hotaks444
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बस्तीवालो ने आगे आके मुझे एक लाल रंग का मूँगा दिया.."ये हमारी बस्ती की तरफ से उनको दी जाती है जिन्होने हमारी हमेशा रक्षा की...ये हमारे पूर्वजों का था जब उन्होने यहाँ के इलाक़ो के शैतानो से लड़कर अपनी जान दी और आज ये तोहफा इसके असल मालिक को दे रहे है क़बूल करिए"......
मैने हाथ जोड़के उस वृद्ध औरत के हाथ उसे लाल मूँगा के लॉकेट को अपने गले पे पहना...और फिर मुस्कुरा के चार्ल्स से गले मिला..सबकी आँखो में आँसू थे...पर मुझे बाजी को लिए यहाँ से भी कही दूर जाना था..ताकि इंसानो की निगाहों मे हमेशा ख़ौफ्फ में ना रहे और ना बाजी की शक्सियत के बारें में किसी को मालूम पड़े
हम घोड़े के टोंगा के अंदर घुस चुके थे....जल्द ही घोड़ा तेज़ी से सड़क की ओर दौड़ने लगा.....और पीछे बरफ गिरती हो हो करती हवाओं में चार्ल्स और उसके बस्तीवाले मुझे अलविदा का इशारा कर रहे थे "दोबारा ज़रूर आना और अपना ख्याल रखना"........चार्ल्स चिल्लाके मुस्कुराया....
"आप लोग भी"......मैने टंगा से निकालके उन सबकी ओर हाथ दिखाते हुए विदाई ली...कब कोहरा में दूर चला गया बस्ती पीछे और हम सड़क के बीचो बीच चलने लगे....मैने परदा लगा लिया और बाजी के करीब आके बैठ गया...
."तुमने मेरे लिए इतना बड़ा जोखिम उठाया भाई".....बाजी ने मुस्कुरा के मेरी ओर देखा और मेरे कंधे पे सर रख लिया...मैं बाजी से एकदम लिपट चुका था..भले ही मैं बाजी को वापिस इंसान ना बना सकूँ लेकिन एक सुकून तो था कि हम अब चैन से एक नयी ज़िंदगी बसर करेंगे...हम कहाँ जा रहे थे? इस बात की कोई मालूमत नही थी....बस हम जल्द ही दूसरे कस्बे की ओर जा रहे थे.....चार्ल्स ने पैसो की कुछ मदद की और उसने बताया कि हम रोमन साइड चले जाए ताकि वहाँ पे लोग हमसे बेख़बर रहेंगे वहाँ बाजी सर्द वीरानो में आराम से रहेंगी ना ही वहाँ इंसान की भीढ़ बाढ़ है और ना ही कोई झंझट
बाजी को अपनी ग़लती का अहसास था जिस पिशाच से उन्होने अपना दिल लगाया था वो महेज़ एक खिलवाड़ था उसे लगा था कि शायद हम सब एकसाथ एक नयी ज़िंदगी बिताएँगे लेकिन असलियत में वो एक छलावा था राजा स्किवोच की चाल को उन्हें पहले से समझ लेना चाहिए था...लेकिन अब बात बीत चुकी थी और उसे भुलाने के सिवाय कोई चारा नही था...जल्द ही टोंगे वाला हमे बड़े से शहर ले आया....वहाँ से रोमन जाने का सारा बंदोबस चार्ल्स की मदद से हो गया था..और हम जल्द ही रोमन के लिए रवाना हो गये पीछे छोड़ते चले गये एक और दास्तान
"वॉववव ये आपकी अपनी कहानी है या महेज़ ख्वाबो की ताबिर"..........एक लड़की जो मेरे लॅपटॉप को गोद में अपनी रखकर स्क्रीन पे लगे राजशर्मास्टॉरीज ( आरएसएस ) वेबसाइट पर इस कहानी को पढ़ रही थी जो मुस्कुराते हुए बोली..."हा हा हा आप लोगो के लिए महेज़ ख्वाबो की ताबिर पर मेरे लिए मेरी पूरी आप बीती"........मैने मुस्कुराते अपने चश्मे के फ्रेम से उसके हाथो से लॅपटॉप लिया....
एक 20 22 साल की लड़की थी और जिस ट्रेन मैं सफ़र कर रहा था उसी कोच में वो मेरी को-पॅसेंजर थी....
"वैसे सच कहूँ तो मुझे आपकी कहानी पे यकीन नही हो रहा इतना अड्वेंचर एक इंसान फिर एक पिशाच और एक शापित भेड़िया ये सब तो किसी नॉवेल की स्टोरी जैसा लगता है इस्न'ट इट स्ट्रेंज".........उसने मुस्कुराते मेरी ओर देखते हुए कहा
"मुझे अपनी ज़िंदगी के पन्नो को ही लिखने की आदत है ये जो आपने पढ़ी ये मेरी पर्सनल डाइयरी के पन्ने है जिन्हें मैने अब कहानी का एक नायाब रूप दिया है".........
