Nangi Sex Kahani दीदी मुझे प्यार करो न - SexBaba
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Nangi Sex Kahani दीदी मुझे प्यार करो न

hotaks444

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दीदी मुझे प्यार करो न

कानपूर से करीब चार घंटे की दूरी पर मोहनगढ़ गाँव है। हम उस गाँव के मूल निवासी थे। हमारे घर में मैं, मेरे माता-पिता, मेरे भैया बस चार लोग ही थे। मेरे पिता पूरे गाँव में अपनी करतूतों के लिए बदनाम थे। वो दिन भर पीते रहते थे और हमेशा ही उनकी किसी न किसी से झड़प हो जाती थी और फिर पूरे घरवाले परेशान रहते। माँ हमेशा पिताजी को समझती पर वो शराब की लत में माँ की बात पे बिलकुल ध्यान नहीं देते। मेरी माँ पिताजी की आदतों से हमेशा दुखी रहती। पिताजी ने उम्र भर कोई अच्छी नौकरी नहीं की और हमारी माली-हालत हमेशा ही ख़राब बनी रही। थोड़ा बहुत हमारे खेत से अनाज का इंतजाम हो जाता था और जैसे-तैसे ही हम अपने जीवन का निर्वाह कर रहे थे। भैया ने गाँव के सरकारी स्कूल से ही दसवीं और बारहवीं की पढाई की थी। फिर उन्होंने कानपूर यूनिवर्सिटी से कॉरेस्पोंडेंस ग्रेजुएशन कम्पलीट की थी और सरकारी नौकरी की तैयारी करते थे। अपनी तैयारी के साथ साथ वो गाँव में बारहवीं तक के बच्चों को ट्यूशन पढ़ते थे। इस तरह कुछ आय भी जो जाती थी और भैया की तैयारी में मदद भी मिल जाती थी।
पिताजी की आदतों ने एक दिन उनकी जान ही ले ली। हम सभी घर पे ही थे की खबर मिली की रोड पे उन्हें किसी गाड़ी ने ठोकर मार दी और वो सड़क पे ही दम तोड़ गए। हमारे पूरे घर में मातम छा गया। हालाँकि उनकी आदतों की वजह से हमें लोगों के सामने काफी जलील होना पड़ा था पर घर में हम दोनों भाई उन्हें पिता-समान ही इज्जत देते थे। हमारी माँ, जो पिताजी की मौत के समय 51 साल की थीं, ने हमेशा हमें पिताजी की इज्जात करनी सिखाई थी और वो खुद भी हमारे सामने पिताजी को कुछ भी बुरा-भला नहीं कहती थीं। जरूर अकेले में वो उन्हें समझाती थीं की वो शराब की आदत छोड़ दें। पर भगवान् को कुछ और ही मजूर था और पिताजी 55 की उम्र में ही हमें छोड़ कर चले गए।

भैया पढ़ने में काफी अच्छे थे और पूरे गाँव में लोग उनकी तारीफ़ करते थे। पिताजी के देहांत के ठीक एक साल बाद भैया को एक अच्छी सरकारी नौकरी मिल गयी और फिर भैया ने माँ और मुझे अपने साथ ही कानपूर शहर बुला लिया। हमने एक 2bhk फ्लैट रेंट पे लिया था जिसका किराया भैया ने कंपनी लीज रेंट करवा दिया था। भैया की उम्र उस समय 25 थी और मेरी 18 और माँ की 52 । मैंने अभी-अभी दसवीं की परीक्षा गाँव के ही विद्यालय से दी थी और फिर कानपूर में एक कॉलेज में बारहवीं के लिए नामांकन करवा लिया। भैया और मेरी उम्र में दस साल का अंतर था और वो मुझे बहुत मानते थे। जॉब के साथ भी जब कभी उन्हें समय मिलता वो मुझे पढ़ते थे। पिताजी के निधन के बाद से माँ थोड़ी उदास-उदास रहती थी।

नौकरी मिलने के बाद से भैया ने घर की सारी जिम्मेवारी ले ली थी और वो हमें किसी भी चीज की कमी नहीं महसूस होने देते थे। कॉलेज ख़त्म होने के बाद मैंने इंजीनियरिंग कॉलेज में नामांकन के लिए तैयारी शुरू कर दी। माँ की तबियत लगातार ख़राब ही हो रही थी। घर पे भैया ने नौकरानी रखी थी जो घर का सार काम कर देती थी। भैया को जॉब करते हुए 4 साल हो गए थे और माँ उनसे अब शादी करने को कहने लगी। पहले तो भैया ने मन किया कुछ दिन पर फिर माँ की बिगड़ती तबियत देख-कर उन्होंने शादी के लिए हाँ कर दी पर उन्होंने शर्त रखी की शादी वो अपनी पसंद की लड़की के साथ ही करेंगे। माँ को इस बात से कोई ऐतराज़ नहीं था।

दो महीनों के अंदर ही उन्होंने अपनी पसंद से शादी कर ली, मेरी भाभी भैया से उम्र में 5 साल बड़ी थी, दरअसल दोनों का प्रेम विवाह था। भाभी अपने घर की सबसे बड़ी थी, उन्होंने अपने भाई-बहनों की पढाई की वजह से देर से शादी करने का फैसला किया था। वो भैया की ही कंपनी में काम करती थीं जहाँ दोनों एक दूसरे से प्यार कर बैठे।
भाभी एक भरे बदन की बेहद गदराई औरत थीं भैया उनके सामने बच्चे जैसे लगते थे। वो बहुत खूबसूरत तो थी ही लेकिन उनके बदन का कसाव दूर से ही दीखता था। मेरी माँ पहले तो इस शादी के खिलाफ थीं पर फिर भैया के जिद के आगे वो मान गयी। भैया, भाभी ने मंदिर में शादी की और हमने हमारे गाँव से किसी को भी नहीं आमंत्रित किया था। शादी के बाद भाभी और भैया दोनों काम पे जाते थे और में अपने कोचिंग। सब कुछ सही चल रहा था। हमने एक नया 3 bhk मकान किराये पे ले लिया था। भैया भाभी एक कमरे में रहते थे, एक में माँ, और एक मुझे मिला था। नयी भाभी के साथ भी मैं बहुत जल्दी घुल-मिल गया था। हालाँकि तब मेरी उम्र बस 19 की थी लेकिन मुझे सेक्स का थोड़ा ज्ञान तो आ ही गया था और भाभी का बदन मुझे काफी आकर्षित करता था। मैं भी खुद के लिए भाभी जैसे ही गदराई बदन के औरत की कामना करता था|
मैं देख सकता था की भैया अब काफी खुश रहते था हो भी क्यों नहीं इतनी मोटी गदराई गाय मिली थी उन्हें बीवी के रूप में। दोनों ऑफिस से आने के बाद खाना खाते ही अपने कमरे में बंद हो जाते थे। और शनिवार और इतवार को तो पूरे-पूरे दिन वो कमरे में ही रहते थे। खैर ऐसा किसी भी नए जोड़े के साथ रहता है शादी के बाद लेकिन शादी के 6 महीने बाद तक यही चल रहा था । भाभी के बदन में और कसाव आ गया था इस बीच और वो और भी ज्यादा गदरा गयी थीं। मैं उन्हें भाभी माँ कहता था जैसा की हमारे गाँव में भाभियों को बुलाते थे। उनके व्यव्हार से ऐसा नहीं लगता था जैसे वो मुझे बिलकुल भी शर्माती हों, वो मुझे एक बेटे की जैसे ही मानती थी । हमेशा मेरी पढाई और मेरे स्वास्थय के लिए पूछती रहती थीं । माँ का भी पूरा देखभाल करती थीं वो और माँ को कोई भी काम नहीं करने देती थीं
घर में सभी खुश थें, इस बीच मेरा नामांकन इंजीनियरिंग कॉलेज में हुआ और मुझे भोपाल जाना पड़ा पढाई करने । मैं 3 महीने में बस एक बार आता था घर और जब भी घर आता था भाभी के बदन की कसावट बढ़ी हुई ही पाता| उन्होंने नौकरी वापस नहीं करने का निर्णय ले लिया था क्यूंकि अब तक भैया की तनख्वाह काफी अच्छी हो गयी थी, भाभी घर का अच्छा ध्यान रखती थी ।


लेकिन मेरी माँ की तबियत अब काफी ख़राब रहती थी, भैया ने उन्हें दिल्ली ले जा करके अच्छे डॉक्टर से भी दिखाया था लेकिन वो ठीक न हो सकीं। मेरे दूसरे साल इंजीनियरिंग में उनका निधन हो गया । भाभी ने बढ़ी हुई जिम्मेवारी तुरंत उठा ली वो मुझसे अब हर हफ्ते एक बार बात करती थी और मेरा ख्याल लेती थीं। भाभी माँ जैसे की मैं उन्हें बुलाता था वो बिलकुल माँ जैसे ही अब मेरा ध्यान रखने लगी।
मैं दिवाली की छुट्टी मैं घर आया था। भाभी ने पूरा घर सजाया हुआ था पर भैया किसी ऑफिस के जरुरी काम से बाहर गए हुए थे और घर पे मैं और भाभी ही बस थे। भाभी को देखते ही मैं थोड़ा असहज हो जाता हूँ क्यूंकि वो बड़ी मादक लगती थीं। लेकिन उन्हें इस बात का बिलकुल भी एहसास नहीं था। उनके शरीर की बनावट कुछ 48 - 40 - 48 हो गयी थी। कैसे भी कपड़े पहने वो, उनके यौवन की मादकता साफ़ झलकती थी। ये पहली बार था जब मैं और वो अकेले थे घर पे। मुझे वो बिलकुल ऐसे लगती जैसे हमेशा ही चुदने के लिए तैयार हो। भैया जरूर भाभी को जम के चोदते होंगे भाभी के लगातार बढ़ते शरीर को देख के ये आसानी से कहा जा सकता था।
 
मैं 6 दिनों की छुट्टी पे आया था और हर दिन मेरी उत्तेजना बढ़ रही थी । भाभी घर में nighty में ही रहती थीं जो की उनके बदन के गदरायेपन को बिलकुल निखार रहा था । पहले ही दिन जब मैं अपने कमरे से सो के बाहर निकला तो देखा वो ड्राइंग हॉल में लेटीं थीं । मुझे देखते ही उन्होंने अपने स्तन पे टॉवल दाल दिया पर वो इतने बड़े स्तन थे की टॉवल के ऊपर से ही मुझे उत्तेजित कर गए। खैर मैं झेप गया और दुबारा कमरे के अंदर चला गया । जिस तरीके से उनके स्तन उभरे हुए थें वो पूरी गाय दिख रही थी। उनके nighty का कलर ट्रांसपेरेंट वाइट था और गोरे बदन की वजह से वो एक भरी-पूरी मांसल औरत दिखती थीं। मैं सोचता था अगर मुझे ये गदराई गाय मिल जाए तो मैं इसे दिन-भर दुहूँगा पर किस्मत तो भैया ने ही पायी थी । मैं उनके बदन से उत्तेजित हो गया था और वो जब भी सामने आती मैं न चाहे भी उनके बदन को आगे से या पीछे से घूरता रहता था ।
भाभी और भैया दोनों ने decide किया की वो बच्चा अभी नहीं चाहते हैं। उन दोनों से फॅमिली प्लानिंग की हुई थी। दुसरे दिन मैंने ऐसे ही बात बढ़ाने के लिए उनके घरवालों के बारे में पूछा - भाभी जानती थी की मुझे ज्यादा पता नहीं था इसलिए वो मुझे बताने लगी। भाभी के घर में उनके माँ-पिता और एक भाई और एक बहन हैं । भाई बहन दोनों की शादी हो गयी है और दोनों खुश हैं अपने जीवन में । फिर मैंने उनसे उनके और भैया के शादी की बात छेड़ दी । वो थोड़ी शर्मा गयीं पर बोलीं की वो और भैया दोनों अपने-अपने घर की जिम्मेवारी संभाल रहे थे जो दोनों को अच्छी बात लगी । यही वजह थी की दोनों को आपस में बात करने के लिए बहुत कुछ होता था ऑफिस में और फिर दोनों करीब आते गए । भाभी मेरे से काफी करीब बैठी थी और ये काफी उत्तेजना से भरा माहौल था । मैंने उनके उम्र की बात भी छेड़ दी । वो थोड़ी झेप गयी पर कहा की उन्हें भी यकीन नहीं था की भैया जो की इतने स्मार्ट दीखते हैं एक बड़ी उम्र की औरत के साथ शादी को तैयार हो जायेंगे । भाभी हालाँकि चाहती थी भैया से शादी करना लेकिन थोड़ी आशंकित भी थी क्यूंकि उनके बीच 5 साल का फर्क था । मैंने भी बात बढ़ाने के लिए उन्हें बताया की कैसे हमारी माँ बिलकुल नहीं चाहती थी की ये शादी हो पर भैया ने जिद करके ये शादी की । मैंने भी भाभी से कहा की वो इतनी खूबसूरत है वो उन्हें शादी के
proposals तो आते होंगे तो उन्होंने कहा की वो ठान चुकी थी की जब तक अपने छोटे भाई बहन की पढाई और शादी नहीं हो जाती वो शादी नहीं करेंगी । उनके माता-पिता हालाँकि जिन्दा थे पर कुछ काम नहीं करते थे । गाँव से अनपढ़ ही शहर आ गए थे, कुछ साल काम किया भी था पर फिर भाभी ने अच्छी नौकरी पकड़ ली तो अपने पिता को काम करने से मना कर दिया क्यूंकि वो काफी छोटे स्तर की नौकरी किया करते थे । अब उनके माँ-पिता की जिम्मेवारी भाभी का भाई उठाता है ।
फिर मैंने उनसे पूछा की क्या वो खुश हैं भैया के साथ तो उन्होंने कहा की आपके भैया से पूछो आप। मैंने तुरंत कहा की भैया तो बहुत खुश होंगे आपके जैसी बीवी पाकर आप इतना ध्यान जो रखती हो उनका (हालाँकि मैं कहना कुछ और चाहता था!)| वो खुश हो गयीं और फिर हमने यूँही इधर-उधर की बात की फिर वो अपने कमरे में चली गयीं और मैं अपने कमरे में।

मैंने ऐसी दूसरी औरतें भी देखीं हैं पर भाभी जैसा confidence किसी मैं नहीं देखा। ज्यादातर ऐसी भरे बदन की औरतें कुछ न कुछ इशारा दे देती हैं लेकिन पिछले 3 सालों में भाभी ने मुझे कुछ भी hint नहीं दिया। हाँ मैं बिना hint के ही उत्तेजित रहता था वो अलग बात है। पर पूरी पतिव्रता थी मेरी भाभी

