Nangi Sex Kahani एक अनोखा बंधन - Page 11 - SexBaba
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Nangi Sex Kahani एक अनोखा बंधन


अब आगे ....

पिताजी: तो अनिल...बेटा आगे क्या इरादा है! (उनका ये सवाल दोनों के लिए था, पर इससे पहले की सुमन कुछ बोलती..अनिल ही बोल पड़ा|)

अनिल: जी शादी! (वो रात से इतना हड़-बढ़ाया हुआ था की उसे समझ नहीं आ रहा था की वो क्या कह रहा है|)

मैं: O महान आत्मा...पिताजी पूछ रहे हैं की कोर्स के बाद क्या करना है? (ये सुन के सभी हँस पड़े|)

अनिल: Oh sorry ...जी..वो....Job!

पिताजी: बेटा...अगर चाहो तो हमारे साथ काम join कर सकते हो! पर शायद समधीजी को ये पसंद ना आय?

अनिल: जी...शायद उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ेगा...

मैं: क्यों? (मैंने गंभीर होते हुए पूछा|)

अनिल: जीजू..आपने उस दिन मासे बात की थी...तो पिताजी बहुत गुस्से में थे...उन्होंने आपके बारे में सब बोलना शुरू कर दिया| मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ और मैंने उन्हें सब बता दिया| उन्हें कोई हक़ नहीं है आपको इस तरह जलील करने का|

पिताजी: ये तुमने ठीक नहीं किया बेटा| तुमने उन्हें ये तो नहीं बताया की तुम शादी attend करने आ रहे हो?

अनिल: क्षमा करें पिताजी...पर मैंने उन्हें सब बता दिया पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया!

पिताजी: बेटा....भगवान से दुआ करता हूँ की कोई नै परेशानी न कड़ी हो जाये तुम दोनों (मैं और संगीता) के जीवन में|

मैं: पिताजी...शादी के बाद मैं और संगीता जाके उनसे मिल लेंगे| वैसे शादी की तैयारी कैसी है?

माँ: तू तो ऐसे पूछ अहा है जैसे घर का बड़ा-बूढ़ा तू ही है? हमें पता है की क्या तैयारी करनी है और कैसे करनी है| तू बस खुद को काबू में रख!

माँ ने मेरे ऊपर कटाक्ष किया, क्योंकि कल से मैं कुछ ज्यादा ही रोमांटिक हो गया था| ये सुन के संगीता के गाल भी शर्म से लाल हो गए| खेर नाश्ते के बाद माँ-पिताजी खरीदारी के लिए निकल गए और अनिल को कुछ नंबर दे गए और उसे काम समझा दिया| शादी की तैयारी से मुझे और संगीता को बिलकुल दूर रखा गया था...ये पिताजी का प्लान था| मुझे तो ये भी नहीं बताया गया था की Venue कहाँ है| इसीलिए कार्ड जब हमें दिखाया गया तो उसे भी दूर से दिखाया गया| contents तो पढ़ने को ही नहीं मिले|
खेर अब संगीता ने अपने सवालों को शब्दों की बन्दूक में load कर लिया था और बस मेरे fire कहने की देरी थी और आज अनिल को सवालों की गोली से छलनी कर दिया जाना था| बातों का सिलसिला शुरू हुआ;

मैं: Guys ... Lets start this Q and A round! Sangeeta shoot!

संगीता: My first question to you Suman, are you an alcoholic?

सुमन: No दीदी!

संगीता: Is this true Anil? And don’t you dare lie!

अनिल: She's right ...she doesn't drink ...and so do I.

संगीता: I’m not talking about you! (उन्होंने अकड़ और गुस्सा दिखाते हुए कहा|) Okay, why do you smoke?

सुमन: Because of my roomie… उसकी गलत संगत में... वो depression में थी...

संगीता: And instead of sstoppinh her…you started smoking right?

अनिल: नहीं दीदी.... she had a broke up…she was in depression…then we met …she found a soft spot inside my heart and ….

संगीता: Shut Up! क्यों झूठ बोला?

सुमन: दीदी...मैं अपने Past को याद नहीं करना चाहती|

संगीता: Its my brother's life on the line, you have to dig your past and answer my every danm question!

अनिल: प्लीज दीदी...

संगीता: Shut up ! You? why did the two of you had a break up?