उस लड़की ने मुस्कुराते हुए बड़ी ही बारीकी से मेरी बात को सुना....मैं काफ़ी देर से इस ट्रेन पे सफ़र कर रहा था जा रहा था कोलकाता सोचा क्यूँ ना? अपनी नयी कहानी को वेबसाइट पे पेश किया जाए ताकि जो रीडर्स मेरी कहानी का बेसवरी से इंतेज़ार कर रहे है उन्हें एक दिलचस्प कहानी तो मिलेगी...उसी पल लॅपटॉप पे टाइपिंग के वक़्त इस लड़की से मुलाक़ात हुई जो मेरी इस कहानी को सुनने लगी और जब कहानी सुनने के बाद शुरू हुई तो उसने पूरी दास्तान उसने पढ़ डाली...अचानक उसने फिर मेरी सोच को तोड़ा इस बार वो बहुत क्यूरियस दिख रही थी
"अच्छा अगर ये सच्ची घटना है तो फिर उस लड़की का क्या हुआ? आइ मीन शीबा बाजी जिसे सिफली अमल के तौर से मौत से फिर जगाया गया क्या वो आज भी अपने भाई के साथ ज़िंदा है कहीं रह रही है? या फिर वो मर चुकी है"..........
.मैं उसकी इस बात से काफ़ी ज़ोर से हंसा...मेरी इस हँसी को देख उसे भी शायद ऐसा लगा कि उसने मज़किया तौर पे कोई ऐसी टॉपिक छेड़ दी है जो मेरे हँसने का कारण बन गयी
"असल में मरा हुआ इंसान कभी दोबारा मर थोड़ी ना सकता है वो अमर हो जाता है....यक़ीनन सिफली अमल से उसके भाई को काफ़ी नुकसान झेलना पड़ा...लेकिन जब उसने अल्लाह के आगे सर झुकाए अपने गुनाहो की माँफी माँगी तो अल्लाह ताला ने उसे माफ़ कर दिया था दोनो फिर तबसे कयि जगह ऐसे घूमते रहे...उन्हें लोग महेज़ इंसान मानते लेकिन वो जानते नही थे कि वो असल में इंसान थी नही एक पिशाचनी थी जिसे इंसानो से कोई नफ़रत नही थी पर उसे अपने इंसानी भाई से ज़रूर मुहब्बत थी और वो उसे छोड़ने वाली नही थी....उसका भाई आज भी उसकी सांसो के साथ ज़िंदा है"........
लड़की ने इमप्रेस्सिंग स्माइल पास करते हुए मेरी ओर देखा.."तब तो आपकी ये कहानी पक्का हिट होंगी".........
मैने हाथ जोड़के उस वृद्ध औरत के हाथ उसे लाल मूँगा के लॉकेट को अपने गले पे पहना...और फिर मुस्कुरा के चार्ल्स से गले मिला..सबकी आँखो में आँसू थे...पर मुझे बाजी को लिए यहाँ से भी कही दूर जाना था..ताकि इंसानो की निगाहों मे हमेशा ख़ौफ्फ में ना रहे और ना बाजी की शक्सियत के बारें में किसी को मालूम पड़े
हम घोड़े के टोंगा के अंदर घुस चुके थे....जल्द ही घोड़ा तेज़ी से सड़क की ओर दौड़ने लगा.....और पीछे बरफ गिरती हो हो करती हवाओं में चार्ल्स और उसके बस्तीवाले मुझे अलविदा का इशारा कर रहे थे "दोबारा ज़रूर आना और अपना ख्याल रखना"........चार्ल्स चिल्लाके मुस्कुराया....
"आप लोग भी"......मैने टंगा से निकालके उन सबकी ओर हाथ दिखाते हुए विदाई ली...कब कोहरा में दूर चला गया बस्ती पीछे और हम सड़क के बीचो बीच चलने लगे....मैने परदा लगा लिया और बाजी के करीब आके बैठ गया...
