desiaks
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मैंने खाला के कान में कहा- "प्लीज... खाला और पकड़ें ना... बहुत मज़ा आ रहा है.."
खाला ने कहा "तुम बहुत मजे लेने लगे हो अभी... तुम्हारा इलाज करना पड़ेगा... अच्छा तुम अपनी सलवार नीचे करो तो मैं तुमको ज्यादा मजा दूं."
में खुश हो गया। मैं उठा, सलवार नीचे की और खाला के साथ ही लेट गया। खाला ने मेरी तरफ करवट ले ली थी। अचानक मेरे लण्ड पे खाला का हाथ आ गया। और ये क्या? खाला का हाथ गीला-गीला लग रहा था जिसको वो पूरा लण्ड पे फेर रही थी।
मैंने खाला से पूछा "क्या लगाया हाथ पे?"
खाला ने कहा "थूक लगाया है ताकी तुम्हें तकलीफ ना हो सूखा हाथ लगाने से... फिर खाला ने अच्छी तरह लण्ड पे थूक मला और लण्ड की मूठ मारने लगी।
मैं मजे की इंतेहा में था इस वक्त। मैंने अपना हाथ उठाया और खाला के मोटे चूतड़ों पे रख दिया और दबाने लगा। खाला ने मुझे रोका नहीं। मैंने हाथ आगे किया तो मुझे खाला की गाण्ड की लकीर का एहसास हुवा। जैसे ही हाथ लकीर से टकराया।
खाला ने कहा "बेटा हाथ पीछे कर लो अपना। ये अच्छी बात नहीं है.."
मैंने हाथ पीछे कर लिया, और उनकी पूरी पिछाड़ी पे हाथ फेरने लगा। अचानक खाला लण्ड में तेज-तेज हाथ चलाने लगी। मजे से मेरा जिश्म झटके खाने लगा। खाला ने जोर से लण्ड को मसला तो मैं फारिग हो गया। मुझे लगा खाला भी फारिग हो गई थी, क्योंकी उनकी सांसों की रफ्तार बिगड़ी हुई थी। खाला ने लण्ड से हाथ उठा लिया था।
***** *****
मैंने सलवार पहनी और अपनी चारपाई पे आकर लेट गया। सुबह जब उठा तो जिश्म हल्का फुल्का हो रहा था। बाहर निकला तो देखा खाला नहाई हुई थी। मुझे देखकर मुश्कुराई। मैंने उनको आँख मारी और वाशरूम चला गया। नहा धोकर में भी फ्रेश हो गया था।
मैं जब लिखने बैठा तो बाजी की सहेली ज़ारा घर आई और बाजी के पास बैठकर उनसे गपशप करने लगी, और बीच-बीच में मुझ पे भी नजर डाल रही थी। मैं भी उसको देखकर मुश्कुराया। वो मुझे मीठी नजरों से देख रही थी।
फिर ज़ारा ने बाजी को कहा- "अली को भंजना मेरे साथ। इसने अम्मी के साथ जाना हैं एक काम है। शाम तक
आ जायेगा...
बाजी ने मामी से पूछकर मुझे जाने दिया। में उठा और ज़ारा के साथ बाहर निकल आया।
ज़ारा ने कहा- "रात को क्यों भाग आए? मैं बाद में आई तो तुम वहां पे नहीं थे.."
मैंने कहा- "मैं इर गया था, इसलिए निकल आया की कही तुम्हारी अम्मी को पता ना चल जाए?"
जारा ने कहा- "आज रात को आना जरूर..."
मैंने हामी भर ली।
खाला ने कहा "तुम बहुत मजे लेने लगे हो अभी... तुम्हारा इलाज करना पड़ेगा... अच्छा तुम अपनी सलवार नीचे करो तो मैं तुमको ज्यादा मजा दूं."
में खुश हो गया। मैं उठा, सलवार नीचे की और खाला के साथ ही लेट गया। खाला ने मेरी तरफ करवट ले ली थी। अचानक मेरे लण्ड पे खाला का हाथ आ गया। और ये क्या? खाला का हाथ गीला-गीला लग रहा था जिसको वो पूरा लण्ड पे फेर रही थी।
मैंने खाला से पूछा "क्या लगाया हाथ पे?"
खाला ने कहा "थूक लगाया है ताकी तुम्हें तकलीफ ना हो सूखा हाथ लगाने से... फिर खाला ने अच्छी तरह लण्ड पे थूक मला और लण्ड की मूठ मारने लगी।
मैं मजे की इंतेहा में था इस वक्त। मैंने अपना हाथ उठाया और खाला के मोटे चूतड़ों पे रख दिया और दबाने लगा। खाला ने मुझे रोका नहीं। मैंने हाथ आगे किया तो मुझे खाला की गाण्ड की लकीर का एहसास हुवा। जैसे ही हाथ लकीर से टकराया।
खाला ने कहा "बेटा हाथ पीछे कर लो अपना। ये अच्छी बात नहीं है.."
मैंने हाथ पीछे कर लिया, और उनकी पूरी पिछाड़ी पे हाथ फेरने लगा। अचानक खाला लण्ड में तेज-तेज हाथ चलाने लगी। मजे से मेरा जिश्म झटके खाने लगा। खाला ने जोर से लण्ड को मसला तो मैं फारिग हो गया। मुझे लगा खाला भी फारिग हो गई थी, क्योंकी उनकी सांसों की रफ्तार बिगड़ी हुई थी। खाला ने लण्ड से हाथ उठा लिया था।
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मैंने सलवार पहनी और अपनी चारपाई पे आकर लेट गया। सुबह जब उठा तो जिश्म हल्का फुल्का हो रहा था। बाहर निकला तो देखा खाला नहाई हुई थी। मुझे देखकर मुश्कुराई। मैंने उनको आँख मारी और वाशरूम चला गया। नहा धोकर में भी फ्रेश हो गया था।
मैं जब लिखने बैठा तो बाजी की सहेली ज़ारा घर आई और बाजी के पास बैठकर उनसे गपशप करने लगी, और बीच-बीच में मुझ पे भी नजर डाल रही थी। मैं भी उसको देखकर मुश्कुराया। वो मुझे मीठी नजरों से देख रही थी।
फिर ज़ारा ने बाजी को कहा- "अली को भंजना मेरे साथ। इसने अम्मी के साथ जाना हैं एक काम है। शाम तक
आ जायेगा...
बाजी ने मामी से पूछकर मुझे जाने दिया। में उठा और ज़ारा के साथ बाहर निकल आया।
ज़ारा ने कहा- "रात को क्यों भाग आए? मैं बाद में आई तो तुम वहां पे नहीं थे.."
मैंने कहा- "मैं इर गया था, इसलिए निकल आया की कही तुम्हारी अम्मी को पता ना चल जाए?"
जारा ने कहा- "आज रात को आना जरूर..."
मैंने हामी भर ली।