hotaks444
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पूरी वेट हो चुकी थी इंदु. तेज साँसों की आवाज़ और ... मुँह से निकलती हल्की आहह ने समा बाँधे हुआ था. हैरत की बात ये थी पिगला आनी भी गरम हो कर निकल रहा था.
विक्की के मुँह उपर करते ही मदहोशी की आवाज़ मे इंदु बोली ... आआब्ब्ब मेरी बारी...
इतना कह कर विक्की को लिटा दी, और उसके होठों को चूमती नीचे आई, थोड़ा बैठ कर एक नज़र विक्की को देखी, और बड़े प्यार से सीने पर हाथ फेरने लगी. हाथ की छुअन इतनी समया थी कि विक्की बिल्कुल मदहोश सा हो गया, और जब आनद से आँखें बंद हो गयी तब इंदु ने उसके सीने के बाल को उंगलियों मे फँसा कर झटके से खींच दिया.
सुक्र है तीन चार बाल ही थे, यदि उंगलियों मे रोल कर जितनी बाल फँसाए थी उतने को झटके मे खींचती तो विक्की का बेहोश होना तय था. पर ये तीन चार बाल भी काफ़ी थे, विक्की की चींख निकालने और उसके आँखों मे आँसू लाने के लिए.
दर्द से कर्राहता विक्की सच मे रो पड़ा, लेकिन वो कुछ नही किया, अपने दर्द को दबा ले गया. जहाँ से बाल खींची थी, वहाँ अपनी जीभ लगा कर चाट'ती हुई इंदु नीचे के तरफ आई. एरेक्ट हो चुके लिंग को उलट पलट कर एक बार देखी. फिर अपना मुट्ठी मे भर कर उसे आगे पिछे करने लगी.
आहह ... मज़ा आ गया... कहते हुए विक्की मानो आभार प्रकट कर रहा हो, पर जैसे हे एक बार फिर विक्की आनन्द मे आया इंदु ने मिटती की जगह पाँचों उंगलियों के नाख़ून से उसके लिंग को पकड़ाई और एक ही बार मे खींचती हुई पीछे से आगे की ओर ले आई.
लिंग की चमड़ी इंदु के नाख़ून मे आ गयी थी, लाल धारियाँ लिंग पर बन गयी थी जो छिल्ने के निशान थे, और विक्की उसने तो मारे दर्द के अपने होंठ को दाँतों तले दबा लिया.
अब इंदु की मरहम लगाने की बारी थी. पूरा मुँह खोल कर उसके लिंग को अपने मुँह मे ले ली और उसे राहत देने लगी, छिली हुई चमड़ी पर मुँह और थूक के लगने से एक ओर छिलन की झंझनाहट पैदा हो रही थी वहीं मुँह मे लिंग आने से विक्की आनंद की नयी दुनिया मे था.
दर्द और मस्ती का आनंद विक्की भी ले रहा था जिस बात का गवाह उसका कमर दे रहा था जो मस्ती मे हिल रहा था. अब दोनो मे से कोई भी इस खेल को आगे बढ़ाने की हिम्मत मे नही था, अब तो बस आनद लेने की बारी थी.
विक्की उठ कर बैठ गया और अपने दोनो पाँव फैला कर इंदु को बीच मे बैठने के लिए बोला. इंदु भी विक्की के कमर के दोनो ओर पाँव कर के बैठ गयी. विक्की ने इंदु के बॅक को अपने हाथों से उठा कर उसके योनि पर अपना लिंग रखा और झटके देना शुरू किया.
ताबडतोड़ दोनो झटके खा रहे थे. बाल बिखर कर पूरे चेहरे पर झूल रहे थे, दोनो के बदन मे मानो कुछ ही जान बची हो. बदन भी मदहोशी ले आलम मे मस्ती मे झूम रहे थे, और दर्द भाड़े इस सेक्स का दोनो आनद उठाते हुए अपने-अपने कमर को तेज़ी से झटका देते हुए सेक्स का भरपूर आनद ले रहे थे.
