hotaks444
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स्पीड कम थी, पर इतनी स्पीड भी काफ़ी थी की वो ठेला और उसपर का समान को नुकसान पहुँचा सके. ठेले से टकरा कर स्कूटी अनबॅलेन्स हुई, और सैली भी गिरी स्कूटी के साथ.....
चांट-फुल्की की ठेला थी, सारा समान उस ग़रीब का समान ज़मीन पर बिखर गया, काँच की एक बॉक्स थी वो भी टूट गयी, ठेला वाला दौड़ा-दौड़ा आया ..... सैली अभी नीचे ही पड़ी थी ... और ठेले वाले का चिल्लाना सुरू...
"आँखें नही है क्या पागल लड़की, इतनी बड़ी सड़क नही नज़र आई जो मेरा नुकसान कर दिया, इसके पैसे कौन भरेगा"
बेचारे का नुकसान हो गया था, उसे भी सैली के गिरने का ख्याल नही था, इधर सैली चोट के दर्द के कारण उसकी आँखों से आँसू निकल आए थे, उसपर से वो ठेले वाले ने चिल्लाना शुरू किया.
सैली गुस्से से तो पागल हो गयी... गुस्से मे लाल आँखें किए वो उठी. आक्सिडेंट देख कर वहाँ लोग भी जमा हो गये. एक बुजुर्ग ने सैली की बाँह पकड़ के कहने लगा, "तुम ठीक हो, तो सुनो".....
बेचारा इतना ही बोला होगा, कि सैली ने अपनी बाँह झटकी, गुर्राते हुए उस ठेले वाले पर बरस पड़ी ....
"कितना नुकसान हुआ, बता मुझे. ये फूटपाथ क्या तुम लोगों की है, जो यहाँ ठेला लगाते हो. जान-बुझ कर टक्कर मारी क्या. ग़लती से हुई ना. पैसे बोल ... पैसे बोल अभी"......
बाप रे इतना गुस्सा ... इतनी ज़ोर की चींख... सबके मुँह खुले रह गये, सब जैसे चकित हो गये हों. आस-पास जो सड़कों पर लोग थे वो गाड़ियाँ रोक कर बस उसी ओर देखने लगे थे.
ठेले वाले ने जल्दी से 2000 लिए, और वहाँ से चलता बना. गिरने की वजह से चोट सैली को भी आई थी, साइड मे बैठ कर वो अपने छिले हाथों को देखने लगी. देखते देखते अचानक ही याद आया ..... गौरव कहाँ है .......
चारो ओर नज़र दौड़ाई, स्कूटी साइड मे खड़ी लगी थी, पर गिरने के बाद से तो गौरव कहीं दिखा ही नही...........
गौरव को ना देख कर सैली काफ़ी हैरान रह गयी, गिरने के बाद से ख्याल ही नही रहा गौरव का, और जब ख़याल आया तो गौरव नही था.
कुछ देर इधर उधर देखी, फिर सिर पर हाथ रख कर बैठ गयी. सैली एक तो खुद के दर्द से परेशान थी उपर से गौरव का इस तरह से गायब होना. तभी वो बूढ़ा आदमी फिर आया और सैली के कंधे पर हाथ रख कर...
"बेटी तुम अपने साथी को ढूंड रही हो ना"
सैली "हाँ" मे गर्दन हिला कर उसे जवाब दी. फिर वो बूढ़ा बोला, "बेटा वो नाले मे गिर गया था, और सिर पर काफ़ी चोट आई थी, तुम यहाँ झगड़ा करने मे लगी थी, तो हम सब उसे अबुलेन्स मे हॉस्पिटल भेज दिया"
सैली एक बार फिर गुस्से मे आती हुई कहने लगी ... "क्या, उसे इतनी चोट आई, आप बता नही सकते थे, अभी कहाँ है" ?
बुड्ढ़ा..... वो तो अमरजेंसी मे अड्मिट होगा गवरमेंट. हॉस्पिटल मे, वैसे बेटा मैने बताना चाहा था, पर तुम्हे लड़ने की ज़्यादा जल्दी थी इसलिए तुम सुनी नही.
सैली.... ओह्ह्ह ! सॉरी बाबा, थॅंक्स जो भी आप सब ने किया, चलती हूँ मैं.
बुड्ढ़ा..... सुनो बेटा, वैसे जो तुम दोनो ऐसे सड़कों पर कर रहे थे वो ग़लत था, इसका भी ख्याल रखना. सड़क पर ऐसे खुल्ले मे ....
सैली बिना कुछ बोले बस खा जाने वाली नज़रों से उस बुड्ढे को देखती हुई वहाँ से चली गयी. अंकित को कॉल कर के सारे हालात बताई, साथ मे ये भी कि वो ड्राइव नही कर पाएगी, हाथ और पाँव मे चोट लगी है. अंकित ने सबसे पहले नेनू को सारा इन्फर्मेशन दिया बाद मे निकल गया सैली को लेने.
सैली को लेता अंकित सबसे पहले पास मे जो भी हॉस्पिटल मिला उसमे गया. रास्ते मे फर्स्ट-एड लेने के बाद सैली काफ़ी रिलीफ महसूस कर रही थी, वहीं से फिर हॉस्पिटल चली गयी गौरव को देखने. वॉर्ड के बाहर स्टूडेंट का हुजूम लगा हुआ था, उसके हॉस्टिल के काफ़ी लड़के थे वहाँ पर.
सैली अंदर गयी, नेनू पहले से वहाँ था, थोड़ा चिंता मे था अपनी दोस्त का हालात देखते हुए, नेनू ने शांत भाव से सैली को देखा और फिर उठकर वहाँ से चला गया.
सैली गौरव को देख कर सहम गयी, क्योंकि चोट काफ़ी आई थी, वहीं रुकी रही डॉक्टर से सारी हालात मालूम की, पर घबराया दिल शायद उसका, और वो गौरव के पास से उठना ही नही चाह रही थी.
अंकित किसी तरह उसे समझा कर वहाँ से ले गया. जाते-जाते नेनू बाहर ही मिल गया, सैली धीरे से हाथ जोड़ती "सॉरी" कह कर चली गयी.
