Muslim Sex Kahani खाला जमीला - Page 8 - SexBaba
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Muslim Sex Kahani खाला जमीला

अम्मी ने पूछा- "क्या हुवा बेटा, ठीक तो हो ना?"

मैंने कहा- "जी अम्मी जान बहुत अच्छा है मैं। आपसे झप्पी लगाकर भला मुझे कुछ हो सकता है?" और इसके साथ ही मैंने अपना जिश्म हिलाया जिससे मेरा लण्ड एक बार उनकी जांघों से रगड़ खा गया।

मैं अब अम्मी के चेहरा पे अपना हाथ फेरने लगा और होंठों पे उंगली फेर देता। जिसको अम्मी भी बड़ा एंजाय कर रही थी। फिर मैं अम्मी के होंठों के किनारों को चूमने लगा, और अम्मी भी मुझे अपने साथ दबाने लगी। अम्मी के होंठ फड़काने लगे थे।

कुछ देर बाद अम्मी ने कहा- "चलो बैटा नीचे चलते हैं। काफी टाइम हो गया है और मैं अब ठीक हैं..."

फिर हम दोनों नीचे आ गये। ठंड ज्यादा हो गई थी। इसलिए सबके लिये चाय बनी। जो सबने पी ली। मैं कजनों के साथ बैठ गया। जहां हमने सोजा था वहां गम में बैठे मंगफली खाते हये बातें कर रहे थे। रात के दो बजे सोने के लिये लेट गयें। मैं भी जल्द सो गया क्योंकी थका हुआ था।

सुबह वालिमा था। जब में उठा तो 9:00 बज रहे थे। फ्रेश होकर नाश्ता किया और घर वालों के साथ बालिमा की तैयारी में लग गये। खाने का इंतजाम साथ के हो खाली प्लाट में तंबू बगैरा लगाकर किया गया था। वहीं डेंग पक रही थी। मुझे भी वहां काम पे लगा दिया गया, गास्त साफ करने में।

खैर, इसी तरह टाइम गुजरता रहा और वालिमा भी हो गया। कोई खास बात नहीं हुई। भाभी और कजन चले गये भाभी के घर। अगले दिन हमको मकलावा लेने जाना था। आज कुछ मेहमान भी कम हो गये थे। इसलिए आज रात अपने घर में ही सोना था खाला के साथ ही। हमारे रूम वाली दूसरी औरतें जा चुकी थी। आज हमें अकेले सोना था अपने रूम में।

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रात का खाना खाकर फारिग हो गये तो अब औरतें बैठी बातें कर रही थी। आधे मेहमान जा चुके थे।
 
में पानी पीने के लिये किचेन में गया तो वहां बाजी जोया बत्तन धो कर रही थी। उन्होंने दुपट्टा नहीं लिया हुवा था, जिस वजह से उनके मोटे मम्मे हिलते हये नजर आ रहे थे। गोल-गोल भारी मम्में कमीज में हिल रहे थे। में पानी पीने के बहाने बाजी के पीछे खड़ा हो गया उनसे जुड़कर।

बाजी ने मुझे देखा और कहा- "बाज आ जाओ। यहां कोई भी आ सकता है.."

मैंने कहा- "सब बातों में बिजी है. और हाथ आगे करके बाजी के माटे गुदाज मम्मे पकड़ लिए। नरम मम्मे मेरे हाथों में आए तो उनको दबाने लगा। नीचे लण्ड को चूतड़ों में दबाने लगा।

बाजी हिल रही थी और मना भी कर रही थी। लेकिन मैं मजे से लगा हुआ था। अचानक बाहर से कदमों की
आवाज आई, और में छोड़कर पानी पीने लगा।

आने वाली फूफा थी। उन्होंने कहा- "चाय बनाकर ले आओ.." और फूफी चली गई।

बाजी ने मुझे भी कहा- "तुम भी जाओ अब बाहर."

गत को सोने के लिये में और खाला रुम में आ गये। बैंड हालांकी दो थे वहां। लेकिन मैं खाला के साथ ही लेट गया। लेटते ही मैंने और खाला ने झप्पी डाल ली। खाला ने मुझे अपने साथ दबा लिया।

खाला ने किस करतं हां कहा- "बड़ा दिल कर रहा है सेक्स करने का... लेकिन मासिक आए हयं है...

मैंने पूछा- "कब जाएंगे?"

खाला ने कहा "परसों खतम होंगे..." मेरा लण्ड अब पूरा हाई होकर खाला की फुद्दी से छ रहा था।

मैंने खाला का एक मम्मा पकड़ लिया जो हाथ में पूरा नहीं आ रहा था। मम्मा दबातें हमें मैंने कहा- "खाला तुम्हारे मम्में बड़े सेक्सी और बड़े-बड़े हैं."

खाला ने कहा- "तुमको क्या पसन्द है?"

मैंने कहा- "मुझे तुम्हारी गाण्ड और मम्मे पसन्द है...' गाण्ड पे हाथ फेरते हये मैंने कहा। फिर मैंने खाला को कमीज उतारने का कहा, तो खाला ने कमीज उतार ली, तो मैं भी पूरा नंगा हो गया। अब हम दोनों के गरम जिश्म आपस में मिले हुये थे। खाला के माटे मम्मे मेरे सीने में दब गये थे।

खाला में हाथ नीचें किया और मेरा लण्ड पकड़ लिया। खाला ने कहा- "बेटा ये तो बहुत सख्त हो रहा है.." और खाला उसपे प्यार से हाथ फेर रही थी। जिस वजह से मेरा लण्ड झटके खा रहा था।

मैंने खाला के मम्मे पकड़ लिए और चूसने लगा। निपल अकड़े हुये थे खाला के। मैं निपल को जोर-जोर से चूस रहा था, जिस वजह से खाला की आहे बुलंद हो रही थी। मैंने दोनों मम्मे पकड़े हये थे और जुबान फेर रहा था। मम्मे जोड़कर बीच की लकीर में जुबान ऊपर से नीचे तक फेर रहा था। खाला के नरम मम्मे पकड़कर दबाने और चूसने में अलग ही मजा आ रहा था। मोटे और गोल-गोल मम्मै हल्की रोशनी में चमक रहे थे। लाइट ब्राउन निपल अकड़े हुये सेक्सी मंजर पेश कर रहे थे।
 
नीचे खाला मेरे लण्ड को मसल रही थी, और लण्ड की टोपी पे अंगूठा घुमाती ता लण्ड में सुरसुराहट होने लगती। मेरा मजे से बुरा हाल था। दिल कर रहा था खाला की फुद्दी में लण्ड डाल दूं। मैं खाला के मम्मे दबाते हमें चूमने लगा, जिसका खाला पूरा सपार्ट दे रही थी।

मैंने खाला से कहा- "मेरा बहुत दिल कर रहा है फुद्दी में लण्ड डालने को.."

