non veg story किरण की कहानी - Page 4 - SexBaba
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non veg story किरण की कहानी

किरण की कहानी पार्ट--11

लेखक-- दा ग्रेट वोरिअर

हिंदी फॉण्ट बाय राज शर्मा

गतांक से आगे........................

अब वो फिर से मालिश करने लगा लंड का सूपड़ा ऐसे ही गंद के छेद मे ही टीका हुआ था उसने थोड़ा सा और तेल खुली हुई गंद मे टपकाया और लंड के सूपदे को अंदर बहेर करने लगा. अब उसका लंड और मेरी गंद बोहोत ही चिकने हो चुके थे और सूपड़ा आसानी से अंदर बहेर हो रहा था. एसके अब मेरे ऊपेर फिर से झुक गये और ऑलमोस्ट लेट गये और मेरे शोल्डर्स को ऐसे पकड़ लिया के उनके दोनो हाथ मेरे दोनो चुचिओ के बीच मे थे जिस से मुझे बोहोत मज़ा आ रहा था और धीरे धीरे अपनी गंद उठा उठे के लंड के सूपदे को मेरी गंद के अंदर बहेर अंदर बहेर करना शुरू कर दिया दोनो के बदन चिकने होने से फिसल रहे थे. पिल्लो मेरी गंद के नीचे होने से गंद ऊपेर उठ गई थी और लंड को अंदर आने का इन्विटेशन दे रही थी. एसके ने सूपड़ा अंदर बहेर करते करते एक जम के झटका दिया तो लंड लग भाग आधा गंद के अंदर घुस गया और मेरे मूह से एक चीख निकल गैइ ह्ह्ह्ह्हाआआईईईई म्‍म्माऐईईए माअरर्र्र्र्ररर गाआईईए न्ननियिक्क्क्कययाऑल्लू ईससीईई वो थोड़ी देर ऐसे हे आधा लंड अंदर घुसेड के मेरे ऊपेर लेटे रहे. मेरी गंद एसके के लंड से कुछ अड्जस्ट हुई तो फिर एसके थोडा सा ऊपेर उठ

गये और फिर से अपने लंड पे जो आधा मेरी गंद के अंदर घुसा हुआ था उस के डंडे पे तेल उंड़ेल रहे थे और लंड को अंदर बहेर कर रहे थे और तेल डाल रहे थे जिस से लंड का डंडा और स्लिपरी हो चुका था और गंद का सुराख भी स्लिपरी हो गया था.

अब एसके ने कहा किरण अब तुम थोड़ा सा ऊपेर उठ के अपने नीचे से पिल्लो निकाल लो अब उसकी ज़रूरत नही है ऐसे ही नीचे रहेगा तो तुम्है और दरद होगा तो मैं थोड़ा सा उठी और एसके ने मेरे नीचे से पिल्लो निकाल लिया. एसके ने कहा किरण अब तुम अपनी गंद को थोड़ा सा ऊपेर उठा लो तो मैं ने अपने चूतदो को थोड़ा उप्पेर उठा लिया. अब मैं बेड पे उल्टा लेटी थी गंद थोड़ी से ऊपेर ऊपेर उठी हुई थी और एसके का मूसल लंड गंद मे आधा अंदर घुसा हुआ था. एसके ने फिर से अपने हाथ मेरे बदन के नीचे से डाल के शोल्डर्स को पकड़ लिया और उनके हाथ मेरे चुचिओ से लगने लगे दोनो हाथ दोनो चुचिओ के बीच मे थे. थोड़ी देर तक ऐसे ही मेरे बदन से चिपके हुए लेटे रहे दोनो अब मेरी गंद उसके लंड से पूरी तरह अड्जस्ट हो चुकी थी तो मेरी गंद अपने आप ही थोड़ी सी उठ गई और गंद के सुराख के मसल्स थोड़े रिलॅक्स हुए तो एसके ने समझ लिया के अब मैं अछी तरह से गंद मरवाने के लिए रेडी हू तो उन्हो ने अपने लंड को आधा ही अंदर बहेर अंदर बहेर कर के मेरी गंद मारनी शुरू कर दी. अब मुझे भी अछा लगने लगा और मैं मज़े लेने लगी. लंड और गंद दोनो बोहोत ही चिकने और स्लिपरी हो चुके थे. मेरी साँसें अब ठीक से चलने लगी थी. एसके ऐसे ही गंद के अंदर आधा लंड घुसा के धक्के मारते रहे और फिर मेरे शोल्डर्स को ज़ोर से पकड़ के इतनी ज़ोर से झटका मारा के मैं चिल्ला पड़ी ऊवूवयियैआइयैआइयैयीयीयियी माआआआआ माअरर्र्र्र्र्र्र्ररर गाआआआआआआईयईईईईईईईईईईईई ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊओ न्नीइक्क्काआआआआअल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लूऊऊऊऊऊ पर अब उनका लंड पूरा जड़ तक मेरी गंद मे घुस चुका था और मुझे उसका लंड गंद फाड़ के मेरे पेट मे से घुस के मूह से बहेर तक निकलता हुआ महसूस होने लगा. डरद से मेरी आँखें बहेर निकल गई और साँसें रुक गईं और मेरे सामने अंधेरा छाने लगा शाएद मैं फिर से अनकॉन्षियस हो गई.
 
एसके थोड़ी देर ऐसे ही मेरे ऊपेर लेटे रहे मेरी गंद मे अपना रॉकेट जैसा लंड घुसेड के. कुछ ही देर के बाद मेरी गंद अब पूरी तरह से रेडी हो गई थी और अब गंद मे लंड अछा लग रहा था तो एसके ने पीछे बेड से पैर टीका के उछल उछल के मेरी गंद मारनी शुरू कर दी कभी आधा लंड बहेर तक खेच लेते तो कभी सूपदे तक बहेर निकल के ज़ोर का झटका मारते तो मेरी जान ही निकल जाती अंदर की साँस अंदर और बहेर की बहेर रह जाती. थोड़ी देर तक तो तकलीफ़ होती रही लायकिन थोड़ी ही देर

मैं मुझे गंद मरवाने मे बोहोत ही मज़ा आने लगा और मे अपनी गंद से लंड को पीछे से धक्के मार रही थी तेल लगा होने से पपकचछक्क पपकचछक्कक प्प्प्पक्चक्क की आवाज़ें आ रही थी और एसके का मूसल जैसा लंड मेरी गंद मे घुसा हुआ था वो ज़ोर ज़ोर से खचा खच मेरी गंद मार रहे थे और मैं मज़े से मरवा रही थी अपनी गंद पीछे धकेल के उसका मोटा लंड अपनी गंद मैं ले रही थी. बहुत मज़ा आने लगा था और उसी समय मेरा बदन काँपने लगा और मेरी चूत मे से जूस निकाल ने लगा मेरा ऑर्गॅज़म चलता रहा और मैं बे दम हो के बेड पे गिर गई. एसके अपनी गंद उठा उठा के लंड को पूरा सूपदे तक बहेर निकाल निकाल के मेरी गंद मार रहे थे. उनकी स्पीड बढ़ गई और वो दीवानो की तरह से मेरी गंद के अंदर अपना मूसल लंड घुसेड रहे थे तेज़ी से मेरी गंद मार रहे थे और फिर एक बोहोत ही ज़ोर दार झटका मारा तो मेरे मूह से फिर से चीख निकल गई आआमम्माआअ मररर्र्ररर गाईईईईईई और फिर फॉरन ही उनके लंड से कम की पिचकारियाँ मेरी फटी हुई गंद मे निकल के गिरने लगी. पहली पिचकारी के साथ ही मेरी चूत से जूस निकलने लगा और मैं भी झड़ने लगी. एसके के लंड मे से कुम्म निकलता गया और मुझे लगने लगा जैसे उसके कम से मेरी गंद और मेरा पेट दोनो भर जायन्गे और अभी उनका लंड मेरी गंद के अंदर ही घुसा हुआ था और वो मेरे बदन पे गिर गये हम दोनो गहरी गहरी साँसें ले रहे थे थोड़ी ही देर के बाद जब हमारी साँसें ठीक हुई तो एसके मेरे ऊपेर से मेरा साइड मे लुढ़क गॅये और उनका लंड मेरी गंद मे से निकलते ही मेरी गंद मे से उनका कम बहेर निकलने लगा और मेरी चूत की दरार मे से होता हुआ नीचे बेड शीट पे गिरने लगा.

