hotaks444
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इधर किशन के कमरे में
किशन और रानी साथ ही लेटे थे,
“भाई सुमन कुछ खास खुस नही लग रही थी बात क्या है ,कोई परेशानी तो नही हो गई तुम दोनो के बीच ,,,”
“नही जान ऐसा तो कुछ भी नही हुआ है,मैंने भी ये देखा की वो पहले की तरह नही दिख रही थी,”
“पर क्या हो गया है उसे”
“मुझे क्या पता यार”
तभी सुमन उसके कमरे के बाहर से गुजरती है और वो किशन और रानी के बातो में अपना जिक्र पाकर रुक जाती है,वो हल्के से खुले हुए दरवाजे को धकेलती है और वो दरवाजा खुलता जाता है,दोनो ही सुमन को यहां देखकर चौक जाते है,और उन्हें देखकर सुमन भी चौक जाती है,कारण था सुमन का कपड़ा...जो कपड़ा वो पहनी थी वो बिल्कुल ही पारदर्शी था और उससे उसके अंगों का हर कटाव दिख रहा था,वो भी एक नाइटी था,रानी निधि और सोनल जितनी गोरी और भरीपूरी तो नही थी पर वो भी जवानी के दहलीज पर थी और उसके बदन से चम्पा की जवानी वाले दिनों की याद आ जाती थी,उज्जवलता और कौमार्य की मसुमता दोनो ही उसके चहरे पर खिले होते थे,जिन अंगों को खेलने के लिए कोई भी मर्द बहक जाय वो मतवाले अंग जवानी की खूबसूरती से नही बच सकते,यही कारण था की रानी भी उन कपड़ो में किसी परी से कम नही लग रही थी और किशन अपना प्यार उस परी पर लूटाने को बस एक निकर में तैयार बैठा था,उसका बदन ऊपर से पूरी तरह वस्त्र विहीन था,और उसे देखकर तो सुमन भी थोड़ी शर्मा गयी थी,
रानी थोड़ी सम्हलकर
“आओ भाभी जी ,आखिरकार भैया की याद आपको आ ही गयी ,”
वो उठाकर सुमन की ओर बढ़ती है ,और सुमन के छाती से लग जाती है,सुमन को उसके उजोरो का पता साफ चलता है ,वो फिर के एक आश्चर्य में पड़ जाती है की ये तो किशन को भी हो रहा होगा,रानी ने पतले से नाइटी ने अंदर कुछ भी नही पहना था और उसके एक एक अंगों का आभास सुमन को साफ हो रहा था,कोई भी बहन अपने भाई के साथ ऐसे कैसे सो सकती है,सुनम के तो समझ के बाहर थी ,वो रानी से अलग होती है ,
“अच्छा भैया अब भाभी जी आ गयी तो मैं चलती हु “ वो जाने को हुई पर किशन ने दौड़कर उसका हाथ पकड़ कर उसे रोक लिया
“अरे तेरी भाभी का कोई भरोषा थोड़ी है की वो कितने देर मुझसे नाराज हो जाय ,तू रुक और मेरे साथ ही सोना आज कितने दिन हो गए तेरे साथ सोए …”
सुमन फिर से चौकी ये इस हालत में किशन के साथ सोने वाली थी,उसे थोड़ी जलन भी होने लगी ,लेकिन आखिरकार वो दोनो भाई बहन थे और उनके रिस्ते पर शक करना अजीब था,लेकिन वो भी तो किशन की बहन थी …..
ये खयाल आते ही सुमन का चहरा उतारने लगा...जिसे देख कर किशन उसके पास आया और उसे अपनी बांहो में ले लिया ,
“क्या हुआ मेरी जान मैं तो बस मजाक कर रहा था,तुम आज क्यो ऐसे उदास हो,नाराज हो क्या मुझसे,...”
