Muslim Sex Kahani खाला जमीला - Page 5 - SexBaba
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Muslim Sex Kahani खाला जमीला

मैंने कहा- "अंधेरा है, किसी को नजर नहीं आता... फिर मैं झप्पी लगाए घूमा और खाला के पीछे आ गया।

अब पोजीशन में थी। खाला दीवार पे बाजू रखें थोड़ा झुकी हुई थी। उनकी मोटी गाण्ड बाहर को निकली हुई थी। मेरा लण्ड उनकी गाण्ड में घुस गया, जो अभी नीम जान था। खाला चुपचाप खड़ी रही। आगे मैंने खाला के पेट पे हाथ रख दिया।

खाला ने कहा "तुम्हारा दिल नहीं भरता क्या? हर वक्त मुझसे चिपके रहते हो। अब मुझे भी तुमने आदत डाल दी हुई है। जब तक मुझसे चिपको ना मुझे भी चैन नहीं आता."

मुझे सुनकर जोश आया। मैंने नीचे से लण्ड आगे को दबा दिया जो सीधा उनके चूतड़ों की लकीर में फंस गया था। मैंने खाला को कहा- "खाला कमीज में हाथ डाल लं, आपके पेट को हाथ लगाना है?"

खाला ने धीरे आवाज में कहा- "डाल लो, लेकिन कोई शरारत नहीं करनी.."

मैंने कमीज में हाथ डाला और उनके नंगे पेंट को सहलाने लगा। खाला का जिश्म कांप रहा था और मेरा भी। खाला ने अपनी गाण्ड पीछे कर ली हुई थी। अब खाला आधी घोड़ी की पोजीशन में आ गई हुई थी। मैंने मोका गनीमत जाना और थोड़ा पीछे होकर अपनी सलवार नीचे की थोड़ी सी, जिससे सिर्फ लण्ड ही नंगा हो। फिर खाला की कमीज पकड़कर पीछे से बगल में कर दी, और लण्ड का अब उनके चूतड़ों में दबा दिया। जो सीधा उनके गरम और भारी चूतड़ों के बीच फंस गया। खाला की सिसकी निकाल गई।

में जोश से उनके पेट का नरम गोस्त हाथ में पकड़कर मसल रहा था, जैसे मम्मे मसलते हैं। मैंने खाला को फुसफुसाकर कहा- "खाला आपकी बनियान में हाथ रख लूं। दिल कर रहा है?"

खाला चुप रही। मैं हिम्मत करके हाथ अंदर किए जो उनकी ब्रा से टकराए।

मैंने उनके मम्मे पकड़ लिए ब्रा के ऊपर से ही, और कहा- "खाला आओ तो यहां से बहुत गरम हो... मम्में दबाकर उनको बताया कि यहां से।

खाला ने कहा "बेटा बनियान में दबे जो होते हैं इसलिए। ऊपर से गर्मी भी है ना?

मैंने कहा- "तो आप ना पहना करो ये बनियान..."

खाला बोली- "बेटा जरुरी है पहनना, वरना यहां से जिश्म खराब हो जाता है.."

हम ये बातें फुसफुसाहट के अंदाज में कर रहे थे।

खाला ने कहा "बेटा इसका बनियान नहीं कहते, बल्की कुछ और नाम है इसका.."

मैंने पूछा- "क्या नाम है?"

खाला बोली- "बताना नहीं किसी को..."

मैंने कहा- "ठीक है खाला.."

खाला ने कहा, "इसको जिपर कहते हैं। शार्टकट में ब्रा बोलते हैं...."

मैं समझ गया। मैंने कहा- "खाला आप बहुत अच्छी हो, मुझे सब बता देती हो... इसके साथ ही नीचे से घस्सा लगाया। मेरा लण्ड इस बात लोहे की रोड की तरह सख्त होकर उनकी गाण्ड में धंसा हवा था। ऊपर से मैं मम्में दबा रहा था। मैंने खाला को कहा0 "बा ऊपर करें ना... मुझे आपके मम्मे पे हाथ लगाना है.."

खाला ने कहा "नहीं बेटा, अभी नहीं फिर कभी। अभी यहां जगह नहीं ठीक है.."
 
मैं चुप हो गया। जब मैंने लण्ड पकड़कर खाला की गाण्ड में ऊपर से नीचे किया तो खाला सीधी हो गई। और कहा- "चलो बेटा टाइम काफी हो गया, नीचे चलते हैं..." इस दौरान खाला ने अपनी कमीज सेट कर ली।

मैं ना चाहते हमें भी खाला के साथ नीचे आ गया। रात का खाना बस तैपार था। थोड़ी देर में खाना लग गया। सबने मिलकर खाया।

खाने के बाद बाजी अमीना ने कहा- "अम्मी सालन एक प्लेट में डाल दें, मैं अपनी दोस्त को दे आऊँ और टहल भी आएंगे मैं और अली..."