सुमन: He was fool to trust that he loves me. (वो रोने लगी| इधर अनिल मेरी तरफ देख रहा था की मैं इस Q and A को रोकूँ|)

मैं: Okay enough!

संगीता मेरा इशारा समझ गईं और उन्होंने सुमन के Past के बारे में कोई सवाल नहीं किया बस एक आखरी सवाल पूछा;

संगीता: तुम अनिल के लिए खुद को बदल सकती हो? तुम्हारा ये cigarette पीना.... ये नए-नए कपडे पहनना .... क्योंकि मेरे माँ-पिताजी बिलकुल ही Hardcore Indians हैं... उनहीं ये ने जमाने की लड़कियां बिलकुल नहीं पसंद? उन्हें वही गाँव की लड़की पसंद है जो आज भी मिटटी के चूल्हे पे खाना पका सके| और सब से जर्रुरी सवाल ...क्या तुम अनिल के लिए अपने माँ-बाप को छोड़ सकती हो?

सुमन: दीदी आपके सारे सवालों का जवाब है हाँ! (उसकी आवाज में वही confidence था जो उस दिन संगीता की आवाज में था, जब उन्होंने अपने पिताजी की जगह मुझे चुना था|)

संगीता: No More Questions Dear! (उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा) I'm Sorry for being so rude!

सुमन: नहीं दीदी...मैं समझ सकती हूँ ... आप अनिल की बड़ी बहन हो .... और आपको पूरा हक़ है|

संगीता ने उसके सर पे हाथ फेरा और finally ये मामला settle हुआ|

दिन बीतते गए और सात दिसंबर आ गया...सुबह-सुबह मैं साइट से लौटा तो अनिल डाइनिंग टेबल पे बैठा मेरा इन्तेजार कर रहा था|

अनिल: जीजू...बैठो! कुछ बात करनी थी|

मैं: हाँ बोल!

अनिल: जीजू...कल शादी है... मैं सोच अहा था की How about a Bachelor's Party?

मैं: What? (मैंने इधर-उधर देखा तो माँ-पिताजी कमरे में थे..और संगीता और सुमन बाहर सब्जी खरीदने गए थे|)

अनिल: क्यों जीजू? आप drink नहीं करते?

मैं: मेरी छोड़...और तू अपनी बता! तू Drink करता है?

अनिल: हाँ कभी-कभी rommie के साथ!

मैं: पहली बात मैं तुम्हारी दीदी और माँ-पिताजी से वादा कर चूका हूँ की मैं कभी ड्रिंक नहीं करूँगा... और दूसरी बात आगर तुम्हारी दीदी और सुमन को ये पता चला की तूने पी है तो बेटा स्त्री शक्ति का सामना करने के लिए तैयार रहिओ|

अनिल: Oh Come on जीजू! सुमन कुछ नहीं कहेगी...

मैं: Dude ... NO Bachelor's party for me!

अनिल: ठीक है तो मैं दिषु भैया से कह देता हूँ की आप नहीं आ रहे|

मैं: दिषु? Oh God!

इतने में दिषु का फोन बज उठा, क्योंकि अनिल ने उसे sms कर दिया की "Jiju isn't coming"|

मैं: Hi Bro !

दिषु: तो तू नहीं आ रहा?

मैं: ना यार...seriously ... पिछली बार याद है ना?

दिषु: हाँ यार...तेरे से जयदा बड़ा काण्ड मेरे घर पे हुआ था|

मैं: यार..मैंने promise किया है....!

दिषु: अच्छा ठीक है....तू ड्रिंक मत करिओ पर हमारे साथ तो चल|

मैं: ठीक है...but promise me you won't pressure me for drinks!

दिषु: I Promise!

