस हुआ हो. उसने भी आरू की बात का जबाब उसी के अंदाज़ मे देते हुए कहा.

अजय बोला “हां, बहुत खुश हू. अब थोड़ी सी मेहरबानी और कर देना कि, ये बात किसी को मत बताना. वरना अमन मेरी जान खा जाएगा.”

अर्चना बोली “हम किसी को कुछ नही बताएगे. लेकिन अब भाभी को जाकर क्या दे.”

अजय बोला “निक्की को लेकर, उसी ज्यूयेलर्स के पास चली जाओ. जहाँ से हमने ये नेकलेस सेट लिया था. मैं उसे फोन कर देता हूँ. वो तुमको दूसरा सेट दे देगा.”

इसके बाद आरू ने अज्जि से एक दो बातें करके, कॉल रख दिया. जिसके बाद सीरू ने पद्मि नी आंटी से कहा.

सीरत बोली “लीजिए आंटी, हमने आपके इस डर को भी दूर कर दिया की, इस सेट की वजह से हमे कोई कुछ कहेगा और आपने ये भी सुन लिया होगा कि, हमारे भैया को सेट की ज़रा भी परवाह नही थी. उन्हे परवाह थी तो, सिर्फ़ इस बात की परवाह थी कि, कही हमे तो कुछ नही हो गया.”

“ये सब सुनकर आप ये मत सोचिएगा कि, हम आपके सामने पैसे का कोई घमंड दिखा रहे है. हम तो सिर्फ़ ये बताना चाह रहे थे कि, हमारे भाई को हमारी कितनी फिकर है और यदि उन्हे ये पता चल जाए कि, किसी ने उनकी बहन को चोट पहुचाई है तो, भगवान जाने वो उसका क्या हाल करेगे.”

इतना बोल कर सीरू ने मोहिनी आंटी की तरफ देखा. लेकिन अब मोहिनी आंटी मे इतनी ताक़त ही नही बची थी कि, वो सीरू से नज़र मिला सके. वो सीरू के देखते ही यहाँ वहाँ देखने लगी. उनकी ऐसी हालत देख कर, रिया ने मोहिनी आंटी से कहा.

रिया बोली “चाची, आप लोग सफ़र से आई हो. आप लोगों को चल कर थोड़ा आराम कर लेना चाहिए.”

ये कह कर, रिया मोहिनी आंटी और नितका को वहाँ से चलने को कहा तो, मोहिनी आंटी भी वहाँ से ऐसी भागी, जैसे की उनको मूह माँगी मुराद मिल गयी हो. उनके वहाँ से जाने के बाद, सेलू ने सीरू के कान मे कुछ बोला. जिसके बाद सीरू ने मुझसे कहा.

सीरत बोली “हां, इस सब झमेले मे, मैं एक बात तुमसे बताना ही भूल गयी. भैया ने तुम्हारे लिए कार भेजी है. जब तक तुम यहाँ रहोगे, तब तक वो कार तुम्हारे पास ही रहेगी.”

सीरू की ये बात सुनते ही, मैने उसे ऐसा करने से रोकते हुए कहा.

मैं बोला “दीदी, ये बहुत ज़्यादा हो रहा है. मुझे किसी कार की ज़रूरत नही है. वैसे भी अभी मेरे पास बाइक तो है ही, ऐसे मे कार भी देने की क्या ज़रूरत है.”

सीरत बोली “क्या ज़रूरत है और क्या ज़रूरत नही है. ये तुम मुझे मत सिख़ाओ. तुम जब तक यहाँ हो, ये कार अपने पास ही रखो.”

मैं बोला “दीदी आप मेरी बात को समझ नही रही हो. मेरे कहने का मतलब था कि, मुझे कार देने से अच्छा था की, वो कार आप शिखा दीदी को दे देती. वहाँ इसकी ज़्यादा ज़रूरत पड़ेगी.”

मेरी बात सुनकर, सीरू ने मुझ पर झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा.

सीरत बोली “आ गये ना अपनी असली औकात पर, अभी उनको तुम्हारी दीदी बने 2 दिन नही हुए और तुमको हमसे ज़्यादा उनकी चिंता होने लगी है. वैसे तुम इसकी चिंता मत करो. भैया ने एक गाड़ी वहाँ भी भेज दी है.”