मैं भी अब सीधा हो के लेट गई और करवट ले के एसके को प्यार करने लगी दोनो करवट से लेटे थे एक दूसरे की तरफ मूह कर के.और फिर हम दोनो एक दूसरे से लिपट के गहरी नींद सो गये. सुबह उठी तो चूत और गंद मे मीठा मीठा दरद हो रहा था. हम दोनो ने साथ ही शवर लिया और दोनो एक दूसरे को साबुन लगा के सफाई करने लगे. एसके ने मेरी चूत और गंद मे साबुन लगाया और मैं ने एसके के लंड पे साबुन लगाया और धोने लगी. एसके के लंड पे हाथ लगते ही उनका लंड एक बार फिर से खड़ा होगया और मेरे नंगे बदन को और मेरी चिकनी मक्खन जैसी चूत को सल्यूट करने लगा जैसे हाथी (एलिफेंट) अपने सूंड (ट्रंक) से सल्यूट करता है तो मैं ने हंस के कहा वाउ एसके यह तो फिर से अकड़ने लगा तो उसने कहा किरण तुम्हारी मक्खन जैसी चिकनी और प्यारी चूत शाएद मेरे लंड को पसंद आ गई है और फिर से यह उसमे घुसना चाहता है तो मैं हँसने लगी और कहा के एसके मैं तुम्हारे लिए और तुम्हारे

इतने शानदार लंड के लिए हमेशा ही रेडी हू. फिर शवर के अंदर ही एसके ने मुझे अपनी गोदी मे उठा लिया और दीवार से टीका के मेरी चूत मे लंड एक ही झटके मे पेल दिया और चोदने लगे. मेरी बॅक दीवार से टिकी हुई थी और पैर एसके के बॅक पे लपेटे हुए थे और मैं हाथ एसके की गर्दन मे हाथ डाल के उनके बदन से झूल रही थी और उनका लंड मेरी चूत मे तूफान मचा रहा था. घचा घच चोद रहे थे उनका लंड चूत के अंदर ऐसे जा रहा था जैसे जॅक हॅमर से दीवार मे सुराख कर रहे हो मुझे लग रहा था के मेरी चूत और गंद फाड़ के उनका लंड दीवार मैं घुस जाएगा. उनके एक एक झटके से मेरे चुचियाँ डॅन्स करने लगी. एसके के हाथ मेरी चूतड़ पे थे और मेरी बॅक दीवार से. इसी तरह चोद्ते रहे और मैं 2 बार झाड़ चुकी थी अब मुझे लगा के एसके भी झड़ने वाले है तो मैं ने उनको कस्स के पकड़ लिया एसके के झटके बोहोत ही तेज़ हो गये और मेरी ज़बरदस्त चुदाई होने लगी और फिर एक इतनी ज़ोर से झटका मारा के मेरी चीख निकल गई ऊऊऊऊऊऊऊीीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई और मेरा मूह खुला का खुला रह गया और मैं ने महसूस किया के एसके का लंड मेरी चूत मे फूल (स्वेल) रहा हो और उसके के लंड से गरम गरम मलाई की पिचकारियाँ निकल रही है और मैं फिर से झड़ने लगी. चुदाई होने के बाद उन्हो ने मुझे नीचे उतारा और हम ने फिर से शवर लिया.

बाथरूम से बहेर निकल के मैं कपड़े पहेन्ने लगी तो एसके ने कहा नही किरण मैं और तुम जितनी देर घर मे अकेले रहेगे तुम और मैं कोई कपड़ा नही पहनेगे और हम दोनो नंगे ही रहेगे तो मैं ने मुस्कुराते हुए कहा ओके एसके मैं तो तुम्हारी गुलाम हो गैइ हू तुम जैसा कहोगे मैं वैसा ही करूगी. फिर मैं नंगे ही किचन मे गई और ब्रेकफास्ट बनाया और हम दोनो ने नंगे ही डाइनिंग टेबल पे बैठ के खाया. सॅटर्डे का दिन था वो तो एसके ने ऑफीस फोन कर दिया के वो किसी और जगह काम से जा रहे है और ऑफीस नही आएँगे और फिर कुछ अपनी सेक्रेटरी को इन्स्ट्रक्षन्स दे दिए और सारा काम समझा दिया. सॅटर्डे और सनडे को मेरी जम्म के चुदाई हुई. अब मैं अशोक को भूल चुकी थी मुझे अशोक की याद भी नही आ रही थी मैं तो यह सोच रही थी के एसके ही मेरे पति हैं और मैं उनकी पत्नी.

मंडे को एसके को ऑफीस जाना था तो मैं फिर से लिपट के रोने लगी और कहा के मैं कैसे रहूगी तुम्हारे बिना तो एसके मुझे से लिपट गये और किस करने लगे और कहा के मैं कही नही जा रहा हू शाम को फिर आ जाउन्गा और मैं ने तुम से प्रॉमिस भी तो किया हुआ

है के मैं अशोक के आने तक तुम्हारे साथ ही रहूँगा और फिर आज अपनी वाइफ को एक वीक के लिए उसके मयके जाने के लिए कह दूँगा और बता दूँगा के मैं किसी काम से मुंबई जा रहा हू और एक वीक के बाद आउन्गा. एसके ने कहा किरण कही अशोक को हमारे रिलेशन्स के बारे मे पता चल गया तो मुश्किल हो जाएगी तो मैं ने कहा एसके तुम अशोक की फिकर ना करो आइ आम शुवर के अगर उसको मालूम भी हो गया तो वो कुछ नही कहेगा कियों के उसको खुद ही पता है के वो मुझे सॅटिस्फाइ नही कर पा रहा है और उसके लोड्‍े मे अब दम नही है और यह के वो मुझे जब भी चोदने की कोशिश करता है और मुझे गरम कर के मेरी चूत के ऊपेर ही अपना माल गिरा देता है तो उसकी नज़रें खुद ही नीचे हो जाती है और उसको पता है के मैं उस से सॅटिस्फाइ नही हू तो तुम उसकी बिल्कुल भी फिकर ना करो और वो तुम्हारा अछा दोस्त भी है और हमेशा टुमरी तारीफ ही किया करता है के तुम बोहोत आछे इंसान हो और हमेशा दूसरो की मदद करते रहते हो तो वो हँसने लगा और कहा के हा मैं तुम्हारी मदद ही तो कर रहा हू और फिर हम दोनो मिल के हँसने लगे.

इसी तरह से पूरा एक वीक एसके मेरे साथ ही रहे. दिन रात डिफरेंट स्टाइल्स मे चुदाई करते रहे मस्ती मे टाइम गुज़रता रहा. एक वीक के बाद अशोक वापस आ गये तो उन्हो ने पूछा के मेरा काम कैसे चल रहा है तो मैं ने खा के हा ठीक ही चल रहा है एसके यहा ही आ के मुझे सब कुछ सीखा देते है. अशोक ने आँख मार के कहा के कुछ हमै भी तो बताओ के अब तक क्या क्या सीखा दिया है हमारी प्यारी सी किरण जान को तो मेरे मूह पे ऑटोमॅटिकली शरम आ गई और अशोक मुझे गौर से देखने लगे और कहा के किरण एसके मेरा सब से प्यारा दोस्त है देखना के उसको कोई तकलीफ़ ना हो और जब वो घर पे ही आता है काम सीखा ने के लिए तो उसका पूरा ख़याल भी रखा करो तो मैं ने मुस्कुरा के सर हिला दिया और कहा के ठीक है मैं एसके के पूरा ख़याल रखूँगी तुम फिकर ना करो. ऐसी ही दो मीनिंग की बातें हुई जिस से मुझे एक आइडिया तो हो गया के अशोक कोई फील नही करेगा अगर एसके मुझे चोद भी दे तो और मुझे ख़याल आया के शाएेद अशोक चाहता भी यही हो के एसके मुझे चोदे और मुझे सॅटिस्फाइ कर्रे. खैर यह मेरा और एसके की चुदाई का सिलसिला चलता रहा. अब तो जैसे एसके ही मेरा पति था वोही मुझे चोद ता था मैं उसके चोदने से बिल्कुल सॅटिस्फाइ थी.