खाला ने सेक्सी आइ: भारी और कहा- "फुददी तो नहीं। लेकिन रगड़वा लेटी अगर मासिक ना आए होते। बस परसों तक सबर कर लो..."

मैंने कहा- "खाला तुम्हारी फुद्दी बहुत सेक्सी है। डबल रोटी की तरह फूली हुई है."

खाला मुश्कुराई और कहा- "बेटा बहुत मजा आता है जब तुम ऐसी बातें करते हो."

मैंने कहा- "मुझे भी मजा आता है जब तुम सेक्सी बात करती हो..."

खाला ने कहा, "मेरे मम्मों में रगड़ के पानी निकाल लो."

मैं खाला के ऊपर चढ़कर बैठ गया मम्मों के बीच और लण्ड पें अच्छी तरह थूक लगाकर लण्ड मम्मों के बीच रख दिया, तो खाला ने मम्मे पकड़कर जोड़ लिए। अब लण्ड मम्मों में फंस चुका था। मैं अब लण्ड को आगे-पीछे करने लगा। गुदाज मम्मों में लण्ड फिसल रहा था। नीचे मुझे खाला का नरम पैट मजा दे रहा था। मैं खाला के चेहरे पर हाथ रखें और उनकी आँखें में देखते हुपे लण्ड अंदर-बाहर कर रहा था। कुछ देर बाद मुझे पानी निकलने के महसूस हुवा तो तेज-तेज धक्के मारते हुये में फारिग होने लगा। मेरा पानी खाला के मुँह और गले में बहता नजर आने लगा।

मैं उठकर बगल हुआ तो खाला में पहले मेरा लण्ड साफ किया फिर अपने आपको, और दोबारा लेटकर सो गयें हम दोनों।

सुबह मेरे उठने से पहले खाला उठ चुकी थी। मैं लेट उठा था। अम्मी मुझे जगाने आई थी ऊपा। बैंड के किनारे बैठकर मुझे उठा रही थी। ।

मैंने कहा- "साने दें ना अम्मी और आप भी सो जाओं मेरे साथ.." और ऐसा कहते हये मैंने अम्मी के गले में बाज़ डालें और अपने ऊपर गिरा लिया।

अम्मी ने कहा "किया करते हो बेटा? अब उठ भी जाओ। फिर जाना भी है मकलावा लेकर..."

में ना चाहते हये भी उठ गया। फ्रेश होकर नाश्ता वगैरा किया। मकालावे के लिये फूफो, अम्मी, खाला और एक घर का मर्द साथ जा रहा था। बाकी हम लोगों घर में ही रहना था। जिन्होंने जाना था वो तैयारियों में लग गये। मैं सहन में एक चारपाई पे लेटा टीवी देख रहा था। लेकिन ध्यान मेरा घर की औरतों पर ही था।
 
अम्मी और खाला बार-बार पास से गुजर रही थी। उनके थिरकते हुये चूतड़ बड़ा सेक्सी नजारा दे रहे थे। खाला को तो मैं आँख भी मार देता थ, जब उनकी मुझ पर नजर पड़ती। अम्मी का सेक्सी जिश्म देखते हय अब मेरा दिल कर रहा था अम्मी से मस्ती करने का।

में अब कोई मोका तलाश रहा था जिससे मुझे अम्मी के करीब होने का चान्स मिलें। इसका मुझे अम्मी ने खुद है चान्स दे दिया। मैं लेटा हुआ था। अम्मी की अंदर से आवाज आई तो मैं उठ गया।

अम्मी ने कहा "बेटा, जरा मेरे जूतों में गीला कपड़ा मार दो.." अम्मी कुछ और कर रही थी।

मैं जता पे कपड़ा मारने लगा। फारिग हुआ तो उठकर बाहर आ गया। चान्स फिर भी ना बजा। कुछ देर बाद अम्मी मुझे ऊपर जाती हई नजर आई। वा ऊपर नहाने जा रही थी, नीचे कोई और नहा रहा था। मैं उठा और अम्मी के पीछे ही ऊपर चला गया। मैं ऐसे शो किया जैसे में वैसे ही ऊपर आया है।

अम्मी ने मुझे देखा तो मुश्कुराई और कहा "नहाने आई हूँ ऊपर..."

मैंने कहा- "अम्मी लाओ मैं मालिश कर दूं तेल से। आपकी खुश्की खतम हो जायेगी और जिस्म भी सेंट हो जायेगा आपका..' ये खयाल अचानक मेरे दिल में आया था और बगैर सोचे समझे अम्मी से कह भी दिया।

अम्मी ने मुझे देखा और कहा- "आइडिया बुरा नहीं है, और वैसे भी तुम अच्छा दबाते हो। आज तुम्हारा मसाज भी देख लेते हैं... चलो अंदर आ जाओ। वहां करो मालिश मेरी...'

मैं अम्मी के पीछे अंदर चला गया। अम्मी लेट गई बैंड पे सीधा, तो मैं उनके पास लेट गया। जहां तक सलवार ऊपर होती थी, मैंने कर दी और हाथों पे तेल लगाकर उनकी टांगें में मसाज करने लगा। बालों से पाक टांगें उनका गुदाज गोस्त मेरे हाथों पे फिसल रहा था। तेल से चिकनाहट हो गई थी। अब अम्मी की मसाज करने में मुझे मजा आ रहा था। सलवार घुटनों से ऊपर नहीं हुई थी।

टांगें की मसाज करके फारिग हुआ तो मैंने कहा- "अब कहा करंग अम्मी जान?"