मामी ने सालन प्लेट में डाला। मैंने पकड़ लिया। हम दोनों बाहर निकाल आए घर से। गाँव के आखीर पे था बाजी की सहेली का घर। उसी तरफ वो झोपड़ी भी थी। बाजी की सहेली के घर सालन पकड़ाया। बाजी की दोस्त ने ही दरवाजा खोला था। उसका नाम ज़ारा था, जिम उसका हेल्दी था, कद दरमियाना, रंग गोरा चिट्टा था उसका। बाजी से दो साल छोटी ही थी। मुझे उसने गौर से देखा और मैंने भी उसको ऊपर से नीचे तक देखा। मुझे उसकी आँखों में अजीब सी चमक नजर आई।

दो मिनट उन्होंने बात की। बाजी में उससे इजाजत ली और हम निकल आए वहां से, और उस वीरान जगह पहुँच गये, जहां झोपड़ी थी। उस जगह पहुँचकर बाजी में मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा- "अली, तुम्हारा दिल कर रहा है मेरी लेने का?"

में हैरान हो गया की बाजी में मुझे खुद कहा है। मुझे लगा बाजी मुझे रिश्वत के तौर पे अपनी फुद्दी दे रही हैं। में चुप खड़ा रहा।

बाजी ने दुबारा पूछा और कहा- "जल्दी बताओ वर जा लेट हो जायेंगे.."

मैंने धीरे आवाज में ही की। बाजी में मेरा हाथ पकड़ा और झोपड़ी नुमा कमरे की तरफ चल दी। जब झोपड़ी में दाखिल हुये हम तो बाजी ने मुझे गले लगा लिया, और मुझे बाजी की तेज धड़कन अपने सीने में महसूस हुई। मैंने भी बाजी का झप्पी लगा ली, और उनको किस करने लगा।

मुझे पता था टाइम कम है हमारे पास। इसलिए मैंने एक बाजी की फुद्दी पे हाथ रख दिया सलवार के ऊपर से ही। जो इस वक्त गीली हुई पड़ी थी। मैं समझ गया बाजी रास्ते में ही गरम हो गई थी। शायद पहले से सोचा हुवा था उन्होंने मुझसे आज चुदवाने का। बाजी में अपना दुपट्टा उत्तरा और नीचे कच्ची जमीन पे बिछा दिया

और अपनी सलवार उतार के उस पे लेट गई और मुझे भी सलवार उतारकर नीचे आने कहा।

मैंने सलवार उतारी और खड़े लण्ड के साथ उनकी टांगों में बैठ गया।

बाजी ने अपनी टाँग बायें दायें फैला ली और मुझसे कहा- "डाला अली अंदर जल्दी से कोई आ ना जाए?"

मैं आगे हुबा और लण्ड पे थूक लगाया और उनकी फुद्दी पे लण्ड रखा। लेकिन अंधेरा होने की वजह से मुझे मुश्किल हो रही थी। जो शायद बाजी को भी समझ लग गईं। क्योंकी मैंने पहले कभी फुद्दी मारी नहीं थी। बाजी ने अपने एक हाथ से मेरा लण्ड पकड़ा और फुद्दी के सुराख पे रखा, और मुझसे कहा अब पुश करो। मैंने लण्ड को जोर दिया तो लण्ड फैंसता हवा सारा अंदर चला गया। बाजी की फुद्दी आलरेडी खुली हुई थी। लेकिन फिर भी इतनी टाइट थी की लण्ड फैस के गया था।

बाजी की सिसकियां निकलने लगी। मैं अब घुटनों पे बजन डालकर लण्ड को आगे-पीछे करने लगा। फुद्दी की गरमी इतनी ज्यादा थी की मुझे लग रहा था मेरा लण्ड अभी पिघल जाएगा फुद्दी के अंदर। मुझे बाजी ने अपने ऊपर गिरा लिया और किस करने लगी। मैं अपने दोनों हाथों से बाजी की बगल से उनके चूतड़ दबा रहा था, जो मुझे बहुत मजा दे रहे थे। बाजी की जिल्द चिकनी थी। मेरे हाथ उनके चूतड़ों पे फिसल रहे थे। नीचे से जोर जोर से मैं धक्के लगा रहा था।

थोड़ी देर बाद है बाजी ने चूत को अंदर से दबा लिया, साथ ही मेरे लण्ड पे भी दबाओं आया। इतनी टाइट पकड़ थी की मेरे लिए मुश्किल हो गया लण्ड आगे-पीछे करना। फिर मुझे लण्ड में गरम पानी का एहसास हुवा जिसने जादू का काम किया। मेरा लण्ड भी फूलने फूलने लगा। मुझे लगा मेरा भी निकलने वाला है। जिसको बाजी ने महसूम कर लिया। उसने हाथ में मेरा लण्ड पकड़कर बाहर निकाला और लण्ड को जबरदस्त अंदाज में मूठ मारने लगी। बाजी के मूठ मारने का अंदाज किसी फुददी के स्वाद से कम स्वाद नहीं था। मुझे भी अपने लण्ड से जान निकलती महसूस हुई।

बाजी ने कहा- "तुम्हारा पानी नहीं निकलता?"