एक टाइम एसके को डिन्नर पे बुलाया. हम तीनो ने खाना खाया. डिन्नर के बाद सोफे पे बैठे कॉफी पी रहे थे तो अशोक ने एसके से कहा के एसके किरण तुम्हारी बोहोत तारीफ करती है के तुम उसको काम अछी तरह से समझा रहे हो और उसकी पूरी मदद कर रहे हो तो मैं ने देखा के एसके के चेहरे पे एक रंग आ के

चला गया उसने समझा के शाएद अशोक को किसी तरह से पता चल गया उसके और किरण के रिलेशन्स का पर एसके ने कुछ कहा नही तो मैं ने ही कहा के हा अशोक एसके बोहोत ही अछी तरह से मुझे काम समझा रहे है तुम फिकर ना करो और मैं उनका पूरा ख़याल भी रख रही हू जैसा तुम ने कहा था तो मैं ने देखा के अशोक के चेहरे पे इतमीनान दिखने लगा और फिर एसके ने भी कहा के यार अशोक किरण एक बोहोत ही अछी लड़की है उसने काम बोहोत ही जल्दी सीख लिया और अछी तरह से कर भी रही है और हा वो मेरा अछी तरह से ख़याल भी रखती है तो फिर अशोक ने कहा देखो किरण एसके की खिदमत मे किसी किसम की कमी ना रह जाए तो फिर मैं ने कहा के हा तुम फिकर ना करो मैं सब देख लुगी. अशोक की बातो से ऐसे अंदाज़ा होता था के हमारे बारे मे वो कुछ समझ गया था या हमै आपस मे चुदाई का सुझाओ दे रहा था हमारी कुछ समझ मे नही आ रहा था. खैर हम ने सोचा के कोई बात नही अगर अब अशोक को पता भी चल जाए तो कोई बात नही जब ऐसी कोई बात आईगी तो देखा जाएगा.

कॉफी ख़तम हो चुकी थी और हम ऐसे ही बैठे बातें कर रहे थे तो एसके ने कहा के उसको 2 वीक्स के लिए सिंगपुर जाना पड़ रहा है. एसके ने मज़ाक से कहा के यार अशोक अगर तुम इजाज़त दो तो मैं किरण को भी सिंगपुर की सैर करा लाउ तो अशोक ने कहा अरे इस मे पूछने की क्या बात है यह तो बड़ी अछी बात है ले जाओ वो यहा अकेले मे बोर होती रहती है और मेरा कोई ठिकाना भी तो नही है कभी भी मुझे बिज़्नेस के सिलसिले मे बिना प्रोग्राम के ही कही भी चले जाना पड़ता है तो एसके ने कहा नही यार मैं तो मज़ाक कर रहा था तुम तो सीरीयस हो गये तो अशोक ने कहा अरे नही यार मैं सच मे सीरीयस हू अगर तुम को कोई प्राब्लम ना हो आइ मीन के कोई बिज़्नेस की या फाइनान्षियल प्राब्लम तो एसके ने कहा नही यार मुझे क्या प्राब्लम हो सकती है तो अशोक ने कहा तो फिर क्या प्राब्लम है ले जाओ कीरन को अपने साथ ना यार मैं कह रहा हू ना. अशोक और एसके ऐसे ही बातें कर रहे थे और मैं कभी अशोक की सूरत देखती तो कभी एसके की और समझने की कोशिश कर रही थी के कही यह दोनो वाकई सीरीयस हैं या दोनो ही मज़ाक कर रहे हैं.
 
किरण की कहानी पार्ट--12

लेखक-- दा ग्रेट वोरिअर

हिंदी फॉण्ट बाय राज शर्मा

गतांक से आगे........................

एसके ने कहा देखो यार मुझे ले जाने मे कोई ऐसी प्राब्लम तो नही है पर तुम्है तो पता है के वाहा बहेर रूम्स या घर तो रेंट पे नही मिलते और होटेल मे सिंगल रूम्स काफ़ी एक्सपेन्सिव होते है और डबल बेड के रूम मे एक ही बेड होता है और मैं सोफे पे सोता नही और किरण को मैं सोफे पे सुला नही सकता रहने दो मैं तो ऐसे ही मज़ाक कर रहा था तो अशोक ने कहा

अरे यार ऐसी भी क्या बात है एक ही रूम मे रह लेना और मेरी तरफ मूड के अशोक ने कहा के कियों किरण तुम रह सकती हो ना एसके के साथ एक ही रूम मे ?? बेड के एक तरफ तुम सो जाना और एक तरफ एसके सो जाएगा तो मैं ने शरम से लाल लाल हो के कहा तुम भी कैसी बातें करते हो अशोक बिना सोचे समझे तुम्है कुछ पता भी है के तुम क्या कह रहे हो ? तो उसने कहा अरे यार किरण जाओ थोड़ा घूम फिर के आओ बहेर की दुनिया देख लो इंडिया मे कहा कहा फ़िरो गी मैं तो तुम्है नही ले जा सकता एसके के साथ जाने मे क्या प्राब्लम है तो मैं ने कहा क्या अशोक तुम भी ना ऐसे ऐसे प्रपोज़ल दे रहे हो जो तुम भी जानते हो के कभी नही हो सकते तो अशोक ने कहा कियों नही हो सकते अरे बाबा मैं तुम्है पर्मिशन दे रहा हू ना और एसके मेरा बचपन का दोस्त है और हम दोनो ने बोहोत मस्तियाँ भी की है मैं एसके को अछी तरह से जानता हू और फिर अशोक और एसके दोनो साथ मे हँसने लगे और एसके ने कहा क्या यार अशोक जाने दो ना किरण के सामने क्या लगाए बैठे हो तुम हमारी पुरानी बातें वो भी क्या सोचेगी हमारे बारे मे तो मैं ने हंस के कहा नही मैं कुछ नही सोचने वाली जवानी मे तो हर कोई एंजाय करता ही है हो सकता है आप लोगो ने भी कुछ ऐसे ही एंजाय क्या होगा मैं ने आँख मरते हुए कहा तो अशोक ने कहा के हा बाबा तुम भी तो जवान हो जाओ और थोड़ा एंजाय कर के आओ.

एसके ने बात ख़तम करते हुए कहा के यार अभी तो टाइम पड़ा है तुम दोनो मिल के सॉर्ट आउट कर लो मुझे तो कोई प्राब्लम नही है किरण मेरे साथ जा सकती है ऐसी कोई बात नही. जब तुम लोग डिसाइड करलो तो बता देना मैं सारे अरेंज्मेंट्स कर लूँगा और फिर अशोक से हाथ मिला के और मेरे शोल्डर पे हाथ रख के अपनी तरफ थोड़ा सा खेचा और गुड बाइ कह के वो चला गया. उसके जाने से मैं उदास हो गई और मेरी आँख से आँसू भी निकल आए तो मैं घूम के बाथरूम मे चली गई. मुझे लगा के अशोक ने मुझे रोते देख लिया है.

एसके के चले जाने के बाद हम सोने के लिए अपने बेडरूम मैं चले गये. मुझे टोटल डार्कनेस मे नंगा सोने की आदत है इसी लिए सोने के टाइम पे हम नाइट लॅंप नही लगाते. और यह सोच के नंगा सोती हू के कभी अशोक की आँख खुल जाए और उसका मूड आजाए तो हो सकता है के कभी मुझे सही ढंग से चोद दे जब के ऐसा कभी हुआ नही. अंधेरे मे लेटे लेटे अशोक ने मेरे चुचिओ को दबाना और मसलना शुरू किया तो मैं ने उसका आधा उठा हुआ लंड अपने हाथ मे पकड़ लिया और दबाने लगी. अशोक का एक हाथ मेरी चूत का मसाज कर रहा था और मैं गरम होने लगी और चूत मे से जूस निकलने लगा. अशोक को हमेशा ही चुदाई की जल्दी होती है चाहे उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हुआ हो या नही तो आज भी यही हाल

था उसका लंड अभी पूरी तरह से सख़्त भी नही हुआ था और वो मेरे बदन पे चढ़ आया और टाँगों के बीचे बैठ के अपने आध खड़े लंड को मेरी चूत मे रगड़ने लगा उसके लंड से थोड़ा प्रेकुं तो निकल रहा था जिस से मेरी चूत स्लिपरी तो हो गई थी पर उसके लंड मे अभी भी सख्ती नही आई थी वो मेरे ऊपेर झुक आया और लंड को चूत मे घुसाने की कोशिश करने लगा और लंड का सूपड़ा तो अंदर घुस ही गया किसी तरह से शयेद चूत बोहोत गीली हो गई थी या उसके प्रेकुं से एनिहाउ लंड का सूपड़ा तो अंदर घुसा और उसने एक झटका मारा और लंड अंदर घुसेड़ने की कोशिश की पर उसी समय उसके लंड मे से मलाई निकल गई और थोड़ी चूत के अंदर और थोड़ी चूत के बहेर ही निकल गई तो मेरे मूह से “ओह शिट” निकल गया. अशोक गहरी सांस लेता हुआ मेरे ऊपेर से लुढ़क के मेरे बाज़ू मे लेट गया.
 
