Muslim Sex Kahani खाला जमीला - Page 7 - SexBaba
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Muslim Sex Kahani खाला जमीला

मैंने खाला के कान में कहा- "प्लीज... खाला और पकड़ें ना... बहुत मज़ा आ रहा है.."

खाला ने कहा "तुम बहुत मजे लेने लगे हो अभी... तुम्हारा इलाज करना पड़ेगा... अच्छा तुम अपनी सलवार नीचे करो तो मैं तुमको ज्यादा मजा दूं."

में खुश हो गया। मैं उठा, सलवार नीचे की और खाला के साथ ही लेट गया। खाला ने मेरी तरफ करवट ले ली थी। अचानक मेरे लण्ड पे खाला का हाथ आ गया। और ये क्या? खाला का हाथ गीला-गीला लग रहा था जिसको वो पूरा लण्ड पे फेर रही थी।

मैंने खाला से पूछा "क्या लगाया हाथ पे?"

खाला ने कहा "थूक लगाया है ताकी तुम्हें तकलीफ ना हो सूखा हाथ लगाने से... फिर खाला ने अच्छी तरह लण्ड पे थूक मला और लण्ड की मूठ मारने लगी।

मैं मजे की इंतेहा में था इस वक्त। मैंने अपना हाथ उठाया और खाला के मोटे चूतड़ों पे रख दिया और दबाने लगा। खाला ने मुझे रोका नहीं। मैंने हाथ आगे किया तो मुझे खाला की गाण्ड की लकीर का एहसास हुवा। जैसे ही हाथ लकीर से टकराया।

खाला ने कहा "बेटा हाथ पीछे कर लो अपना। ये अच्छी बात नहीं है.."

मैंने हाथ पीछे कर लिया, और उनकी पूरी पिछाड़ी पे हाथ फेरने लगा। अचानक खाला लण्ड में तेज-तेज हाथ चलाने लगी। मजे से मेरा जिश्म झटके खाने लगा। खाला ने जोर से लण्ड को मसला तो मैं फारिग हो गया। मुझे लगा खाला भी फारिग हो गई थी, क्योंकी उनकी सांसों की रफ्तार बिगड़ी हुई थी। खाला ने लण्ड से हाथ उठा लिया था।
***** *****

मैंने सलवार पहनी और अपनी चारपाई पे आकर लेट गया। सुबह जब उठा तो जिश्म हल्का फुल्का हो रहा था। बाहर निकला तो देखा खाला नहाई हुई थी। मुझे देखकर मुश्कुराई। मैंने उनको आँख मारी और वाशरूम चला गया। नहा धोकर में भी फ्रेश हो गया था।

मैं जब लिखने बैठा तो बाजी की सहेली ज़ारा घर आई और बाजी के पास बैठकर उनसे गपशप करने लगी, और बीच-बीच में मुझ पे भी नजर डाल रही थी। मैं भी उसको देखकर मुश्कुराया। वो मुझे मीठी नजरों से देख रही थी।

फिर ज़ारा ने बाजी को कहा- "अली को भंजना मेरे साथ। इसने अम्मी के साथ जाना हैं एक काम है। शाम तक
आ जायेगा...

बाजी ने मामी से पूछकर मुझे जाने दिया। में उठा और ज़ारा के साथ बाहर निकल आया।

ज़ारा ने कहा- "रात को क्यों भाग आए? मैं बाद में आई तो तुम वहां पे नहीं थे.."

मैंने कहा- "मैं इर गया था, इसलिए निकल आया की कही तुम्हारी अम्मी को पता ना चल जाए?"

जारा ने कहा- "आज रात को आना जरूर..."

मैंने हामी भर ली।
 
उसके घर पहुँचे तो उसकी अम्मी ने मुझे पानी पिलाया। ज़ारा की अम्मी का नाम राबिया था। वो एक 40-42 साल की औरत थी। बहुत ही दिलकश खातून थी, इंसिंग वा माइन करती थी। जिश्म इंतहाई लचकदार था। स्मार्ट होने के बावजूद उनका जिश्म थिरकता था।

कुछ देर बाद औटी राबिया बड़ी सी चादर में बाहर आई रूम से, और मुझसे कहा- "बेटा मेरे साथ चलना साथ के
गाँव में। वहां एक घर में फोल्गी हुई है ता अफसोस करने जाना है। आँटी ने नीचें टाइट पाजामा और शार्ट कमीज पहनी हुई थी। मैं और औंटी घर से निकले और पैदल ही चल पड़े। दूसरा गाँव 30-40 मिनट दूर था। हम खेतों में चलते जा रहे थे। ऑटी आगे मैं पीछे था। चादर के बावजूद ऑटी की गाण्ड थिरक रही थी। नीचे टॉग मुझे नजर आ रही थीं। नीचे से पतली और ऊपर जाते-जाते मोटी थी टाँग।

औटी ने पूछा- "थक तो नहीं जाओगे?"

मैंने कहा- "नहीं ऑटी, इतना तो में चल ही लेता है."

आँटी ने कहा- "मुझे टहलने का शौक है, इसलिए में पैदल आ गई। वरना गाड़ी पे भी आ सकते थे.."

मैंने कहा- "मुझे भी शौक है आँटी टहलने का.."

