Nangi Sex Kahani सिफली अमल ( काला जादू ) - Page 4 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

Nangi Sex Kahani सिफली अमल ( काला जादू )

बस्तीवालो ने आगे आके मुझे एक लाल रंग का मूँगा दिया.."ये हमारी बस्ती की तरफ से उनको दी जाती है जिन्होने हमारी हमेशा रक्षा की...ये हमारे पूर्वजों का था जब उन्होने यहाँ के इलाक़ो के शैतानो से लड़कर अपनी जान दी और आज ये तोहफा इसके असल मालिक को दे रहे है क़बूल करिए"......

मैने हाथ जोड़के उस वृद्ध औरत के हाथ उसे लाल मूँगा के लॉकेट को अपने गले पे पहना...और फिर मुस्कुरा के चार्ल्स से गले मिला..सबकी आँखो में आँसू थे...पर मुझे बाजी को लिए यहाँ से भी कही दूर जाना था..ताकि इंसानो की निगाहों मे हमेशा ख़ौफ्फ में ना रहे और ना बाजी की शक्सियत के बारें में किसी को मालूम पड़े 

हम घोड़े के टोंगा के अंदर घुस चुके थे....जल्द ही घोड़ा तेज़ी से सड़क की ओर दौड़ने लगा.....और पीछे बरफ गिरती हो हो करती हवाओं में चार्ल्स और उसके बस्तीवाले मुझे अलविदा का इशारा कर रहे थे "दोबारा ज़रूर आना और अपना ख्याल रखना"........चार्ल्स चिल्लाके मुस्कुराया....

"आप लोग भी"......मैने टंगा से निकालके उन सबकी ओर हाथ दिखाते हुए विदाई ली...कब कोहरा में दूर चला गया बस्ती पीछे और हम सड़क के बीचो बीच चलने लगे....मैने परदा लगा लिया और बाजी के करीब आके बैठ गया...

."तुमने मेरे लिए इतना बड़ा जोखिम उठाया भाई".....बाजी ने मुस्कुरा के मेरी ओर देखा और मेरे कंधे पे सर रख लिया...मैं बाजी से एकदम लिपट चुका था..भले ही मैं बाजी को वापिस इंसान ना बना सकूँ लेकिन एक सुकून तो था कि हम अब चैन से एक नयी ज़िंदगी बसर करेंगे...हम कहाँ जा रहे थे? इस बात की कोई मालूमत नही थी....बस हम जल्द ही दूसरे कस्बे की ओर जा रहे थे.....चार्ल्स ने पैसो की कुछ मदद की और उसने बताया कि हम रोमन साइड चले जाए ताकि वहाँ पे लोग हमसे बेख़बर रहेंगे वहाँ बाजी सर्द वीरानो में आराम से रहेंगी ना ही वहाँ इंसान की भीढ़ बाढ़ है और ना ही कोई झंझट 

बाजी को अपनी ग़लती का अहसास था जिस पिशाच से उन्होने अपना दिल लगाया था वो महेज़ एक खिलवाड़ था उसे लगा था कि शायद हम सब एकसाथ एक नयी ज़िंदगी बिताएँगे लेकिन असलियत में वो एक छलावा था राजा स्किवोच की चाल को उन्हें पहले से समझ लेना चाहिए था...लेकिन अब बात बीत चुकी थी और उसे भुलाने के सिवाय कोई चारा नही था...जल्द ही टोंगे वाला हमे बड़े से शहर ले आया....वहाँ से रोमन जाने का सारा बंदोबस चार्ल्स की मदद से हो गया था..और हम जल्द ही रोमन के लिए रवाना हो गये पीछे छोड़ते चले गये एक और दास्तान

"वॉववव ये आपकी अपनी कहानी है या महेज़ ख्वाबो की ताबिर"..........एक लड़की जो मेरे लॅपटॉप को गोद में अपनी रखकर स्क्रीन पे लगे राजशर्मास्टॉरीज ( आरएसएस ) वेबसाइट पर इस कहानी को पढ़ रही थी जो मुस्कुराते हुए बोली..."हा हा हा आप लोगो के लिए महेज़ ख्वाबो की ताबिर पर मेरे लिए मेरी पूरी आप बीती"........मैने मुस्कुराते अपने चश्मे के फ्रेम से उसके हाथो से लॅपटॉप लिया....

एक 20 22 साल की लड़की थी और जिस ट्रेन मैं सफ़र कर रहा था उसी कोच में वो मेरी को-पॅसेंजर थी....

"वैसे सच कहूँ तो मुझे आपकी कहानी पे यकीन नही हो रहा इतना अड्वेंचर एक इंसान फिर एक पिशाच और एक शापित भेड़िया ये सब तो किसी नॉवेल की स्टोरी जैसा लगता है इस्न'ट इट स्ट्रेंज".........उसने मुस्कुराते मेरी ओर देखते हुए कहा

"मुझे अपनी ज़िंदगी के पन्नो को ही लिखने की आदत है ये जो आपने पढ़ी ये मेरी पर्सनल डाइयरी के पन्ने है जिन्हें मैने अब कहानी का एक नायाब रूप दिया है".........