दो दिनो तक सैली हॉस्पिटल आती रही मिलने, दो दिन बाद डिसचार्ज हो गया गौरव, फिर सैली के लिए मजबूरी हो गयी ना मिल पाना, क्योंकि वो बार बार हॉस्टिल नही जा सकती थी, फिर भी दिन मे एक बार तो कम से कम जाती ही थी, और उसके बाद मोबाइल सर्विस वालों की फ्री लोकल कॉल का फ़ायदा उठाते थे.
गौरव को रिकवर होते-होते 15 दिन लग गये, पर गौरव खुश था क्योंकि बुरे वक़्त मे दो लोगों ने उसका साथ नही छोड़ा था... सैली और नेनू ने.
वैसे गौरव भी अब कुछ ज़्यादा बेचैन था, क्योंकि हाई रे किस्मत, लव प्रपोज़ल के बाद मिले भी नही थे ठीक से कि ये आक्सिडेंट. गौरव बहुत ज़िद करता बाहर जाने की, घूमने की, पर उसकी एक ना सुनी जाती और बेचारा मॅन मार कर कमरे मे ही रहता था.
15 दिन बाद भी पूरी तरह रिकवर नही हुआ था, पैदल चलना माना था ज़्यादा पर थोड़ा बहुत टहल सकता था. सैली रोज गौरव को लेने आती, दोनो फिर स्कूटी से निकलते एक लोंग ड्राइव पर. कभी-कभी गौरव सैली को बोल भी देता ... "इस बार उपर की टिकेट मत कटवा देना"
सैली बस चुप-चाप सुनती, पर जबतक स्कूटी पर होती अपनी नज़रें बिल्कुल सड़क पर ही जमाए रखती थी.
छोटी-छोटी मुलाक़ातों मे लंबी बातें हुआ करती थी, दोनो आपस मे बैठ कर घंटो टाइम बिताया करते थे. दोनो अपने से जुड़े लोगों से बस माफी माँगते यही कटे ... "समझा करो यार ... हाई ये हमारा पहला-पहला प्यार"
सैली और गौरव दोनो एक दूसरे के साथ काफ़ी खुश थे, और रोमॅन्स का मज़ा हर पल उठाते थे. खैर ये आक्सिडेंट की बात का दूसरा महीना था जब गौरव के मिड टर्म एग्ज़ॅम्स होने वाले थे.
इंजीनियरिंग स्टूडेंट, और हर हाइयर एजुकेशन कर रहे स्टूडेंट का सिर दर्द यही होता कि उनके एग्ज़ॅम हर 6 महीने पर होते थे. एक एग्ज़ॅम दिए नही की दूसरा सिर पर होता था, उसपर से तो कइयों के पेपर बॅक.
नेनू ने कुछ नोट्स गौरव को पढ़ने के लिए दिए थे, और वो नोट्स उसे अर्जेंट्ली चाहिए थे, क्योंकि किसी स्टूडेंट से एक्सचेंज करने थे पेपर.
पर गौरव सुबह 10 बजे से गायब था, कई बार नेनू आया देखने की कहाँ हैं गौरव, पर शाम के 4 बाज गये थे और गौरव का अब भी कोई पता नही था. नेनू पूरे गुस्से मे गौरव को कॉल लगाते हुए...
गौरव... हां भाई
नेनू.... कहाँ है गौरव अभी.
गौरव..... मैं वो एक लड़के के पास आया था नोट्स लेने, एक घंटे मे पहुँचुँगा.
नेनू.... ठीक है जल्दी आओ.
गुसे मे फोन रखा नेनू ने, और निकल गया तेज़ी से, जहाँ ये दोनो रोज पार्क मे बैठ'ते थे. जब नेनू पहुँचा तो गौरव, सैली की गोद मे लेटा था और सैली, गौरव के बालों मे हाथ फिरा रही थी.
नेनू.... तो ये तू एक लड़के के घर से आ रहा है, और एक घंटा टाइम तुम्हे और लगेगा.
गौरव हड़बड़ा कर उठा, नेनू के हाव-भाव से उसे लग गया कि वो काफ़ी गुस्से मे है.....
गौरव.... लेकिन तू इतने टेन्षन मे क्यों है, बात क्या हो गयी वो तो बताओ.
नेनू.... बात क्या होगी, आप मेडम के गोद मे लेट कर एग्ज़ॅम की तैयारी करो, मैं ही बेवकूफ्फ हूँ जो फालतू की बातों मे अपना समय गँवाता हूँ.
नेनू आपस के मॅटर मे सैली को एक बार फिर ले आया, हालाँकि सैली भी वहीं थी, पर वो दोनो दोस्तों के बीच मे ना बोलने का फ़ैसला किए थी.
गौरव.... नेनू देख तू ओवर-रिएक्ट कर रहा है, कहाँ की बातें कहाँ कर रहा है.
नेनू.... तू कुछ भी कर मुझे उस से क्या, हॉस्टिल आना तो मेरे नोट्स पहुँचा देना बस.
गौरव..... ठीक है हॉस्टिल आकर ही बात करता हूँ.
नेनू वहाँ से चला गया, गौरव को अच्छा नही लगा सैली के सामने नेनू ने उस से इस तरह की बातें की. कोई भी बात थी वो हॉस्टिल मे कर लेता, पर यहाँ उसे ऐसा नही करना चाहिए था,
सैली, गौरव के कंधे पर हाथ रख'ती हुई .... क्या हुआ क्रेज़ीबॉय, तुम क्या सोचने लग गये.
गौरव.... कुछ नही, पता नही इसे क्या हो गया है, ऐसा लगा जैसे वो किसी और बात की खुन्नस निकाल रहा हो. पहले भी ऐसा कई बार हो चुका है, पर आज तक इसने ऐसे बात नही किया.
सैली.... मैं जानती हूँ, वो मुझे देख कर ऐसा तुम को सुना कर गया.
गौरव... उफ़फ्फ़ हो ! अब तुम प्लीज़ कहीं का तार कहीं मत जोड़ो.
सैली..... अच्छा गौरव मान लो, नेनू ने कहा कि या तो तुम मेरे साथ रहो या सैली के साथ फिर क्या करोगे ?
गौरव..... अजीब हो तुम और उपरी मंज़िल खाली है, जो चीज़ होगा ही नही वो मैं कैसे मान लूँ.