तकरीबन 5 मिनट बाद दोनो शांत हो कर निढाल हो गये. बदन मे अब थोड़ी भी जान नही बची थी. लेकिन सेक्स के दौरान जैसे जंगली की तरह किया इन्होने, सेक्स का नशा उतरते ही बदन मे जलन और दर्द कहाँ-कहाँ से पैदा हो रहा था ये तो दोनो ही जानते थे.
दर्द इतना था कि दोनो ने चार-चार पॅक लगाया और वहीं सो गये. अब तो इतनी हिम्मत नही बची थी कि आँखें भी खोल सके.
आइआइएफडी (इंडियन इन्स्टिट्यूट ऑफ फैशन डेज़ाइनिंग) देल्ही के पहले दिन सब के लिए नयी उम्मीदों के साथ शुरू हुआ. बीता सबका कैसा भी हो पहला दिन, पर ग्लॅमर की चकाचोंध सब पर छाई थी.
क्रेज़ीबॉय और सैली 4 बजते बजते वापस आ चुके थे हॉस्टिल. क्रेज़ी बॉय सैली को छोड़ते हुए, अपने बाय्स हॉस्टिल मे जा चुका था. शाम ढलते-ढलते वासू भी रीति के साथ लौट आई थी. नीमा से मिलकर रीति भी काफ़ी खुश नज़र आ रही थी.
रीति जब लौटी तो सैली अकेली बैठी रूम मे टीवी देख रही थी..... रीति भी चेंज कर के वहीं बैठ गयी उसके पास. थोड़ी देर बाद वासू भी पहुँची दोनो के कमरे मे ....
वासू...... क्या कर रहे हो दोनो..
सैली.... करने को कुछ था नही, मैं लौटी तो अकेली थी, इसलिए टीवी देख रही थी.
वासू.... सेम हियर, मेरी रूम मेट भी नही है, मैं भी बोर हो रही हूँ.
रीति..... मैं भी बोर हो गयी, मेरी रूम मेट मुझे देख कर भी कोई रिक्षन नही दी.
वासू.... हा हा हा, सैली लगता है टीवी मे कुछ ज़्यादा खोई थी, देख नही रही, रोमॅंटिक मूवी देख रही है.
रीति.... देखना क्या है, दोनो लव बर्ड गये तो थे आज साथ.
सैली..... हुहह, क्या कह दिया, मूड फिर से ओफफफ्फ़. याद मत दिलाओ आज की मुझे
रीति और वासू दोनो घूरते हुए सैली को .... "क्यों क्या हो गया, कहीं किसी मे बदतमीज़ी तो नही कर दिया"
सैली.... मेरे साथ बदतमीज़ी, काली का रूप लेते मुझे देर ही नही लगती... वो तो मैं अपने करज़ीबॉय पर नाराज़ थी.
अपना छोटा सा मुँह बनाती आज हुए सिनिमा हॉल की घटना से लेकर हॉरर जगह रोमॅन्स की कहानी सुना दी. रीति और वासू हंस-हंस कर लोटपोट हो गयी, और सैली को चिढ़ाते..... रोमॅन्स हॉरर प्लेस पर ... तो क्या सुहागरात शमशान मे मनाओगी.
सैली भी वासू की बात पर हँसती हुई..... हां, मेरे क्रेज़ीबॉय का मन हुआ तो वहाँ भी हो जाएगा.
तीनो की चिट-चॅट चलती हे रही. कुछ अपने बारे मे फिर कॉलेज और पढ़ाई के बारे मे और फिर जिसपर सबसे ज़्यादा चर्चाएँ हुई, वो थी स्टार्स के आने की बातों को लेकर. आख़िर पॉइंट ऑफ अट्रर्क्षन वही तो था, और सारी चर्चाएँ उसी ओर थी.
जिस वक़्त इन लोगों की बातें चल रही थी, ठीक उसी समय इंदु और विक्की का कांड हो रहा था. बात करते-करते खाने का समय भी हो गया, तीनो कॅंटीन से खा कर वापस आई, पर बात थी की ख़तम होने का नाम ही नही ले रही थी. शायद तीनो का पहला इनट्रेक्षन था, और ज़्यादा से ज़्यादा एक दूसरे को जान ने की कोशिस कर रही थी.