रात का प्लान सेट हो गया| हमने XXXXX PUB जाने का प्लान बनाया| घर से मैं ये बोल के निकल गया की मैं अनिल को साइट पे काम दिखा के आ रहा हूँ| जाते-जाते मैं पिताजी को बता गया की मैं अनिल और दिषु पार्टी करने जा रहे हैं| उन्होंने अपना वादा याद दिलाया और मैंने भी उनका पैर छू के हामी भरी की मैं अपना वादा नहीं भूलूँगा| दिषु ने हमें घर के बाहर से pick किया और हम loud music सुनते हुए Pub पहुँचे! दिषु हम दोनों के लिए टी-शर्ट्स और जीन्स ले आया था, जो हमने गाडी में ही बदल लिए थे| Pub पहुँचते ही दोनों आपे से बाहर हो गए| अनिल और दिषु तो पार्टी में खो गए| मैं बस PUB में बारटेंडर के पास बैठा हुआ था और "पानी" पी रहा था! I mean can you imagine guys ... खेर as usual Music की धुन और शराब से दोनों टुन हो चुके थे! हाँ मैंने उन्हें कोई drug नहीं लेने दिया| वापसी में गाडी में ही ड्राइव कर रहा था| पहले दिषु को उसके घर छोड़ा| दरवाजा उसकी नौकरानी ने खोला और मैं उसे उसके कमरे में लिटा आया|

वापसी में उसके पापा दिखे और बोले;

दिषु के पापा: आज फिर पी?

मैं: Sorry अंकल|

दिषु के पापा: पर तुम तो पिए हुए नहीं लग रहे?

मैं: जी...मैंने अपने पिताजी से वादा किया था|

दिषु के पापा: तो ये कैसी Bachelor's party थी? दूल्हे को छोड़ के सबने पी! (वो मुस्कुराने लगे|) वैसे Good बेटा...काश ये पागल भी तुम्हारी तरह होता| तुम चाहो तो यहीं रुक जाओ|

मैं: अंकल...वो मेरा साला गाडी में है..उसे घर छोड़ के गाडी यहीं छोड़ जाता हूँ|

दिषु के पापा: नहीं..नहीं...बेटा...गाडी लेने कल इस पागल को भेज दूँगा|

मैं: Thanks अंकल and Good Night!

दिषु के पापा: Good Night बेटा!

मैं घर पहुँचा..शुक्र था की मेरे पास डुप्लीकेट चाभियां थीं तो मैं बिना किसी को उठाये अंदर aaya और दिषु को अपने कमरे में लेजाने लगा तो देखा वहाँ संगीता और सुमन सो रहे थे| मैं चुप-चाप पीछे हटा और उनके (संगीता) कमरे में उसे लिटा दिया और ऊपर रजाई डाल दी| आयुष तो अपनी दादी जी के पास सो रहा था और नेहा संगीता के पास| मेरे दरवाजा खोलने से शायद वो जाग गई थी| इसलिए जब मैं बैठक में लौटा, की चलो सोफे पर सो जाता हूँ तो नेहा कमरे का दरवाजा खोल के बाहर आई;

नेहा: पापा...आप तो सुबह आने वाले थे?

मैं: Awwww मेरा बच्चा सोया नहीं? आओ इधर! (नेहा आके मुझसे लिपट गई|)

नेहा: पापा आपके बिना नींद नहीं आती|

मैं: Awwwww मेरा बच्चा!

मैं चाहता तो अनिल के साथ उसी कमरे में सो जाता पर अब नेहा साथ थी... और अनिल से शराब की बू आ रही थी, और ऐसे हाल में मुझे ये सही नहीं लगा| अब सोफ़ा छोटा था तो दो लोग उसमें सो नहीं सकते थे| मैंने नेहा को गोद में उठाया और मैं पीठ के बल लेट गया और नेहा मेरे सीने पर सर रख के लेट गई| ऊपर से मैंने रजाई ले ली| नींद कब आई पता नहीं चला| सुबह तक मैं ऐसे ही पड़ा रहा| सुबह संगीता ने नेहा और मेरे ऊपर से रजाई उठाई तब मेरी नींद खुली|

घडी में साढ़े पाँच बजे थे;

संगीता: What are you doing here?

मैं: Good Morning Dear!

संगीता: You didn't answer me?

मैं: (मैंने अपनी एक आँख बंद की) रात को जल्दी लौट आया था!

संगीता: Seriously?

मैं: Yeah !

संगीता: तो यहाँ क्यों सोये हुए हो? और अनिल कहाँ है?

मैं: अंदर है! (मैंने उनके कमरे की तरफ इशारा किया| मैं समझ गया था की आज तो दोनों की शामत है!)

इतने में शोर सुन के पिताजी और माँ भी बाहर आ गए|

पिताजी: क्या हुआ भई? मानु...तू यहाँ क्यों सो रहा है?

मैं: जी वो...