मैं पूरी तरह से गरम हो चुकी थी. मेरा मस्ती के मारे बुरा हाल था चूत मे आग लगी हुई थी पर क्या करती अशोक अपनी मलाई मेरी चूत के बहेर ही गिरा के बाथरूम चला गया तो मैं ने अपनी उंगली चूत मे घुसेड के अंदर बहेर करना शुरू कर दिया और एसके का लंड और उसकी चुदाई का सोचते सोचते मैं बोहोत ज़ोर से झाड़ गई. अशोक ने बाथरूम से बहेर निकलते निकलते मुझे अपनी उंगली चूत मे डाल के अंदर बहेर करते देख लिया पर कुछ बोला नही शाएेद खुद ही कुछ समझ गया होगा के मैं ऐसा कियों कर रही हू कियॉंके वो अछी तरह से नही चोद सका और मैं प्यासी रह गई थी इसी लिए अपने ही हाथो अपनी चूत का मसाज कर रही हू.

थोड़ी देर के बाद मैं ने सिंगपुर की बात छेड़ दी मैं तो दिल से चाहती थी के मैं एसके के साथ जाउ और हर हर स्टाइल मे खूब चुद्वाउ. मैं ने पूछा अशोक क्या तुम सीरीयस हो मुझे एसके के साथ भेजने के लिए तो उसने कहा हा किरण जा के आ जाओ तुम्हारी भी थोड़ी आउटिंग हो जाएगी कब तक घर मे ही पड़ी रहोगी तो मैं ने कहा अशोक तुम ने सोचा है के तुम क्या कह रहे हो अगर मैं चली गई तो लोग क्या कहेगे और खुद तुम कैसा फील करोगे के मैं किसी और मर्द के साथ उसके रूम मे अकेली रहूगी तो ?? अशोक ने कहा नही किरण मैं एक फ्री माइंड का आदमी हू और यह ऐसी क्या बात है तुम फिकर ना करो मैं कुछ सोचने वाला नही हू तो मैं ने शरारत से उसके लंड को पकड़ के दबाया और कहा के अगर एसके ने मुझे यह दिखा दिया तो मैं क्या करू?? तो अशोक ने कहा किरण टम्हे पता है एसके का लंड इतना मोटा और बड़ा है उसने अपने हाथ मे फिंगर्स को मिला के कहा जो मुझे अंधेरे मे नज़र आगेया तो मैं ने पूछा

मुझे क्या करना है पर तुम्है कैसे मालूम एसके के लंड के बारे मे तो उसने बताया के फर्स्ट टाइम तो उसने कॉलेज मे ही इंटर्वल के टाइम पे क्लास मे ही अपना लंड निकाल के दिखाया था सारी क्लास को. मैं ने कहा क्या बात करते हो ऐसे कैसे कोई क्लास मे सब के सामने दिखा सकता है लेक्चरर नही थे क्या तो उसने कहा के एक दिन कॉलेज मे थे तो बारिश होने लगी और बोहोत ज़ोर की होने लगी उस दिन लेक्चरर क्लास मे नही आए और फिर एसके को पिशाब करना था बहेर जाना मुश्किल था तो किसी ने मज़ाक से कहा के अरे यार खिड़की (विंडो) मे खड़े हो जाओ और मूत दो तो उसने सच मे ऐसे ही किया और अपने बेंच पे खड़ा हो गया और विंडो मे खड़े हो के पॅंट मे से लंड बहेर निकाला और मूतने लगा तो सारे लड़के और लड़कियाँ हैरत से देखने लगे और जितनी देर तक वो मूत ता रहा सारे लड़के और लड़किया उसके इतने मोटे और बड़े लंड को देखते रहे और फिर कहा के अगर तुम्है भी कभी चान्स मिले तो तुम भी देखना मैं ने तो कभी किसी का इतना बड़ा और इतना मोटा लंड नही देखा. अब मैं अशोक से कैसे कहती के मैं उस लंड को जिसकी वो इतनी तारीफ कर रहा है मैं अपने बदन के हर छेद मे वो वंडरफुल लंड डलवा चुकी हू और उसकी क्रीम खा के पेट भी भर चुकी हू. मैं ने कहा धात्ट मैं क्या करूँगी उसका लंड देख के मुझे तो बॅस तुम्हारा ही लंड चाहिए मुझे किसी और के लंड से क्या लेना देना है तो वो हँसने लगा और कहा के वो तो है ही पर अगर कभी चान्स मिले तो ट्राइ ज़रूर करलेणा मैं ने बात ख़तम करने को कहा के ठीक है देखेंगे और फिर हम दोनो सो गये.

उस रात हम देर तक एसके की बातें करते रहे थे इसी लिए सुबह देर से उठे और शवर लिया और ब्रेकफास्ट तय्यार कर के टेबल पे बैठ के नाश्ता करने लगे. नाश्ता करते करते तकरीबन 10 बज चुके थे तो अशोक ने कहा के उसको देर हो रही है और वो रेडी होने के लिए चला गया इतनी देर मे मैं कॉफी बना के ले आई. अशोक रेडी हो के आए तो कॉफी रेडी थी दोनो कॉफी पीने लगे इतने मे ही बेल बजी मैं ने डोर खोला तो एसके खड़े थे. अंदर आते ही कहा अरे इतनी देर से नाश्ता कर रहे हो क्या बात है तो हम ने कहा के हा रात देर तक बातें कर रहे थे और सोने तक बोहोत रात हो गई थी इसी लिए सुबह देर से आँख खुली. मैं एक और कप कॉफी ले के आ गई और एसके को दे दिया तो वो भी कॉफी पीने लगा और बोला के वाह क्या मस्त कॉफी बनाई है आज किरण ने.. अशोक ने कहा के सुनो एसके रात हम ने डिसाइड कर लिया है और किरण तुम्हारे साथ जाने के लिए रेडी हो गई है तो बाकी के अरेंज्मेंट्स मैं तुम पे छोड़ देता हू तुम जैसे चाहो कर्लो और शाएेद मुझे भी कुछ दीनो के लिए मुंबई जाना पड़े तो ठीक है मैं मुंबई चला जाउन्गा और तुम दोनो सिंगपुर

चले जाना. एसके ने कहा ठीक है अगर तुम दोनो ने मिल के डिसाइड किया है तो मुझे क्या प्राब्लम हो सकती है मैं सारे अरेंज्मेंट्स करलूंगा.
 
अशोक ने दोनो को गुड बाइ किया और चले गया. उसके जाने के बाद डोर लॉक किया और मैं दौड़ती हुई आई और एसके से लिपट गई मैं बे इंतेहा खुश थी के अब सही मानो मे हनी मून का मज़ा आएगा. उस दिन ऑफीस का काम तो खाक होता बॅस चुदाई ही हुई सारा दिन. एसके की वाइफ भी अपने मयके चली गई थी तो वो भी फ्री थे. सुबह से रात तक मेरे साथ ही रहे और हर हर स्टाइल मे चुदाई की और इतनी चुदाई की के मेरी चूत का भोसड़ा बना डाला चूत के लिप्स सूज गये थे चूत डबल रोटी की तरह लग रही थी.

एसके ने बताया के सिंगपुर जाने के अरेंज्मेंट्स शुरू कर दिए हैं वाहा के होटेल को एमाइल्स दे दिए हैं सब काम होने के बाद वो मुझे बता देंगे.

एक दिन एसके ने बताया के उसको एक वीक के लिए कही टूर पे जाना पड़ रहा है और हो सकता है के थोड़े दिन ज़ियादा भी हो सकते हैं. इत्तेफ़ाक से अशोक ने भी रात मे आ के बताया के वो एक वीक के लिए कही बहेर जा रहा है तो मैं बोहोत उदास हो गई और सोचने लगी के क्या करना चाहिए एक वीक तक.
 
किरण की कहानी पार्ट--13

लेखक-- दा ग्रेट वोरिअर

हिंदी फॉण्ट बाय राज शर्मा

गतांक से आगे........................

