hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
सभी ने इस बात पर हामी भरी और अजय को यह समझ आ गया था कि अगर बाली को कोई समझा सकता है तो वह सिर्फ और सिर्फ डॉक्टर ही है,
सभी ने एक दूसरे से विदा मांगा और वहां से चले गए लेकिन दो आंखें यह सब देख रही थी शायद अनजान सी वह दो आंखें किसी के आकर्षण में आए बिना ही सभी के हाव-भाव को पढ़ रही थी, वह शक्स इनका प्यार देखकर अंदर ही अंदर जल गया उसकी आंखें लाल सुर्ख लाल हो गई थी बदन तपने लगा, जैसे कुछ अनचाहा सा हो गया हो,
“ दोनों परिवार मिलकर ऐसा नहीं हो सकता मेरे जीते जी ऐसा बिल्कुल नहीं हो सकता मैं नहीं मिलने नहीं दूंगा मैं कभी एक नहीं होने दूंगा, इन्हें इनके कर्मों की सजा मिलेगी मैं उनके परिवार की एक एक शख्स को तड़पा तड़पा के मारूंगा जैसे मैंने वीर को मारा और उसकी पत्नी को मारा, आज सभी अनजान है कि मैं कौन हूं लेकिन एक दिन आएगा जब यह लोग अपने किए हुए कामों पर पछताएंगे बाली महेंद्र कलवा बजरंगी तुम सभी पछताओगे मैं किसी को नहीं छोडूंगा, तुम्हारे घर की हर एक लड़की को नंगा करके रहूंगा और हर लड़के को जान से मार दूंगा जैसा तुमने मेरे साथ किया वैसा ही मैं तुम्हारे साथ करूंगा, आज मैं तुम्हारे घर में घुस गया हूं कल मैं तुम्हारे दिमाग में घुसूंगा, तिल तिल कर तड़पऊंगा, देखता हूं कब तक बचोगे, यह अजय यह विजय यह नितिन कब तक बचाएगा तुम्हे देखता हूं *तुम खुद ही लड़ोगे खुद ही मरोगे और मैं तमाशा देखूंगा,”
एक शैतानी सी हंसी पूरे माहौल में गूंज गई…...
अजय अपने कमरे में बैठा बेचैन से इधर उधर झांक रहा था,निधि उसे ध्यान से देख रही थी,वो अपने हाथों में मोबाइल पकड़े कुछ सोच रहा था बेचैन सा था,
“क्या हुआ भईया, आप यू क्यो परेशान हो”
“ कुछ नहीं यार बस सोच रहा हूं कि दोनों परिवार को कैसे मिलाऊं डॉक्टर से कैसे बात करें, बाली चाचा को समझाना बहुत जरूरी है वह शायद ही इस बारे में मानेंगे,”
निधि अपने हाथ अजय के बाहों में डाल कर उसकी गोद में बैठ गई, अजय उसके बालों को सहलाने लगा,
“ भैया इसमें डरने वाली क्या बात हैं, चाचा आप की बात समझ जाएंगे मुझे इस बात का पूरा यकीन हैं, आप बस डॉक्टर से बात कीजिए और उसे समझाइए कि वह चाचा से बात करें,”
अजय ने हामी में सर हिलाया,और डॉ को काल लगाया,उसने आज होने वाली सभी बातें डॉ को बता दी...डॉ भी उसकी बाते सुनकर खुस हुआ और बाली से इस बारे में बात करने के लिए राजी हों गया,...