."तुमने मेरे लिए इतना बड़ा जोखिम उठाया भाई".....बाजी ने मुस्कुरा के मेरी ओर देखा और मेरे कंधे पे सर रख लिया...मैं बाजी से एकदम लिपट चुका था..भले ही मैं बाजी को वापिस इंसान ना बना सकूँ लेकिन एक सुकून तो था कि हम अब चैन से एक नयी ज़िंदगी बसर करेंगे...हम कहाँ जा रहे थे? इस बात की कोई मालूमत नही थी....बस हम जल्द ही दूसरे कस्बे की ओर जा रहे थे.....चार्ल्स ने पैसो की कुछ मदद की और उसने बताया कि हम रोमन साइड चले जाए ताकि वहाँ पे लोग हमसे बेख़बर रहेंगे वहाँ बाजी सर्द वीरानो में आराम से रहेंगी ना ही वहाँ इंसान की भीढ़ बाढ़ है और ना ही कोई झंझट
बाजी को अपनी ग़लती का अहसास था जिस पिशाच से उन्होने अपना दिल लगाया था वो महेज़ एक खिलवाड़ था उसे लगा था कि शायद हम सब एकसाथ एक नयी ज़िंदगी बिताएँगे लेकिन असलियत में वो एक छलावा था राजा स्किवोच की चाल को उन्हें पहले से समझ लेना चाहिए था...लेकिन अब बात बीत चुकी थी और उसे भुलाने के सिवाय कोई चारा नही था...जल्द ही टोंगे वाला हमे बड़े से शहर ले आया....वहाँ से रोमन जाने का सारा बंदोबस चार्ल्स की मदद से हो गया था..और हम जल्द ही रोमन के लिए रवाना हो गये पीछे छोड़ते चले गये एक और दास्तान
"वॉववव ये आपकी अपनी कहानी है या महेज़ ख्वाबो की ताबिर"..........एक लड़की जो मेरे लॅपटॉप को गोद में अपनी रखकर स्क्रीन पे लगे राजशर्मास्टॉरीज ( आरएसएस ) वेबसाइट पर इस कहानी को पढ़ रही थी जो मुस्कुराते हुए बोली..."हा हा हा आप लोगो के लिए महेज़ ख्वाबो की ताबिर पर मेरे लिए मेरी पूरी आप बीती"........मैने मुस्कुराते अपने चश्मे के फ्रेम से उसके हाथो से लॅपटॉप लिया....
एक 20 22 साल की लड़की थी और जिस ट्रेन मैं सफ़र कर रहा था उसी कोच में वो मेरी को-पॅसेंजर थी....
"वैसे सच कहूँ तो मुझे आपकी कहानी पे यकीन नही हो रहा इतना अड्वेंचर एक इंसान फिर एक पिशाच और एक शापित भेड़िया ये सब तो किसी नॉवेल की स्टोरी जैसा लगता है इस्न'ट इट स्ट्रेंज".........उसने मुस्कुराते मेरी ओर देखते हुए कहा
"मुझे अपनी ज़िंदगी के पन्नो को ही लिखने की आदत है ये जो आपने पढ़ी ये मेरी पर्सनल डाइयरी के पन्ने है जिन्हें मैने अब कहानी का एक नायाब रूप दिया है".........
उस लड़की ने मुस्कुराते हुए बड़ी ही बारीकी से मेरी बात को सुना....मैं काफ़ी देर से इस ट्रेन पे सफ़र कर रहा था जा रहा था कोलकाता सोचा क्यूँ ना? अपनी नयी कहानी को वेबसाइट पे पेश किया जाए ताकि जो रीडर्स मेरी कहानी का बेसवरी से इंतेज़ार कर रहे है उन्हें एक दिलचस्प कहानी तो मिलेगी...उसी पल लॅपटॉप पे टाइपिंग के वक़्त इस लड़की से मुलाक़ात हुई जो मेरी इस कहानी को सुनने लगी और जब कहानी सुनने के बाद शुरू हुई तो उसने पूरी दास्तान उसने पढ़ डाली...अचानक उसने फिर मेरी सोच को तोड़ा इस बार वो बहुत क्यूरियस दिख रही थी
"अच्छा अगर ये सच्ची घटना है तो फिर उस लड़की का क्या हुआ? आइ मीन शीबा बाजी जिसे सिफली अमल के तौर से मौत से फिर जगाया गया क्या वो आज भी अपने भाई के साथ ज़िंदा है कहीं रह रही है? या फिर वो मर चुकी है"..........
.मैं उसकी इस बात से काफ़ी ज़ोर से हंसा...मेरी इस हँसी को देख उसे भी शायद ऐसा लगा कि उसने मज़किया तौर पे कोई ऐसी टॉपिक छेड़ दी है जो मेरे हँसने का कारण बन गयी
"असल में मरा हुआ इंसान कभी दोबारा मर थोड़ी ना सकता है वो अमर हो जाता है....यक़ीनन सिफली अमल से उसके भाई को काफ़ी नुकसान झेलना पड़ा...लेकिन जब उसने अल्लाह के आगे सर झुकाए अपने गुनाहो की माँफी माँगी तो अल्लाह ताला ने उसे माफ़ कर दिया था दोनो फिर तबसे कयि जगह ऐसे घूमते रहे...उन्हें लोग महेज़ इंसान मानते लेकिन वो जानते नही थे कि वो असल में इंसान थी नही एक पिशाचनी थी जिसे इंसानो से कोई नफ़रत नही थी पर उसे अपने इंसानी भाई से ज़रूर मुहब्बत थी और वो उसे छोड़ने वाली नही थी....उसका भाई आज भी उसकी सांसो के साथ ज़िंदा है"........
लड़की ने इमप्रेस्सिंग स्माइल पास करते हुए मेरी ओर देखा.."तब तो आपकी ये कहानी पक्का हिट होंगी".........