भाभी मुझे बेटा - बेटा कह के बुलाती थी पर न चाहते हुए मैं मना भी नहीं कर सकता था। वो मम्मी के जाने के बाद और सहज हो गयीं थीं मुझे लेकर और इस बार की छुट्टी में तो मुझे उनका बर्ताव थोड़ा और माँ जैसा लग रहा था । हर कुछ घंटे पे मुझे खाने के लिए पूछती थीं। दिवाली की छुटियाँ बीत गयीं लेकिन इस बार काफी समय बिताया था मैंने भाभी के साथ और उनके बदन के प्रति मेरा आकर्षण बढ़ गया था। मैं वापस तो चला आया पर उनके बदन की चाहत साथ ही रही। खैर मैं अपने पढाई में मसगुल हो गया। इस बीच और भी बार घर आया मैं पर बस कुछ ही दिनों के लिए। मैंने अपनी इंजीनियरिंग कॉलेज की पढाई पूरी की और एक अच्छी कंपनी में नौकरी करने लगा।
मुझे नौकरी करते अभी 1 साल भी नहीं हुआ था की अचानक मुझे भाभी का कॉल आया की भैया का एक्सीडेंट हो गया और उनकी हालत काफी नाज़ुक है । भाभी कॉल पे रो रही थीं, मैंने तुरत अगले ही फ्लाइट से हॉस्पिटल पंहुचा पर तब तक भैया का देहांत हो चूका था । ये हमारे घर के लिए एक बड़ा सदमा था । भाभी और मेरा भतीजा तो रोये जा रहे थे । पूरे क्रिया-क्रम तक भाभी ने कुछ नहीं बोला। भाभी तो बेसुध थी बिलकुल । भाभी के माँ-पिता, उनके भाई और बहन सभी हमारे ही घर आ गए थे ।
सभी बस भाभी को ही चुप कराने में लगे हुए थे । वो लगातार रोये जा रही थी । थकने पे सो जाती थी फिर रोने लगती थी । उन्हें देख-कर मुझे भी रोना आ जाता था । पूरे एक महीने हो चुके थे भैया के death के बाद से - मैंने अपनी छुट्टी बढ़ा ली थी भाभी के भाई और उसकी पत्नी और भाभी के माँ-पिता साथ में ही थे। भाभी की बहन वापस चली गयी थी। सभी काफी परेशान थे की भाभी का भविष्य क्या होगा। एक दिन उनके पिताजी ने और उनके भाई ने (राहुल, जो की उनसे 5 - 7 साल छोटा था) मुझे दूसरे कमरे में बुलाया और वो भाभी के हालत पे चिंता जाहिर करने लगे मैंने उन्हें कहा की वो ठीक हो जाएँगी पर वो दोनों काफी चिंतित थे। मुझे ऐसा लगा जैसे उनलोगों ने कुछ सोच रखा था और मुझे बताने के लिए बुलाया हो। मैंने उन्हें कहा की मैं भाभी को अपने साथ शहर ले जाऊंगा वैसे भी हम यहाँ रेंट पे ही रहते थे। तब भी वो दोनों बहुत सहज नहीं दिखे। राहुल ने कहा की दीदी भैया से बहुत प्यार करती थी और जब तक वो अकेले रहेगी उसे भैया की याद आएगी। फिर मैंने कहा तभी तो मैं उन्हें अपने साथ ले जा रहा हूँ। उन्हें कोई दिक्कत नहीं होगी, जैसे वो पहले खुश रहती थी वैसे ही रहेंगी। फिर उनके पिताजी ने वो बात कह ही दी जिसके लिए उन दोनों में मुझे अलग
बुलाया था - तुम मधु (भाभी का नाम) से शादी कर लो! ये मेरे लिए काफी अचंभित करने वाला था। एक बाप जो किसी काम के लायक नहीं था और एक भाई जिसे भाभी ने खुद इस लायक बनाया था वो भाभी की शादी उनके देवर से ही (जो की 15 साल छोटा था!) करने की बात कह रहे थे। मेरे सामने तुरंत भाभी का रोटा हुआ चेहरा, और उनका गदराया बदन (जो की और निखार गया था बीते सालों में), मेरे भैया, सब मेरे सोच में आने लगे । मैं बिलकुल शांत हो गया कुछ देर के लिए।
राहुल ने बोला की मधु दीदी मेरा काफी ख्याल रखेगी और फिर मुझे इतनी स्वाभाव से अच्छी बीवी नहीं मिलेगी। राहुल के पिता ने भी भाभी की तारीफ की और मुझे प्यार से समझाने लगे। मुझे समझ ने नहीं आ रहा था। मैंने उन दोनों को कहा पर वो मेरी भाभी माँ है और मेरे से इतनी बड़ी हैं उम्र में (भाभी की उम्र तब 38 साल की थी और मैं 23 साल का)। ये शादी नहीं हो सकती चाहे हम लोग कितना भी चाहे। राहुल ने तपाक से कहा की भाभी थोड़े ही न माँ होती है मैं तुम्हारी जगह होता तो उम्र के लिए तो बिलकुल भी नहीं सोचता। मधु दीदी इतनी खूबसूरत हैं की जिसे चाहे वो शादी करने को तैयार हो जाए हम तो बस चाहते हैं की घर की इज्जत घर में ही रहे और तुम तो कमाते भी हो, तुम्हे ये बोझ भी नहीं लगेगा। दीदी जैसे तुम्हारे भैया का ख्याल रखती थी तुम्हारा भी रखेगी। अभी उसे कोई बच्चा भी नहीं है, जो बच्चा होगा वो तुझसे ही होगा। (ये बात मुझे बहुत उत्तेजित कर गयी)| मुझे समझ में नहीं आ रहा था, वैसे भी मैंने भाभी को साथ शहर ले जाने की बात कही थी। अगर मैं शादी किसी और से भी करता तो भी मुझे जीवन भर भाभी का देखभाल करना ही था और शायद यही डर था इन बाप-बेटे को जिसकी वजह से वो चाहते थे मैं शादी ही कर लूं।

मेरी असमंजसता से उन दोनों को hint तो मिल ही गया था। राहुल की पिता ने कहा की अगर मैं सहमत हूँ इसके लिए तो वो मधु (अपनी बेटी, मेरी भाभी) से आज ही बात करेंगे और फिर परसों कोर्ट में दोनों का निकाह करवा दिया जायेगा। (दरअसल उनलोगों का भी जीवन अस्त-व्यस्त हो गया था इसमें, करीब एक महीने आने को थे और भाभी बिलकुल भी नहीं समझ रही थी। मुझे भी ऑफिस से कॉल्स आ रहे थे वापस आने के लिए। मैं छुट्टी पे छुट्टी ले रहा था)| हालाँकि मैं इस बात से उत्तेजित भी था की भाभी जैसे गदराये बदन की औरत मुझे मिल रही थी बीवी के रूप में पर मुझे कतई नहीं लगा की ये हो पायेगा सो मैंने उन दोनों को हाँ कह दिया।
राहुल और राहुल के पिता दोनों काफी खुश हो गए और उनके पिता ने मेरे पीठ पे हाथ रखते हुए कहा की वो कभी इस एहसान को भूल नहीं पाएंगे। राहुल ने मुझे थैंक यू जीजाजी बोला और फिर दोनों कमरे के बाहर चले गए। मैं बिलकुल खामोश बहुत सारे सोच में खो गया। मुझे इस बात की बेहद सुखानोमिति हो रही थी की एक दुधारू गाय मुझे जीवन भर के लिए मिल रही थी और जिससे मैं हमेशा उतेज्जित रहूँगा। मैं हमेशा से भाभी जैसे ही औरत से शादी करना चाहता था पर भाभी खुद मुझे मिल जायेगी ये मुझे तनिक भी उम्मीद नहीं थी। शाम तक राहुल और उसके पिता ने भाभी को छोड़ कर सबसे बात कर ली, भाभी से बात करने के लिए राहुल ने अपनी दीदी (जो की भाभी से 2 - 3 साल छोटी थी) को बुला लिया| मैं अपने काम में व्यस्त था और रह-रह कर भाभी का सुन्दर चेहरा और उसका मांसल बदन मेरे सामने आ जाता और मुझे उत्तेजित कर जाता।
 
जब राहुल की छोटी दीदी (सुमन) आयी शाम में तो मुझे लग गया जैसे की आज रात ही ये लोग सब फैसला कर देंगे। मैं बगल वाले कमरे में ही था जब भाभी के घर वाले उन्हें समझा रहे थे। भाभी बिलकुल कुछ नहीं बोल रही थी और थोड़ी-थोड़ी देर पे रोने भी लगती थी। सुमन ने भाभी से कहा की वैसे भी तुम्हे सुनील (मेरा नाम) के साथ ही जीवन भर रहना होगा, बेहतर होगा यदि तुम दोनों शादी कर लो। तभी राहुल ने बोला की सुनील इस बात के लिए राजी है। तब मैंने भाभी की आवाज़ सुनी वो बोली की सुनील को इस बात की समझ नहीं है वो तो अभी बच्चा है। (ये मुझे उनके तरफ से हाँ जैसे लगी)। राहुल के पिता ने मेरी तारीफ करते हुए कहा की वो कमाता है, इतना जिम्मेवार है खुद ही कह रहा था भाभी को शहर ले जा के साथ रखूँगा। बिलकुल शादी का प्रस्ताव मैंने और राहुल ने रखा था पर वो तुम्हारी जिम्मेवारी के लिए तो वैसे भी तैयार था। वैसे भी उसे तुम्हारी इतनी खूबसूरत बीवी कहाँ मिलेगी सो वो तुरंत मान गया। मैं समझ रहा था राहुल और उनके पिता की चाल वो शादी को बस एक मजह फॉर्मेलिटी की तरह पेश कर रहे थे। ये करीब घंटे भर चला पर मैं तब तक सो गया था।
सुबह सब ने खाना खाया और फिर मुझे भाभी के कमरे में बुलाया गया, भाभी नहा करके बहुत दिनों के बाद काफी फ्रेश लग रही थीं। भाभी के बगल में उनकी बहन सुमन बैठी थी। और मुझे राहुल के माता -पिता ने अपने बीच में सोफे के दूसरी तरफ बैठाया था । उनके पिताजी ने बात की शुरुवात की। मैं एक-टक भाभी को देख रहा था उनके चेहरे पे निरंतर रोने की वजह से थोड़ी उदासी आ गयी थी पर बदन वैसा ही कसा हुआ था। भाभी काफी सीरियस दीख रही थी। जैसा मैं समझ पा रहा था वो इसे बस एक फॉर्मेलिटी के रूप में देख रही थी उन्होंने पति-पत्नी के बीच के संबंधों के बारे में शायद सोचा नहीं था वरना वो मुझपे भी शक करती। वो शर्मिंदगी तो महसूस कर रही थी लेकिन उनकी शर्मिंदगी मुझे इस बात में फसाने को ले के थी। वो शर्मिंदा थीं की उनके पिता और भाई ने मुझे उनसे शादी करने की बात कही थी। राहुल के पिता ने मुझे पूछा की क्या मुझे कोई आपत्ति है इस शादी को लेकर तो मैंने कहा की मैं भाभी माँ को हमेशा खुश रखूँगा और भाभी माँ जैसा चाहेंगी वैसे ही करूँगा। राहुल की माँ ने तुरंत कहा की मैं उन्हें मधु बुलाऊँ और न की भाभी माँ। मैंने कहा माँ जी मैं अपनी मधु को हमेशा खुश रखूँगा| मैं देख सकता था की भाभी की आँखों से आंसूं छलक आये। फिर राहुल के पिताजी ने भाभी से कहा की क्या उन्हें कोई आपत्ति है तो भाभी ने भी अपने सर को ना में इशारे से घुमाया। फिर क्या था राहुल और सुमन दोनों ने मुझे जीजाजी कह के congratulate किया और भाभी की और देख के मुझसे कहा की जीजाजी हमारी दीदी का पूरा ख्याल रखना ।

अगले ही दिन हमारी कोर्ट में शादी हुई और फिर मंदिर होके हम सब लोग शाम को घर पे वापस लौट आये । हमने किसी भी दूसरे जन को पता नहीं चलने दिया था यहाँ तक की हमारे मकान-मालिक भी अनभिज्ञ थे इस बात से। भाभी के कमरे को सुमन ने सजा दिया था और रात में मुझे भाभी के कमरे में ही सोना था । मेरी तो हालत काफी ख़राब थी। उत्तेजना से परिपूर्ण मैं बैचैन था की रात कब आएगी पर मुझे ये भी नहीं पता था की भाभी कैसे रियेक्ट करेगी। मेरे दिमाग में शहर वापस जाने को लेकर काफी ख़ुशी थी क्यूंकि यहाँ तो काफी लोग थे लेकिन शहर में बस मैं और मेरी गदराई गाय होगी फिर तो मैं उन्हें दिन-भर चोदूँगा। रात आ गयी और जब मैं अंदर कमरे में जाने लगा तो सुमन और राहुल ने मुझे thumps up का सिग्नल दिया। सुमन ने मेरे हाथ में दूध का गिलास दिया और बोला की भाभी मेरा इंतज़ार कर रही है।

जब मैं अंदर आया तो भाभी मुझे देख के रोने लगी, मैंने उन्हें समझाते हुए कहा की भाभी माँ अगर आप नहीं चाहेंगी तो मैं कुछ नहीं करूँगा। मैंने तो आपके हित के लिए ही शादी के लिए हाँ कर दिया था। पर वो रोती रहीं। मैंने बहुत समझाया पर वो बिलकुल एक बेसुध औरत की तरह रोती ही रहीं। वैसे मैं इतने करीब था अपनी काम-इच्छा की तृप्ति के लिए लेकिन मैंने संयम से काम लेना जरुरी समझा और उनके पास बैठ के उनके
गालों से आसुओं को हाथ से पूछने लगा फिर मैंने उनके माथे पे एक चुम्बन दी। पहली बार मैं उनके शरीर को स्पर्श कर रहा था। जब मैंने उनके गालों पे हाथ रखा तो मुझे अजीब सुख की अनुभूति हुई। इतनी मुलायम थी उनकी त्वचा। फिर मैंने धीरे से उनके दोनों कन्धों पे हाथ रख के उन्हें लिटा दिया। मैंने उनसे पूछा की अगर वो साड़ी चेंज करना चाहती हैं तो मैं हेल्प कर देता हूँ। उन्होंने कुछ बोला नहीं। मैं बगल में लेट गया और उनके गालों पे आंसू पोछते हुए हाथ फेरने लगा।
मेरे अंदर असीम उत्तेजना का संचार हो रहा था । मैंने हिम्मत करके अपने हाथ को उनके होठों के बीच ले जा करके होठों को एक-दूसरे से अलग किया और फिर अपने होठों को उनके करीब ले जाने लगा। भाभी ने जैसे फुर्ती से अपने चेहरे को दूसरे तरफ कर लिया पर कुछ बोला नहीं। मैंने भी जिद नहीं की। मैं अपने हाथ को भाभी के विशाल स्तनों के ऊपर फेरने लगा और उनके ब्लाउज के हुक को खोलने लगा तभी भाभी दूसरी तरफ मुँह करके रोने लगी। उनके स्तन इतने बड़े थें की मैं रुक नहीं पाया और उनके रोते हुए भी मैंने उनके स्तनों को ब्लाउज से बाहर कर दिया और उन्हें अपनी तरफ घुमा के बोला की भाभी आप रो क्यों रही हैं।मुझे अच्छा नहीं लग रहा है। मैंने अपने हाथों से उनके स्तनों को धीरे धीरे सहला रहा था। वो शायद सोच रही थी की ये अभी बोल रहा था बिना उनकी मर्ज़ी के कुछ नहीं करेगा और अभी उनके स्तनों को सहला रहा है जबकि भाभी नहीं चाहती थी। सो मैंने तुरंत उन्हें सॉरी बोल उनके ब्लाउज को दुबारा लगा दिया, पर वो स्तन इतने बड़े थे की दुबारा ब्लाउज लगाने में बड़ी दिक्कत आयी। मैंने फिर भाभी से माफ़ी मांगते हुए कहा की आपका बदन ही ऐसा है की मैं फिसल गया और फिर मैं दूसरी तरफ मुँह करके सो गया।
अगली सुबह सभी अपने-अपने घर वापस जाने की तैयारी में थे। उन सबको पता थी की भाभी बिलकुल भी खुश नहीं हैं पर उन्हें इसके अलावा कोई और उपाय भी नहीं दिख रहा था। शाम में मैं और भाभी फ्लाइट से दिल्ली आ गए। राहुल ने घर को खाली करने और सारे सामान को ट्रांसपोर्ट करने की जिम्मेवारी ले ली। जब भाभी के घर के लोग जाने लगे तो मुझे बुलाकर थैंक यू कहा और बोला की मधु थोड़ी उदास है पर धीरे धीरे खुश हो जाएगी और फिर हमारे जीवन में बहुत ख़ुशी आएगी ।
रात तक हम दिल्ली (जहाँ मैं जॉब करता था) में थे, मैंने अपने मकान-मालिक को बता दिया था की भाभी भी मेरे साथ रहने आ रहे हैं। मैंने 2bhk फ्लैट ले रखा था लेकिन मुझे इस बात का डर था की कहीं भाभी और मेरी शादी की बात सबको न पता चल जाए। पता नहीं क्यों मुझे ऐसा लग रहा था की लोग इसे सही नहीं मानेंगे। मेड ने रात का खाना बना दिया था और मैं और भाभी खा के दूसरे कमरे में सोने के लिए आ गए।
भाभी ने nighty चेंज कर ली और मैंने बॉक्सर डाल लिया। भाभी के बदन की विशालता को उनकी nighty बिलकुल नहीं संभाल पा रही थी। मैंने भाभी को पहली बार इस nighty में देखा था| nighty पूरी खींची हुई लग रही थी । एक तरफ को उनके स्तनों के उभार की वजह से वो काफी आगे तक आयी हुई थी और फिर उनके नितम्बों के विकास के वजह से काफी पीछे तक खींची हुई थी। वो एक विशाल चुड़क्कड़ औरत की तरह लग रही थी उस nighty में । मैंने उनसे पूछा की उनके पास और nighty है की नहीं- तो उन्होंने ना में सर हिलाया । मैंने कहाँ की कहीं ये फट न जाए पूरा खिंच गया है आपके बदन के फैलाव की वजह से। उन्होंने सर झुकाते हुए कहा की सूरज (मेरे भैया) ने जान-बूझ कर ऐसा लिया था। (भाभी अभी भी मेरे भावनाओं को समझ नहीं रही थी तभी तो उन्होंने ऐसा कहा!)। मुझे ये बात बेहद उत्तेजित कर गयी और मैंने बिना समय गवाएं तुरंत कहा की भाभी माँ किसी भी मर्द को आपके जैसी एक गदराई औरत ऐसे ही तंग कपडे में चाहिए होगी (पहली बार मैंने भाभी के मुँह पे गदराई शब्द का इस्तेमाल किया था!)| भाभी झेप गयी और मैंने भी बात आगे नहीं बढ़ाई। भाभी ने लाइट बंद करने को कहा, मैं हालाँकि लाइट बंद नहीं करना चाहता था क्यूंकि मुझे भाभी के बदन को देखने का मैं कर रहा था। पर मेरे सामने पूरा जीवन पड़ा था और मैं जल्दी-बाज़ी नहीं करना चाहता था।कल की तरह ही मैं और भाभी दूसरी तरफ मुँह करके सो गए। पर मैंने एक तरकीब निकाली की धीरे धीरे मैं भाभी से पति-पत्नी वाली बातें किया करूँगा कुछ दिनों में तो हमें पूरा पति-पत्नी बनना ही है। वैसे भी भाभी ने जब इस रिश्ते के लिए हाँ किया था तो उन्हें ये अपेक्षित भी होगा की हम साथ में सब कुछ करेंगे। सुबह मैंने उन्हें मधु बुलाया वो थोड़ी शर्मायी लेकिन फिर मैंने उनसे कहा की भाभी माँ बुलाना सही नहीं है क्यूंकि हमारा रिश्ता पति-पत्नी का है। पर मैंने उन्हें प्रॉमिस किया की मैं दूसरों के सामने उन्हें भाभी माँ ही बुलाया करूँगा। उन्होंने कुछ कहा नहीं पर उन्हें इस बात पे आपत्ति नहीं दिखी।
8 बजे सुबह नौकरानी आयी और मैंने उसे भाभी माँ से मिलाया और कहाँ की ये अब यहीं रहेंगी। नौकरानी थोड़ी डर गयी क्यूंकि उसे लगा कहीं उसकी जॉब न चली जाए फिर मैंने उसे कह दिया की खाना वो ही बनाएगी, भाभी माँ बस उसे गाइड कर देंगी। और उसे भाभी माँ का पर्सनल काम भी करना है झाड़ू-पोछा के सिवा। मैंने भाभी माँ को अलग बुला कर कह दिया की आप अपने शरीर की मालिश-वालिश भी करवा लिया करना इससे। ब्रेकफास्ट करके मैं ऑफिस के लिए चला गया, पूरे दिन ऑफिस में मैं उत्तेजित रहा। मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था की भाभी जैसी गदराई औरत अब मेरी बीवी थी। मैंने ऑफिस में किसी को भी नहीं बताया था मेरी शादी के बारे में लेकिन उन्हें मैंने ये बता दिया था की भाभी मेरे साथ दिल्ली रहने को आ गयीं थीं|
 