अम्मी ने कहा, "अब पेट में कर दो..." और अम्मी में कमीज मम्मों तक ऊपर कर ली।

अब उनका सेक्सी नरम सफेद पेट मेरी आँखों के सामने था। रगम की लाइट बंद थी। लेकिन बाहर से रोशनी आ रही थी इसलिए सब साफ नजर आ रहा था। मेरा लण्ड पूरा अकड़ गया था और दिल धड़कने की रफ्तार तेज हो गई थी। बड़ी मुश्किल से हाथों की थरथराहट पे कंट्रोल किया हुआ था, वरना
अम्मी को शक हो सकता था। मुझे नार्मल ला करना था अपने आपको।

मैंने तेल हाथ पेट पे रखें और हाथों को दबाकर मसाज करने लगा। अम्मी का पेट सपाट था। हाथ बराका ऊपर नीचे चल रहे थे। सलवार के किनारों तक हाथ को लाता और ऊपर ले जाता। जब हाथ यहां तक आता तो मुझे फुद्दी का एहसास होने लगता। मुझे शरारत सूझी। मैंने अपनी उंगली नाभि में डाल दी।

जिससे अम्मी को गुदगुदी हुई तो वो हँसने लगी और कहा- "ना करा बेटा.."

में जानबूझ कर ऊपा हाथ ब्रा के किनरा से टच कर रहा था। मुझे वा कसी हुई महसूस होती।

अम्मी अब उल्टा लेट गईं। अम्मी ने कहा- "कमीज ऊपा कर दो.."

मैंने कमीज कंधे तक चढ़ा दी। जिससे अब अम्मी की ब्लैक बा की पट्टी नजर आनें लगी थी। पीठ पे हाथ फेरते हो मैंने कहा- "अम्मी आपका जिस्म तो बहुत चिकना और सफेद है। क्या लगाती हो?"

अम्मी ने कहा, "कुछ भी नहीं बेटा। नेचुरल है ये."

मैंने कहा- "बड़ा मजा आ रहा है मसाज करके.."बा की पटि मेरे हाथ से टकरा रही थी। बगल से मम्मों का एहसास हो रहा था मुझे। मम्मे दबने की वजह से बगल को निकल आए थे।

अम्मी ने कहा "पीछे से खोल दो.."

मैंने कहा- "क्या खोल दू?" ऐसा मैंने जाना के कहा।

अम्मी में पीछे ब्रा को हाथ लगाकर बताया- "इसको..."

मैंने ब्रा का हुक खोल दिया तो अब मम्मे बगल में कुछ और नजर आने लगे।

अम्मी ने कहा "बेटा मेरे ऊपर बैठ जाओ, फिर मसाज अच्छी तरह होगी.."
 
में उठा और उनकी उभरी हुई गाण्ड पर थोड़ा नीचे होकर बैठ गया। जैसे ही मेरे हाथ अम्मी की पीठ पे पहुँचें तो मेरा टाइट लण्ड अम्मी की गाण्ड से छूने लगा। उफफ्फ... मजे की इंतहा थी। अम्मी के नरम चूतड़ मुझे लण्ड में महसूस होने लगे। मैं जानबूझ के थोड़ा ज्यादा झुक रहा था। उधर मैंने हाथ बा में बगल में डालकर मम्मों को बगल से छूने लगा मसाज के बहाने।

में थोड़ा पीछे को खिसका। अब जब मैं झुका तो मेरा लण्ड सीधा अम्मी के चूतड़ों में घुस गया जांघों के बीच। यही मैं चाहता था। मैंने अब पोजीशन ऐसी रखी की जब झकता तो लण्ड जांघों में चला जाता। इसका अम्मी को
भी पता था, लेकिन वो चुप ही थी।

कुछ देर बाद अम्मी ने कहा- "कंधे पर ही मसाज करो.."

इसके लिये मुझे पूरा झुकना पड़ा था। इससे ये हुवा की अब मेरा लण्ड अम्मी की मोटी जांघों के बीच में ही रहा। मुझे चूतड़ों की गर्मी अच्छी खासी महसूस हो रही थी लण्ड पें। मसाज की वजह से मेरा जिस्म हिल रहा था जिससे लण्ड भी जांघों के बीच रगड़ खा रहा था। इस दौरान मुझे अम्मी के चूतड़ टाइट करने का कई बार एहसास हुवा।

मेरा दिल कर रहा था अम्मी की सलवार नीचे कर और लण्ड गाण्ड में डाल दूं। लेकिन ऐसा नामुमकिन था बस सोचा जा सकता था।

मैं हल्का-हल्का लण्ड अंदर-बाहर करने लगा। बड़ी मुश्किल से मैं अपनी आअहह... रोक रहा था। मैं हाथों को अम्मी की बगलों के नीचे रखकर वहां मसाज करने लगा, और बगल से मम्मे भी टच कर रहा था। अम्मी के बाहर को निकले हमें चूतड़ मेरे नीचे मेरी नजरों के सामने थे। अम्मी ने अब अपनी टांगें बंद कर ली हई थी जिससे मरा लण्ड फैंस गया था अम्मी की टांगें में। मालिश करते-करते मैं अम्मी के ऊपर लेट गया और जाकर अम्मी के गाल पे किस कर दी।

मैंने कहा- "आई लव यू अम्मी जान..."

अम्मी मुश्कुराई और कहा- "लगता है मेरा बेटा थक गया है..."

में चुप रहा। अब मैं अम्मी पर लेटा हुआ था। लण्ड चूतड़ों में फंसा हुआ था। मैंने अम्मी के बाजू पकड़े और आगे का फैला दिए और उनमें हाथ फेरने लगा।

अम्मी मुश्कुराई और कहा- "ये स्टाइल पहली बार देखा है मसाज करने का..."

मैं मुश्कुराया और कहा- "बस अम्मी ऐसे अच्छा लग रहा है ना तो ऐसे कर रहा है...."