सैली.... नही गुरव, मुझे नेनू का बर्ताव अच्छा नही लगता, वो मेरे बारे मे पता नही क्या सोचता है. तुम दोनो खुश रहो, मैं ही साइड हो जाती हूँ, मुझ से तुम्हारी बेज़्जती देखी नही जाती.
गौरव, सैली को गले लगाते हुए ... पागल हो गयी हो क्या ? तुम क्या क्या बोल रही हो तुम्हे भी पता नही. पहले कहती हो, नेनू कहेगा .. हम दोनो मे से किसी एक को चुनो, फिर कहती हो मैं ही साइड हो जाती हूँ. तूहरा दिमाग़ तो सही है ना. जो बातें नही हुई उनपर चर्चा क्यों कर रही हो. और ऐसा कभी होगा भी नही.
सैली गुस्से मे बिल्कुल.... अच्छा मान लो ऐसा हुआ तो, नेनू पर तुमको विस्वास है ना, पर उसके रवैय्ये को देखते हुए किसी दिन मैं ही बोल दूँगी तो क्या जवाब होगा तुम्हारा ?
गौरव, सैली को छोड़ते हुए खड़ा हो गया और उदास मन से कहने लगा.... फिर मैं तुम दोनो से दूर चला जाउन्गा, ना मैं रहूँगा ना तुम दोनो का आमना सामना होगा, पर मैं किसी को नही छोड़ सकता. मैं जा रहा हूँ कल मिलता हूँ.
गौरव चला गया और सैली वहीं बैठ कर उसे जाते देखती रही और बस इतना सोचती रही ....... गौरव, को शायद तुम्हे मुझ पर पूरा यकीन नही हुआ, शायद इसलिए तुम अब भी मेरी बातों पर सवाल उठा रहे हो ... लेकिन मैं वो विस्वास आने तक इंतज़ार करूँगी...
होस्टल जब पहुँचा गौरव तो सीधा नोट्स उठाया और नेनू के कमरे मे जाकर उसे दे दिया. नेनू ने नोट्स देखा और चुप-चाप अपना काम करने लगा. गौरव थोड़ी देर खड़ा रहा और इंतज़ार करता रहा कि नेनू कुछ बोलेगा, पर नेनू ने कोई भी ध्यान नही दिया बस अपना काम करता रहा.
गौरव ने चिढ़े से भाव मे नेनू से सीधा पुछा ... "आख़िर तुम्हे सैली से क्या परेशानी है"
नेनू भी प्रति-उत्तर मे सिर्फ़ इतना कहा कि .... "तुम्हे नही लगता कि तुम दोनो काफ़ी जल्दी क्लोज़ हो गये, आख़िर इन बातों पर तुम गौर क्यों नही करते"
गौरव.... तू सीधा-सीधा क्यों नही कहता कि तुम्हे सैली के साथ मेरा मिलना पसंद नही. दिल ही दिल मे तुम उसे चाहते हो, मेरे जल्दी इकरार करने से तुम्हारे रास्ते बंद हो गये.
नेनू हँसता हुआ.... थॅंक्स क्रेज़ीबॉय, मुझे वोमेन्सर बताने के लिए, और कुछ दिल मे है तो वो भी कह दो, आज मैं सब सुन'ने के मूड मे हूँ.
गौरव... मैने ऐसा नही कहा नेनू, मेरी बातों का ग़लत मतलब निकाल रहे हो.
नेनू.... हो गया, अब जाओ पढ़ाई करो एग्ज़ॅम है, और मुझे भी पढ़ने दो, प्लीज़.
गौरव चुप-चाप चला आया. जब दिमाग़ शांत हुआ तो उसे अफ़सोस हो रहा था कि गुस्से मे उसने बहुत कुछ सुना दिया. इधर नेनू बस यही सोच रहा था, "अब वो क्या करे क्यों गौरव को इतना नही समझ मे आ रहा कि वो लड़की उसके साथ बस खेल रही है".
तकरीबन दो घंटे बीतने के बाद नेनू ने सोचा हटाओ, जब बात गौरव पर आएगी तो मैं संभाल लूँगा, पर अभी पक्का ये डफर उलझा होगा, मैं ही बॅक फुट पर आता हूँ और इनके मॅटर से खुद को अलग करता हूँ.
नेनू चला गौरव के कमरे में जहाँ वो लाइट बंद कर के पड़ा था अपने बिस्तर मे. नेनू रूम की लाइट ऑन करते हुए.....
"लेटा क्यों है ऐसे, तुम्हे तो कहा था ना एग्ज़ॅम है पढ़ो जाकर"
गौरव.... मॅन नही किताब छुने का, लाइट बंद कर दे. मैं रात को उठ कर पढ़ लूँगा.
नेनू..... पक्का पढ़ लेगा ना, या कहे तो मैं उठा दूं आकर.
गौरव.... नही पक्का उठ जाउन्गा, चाहे तो आकर चेक कर लेना.
नेनू.... ह्म्म्म ! चल सो जा कुछ हो तो बता देना.
नेनू इतना बोल कर, लाइट बंद करता चला गया. गौरव कुछ देर जूझता रहा अपनी सोच मे, फिर खुद ही नेनू के कमरे मे गया, नेनू अपनी पढ़ाई मे लगा था, गौरव आकर उसके पास बैठ गया.
नेनू..... तू तो कह रहा था सो रहा हूँ, फिर जाग क्यों रहा है ?
गौरव कुछ नही बोला, कुछ देर शांत रहा फिर अचानक से नेनू के गले लग गया. नेनू कुछ देर बाहें फैलाए रहा फिर दोनो हाथ समेट कर गले लगा लिया. थोड़ी देर बाद दोनो अलग हुए ....
गौरव..... सॉरी यार, मैं गुस्से मे कुछ ज़्यादा ही बोल गया.
नेनू..... जाने दे क्रेज़ीबॉय, कुछ ओवर-रिक्ट मैं भी कर रहा था, पर चलता है ये सब.
गौरव..... नेनू सच सच बता भाई, आख़िर क्या परेशानी है सैली से. देख भाई तू जबतक कुछ कहेगा नही मुझे पता कैसे चलेगा ?
नेनू..... कुछ नही गौरव, बस मैं जब उसे देखता हूँ तो लगता है कि उसका प्यार तुम्हारे लिए दिखावा है. मुझे अच्छा नही लगता, सब बनावटी दिखता है.