संगीता: पिताजी....पता नहीं दोनों कहाँ गए थे? कपडे देखो इनके? कब आये कुछ पता नहीं? नेहा यहाँ कैसे पहुंची कुछ पता नहीं? अनिल कहाँ है, कुछ पता नहीं?

पिताजी: बेटा बात ये है की ये तीनों.... मतलब ये, अनिल और दिषु Party करने गए थे! मुझे बता के गए थे!

संगीता: Party? मतलब आपने शराब पी?

मैं: No Baby! Remember I promised you and dad!

संगीता: अनिल कहाँ है?

इतने में अनिल अपना सर पकडे बाहर आ गया|

अनिल: मैं इधर हूँ दीदी! आह! सर दर्द से फट रहा है!

संगीता समझ चुकी थी की अनिल ने शराब पी रखी है|

दीदी: तूने शराब पी?

अनिल: Sorry दीदी...ये मेरा और दिषु भैया का प्लान था| जीजू ने मन किया था पर हमारे जोर देने पे वो हमारे साथ Bachelor's पार्टी के लिए गए थे| पर उन्होंने एक बूँद भी शराब नहीं पी! उनकी कोई गलती नहीं!

संगीता: तूने शराब कब से पीनी शुरू की?

अनिल: वो roomies के साथ कभी-कभी पी लेता था!

संगीता: देखा पिताजी...!

पिताजी: बेटा आज की young Generation ऐसी ही है| खेर छोडो इस बात को ..आज तुम दोनों की शादी है! मानु की माँ ...अनिल को चाय दो...इसका सर दर्द बंद हो तो ...आगे का काम संभाले|

अनिल: पिताजी...बस एक कप चाय और मेरा इंजन स्टार्ट हो जाएगा|

सुमन: पिताजी: मैं चाय बनाती हूँ|

मैं उठा और अपने कमरे में जाके चेंज करने लगा और फ्रेश होने लगा| 

तभी पीछे से संगीता आ गईं;

संगीता: Sorry

मैं: Its ओके जानू! Now gimme a kiss and smile!

संगीता: कोई Kiss Wiss नहीं ...जो मिलेगी सब रात को?

मैं: यार... that's not fair! कम से कम सुबह के गुस्से के हर्जाने के लिए एक Kiss दे दो!

उन्होंने ना में गर्दन हिलाई| और मैं बाथरूम जाने को मुदा की तभी उन्होंने अचानक से मुझे अपनी तरफ घुमाया और अपने पंजों पे खड़े हो के मुझे Kiss किया| मेरे दोनों हाथ उनके पीठ पे लॉक हो गए थे और उनके हाथ मेरी पीठ पे लॉक थे| मैं उनके होठों को चूसने में लगा था और उनके बदन की महक मुझे पागल कर रही थी| इतने में सुमन चाय ले के आ गई, हम ये भूल ही गए की दरवाजा खुला है|

सुमना: (खांसते हुए) ahem ! चाय for the love birds!

हम अलग हुए, और सुमन को मुस्कुराता हुआ देख संगीता ने मेरे सीने में अपना मुँह छुपा लिया| सुमन ने चाय टेबल पे रख दी और हमें देखने के लिए खड़ी हो गई| मैंने सुमन को जाने का इशारा किया..पर वो मस्ती में जानबूझ के खड़ी रही और मुस्कुराती रही| इतने में अनिल वहाँ आ गया और संगीता और मुझे इस तरह गले लगे हुए देख वो समझ गया और उसने सुमन का हाथ पकड़ा और खींच के बाहर ले गया|

मैं: Hey ...they're gone!

संगीता: They?

मैं: हाँ अनिल और सुमन|

संगीता: हे राम!

मैं: चलो जल्दी से Kiss निपटाओ और ....

संगीता: न बाबा ना ...बस अब नहीं...अगर माँ आ गईं तो डाँट पड़ेगी!

