hotaks444
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जुली को मिल गई मूली-22
गतान्क से आगे.....................
मैं आंजेलीना से गोआ मे मिली तो वो मुझे बहुत खुश लगी. उसमे मुझे बताया कि उसका पति चुदाई मे बहुत होशियार है और काफ़ी मज़बूत भी है. वो उसे करीब करीब रोज़ ही चोद्ता है और चुदाई का पूरा मज़ा देता है. उसने मुझे बताया कि कैसे उसका पति उसको अलग अलग तरीकों से, काफ़ी देर तक चोद्ता है. मैं ये जान कर बहुत खुश हुई कि मेरी सब से प्यारी, सब से अच्छी सहेली भी मेरी तरह चुदाई का पूरा मज़ा ले रही है और अपने पति से चुदाई मे पूरी तरह संतुष्ट है. मैं एक आम आदमी या आम औरत से ज़्यादा जानती हूँ कि जिंदगी मे चुदाई का क्या महत्व है.
अपने बचपन की सहेली के साथ ऐसी चुदाई की बातें करते करते मैं गरम होने लगी और मेरी चूत से रस निकलना शुरू हो गया. गरम तो वो भी हो रही थी और हम दोनो ही आपस मे लेज़्बीयन चुदाई करना चाहती थी. मगर उस समय ये संभव नही था क्यों कि उस के घर मे सब लोग मौजूद थे और ये ठीक नही होता कि सब लोगों की मौजूदगी मे हम किसी कमरे मे जा कर अंदर से दरवाजा बंद कर के लेज़्बीयन प्यार और चुदाई करते. मैने आंजेलीना को अपने घर आने का निमंत्रण दिया क्यों कि मेरे घर मे हमें अपना लेज़्बीयन चुदाई का खेल खेलने का पूरा मौका और एकांत मिल सकता था. उसने मुझ से कहा कि वो भी मुझे प्यार देना चाहती है और मुझ से प्यार लेना चाहती है. उसने मौका मिलने पर मेरे घर आ कर लेज़्बीयन चुदाई का वादा किया. वो मुझ से गले मिली, हम ने चुंबन किया और मैं उसकी चुचियाँ दबाना नही भूली थी. उसने भी मेरे पैरों के बीच हाथ डाल कर मेरी गीली चूत को जैसे मसल दिया.
मैं अपनी साड़ी के नीचे, अपनी चूत रस से गीली चड्डी पहने, अपने घर की तरफ रवाना हुई जहाँ मेरे पति सिनिमा जाने के लिए मेरी राह देख रहे थे. आप की जानकारी के लिए बता दूं कि हम बहुत कम सिनिमा हॉल मे सिनिमा देखने जाते हैं. पर जब भी जातें हैं, पूरा पूरा मज़ा लेते हैं. सिनिमा का भी और आपस मे अपनी प्राइवेट सिनिमा का भी, जितना भी संभव हो.
हम समय पर सिनिमा हॉल पहुँच गये और अपनी कोने की सीट पर बैठ गये. सिनिमा हॉल मे ज़्यादा भीड़ नही थी. मैने अपने आप को ज़्यादा रोकने की कोशिश किया बिना उनके कंधे पर अपना सिर रख दिया और प्यार से उनके हाथ को पकड़ कर दबाया. उन्होने भी अपना हाथ मेरी गर्दन के पीछे से मेरे कंधे पर रखा तो उनकी हथेली मेरी चुचि तक पहुँच गयी. उन्होने मेरी चुचि और मेरी निप्पल को दबाया और मसला. मैं उनसे करीब करीब चिपक कर बैठी हुई थी और मैने अपना हाथ उनके पैरों के जोड़ पर ले जा कर उनके गरम, उठे हुए, कड़क लौडे को उनकी पंत के उपर से ही पकड़ लिया. मैने पाया कि हमेशा की तरह उनका चुदाई का औज़ार लॉडा अपना आकार बढ़ा कर बड़ा…..और बड़ा, कड़क…… और कड़क……, गरम ……. और गरम हो रहा है. वो मेरी चुचि से खेलते जा रहे थे और मैं पॅंट के उपर से उनके लौडे से खेलती रही. ये बहुत खास बात थी कि हम हम बे काबू नही हुए. उन्होने मेरी चुचि मेरे ब्लाउज से बाहर नही निकाली थी और मैने भी उनका लॉडा उनकी पॅंट से बाहर नही निकाला था. लंड और चुचि का खेल चलता रहा और हम ने अपने अपने हाथ पीछे खींच लिए जब हमने देखा कि इंटर्वल होने वाला है और हॉल की बत्तियाँ धीरे धीरे जलनी शुरू हो गई है.
इंटर्वल मे मैं बाथरूम गई और अपनी ब्रा उतार कर अपने पर्स मे रखी ताकि उनके हाथ का पूरा मज़ा अपनी चुचियों पर ले सकूँ और उनके हाथ को भी अपनी गोल गोल कड़क चुचियों का पूरा मज़ा दे सकूँ. मैं वापस अपनी सीट पर आई जहाँ मेरे पति मेरा इंतज़ार कर रहे थे और सिनिमा शुरू होने वाली थी.
