hotaks444
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रात का खाना खाने के बाद सारा के पति ने जमुना को उसके कमरे मे जाने को कहा. जमुना के कमरे के दो दरवाजे थे, एक घर के अंदर रसोई मे खुलता था और दूसरा घर के बाहर खुलता था. जमुना अपने रूम मे गई तो सारा के पति ने घर के अंदर खुलने वाले दरवाजे को बंद किया ताकि जमुना उस दरवाजे से घर के अंदर ना आ सके. अगर ज़रूरत हो तो अपने कमरे के दूसरे दरवाजे से बाहर निकलकर, सारा के घर के मुख्य द्वार से घर के अंदर आ सकती थी. घर मे रहने वाले गार्ड भी घर भेज दिए गये.
तीनों, सारा, उसका पति और वो नेता, बेड रूम मे सोफा पर बैठ कर सिगरेट पीने लगे. सारा के पति ने सारा से कहा की लीडर को वो बहुत अच्छी लग रही है और वो और कुछ देर घर मे रहना चाहता है. शराब के नशे मे सारा अपने पति की बात का पूरा मतलब नही समझ सकी. वैसे भी वो एक सब का जाना पहचाना नेता था.
अचानक, उस नेता ने सारा को अपनी बाहों मे जाकड़ लिया तो सारा चौंक गई और उसने अपने पति की तरफ देखा. उसका पति मुस्करा रहा ता. सारा को सारी बात समझ मे आगाई जो वो अब तक नही समझी थी. उस नेता ने सारा को अपनी बाहों मे उठा कर बिस्तर पर गिरा दिया. सारा ने फिर अपने पति की तरफ देखा तो उसके पति ने कहा कि नेताजी को खुश करदो. सारा ना कुछ बोल सकी और ना ही कुछ कर सकी. उसकी आँखों से आँसू निकल आए. उस ने सोच लिया कि वो उस नेता से चुद्वा कर अपने पति के काम मे उसकी मदद करेगी. इस काम मे शराब का भी काफ़ी हाथ था.
सारा अपने बिस्तर पर पड़ी थी और उसका पति और उसका नेता दोस्त दोनो मिलकर उसके कपड़े उतारने लगे. जल्दी ही उन दोनो ने सारा को पूरा नंगा कर दिया. उसके पति ने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए और नंगा हो कर, सोफा पर बैठ कर सिगरेट पीने लगा. सारा जान गई कि उसका पति जो नामार्द है, कुछ नही करेगा और उसका नेता दोस्त उसको चोदेगा और उसका पति सब देखेगा. नेता ने सारा को कहा की वो उसके कपड़े उतारे. सारा ने नेता के कपड़े उतार कर उसे भी नंगा किया और उसका बेशरम नमार्द पति सोफा पर बैठा सब देख रहा था.
नेता चुदाई के मामले मे बसंत की तरह एक काबिल मर्द था और काफ़ी दिनों के बाद सारा को चुदाई मे संतुष्टि मिली थी, पर सारा खुश नही थी क्यों कि उसके पति ने उसका, उसके बदन का, उसकी चूत का, उसकी चुदाई का अपने धन्दे मे फ़ायदे के लिए इस्तेमाल किया था.
वो नेता तो सारा को चोद कर चला गया था. उस नेता से चुद्वाते हुए सारा ने देखा था कि उसके पति के लंड का पानी अपने आप ही निकल कर सोफा के पास फैल गया था. किसी रंडी की तरह, बिना अपने पति की तरफ ध्यान दिए, करवट ले कर सारा नंगी ही सो गई.
अगले दिन सुबह, जब शराब का नशा नही था, तो सारा को सारी बात अच्छी तरह समझ मे आई. एक बार उसने सोचा कि उसने बहुत ग़लत काम किया है, पर फिर उसने सोचा कि उसने जो भी किया, अपने पति के कहने पर किया और उसका पति खुद वहाँ मौजूद था जब वो नेता उसको चोद रहा था. वैसे भी वो कोई सती सावित्री नही थी. अपनी खुशी के लिए वो बसंत से चुद्वाती थी तो धंधे मे फ़ायदे के लिए एक बार अपने पति के कहने पर उस नेता से चुद्वा लिया तो क्या हो गया. ये चुदाई की बात तो उन तीनो के बीच ही रहनेवाली है. और अंदर से कहीं वो खुश भी थी कि उसको चुदाई मे संतुष्टि भी मिली है जिसकी वो हक़दार है.
