hotaks444
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काम्या की विधवा देवरानी प्रीति को देख कर लगता है नहीं कि यह विधवा है.. क्योंकि प्रीति ने ग्रीन कलर की बहुत ही फैंसी साड़ी पहनी हुई थी और चेहरे पर मेकअप.. होंठों पर लाली.. जैसे नई-नवेली दुल्हन हो और वो चल भी बड़ी अदा के साथ रही थी।
प्रीति- क्या हुआ भाईसाहब.. बहुत टेन्शन में लग रहे हो?
रणविजय- मैंने तुमसे कितनी बार कहा है कि मुझे भाई मत कहा करो.. क्या तुम्हें समझ में नहीं आता?
प्रीति- अरे वो तो अकेले में बोलने से मना किया था.. अब मैं यहाँ हॉल में थोड़ी वैसे बोलूँगी..
रणविजय- अच्छा.. अच्छा.. ठीक है.. वैसे इतनी सजधज के कहाँ जा रही हो?
प्रीति- कहीं नहीं.. बस ऐसे ही थोड़ी शॉपिंग करनी थी..
रणविजय- ठीक है जाओ.. मगर मुझे अकेला छोड़ दो..
प्रीति ने एक मुस्कान रणविजय को दी और बाहर को निकल गई।
कुछ देर बाद जय और विजय लगभग भागते हुए घर के अन्दर आए.. उनको देख कर रणविजय की जान में जान आई।
उन्होंने ज़्यादा बात नहीं की.. बस टेबल से पेपर लिए और जय को साइन करने को कहा।
जैसे ही जय ने साइन किए.. रणविजय जल्दी में बाहर निकल गए.. और जाते हुए वो दोनों को हिदायत दे गए- लंच के टाइम घर में ही रहना.. मुझको तुम दोनों से जरूरी काम है।
पापा के जाने के बाद दोनों ऊपर अपने अपने कमरों में चले गए।
दोस्तो.. वहाँ साजन और उसके दोस्तों ने अपने काम को अंजाम देने के लिए कुछ लड़कों से बात कर ली और बस वो उस पल के इंतजार में बैठ गए।
गर्ल्स हॉस्टल में भी सुबह से गहमा-गहमी थी.. आज कुछ और लड़कियाँ अपने घर जा रही थीं.. जिनमें काजल और रश्मि भी शामिल थीं।
काजल- अरे रश्मि, तू अकेली जाएगी या कोई लेने के लिए आएगा?
रश्मि- नहीं यार.. मैंने बताया था ना.. मैं रिक्शा लेकर चली जाऊँगी.. तू अपनी बता.. तुम्हें लेने कौन आ रहा है.. कहीं पुरू तो नहीं आ रहा ना?
काजल- अरे नहीं यार.. वो कहाँ आएगा.. अब वो तो नौकरी के लिए लंदन चला गया है.. मेरे अंकल आएँगे..
ये दोनों यूँ ही नार्मली बातें कर रही थीं और बाकी लड़कियाँ भी अपने आप में व्यस्त थीं।
दोस्तो, यहाँ अभी कोई फायदा नहीं.. वापस खन्ना हाउस में चलते हैं।
फ़ोन की घंटी बज रही थी.. मगर हॉल में कोई नहीं था। कुछ देर बाद काम्या रसोई से बाहर आई और उसने फ़ोन को उठाया। कुछ देर बात करने के बाद फ़ोन रख दिया और वो सीधी ऊपर जय के कमरे की तरफ़ गई।
जय- हाय मॉम.. क्या हुआ..? आप ऊपर क्यों आईं.. मुझे बुला लिया होता..
काम्या- कोई बात नहीं बेटा.. वो हॉस्टल से फ़ोन आया था छुट्टियाँ शुरू हो गई हैं तुम्हारी बहन रश्मि भी आज घर आ रही है। तुम जाकर उसको ले आओ ना… वो कहाँ रिक्शा में धक्के खाती हुई आएगी।
काम्या जब बोल रही थी तब विजय भी वहाँ आ गया था और उनकी बात सुनकर विजय ने जय से कहा- चलो भाई दोनों साथ चलते हैं।
जय- नहीं पापा ने कहीं भी जाने से मना किया है.. मॉम आप टेन्शन मत लो.. वो आ जाएगी.. वैसे भी उसको पसन्द नहीं कि कोई उसके काम में टांग अड़ाए.. आप जाओ उसके पसन्द की कोई चीज बनाओ.. बहुत टाइम बाद आ रही है आपकी लाड़ली बेटी..