सुमन उसे देखती है और फिर से उसके बांहो में आ छुपती है…
“नही लेकिन कुछ सही नही लग रहा है,एक अजीब से घबराहट मेरे मन में छा रही है,”
“कुछ भी तो नही हुआ है सब तो ठीक है,”
रानी दोनो को ऐसे देख कर वहां से जाने लगती है,किशन उसका हाथ पकड़कर रोक लेता है,
“रुक जाओ आज साथ ही सोते है,”किशन रानी और सुमन को अपने बिस्तर में ले जाता है और दोनो के बीच खुद भी सो जाता है,दोनो ही उसे जकड़कर उसकी छाती में सर रख लेते है,....किशन दोनो के गालो पर प्यार से किस करता है और दोनो बदले में उसे साथ ही किस करते है,....
रात चढ़ने लगती है और सुबह की पहली किरण आने के इंतजार में थी,सुमन की नींद खुलने पर वो चौक जाती है,रानी की नाइटी उसके कमर के ऊपर थी और उसकी पतली सी पेंटी से उसके गोल गद्देदार नितम्भ झांक रहे थे,वही किशन रानी की तरफ ही करवट लिए लेटा था,उसके हाथ रानी के नग्गे कमर पर थे ,दोनो के ही कमर चिपके हुए थे,रानी के पाव भी किशन के कमर से लिपटे थे,ये देखकर सुमन एक अजीब से जलन से भर गयी उसे ये बिल्कुल भी पसंद नही आ रहा था,वो किशन को अपनी ओर खिंचती है,वो नींद में ही था,लेकिन उसके खिंचने से उसकी नींद हल्के से टूट गयी,वो उसका हाथ पकड़कर अपने कमर में लगा देती है,किशन हल्की रोशनी में उसका चहरा देखता है और उसके होठो पर एक मुस्कान आ जाती है वो उसके कमर को पकड़कर अपनी ओर खिंचता है,सुमन उसके ओर खिंची चली जाती है,सुमन ने सलवार कमीज पहन रखी थी जो थोड़ी ढीली सी थी ,किशन उसके पिछवाड़े में हाथ फिरता है ,सुमन के मुह से एक आह निकलती है और वो उससे अलग होने की कोशिस करती है पर किशन फिर से थोड़ा जोर लगता है और उसे अपनी ओर खिंच लेता है,वो अपने सर को उठाकर सुमन के होठो में अपने होठो को रख देता है,कुछ देर तो सुमन अपना सर इधर उधर हटाती है फिर वो अपने होठो को खोलकर उसके जीभ को अपने मुह में प्रवेश दे ही देती है,दोनो के जीभ मिलते है और वो एक दूजे को और भी कस कर जकड़ लेते है,किशन अपने हाथ सुमन के पीछे ले जाता है और सुमन भी उसके बालो में अपने हाथ फंसा लेती है,दोनो ही एक दूजे में खो जाते है और प्यार की गहराई का अहसास करने लगते है,
होठ दोनो के ही गीले थे,और जस्बात का एक उफान दिलो में था,
किशन का हाथ फिर से उसके कमर से होता हुआ उसके नितम्भो पर पहुचता है पर इस बार सुमन मना नही करती और किशन उसे जोर जोर से मसलने लगता है,सुमन के मुह से आहे फुट पड़ती है और किशन का लिंग उसकी अहो को सुनकर फुंकार मारने लगता है,उसके कड़ेपन का आभास सुमन को अपने योनि के ऊपर होता है और जैसे उसकी सांसे ही रुक जाती है वो अपने को किशन से अलग करने की कोशिस करती है पर वो उस उन्माद में इतना जोर ही नही लगा पाती की उससे अलग हो जाय…..
