hotaks444
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एक दिन आंजेलीना ने मुझे अपने घर के पास की होटेल मे डिन्नर के लिए इन्वाइट किया और कहा कि ये मेरे लिए सर्प्राइज़ है और वो मेरी मा से इस की पर्मिशन ले लेगी. वो हमारे घर रात मे करीब 8.30 आई और हम मेरी मा से पूछ कर साथ साथ डिन्नर के लिए रवाना हो गये. वो सच मे सर्प्राइज़ था. रमेश होटेल मे हमारा इंतेज़ार कर रहा था.
रमेश – ” ये डिन्नर मेरी तरफ से है. जूली के साथ नये रिश्ते की सुरुआत के लिए.”
मैं सब समझ गई पर मैं कुछ नही बोली.
रमेश ने सब के लिए बियर का ऑर्डर दिया और हम ने साथ मे चियर्स किया.
अचानक रमेश ने मेरा हाथ पकड़ा और बोला ” जूली, मुझे आंजेलीना से पता लगा कि तुम मुझे पसंद करती हो और आज मैं सीधे तुम से, आंजेलीना के सामने कहता हूँ कि मैं भी तुम को बहुत पसंद करता हूँ. मैं कहना चाहता हूँ…. आइ लव यू.”
उसके ये सुनहरे शब्द मेरे कान मे पहुँचे और मैं यहाँ बता नही सकती कि मुझे कितना अच्छा लगा था. मैं कुछ बोल नही पा रही थी और आंजेलीना मुश्करा रही थी. मैने धीरे से अपनी गर्दन हिलाई और कहा ” आइ लव यू टू.”
हम तीनो बहुत खुस थे और हम ने इधर उधर की बातें करते हुए डिन्नर किया.
अगले दिन से ही हमारे बर्ताव मे परिवर्तन आ गया था. हम दोनो आपस मे खुल कर बातें करने लगे थे. उस ने कई बार मेरी गंद पर हाथ फिराया था और कई बार मेरी चुचियों को भी दबाया था. जब मौका मिलता, हम चुंबन भी करते थे. जब भी वो मुझे हाथ लगाता, मुझे अच्छा लगता था. आंजेलीना हमेशा हम को अकेले रहने का मौका देती थी. मैने रमेश को अपने घर भी बुलाया और अपने मा – बाप और चाचा से मिलवाया था. मेरे चाचा ने कहा कि लड़का बहुत अच्छा है. मेरे चाचा ने कहा कि वो कभी भी शादी नही करेंगे और मरते दम तक मुझ से प्यार करते रहेंगे. मगर मेरे सामने मेरी पूरी जिंदगी है और उन्होने मेरी आने वाली जिंदगी के लिए सूभकामनाएँ दी. उन्होने मुझ से ये भी कहा कि जिंदगी मे खुस रहने के लिए मौका देख कर उसको अपने बारे मे सब सच सच बता दूं. अपने लाइफ पार्ट्नर से कुछ भी च्छुपाना अच्छी बात नही है.
मैं भी रमेश के घर पर गई थी और उस के पेरेंट्स से मिली थी. उस के पापा रिटाइर्ड आर्मी ऑफीसर है और एक सेक्यूरिटी एजेन्सी चलाते थे. उस की मा बहुत ही अच्छी लगी मुझे. स्वीट, बिल्कुल मेरी अपनी मा की तरह.
अब तो कॉलेज मैं भी सब को पता चल चुका था क्यों कि हम हमेशा साथ साथ रहते थे. इसी तरह हमारे दिन प्यार मे गुजरने लगे थे. यहाँ मैं एक बात बताना चाहूँगी कि अब तक हम दोनो ने एक दूसरे को पकड़ा था, दबाया था, चुंबन लिया था पर कभी भी चुदाई नही की थी. चुदाई के लिए ना उस ने कभी कहा ना कभी मैने कहा.
हम कॉलेज की ट्रिप पर करीब 40 स्टूडेंट्स मनाली जा रहे थे. ट्रेन मे हमारा रिज़र्वेशन 3 टीएर ए/सी मे था. हम ने ट्रेन मे डिन्नर किया और ग्रूप बना कर बातें कर रहे थे. ए/सी की वजह से डब्बे मे थोड़ी सी ठंडी थी. मैं और रमेश पास पास मे एक ही कंबल ओढ़ कर बैठे हुए थे. आंजेलीना हमारे सामने की सीट पर बैठी थी. रमेश ने कंबल के अंदर से कई बार मेरी चुचियों को दबाया था. कुछ देर बाद एक एक कर के सब लोग अपनी अपनी बर्थ पर सोने चले गये. सिर्फ़ मैं और रमेश ही कंबल ओढ़ कर बैठे थे. मुझे नीचे की बर्थ पर सोना था और रमेश को बीच की बर्थ पर. आंजेलीना उपर की बर्थ पर सोने चली गई. क्यों कि हम ने बीच की बर्थ नही खोली थी इस लिए हम आराम से बैठ सकते थे नीचे की बर्थ पर और धीरे धीरे बातें कर रहे थे. लाइट्स बंद हो गई थी और डब्बे मे नाइट बल्ब की रोशनी थी.