काम्या ने दोबारा कहा.. मगर जय ने उनको टाल दिया और वो वहाँ से वापस चली गई।
विजय- क्या भाई.. चलते है ना.. गुड्डी से मिले बहुत टाइम हो गया हमको.. साथ में आते तो मज़ा आता..
जय- पागल मत बनो.. साजन की नज़र हम पर ही होगी.. इस तरह गुड्डी के साथ बाहर घूमना ठीक नहीं..
विजय- ओह.. सॉरी यार ये तो मेरे दिमाग़ में आया ही नहीं.. भाई आप बहुत माइंडेड हो.. सच में..
जय- अभी तुमने मेरे दिमाग़ का खेल देखा कहाँ है.. आगे-आगे देख.. कैसे उसकी बहन को घोड़ी बना कर चोदता हूँ.. साली की गाण्ड बहुत भा गई है मुझे..
विजय- हाँ भाई.. जरूर करेंगे.. मगर रंगीला से बात तो कर लेते हैं कि उसने लड़की का बंदोबस्त किया या नहीं..
जय- हाँ ये भी सही है.. तू ऐसा कर.. रंगीला को फ़ोन लगा अभी.. उसको पूछ.. कुछ हुआ क्या?
विजय ने रंगीला को फ़ोन लगाया और लड़की के बारे में पूछा।
रंगीला- अरे.. कैसे हो.. आ गए क्या तुम दोनों.. यार कहाँ हो अभी?
विजय- अरे आ गए यार.. अभी घर में ही हैं तू कहाँ है?
रंगीला- अरे में तो मार्केट में हूँ.. तुम दोनों घर पर क्या कर रहे हो?
विजय- अरे यार कुछ नहीं.. जय के पापा को तू जानता है ना.. गुस्सा हैं किसी वजह से.. अब लंच तक हम कहीं नहीं जा सकते.. समझा तू.. जल्दी लड़की का बंदोबस्त कर यार..
रंगीला- अरे हाँ यार, शाम तक देखता हूँ हम साथ में चलेंगे..
विजय- यार जो करना है.. जल्दी करो और शाम ही ठीक रहेगी.. वैसे भी अभी हम बाहर जा नहीं सकते। आज गुड्डी भी घर आ रही है.. उसको लेने भी नहीं जा सके.. बेचारी अकेली आएगी।
रंगीला- ओह.. अच्छा यह बात है.. चलो ठीक है शाम को मिलते हैं।
रंगीला के फ़ोन काटने के बाद दोनों बातें करने लगे कि आगे सब कैसे करना है और लड़की कोई ठीक ढूँढनी होगी।
दोस्तो, अब ज़बरदस्त ट्विस्ट आपका हॉस्टल के बाहर इन्तजार कर रहा है.. तो वहीं चलते हैं!
काजल ने अपना बैग तैयार किया और जाने के लिए तैयार हो गई। वो रश्मि का इन्तजार कर रही थी कि वो बाथरूम से बाहर आए.. तो उससे मिलकर वो निकल जाए, इसीलिए वो वहीं बिस्तर पर बैठ गई।
उधर बाहर साजन अपने दोस्तों के साथ रश्मि का इन्तजार कर रहा था और उससे कुछ दूरी पर साजन के भाड़े के गुंडे भी खड़े उसके इशारे का इन्तजार कर रहे थे।
आनंद कोल्ड ड्रिंक लेने गया तो उसे दूर रंगीला खड़ा हुआ दिखाई दिया.. वापस आकर उसने साजन को बताया।
साजन- अच्छा उन कुत्तों का चमचा हम पर नज़र रख रहा है.. वैसे उसने पहना क्या है.. यह बता जल्दी?
आनंद- इससे क्या फ़र्क पड़ेगा बॉस?
साजन- सवाल मत कर.. जल्दी बोल.. अभी बिग बॉस का फ़ोन आने वाला है..
आनंद- ब्लू शर्ट और ब्लैक जीन्स.. ये बिग बॉस कौन है बॉस?
साजन- अरे वही.. जिसे आज तक मैं भाई बोलता था.. आज से बिग बॉस कहूँगा..