गौरव हँसते हुए .... भाई तू भी ना क्या क्या सोच लेता है. वो सच मे बहुत प्यारी है, और तुम दोनो जब से मिले हो झगड़े ही हो, कभी आराम से दोस्त की तरह मिलो वो तुम्ह भी अच्छी लगेगी.
नेनू.... ह्म ! ठीक है, खैर अब मिलना-मिलना तो एग्ज़ॅम बाद ही होगा, और तू भी थोडा कम मिल-जुल, एग्ज़ॅम के बाद पूरा वक़्त होगा तुम्हारे पास.
गौरव.... ठीक है नेनू, अब मिसन ओन्ली एग्ज़ॅम, वैसे भी कॅरियर ना रहा तो छोकरी भी छोड़ कर चली जाएगी.
नेनू.... ये की ना पते वाली बात, तो बैठ आज एक चेप्टर एंड ही कर लेते हैं.
गौरव.... कल से करते हैं ना, आज अब रहने दे भाई.
नेनू..... ठीक है जा आज रेस्ट ले लेना, लेकिन कल से मेरातन दौड़ लगानी है, याद रखना.
दोनो का मिलाप होने के बाद फिर गौरव वहाँ से चला गया. अजीब होती है दोस्ती का रिस्ता भी, यदि दोस्त सच्चे हों तो बात कितनी हे बड़ी क्यों ना हो पर एक छोटी सी पहल सारे गिले-सीकवे दूर कर देती है.
एक बड़े तूफान के बाद जैसे सब शांत हो गया हो, वैसी हे शांति गौरव महसूस कर रहा था. मन शांत हुआ तो याद आया इन सब मे तो शाम के बाद से सैली से बात भी ना हुई थी. गौरव सैली को एसएमएस किया ... "हेययय ! माइ लव, कैसी है"
एसएमएस देने के 10 मिनट बाद एक रिप्लाइ मेसेज आया..... "राइट नाउ आइ आम बिज़ी, कल बात करती हूँ"
गौरव हँसते हुए, एसएमएस रिप्लाइ किया .... यदि तुम ऐसे ही 10मिनट और बिज़ी रही तो मैं तुम्हारे रूम मे आकर देखूँगा, वाकई बिज़ी हो कि नही.
सैली का कोई रेस्पॉंड नही आया इस मेसेज के बाद भी. तकरीबन आधे घाते इंतज़ार किया सैली के रिप्लाइ का, पर जब नही आया मेसेज तो हार कर फिर एक एसएमएस किया ..... "बेबी, आइ आम नोट जोकिंग. मैं सच मे आ रहा हूँ, इन-फॅक्ट मैं निकल गया हूँ"
इस बार सैली का तुरंत रिप्लाइ आया ..... "मुझे लगा पहुँच गये होगे, मैं तो अपने कमरे मे तुम्हे ढूंड रही हूँ. बेस्ट ऑफ लक ... आइ आम वेटिंग
गौरव अपने आप से ही बात करते .... "इसे मज़ाक लग रहा है क्या, रुक तुझे अभी बताता हूँ"
गौरव अब निकल गया हॉस्टिल से, अपनी लिखे मेसेज को प्रूफ करने. उसे बस दिखाना था कि वो सच मे ऐसा कर भी सकता है. पर बेचारा गौरव, दिखाने के चक्कर मे खुद ही फँस गया.
रात के 12 से उपर हो रहे थे. हॉस्टिल के बाहर सन्नाटा छाया था, और गेट पर गार्ड झपकीयाँ लेते निगरानी कर रहा था. नीचे जैसे ही पहुँचा था वैसे ही हाथों से लग कर एक फूल का गमला नीचे गिर गया, आवाज़ तेज थी. गार्ड गेट से चिल्लाया,
"कौन है, कौन है वहाँ"
गौरव भागा अपने कमरे मे, और जैसा सोचा था, वॉर्डन ने आकर सारे रूम चेक किए. एक बार फिर नीचे आया बहुत ही सावधानी से, हॉस्टिल के बाईं ओर की बौंड्री से लगा एक स्टेंड था. उस के सहारे बौंड्री पर चढ़ा और बड़े आराम से दूसरी तरफ उतरा.
पास के स्टॅंड मे इनकी बाइक खड़ी रहती है, 50 का एक नोट देकर वहाँ के स्टाफ को बोल दिया किसी को पता नही चलना चाहिए कि वो रात को यहाँ आया था. वहाँ से लेकर पहुँचा वो सैली के घर.
पर जब आज ध्यान दिया तो सैली के घर की बौंड्री 8 फिट की थी और उपर काँटों के तार की फेन्सिंग थी. अब क्या करे बेचारा, घर के चारो ओर की दीवारों को मुआयना करने लगा. घर की सारी लाइट बंद थी, यानी सब सो रहा था.
एक मन हुआ गौरव का कि चलो चला जाए, क्या होगा कल थोड़ा मज़ाक ही उड़ाएगी ना. फिर अगले ही पल ख्याल आया कि, जब इतनी दूर आ गया हूँ तो एक बार चल कर देख ही लिया जाए.
डूबते को तिनके का सहारा, अशोक का पैर लगा था घर के दाएँ साइड की दीवार से, गौरव उसी के सहारे तो चढ़ा पर अब उस ऑर कैसे जाए. कुछ देर उँचाई को देखता रहा, फिर आव देखा ना ताव और कूद गया उस पार.
धम्म की तेज आवाज़ हुई, घर के अंदर का कोई सद्स्य तो नही जगा पर बाहर सो रहे दो डॉग्गी जाग चुके थे, और भौंकते हुए बिल्कुल बिजली की तेज़ी से दौड़ लगा दिया गौरव की ओर.
कुत्ते की आवाज़ सुन कर और अपनी ओर ही आते जान कर, वो भी भागा तेज़ी मे, कुछ ना सूझा, कोई ऐसी जगह भी नही थी जहाँ पर वो खुद को सुरखित करे. दौड़ते दौड़ते बाइक, बाइक से कार और कार से फिर एक छज्जा पकड़ कर उसके उपर चढ़ गया.
कुत्ते कार के उपर चढ़ कर लगातार भौंक रहे थे. आवज़ें घर तक गयी थी, कुत्ते पहले भौकने के आवाज़ से ही, सैली समझ गयी थी कि बाहर क्या हो रहा है, उसे लग ही रहा था कि गौरव शायद यहाँ आने की बेवकूफी ना कर जाए.
