hotaks444
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जय जानता था कि सील टूटने से उसको कितना दर्द हुआ होगा.. क्योंकि उसको यह भी अहसास हो गया था कि रश्मि की चूत से खून का रिसाव शुरू हो गया.. जो उसके लौड़े से होता हुआ बिस्तर पर गिरने लगा है।
उसने पूरा लौड़ा अन्दर घुसा दिया.. अब वो बिना हिले बस ऊपर लेटा रहा और रश्मि के होंठ चूसता रहा। रश्मि की आँखों में आँसू आ रहे थे.. जिसे देख कर जय ने उसके होंठ आज़ाद किए।
जय- सॉरी रश्मि.. मेरी वजह से तुम्हें कितना दर्द हो रहा है ना..
रश्मि- आह.. भाई.. बहुत दर्द हो रहा है.. आह.. आपने पूरा एक साथ क्यों डाल दिया.. आह.. आराम से डालते तो ठीक रहता.. ऑफ.. मेरी चूत फट गई..
जय- नहीं रश्मि.. धीरे-धीरे डालता.. तो दर्द ज़्यादा होता.. एक ही बार में डालने से एक बार दर्द हुआ। अब तुम्हें आराम से चोदूंगा।
कुछ देर बाद रश्मि का दर्द कम हुआ तो जय लौड़े को आगे-पीछे करने लगा। दस मिनट तक धीरे-धीरे जय रश्मि को चोदता रहा। अब रश्मि का दर्द कम हो गया था और उसको दर्द के साथ मज़ा भी आने लगा था।
रश्मि- आह सीई.. भाई.. आह.. अब तेज करो ना.. आह.. मेरी चूत जल रही है.. आह.. फक मी ब्रो.. आह.. फक मी..
जय समझ गया कि अब रश्मि की उत्तेजना चरम पर आ गई है.. तो उसने भी स्पीड बढ़ा दी और ‘दे..दनादन..’ लौड़ा पेलने लगा।
रश्मि- आह..आईईइ..उफ़फ्फ़.. भाई.. आह.. मज़ा आ रहा है.. आह.. चोदो.. आह.. आज अपनी बहन को चोद कर आह.. आप भी आह.. बहनचोद बन जाओ आह..
जय- उहह उहह.. मेरी जान.. आह.. तेरी चूत बहुत टाइट है.. आह.. ऐसी चूतें मिलती रहें.. तो लौड़े को मज़ा आ जाए.. उफ़.. ले संभाल.. ले..
जय अब स्पीड से चोदने लगा था और रश्मि भी उछल-उछल कर उसका साथ दे रही थी, दो जवान भाई बहन के जिस्म अब एक हो गए थे।
रश्मि- आह.. फास्ट आह.. और फास्ट भाई मेरी चूत फटने वाली है.. आह.. मैं गई.. आह आई.. उफफ्फ़ सस्सस्स..
रश्मि की चूत ने लावा उगल दिया और उसी के साथ जय के लौड़े ने भी उसके रस से अपना रस मिला दिया, रश्मि की कुँवारी चूत जय के रस से भर गई, ये पल रश्मि को बहुत सुकून दे रहे थे। गर्म रस उसकी चूत को सुकून दे रहा था।
काफ़ी देर तक दोनों एकदम शान्त.. वैसे ही पड़े रहे।
रश्मि- उफ़फ्फ़ भाई.. अब हटो भी.. मुझे देखने तो दो.. मेरी चूत का आपने क्या हाल किया है.. लगता है आपने मेरी चूत फाड़ ही दी।
जय- अब तुमको ही चुदाई करवानी थी.. चूत में लौड़ा जाएगा तो फटेगी ही ना.. वैसे कुछ भी कहो.. तुम सच में कमाल की हो.. ऐसे हुस्न के साथ आज तक कुँवारी घूम रही हो.. अगर तुम मेरी बहन ना होती.. तो मैं कब का तेरी चूत फाड़ चुका होता।
रश्मि- अच्छा आपकी मुझ पे इतनी नियत खराब थी क्या?
