non veg story किरण की कहानी - Page 2 - SexBaba
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non veg story किरण की कहानी

अपने लंड को गंद के अंदर रखे रखे ही उसने मुझे पलटा दिया. मैं उल्टा लेट गई और वो मेरे ऊपेर आ के मेरी गंद मारने लगा. मुझे बोहोत ही तकलीफ़ हो रही थी मेरी आँख से आँसू निकल रहे थे पर वो मेरी एक नही सुन रहा था गान्ड मारने मे बिज़ी था. मेरे पेट के नीचे उसने एक पिल्लो जैसा कुशन रख दिया था जिसे से मेरी गंद थोड़ी ओपेर उठ गई थी और वो गंद मे अपना लंड पेल रहा था. लंड को पूरा निकाल निकाल के मेरी छोटी सी गंद मे घुसेड रहा था और फिर उसकी स्पीड बढ़ गई. जैसे जैसे उसके झटके तेज़ हो रहे थे मेरी तकलीफ़ के मारे जान ही निकली जा रही थी और फिर सडन्ली मुझे उसकी मलाई

अपनी गंद मैं गिरती महसूस हुई और थोड़ी ही देर मे अपने लंड की मलाई मेरी गंद मे गिरा के वो शांत पड़ गया और मेरा बाज़ू मे आ के लेट गया पर मेरी गंद तो दरद के मारे फटी जा रही थी.

जितना मज़ा चुदाई मे आया था अब तकलीफ़ हो रही थी. मैं सुनील से बोली के नेक्स्ट टाइम कभी मेरी गंद नही मारना मुझे बोहोत ही दरद हो रहा है. वो हंसा और कहा के वो तो मेरा लंड आक्सिडेंटली तुम्हारी गंद मे घुस गया तो मुझे मज़ा आया और मैं गंद मार दिया अदरवाइज़ मेरा इरादा तो तुम्हारी गंद मारने का नही था. ठीक है अगर तुम्है पसंद नही तो नेक्स्ट टाइम नही मारूगा. फिर थोड़ी देर के बाद एक और टाइम उसने मुझे चोदा जिस से मेरी गंद मे तकलीफ़ ख़तम हो गई और चूत मे फिर से मज़ा आ गया और पता नही ऐसी चुदाई के बाद मैं कब सो गई.

सुबह उठी तो देर हो चुकी थी. आज कॉलेज को नही जाना था. नाश्ता कर के थोड़ी देर नीचे ही हम सब बातें करते रहे बस ऐसे ही सारा दिन गुज़र गया. मैं और सुनील अगले एक वीक तक खूब चुदाई करते रहे रोज़ रात को वो मम्मी डॅडी के सो जाने के बाद ऊपेर आ जाता और हम जम कर चुदाई करते. एक वीक के बाद वो चला गया और जाने से पहले मैं उस से लिपट के खूब रोई मुझे लगा जैसे कोई मेरा लवर मुझे छोड़ के जा रहा है. वो मेरे सारे बदन पे हाथ फेरता रहा और प्यार करता रहा और कहा सुनो किरण अगर तुम्हारे मेनास मे कोई गड़बड़ हो जाए तो मुझे फ़ौरन फोन कर देना मैं कुछ इंतेज़ाम कर दुगा तो मैं ने कहा ठीक है. पर अगले ही महीने मे मेरे मेनास टाइम से कुछ पहले ही शुरू हो गये तो मैं ने इतमीनान का सांस लिया और सुनील को फोन कर के बता दिया. फिर जब कभी सुनील आता हम खूब चुदाई करते.

मैं ने अपनी ग्रॅजुयेशन कंप्लीट कर ली और एक दिन मुझे पता चला के मेरी शादी किसी अशोक नाम के आदमी से फिक्स हो गई है. उसके घर वाले हमारे घर आए थे और मुझे पसंद भी कर चुके और फिर शादी की डेट फिक्स कर के मेरी शादी कर दी गई.