चांट-फुल्की की ठेला थी, सारा समान उस ग़रीब का समान ज़मीन पर बिखर गया, काँच की एक बॉक्स थी वो भी टूट गयी, ठेला वाला दौड़ा-दौड़ा आया ..... सैली अभी नीचे ही पड़ी थी ... और ठेले वाले का चिल्लाना सुरू...
"आँखें नही है क्या पागल लड़की, इतनी बड़ी सड़क नही नज़र आई जो मेरा नुकसान कर दिया, इसके पैसे कौन भरेगा"
बेचारे का नुकसान हो गया था, उसे भी सैली के गिरने का ख्याल नही था, इधर सैली चोट के दर्द के कारण उसकी आँखों से आँसू निकल आए थे, उसपर से वो ठेले वाले ने चिल्लाना शुरू किया.
सैली गुस्से से तो पागल हो गयी... गुस्से मे लाल आँखें किए वो उठी. आक्सिडेंट देख कर वहाँ लोग भी जमा हो गये. एक बुजुर्ग ने सैली की बाँह पकड़ के कहने लगा, "तुम ठीक हो, तो सुनो".....
बेचारा इतना ही बोला होगा, कि सैली ने अपनी बाँह झटकी, गुर्राते हुए उस ठेले वाले पर बरस पड़ी ....
"कितना नुकसान हुआ, बता मुझे. ये फूटपाथ क्या तुम लोगों की है, जो यहाँ ठेला लगाते हो. जान-बुझ कर टक्कर मारी क्या. ग़लती से हुई ना. पैसे बोल ... पैसे बोल अभी"......
बाप रे इतना गुस्सा ... इतनी ज़ोर की चींख... सबके मुँह खुले रह गये, सब जैसे चकित हो गये हों. आस-पास जो सड़कों पर लोग थे वो गाड़ियाँ रोक कर बस उसी ओर देखने लगे थे.
ठेले वाले ने जल्दी से 2000 लिए, और वहाँ से चलता बना. गिरने की वजह से चोट सैली को भी आई थी, साइड मे बैठ कर वो अपने छिले हाथों को देखने लगी. देखते देखते अचानक ही याद आया ..... गौरव कहाँ है .......
चारो ओर नज़र दौड़ाई, स्कूटी साइड मे खड़ी लगी थी, पर गिरने के बाद से तो गौरव कहीं दिखा ही नही...........
गौरव को ना देख कर सैली काफ़ी हैरान रह गयी, गिरने के बाद से ख्याल ही नही रहा गौरव का, और जब ख़याल आया तो गौरव नही था.
कुछ देर इधर उधर देखी, फिर सिर पर हाथ रख कर बैठ गयी. सैली एक तो खुद के दर्द से परेशान थी उपर से गौरव का इस तरह से गायब होना. तभी वो बूढ़ा आदमी फिर आया और सैली के कंधे पर हाथ रख कर...
"बेटी तुम अपने साथी को ढूंड रही हो ना"
सैली "हाँ" मे गर्दन हिला कर उसे जवाब दी. फिर वो बूढ़ा बोला, "बेटा वो नाले मे गिर गया था, और सिर पर काफ़ी चोट आई थी, तुम यहाँ झगड़ा करने मे लगी थी, तो हम सब उसे अबुलेन्स मे हॉस्पिटल भेज दिया"
सैली एक बार फिर गुस्से मे आती हुई कहने लगी ... "क्या, उसे इतनी चोट आई, आप बता नही सकते थे, अभी कहाँ है" ?
बुड्ढ़ा..... वो तो अमरजेंसी मे अड्मिट होगा गवरमेंट. हॉस्पिटल मे, वैसे बेटा मैने बताना चाहा था, पर तुम्हे लड़ने की ज़्यादा जल्दी थी इसलिए तुम सुनी नही.
सैली.... ओह्ह्ह ! सॉरी बाबा, थॅंक्स जो भी आप सब ने किया, चलती हूँ मैं.
बुड्ढ़ा..... सुनो बेटा, वैसे जो तुम दोनो ऐसे सड़कों पर कर रहे थे वो ग़लत था, इसका भी ख्याल रखना. सड़क पर ऐसे खुल्ले मे ....
सैली बिना कुछ बोले बस खा जाने वाली नज़रों से उस बुड्ढे को देखती हुई वहाँ से चली गयी. अंकित को कॉल कर के सारे हालात बताई, साथ मे ये भी कि वो ड्राइव नही कर पाएगी, हाथ और पाँव मे चोट लगी है. अंकित ने सबसे पहले नेनू को सारा इन्फर्मेशन दिया बाद मे निकल गया सैली को लेने.
सैली को लेता अंकित सबसे पहले पास मे जो भी हॉस्पिटल मिला उसमे गया. रास्ते मे फर्स्ट-एड लेने के बाद सैली काफ़ी रिलीफ महसूस कर रही थी, वहीं से फिर हॉस्पिटल चली गयी गौरव को देखने. वॉर्ड के बाहर स्टूडेंट का हुजूम लगा हुआ था, उसके हॉस्टिल के काफ़ी लड़के थे वहाँ पर.
सैली अंदर गयी, नेनू पहले से वहाँ था, थोड़ा चिंता मे था अपनी दोस्त का हालात देखते हुए, नेनू ने शांत भाव से सैली को देखा और फिर उठकर वहाँ से चला गया.
सैली गौरव को देख कर सहम गयी, क्योंकि चोट काफ़ी आई थी, वहीं रुकी रही डॉक्टर से सारी हालात मालूम की, पर घबराया दिल शायद उसका, और वो गौरव के पास से उठना ही नही चाह रही थी.
अंकित किसी तरह उसे समझा कर वहाँ से ले गया. जाते-जाते नेनू बाहर ही मिल गया, सैली धीरे से हाथ जोड़ती "सॉरी" कह कर चली गयी.
दो दिनो तक सैली हॉस्पिटल आती रही मिलने, दो दिन बाद डिसचार्ज हो गया गौरव, फिर सैली के लिए मजबूरी हो गयी ना मिल पाना, क्योंकि वो बार बार हॉस्टिल नही जा सकती थी, फिर भी दिन मे एक बार तो कम से कम जाती ही थी, और उसके बाद मोबाइल सर्विस वालों की फ्री लोकल कॉल का फ़ायदा उठाते थे.