जय- अरे नहीं.. मैंने कभी ऐसा सोचा भी नहीं.. ये तो बस जब से तुम आई हो और अजीब सी बातें कर रही हो.. तो मेरा मन भी तुम्हारे लिए ऐसा हो गया। वैसे मैंने कंट्रोल बहुत किया.. आख़िर आज तुमने मुझे बहनचोद बनने के लिए मजबूर कर ही दिया।
रश्मि- ओह्ह.. भाई आई लव यू.. अब हमेशा आप मुझे ऐसे ही प्यार देते रहना।
जय- हाँ मेरी प्यारी रश्मि.. आज पूरी रात तुम्हें इतना प्यार करूँगा कि बस तुम हमेशा के लिए मेरी हो जाओगी।
रश्मि- अच्छा कर लेना.. पहले हटो तो सही.. मुझे बाथरूम जाना है।
जय धीरे से एक साइड में हो गया उसका लौड़ा अब मुरझा गया था। उस पर दोनों के रस के साथ रश्मि की सील टूटने के कारण निकला हुआ खून भी लगा था।
रश्मि धीरे से बैठ गई और झुक कर जब उसने चूत को देखा।
रश्मि- ओह्ह.. गॉड.. इतना खून निकलता है पहली चुदाई में.. भाई मेरी चूत पर कितनी सूजन आ गई है.. देखो तो..
जय- अरे डरो मत रश्मि.. पहली बार है ना.. ऐसा होता है। गर्म पानी से साफ कर लो.. आराम मिलेगा..
रश्मि जब बिस्तर से उतरने लगी.. उसको चूत में दर्द महसूस हुआ- आह भाई.. बहुत दर्द हो रहा है.. मेरे पैर भी दु:ख रहे हैं और कमर में भी बहुत ज़्यादा दर्द हो रहा है।
जय- आओ मेरी बहना.. मैं तुम्हें बाथरूम तक ले जाता हूँ.. वहाँ अपने हाथों से तुम्हारी चूत को साफ करूँगा ओके..
रश्मि ने मुस्कुरा के ‘हाँ’ कहा.. तो जय ने उसको सहारा दिया.. वो लंगड़ाती हुई उसके साथ बाथरूम तक गई।
वहाँ जाकर रश्मि को आराम से नीचे बैठा कर जय गर्म पानी से चूत पर लगा खून साफ करने लगा।
रश्मि- आह.. आराम से भाई.. दुखता है.. अपने कितना मोटा डंडा.. जो मेरी छोटी सी चूत में घुसा दिया ना..
जय- अरे रश्मि.. तेरी चूत तो ऐसी थी कि उंगली जाने से भी दर्द कर रही थी। अब मेरा लौड़ा गया है.. तो थोड़ा तो दु:खेगा ही.. पर तुझे अबकी बार ज़्यादा मज़ा आएगा.. देख लेना..
रश्मि ने भी जय के लौड़े को पानी से साफ किया और प्यार से उसको सहलाने लग गई।
काफ़ी देर तक दोनों एक-दूसरे को साफ करते रहे।
उसके बाद रश्मि ने कहा- भाई आप जाओ.. मैं थोड़ी देर बाद आती हूँ।
तो जय वहाँ से बाहर आ गया।
बेड पर लेट कर जय अपने लौड़े को देखने लगा और मुस्कुराता हुआ आँखें बन्द करके बिस्तर पर लेट गया।
दोस्तो, रश्मि जब तक वापस आए.. आपको एक बात बता देती हूँ.. रंगीला ने बिहारी को जो काम दिया था.. आपको याद तो होगा ना.. उसकी उलझन आपके दिमाग़ में चल रही होगी.. तो चलो उसको दूर करने का टाइम आ गया है।
रंगीला एक बिल्डिंग के सामने खड़ा किसी का इन्तजार कर रहा था.. तभी वहाँ बिहारी आ गया।
बिहारी- का बात है रंगीला जी.. आज कैसे हमका याद किया?
