Muslim Sex Kahani खाला जमीला - Page 6 - SexBaba
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Muslim Sex Kahani खाला जमीला

उसने कहा- "कल आओगे तो बताऊँगी.." और मुझे एक प्यार सी स्माइल दी, जिससे मेरा दिल बाग-बाग हो
गया।

मैंने कहा- "ठीक है आ जाऊँगा.."

उसने कहा- "बैठक का दरवाजा खुला होगा कल इस टाइम। तुम देखकर अंदर आना। मैं इतंजार करंगी तुम्हारा.."

मैंने हामी भरी और वहां से निकल आया।

घर पहुँच गया। घर में दाखिल हुआ तो वाशरूम के पास बाजी अमीना खड़ी थी। मैंने उनकी गाण्ड में चुटकी काट दी। वो उसली और मुझे चपत लगाई- "देख लिया करो आगे-पीछे भी..."

मैंने कहा- "कोई भी नहीं है यहां बाजी.." और एक बार उनका चूतड़ पकड़कर दबा दिया।

लेकिन इस बार बाजी में कुछ नहीं कहा। एक बार और दबाया उनका चूतड़ तो बाजी ने कहा- "क्या बात है दिल कर रहा है क्या फुद्दी लेने का?"

मैंने कहा- "बाजी, मिल जाए तो अच्छा है। वाकई बहुत दिल कर रहा है...'

बाजी ने कहा- "अच्छा मैं करती है कुछ.. तुम अंदर चलो.."

मैं अंदर चला गया और घर वालों के पास बैठ गया। थोड़ी देर बाद बाजी अंदर आई और मुझे इशारा किया ऊपर जाने का। मैं आराम से उठा और ऊपर चला गया। 5 मिनट बाद बाजी भी ऊपर आ गई।

बाजी ने कहा- "वहां वाशरूम में चलते हैं..."

फिर में और बाजी अमीना वाशरूम में चले गये, और कुण्डी लगा ली लेकिन लाइट नहीं जलाई।

बाजी ने कहा- "जल्दी-जल्दी कर लो, कोई ऊपर ना आ जाए। बहुत रिस्क लेकर हम आये हैं यहां.."

मेरा लण्ड तो पहले से ही खड़ा हो चुका था, जब से ऊपर आया हुवा था। बाजी में मेरा लण्ड पकड़कर चेक किया खड़ा है की नहीं? फिर बाजी ने सलवार नीचे की और दीवार के साथ घोड़ी बन गई। मुझे इशारा किया की आ जाओं जल्दी, अली अपना लण्ड अंदर करो।

मैं बाजी की गाण्ड के पास जाकर अपनी सलवार नीचे की और लण्ड में अच्छी तरह थूक लगाई, और लण्ड को फुद्दी पे फेरा, और जहां मुझे फुद्दी का सुराख लगा, वहा लण्ड पे प्रेशर डाला और लण्ड मेरा घुसता चला गया उनकी फुद्दी में।

बाजी को थोड़ा झुकना पड़ा था, फिर जाकर मेरा लण्ड उनकी फुद्दी के बराबर आया था। लण्ड डालकर मैंने बाजी के चूतड़ों को पकड़ लिया और फुदद्दी में लण्ड को धक्के लगाने लगा। मेरा लण्ड बाजी की फुददी में फँसा-फंसा जा रहा था, और अदर से फुद्दी गरम थी, जो लण्ड के रास्ते मुझे पूरा गरम कर रही थी।

बाजी ने अपनी टांगों के नीचे से अपना हाथ गुजारा और मेरे टट्टे पकड़कर सहलाने लगी। इससे मेरी टाँगें अकड़ गई। क्योंकी सिर से पैर तक की लहरें मेरे जिम में दौड़ रही थी। बाजी बड़े मस्त अंदाज में मेरै टटें सहला रही थी। में बात भी नहीं कर रहा था बाजी से की कही बाहर कोई सुन ही ना ले। वरना मेरा बड़ा दिल कर रहा था बाजी से सेक्सी बातें करने को। बाजी एक बार फारिग हो चुकी थी।

मैंने अपने हाथ मम्मों पे रख दिए थे, बा में अपना हाथ घुसा दिया था और बाजी के टाइट मम्मे पकड़ लिए जो मेरे हाथों में नहीं आ रहे थे। मैं फुद्दी में धक्के लगाने के साथ-साथ मम्मे भी लय के साथ दबा रहा था। बाजी की गरम सिसकियां निकल रही थी। मैं पूरा जोर-जोर बाजी को धक्के लगा रहा था। मैं थक गया था और बाजी भी। लेकिन मेरा लण्ड था की फारिग नहीं था हो रहा था।

अचानक बाजी आगे से बगल हुई और उकड़ होकर नीचे बैठ गई और मेरे लण्ड को पकड़ लिया। लण्ड पे बाजी की फुद्दी का पानी लगा हुआ था। अचानक मुझे नरम-नरम एहसास हुआ लण्ड पे। मैंने गौर किया तो बाजी में मेरा लण्ड होंठों में दबाया हुआ था। उफफ्फ... क्या जरम एहसास था लण्ड पे। इतना नरम एहसास तो बाजी की फुददी का भी नहीं हुवा था।

मेरे लण्ड में झटके लेने शुरू कर दिए। बाजी में जानदार चुप्पे लगाने शुरू कर दिए। मुँह की गरम महक मुझे लण्ड पे महसूस हो रही थी। मैंमें हरान भी था और मजा भी बहुत आ रहा था। कोई एक मिनट ही बाजी ने लण्ड को मुँह में रखा होगा की मेरा लण्ड फूलने लगा। बाजी को पता लग गया की मैं फारिग होने लगा हूँ। बाजी ने मुँह से लण्ड बाहर निकाला और हाथ से लण्ड को हिलाया और मैं फारिग हो गया।