साजन की बात भी पूरी नहीं हुई थी कि उसका फ़ोन बजने लगा।
साजन- हाँ बिग बॉस.. बोलो क्या कहना है.. आपको मैं हॉस्टल के बाहर ही मिलता हूँ।
भाई- वो दोनों नहीं आ रहे.. तो दूसरा प्लान ही करना होगा। वो लड़के कहाँ पर हैं?
साजन- डोंट वरी बिग बी.. हम सब यही हैं आप बस देखते जाओ..
फ़ोन कट जाने के बाद आनंद ने पूछा कि आपको कैसे पता फ़ोन आएगा।
साजन- हा हा हा.. मैंने कहा था ना.. टाइम आने पर भाई का नाम बता दूँगा। यह साला हरामी रंगीला ही भाई है.. अब बस 5 मिनट रूको.. खुद समझ जाओगे कि यही भाई है। सुनो जब मैं रश्मि से बात करूं.. तुम उस पर नज़र रखना और मेरे जाने के बाद उसके पास चले जाना।
आनंद- उसके पास जाकर क्या कहें?
साजन- कुछ मत कहना.. बस उसके सामने चले जाना.. अगर वो बात करे तो ठीक.. नहीं उसको देख कर आगे निकल जाना.. समझे..
रश्मि रेडी होकर जब बाहर आई.. तो काजल ने उससे कहा- मैं जा रही हूँ.. तुमसे मिले बिना कैसे जाती.. तो यहीं बैठ गई।
रश्मि- अरे अच्छा किया.. मैं भी बस निकल ही रही हूँ.. चलो साथ-साथ जाते हैं तुम अपने अंकल के साथ निकल जाना.. मैं बाहर से रिक्शा ले लूँगी।
दोनों साथ में बाहर निकलीं.. तभी साजन के फ़ोन पर भाई का फ़ोन आया.. उसने बताया कि रश्मि ने पीली शर्ट और वाइट जीन्स पहनी हुई है.. जो करना संभाल कर करना..
काजल के अंकल टैक्सी ले आए थे.. बाहर आकर काजल ने रश्मि को गले लगाया और गाड़ी में बैठ कर चली गई। उसी टाइम साजन ने उन लड़कों को इशारा कर दिया कि यह ही वो लड़की है..
लड़का 1- हाय जानेमन.. कहाँ जा रही हो.. ये बिजलियाँ गिराते हुए?
लड़का 2- अरे रुक ना जान.. अपना नाम तो बता कर जा..
उनकी बातों से रश्मि गुस्सा हो गई मगर उनके मुँह लगना उसने ठीक नहीं समझा.. तो वो चुपचाप आगे आकर रिक्शा को रोकने लगी।
लड़का 3- अरे जान.. कहाँ जाना है.. हम छोड़ देंगे.. आ जा..
रश्मि कुछ कहती.. इसके पहले एक लड़के ने उसका हाथ पकड़ लिया।
रश्मि- हे छोड़ो मुझे.. क्या बदतमीज़ी है ये?
बस यही वो पल था.. जब साजन अपने दोस्तों के साथ मैदान में उतार गया।
साजन- ओये.. लड़की का हाथ छोड़.. वरना हाथ उखाड़ दूँगा तेरा..
लड़का 1- क्यों तू कौन है रे.. ज़्यादा हीरो ना बन.. चुपचाप निकल जा यहाँ से.. नहीं सारी हेकड़ी निकाल देंगे..
तभी सुंदर और आनंद भी उनसे उलझ पड़े और कुछ देर बाद वो सब वहाँ से भाग गए।
रश्मि- थैंक्स.. आप नहीं आते तो पता नहीं क्या हो जाता..
साजन- अरे नहीं नहीं.. ये तो मेरा फर्ज़ था.. वैसे मेरा नाम साजन है..
रश्मि- ओह.. रियली.. आप बहुत अच्छे हैं मैं रश्मि खन्ना हूँ।
साजन- अच्छा अच्छा.. वैसे आप यहाँ क्यों खड़ी हो.. कहाँ जाना है.. मैं आपको छोड़ देता हूँ?
रश्मि- मैं रिक्शे के लिए खड़ी हूँ.. घर जाना है.. आप क्यों तकलीफ़ करते हो.. मैं चली जाऊँगी।
साजन- ओह.. अच्छा एक बात है.. आप अकेली जा रही हैं आपको लेने कोई नहीं आया.. आप कहाँ की रहने वाली हो?
