hotaks444
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मैं जिस महिला शिष्य के पीछे बैठा था, उसकी पीठ बहुत ही गोरी और मस्त थी…. वो सभी शिष्या कोई कंपनी की एरहोस्टेज से कम नही लग रही थी…सुंदर पोशाक…..बँधे हुए लंबे बाल, सर पे एक छोटी सी बिंदी, चेहरा एक दम मुलायम और कोमल, टोकड़ दार नाक, आँखो मे हल्का सा काजल, ब्लाउस एक दम पतला, जिससे लगभग आर पार देख सके, सफेद कलर की ब्रा, वो मस्त हवा से हल्के हल्के उड़ती ही हुई साडी…. मन बहुत ही मोहित हो चला था… ऐसे लग रहा था इनकी बाहो मे इन कोमल कोमल मांसल टाँगो पे सो जाऊ और फिर कभी ना उठु….
तभी सामने वाली लाइन से दो नौकर उठे, और मंदिर से निकलने लगे, मैने उनकी तरफ देखा तो मुझे थोड़ा शक सा हो गया कि इतनी रात ये पूजा छोड़ के ये दोनो कहाँ जा रहे है… परंतु मैने ध्यान नही दिया और उधर ही बैठा रहा…. इधर कॉंट्रॅक्टर बाबू की हालत पतली होती जा रही थी…उनका कब्से खड़ा हुआ काला घोड़ा उन्हे परेशान किए जा रहा था और उन्हे उसे मुक्ति देने का समय नही मिल रहा था….
कॉंट्रॅक्टर बाबू ने दिमाग़ लगाया, जिस महिला शिष्या के पीछे वो बैठे थे, उसके वो नज़दीक मतलब थोड़े आगे सरक गये, जैसे कि उस महिला शिष्या के आगे सेठ जी बैठे थे, वो महिला शिष्या आगे सरक नही पाई और वही पर ही थोड़ी हिल कर बैठ गयी, इस चीज़ का पूरा फ़ायदा उठाते हुए कॉंट्रॅक्टर बाबू ने अपना लंड का कुछ ख़याल ना करते हुए पॅंट से निकाल लिया और उस शिष्या का हाथ पीछे खिचते हुए उसे हाथ मे थमा दिया, मैं ये देख के दंग रह गया और आजूबाजू की माहिला शिष्या को भी इस बात का पता चल गया… कॉंट्रॅक्टर बाबू का लंड उस शिष्या के हाथ मे आ नही रहा था इतना बड़ा और फूला हुआ था…वो बेचारी उसे हाथ मे लेके बैठ गयी वैसे ही कॉंट्रॅक्टर बाबू ने उसका कान खिचते हुए उसके कान मे कुछ कहा और वो कॉंट्रॅक्टर बाबू का लंड हिलाने लगी…वो लंड की चमड़ी उपर नीचे करने लगी वैसे ही कॉंट्रॅक्टर बाबू आनंदित होने लगे…उनके मन मे कोमल हाथ के स्पर्श से पंछी उड़ने लगे….. उन्होने फिर कान खीच कान मे कुछ बोला…उसके बाद वो शिष्या कॉंट्रॅक्टर बाबू का लंड ज़रा और ज़ोर्से हिलाने लगी….
कॉंट्रॅक्टर बाबू ने पीछे से उसकी पीठ पे हाथ दिए और उसकी पीठ को होले होले सहलाने लगे…. उससे वो शिष्या भी उत्तेजित होने लगी थी और अपने शरीर को कसमसा रही थी…. उसकी वो कसमकस देख के आजूबाजू की शिष्या भी गरम होने लग गयी और सबसे ज़्यादा गरम होने लगे रावसाब और वकील बाबू…. अगर ये पूजा नही चालू होती तो मैं तो कहता हू ये इन सब महिला शिष्यो को इसी मंदिर के प्रांगण मे चोद देते…..
क्रमशः……………………..
तभी सामने वाली लाइन से दो नौकर उठे, और मंदिर से निकलने लगे, मैने उनकी तरफ देखा तो मुझे थोड़ा शक सा हो गया कि इतनी रात ये पूजा छोड़ के ये दोनो कहाँ जा रहे है… परंतु मैने ध्यान नही दिया और उधर ही बैठा रहा…. इधर कॉंट्रॅक्टर बाबू की हालत पतली होती जा रही थी…उनका कब्से खड़ा हुआ काला घोड़ा उन्हे परेशान किए जा रहा था और उन्हे उसे मुक्ति देने का समय नही मिल रहा था….
कॉंट्रॅक्टर बाबू ने दिमाग़ लगाया, जिस महिला शिष्या के पीछे वो बैठे थे, उसके वो नज़दीक मतलब थोड़े आगे सरक गये, जैसे कि उस महिला शिष्या के आगे सेठ जी बैठे थे, वो महिला शिष्या आगे सरक नही पाई और वही पर ही थोड़ी हिल कर बैठ गयी, इस चीज़ का पूरा फ़ायदा उठाते हुए कॉंट्रॅक्टर बाबू ने अपना लंड का कुछ ख़याल ना करते हुए पॅंट से निकाल लिया और उस शिष्या का हाथ पीछे खिचते हुए उसे हाथ मे थमा दिया, मैं ये देख के दंग रह गया और आजूबाजू की माहिला शिष्या को भी इस बात का पता चल गया… कॉंट्रॅक्टर बाबू का लंड उस शिष्या के हाथ मे आ नही रहा था इतना बड़ा और फूला हुआ था…वो बेचारी उसे हाथ मे लेके बैठ गयी वैसे ही कॉंट्रॅक्टर बाबू ने उसका कान खिचते हुए उसके कान मे कुछ कहा और वो कॉंट्रॅक्टर बाबू का लंड हिलाने लगी…वो लंड की चमड़ी उपर नीचे करने लगी वैसे ही कॉंट्रॅक्टर बाबू आनंदित होने लगे…उनके मन मे कोमल हाथ के स्पर्श से पंछी उड़ने लगे….. उन्होने फिर कान खीच कान मे कुछ बोला…उसके बाद वो शिष्या कॉंट्रॅक्टर बाबू का लंड ज़रा और ज़ोर्से हिलाने लगी….
कॉंट्रॅक्टर बाबू ने पीछे से उसकी पीठ पे हाथ दिए और उसकी पीठ को होले होले सहलाने लगे…. उससे वो शिष्या भी उत्तेजित होने लगी थी और अपने शरीर को कसमसा रही थी…. उसकी वो कसमकस देख के आजूबाजू की शिष्या भी गरम होने लग गयी और सबसे ज़्यादा गरम होने लगे रावसाब और वकील बाबू…. अगर ये पूजा नही चालू होती तो मैं तो कहता हू ये इन सब महिला शिष्यो को इसी मंदिर के प्रांगण मे चोद देते…..
क्रमशः……………………..