मैं अभी शादी की डीटेल्स मे नही जाना चाहती और डाइरेक्ट अपनी सुहाग रात के बारे मे बता देती हू. शादी हो गई और मैं अपने ससुराल आ गई. सारा घर अछी तरह से सज़ा हुआ था बहुत बड़ा भी नही बिल्कुल छोटा भी नही बॅस ठीक ठाक ही था घर. उसके घर को पोहोच्ते पोहोच्ते रात हो चुकी थी. डिन्नर तो कर ही चुके थे मॅरेज हॉल मे. अशोक का कमरा भी ठीक ठाक ही था. बेड पे चमेली के फूले बिखरे पड़े थे. पिंक कलर का बेड बोहोत अछा लग रहा था नरम था. सारे

कमरे मे चमेली के फूलो की भीने भीनी खुश्बू आ रही थी बोहोत अछा लग रहा था एक दम से रोमॅंटिक ऐसे ही था जिसकी हर लड़की ख्वाहिश करती है..
 
अशोक की छोटी बहेन रेणुका मुझे बेड पे बिठा के मुस्कुराते हुए कहा के भैया अभी आ जाएगे आप थोड़ा रेस्ट ले ले और कमरे से चली गई. मुझे अपनी सहलीओ के किससे याद आ ने लगे जिनकी शादी हो चुकी थी. किसी ने कहा के मेरी तो रात भर चुदाई हुई और सुबह मुझ से चला भी नही जा रहा था. किसी ने कहा था के बस ऐसे ही रहा कोई ख़ास मज़ा नही आया था. किसी ने कहा के अपने लोड्‍े को चूत के अंदर डालने से पहले ही चूत के ऊपेर अपनी मलाई निकाल के सो गया था. मैं काफ़ी एग्ज़ाइटेड थी के पता नही मेरा क्या हशर होगा कियॉंके सुनील से चुदवाये हुए भी तकरीबन एक साल से ज़ियादा ही हो चुका था. चूत के मसल्स फिर से टाइट हो गये थे. थोड़ी ही देर मे वो कमरे मे आ गया. अशोक बोहोत स्मार्ट लग रहा था. गोरा रंग मीडियम हाइट और मीडियम बिल्ट ऑन दा होल एक अछा स्मार्ट आदमी लग रहा था. मुझे अपने फ्रेंड्स की बाते याद आ रही थी जिनकी शादी हो चुकी थी के सुहाग रात को क्या होता है और कैसे हज़्बेंड अपनी वाइफ को अपनी बातों से पटा के चोद डालता है और लड़की को कितना मज़ा आता है. और साथ मे ही मुझे सुनील भी याद आ गया और सुनील के साथ हुई मेरी पहली चुदाई भी मुझे याद आ गई तो मस्ती से मेरा बदन टूटने लगा और एक लंबे मोटे लंड का सपना लिए बैठी रही जो मेरी चूत मे घुस्स के मुझे चोदेगा, मेरी प्यासी चूत की प्यास को बुझाएगा और मज़ा देगा.

अशोक कमेरे के अंदर आ गया और बेड पे बैठ गया. पहले तो मेरी खूबसूरती को नेहारता रहा मेरे गालो पे हाथ फेरता रहा और फिर गाल पे किस किया तो मेरे बदन मे बिजली दौड़ने लगी और बदन जलने लगा. थोड़ी देर मे वो उठा और अपने कपड़े चेंज कर के बेड पे आ गया और बोहोत धीमी रोशनी वाला लाइट पिंक कलर का नाइट लॅंप जला दिया. मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा सारे बदन से पसीना छूटने लगा मूह से गरम गरम साँसें निकलने लगी. अब अशोक चेंज कर के आ गया और हम दोनो लेट गये. पहले तो मेरी सुंदरता को निहारता रहा और धीरे धीरे उसके हाथ मेरे चुचिओ पे आ गये और वो उनको दबाने लगा तो बदन मे सन सनी सी फैल गई. ऐसे ही बातें करते करते वो मेरे कपड़े उतार ता चला गया सारे कपड़े निकाल के मुझे नंगा कर दिया मेरे मूह से एक बात भी नही निकल रही थी. नये घर मे नये लोगों के साथ रहने से एक नयापन ही लग रहा था. सुनील तो फिर भी कज़िन था उतना नया पन नही महसूस हुआ लैकिन यहा तो हर कोई

अजनबी था. शरम भी आ रही थी एग्ज़ाइट्मेंट भी था.