खेर मुहूर्त नौ बजे का था ... हमें यहाँ से बरात लेके छतरपुर जाना था| वहीँ का एक फार्महाउस पिताजी ने बुक किया था| संगीता, सुमन, अनिल, दिषु के माता-पीता और हमारे कुछ जानने वाले भौजी की तरफ थे| बरात लेके हम समय से पहुसंह गए और जो भी रस्में निभाईं जाती हैं वो निभाई गईं| अब बारी थी कन्यादान की! जब पंडित जी ने कन्यादान के लिए कहा तो पिताजी स्वयं आगे आये और पूरे आशीर्वाद के साथ उन्होंने कन्यादान पूरा किया| संगीता की आँखों से आंसूं की एक बूँद गिरी| मैंने देख लिया था पर उस समय रस्म चल रही थी तो मैं कुछ नहीं बोला| जैसे ही कन्यादान की रस्म समाप्त हुई मैंने उनके आंसूं पोछे और मेरे ऐसा करने से सब को पता चल गया की वो रो रहीं हैं| माँ उनके पीछे ही बैठी थीं, उन्होंने संगीता को थोड़ा प्यार से पुचकारा और उन्हें शांत किया| खेर इस तरह सारी रस्में पूरी हुईं और हम रात एक बजे के आस-पास घर पहुँचे|

ग्रह प्रवेश की रस्म हुई ... उसके बाद सब बैठक में बैठे थे...मैं और संगीता भी| बच्चे हँस-खेल रहे थे; मैंने उन्हें अपने पास बुलाया और बोला;

मैं: नेहा...आयुष....बेटा अब से आप मुझे सब के सामने पापा "कह" सकते हो!

दोनों ने मुझे सब के सामने पापा कहा और मेरे गले लग गए| दोस्तों मैं बता नहीं सकता मेरी हालत उस समय क्या थी? गाला भर आया था और मैं रो पड़ा| पिताजी उठे और मेरे कंधे पे हाथ रख के मुझे शांत करने लगे|

मैं: पिताजी......मुझे....सात साल लगे....सात साल से मैं आज के दिन का इन्तेजार कर रहा था|

पिताजी: बस बेटा...शांत हो जा...अब सब ठीक हो गया ना! अब तुम दोनों पति-पत्नी हो! बस-बस!

माँ: (मेरे आंसूं पोंछते हुए) बेटा.... तू बड़े surprise प्लान करता है ना? आज मैं तुझे पहला सरप्राइज देती हूँ? ये ले... (उन्होंने एक envolope दिया)

मैं: ये क्या है?

माँ: खोल के तो देख?

मैंने उस envelope को लिया तो वो भारी लगा...उसे खोला तो उसमें से चाभी निकली! इससे पहले मैं कुछ कहता माँ बोलीं;

माँ: तेरी नई गाडी! क्या नाम है उसका?

पिताजी: Hyundai i10!

मैं: Awwwwwwww thanks माँ! मैं उठ के माँ के गले लग गया| Thank You Thank You Thank You Thank You Thank You Thank You !!!

पिताजी: O बस कर thank you ...अब मेरी बारी ये ले... (उन्होंने भी मुझे एक चाभी का गुच्छा दिया|)

मैं: अब ये किस लिए? एक साथ कितनी गाड़ियाँ दे रहे हो आप?

पिताजी: ये तेरे फ्लैट की चाभी है!

मैं: मेरा फ्लैट? पर किस लिए? और मैं क्या करूँ इसका? Wait ...wait ....Wait .... आप मुझे अलग settle कर रहे हो! Sorry पिताजी.... मैं ये नहीं लेने वाला|

पिताजी: बेटा...तुम लोग अपनी अलग जिंदगी शुरू करो| कब तक हमसे यूँ बंधे रहोगे|

संगीता उठी और मेरे हाथ से चाभी ली और पिताजी को वापस देते हुए बोली;

संगीता: Sorry पिताजी! हम आपके साथ ही रहेंगे...एक ही शहर में होते हुए आपसे अलग नहीं रह सकते| मुझे भी तो माँ-बाप का प्यार चाहिए! और आप मुझे इस सुख से वंचिंत करना चाहते हो?

माँ: देख लिया जी...मैंने कहा था न दोनों कभी नहीं मानेंगे| मुझे अपने खून पे पूरा भरोसा है| अच्छा बहु ये चाभी तू अपने पास ही रख|

मैं: (संगीता से चाभी लेते हुए) ये आप ही रखो... हमें नहीं चाहिए|

पिताजी: अच्छा भई...ये बाद में decide करेंगे| अभी बच्चों को सुहागरात तो मनाने दो|

अनिल और सुमन जो अभी तक चुप-चाप बैठे थे और हमारा पारिवारिक प्यार देख रहे थे वो आखिर बोले;

अनिल: जीजू...आप का कमरा तैयार है? चलिए !