दूसरे दिन अशोक और एसके दोनो बाहर चले गये मैं घर मे अकेली रह गई. मैं बोहोत ही उदास थी इतने मे बेल बजी डोर खोला तो देखा के उषा आंटी डोर पे खड़ी मुस्कुरा रही है. उषा आंटी अपने मयके से आ गई थी और मेरे पास मिलने आ गई. एसके के साथ इतना टाइम गुज़रने के बाद मुझे उषा की याद भी नही आई थी अब उन्है देखा तो मेरे चेहरे पे मुस्कुराहट आ गई और मैं ने दिल मे सोचा के चलो कुछ तो एंजाय कर सकते है. उषा आंटी को बिठाया और कॉफी बना के ले आई दोनो कॉफी पीने लगे और इधर उधर की बातें करने लगे. मैं ने आंटी को आँख मार के पूछा के आंटी क्या कुछ खाने को मिला या मयके से भूकि ही वापस आई हो तो वो हस्ने लगी कुछ बताया नही और इतना कहा के तुम्हारी बोहोत याद आती थी मैं ने भी झूट कह दिया के हा मुझे भी तुम्हारी बोहोत याद आती थी जबके सच तो यह था के एसके के साथ रहते मुझे अशोक की याद भी नही आती थी तो इस आंटी की याद कैसे आ सकती है फिर हम ने वोही 69 वाले स्टाइल मैं एक दूसरे की चूतो को चूसा और अपनी चोटों को प्यास बुझाई. आंटी की चूत मे से ढेर सारा जूस निकला तो मैं ने हंस के कहा के वाउ आंटी इतना ढेर सारा

जूस लगता है कोई मिला नही तो फिर वो हस्ने लगी. मैं भी अकेली थी इसी लिए आंटी देर रात तक मेरे साथ ही रही और रात मे जाते जाते भी एक टाइम और हम ने एक दूसरे का जूस पीया और आंटी के चले जाने के बाद मैं अपने रूम मे सोने चली गई.

दूसरे दिन जब आंटी आई तो उनके साथ एक छोटी सी लड़की भी थी होगी कोई लग भाग 14 या 15 साल की. मैं ने दोनो को अंदर आने के लिए कहा कॉफी बना ने किचन मे चली गई. आंटी तो मेरे साथ फ्री थी ही वो भी किचन मे आ गई और बातें करने लगी तो उनके साथ ही वो लड़की भी आ गई. आंटी ने बताया के इस लड़की का नाम डॉली है इसके पेरेंट्स भी हमारे मोहल्ले मे ही रहते हैं. इसके मम्मी सराह और डॅडी जॉन दोनो रेलवे मे काम करते हैं. दोनो आंग्लो इंडियन क्रिस्चियन हैं. इनकी लोवे मॅरेज थी यह मुझे बाद मे पता चला. खैर. आंटी को डॉली की मम्मी ने बोला था के मुझ से पूछे के क्या मैं डॉली को उसके 10थ के एग्ज़ॅम के लिए कुछ मदद कर सकती हू. मैं ने कहा के आंटी आप को पता नही के अब मैं जॉब करने लगी हू और ऑफीस से काम घर मे ला के यही पे डाटा एंट्री करती हू जिसके लिए ऑफीस से मेरे घर मे एक कंप्यूटर भी आ गया है और मे उसको फुल टाइम नही दे सकती बॅस इतना कर सकती हू के उसको थोड़ा सा गाइड कर सकती हू और उसके होमवर्क मे या कोई डिफिकल्टी हो तो समझा सकती हू पर फुल टाइम नही पढ़ा सकती तो आंटी ने कहा के ठीक है यह कल से तुम्हारे पास आ जाएगी इसको इसके एग्ज़ॅम तक ही मदद करदो 10थ का इंपॉर्टेंट एअर है. मैं ने कहा के कोई बात नही यह कल शाम से आ जाए सुबह का टाइम मैं एसके के लिए फ्री रखना चाहती थी. डॉली बोहोत ही खूबसूरत लड़की थी एक दम से गुडया (डॉल) जैसी शयेद इसका नाम इसी लिए डॉली रखा होगा. क्रीम जैसा गोरा रंग, छोटे लाइट ब्राउन कलर के बालों की पोनी टेल जो उसके सर से लटक ती हुई बोहोत अछी लग रही थी. शॉर्ट स्कर्ट और ब्लाउस पहेना करती थी. चुचियाँ अभी छोटी ही थी छोटे साइज़ के संतरे जीतने होंगे. उसके ब्लाउस मे से उसके निपल का छोटा सा उभार सॉफ दिखाई दे रहा था. मीडियम बिल्ट थी उसकी लैकिन ऑन दा होल वो एक बे इंतेहा खूबसूरत डॉल जैसी थी और मुझे पक्का यकीन था के जब वो जवान होगी तो पता नही रास्ता चलते कितने लोग उसको देख के अपने पॅंट मे ही झाड़ जाएँगे. डॉली डॅन्स क्लासस भी अटेंड करती थी इसी लिए उसके लेग्स और थाइस भी बोहोत ही शेप मे थे और जब वो मुस्कुराती तो उसके गाल मे छोटे छोटे डिंपल पड़ते बोहोत ही मस्त दिखाई देते थे.

सुबह एसके आ जाते और मेरे साथ ही कॉफी पीते और फिर हम दो या तीन राउंड मस्त चुदाई का होता फिर वो ऑफीस चले जाते कभी तो डाइरेक्ट लंच से थोड़ा पहले आते और चुदाई के बाद लंच और फिर शाम को कॉफी पी के चले जाते. डॉली तकरीबन डेली शाम को 5 बजे के आस पास आ जाती और अपना काम करती रहती कभी उसे कुछ पूछना होता तो मैं उसको समझा देती कभी मथ्स कभी साइन्स कभी सोशियल. डॉली एक आवरेज स्टूडेंट थी लैकिन समझने पर जल्दी ही समझ जाती. मैं उसको अक्सर देखती रहती थी वो थी ही इतनी खूबसूरत.

एक दिन अछी ख़ासी बारिश हो रही थी एसके भी नही आ सके थे और अशोक कही बहेर टूर पे गये हुए थे दो दिन से चुदाई नही हुई थी तो मैं थोड़ा सा उदास थी. उस दिन शाम के टाइम जब डॉली आई तो वो अछी ख़ासी भीग चुकी थी तो मैं ने कहा के अरे डॉली तुम तो भीग चुकी हो चलो अंदर मैं तुम्है टवल देती हू अपने बदन ड्राइ कर लो और तुमको इतनी बारिश मे आने की क्या ज़रूरत थी कल आ जाती ना तो उसने कहा नही आंटी मुझे कुछ आप से समझना था कल हमारे क्लास मे साइन्स का टेस्ट है इसी लिए आना ज़रूरी था तो मैं ने कहा ठीक है पहले तुम चलो और अपना बदन पोंछ लो फिर पढ़ लेना. मैं डॉली को ले के अपने रूम मे आ गई और उसको बड़ा सा टवल दिया और कहा के तुम अपने कपड़े उतार दो और यह टवल लपेट लो. कपड़े जब सूख जाएँ तो पहेन लेना तो उसने कहा ठीक है आंटी. डॉली कुछ हेज़िटेट कर रही थी
 
कपड़े चेंज करने के लिए कियॉंके मैं कमरे मे ही थी लैकिन मैं ने कोई ख़ास ध्यान नही दिया मई समझ रही थी के वो कपड़े चेंज कर लेगी पर उसने नही किए तो मैं ने पूछा क्या हुआ तुमने चेंज नही किया तो वो थोड़ा शरमाई तो मैं समझ गई के शाएद मेरे सामने चेंज नही करना चाह रही है तो मैं ने हंस के कहा अरे डॉली हम दोनो ही फीमेल हैं और पता है फीमेल्स हमेशा एक दूसरे के सामने कपड़े चेंज करने मे शरमाते नही चलो बदल लो फिर कहा के अछा चलो मैं भी तुम्हारे सामने ही अपने कपड़े चेंज कर लेती हू ता के तुम को नेक्स्ट टाइम शरम नही आए और मैं अपने कपड़े उतारने लगी एक एक करके सारे कपड़े निकाल दिए और बिना पॅंटी और ब्रस्सिएर के एक पतली सी नाइटी पहेन ली. जितनी देर मैं चेंज करती रही डॉली मेरे बदन को घूर कर देखती रही फिर डॉली ने भी अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए और शर्मा के मेरी तरफ देखने लगी. मैं ने देखा के उसके चुचियाँ तो अछी ख़ासी हैं बड़ी मस्त लग रही थी डॉली नंगी खड़ी हुई और उसकी चुचिओ का एरिया भी अछा है लगता है के जैसे हॅंडफुल होगा अछा ख़ासा बड़ा है ऐसा लगता था के जब चुचियाँ कुछ और बड़े हो जाएगे तो इस शेप मे आ जाएँगे. मैं ने देखा के डॉली

ने स्कर्ट के अंदर पॅंटी पहनी हुई है और पॅंटी भी भीग चुकी थी और उसकी गोरी गोरी बिना बालो की चूत सॉफ नज़र आ रही थी. वो पॅंटी नही उतार रही थी मैं ने कहा के डॉली पॅंटी भी उतार दो यह गीली रहेगी तो तुम्है सर्दी लगेगी तो उसने शरमाते हुए पॅंटी भी उतार दी और पूरी नंगी हो गई. मैं ने गौर से देखा तो वो आसमान से उतरी हुई कोई अप्सरा लग रही थी और इतना पर्फेक्ट बदन किसी स्टॅच्यू मे ही दिख सकता था.