मैं बेड पे नंगी लेटी रही शरम से बुरा हाल था पर क्या करती ज़माने की रीति रिवाज यही थे के पहली रात को हज़्बेंड अपनी वाइफ को चोद देता है और सारी उमर के लिए वो सिर्फ़ अपने हज़्बेंड की ही हो के रह जाती है. वो थोड़ी देर तक मेरे नंगे बदन को देखता रहा अपने हाथ मेरे सारे बदन पे फेरता रहा मेरे सारे बदन मे जैसे चींटिया ( आंट्स ) घूमने लगी हो. चूत मे भी अब खुजली शुरी हो गई थी.

वो मेरे नंगे बदन पे हाथ फेर रहा था चुचिओ को दबा रहा था कभी कभी चुचिओ को चूस लेता धीरे धीरे उसका हाथ मेरी चूत पे आ गया और वो मेरी उसी दिन की शेव की हुई मक्खन जैसी चिकनी चूत पे आ गया और वो चूत का मसाज करने लगा. मेरे बदन मे बिजली दौड़ रही थी और मुझे बोहोत अच्छा लग रहा था मैं ने दिल मे सोचा के यह तो खिलाड़ी लग रहा है शाएद चुदाई का एक्सपीरियेन्स होगा और उसका हाथ मेरे चूत पे लगते ही जैसे मेरी चूत मे फ्लड आ गया और वो बे इंतेहा गीली हो गई और रस से भर के अब रसीली चूत हो गई.

क्रमशः............................................
 
किरण की कहानी पार्ट--4

लेखक-- दा ग्रेट वोरिअर

हिंदी फॉण्ट बाय राज शर्मा

गतांक से आगे........................

अशोक ने अपने कपड़े भी निकाल दिए और नंगा हो गया. मैं ने एक तिरछी नज़र उसके लंड पे डाली तो दिल धाक्क से रह गया. उसका लंड बॅस ऐसे ही था कोई ख़ास नही था टोटल एरेक्ट होने के बाद शाएद 4 इंच या 5 इंच का ही होगा. मैं ने सोचा के शाएद थोड़ी देर के बाद वो और अकड़ के बड़ा हो जाएगा. खैर अब वो मेरे चुचिओ को चूस रहा था और हाथ से मेरी चूत का मसाज कर रहा था. कभी कभी चूत के अंदर अपनी उंगली डाल देता तो मैं सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सिईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई कर के सिसकारी ले लेती. अब उसने मेरा हाथ अपने हाथ मे ले के अपने लंड पे रख दिया. मैं कुछ देर तक ऐसे ही अपना हाथ उसके लंड पे रखी रही तो उसने मेरे हाथ को अपने हाथ से पकड़ के दबाया तो मैं समझ गई के शाएद वो चाहता है के मैं उसका लंड अपनी मुट्ठी मे ले के दबौउ.

मैं उसके लंड को एक या दो बार ही दबाया था के उसने मेरा हाथ हटा दिया और सीधा मेरे ऊपेर चढ़ आया और मेरी टाँगों को फैला के मेरे ऊपेर लेट गया. लंड को मेरे चूत के लिप्स के अंदर सुराख पे सटाया और झुक के मुझे किस करने लगा और एक ही झटके मे उसका लंड मेरी समंदर जैसे गीली चूत के अंदर घुस चुका था और वो सडन्ली ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा और बॅस 4 या 5 ही धक्के लगाया था के उसके मूह से ऊऊऊगगगगगघह की आवाज़ निकली और उसकी मलाई मेरी चूत मे गिर गई. मुझे तो उसका लंड अपनी चूत के

