hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
एक बार तो मैने भी सोचा, क्या फ़र्क है मदन मे और मेरे मैं. मदन ने नौकरी के लिए उसकी गंद मारी और मैं भी नौकरी दे कर उस से चुद्वाना चाहती थी. दोनो ही ज़बरदस्ती थी. पर मेरी उस से चुद्वाने की चाहत थी, मैने अपने आप से कहा कि मैं उस को चोद्ने के लिया मजबूर नहीं करूँगी और फिर मैं तो उस से चुद्वाना चाहती थी, एक मर्द और एक औरत के बीच मे होने वाली नॅचुरल चुदाई करवाना चाहती थी. जैसे मदन ने उस की गंद मार कर खुद तो मज़ा लिया था पर उस लड़के को तकलीफ़ दी थी, मैं वैसा नही करना चाहती थी. मैं तो उस को चुदाई का मज़ा बराबर देना चाहती थी. अगर मुझे मज़ा आता है तो उसको भी तो आएगा मुझे चोद्कर. ये तो बराबर की चुदाई की बात थी. और फिर वो तो उस की खुशकिश्मति है कि उस को मेरे जैसी खूबसूरत और सेक्सी मालकिन की चुदाई करने का मौका मिल रहा है.
मैं - ओके. ठीक है. मेरे पैर छ्चोड़ो और कुर्सी पर बैठो. ये बच्चे की तरह रोना भी बंद करो. मैं तुम को नौकरी देती हूँ और तुम्हारा काम इस कॉटेज की देख भाल करना है. कॉटेज के सब काम तुम को करने है, सॉफ सफाई और सब देख भाल. तुम कॉटेज के अंदर सर्वेंट्स रूम मे रहना सुरू कर दो जो इस ऑफीस के बगल मे है. तुम्हारी नौकरी इसी समय से सुरू होती है. तुम अपना सामान ले आओ और मदन को बुलाओ.
वो अपनी गीली आँखों के साथ चला गया और मैं सोचने लगी कि किस तरह उस लड़के का लंड अपनी चूत मे डलवाया जाए.
मैने मदन को रतन का सामान कॉटेज के सेरवेंट्स रूम मे शिफ्ट करने को कहा और उसको अपना खाना बनाने की लिए ज़रूरी चीज़ो का इन्तेजाम करने को भी कहा. मैने रतन को कुछ रुपये ज़रूरी सामान खरीदने के लिए भी दिए. और मैने रतन को अपने लिए चाइ बनाने को कहा. मदन ने उसको किचन बताया.
उस वक़्त दोपहर के 2.00 बजे थे और मैने रतन को लंच बॉक्स मे से खाना निकाल कर टेबल पर लगाने को कहा. लंच बॉक्स मैं घर से लाई थी.
मैं खाना खा रही थी और रतन वहाँ खड़ा था. मैने खाना ख़तम किया और रतन को टेबल और बर्तन सॉफ करके अपने बेड रूम मे आने को कहा.
मैं फर्स्ट फ्लोर पर अपने बेड रूम मे आ कर ए.सी. चालू किया और कुछ समय बाद रतन रूम मे आया.
मैं - रतन, क्या तुम मालिश करना जानते हो?
रतन - हां मेम्साब. मैं मालिश करना जानता हूँ.
मैं - तो फिर आओ और मेरे पैरों की मालिश कर दो. मुझे कुछ थकान लग रही है.
ये मेरा उस से चुद्वाने की तरफ पहला कदम था.
उस ने मेरे स्कॅंडल्ज़ निकाले और मेरे पैरों की मालिश करना सुरू किया. मैं टाइट जीन पहनी हुई थी जिसकी वजह से वो मेरे पंजे के उपर मालिश नही कर पा रहा था. मैने उसको वेट करने को कहा और अपना शॉर्ट ले कर बाथरूम मे गई. मैने जीन की जगह शॉर्ट पहना और वापस रूम मे आ गई. अब मेरे सेक्सी पैरों का ज़्यादातर भाग नंगा था जिस से वो आसानी से उन पर मालिश कर सके. मैं सोफा पर बैठ गई और उस ने मेरे पैरों की मालिश करनी सुरू कर दी. वो बहुत अच्छी मालिश कर रहा था. कुछ ही देर मे मैने महसूस किया की उसकी हथेलियाँ पसीने से गीली होने लगी थी. मैं मन ही मन मुस्काई ये जान कर कि मेरे बदन की गर्मी वो भी फील कर रहा था. मेरी सेक्सी टाँगें है ही ऐसी की कोई भी गरम हो जाए. मैं सोफे पर थोड़ा आयेज सर्की ताकि वो मेरे घुटनो के उपर भी मालिश कर सके. उस के हाथ काँपने लगे और उसका गला भी सूखने लगा था पर वो बराबर मालिश कर रहा था मेरी सेक्सी नंगी टाँगों पर.
अब मैने अपना अगला तीर फेंका.
मैं बोली - रतन !
रतन - हां मेम्साब !
मैं - सच सच बताना. तुम ने वो सब मदन के साथ पहली बार किया था या से सब पहले भी कर चुके हो ?