रमेश ने कंबल के अंदर अपने दोनो हाथ बढ़ा कर मेरी दोनो चुचियों को पकड़ लिया और धीरे धीरे उनको दबाने लगा. वो बड़े प्यार से मेरी चुचियों को दबा रहा था और मालिश कर रहा था. मुझे उस को चूमने का बहुत मन हुआ पर मैं ऐसा कर नही सकी क्यों कि नाइट बल्ब की रोशनी मे किसी के देख लेने का डर था. मैं जीन्स और टी-शर्ट पहने हुए थी. वो भी जीन्स और टी-शर्ट पहने हुए था. उस ने धीरे से मेरे कान मे मुझे अपनी टी-शर्ट उतारने को कहा. मैने भी धीरे से जवाब दिया ” नही, कोई देख लेगा. हमारे बारे मे सब को पता है. क्या पता कोई देख ही रहा हो हम को.”
वो अपना एक हाथ मेरे पीछे ले गया, नीचे से मेरी टी-शर्ट मे हाथ डाला और मेरी ब्रा का हुक खोल दिया. फिर उसने अपना हाथ आगे से मेरी टी-शर्ट मे डाला और मेरी नंगी चुचियों को पकड़ लिया. मेरी चुचियों के निपल्स टाइट हो गये और वो मेरी चुचियों को, मेरी निपल्स को दबाने लगा. पहले तो धीरे धीरे दबाया लेकिन फिर ज़रा ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा. मैं गरम होने लगी थी और मेरी चूत गीली होना सुरू हो गयी थी. मैने भी अपना हाथ उस के पैरों के बीच की तरफ बढ़ाया. उसने अपने पैर थोड़े चौड़े कर लिए और मैने उस की पॅंट की ज़िप खोल दी. मैने अपना हाथ और आगे बढ़ाया और उसके खड़े हुए, तने हुए गरम लंड को उसकी चड्डी के होल से बाहर निकाल लिया. ये पहली बार था कि मैने अपने चाचा के सिवाय किसी और का लंड पकड़ा था. वो 21 साल का जवान था और मुझे उसका लंड अपने चाचा के लंड से थोड़ा मजबूत लगा. उस के लंड के आगे का भाग भी गीला था. ना तो वो मेरी चुचियों को ही देख पा रहा था और ना मैं उसके तने हुए लंड को ही देख पा रही थी, क्यों कि सिर्फ़ हमारा सिर ही कंबल के बाहर था, मेरी नंगी चुचियाँ और उसका नंगा लंड कंबल के अंदर थे. मैने उस के लंड की आगे की चॅम्डी नीचे की और उसके लंड को पकड़ कर आगे पीछे…. उपर नीचे करने लगी. मैं उसके लंड पर मूठ मार रही थी और मज़े मे उसकी आँखें बंद होने लगी और उसने मेरी चुचियाँ ज़ोर ज़ोर से दबानी सुरू करदी.
अपना एक हाथ उसने मेरी जीन्स की ज़िप की तरफ बढ़ाया और मेरी ज़िप खोल दी. मैने अंदर चड्डी पहन रखी थी इसलिए उसने अपनी उंगलियाँ मेरी चड्डी के उपर से ही मेरी चिकनी और गीली चूत पर घुमाई. मेरी चड्डी मेरी चूत के उपर मेरी चूत के रस से गीली थी. उसने मेरी चूत की मालिश मेरी चड्डी के उपर से ही की और फिर मेरी चड्डी की साइड से अपनी उंगली मेरी चूत के मूह तक ले गया. वो मुझसे बोला कि बाथरूम चलते है, आगे का काम वहीं करेंगे आराम से. पर मैने ये कहते हुए मना कर्दिया कि हम आपस मे चुदाई पूरे अकेलेपन मे करेंगे फिर कभी जब भी मौका मिलेगा. इस वक़्त तो मैने उस से कहा कि हम एक दूसरे के लंड और चूत पर हाथ से ही मज़ा देंगे और लेंगे, हाथ से ही एक दूसरे की चुदाई करेंगे, ये ही ठीक रहेगा. वो थोड़ा सा उदास हुआ लेकिन मेरी बात मान गया.