आँटी ने कहा- "ओह्ह... अच्छा मैं सुबह-सुबह तहलने निकलती हूँ तब थोड़ा अंधेरा होता है। जब दिन निकलने लगता है मैं घर आ जाती हैं."

मैंने कहा- "मैं रात को निकलता हूँ टहलने..."

आँटी ने कहा- "तुम सुबह-सुबह आ जाया करो। मेरे साथ भी कर लिया करो वाक..."

मैं बड़ा खुश हुआ की एक सेक्सी आँटी मुझे में आफर कर रही है। ऐसे ही गप-शप करते दूसरे गाँव पहुँचे। औंटी और मैं एक घर में दाखिल हये। जहां काफी भीड़ था। मैं उनकी बैठक में बैठ गया। आँटी अंदर चली गई। बैठक भी भरी हुई थी मदों से। खाना भी वहीं बैठकर खाया मैंने। ऐसे ही बैठे-बैठे शाम हो गई।

आँटी मेरे पास आई और कहा- "चला आओ बेटा अब चलते हैं। काफी टाइम हो गया है..."

में और राबिया औंटी वहां से निकले और चल पड़े। अंधेरा छा रहा था। खेत सुनसान पड़े हये थे। कुछ ही सफर किया होगा की हमको गीदड़र के चिल्लाने की आवाज आई। हम दोनों डर गये। मैं और आँटी वहीं रुक गर्म और देखने लगे किधर से आवाज आई। अभी हम देख ही रहे थे, की एक तरफ से हमको चलता हुआ गीदड़ नजर
आया। मैं और आँटी छुपने की जगह देखने लगे।

एक तरफ हमको पानी की हौदी नजर आई जो सूखी हुई थी हम उस तरफ चल पड़े। हौदी छोटी सी थी। मैं और औंटी उसमें उत्तर गये। ऑटी मेरे आगे और मैं पीछे था। हम दोनों आगे-पीछे होकर बैठे थे। आँटी ने सिर बाहर निकाला और गीदड़ को देखने लगी जो खेत में चक्कर काट रहा था। मैं भी सिर उठाकर बाहर देखने लगा। अंजाने में अपने हाथ राबिया के कंधे पर रख दिए।

औंटी उधर देखने में मगन थी। अचानक वहां एक और गीदड़ आ निकला। वो दोनों इकट्ठे हुये और मुँह लगाने लगे एक दूसरे को। आँटी बड़े गौर से देखने लगी उनका। मेरा ध्यान भी उधर ही था। आँटी में अपना एक हाथ मेरे हाथ पे रख दिया ताकी मैं घकाऊँ नहीं।

देखते ही देखते एक गीदड़ पीछे हुआ और दूसरे के ऊपर चढ़ गया। दोनों सेक्स करने लगे। इनमें शायद एक
गीदड़ी थी। औंटी चौक पड़ी। औंटी ने मेरी तरफ देखा। हम दोनों शमिंदगी से हँस पड़े। दुबारा हम उनको देखने लगे। मेरा इर अब खतम हो रहा था और गीदड़ों को देखकर मेरे लण्ड में जान पड़ती जा रही थी। औंटी की गाण्ड बाहर निकली हुई थी, जो मेरे लण्ड से चंद इंच ही दूर थी।

मैं धीरे से थोड़ा आगे हुवा और लण्ड उनकी गाण्ड से चिपका दिया, और शो ऐसे किया जैसे मुझे पता ना हो। जब लण्ड उनके चूतड़ों पे लगा तो औंटी ने घूमकर मेरी तरफ देखा और फिर आगे देखने लगी। जब मैंने देखा
औटी ने कुछ नहीं कहा तो मैं आगे कुछ करने की सोचने लगा।

तभी अचानक मुझे अपने लण्ड में दबाओ महसूा हुवा, तो क्या देखता हूँ की आँटी अपनी गाण्ड मेरे लण्ड पे रगड़ रही हैं। शायद ऑटी गरम हो गई थी बाहर का दृश्य देखकर। औंटी ने मुझसे कहा- "बेटा जब ये जायेंगे तो हम भी उठकर निकल जायेंगे बस थोड़ी देर और रुक जाओ..."
 
तभी अचानक मुझे अपने लण्ड में दबाओ महसूा हुवा, तो क्या देखता हूँ की आँटी अपनी गाण्ड मेरे लण्ड पे रगड़ रही हैं। शायद ऑटी गरम हो गई थी बाहर का दृश्य देखकर। औंटी ने मुझसे कहा- "बेटा जब ये जायेंगे तो हम भी उठकर निकल जायेंगे बस थोड़ी देर और रुक जाओ..."

अब धीरे-धीरे अंधेरा छाने लगा था। मैं भी अब बेखौफ लण्ड उनके चूतड़ों में रगड़ रहा था। औंटी भी बड़े मजे से लण्ड रगड़वा रही थी।

मैं आँटी पे झुक गया था। अपना ऊपरी जिश्म उनकी गाण्ड से टिका दिया और नीचे घस्से मारने लगा। मेरा अकड़ा हुआ लण्ड उनके चूतड़ों में लग रहा था। गीदड़ अब चले गये थे। लेकिन हम वैसे ही लगे हये थे अपनी मस्ती में। मैंने अपने हात आँटी के मम्मों में रख दिए और उनको दबाने लगा। बहुत ही नरम मम्मे थे उनके। मैं मजे से उनको दबा रहा था।

आँटी ने कहा- "चलो बेटा अब चलते हैं..."