किशन फिर से उसे अपनी ओर खिंचता है और इस बार वो अपना लिंग उसकी योनि के ऊपर थोड़ा रगड़ भी देता है,सुमन फिर से थोड़ा छटपटाती है फिर एक झूठा गुस्सा किशन पर दिखाते हुए उसके पीठ पर मुक्का मरती है ,लेकिन शरीर की कहानी तो कुछ और ही थी उसकी योनि से रस की धार निकालनी शुरू हो चुकी थी ,वो एक आनंद की दुनिया में थी जिससे वो अब तक अनजानी ही थी,वो भी अपने पैरो को किशन के कमर पर जकड़ने लगती है पर किशन मौका देख उसके सलवार के नाड़े को खोल देता है ,सुमन को उस उन्माद में इसका पता भी नही चलता ,लेकिन जब चलता है तो देर हो चुकी होती है ,किशन उसके सलवार को नीचे कर चुका था,अब तक सुमन के पैर किशन के कमर पर लिपट चुके थे और सलवार उसके घुटनो के नीचे चला गया था,वो अपने पैरो को खोलने की कोशिस करती लेकिन किशन तो अपने पैरो के उसके पैरो को जकड़ चुका था,
“नही ना ….”वो बस इतना ही बोल पाई थी की किशन ने फिर से अपने होठो को उसके होठो से लगा लिया और सुमन फिर से अपनी दुनिया में खो गई ,उसे होश तब आया जब उसे एक ताजा सा मूसल उसके योनि में रगड़ खाने का अहसास हुआ,किशन अपने निकर को सरका चुका था और अपने लिंग को आजाद कर सुमन के पेंटी के ऊपर से ही रगड़ रहा था,उसकी योनि के गीलेपन के कारण पेंटी का वो हिस्सा भी भीग चुका था,और ये अहसास किशन को हो रहा था,भले ही ये सुमन के लिए नई बात हो पर किशन तो इस खेल का पुराना खिलाड़ी था…..
“हे भगवान ये आप क्या कर रहे हो …”सुमन की सांसे पूरी तरह से उखड़ी हुई थी..
वो अपने को छुड़ाने को थोड़ी छटपटाई पर किशन ने उसे ऐसे जकड़ा था की वो असफल ही हुई,उसने आखिरकार वो कर दिया जिसका डर सुमन को था,वो पेंटी के एक सिरे को उसके योनि से हटा कर उसपर अपने लिंग को रगड़ दिया,,,,,वो बहुत ही जोर से छटपटाई और इससे रानी की नींद ही खुल गयी…
“मैंने कहा था ना की शादी से पहले कुछ भी नही ,प्लीज् नआआआआ “
रानी तब तक उठ चुकी थी ..
“आप लोगो को शर्म वर्म है की नही बहन बाजू में सोई है और आप चालू हो गए,बोल देते अपने रूम में चली जाती “
वो अपने आंखों को मलते हुए बोलती है,किशन की हालत खराब हो गई और जिसे ही उसकी पकड़ ढीली हुई
“हे भगवान ,”सुमन किशन को झटके से पीछे करते हुए अपने कपड़े सम्हालते हुए वहां से भागी ,उसका चहरा शर्म से पूरी तरह लाल हो चुका था..
किशन भी अपने लिंग को जल्दी से अंदर करता है,सुमन के जाने के बाद वो उसे शिकायत के भाव से देखता है और रानी हस्ते हुए उसे देखने लगती है…
“बहुत जल्दी है भईया “
“तेरी तो “
किशन रानी के ऊपर कूद जाता है ,उसका लिंग अभी भी ताना हुआ था और रानी के कमर से कपड़ा अभी भी उठा हुआ था,उसकी पेंटी तो सुमन से भी छोटी थी,किशन का लिंग अनायास ही उसकी पेंटी के ऊपर से योनि पर रगड़ खाता है,
“आउच गर्लफ्रैंड की हवस बहन पर निकलोगे क्या”रानी उसके पीठ को मरते हुए कहती है,
“ये हवस नही जान ये तो मेरा प्यार है,”
किशन उसे हँसते हुए देखता है वो भी उसे देखकर मुस्कुराती है और दोनो के होठ मिल जाते है….दोनो एक दूजे के बांहो में पड़े हुए फिर से नींद के आगोश में चले जाते है….