उस लड़की ने मुस्कुराते हुए बड़ी ही बारीकी से मेरी बात को सुना....मैं काफ़ी देर से इस ट्रेन पे सफ़र कर रहा था जा रहा था कोलकाता सोचा क्यूँ ना? अपनी नयी कहानी को वेबसाइट पे पेश किया जाए ताकि जो रीडर्स मेरी कहानी का बेसवरी से इंतेज़ार कर रहे है उन्हें एक दिलचस्प कहानी तो मिलेगी...उसी पल लॅपटॉप पे टाइपिंग के वक़्त इस लड़की से मुलाक़ात हुई जो मेरी इस कहानी को सुनने लगी और जब कहानी सुनने के बाद शुरू हुई तो उसने पूरी दास्तान उसने पढ़ डाली...अचानक उसने फिर मेरी सोच को तोड़ा इस बार वो बहुत क्यूरियस दिख रही थी

"अच्छा अगर ये सच्ची घटना है तो फिर उस लड़की का क्या हुआ? आइ मीन शीबा बाजी जिसे सिफली अमल के तौर से मौत से फिर जगाया गया क्या वो आज भी अपने भाई के साथ ज़िंदा है कहीं रह रही है? या फिर वो मर चुकी है"..........

.मैं उसकी इस बात से काफ़ी ज़ोर से हंसा...मेरी इस हँसी को देख उसे भी शायद ऐसा लगा कि उसने मज़किया तौर पे कोई ऐसी टॉपिक छेड़ दी है जो मेरे हँसने का कारण बन गयी 

"असल में मरा हुआ इंसान कभी दोबारा मर थोड़ी ना सकता है वो अमर हो जाता है....यक़ीनन सिफली अमल से उसके भाई को काफ़ी नुकसान झेलना पड़ा...लेकिन जब उसने अल्लाह के आगे सर झुकाए अपने गुनाहो की माँफी माँगी तो अल्लाह ताला ने उसे माफ़ कर दिया था दोनो फिर तबसे कयि जगह ऐसे घूमते रहे...उन्हें लोग महेज़ इंसान मानते लेकिन वो जानते नही थे कि वो असल में इंसान थी नही एक पिशाचनी थी जिसे इंसानो से कोई नफ़रत नही थी पर उसे अपने इंसानी भाई से ज़रूर मुहब्बत थी और वो उसे छोड़ने वाली नही थी....उसका भाई आज भी उसकी सांसो के साथ ज़िंदा है"........

लड़की ने इमप्रेस्सिंग स्माइल पास करते हुए मेरी ओर देखा.."तब तो आपकी ये कहानी पक्का हिट होंगी".........
 
"मैं नही मानता भला कौन ऐसी चीज़ों पे यकीन करता है एनीवेस स्टेशन लगता है आने वाला है".........मैने अपने गले को खकारा..तभी एकदम से एक आवाज़ आई "हो गयी आप दोनो की बातें पूरी".......एक सुनहेरे बालों वाली किसी विलायती जैसी दिखने में एक गोरी मेम आसिफ़ के साथ बगल में बैठ गयी और उसने आसिफ़ को चाई दी 

"ओह्ह सॉरी मैने तुम्हे इनसे मिलवाया नही इनसे मिलो मेरी वाइफ शीबा"........

.लड़की उसे हक्का बक्का देखते रह गयी उसकी खूबसूरती को बयान करना उसके लिए मुस्किल था उसे एक पल के लिए ऐसा लगा जैसे उसकी आँखे उसके साथ धोका खा रही हो....

"फिरसे स्टोरीस? ये लड़का ना सच में जबसे राइटर की जॉब पकड़ी है बस लिखते रहते है लिखते रहते है ऑल टाइम यही बकवास हा हा हा"........शीबा ने हँसके लड़की की ओर देखा जो उसकी बातों से मुस्कुराने लगी.....

"वैसे सच कहूँ तो आप दिखने में काफ़ी बे-इंतिहा खूबसूरत हो"........

शीबा बाजी ने मेरी ओर मुस्कुराया देख कर..."दरअसल जैसे जैसे उमर होती है खूबसूरती बढ़ जाती है"......मैने हँसके जवाब दिया हम सब हँसने लगे...

"नही सच में लग ही नही रहे आप इंडियन हो लेकिन सच में आप दोनो वाक़ई काफ़ी अच्छे कपल हो".......

मैने उसे थॅंक्स कहा और शीबा ने भी...."दरअसल हम लोग रोमन और ट्रॅन्ज़ील्वेनिया में काफ़ी सालो से रहे है शायद इन्ही वजहों से खैर वैसे आओ कभी कोलकता में हम सॉल्ट लेक में रहते है"....शीबा ने मुस्कुरके लड़की को इन्वाइट किया और उसने बस मुस्कुराया 

"ट्रॅन्ज़ील्वेनिया माइ गॉड मैं तो कभी ना जाउ हाहाहा".......एक बार फिर बौगी में हम तीनो के ठहाके लगाती हँसी निकल गयी उस लड़की की बातों को सुन...इतने में एक गुंडा दरवाजे पे एंट्री करता हुआ उस लड़की को अज़ीब निगाहो से देख कर दूसरी ओर चला गया

"क्या बात है?".......मैने चश्मा ठीक करते हुए उस शक्स को जाते हुए उस लड़की की ओर देखा

"पता नही सुबह से फॉलो कर रहा है सच में शैतान तो हम इंसानो में भी छुपा है"........