अम्मी अब पहले से ज्यादा फ्रैंक हो गई थी। अब मेरा जिश्म पहले से ज्यादा हिल रहा था। जिसका असर लण्ड पे भी पड़ा। लण्ड भी पहले से ज्यादा रगड़ने लगा चूतड़ा में। मैं बार-बार अम्मी को चूम रहा था। लण्ड अब बाकायदा झटके खाने लगा था। लण्ड पर से मेरा कंट्रोल खतम हो गया था। मुझे लगाने लगा लण्ड में पानी निकलने वाला है। अभी सोच ही रहा था की लण्ड से पिचकारियां निकलने लगी, जो मेरी सलवार गीला करते हुये अम्मी की सलवार को भी गीला कर दिया।
 
अम्मी अब पहले से ज्यादा फ्रैंक हो गई थी। अब मेरा जिश्म पहले से ज्यादा हिल रहा था। जिसका असर लण्ड पे भी पड़ा। लण्ड भी पहले से ज्यादा रगड़ने लगा चूतड़ा में। मैं बार-बार अम्मी को चूम रहा था। लण्ड अब बाकायदा झटके खाने लगा था। लण्ड पर से मेरा कंट्रोल खतम हो गया था। मुझे लगाने लगा लण्ड में पानी निकलने वाला है। अभी सोच ही रहा था की लण्ड से पिचकारियां निकलने लगी, जो मेरी सलवार गीला करते हुये अम्मी की सलवार को भी गीला कर दिया।

कुछ देर बाद अम्मी ने कहा- "चलो बस करो... मैं अब नहा लूं..'

अब पता नहीं अम्मी को महसूस हुआ की नहीं मेरे पानी निकलने का। नार्मल बिहेव था अम्मी का। अम्मी उठी और मुझे चूमती हुई वाशरणम चली गई।

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सब लोग जा चुके थे। घर में मामी, बाजी जोया और में ही थे। बाजी जोया घर की साफ सफाई करने लगी और मामी खाना वगैरा तैयार करने की तैयारी करने लगी। मामी सहन में बैठी हुई चावल साफ कर रही थी। मैं भी उनके पास जाकर बैठ गया और साथ में चावल से कंकर बगैरा निकालने लगा।

मामी चारपाई में एक टांग मोड़ करके बैठी थी, जिससे बगल से उनके चूतड़ बहुत टाइट दिख रहे थे। मामी के चूतड़ बगल से काफी चौड़े थे। जिस वजह से ऐसे ही लग रहा था जैसे नंगी चूतड़ देख रहा हूँ। सलवार टाइट हा गई थी मामी की चूतड़ों से। मैं और मामी बातें करते हुये सफाई कर रहे थे चावलों की। मेरी बार-बार नजर मामी के मोटे चूतड़ों की तरफ उठ रही थी। मैंने एक बार इर्द-गिर्द नजर मारी और जब देखा बाजी आस-पास नहीं हैं, तो मैंने अपना पैर उनके चूतड़ के साथ दबा दिया।

मामी ने स्माइल करके मुझे देखा और कहा- "क्या कर रहे हो बेटा? जोया देख लेंगी..."
मैंने कहा- "वा काम कर रही है। नहीं पता चलता उसको.." मैं अब चूतड़ों से अच्छी तरह पैर लगा रहा था। मैंने फिर कहा- "मामी तुम्हारे चूतड़ बड़े-बड़े और भारी होते जा रहे हैं। दिल कर रहा है इनको खा जाऊँ..."

मामी मश्कराई और कहा- "तो खा लेना जब मौका मिले..."

इतने में मुझे बाजी रूम से निकलती दिखाई दी। मैंने पैर बगल में कर लिया। बाजी पास से गुजर गई, मुझे स्माइल देती हुई। अंदर जाकर बाजी ने मुझे आवाज लगाई और कहा- "जरा सामान उठाने में मदद करना...

मैं उठकर अंदर गया और बाजी की हेल्प करने लगा। बाजी के बार-बार झुकने से उसके गोल चूतड़ बाहर को निकाल आते, जिनको देख-देखकर मेरा लण्ड सरे आम हिचकोले खाने लगा। जिसका बाजी को भी अंदाजा हो रहा था, क्योंकी वो भी मनीखेज नजरों से लण्ड को देख रही थी।

नीचे से फारिग होकर बाजी मुझे ऊपर ले गई, अपने साथ काम करवाने के लिये। मामी अभी नीचे बैठी हुई थी सहन में। ऊपर रूम में जाते ही मैंने बाजी को झप्पी डाल ली, और उनके गाल गुदाज चूतड़ हाथों में पकड़कर दबाने लगा। लण्ड जो पहले ही हाई था आगे से उनको टच कर रहा था।

दो मिनट बाद ही बाजी ने अपना आपको छुड़वाया और कहा- "काम खतम कर लें। मेहमान कभी भी आ सकते हैं..." मजबूरन मुझे हटना पड़ा।

कम से फारिग होकर हम नीचे आ गये। मामी अब किचेन में जा चुकी थी, वहां खाना पका रही थी। शाम का टाइम था मगरिब का जब अम्मी लोग वापस आ गये भाभी को लेकर। फ्रेश होकर सबने खाना खाया उसके बाद रिलैक्स होकर बैठ गये।

कजन बदर जिसकी शादी थी उसका नाम साजिद था, उम्र 25 साल। दुल्हन जिसकी उम्र 24 साल नाम फैजा।

भाई साजिद की मेडिकल दुकान थी और भाभी फरजाना एक डाक्टर हैं। भाभी खूबसूरत स्मार्ट जिस्म रखती थी। मम्मे और चूतड़ पे गोस्त कुछ ज्यादा था, जिस वजह से उनके मम्मे और चूतड़ नुमाया हो रहे थे कमीज सलवार में भी।

आज पहली बार मैं भाभी को करीब से देख रहा था और गप-शप भी कर रहा था। बातों-बातों में अम्मी ने उनको गुजरौंवाला दावत पे आने का कह दिया और खाला ने भी। इस रात कुछ खास नहीं हुवा।