किशन और रानी साथ ही लेटे थे,
“भाई सुमन कुछ खास खुस नही लग रही थी बात क्या है ,कोई परेशानी तो नही हो गई तुम दोनो के बीच ,,,”
“नही जान ऐसा तो कुछ भी नही हुआ है,मैंने भी ये देखा की वो पहले की तरह नही दिख रही थी,”
“पर क्या हो गया है उसे”
“मुझे क्या पता यार”
तभी सुमन उसके कमरे के बाहर से गुजरती है और वो किशन और रानी के बातो में अपना जिक्र पाकर रुक जाती है,वो हल्के से खुले हुए दरवाजे को धकेलती है और वो दरवाजा खुलता जाता है,दोनो ही सुमन को यहां देखकर चौक जाते है,और उन्हें देखकर सुमन भी चौक जाती है,कारण था सुमन का कपड़ा...जो कपड़ा वो पहनी थी वो बिल्कुल ही पारदर्शी था और उससे उसके अंगों का हर कटाव दिख रहा था,वो भी एक नाइटी था,रानी निधि और सोनल जितनी गोरी और भरीपूरी तो नही थी पर वो भी जवानी के दहलीज पर थी और उसके बदन से चम्पा की जवानी वाले दिनों की याद आ जाती थी,उज्जवलता और कौमार्य की मसुमता दोनो ही उसके चहरे पर खिले होते थे,जिन अंगों को खेलने के लिए कोई भी मर्द बहक जाय वो मतवाले अंग जवानी की खूबसूरती से नही बच सकते,यही कारण था की रानी भी उन कपड़ो में किसी परी से कम नही लग रही थी और किशन अपना प्यार उस परी पर लूटाने को बस एक निकर में तैयार बैठा था,उसका बदन ऊपर से पूरी तरह वस्त्र विहीन था,और उसे देखकर तो सुमन भी थोड़ी शर्मा गयी थी,
रानी थोड़ी सम्हलकर
“आओ भाभी जी ,आखिरकार भैया की याद आपको आ ही गयी ,”
वो उठाकर सुमन की ओर बढ़ती है ,और सुमन के छाती से लग जाती है,सुमन को उसके उजोरो का पता साफ चलता है ,वो फिर के एक आश्चर्य में पड़ जाती है की ये तो किशन को भी हो रहा होगा,रानी ने पतले से नाइटी ने अंदर कुछ भी नही पहना था और उसके एक एक अंगों का आभास सुमन को साफ हो रहा था,कोई भी बहन अपने भाई के साथ ऐसे कैसे सो सकती है,सुनम के तो समझ के बाहर थी ,वो रानी से अलग होती है ,
“अच्छा भैया अब भाभी जी आ गयी तो मैं चलती हु “ वो जाने को हुई पर किशन ने दौड़कर उसका हाथ पकड़ कर उसे रोक लिया
“अरे तेरी भाभी का कोई भरोषा थोड़ी है की वो कितने देर मुझसे नाराज हो जाय ,तू रुक और मेरे साथ ही सोना आज कितने दिन हो गए तेरे साथ सोए …”
सुमन फिर से चौकी ये इस हालत में किशन के साथ सोने वाली थी,उसे थोड़ी जलन भी होने लगी ,लेकिन आखिरकार वो दोनो भाई बहन थे और उनके रिस्ते पर शक करना अजीब था,लेकिन वो भी तो किशन की बहन थी …..
ये खयाल आते ही सुमन का चहरा उतारने लगा...जिसे देख कर किशन उसके पास आया और उसे अपनी बांहो में ले लिया ,
“क्या हुआ मेरी जान मैं तो बस मजाक कर रहा था,तुम आज क्यो ऐसे उदास हो,नाराज हो क्या मुझसे,...”