कपड़े बदल के मैं ने डॉली की स्कर्ट, ब्लाउस और पॅंटी ले के बाल्कनी मे ड्राइ होने के लिए फैला दिए. मेरा बेडरूम ऊपेर ही है. मैं ने कहा के तुम मेरे बाथरूम मे जा के गरम पानी से शवर ले के आ जाओ और टवल लपेट लो और हा अंदर से लॉक नही करना कियॉंके शयेद अंदर से तुमसे ना खुले उसका बोल्ट कुछ टाइट है तो वो बाथरूम मे चली गई और नहा ने लगी. मेरे बाथरूम मे बड़े साइज़ का बात टब है जिस्मै कभी मैं ड्रेन होल को बंद कर के गरम पानी से टब फुल कर के उस्मै कोई पर्फ्यूम डाल के बैठ जाती हू और बात टब मे जक्कुज़्ज़ी भी लगा हुआ है जिसके बबल से मेरा बदन रिलॅक्स हो जाता है और बदन मे पर्फ्यूम की खुसबू भी आ जाती है. मैं ने ऐसा ही किया और बात टब मे गरम और ठंडा पानी मिक्स कर के डाल दिया और थोड़ा सा पर्फ्यूम भी डाल दिया और उस्मै पानी उतना ही डाला जितना डॉली के बदन को सहन सके और डॉली से कहा के थोड़ी देर वो इस्मै ऐसे ही बैठ जाए उसके बाद ड्रेन होल खोल दे तो सारा पानी निकल जाएगा और फिर बाहर आ जाए तो उसने ऐसा ही किया वो बात टब मे बैठ गई और बाथरूम का डोर खुला हुआ था. मैं अपने रूम मे अपनी अलमारी मे कपड़े ढंग से जमाने लगी. मेरा सारा ध्यान एसके की तरफ था वो दो दीनो से नही आ सका था कुछ तो बारिश का असर था कुछ उसको कम भी ज़ियादा था यही सोच रही थी और फिर अपने और एसके के सिंगपुर के ट्रिप के बारे मे सोच सोच के मेरे होटो पे मुस्कुराहट भी आ रही थी.
 
किरण की कहानी पार्ट--14

लेखक-- दा ग्रेट वोरिअर

हिंदी फॉण्ट बाय राज शर्मा

गतांक से आगे........................

बाथरूम से डॉली के चीखने की आवाज़ से मैं अपने सिंगपुर के सपने से बाहर आ गई और बाथरूम की तरफ दौड़ के गई तो देखा के डॉली टब के बाहर के हिस्से मे नीचे गिरी हुई है वो शाएद टब से बाहर निकल रही थी एक पैर टब के अंदर एक पैर बाहर होगा तो उसका पैर फिसल गया और उसके थाइस पे रगड़ आ गई और टांग मूड गई जिसकी वजह से उसको बोहोत दरद हो रहा था. मैं उसको नंगा ही उठा के अपने बेडरूम मे ले के आ गई और बेड पे बड़ा सा टवल बिछा के उसको टवल पे लिटा दिया और उसके बदन को उसी टवल से ड्राइ करते समय देखा के उसकी चूत तो मक्खन जैसी चिकनी और मलाई जैसे गोरी है बिना बावन वाली मोटे लिप्स की चूत जिसके दोनो लिप्स एक दूसरे से थोड़े से अलग हुवे वे चूत के अंदर से पिंक कलर बोहोत सेक्सी लग रही

थी मेरा मॅन कर रहा था के बस मैं इसकी चूत को चूम लू और अपनी ज़बान उसकी चूत के अंदर डाल के चाट डालु. मैं उसके बदन को ड्राइ कर के ऐसे ही टवल से लपेट दिया और पूछा के क्या हुआ तो वो बोली के आंटी मैं बाहर निकल रही थी तो मेरा पैर फिसल गया और मैं बाहर गिर गई और मेरे थाइ मे चोट लग गई. मैं ने देखा तो ऐसा कोई घाव तो नही था खून भी नही निकल रहा था पर थोड़ा पोर्षन रेड हो गया था शाएद मसल्स कुछ टूट गये होंगे तो मैं ने कहा के तुम फिकर ना करो मैं तुम्हारे थाइस पे ऑलिव आयिल की मालिश कर दूँगी तो थोड़ी ही देर मे तुम ठीक हो जाओगी तो उसने कहा ठीक है आंटी और बोली के यू आर सो स्वीट आंटी आप बोहोत अछी हो कितना ख़याल रखती हो मेरा, मेरी मम्मी के पास तो मेरे लिए टाइम ही नही है मैं अपनी तारीफ सुन के थोड़ा सा शर्मा गई और कहा नही डॉली ऐसी बात नही तुम देखो के तुम्हारे मम्मी और डॅडी दोनो काम करते है ता के तुम को अछी एजुकेशन दे सके और तुम्हारी हर इच्छा पूरी कर सके तो उसने कुछ कहा नही बस अपना सर हिला दिया.

मैं ऑलिव आयिल ले के आ गई और डॉली से कहा के मैं तुम्हारे थाइस पे तेल लगा के थोड़ी सी मालिश कर दुगी तो तुम ठीक हो जाओगी पर यह टवल तुम्हारे नीचे रहा तो यह खराब हो जाएगा मैं इसको निकाल देती हू और एक पुरानी बेडशीट बिछा देती हू तो उसने कहा ठीक है आंटी तो मैं ने टवल निकाल दिया और एक पुरानी बेडशीट उसके नीचे बिछा के उसको नंगा ही लिटा दिया और मैं उसके दोनो पैरो को फैला के बैठ गई तो उसने अपने हाथो से अपनी चूत को छुपा लिया तो मैं हंस पड़ी और कहा के अभी तो तुम से कहा था के फीमेल्स एक दूसरे से नही शरमाते तो फिर भी उसने अपना हाथ नही हटाया तो मैं ने कहा के देखो दोनो हाथ यहा रखने से तुम्हारे मौसम्बी जैसे चुचियाँ मुझे दिखाई दे रही है तो उसने दोनो हाथ चूत पे से हटा के चुचिओ पे रख लिए तो मैं ने कहा के देखो अब यह नज़र आ रही है तो वो हँसने लगी और कहा के आंटी आप भी तो कपड़े पहने हुए है वो भी तो खराब हो जाएगे अगर उनको तेल लग गया तो !! तो मैं ने हंस के कहा क्या मतलब है तुम्हारा ?? मैं भी अपने कपड़े उतार दू क्या >?? तो वो कुछ बोली नही बस हँसने लगी तो मुझे भी कुछ शरारत सूझी और कहा ठीक है तुम्है शरम आती है तो मैं भी अपने कपड़े निकाल देती हू और यह कहते हुए अपने हाथ से बैठे बैठे नाइटी को ऊपेर उठा के बदन से निकाल दिया और नंगी हो गई.