अंदर सही तरीके से महसूस भी नही हुआ और उसकी चुदाई कंप्लीट हो चुकी थी. मेरी कुछ फ्रेंड्स ने बताया था के कभी कभी एग्ज़ाइट्मेंट की वजह से और कभी चूत की गरमी से लंड से मलाई जल्दी ही निकल जाती है पर कुछ दीनो मे जब चुदाई डेली करते रहते है तो फिर ठीक हो जाता है और अछी तरह से चोदने लगता है और यह के ऐसा अगर कभी हो तो कोई फिकर की बात नही है यही सोच के मैं खामोश हो गई के हो सकता है के एग्ज़ाइट्मेंट या चूत की गर्मी से वो जल्दी ही झाड़ गया हो पर बाद मे अछी तरह से चोद डालेगा.

मैं ने भी सोचा के शाएद एग्ज़ाइट्मेंट मे उसकी क्रीम जल्दी निकाल गई होगी और यह कोई नई बात नही होगी. वो गहरी गहरी साँसें लेता हुआ मेरे बदन पे पड़ा रहा और मेरी चूत मे पहले से ज़ियादा तूफान उठ रहा था और मेरा मन कर रहा था के किसी तरह से सुनील आ जाए और मुझे इतना चोदे के मेरी चूत फॅट जाए पर ऐसा हो नही सकता था ना. मैं कुछ नही कर सकती थी. इंतेज़ार किया के शाएद अशोक के लंड मे फिर से जान पड़ेगी और वो कुछ सही ढंग से चुदाई करेगा पर ऐसा कुछ नही हुआ और वो मेरे बाज़ू मे लेट के गहरी नींद सो गया और एक ही मिनिट मे उसके खर्राटे निकलने लगे.

सुबह हुई तो उसकी बहेन रेणुका कमरे मे आई और मुस्कुराते हुए एक आँख बंद कर के पूछा कियों भाभी रात सोई या भयया ने सारी रात जगाया ?. मैं उस पगली से क्या बताती के उसका भाई मेरी चूत मे आग लगा के सो गया और मैं सारी रात जागती रही और इंतेज़ार करती रही के हो सकता है के उसका लंड फिर से जाग जाए पर ऐसा कुछ हुआ नही और रेणुका से कैसे बताती के उसके भाई को आग लगाना तो आता है पर उस आग को बुझाना नही आता. मैं ने बनावटी शर्म से नज़र नीचे कर ली और मुस्कुरा दी और दिल मे सोचा पता नही इसे कैसा पति मिलेगा पहली रात को चोद चोद के चूत का भोसड़ा बना देगा या मेरी तरह चूत मे आग लगा के सो जाएगा तब मैं पूछुगी उस से के रात कैसी गुज़री रात भर चुदाई होती रही या खुद मलाई निकाल के सो गया और तुम्हारी चूत मे आग लगा के तुम्है सोने नही दिया या लैकिन अभी इस सवाल को पूछने के लिए तो टाइम है.
 
[size=large]इसी तरह से एक वीक हो गया और मुझे कोई ख़ास मज़ा नही आया. बस वो अपने हिसाब से चोद्ता रहा और हर बार चोद के मुझ से पूछता “मज़ा आया किरण” तो मैं मूह नीचे कर के चुप हो जाती तो वो समझता के शाएद मैं उंसकी चुदाई को एंजाय कर रही हू. पता नही क्या प्राब्लम था उसको के उसका लंड अकड़ता तो था चुदाई से पहले लैकिन चूत की गर्मी से उसकी मलाई दूध बन के निकल जाती थी. ऐसा लगता था के लंड चूत
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के अंदर सिर्फ़ मलाई छोड़ने के लिए ही जाता है हार्ड्ली 2 या 3 ही धक्को मे उसका काम तमाम हो जाता था. शुरू शुरू मे तो मैं समझी के शाएद एग्ज़ाइट्मेंट की वजह से होगा पर वक़्त के साथ ठीक हो जाएगा पर ऐसा कुछ नही हुआ. शादी के बाद टोटल 2 वीक उसके घर रह के हम सिटी मे चले आए जहा उसका बिज़्नेस था.