रात को जब मैं वापस आया तो देखा की भाभी ने पूरे घर को अच्छे से सजवा दिया था। हालाँकि काम तो नौकरानी ने ही किया होगा परन्तु घर की सजावट देख कर ऐसा लगा जैसे भाभी धीरे धीरे वापस खुश होने की तरफ थीं। हमनें खाना खाया फिर मैंने पूछा की मधु कैसी लगी नौकरानी तो भाभी ने कहा की अच्छी थी। मैंने फिर कहा की उसे पता तो नहीं चला तो भाभी ने तुरंत कहा बिलकुल नहीं। मैं समझ गया की भाभी नहीं चाहती की किसी को भी ये पता चले। पर वो अकेले में मुझे पति-पत्नी जैसे बात करने को लेके राजी थी हालाँकि वो खुद कुछ बोलती नहीं थीं। मुझे इसी बात से उत्तेजना रहती थी की मैं भाभी से पत्नी की तरह बात कर सकता था।
फिर मैंने उनके nighty की तरफ देख के पूछा की मालती (हमारी नौकरानी) ने कुछ कहा तो नहीं। भाभी बोली की वो कह रही थी ये पहन के बाहर नहीं जाने को, ये यहाँ दिल्ली में चलेगा नहीं! मैंने मुस्कुराते हुए कहा की मधु तुम चाहे कुछ भी पहनो यहाँ चलेगा नहीं; लोग तुम्हे गन्दी नजर से ही देखेंगे। भाभी ने चौंकते हुआ पूछा - क्यों? मैंने उनसे कहा की कभी अपने बदन को देखा है। बिलकुल एक दुधारू गाय जैसी लगती हो तुम! भाभी ने सर झुका लिया। मैंने थोड़े धीरे से कहा कि भैया ने आपकी तबियत से चुदाई की होगी तभी आप इतनी गदरा गयीं हैं। भाभी ने कोई जवाब नहीं दिया और ये उनका इशारा था की वो ये पसंद नहीं कर रही । फिर मैंने उनसे पूछ लिया कि भैया के नाम से नाराज़ गयी क्या? तो उन्होंने कहा की उनका नाम प्लीज मत लीजिये वो मेरे पति थे। मैंने कहा पर मैं कहाँ मना कर रहा हूँ कि वो आपके पतिदेव नहीं थे! वैसे वो मेरे भैया भी थे (और उनके पास आके उनके विशाल स्तनों को हाथ में लेते हुए कहा की) पर उन्होंने ही तो ये हाल किया है आपका- एक औरत से आपको पूरी दुधारू गाय बना दिया है। आप अगर कपड़ों में भी किसी मर्द के सामने आएँगी तो वो बस आपको चोदने की ही सोचेगा। पर ये सौभाग्य मुझे मिला है और ये कहते हुए मैं उनके सर को उठा के उनके आँखों में देखते हुए मुस्कुराया। फिर हम दोनों सो गए। सोते सोते मुझे ख्याल आया की क्यों न नौकरानी का इस्तेमाल करके भाभी के बदन का भोग किया जाए।

अगले दिन मैंने नौकरानी को समय देखकर अलग से हमारी शादी की बात बता दी और ये भी बता दिया की भाभी अभी भी मुझे पति मानने को तैयार नहीं हैं फिर मैंने उसे कुछ पैसों का लोभ देकर मदद करने के लिए कहा। नौकरानी पहले तो थोड़ी घबराई लेकिन फिर उसने पैसों के लालच में हाँ कर दी। मेरे ऑफिस जाने के बाद नौकरानी ने भाभी को बोला की वो उनकी मालिश करेगी। (अब जैसा मुझे नौकरानी ने फ़ोन पे शाम में बताया) भाभी ने खिला-पीला करके सोनू को सुला दिया और फिर खुद nighty में मालती को मालिश करने के लिए अपने कमरे में बुला लिया। मालती ने भाभी को nighty में देखते हुए कहा की मधु भाभी आप उदास क्यों रहती हैं इतना सुन्दर बदन दिया है आपको भगवन ने और आपको क्या चाहिए! जो लिखा था वो तो हो गया अब नया जीवन शुरू करना चाहिए आपको। फिर उसने भाभी के nighty को खोल दिया भाभी अब सिर्फ ब्रा और पैंटी में थीं और खुद के ऊपर चादर डाल लिया था मालती तेल लेकर आयी और भाभी के ऊपर से चादर हटा दिया फिर भाभी ने हटे हुए चादर को जाँघों तक दुबारा रख दिया और कहा की जितने दूर की मालिश करनी है उतना ही खुला रखो! मालती ने कहा की दरवाज़ा बंद है और कोई नहीं आ सकता यहाँ पे। फिर भी भाभी काफी शर्मा रही थीं। मालती ने पीछे करके उनके ब्रा के हुक खोल दिए फिर ब्रा तो दोनों हाथों से पकड़-के कहा की क्या साइज हैं दीदी इनके। भाभी ने शरमाते हुए बोला 48! क्या बदन पाया है दीदी आपने; मालती ने बोला की वो इतने लोगों के यहाँ जाती है पर सबसे बड़ी 42 स्तन वाली ही मिली उसे आज तक। फिर उसने भाभी के विशाल स्तनों पे तेल लगा के मालिश शुरू कर दी। मालती ने भाभी से पूछा की भैया उम्र में उनसे छोटे थे न! भाभी ने हाँ में सर हिलाया। मालती ने कहा मधु दीदी पूछोगी नहीं कैसे पता था मुझे? बिना भाभी के बोले ही मालती ने कहा की कम उम्र के ही लड़के इतनी चुदाई करते है बीवियों की। आपके इतनी गदराई औरत मैंने आज तक नहीं देखी मधु दीदी| वैसे मधु भाभी मेरी समझ से आपको फिर शादी करनी चाहिए। ये हरा-भरा बदन तुरंत बैठ जायेगा अगर इसकी चुदाई बंद हो गयी तो। भाभी ने उसे बोला की क्या बकवास कर रही हो। मालती भांप गयी की वो कुछ ज्यादा बोल गयी पर फिर भी उसने स्तनों को मसलते हुए कहा की इन्हे मसलने वाला कोई तो होना चाहिए। कुछ सालों पहले में ऐसे ही एक जगह जाती थी उनके पति के निधन के बाद वो कुछ सालों में ही बूढी से लगने लगी जबकि अगर उसने शादी की होती तो जवानी फिर भर जाती।
फिर मालती ने भाभी के जाँघों की मालिश शुरू की। भाभी पहली बार उत्तेजित महसूस कर रही थी (ऐसा मालती ने मुझे कहा)। मालती ने बात जारी रखते हुए कहा की आप कहें तो मैं सुनील भैया से बात करुँगी वो आप के लिए एक अच्छा कसरती बदन का लड़का खोज देंगे जो आपके बदन की तबियत से दुहाई करता रहेगा। भाभी ने मालती की तरफ गुस्से से देखते हुआ कहा अब रहने दो और अपने काम पे ध्यान रखो। मालती ने भाभी की नितम्बों पे ज़ोरदार चाटा मारते हुए कहा की मधु भाभी कोई भी मर्द तुमसे शादी करने को तुरंत तैयार हो जायेगा। शुरू के एक-दो साल तो वो बस तुम्हे चोदता ही रहेगा। मैं तो कहूँगी की फिर किसी कम उम्र के लड़के से ही शादी करना आप! भाभी अब पूरे गुस्से में आ गयी थी और डांट कर उसे बाहर जाने को कहा। मालती ने माफ़ी मांगते हुए कहा की उसे लगा की भाभी तो ये बातें अच्छी लग रही हैं। फिर कुछ देर तक घर का काम करने के बाद मालती चली गयी।
शाम को भाभी मेरे से मालती की बुराई कर रही थी बोली की वो अच्छे से काम नहीं करती है। मैंने पूछा ऐसा क्या किया उसने तो वो बोलीं की मुझसे शादी करने को कह रही थी। मैंने कहाँ हाँ उसे पता नहीं है न हमारे बारे में इसलिए| तो भाभी ने कहा पर उसे क्या मतलब? मैंने कहा पर उसने क्या गलत कह दिया मधु! तुम जवान हो कोई भी कहेगा तुम्हे दुबारा शादी करनी चाहिए| आखिर डैडी (भाभी के पिता) और राहुल ने भी तो यही किया न! भाभी थोड़ी शांत हो गयी । मैंने फिर उनकी तरफ देखते हुआ कहा की लगता है आज मालती ने मालिश की है तुम्हारे बदन की, कितना अच्छा लगा होगा उसे तुम्हारे बदन पे हाथ फेर के। मेरी तो तुम्हे देख-कर ही उत्तेजना बढ़ जाती है पर तुम्हे मैं पसंद नहीं इसलिए मैं कुछ करता नहीं। पर मधु मैं इंतज़ार कर सकता हूँ तुम्हारे राज़ी होने का मुझे कोई जल्दी नहीं है। फिर मैंने उनके करीब आके उनके नितम्बों को पीछे हाथ ले जाके दबाते हुए कहा की ये बदन तो है मेरा ही - आज नहीं तो कल।
भाभी ने खुद को मेरे से छुड़ाते हुए कहा की छोड़ दो| मैं भाभी के ब्लाउज को खोलने लगा तो और फिर भाभी को लेटने का इशारा किया । मैंने फिर भाभी के स्तनों को ब्लाउज से बाहर कर दिया और उसे हाथ से धीरे धीरे सहलाने लगा। एक भारी भरखम औरत मेरे सामने अध्नंगी पड़ी थी पर मैं ज्यादा कुछ नहीं कर सकता था। भाभी ने मेरे हाथ से अपना स्तन छुड़ाते हुए ब्लाउज के अंदर उसे समेटने की कोशिश की, पर मैंने उनके ब्लाउज को और खोल दिया। फिर मैंने हिम्मत करते हुए उनके विशाल स्तन को अपने मुँह में ले लिया और थूक लगाने लगा उसपे। इतने बड़े स्तन का बस छोटा सा ही हिस्सा एक बार में मुँह में आ रहा था। मैं भाभी को गाय बुलाता रहा और उनके स्तनों को बारी-बारी से मसलता रहा। मैंने उनके लेटे लेटे ही उनके ब्लाउज और ब्रा हटा दिए थे और नंगे स्तनों को हाथों से जोर-जोर से मसलने लगा था। पता नहीं क्यों वो आज मुझे मना नहीं कर रही थीं। फिर मैं उनके पीठ के बल लिटा करके उनके पेट पे बैठ गया और बड़े आराम से उनके स्तनों का मंथन करने लगा। फिर मैंने झुक कर उनके स्तनों को बारी बारी से मुँह में ले कर थूक लगाने लगा।
मैंने अपने मुँह को उनके दोनों स्तनों के बीच रख-कर गालों पे सहलाने लगा। उत्तेजना के चरम पे मैंने धीरे से उनसे बोला की आप औरत नहीं गाय हैं भाभी माँ। आप मेरी माँ भी होती तो मैं आपकी दुहाई जरूर करता (शायद मैं ज्यादा बोल गया था!)| भाभी ने फिर मुझे बल से खुद के ऊपर से उतार दिया और अपने ब्लाउज का हुक लगाने लगी । मैं चाहता तो बल का इस्तेमाल कर सकता था वैसे भी इतनी गदराई औरत क्या बल लगाती मुझ-से लेकिन मैंने सोचा की इसकी चुदाई इसे खुश करके ही करूँगा। आज जरूर मैंने ज्यादा दूर तक कदम बढ़ाये थे पर भाभी अभी भी अपने शरीर को पूरे तरह देने के मूड में नहीं थी।

अलगे दिन मालती ने भाभी को बिलकुल भी परेशान नहीं किया, मैंने उसे भी समझा रखा था की मेरे पास मेरा पूरा जीवन है मधु के बदन को मथने के लिए और मैं कोई जल्दी-बाज़ी में गलत कदम नहीं उठाना चाहूंगा| पर मालती को हमारे शादी के बारे में बताने का मकसद ही था की वो दिन जल्दी आये जब मैं अपनी गाय को जब चाहे तब जैसे चाहे वैसे दुह सकूँ। मालती ने बात समझ ली थी और वो भी अपने तरीके से भाभी को काम-क्रिया के लिए उत्तेजित कर रही थी ।मालती दिन में रोज़ भाभी को कम-से-कम एक बार शादी के लिए तैयार करती थी और रात में मैं भाभी के बदन को चूमना और उनसे उत्तेजक बातें किया करता था। 3-4 दिनों बाद एक दिन मालती ने भाभी से कहा की उसके पास एक तरकीब है जिस-से उन्हें शादी के लिए सही लड़का भी मिल जायेगा और भाभी के बदन की प्यास भी मिट जाएगी। भाभी ने उसे डांटे हुए कहा की तू फिर बकवास कर रही है। मालती ने फिर भी भाभी के पास जाके उनके स्तनों को दोनों हाथों से छूते हुए कहा की सुनील भैया भी अपनी भाभी माँ के स्तनों का दूध पीना चाहते होंगे। मेरे मानों तो उन्हें ही अपने स्तनों का गुलाम बना लो मधु भाभी! आपकी जवानी को कोई न कोई तो भोगेगा है अच्छा रहेगा आपका देवर ही इसका रसपान करे। इसी बहाने आपका और उनका बंधन भी हो जायेगा और वो हमेशा आपके साथ रहेंगे। (पता नहीं क्यों भाभी चुपचाप ही रही, पर मालती बोलती रही) लेकिन सुनील भैया तो अभी जवान हैं हो सकता है उनकी पसंद काम उम्र की चिकनी लडकियां हों । वैसे तो आजकल सभी मर्द गदराई घोड़ियों को पसंद करते हैं, पर हो सकता है सुनील भैया ऐसे न हों। आप बोलेँ तो मैं उनका मन टटोलूं। मालती ने ये बात भाभी के स्तनों को ब्लाउज के ऊपर से ही मसलते हुए कही । भाभी ने खुद को उससे दूर करते हुआ कहा की तुझे मुझमे क्या दिलचस्पी है तो फिर मालती ने कहा की उसे चिंता है की कहीं लोग भाभी और मेरे साथ रहने को लेकर बातें करनी न शुरू कर दें! भाभी को दिल्ली आये 7 दिन हो गए थे और मालती ने भाभी को बताया की कल ही मकान मालकिन पूछ रही थी की दोनों के बीच कुछ चल तो नहीं रहा है। मैंने तो उन्हें मन कर दिया पर वो कह रही थीं ऐसी गदराई औरत दिन भर जिसके साथ रहती हो वो भला कैसे खुद को संभल पायेगा! आज नहीं तो कल सुनील अपनी भाभी के बदन को भोग ही लेगा। ऐसी अटकलों से अच्छा है की आप खुद ही सुनील भैया को अपना पति बना लो ।
भाभी ने बोला कि तू सुनील को कहाँ से ले आयी इस बीच में? मालती ने नादान बनते हुए पूछा क्यों सुनील भैया में क्या कमी है? कमाते हैं, जवान हैं, आपके बदन से हो सकता है आकर्षित भी हूँ पर कुछ कह नहीं पा रहे हों! भाभी ने इस बार थोड़ी लचक दिखाई बातों में और बोला की अगर मैं सुनील से शादी कर लूँ तो क्या गारंटी है की वो मुझे नहीं छोड़ेगा। हो सकता है किसी खूबसूरत लड़की के लिए मुझे बाद में छोड़ दे। (ये एक बड़ी जीत थी हमारे चाल की)। भाभी के ये कहते ही मालती ने कहा ये तो आप मेरे ऊपर छोड़ दो मैं सुनील भैया का मन टटोल लुंगी अपने तरीके से। वैसे अगर वो स्तनों या फिर नितम्बों के आशिक होंगे तो आपको कभी नहीं छोड़ेंगे क्यूंकि वो आपको जितना चोदेंगे आपके शरीर में उतना ही निखार आता जायेगा। वो आपसे प्यार करे न करे आपके बदन के गुलाम जीवन भर बने रहेंगे। इतना मांसल गोश्त उन्हें और कहाँ मिलेगा।
 