मैंने कहा- "नहीं बाजी.." फिर हमने कपड़े पहने और घर की तरफ चल दिए।

***** *****
 
कड़ी_15

हम घर पहुँचे बाजी सीधा टायलेट गई, और मैं सहन में बैठ गया खाला के पास। छोटी मामी ने चाय सर्व की
सबको। सभी चाय पीते हो बातें करते रहे। संछेप में मैं जल्दी सो गया। बन्योंकी लण्ड का सकून था अभी।

सुबह में उठ भी जल्दी गया। में बाहर निकल गया टहलने। जब वापस आया तो खाला भी उठ चुकी थी।

खाला ने कहा "बड़ी बात है तुम उठ गये आज इतनी सुबह.."

में मुश्कुरा के रह गया। मैंने खाला को कहा- "नाश्ता ला दें.."

खाला ने कहा "जूबिया बना रही है बस थोड़ी देर सबर कर लो.."

मैं चुप हो गया। कुछ देर बाद मामी ने नाश्ता दिया।

नाश्ता करके मैं उठने लगा तो मामी ने कहा- "बेटा तैयार रहना आज हम लोगों को शहर घूमने जाना है.."

मैं बड़ा खुश हुवा की चलो एंजाय होगा वहां, और कुछ मस्ती भी हो जायेगी। बाजी अमीना और लुबना भी बड़ी खुश हई। प्लान में बना की छोटे माम ने हमको लेकर जाना था। साथ में छोटी मामी, बड़ी मामी, खाला, में, लुबना और बाजी ने जाना था। डिनर भी रात को बाहर करना था।

इसलिये सभी उत्तेजित नजर आ रहे थे। शाम तक तैयारियां चलती रही। छोटी मामी चूड़ीदार पाजामी में इस बत भरपूर सेक्सी लग रही थी। लंबी टौंगें उनकी लुक को बढ़ा रही थी।

बड़ी मामी ने ब्लैक सूट पहना हुवा था जो गहरी गर्दन का था, कमीज टाइट थी। पीछे से देखने से मम्मे और चूतर अलग ही नजर आ रहे थे। कमर छोटी लग रही थी। जिम एकदम पूरा शेष में नजर आ रहा था। मामी के चूतड़ों की धिरकन साफ नजर आ रही थी जब वो चलती।

खाला जमीला भी इस बात कयामत ढा रही थी लाल कमीज और सफेद सलवार में। खाला इस वक़्त सेक्स बाम्ब बनी नजर आ रही थी। 3:00 बजे मामू भी आ गये दुकान बंद कर के। बड़े माम घर आ गये ताकी वो नानी के पास रह सकें।

हम 4:00 बजे घर से निकले। एक घंटा पार्क तक जाने में लगा। जब पार्क में एंटर हुये तब धूप की शिद्दत बहुत थोड़ी रह गई थी। पार्क में इस वक़्त काफी लोग थे, लेकिन भीड़ नहीं था। सबसे पहले हमने पार्क का एक चक्कर लगाया। मैं खाला के साथ-साथ चल रहा था। मामी जूबिया, बाजी और लुबना सबसे आगे उसके बाद माम और मामी, फिर मैं और खाला थोड़े-थोड़े फासले में हम आगे-पीछे चल रहे थे।

मैंने खाला का हाथ पकड़ रखा था। मैं बड़ा एंजाप कर रहा था। इस बात खाला के साथ पार्क में घूमाता हवा। खाला भी बड़ी खुश नजर आ रही थी। हम सब एक झूले के पास पहुँचे, जो गोल चक्कर में घुमाता था और साथ-साथ ऊपर नीचे भी होता था। माम में । टिकटें ले लिए। बड़ी मामी नहीं बैंठी, क्योंकी उनको चक्कर आ जाते थे।

मैं और खाला साथ बैठ गये। खाला थोड़ा घबराई हुई थी, बोली- "बेटा मुझे तो डर लग रहा है..."

मैंने कहा- "खाला, मैं हूँ ना आपके साथ। आप नहीं घबराओ.."
 
मैंने खाला का हाथ पकड़ रखा था। मैं बड़ा एंजाप कर रहा था। इस बात खाला के साथ पार्क में घूमाता हवा। खाला भी बड़ी खुश नजर आ रही थी। हम सब एक झूले के पास पहुँचे, जो गोल चक्कर में घुमाता था और साथ-साथ ऊपर नीचे भी होता था। माम में । टिकटें ले लिए। बड़ी मामी नहीं बैंठी, क्योंकी उनको चक्कर आ जाते थे।

मैं और खाला साथ बैठ गये। खाला थोड़ा घबराई हुई थी, बोली- "बेटा मुझे तो डर लग रहा है..."

मैंने कहा- "खाला, मैं हूँ ना आपके साथ। आप नहीं घबराओ.."