वहीं मैंने लण्ड साफ किया और एक-एक करके वाशरूम से बाहर आ गये। फिर नीचे भी ऐसे गये जिससे घर वालों को शक ना हो। नीचे थोड़ी देर गप-शप हुई, और साने को लेट गये। में नीचे खाला के पास ही लेटा था। में जल्द सो गया था। रात को मेरी आँख खुली क्योंकी प्यास लग रही थी।

मैं उठा और पानी पीने किचन में गया। वापस आया तो खाला कर बट लिए सो रही थी। मैं दुबारा लेटा और सो गया। अगले दिन सारा दिन बस ऐसे ही छेड़छाड़ करते गुज़रा। जैसे है रात हई मुझे बाजी के घर जाने की जल्दी पड़ गई। मैंने खाना खाया और टहलने के बहाने बाहर निकाल आया, और मेरे कदम बाजी की दोस्त के घर की तरफ उठ गये।
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वहीं मैंने लण्ड साफ किया और एक-एक करके वाशरूम से बाहर आ गये। फिर नीचे भी ऐसे गये जिससे घर वालों को शक ना हो। नीचे थोड़ी देर गप-शप हुई, और साने को लेट गये। में नीचे खाला के पास ही लेटा था। में जल्द सो गया था। रात को मेरी आँख खुली क्योंकी प्यास लग रही थी।

मैं उठा और पानी पीने किचन में गया। वापस आया तो खाला कर बट लिए सो रही थी। मैं दुबारा लेटा और सो गया। अगले दिन सारा दिन बस ऐसे ही छेड़छाड़ करते गुज़रा। जैसे है रात हई मुझे बाजी के घर जाने की जल्दी पड़ गई। मैंने खाना खाया और टहलने के बहाने बाहर निकाल आया, और मेरे कदम बाजी की दोस्त के घर की तरफ उठ गये।
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बाजी की दोस्त के घर के बाहर पहुँचा तो देखा वो लड़की बैठक के दरवाजे में खड़ी थी। मैं इधर-उधर देखता अंदर चला गया बैठक के बाहर वाले रास्ते से। अंदर अधेरा था बैठक में। बस सहन की रोशनी से बैठक में हल्का सा उजाला था। मैं आ तो गया था, लेकिन दिल धड़क रहा था। अंदर से डर भी लग रहा था।

बाजी की दोस्त मेरे पास आई और अपना नाम उसने ज़ारा बताया। ज़ारा एक भरे हुये जिस्म की लड़की थी उम 20 साल से ऊपर थी। थी बड़ी सेक्सी, हाइट थोड़ी कम थी इसकी बाजी अमीना से।

मैंने कहा- "जी बतायें क्या कहना था अपने?" मैंने डरते-डरते सवाल किया।

जारा ने कहा- "मैं तुमसे दोस्ती करना चाहती हैं। क्या तुम मुझसे दोस्ती करोगे?"

ये सुनकर मैं बहुत खुश हुआ की एक लड़की मुझसे खुद दोस्ती करना चाहती है। मैंने कहा- "जी ठीक है, मैं तैयार हूँ आपसे दोस्ती के लिये.."

जारा ने कहा- "ठीक है... अब हम अच्छे दोस्त हैं, और मुझे आप आप ना कहो, तुम कहो."

मैं मुश्कुराया और कहा- "ठीक है जैसे तुम खुश.."

फिर ज़ारा मेरे करीब हुई।

मैंने उससे पूछा- "अम्मी अब्बू किधर हैं?"

उसने कहा- "भाई तो एक काम से शहर से बाहर गया है और अम्मी अब्बू इधर गाँव में है। एक घर फोतगी की ताजियत करने गये हैं..."

अब हम दोनों करीब खड़े थे। मैंने कहा- "ये रिस्क है, कोई आ ना जाए?"

जारा ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे तसल्ली दी. "कोई नहीं आता." और मेरे हाथ को वो अपने दोनों हाथों में लेकर मसलने लगी थी।

मैं चुप रहा और अपना हाथ नहीं छुड़वाया। क्याकी मुझे मजा आ रहा था उसके नरम हाथों को महसूस करके। तन्हाई में एक लड़की के साथ खड़ा था और अब मेरे लण्ड में सरसराहट हो रही थी। में समझ गया अब लण्ड खड़ा हो जायेगा।

जारा ने इस वक्त दुपट्टा नहीं लिया हुवा था। उसके मम्मे काफी टाइट थे। उसने शार्ट कमीज पहनी हुई थी और जीचे चूड़ीदार पाजामा। कुल मिलाकर ज़ारा एक सेक्स मशीन लग रही थी।

कुछ देर बाद मैंने कहा- "मैं अब चलता है काफी टाइम हो गया है..."

जारा ने कहा- "नहीं, अभी टाइम है अम्मी अब्बू के आने में..." इसके साथ ही ज़ारा मरे और करीब आ गई और मुझसे उसका जिस्म टच हुवा तो मुझे उसकी गरम साँसें अपने ऊपर महसूस हुई और धीरे से उसने मुझसे कहा "आओ इधर सोफे पे बैठते हैं.."
 
जारा ने कहा- "नहीं, अभी टाइम है अम्मी अब्बू के आने में..." इसके साथ ही ज़ारा मरे और करीब आ गई और मुझसे उसका जिस्म टच हुवा तो मुझे उसकी गरम साँसें अपने ऊपर महसूस हुई और धीरे से उसने मुझसे कहा "आओ इधर सोफे पे बैठते हैं.."