सुबह उठा तो बाजी जोया ने कहा- "तुमने मुझे घर छोड़कर आना है.." क्योंकी बाजी की सास पहले ही जा चुकी थी। नाश्ता कर के फारिग हये ता बाजी पकिंग करने लगी, और में बाइक निकालकर उसको साफ किया।

कुछ देर बाद बाजी और मैं बाइक पे बैठे उनकी सुसराल जा रहे थे। आज बाजी ने अपना बैंची भी पकड़ा हुवा था, इसलिए कोई खास मस्ती ना हई रास्ते में।

दोपहर को जब उनके घर पहुँचे तो घर में उसकी सास और सास की बहन बैठी हुई थी। मैं उनसे मिला और पास ही बैठ गया। वो मुझसे मेरा और घर वालों का पूछने लगी। जो दूसरी औरत थी वो काफी माइन दिख रही थी। बाजी अंदर चली गई थी। कुछ देर बाद बाजी ड्रेस चेंज करके बाहर आई और किचेन में चली गई चाय बनाने।

कुछ देर बाद बाजी में मुझे अंदर बुलाया, और कहा- "आकर चाय पी लो.."

मैं वहां से उठा और अंदर आ गया। जहां में और बाजी चाय पीने लगे। इस दौरान मैंने बाजी को कहा- "तुमने जरूर आना है भाई साजिद के साथ."

बाजी ने कहा- "ही क्यों नहीं? जरूर आऊँगी..."

मैंने कहा- "बाजी बड़ा दिल कर रहा है तुम्हारी फुद्दी मारने को। बस तुम जरूर आना। वहां जी भरकर तुम्हारी फुद्दी मारूंगा...

बाजी मुझे हवस भरी नजरों से देखने लगी। बाजी उठकर खिड़की के पास गई और खिड़की खोलकर बाहर की तरफ एक नजर देखा और फिर मेरी तरफ घूम गई और कहा- "अभी लोगे मेरी फुद्दी?"

बाजी के मुंह से फुद्दी लेने का शब्द सुनकर मेरे जिस्म में अजीब सा नशा छा गया और दिल तेज-तेज धड़कने लगा।

मैंने हाँ कहा।

बाजी ने कहा- "मैं यही खिड़की के पास खड़ी रहती हैं बाहर नजर रखती हैं..."

में बेड से उठा और बाजी को जाकर पीछे से झप्पी डाल ली।
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कड़ी_43
बाजी के मोटे मम्मे मैंने पकड़ लिए। नरम मम्मे मेरे हाथों में दब रहे थे। नीचे मेरा लण्ड गुदाज चूतड़ों से लगते ही खड़ा होने लगा था। बाजी अब पूरा जोश से अपने चूतड़ मेरे साथ रगड़ रही थी। जिनका मुझे बहुत मजा आ रहा था। चूतड़ों का नरम गोस्त लण्ड पे बहुत मजा दे रहा था।

कुछ देर बाद बाजी ने कहा- "सलवार उत्तार लो..." और अपनी भी घुटनों तक नीचे कर ली और खिड़की पे हाथ रख कर झुक गई। जिससे उनके गोल-गोल चूतड़ सेक्सी शेप में नजर आने लगे।

मैने लण्ड पे भूक लगाया और बाजी की फुद्दी पे लण्ड रगड़ते हमें फुद्दी के अंदर डाल दिया। फुदद्दी जा पहले ही गीली थी लण्ड को ऐसे अपने अंदर लिया जैसे बंदा बर्फ पे स्लिप होता है। फुद्दी की गर्मी जब लण्ड पे महसूस हई तो मेरी टाँगें अपने आप अकड़ गई मजे से।

मैं बाजी के ऊपर झुक गया और कमीज में हाथ डालकर उनके नंगे मम्मे पकड़ लिए। इस अंदाज में बाजी से सेक्स करते हये इंतहाई मजा आ रहा था। बाजी के लटॅक हमें मम्मे जिनको अब मैंने अपने हाथों में दबाया हुआ था। मम्मे मसलतं और दबाते ही लण्ड को फुद्दी में अंदर-बाहर कर रहा था। बाजी की फुद्दी पूरा पानी छोड़ रही थी। जब मेरा पानी निकलने वाला हुआ तो मैंने बाजी को बताया।

बाजी ने कहा- "अंदर ही निकाल दो अपना पानी..."

और जब मैंने अपनी मनी अंदर छोड़ी तो फुद्दी काफी चिपचिपी हो गई लेसदार पानी से। मैंने लण्ड बाहर खींच लिया तो बाजी ने एक कपड़े से मेरा लण्ड साफ किया। मुझे बड़ा अच्छा लगा जब जो दूसरी औरत थी उसने मुझसे पूछा- "किधर से जाना है?" जब मैंने बताया तो उसने कहा- "मुझे भी ले चलो मेरे गाँव के स्टाप पे मुझे उतार देना..."

मैं और वो खूबसूरत औरत बाजी के घर से निकल आए। वो औरत मुझसे बातें करने लगी- "क्या पढ़ते हो? कौन सी क्लास में हो? इत्यादि.." ये औरत मामी जोबिया की उम की थी गोरी-चिट्टी थी और जिश्म भरा हुआ था।

जब इसके गाँव का स्टाप आया, तो मैंने उसको उतार दिया। उसने बहुत कहा घर आओं कुछ खा पीकर जाना लेकिन मैंने इनकार कर दिया की लेट हो जाऊँगा।

जब घर पहुँचा तो सूरज डूब रहा था। ठंड भी बढ़ गई थी। घर में जब एंटर हुआ तो सबसे पहले अम्मी मिली सहन में ही उन्होंने गले लगाकर प्यार किया और पूछा- "खैर खैरियत में आ गये हो?"

मैंने कहा- "जी अम्मी...

फिर अम्मी ने मुझे छोड़ा और कहा- "चलो तुम अंदर, मैं आती हूँ.."