मैंने कहा- "औंटी रूक जाएं, थोड़ी देर बाद चलते हैं...

आँटी ने कहा- "बेटा लेट हो गये हैं पहले ही। तुम सुबह आना वाक पे फिर हम मिलेंगे। तुम गली की नुक्कड़ में आ जा सुबह... हम उठे घर की तरफ चल पड़े। गाँव पहुँच कर आँटी को उनके घर छोड़ा और बाहर से ही अपने घर की तरफ आ गया।

घर में सब परेशान थे लेकिन जब वजह बताई तो वो सब हँसने लगे। खैर, इस दौरान खाना खाया गया। मैं थका हुआ था। बाहर जाने को भी दिल नहीं कर रहा था। हालांकी जारा ने टाइम दिया हुआ था। मैं लेट गया और जल्दी सो गया।

सुबह मैं जल्दी उठा, तो अभी कुछ अंधेरा था हल्का। मैं बाहर निकल गया। आँटी की गली में पहुँचा तो आँटी अपने घर से निकाल रही थी। मैं उनके साथ हो लिया। हम बातें करते-करतें खेतों में निकल गयें। सुबह का मौसम एंजाय करने लगा

औटी ने कहा- "हाँ अब बोलो, कल क्यों रुकने का कह रहे थे वहां?"

मैं घबरा गया क्योंकी मुझे उम्मीद नहीं थी औंटी सीधा ही पूछ लेंगी। मैंने हकलाते हुये कहा- "वैसे ही आँटी, बस दिल कर रहा था..."

औटी मुश्कुराई और कहा- "अभी तुम छोटे हो बेटा। अछा नहीं लगता तुम्हारे साथ कुछ कर...'

मैं चुप रहा।

औटी ने कहा- "कुछ बड़े होते तो सोचा जा सकता था.."

मैं बड़ा परेशान हुआ आँटी की बातें सुनकर। मुझे पता नहीं अचानक कु किया सझी मैंने कहा- "आँटी मेरा 5" इंच का लण्ड है....

औटी हक्का-बक्का होकर मुझे देखने लगी। मैं भी डर गया कीये मैंने क्या कह दिया है। आँटी होश में आई और कहा- "चल झूठा... ऐसे कैसे हो सकता है?"

मैंने कहा- "आप देख सकती हो... फिर पता चल जाएगा."

आँटी ने कहा- "यहां कहां देख लू?"

मैं आँटी को उसी झोपड़ी में ले गया, जहां बाजी अमीना को पहली बार चोदा था। वहां आकर मैंने आँटी को कहा तो उन्होंने मेरे लण्ड पे हाथ लगाया जो अभी सोया हुआ था।

आँटी ने कहा- "ये तो अभी सो रहा है.." और हँसी।

मैंने कहा- "इसको हिलायें तो खड़ा हो जाएगा..."
 
मैंने सलवार नीचे की तार आँटी ने लण्ड को हाथ में लिया और उसको मसलने लगी। ठीक एक मिनट बाद लण्ड पूरा अकड़ गया। जैसे-जैसे लण्ड बड़ा हो रहा था आँटी की आँखों में चमक आती जा रही थी। अब लण्ड पूरा खड़ा था फिर भी उसको दबाए जा रही थी।

औंटी ने कहा- "वाह अली... तुम तो छुपे रुस्तम निकले। इस उम में 18 साल के लड़के का लण्ड है तुम्हारे पास.." औंटी ने जब लण्ड शब्द बोला तो मजे से मेरे लण्ड ने आँटी के हाथों पे झटका खाया।

मैंने कहा- "अब बतायें आँटी क्या करना है?"

ऑटी ने कहा- "करते हैं कुछ ना कुछ.."

फिर हम झोपड़ी से निकले और घर की तरफ चल दिए। दिन निकल आया था। मैं घर आ गया।

मामी ने कहा- "खैर है की मंग पुत्तर आज सुबह-सुबह बाहर गया.."

मैंने वाक का कह के टाल दिया। बाकी लोग अभी उठ रहे थे।
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दो दिन गुजर गये, ऐसे ही छेड़छाड़ करते लेकिन कुछ खास नहीं हुवा। खाला भी अब जाने का कह रही थी। क्योंकी काफी दिन हो गये थे हमको आए। लेकिन मैंने खाला को कह दिया अभी कुछ दिन रुकते हैं, क्योंकी मजा आ रहा है यहा।

खाला हँसी और कहा- "मुझे पता है, तुमको जो मजे आ रहे हैं। कर लो यहां मौज। गुजराँवाला जाकर तुमको मैंने अपने नजदीक नहीं आने देना.."

मैं हँसा और कहा- "देखी जायेगी, जब टाइम आयेगा.."

एक दिन सुबह 11:00 बजे का टाइम था आँटी राबिया आ गईं हमारे घर। सबसे मिली और मामी से कहा "अली को मेरे साथ भेजना, शहर जाना है मार्केट में कुछ सामान लेने.."

मामी ने इजाजत दे दी और मैं आँटी के साथ निकल आया घर से।

चलते हमें आँटी ने कहा- "तुम आए ही नहीं उस दिन के बाद.."