पर जल्दी ही सारा को पता चल गया कि ये उसकी ग़लती थी जो वो अपने पति के बारे मे अच्छा अच्छा सोचती थी. सारा ने सोचा था कि वो केवल एक बार की बात थी जो उसे अपने पति की खातिर उस नेता से चुद्वाना पड़ा था. वो अपने पति को ठीक से पहचान नही पाई थी. करीब करीब रोज़ ही शाम को उसका पति अलग अलग आदमियों के साथ घर आता और सारा को उनसे चुद्वाने को कहता. जब कभी भी सारा ने चुद्वाने के लिए ना कहा, उसका पति उसे बुरी तरह मारता था. अब वो समझ गई थी कि उसके पति की पहुँच बहुत उपर तक थी. उसने कई बार घर से भागने की कोशिश की पर नाकाम रही और उसके पति ने उसे पीटा था. उस ने पोलीस मे भी जाने की कोशिश की थी पर उसको पता नही था कि एक बड़ा पोलीस ऑफीसर उसके पति का दोस्त था और बाद मे उसी पोलीस ऑफीसर ने उसके पति की मौजूदगी मे सारा को बुरी तरह चोदा था.
सारा की जिंदगी नर्क बनती जा रही थी. अब तो उसका पति उसे दो – तीन आदमियों से एक साथ ही चुद्वाता था. वो एक रंडी की जिंदगी जी रही थी और उसका अपना पति ही जैसे उसका दलाल / भड़वा बन गया था. सारा को बड़े बड़े आदमियों से चुद्वा कर, अपना काम निकलवा कर, उसके पति ने अपने धन्दे मे बहुत पैसा कमाया. अलग अलग आदमी सारा को अपनी पसंद के अनुसार अलग अलग तरीके से चोद्ते थे और सारा चुद्वाने के सिवाय कुछ नही कर पाती थी.
और इसी कारण वो एक पक्की शराबी बन गई थी और बहुत धूम्रपान करती थी. सारा ने अपनी किस्मत से समझौता कर लिया था. अब तो ये हालत थी कि सारा को चुद्वाने की जैसे आदत पड़ गयी थी और वो अब चुदाई के बिना नही रह सकती थी और उसको रोज़ एक से ज़्यादा मर्द चाहिए चुद्वाने के लिए. अब वो अपनी आदत और मर्ज़ी से एक रांड़ बन चुकी थी. अब उसे किसी तरह की शर्म भी नही आती थी. वो किसी से भी, कभी भी, कैसे भी चुद्वा सकती थी.
मुझे सारा के मूह से उसकी कहानी सुन कर बहुत धक्का लगा और बहुत दुख हुआ. मगर सारा मुस्कराती रही, शराब पीती रही, धूम्रपान करती रही और अपनी चुदाई की भयानक कहानी सुनाती गई.
अंत मे सारा ने बताया – मेरा भड़वा पति अपने तीन विदेशी दोस्तों को लाने के लिए बाहर गया है और आज मैं तीन तीन विदेशियों से एक साथ चुद्वाउन्गि.
मैं बोली – सारा, ये सब तुम कितनी आसानी से कह रही हो. ये चिंता की बात है.
सारा ने जवाब दिया – नही यार! मेरी जिंदगी मे ये सब आम बात है. मैं खुद अब इन सब के बिना नही रह सकती.
मैं बोली – सारा ! मेरी दोस्त ! मुझे बताओ कि मैं तुम्हारे लिए क्या करूँ कि तुम इस नर्क से बाहर आ जाओ.
सारा – कुछ नही जूली! मुझे अब इसकी आदत पड़ गई है. मैं जो भी कर रही हूँ, वो अपनी मर्ज़ी से कर रही हूँ. मुझे किसी से कोई शिकायत नही है. मुझे रोज़ाना चुद्वाने के लिए एक नया मर्द चाहिए और जिस दिन मेरे भद्वे पति का कोई दोस्त नही आता, उस दिन मैं अपने दलाल पति से किसी मर्द का बंदोबस्त करने को कहती हूँ और वो किसी ना किसी को मुझे चोद्ने के लिए ले आता है. मैं अब बहुत खुश हूँ.
पर मैं जानती थी, वो बहुत तो क्या, ज़रा भी खुश नही है. पर मैं उसके लिए कुछ भी नही कर सकती थी.
शाम के 7.30 बज चुके थे. सारा ने बताया कि उसके भद्वे पति के, उसके तीन विदेशी दोस्तों के साथ आने का समय हो गया है. वो तीनो विदेशी मिलकर अब उसको उसके ही भद्वे पति के सामने चोदेन्गे. मैं उसके पति को भड़वा नही कहना चाहूँगी क्यों कि भड़वा तो उसके लिए बहुत छोटा शब्द है.