सुमन उसे देखती है और फिर से उसके बांहो में आ छुपती है…
“नही लेकिन कुछ सही नही लग रहा है,एक अजीब से घबराहट मेरे मन में छा रही है,”
“कुछ भी तो नही हुआ है सब तो ठीक है,”
रानी दोनो को ऐसे देख कर वहां से जाने लगती है,किशन उसका हाथ पकड़कर रोक लेता है,
“रुक जाओ आज साथ ही सोते है,”किशन रानी और सुमन को अपने बिस्तर में ले जाता है और दोनो के बीच खुद भी सो जाता है,दोनो ही उसे जकड़कर उसकी छाती में सर रख लेते है,....किशन दोनो के गालो पर प्यार से किस करता है और दोनो बदले में उसे साथ ही किस करते है,....
रात चढ़ने लगती है और सुबह की पहली किरण आने के इंतजार में थी,सुमन की नींद खुलने पर वो चौक जाती है,रानी की नाइटी उसके कमर के ऊपर थी और उसकी पतली सी पेंटी से उसके गोल गद्देदार नितम्भ झांक रहे थे,वही किशन रानी की तरफ ही करवट लिए लेटा था,उसके हाथ रानी के नग्गे कमर पर थे ,दोनो के ही कमर चिपके हुए थे,रानी के पाव भी किशन के कमर से लिपटे थे,ये देखकर सुमन एक अजीब से जलन से भर गयी उसे ये बिल्कुल भी पसंद नही आ रहा था,वो किशन को अपनी ओर खिंचती है,वो नींद में ही था,लेकिन उसके खिंचने से उसकी नींद हल्के से टूट गयी,वो उसका हाथ पकड़कर अपने कमर में लगा देती है,किशन हल्की रोशनी में उसका चहरा देखता है और उसके होठो पर एक मुस्कान आ जाती है वो उसके कमर को पकड़कर अपनी ओर खिंचता है,सुमन उसके ओर खिंची चली जाती है,सुमन ने सलवार कमीज पहन रखी थी जो थोड़ी ढीली सी थी ,किशन उसके पिछवाड़े में हाथ फिरता है ,सुमन के मुह से एक आह निकलती है और वो उससे अलग होने की कोशिस करती है पर किशन फिर से थोड़ा जोर लगता है और उसे अपनी ओर खिंच लेता है,वो अपने सर को उठाकर सुमन के होठो में अपने होठो को रख देता है,कुछ देर तो सुमन अपना सर इधर उधर हटाती है फिर वो अपने होठो को खोलकर उसके जीभ को अपने मुह में प्रवेश दे ही देती है,दोनो के जीभ मिलते है और वो एक दूजे को और भी कस कर जकड़ लेते है,किशन अपने हाथ सुमन के पीछे ले जाता है और सुमन भी उसके बालो में अपने हाथ फंसा लेती है,दोनो ही एक दूजे में खो जाते है और प्यार की गहराई का अहसास करने लगते है,
होठ दोनो के ही गीले थे,और जस्बात का एक उफान दिलो में था,
किशन का हाथ फिर से उसके कमर से होता हुआ उसके नितम्भो पर पहुचता है पर इस बार सुमन मना नही करती और किशन उसे जोर जोर से मसलने लगता है,सुमन के मुह से आहे फुट पड़ती है और किशन का लिंग उसकी अहो को सुनकर फुंकार मारने लगता है,उसके कड़ेपन का आभास सुमन को अपने योनि के ऊपर होता है और जैसे उसकी सांसे ही रुक जाती है वो अपने को किशन से अलग करने की कोशिस करती है पर वो उस उन्माद में इतना जोर ही नही लगा पाती की उससे अलग हो जाय…..