डॉली ने मेरा बदन देखा तो बोला के वाउ आंटी आप बोहोत ब्यूटिफुल हो तो मैं ने कहा के तुम्हारी मम्मी भी तो ब्यूटिफुल है वो भी तो आंग्लो इंडियन है और ब्यूटिफुल है तो उसने कहा

के हां है तो सही पर आप जितनी ब्यूटिफुल नही आप तो बोहोत ही ब्यूटिफुल हो और मेरी चुचिओ की तरफ इशारा कर के बोली के मेरी मम्मी के यह भी ढीले है आपके देखो कैसे शेप मे है और फिर मेरी चूत की तरफ इशारा कर के कहा के यह देखो आपके यहा तो एक भी बॉल नही है और मेरी मम्मी के यहा तो बोहोत बॉल है इतने बॉल के नीचे कुछ नज़र ही नही आता तो मैं ने कहा के तुम ने कब और कैसे देखा तुम्हारी मम्मी को तो उसने बोला के बोहोत बार देखा बाथरूम से बहेर आते हुए और कपड़े चेंज करते हुए तो मैं समझ गई के डॉली के घर का महॉल बिल्कुल फ्री है तो मैं ने पूछा पापा का भी कुछ देखा तो उसने कहा के हा बोहोत टाइम देखा है कपड़े चेंज करते टाइम पे और कभी सोने के टाइम पे कियों के आंटी मेरे मम्मी और पापा दोनो बिल्कुल नंगे सोते है बेड मे तो मैं हैरान रह गई फिर सोचा के हो सकता है और नंगे सोने मे कोई ग़लत बात भी तो नही है. मैं ने पूछा और क्या क्या देखा है तुम ने तो उसने कहा के मैं ने तो बोहोत कुछ देखा है आंटी. कभी पापा को मम्मी के ऊपेर और कभी मम्मी को पापा के ऊपेर चढ़े हुए भी देखा है और कभी जब उनके बदन से ब्लंकेट हट जाती तो देखा के दोनो नंगे एक दूसरे के ऊपेर चढ़ के उछलते हैं. मैं ने पूछा तुम ने कैसे देखा तो डॉली ने कहा के पहले मैं मम्मी डॅडी वाले रूम मे ही सोती थी ना मेरा बेड अलग था तो मैं ने वही से देखा. मैं समझ गई के डॉली ने दोनो को चुदाई करते देखा और यह सोचते सोचते मुझे अपनी चुदाई याद आ रही थी जैसे कभी मैं एसके पे और कभी एसके मुझ पे चढ़ के उछल उछल के चोद रहे होते है यही सोचती रही और पाने ख़यालो मे गुम हो गई.

डॉली ने कहा के क्या हुआ आंटी ?? तो मैं अपने सपनो से बहेर आ गई और उस से कहा के नही कोई ख़ास बात नही मैं तुम्हारी मम्मी और पापा के बारे मे सोच रही थी के नंगे कैसे सो ते होंगे और बात को ऐसे ही बना डाला. मैं अपने लेग्स फोल्ड कर के उसके दोनो पैरों के बीचे मे बैठी थी और उसके दोनो लेग्स स्प्रेड कर के तेल दोनो थाइस पे डाल दिया और धीरे धीरे पहले तो तेल स्प्रेड किया और फिर मालिश करने लगी उसके दोनो पैरो को अपने मुड़े हुए थाइस पे रख लिया और डॉली को थोड़ा सा अपनी तरफ खेच लिया जिस से वो थोड़ा सा सामने खिसक आई और उसकी चूत के दोनो लिप्स खुल गये तो देखा के उसकी चूत अंदर से बोहोत पिंक है और छोटी सी क्लाइटॉरिस चूत के ऊपेर टोपी (कॅप) की तरह है और चिकनी चूत मस्त लग रही थी
 
मेरा बोहोत मन कर रहा था के मैं उसकी मक्खन जैसे चूत को सहलाऊं मसाज करू और उसकी चूत को चूम लू पर अपने आपको रेज़िस्ट कर लिया ऐसा करने से. मैं बस उसके थाइस की ही मालिश कर रही

थी डॉली से पूछा के कैसा लग रहा है तो उसने कहा के बोहोत अछा लग रहा है आंटी थोडा सा और ऊपेर तक दरद हो रहा है और उसने अपनी चूत के करीब तक (ऑलमोस्ट ज्झांग तक) हाथ रख के बताया के ऑलमोस्ट यहा तक दरद हो रहा है तो मैं और ज़ियादा ऊपेर तक मालिश करने लगी. उसके थाइस बोहोत ही वंडरफुल थे कियों के वो डॅन्स सीख रही थी और डॅन्स क्लासस अटेंड करती थी. मालिश करते समय मेरे चुचियाँ आयेज पीछे हो रहे थे तो डॉली उनको गौर से देख रही थी. मेरी नज़र डॉली पे पड़ी के वो मेरी चुचियाँ देख रही है तो मैं ने मुस्कुराते हुए पूछा क्या देख रही हो डॉली तो वो शर्मा गई और कहा के यह मुझे आछे लग रहे है पता नही मेरे कब इतने बड़े होगे तो मैं ने कहा फिकर ना करो जल्दी ही हो जाएगे 2 या 3 साल मे ही बड़े हो जाएगे तो उसने कहा और क्या क्या होगा मेरे बदन मे तो मैं ने उसके मोसंबी जैसे चुचिओ को पकड़ के कहा के यह बड़े हो जाएँगे इतने बड़े के पूरे हाथ मे समा जाए और उसकी चूत पे हाथ फेरते हुए कहा के इसके ऊपेर बॉल भी आ जाएगे. मेरा हाथ उसकी चूत पे लगते ही उसके मूह से एक आआअहह निकल गई तो मैं ने कहा क्या हुआ डॉली क्या दरद हो रहा है तो उसने कहा नही आंटी आप के यहा हाथ रखने से बोहोत अछा लगा और मुझे बोहोत मज़ा आया तो मैं हंस पड़ी और उसकी चूत को अपने पूरे हाथ मे पकड़ के दबा दिया तो उसने फिर से सिसकारी ली तो मैं समझ गई के यह लड़की बोहोत ही गरम है और जवानी मे तो कयामत बन जाएगी.

थाइस पे मालिश करते करते मेरे अंगूठे (थंब्स) उसकी चूत के मोटे मोटे लिप्स तक आ रहे थे और जब भी अंगूठा उसकी चूत से टकराता तो वो अपना चूतड़ उछाल देती और सिसकारी लेती मैं ने पूछा क्या हो रहा है तो बोली के बोहोत मज़ा आ रहा है आंटी अब थाइस को छोड़ के यही पे करो ना मालिश. मुझे भी अपने स्कूल के टाइम का अपनी क्लासमेट श्रुति के साथ चूतो से खेलना और 69 पोज़िशन मे एक दूसरे की चूतो को चाटना याद गया तो मैं सब कुछ भूल के डॉली की चूत का मसाज करने लगी और अपनी उंगलिओ से उसकी कोलिटोरिस को मसल्ने लगी तो उसके मूह से बस सिसकारियाँ ही निकल रही थी. मैं ने डॉली के टाँगों को पकड़ के थोडा और अपनी तरफ खेचा तो उसके लेग्स और खुल गये और चूत थोड़ा ऊपेर उठ गई और कुछ और करीब आ गई तो मैं झुक के उसकी चूत को किस करने लगी. मेरा लिप्स उसकी चूत पे लगते ही उसके मूह से एक चीख सी निकल गई और उसने मेरे सर पे हाथ रख लिया और आफ़ि चूतड़ उछाल के मेरे मूह पे चूत को रगड़ा. मैं ने अपने दोनो हाथ उसकी