मैं अजय के घर मे मैं रह चुका था. इसलिए ये बात अच्छी तरह से जानता था कि, अजय के पास कार की कमी नही है. लेकिन अब अजय के बारे मे सब कुछ जानने के बाद मेरे मन मे एक अजीब ही सवाल आ रहा था.

लेकिन सीरू से कुछ भी पूछने की हिम्मत अभी मेरे अंदर नही थी. इसलिए मैने चुप ही रहना ठीक समझा. थोड़ी ही देर मे निक्की अपना समान लेकर आ गयी. उसके आते ही सीरू ने आंटी से जाने की अनुमति माँगी और फिर सब उन लोगों को छोड़ने बाहर तक आए.

बाहर एक आरू की न्यू कार के अलावा, एक और कार भी खड़ी थी. वो लोग आकर न्यू वाली कार मे बैठी गयी. निक्की बहुत ज़्यादा उदास सी नज़र आ रही थी. उसे उदास देख कर प्रिया ने हँस कर, उसका मज़ाक उड़ाते हुए कहा.
प्रिया बोली “अरे सब ज़रा इस निक्की का चेहरा तो देखो. ऐसा लग रहा है कि, जैसे सीरू दीदी अपनी बहन को नही, अपनी दुल्हन को लेकर जा रही हो और ये निक्की अपने भैया की शादी मे शामिल होने नही बल्कि अपनी ससुराल जा रही हो.”

प्रिया की ये बात सुनकर, सबके चेहरे पर हँसी आ गयी और निक्की भी हँसने लगी. उसने प्यार से प्रिया को चपत मारी और उसे अपनी तबीयत का ख़याल रखने को कहा. इसके बाद सीरू ने सबको शादी मे आने की बात बोली और फिर वो लोग सबको बाइ बोल कर चली गयी.

उनके जाते समय सबके चेहरे पर प्रिया की शरारत की वजह से एक मुस्कान थी. लेकिन उनके जाते ही सबको हंसाने वाली प्रिया खुद, आंटी से लिपट कर फुट फुट कर रोने लगी. शायद उस से, निक्की के जाने का दुख सहन नही हो पाया था.

निक्की के जाने का दुख तो मुझे भी हो रहा था. मगर उसकी इतनी बेज़्जती होने के बाद, मेरा दिल भी नही चाहता था कि, वो यहाँ पर रहे. शायद ये ही बात प्रिया ने भी महसूस की थी. इसलिए उसने खुद ही निक्की को चले जाने को कहा था.

जिस लड़की ने खुद की ग़लती होने पर, मुझे अपने घर से, जाने से रोकने के लिए अपनी पूरी ताक़त लगा दी थी. आज उसी लड़की ने, अपनी चाची की ग़लती पर, खुद ही अपनी जान से प्यारी सहेली के, अपने घर से चले जाने की बात पर, हंसते हंसते मुहर लगा दी थी.

मैं मन ही मन प्रिया के इस इंसाफ़ की तारीफ किए बिना ना रह सका. मैं इस समय उसको होने वाले दर्द को, खुद भी महसूस कर पा रहा था और उसका ये दर्द महसूस करके, मैं भी अपनी आँखों मे आँसू आने से ना रोक सका था.

आज पहली बार मुझे महसूस हो रहा था कि, प्रिया कितनी आसानी से अपने हँसते हुए चेहरे के पीछे, अपने सारे गम छुपा कर रख लेती है. उसने जाते जाते भी, एक पल के लिए निक्की को ये महसूस नही होने दिया था कि, उसे निक्की के जाने का कोई गम है. जबकि निक्की के जाते ही वो अब फुट फुट कर रो रही थी. आज पहली बार प्रिया, मुझे किसी बात मे कीर्ति से भी उपर नज़र आ रही थी.
 
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निक्की के जाने का दुख वहाँ खड़े सभी लोगों को हो रहा था. खास कर जिस वजह से उसका जाना हुआ था, वो वजह और भी ज़्यादा दुख पहुचाने वाली थी. फिर भी मोहिनी आंटी के वहाँ रहने की, वजह से सबको निक्की का वहाँ से जाना ही ठीक लग रहा था.