अजय को अब राहत महसूस हो रही थी वो जाकर निधि के बाजू में लेट गया,निधि एक प्यारा सा पारदर्शी स्कर्ट पहने हुए थी उसने बहुत से कपड़े खरीदकर शहर से लाये थे,जिसमे कुछ बहुत ही उत्तेजक थे,उसे इन सबका कुछ पता नही था वो तो बस खुला खुला रहना चाहती थी ,उसका बस चले तो पूरे घर मे नंगे घूमे पर क्या करे उसे भी जवानी की दहलीज पर इस बात का भान हो गया था कि उसका जिस्म अब पहले सा नही राह गया है,चोर नजरो से कुछ लोग उसे देख ही लिया करते है,ठाकुरो के घर की लड़की को घूरने की हिम्मत तो शायद किसी मे न थी पर जिस्म के आकर्षण से कोई कैसे बच सकता था,वही आकर्षण लोगो को उसे देखने पर मजबूर कर देता था,गोरा दमकता रंग,भरा हुआ शरीर ,भारी स्तन और पिछवाड़े ,मादक बड़ी बड़ी आंखे और लाल रसीले होठ...और अगर कोई उसके चेहरे पर नजर फेर दे तो बस वही रुक जाय,नशीली जवानी और मासूम सा चहरा कातिलाना कॉम्बिनेशन था,और वो दोनो निधि के पास था,लोग चाहकर भी उससे नजर नही हटा पाते,पर अजय विजय का ख़ौफ़ भी तो कातिलाना ही था….युही गांव ने नए जवान हुए लड़के निधि को अपने रातो की रानी माना करते थे,हर रात उसके नाम से ही वो अपना वीर्य छोड़ते चाहे वो हाथो में हो या किसी के अंदर…
उनमे ही पास के गांव का एक और भी बासिन्दा था जो निधि की मादकता में खोया था,पर ठाकुरो के डर से वो बेचारा उसे आंख उठाकर भी नही देख पाता….उसका नाम था बनवारी और अब वो रेणुका का पति था...इसकी कहानी बाद में अभी आते है अजय के कमरे में जहाँ हुस्न की मलिका और कई नवजवानों की रातो की रानी निधि अपने बड़े भाई से पूरे प्यार और समर्पण के साथ आलिंगन में थी,एक दूजे के अहसास में खोए हुए ये भाई बहन ऐसे तो अब एक दूसरे के शरीर का सुख भी भोग चुके थे पर वासना की आग ने अब भी इन्हें जलाया नही था….
वो अपने ही दुनिया मे रहने वाले लोग थे ,जो अपना प्यार समझते थे उनके बीच अब सामाजिक मर्यादा और बंधन नही थे,वो अपने नंगे जिस्म को एक दूसरे से छिपाते नही थे ना ही उसके प्रति राग से भरते थे,वो प्यार की नई परिभाषा गढ़ रहे थे जो दुनिया की नजरों में मान्य नही थी पर इनके लिए तो इनकी दुनिया ही थी……
सभी ने एक दूसरे से विदा मांगा और वहां से चले गए लेकिन दो आंखें यह सब देख रही थी शायद अनजान सी वह दो आंखें किसी के आकर्षण में आए बिना ही सभी के हाव-भाव को पढ़ रही थी, वह शक्स इनका प्यार देखकर अंदर ही अंदर जल गया उसकी आंखें लाल सुर्ख लाल हो गई थी बदन तपने लगा, जैसे कुछ अनचाहा सा हो गया हो,
“ दोनों परिवार मिलकर ऐसा नहीं हो सकता मेरे जीते जी ऐसा बिल्कुल नहीं हो सकता मैं नहीं मिलने नहीं दूंगा मैं कभी एक नहीं होने दूंगा, इन्हें इनके कर्मों की सजा मिलेगी मैं उनके परिवार की एक एक शख्स को तड़पा तड़पा के मारूंगा जैसे मैंने वीर को मारा और उसकी पत्नी को मारा, आज सभी अनजान है कि मैं कौन हूं लेकिन एक दिन आएगा जब यह लोग अपने किए हुए कामों पर पछताएंगे बाली महेंद्र कलवा बजरंगी तुम सभी पछताओगे मैं किसी को नहीं छोडूंगा, तुम्हारे घर की हर एक लड़की को नंगा करके रहूंगा और हर लड़के को जान से मार दूंगा जैसा तुमने मेरे साथ किया वैसा ही मैं तुम्हारे साथ करूंगा, आज मैं तुम्हारे घर में घुस गया हूं कल मैं तुम्हारे दिमाग में घुसूंगा, तिल तिल कर तड़पऊंगा, देखता हूं कब तक बचोगे, यह अजय यह विजय यह नितिन कब तक बचाएगा तुम्हे देखता हूं *तुम खुद ही लड़ोगे खुद ही मरोगे और मैं तमाशा देखूंगा,”
एक शैतानी सी हंसी पूरे माहौल में गूंज गई…...