जब ज़ारा सोफे पे बैठी तो मुझसे सटकर बैठ गई और अपना चेहरा मेरी तरफ करके बैठी और अपना एक हाथ मेरी जांघ पे रख दिया। उसका हाथ मेरी जांघ पे रंगने लगा था। मेरा दिल उछल के गले में आ गया। लण्ड जो पहले ही खड़ा था उसने झटका लिया, जिसको जारा ने भी महसूस किया। इस वक़्त हम दोनों चुप थे और खामोश जबान समझ रहे थे एक दूसरे की।

अचानक जारा ने हाथ बढ़ाकर मेरा लण्ड पकड़ लिया। जैसे ही मेरा लण्ड उसके हाथ में जकड़ा गया, साथ ही जारा की आवाज निकली- "ओहहह... इतना लंबा वाउ... इस उम्र में 5 इंच का लण्ड बड़ी बात थी उसके लिये। फिर ज़ारा ने कहा- "अली तुमनें तो पूरा नाग पाल रखा है..."

मैं मुश्कुरा के रह ग्या। अब ज़ारा का हाथ लण्ड पे चल रहा था। मैंने अपना एक हाथ ज़ारा की मोटी जांघ पे रख दिया। रेशमी सूट के ऊपर से उसका जिश्म ऐसे ही था जैसे नंगे जिस्म का हाथ लगा रहा है। मेरी झिझक खतम हो गई थी। मैं ज़ारा की नरम जांघ को दबा रहा था अब, और मजे से लण्ड दबवा रहा था। ज़ारा ने अपना हाथ मेरी सलबार में डाल दिया और लण्ड को पकड़ लिया। लण्ड की टोपी पें एक खास अंदाज में अपने हाथ के अंगूठे का दबाया जिससे मेरा लण्ड जोश से सनसना उठा।

मेरे लण्ड में एक्सट्रा एनर्जी आ गई ऐसा करने से। मेरी आँखें बंद हो गईं। ज़ारा में मेरी सलवार पकड़कर नीचे खिसकाई। अब मेरा लण्ड नंगा हो गया था। ज़ारा ने लण्ड को मुँह में लिया और जबरदस्त चुप्पा लगाया और टोपी की नोक पे जुबान की नोक फेर रही थी साथ में। मुझे हैरानगी नहीं हुई। क्योंकी बाजी की सहेली थी तो ऐसा ही होना था।

जारा लण्ड को मुंह में गोल-गोल घुमा रही थी। अचानक वो उठी उसने अपनी सलवार उतार दी और मेरे ऊपर आकर बैठ गई टाँगें बायें दायां रखकर, और मुह मेरी तरफ कर लिया। उफफ्फ... जब वो बैठी तो उसकी गरम फुद्दी मेरे लण्ड से टच हुई। मेरा गरम लण्ड उसकी गीली फुद्दी की नीचे दब गया था। उसने मुझे किस की
और मैं भी उसका जवाब देने लगा।

जारा धीरे-धीरे हिलने लगी, जिससे उसकी फुद्दी मेरे लण्ड पें घिसने लगी थी। मेरा मजं से बुरा हाल हो गया था। मैंने अपने हाथ बढ़ाए और उसके चूतड़ बगल से पकड़कर मसलने लगा। चूतड़ों पे गास्त बहुत नरम था उसका। दिल कर रहा था यहां से जारा के चूतड़ पकड़े रखें बंदा।

किस करते हमें ज़ारा हिल रही थी। उसकी फुददी से पानी निकलकर मेरे लण्ड पे बह रहा था। मैं समझ गया

ज़ारा फारिग हो रही है, लेकिन उसकी हवस कम नहीं हुई थी। इसलिए अभी भी लण्ड में बैठी फुद्दी को मसले जा रही थी लण्ड पें।

मेरे लण्ड का इस वक़्त बुरा हाल हो रहा था। मुझे लग रहा था अब मेरा भी निकलने वाला है। मैंने ज़ारा के चूतड़ों को जोर से पकड़ लिया और घस्से लगाने लगा उसकी फुद्दी पें। ज़ारा की सिसकियां निकाल रही थी। कुछ देर बाद में फारिग हो गया।

जारा मुझपर से उठी सलवार पहनी, और मैंने भी अपने कपड़े ठीक किए। ज़ारा को लंबी किस की और बाहर निकल आया बैंठक के रास्ते। कल गत दुबारा आने का टाइम हमने फिक्स कर लिया था।

में घर पहुँचा तो खाला ने कहा- "इतनी देर कहां लगा दी?"
 
मैंने कहा- "बस घुमता रहा, टाइम का पता नहीं चला..."

खैर, कुछ देर गपशप करके सोने के लिये लेट गया। फिर ऐसा कुछ खास नहीं हुआ। मैं सो गया और सुबह अपने टाइम में उठा। नहा धोकर नाश्ता किया और टीवी लगाकर बैठ गया।

हमको एक हफ़्ता हो गया था यहां आए, और में अब तक दो फुदिया मार चुका था माँ बेटी की। दोनों ही सेक्स
के मममले में खिलाड़ी निकली थी। मेरा इस वक़्त बड़ा दिल कर रहा था खाला से मस्ती करने का। सुबह का टाइम था हर कोई किसी ना किसी काम में बिजी था। खाला किचेन में थी। मैं उनकी तरफ ही देख रहा था की कोई मोका बने और मैं खाला को झप्पी लगाऊँ।

अचानक खाला किचेन से निकली और नानी के कमरे में अपने चूतड़ मटकाती चली गई। मेरी नजर चूंकी उन में पहले से थी इसलिए उनके भारी चूतड़ हिलते हुये मुझे दिख गये।

मैं भी मोका देखकर उठा और खाला के पीछे चला गया। खाला रूम में अपना सूट निकालकर प्रेस कर रही थी खड़ी होकर। मैं गया और खाला को पीछे से झप्पी लगा लो, और कहा- "खाला आई मिस यू...