मालती ने भाभी के नितम्बों पे हाथ फेरते हुए कहा की चलो आज तुम्हारी गरमा-गरम मसाज करती हूँ। और फिर बिलकुल गाय की तरह भाभी को खींचते हुए मालती मालिश के लिए बिस्तर पे ले आती है। मेरी गाय जैसी भाभी आज मैं तुम्हे एक अच्छी गरम मालिश करती हूँ। और फिर मालती ने भाभी के कपड़ों को हटा कर पूरी नंगी कर दिया। उनके स्तनों को मसलते हुए कहने लगी - सुनील भैया जब आपके स्तनों की ऐसी मालिश करेंगे तो कितना मजा आएगा रे मधु घोड़ी। तेरे बदन को तार-तार कर देगा तेरा देवर। सुनील भैया ने भी क्या किस्मत पायी है, इतनी मांसल शरीर की मल्लिका उनकी बीवी बनेगी वो तो ये सोच के ही उत्तेजित रहेंगे हमेशा। (भाभी शायद अब समझ रही थी की क्यों मैं हमेशा उनके बदन के प्रति आकर्षित रहता था। दरअशल उन्होंने कभी ये सोचा ही नहीं था की उनके बदन में ऐसी कोई बात है। मुझे बस वो एक बच्चे की तरह देखती थीं जो थोड़ा नासमझ है और अभी बचपने में उनके बदन से चिपकने की जुगत में लगा रहता है)| उन्होंने मालती से कहा क्यों तुझे कैसे लगता है कि बड़े स्तन और बड़े नितम्ब पुरुषों को आकर्षित करते हैं। मधु दीदी एक बात बताओ भैया (उनके पति) उन्हें कितनी बार दिन में चोदते थे? भाभी शर्मायी पर कहा - 3 /4 बार । देख लो ज्यादार मर्द बीवी को एक बार ही तो चोदते हैं रात में। पर आपके पति आपको जब भी मौका मिलता होगा चोदते होंगे! है की नहीं?और सुनील भैया तो आपके बदन को छोड़ेंगे ही नहीं । उनकी उम्र ही क्या है! 25 साल भी नहीं होंगे अभी तो! - भाभी ने बोला 23 है सुनील की उम्र । (ये दूसरी जीत थी वो मालती से और सुनना चाहती थी)। मालती ने भाभी को पेट के बल पलट के विशाल उभरे नितम्बों पे तेल लगते हुए कहा और तुझे क्या चाहिए मधु दीदी 23 साल का लड़का इस बदन का मालिक होगा। सुनील भैया जैसा ही कोई जवान मर्द तेरे बदन की जरुरत पूरी कर सकता है। मधु दीदी तुम उसकी गाय बन जाना और वो तुम्हे जम के दुह दिया करेंगे। सुनील भैया के उम्र के मर्दों को बदन का कसाव ही सबसे आकर्षित करता है। ये आजकल के मर्द तो चाहते हैं खूब गदराई औरत मिले उन्हें। दिन भर बिस्तर पे भी पड़ी रहो तो इन्हे कोई फर्क नहीं पड़ता। चोदने के लिए ये तुम्हारे ऊपर चढ़ेंगे और तब इन्हे खुश कर दिया करो फिर दिन भर इनसे ग़ुलामी करवा लो।
मालती ने भाभी को उल्टा करके उनके जाँघों को मसलने लगी। जैसे ही मालती ने अपने हाथ भाभी के चुत कि तरफ ले जाना चाही भाभी ने सख्त मन कर दिया। मालती फिर भाभी के स्तनों का मादन करने लगी और बोली तू इतनी बड़ी घोड़ी है और इतनी शर्मीली। कितना मजा आएगा जब तू बेशरम होक अपने ही देवर से दिन-रात चुदेगी। इस शर्मीलेपन से तू और भी चुदासी लगती है। मालती ने फिर करीब आधे घंटे तक भाभी के बदन कि खूब अच्छे से मालिश कि और बीच बीच में उन्हें मेरा नाम लेकर उतेज्जित करती रही।
शाम 6 बजे जब मालती ने मुझे ये बातें कॉल पे बतायीं तो मुझे यकीन ही नहीं हुआ (मुझे ये काफी बड़ी जीत लगी)। क्यूंकि जैसा मैं समझ पा रहा था भाभी चाहती थीं मैं उन्हें पत्नी के रूप में चाहूँ न कि केवल उनके बदन को। मैं समझ गया कि मुझे अब रात में वो बातें नहीं करनी होगी और उन्हें ये दिखाना होगा कि मैं उन्हें वाकई पत्नी के रूप मैं चाहता था। मैं मालती तो धन्यवाद् कहा और फ़ोन रख दिया। रात में जब मैं घर आया तो भाभी आज थोड़ी खुश भी दिख रही थीं। मैंने पूछा क्या बात है मेरी मधु आज बड़ी खुश दिख रही है तो वो झेप गयीं और अंदर अपने कमरे में चली गयी। मैंने decide कर लिया था कि कोई गन्दी बात नहीं करूँगा और अच्छे से पेश आऊंगा। मैं हम दोनों के खाने के बाद चुप-चाप दूसरी तरफ मुँह करके सो गया।
आज सुबह जब मालती आयी तो मैं घर पे ही था । मालती ने मुझे देखते हुआ कहा कि भैया आप भाभी का ध्यान नहीं रखते । मैंने कहा ऐसा क्यों? - वो बोली भाभी के पास बस एक ही nighty है और देखो वो भी इतनी छोटी, इन्हे बाजार ले जा के इनके साइज के 1 -2 nighty खरीद दो। भाभी ने तब nighty ही पहन रखी थी और उनके स्तन और नितम्ब बिलकुल बाहर निकले जैसे थे (भाभी को हालाँकि मालती कि बात थोड़ी चुभी भी क्यों मालती ने मेरा ध्यान भाभी के शरीर कि तरफ किया था!)। हालाँकि कितनी बार भाभी मालती के रहते हुए भी मेरे सामने इस nighty में रहती थी पर आज उन्हें शर्म सी आयी और वो कमरे में जा कर साड़ी बदल कर आ गयीं। मुझे भी बड़ी शर्म लगी क्यूंकि मुझे खुद ही उन्हें कपड़े खरीदने के लिए कहना चाहिए था। 8 दिन हो गए थे और भाभी घर के बाहर एक भी बार नहीं गयी थी। मैं तो बस उन्हें चुदने वाली मशीन कि तरह सोचा था अब तक पर मुझे एहसास हुआ कि वो भी एक औरत हैं और उनकी भी आकांक्षाएं होंगी । फिर मैंने भाभी से कहा कि शाम में मैं उन्हें बाजार ले जाऊंगा ।

मेरे जाने के बाद मालती ने भाभी से कहाँ - क्यों सुनील भैया को अपने बदन कि नुमाइश करा रही हो मधु घोड़ी। तूने जान बूझ कर भैया के सामने ऐसी तंग लिबास डाली थी न दीदी? खैर भैया बड़े सीधे हैं मैं होती उनकी जगह तो कहती कहाँ छोटी है ये nighty अब शरीर ही भाभी कि इतनी बड़ी है इनके साइज कि nighty आएगी भी कहाँ! भाभी मालती को अनसुना कर रही थी तब मालती ने कहा वैसे ये बात तो आपने देखि होगी- भैया ने तुरंत आपके लिए शाम में बाजार जाने को तैयार हो गए । भाभी ने कुछ नहीं कहा और कुछ देर के बाद मालती काम करके घर चली गयी ।शाम को मैं और भाभी बाजार में थे। हम एक lingerie स्टोर पे गए तो वहां भाभी को देखते ही दूकान वाले ने अपने स्टाफ को इशारा किया सबसे ऊपर वाली 48" के शेल्फ की तरफ। और मेरी तरफ देख के बोला कि आप बाहर वेट कर लें और अपनी माँ को अंदर भेज दें। (मैं और भाभी दोनों चौंक गए 'माँ' शब्द सुन के)! दूकान वाले ने फिर कहा की यहां केवल लेडीज स्टाफ हैं और कोई समस्या नहीं आएगी। मैं वहीँ खड़ा रहा और कुछ देर के बाद भाभी 3 ब्रा 3 पैंटी और 2 nighty ले के बाहर आ गयीं। मैंने पेमेंट किया और फिर हम घर वापस आ गए। रात में भाभी ने आज की खरीदी हुई nighty में से एक पहना और मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ क्यूंकि ये और भी तंग थी। इसमें तो न केवल उनके उभार और बड़े लग रहे थे पर ये थोड़े ट्रांसपेरेंट टाइप की भी थी। मुझे समझ नहीं आया की भाभी ने ऐसा क्यों किया पर मैंने संयम बनाये रखा और इस बारे में कोई बात नहीं की। मुझे पता था की ये मेरी परीक्षा के दिन है और मुझे धैर्य से काम लेना होगा।भाभी आज पहली बार अपने बदन की नुमाइश कर रही थी। वैसे तो वो जल्दी लाइट बंद करने को कह देती थीं पर आज वो चुप चाप लेती हुई थीं। खैर कुछ मिनटों बाद मैंने लाइट बंद कर दी और हम सो गए।

अगले दिन मालती आयी तो भाभी ने वही nighty पहन रखी थी। हमारे घर में दो कमरे थे हालाँकि हम दोनों एक ही कमरे में सोते थे लेकिन दूसरा कमरा हमेशा सजा रहता था ताकि किसी को (मालती को) ये न लगे की हम एक ही कमरे में सोते हैं (वैसे मालती को ये बात पता थी!)। उसने फिर भी जान-बूझकर मुझे सुनाते हुए भाभी से बोला की क्यों डर लग रहा था क्या रात में भैया को भी आपने खुद के कमरे में सुला लिया । भाभी पूरी घबरा गयीं और बोली नहीं तो! मालती ने बोला अच्छा मुझे भैया के कपड़े दिखे इसलिए बोला। मैंने चुप रहना ही मुनासिब समझा। मालती ने फिर भाभी को उनके nighty के लिए भी छेड़ा- लगता है आपके साइज की nighty मिलती ही नहीं है। पर ये तो और भी छोटी लग रही है क्यों दूकान पे try नहीं किया था क्या? भाभी ने झूठ बोला की नहीं।
मेरे जाते ही मालती भाभी के पास आके पीछे से चिपक गयी| अपने दोनों हाथ बढ़ा कर उसने भाभी के स्तनों को पकड़ लिया। भाभी के नितम्बों के फैलाव की वजह से उसके हाथ भाभी के स्तनों के उभार तक नहीं पहुंच पाए पर उसने स्तनों को साइड से ही पकडे हुए आपस में धीरे धीरे रगड़ते हुए बोला की कितनी चुदासी है रे तू। देवर को अपने बदन का गुलाम बना के मानेगी तू तो। पूरी गदराई हुई एक मोटी दुधारू गाय लग रही है तू इस कपड़े में। जिस दिन तूने सुनील भैया को इस बदन से चिपका लिया वो फिर तुझे पल भर के लिए भी अलग नहीं करेगा।वो तो सुनील भैया हैं जो तेरी हरकतों को अनदेखा कर रहे हैं अगर मेरे मर्द के सामने तू पूरे बदन ढक के भी खड़ी हो जाए तो वो तेरे बदन की सारी अकड़न तोड़ दे। मालती ने और जोर से अपनी पकड़ बढ़ाते हुए भाभी को धीरे से बोला की मैं ले चलती हूँ मेरी दुधारू गाय को दुहने। मालती ने पीछे से भाभी के स्तनों को पकडे पकडे ही किचन से बैडरूम में ले आयी। फिर भाभी के स्तनों को पकडे हुए उन्हें virasana के पोज़ में नीचे बैठाते हुए उन्हें उनके nighty के ऊपर के हुक खोलने को कहा। भाभी के नंगे स्तन अब मालती के हाथों के बीच पीस रहे थे। भाभी के स्तन इतने बड़े थें पर दूध से भरे और कठोर थे। मालती भाभी को नहवाने के लिए बाथरूम ले गयी । पर मालती ने स्तनों को पीछे से वैसे ही पकडे रखा था। बाथटब में पहले मालती ने पैर रखा फिर भाभी ने। मालती ने फिर भाभी को उनके अध्खुले nighty को उतार देने को कहा। बाथ-टब के एक कोने पे पीठ टिका के मालती बैठ गयी और खुद के ऊपर भाभी को बैठा लिया। भाभी के चूतड़ के नीचे वो दब से गयी थी। पर वो भाभी के स्तनों का मर्दन लगातार कर रही थी। भाभी के बालों को एक तरफ करके उसने भाभी के गर्दन और गालों को चूमा (जब मालती ने मुझे ये बताया तो आप सोच सकते हैं मेरी क्या हालत हूई होगी!)।
मधु दीदी सच बताओ तुम्हे नहीं मन करता सुनील भैया से चुदवाने का। गबरू जवान हैं वो। वैसे तो तू एक मर्द के लायक है नहीं पर सुनील भैया जवान हैं तेरी बदन की अकड़न ढीली कर सकते हैं वो। मैं तो तेरी जगह होती तो शादी के पहले ही उनसे चुदवा लेती। कितना मज़ा आता अपने पति के भाई के नीचे लेट के! तुम्हारे पति भी तो यही चाहते होंगे की तेरे बदन का मालिक कोई उनका सगा ही हो। मेरी मानों तो सुनील भैया से शादी-वादी की बात छोड़ो, अपने आप को लिटा लो उनके नीचे। देवर-भाभी के रिश्ते में पति-पत्नी वाली मादकता ले आओ। अपनी कोख भर लो अपने देवर के अंश से| दुनिया के लिए तुम दोनों देवर और विधवा भाभी होंगे और घर में दो मादक प्रेमी युगल। (भाभी बिलकुल मना नहीं कर रही थी मालती को बोलने से)। मालती ने फिर भाभी के नितम्बों और जाँघों को भी साबुन लगा के धो दिया फिर भाभी को नंगी बाहर ले आयी और टॉवल से उनके मांसल बदन को पोछने लगी। पूरे बदन को टॉवल से सुखाने के बाद मालती ने भाभी के पूरे शरीर की तेल से मालिश की और फिर मालती अपने घर चली गयी
आज तीसरा दिन था जब मालती ने भाभी के बदन से खेलते वक़्त मेरा नाम लिया था बल्कि उसने केवल मेरा ही नाम लिया था। और भाभी ने कोई आपत्ति नहीं जताई थी। भाभी के nighty के choice को देख-कर मुझे और उनके थोड़े सहज बर्ताव को देख-कर मुझे ऐसा लग रहा था की शायद आज मुझे वो आदर की लकीर लांघ देनी चाहिए। जिस बदन के लिए में शादी के बाद से पिछले 10 -12 से उतेज्जित था उसे भोगने का समय आ गया था। मैंने वियाग्रा की 2 गोली ले ली। भाभी के गदराये बदन नशा मेरे ऊपर सवार हो गया था। मैंने सोच लिया था या तो आज उनकी इच्छा से हमारा सम्भोग होगा या फिर वियाग्रा के नशे में वो मुझसे चुदेंगी। मैंने मालती को देर तक रुकने को कहा और उससे बोला की अगर उसने भाभी को मेरे से आज रात चुदने के लिए राज़ी कर दिया तो मैं उसे आज ही उसको वादा किया हुआ पैसे दे दूंगा।
 