रश्मि- अरे मैं यहीं की हूँ.. पापा काम में बिज़ी हैं और दो भाई हैं मगर उनको अपने दोस्तों से ही फ़ुर्सत नहीं मिलती.. मुझे लेने क्या आएँगे.. मैं चली जाऊँगी..
साजन- दो भाई हैं? क्या मैं उनका नाम जान सकता हूँ.. क्योंकि मेरे भी दोस्तों का सरनेम खन्ना है..
रश्मि- अच्छा उनके नाम क्या हैं?
साजन- एक जय और दूसरा विजय..
रश्मि- ओह.. रियली.. यही तो मेरे भाई हैं देखो इत्तेफ़ाक की बात.. आज तक मैंने कभी आपको देखा नहीं.. मगर आप मेरी मदद को आ गए और मेरे भाई के दोस्त भी निकले.. चलो अब मैं चलती हूँ.. घर जरूर आना आप..
साजन- अरे नहीं.. ऐसे-कैसे चली जाओगी और कभी और नहीं.. आज ही मैं आपके घर चलूँगा आपके साथ ही.. समझी अब आपको मेरी बात माननी होगी..
रश्मि- अरे ये आप-आप क्या लगा रखा है.. मैं आपसे छोटी हूँ.. मुझे तुम भी बुला सकते हो आप..
साजन- हाँ क्यों नहीं.. तुम चलो वो सामने मेरी कार खड़ी है.. तुम जाकर बैठो.. मैं बस एक मिनट में एक जरूरी कॉल करके आया..।
रश्मि मुस्कुराती हुई गाड़ी की तरफ़ जाने लगी.. तभी साजन ने भाई को फ़ोन लगाया।
भाई- क्या हुआ.. फ़ोन क्यों किया.. जाओ..
साजन- हाँ भाई जा ही रहा हूँ.. बस आपको बताने के लिए फ़ोन किया कि आप ब्लू शर्ट में बड़े मस्त दिख रहे हो.. आप भाई नहीं.. बिग बॉस हो..
भाई- ओह्ह.. क्या बोल रहे हो.. कैसी ब्लू-शर्ट मैं.. कुछ समझा नहीं..
साजन- आकर सब समझा दूँगा भाई.. नहीं नहीं.. रंगीला भाई.. हा हा हा बहुत मास्टर माइंड है ना तू.. चल अभी जाता हूँ आकर बात करता हूँ बाय..
भाई कुछ बोलता उसके पहले साजन ने फ़ोन काट दिया और कार की तरफ़ बढ़ गया।
इधर सुंदर और आनंद की नज़र रंगीला पर ही थी.. जब फ़ोन पर वो बात कर रहा था.. तो उसके माथे पर पसीना आ गया था और तभी ये दोनों उसके सामने आ गए।
रंगीला- तुम दोनों यहाँ क्या कर रहे हो और साजन कहाँ है?
आनंद- हा हा हा.. अब हम इतने भी चूतिए नहीं है रंगीला भाई.. हा हा हा… हम सब जानते हैं।
रंगीला- चुप रहो.. ज़्यादा बनो मत और जब तक मेरी बात साजन से नहीं हो जाती.. अपना मुँह बन्द रखना.. समझे.. नहीं तो सारे किए कराए पर पानी फिर जाएगा.. अब जाओ यहाँ से..
वो दोनों चुपचाप वहाँ से निकल गए.. उधर गाड़ी में साजन अपनी मीठी बातों से रश्मि को बहला रहा था।
रश्मि- आप बातें बहुत अच्छी करते हो.. दिल करता है बस आप बोलते रहो और मैं सुनती रहूँ।
साजन- अरे ऐसा कुछ नहीं है.. मैं तो बस ऐसे ही बकवास करता रहता हूँ.. आपको पता नहीं कैसे य अच्छी लग रही हैं।
दोनों बातें करते हुए रश्मि के घर तक पहुँच गए..
जब दोनों साथ घर के अन्दर गए तो काम्या के चेहरे पर ख़ुशी की लहर दौड़ गई.. उसने आवाज़ देकर दोनों भाइयों को भी बुला लिया।
काम्या- अरे मेरी प्यारी बेटी.. कितनी देर लगा दी आने में.. और तुम्हारे साथ ये कौन है?