तीनो की बातें तकरीबन 12 बजे ख़तम हुई, और सभा टूट ने के बाद सब अपने रात्रि कार्यक्रम मे लग गये. आज सैली गुस्सा थी इसलिए गौरव के कॉल और उसके मनाने का इंतज़ार कर रही थी, उधर रीति थोड़ी देर पढ़ कर सो गयी.
वासू अपने रूम मे पहुँची, इंदु अभी तक नही आई थी. वासू अपने मन मे सोचती..... "हद है घर से पढ़ने आती है और रात भर हॉस्टिल से गायब, इन जैसी लड़कियों को देख कर, माँ-बाप पढ़ने वाली लड़कियों को भी बाहर नही भेजते.
इधर 12 बजे के करीब इंदु की आँखें खुली, थोड़ा भूख लगा था और दर्द भी सरीर मे हल्का हल्का हो रहा था, पहले वॉशरूम जाकर हॉट सावर ली, सरीर थोड़ा रिलॅक्स कर रहा था, अंदर आकर अपने बॅग से एक पेन किल्लर की टॅबलेट ले ली.
थोड़ी देर इधर उधर घर मे घूमी, पर घर मे कोई नज़र नही आ रहा था, वो वापस आकर विक्की को हिलाने लगी, उसकी आँखें नशे मे लाल थोड़ी खुली, और "क्या है" कहता हुआ फिर अपनी आँखें मूंद लिया.
इंदु ने उसे फिर ज़ोर से हिलाई .... विक्की उठ कर बैठ गया ... और इंदु उस से कुछ खाना मंगवाने की इक्षा जाहिर की. विक्की ने एक कॉल किया और दोनो के लिए खाना आ गया.
उठ ने के बाद जो हाल इंदु का था, वही हाल विक्की का भी था, विक्की भी शावेर लेने चला गया, जबतक लौट कर आया तबतक इंदु खा कर बिस्तर पर लेट चुकी थी....
विक्की के मुँह उपर करते ही मदहोशी की आवाज़ मे इंदु बोली ... आआब्ब्ब मेरी बारी...
इतना कह कर विक्की को लिटा दी, और उसके होठों को चूमती नीचे आई, थोड़ा बैठ कर एक नज़र विक्की को देखी, और बड़े प्यार से सीने पर हाथ फेरने लगी. हाथ की छुअन इतनी समया थी कि विक्की बिल्कुल मदहोश सा हो गया, और जब आनद से आँखें बंद हो गयी तब इंदु ने उसके सीने के बाल को उंगलियों मे फँसा कर झटके से खींच दिया.
सुक्र है तीन चार बाल ही थे, यदि उंगलियों मे रोल कर जितनी बाल फँसाए थी उतने को झटके मे खींचती तो विक्की का बेहोश होना तय था. पर ये तीन चार बाल भी काफ़ी थे, विक्की की चींख निकालने और उसके आँखों मे आँसू लाने के लिए.
दर्द से कर्राहता विक्की सच मे रो पड़ा, लेकिन वो कुछ नही किया, अपने दर्द को दबा ले गया. जहाँ से बाल खींची थी, वहाँ अपनी जीभ लगा कर चाट'ती हुई इंदु नीचे के तरफ आई. एरेक्ट हो चुके लिंग को उलट पलट कर एक बार देखी. फिर अपना मुट्ठी मे भर कर उसे आगे पिछे करने लगी.
आहह ... मज़ा आ गया... कहते हुए विक्की मानो आभार प्रकट कर रहा हो, पर जैसे हे एक बार फिर विक्की आनन्द मे आया इंदु ने मिटती की जगह पाँचों उंगलियों के नाख़ून से उसके लिंग को पकड़ाई और एक ही बार मे खींचती हुई पीछे से आगे की ओर ले आई.