शाम में मालती लेट से 7 बजे घर आयी तो भाभी ने नयी वाली दूसरी nighty पहन रखी थी और स्तनों के उभर को छुपाने के लिए दुपट्टा रख रखा था अपने ऊपर। मालती ने भाभी के पास आके उनके दुपट्टे को हटाते हुए कहा की ये क्या है। भाभी ने कहा वो अच्छा नहीं लगता ऐसे! मालती ने उनके स्तनों को हाथ में लेते हुए कहा क्या अच्छा नहीं लगता! इतने अच्छे तो हैं, अब बड़े हैं तो हैं। जब आप मसलवाती थी इन्हे तब सोचना चाहिए था न। जिस तरीके से आप चुप-चाप बेसुध हो के अपने स्तन मसलवाती हो एक दिन तो ये किसी भी ब्रा में नहीं आएंगे। वैसे भी आज आप भैया से मसलवाओगी इन्हे। भाभी ने झुंझलाते हुए कहा - क्यों बकवास कर रही है तू? मालती: मैं बकवास कर रही हूँ! मुझसे तो दिन भर मसलवाती है भैया से क्या परेशानी है तुझे। दिन भर भैया मेहनत करते हैं तेरा पेट भरने के लिए। आज वो तुम्हे वापस घर भेज दें तो क्या तेरा बाप और तेरा भाई तुझे रखेंगे साथ में। यहां भैया ने महरानी की तरह तुझे रखा हुआ है, जो चाहेगी भैया ला देंगे तेरे लिए, पर तुझे भी तो भैया को तेरे बदन का आशिक बनाना होगा। सोच अगर भैया कल को शादी कर लेते हैं किसी दूसरी औरत से वो कभी भी तुझे यहां नहीं रहने देगी। तुझे घर से बाहर जरूर निकालेगी। मेरी मान लो मधु दीदी - सुनील भैया को अपने जिस्म के सागर में उतर जाने दो (मालती की बात का जैसे भाभी पे असर हो रहा था!)।

कहीं न कहीं भाभी को इस बात का डर था की मैं उन्हें हमेशा अपने साथ नहीं रखूँगा। पर उन्हें इस बात का भी शक था की मैं उनके बदन को बस हवस के लिए इस्तेमाल करना चाहता था, मुझे उनके साथ कोई रूहानी प्यार नहीं था। (वैसे तो ये सच था, मुझे उनके जिस्म से ही लगाव था पर जैसा मालती ने भाभी को बताया था मुझे उनके जिस्म की उतेजना जीवन भर उनके साथ रखने वाली थी)। मालती ने फिर अंदर जाकर बिस्तर सजा दिया और बेड को पूरा हिलाते हुए भाभी की ओर देखते हुए बोली ये झेल पायेगा आज की धक्कम-धुक्की। (मालती ने मुझे बिना बताये हलके नशे की गोली चाय में मिला के भाभी को पिला दी थी। इसका नशा करीब आधे घंटे बाद आता और सिर्फ अगले आधे घंटे तक ही रहता। बिलकुल भी हानिकारक नहीं था ये, मालती ने मुझे बाद में बताया।) फिर मालती ने भाभी को बिस्तर पे लिटा के उन्हें nighty उतारने को कहा और उन्हें उल्टा लिटा के उनके पीठ और फिर नितम्बों पे मालिश करने लगी। उसने दोनों नितम्बों को अलग करते हुए बीच के फांक को ज्यादा से ज्यादा अंदर तक देखने की कोशिश की। पर वो दोनों नितम्ब काफी सख्त थे वो छूटते ही 'फट' की आवाज़ के साथ फिर एक दुसरे में चिपक गए। मालती ने कहा मधु रंडी तेरे पूरे बदन में सख्ती आ गयी है। जितनी देर करेगी मधु घोड़ी तू उतनी ही तकलीफ होगी तुझे फिर से चुदने में। फिर मालती ने भाभी को पीठ के बल करके उनके स्तनों और जाँघों की खूब मसल मसल के मालिश की। भाभी की चूत बिलकुल साफ़ थी हमेशा की तरह और मालती ने उसमें भी थोड़े से तेल से मालिश कर दी। फिर भाभी को पूरी नंगी ही बिस्तर पे छोड़ वो निचे उतर के कुछ देर के लिए बाहर गयी और फिर वो दुसरे कमरे से वापस आते हुए भाभी के नंगे बदन को देखते हुए बोली - मधु दीदी तू अभी एक मांस का लोथरा दिख रही है जो गूथने के लिए बिलकुल तैयार है । खैर भैया आते ही होंगे तेरे बदन का हिसाब करेंगे वो आज। भाभी तुरंत अपने nighty के लिए उठी। पर मालती ने सारे कपड़े भाभी के जो की दुसरे कमरे में ही रहते थे एक ताले से लॉक कर दिया था। और मेन गेट जो बरामदे में खुलता था को खोल दिया था जो की दोनों रूम का कॉमन एरिया था। मेन गेट खुले होने की वजह से कोई भी बाहर लिफ्ट एरिया से ही बरामदे में देख सकता था और उसे दोनों कमरों के गेट भी बड़े साफ़ दीखते। भाभी उस कमरे से बाहर निकलती तो मुश्किल थी और निकलने पे भी उन्हें कुछ हाथ नहीं लगने वाला था। भाभी उसे डाँट भी नहीं सकती थीं क्यों वो भी आवाज़ लिफ्ट एरिया तक जाती।
मालती ने भाभी से माफ़ी मांगी पर बोला की वो ये उसके लिए ही कर रही है। कभी न कभी तो उन्हें मर्द के नीचे खुद को करना ही होगा! अच्छा है ये आज हो जाए। भाभी ने बिस्तर के चादर को ही ओढ़ लिया और चुप-चाप बेड पर लेट गयी। अभी चाय लिए भाभी को 25 मिनट हो चुके थे और तभी मैं पहुंच गया। मालती ने मुझे इशारा देते हुए भाभी वाले रूम में बुलाया, मैंने मेन गेट लगा दिया। भाभी तुरंत उठीं और मुझसे बोली की इसने दुसरे वाले गेट में ताला लगा दिया है और उसमें भाभी के कपडे हैं। मैंने तुरंत मालती को डांटते हुए कहा की वो ताला खोले और भाभी के कपड़े ले आये। मालती चली गयी कपड़े लाने और तभी मैंने देखा भाभी के शरीर से चादर उतर चूका था और वो बिस्तर पे बैठ गयी (शायद नशे ने असर कर दिया था!) । कसम से पहली बार भाभी को ऐसे नंगी देखा था। ये मेरे लिए किसी सपने के सच होने जैसा था। दो विशाल दुधारू थन छाती पे, गुदाज गोरी मांस, खूबसूरत लाल चेहरा! मेरी नंगी बीवी वो पहली मेरी भाभी माँ थी मेरे सामने निर्वस्त्र थी! अब मेरे लिए खुद को संभालना मुश्किल हो गया था मुझे रहा नहीं गया और मैंने उन्हें बिस्तर पे पीठ के बल सीधी लिटा दिया, मैं एक-टक उनके निर्जीव होते बदन को देख रहा था और धीरे धीरे अपने कपड़े उतरने लगा| कपड़े उतारकर मैं भाभी के बड़े बदन के ऊपर चढ़ गया| जैसे ही मैंने उनको मीठे होठों को अपने होठों से चूसा वो भी अपने होठ चलाने लगी।

मुझे आज उनके अंदर की दबी चुड़क्कड़ औरत बाहर आती हूई दिखी। मैं उनके होठों को चूसते हुए उनसे बोला - भाभी माँ तेरा बेटा तुझे आज चोदेगा। उन्होंने धीरे से बोला - सूरज बेटे। (सूरज मेरे भैया का नाम था, मेरे लिए ये surpise था की भैया और भाभी एक दुसरे को माँ-बेटे बोल के चोदते थे)। मैंने धीरे से कहा - हाँ माँ, मेरी दूधवाली माँ। इतना कहना था की उन्होंने बाहों को मेरे ऊपर करके मुझे अपने आलिंगन में बाँध लिया और पूरे जोश से मेरे से चिपक गयीं। तभी मुझे एहसास हुआ की मालती पास खड़ी ये सब देख रही थी जैसे ही मैंने उसकी तरफ देखा तो उसने नज़रे दूसरी तरफ कर ली पर वो हिली नहीं वहां से। मैं इस समय भाभी के गोश्त के सानिध्य से बिलकुल गरम हो गया था सो मैंने भी ध्यान नहीं दिया और वो वहीं खड़ी रही। मैं अब भाभी के पूरे चेहरे को एक बच्चे की तरह चाट रहा था उन्हें माँ माँ कह के पुचकार रहा था।
हम दोनों अब एक दुसरे के आगोश में समां गए। दोनों की तरफ से अपनी-अपनी मजबूती की आजमाइश होने लगी। भाभी जैसी कामुक औरत को काबू करना कुछ ही देर में मुश्किल लगने लगा। वो किसी जख्मी शेर की तरह मेरे होठों को चूस रहीं थीं।

भाभी- मेरा बेटा सूरज, प्यार कर न अपनी माँ से! मैं अच्छी नहीं लगती तुझे?
मैं(भरपूर उत्तेजना में)- तुम औरत नहीं गाय हो माँ, एक गदराई मोटी दुधारू गाय!

उत्तेजना में हम दोनों ने अपने आलिंगन का जोर बढ़ा दिया। इस कश्मकश में कभी भाभी ऊपर आती कभी मैं उनके ऊपर आ जाता। दरअसल भाभी के जोश में थोड़ा नशे का भी हाथ था। भाभी ने मेरे लंड को अपने चूत के ऊपर रख दिया फिर हम दोनों खूब जोर-जोर से एक दुसरे में समाने को हुमचने लगे।
भाभी के मांसल शरीर पे रगड़ने से मुझे असीम सुख की अनुभूति हो रही थी। पूरा कमरा मेरे उनके मादक आवाज़ों से भर गया था।


उन्होंने अपने दोनों पैर की ऐरियों से मेरे दोनों पैर का आलिंगन कर लिया था अब मैं उनके पूरे जकड़ में था। ऐसी स्तिथि में मैं अपने पूरे जोर से भाभी के अंदर समाने की कोशिश कर रहा था।

मैं: तेरे जैसी रंडी माँ भगवान् सबको मिले। क्या भरा बदन है तेरा माँ|

मेरी बात सुन के भाभी ने रफ़्तार बढ़ा दी, हम दोनों अब पसीने से लथ-पथ थे हालाँकि मुझे भाभी के बदन का पसीना और उतेज्जित कर रहा था । मालती ने सीलिंग फैन की स्पीड बढ़ा दी और बोली भैया तुम्हारी माँ अभी थकी नहीं है| मालती के सामने ही मैं अपनी भाभी की चुदाई माँ बोल के कर रहा था। ये बड़ा उतेज्जित करने वाला एहसास था।भाभी तो नशे में थी पर मैं पूरे होश में था। मालती के बोलते ही मैंने और जोर से हुमच-हुमच के भाभी को चोदने लगा। भाभी ने भी जोर बढ़ा दिया। इतने देर तक भाभी के बदन से चिपके रहने से भाभी के बदन की गंध मुझे लगी जो की मदहोश करने वाली थी। फैन तेज करने से पसीना सूखने लगा और फिर हम दोनों की गिरफ्त भी एक दुसरे के शरीर पे और सख्त हो गयी। दोनों ने गति इतनी तेज कर दी थी की पलंग जोर जोर से हिलने लगा था।मैं लगातार धक्के लगा रहा था और भाभी भी। बड़ी मजबूती से भाभी ने मुझे अपने गुदाज बदन से चिपका लिया था और मैं उनकी गदराई मांसल जाँघों और मजबूत बाँहों के बीच खुद को जकड़ा हुआ पा रहा था। भरे मांसल बदन की औरत की आगोश में जिस सुख की अनुभूति होती है मैं बता नहीं सकता। मैं असीम कामनावेश में उनके गोरे मांसल चेहरे को चाट रहा था और पूरी ताकत से उनके चूत में धक्के मार रहा था। 48 '' के दूध के थनों को अपने सीने से मसलते हुए मैं उनके बदन पे हावी होने की हर कोशिश कर रहा था। पर वो कोई चुदाई के लिए नयी औरत नहीं थीं। उनके बदन का हर हिस्सा भरपूर गदराया हुआ था और वो एक अनुभवी चुदक्कड़ महिला थीं जिन्हे पुरुष के बदन को अधीन करना आता था। उनके बदन के लम्बे स्पर्श ने मेरी उत्तेजना को शिखर पे पंहुचा दिया था मैं समझ सकता था सूरज भैया कितने उत्तेजित रहते होंगे। मुझे हर पल ये बात और उन्मादित किये जा रही थी की मुझे ये बदन जीवन भर के लिए मिला था। मैं इसे ऐसे ही जीवन भर मथ सकता था।
 
करीब आधे घंटे बाद मुझे उनका शरीर थोड़ा ढ़ीला होता अनुभव हुआ (शायद नशे का असर तभी उतरा था) पर मैंने अपने धक्के और तेज कर दिए थे। थूक से सना उनका चेहरा और पसीने से लथपथ हमारे बदन एक दुसरे से ऐसे चिपके हुए थे की अब उनके लिए मना करना असंभव था। उन्होंने किया भी नहीं, कुछ ही देर में मेरे ऊपर उनके बदन की गिरफ्त फिर सख्त होने लगी।
मैं रोमांचित हो उठा, भाभी अब नशे में नहीं थी मुझे इसका स्पष्ट बोध हो गया था। अपने मृत पति के भाई से अपने विशाल मांसल बदन को रगड़वा रही थी भाभी।

उनके दूध से भरे स्तन को मुँह में लेते हुए मैंने कहा: माँ तुम मुझे रोज दूध पिलाया करो, देखो तुम्हारा सूरज बेटा कितना कमज़ोर हो गया है, पिछले आधे घंटे से तुम्हेँ चोद रहा हूँ पर तुम बिलकुल भी थकी नहीं मेरी दुधारू गाय।भाभी कुछ बोली नहीं पर ये सुनते ही उन्हें समझ आ गया की उनके नशे के दौरान उनके और सूरज भैया के बीच के माँ-बेटे के कल्पना की चुदाई मुझे पता चल गयी थी)

मालती ने पलंग को दिवाल की तरफ से पकड़ रखा था, वरना जितने जोर से भाभी और मैं एक दुसरे के बदन को मसल रहे थे, पलंग की आवाज़ों घर से बहार जा सकती थीं। मैंने रफ़्तार और तेज कर दी, भाभी के मांसल बदन को मथते हुए मुझे अब 1 घंटा हो गया था और मैं थोड़ा थकने भी लगा था पर भाभी अभी भी पूरे जोश में थी। ये मेरे लिए अति कामुक पल था सो मैंने अपने पूरी शक्ति से भाभी के बदन को मीचने लगा। इतने तेज चुदाई से मैं पांच मिनट मैं ही हाफने लगा था और हम दोनों की मादक आवाज़ें पूरे कमरे में गूँज रही थी। भाभी को अहसास हुआ की मालती भी कमरे में है और अपना सर मालती की तरफ करके फिर मेरी तरफ देखा। (अभी तक या तो उन्होंने आँखें बंद कर रखी थी या फिर मेरे चेहरे या सीने से ढकीं)।
उनके आँखों में देखते हुए मैं उत्तेजना के चरम पे पहुंचने लगा और मैं जोर जोर से हांफ रहा था। मैं: आह.... माँ ...।
भाभी: हाँ.. मेरा बेटा. .. । भाभी की भी सांसें अब तेज हो रही थी और उन्होंने भी अपने धक्के जोर कर दिए थे। (होश में भाभी के मुँह से बेटा सुनते ही मैंने उनके होंठों को अपने होंठों से बंद कर दिया, क्या कामुक औरत थी वो)