खाला मुश्कुराई और कहा- "खैर तो है? आज सुबह ही मेरी याद आ गई। रात को तो तुम जल्दी सो गये थे। मुझे लगा था शायद तुम झप्पी लगाने आओ मेरी चारपाई पे..."

मैंने खाला को अपने साथ दबातें हमें कहा "बस खाला पता ही नहीं चला कब नींद आ गई." अब उनको क्या बताता रात को की आपका भांजा फुद्दी पे लण्ड रगड़ के आया था।

मैंने हाथ ऊपर किए और खाला के मम्मे पकड़ लिए। उनका दबाया तो खाला ने मेरे हाथों पे चपत लगाई- "क्या कर रहे हो बेटा। जगह तो देख लिया करो की हम कहां खड़े हैं। हर जगह शुरू हो जाते हो."

मैंने कहा- "खाला क्या करू? आपके बगैर रहा भी तो नहीं जाता..." और नीचे से लण्ड को खाला के चूतड़ों में घुसा दिया जो अब खड़ा हो रहा था।

खाला ने कहा "बेटा हाथ तो पीछे कर लो, कोई अचानक आ गया तो अच्छा नहीं लगेगा."
 
मैंने हाथ ऊपर किए और खाला के मम्मे पकड़ लिए। उनका दबाया तो खाला ने मेरे हाथों पे चपत लगाई- "क्या कर रहे हो बेटा। जगह तो देख लिया करो की हम कहां खड़े हैं। हर जगह शुरू हो जाते हो."

मैंने कहा- "खाला क्या करू? आपके बगैर रहा भी तो नहीं जाता..." और नीचे से लण्ड को खाला के चूतड़ों में घुसा दिया जो अब खड़ा हो रहा था।

खाला ने कहा "बेटा हाथ तो पीछे कर लो, कोई अचानक आ गया तो अच्छा नहीं लगेगा."

मैंने हाथ नीचे कर लिए और खाला को गाल पे किम की, और कहा- "लो मेरी स्वीट खाला जान, कर लिए हाथ नीचं..." फिर मैंने पूछा- "नहाने लगी हो?"

खाला ने कहा "हो..."

मैंने शरारत से कहा- "अकेले ही नहाना है। मुझे भी साथ ही नहला दें..."

खाला हँसी और कहा "चल हट बेशर्म... अब तुम बड़े हो गये हो.."

मैंने अपना खड़ा लण्ड उनकी गाण्ड में दबाया और कहा- "में बड़ा हो गया था मैं बड़ा हो गया?"

खाला ने कहा "दानों ही बड़े हो गये हैं."

में बड़ा खुश हुवा की खाला मुझसे ऐसी बात कर रही हैं। खुलकर नहीं तो चलो टके-छुपे लफ़्ज़ों में ही सही। मैंने अपने हाथ खाला के मोटें चतड़ा पे रखें और कहा- "खाला आपके भी तो ये एक्सट्रा बड़े हो गये हैं। इनको क्या खिलती हो आप?"

खाला ने कहा "इनको तुम्हारे खालू दाना डालते हैं..."

मैं बड़ा हैरान हुआ। खाला आज किसी और ही मूड में हैं, जो आराम से ऐसी बातें किए जा रही थी। मैंने उनके चूतड़ों को दबाकर कहा- "खाला मुझे ये बहुत पसन्द हैं.

खाला ने कहा "अच्छा तो इसीलिए अपनी पसन्द की चीज तुमने पकड़ी हुई है?" और हम दोनों मुश्कुराए।

मैंने कहा- "जी खाला, इसीलिए पकड़ी है... मैंने खाला के चूतड़ों को पकड़कर फैलया और लण्ड को लकीर में फैंसा दिया, जो सीधा गाण्ड के छेद पे जा लगा।

खाला ने अपने चूतड़ दबा लिए, और दो-तीन बार अपने चूतड़ों को नरम और टाइट किया मेरे लण्ड पे। जिससे मेरे लण्ड से जान निकलती हुई महसूस हुई।

खाला ने कहा "ध्यान रखना कोई आ ना जाए..."

मैंने कहा- "नहीं आता खाला, मेरा ध्यान दरवाजे में है...

खाला अब पूरी तरह मेरे लण्ड पे अपने भारी चूतड़ नरम और टाइट कर रही थी। मुझे लग रहा था खाला में कुछ देर और ऐसा किया तो मैं यही फारिग हो जाऊँगा। मैंने लण्ड बाहर निकाल लिया उनके चूतड़ों से, क्योंकी मैं अभी फारिग नहीं था होना चाहता था।

खाला ने कहा "क्या हुवा बेटा, मजा नहीं आया?"

मैंने कहा- "खाला मेरा होने लगा था, इसलिए निकाल लिया."

खाला शरारती मुश्कान के साथ कहा- "होने देते.."

मैंने खाला की तरफ देखा तो खाला मुश्कुरा रही थी। बाहर से किसी के आने का एहसास हुआ तो में पीछे होकर खड़ा हो गया।

***** *****
 
ये लुबना थी। उसने आकर कहा- "अम्मी आपको बाहर मामी बुला रही है...