किशन फिर से उसे अपनी ओर खिंचता है और इस बार वो अपना लिंग उसकी योनि के ऊपर थोड़ा रगड़ भी देता है,सुमन फिर से थोड़ा छटपटाती है फिर एक झूठा गुस्सा किशन पर दिखाते हुए उसके पीठ पर मुक्का मरती है ,लेकिन शरीर की कहानी तो कुछ और ही थी उसकी योनि से रस की धार निकालनी शुरू हो चुकी थी ,वो एक आनंद की दुनिया में थी जिससे वो अब तक अनजानी ही थी,वो भी अपने पैरो को किशन के कमर पर जकड़ने लगती है पर किशन मौका देख उसके सलवार के नाड़े को खोल देता है ,सुमन को उस उन्माद में इसका पता भी नही चलता ,लेकिन जब चलता है तो देर हो चुकी होती है ,किशन उसके सलवार को नीचे कर चुका था,अब तक सुमन के पैर किशन के कमर पर लिपट चुके थे और सलवार उसके घुटनो के नीचे चला गया था,वो अपने पैरो को खोलने की कोशिस करती लेकिन किशन तो अपने पैरो के उसके पैरो को जकड़ चुका था,
“नही ना ….”वो बस इतना ही बोल पाई थी की किशन ने फिर से अपने होठो को उसके होठो से लगा लिया और सुमन फिर से अपनी दुनिया में खो गई ,उसे होश तब आया जब उसे एक ताजा सा मूसल उसके योनि में रगड़ खाने का अहसास हुआ,किशन अपने निकर को सरका चुका था और अपने लिंग को आजाद कर सुमन के पेंटी के ऊपर से ही रगड़ रहा था,उसकी योनि के गीलेपन के कारण पेंटी का वो हिस्सा भी भीग चुका था,और ये अहसास किशन को हो रहा था,भले ही ये सुमन के लिए नई बात हो पर किशन तो इस खेल का पुराना खिलाड़ी था…..
“हे भगवान ये आप क्या कर रहे हो …”सुमन की सांसे पूरी तरह से उखड़ी हुई थी..
वो अपने को छुड़ाने को थोड़ी छटपटाई पर किशन ने उसे ऐसे जकड़ा था की वो असफल ही हुई,उसने आखिरकार वो कर दिया जिसका डर सुमन को था,वो पेंटी के एक सिरे को उसके योनि से हटा कर उसपर अपने लिंग को रगड़ दिया,,,,,वो बहुत ही जोर से छटपटाई और इससे रानी की नींद ही खुल गयी…
“मैंने कहा था ना की शादी से पहले कुछ भी नही ,प्लीज् नआआआआ “
रानी तब तक उठ चुकी थी ..
“आप लोगो को शर्म वर्म है की नही बहन बाजू में सोई है और आप चालू हो गए,बोल देते अपने रूम में चली जाती “
वो अपने आंखों को मलते हुए बोलती है,किशन की हालत खराब हो गई और जिसे ही उसकी पकड़ ढीली हुई
“हे भगवान ,”सुमन किशन को झटके से पीछे करते हुए अपने कपड़े सम्हालते हुए वहां से भागी ,उसका चहरा शर्म से पूरी तरह लाल हो चुका था..
किशन भी अपने लिंग को जल्दी से अंदर करता है,सुमन के जाने के बाद वो उसे शिकायत के भाव से देखता है और रानी हस्ते हुए उसे देखने लगती है…
“बहुत जल्दी है भईया “
“तेरी तो “
किशन रानी के ऊपर कूद जाता है ,उसका लिंग अभी भी ताना हुआ था और रानी के कमर से कपड़ा अभी भी उठा हुआ था,उसकी पेंटी तो सुमन से भी छोटी थी,किशन का लिंग अनायास ही उसकी पेंटी के ऊपर से योनि पर रगड़ खाता है,
“आउच गर्लफ्रैंड की हवस बहन पर निकलोगे क्या”रानी उसके पीठ को मरते हुए कहती है,
“ये हवस नही जान ये तो मेरा प्यार है,”
किशन उसे हँसते हुए देखता है वो भी उसे देखकर मुस्कुराती है और दोनो के होठ मिल जाते है….दोनो एक दूजे के बांहो में पड़े हुए फिर से नींद के आगोश में चले जाते है….