गौरव को रिकवर होते-होते 15 दिन लग गये, पर गौरव खुश था क्योंकि बुरे वक़्त मे दो लोगों ने उसका साथ नही छोड़ा था... सैली और नेनू ने.
वैसे गौरव भी अब कुछ ज़्यादा बेचैन था, क्योंकि हाई रे किस्मत, लव प्रपोज़ल के बाद मिले भी नही थे ठीक से कि ये आक्सिडेंट. गौरव बहुत ज़िद करता बाहर जाने की, घूमने की, पर उसकी एक ना सुनी जाती और बेचारा मॅन मार कर कमरे मे ही रहता था.
15 दिन बाद भी पूरी तरह रिकवर नही हुआ था, पैदल चलना माना था ज़्यादा पर थोड़ा बहुत टहल सकता था. सैली रोज गौरव को लेने आती, दोनो फिर स्कूटी से निकलते एक लोंग ड्राइव पर. कभी-कभी गौरव सैली को बोल भी देता ... "इस बार उपर की टिकेट मत कटवा देना"
सैली बस चुप-चाप सुनती, पर जबतक स्कूटी पर होती अपनी नज़रें बिल्कुल सड़क पर ही जमाए रखती थी.
छोटी-छोटी मुलाक़ातों मे लंबी बातें हुआ करती थी, दोनो आपस मे बैठ कर घंटो टाइम बिताया करते थे. दोनो अपने से जुड़े लोगों से बस माफी माँगते यही कटे ... "समझा करो यार ... हाई ये हमारा पहला-पहला प्यार"
सैली और गौरव दोनो एक दूसरे के साथ काफ़ी खुश थे, और रोमॅन्स का मज़ा हर पल उठाते थे. खैर ये आक्सिडेंट की बात का दूसरा महीना था जब गौरव के मिड टर्म एग्ज़ॅम्स होने वाले थे.
इंजीनियरिंग स्टूडेंट, और हर हाइयर एजुकेशन कर रहे स्टूडेंट का सिर दर्द यही होता कि उनके एग्ज़ॅम हर 6 महीने पर होते थे. एक एग्ज़ॅम दिए नही की दूसरा सिर पर होता था, उसपर से तो कइयों के पेपर बॅक.
नेनू ने कुछ नोट्स गौरव को पढ़ने के लिए दिए थे, और वो नोट्स उसे अर्जेंट्ली चाहिए थे, क्योंकि किसी स्टूडेंट से एक्सचेंज करने थे पेपर.
पर गौरव सुबह 10 बजे से गायब था, कई बार नेनू आया देखने की कहाँ हैं गौरव, पर शाम के 4 बाज गये थे और गौरव का अब भी कोई पता नही था. नेनू पूरे गुस्से मे गौरव को कॉल लगाते हुए...
गौरव... हां भाई
नेनू.... कहाँ है गौरव अभी.
गौरव..... मैं वो एक लड़के के पास आया था नोट्स लेने, एक घंटे मे पहुँचुँगा.
नेनू.... ठीक है जल्दी आओ.
गुसे मे फोन रखा नेनू ने, और निकल गया तेज़ी से, जहाँ ये दोनो रोज पार्क मे बैठ'ते थे. जब नेनू पहुँचा तो गौरव, सैली की गोद मे लेटा था और सैली, गौरव के बालों मे हाथ फिरा रही थी.
नेनू.... तो ये तू एक लड़के के घर से आ रहा है, और एक घंटा टाइम तुम्हे और लगेगा.
गौरव हड़बड़ा कर उठा, नेनू के हाव-भाव से उसे लग गया कि वो काफ़ी गुस्से मे है.....
गौरव.... लेकिन तू इतने टेन्षन मे क्यों है, बात क्या हो गयी वो तो बताओ.
नेनू.... बात क्या होगी, आप मेडम के गोद मे लेट कर एग्ज़ॅम की तैयारी करो, मैं ही बेवकूफ्फ हूँ जो फालतू की बातों मे अपना समय गँवाता हूँ.
नेनू आपस के मॅटर मे सैली को एक बार फिर ले आया, हालाँकि सैली भी वहीं थी, पर वो दोनो दोस्तों के बीच मे ना बोलने का फ़ैसला किए थी.
गौरव.... नेनू देख तू ओवर-रिएक्ट कर रहा है, कहाँ की बातें कहाँ कर रहा है.
नेनू.... तू कुछ भी कर मुझे उस से क्या, हॉस्टिल आना तो मेरे नोट्स पहुँचा देना बस.
गौरव..... ठीक है हॉस्टिल आकर ही बात करता हूँ.
नेनू वहाँ से चला गया, गौरव को अच्छा नही लगा सैली के सामने नेनू ने उस से इस तरह की बातें की. कोई भी बात थी वो हॉस्टिल मे कर लेता, पर यहाँ उसे ऐसा नही करना चाहिए था,
सैली, गौरव के कंधे पर हाथ रख'ती हुई .... क्या हुआ क्रेज़ीबॉय, तुम क्या सोचने लग गये.
गौरव.... कुछ नही, पता नही इसे क्या हो गया है, ऐसा लगा जैसे वो किसी और बात की खुन्नस निकाल रहा हो. पहले भी ऐसा कई बार हो चुका है, पर आज तक इसने ऐसे बात नही किया.
सैली.... मैं जानती हूँ, वो मुझे देख कर ऐसा तुम को सुना कर गया.
गौरव... उफ़फ्फ़ हो ! अब तुम प्लीज़ कहीं का तार कहीं मत जोड़ो.
सैली..... अच्छा गौरव मान लो, नेनू ने कहा कि या तो तुम मेरे साथ रहो या सैली के साथ फिर क्या करोगे ?
गौरव..... अजीब हो तुम और उपरी मंज़िल खाली है, जो चीज़ होगा ही नही वो मैं कैसे मान लूँ.
सैली.... नही गुरव, मुझे नेनू का बर्ताव अच्छा नही लगता, वो मेरे बारे मे पता नही क्या सोचता है. तुम दोनो खुश रहो, मैं ही साइड हो जाती हूँ, मुझ से तुम्हारी बेज़्जती देखी नही जाती.