हम कमरे में घुसे तो अनिल और सुमन दोनों ने कमरे को सजा रखा था| सुहाग की सेज सजी हुई थी और मैं देख के हैरान था...की wow ....!!! इतने मैं आयुष और नेहा भागते हुए आये और जगह बनाते हुए मेरी टांगों में लिपट गए|

आयुष: मैं तो यहीं सोऊँगा|

नेहा: मैं भी पापा के पास सोऊँगी|

अनिल: ओ हेल्लो... ये तुम दोनों के लिए नहीं है| आपके मम्मी-पापा के लिए है| आप आज सुमन जी के साथ सो जाओ|

बच्चे जिद्द करने लगे....

मैं: कोई बात नहीं यार... सोने दे|

इतने में पिताजी बोले;

पिताजी: बच्चों ...आप में से किस को कल Special वाली Treat चाहिए?

दोनों एक साथ बोले; "मुझे"

पिताजी: तो फिर आज आप दोनों दादी और सुमन "मामी" के साथ सोओगे|

मैं: मामी? (अनिल के और सुमन के गाल लाल हो गए|)

पिताजी: हाँ भाई... अब सिर्फ शादी अटेंड करने के लिए तो कोई नहीं आता ना?

पिताजी की बात बिलकुल सही थी और सब समझ चुके थे की अनिल का इरादा क्या है? 

खेर सब बाहर गए और मैंने कमरा लॉक किया और उनकी तरफ मुड़ा;

मैं: FINALLY !!!! WE'RE TOGETHER !!!

संगीता: नहीं अभी नहीं...अब भी पाँच फुट का गैप है! ही...ही...ही...ही...

खेर वो रात मेरे लिए कभी न भूलने वाली रात थी! उस रात मैंने जो चाहा वो सब मिल गया| Thanks भगवान...and Thanks to you guys! सुहागरात के बारे में मैं कुछ नहीं लिख सकता क्योंकि NOW Its PERSONAL! Hope You'll understand !!!





samaapt
 
:heart: :heart: :heart: :heart: I think I want to weep too much really what a great heart touching story , I cannot believe that story has been finished . Sir am not feel well that story on page 11 please continue the story sir what happened next in there life . I feel too much fall of heart when both children says papa to Manu I cannot express that I feel they are saying to me
sexstories said:
[size=small][size=large]इससे पहले की मैं कहानी शुरू करूँ मैं पहले आपको इसके पत्रों से रूबरू करना चाहता हूँ| आपको बताने की जर्रूरत तो नहीं की मैंने इस कहानी के सभी पात्रों के नाम, जगह सब बदल दिए हैं| तो चलिए शुरू करते हैं, मेरे पिता के दो भाई हैं और एक बहन जिनके नाम इस प्रकार हैं :
१. बड़े भाई - राकेश
२. मझिल* - मुकेश (*बीच वाले भाई) 
३. सुरेश (मेरे पिता)
४. बड़ी बहन - रेणुका 
बड़े भाई जिन्हें मैं प्यार से बड़के दादा कहता हूँ उनके पाँच पुत्र हैं| उनके नाम इस प्रकार हैं :

१. चन्दर 
२. अशोक 
३. अजय 
४. अनिल 
५. गटु

मझिल भाई जिन्हें मैं प्यार से मझिले दादा कहता हूँ उनके तीन पुत्र और तीन पुत्रियाँ हैं| उनके नाम इस प्रकार हैं : 

१. रामु (बड़ा लड़का)
२. शिवु 
३. पंकज 
४. सोनिया (बड़ी बेटी)
५. सलोनी
६. सरोज 

हमारा गावों उत्तर प्रदेश के एक छोटे से प्रांत में है| एक हरा भरा गावों जिसकी खासियत है उसके बाग़ बगीचे और हरी भरी फसलों से लैह-लहाते खेत परन्तु मौलिक सुविधाओं की यदि बात करें तो वह न के बराबर है| न सड़क, न बिजली और न ही सोचालय! सोचालय की बात आई है तो आप को सौच के स्थान के बारे में बता दूँ की हमारे गावों में मुंज नमक पोधे के बड़े-बड़े पोधे होते हैं जो झाड़ की तरह फैले होते हैं| सुबह-सुबह लोग अपने खेतों में इन्ही मुंज के पौधों की ओट में सौच के लिए जाते हैं| 