हम सब बैठ गयें झूले में। 5 मिनट बाद झूला जब भर गया तो चल पड़ा। जिस डब्बे में हम बैठे थे, उसमें हम जुड़ के बैठे हये थे, क्योंकी जगह कम थी। खाला जें मेरा दाया बाजू जोर से पकड़ लिया और अपनी बगल में दबा लिया। मेरा बाजू खाला के मम्मे में पूरा चिपक गया। मुझे अपने बाजू पे मम्मे का नरम एहसास महसूस हो रहा था। झला चल पड़ा तो मैंने अपना एक हाथ खाला की जांघ पे रख दिया। खाला को तसल्ली देने के अंदाज में।

मैं खाला को तसल्ली दंनें के अंदाज में उनकी जांघ दबाने लगा। जांघ का गरम गोस्त अपने हाथों में लेकर मुझे बहुत मजा आ रहा था। मेरी टांगों में लण्ड धीरे-धीरे खड़ा होने लगा, जो एक मिनट में ही पूरा खड़ा हो गया। में अपने हाथ को खाला की जांघ पे फुद्दी के नजदीक लें गया और वहां हाथ को दबाने लगा। मुझे ये एहसास ही मार दे रहा था की मेरा हाथ इस वक़्त खाला की फुद्दी के करीब है। लण्ड झटके पे झटका मार रहा था, और बाजू को भी मैं मम्मै पे रगड़ने लगा।

इतनी देर में झला धीरे हवा, तो खाला ने सुख की सांस लिया और मेरा बाजू छोड़ दिया। नीचे उतर के हम कैंटीन की तरफ गये। वहां से गोल गप्पे लिए और खाने लगे। खाकर जब फारिग हमें तो एक झले में और बैठे सब- कस्ती वाले में। लेकिन मैं नहीं बैठा उसमें ।

वहां भूत बंगला भी था। माम ने कहा- "चला सब चलते हैं। देखते हैं क्या होता है?"

औरतें सब इर रही थी। लेकिन मामू ने सबके टिकेट लिए और जबरदस्ती साथ लेकर भूत बंगले में चले गये। वो एक छोटी जगह पे था। हम सब दीवार के साथ लग गये। जगह कम थी इसलिए खाला मेरे आगे खड़ी हुई। लुबना मेरी बगल में थी। बड़ी मामी भी आगे खड़ी थी बाजी छोटी मामी के साथ।

उन्होंने अंधेरा कर दिया और एक मधिम लाइट जला दी और उसको ओज आफ करने लगे। सामने दो झलें लगे हमें थे। जिसमें दो आदमी भूत बने झूलते आतें उन झलों में और हमारे बिल्कुल पास से होकर जाना होता उनको। ऐसे ही स्टंट थे जो टोटल 15 मिनट उन्होंने कर ना था। इर में भी रहा था लेकिन इतना ज्यादा नहीं।

आगे खाला खड़ी थी तो कुछ हौसला था ये भी।

अचानक एक आदमी आगे से आया और झलता हवा हम पे आया। खाला चीखती हुई पीछे हटी तो मुझसे चिपक गई। खाला का बस नहीं चल रहा था, की मेरे आर-पार गुजर जाती। खाला का जिक्ष्म कापने लगा। उनके माटे माटे चूतड़ मेरे लण्ड पे टिक गये थे। इस माहौल में भी मेरा लण्ड चूतड़ों की गर्मी पाकर खड़ा हो रहा था। लेकिन खाला को कोई होश नहीं था।

अगले दो आदमी झलते हये आए। तब तक मेरा लण्ड खड़ा होकर खाला के चूतड़ों में गायब हो चुका था। वहां स्पीकर लगा हुवा था, जहां से डरावनी आवाजें निकल रही थी। खाला इतने जोर से मुझसे चिपकी हुई थी की अगर बीच में कपड़े ना होते तो लण्ड इस वक़्त खाला की गाण्ड या फुद्दी में घुस गया होता।

दो आदमी झलते हमें आए और आगे तक आ गये। खाला चीखती हई हिली। मैंने अपने हाथ खाला के भारी और नरम चूतड़ों पे रख दिएरा मोका जानकर मैं उनको दबाने लगा। अफफ्फ क्या नरम चूतर थे खाला के क्या बताऊँ। ऐसा लग रहा था मैं गई को पकड़कर मसल रहा है जैसे इतनी नरम गाण्ड थी खाला की।
 
अगली बारी में 4 लोग एक्दम उछलकर आए और एक आदमी तो पैडल चलाता बिलकुल करीब आ गया। खाला पलटी और मुझे जोर से गले लगा लिया और जोर से चिपक गई मुझसे। मेग लण्ड अब उनकी फुददी पे छू रहा था। खाला डर की वजह से मुझसे जोर-जोर से चिपक रही थी और ऐसा लग रहा था जैसे वो मेरा लण्ड लेना चाहती हो अपनी फुदी में। मुझे इस वक्त अपने लण्ड पे खाला की फुद्दी का ज्यादा दबाओं महसूस हो रहा था। मुझे लग रहा था मेरा लण्ड अभी झड़ जायेंगा। क्योंकी मजा ही इतना ज्यादा आ रहा था।

खाला के मोटे-मोटे मम्मे मेरी छाती में फंसे हमें थे। मैं मजे में पागल हवा जा रहा था। एक-दो दृश्य और हमें
और हम भूत बंगले से बाहर आ गये। बाहर आकर देखा तो औरतों का बुरा हाल था। सब अपने आपको सेट करने लगी। मैं और माम खूब हँसे उनको देखकर।

टाइम काफी हो गया था। फिर हम वहां से निकले और होटेल आए। एक जबरदस्त डिनर करवाया माम् ने। टाइम देखा तो 10:00 से ऊपर हो गया था। करीद बा गाड़ी में हम आए थे, जो मामू ने बुक करवाई थी ड्राइवर भी साथ था।