मैने भारी मन से सारा से विदाई ली और अपने घर की तरफ रवाना हो गई. मैने उसी समय सोच लिया था कि मैं ये कहानी अपनी अगली चुदाई की दास्तान मे ज़रूर लिखूँगी ताकि लोगों को पता चले कि चुदाई का ये भी एक रूप है.
क्रमशः......................
तीनों, सारा, उसका पति और वो नेता, बेड रूम मे सोफा पर बैठ कर सिगरेट पीने लगे. सारा के पति ने सारा से कहा की लीडर को वो बहुत अच्छी लग रही है और वो और कुछ देर घर मे रहना चाहता है. शराब के नशे मे सारा अपने पति की बात का पूरा मतलब नही समझ सकी. वैसे भी वो एक सब का जाना पहचाना नेता था.
अचानक, उस नेता ने सारा को अपनी बाहों मे जाकड़ लिया तो सारा चौंक गई और उसने अपने पति की तरफ देखा. उसका पति मुस्करा रहा ता. सारा को सारी बात समझ मे आगाई जो वो अब तक नही समझी थी. उस नेता ने सारा को अपनी बाहों मे उठा कर बिस्तर पर गिरा दिया. सारा ने फिर अपने पति की तरफ देखा तो उसके पति ने कहा कि नेताजी को खुश करदो. सारा ना कुछ बोल सकी और ना ही कुछ कर सकी. उसकी आँखों से आँसू निकल आए. उस ने सोच लिया कि वो उस नेता से चुद्वा कर अपने पति के काम मे उसकी मदद करेगी. इस काम मे शराब का भी काफ़ी हाथ था.
सारा अपने बिस्तर पर पड़ी थी और उसका पति और उसका नेता दोस्त दोनो मिलकर उसके कपड़े उतारने लगे. जल्दी ही उन दोनो ने सारा को पूरा नंगा कर दिया. उसके पति ने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए और नंगा हो कर, सोफा पर बैठ कर सिगरेट पीने लगा. सारा जान गई कि उसका पति जो नामार्द है, कुछ नही करेगा और उसका नेता दोस्त उसको चोदेगा और उसका पति सब देखेगा. नेता ने सारा को कहा की वो उसके कपड़े उतारे. सारा ने नेता के कपड़े उतार कर उसे भी नंगा किया और उसका बेशरम नमार्द पति सोफा पर बैठा सब देख रहा था.
नेता चुदाई के मामले मे बसंत की तरह एक काबिल मर्द था और काफ़ी दिनों के बाद सारा को चुदाई मे संतुष्टि मिली थी, पर सारा खुश नही थी क्यों कि उसके पति ने उसका, उसके बदन का, उसकी चूत का, उसकी चुदाई का अपने धन्दे मे फ़ायदे के लिए इस्तेमाल किया था.
वो नेता तो सारा को चोद कर चला गया था. उस नेता से चुद्वाते हुए सारा ने देखा था कि उसके पति के लंड का पानी अपने आप ही निकल कर सोफा के पास फैल गया था. किसी रंडी की तरह, बिना अपने पति की तरफ ध्यान दिए, करवट ले कर सारा नंगी ही सो गई.
अगले दिन सुबह, जब शराब का नशा नही था, तो सारा को सारी बात अच्छी तरह समझ मे आई. एक बार उसने सोचा कि उसने बहुत ग़लत काम किया है, पर फिर उसने सोचा कि उसने जो भी किया, अपने पति के कहने पर किया और उसका पति खुद वहाँ मौजूद था जब वो नेता उसको चोद रहा था. वैसे भी वो कोई सती सावित्री नही थी. अपनी खुशी के लिए वो बसंत से चुद्वाती थी तो धंधे मे फ़ायदे के लिए एक बार अपने पति के कहने पर उस नेता से चुद्वा लिया तो क्या हो गया. ये चुदाई की बात तो उन तीनो के बीच ही रहनेवाली है. और अंदर से कहीं वो खुश भी थी कि उसको चुदाई मे संतुष्टि भी मिली है जिसकी वो हक़दार है.