पद्‍मिनी आंटी ने प्रिया को चुप कराया और फिर हम सब लोग घर के अंदर आ गये. सब हॉल मे आकर गुम सूम से बैठ गये. मुझे वहाँ बैठना अच्छा नही लग रहा था. इसलिए मैं उठ कर, अपने कमरे मे आ गया.

मैं अपने कमरे मे वापस आया तो, आते ही एक बार फिर मेरी नज़र उन गिफ्ट पर पड़ी, जिन्हे थोड़ी देर पहले हम सब मिल कर देख रहे थे. अभी थोड़ी देर पहले वहाँ कितना हँसी खुशी का माहौल था और अब एक उदासी भरा सन्नाटा फैल गया था.

वो सारे गिफ्ट मुझे निक्की ने ही लाकर दिए थे. ये बात याद आते ही, निक्की की कमी के अहसास से, मेरी आँखों मे नमी छा गयी. मैं ना चाहते हुए भी निक्की के बारे मे सोचने पर मजबूर हो गया था.

मैं जब पहली बार इस घर मे आया था तो, निक्की ही वो लड़की थी, जिसे मैं सबसे ज़्यादा नापसंद करता था. लेकिन निक्की ने खुद से आगे आकर, मेरी मदद की और फिर और अगले ही दिन वो मेरी सबसे अच्छी दोस्त बन गयी थी. यहाँ तक कि उसे मेरे और कीर्ति के रिश्ते का पता होने के बाद भी, उसने इस बात को सबसे राज़ बनाए हुए ही रखा था.

जबकि आज मेरी वजह से ही उसे इस बेज़्जती का सामना करना पड़ गया था. मेरी वजह से इसलिए क्योकि, वो तो बोर्डिंग वापस जा रही थी. लेकिन मेरी वजह से उसे अपना, बोर्डिंग वापस जाना रोकना पड़ा था और आज कीर्ति की एक ज़रा सी नादानी की वजह से, उसकी इतनी ज़्यादा बेज़्जती हो गयी थी.

मगर मैं इस सबके लिए कीर्ति को भी दोषी नही मान सकता था. क्योकि कीर्ति की हर सोच मुझसे ही सुरू होती थी और मुझ पर ही जाकर ख़तम हो जाती थी. उसने ये सब क्यो किया, ये तो मैं नही जानता था. मगर इतना ज़रूर जानता था कि, उसने ये किसी ना किसी वजह से मेरे लिए ही किया था.

मुझे अब बहुत ज़्यादा अकेलापन सता रहा था और मेरा मन कीर्ति से बात करने का कर रहा था. लेकिन अभी वो स्कूल मे थी और मैं उस से बात नही कर सकता था. इसलिए मैने अपना दिल हल्का करने के लिए छोटी माँ को कॉल लगा दिया.

लेकिन हमेशा की तरह अभी भी उनका कॉल उठाने का नाम नही ले रहा था. मुझे उनकी इस बात पर बहुत गुस्सा आता था कि, वो कभी भी अपना मोबाइल अपने पास नही रखती थी. अभी भी शायद उनका मोबाइल उनके कमरे मे था और वो किसी काम मे बिज़ी थी. फिर भी उनसे बात करने की बेचेनी की वजह से मैं उनको कॉल लगाता ही जा रहा था.

मैं अभी छोटी माँ को कॉल लगा ही रहा था कि, तभी मुझे प्रिया आती हुई दिखाई दी. वो अपने कपड़े बदल चुकी थी. अभी उसने पिंक स्कर्ट और वाइट टॉप पहना हुआ था. ऐसे लग रहा था, जैसे कि वो कहीं जाने की तैयारी मे है.

उसे देखते ही मैं अपने चेहरे पर हाथ फेर कर, अपनी आँखों मे छाइ नमी को पोच्छने लगा. लेकिन उसे मेरे चेहरे को देख कर, मेरी हालत का अहसास हो चुका था. उसने मेरे पास आकर बैठते हुए, बड़ी ही मासूमियत से कहा.

प्रिया बोली “निक्की की याद आ रही है ना.”

मैने प्रिया की इस बात पर मुस्कुराने की नाकाम कोसिस करते हुए कहा.

मैं बोला “हां, उसके बिना बहुत सूना सूना सा लग रहा है.”