गौरव, सैली को गले लगाते हुए ... पागल हो गयी हो क्या ? तुम क्या क्या बोल रही हो तुम्हे भी पता नही. पहले कहती हो, नेनू कहेगा .. हम दोनो मे से किसी एक को चुनो, फिर कहती हो मैं ही साइड हो जाती हूँ. तूहरा दिमाग़ तो सही है ना. जो बातें नही हुई उनपर चर्चा क्यों कर रही हो. और ऐसा कभी होगा भी नही.
सैली गुस्से मे बिल्कुल.... अच्छा मान लो ऐसा हुआ तो, नेनू पर तुमको विस्वास है ना, पर उसके रवैय्ये को देखते हुए किसी दिन मैं ही बोल दूँगी तो क्या जवाब होगा तुम्हारा ?
गौरव, सैली को छोड़ते हुए खड़ा हो गया और उदास मन से कहने लगा.... फिर मैं तुम दोनो से दूर चला जाउन्गा, ना मैं रहूँगा ना तुम दोनो का आमना सामना होगा, पर मैं किसी को नही छोड़ सकता. मैं जा रहा हूँ कल मिलता हूँ.
गौरव चला गया और सैली वहीं बैठ कर उसे जाते देखती रही और बस इतना सोचती रही ....... गौरव, को शायद तुम्हे मुझ पर पूरा यकीन नही हुआ, शायद इसलिए तुम अब भी मेरी बातों पर सवाल उठा रहे हो ... लेकिन मैं वो विस्वास आने तक इंतज़ार करूँगी...
होस्टल जब पहुँचा गौरव तो सीधा नोट्स उठाया और नेनू के कमरे मे जाकर उसे दे दिया. नेनू ने नोट्स देखा और चुप-चाप अपना काम करने लगा. गौरव थोड़ी देर खड़ा रहा और इंतज़ार करता रहा कि नेनू कुछ बोलेगा, पर नेनू ने कोई भी ध्यान नही दिया बस अपना काम करता रहा.
गौरव ने चिढ़े से भाव मे नेनू से सीधा पुछा ... "आख़िर तुम्हे सैली से क्या परेशानी है"
नेनू भी प्रति-उत्तर मे सिर्फ़ इतना कहा कि .... "तुम्हे नही लगता कि तुम दोनो काफ़ी जल्दी क्लोज़ हो गये, आख़िर इन बातों पर तुम गौर क्यों नही करते"
गौरव.... तू सीधा-सीधा क्यों नही कहता कि तुम्हे सैली के साथ मेरा मिलना पसंद नही. दिल ही दिल मे तुम उसे चाहते हो, मेरे जल्दी इकरार करने से तुम्हारे रास्ते बंद हो गये.
नेनू हँसता हुआ.... थॅंक्स क्रेज़ीबॉय, मुझे वोमेन्सर बताने के लिए, और कुछ दिल मे है तो वो भी कह दो, आज मैं सब सुन'ने के मूड मे हूँ.
गौरव... मैने ऐसा नही कहा नेनू, मेरी बातों का ग़लत मतलब निकाल रहे हो.
नेनू.... हो गया, अब जाओ पढ़ाई करो एग्ज़ॅम है, और मुझे भी पढ़ने दो, प्लीज़.
गौरव चुप-चाप चला आया. जब दिमाग़ शांत हुआ तो उसे अफ़सोस हो रहा था कि गुस्से मे उसने बहुत कुछ सुना दिया. इधर नेनू बस यही सोच रहा था, "अब वो क्या करे क्यों गौरव को इतना नही समझ मे आ रहा कि वो लड़की उसके साथ बस खेल रही है".
तकरीबन दो घंटे बीतने के बाद नेनू ने सोचा हटाओ, जब बात गौरव पर आएगी तो मैं संभाल लूँगा, पर अभी पक्का ये डफर उलझा होगा, मैं ही बॅक फुट पर आता हूँ और इनके मॅटर से खुद को अलग करता हूँ.
नेनू चला गौरव के कमरे में जहाँ वो लाइट बंद कर के पड़ा था अपने बिस्तर मे. नेनू रूम की लाइट ऑन करते हुए.....
"लेटा क्यों है ऐसे, तुम्हे तो कहा था ना एग्ज़ॅम है पढ़ो जाकर"
गौरव.... मॅन नही किताब छुने का, लाइट बंद कर दे. मैं रात को उठ कर पढ़ लूँगा.
नेनू..... पक्का पढ़ लेगा ना, या कहे तो मैं उठा दूं आकर.
गौरव.... नही पक्का उठ जाउन्गा, चाहे तो आकर चेक कर लेना.
नेनू.... ह्म्म्म ! चल सो जा कुछ हो तो बता देना.
नेनू इतना बोल कर, लाइट बंद करता चला गया. गौरव कुछ देर जूझता रहा अपनी सोच मे, फिर खुद ही नेनू के कमरे मे गया, नेनू अपनी पढ़ाई मे लगा था, गौरव आकर उसके पास बैठ गया.
नेनू..... तू तो कह रहा था सो रहा हूँ, फिर जाग क्यों रहा है ?
गौरव कुछ नही बोला, कुछ देर शांत रहा फिर अचानक से नेनू के गले लग गया. नेनू कुछ देर बाहें फैलाए रहा फिर दोनो हाथ समेट कर गले लगा लिया. थोड़ी देर बाद दोनो अलग हुए ....
गौरव..... सॉरी यार, मैं गुस्से मे कुछ ज़्यादा ही बोल गया.
नेनू..... जाने दे क्रेज़ीबॉय, कुछ ओवर-रिक्ट मैं भी कर रहा था, पर चलता है ये सब.
गौरव..... नेनू सच सच बता भाई, आख़िर क्या परेशानी है सैली से. देख भाई तू जबतक कुछ कहेगा नही मुझे पता कैसे चलेगा ?
नेनू..... कुछ नही गौरव, बस मैं जब उसे देखता हूँ तो लगता है कि उसका प्यार तुम्हारे लिए दिखावा है. मुझे अच्छा नही लगता, सब बनावटी दिखता है.
गौरव हँसते हुए .... भाई तू भी ना क्या क्या सोच लेता है. वो सच मे बहुत प्यारी है, और तुम दोनो जब से मिले हो झगड़े ही हो, कभी आराम से दोस्त की तरह मिलो वो तुम्ह भी अच्छी लगेगी.