वापसी पे माम् आगे बैठ गये दूसरी सीटों पे खाला, छोटी मामी और बाजी अमीना। आखिरी सीटों पे मैं लुबना
और बड़ी मामी। लुबना बैंठतें ह ऊँघने लगी उसको नींद आ रही थी।

मेरा लण्ड तबसे होशियारी दिखा रहा था जब से भूत बंगले से निकले थे। इस बात मामी की गरम जांघों का स्पर्श मुझे महसूस हो रहा था। हम इस वक़्त हम गाँव जाने वाली सड़क पे थे। सुनसान सड़क श्री गाड़ी में अंधेरा था।

मैंने हाथ उठाया और मामी की फुद्दी पे रख दिया। मामी ने मेरी तरफ देखा और फिर आगे देखा, जायजा लेकर मामी ने भी अपना हाथ मेरे लण्ड पे रखा और थोड़ी देर बाद सलवार में घुसा लिया हाथ और मेरा गर म लण्ड पकड़कर दबाने लगी। मामी ने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी सलवार में डाल दिया। मैंने उंगली मामी की फुद्दी में फेरी जो इस वक़्त गीली हो रही थी। मामी ने अपनी टाँगें पूरी खोल ली थी, और मुझे ये इशारा था आगे बढ़ने का।

मैंने अपनी बीच की उंगली मामी की फुद्दी में घुसा दी। मैं महसूस कर रहा था मामी अपनी सिसकियां कंट्रोल कर रही हैं। मामी मेरे लण्ड को बड़े प्रोफेशनल अंदाज में मसल रही थी, और कभी अपने अंगठे की मदद से मेरे लण्ड की टोपी पे मसाज करती, जिसमें मुझे लगता मेरा अभी पानी निकल जायेगा।
 
मैंने अपनी बीच की उंगली मामी की फुद्दी में घुसा दी। मैं महसूस कर रहा था मामी अपनी सिसकियां कंट्रोल कर रही हैं। मामी मेरे लण्ड को बड़े प्रोफेशनल अंदाज में मसल रही थी, और कभी अपने अंगठे की मदद से मेरे लण्ड की टोपी पे मसाज करती, जिसमें मुझे लगता मेरा अभी पानी निकल जायेगा।

गाँव में दाखिल होने तक मस्ती चलती रही। गाँव आया तो हमने अपने हाथ निकाल लिए। हम घर पहुँचे और फ्रेश होकर सब लेटने चले गयें, क्योंकी थकावट सबको ही हो रही थी।

मैं भी लेटते ही सो गया। सुबह मेरी आँख काफी लेट खुली। जब उठा तो तबीयत सुस्त हो रही थी। मैं उठकर नहाया। किचन में देखा तो लंच का टाइम हो रहा था, जो मामी और खाना बना रही थी। छोटी मामी सलाद वगेरा काट रही थी।

मुझे सख़्त भूख लग रही थी। मैंने मामी को कहा- "मुझे बहुत भूख लग रही है.."

मामी ने कहा- "पुत्तर थोड़ी देर और सबर कर फिर खा लेना..."

में बाहर आया और बरामदे में बैठकर टीवी देखने लगा।

***** *****
 
कड़ी_16

थोरी देर बाद मुझे मामी ने आकर नाश्ता दिया और हल्की आवाज में कहा- "बेटा आज हम डैरे पे जाएंगे दोनों। तुम्हारे माम भी आज शहर जा रहे हैं..."

मैंने कहा- "ठीक है मामी।

मैं बड़ा खुश हवा की आज मामी जूबिया की भी फुद्दी मिल जायेगी मुझे। नाश्ता करके इधर-उधर घूम फिर के टाइम गुजारा।

जब 12:00 बजे तो मामी ने कहा- "चला बेटा चलें..." तब तक माम भी शहर चले गये थे।

मामी ने घर में कहा- "हम खेतों का चक्कर मारकर आते हैं। क्योंकी आज वहां अली के माम नहीं है.."

फिर मैं और मामी घर से निकल पड़े। गाँव की हद से बाहर निकले तो खेत शुरु हो गये। हम पगडंडी में चले जा रहे थे। इर्द-गिर्द ऊँची-ऊँची फसल उगी हुई थी। मामी मेरे आगे-आगे चल रही थी। मामी के चूतड़ इस वक़्त कयामत टा रहे थे। बहुत हिल रहे थे। मेरी नजर उन पे ही टिकी हुई थी। चलते हुये ही मेरा लण्ड खड़ा हो चुका था, जो सामने से साफ नजर आ रहा था।

मामी ने पीछे घूमकर मुझे देखा तो मेरी नजर अपनी गाण्ड पे पाकर बहुत खुश हुई, और मेरे लण्ड की तरफ देखा जो एक तंबू बना नजर आ रहा था।

मामी रुक गई। मैं भी उनके पास जाकर रुक गया तो मामी में हाथ बढ़ाकर मेरा लण्ड पकड़ लिया सलवार के ऊपर से ही। क्योंकी वहां किसी के आने का खतरा नहीं था। इसलिए मामी ने बेझिझक मेरा लण्ड पकड़ लिया था और उसको मसल दिया।

मामी ने कहा- "इसको सकून नहीं आ रहा। मेरी गाण्ड देखकर ही ये खड़ा हो गया है..."