रतन ने अपना सिर नीचे करते हुए जवाब दिया - ये पहली बार था मेम्साब.
मैं - उस ने तुम से क्या कहा, कैसे सुरू हुआ, मुझे पूरी बात बताओ.
रतन - मेमसाब ! मैं यहाँ मदन का लेटर मिलने के बाद चार दिन पहले आया था कि वो मेरी नौकरी लगा देगा. वो दिन मे सोता है क्यों कि रात मे ड्यूटी करता है. उस ने मुझे कहा कि मैं दिन मे यहाँ वहाँ खेत मे घूम कर टाइम पास करूँ जब तक की मेरी नौकरी नही लग जाती. उस ने मुझ से ये भी कहा कि वो यहाँ बहुत अकेला फील करता है, अब ये अच्छा है कि मैं उस के साथ हूँ. पहले दिन हम दोनो ने मिल कर अपना रात का खाना बनाया और वो अपनी ड्यूटी के लिए चला गया मुझे ये बोल कर कि मैं दरवाजा अंदर से बंद ना करूँ क्यों कि रूम तो कॉंपाउंड के अंदर ही है. मैं भी सो गया और मेरी आँख सुबह ही खुली. मैने देखा की मदन रूम के एक कोने मे बैठा है और अपने ....... अपने..... उस को बाहर निकाल कर कुछ कर रहा है. फिर मैने उस को ज़ोर ज़ोर से हिलाते हुए देखा. थोड़ी देर बाद उसने उस को फिर अपने पॅंट मे डाला और कपड़े से ज़मीन को सॉफ करने लगा. उस ने मुझे जागते हुए देखा तो वो मुश्कराया. फिर उस ने हम दोनो के लिए चाइ बनाई और कहा कि उसकी ड्यूटी अब ख़तम हो गई है और वो खाना खाने के बाद सोएगा. मैने उस से पूछा की वो अभी क्या कर रहा था तो उसने कोई जवाब नही दिया. दो दिन और निकल गये और कुछ खास नही हुआ. कल सुबह जब मेरी आँख खुली तो मैने देखा कि मदन मेरे बिस्तर मे है और उस का हाथ मेरे...... मेरे..... उस पर है. उस ने मेरे हाथ मे अपना वो भी बाहर निकाल कर दिया. वो मेरा भी कपड़ों से बाहर निकालने की कोशिस करने लगा तो मैं उठ कर खड़ा हो गया. वो हँसने लगा और बोला - तुम बहुत अच्छे और सुंदर लड़के हो. हम दोनो को ही यहाँ अकेले रहना है इस लिए हम दोनो को ही एक दूसरे की मदद करनी चाहिए. अगर तुम मेरा कहना मानोगे तो तुम्हारी नौकरी जल्दी ही लग जाएगी और मैं तुम को हमेशा खुस रखूँगा. मैं समझ गया कि वो क्या कहना चाहता है लेकिन मैं क्या करता, मैं मजबूर था, पूरी तरह उस पर निर्भर था. वो खाना खाने के बाद सो गया और 4,30 बजे उठा. उस ने मुझे अपने बिस्तर मे घसीटा और मेरे सारे कपड़े उतार दिए और मेरे साथ............. मेरे साथ...........
मैं - ओके. ठीक है. मेरे पैर छ्चोड़ो और कुर्सी पर बैठो. ये बच्चे की तरह रोना भी बंद करो. मैं तुम को नौकरी देती हूँ और तुम्हारा काम इस कॉटेज की देख भाल करना है. कॉटेज के सब काम तुम को करने है, सॉफ सफाई और सब देख भाल. तुम कॉटेज के अंदर सर्वेंट्स रूम मे रहना सुरू कर दो जो इस ऑफीस के बगल मे है. तुम्हारी नौकरी इसी समय से सुरू होती है. तुम अपना सामान ले आओ और मदन को बुलाओ.
वो अपनी गीली आँखों के साथ चला गया और मैं सोचने लगी कि किस तरह उस लड़के का लंड अपनी चूत मे डलवाया जाए.
मैने मदन को रतन का सामान कॉटेज के सेरवेंट्स रूम मे शिफ्ट करने को कहा और उसको अपना खाना बनाने की लिए ज़रूरी चीज़ो का इन्तेजाम करने को भी कहा. मैने रतन को कुछ रुपये ज़रूरी सामान खरीदने के लिए भी दिए. और मैने रतन को अपने लिए चाइ बनाने को कहा. मदन ने उसको किचन बताया.
उस वक़्त दोपहर के 2.00 बजे थे और मैने रतन को लंच बॉक्स मे से खाना निकाल कर टेबल पर लगाने को कहा. लंच बॉक्स मैं घर से लाई थी.
मैं खाना खा रही थी और रतन वहाँ खड़ा था. मैने खाना ख़तम किया और रतन को टेबल और बर्तन सॉफ करके अपने बेड रूम मे आने को कहा.
मैं फर्स्ट फ्लोर पर अपने बेड रूम मे आ कर ए.सी. चालू किया और कुछ समय बाद रतन रूम मे आया.
मैं - रतन, क्या तुम मालिश करना जानते हो?