अंदर सब बैठे हुये थे। भाभी फरजाना और भाई साजिद भी सबके साथ बैठे गप-शप कर रहे थे। ऐसे ही बातें करते हुये डिनर भी हो गया।

मैं अम्मी के पास बैठ गया चारपाई पे। अम्मी ने मुझे प्यार से अपने साथ लगा लिया। मुझे इस तरह अम्मी से चिपक के बैठना बहुत मजा दे रहा था। अम्मी बीच-बीच में मुझे चूम भी रही थी। कुछ देर के बाद भाई लोग उठकर अपने रूम में चले गये।

मैं और खाला ने आज ऊपर सोना था, क्योंकी आज खाला के मासिक खतम हो चुके थे। इसलिए जानबूझ के ऊपर का प्रोग्राम रखा, वरना नीचे भी जगह तो थी सोने की। मैं और खाला जब ऊपर रूम में गयें तो मैंने राम में रोशनी कर के दरवाजा लाक कर दिया। आज मेरा दिल कर रहा था खाला के जिश्म को रोशनी में देखू। खाला मिरर के सामने खड़ी होकर बालों का जड़ा बना रही थी, जिससे उनके बाजू ऊपर को उठे हमें थे और मम्मे आगे निकल आए थे। खाला के मोटे-मोटें मम्में पूरा सेक्सी नजारा पेश कर रहे थे।

में आगे बढ़ा और खाला को पीछे से झप्पी डाली और बाजू के नीचे से अपने हाथ गुजार कर खाला के मोटें गदाज मम्मे पकड़ लिए, जो मेरे हाथों में पूरा नहीं आ रहे थे। मम्मे दबाते हुये मैंने खाला को कहा- "तुम्हारे मम्मे पहले से बड़े हो गये हैं, क्या खिलाती हो इनका?"

खाला ने कहा "तुमने ही किए हैं बड़े... हर बात इनके पीऊं पड़े रहते हो.. अब में 40" इंच के हो गये हैं." ऐसा खाला में मुश्कुराते हुये कहा था।

खाला के मुँह से मम्मों का साइज सुनकर लण्ड ने एक झटका खाया खाला के चूतड़ों पें। इस वक़्त मैं और खाला बेड पे लेटे हुये एक दूसरे को किस कर रहे थे, और जिश्म एक दूसरे के साथ चिपके हुये थे। किस करते हो मैं खाला का एक चूतड़ जोर-जोर से दबाए जा रहा था। खाला के नरम चूतड़ मेरे हाथ में खूब मजे से दब रहे थे।

खाला बार-बार अपनी फुद्दी का प्रेशर लण्ड पे डाल रही थी, जैसे लण्ड को अंदर लेना चाहती हो। खाला की बेचैनी देखकर मुझे और ज्यादा सेक्स चढ़ रहा था।
 
कड़ी_44

कुछ देर बाद मैंने और खाला ने सारे कपड़े उतार दिए बस खाला ने अपनी ब्लैक ब्रा नहीं उतारा। ब्रा में से खाला के आधे मम्मे बाहर को निकले हमे थे। इसी जगह मैंने होंठ रखें और नरम गोस्त होठों में भर-भर के चूसने लगा। खाला के मोटे मम्में यहां से नरम और गरम थे।

खाला की सिसकियां निकाल रही थी। इसी दौरान खाला ने मेरा अकड़ा हुआ लण्ड पकड़ लिया जो उनकी जांघ के साथ दबा हुवा था। खाला लण्ड को मसलती और हल्की मूठ मारने लगी। खाला के लण्ड मसलने के अंदाज में मेरे लण्ड में झुरझुरी होने लगी।

अचानक मेरे दिल में खाला की फुद्दी देखने का खयाल आया। मैंने खाला से लण्ड छुड़वाया और उठकर उनकी टांग में बैठ गया टांगें को फैलाकर। जैसे ही टांगें खुली तो खाला की क्लीन शेव्ड फुद्दी मेरी नजरों के सामने आ गई। फुद्दी के होंठ हल्के से खुले हुये थे। लब फूले हुये डबल रोटी की तरह लग रहे थे। फुद्दी अपने ही चिकने पानी से चमक रही थी रोशनी से।

मैंने एक उंगली फुद्दी पे रखी और लबों में दबाकर ऊपर से नीचे तक उंगली फेरी, तो खाला ने मेरा हाथ फुद्दी पे दबा लिया मजे में। मेरे हाथ को फुद्दी का पानी लग चुका था। मैं अब फुद्दी पे हल्के-हल्के उंगली फेर रहा था। नीचे लण्ड झटके मार रहा था। खाला ने लण्ड को झटके खाते देख लिया।

खाला में सेक्सी आवाज में कहा- "देखो जरा अपने लण्ड को, कैसे वो मेरी फुद्दी के लिये तड़प रहा है?" खाला से इतनी सेक्सी बात सुनकर मुझे मजा आया।

मैंने कहा- "खाला तुम्हारी फुद्दी ही ऐसी है की मेरे लण्ड को सकून नहीं मिलता। जब तक तुम्हारी फुद्दी से टच ना हो जाए."

खाला ने कहा "चलो करो फिर लण्ड को मेरी फुद्दी से टच.."

इतना सुनना था की मैंने लण्ड को जड़ से पकड़ा और लण्ड की टोपी फुद्दी के लबों में फंसाकर ऊपर नीचे फेरने लगा। आधी टोपी फुद्दी में छुप गई थी। खाला ने मेरा हाथ पीछे किया और खुद मेरे हाई लण्ड को पकड़कर अपनी फुद्दी मे मसलने लगी। साथ-साथ खाला की सिसकियां निकलने लगी। खाला का मेरा लण्ड पकड़कर फुद्दी पे रगड़ना मुझे बहुत मजा दे रहा था।

मैंने कहा- "खाला अंदर ले लो मेरा लण्ड। बहुत दिल चाह रहा है तुम्हारी फुदी में लण्ड डाल..."