खाला बाहर निकल गईं।

मजे लुबना को रुकने का इशारा किया। जैसे ही खाला बाहर निकली मैंने लुबना को पकड़ लिया और उसको किस करने लगा।

लुबना अपने आपमें मुझे छुड़वाने लगी, और कहा- "काई आ जायेगा.."
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लेकिन मैंने नहीं छोड़ा। मैंने अपना खड़ा लण्ड उसकी फुद्दी से जोड़ दिया, और उसके मम्मे पकड़ लिए। लुबना अब टोली पढ़ गई थी। में पहले ही बहुत गरम हो रहा था और दिल कर रहा था लण्ड किसी फुद्दी में डाल दूं। मेरा लण्ड बुरी तरह अकड़ा हुवा था।

मैंने लुबना को कहा- "जान, बड़ा दिल कर रहा है तुम्हारी फुद्दी मारने को.."

लुबना ने कहा- “नहीं यहां नहीं। जब अपने घर जायेंगे फिर ले लेना."

मन लुबना को दरवाजे के साथ दीवार के साथ लगाया हुआ था, और लण्ड से उसकी फुद्दी पे घस्से मार रहा था।

लुबना ने कहा- "अब बस भी करो, मुझे जाने दो... लुबना ने जोर लगाकर मुझसे छुड़वाया और बाहर भाग गई।

मैं कुछ देर अंदर रुका ताकी लण्ड बैठ जाये। जब बैठ गया तो मैं भी रूम से बाहर निकल आया। जहां बाजी बच्चों को पढ़ा रही थी। दो दिन से मैंने काम नहीं लिखा था।

बाजी ने कहा- "अली किताबें ले आओ और काम लिखो बैंठकर..."

मैंने बैग लिया अंदर से और किताबें लेकर बैठ गया। बाजी पास बैठी हुई थी। मैंने काम लिखते हो बाजी को कहा- "आज बड़ा दिल कर रहा है फुद्दी मारने के लिये प्लीज ... कुछ करा...")

बाजी ने पहले तो नखरा दिखया फिर कहा- "अच्छा... मैं कुछ करती हैं..." फिर जब पढ़ लिख के फारिग हमें तो
आसमान में बादल बन गये। बारिश का मौसम हो गया।

मामी ने बाजी से कहा- "ऊपर से जाकर कपड़े उतार लो, सूखने को डाले हमें थे..."

बाजी ऊपर चली गई और मुझे भी ऊपर आने का इशारा कर दिया। मैं सबसे नजर बचाकर ऊपर चला गया। मैं और बाजी ऊपर रूम में चले गये, और खिड़की के पास खड़े हो गये, जिससे बाहर की नजर रख सकें। मैं और बाजी ने झप्पी लगाई और किस करने लगे। किस करते हये बाजी ने मेरी सलवार नीचे की और अपनी भी। फिर मेरे लण्ड को फुद्दी पे अडजस्ट किया और लण्ड दबा लिया। मैंने बाजी के मम्मे पकड़ लिए और दबाने लगा। बाजी जीचे में लण्ड पे अपनी फुददी रगड़ रही थी।

फिर बाजी में मुझे छोड़ा और दीवार के साथ अपनी गाण्ड निकालकर घोड़ी बन गई। मैं बाजी के पीछे गया लण्ड पे थूक मला और फुद्दी की सीध में लण्ड रखकर लण्ड को फुद्दी में उतार दिया। साथ ही बाजी की एक सेक्सी आह्ह ... निकली मुँह से। मेरा मजे से बुरा हाल था और मैं चाह रहा था ऐसे ही लण्ड डालें खड़ा रह बाजी की फुद्दी में।

लेकिन बाजी ने कहा- "अली जल्दी-जल्दी करो, कोई ऊपर ना आ जाये।

ये सुनते ही मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी और अपने हाथ बाजी की बाहर को निकली हुई गाण्ड पे रख दिए और नरम गाण्ड को दबाकर डबल मजा ले रहा था। कुछ देर बाद में और बाजी इकट्ठे फारिग हमें। मैं नीचे चला गया और ऐसे शो किया की मैं बाहर से आ रहा हैं। दोपहर का खाना खाकर मैं सो गया।
 
शाम को उठा और रात तक कुछ खास नहीं हुवा। खाना खाकर मैं बाहर निकाल गया और ज़ारा के घर की तरफ चल पड़ा। उनके घर पे पहुँचा तो बैठक का दरवाजा खुला हुआ था। मैं अंदर दाखिल हो गया और ज़ारा का इतंजार करने लगा। आज घर पे ज़ारा के अम्मी अब्बू भी थे, लेकिन मैं फिर भी आ गया ज़ारा से मिलने के लिये इसके घर, सिर्फ नई फुदद्दी के चक्कर में।

कुछ देर बाद ज़ारा अंदर आई। उसने लाइट जला दी। राशनी हई तो मेरी नजर जारा पे पड़ी। आज उसने ब्लैक कमीज सलवार पहनी हुई थी। वो मेरी तरफ बढ़ी। मैंने उसको झप्पी लगा ली और हम किस करने लगे। ज़ारा पूर जोशीले अंदाज में मुझे किस कर रही थी। मैंने उसकी जुबान चूसी और उसने मेरी। उसकी जुबान चूसने का स्टाइल बहुत सेक्सी था, ऐसा लग रहा था जैसे लण्ड चूस रही हो।

कुछ देर बाद ज़ारा और मैंने अपनी सलवार नीचे कर ली। उसने मेरा लण्ड पकड़ा और में उसकी गरम फुद्दी पे हाथ फेरने लगा, और जल्द ही उसकी फुद्दी में उंगली डालने लगा। ये क्या इसकी भी फुद्दी खुली हुई थी। बहनचोद इस गाँव की लड़कियां पहले ही फुद्दी खुलवा चुकी हैं।

मैंने उससे पूछा- "पहले किससे सेक्स किया हुआ है?"