रश्मि- वो माँ वहाँ कोई रिक्शा नहीं मिला.. तब ये मिल गए.. ये भाई के दोस्त हैं मुझे घर तक छोड़ने आए हैं।
प्रीति- क्या हुआ भाईसाहब.. बहुत टेन्शन में लग रहे हो?
रणविजय- मैंने तुमसे कितनी बार कहा है कि मुझे भाई मत कहा करो.. क्या तुम्हें समझ में नहीं आता?
प्रीति- अरे वो तो अकेले में बोलने से मना किया था.. अब मैं यहाँ हॉल में थोड़ी वैसे बोलूँगी..
रणविजय- अच्छा.. अच्छा.. ठीक है.. वैसे इतनी सजधज के कहाँ जा रही हो?
प्रीति- कहीं नहीं.. बस ऐसे ही थोड़ी शॉपिंग करनी थी..
रणविजय- ठीक है जाओ.. मगर मुझे अकेला छोड़ दो..
प्रीति ने एक मुस्कान रणविजय को दी और बाहर को निकल गई।
कुछ देर बाद जय और विजय लगभग भागते हुए घर के अन्दर आए.. उनको देख कर रणविजय की जान में जान आई।
उन्होंने ज़्यादा बात नहीं की.. बस टेबल से पेपर लिए और जय को साइन करने को कहा।
जैसे ही जय ने साइन किए.. रणविजय जल्दी में बाहर निकल गए.. और जाते हुए वो दोनों को हिदायत दे गए- लंच के टाइम घर में ही रहना.. मुझको तुम दोनों से जरूरी काम है।
पापा के जाने के बाद दोनों ऊपर अपने अपने कमरों में चले गए।
दोस्तो.. वहाँ साजन और उसके दोस्तों ने अपने काम को अंजाम देने के लिए कुछ लड़कों से बात कर ली और बस वो उस पल के इंतजार में बैठ गए।
गर्ल्स हॉस्टल में भी सुबह से गहमा-गहमी थी.. आज कुछ और लड़कियाँ अपने घर जा रही थीं.. जिनमें काजल और रश्मि भी शामिल थीं।
काजल- अरे रश्मि, तू अकेली जाएगी या कोई लेने के लिए आएगा?
रश्मि- नहीं यार.. मैंने बताया था ना.. मैं रिक्शा लेकर चली जाऊँगी.. तू अपनी बता.. तुम्हें लेने कौन आ रहा है.. कहीं पुरू तो नहीं आ रहा ना?
काजल- अरे नहीं यार.. वो कहाँ आएगा.. अब वो तो नौकरी के लिए लंदन चला गया है.. मेरे अंकल आएँगे..
ये दोनों यूँ ही नार्मली बातें कर रही थीं और बाकी लड़कियाँ भी अपने आप में व्यस्त थीं।
दोस्तो, यहाँ अभी कोई फायदा नहीं.. वापस खन्ना हाउस में चलते हैं।
फ़ोन की घंटी बज रही थी.. मगर हॉल में कोई नहीं था। कुछ देर बाद काम्या रसोई से बाहर आई और उसने फ़ोन को उठाया। कुछ देर बात करने के बाद फ़ोन रख दिया और वो सीधी ऊपर जय के कमरे की तरफ़ गई।
जय- हाय मॉम.. क्या हुआ..? आप ऊपर क्यों आईं.. मुझे बुला लिया होता..
काम्या- कोई बात नहीं बेटा.. वो हॉस्टल से फ़ोन आया था छुट्टियाँ शुरू हो गई हैं तुम्हारी बहन रश्मि भी आज घर आ रही है। तुम जाकर उसको ले आओ ना… वो कहाँ रिक्शा में धक्के खाती हुई आएगी।
काम्या जब बोल रही थी तब विजय भी वहाँ आ गया था और उनकी बात सुनकर विजय ने जय से कहा- चलो भाई दोनों साथ चलते हैं।
जय- नहीं पापा ने कहीं भी जाने से मना किया है.. मॉम आप टेन्शन मत लो.. वो आ जाएगी.. वैसे भी उसको पसन्द नहीं कि कोई उसके काम में टांग अड़ाए.. आप जाओ उसके पसन्द की कोई चीज बनाओ.. बहुत टाइम बाद आ रही है आपकी लाड़ली बेटी..