अब मैं अपनी आप बीती शुरू करता हूँ| मेरे जीवन में आये बदलाव के बीज तो मेरे बचपन में ही बोये जा चुके थे| मेरे स्कूल की छुटियों में मेरे पिताजी मुझे गावों ले जाया करते थे और वहाँ एक छोटे बच्चे को जितना प्यार मिलना चाहिए मुझे उससे कुछ ज्यादा ही मिला था| इसका कारन था की मैं बचपन से ही अपने माँ-बाप से डरता था पर उन्हें प्यार भी बहुत करता था| मेरे पिताजी ने बचपन से मुझे शिष्टाचार के गुण कूट-कूट के भरे थे| कुत०कुत के भरने से मेरा तात्पर्य ऐ की डरा-धमका के, इसी डर के कारन मेरा व्यक्तित्व बड़ा ही आकर्षक बन गया था|गावों में बच्चों में शिष्टाचार का नामो निशान नहीं होता, और जब लोग मेरा उनके प्रति आदर भाव देखते थे तो मेरे पिताजी की प्रशंसा करते थकते नहीं थे|
यही कारण था की परिवार में मुझ सब प्यार करते थे| परन्तु मेरी बड़ी भाभी (चन्दर भैया की पत्नी) जिन्हें मैं प्यार से कभी-कभी "भौजी" भी कहता था वो मुझे कुछ ज्यादा ही प्यार और दुलार करती थी| मैं उसे बचपन से ही बहुत पसंद करता था परन्तु तब मैं नहीं जानता था की ये आकर्षण ही मेरे लिए दुःख का सबब बनेगे| 

मेरी माँ बतायाकरती थी की मैंने 6 साल तक दूध पीना नहीं छोड़ा था, और यही कारन है की जब मैं छोटा था तो मैं भागता हुआ रसोई के अंदर घुस जाता था, जहाँ की चप्पल पहने जाना मना है और खाना बना रही भाभी की गोद में बैठ जाता और वो मुझे बड़े प्यार से दूध पिलाती| दूध पिलाते हुए अपनी गोद में मुझे सुला देती| मैं नहीं जानता की ये उसका प्यार था या उसके अंदर की वासना? क्योंकि उस समय भाभी की उम्र तकरीबन 18 या 20 की रही होगी| (हमारे गावों में शादी जल्दी कर देते हैं|) मैं यह नहीं जानता तब उन्हें दूध आता भी था या नहीं, हालाँकि मेरे मन में उनके प्रति कोई भी दुर्विचार नहीं थे पर एक अजीब से चुम्बकीये शक्ति थी जो मुझे उनके तरफ खींचती थी| जब वो अपने पति अर्थात मेरे बड़े भाई चन्दर के पास होती तो मेरे शरीर में जैसे आग लग जाती| मुझे ऐसा लगता था की मेरे उन पर एक जन्मों-जन्मान्तर का हक़ है| ऐसा हक़ जिसे कोई मुझसे नहीं छीन सकता| दोपहर को जब वो खाना बना लेती और सब को खिलने के बाद खाती तो मैं बस उसे चुप-चाप देखता रहता| खाना खाने के बाद मैं भाभी से कहता की "भाभी मुझे नींद आ रही है आप सुला दो|" तो भाभी मुझे गोद में मुझे उठा कर चारपाई पर लिटाती और मेरी और प्यार भरी नजरों से देखती| मेरे मुख पर एक प्यारी सी मुस्कान आती और वो नीचे झुक कर मेरे गाल पर प्यार से काट लेती| उनके प्यार भरे होंट जब मेरे गाल से मिलते और जैसे ही वो अपने फूलों से नाजुक होंटों से मेरे गाल को अपनी मुंह में भरती तो मेरे सारे शरीर में एक झुरझुरी सी छूट जाती और मैं हंस पड़ता| इनका ये प्यार करने का तरीका मेरे लिए बड़ा ही कातिलाना था! 
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मेरे साथ ऐसा कुछ भी नही हुआ है लेकिन फिर भी ऐसा लग की इस कहानी में मेरा भी एक किरदार है।कहानी पढ़कर कभी आँसू आये तो कभी सुकून।शायद अब तक कि पढ़ी मेरे सबसे बढ़िया कहानी में से एक।
 
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