ज़ारा बोली- "अपने मंगेतर से..."

मैंने पूछा- "कितनी बार?"

जारा बोली- "5-6 बार उसने मारी फुद्दी मारी है। लेकिन अब वो दुबई चला गया है। एक साल बाद आयेगा और हमारी शादी होगी..."

मैं समझ गया की लण्ड की तलब उसको मुझ तक खींच लाई थी। मैं उसकी फुदद्दी में उंगली कर रहा था। ज़ारा की फुद्दी पूरा सफाचट थी। शायद आज ही उसने साफ की थी। ज़ारा मेरे लण्ड को दबा रही थी।

मैंने कहा- "चला सेक्स करते हैं। काई आ ना जाए तुम्हारे घर से.."

जारा तैयार हो गई, अपनी सलवार उत्तार के वो सोफे पे लेट गई। मैं अपनी सलवार उतारने लगा और ध्यान जारा की चमकती फुदद्दी पे था। ज़ारा की जांघे फूली हुई थी और चिकनी थी जैसे उस पे तेल लगा हो। मैं भी सलवार उतार के जारा के पास गया। ज़ारा ने अपनी टांगें उठाकर बगल में फैला ली, तो उसकी फुद्दी खुलकर मेरे सामने आ गई।

मैं अभी उसकी टांगों में बैठा ही था की बैठक दरवाजा खटका घर की तरफ वाला। मेरे तो टटें शांत हो गये। जारा बिजली की सी तेजी से उठी सलवार पहन रही थी।

तभी ज़ारा की अम्मी की आवाज आई- "बेटा तुम्हारे अब्बू बुला रहे हैं..."

मैंने फटाफट सलवार पहनी और सोफे के पीछे छुप गया। खौफ से मेरी हालत मरने वाली हो गई थी। लण्ड ऐसा हो गया था जैसे पूरी जिंदगी उठा ही ना हो।

ज़ारा दरवाजा खोलकर बाहर चली गई और मुझे रुकने का इशारा कर गईं। लेकिन उसके बाहर निकलते ही मैं उठा और बढ़कर दरवाजे से निकलता हुआ गली में आ गया, और अपने घर की तरफ चल पड़ा। शुकर कर रहा था बाल-बाल बचा मैं। अब जैसे ही खतरे से बाहर निकला तो लण्ड फिर अकड़ने लगा था। लेकिन किसी ना किसी तरह लण्ड को संभालते में घर पहुंच गया।

घर में दाखिल हुवा ता बाजी ने पूछा- "क्या बात है, आज कल काफी देर टहलकर आते हो? खैर ता है?"
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में अंदर से मुश्कुराया और कहा- "हाँ तुम्हारी सहेली की फुद्दी पे टहलकर आता है.." और मैं ऐसा सिर्फ सोच सकता था कह नहीं सकता था बाजी को। खैर, मैंने बाजी को टाल दिया और अंदर चला गया।

आज मौसम खराब था। इसलिए सबने आज अपने रूम में ही सोना था। मैंने खाला के साथ नानी वाले रूम में ही सोना था। आज मेरा खाला के साथ मूड था, रात को मस्ती करने का। क्योंकी लण्ड मुझे अभी भी बेचैन कर रहा था। सब बैठे टीवी देख रहे थे और मैं चाह रहा था की फटाफट टाइम गजरे और सब अपने रूम में चलें।

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सभी बरामदे में बैठे हये थे। टीवी लगा हुआ था, लेकिन देख काई नहीं रहा था सभी गप्पें मार रहे थे। 10:00 बज चुके थे, लेकिन लगता था जैसे अभी किसी के साने का मूड नहीं है। शायद मौसम ठंडा था इसलिए सब एंजाय कर रहे थे।

सब का मूड बन गया चाय पीने का। बड़ी मामी उठी तो किचेन में चली गई चाय बनाने। मेरे लण्ड ने अंगड़ाई ली और कहा- "चलो मामी के पास किचन में..' में भी फिर पानी पीने के बहाने उठा और सीधा किचन में गया।

मामी मुझे देखकर खुश हो गईं। सहन में अंधेरा था, बस किचेन में रोशनी थी। मैं आगे बढ़ा और मामी को पीछे से झप्पी डाल ली, और गर्दन में किस की मामी को। मेरा लण्ड मामी के चूतड़ों में दब गया। लण्ड चूतड़ों की गर्मी पाकर खड़ा हो रहा था।

मैंने मामी के बाजू के नीचे से अपने हाथ गुजारे और मम्मे पकड़ लिए। मामी ने इस वक्त बा नहीं पहना हुआ
था। मैंने पूग- "मामी बा नहीं पहना आपने?"