मैंने कहा- "मैं कैसे आता? आपकी बेटी घर पे होती है.."

औंटी ने कहा- "तुम 8:00 बजे आना, तब मैं ज़ारा और उसके अब्बू को किसी काम से भेजवा दूंगी कही.."

मन खुश होते हुये हामी भर ली। ज़ारा से पहले उसकी अम्मी की फुद्दी मिल रही हैं मुझे। 3:00 बजे वापस घर
आ गयें हम। आँटी अपने घर चली गई थी और मैं अपने घर आ गया।
 
मैंने खुश होते हुये हामी भर ली। ज़ारा से पहले उसकी अम्मी की फुद्दी मिल रही हैं मुझे। 3:00 बजे वापस घर
आ गयें हम। आँटी अपने घर चली गई थी और मैं अपने घर आ गया।

घर में खामोशी थी। मैं भी चुप करके नानी के कमरे में चला गया वहां नानी और खाला सो रही थी। मामी पेंट के बल लेटी हुई थी। जिस वजह से उनकी गाण्ड उठी हुई थी। साने के दौरान उनकी कमीज भी चूतड़ों से ऊपर को उठी हुई थी, जहां से उनकी कमर का थोड़ा सा नंगा हिस्सा नजर आ रहा था।

औटी को इतने सेक्सी अंदाज में सोता देखकर मुझे होशियारी आई। मैं आराम से आगे बढ़ा और आँटी पे चढ़कर उनपे उल्टा लेट गया, जिससे मेरा लण्ड उनकी जांघों के बीच चला गया। लेटते हये मैंने ये हिसाब रखा था की लण्ड सीधा वहीं जाए। जैसे ही खाला को वजन महसूस हुआ तो वो उठ गईं।

मैंने फुसफुसाया- "खाला लेटी रहे प्लीज... में ऐसे ही लेटना चाहता हैं आपके ऊपर..."

खाला चुप कर गई। चूतड़ों के बीच उनकी सलवार का कपड़ा और मेरी सलवार का कपड़ा था बस। लण्ड अब खड़ा होकर उनके चूतड़ों पे ठोकरें मार रहा था। खाला के भारी और मोटे चूतड़ मेरे नीचे दबे हमें थे। मैंने खाला को कंधे पे किस की पीछे से उनकी गर्दन पर भी की। इस दौरान खाला में चहरा बगल में किया तो उनकी गाल पे किस की।

मेरा लण्ड पूरा टाइट हो चुका था, जो खाला के नरम चूतड़ों में फंसा हुआ था। जिसका खाला को भी साफ पता चल रहा था, लेकिन मुझे कुछ कह नहीं रही थी। मैं अपने हाथ खाला के कंधों पे रखें हमें था और जब लण्ड उनके चूतड़ों पे दबाता था तो उनके कंधे जोर से पकड़ लेता था। मेरा दिल कर रहा था की अभी खाला की सलवार खींचकर नीचे कर द। और अपना नंगा लण्ड उनके नंगे चूतड़ों में डाल दूं।

मने खाला का गरम करने के लिये कहा- "खाला जान बहुत मजा आ रहा है आपसे चिपक के। पीछे से तो आप मलाई लगती हो..."

खाला मुश्कुराई और कहा- "चप कर बेशर्म..." और साथ है अपनी मोटी गाण्ड मेरे लण्ड पे दबा ली।

खाला में टांगें थोड़ी खोली तो मेरा लण्ड अंदर चला गया उनकी जांघों में। खाला में टांगें बंद कर ली। अब मेरा लण्ड अच्छी तरह खाला के चूतड़ और फुद्दी से रगड़ खा रहा था। सिर्फ दो मिनट मैंने घस्में मारे और खाला चूतड़ों को नरम और टाइट करती रही, जिससे मैं मजे की इतेहा पें पहुंच गया। ऐसे लग रहा था की मैं उनके नंगे चूतड़ों में अपना लण्ड रगड़ रहा हैं। खाला का ये सेक्सी हमला में संभाल नहीं सका और जल्द ही फारिग हो गया। ये खाला ने पता नहीं कहां से हुनर सीखा था जो लण्ड को एक मिनट में फारिग कर देती थी। मुझे इसका कोई हल सोचना पड़ेगा।

मैं वहां से उठा और अपनी चारपाई पे लेट गया।

खाला ने मेरी तरफ देखा और कहा- "इतनी जल्दी उठ गया मेरा बेटा?"

मैंने कहा- "खाला आप पता नहीं क्या करती हो मुझसे संभाला नहीं जाता..."

खाला ने कहा- "चिपकने का तो बहुत शौक है तुमका?"

में शमिंदा हो गया। जब खाला की तरफ देखा तो उनके चेहरे पे शरारती मुश्कान थी। मुझे भी शरारत सझी मैंने कहा- "खाला अब कपड़ों के ऊपर से मजा नहीं आता.."