मैं मुस्कुराया "डॉन'ट वरी कुछ लोगो की प्यास महेज़ खून नही होती".........मेरी बातों से उस लड़की के चेहरे पे फिर मुस्कान आई

जल्द ही हमारा स्टॉप आने को हो गया...."चलो फिर हम चलते है और अगर दोबारा मिले ऐसी उम्मीद करते है"........मैने बॅग हाथो में लेते हुए लड़की की ओर खड़े होके कहा 

"ओके सर ओके मॅम बाइ".....उसने हम दोनो से हाथ मिलाया और खड़ी होके अपना बॅग पॅक करने लगी....

"मैं आती हूँ"........शीबा बाहर निकल गयी 

"ठीक है जल्दी आना"......मैं फिरसे अपना बॅग पॅक करने लगा

सीटी मारता हुआ वो आदमी जो कुछ देर पहले उस लड़की की ओर घूर के टाय्लेट में अभी घुसा ही था इतने में उसे किसी ने बड़ी ज़ोर से गर्दन से पकड़ लिया...और उसे टाय्लेट में लगे शीशे पे उसके सर को दे मारा....काँच टूट गया और उसका चेहरा खून से तरबतर...वो ख़ौफ्फ भरी निगाहो से टूटे शीशे में अपनी गर्दन को जकड़े उस औरत को देख सकता था..जिसकी आँखे सुर्ख लाल थी और उसके दाँत नुकीले हो गये थे

उसने उस आदमी के मुँह को कासके बंद किया और उसकी गर्दन पे अपने दाँत गाढ दिए......एक दर्द भरी घुटि आवाज़ सुनाई दी....उसके बाद जब टाय्लेट से बाहर निकलके उस औरत ने खुद को शीश मे देखा तो वो मुस्कुरा उठी...शीबा बाजी ने एक बार फिर इंसान का शिकार कर दिया था जिसके खून को पीते हुए वो सिसकिया भर रही थी इस अज़ीब सी प्यास के बुझते ही उसने अपने चेहरे पे लगे खून को धोया और फिर बौगी में आई..."चलो शीबा स्टेशन गया है ओके फिर ये लो".........मैने उस लड़की को एक बुक दी

"ये मेरी कहानी बुक के तौर पे जब चाहो तब पढ़ लेना और हाँ इस किताब के अंदर उन दोनो की तस्वीर है".........

"ऐसा क्या? थॅंक यू सो मच"......उस लड़की ने चहेकते हुए कहा....

"सम्टाइम्ज़ स्ट्रेंज ईज़ नोट फिक्षन किसी बहुत ही समझदार शक्स ने कहा सम्टाइम्ज़ फॅक्ट्स आर स्ट्रेंजर दॅन फिक्षन "......मैं मुस्कुराया और शीबा का हाथ पकड़े स्टेशन से बाहर चला गया....लड़की को सवर नही था और उसने फ़ौरन उस लिफाफे से किताब को बाहर निकाला और उसके पन्ने पलटे एकदम से वो तस्वीर उसके हाथो में आ गयी और उसके चेहरे की मानो जैसे हवाइयाँ उड़ गयी थी....वही चेहरा वही रूप....शीबा बाजी और उसके भाई आसिफ़ की जिसे वो कुछ देर पहले मिली थी उसके को-पॅसेंजर्स इसका मतलब ये कहानी झूट नही थी".......
 
वो लड़की खिड़की से बाहर झाँकने लगी पर उसे वो दो साए कही नही दिखे....जब वो बाहर की ओर दौड़ी उसे टाय्लेट के सामने सबकी भीड़ दिखाई दी जब उसने लोगो को हटाया तो अपने चेहरे पे हाथ रखके एकदम काँप उठी ये वही शक्स था जिसकी गर्दन को काट कर किसी ने बेरहेमी से उसका क़तल किया था उसके घाव के निशान सॉफ बता रहे थे किसीने उसकी गर्दन को अपने नुकीले दांतो से काटा है और उसका खून पिया है ये उसने आसिफ़ की दास्तान में भी पढ़ा था सारी सच्चाई एक तस्वीर की तरहा उसके ज़हन में घूमने लगी और तभी काँपते हुए उसके हाथो से वो तस्वीर उस आदमी के फर्श पे गिरे बह रहे खून पे गिर पड़ी और तस्वीर खून में मानो लाल खून से रंग सी गयी

बस उस लड़की के ज़हन में एक ही बात घूम रही थी और वो ख़ौफ़ से कांपें जा रही थी उन दोनो को सोचकर "फॅक्ट्स आर सम्टाइम्ज़ स्ट्रेंजर दॅन फिक्षन".

दा एंड....
 
Back
Top