Nangi Sex Kahani नौकरी हो तो ऐसी - Page 8 - SexBaba
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Nangi Sex Kahani नौकरी हो तो ऐसी

नौकरी हो तो ऐसी--24

गतान्क से आगे…………………………………….

मैने अभी खुद को नही रोका और धीरे धीरे आगे बढ़ता चला गया और लंड को अंदर तक डालता गया .....

मैं अभी रीना से पूरा चिपक गया और अपनी गांद को नीचे करके मस्त जोरदार झटका मारा "उईईईई माआ मर गयी..." कहके वो चिल्लाने लगी और आसू भी निकल गये पर मैं रुका नही क्यू कि ये रुकने का वक़्त नही था मैने अपनी गति बढ़ा दी

और जोरदार धक्को से चढ़ाई करने लगा ...रीना का दर्द अभी थोड़ा थोड़ा कम होने लगा था ..... और वो मेरी कमर पर हाथ रख के मुझे अपनी तरफ खिचने लगी थी....

मेरे लंड और उसकी बुर के बीच मे पूरा खून लगा था और हम दोनो की सगम की जगह पे पूरा लाल लाल रंग दिख रहा था....

10 मिनिट हो चुके थे.....मैने खचाखच 10 -12 झटके मारे और अब मैं खुद को रोक नही पाया और मैने अपना रस उसकी बुर मे अंदर तक छोड़ दिया...मेरा पूरा पानी चूत मे निकलते ही... मैने लंड बाहर निकाला ....मेरा लंड पूरा सफेद पानी और लाल रंग से भरा हुआ था.....

सब मुझे बस देखे जा रहे थे ... नीचे रीना मेरी ही तरफ देखे जा रही थी ...उतने मे प्रिन्सिपल बोला "अरे तुम तो लंबे रेस के घोड़े लगते हो"

"रीना तो एक मिनिट मे हमारा पानी बस लंड चुस्के निकाल देती है... तुम उसके सामने बहुत देर तक टिके थे .... मानना पड़ेगा तुम्हे बाबूजी"

मैं चार पाई पे सर उपर करके लेट गया और उतने मे रचना आई और उसने मेरा लंड चूसना शुरू किया ...मा कसम क्या होठ थे उसके ... जैसे संतरे की फाक हो..... एकदम कोमल और नरम .......चूस चुस्के उसने मेरा लंड पूरा सॉफ कर दिया ...... इस क्रिया मे मैं इतना उत्तेजित हो गया कि मेरा लंड फिर खड़ा हो गया और वो पूरी तरह सीधे सीधे होते हुए फिर चुदाई के लिए तैय्यर होगया

मैने रचना की गांद को अपने तरफ खिचा वो मेरे उपर गिर पड़ी, उसके होटो को मैने अपने होटो के बीच मे दिया और मस्त चूसा...

प्रिन्सिपल की बेटी मतलब पृथ्वी पे रहनेवाली इंद्रासभा की अप्सराए थी... और उनको भोगनेका सुख मुझे बस सेठ जी के कारण सेठ जी के नाम पे मिल रहा था ...वाह क्या बात है सेठ जी मान गये.....

मैने हल्के हल्के उसके होटो को मस्त चूसा, उसके मूह के अंदर जीब डाल के उसकी थूक मे अपनी थूक मिला दी.. उसके मूह से शराब की पूरी सुगंध आ रही थी.... अभी लड़की के मूह शराब की सुगंध आए... या गुलाब की... वो तो मस्त ही लगेगी ..... नीचे मैं उसके मस्त दूध को दबाते जा रहा था.....

रचना उतने मे बोली "बाबूजी आपका हथियार तो नंबर एक के रेस का घोड़ा है ...थोड़ा मुझे भी इसका मज़ा चखाओ ना...."

मैं - "अरे ज़रूर क्यो नही ...पर पहले ये बताओ कि आजतक कितनो के ले चुकी हो तुम ..."

रचना - "अभी तक...लगभग 30-35 तो ले ही चुकी हू..... मज़ा आता है....."

बाते करते करते मैने रचना को थोड़ा उपर उठाया और अपने लंड को उसकी बुर के छेद मे घुसेड दिया...आधा ....आआधा देखते देखते ..पूरा

लंड बुर के अंदर कब गायब हो गया पता ही नही चला ....साला उसकी चूत मे तीनो को पहले से पानी गिरा हुआ था...

इसलिए उसकी चूत ज़रा ज़्यादा ही चिकनी हो गयी थी .... मैने उसकी कमर को पकड़ के अपनी कमर को उपर नीचे करना शुरू किया

हमारे चुदाई के दरम्यान उसकी बुर से वीरयरस टपक रहा था जो प्रिन्सिपल और दो अन्य शिक्षको ने उसकी बुर मे भरा था....

मेरा लंड पूरा सफेद और चिकना बन गया और पाचक पाचक करके अंदर बाहर हो रहा था......

मैं बोला और बोलो - "और प्रिन्सिपल साब का कितनी बार लिया है ...कितनी बार पेला है तुम्हारे पापा ने तुम्हे..."

रचना - "अरे पापा तो मुझे हर रोज पेलते है.... स्कूल जाते वक़्त भी पेलते है कभी कभी ....कभी कभी तो स्कूल मे ही बुला लेते है..."

मैने अब जोरदार धक्के मारना शुरू किया.....

मैं - "इन तीनो के अलावा किन किन से चुदी हो तुम...."

रचना - "इस गली मे जीतने भी मर्द रहते है सबसे.....जब चाहे बुला लेते है मुझे.... मस्त थूक लगा लगा के चोद्ते है...."
 
मैं उसके निपल को मूह मे लेके मस्त चूस रहा था उधर प्रिन्सिपल ने अपनी छोटी बेटी रीना के मूह मे अपना लंड घुसेड के उसकी मस्त मुख चुदाई

चालू कर दी थी.. .. बाकी के दो शिक्षक रीना के दूध को अपने दोनो हाथो से पकड़ के मस्ती मे दबाए जा रहे थे....

मैं : "और तुम्हे क्या मिलता है ...."

रचना : "मुझे हाहाहा..... मुझे बहुत सारा मज़ा और कभी कभी सज़ा... कभी कभी तो 5-6 आ जाते है और मुझे कही खेत मे ले जाते है...

और इतना चोदते है साले कि मेरी जान निकलने को होती है....पर तब भी मैं नही रुकती चोदे जाती हू.... फिर सब ठंडे पड़ जाते है..."

अब मेरे धक्को की गति इतनी तेज हो गयी कि मुझे पता ही नही चला कि कब मैं चरम सीमा तक पहुचा और अपने रस की फुवारो को

रचना की चूत मे भर दिया.....

इतनी मस्त चुदाई के बाद दिल और दिमाग़ एकदम फुर्तीला नौजवान महसूस कर रहा था पर मेरा पूरा शरीर अब अकड़ने लगा था....

मेरी तरफ देखते हुए प्रिन्सिपल बोला "और मज़ा आया ..."

मैं "मज़ा तो बहुत आया और अब तो आता ही रहेगा... आप चिंता मत करना अभी.... आपका कर्तव्य करने मे मुझे अभी कोई भी बाधा नही आएगी..."

और मैने कपड़े पहेन लिए, रचना और रीना को गाल पे मस्त चूम लिया..... "और चलता हू फिर मिलते है " कहके पूरे दिन के बारे मे सोचते हुए हवेली की तरफ निकल पड़ा.

क्रमशः.......................
 
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