रंगीला- अरे बिहारी तुम तो पैसे लेकर गायब ही हो गए.. मैंने कहा था ना.. मैडम बहुत नाराज़ हैं.. तुमको मैंने अलग-अलग एरिया में कमरे और फ्लैट लेकर दिए हुए हैं ताकि पुलिस का कोई चक्कर ना हो.. मगर उसके बाद भी तुम देरी कर रहे हो.. ऐसा क्यों?
बिहारी- अबे का साला बुड़बक जैसा बतिया करता है.. आजकल पाउडर के मामले में पुलिस बहुत सख़्त हो गई है.. संभल के चलना होता है..।
रंगीला- ये सब मैं नहीं जानता.. मुझे भी मैडम को जबाव देना होता है। अब सुनो ये लो चाभी.. इसी बिल्डिंग के 5वें फ्लोर पर फ्लैट नम्बर 22 में इस बार सारा माल रख देना.. आगे मैं देख लूँगा.. ओके?
बिहारी- अरे का भैया.. ये अस्पताल के सामने काहे फ्लैट ले लिया.. सारा दिन लोग आते-जाते रहते हैं।
रंगीला- पब्लिक एरिया में इसी लिए लिया है ताकि किसी को शक ना हो समझे..
बिहारी- ठीक है.. हम जल्दी सब कर दूँगा मगर मैडम को बता देना कि बिहारी देरी करता है.. लेकिन काम बराबर करता है। अब तुम जाओ.. हमको थोड़ा जरूरी काम है।
रंगीला- हाँ जानता हूँ.. तेरा काम.. साला दारू और लड़की के सिवा तुम्हें कौन सा काम जरूरी होता है..
बिहारी- का फालतू का बकवास करता है.. ये दोनों तो हमरा शौक है.. काम अपनी जगह.. शौक अपनी जगह.. अब जाओ..
रंगीला- अच्छा ठीक है.. रविवार को बुलबुल में पार्टी है.. मैंने सलीम से बात कर ली है.. वो पुराना माल उसको पहुँचा देना समझे..
बिहारी ने उसकी ‘हाँ’ में ‘हाँ’ मिलाई और वहाँ से निकल गया।
दोस्तो, आप सोच रहे होंगे कि ये क्या नया झमेला है.. तो आपको याद दिला दूँ मैंने बताया था ना.. रंगीला के अलग-अलग एरिया में घर हैं। असल में रंगीला एक नशे का काम करता है… इसका असल काम यही है। अब इसके पीछे ये मैडम कौन है.. इसका पता आगे चल जाएगा।
आप बस देखते रहो और ‘हाँ’ ये कोई मैंने अलग से इसमें एड नहीं किया। आगे चलकर ये भी कहानी का एक हिस्सा बन जाएगा ओके.. तो अब वापस रश्मि के पास चलते हैं।
रश्मि जब बाहर आई तो जय बैठा हुआ उसको देख रहा था।
रश्मि- क्या बात है.. भाई नजरें बाथरूम पर टिकाए हुए बैठे हो।
जय- हाँ रश्मि तुमने मुझे अपना दीवाना बना दिया है.. सच्ची इतनी चूतें मारी हैं.. मगर तेरे जैसी किसी की नहीं थी।
रश्मि मुस्कुराती हुई बड़ी अदा के साथ चलती हुई जय के पास आकर बैठ गई और उसके होंठों पर एक किस कर दिया।
जय- उफ़.. तेरी यही अदा तो सबसे अलग है.. ये हुस्न और सेक्सी फिगर मुझे पागल बना रहा है। सच में रश्मि.. तुम जैसी दूसरी शायद ही कोई इस दुनिया में होगी।
रश्मि- मैं तो आपको बड़ा सीधा समझती थी.. किस-किस को चोद चुके हो भाई अब तक..
जय- अरे क्या बताऊँ.. अब मैं तो हर महीने लौंडिया बदलता हूँ.. उनकी चूत का पूरा मज़ा लेकर ही छोड़ता हूँ।
रश्मि- अच्छा इसका मतलब मुझसे मन भर जाएगा.. तो मुझे भी छोड़ दोगे आप?