रमेश – ” ये डिन्नर मेरी तरफ से है. जूली के साथ नये रिश्ते की सुरुआत के लिए.”
मैं सब समझ गई पर मैं कुछ नही बोली.
रमेश ने सब के लिए बियर का ऑर्डर दिया और हम ने साथ मे चियर्स किया.
अचानक रमेश ने मेरा हाथ पकड़ा और बोला ” जूली, मुझे आंजेलीना से पता लगा कि तुम मुझे पसंद करती हो और आज मैं सीधे तुम से, आंजेलीना के सामने कहता हूँ कि मैं भी तुम को बहुत पसंद करता हूँ. मैं कहना चाहता हूँ…. आइ लव यू.”
उसके ये सुनहरे शब्द मेरे कान मे पहुँचे और मैं यहाँ बता नही सकती कि मुझे कितना अच्छा लगा था. मैं कुछ बोल नही पा रही थी और आंजेलीना मुश्करा रही थी. मैने धीरे से अपनी गर्दन हिलाई और कहा ” आइ लव यू टू.”
हम तीनो बहुत खुस थे और हम ने इधर उधर की बातें करते हुए डिन्नर किया.
अगले दिन से ही हमारे बर्ताव मे परिवर्तन आ गया था. हम दोनो आपस मे खुल कर बातें करने लगे थे. उस ने कई बार मेरी गंद पर हाथ फिराया था और कई बार मेरी चुचियों को भी दबाया था. जब मौका मिलता, हम चुंबन भी करते थे. जब भी वो मुझे हाथ लगाता, मुझे अच्छा लगता था. आंजेलीना हमेशा हम को अकेले रहने का मौका देती थी. मैने रमेश को अपने घर भी बुलाया और अपने मा – बाप और चाचा से मिलवाया था. मेरे चाचा ने कहा कि लड़का बहुत अच्छा है. मेरे चाचा ने कहा कि वो कभी भी शादी नही करेंगे और मरते दम तक मुझ से प्यार करते रहेंगे. मगर मेरे सामने मेरी पूरी जिंदगी है और उन्होने मेरी आने वाली जिंदगी के लिए सूभकामनाएँ दी. उन्होने मुझ से ये भी कहा कि जिंदगी मे खुस रहने के लिए मौका देख कर उसको अपने बारे मे सब सच सच बता दूं. अपने लाइफ पार्ट्नर से कुछ भी च्छुपाना अच्छी बात नही है.
मैं भी रमेश के घर पर गई थी और उस के पेरेंट्स से मिली थी. उस के पापा रिटाइर्ड आर्मी ऑफीसर है और एक सेक्यूरिटी एजेन्सी चलाते थे. उस की मा बहुत ही अच्छी लगी मुझे. स्वीट, बिल्कुल मेरी अपनी मा की तरह.
अब तो कॉलेज मैं भी सब को पता चल चुका था क्यों कि हम हमेशा साथ साथ रहते थे. इसी तरह हमारे दिन प्यार मे गुजरने लगे थे. यहाँ मैं एक बात बताना चाहूँगी कि अब तक हम दोनो ने एक दूसरे को पकड़ा था, दबाया था, चुंबन लिया था पर कभी भी चुदाई नही की थी. चुदाई के लिए ना उस ने कभी कहा ना कभी मैने कहा.
हम कॉलेज की ट्रिप पर करीब 40 स्टूडेंट्स मनाली जा रहे थे. ट्रेन मे हमारा रिज़र्वेशन 3 टीएर ए/सी मे था. हम ने ट्रेन मे डिन्नर किया और ग्रूप बना कर बातें कर रहे थे. ए/सी की वजह से डब्बे मे थोड़ी सी ठंडी थी. मैं और रमेश पास पास मे एक ही कंबल ओढ़ कर बैठे हुए थे. आंजेलीना हमारे सामने की सीट पर बैठी थी. रमेश ने कंबल के अंदर से कई बार मेरी चुचियों को दबाया था. कुछ देर बाद एक एक कर के सब लोग अपनी अपनी बर्थ पर सोने चले गये. सिर्फ़ मैं और रमेश ही कंबल ओढ़ कर बैठे थे. मुझे नीचे की बर्थ पर सोना था और रमेश को बीच की बर्थ पर. आंजेलीना उपर की बर्थ पर सोने चली गई. क्यों कि हम ने बीच की बर्थ नही खोली थी इस लिए हम आराम से बैठ सकते थे नीचे की बर्थ पर और धीरे धीरे बातें कर रहे थे. लाइट्स बंद हो गई थी और डब्बे मे नाइट बल्ब की रोशनी थी.