अजय अपने कमरे में बैठा बेचैन से इधर उधर झांक रहा था,निधि उसे ध्यान से देख रही थी,वो अपने हाथों में मोबाइल पकड़े कुछ सोच रहा था बेचैन सा था,
“क्या हुआ भईया, आप यू क्यो परेशान हो”
“ कुछ नहीं यार बस सोच रहा हूं कि दोनों परिवार को कैसे मिलाऊं डॉक्टर से कैसे बात करें, बाली चाचा को समझाना बहुत जरूरी है वह शायद ही इस बारे में मानेंगे,”
निधि अपने हाथ अजय के बाहों में डाल कर उसकी गोद में बैठ गई, अजय उसके बालों को सहलाने लगा,
“ भैया इसमें डरने वाली क्या बात हैं, चाचा आप की बात समझ जाएंगे मुझे इस बात का पूरा यकीन हैं, आप बस डॉक्टर से बात कीजिए और उसे समझाइए कि वह चाचा से बात करें,”
अजय ने हामी में सर हिलाया,और डॉ को काल लगाया,उसने आज होने वाली सभी बातें डॉ को बता दी...डॉ भी उसकी बाते सुनकर खुस हुआ और बाली से इस बारे में बात करने के लिए राजी हों गया,...
अजय को अब राहत महसूस हो रही थी वो जाकर निधि के बाजू में लेट गया,निधि एक प्यारा सा पारदर्शी स्कर्ट पहने हुए थी उसने बहुत से कपड़े खरीदकर शहर से लाये थे,जिसमे कुछ बहुत ही उत्तेजक थे,उसे इन सबका कुछ पता नही था वो तो बस खुला खुला रहना चाहती थी ,उसका बस चले तो पूरे घर मे नंगे घूमे पर क्या करे उसे भी जवानी की दहलीज पर इस बात का भान हो गया था कि उसका जिस्म अब पहले सा नही राह गया है,चोर नजरो से कुछ लोग उसे देख ही लिया करते है,ठाकुरो के घर की लड़की को घूरने की हिम्मत तो शायद किसी मे न थी पर जिस्म के आकर्षण से कोई कैसे बच सकता था,वही आकर्षण लोगो को उसे देखने पर मजबूर कर देता था,गोरा दमकता रंग,भरा हुआ शरीर ,भारी स्तन और पिछवाड़े ,मादक बड़ी बड़ी आंखे और लाल रसीले होठ...और अगर कोई उसके चेहरे पर नजर फेर दे तो बस वही रुक जाय,नशीली जवानी और मासूम सा चहरा कातिलाना कॉम्बिनेशन था,और वो दोनो निधि के पास था,लोग चाहकर भी उससे नजर नही हटा पाते,पर अजय विजय का ख़ौफ़ भी तो कातिलाना ही था….युही गांव ने नए जवान हुए लड़के निधि को अपने रातो की रानी माना करते थे,हर रात उसके नाम से ही वो अपना वीर्य छोड़ते चाहे वो हाथो में हो या किसी के अंदर…
उनमे ही पास के गांव का एक और भी बासिन्दा था जो निधि की मादकता में खोया था,पर ठाकुरो के डर से वो बेचारा उसे आंख उठाकर भी नही देख पाता….उसका नाम था बनवारी और अब वो रेणुका का पति था...इसकी कहानी बाद में अभी आते है अजय के कमरे में जहाँ हुस्न की मलिका और कई नवजवानों की रातो की रानी निधि अपने बड़े भाई से पूरे प्यार और समर्पण के साथ आलिंगन में थी,एक दूजे के अहसास में खोए हुए ये भाई बहन ऐसे तो अब एक दूसरे के शरीर का सुख भी भोग चुके थे पर वासना की आग ने अब भी इन्हें जलाया नही था….
वो अपने ही दुनिया मे रहने वाले लोग थे ,जो अपना प्यार समझते थे उनके बीच अब सामाजिक मर्यादा और बंधन नही थे,वो अपने नंगे जिस्म को एक दूसरे से छिपाते नही थे ना ही उसके प्रति राग से भरते थे,वो प्यार की नई परिभाषा गढ़ रहे थे जो दुनिया की नजरों में मान्य नही थी पर इनके लिए तो इनकी दुनिया ही थी……