मेरी बात सुनकर, प्रिया ने मेरी बात का मज़ाक उड़ा कर, मुस्कुराते हुए कहा.

प्रिया बोली “तो अरे इसमे इतना गम मानने की ज़रूरत क्या है. तुम्हारा ख़ालीपन भगाने के लिए मैं जो यहाँ हूँ.”

प्रिया की ये बात सुनकर, मैं गौर से प्रिया के चेहरे को देखने लगा. प्रिया के इस पल पल बदलते रूप को समझ पाना मेरे बस की बात नही थी. मैं उसके चेहरे को देख कर, ये जानने की कोसिस करने लगा क़ी, प्रिया की ये मुस्कुराहट असली है या फिर ये मुस्कुराहट सिर्फ़ मेरा दिल बहलाने के लिए है.

ये बात सोचते सोचते अचानक मुझे निक्की की, एक बात याद आ गयी. जो निक्की ने प्रिया की बीमारी के, मुझे पता चलने पर कही थी कि, “प्रिया सब कुछ अपने दिल के अंदर छुपा कर रखती है. वो अपना दर्द किसी को दिखाना पसंद नही करती. उसे शायद किसी का दिल दुखाना या किसी को उदास देखना अच्छा ही नही लगता.”

मुझे निक्की की ये बात याद आई तो, आज मुझे इस बात की गहराई का भी अहसास हो गया था. निक्की ने प्रिया के बारे मे जो कुछ भी कहा था, सच ही कहा था. मैने ही कभी प्रिया को समझने की कोसिस नही की थी. मैं प्रिया को हमेशा एक नासमझ और नादान लड़की ही समझता रहा था.

मगर आज जब मैने प्रिया को समझा तो, मुझे उसके दिल की गहराई के सामने, समुंदर की गहराई भी कम नज़र आने लगी थी. उसने कितनी आसानी से इस बात को कबूल कर लिया था कि, मेरा प्यार वो नही, कोई दूसरी लड़की है. इस बात को लेकर उसने फिर कभी मुझे कोई बहस या कोई सवाल नही किया था.

मैं प्रिया की बात सुनकर, उसके बारे मे सोचने लगा था. उधर प्रिया को मेरे चेहरे के पल पल बदलते भाव देख कर, लगने लगा था कि, मुझे उसकी बात का बुरा लग गया है. इसलिए उसने अपनी बात की सफाई देते हुए कहा.

प्रिया बोली “अरे तुम मेरी बात को ग़लत मत समझो. मैं तो बस मज़ाक कर रही हूँ.”

प्रिया की ये बात सुनते ही, मैं अपने ख़यालों से बाहर आ गया और मैने बात को बदलते हुए कहा.

मैं बोला “मुझे तुम्हारी किसी बात का बुरा नही लगा. मैं जानता हूँ कि, तुम मज़ाक कर रही हो.”

मेरी बात को सुनकर, प्रिया को राहत महसूस हुई. लेकिन अभी वो कुछ बोल पाती कि, उसके पहले ही मेरा मोबाइल बजने लगा. मैने मोबाइल देखा तो, छोटी माँ का कॉल आ रहा था. मैने प्रिया को बताया कि, मेरी मम्मी का कॉल आ रहा है. मेरी बात सुनकर वो चुप हो गयी.

मैने कॉल उठाया तो, मुझे कॉल उठाते ही, छोटी माँ के हाँफने की आवाज़ आई. ऐसा लग रहा था की, जैसे वो बड़ी दूर से भागती हुई आई है. मैने उन से इसकी वजह जानने के लिए कहा.

मैं बोला “क्या हुआ. आप इतना हाँफ क्यो रही है.”

छोटी माँ बोली “मैं उपर थी. मोबाइल बज रहा था, इसलिए उपर से भागती हुई आई हूँ.”

छोटी माँ की बात सुनकर, मुझे हँसी आ गई और मैने उनका मज़ाक उड़ाते हुए कहा.

मैं बोला “लेकिन इसमे भागने की क्या ज़रूरत थी. मोबाइल बज ही तो रहा था. कोई भाग थोड़ी रहा था. जो आप उसे पकड़ने के लिए भाग रह थी.”