मामी ने कहा- "बेटा, रात को उतार के सोती हूँ मैं.." और मामी भी अब अपने चूतड़ मेरे लण्ड पे रगड़ रही थी को अचानक लेट चली गई। हर चीज अंधेरे में डूब गईं।

मन मोके का फायदा उठाया और हाथ मामी की कमीज में डालकर नंगे मम्मे पकड़ लिए। मम्मे दबाने लगा और बीच में मामी के निपल भी मरोड़ देता था। मामी ने अपना एक हाथ पीछे किया और मेरा लण्ड पकड़ लिया उसको एक बार दबाया और अपने चूतड़ों की लाइन में फिट करके गाण्ड लण्ड पे दबा दी।

मेरा लण्ड सीधा मामी की गाण्ड में घुस गया। मम्मे दबातें हये मैं में हाथ नीचं लाया और बगल में सलवार में घुसा दिए, और मामी की मोटी-मोटी जांघों पे हाथ फेरने लगा। मामी की जांघ इस कदर चिकनी थी की मेरे हाथ फिसल रहे थे, और लण्ड झटके मार रहा था मामी के चूतड़ों में।

इतनी देर में अंदर से आवाज पड़ी. "चाय ले आओ.."

मैं पीछे हो गया मामी फटाफट चाय कपों में डालने लगी। मैंने एक ट्रे उठाई, अंदर चला गया। मामी भी पीछे से आ गईं। मोमबत्ती जलाई हई थी वहां। सब चाय पीने लगे। मैं बाजी अमीना के पास बैठ गया और अपना एक हाथ उनके चूतड़ों पे रख दिया, और बाजी की गाण्ड चेक करने लगा। वहां अंधेरा था। बाजी में अपना एक हाथ मेरी जांघ में रख दिया था।

मैंने बाजी की सलवार में पीछे से हाथ डाला। बाजी थोड़ा सा ऊपर उठ गई, जब मेरा हाथ उनके चूतड़ों के नीचे दबा तो वा बैठ गई। मुझे अपने हाथ पे बाजी के चूतड़ों का नरम-नरम और गरम सा एहसास हो रहा था। मैं अपनी उंगली हिलाकर उनकी गाण्ड का मजा ले रहा था।

इधर बाजी मेरे लण्ड के करीब पहुँच गई थी। उसकी उंगलियां अब मेरे लण्ड पे रेंग रही थी। जब पूरा हाथ लण्ड पे पहुँच गया तो उन्होंने लण्ड को मुट्ठी में दबा लिया। मेरा अकड़ा हुआ लण्ड उनकी मुट्ठी में था जिसको वो धीरे-धीरे हिला रही थी। मैंने एक टांग ऊपर रखी हुई थी, जिस वजह से मेरे लण्ड का ओला बन गया था सबसे। क्योंकी हम दोनों सबसे बगल बैठे हमें थे।

सब चाय पी चुके थे। मैंने हाथ निकाल लिया, तो मुझे खाला ने कहा- "चलो बेटा अब आ जाओं रूम में.."
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लुबना बाजी अमीना के साथ चली गई। नानी पहले ही सो चुकी थी रूम में। रूम में पूरा अंधेरा था, बल्की पो घर में अधेरा था। लाइट शायर ट्रान्सफार्मर से खराब हो गई थी।

मैं और खाला अपनी-अपनी चारपाई में आकर लेट गये। चारपाई हमारी जड़ी हई थी। कुछ देर बाद मैंने अंधेरे में हाथ आगे किया जा खाला की गाण्ड से टकराया। खाला ने अपना हाथ पीछे किया और मेरे हाथ में अपना हाथ रखा, और धीमी आवाज में पूछा- "क्या हुवा बेटा?"

मैंने कहा- "कुछ नहीं.."

खाला मेरे हाथ को सहलाने लगी।
 
कुछ देर बाद मैंने हिम्मत करके खाला से धीमी आवाज में कहा- "खाला आपकी चारपाई पे आ जाऊँ?"

खाला ने भी फुसफुसा कर कहा- "आ जाओ बेटा.."

इस तरह ऐसे लग रहा था जैसे सेक्सी आवाजों में हम बातें कर रहे हो। मैं उठा और आराम से उनकी चारपाई पे चला गया। मैंने कमीज पहले ही उतरी हुई थी। खाला भी दुपट्टा उतार के लेटी हुई थी।

खाला अब सीधी होकर लेट गई थी, और मेरा हाथ उनके पेट पर था। मैं हाथ को धीरे-धीरे खाला के नरम पेट पे घुमा रहा था और मजा ले रहा था। मैंने खाला की तरफ करवट ली हुई थी।

मैंने कहा- "खाला, आज तो बड़ा ठंडा मौसम है। आज यहीं मुरी बना हुवा है...

खाला ने कहा "मुरी भी जायेंगे कभी। फिर वहां खूब एंजाप करेंगे..."

में अब खाला के और करीब हो गया था।

खाला में अपना दायां बाजू आगें किया और कहा- "इस पें अपना सिर रख लो.."

मैंने सिर उठाया और उनके बाज़ में रख लिया। इस तरह मैं अब खाला के साथ चिपक गया था और मेरा चेहरा खाला के मम्मे को बगल से छूने लगा। मुझे खाला के जिश्म को भीनइ-भीनइ खुशबू चढ़ने लगी।

खाला ने मुझे अपने साथ दबा लिया और कहा- "मो जाओं बेटा। अब काफी टाइम हो गया है.."

मैंने कहा- "खाला, नींद नहीं आ रही अभी.." फिर मैंने खाला को गाल पे किस की और कहा- "आप भी ना सोना अभी खाला प्लीज..."

में किस की और कहा- "आप भी,

खाला ने मुझे चपत लगाई और कहा- "तुमको बड़ा शौक है मुझे जगाने का?"

हम धीमी आवाज़ में बातें कर रहे थे और चेहरे पास-पास थे हमारे। माहौल काफी रोमैटिक बन गया था। खाला ने अचानक मेरी तरफ करवट ली और पूरा मेरे से जुड़ गई। अब हमारे चेहरे बिल्कुल पास-पास थे।

मैंने खाला के होठों पे किस की और अपनी आवाज को सेक्सी बनाकर कहा- "खाला आपके होंठ बड़े मुलायम हैं। दिल कर रहा है खा जाऊँ इनको..."