जय- अरे पागल तू मेरी बहन है.. तेरे साथ ऐसा थोड़े करूँगा.. जब तक तू यहाँ है.. मैं तुझसे प्यार करता रहूँगा।
रश्मि- मैं अब कहीं नहीं जाने वाली.. आपका प्यार मुझे हर पल चाहिए।
उसने पूरा लौड़ा अन्दर घुसा दिया.. अब वो बिना हिले बस ऊपर लेटा रहा और रश्मि के होंठ चूसता रहा। रश्मि की आँखों में आँसू आ रहे थे.. जिसे देख कर जय ने उसके होंठ आज़ाद किए।
जय- सॉरी रश्मि.. मेरी वजह से तुम्हें कितना दर्द हो रहा है ना..
रश्मि- आह.. भाई.. बहुत दर्द हो रहा है.. आह.. आपने पूरा एक साथ क्यों डाल दिया.. आह.. आराम से डालते तो ठीक रहता.. ऑफ.. मेरी चूत फट गई..
जय- नहीं रश्मि.. धीरे-धीरे डालता.. तो दर्द ज़्यादा होता.. एक ही बार में डालने से एक बार दर्द हुआ। अब तुम्हें आराम से चोदूंगा।
कुछ देर बाद रश्मि का दर्द कम हुआ तो जय लौड़े को आगे-पीछे करने लगा। दस मिनट तक धीरे-धीरे जय रश्मि को चोदता रहा। अब रश्मि का दर्द कम हो गया था और उसको दर्द के साथ मज़ा भी आने लगा था।
रश्मि- आह सीई.. भाई.. आह.. अब तेज करो ना.. आह.. मेरी चूत जल रही है.. आह.. फक मी ब्रो.. आह.. फक मी..
जय समझ गया कि अब रश्मि की उत्तेजना चरम पर आ गई है.. तो उसने भी स्पीड बढ़ा दी और ‘दे..दनादन..’ लौड़ा पेलने लगा।
रश्मि- आह..आईईइ..उफ़फ्फ़.. भाई.. आह.. मज़ा आ रहा है.. आह.. चोदो.. आह.. आज अपनी बहन को चोद कर आह.. आप भी आह.. बहनचोद बन जाओ आह..
जय- उहह उहह.. मेरी जान.. आह.. तेरी चूत बहुत टाइट है.. आह.. ऐसी चूतें मिलती रहें.. तो लौड़े को मज़ा आ जाए.. उफ़.. ले संभाल.. ले..
जय अब स्पीड से चोदने लगा था और रश्मि भी उछल-उछल कर उसका साथ दे रही थी, दो जवान भाई बहन के जिस्म अब एक हो गए थे।
रश्मि- आह.. फास्ट आह.. और फास्ट भाई मेरी चूत फटने वाली है.. आह.. मैं गई.. आह आई.. उफफ्फ़ सस्सस्स..
रश्मि की चूत ने लावा उगल दिया और उसी के साथ जय के लौड़े ने भी उसके रस से अपना रस मिला दिया, रश्मि की कुँवारी चूत जय के रस से भर गई, ये पल रश्मि को बहुत सुकून दे रहे थे। गर्म रस उसकी चूत को सुकून दे रहा था।
काफ़ी देर तक दोनों एकदम शान्त.. वैसे ही पड़े रहे।
रश्मि- उफ़फ्फ़ भाई.. अब हटो भी.. मुझे देखने तो दो.. मेरी चूत का आपने क्या हाल किया है.. लगता है आपने मेरी चूत फाड़ ही दी।
जय- अब तुमको ही चुदाई करवानी थी.. चूत में लौड़ा जाएगा तो फटेगी ही ना.. वैसे कुछ भी कहो.. तुम सच में कमाल की हो.. ऐसे हुस्न के साथ आज तक कुँवारी घूम रही हो.. अगर तुम मेरी बहन ना होती.. तो मैं कब का तेरी चूत फाड़ चुका होता।
रश्मि- अच्छा आपकी मुझ पे इतनी नियत खराब थी क्या?