खाला ने कहा "चल चुप कर... जितना तुम चिपकते हो यही बहुत है। बड़े आए मजा लेने वाले। अभी तुम छोटे हो, बड़े तो हो जाओ..." ऐसी बातों में ही टाइम गुजर गया।

शाम को सहन में बैठे थे सभी, और मैं मामी से आँख मटक्का कर रहा था। आज फुद्दी लेने को दिल कर रहा था और इस वक़्त सबसे आसान मुझे मामी की फुद्दी ही मिलती नजर आ रही थी। मैं आते जाते गुजरते मामी के चूतड़ दबा देता, जिसको मामी भी खूब एंजाय कर रही थी। मैं रात का खाना खाकर कुछ देर इंतजार किया। जब देखा 8:00 बज गये हैं, तो में घर से निकाला और आँटी राबिया के घर पहुँच गया।
 
दरवाजा खुला था। मैं अंदर चला गया। दरवाजे को कुण्डी लगा दी थी मैंने। आँटी मेरा ही इंतजार कर रही थी।

ऑटी मुझे एक कमरे में ले गई। जैसे ही रूम में पहुँचे औटी ने मुझे झप्पी डाल ली और कहा- "सुबह से फुद्दी पानी छोड़ रही है...

आँटी को झप्पी लगाकर मुझे ऐसे लग रहा था जैसे गरम रुई को मैंने पकड़ा हो। आँटी राबिया नरम और लचकदार जिश्म की मालिकिन थी। इंतहाई सेक्सी जिश्म था, जो शेप में बना हुआ था। गोल-गोल मम्मे जो आगे को निकले हये थे। मैंने उन मम्मों में हाथ रख दिया, तो आँटी की सिसकी निकाल गई। मम्में इतने नरम थे की दिल कर रहा था इनको दबाते जाऊँ। कुछ देर बाद ऑटो ने मेरा लण्ड पकड़ लिया और दबाने लगी।

मैं औंटी के होंठ चूसने लगा। पतले होंठ चूसने में बहुत मजा आ रहा था। कुछ देर बाद मैंने और औंटी ने पूरे कपड़े उतार दिये। इस बात मेरा लण्ड बिल्कुल सीधा खड़ा था और आँटी का जिश्म एक शेप पे था। सीना और चूतड़ों पे ज्यादा गोस्त चढ़ा हुआ था आँटी के।

आँटी ने मुझे बेड पे लेटने को कहा और खुद भी लेट गई। मैंने आँटी को झप्पी लगाई और उनके चूतड़ पकड़ लिए और उनको दबाने लगा। लण्ड पे मुझे उनकी गीली चूत लग रही थी जो इस वक़्त मेरे लण्ड की गरम टोपी
से टकरा रही थी। मेरे जिस्म में मजे की लहर दौड़ रही थी। आँटी मेरे लण्ड को पकड़कर टोपी पे अपने अंगूठे को गोल-गोल घुमाने लगी। मैं इस कदर सेक्सी मजा था की मैंने जोश में आँटी की गाण्ड में उंगली घुसा दी।

में मन में- "ये क्या बहनचाद? आँटी की गाण्ड खुली हुई थी..."

आँटी ने मेरी हैरानगी देख ली, और मुझसे कहा- "ये ज़ारा के अब्बू का कमाल है। वो शुरू से मेरी गाण्ड का दीवाना था..

आँटी की गाण्ड अंदर से मुलायम थी। मेरी उंगली फिसलती हुई अंदर-बाहर हो रही थी। औंटी मेरे लण्ड को कभी मसलती और कभी जोर-जोर से दबाने लगती। मैंने गाण्ड से हाथ उठाया और आँटी के नरम मम्में पकड़ लिए। उनके निपल छोटे लेकिन अकड़े हुये थे। मैंने निपल मुँह में लिए और चूसने लगा, साथ मम्मे दबा भी रहा था।

आँटी ने लण्ड छोड़कर लण्ड को अपनी जांघों में सेंट किया और फुट्टी को लण्ड पे रगड़ने लगी। रोशनी में औंटी का लचकदार और चमकता जिस्म मुझपे कहर ढा रहा था। पिंक निपल और फुद्दी भी पिक थी जो अब गरम होकर लाल पिक हो रही थी। मैं और आँटी इस वक़्त पूरा संक्मी नशे में थे।

आँटी ने मुझसे कहा- "उठो और अब मेरी फुद्दी मारो। कब से पानी बहा रही है..."

मैं उठा और आँटी की टांगों में आ गया। आँटी की चिकनी टाँगें पकड़कर मैंने ऊँची की और बगल को फैला दिया। जिससे फुद्दी खुलकर मेरे सामने आ गई। फुदद्दी के पानी से चमकती हुई फुद्दी को मैं आँखें फाड़-फाड़कर देख रहा था। इतनी हसीन फुद्दी ना तो मामी की थी ना लुबना। ना बाजी अमीना की।

मैंने अपने झटके खाते लण्ड को पकड़ा और फुद्दी की लकीर में फंसाकर ऊपर नीचे लण्ड रगड़ने लगा। मजे से मेरी आँखें बंद हो गई। आँटी की सिसकियां निकलने लगी को लगातार निकल रही थी। मजे से मेरा जिश्म कांपने लगा था। मैं मजे से पागल हो रहा था की औंटी ने अपना हाथ आगे किया और मेरा लण्ड पकड़ लिया, जो इस वक़्त आँटी की फुद्दी के पानी से लिथड़ा हुवा था, और लण्ड को फुद्दी के छेद पे सेंट किया।