पर जल्दी ही सारा को पता चल गया कि ये उसकी ग़लती थी जो वो अपने पति के बारे मे अच्छा अच्छा सोचती थी. सारा ने सोचा था कि वो केवल एक बार की बात थी जो उसे अपने पति की खातिर उस नेता से चुद्वाना पड़ा था. वो अपने पति को ठीक से पहचान नही पाई थी. करीब करीब रोज़ ही शाम को उसका पति अलग अलग आदमियों के साथ घर आता और सारा को उनसे चुद्वाने को कहता. जब कभी भी सारा ने चुद्वाने के लिए ना कहा, उसका पति उसे बुरी तरह मारता था. अब वो समझ गई थी कि उसके पति की पहुँच बहुत उपर तक थी. उसने कई बार घर से भागने की कोशिश की पर नाकाम रही और उसके पति ने उसे पीटा था. उस ने पोलीस मे भी जाने की कोशिश की थी पर उसको पता नही था कि एक बड़ा पोलीस ऑफीसर उसके पति का दोस्त था और बाद मे उसी पोलीस ऑफीसर ने उसके पति की मौजूदगी मे सारा को बुरी तरह चोदा था.
सारा की जिंदगी नर्क बनती जा रही थी. अब तो उसका पति उसे दो – तीन आदमियों से एक साथ ही चुद्वाता था. वो एक रंडी की जिंदगी जी रही थी और उसका अपना पति ही जैसे उसका दलाल / भड़वा बन गया था. सारा को बड़े बड़े आदमियों से चुद्वा कर, अपना काम निकलवा कर, उसके पति ने अपने धन्दे मे बहुत पैसा कमाया. अलग अलग आदमी सारा को अपनी पसंद के अनुसार अलग अलग तरीके से चोद्ते थे और सारा चुद्वाने के सिवाय कुछ नही कर पाती थी.
और इसी कारण वो एक पक्की शराबी बन गई थी और बहुत धूम्रपान करती थी. सारा ने अपनी किस्मत से समझौता कर लिया था. अब तो ये हालत थी कि सारा को चुद्वाने की जैसे आदत पड़ गयी थी और वो अब चुदाई के बिना नही रह सकती थी और उसको रोज़ एक से ज़्यादा मर्द चाहिए चुद्वाने के लिए. अब वो अपनी आदत और मर्ज़ी से एक रांड़ बन चुकी थी. अब उसे किसी तरह की शर्म भी नही आती थी. वो किसी से भी, कभी भी, कैसे भी चुद्वा सकती थी.
मुझे सारा के मूह से उसकी कहानी सुन कर बहुत धक्का लगा और बहुत दुख हुआ. मगर सारा मुस्कराती रही, शराब पीती रही, धूम्रपान करती रही और अपनी चुदाई की भयानक कहानी सुनाती गई.
अंत मे सारा ने बताया – मेरा भड़वा पति अपने तीन विदेशी दोस्तों को लाने के लिए बाहर गया है और आज मैं तीन तीन विदेशियों से एक साथ चुद्वाउन्गि.
मैं बोली – सारा, ये सब तुम कितनी आसानी से कह रही हो. ये चिंता की बात है.
सारा ने जवाब दिया – नही यार! मेरी जिंदगी मे ये सब आम बात है. मैं खुद अब इन सब के बिना नही रह सकती.
मैं बोली – सारा ! मेरी दोस्त ! मुझे बताओ कि मैं तुम्हारे लिए क्या करूँ कि तुम इस नर्क से बाहर आ जाओ.
सारा – कुछ नही जूली! मुझे अब इसकी आदत पड़ गई है. मैं जो भी कर रही हूँ, वो अपनी मर्ज़ी से कर रही हूँ. मुझे किसी से कोई शिकायत नही है. मुझे रोज़ाना चुद्वाने के लिए एक नया मर्द चाहिए और जिस दिन मेरे भद्वे पति का कोई दोस्त नही आता, उस दिन मैं अपने दलाल पति से किसी मर्द का बंदोबस्त करने को कहती हूँ और वो किसी ना किसी को मुझे चोद्ने के लिए ले आता है. मैं अब बहुत खुश हूँ.
पर मैं जानती थी, वो बहुत तो क्या, ज़रा भी खुश नही है. पर मैं उसके लिए कुछ भी नही कर सकती थी.
शाम के 7.30 बज चुके थे. सारा ने बताया कि उसके भद्वे पति के, उसके तीन विदेशी दोस्तों के साथ आने का समय हो गया है. वो तीनो विदेशी मिलकर अब उसको उसके ही भद्वे पति के सामने चोदेन्गे. मैं उसके पति को भड़वा नही कहना चाहूँगी क्यों कि भड़वा तो उसके लिए बहुत छोटा शब्द है.
मैने भारी मन से सारा से विदाई ली और अपने घर की तरफ रवाना हो गई. मैने उसी समय सोच लिया था कि मैं ये कहानी अपनी अगली चुदाई की दास्तान मे ज़रूर लिखूँगी ताकि लोगों को पता चले कि चुदाई का ये भी एक रूप है.
क्रमशः......................