रतन - हां मेम्साब. मैं मालिश करना जानता हूँ.
मैं - तो फिर आओ और मेरे पैरों की मालिश कर दो. मुझे कुछ थकान लग रही है.
ये मेरा उस से चुद्वाने की तरफ पहला कदम था.
उस ने मेरे स्कॅंडल्ज़ निकाले और मेरे पैरों की मालिश करना सुरू किया. मैं टाइट जीन पहनी हुई थी जिसकी वजह से वो मेरे पंजे के उपर मालिश नही कर पा रहा था. मैने उसको वेट करने को कहा और अपना शॉर्ट ले कर बाथरूम मे गई. मैने जीन की जगह शॉर्ट पहना और वापस रूम मे आ गई. अब मेरे सेक्सी पैरों का ज़्यादातर भाग नंगा था जिस से वो आसानी से उन पर मालिश कर सके. मैं सोफा पर बैठ गई और उस ने मेरे पैरों की मालिश करनी सुरू कर दी. वो बहुत अच्छी मालिश कर रहा था. कुछ ही देर मे मैने महसूस किया की उसकी हथेलियाँ पसीने से गीली होने लगी थी. मैं मन ही मन मुस्काई ये जान कर कि मेरे बदन की गर्मी वो भी फील कर रहा था. मेरी सेक्सी टाँगें है ही ऐसी की कोई भी गरम हो जाए. मैं सोफे पर थोड़ा आयेज सर्की ताकि वो मेरे घुटनो के उपर भी मालिश कर सके. उस के हाथ काँपने लगे और उसका गला भी सूखने लगा था पर वो बराबर मालिश कर रहा था मेरी सेक्सी नंगी टाँगों पर.
अब मैने अपना अगला तीर फेंका.
मैं बोली - रतन !
रतन - हां मेम्साब !
मैं - सच सच बताना. तुम ने वो सब मदन के साथ पहली बार किया था या से सब पहले भी कर चुके हो ?
रतन ने अपना सिर नीचे करते हुए जवाब दिया - ये पहली बार था मेम्साब.
मैं - उस ने तुम से क्या कहा, कैसे सुरू हुआ, मुझे पूरी बात बताओ.
रतन - मेमसाब ! मैं यहाँ मदन का लेटर मिलने के बाद चार दिन पहले आया था कि वो मेरी नौकरी लगा देगा. वो दिन मे सोता है क्यों कि रात मे ड्यूटी करता है. उस ने मुझे कहा कि मैं दिन मे यहाँ वहाँ खेत मे घूम कर टाइम पास करूँ जब तक की मेरी नौकरी नही लग जाती. उस ने मुझ से ये भी कहा कि वो यहाँ बहुत अकेला फील करता है, अब ये अच्छा है कि मैं उस के साथ हूँ. पहले दिन हम दोनो ने मिल कर अपना रात का खाना बनाया और वो अपनी ड्यूटी के लिए चला गया मुझे ये बोल कर कि मैं दरवाजा अंदर से बंद ना करूँ क्यों कि रूम तो कॉंपाउंड के अंदर ही है. मैं भी सो गया और मेरी आँख सुबह ही खुली. मैने देखा की मदन रूम के एक कोने मे बैठा है और अपने ....... अपने..... उस को बाहर निकाल कर कुछ कर रहा है. फिर मैने उस को ज़ोर ज़ोर से हिलाते हुए देखा. थोड़ी देर बाद उसने उस को फिर अपने पॅंट मे डाला और कपड़े से ज़मीन को सॉफ करने लगा. उस ने मुझे जागते हुए देखा तो वो मुश्कराया. फिर उस ने हम दोनो के लिए चाइ बनाई और कहा कि उसकी ड्यूटी अब ख़तम हो गई है और वो खाना खाने के बाद सोएगा. मैने उस से पूछा की वो अभी क्या कर रहा था तो उसने कोई जवाब नही दिया. दो दिन और निकल गये और कुछ खास नही हुआ. कल सुबह जब मेरी आँख खुली तो मैने देखा कि मदन मेरे बिस्तर मे है और उस का हाथ मेरे...... मेरे..... उस पर है. उस ने मेरे हाथ मे अपना वो भी बाहर निकाल कर दिया. वो मेरा भी कपड़ों से बाहर निकालने की कोशिस करने लगा तो मैं उठ कर खड़ा हो गया. वो हँसने लगा और बोला - तुम बहुत अच्छे और सुंदर लड़के हो. हम दोनो को ही यहाँ अकेले रहना है इस लिए हम दोनो को ही एक दूसरे की मदद करनी चाहिए. अगर तुम मेरा कहना मानोगे तो तुम्हारी नौकरी जल्दी ही लग जाएगी और मैं तुम को हमेशा खुस रखूँगा. मैं समझ गया कि वो क्या कहना चाहता है लेकिन मैं क्या करता, मैं मजबूर था, पूरी तरह उस पर निर्भर था. वो खाना खाने के बाद सो गया और 4,30 बजे उठा. उस ने मुझे अपने बिस्तर मे घसीटा और मेरे सारे कपड़े उतार दिए और मेरे साथ............. मेरे साथ...........