लेकिन मेरी इस बात के बदले मे छोटी माँ ने मुझे डाँटते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “चल अब ज़्यादा मत इतरा. तेरी वजह से ही भागना पड़ा. वरना तू कहता कि, मुझे तेरी फिकर ही नही रहती.”

मैं छोटी माँ की इस बात का मतलब अच्छे से समझ गया था. वो मेरी पहले कही बात की वजह से ऐसा बोल रही थी. लेकिन फिर भी मैने इस बात से अनजान बनते हुए कहा.

मैं बोला “आप तो ऐसे बोल रही है. जैसे कि आपका मोबाइल चीख चीख कर बोल रहा हो कि, मेरा कॉल आ रहा है.”

छोटी माँ बोली “चल अब मुझे ही सिखाने की कोसिस मत कर. रिचा दीदी मुझे पहले ही तेरी सारी बात बता चुकी है और उन्हो ने ये भी कहा था कि, तू मुझे कॉल करेगा.”

मैं बोला “लेकिन आपने ये क्यो सोचा कि, ये आने वाला कॉल मेरा ही है. किसी और का कॉल भी तो हो सकता था.”

छोटी माँ बोली “क्योकि, तेरे जैसा बेसबरा कोई और नही है. तू एक बार कॉल लगाना सुरू करता है तो, फिर लगाता ही जाता है. जैसे कि सामने वाला मोबाइल के पास ही बैठा हो और जान कर तेरा कॉल ना उठा रहा हो.”

छोटी माँ की इस बात पर मैने भड़कते हुए कहा.

मैं बोला “एक तो आपका कॉल कभी भी एक बार मे उठता नही है. उस पर भी आप मुझे ही दोष दे रही हो. आपका तो मोबाइल रखना ही बेकार है. इस से अच्छा तो आप अपना मोबाइल अमि निमी को दे दो. कम से कम उनके खेलने के काम तो आएगा.”

छोटी माँ ने मेरी बात सुनी तो मुझ पर झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “बड़ा आया मेरा मोबाइल किसी को देने वाला. वहाँ जाकर तेरा बहुत मूह चलने लगा है. लगता है कि अब तेरी पिटाई करना पड़ेगी. तभी तेरी अकल ठिकाने आएगी.”

छोटी माँ की बात सुनकर, मुझे हँसी आ गयी और मैने उनको छेड़ते हुए कहा.

मैं बोला “आप और मेरी पिटाई करोगी, हाहहाहा. मेरी पिटाई करना आपके बस की बात नही है. पहले आप ये तो याद कर लो कि, इसके पहले कभी आपने मेरी पिटाई की भी है या नही.”

ये बात कहते कहते ना जाने क्यो, मेरी आँख से आँसू छलक आए. प्रिया जो अभी तक हम माँ बेटे की इस तकरार का मज़ा ले रही थी. मेरी आँखों मे आँसू देख कर उसकी मुस्कुराहट गायब हो गयी थी. मैं मोबाइल पकड़े पकड़े, दूसरे हाथ से अपने आँसू पोछ्ने लगा.

लेकिन शायद मेरी इस बात का छोटी माँ पर भी, वो ही असर पड़ा था. जो कि मुझ पर पड़ा था. मेरी इस बात के बाद, उनकी तरफ से भी, जल्दी से कोई जबाब नही आया. क्योकि उन्हो ने मेरी बड़ी से बड़ी ग़लती पर भी, कभी मुझ पर हाथ नही उठाया था. मेरी इस बात के बदले मे जब मुझे छोटी माँ का कोई जबाब नही मिला तो, मैने बात को हल्का बनाने के लिए, फिर से उनको छेड़ते हुए कहा.

मैं बोला “क्या हुआ. क्या आपको अभी तक याद नही आया कि, आपने कभी मेरी पिटाई की भी है या नही.”

छोटी माँ बोली “जा मुझे तुझसे कोई बात नही करनी. तू आज कल मेरा बहुत मज़ाक उड़ाने लगा है.”

छोटी माँ की ये बात सुनकर, मुझे लगा कि, वो सच मे मुझसे नाराज़ हो गयी है. इसलिए मैने उन्हे मनाते हुए कहा.

मैं बोला “सॉरी, छोटी माँ. मैं तो बस आपसे मज़ाक कर रहा था. लेकिन आप तो सच मे नाराज़ हो गयी.”