नेनू.... ह्म ! ठीक है, खैर अब मिलना-मिलना तो एग्ज़ॅम बाद ही होगा, और तू भी थोडा कम मिल-जुल, एग्ज़ॅम के बाद पूरा वक़्त होगा तुम्हारे पास.
गौरव.... ठीक है नेनू, अब मिसन ओन्ली एग्ज़ॅम, वैसे भी कॅरियर ना रहा तो छोकरी भी छोड़ कर चली जाएगी.
नेनू.... ये की ना पते वाली बात, तो बैठ आज एक चेप्टर एंड ही कर लेते हैं.
गौरव.... कल से करते हैं ना, आज अब रहने दे भाई.
नेनू..... ठीक है जा आज रेस्ट ले लेना, लेकिन कल से मेरातन दौड़ लगानी है, याद रखना.
दोनो का मिलाप होने के बाद फिर गौरव वहाँ से चला गया. अजीब होती है दोस्ती का रिस्ता भी, यदि दोस्त सच्चे हों तो बात कितनी हे बड़ी क्यों ना हो पर एक छोटी सी पहल सारे गिले-सीकवे दूर कर देती है.
एक बड़े तूफान के बाद जैसे सब शांत हो गया हो, वैसी हे शांति गौरव महसूस कर रहा था. मन शांत हुआ तो याद आया इन सब मे तो शाम के बाद से सैली से बात भी ना हुई थी. गौरव सैली को एसएमएस किया ... "हेययय ! माइ लव, कैसी है"
एसएमएस देने के 10 मिनट बाद एक रिप्लाइ मेसेज आया..... "राइट नाउ आइ आम बिज़ी, कल बात करती हूँ"
गौरव हँसते हुए, एसएमएस रिप्लाइ किया .... यदि तुम ऐसे ही 10मिनट और बिज़ी रही तो मैं तुम्हारे रूम मे आकर देखूँगा, वाकई बिज़ी हो कि नही.
सैली का कोई रेस्पॉंड नही आया इस मेसेज के बाद भी. तकरीबन आधे घाते इंतज़ार किया सैली के रिप्लाइ का, पर जब नही आया मेसेज तो हार कर फिर एक एसएमएस किया ..... "बेबी, आइ आम नोट जोकिंग. मैं सच मे आ रहा हूँ, इन-फॅक्ट मैं निकल गया हूँ"
इस बार सैली का तुरंत रिप्लाइ आया ..... "मुझे लगा पहुँच गये होगे, मैं तो अपने कमरे मे तुम्हे ढूंड रही हूँ. बेस्ट ऑफ लक ... आइ आम वेटिंग
गौरव अपने आप से ही बात करते .... "इसे मज़ाक लग रहा है क्या, रुक तुझे अभी बताता हूँ"
गौरव अब निकल गया हॉस्टिल से, अपनी लिखे मेसेज को प्रूफ करने. उसे बस दिखाना था कि वो सच मे ऐसा कर भी सकता है. पर बेचारा गौरव, दिखाने के चक्कर मे खुद ही फँस गया.
रात के 12 से उपर हो रहे थे. हॉस्टिल के बाहर सन्नाटा छाया था, और गेट पर गार्ड झपकीयाँ लेते निगरानी कर रहा था. नीचे जैसे ही पहुँचा था वैसे ही हाथों से लग कर एक फूल का गमला नीचे गिर गया, आवाज़ तेज थी. गार्ड गेट से चिल्लाया,
"कौन है, कौन है वहाँ"
गौरव भागा अपने कमरे मे, और जैसा सोचा था, वॉर्डन ने आकर सारे रूम चेक किए. एक बार फिर नीचे आया बहुत ही सावधानी से, हॉस्टिल के बाईं ओर की बौंड्री से लगा एक स्टेंड था. उस के सहारे बौंड्री पर चढ़ा और बड़े आराम से दूसरी तरफ उतरा.
पास के स्टॅंड मे इनकी बाइक खड़ी रहती है, 50 का एक नोट देकर वहाँ के स्टाफ को बोल दिया किसी को पता नही चलना चाहिए कि वो रात को यहाँ आया था. वहाँ से लेकर पहुँचा वो सैली के घर.
पर जब आज ध्यान दिया तो सैली के घर की बौंड्री 8 फिट की थी और उपर काँटों के तार की फेन्सिंग थी. अब क्या करे बेचारा, घर के चारो ओर की दीवारों को मुआयना करने लगा. घर की सारी लाइट बंद थी, यानी सब सो रहा था.
एक मन हुआ गौरव का कि चलो चला जाए, क्या होगा कल थोड़ा मज़ाक ही उड़ाएगी ना. फिर अगले ही पल ख्याल आया कि, जब इतनी दूर आ गया हूँ तो एक बार चल कर देख ही लिया जाए.
डूबते को तिनके का सहारा, अशोक का पैर लगा था घर के दाएँ साइड की दीवार से, गौरव उसी के सहारे तो चढ़ा पर अब उस ऑर कैसे जाए. कुछ देर उँचाई को देखता रहा, फिर आव देखा ना ताव और कूद गया उस पार.
धम्म की तेज आवाज़ हुई, घर के अंदर का कोई सद्स्य तो नही जगा पर बाहर सो रहे दो डॉग्गी जाग चुके थे, और भौंकते हुए बिल्कुल बिजली की तेज़ी से दौड़ लगा दिया गौरव की ओर.
कुत्ते की आवाज़ सुन कर और अपनी ओर ही आते जान कर, वो भी भागा तेज़ी मे, कुछ ना सूझा, कोई ऐसी जगह भी नही थी जहाँ पर वो खुद को सुरखित करे. दौड़ते दौड़ते बाइक, बाइक से कार और कार से फिर एक छज्जा पकड़ कर उसके उपर चढ़ गया.
कुत्ते कार के उपर चढ़ कर लगातार भौंक रहे थे. आवज़ें घर तक गयी थी, कुत्ते पहले भौकने के आवाज़ से ही, सैली समझ गयी थी कि बाहर क्या हो रहा है, उसे लग ही रहा था कि गौरव शायद यहाँ आने की बेवकूफी ना कर जाए.