चूतदो के नीचे रख के उसकी चूत को और उठाया और उसकी चिकनी चूत के अंदर ज़बान डाल के उसकी मक्खन जैसी चिकनी चूत को चाटने लगी. उस समय मैं अपने आप को वोही 9थ 10थ मे पढ़ने वाली लड़की समझ रही थी और डॉली को अपनी क्लास मेट श्रुति समझ रही थी और यह कंप्लीट्ली भूल गई थी के मैं एक शादी शुदा औरत हू और डॉली से काफ़ी बड़ी हू. पर उस समय मुझे याद था तो बॅस श्रुति का मेरे बेड मे रहना और एक दूसरे की चूतो को चाटना. अपने आप को छोटी 9थ 10थ की किरण समझते हुए और नीचे लेटी हुई डॉली को श्रुति समझते हुआ मैं पलट गई और अपनी चूत को डॉली के मूह पे रख दिया और उसके गंद के नीचे हाथ रख के उसकी चूत को तोड़ा ऊपेर उठा लिया और उसकी छोटी सी मक्खन जैसी चूत को चूसने लगी और उसने मेरी चूत मे अपनी छोटी से ज़बान डाल दी और मेरी चूत को चूसना शुरू कर दिया. मेरे बदन मे मस्ती छाई हुई थी और मैं जितनी तेज़ी से अपनी चूत उसके मूह से रगड़ रही थी उतनी ही तेज़ी से उसकी चूत को भी चूस रही थी और अपनी ज़बान उसकी चूत मे डाल के ऊपेर से नीचे और नीचे से ऊपेर और पूरी चूत को मूह मे ले के काटने लग ती उस ने अपनी चूतड़ उछाल के मेररे मूह मे चूत को ज़ोर ज़ोर से रगड़ना शुरू कर दिया और वो जोश मे मेरी चूत ज़ोर ज़ोर से चाटने और चूसने लगी और मेरे बदन मे एक बिजली सी दौड़ने लगी मैं काँपने लगी और मुझे महसूस हुआ के अब मेरा जूस निकलने वाला है और मेरा बदन हिलने लगा और मेरी चूत मे से जूस निकलने लगा जिसे डॉली मज़े ले ले के पीने लगी और एक ही सेकोन्स मे डॉली काँपने लगी और उसकी चूत मे से भी शाएद पहला जूस निकल पड़ा कियॉंके उसकी चूत भी बोहोत ही सॉल्टी हो गई और उसकी आँखें बंद हो गई थी उसकी चूत से बोहोत ज़ियादा जूस निकला. मैं उसके ऊपेर ऐसे ही लेटी रही थोड़ी देर फिर जब मुझे होश आया तो पलट के उसके बाज़ू मे सीधा लेट गई और कहा के सॉरी डॉली पता नही मुझे क्या हो गया था मुझे तुम्हारे साथ यह सब नही करना चाहिए था तो उसने कहा नही आंटी आप ऐसा कुछ मत सोचिए.

क्रमशः..................
 
किरण की कहानी पार्ट--15

लेखक-- दा ग्रेट वोरिअर

हिंदी फॉण्ट बाय राज शर्मा

गतांक से आगे........................

यह तो मैं अपनी फ्रेंड के साथ बोहोत टाइम कर चुकी हू और मुझे इस मे बोहोत मज़ा भी आता है तो मुझे फिर अपनी फ्रेंड श्रुति का ख़याल आया और मैं सोचने लगी के शाएद यह सब स्कूल की लड़कियों के लिए नॉर्मल सी बात है और शाएद सभी स्कूल की लड़कियाँ जो एक दूसरे की बेस्ट फ्रेंड्स हो सीक्रेट्ली ऐसे ही करती हैं.

दिन और रात ऐसे ही गुज़रते रहे और मैं कभी एसके, कभी अशोक, कभी आंटी तो कभी डॉली के बीच झूलने लगी पर किसी को भी ऐसे शक्क नही होने दिया के मैं किसी और के साथ भी हू सब यही समझते थे के मैं सिर्फ़ उसके ही साथ हू. एसके और अशोक

का मामला तो अलग था पर आंटी समझती थी के मैं सिर्फ़ आंटी के साथ ही मज़े करती हू ओफ़कौरसे अशोक तो पति है उसको छोड़ के और डॉली समझती थी के शाएद मैं उसके ही साथ हू और किसी को हम दोनो के बारे मे पता नही.

दिन ऐसे ही गुज़रते चले गये. अब मैं कभी कभी ऑफीस भी जाने लगी थी. जो काम घर बैठ के क्या उसकी सीडी बना के और पेपर्स ले के ऑफीस जाती और वाहा से दूसरे इनवाइसस एंट्री के लिए ले के आ जाती. कभी कभी तो एसके अपने ऑफीस मैं ही मुझे चोद देते और मैं ने ऑफीस जाने के टाइम पे ब्रस्सिएर और पॅंटी पहेनना भी छोड़ दिया था कियॉंके एसके कभी बिज़ी होते तो क्विक चुदाई के लिए मैं रेडी रहती बिना ब्रा और पॅंटी के. मुझे बिना ब्रा और पॅंटी के कपड़े पहेनना अब बोहोत अछा लगने लगा कियॉंके शर्ट जब निपल्स से डाइरेक्ट टच करती चलने के टाइम पे तो बोहोत मज़ा आता और निपल्स खड़े हो जाते और सलवार की चूत के पास की सीवान जब चूत के दोनो लिप्स ले बीच मे घुस्स जाती तो क्लाइटॉरिस से रगड़ते रगड़ते मज़ा आता और कभी कभी तो मैं ऐसे ही झाड़ भी जाती जब सलवार चूत मे घुस जाती. कभी ऐसे होता के एसके अपनी चेर पे बैठे होते और मैं अपनी सलवार नीचे कर के या अगर सारी पहनी हुई है तो सारी उठा के उनके दोनो थाइस के दोनो तरफ अपनी टाँगें रख के उनके रॉकेट लंड पे बैठ जाती और वो मेरी शर्ट उठा के मेरी चुचियाँ चूसने लगते और मैं उनके ऊपेर उछल उछल के लंड अंदर बहेर करती मेरे चुचियाँ एसके के मूह के सामने डॅन्स करती और एसके उनको पकड़ के मसल देते और चूसने लगते तो मज़ा आता. ऐसे पोज़िशन मे मुझे बोहोत मज़ा आता और लगता जैसे मूसल जैसा लौदा चूत फाड़ के पेट मे घुस्स गया हो. और कभी तो मुझे अपनी टेबल पे ही लिटा देते और पीछे से डॉगी स्टाइल मे चोद देते. किसी दिन सारी पहेन की जाती तो सारी उठा के मैं उसके ऊपेर बैठ जाती या टेबल पर डॉगी स्टाइल मे चुदाई होती बिना कपड़े निकाले . दिन ऐसे ही गुज़रते रहे और मस्त चुदाई चल रही थी और ज़िंदगी ऐसे ही गुज़र रही है.

मेरे घर से ऑफीस का पैदल (बाइ फुट) रास्ता तकरीबन 20 – 25 मिनिट का होगा. मैं पैदल ही आती जाती हू ता के कुछ वॉकिंग भी हो जाए और अगर घर के लिए कुछ समान की ज़रूरत हो तो बेज़ार से पर्चेस भी कर लेती हू. बोहुत सारी डिफरेंट टाइप की दुकाने घर और ऑफीस के बीचे मे है उन मे एक दुकान लॅडीस टेलर की भी है. दुकान के बोर्ड पे एक बोहोत ही खूबसूरत लड़की की फिगर बनी हुई है जिसके बूब्स मस्त शेप मे दिखाई दे रहे थे और बोर्ड पे लिखा था “म ल लॅडीस टेलर” ऑल काइंड्स ऑफ लॅडीस नीड्स. दूसरी लाइन मे लिखा था “वी सॅटिस्फाइ ऑल और कस्टमर्स और तीसरी लाइन मे लिखा था सटीफ़िएड आंड कस्टमर प्लेषर ईज़ अवर ट्रेषर” और सब से लास्ट

लाइन मे लिखा था “ट्राइ उस टुडे” और सब से नीचे वाली लाइन मे लिखा था प्रोप्राइटर आंड मास्टर टेलर आंड फॅशन डिज़ाइनर रिज़वान ख़ान. बी.कॉम.

यह रिज़वान ख़ान ( आरके ) अछी शकल सूरत का लड़का हैं. बोहुत यंग है आते जाते कभी हम दोनो की नज़र मिल जाती तो दोनो ही एक दूसरे को थोड़ी देर तक घूर के देखते रहते कभी कभी तो मैं उसकी दुकान से आगे जाने के बाद मुस्कुरा देती जिसका मतलब मुझे भी नही समझ मे आता था. थोड़े ही दीनो मे मुझे आरके अछा लगने लगा उस से बात करने को मेरा मॅन करने लगा. अछी ड्रेसिंग करता था. मीडियम हाइट, एक्सर्साइज़्ड बॉडी, रंग गोरा, स्मार्ट और बॉडी भी अछी ख़ासी है. काले बाल जिनको स्टाइल से सेट करता है और लाइट ब्राउन बड़ी बड़ी आँखें. देखने से ही लगता था जैसे किसी आछे घराने का है. मैं ने सोच लिया के किसी दिन आरके से ज़रूर अपने कपड़े सिल्वौगी. उसकी दुकान पे लड़कियाँ बोहोत आती जाती है हमेशा कोई ना कोई लड़की खड़ी होती है कभी कभी तो एक से ज़ियादा भी खड़ी होती और अपने साइज़ के कपड़े ला के देती सिलवाने के लिए. इन जनरल उसकी दुकान खूब चलती थी और मोस्ट ऑफ दा टाइम्स उसकी दुकान पे रश ही रहता था. काफ़ी बिज़ी टेलर था.
 
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