लिंग की चमड़ी इंदु के नाख़ून मे आ गयी थी, लाल धारियाँ लिंग पर बन गयी थी जो छिल्ने के निशान थे, और विक्की उसने तो मारे दर्द के अपने होंठ को दाँतों तले दबा लिया.
अब इंदु की मरहम लगाने की बारी थी. पूरा मुँह खोल कर उसके लिंग को अपने मुँह मे ले ली और उसे राहत देने लगी, छिली हुई चमड़ी पर मुँह और थूक के लगने से एक ओर छिलन की झंझनाहट पैदा हो रही थी वहीं मुँह मे लिंग आने से विक्की आनंद की नयी दुनिया मे था.
दर्द और मस्ती का आनंद विक्की भी ले रहा था जिस बात का गवाह उसका कमर दे रहा था जो मस्ती मे हिल रहा था. अब दोनो मे से कोई भी इस खेल को आगे बढ़ाने की हिम्मत मे नही था, अब तो बस आनद लेने की बारी थी.
विक्की उठ कर बैठ गया और अपने दोनो पाँव फैला कर इंदु को बीच मे बैठने के लिए बोला. इंदु भी विक्की के कमर के दोनो ओर पाँव कर के बैठ गयी. विक्की ने इंदु के बॅक को अपने हाथों से उठा कर उसके योनि पर अपना लिंग रखा और झटके देना शुरू किया.
ताबडतोड़ दोनो झटके खा रहे थे. बाल बिखर कर पूरे चेहरे पर झूल रहे थे, दोनो के बदन मे मानो कुछ ही जान बची हो. बदन भी मदहोशी ले आलम मे मस्ती मे झूम रहे थे, और दर्द भाड़े इस सेक्स का दोनो आनद उठाते हुए अपने-अपने कमर को तेज़ी से झटका देते हुए सेक्स का भरपूर आनद ले रहे थे.
तकरीबन 5 मिनट बाद दोनो शांत हो कर निढाल हो गये. बदन मे अब थोड़ी भी जान नही बची थी. लेकिन सेक्स के दौरान जैसे जंगली की तरह किया इन्होने, सेक्स का नशा उतरते ही बदन मे जलन और दर्द कहाँ-कहाँ से पैदा हो रहा था ये तो दोनो ही जानते थे.
दर्द इतना था कि दोनो ने चार-चार पॅक लगाया और वहीं सो गये. अब तो इतनी हिम्मत नही बची थी कि आँखें भी खोल सके.
आइआइएफडी (इंडियन इन्स्टिट्यूट ऑफ फैशन डेज़ाइनिंग) देल्ही के पहले दिन सब के लिए नयी उम्मीदों के साथ शुरू हुआ. बीता सबका कैसा भी हो पहला दिन, पर ग्लॅमर की चकाचोंध सब पर छाई थी.
क्रेज़ीबॉय और सैली 4 बजते बजते वापस आ चुके थे हॉस्टिल. क्रेज़ी बॉय सैली को छोड़ते हुए, अपने बाय्स हॉस्टिल मे जा चुका था. शाम ढलते-ढलते वासू भी रीति के साथ लौट आई थी. नीमा से मिलकर रीति भी काफ़ी खुश नज़र आ रही थी.
रीति जब लौटी तो सैली अकेली बैठी रूम मे टीवी देख रही थी..... रीति भी चेंज कर के वहीं बैठ गयी उसके पास. थोड़ी देर बाद वासू भी पहुँची दोनो के कमरे मे ....
वासू...... क्या कर रहे हो दोनो..
सैली.... करने को कुछ था नही, मैं लौटी तो अकेली थी, इसलिए टीवी देख रही थी.
वासू.... सेम हियर, मेरी रूम मेट भी नही है, मैं भी बोर हो रही हूँ.
रीति..... मैं भी बोर हो गयी, मेरी रूम मेट मुझे देख कर भी कोई रिक्षन नही दी.
वासू.... हा हा हा, सैली लगता है टीवी मे कुछ ज़्यादा खोई थी, देख नही रही, रोमॅंटिक मूवी देख रही है.