काम्या ने दोबारा कहा.. मगर जय ने उनको टाल दिया और वो वहाँ से वापस चली गई।
विजय- क्या भाई.. चलते है ना.. गुड्डी से मिले बहुत टाइम हो गया हमको.. साथ में आते तो मज़ा आता..
जय- पागल मत बनो.. साजन की नज़र हम पर ही होगी.. इस तरह गुड्डी के साथ बाहर घूमना ठीक नहीं..
विजय- ओह.. सॉरी यार ये तो मेरे दिमाग़ में आया ही नहीं.. भाई आप बहुत माइंडेड हो.. सच में..
जय- अभी तुमने मेरे दिमाग़ का खेल देखा कहाँ है.. आगे-आगे देख.. कैसे उसकी बहन को घोड़ी बना कर चोदता हूँ.. साली की गाण्ड बहुत भा गई है मुझे..
विजय- हाँ भाई.. जरूर करेंगे.. मगर रंगीला से बात तो कर लेते हैं कि उसने लड़की का बंदोबस्त किया या नहीं..
जय- हाँ ये भी सही है.. तू ऐसा कर.. रंगीला को फ़ोन लगा अभी.. उसको पूछ.. कुछ हुआ क्या?
विजय ने रंगीला को फ़ोन लगाया और लड़की के बारे में पूछा।
रंगीला- अरे.. कैसे हो.. आ गए क्या तुम दोनों.. यार कहाँ हो अभी?
विजय- अरे आ गए यार.. अभी घर में ही हैं तू कहाँ है?
रंगीला- अरे में तो मार्केट में हूँ.. तुम दोनों घर पर क्या कर रहे हो?
विजय- अरे यार कुछ नहीं.. जय के पापा को तू जानता है ना.. गुस्सा हैं किसी वजह से.. अब लंच तक हम कहीं नहीं जा सकते.. समझा तू.. जल्दी लड़की का बंदोबस्त कर यार..
रंगीला- अरे हाँ यार, शाम तक देखता हूँ हम साथ में चलेंगे..
विजय- यार जो करना है.. जल्दी करो और शाम ही ठीक रहेगी.. वैसे भी अभी हम बाहर जा नहीं सकते। आज गुड्डी भी घर आ रही है.. उसको लेने भी नहीं जा सके.. बेचारी अकेली आएगी।
रंगीला- ओह.. अच्छा यह बात है.. चलो ठीक है शाम को मिलते हैं।
रंगीला के फ़ोन काटने के बाद दोनों बातें करने लगे कि आगे सब कैसे करना है और लड़की कोई ठीक ढूँढनी होगी।
दोस्तो, अब ज़बरदस्त ट्विस्ट आपका हॉस्टल के बाहर इन्तजार कर रहा है.. तो वहीं चलते हैं!
काजल ने अपना बैग तैयार किया और जाने के लिए तैयार हो गई। वो रश्मि का इन्तजार कर रही थी कि वो बाथरूम से बाहर आए.. तो उससे मिलकर वो निकल जाए, इसीलिए वो वहीं बिस्तर पर बैठ गई।
उधर बाहर साजन अपने दोस्तों के साथ रश्मि का इन्तजार कर रहा था और उससे कुछ दूरी पर साजन के भाड़े के गुंडे भी खड़े उसके इशारे का इन्तजार कर रहे थे।
आनंद कोल्ड ड्रिंक लेने गया तो उसे दूर रंगीला खड़ा हुआ दिखाई दिया.. वापस आकर उसने साजन को बताया।
साजन- अच्छा उन कुत्तों का चमचा हम पर नज़र रख रहा है.. वैसे उसने पहना क्या है.. यह बता जल्दी?
आनंद- इससे क्या फ़र्क पड़ेगा बॉस?
साजन- सवाल मत कर.. जल्दी बोल.. अभी बिग बॉस का फ़ोन आने वाला है..
आनंद- ब्लू शर्ट और ब्लैक जीन्स.. ये बिग बॉस कौन है बॉस?
साजन- अरे वही.. जिसे आज तक मैं भाई बोलता था.. आज से बिग बॉस कहूँगा..
साजन की बात भी पूरी नहीं हुई थी कि उसका फ़ोन बजने लगा।
साजन- हाँ बिग बॉस.. बोलो क्या कहना है.. आपको मैं हॉस्टल के बाहर ही मिलता हूँ।
भाई- वो दोनों नहीं आ रहे.. तो दूसरा प्लान ही करना होगा। वो लड़के कहाँ पर हैं?