उनके आँखों में देखते हुए मैं उत्तेजना के चरम पे पहुंचने लगा और मैं जोर जोर से हांफ रहा था। मैं: आह.... माँ ...।
भाभी: हाँ.. मेरा बेटा. .. । भाभी की भी सांसें अब तेज हो रही थी और उन्होंने भी अपने धक्के जोर कर दिए थे। (होश में भाभी के मुँह से बेटा सुनते ही मैंने उनके होंठों को अपने होंठों से बंद कर दिया, क्या कामुक औरत थी वो)
तभी मुझे अपने नंगे पीठ पे हाथों के फेरने की अनुभूति हुई। वो मालती थी। मालती के पीठ सहलाने से मुझे अच्छा लग रहा था। मालती: मालिक बस थोड़ी देर और, आपकी माँ गाय है तो क्या! आप भी सांड से काम नहीं हैं। फाड़ दीजिये इस रंडी के चूत को। मालती की बातों ने भाभी को भी उन्मादित कर दिया और अब हम दोनों और उत्तेजित होकर एक दुसरे को चोद रहे थे।
मालती लगातार अत्यंत उन्मादित करने वाली बातें कर रही थी। बस पांच मिनट ही हुए थे मालती के बोलते हुए की हम दोनों जोर से हाँफते हुए झड़ गए। मैं थक कर भाभी के पसीने से भींगे बदन पर पसर गया। वो भी मेरी तरह तेज सांसें ले रही थीं। मालती ने फैन फुल स्पीड पे कर दिया और हैंड फैन भी चलने लगी। तब साढ़े दस बज गए थे, भाभी के बदन को भेदने में ढाई घंटे लगा था मुझे। पर इस समय मुझे जिस सुख की अनुभूति हो रही थी वो अकल्पनीय थी। 3 - 4 मिनट में हम थोड़े नार्मल होने लगे।
मैं मन ही मन अपने भैया और भाभी के घरवालों का शुक्रिया अदा कर रहा था जिनकी वजह से मुझे भाभी जैसी औरत जीवन भर के लिए मिली थी। मैं तो बस अब हर दिन इनके बदन को नोचने वाला था। ऐसी ही सोच में खोया हुआ था मैं कि मालती ने मुझे पानी ला कर दिया। फिर मुझे दूसरा गिलास देते हुए बोली ये आपकी माँ के लिए है। (मालती अभी भी मूड में ही थी)। पानी का गिलास लेते हुए मैं भाभी के बदन से ढाई घंटे बाद उतरा। भाभी ने तुरंत अपने एक हाथ से अपने दोनों स्तनों को ढका और दुसरे हाथ अपने चूत पे रख के अपने दोनों जाँघों को जोर से सटा लिया था। मैंने अपना एक हाथ उनके पीठ के नीचे रखते हुए उनके सर को थोड़ा ऊपर उठाया और दुसरे हाथ से उन्हें गिलास से पानी पीने लगा।
पानी पीने के बाद भाभी ने मेरी तरफ करवट ले ली। अभी भी उन्होंने अपने हाथ से अपने विशाल छाती को छुपाया हुआ था और अपने एक दोनों पैरों को बिस्तर पे ऐसा रखा था की उनके नितम्ब पूरे खुले ऊपर थे। ऐसे में उनकी चूत नहीं दिख रही थी। भाभी के नंगे बदन और उसे छुपाने की उनकी व्यर्थ कोशिश ने मुझे फिर उत्तेजित करना शुरू कर दिया था। उनके 48 " के गुदाज नितम्बों को देख-कर मैं फिर उनसे चिपकने लगा। मेरा तना लंड उनके कूहलों को स्पर्श कर रहा था ठीक वहीँ उनकी नज़र भी थी। वो थोड़ी असहज हुई और उन्होंने अपनी आँखें बंद कर ली और वैसे ही लेटी रहीं।
मैंने भाभी को पूरा पेट के बेल लिटा दिया। फिर मैं उनके पीठ पे चढ़ गया और अपने लंड को उनकी सुडौल चौड़ी गांड पे रख-कर धीरे धीरे खुद को और उन्हें हिलाने लगा। उनकी गर्दन, कान और गालों पे पीछे से मैंने चुम्बनों की बारिश कर दी। धीरे धीरे थकावट दूर होने लगी और कामनोन्माद फिर से हावी होने लगा। मालती फिर बिस्तर पे आ गयी और मेरे पीठ और चूतड़ों की धीरे धीरे सहलाते हुए मुझे उन्मादित करते हुए बोली।
मालती: मालिक क्या औरत मिली है आपको। इतने भड़काऊ बदन की औरत आपके भैया को कहाँ से मिली।
मैं: नहीं मालती, ये गदराई माल तो शुरू से थी पर इतनी भड़काऊ नहीं थी तब। भैया ने इस मांस की खूब गुथाई की है तब जाके ये ऐसी भारी-भरकम हुई है मेरी माँ।
(मैं धीरे धीरे भाभी के पूरे बदन को अपने नीचे समाने की कोशिश कर रहा था। नितम्बों की ऊंचाई की वजह से मेरे पैर बिस्तर पे नहीं आ रहे थे और मेरे जांघ भाभी के जाँघों से मुश्किल से सट-टे थे। मालती ने मेरे पैरों को थोड़ा नीचे किया ताकि मुझे भाभी के गुदाज जाँघों का स्पर्श मिले। आप सोच सकते हैं भाभी के पिछवाड़े की बनावट कैसी होगी!)
मालती: आपके भैया ने इस गाय को इतना दुधारू बनाया पर सारा दूध अब आप पियोगे इसका। उनके सालों की मेहनत से तैयार किया बदन आपको मुफ्त में मिला है। ये भड़काऊ सुडौल बदन अब आपकी निजी जागीर है। पर आपकी जिम्मेवारी है की ये गाय और भी गदराये। 48 '' के इसके स्तन 50 " के हों, और चूतड़ बढ़ के 52 " के।
(भाभी अभी तक किसी निर्जीव की तरह पड़ी हुई थीं पर मालती की बातों ने उन्हें भी उत्तेजित करना शुरू कर दिया था और वो भी अपने नितम्ब धीरे धीरे हिलाने लगी। ये बड़ा उत्तेजित करने वाला पल था मेरे लिए। उनके पिछवाड़े हिलाने से मेरे लंड में तेजी से कसाव आने लगा)
मालती समझ रही थी की भाभी उसकी बातों से लगातार उत्तेजित हो रही थीं। पर पता नहीं उसे क्या आनंद आ रहा था हमें उन्मादित करके।
मालती: मालिक अपनी माँ का बदन ऐसा कर दो की ये घर के बाहर न निकल पाए। बदन देख के ही सब इसे रंडी समझे। ये बस आपके चुदाई के लिए जिए।
मैं: तू ठीक कह रही है मालती। सूरज भैया ने मुझे अपनी माँ के बदन की बड़ी जिम्मेवारी दी है।
जब भी मैं भाभी को माँ कह के सम्बोधित करता, मैं महसूस करता की भाभी अपनी रफ़्तार बढ़ा देती थी। उन्हें माँ-बेटे के अनाचार रिश्ते के कल्पना मात्र से ही बड़ी उत्तेजना मिलती थी)
मालती: भैया पर अपनी भाभी माँ से आप शादी मत करना। ऐसे ही इसे अपनी रखैल बना कर रखना। ये जीवन भर अपने बेटे के साथ आपकी बीवी की तरह रहेगी पर रिश्ता आप दोनों का भैया-भाभी का ही रहेगा। अपनी विधवा भाभी माँ के बदन को जब चाहे भोगते रहना।
मालती के ऐसा कहने से भाभी को नहीं लगा की मेरी और उसकी कोई साठ-गाठ हुई हो, क्यूंकि अन्यथा उसे पता होता की हम दोनों शादी-शुदा थे। वैसे मालती की ये बात मुझे बहुत उत्तेजित कर गयी। अगर मैंने शादी नहीं की होती तो फिर मैं सच में भाभी से शादी नहीं करता और उन्हें भाभी रहते हुए ही अपनी बीवी की तरह ही उनसे अपनी बिस्तर गरम करवाता। पर ऐसी भड़काऊ बदन वाली औरत से शादी करना भी बहुत उत्तेजित करने वाला अनुभव था। ऐसी गदराई औरत जब आपके नाम का मंगल सूत्र डाले अपने गले में तो वो अनुभूति भी बेहद उन्मादित करती है आपको। हालाँकि भाभी ने अभी तक न तो सिन्दूर किया था और न ही मंगल सूत्र डालती थी, मैंने भी कभी जिद नहीं की इस बात के लिए।)
मैं: तू ठीक कहती है मालती। मैं अपनी विधवा भाभी माँ को अपनी बीवी नहीं रखैल बनाऊंगा। पहले तो इस गाय को गाभिन करूँगा और ये मेरे बछड़े को जन्म देगी। फिर मैं, सोनू और वो बछड़ा तीनो हमारी गाय का दूध पिया करेंगे।
 
भाभी अब जोर-जोर से चूतड़ हिलाने लगी थी। मालती भी भाभी के चूतड़ों को साइड से जोर-जोर से हिला रही थी। मेरा लंड मालती की बातों से तन कर सख्त हो गया था। फिर मैं भाभी के गांड पे उछल-उछल के पेलने लगा। फच-फच की आवाज़ के साठ हर धक्के में मेरा लंड थोड़ा और अंदर जाता, भाभी की सांसें तेज हो रही थी। वो भी साथ में उछलती और उसमें मालती भी बैठे-बैठे उनका साथ दे रही थी।
मैं: आह.... मेरी चुदक्कड़ माँ .... तू कितनी मोटी है... आह... माँ... माँ..
भाभी: आह... .. सुनील.. धीरे .... .. सुनील... मेरे बेटे... . (भाभी से मेरा नाम सुनते ही मुझे बड़ा अच्छा लगा)..
मैं: .. हाँ... मेरी भड़काऊ माँ..
भाभी: धीरे... बेटे...
करीब 25 मिनट हो चुके थे मुझे भाभी के चूतड़ों पे चढ़े। आनंद की नयी उचाइयां चढ़ रहा था मैं। इस समय मैंने अपनी रफ़्तार और बढ़ा दी, दोनों हाँफते हुए कुछ देर में शांत हो गए। भाभी के गांड में लंड फसाए मैं बिस्तर पे भाभी के बगल में लुढ़क गया और भाभी को भी दूसरी ओर करवट लेना पड़ा। मालती ने मेरे लंड को भाभी की गांड की फांक से निकला और उसपे लगे वीर्य को कपडे से पोछा और फिर भाभी के गांड के अंदर कपडे को घुसा कर उसे भी साफ़ किया।
अभी भी मैं और भाभी हांफ रहे थे फिर भी मैं भाभी से पीछे से चिपक गया और आगे हाथ ले जाके उनके विशाल नंगे स्तनों पे हाथ फेरने लगा|
मैं कामनावश्था के चरम पे था। अभी अभी मैंने अपने से पंद्रह साल बड़ी भाभी के गठीले भड़काऊ बदन को 3 घंटे तक एक पराई महिला के सामने रौंदा था। भरे बदन की भाभी चुदी मेरे बगल में लेटी हुई थी। मुझे मेरे मर्दानगी पे गर्व हुआ की मैंने ऐसी गदराई औरत को संतुष्ट कर दिया था। मैंने भाभी को पेट के बल लिटा के उनके ऊपर चढ़ गया और उनके आँखों में देखते हुए पूछा की क्यों मेरी गाय, तेरा बछड़ा तुझे कैसा लगा। भाभी ने अपने आँख दूसरी तरफ कर लिए। मैंने फिर उनके सर को अपनी तरफ घुमा के उनके आँखों में देखते हुए कहा
मैं: मालती मेरी रखैल माँ मुझसे नाराज़ दिखती है!
मालती तब तक घर को फिर से सज़ा करके जाने की तैयारी कर रही थी, रात के 11 बज चुके थे।)
मालती: भैया आपकी दुधारू माँ बड़ी शर्मीली हैं। ज्यादातर ऐसी गदराई औरतें बड़ी बेशरम होती हैं, किसी भी गबरू जवान मर्द को अपने ऊपर चढ़ा लेतीं हैं, पर आपकी माँ हमेशा आपकी वफादार रहेगी| भैया वैसे ये बदन घर के बाहर जाने लायक नहीं है, कोई भी बच्चा, जवान, बूढ़ा इसके पीछे पड़ जाएगा। इसे नंगी करके घर में ही बंद रखो, और अपनी माँ के बदन का दिन-रात मर्दन करो भैया।
भाभी मालती की तरफ देख-के कुछ बोलने वाली थी तभी मैंने उनके होठों पे अपने होठ रख दिए और उन्हें चूसने लगा। मालती सही कह रही थी भाभी का भड़काऊ बदन कपड़ों में भी खासा गदराया हुआ लगता था। भैया भी उन्हें अकेले बाहर नहीं जाने देते थे।
मालती जाने लगी तो बोली: भैया उस कमरे की चाभी मैंने यहाँ टेबल पे रख दी है। खाना बना दिया है। अब मैं सुबह 8 आउंगी।
मैं: नहीं मालती, हमें कपड़ों की जरुरत नहीं है, तुम अपने पास ही रखो चाबी, सुबह तो आ ही रही हो। (मैं भाभी को लगातार चूम रहा था, मेरे ये बोलते ही वो थोड़ी उठने से हुई पर मैंने उन्हें अपने जोर से अपने नीचे दबाये रखा)
मालती: क्या बात है भैया, ऐसे सागर (भाभी का बदन) को इतना ही प्यासा प्राणी (मैं) मिलना चाहिए था। ठीक हैं मैं ले जाती हूँ चाभी, अपनी माँ को आपने अपने बदन से ढक तो रखा है, इसे कपड़ों की क्या जरुरत है।
मालती गेट को बाहर से लगा के चली गयी, मेन गेट में बाहर और अंदर दोनों से लॉक लग सकता था, एक चाबी हमने मालती को दे रखी थी)
मालती के जाने के बाद मैंने भाभी को कहा: भाभी सच बताऊँ, तुम मुझे गलत मत समझना भैया जब तुम्हे पहले दिन घर लाये थे मैं 5 साल पहले तभी से मुझे तुम्हारे बदन के प्रति आकर्षण था, पर मैं तुम्हे अपनी भाभी माँ ही मानता था। माँ के मरने के बाद तो तुमने मेरी काफी देखभाल की, और मेरे लिए तुम बिलकुल माँ समान थी। पर भैया के देहांत के बाद मैं तुम्हे अकेले कैसे छोड़ता, सो मैंने राहुल भैया और अंकल को यही कहा की मैं तुम्हे अपने साथ रखूँगा। पर तुम खुद सोचो अगर मैं तुमसे शादी नहीं भी करता, और हम दोनों साथ रहते, तुम्हारे बदन का गदरायापन (मैंने भाभी के स्तनों को दोनों हाथों से मीचते हुआ कहा) मुझे तुम्हारे करीब ला ही देता। तुम अपने मइके जाती तो राहुल भैया तुम्हे अपनी रांड बना कर रखता (इस बात ने भाभी के चेहरे पे गुस्सा ला दिया था)। मैंने कहा गुस्सा करने की बात नहीं है, जब राहुल भैया और अंकल मुझसे शादी के लिए कह रहे थे तो मैंने मना करते हुए कहा की आप मेरे उम्र में 15 बड़ी हो और आपको मैं भाभी माँ बुलाता हूँ तो राहुल भैया ने बोला की भाभी थोड़े ही न माँ होती हैं, उसने तो इशारों में ये भी बोला था की बड़ी उम्र की औरतों ज्यादा अच्छी होतीं हैं शादी के लिए।
आपके पिता और आपके भाई चाहते थे की मैं आपके बदन का मालिक बनूँ, और मुझे पक्का यकीं था थी अगर मैंने मना कर दिया तो राहुल भैया तुम्हे खुद की रखैल बनाता। और उसकी शादी होने की वजह से वो आपसे शादी भी नहीं करता। देखो तो राहुल भैया और मेरे में से आपका बदन किसी एक को मिलना ही था। और फिर मेरे पास आने के लिए तो आपने भी हाँ किया था।

भाभी नज़रे झुकाए मेरे बातें सुन रही थीं, और मुझे ऐसा यतीत हो रहा था की उन्हें मेरी बात जायज़ लग रही थी।)

मैं: भाभी कुछ बोलो आप भी!

भाभी: राहुल मेरा छोटा भाई है, उसके लिए ऐसे मत बोलो।

मैं: आपके छोटा भाई ने आपसे 15 साल छोटे मर्द को आपका बदन सौंप दिया वो आपको सीधा दीखता है। मुझसे रोज फ़ोन करके पूछता रहता है - तुम्हारी भाभी खुश है ना, अपनी भाभी को मेरा प्रणाम कहना वगैरह। जब उसने खुद ही हमारी शादी करवाई है तब वो आपको मेरी भाभी कह के क्यों बुलाता है। वो चाहता था की मैं आपसे (खुद की भाभी) से शादी करूँ।

भाभी चुप थीं। पर मैंने कहा की हो सकता है मैं गलत सोच रहा हूँ। वैसे मैंने बताया की मैंने राहुल भैया को अगले शनिवार को आमंत्रित किया है, वो अकेला ही आएगा क्यूंकि उनकी बीवी और बच्चे मायके गए हुए हैं।

फिर मैंने भाभी पीठ के बल लेट गया और भाभी को उठा के अपने ऊपर किया और पूछा: भाभी ये बताओ ये माँ-बेटे की क्या स्टोरी है, आप और सूरज भैया चुदाई के समय एक दुसरे को माँ-बेटा क्यों बुलाते थे?