खाला ने कहा "नहीं बेटा, अभी नहीं। तुम छोटे हा मैं ऐसा नहीं चाहती तुमसे... मैं खाला के ऊपर गिर गया और खाला को चूमते हमें फुद्दी पे लण्ड रगड़ता रहा।

अभी पानी भी नहीं निकला था की रूम का दरवाजा धड़ाधड़ बजा और लुबना की आवाज आई- "अम्मी जल्दी उठो, खाला अंबीन की तबीयत खराब हो गई है। मतलब मेरी फूफो की..."

हम तो पूरा नंगे थे। जल्दी से उठे और आवाज पैदा किए बगैर खाला ने कपड़े पहने और कहा- "बाद में आना, मैं चलती है.." और खाला अपने आपको दरुस्त करतं हमें नीचे चली गई।

शुकर था की रूम लाक था वरना लुबना तो अंदर आ जाती और पकड़े जाना था। कुछ देर बाद मैं भी नीचे आ गया। पता चला फूफों के पेट में ज्यादा दर्द हो गया था। भाई उनको लेकर हास्पिटल गये थे, साथ में अम्मी भी गई थी। फिर सुबह तक सब जागते रहे, जब तक फूफो आ नहीं गई।

आज हमारी वापसी भी थी गुजर नवला की। क्योंकी परसों स्कूल लग जाने थे। सुबह नाश्ता कर के अम्मी और खाला पैकिंग करजें लगे। मामी और मामू ने रात की बस से मुल्तान वापस जाना था।

11-12 बजे तक हम तैयार होकर निकल आए घर से। बस स्टाप में गाड़ी जाने वाली थी गुजरानवाला। हम जाकर गाड़ी में बैठ गये।
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कड़ी_45

गाड़ी जब चल पड़ी तो में अम्मी के साथ जाकर बैठ गया। अम्मी का नरम गरम जिस्म मुझसे छुने लगा। जिस्म छूने से ही मुझे इतना मजा आया की मेरा लण्ड खड़ा होने लगा। अम्मी के कंधे पे सिर रखकर बायें बाजू अम्मी के पेट के ऊपर रख दिया। थोड़ी देर बाद मैं पेट पे हाथ फेरने लगा।

अम्मी ने कहा "ना करी बेटा ऐसे। लोग पास बैठे हैं.."

मैं फिर भी बाज ना आया तो अम्मी ने अपना दुपट्टा मेरे बाज़ में डाल दिया। अम्मी के ऐसा करने से लण्ड ने एक झटका मारा। मैं अब पेट पर हाथ को दबाकर फेर रहा था। पेट की नर्मी का एहसास मुझे हाथों पे हो रहा था। मेरा दिल चाह रहा था हाथ कमीज में डाल दूं। लेकिन इर की बजह से ऐसा नहीं कर सका। सर कंधे पे था तो मैंने अम्मी की गर्दन प किस कर दी और कहा- "आई लोव यू मोम..."

अम्मी ने मेरे गाल पे हाथ फेरा और मुश्कुराते हुये कहा- "लाब यू टू बेटा.."

जब मैंने देखा अम्मी ने बुरा नहीं मान तो में धीरे-धीरे अम्मी की गर्दन में किस करता रहा। जब अपने शहर पहुँचे तो मैं सीधा होकर बैठ गया। बस से निकलकर रिक्शा में बैठकर हम घर की तरफ चल पड़े। खाला और हमारा घर एक ही गली में था। खाला अपने घर और हम अपने घर आ गये।

कुछ देर बाद औटी परवीन भी आई मिलने जो हमारी हमसाई थी। अम्मी उनसे बातें करने लगी। मैं अपने स्कूल की चीजें सेट करने लगा रूम में जाकर। आँटी परवीन जा चुकी थी। अम्मी घर की सफाई कर रही थी। सफाई करते-करते अम्मी के मम्में कई बार नजर आए। मेरा दिल कर रहा था किसी तरह अम्मी के मम्मे पकड़ लं।

अगले दिन सोकर उठा। आज आखिरी दिन था छुट्टी का, कल से स्कूल शुरू हो जाना था। अम्मी ने नाश्ता करवाया और फिर में दोस्तों से मिलने चला गया। जब वापस आ रहा था तो आँटी परवीन भी मुझे नजर आई कुछ सामान उठाया हुवा था। मैंने उनसे सामान पकड़ा और उनके साथ घर चला गया।

घर में छोटी आयशा थी। बाकी बाजी नरेन और सकीना घर में नहीं थी शायद कहीं बाहर निकली हुई थी। औंटी ने सामान किचेन में रखने को कहा और खुद भी वहां आ गई। सामान रखकर मैंने आँटी को झप्पी डाल ली,
और उनकी मोटी गाण्ड को दबाने लगा।

आँटी ने कहा- "बहुत दिन लगा दिए आने में तुमने बेटा। मैं तो उदास हो गई थी तुम्हारे बगैर.." कहकर आँटी मुझे किस करने लगी।

औंटी का भारी जिस्म मेरी बाहों में था। आँटी के मम्मे और चूतर अच्छे खासे बड़े-बड़े थे। मेरे हाथ उनके भारी चूतड़ों पे चल रहे थे। लण्ड टाइट होकर आगे उनसे टच हुआ तो आँटी ने लण्ड को पकड़ लिया। जैसे ही लण्ड उनके हाथ में आया आँटी ने कहा- "ये तो पहले से बड़ा लग रहा है.."

मैंने कहा- "अब इसका पानी भी निकलता है औटी जी.."

आँटी परवीन बड़ा खुश हुई, और मुझे जोर से अपने साथ लगा लिया।

मैंने कहा- "औंटी बड़ा दिल कर रहा है तुम्हारी फुद्दी लेने को..."

औटी ने कहा- "अभी नहीं, मोका देखकर करेंगे सेक्स। अभी नरेन आने वाली होगी..."

कुछ देर बाद मैं घर आ गया। अम्मी ने दो-तीन काम मेरे जिम्में लगा दिये। उनसे फारिग हुआ तो दोपहर होने का आ गई थी। मैं थक भी गया था। में चारपाई पे लेट गया और अम्मी सब्जी काट रही थी मेरे पास बैठी हये। बाहर खटका हुवा तो देखा खाला आई हुई थी। वो अम्मी के पास बैठ गई आकर।

कल से जब हम आए हमें थे में दुबारा अब मिल रहा था खाला से। मेरी और खाला की बार-बार नजरें टकरा रही थी। बड़ा मजा आ रहा था खाला से आँख मटक्का करके।

मैं इस तरह लेंटा था की मेरी तरफ अम्मी की पीठ थी और खाला मेरे सामने थी। मैंने खाला को इशारा किया अपने लण्ड की तरफ, और इशारे में कहा- "दिल कर रहा है."
 