मैंने कहा- "मामी आपकी गाण्ड इतनी सेक्सी है क्या बताऊँ... लण्ड तो खड़ा होना ही था..' कहकर मैं और आगे हवा और मामी के साथ लग गया और अपने हाथ उनके चूतड़ों पे रख दिए। मामी के मोटे-मोटे भारी चूतड़ इस वक़्त मेरे हाथों में थे। मैं उनको दबा रहा था।

मामी ने कहा- "वला बेटा डेरे पे चलते हैं। यहां ठीक नहीं है खड़ा होना..."

हम दोनों डेरे में पहुँच गये। डेरे में एक कमरा बना हवा था। मैं और मामी उसमें दाखिल हो और मामी ने कुण्डी लगा दी। फटाफट हम दोनों ने कपड़े उतार दिए।

मामी ने कहा- "आ जाओ बेटा आज अपनी मामी की गर्मी खतम कर दो। तुम्हारे मामू में तो कुछ नहीं होता अभी... फिर हम दोनों ने झप्पी डाल ली। इस वक्त पूरा नंगे थे हम।
 
हम दोनों डेरे में पहुँच गये। डेरे में एक कमरा बना हवा था। मैं और मामी उसमें दाखिल हो और मामी ने कुण्डी लगा दी। फटाफट हम दोनों ने कपड़े उतार दिए।

मामी ने कहा- "आ जाओ बेटा आज अपनी मामी की गर्मी खतम कर दो। तुम्हारे मामू में तो कुछ नहीं होता अभी... फिर हम दोनों ने झप्पी डाल ली। इस वक्त पूरा नंगे थे हम।

कमरे में रोशनी थी। पहली बार आज मामी का पूरा नंगा जिपम देख रहा था जो बेहद सेक्सी था। बड़े-बड़े चूतड़
और मम्मे सिर उठाए खड़े थे। मामी के निपल ब्राउन थे, और फुद्दी में हल्के से बाल थे। मामी की फुद्दी इस वक़्त उनकी टांगों में छुपी हई थी।

झप्पी लगाते ही हम दोनों किस करने लगे। मैंने मामी के मम्मे पकड़ लिए और दबाने लगा और साथ ही हाई निपल भी पकड़ कर मसल देता। नीचे से मेरे लण्ड की नोक मामी की फुद्दी से टकरा रही थी, और मामी अपनी फुद्दी को और आगे कर देती जैसे चाहती हो पूरा लण्ड छ लं। मुझे बड़ा मजा आ रहा था इस वक़्त। मम्में छोड़कर मैंने अपने हाथ से मामी के भारी चूतड़ पकड़ लिए और जोर-जोर से दबाने लगा।

मामी की सिसकियां निकल रही थी। फिर मैं और मामी वहां पड़ी एक चारपाई पे लेट गये और दोबारा किस करने लगे। मामी ने अपनी एक टांग उठाई और मेरे ऊपर रख दी। नीचे फुद्दी मेरे लण्ड के ऊपर आ गई। मामी अपनी फुद्दी को मेरे लण्ड पे रगड़ने लगी, और दबाओं डाल रही थी की मेरा लण्ड अंदर चला जाए। लेकिन मेरी हाइट काम होने की वजह से ऐसा नहीं था हो रहा था।

मैं फिर थोड़ा सा नीचे हवा जिसमें अब मेरा सिर मामी के मम्मे पर आ गया। इस बार मामी ने फुद्दी दबाई तो मेरा आधा लण्ड उनकी फुद्दी में चला गया। मेरी टोपी जब फुद्दी के अंदर गई तो मुझे एकदम गरम एहसास हुवा, फुद्दी अंदर से तन्दूर बनी हुई थी।

मामी का बस नहीं चल रहा था लण्ड पूरा अंदर ले लें। जोश में अचानक मामी मेरे ऊपर आ गई और लण्ड में बैठ गई। लेकिन सारा वजन नहीं डाला मझ पे। जैसे ही परा लण्ड फददी में गया मामी जोर-जोर से सिसकिया लेने लगी, और अपने चूतड़ों को अब ऊपर नीचे कर रही थी। मामी के भारी चूतड़ ठप-ठप मेरे जांघों से टकरा रहे थे। मामी एक बार फारिग हो चुकी थी। फुद्दी के पानी से मेरे लण्ड के इर्द-गिर्द का एरिया गीला हो गया हवा था।

मैंने मामी के मम्मे पकड़ते हुये कहा- "मामी बहुत चिकनी फुद्दी है आपकी.. मुझे बड़ा मज़ा आ रहा है.."

मामी ने कहा- "तुम्हारा लण्ड भी मुझे इस वक़्त बहुत मजा दे रहा है बेटा..."

मैंने कहा- मामी आपकी फुद्दी बहुत गरम है अंदर से।

मामी ने कहा- "पत्तर कई महीनों से मेरी फुद्दी को लण्ड नहीं मिला, फिर इसने गरम तो होना ही था ना..."