रमेश ने कंबल के अंदर अपने दोनो हाथ बढ़ा कर मेरी दोनो चुचियों को पकड़ लिया और धीरे धीरे उनको दबाने लगा. वो बड़े प्यार से मेरी चुचियों को दबा रहा था और मालिश कर रहा था. मुझे उस को चूमने का बहुत मन हुआ पर मैं ऐसा कर नही सकी क्यों कि नाइट बल्ब की रोशनी मे किसी के देख लेने का डर था. मैं जीन्स और टी-शर्ट पहने हुए थी. वो भी जीन्स और टी-शर्ट पहने हुए था. उस ने धीरे से मेरे कान मे मुझे अपनी टी-शर्ट उतारने को कहा. मैने भी धीरे से जवाब दिया ” नही, कोई देख लेगा. हमारे बारे मे सब को पता है. क्या पता कोई देख ही रहा हो हम को.”
वो अपना एक हाथ मेरे पीछे ले गया, नीचे से मेरी टी-शर्ट मे हाथ डाला और मेरी ब्रा का हुक खोल दिया. फिर उसने अपना हाथ आगे से मेरी टी-शर्ट मे डाला और मेरी नंगी चुचियों को पकड़ लिया. मेरी चुचियों के निपल्स टाइट हो गये और वो मेरी चुचियों को, मेरी निपल्स को दबाने लगा. पहले तो धीरे धीरे दबाया लेकिन फिर ज़रा ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा. मैं गरम होने लगी थी और मेरी चूत गीली होना सुरू हो गयी थी. मैने भी अपना हाथ उस के पैरों के बीच की तरफ बढ़ाया. उसने अपने पैर थोड़े चौड़े कर लिए और मैने उस की पॅंट की ज़िप खोल दी. मैने अपना हाथ और आगे बढ़ाया और उसके खड़े हुए, तने हुए गरम लंड को उसकी चड्डी के होल से बाहर निकाल लिया. ये पहली बार था कि मैने अपने चाचा के सिवाय किसी और का लंड पकड़ा था. वो 21 साल का जवान था और मुझे उसका लंड अपने चाचा के लंड से थोड़ा मजबूत लगा. उस के लंड के आगे का भाग भी गीला था. ना तो वो मेरी चुचियों को ही देख पा रहा था और ना मैं उसके तने हुए लंड को ही देख पा रही थी, क्यों कि सिर्फ़ हमारा सिर ही कंबल के बाहर था, मेरी नंगी चुचियाँ और उसका नंगा लंड कंबल के अंदर थे. मैने उस के लंड की आगे की चॅम्डी नीचे की और उसके लंड को पकड़ कर आगे पीछे…. उपर नीचे करने लगी. मैं उसके लंड पर मूठ मार रही थी और मज़े मे उसकी आँखें बंद होने लगी और उसने मेरी चुचियाँ ज़ोर ज़ोर से दबानी सुरू करदी.
अपना एक हाथ उसने मेरी जीन्स की ज़िप की तरफ बढ़ाया और मेरी ज़िप खोल दी. मैने अंदर चड्डी पहन रखी थी इसलिए उसने अपनी उंगलियाँ मेरी चड्डी के उपर से ही मेरी चिकनी और गीली चूत पर घुमाई. मेरी चड्डी मेरी चूत के उपर मेरी चूत के रस से गीली थी. उसने मेरी चूत की मालिश मेरी चड्डी के उपर से ही की और फिर मेरी चड्डी की साइड से अपनी उंगली मेरी चूत के मूह तक ले गया. वो मुझसे बोला कि बाथरूम चलते है, आगे का काम वहीं करेंगे आराम से. पर मैने ये कहते हुए मना कर्दिया कि हम आपस मे चुदाई पूरे अकेलेपन मे करेंगे फिर कभी जब भी मौका मिलेगा. इस वक़्त तो मैने उस से कहा कि हम एक दूसरे के लंड और चूत पर हाथ से ही मज़ा देंगे और लेंगे, हाथ से ही एक दूसरे की चुदाई करेंगे, ये ही ठीक रहेगा. वो थोड़ा सा उदास हुआ लेकिन मेरी बात मान गया.