मैंने जोरदार झटका मारा, जिसमें लण्ड जड़ तक औंटी राबिया की चिकनी फुद्दी पे घुस गया। आँटी की हल्की चीख निकाल गई। मैं आँटी के ऊपर लेट गया और उनकी गर्दन पे किस करने लगा, और जुबान में उनकी गर्दन
और सीने को चाटने लगा। कुछ ही देर बाद थूक से आँटी की गर्दन और सीना चमकने लगा।

आँटी अपने दोनों हाथ मेरी गाण्ड पे रखे और फुद्दी की तरफ लण्ड दबाने लगी। ये दृश्य देखकर मुझे जोश आया और मैं जोर-जोर से लण्ड को फुद्दी में अंदर-बाहर करने लगा। मेरी जांघ ठप.ठप आँटी के चूतड़ों पे नीचे टकरा रही थी। जिससे आँटी के जांघ थिरक रही थी। इतना लचकदार गोस्त था की ऐसे लग रहा था जैसे पानी
की लहरें उठ रही हों।

मैं उठा आँटी की जांघों को पकड़ा और लण्ड के धक्के मारने लगा, और नजर नीचे करके लण्ड को चिकनी फुदी में आते-जाते देख रहा था। वो दृश्य इतना सेक्सी था की मुझे अपने लण्ड में लहरें उठती महसूस हुई। आँटी का जिश्म अकड़ा और फुद्दी से गरम पानी लण्ड पे बहता हुआ बाहर बैंड शीट पे गिरने लगा। मुझे भी अपना लण्ड
खाली होता महसूस हुवा। मैं आँटी पे लेट गया। जिश्म पीने से सराबोर था।
 
मैं उठा आँटी की जांघों को पकड़ा और लण्ड के धक्के मारने लगा, और नजर नीचे करके लण्ड को चिकनी फुदी में आते-जाते देख रहा था। वो दृश्य इतना सेक्सी था की मुझे अपने लण्ड में लहरें उठती महसूस हुई। आँटी का जिश्म अकड़ा और फुद्दी से गरम पानी लण्ड पे बहता हुआ बाहर बैंड शीट पे गिरने लगा। मुझे भी अपना लण्ड
खाली होता महसूस हुवा। मैं आँटी पे लेट गया। जिश्म पीने से सराबोर था।

आँटी आँखें बंद किए लेटी हुई थी। फिर आँटी ने आँखें खोली और कहा- "बेटा बड़ी जानदार फुद्दी मारी तुमने.."

मैं अब क्या बताता की मुझे एक माँ बेटी ने ट्रेन्ड कर दिया है। मैंने कहा- "आँटी मुझे भी बड़ा मजा आया
आपकी फुद्दी मारकर " फिर मैं उठा कपड़े पहने, आँटी से इजाजत ली और घर की तरफ चल पड़ा।

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घर आकर कुछ खास नहीं हुआ। अगले दिन उठा, नाश्ता वगेरा किया और काम लिखनें बैठ गया। क्योंकी काम
बीच में कुछ दिन लिखा भी नहीं गया था। काम लिखकर फारिग हुवा तो किचन में गया पानी पीने।

मी भी किसी काम से आ गई किचेन में। मामी मेरे पास आई और कहा- "बेटा आज बड़ा दिल कर रहा है फुद्दी मरवाने का." मामी के मुँह से फुद्दी शब्द सुनकर मेरा लण्ड सनसना उठा।

मैंने कहा- "मामी, मेरा भी कल से आपकी फुद्दी लेने को दिल कर रहा है.."

मामी मेरे मुँह में सीधे फुद्दी शब्द सुनकर सैक्सी स्माइल करने लगी। मामी ने एक नजर बाहर देखा और आगे बढ़कर मेरा लण्ड पकड़ लिया। मामी के हाथ में आने के बाद लण्ड तेजी से खड़ा होने लगा। मामी ने लण्ड को 5-6 बार दबाया और छोड़ दिया।

मामी ने कहा- "ये तो पूरा तैयार है बेटा मेरी फुद्दी में जाने के लिये... हाथ लगाना चाहोगे फुद्दी पे?"

मन ही में सिर हिलाया।

मामी किचेन के दरवाजे पे खड़ी हो गई और मुझे कहा- "पीछे से सलवार में हाथ डालकर फुद्दी चेक करो मेरी.."
 
मामी बाहर नजर रख रही थी। मैं आगे बढ़ा और हाथ सलवार में घुसा दिया। चूतड़ों के नीचे से हाथ फुद्दी पे लगाया जो इस वक़्त गीली हो रही थी। मैं मामी की फुद्दी पे हाथ फेरने लगा। लण्ड मेरा झटके मार रहा था सलवार में। मुझे अचानक जोश चढ़ा तो मैं नीचे बैठा और सलवार पीछे से चूतड़ों से नीचे कर दी। मैंने मामी के मोटे चूतड़ हाथों में पकड़े और अपना मुँह आगे करके मामी के नरम चूतड़ों पे होठ लगा दिए अपने।

मुझसे रहा नहीं गया, मामी के नंगे चूतड़ देखकर। मैंने चूतड़ों का नरम गोस्त मुँह में भरा और उसको चूसने लगा और कभी हल्का-हल्का काटने लगा। मामी की सिसकी निकाल गई। बाइ चान्स अभी तक किचेन की तरफ कोई नहीं आया था। मैं बेखौफ मामी के चूतड़ चूस रहा था। मामी अपने चूतड़ों को मेरे मुँह पे दबा रही थी। इस वक़्त उनके जिस्म की गंध मेरे सेक्स में बढ़ोत्तरी कर रही थी।

अचानक मामी आगे हुई, सलवार ठीक की और कहा- "बेटा यहां खतरा है, कोई सुरक्षित जगह देखते हैं। तुम ऐसा करी ऊपर जाओ। मैं आती ह थोड़ी देर में..."