साजन- डोंट वरी बिग बी.. हम सब यही हैं आप बस देखते जाओ..
फ़ोन कट जाने के बाद आनंद ने पूछा कि आपको कैसे पता फ़ोन आएगा।
साजन- हा हा हा.. मैंने कहा था ना.. टाइम आने पर भाई का नाम बता दूँगा। यह साला हरामी रंगीला ही भाई है.. अब बस 5 मिनट रूको.. खुद समझ जाओगे कि यही भाई है। सुनो जब मैं रश्मि से बात करूं.. तुम उस पर नज़र रखना और मेरे जाने के बाद उसके पास चले जाना।
आनंद- उसके पास जाकर क्या कहें?
साजन- कुछ मत कहना.. बस उसके सामने चले जाना.. अगर वो बात करे तो ठीक.. नहीं उसको देख कर आगे निकल जाना.. समझे..
रश्मि रेडी होकर जब बाहर आई.. तो काजल ने उससे कहा- मैं जा रही हूँ.. तुमसे मिले बिना कैसे जाती.. तो यहीं बैठ गई।
रश्मि- अरे अच्छा किया.. मैं भी बस निकल ही रही हूँ.. चलो साथ-साथ जाते हैं तुम अपने अंकल के साथ निकल जाना.. मैं बाहर से रिक्शा ले लूँगी।
दोनों साथ में बाहर निकलीं.. तभी साजन के फ़ोन पर भाई का फ़ोन आया.. उसने बताया कि रश्मि ने पीली शर्ट और वाइट जीन्स पहनी हुई है.. जो करना संभाल कर करना..
काजल के अंकल टैक्सी ले आए थे.. बाहर आकर काजल ने रश्मि को गले लगाया और गाड़ी में बैठ कर चली गई। उसी टाइम साजन ने उन लड़कों को इशारा कर दिया कि यह ही वो लड़की है..
लड़का 1- हाय जानेमन.. कहाँ जा रही हो.. ये बिजलियाँ गिराते हुए?
लड़का 2- अरे रुक ना जान.. अपना नाम तो बता कर जा..
उनकी बातों से रश्मि गुस्सा हो गई मगर उनके मुँह लगना उसने ठीक नहीं समझा.. तो वो चुपचाप आगे आकर रिक्शा को रोकने लगी।
लड़का 3- अरे जान.. कहाँ जाना है.. हम छोड़ देंगे.. आ जा..
रश्मि कुछ कहती.. इसके पहले एक लड़के ने उसका हाथ पकड़ लिया।
रश्मि- हे छोड़ो मुझे.. क्या बदतमीज़ी है ये?
बस यही वो पल था.. जब साजन अपने दोस्तों के साथ मैदान में उतार गया।
साजन- ओये.. लड़की का हाथ छोड़.. वरना हाथ उखाड़ दूँगा तेरा..
लड़का 1- क्यों तू कौन है रे.. ज़्यादा हीरो ना बन.. चुपचाप निकल जा यहाँ से.. नहीं सारी हेकड़ी निकाल देंगे..
तभी सुंदर और आनंद भी उनसे उलझ पड़े और कुछ देर बाद वो सब वहाँ से भाग गए।
रश्मि- थैंक्स.. आप नहीं आते तो पता नहीं क्या हो जाता..
साजन- अरे नहीं नहीं.. ये तो मेरा फर्ज़ था.. वैसे मेरा नाम साजन है..
रश्मि- ओह.. रियली.. आप बहुत अच्छे हैं मैं रश्मि खन्ना हूँ।
साजन- अच्छा अच्छा.. वैसे आप यहाँ क्यों खड़ी हो.. कहाँ जाना है.. मैं आपको छोड़ देता हूँ?
रश्मि- मैं रिक्शे के लिए खड़ी हूँ.. घर जाना है.. आप क्यों तकलीफ़ करते हो.. मैं चली जाऊँगी।
साजन- ओह.. अच्छा एक बात है.. आप अकेली जा रही हैं आपको लेने कोई नहीं आया.. आप कहाँ की रहने वाली हो?