जय- अरे नहीं.. मैंने कभी ऐसा सोचा भी नहीं.. ये तो बस जब से तुम आई हो और अजीब सी बातें कर रही हो.. तो मेरा मन भी तुम्हारे लिए ऐसा हो गया। वैसे मैंने कंट्रोल बहुत किया.. आख़िर आज तुमने मुझे बहनचोद बनने के लिए मजबूर कर ही दिया।
रश्मि- ओह्ह.. भाई आई लव यू.. अब हमेशा आप मुझे ऐसे ही प्यार देते रहना।
जय- हाँ मेरी प्यारी रश्मि.. आज पूरी रात तुम्हें इतना प्यार करूँगा कि बस तुम हमेशा के लिए मेरी हो जाओगी।
रश्मि- अच्छा कर लेना.. पहले हटो तो सही.. मुझे बाथरूम जाना है।
जय धीरे से एक साइड में हो गया उसका लौड़ा अब मुरझा गया था। उस पर दोनों के रस के साथ रश्मि की सील टूटने के कारण निकला हुआ खून भी लगा था।
रश्मि धीरे से बैठ गई और झुक कर जब उसने चूत को देखा।
रश्मि- ओह्ह.. गॉड.. इतना खून निकलता है पहली चुदाई में.. भाई मेरी चूत पर कितनी सूजन आ गई है.. देखो तो..
जय- अरे डरो मत रश्मि.. पहली बार है ना.. ऐसा होता है। गर्म पानी से साफ कर लो.. आराम मिलेगा..
रश्मि जब बिस्तर से उतरने लगी.. उसको चूत में दर्द महसूस हुआ- आह भाई.. बहुत दर्द हो रहा है.. मेरे पैर भी दु:ख रहे हैं और कमर में भी बहुत ज़्यादा दर्द हो रहा है।
जय- आओ मेरी बहना.. मैं तुम्हें बाथरूम तक ले जाता हूँ.. वहाँ अपने हाथों से तुम्हारी चूत को साफ करूँगा ओके..
रश्मि ने मुस्कुरा के ‘हाँ’ कहा.. तो जय ने उसको सहारा दिया.. वो लंगड़ाती हुई उसके साथ बाथरूम तक गई।
वहाँ जाकर रश्मि को आराम से नीचे बैठा कर जय गर्म पानी से चूत पर लगा खून साफ करने लगा।
रश्मि- आह.. आराम से भाई.. दुखता है.. अपने कितना मोटा डंडा.. जो मेरी छोटी सी चूत में घुसा दिया ना..
जय- अरे रश्मि.. तेरी चूत तो ऐसी थी कि उंगली जाने से भी दर्द कर रही थी। अब मेरा लौड़ा गया है.. तो थोड़ा तो दु:खेगा ही.. पर तुझे अबकी बार ज़्यादा मज़ा आएगा.. देख लेना..
रश्मि ने भी जय के लौड़े को पानी से साफ किया और प्यार से उसको सहलाने लग गई।
काफ़ी देर तक दोनों एक-दूसरे को साफ करते रहे।
उसके बाद रश्मि ने कहा- भाई आप जाओ.. मैं थोड़ी देर बाद आती हूँ।
तो जय वहाँ से बाहर आ गया।
बेड पर लेट कर जय अपने लौड़े को देखने लगा और मुस्कुराता हुआ आँखें बन्द करके बिस्तर पर लेट गया।
दोस्तो, रश्मि जब तक वापस आए.. आपको एक बात बता देती हूँ.. रंगीला ने बिहारी को जो काम दिया था.. आपको याद तो होगा ना.. उसकी उलझन आपके दिमाग़ में चल रही होगी.. तो चलो उसको दूर करने का टाइम आ गया है।
रंगीला एक बिल्डिंग के सामने खड़ा किसी का इन्तजार कर रहा था.. तभी वहाँ बिहारी आ गया।
बिहारी- का बात है रंगीला जी.. आज कैसे हमका याद किया?
रंगीला- अरे बिहारी तुम तो पैसे लेकर गायब ही हो गए.. मैंने कहा था ना.. मैडम बहुत नाराज़ हैं.. तुमको मैंने अलग-अलग एरिया में कमरे और फ्लैट लेकर दिए हुए हैं ताकि पुलिस का कोई चक्कर ना हो.. मगर उसके बाद भी तुम देरी कर रहे हो.. ऐसा क्यों?