खाला ने भी इसी लय में कहा- "खा जाओ बेटा। तुम्हारी खाना तुमसे बहुत प्यार करती है..."

जब खाला ने ऐसा कहा तो मैंने अपनी एक टांग खाला के ऊपर रख दी और हाथ खाला की गर्दन में ले गया। वहां नंगे सीने और गर्दन में हाथ फेरने लगा, और अपने होंठ खाला के होंठों के ऊपर रखें और उनको धीरे-धीरे किस कर रहा था और होठ रगड़ रहा था। लण्ड मेरा कच का खड़ा हुवा खाला की जांघों से छू रहा था। खाला भी अब अपने होंठ मेरे होंठों से रगड़ रही थी अभी।

मैंने कहा- "खाला मजा आ रहा ऐसा कर?"

खाला में बस हम्म्म्म की आवाज निकली मुँह से।

इस वक़्त मुझ पे पूरा सेक्स सवार हो गया था और दिमाग पे हवस चढ़ गई थी। खाला भी अब गरम हो रही
थी। अभी तक हम में खुलकर कुछ नहीं हुआ था। सीने में हाथ फेरत-फेरते मैंने हाथ खाला के मम्मे में रख दिया। अब मैं खाला का हॉठ पकड़ा और चूसने लगा। खाला की गरम साँसें मेरे चेहरे पे पड़ रही थी।
 
मैंने कुछ देर होंठ चूसकर खाला से कहा- "खाला मुझे आपका दूध पीना है...'

खाला ने अपनी कमीज पकड़ी और ऊपर कर दी अपने गले तक। मैंने हाथ आगे किया और ब्रा पकड़कर ऊपर कर दिया। खाला का बायां मम्मा बाहर निकल आया। जैसे ही मम्मा बाहर निकला, मैंने पकड़ लिया और अपना मुँह उनके मोटें निपल से लगा दिया। उफफ्फ... क्या मम्मा था खाला का। भारी मम्मा इस बात मेरे हाथ में था। खाला की सिसकियां निकल गई थी। खाला अपनी सिसकियां दबा रही थी।

में मम्मे को जोर-जोर से दबा रहा था, और निपल पे कभी जुबान की नोक पंचता या चूसने लग जाता। जब जुबान की नोक निपल पे फेवता तो खाला का जिस्म कांप जाता। मैं इस बक्त्त पूरा मजे में था और लण्ड मेरा फटा जा रहा था, इस कदर हाई हो गया था।

मम्मे चूसने का मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। खाला भी मजे में थी और मेरे सिर को अपने मम्मे पे दबा रही थी। जिस बजह से मेरा मुँह उनके मोटे मम्मे पे दब गया था। मैंने खाला की एक टांग पकड़ी और अपने ऊपर कर दी, और अपना लण्ड पकड़कर खाला की फुद्दी से लगा दिया। जैसे ही लण्ड फुट्दी पे लगा, तो मुझे ऐसे लगा जैसे खाला में अपनी फुददी मेरे लण्ड में दबा दी हो।

इधर मैंने खाला का पूरा मम्मा गीला कर दिया था चूसकर। मम्मे से मुँह उठाकर मैंने खाला को कहा- "खाला अपनी कमीज उतार लें ना... ऐसे उलझन हो रही है मुझे.."

खाला ने कहा "नहीं बेटा, ऐसे कोई अचानक आ गया तो मसला बन जायेगा.."

मैंने कहा- "खाला कोई नहीं आता। अगर आ भी गया तो लाइट गई हुई है। अंधेरे में किसी को क्या पता चलेगा?"

खाला कुछ देर हिचकिचाई। लेकिन जब मैंने फोर्स किया तो खाला मान गई। खाल उठी, अपनी कमीज और वा उत्तार दिया। मैं सोच-सांच के पागल हो रहा था की खाला मेरे सामने कमीज उत्तार रही हैं। चाहे अंधेरा ही था लेकिन ये एहसास ही बड़ा जानलेवा था की खाला मेरे सामने ऊपर से नंगी हो गई हैं।

खाला सीधा लेट गई। मैं उठा और खाला के ऊपर चढ़ गया और खाला के दोनों मम्मे पकड़ लिए।

खाला हँसी और कहा- "सबर नहीं होता तुमसे तो?"

मैं मुश्कुराया और अपना मुँह खाला के मम्मों में घुसा दिया। खाला के भारी और मोटे मम्में इस बात मेरे हाथों में थे। लण्ड को मैने खाला की जांघों में फंसा लिया। जैसे ही लण्ड जांघों में डाला।

खाला ने मेरा लण्ड पकड़कर बाहर निकाला और कहा- "इसको कंट्रोल में रखो..." और हल्का सा लण्ड दबा दिया।

मेरे मुह से सिसकी निकल गईं।

खाला ने शरारत से कहा- "क्या हुवा बेटा, क्या जोर से दब गया? अच्छा मैं सहला देती हैं ताकी ठीक हो जाये..." कहकर खाला में दोबारा लण्ड पकड़ा और मुट्ठी में दबाकर हल्का-हल्का सहलाने लगी।

मेरा जिस्म कांपने लगा, खाला के हाथ में लण्ड देकर। खाला बड़े प्रोफेशनल अंदाज में लण्ड को सहला रही थी।

और में उनके नंगे मम्मे दबा रहा था। फिर खाला में हाथ पीछे कर लिया लण्ड से।
 
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