मैं और मामी सेक्स के साथ सेक्सी बातें भी कर रहे थे। मैंने कहा- "मामी आपके चूतड़ बड़े भारी हैं। मेरा इन पे दिल आ गया है..."

मामी ने कहा- "बेटा तुम्हारे माम बड़े शौकीन हैं गाण्ड के। उन्होंने मेरी गाण्ड बहुत मारी है, जिस वजह से मेरे चूतड़ इतने बड़े-बड़े हो गये हैं..."

मैंने कहा- "मामी मैंने भी आपकी गाण्ड मारनी है.."

मामी ने कहा- "मार लेना बेटा लेकिन, आज मेरी फुद्दी मारो.."

मैंने कहा- "ठीक है मामी..."

फिर मैंने मामी को नीचे किया और टांगें उठाकर उनकी फुद्दी में लण्ड डाला और जोर-जोर से धक्के मारने लगा। सिर्फ दो मिनट मामी की फुद्दी मारी और मैं फारिग हो गया। एक बार और मामी की फुद्दी मारी। फिर घर की तरफ निकल पड़े हम। दूसरी बार फुद्दी मारते हुये मामी की फुद्दी दुखने लगी थी।
 
मैंने कहा- "मामी मैंने भी आपकी गाण्ड मारनी है.."

मामी ने कहा- "मार लेना बेटा लेकिन, आज मेरी फुद्दी मारो.."

मैंने कहा- "ठीक है मामी..."

फिर मैंने मामी को नीचे किया और टांगें उठाकर उनकी फुद्दी में लण्ड डाला और जोर-जोर से धक्के मारने लगा। सिर्फ दो मिनट मामी की फुद्दी मारी और मैं फारिग हो गया। एक बार और मामी की फुद्दी मारी। फिर घर की तरफ निकल पड़े हम। दूसरी बार फुद्दी मारते हुये मामी की फुद्दी दुखने लगी थी।

घर पहुँचे तो इस वक़्त 3:00 बज रहे थे। नहाकर मैं सोने के लिये लेट गया थकावट महसूस हो रही थी। शाम को उठा, फ्रेश हवा तो मामी ने मुझे मिल्कशेक बनाकर दिया।

खाला ने कहा "बड़ी खिदमत हो रही हैं भांजे की?"

मैं और मामी मुश्कुरा दिये। मैं फिर छत पे चला गया।

मेरे पीछे पीछे खाला भी आ गई। और आते ही मुझे गले लगा लिया और कहा- "आज तुम बड़े याद आ रहे थे, जब तुम डेरे में गये थे, और उम्माह उम्म्म... करके खाला ने मुझे चूमना शुरू कर दिया। चारपाई में बैठी-बैठी खाला मुझे चूम रही थी। खाला का इतना जोश देखकर मेरे लण्ड में जोश आने लगा। इस वक्त अंधेरा छाने लगा था। मैंने खाला को पकड़ा और चारपाई पे लिटाकर खुद भी उनके साथ लेट गया। दुबारा से मुझे खाला में गले लगा लिया और अपने मम्मे मेरे सीना में दबाने लगी, और मेरे लण्ड पे अपनी फुद्दी जोड़ दी। मैं भी खाला को किस करने लगा गाल पे।

खाला ने कहा, "आज मेरा बँटा होंठों पे किस नहीं करेंगा?"

में साथ ही खाला के होंठ चूसने लगा और खाला भी चूसने लगी। मैंने उनके मुँह में पहली बार आज जुबान डाल दी। मुझे पता था आज खाला जोश में हैं, वो नहीं रोकेगी मुझ। जब जुबान डाली तो खाला ने मेरी जुबान पकड़ ली अपनें नरम होंठों से। उफफ्फ... क्या बताऊँ कितना स्वाद आया जब खाला में मेरी जुबान पकड़ ली, और उसको चूसने लगी।

फिर मैंने भी खाना की जुबान चूसी, और मुँह हटाकर कहा- "खाला आपकी जुबान तो बहुत टेस्टी है। दिल करता चूसता ही रहैं." फिर मैंने एहतियातन खाला से कहा- "खाला जान अब मुझे अपनी जुबान भी चूसने दिया करना है आपने.."

खाला ने कहा, "ठीक है मेरी जान... जो मज़ी कर जा तुम तो मेरी नन्ही सी जान हो.." और मुझे चूम लिया।

मैंने कहा- "खाला मुझे आपके दूध देखने हैं और उनको पीना भी है..

खाला ने कहा "बेटा पहां कोई ऊपर आ ना जाए? किसी को पता चल गया तो बहुत बुरा होगा.."

मैंने कहा- "खाला अंदर रूम में चलते हैं वहां तो कोई खतरा नहीं होगा ना?" फिर में और खाला उठे अंदर चले गये। खिड़की के पास खड़े हो गये। ताकी वहां से बाहर की नजर रख सके।

खाला में कमीज ऊपर कर ली। तब मैंने बा को पकड़कर ऊपर किया तो खाला के सफेद मम्मे उछल के बाहर निकले। खाला के निपल पिंक कलर के थे, और अकड़े हये थे। मैंने धड़कते दिल के साथ खाला के गरम मम्में पकड़ लिए और उनको दबाने लगा। मैं उनके मम्मे दबा भी रहा था और मसल भी रहा था।

मैंने कहा- "खाला आपर्क दूध बहुत प्यारे हैं। आप प्लीज... मुझे रोज इनको पार्ने दिया करना..