भाभी: तुम्हारे भैया और मैं बस कभी-कभी सेक्स लाइफ में नयेपन के लिए ऐसा करते थे। कोई स्टोरी नहीं है इसके पीछे।

मैं: मान गए भाभी आपको। वैसे जब भी मैं आपको माँ बुलाता था आपके चुदाई की रफ़्तार बढ़ जाती थी। वैसे कई लोग अगर हमारे रिश्ते को ना जाने तो आपके गुदाज फैले शरीर को देखते हुए (मैंने अपने हाथ भाभी के उन्नत नितम्बों पे रख रखे थे) मुझे आपका बेटा ही समझेंगे। याद है आपको वो दूकान वाला। वैसे मैं आपको माँ बुलाऊँ तो आप बुरा तो नहीं मानेंगी?

भाभी: केवल हमारे बीच में।

मैं: और अपनी घरेलु मालती के सामने, माँ।

भाभी चुप रहीं, और मैंने इसे उनकी सहमति समझा।

मैं: माँ तुम्हे भूक लग गयी होगी, कुछ खा लेते हैं। फिर हम दोनों नंगे बरामदे में ड्राइंग टेबल पे खाना खाने के लिए बैठे। मैंने भाभी को खुद के जाँघों के ऊपर बैठा लिया। मैं उनके बदन के निरंतर सानिध्य में रहना चाहता था। जब भी भाभी कोई कौर मुँह में अपने मुँह में डालती, मैं उनके हाथ को अपने मुँह में लेके उसे चूस-चूस के साफ़ करता और फिर उनके मुँह को पीछे करके उनके होठों को चूस के उनके मुँह को भी साफ़ करता। बड़ा मादक अहसास था ये हम दोनों के लिए।

कल तक भाभी मुझे कुछ करने नहीं देती थी, और आज उनका बर्ताव ऐसा था जैसे वो मेरी दासी हो। इसमें निसंदेह मालती का बड़ा योगदान था।

खाने के बाद भाभी को मैं दुबारा बिस्तर पे ले आया। चलते वक़्त भी मैंने उन्हें अपने आलिंगन में कर रखा था। बिस्तर पे करवट लिटा के मैंने उन्हें अपने बाहों में कसकर एकदम से अपने करीब लाते हुआ उनके होठों को चूसते हुआ बोला: माँ तुम्हे नींद आ रही है क्या। भाभी: हाँ बहुत रात हो गयी है।

तब रात के 2 बज रहे थे, भाभी को खुद के आलिंगन में किये मैं और भाभी सो गए। सुबह मालती के आने के बाद जगे हम। \मुझे बड़ी उत्तेजना होने लगी पर मैं जानता था भाभी अभी सेक्स के लिए बिलकुल नहीं मानती वैसे भी मुझे ऑफिस जाना था सो मैं तैयार हो के ऑफिस के लिए निकलने लगा। मैंने भी भाभी का कोई कपड़ा बाहर नहीं निकाला और चाबी खुद के साथ ले कर चला गया।

मालती ने भाभी से कहा: माँ जी चलिए मैं आपको ब्रश वगैरह करवा दूँ, मालती ने भाभी को बिस्तर से उतार के भाभी के स्तनों को पीछे से मसलते हुए उन्हें बेसिन के पास ला करके उन्हें ब्रश करने को कहा। भाभी दांतों को ब्रश कर रही थी और मालती उनके स्तनों का मर्दन। बेसिन के शीशे में भाभी जब खुद के स्तनों को मसलते हुए देखती तो वो शर्माती और नज़रे हटा लेतीं। मालती: माँ जी, 24 घंटे अगर ये मसले जाएँ तो 3 महीने में ही ये 50 " के हो जायेंगे। सुनील भैया चाहते हैं की आपका बदन और भरे।

ब्रश करने के बाद मालती ने भाभी को कमोड पे बैठा दिया और खुद पास में स्टूल रख के उसपे बैठ के उनके स्तनों को मसलती रही। फिर भाभी को बिस्तर पे वापस लाकर उनके नंगे बदन की रगड़-रगड़ कर मालिश करने लगी। अब वो उनके मांसल बदन को पूरे जोर से गूथ रही थी। मालती: क्यों री तू तो विधवा होते हुए अपने ही देवर का बिस्तर गरम करने लगी। \

जवान देवर को अपने बदन का गुलाम बनाना चाहती है, वो तुझे खुद के हवस की दासी बनाएगा। तू उससे चुदने के लिए जियेगी और वो तुझे दिन-रात चोदेगा।

मालती ने भाभी को पेट के बल लिटा के उनके नितम्बों पे जोर-जोर से चाटा मारने लगी। फिर वो एक पतली बेंत ले आयी और उनके चूतड़ों के मांस पे तारा-तर बेंत चलने लगी। भाभी अब रोने लगी, मालती ने बेंत मारना जारी रखा। मालती भाभी के गालों पे लगातार चाटा मार रही थी। भाभी बहुत रोई पर मालती उन्हें दासी की तरह 10 मिनट तक गालों पे चाटा मारते रही।

फिर वो भाभी को बाथरूम में बाथ-टब में ला कर खुद के ऊपर लिटाते हुए बाथ-टब में पानी का नल खोल दिया। तुरंत भाभी के स्तनों तक पानी आ गया था, फिर मालती ने नल बंद कर दिया। भाभी के कानों में बोली: माँ जी, आपको पिशाब लगी हो, आप पिशाब कर लो। भाभी को जोर से पिशाब लगी थी, मालती ने उन्हें 1 घंटे तक बहुत मारा जो था। वो बाथ-टब से निकलने के लिए उठने लगी। पर मालती ने उन्हें जोर से पकडे हुए कहा यहीं कर लीजिये माँ जी पिशाब। और मालती आवाज़ निकालने लगी जो छोटे बच्चों से पिशाब करवाने के लिए महिलाएं निकालती हैं। कुछ ही देर में भाभी तेज़ धार से गरम पिशाब निकालने लगी। जब भाभी रुकी तो उनके पिशाब की वजह से बाथ-टब के पानी का रंग पीला हो चूका था और पिशाब की बदबू आने लगी पूरे बाथटब में। भाभी के स्तनों को उसी पानी में धोते हुए मालती ने कहा- आज से आप और भैया आपके मूत से मिले पानी से ही नहाएंगे। जब भी पिशाब आये, माँ जी आप पिशाब अब इसी टब में करेंगी। आपके शरीर से निकले पिशाब में भी एक नशा है।
 
भाभी को करीब आधे घंटे का उस टब में नहवाने और उनके बदन को मसलने के बाद, मालती बाहर लाकर उनके शरीर को तोलिये से पोछने ही वाली थी की तभी मैंने घर की घंटी बजाई। (दरअसल मेरा मन लग नहीं रहा था ऑफिस में सो मैं हाफ डे छुट्टी ले कर घर आ गया था)। मालती ने गेट खोला और जब में भाभी के पास आया तो मुझे पिशाब की बदबू आयी उनके बदन से। मैंने नोटिस किया की मालती के भी बदन से ऐसी ही बदबू आ रही थी।

मैंने बाथरूम में बाथ-टब को देखा तो मुझे सब समझ में आ गया। मुझे बड़ी ख़ुशी थी की मालती नए-नए तरीके से भाभी और मेरे बीच उत्तेजना बढ़ा रही थी।

मालती ने कहा: भैया अच्छा हुआ आप आ गए, चलिए आप भी नाहा लीजिये, अपनी माँ जी के साथ। फिर उसने मेरे कपड़े उतार कर मुझे पूरा नंगा कर दिया। भाभी मुझे नंगा होता देख रही थी पर वो बिलकुल भाव-विहीन से खड़ी थीं। मेरे तने हुए लंड को पकड़ कर भाभी को दिखाते हुए मालती ने कहा माँ से चिपकने के नाम से ही ये झटके मारने लगता है, थोड़ी देर तक लंड को हिलाने के बाद मालती हम दोनों को बाथ-टब में ले आयी। (पहली बार किसी औरत ने मेरे लंड को छुआ था, और ये मालती भाभी के सामने कर रही थी)। बाथ-टब में मालती ने मुझे बिठाने के बात भाभी को मेरे गोद में बिठा दिया और हम दोनों को पिशाब करने को कहा। वो बाथ-टब के बाहर से ही मेरे पीछे आकर मेरे और भाभी के गालों को सहलाते हुए पिशाब करने वाली आवाज़ निकालने लगी। मैं और भाभी दोनों पिशाब करने लगे, हालाँकि भाभी ने बहुत ज्यादा नहीं किया। बाथ-टब का रंग अब पूरा पीला हो गया था। उस गन्दी बदबू में भाभी और मैं एक दुसरे के बदन से चिपके हुए थे।

मुझे असीम कामनोमन्द की अनुभूति हो रही थी। काम उम्र की कितनी भी सुन्दर बीवी होती मेरी तो मुझे ये ख़ुशी नहीं दे पाती। मैं राहुल और भाभी के पिता को मन-ही-मन सुक्रिया कर रहा थी उन्होंने मुझे भाभी के शरीर की जागीरी दे दी थी। बाथटब में पड़े हुए में भाभी के बदन को निचोड़ रहा था और वो मादक आवाज़ें निकाल रही थीं। मालती कुछ देर में अपने घर चली गयी और मैं और भाभी के साथ बाथटब में ही था।

पिशाब के पानी से सने भाभी के भड़काऊ बदन को मसलते हुए मुझे अब 20 मिनट हो चुके थे। भाभी काफी देर से पानी में थीं शायद उन्हें असहजता महसूस हो रही थी बदबू में।
भाभी: सुनील अब रहने दो प्लीज।
मैं: माँ, मुझे सुनील बेटा बुलाया करो।

भाभी: बेटा, प्लीज रहने दो अब। मुझे बहार निकलने दो।
मैं: ठीक है माँ (और ऐसा कहके मैं उन्हें बाहर ले आया और उनके बदन को तौलिये से पोछने लगा)

भाभी: बेटा, मेरे कपड़े ला दो।
मैं: सॉरी माँ, आप कपड़े नहीं पहनेंगी। आपको घर में ही रहना है। आपको कपड़े क्यों चाहिए। मैं आपका पति हूँ, मालती आपकी दासी| दोनों को आपके नंगे बदन की जरुरत रहती है, बार-बार कपड़े उतारने से अच्छा है आपकी नंगी ही रहें।
भाभी चुप रहीं और बिस्तर पे लेट गयीं। मैं भी बिस्तर पे लेट उनके शरीर से चिपक गया और उनके होठों को धीरे-धीरे चूसने लगा।

मैं: (भाभी के होठों को चूसते हुए) मालती को घर पे ही रख लें क्या, कितना ध्यान रखती है आपका।
भाभी: नहीं, मुझे वो पसंद नहीं है।
मैं: क्यों माँ,
भाभी: रोने लगी और बोली की वो तुम्हारे नहीं रहने पर उसे बेइज्जत करती है। फिर उन्होंने आज उसके मारने वाली बात बताई। (मुझे ये सुन के बहुत बुरा लगा, मैंने तो बस मालती को भाभी को मनाने के लिए कहा था, इसकी आड़ में वो तो भाभी के साथ वाकई ज्यादती कर रही थी)
मैं: (भाभी के आंसू पोछते हुए) ये तो उसने बहुत गलत किया, मैं आज शाम में ही उसे हटा देता हूँ। मेरी गाय को मारा उसने!

मैंने ठान लिया की मालती को मैं सबक सिखाऊंगा और फिर मैंने उसे नौकरी से हटाने का निश्चय कर लिया था। पर मुझे दर था की वो कहीं भाभी को ये न बता दे की मैंने उसे मेरी और भाभी की शादी की बात पहले बता दी थी और उसकी मदद मांगी थी भाभी को सेक्स के लिए तैयार करने में। अब जब भाभी को मैंने पा लिया था मेरे लिए ये कोई बड़ी बात नहीं थी, पर अगर मालती ने आस-पास वालों को (मकान मालिक) भाभी और मेरे सम्बन्ध के बारे में बता दिया तो फिर बड़ी मुश्किल हो सकती थी।

भाभी को 2 घंटे रगड़-कर चोदने के बाद मैं और भाभी कुछ देर के लिए लेट गए। उठने के बाद मैंने भाभी के पहनने के कपड़े बाहर कर दिए। पूरे दो दिनों बाद भाभी कपड़े डाल रही थी अपने मांसल बदन पर। पर वो कपड़ों में भी नंगी ही दिखती थीं मुझे क्यूंकि वो कपड़े उनके बदन से पूरे चिपके होते थे। चाहे वो शादी पहने या nighty। अभी भाभी ने तंग nighty पहन रखी थी। मुझसे रहा नहीं गया और मैं उनके दूध मसलने लगा nighty के ऊपर से ही।

मैं: माँ, तुम तो कपड़ों में भी नंगी दिखती हो (मैं उनको ड्रेसिंग मिरर के सामने लेकर उनके स्तनों को मसलते हुए बोला)। मैं कितना खुशकिस्मत हूँ की तुम्हारा ये बदन मुझे मिला है मसलने को। अच्छा माँ ये बताओ तुम्हे सूरज बेटा ज्यादा अच्छा मसलता था ये सुनील बेटा।
भाभी: सूरज ने कभी दुसरे को मुझे हाथ नहीं लगाने दिया।
(मैं समझ सकता था की भाभी बड़ी आहत थीं मालती के हाथों खुद की बेइजती से

मैं: आज मैं उसे निकाल दूंगा शाम में ही। मेरी माँ के बदन को छूने की भी हिम्मत कैसे हुई उसकी। (मैं लगातार उनके उरोजों को जोर-जोर से रगड़ रहा था और भाभी मादकता में अभिभोर धीरे धीरे आवाज़ें निकाल रही थीं।
(भाभी को इतने दिनों तक चोदने से मुझे पता चल गया था की जब भी भाभी की उत्तेजना बढ़ती थी वो इंसान से गाय बन जाती थीं। इससे तात्पर्य ये है की इंसानी समझ ख़तम हो जाती थी हवस के सुरूर से और जैसे कोई गाय सीधी अपने मालिक के आज्ञा का पालन करती ही वो अपने बदन के मालिक का पालन करने लगती थीं। बिलकुल बेसुध होकर अपने बदन को मसलवाती थीं भाभी, वो सही मैं तब औरत नहीं एक दुधारू गाय प्रतीत होतीं थीं। ये भी एक वजह थी की मालती उनके ऊपर अपना जोर दिखा पाती थी।)

शाम 7 मालती आ गयी और भाभी तब किचन में ही थीं। मैं बेड पे लेता कोई किताब पढ़ रहा था। मालती ने भाभी को कपड़ों में देखते ही झल्लाते हुए बोला:- क्यों रे रंडी, कुछ घंटे जो मैं नहीं थी, तेरे तो पर खुल गए। (और मालती भाभी के गालों पे जोर-जोर से थप्पड़ मारने लगी। जैसे ही भाभी के रोने की आवाज़ आयी, मैं दौड़ता हुआ किचन में आया। मालती को मैंने तुरंत 4 -5 थप्पड़ रशीद कर दिए और उसे बोला तू चली जा यहाँ से तेरी जरुरत नहीं है। मैं उसे हाथ खींच के बाहर की तरफ करने लगा। वो बोली बाबूजी खुद कहते थे इस गाय को बिस्तर पे ला दो, जब आ गयी तो फिर मेरी जरुरत नहीं है। मैंने मालती को डांटा और बोला चल निकल जा यहाँ से।

मालती चली गयी और मैंने भाभी को बोला की वो कितनी झूटी हैं तुम्हे पता ही है, मैं क्यों बोलूंगा उसको की मेरी बीवी से मुझे प्यार करा दो। मैंने भाभी के आंसू पोछे और उन्हें बाहों में भरकर बैडरूम में ले आया। दुलारते हुए उनके गालों को चाटता हुआ बोला मेरी माँ सोनू को एक भाई दे दो प्लीज। तुम्हारे कोख में मेरा बच्चा पलेगा ये मेरे लिए बहुत ख़ुशी की बात होगी माँ। फिर मैंने भाभी के nighty को खोलने लगा तो वो बोली क्यों खाना नहीं है क्या। मालती को तो मैंने भगा दिया था अब खाना भाभी ही बनातीं पर मैं चाहता नहीं था की भाभी के बदन से एक-पल को भी दूर रहूँ सो मैंने बाहर से आर्डर कर दिया और फिर भाभी के बदन को नंगा करके उनके ऊपर चढ़ गया। उनके होठों को चूमते हुए बोला -

मैं:- तुम खुश तो हो ना माँ, जो मैंने मालती को निकाल दिया। तुम्हे काम करने की जरुरत नहीं होगी, वैसे भी मैं तुमसे एक मिनट भी अलग नहीं रख सकता। मैं कोई दूसरी नौकरानी कर दूंगा एक दो दिनों में। तब तक हम बाहर से ही खाना आर्डर कर दिया करेंगे।
भाभी: ज्यादा पैसे खर्च हो जाएंगे। मैं तुम्हारे ऑफिस रहते ही बना दिया करुँगी।
मैं: पर जब भी मैं घर पे रहूँगा, माँ तुम्हारा बदन मेरे लिए खाली रहेगा।
भाभी: ठीक है बेटे!