छोटी माँ बोली “मैं देख रही हूँ कि, जब से तू मुंबई गया है. तब से तू मुझे बहुत सताने लगा है. तू वापस आ, फिर मैं तेरी अच्छे से खबर लेती हूँ. तुझे भगा भगा कर ना मारा तो, मेरा नाम बदल देना.”

मैने देखा कि छोटी माँ का मूड अब ठीक है तो, मैने फिर शरारत करते हुए कहा.

मैं बोला “छोटी माँ, अब यदि मैने फिर कुछ बोला तो आप फिर नाराज़ हो जाओगी. इसलिए अब हम इस बात को यही ख़तम कर देते है.”

छोटी माँ मेरी इस शरारत को समझ नही पा रही थी. इसलिए उन ने मुझे दिलासा देते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “अरे नही, मैं तो मज़ाक कर रही थी. मैं तुझसे ज़रा भी नाराज़ नही हूँ. बोल ना, तू क्या बोलना चाहता है.”

मैने देखा छोटी माँ मेरी चाल मे आ गयी है. मैने उन्हे परेशान करते हुए फिर कहा.

मैं बोला “तो सुनो छोटी माँ. अब आप बूढ़ी हो गयी हो. आप सीडियाँ उतर कर यहाँ तक आने मे ही इतना हाँफ रही थी तो, फिर भला आप मुझसे भगा भगा कर कैसे मारोगी.”

ये कह कर मैं ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा. मुझे हंसता देख कर, छोटी माँ ने भी हंसते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “अच्छा बच्चू, तो अब मैं तुझे बूढ़ी लगने लगी हूँ. इतनी जल्दी भूल गया कि, तेरे यहाँ से जाती समय कीर्ति ने खुद कहा था कि, मैं उसकी मौसी नही, उसकी बड़ी बहन लगती हूँ और तू खुद भी ये ही बोला था.”

मैं बोला “वो तो हमने आपका दिल रखने के लिए झूठ कहा था. वरना लगती तो आप मेरी माँ ही हो और माँ तो बूढ़ी ही होती है.”

ये कह कर मैं फिर से हँसने लगा. लेकिन छोटी माँ ने मेरी इस बात का जबाब अब मुझे चुनोती देने वाले अंदाज़ मे देते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “अच्छा पुनीत जी, अब आप भी देखिएगा. अब यदि मैने सबके सामने आपकी बड़ी बहन बन कर ना दिखाया तो, मेरा नाम भी सोनू नही.”

छोटी माँ के मूह से ये बात सुनते ही, एक बार फिर मेरी आँख से खुशी के आँसू छलक उठे. सोनू छोटी माँ के प्यार का नाम था. जिसे मैं बचपन मे अक्सर अनुराधा मौसी और रिचा आंटी के मूह से सुना करता था.

लेकिन ना जाने क्यों ये नाम वक्त की धुन्ध मे कहीं खो सा गया था और छोटी माँ सबके लिए सोनू से सिर्फ़ सुनीता बन कर रह गयी थी. मगर आज जब मैने ये नाम एक बार फिर सुना तो, ऐसा लगा कि, जैसे मैं एक बार फिर अपने बचपन की गोद मे वापस पहुच गया हूँ.

छोटी माँ के मूह से उनका नाम सुनकर मेरी आँखों मे खुशी के आँसू और चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी थी. उधर छोटी माँ ने मुझे खामोश देखा तो, उन्हो ने मुस्कुरा कर, मुझे छेड़ते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “क्या हुआ पुनीत जी, अब आपको साँप क्यो सूंघ गया. आप कुछ बोलते क्यो नही.”

छोटी माँ की बात सुनकर, मैं समझ गया कि, अब वो मुझे परेशान करने के मूड मे आ गयी है. मैने उनसे शिकायत करते हुए कहा.

मैं बोला “ये क्या छोटी माँ. आप मुझे फिर से परेशान कर रही हो.”

छोटी माँ बोली “अच्छा बच्चू, मैने ज़रा सा परेशान किया तो, इतनी जल्दी सीधे रास्ते पर आ गया और इतनी देर से मुझे कौन परेशान कर रहा था.”