मैं खड़े लण्ड के साथ ऊपर चला गया, और रूम में जाकर इंतजार करने लगा। लेकिन मामी नहीं आई। काफी देर बाद जब मैं नीचे जाने की सोचले लगा तो मुझे सीढ़ियों से आवाज आई। कुछ लम्हों में मामी ऊपर आती दिखाई दी मुझे।

मामी रूम के अंदर आ गई और कुण्डी लगा दी। मुझे झप्पी लगाई और जोर से अपने साथ दबा लिया। मामी में इस वक़्त सेक्स सवार था। फुद्दी की गर्मी उनसे श्ति नहीं हो रही थी। मैंने मामी की चूतड़ पकड़ लिए और मामी को किस करने लगा। मामी के नरम हॉठ किसी मलाई से कम नहीं थे। मामी भी मेरे होठ चूस रही थी। मामी अपनी फुद्दी को मेरे लण्ड में दबा रही थी। मामी ने अपनी सलवार घुटनों तक उतार दी, और मुझे भी इशारा किया। मैंने भी अपनी सलवार नीचे की। मामी मेरे लण्ड को पकड़कर मसलने लगी और अपने होंठ काटने लगी।

मामी ने कहा- "बेटा तुम्हारा लण्ड बहुत गरम लग रहा है मुझे..."

मैंने कहा- "मामी आज तो आप पूरी गरम लग रही हो.." और कमीज में हाथ डालकर मम्मे पकड़ लिए।

मामी ने लण्ड को जोर से दबाया और कहा- "बेटा, बड़ा मजे का लण्ड है तुम्हारा..."

मैंने कहा- "तो आप खा लो फिर इसको.." और हम दोनों मुशकुराए।

मामी ने कहा- "अभी मौका नहीं है, बरना जरन खाती। फिर कभी तुम्हारा लण्ड खाऊँगी.." मामी का मतलब था लण्ड चूसंगी फिर कभी।
 
मामी ने कहा- "अभी मौका नहीं है, बरना जरन खाती। फिर कभी तुम्हारा लण्ड खाऊँगी.." मामी का मतलब था लण्ड चूसंगी फिर कभी।

सलवार उत्तार के मामी चारपाई पे लेट गई। मैंने भी सलवार उतारी और उनकी टांग में बैठ गया। टांगें उठाकर टांगें को आपस में जोड़ दिया मैंने, ता नीचे फुद्दी किसी कुँवारी लड़की की तरह हो गई थी। फुद्दी के होंठ आपस में मिल गये थे। मैंने लण्ड को पकड़े बगैर आगे किया और फुद्दी के छेद पे सेट करके पुश किया तो लण्ड ऊपर को फिसल गया।

मामी सिसक पड़ी। अपना एक हाथ नीचे करके लण्ड पकड़ा और कहा- "अब डाला बेटा...

मैंने जोर लगाया और लण्ड की टोपी अंदर घुस गईं। टांगें जुड़ने की वजह से फुदद्दी टाइट हो गई थी, जिससे मेरा लण्ड फैसकर जा रहा था मामी की चिकनी फुद्दी में। मामी लगातार आहे बाहर रही थी। इस बात लण्ड पूरा अंदर कर दिया था मैंने और अब अपनी गाण्ड हिलाकर में लण्ड आगे-पीछे करने लगा। जब मैं थक गया तो मामी की टांगें खोल दी और मामी के ऊपर लेट गया। अब मैं अच्छी तरह एक लय से लण्ड को तेजी से अंदर बाहर करने लगा। और दो मिनट सेक्स के बाद हम दाना फारिग हो गये, और एक-एक करके नीचे चले गये।

मामी नहाने चले गई और मैं एक चक्कर बाहर का लगाकर घर आ गया। घर आया तो सभी बातें कर रहे थे, तो मैं भी बैठ गया।

गत को खाना खाकर मैं बाहर निकालने लगा तो खाला ने कहा- "रुको बँटा, आज मैं भी तुम्हारे साथ चलती हूँ वाक में। काफी दिन हो गये नहीं की बाक..." फिर खाला में लुबना और बाजी से पूछा लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया।

फिर मैं और खाला बाहर निकल आए घर से। आज कुछ गर्मी ज्यादा ही थी। चलते हुये खाला ने अपना दुपट्टा उतार के वैसे ही गले में लटका लिया। टाइट कमीज में मुझे खाला के मम्म शेप में नजर आ रहे थे। खाला ने मुझे देख लिया की मैं उनके मम्मे देख रहा हैं।

खाला में शरारती मुश्कान के साथ कहा- "क्या देख रहे हो बेटा?"
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मैंने कहा- "खाला, आप बहुत मजर की लग रही हो इस बात, और मेरा दिल कर रहा है आपको यही गली में ही झप्पी लगा लू..."