भाभी धीरे धीरे माँ-बेटे वाली बातचीत में सहज होती जा रहीं थीं। मैं चाहता था की ये बात बड़ी सामान्य हो जाए हमारे बीच क्यूंकि तब महज भाभी के साथ बातचीत में भी मादक अहसास होगा। )

कुछ ही देर में खाना आ गया और हमने खाना खाया फिर मैंने भाभी को बिस्तर पे पेट के बल लिटा दिया और मेरे लंड को उनकी गांड के फांक में फसा करके उनके नितम्बों को हिलाने लगा।

मैं: माँ, हमारे ऑफिस में एक औरत के चूतड़ काफी बड़े हैं, सभी ऑफिस में उसके पिछवाड़े की बातें किया करते हैं। पर अगर उनलोगों ने तुम्हारे चूतड़ देख लिए तो वो पागल ही हो जाएंगे। ये किसी कपड़ों के ऊपर से भी किसी पहाड़ जैसे उठे दीखते हैं। वैसे माँ तुम्हे क्या अच्छे लगते हैं किसी औरत के थन या चूतड़?

भाभी: थन (भाभी ने स्तन नहीं थन ही बोला, जो बात मुझे बड़ी उतेज्जित कर गयी)
मैं: मुझे भी ख़ास कर तुम्हारे जैसी गायों की। पर तेरी इतनी गांड भी इतनी बड़ी है की माँ बिना चाहे हाथ इस्पे आ जाते हैं।

मैंने अब थोड़ी रफ़्तार बढ़ा दी थी। भाभी भी अपने नितम्बों को हिलाकर मेरा साथ दे रही थीं। जब भी भाभी अपनी तरफ से सहयोग देती मुझे बड़ी ख़ुशी होती। मैं अभी भी यही सोचता था की मैंने अपने बड़े भैया की विधवा बीवी से चालाकी से अपना बिस्तर गरम करवा रहा था। मैं अभी भी उन्हें अपनी बीवी नहीं मानता था क्यूंकि मेरे लिए ये एक असंभव सा ही था कोई देवर अपने से 15 साल बड़ी विधवा भाभी को हम-बिस्तर कर ले। हालाँकि भाभी भी ऐसा नहीं सोचती थीं।
 
खूब जोर-जोर से मैं मैं भाभी के गांड की ठुकाई करने लगा। भाभी भी अपने नितम्बों को जोर-जोर से हिलाने लगी। फच-फच की आवाज़ के साथ मेरा लंड भाभी की गांड की बुरी हालत करने लगा। मैं माँ माँ चिल्ला रहा था, और वो बस बेटा धीरे .. । थोड़ी देर में हम दोनों चरम पे पहुंच गए फिर मैं थक कर उनके शरीर से नीचे बिस्तर पे आ गया। अभी वो दो बछड़े वाली गाय लग रही थी। पहली बार मैंने स्तनों से दूध पीने की कोशिश की। भाभी के दूध को आराम से पीते हुए मैंने भाभी से बोला की वो एक गोरी मोटी मानव गाय हैं|

भाभी चुप रहीं| आधे घंटे तक भाभी का स्तनपान करने के बाद मैंने भाभी के थन छोड़ दिए। मैं भाभी के नंगे बदन को आलिंगन में करके सो गया।

सुबह उठा तो भाभी मेरे बाँहों में ही थीं। सूरज की किरणें भाभी के श्वेत नंगे मांसल शरीर पर पड़ के भाभी के बदन की मादकता और बढ़ा रहीं थीं। मैं उनके बदन को चूमने लगा और उनके भरे गोरे गालों पे थूक लगाने लगा। भाभी अभी भी नींद में ही थीं पर मैंने उन्हें चूमे जा रहा था। तभी मुझे याद आया की मुझे ब्रेकफास्ट भी बाहर से ही आर्डर करना होगा। मैंने तुरंत भाभी और मेरे लिए ब्रेकफास्ट आर्डर कर दिया। भाभी थोड़ी देर में जाग भी गयीं। पर मैंने उन्हें अपने बाहों में फसायें रखा।

मैं: क्यों माँ, ऐसे ही मेरी बाहों में रहो न। मैं तुमसे प्यार करना चाहता हूँ।
भाभी: बेटे, क्यों तुम्हे ऑफिस नहीं जाना। आके फिर प्यार करना।
मैं: मुझे मन नहीं करता ऑफिस जाने का माँ, तुम्हारे साथ ही रहना चाहता हूँ दिन-भर।
भाभी: बेटे, अगर ऑफिस नहीं जाएगा तो अपनी माँ का ख्याल कैसे रख पायेगा। (भाभी अब धीरे धीरे खुल रहीं थीं, और उनके बदन के लिए उत्तेजना उतनी ही बाद रही थी)

फिर मैं ऑफिस की तैयारी में लग गया। भाभी nighty पहन कर घर के थोड़े-मोरे काम करने लगी।

कुछ ही देर में गेट की घंटी बजी। मुझे मस्ती सूझी सो मैंने भाभी से बोलै: माँ तुम ले लो न आर्डर गेट खोल के, प्रीपेड हैं, तुम्हे पैसे नहीं देने।
भाभी ने गेट खोला और एक करीब 19 साल का डिलीवरी बॉय गेट पे खड़ा था। दरअसल मैंने पैसे नहीं दिए थे। वो लड़का डिलीवरी के पहले भाभी से पैसे मांगने लगा। भाभी ने उसे अंदर आने को कहा और गेट सटा दिया। मुझे आवाज़ दी - बेटे पैसे ले आना। मैं पर्स ले के बहार आया और देखा की वो लड़का भाभी के बदन को घूर रहा था। मैंने भाभी के हाथ में पर्स दे दिया और भाभी को पीछे से पकड़ के उनके स्तनों को nighty के ऊपर से ही मसलने लगा। डिलीवरी बॉय और भाभी दोनों अचंभित थे! मैंने भाभी को जोर से पकड़ रखा था। भाभी ने ज्यादा जोर-आजमाइश नहीं की और डिलीवरी बॉय से अमाउंट पुछा। वो चाहती थीं की डिलीवरी बॉय को जल्दी से पैसे देकर बाहर कर दूँ। मैंने अपनी पकड़ और मजबूत कर दी और भाभी को घसीटते हुए डिलीवरी बॉय के करीब ले गया जिससे की भाभी के स्तन अब उसके मुँह के बहुत पास थें।

डिलीवरी बॉय ने अमाउंट नहीं बताया, भाभी अपने हाथ में वॉलेट ले के पैसे पूछ रहीं थीं पर वो बता ही नहीं रहा था। मैंने डिलीवरी बॉय से पूछा: कैसे हैं मेरी माँ के थन?
डिलीवरी बॉय की हिम्मत बढ़ी और उसने भाभी के स्तनों को छूने के लिए हाथ बढ़ाया। भाभी ने उसे जोर का चाटा लगाया और फिर मैंने भाभी के दोनों हाथ पकड़ लिए। भाभी के स्तन पूरे उभर का डिलीवरी बॉय के सामने थे। वो भाभी के स्तनों को अपने हाथों से पागलों की तरह मसलने लगा। भाभी ने मुझे कहा- सुनील रोको इसे प्लीज। मैं: सुनील या सुनील बेटे?
भाभी: मेरे बेटे रोको इसे प्लीज।

डिलीवरी बॉय भाभी के होठों को चूसने लगा और उनके nighty को हाथ पीछे करके खोलने लगा। (मैं बस चाहता था की वो भाभी के स्तनों को मसले, तुरंत मैंने उसे डांटा और उसके पैसे दे कर उसे बाहर कर दिया)। भाभी ने गुस्से में मुझसे बोला- तुम बहुत गंदे आदमी हो, मुझे नहीं रहना तुम्हारे साथ।

मैं भाभी से: माँ, मैं तो बस चाहता था वो तुम्हारे स्तनों को मीचे, इससे तुम्हारे स्तन और बड़े होंगे। क्या होगा तुम्हे अगर कोई तुम्हारे थन को थोड़ा मथ देता है तो पर उसे कितनी ख़ुशी मिलेगी माँ सोचो।(मैं भाभी के स्तनों को मसलते हुए उनसे बात कर रहा था)

भाभी तुरंत रोने लगीं और बोलीं - हे भगवान् क्या पाप किया था जो ये सजा दे रहे हो? (मुझे बहुत बुरा लगा, मैं तो सोच रहा था भाभी इसे पसंद करेंगीं पर उन्हें ये घटना बहुत चुभ गयी थी)

भाभी मुझे हमेशा से पढ़ने-लिखने वाला सीधा लड़का समझतीं थीं, माँ के देहांत के बाद भाभी हमेशा मेरी पढाई की फ़िक्र करती थीं। और आज मैं उनके बदन को दिन-भर भेदने में लगा रहता था। मुझे भी बड़ी ग्लानि होती थी कभी कभी, पर खुद को ये कह के मन लेता की ऐसे बदन की औरत कभी अकेले नहीं रह पाती, भाई की मेहनत किसी और की बिस्तर गरम करे इससे अच्छा है मैं ही उसका वारिश बनूँ।

मैं: माँ, माफ़ कर दो। फिर कभी नहीं करूँगा ऐसा, ये बदन अब सिर्फ (स्तनों के विस्तार को छूते हुए) मैं ही छुऊंगा। चुप हो जाओ भाभी, वो जानता भी नहीं हमें।
भाभी चुप रहीं और धीरे धीरे उनका रोना बंद हुआ।

मैं थोड़ी देर में ऑफिस के लिए निकलने लगा तो नीचे देखा वो लड़का अभी भी खड़ा था। मैंने उसे डांटा तो वो भाग गया। मैंने भाभी को फ़ोन करके गेट अंदर से लगाने को बोल दिया और फिर ऑफिस चला गया। ऑफिस पहुंचने के बाद मुझे थोड़ा डर सा लगा। मैंने कल ही मालती को काम से निकल दिया था वो हमारे रिश्ते के बारे में सब कुछ जानती थी और अब ये लड़का जो कभी भी भाभी का पीछा कर सकता था। मैंने तुरंत निश्चय कर लिया की हमें घर चेंज करना होगा और वो भी एक-दो दिनों में ही। मैंने ऑफिस से छुट्टी लेकर अभी से दस किलोमीटर दूर के इलाके में ब्रोकर की मदद से एक 2bhk ले लिया। मैं वैसे भी एक कार लेना वाला था और फिर ऑफिस से दस किलोमीटर का सफर दिल्ली में कुछ ज्यादा नहीं था।

मैंने घर पहुंचते ही भाभी को ये बात बताई और फिर उनसे माफ़ी मांगते हुए कहा की जो भी था यहाँ था नए जगह पर नए तरीके से रहेंगे, आप जैसा बोलेंगी मैं वैसा ही करूँगा।

भाभी: वहाँ (नए फ्लैट) में हमारे बारे में क्या बताया है?
मैं: मैंने उन्हें बताया है की आप और मैं माँ बेटे हैं। आप मेरी माँ हैं जो विधवा हैं| दरअसल आपका शरीर ऐसा है की अगर मैं बताता की हम पति-पत्नी हैं तो उन्हें हमारे रिश्ते नाजायज़ लगता। अगर मैं आपको विधवा भाभी बताता, तो सभी यही मानते की आपके ऐसी औरत के साथ रहते रहते कुछ ही दिनों में मेरे और आपके बीच नाजायज़ रिश्ता बन जाता। अंत में माँ बेटे का ही रिश्ता सही लगा जिसको लेकर किसी को शक नहीं होगा और लोग इस रिश्ते को इज़्ज़त से देखते हैं।

भाभी: (चौंकते हुए) ये क्या कह रहे हो, हम माँ बेटे थोड़े ही न हैं!
मैं: मैं कहाँ कह रहा हूँ माँ की तुम मेरी माँ हो, ये तो बस मकान-मालिक और आस-पास के लोगों के लिए। आप तो मेरी दुधारू गाय हो। (मैं भाभी के बदन को फिर मीचने लगा)। तुम भाभी, माँ या फिर दीदी कुछ भी बन जाओ दूसरों के लिए, मेरे लिए तो तुम एक गदराये मांस की औरत हो जिसे चोदना मेरी जिम्मेवारी है। (कहते हुए मैंने भाभी को बिस्तर पे लिटा दिया और खुद उनके ऊपर चढ़ गया। फिर मैंने जम-कर भाभी के बदन को रौंदा। भाभी को छोड़ते वक़्त मैं खूब गालियां देता था| पूरे एक घंटे तक उनके बदन को मथने के बाद भाभी और मैं दोनों थक-कर सो गए।

सुबह-सुबह मैंने मोवेर्स और पैकर्स वालों को बुला रखा था। वो आये और वो लोग सामान पैक करके आधे घंटे में ही निकल गयें। उनके सामने मैंने भाभी को माँ कह के ही बुलाया था। नए घर पे हमारे मकान मालिक ने हमारा स्वागत किया। वो एक दो फ्लोर का मकान था, मकान मालिक (रोहन) खुद नीचे वाले फ्लैट पे रहते थे और हमें ऊपर वाला दिया था। मकान मालिक और उसकी पत्नी (रीता) बस दो ही लोग रहते थे। उनके एकलौते बेटे का एडमिशन US में था। मकान मालिक से तो मैं कल मिला था ब्रोकर के साथ, पर मकान मालकिन से मैं आज पहली बार मिल रहा था। वो एक बड़े चुस्त बदन की औरत थीं, बिलकुल बेहद गदराई हुईं और एक दम शालीन स्वाभाव कीं।
दिन-भर हम घर सजाने में लगे रहे पर शाम होते ही मैंने भाभी को बिस्तर पे सुला के उनके ऊपर चढ़ गया और उनके गालों को चाटते हुए कहा- रीता को देखा तुमने माँ, रोहन भी उसकी दिन-भर चुदाई करते होंगे तभी तो बदन ऐसे गदराया हुआ है उसका।

भाभी को चूमते हुए मैंने कहा- मुझे तो तुम बहुत जल्दी मिल गयी, पूरी ज़िन्दगी पड़ी है तुम्हे चोदने के लिए।

माँ तुम्हे मैं हमेशा खुश रखूँगा। बस तुम अपने बदन का ध्यान रखना, इसकी मिलकियत सिर्फ मेरी हो।

भाभी: और तुम लोगों से मुझे बांटों। इतना चाहते हो इस बदन को तो क्यों उस लड़के हाथ लगाने दिया था इसे| (भाभी के आवाज़ में अभी भी निराशा थी)
मैं: माँ, मुझे माफ़ कर दो। वासना के नशे में खो गया था मैं। पर मैं तुम्हे वादा करता हूँ की आज से मेरी गाय को कोई छुएगा भी नहीं।

तभी गेट की किसी ने घंटी बजायी। मैं और भाभी सहज होके जल्दी से कपडे ठीक किये। मैंने गेट खोला तो एक 30 -35 साल की औरत खड़ी थी। वो मकान-मालिक की मेड (आभा) थी क्यूंकि मैंने उनसे रिक्वेस्ट किया था सो उन्होंने अपनी मेड को भेज दिया था। मैंने उसे अंदर बुलाया और फिर भाभी को भी बरामदे में बुलाया।

मैं: माँ, आभा दीदी आयीं हैं। रोहन भैया ने बोला था न।
भाभी: आती हूँ सुनील

फिर भाभी ने आभा से थोड़ी देर में सारी बातें कर लीं। मैं वहाँ से हट गया था। आभा ने उसी समय से ज्वाइन कर लिया। वो खाना बनाने में लग गयी। मैं आभा के रहते दुसरे कमरे में चला गया था। खाना बनाकर आभा चली गयी और फिर मैं मेन गेट लगा के भाभी के पास चला गया और उन्हें चूमता हुआ नंगा करने लगा।

सारे कपड़े उतारने के बाद मैंने उन्हें बिस्तर पे लिटा दिया और उनके ऊपर चढ़ गया|
 
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