रश्मि- अरे मैं यहीं की हूँ.. पापा काम में बिज़ी हैं और दो भाई हैं मगर उनको अपने दोस्तों से ही फ़ुर्सत नहीं मिलती.. मुझे लेने क्या आएँगे.. मैं चली जाऊँगी..
साजन- दो भाई हैं? क्या मैं उनका नाम जान सकता हूँ.. क्योंकि मेरे भी दोस्तों का सरनेम खन्ना है..
रश्मि- अच्छा उनके नाम क्या हैं?
साजन- एक जय और दूसरा विजय..
रश्मि- ओह.. रियली.. यही तो मेरे भाई हैं देखो इत्तेफ़ाक की बात.. आज तक मैंने कभी आपको देखा नहीं.. मगर आप मेरी मदद को आ गए और मेरे भाई के दोस्त भी निकले.. चलो अब मैं चलती हूँ.. घर जरूर आना आप..
साजन- अरे नहीं.. ऐसे-कैसे चली जाओगी और कभी और नहीं.. आज ही मैं आपके घर चलूँगा आपके साथ ही.. समझी अब आपको मेरी बात माननी होगी..
रश्मि- अरे ये आप-आप क्या लगा रखा है.. मैं आपसे छोटी हूँ.. मुझे तुम भी बुला सकते हो आप..
साजन- हाँ क्यों नहीं.. तुम चलो वो सामने मेरी कार खड़ी है.. तुम जाकर बैठो.. मैं बस एक मिनट में एक जरूरी कॉल करके आया..।
रश्मि मुस्कुराती हुई गाड़ी की तरफ़ जाने लगी.. तभी साजन ने भाई को फ़ोन लगाया।
भाई- क्या हुआ.. फ़ोन क्यों किया.. जाओ..
साजन- हाँ भाई जा ही रहा हूँ.. बस आपको बताने के लिए फ़ोन किया कि आप ब्लू शर्ट में बड़े मस्त दिख रहे हो.. आप भाई नहीं.. बिग बॉस हो..
भाई- ओह्ह.. क्या बोल रहे हो.. कैसी ब्लू-शर्ट मैं.. कुछ समझा नहीं..
साजन- आकर सब समझा दूँगा भाई.. नहीं नहीं.. रंगीला भाई.. हा हा हा बहुत मास्टर माइंड है ना तू.. चल अभी जाता हूँ आकर बात करता हूँ बाय..
भाई कुछ बोलता उसके पहले साजन ने फ़ोन काट दिया और कार की तरफ़ बढ़ गया।
इधर सुंदर और आनंद की नज़र रंगीला पर ही थी.. जब फ़ोन पर वो बात कर रहा था.. तो उसके माथे पर पसीना आ गया था और तभी ये दोनों उसके सामने आ गए।
रंगीला- तुम दोनों यहाँ क्या कर रहे हो और साजन कहाँ है?
आनंद- हा हा हा.. अब हम इतने भी चूतिए नहीं है रंगीला भाई.. हा हा हा… हम सब जानते हैं।
रंगीला- चुप रहो.. ज़्यादा बनो मत और जब तक मेरी बात साजन से नहीं हो जाती.. अपना मुँह बन्द रखना.. समझे.. नहीं तो सारे किए कराए पर पानी फिर जाएगा.. अब जाओ यहाँ से..
वो दोनों चुपचाप वहाँ से निकल गए.. उधर गाड़ी में साजन अपनी मीठी बातों से रश्मि को बहला रहा था।
रश्मि- आप बातें बहुत अच्छी करते हो.. दिल करता है बस आप बोलते रहो और मैं सुनती रहूँ।
साजन- अरे ऐसा कुछ नहीं है.. मैं तो बस ऐसे ही बकवास करता रहता हूँ.. आपको पता नहीं कैसे य अच्छी लग रही हैं।
दोनों बातें करते हुए रश्मि के घर तक पहुँच गए..
जब दोनों साथ घर के अन्दर गए तो काम्या के चेहरे पर ख़ुशी की लहर दौड़ गई.. उसने आवाज़ देकर दोनों भाइयों को भी बुला लिया।
काम्या- अरे मेरी प्यारी बेटी.. कितनी देर लगा दी आने में.. और तुम्हारे साथ ये कौन है?
रश्मि- वो माँ वहाँ कोई रिक्शा नहीं मिला.. तब ये मिल गए.. ये भाई के दोस्त हैं मुझे घर तक छोड़ने आए हैं।