गतान्क से आगे.....................
मैं आंजेलीना से गोआ मे मिली तो वो मुझे बहुत खुश लगी. उसमे मुझे बताया कि उसका पति चुदाई मे बहुत होशियार है और काफ़ी मज़बूत भी है. वो उसे करीब करीब रोज़ ही चोद्ता है और चुदाई का पूरा मज़ा देता है. उसने मुझे बताया कि कैसे उसका पति उसको अलग अलग तरीकों से, काफ़ी देर तक चोद्ता है. मैं ये जान कर बहुत खुश हुई कि मेरी सब से प्यारी, सब से अच्छी सहेली भी मेरी तरह चुदाई का पूरा मज़ा ले रही है और अपने पति से चुदाई मे पूरी तरह संतुष्ट है. मैं एक आम आदमी या आम औरत से ज़्यादा जानती हूँ कि जिंदगी मे चुदाई का क्या महत्व है.
अपने बचपन की सहेली के साथ ऐसी चुदाई की बातें करते करते मैं गरम होने लगी और मेरी चूत से रस निकलना शुरू हो गया. गरम तो वो भी हो रही थी और हम दोनो ही आपस मे लेज़्बीयन चुदाई करना चाहती थी. मगर उस समय ये संभव नही था क्यों कि उस के घर मे सब लोग मौजूद थे और ये ठीक नही होता कि सब लोगों की मौजूदगी मे हम किसी कमरे मे जा कर अंदर से दरवाजा बंद कर के लेज़्बीयन प्यार और चुदाई करते. मैने आंजेलीना को अपने घर आने का निमंत्रण दिया क्यों कि मेरे घर मे हमें अपना लेज़्बीयन चुदाई का खेल खेलने का पूरा मौका और एकांत मिल सकता था. उसने मुझ से कहा कि वो भी मुझे प्यार देना चाहती है और मुझ से प्यार लेना चाहती है. उसने मौका मिलने पर मेरे घर आ कर लेज़्बीयन चुदाई का वादा किया. वो मुझ से गले मिली, हम ने चुंबन किया और मैं उसकी चुचियाँ दबाना नही भूली थी. उसने भी मेरे पैरों के बीच हाथ डाल कर मेरी गीली चूत को जैसे मसल दिया.
मैं अपनी साड़ी के नीचे, अपनी चूत रस से गीली चड्डी पहने, अपने घर की तरफ रवाना हुई जहाँ मेरे पति सिनिमा जाने के लिए मेरी राह देख रहे थे. आप की जानकारी के लिए बता दूं कि हम बहुत कम सिनिमा हॉल मे सिनिमा देखने जाते हैं. पर जब भी जातें हैं, पूरा पूरा मज़ा लेते हैं. सिनिमा का भी और आपस मे अपनी प्राइवेट सिनिमा का भी, जितना भी संभव हो.
हम समय पर सिनिमा हॉल पहुँच गये और अपनी कोने की सीट पर बैठ गये. सिनिमा हॉल मे ज़्यादा भीड़ नही थी. मैने अपने आप को ज़्यादा रोकने की कोशिश किया बिना उनके कंधे पर अपना सिर रख दिया और प्यार से उनके हाथ को पकड़ कर दबाया. उन्होने भी अपना हाथ मेरी गर्दन के पीछे से मेरे कंधे पर रखा तो उनकी हथेली मेरी चुचि तक पहुँच गयी. उन्होने मेरी चुचि और मेरी निप्पल को दबाया और मसला. मैं उनसे करीब करीब चिपक कर बैठी हुई थी और मैने अपना हाथ उनके पैरों के जोड़ पर ले जा कर उनके गरम, उठे हुए, कड़क लौडे को उनकी पंत के उपर से ही पकड़ लिया. मैने पाया कि हमेशा की तरह उनका चुदाई का औज़ार लॉडा अपना आकार बढ़ा कर बड़ा…..और बड़ा, कड़क…… और कड़क……, गरम ……. और गरम हो रहा है. वो मेरी चुचि से खेलते जा रहे थे और मैं पॅंट के उपर से उनके लौडे से खेलती रही. ये बहुत खास बात थी कि हम हम बे काबू नही हुए. उन्होने मेरी चुचि मेरे ब्लाउज से बाहर नही निकाली थी और मैने भी उनका लॉडा उनकी पॅंट से बाहर नही निकाला था. लंड और चुचि का खेल चलता रहा और हम ने अपने अपने हाथ पीछे खींच लिए जब हमने देखा कि इंटर्वल होने वाला है और हॉल की बत्तियाँ धीरे धीरे जलनी शुरू हो गई है.
इंटर्वल मे मैं बाथरूम गई और अपनी ब्रा उतार कर अपने पर्स मे रखी ताकि उनके हाथ का पूरा मज़ा अपनी चुचियों पर ले सकूँ और उनके हाथ को भी अपनी गोल गोल कड़क चुचियों का पूरा मज़ा दे सकूँ. मैं वापस अपनी सीट पर आई जहाँ मेरे पति मेरा इंतज़ार कर रहे थे और सिनिमा शुरू होने वाली थी.