छोटी माँ की बात के जबाब मे मैने हँसते हुए कहा.

मैं बोला “वो तो मैं बस ऐसे ही मज़ाक कर रहा था.”

मेरी बात सुनकर, छोटी माँ ने मज़ाक करना बंद किया और मुझसे कहा.

छोटी माँ बोली “अच्छा चल छोड़ और ये बता आज तू इतना खुश क्यो है.”

मैं बोला “खुश कहाँ छोटी माँ. मैं तो बहुत परेशान था. लेकिन आपसे बात करते ही मेरी सारी परेशानी ना जाने कहाँ भाग जाती है.”

छोटी माँ बोली “क्यो, क्या हुआ. तू किस बात को लेकर परेशान था. वहाँ सब ठीक तो है ना.”

मैं बोला “हां, छोटी माँ, यहाँ सब ठीक है. बस एक बात की वजह से थोड़ा सा परेशान हो गया था.”

ये कहते हुए मैने छोटी माँ को मोहिनी आंटी और निक्की के घर से जाने वाली बात बता दी. जिसे सुनने के बाद, छोटी माँ ने मुझे समझाते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “मैने भी मोहिनी के बारे मे सुना है. उसके मूह पर ज़रा भी लगाम नही है. लेकिन ऐसे लोगों की बातों को एक कान से सुनकर, दूसरे कान से निकाल देना चाहिए. इनकी बातों को लेकर परेशान होना अच्छी बात नही है.”

मैं बोला “लेकिन छोटी माँ, मोहिनी आंटी को कुछ सबक तो मिलना चाहिए ना. जिसे से उनके इस मूह पर लगाम लगाई जा सके.”

छोटी माँ बोली “ज़रूर मिलना चाहिए. लेकिन मेरी एक बात हमेशा याद रखो कि, बुराई को बुराई से कभी नही मिटाया जा सकता. बुराई से बुराई सिर्फ़ बढ़ती ही है. बुराई को सिर्फ़ अच्छाई से ही मिटाया जा सकता है. इसलिए बुरे के साथ भी अच्छा ही करो, एक ना एक दिन उसकी बुराई, तुम्हारी अच्छाई के सामने हार जाएगी. अच्छाई को जीतने मे समय ज़रूर लगता है. लेकिन अंत मे जीत हमेशा अच्छाई की ही होती है.”

छोटी माँ की ये बात मेरे गले से नही उतर रही थी. लेकिन मेरा मन अभी इस बारे मे कोई बहस करने का नही था. इसलिए मैने उनकी इस बात की हां मे हां मिला दी. फिर मेरी छोटी माँ से सिखा की शादी मे गिफ्ट देने को लेकर बात हुई तो, उन्हो ने कहा कि, वो सोच कर बताएगी कि, हमे क्या गिफ्ट देना चाहिए.

इसके बाद उनसे थोड़ी देर यहाँ वहाँ की बातें करके, मैने कॉल रख दिया. अभी तक प्रिया बड़े गौर से मेरी और छोटी माँ की बातें सुन कर मुस्कुरा रही थी. मेरे कॉल रखते ही उसने मुझसे कहा.

प्रिया बोली “तुम अपनी मोम को बहुत ज़्यादा परेशान करते हो.”

मैं बोला “नही, मैं अपनी मोम को बहुत प्यार करता हूँ. वो दुनिया की सबसे अच्छी मोम है.”

मेरी इस बात को सुनकर, प्रिया ने मुझे बीच मे ही टोकते हुए कहा.

प्रिया बोली “हे सुनो, तुम्हारी मोम बहुत अच्छी है. लेकिन दुनिया की सबसे अच्छी मोम तो सिर्फ़ मेरी है.”

प्रिया की इस बात को सुनकर, मुझे हँसी आ गयी. मुझे उस से इस बात को लेकर बहस करना ठीक नही लगा और मैने उस से कहा.

मैं बोला “हर बच्चे को उसकी माँ ही दुनिया की सबसे अच्छी माँ लगेगी. इसलिए इस बात मे हम बहस ना ही करे तो, ही अच्छा रहेगा.”

मेरी बात के जबाब मे प्रिया ने भी मुस्कुराते हुए हां मिला दी. जिसके बाद मैने उस उस कहा.