खाला में हँसते हये कहा- "लगा लो अगर लगा सकते हो?

मैं हैरान हो गया की खाला बड़े आराम से ऐसा कह रही हैं। मैंने कहा- "कोई देख लेगा वरना डाल लेता...'

खाला ने कहा "अंधेरा है, किसने देखना है?"

मैंने सिर हिलाया। गली की नुक्कड़ पे बड़ा सा दरख़्त लगा था। मैंने खाला का हाथ पकड़ा और उस दरख्त के नीचे खड़े हो गये। आगे होकर मैंने खाला को झप्पी लगा ली।

खाला घबरा गई और कहा- "तुमने तो सचमुच झप्पी लगा ली है..."

मैंने कहा- "अपने ही कहा था और मैंने डाल ली झप्पी.."

खाला ने कहा "पहां ठीक नहीं है। आगे चलते हैं, कोई जगह हुई तो वहां डाल लेना झप्पी...”

में खाला के साथ चलता रहा। गाँव के बाहर उसी झोपड़ी के पास चले गये। मैंने कहा- "खाला यहां ठीक है इस वीरान जगह कोई नहीं आउंगा.."
 
मन खाला का हाथ पकड़ा और झोपड़ी में दाखिल हो गये। आज अंधेरा था खाला का बस साया ही नजर आ रहा
था। अंदर जाकर मैंने खाला को झप्पी डाल ली, और बाज़ उनकी कमर में डाल लिये।

खाला में कहा "यहां तो कोई भी नहीं आ सकता.."

मैंने कहा- "ही खाला, इस टाइम इधर कोई नहीं आयेंगा..." कहकर मैंने खाला को होंठो पे किस की और अपनी जुबान उनके होंठों पे फेरी। नीचे मेरा लण्ड खड़ा हो रहा था, जो खाला की फुद्दी को सीधा टच कर रहा था।

खाला ने अपने होंठ टीले किए। ये इशारा था खाला की तरफ से होठ चूस लो या अपनी जुबान मेरे मुँह में डाल दो। मैंने पहले खाला के होंठ चूसे और फिर जुबान अंदर दाखिल की खाला के मुँह में। जैसे ही जुबान अंदर गई, खाला में जुबान चूसनी शुरू कर दी।

इस वक़्त हम दोनों के जिश्म भट्ठी बने हये थे। लण्ड जो इस बात पूरा टाइट था उसको मैं रगड़ने लगा फुद्दी पे। जिसको खाला भी एंजाम कर रही थी। कभी कभार वो बीच में अपनी फुद्दी मेरे लण्ड पे दबा देती लेकिन ऐसे की मुझे पता ना चले। लेकिन मुझे एहसास हो जाता था।

मैंने कहा- "खाला मुझे आपका दूध पीना है. और साथ ही कमीज पकड़कर ऊपर करने लगा। जिसको खाला ने पकड़कर गर्दन तक कर लिया।

मैंने ब्रा ऊपर किया और खाला के मम्मे जो उछल के बाहर आए उनको हाथों में पकड़ लिया। खाला के मम्मे इस वक़्त मुझे इतहाई नरम लग रहे थे। निपल हाई थे। मैं आगे हुआ और एक मम्मा अपने मुँह में डाल लिया
और चूसने लगा। मैं चूमते हो साथ में बातें भी कर रहा था।

मैंने कहा- "खाला आपके दूध तो बहुत मजे के हैं। दिल करता चूसता ही हैं."

खाला सेक्सी आवाज में फुसफुसाईं- "बेटा ये तुम्हारे ही हैं। जैसे मर्जी मजे लो इनसै?"

मैंने कहा- "खाला आपके दूध दिन करता पीता रहूँ...

खाला की सिसकी निकली। खाला ने कहा- "बेटा चूस लो जितने चूसने हैं। तुम्हारी खाला के दूध तुम्हारे ही हैं..."

अभी हम दोनों पूरा गरम हो गये थे। शायद इस वीरान जगह का असर था, जो खाला भी आज पहले से ज्यादा हाट लग रही थी।

खाला ने कहा "एक बात बताऊँ बेटा? किसी को बताना नहीं..."

मैंने कहा- "जी खाला बतायें." मैंने मम्मे चूसते हुये कहा।

खाला ने कहा "इन दूध को मम्मे कहते हैं। इनसे दूध निकलता है जब बच्चा पैदा हो ता है..."

मेरे अंदर मजे की लहर दौड़ी खाला की ये बात सुनकर। मैंने कहा- "खाला आपके मम्मे इतने बड़े क्यों है?" और चूसते हमें मैं मम्मे दबा रहा था। नीचे खाला और मैं लण्ड फुद्दी रगड़ रहे थे।

खाला ने कहा "बेटा शादी के बाद हो जाते हैं बड़े। तुम्हारे अंकल भी इनको चूसते और दबातें हैं इसलिए."

सेक्स मेरे दिमाग पे नशे की तरह चढ़ चुका था। मैं अब अम्मी को सेक्सी नजरों से देख रहा था, जिसका अम्मी को भी बखूबी अंदाजा हो रहा था।
 
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