बिहारी- अबे का साला बुड़बक जैसा बतिया करता है.. आजकल पाउडर के मामले में पुलिस बहुत सख़्त हो गई है.. संभल के चलना होता है..।
रंगीला- ये सब मैं नहीं जानता.. मुझे भी मैडम को जबाव देना होता है। अब सुनो ये लो चाभी.. इसी बिल्डिंग के 5वें फ्लोर पर फ्लैट नम्बर 22 में इस बार सारा माल रख देना.. आगे मैं देख लूँगा.. ओके?
बिहारी- अरे का भैया.. ये अस्पताल के सामने काहे फ्लैट ले लिया.. सारा दिन लोग आते-जाते रहते हैं।
रंगीला- पब्लिक एरिया में इसी लिए लिया है ताकि किसी को शक ना हो समझे..
बिहारी- ठीक है.. हम जल्दी सब कर दूँगा मगर मैडम को बता देना कि बिहारी देरी करता है.. लेकिन काम बराबर करता है। अब तुम जाओ.. हमको थोड़ा जरूरी काम है।
रंगीला- हाँ जानता हूँ.. तेरा काम.. साला दारू और लड़की के सिवा तुम्हें कौन सा काम जरूरी होता है..
बिहारी- का फालतू का बकवास करता है.. ये दोनों तो हमरा शौक है.. काम अपनी जगह.. शौक अपनी जगह.. अब जाओ..
रंगीला- अच्छा ठीक है.. रविवार को बुलबुल में पार्टी है.. मैंने सलीम से बात कर ली है.. वो पुराना माल उसको पहुँचा देना समझे..
बिहारी ने उसकी ‘हाँ’ में ‘हाँ’ मिलाई और वहाँ से निकल गया।
दोस्तो, आप सोच रहे होंगे कि ये क्या नया झमेला है.. तो आपको याद दिला दूँ मैंने बताया था ना.. रंगीला के अलग-अलग एरिया में घर हैं। असल में रंगीला एक नशे का काम करता है… इसका असल काम यही है। अब इसके पीछे ये मैडम कौन है.. इसका पता आगे चल जाएगा।
आप बस देखते रहो और ‘हाँ’ ये कोई मैंने अलग से इसमें एड नहीं किया। आगे चलकर ये भी कहानी का एक हिस्सा बन जाएगा ओके.. तो अब वापस रश्मि के पास चलते हैं।
रश्मि जब बाहर आई तो जय बैठा हुआ उसको देख रहा था।
रश्मि- क्या बात है.. भाई नजरें बाथरूम पर टिकाए हुए बैठे हो।
जय- हाँ रश्मि तुमने मुझे अपना दीवाना बना दिया है.. सच्ची इतनी चूतें मारी हैं.. मगर तेरे जैसी किसी की नहीं थी।
रश्मि मुस्कुराती हुई बड़ी अदा के साथ चलती हुई जय के पास आकर बैठ गई और उसके होंठों पर एक किस कर दिया।
जय- उफ़.. तेरी यही अदा तो सबसे अलग है.. ये हुस्न और सेक्सी फिगर मुझे पागल बना रहा है। सच में रश्मि.. तुम जैसी दूसरी शायद ही कोई इस दुनिया में होगी।
रश्मि- मैं तो आपको बड़ा सीधा समझती थी.. किस-किस को चोद चुके हो भाई अब तक..
जय- अरे क्या बताऊँ.. अब मैं तो हर महीने लौंडिया बदलता हूँ.. उनकी चूत का पूरा मज़ा लेकर ही छोड़ता हूँ।
रश्मि- अच्छा इसका मतलब मुझसे मन भर जाएगा.. तो मुझे भी छोड़ दोगे आप?
जय- अरे पागल तू मेरी बहन है.. तेरे साथ ऐसा थोड़े करूँगा.. जब तक तू यहाँ है.. मैं तुझसे प्यार करता रहूँगा।
रश्मि- मैं अब कहीं नहीं जाने वाली.. आपका प्यार मुझे हर पल चाहिए।