मैं बोला “तुम कहीं जा रही हो क्या.”

प्रिया बोली “नही, मैं तुम्हारे साथ शिखा दीदी के घर चल रही हूँ. मैने मोम से भी पुच्छ लिया है.”

मैं बोला “लेकिन तुम वहाँ परेशान हो जाओगी. शादी वाला घर है और वहाँ अभी बहुत भीड़ भाड़ होगी.”

प्रिया बोली “वैसे तो मुझे इस सब से कोई परेशानी नही होगी. लेकिन यदि तुम मुझे ले जाना नही चाहते हो तो, मैं तुम्हारे साथ कोई ज़बरदस्ती नही करूगी.”

प्रिया की बात सुनकर, मैने मुस्कुराते हुए उसकी तरफ देखा. मैं उसका दिल तोड़ना नही चाहता था. इसलिए मैने शिखा को कॉल लगा कर, प्रिया के आने के बारे मे पुच्छ लिया. वो प्रिया की तबीयत के बारे मे जानती थी. इसलिए उन्हो ने कहा कि, मैं प्रिया को ले आउ. वो प्रिया को वहाँ कोई परेशानी नही होने देगी.

शिखा से बात होने के बाद मैने प्रिया को साथ चलने के लिए हां कर दिया. इसके बाद हम लोग बाहर हॉल मे आकर, थोड़ी देर सबके साथ बैठे. फिर पद्‍मिनी आंटी को बता कर, शिखा के घर आ गये.

हम लोग जब शिखा के घर पहुचे तो, निक्की लोग वहाँ पहले से ही थी. वो लोग ज्यूयेलर्स से नेकलेस सेट लेकर यहाँ देने आई थी. निक्की ने प्रिया को देखते ही, उसके पास आकर, उसे ऐसे गले से लगा लिया, जैसे दोनो बहुत दिन बाद मिल रही हो. दोनो को ऐसे मिलते देख कर, मुझे भी बहुत खुशी हो रही थी.

थोड़ी देर बाद, शिखा ने हम सबको खाना खाने के लिए कहा और फिर हम सब लोग खाना खाने बैठ गये. खाना खाते समय हम सब आपस मे बातें करने मे मगन थे और आरू मुझे बड़े गौर से देख रही थी.

पहले मेरा ध्यान इस बात पर नही था. मैं प्रिया और निक्की से बात करने मे लगा था. लेकिन जब मैने देखा कि प्रिया का ध्यान हमारी बातों मे नही है तो, मैने उसकी नज़रों का पीछा किया तो, पाया कि वो आरू को देख रही है. मगर आरू प्रिया की इस बात से अंजान मुझे देख रही थी.

मेरे आरू की तरफ देखते ही, मेरी और आरू की नज़र आपस मे टकरा गयी. मुझसे नज़र मिलते ही आरू ने मुझे देख कर मुस्कुरा दिया. जिसके बदले मैं भी उसे देख कर मुस्कुरा दिया. इसके बाद आरू ने मेरी तरफ से चेहरा घुमा कर सीरू की तरफ कर लिया और सीरू से बातें करने लगी.

मैं भी वापस पलट कर प्रिया और निक्की से बातें करने लगा. मगर अब प्रिया का चेहरा कुछ उतरा हुआ सा लग रहा था. शायद आरू का मुझे इस तरह से देखना, प्रिया को पसंद नही आया था.

लेकिन मैने इस बात को ज़्यादा गंभीरता से नही लिया था. क्योकि मैं प्रिया के मुझसे जुड़ाव को अच्छी तरह से जानता था. ऐसे मे आरू की जगह कोई और भी लड़की यदि मुझे देख रही होती तो, वो भी प्रिया को पसंद नही आता. इसलिए मैने इस बात को अनदेखा कर देना ही ठीक समझा.

मगर शायद प्रिया इस बात को अनदेखा नही कर सकी थी. वो खाना खाने के बाद, निक्की को बुला कर, बाहर ले गयी और उस से कुछ बातें करने लगी. जिसके थोड़ी ही देर बाद, निक्की ने आरू को भी बाहर बुला लिया. जब आरू बाहर पहुचि तो, निक्की ने उस से कुछ कहा और फिर उसके बाद तीनो उपर छत पर चली गयी.
 
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