रीति.... देखना क्या है, दोनो लव बर्ड गये तो थे आज साथ.
सैली..... हुहह, क्या कह दिया, मूड फिर से ओफफफ्फ़. याद मत दिलाओ आज की मुझे
रीति और वासू दोनो घूरते हुए सैली को .... "क्यों क्या हो गया, कहीं किसी मे बदतमीज़ी तो नही कर दिया"
सैली.... मेरे साथ बदतमीज़ी, काली का रूप लेते मुझे देर ही नही लगती... वो तो मैं अपने करज़ीबॉय पर नाराज़ थी.
अपना छोटा सा मुँह बनाती आज हुए सिनिमा हॉल की घटना से लेकर हॉरर जगह रोमॅन्स की कहानी सुना दी. रीति और वासू हंस-हंस कर लोटपोट हो गयी, और सैली को चिढ़ाते..... रोमॅन्स हॉरर प्लेस पर ... तो क्या सुहागरात शमशान मे मनाओगी.
सैली भी वासू की बात पर हँसती हुई..... हां, मेरे क्रेज़ीबॉय का मन हुआ तो वहाँ भी हो जाएगा.
तीनो की चिट-चॅट चलती हे रही. कुछ अपने बारे मे फिर कॉलेज और पढ़ाई के बारे मे और फिर जिसपर सबसे ज़्यादा चर्चाएँ हुई, वो थी स्टार्स के आने की बातों को लेकर. आख़िर पॉइंट ऑफ अट्रर्क्षन वही तो था, और सारी चर्चाएँ उसी ओर थी.
जिस वक़्त इन लोगों की बातें चल रही थी, ठीक उसी समय इंदु और विक्की का कांड हो रहा था. बात करते-करते खाने का समय भी हो गया, तीनो कॅंटीन से खा कर वापस आई, पर बात थी की ख़तम होने का नाम ही नही ले रही थी. शायद तीनो का पहला इनट्रेक्षन था, और ज़्यादा से ज़्यादा एक दूसरे को जान ने की कोशिस कर रही थी.
तीनो की बातें तकरीबन 12 बजे ख़तम हुई, और सभा टूट ने के बाद सब अपने रात्रि कार्यक्रम मे लग गये. आज सैली गुस्सा थी इसलिए गौरव के कॉल और उसके मनाने का इंतज़ार कर रही थी, उधर रीति थोड़ी देर पढ़ कर सो गयी.
वासू अपने रूम मे पहुँची, इंदु अभी तक नही आई थी. वासू अपने मन मे सोचती..... "हद है घर से पढ़ने आती है और रात भर हॉस्टिल से गायब, इन जैसी लड़कियों को देख कर, माँ-बाप पढ़ने वाली लड़कियों को भी बाहर नही भेजते.
इधर 12 बजे के करीब इंदु की आँखें खुली, थोड़ा भूख लगा था और दर्द भी सरीर मे हल्का हल्का हो रहा था, पहले वॉशरूम जाकर हॉट सावर ली, सरीर थोड़ा रिलॅक्स कर रहा था, अंदर आकर अपने बॅग से एक पेन किल्लर की टॅबलेट ले ली.
थोड़ी देर इधर उधर घर मे घूमी, पर घर मे कोई नज़र नही आ रहा था, वो वापस आकर विक्की को हिलाने लगी, उसकी आँखें नशे मे लाल थोड़ी खुली, और "क्या है" कहता हुआ फिर अपनी आँखें मूंद लिया.
इंदु ने उसे फिर ज़ोर से हिलाई .... विक्की उठ कर बैठ गया ... और इंदु उस से कुछ खाना मंगवाने की इक्षा जाहिर की. विक्की ने एक कॉल किया और दोनो के लिए खाना आ गया.
उठ ने के बाद जो हाल इंदु का था, वही हाल विक्की का भी था, विक्की भी शावेर लेने चला गया, जबतक लौट कर आया तबतक इंदु खा कर बिस्तर पर लेट चुकी थी....