खाला में ही में सिर हिलाया, और कहा- "बेटा जल्दी कर लो, कोई ऊपर ना आ जाए."

मैंने कोई जवाब नहीं दिया और एक मम्मा मुँह में लिया और चूसने लगा। खाला के निपल बहुत मुलायम थे। जैसे ही मैंने निपल मुँह में लिया खाला आहें भरने लगी और मुझे अपने साथ दबा लिया। मुझ में पता नहीं कहाँ से हिम्मत आ गई। मैंने खाला का एक हाथ पकड़ा और अपने लण्ड पे रख दिया। खाला को जैसे करेंट लगा और उन्होंने हाथ हटा लिया। दूसरी बार मैंने उनका हाथ लण्ड पे दबाकर रखा थोड़ी देर, और अपना हाथ छोड़ दिया।

खाला ने टीला सा हाथ मेरे लण्ड पे बस रखा हवा था।

मैंने खाला को कहा- "इसको अच्छी में पकड़ें ना प्लीज..."

खाला ने कांपते हाथों से मेरे लण्ड पे मुठी बना ली। अब मेरा लण्ड फूल रहा था खाला के हाथ में की अचानक एक झटका लगा मुझे और मेरा लण्ड खाला के हाथ का दबाओ बर्दाश्त ना कर सका और में खाला के हाथ में फारिग होने लगा। मेरा लण्ड झटके ले रहा था। खाला का पता चल गया था मेरे साथ क्या हुवा है।

खाला ने कहा "बदतमीज... ये क्या किया तुमने? अपने आप में कंट्रोल रखा करो.."

***** *****
 
कड़ी 17

मैंने कहा- "खाला आपके हाथ इतने नरम थे, मैं किया करता?"
खाला ने कहा "मैं फिर अगली बार वहां हाथ नहीं लगाऊँगी। अभी तुम छोटे हो बेटा..."

मैंने कहा- "ठीक है खाला..."

फिर हम रूम से बाहर आए और नीचे आ गये। डिनर करके फारिग हवा।

बाजी अमीना ने कहा- "यं कुछ किताबें हैं, मेरी सहेली के घर दे आओ."

मैंने कहा- "आज टहलने नहीं जाना आपने..."

बाजी अमीना ने कहा- "नहीं, आज मेरा मूड नहीं है..."

मैंने किताबै ली और घर से बाहर निकल आया। थोड़ी देर बाद बाजी की सहेली के घर पहुँचा। दरवाजा खाटकाया तो बाहर बाजी की दोस्त आई। उसनें आज भी दुपट्टा नहीं था लिया हुवा था। उसके मोटे-मोटें मम्मे मेरी नजरों के सामने थे।

में जाने के लिये मुड़ा तो उसने कहा- "रुको छाए पीकर जाना.."

मैंने बहुत ना ना की लेकिन उसने जबरदस्ती मुझे अंदर बुलाया और बैठक में बिठा दिया। काफी खुश हाल लोग लग रहे थे। बैठक में काफी कीमती सामान पड़ा हबा था। कुछ देर बाद एक औरत मेरे लिए चाय लेकर आ गई, साथ कुछ खाने को भी था।

औरत मेरे पास बैठ गई, और मेरे में पूछने लगी- "कैसे हो? घर में कौन-कौन है? कहां से आए हो? इत्यादि.." आँटी देखने में बड़ी सोबर खातून लग रही थी। नजर का चश्मा लगाए हमें थी और कीमती ईस पहना हवा था। जिश्म बड़ा सुडौल था, मम्मे और गाण्ड सामान्य। उनका जिम लचकदार था जैसे वो वर्जिश करती हों, ऐसा मुझे लगा, क्योंकी जिम की शेप बहुत अच्छी थी उनकी।

फिर बाजी की सहेली आ गई और आँटी उठकर चली गई। वो मुझे तेज नजरों से देख रही थी। मैं शर्मा रहा था। मैंने जाना ही मुनासिब समझा। मैं उठा और इजाजत ली उनसे और बाहर आ गया।

वो भी उठी और मेरे साथ ही दरवाजे तक आई। दरवाजे पे मुझे रोक लिया, और धीरे आवाज में कहा- "कल इसी टाइम आ सकते हो?"

मैं चौका और कहा- "क्यों, क्या करना है आपजे?"

उसने कहा- "कल आओगे तो बताऊँगी.." और मुझे एक प्यार सी स्माइल दी, जिससे मेरा दिल बाग-बाग हो
गया।

मैंने कहा- "ठीक है आ जाऊँगा.."

उसने कहा- "बैठक का दरवाजा खुला होगा कल इस टाइम। तुम देखकर अंदर आना। मैं इतंजार करंगी तुम्हारा.."

मैंने हामी भरी और वहां से निकल आया।
 
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