खाला उठकर चली गई। मैं काफी देर से लेटा हुआ था। बाहर दरवाजा खटका तो मैं उठकर बाहर गया तो दोस्त थे क्रिकेट खेलने का कह रहे थे। मैं अम्मी को बता के उनके साथ निकाल पड़ा क्रिकेट खेलने। शाम को जब वापस आया घर तो अम्मी किचन में खाना तैयार कर रही थी।

मैंने जाकर पीछे से अम्मी को झप्पी डाल ली, और प्यार से पूछा- "अम्मी जान क्या पका रही हो?" अम्मी ने जब बताया तो मैंने उनको और जोर से दबा लिया अपने साथ।

अम्मी ने कहा, "अब छोड़ भी दो..."

मैंने कहा- "अगर ना छोड़ तो फिर?"

अम्मी ने कहा- "चलो ना छोड़ो। मैं तो तुम्हारी वजह से कह रही थी की थक ना जाओ मुझे जोर से दबाते हये."

मेरा मुँह उनकी गर्दन के साथ लगा हुआ था। मैंने गर्दन में किस कर दी। ऊपर से अम्मी के मम्मों का व्यू बड़ा सेक्सी लग रहा था। स्किन कलर की बा भी नजर आ रही थी। नीचे से मैंने लण्ड को दूर ही रखा हुवा था। हाथों को अम्मी के पेट के गिर्ट बाँध रखा था। अम्मी के मोटे मम्में आगे को उभरे हये थे। कंधे के ऊपर से देखने से मम्मों की लकीर भी नजर आ रही थी। लकीर देखने से पता चल रहा था अम्मी के दोनों मम्मों के बीच बहुत कम जग थी। ऐसे मम्मों में लण्ड रगड़ने का बहुत मजा आता है। मैंने अम्मी को तब छोड़ा जब छोटा भाई किचेन में आया।

रात का डिनर करके फारिग हुआ तो खाला दुबारा आ गई और मुझसे कहा- "ज़ारा लुबना के साथ जाभो बाजार उसने स्कूल की कुछ चीजें लेनी हैं...

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मैं और लुबना पैदल मार्केट की तरफ चल पड़े जो ज्यादा दूर नहीं थी। रास्ते में मैंने लुबना से कहा- "अब फिर कब दे रही हो अपनी फुदद्दी? बड़ा दिल कर रहा है."

लुबना ने कहा- "अभी ठहर जाओ दो-तीन महीना एग्जाम में फारिग हो जाऊँ तो फिर। अभी बोई के एग्जाम है."

मैने चलते हमें अंधेरे का फायदा उठाते हमें लुबना के मम्मे पकड़ लिए, और कहा- "इनको चूसने का दिल कर रहा है...

लुबना ने कहा- "वापसी पे घर जाकर चुसवा दूंगी। अब खुश?" फिर बाजार से होकर जब घर आए तो खाला किचेन में बर्तन धो कर रही थी। लुबना ने मुझे इशारा किया ऊपर चला में आती हैं।

ऊपर उसी स्टोर रूम में हम चले गये, जहां पहले भी हम मिल चुके थे। स्टोर रूम में जाते ही मैंने लुबना की कमीज ऊपर की और ब्रा लुबना ने खुद ऊपर कर लिया। जैसे ही मम्मे नंगे हये मैंने दोनों हाथों से पकड़ लिए। बाया मम्मा मुह में लिया और चूसने लगा। नीचे से खड़ा लण्ड लुबना की फुद्दी के ऊपर छूने लगा। मैंने लुबना का हाथ पकड़कर लण्ड पे रख दिया।

लुबना में बेझिझक लण्ड को मुट्ठी में दबा लिया। लुबना के नरम छोटे हाथ जब लण्ड में लगे तो लण्ड में एक जान सी आ गई।

मम्मे चूसते हुये लुबना के निपल अकड़ गये थे। मैं कभी एक मम्मा चूसता और कभी दूसरा। मेरा दिल ही नहीं भरर रहा था इनसे। दिल कर रहा था चूसता जाऊँ।

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लुबना अब लण्ड की मूठ लगा रही थी। इतने दिन से पानी नहीं निकला था इसलिए जल्द ही मुझे लगा मेरा पानी निकाल जाएगा। फिर ऐसा ही हुआ लुबना के हाथ में ही लण्ड फारिग हो गया। जिसको लुबना ने छोड़ दिया और कहा- "चलो अब नीचे चलते हैं..."

जब मैं नीचे उतरा तो लुबना रूम में चली गईं। खाला किचन में खड़ी काम कर रही थी। उनकी पीठ मेरी तरफ
थी। खाला जे दुपट्टा नहीं लिया हुआ था और बालों का जड़ा बना हुआ था। जिस वजह से पीछे बाहर को निकलें हुये चूतड़ और ऊपर से नंगी गर्दन नजर आ रही थी। मुझे शरारत सूझी। मैंने खाला के भारी चूतड़ों पे चुटकी काट ली।

खाला एकदम पलटी और कहा- "बदतमीज... इरा दिया मुझे तुमने..." और हल्का थप्पड़ मार दिया मेरी कमर पें।

फिर मैं घर आ गया। सोने के लिये लेट गया। मैं अलग रूम में सोता था। दिन इसी तरह से गुजर रहे थे। एग्जाम नजदीक आ रहे थे। फरवरी का महीना चल रहा था। मौसम भी कुछ नार्मल हो रहा था। एक दिन स्कूल से वापस आया तो अम्मी चारपाई पे लेटी हुई थी। कुछ थकी हुई लग रही थी। मैंने पूछा तबीयत का तो पता चला बुखार है।
 
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