अशोक के घर वाले सिटी के आउटस्कर्ट्स मे रहते हैं और अशोक एक बिज़्नेसमॅन है उसका रेडी मेड गारमेंट्स का बिज़्नेस ठीक ठाक ही चलता है तो वो अपने बिज़्नेस के लिए डेली औत्स्किर्ट से सिटी मे नही आ सकता था इसी लिए उसने एक घर सिटी मे ले रखा था जिस्मै हम दोनो ही रहते हैं. कभी कभी उसके माता और पिता आजाते या कभी उसकी बहेन रेणुका आ जाती तो एक या दो दिन रह के चले जाते.

घर मे मैं अकेली ही रहती हू. वक़्त ऐसे ही गुज़रता रहा. मेरी चूत मे सारी रात आग लगता रहता और खुद सुबह सुबह उठ के चला जाता और मैं जलती चूत के साथ सारा दिन गुज़ारती रहती. करती भी तो क्या करती इसी तरह से 3 महीने गुज़र गये. बहुत बोर होती रहती थी घर मे बैठे बैठे सब नये नये लोग थे किसी से भी कोई जान पहचान नही थी. हमारे घर के करीब ही एक लेडी रहती थी उनका नाम था उषा. वो होगी कोई 36 या 37 साल की वो अक्सर हमारे घर आ जाया करती है और इधर उधर की बातें करती रहती है. मैं उन्हाई आंटी कहने लगी. वो जब आती तो 2 या 3 घंटे गुज़ार के ही जाती मेरे साथ सब्ज़ी भी बना देती और कभी खाना पकाने मे भी मदद कर देती और कभी कभी तो हम दोनो मिल के खाना भी खा लेते.

अशोक तो बिज़्नेस के सील सिले मे सिटी से बाहर जाते ही रहते हैं और जब कभी किसी दूर के शहेर को जाना होता तो वो 2 या 3 दिन के लिए जाते और मैं घर मे अकेली ही रहती हू. कई बार आंटी ने कहा के किरण तुम अकेली रहती हो अगर तुम कहो तो मैं तुम्हारे पास आ के सो जाया करू. मैं ने हस्ते हुए उनके इस इरादे को टाल दिया और अब वो मेरे साथ सोने की बात नही करती कभी कभी अगर बातें करते करते रात को देर भी हो जाती तो वो अपने घर को ही चली जाती थी. उनके पति सिटी से दूर किसी विलेज मे टीचर थे और वो विलेज मे कोई सहूलियतें नही थी इसी लिए आंटी को वाहा नही ले जाते थे और हर वीक सिटी मे आ जाते थे आंटी के पास और थके हुए होते थे तो ज़ियादा तर वक़्त उनका सोने मे ही गुज़र जाता था और वो फिर स्कूल खुलने से पहले ही वापस चले जाते और आंटी फिर से अकेली रह जाती थी. स्कूल के जब आन्यूयल वाकेशन होते तभी वो कुछ ज़ियादा दीनो के लिए घर आते थे.

एक दिन आंटी लंच के बाद आ गई मैं उस टाइम लंच कर के लेटी थी के थोड़ी देर सो जाउन्गी कियॉंके आज मोसाम बोहोत क्लाउडी था और कभी भी बारिश हो सकती थी ठंडी हवा चल रही थी आक्च्युयली मोसाम सुहाना हो रहा था पर मुझे रात के अनसेटिसफॅक्टरी सेक्स से सारा बदन टूटा जा रहा था और सोने का मन कर रहा था ठीक उसी टाइम पे आंटी आ गई तो मैं उठ के बैठ गई. आंटी ने पूछा के क्या तबीयत खराब है तो मैने कहा नही तबीयत खराब तो नही पर बदन मे थोड़ा सा दरद हो रहा है तो आंटी ने पूछा के क्या मैं तुम्हारा बदन दबा दू तो मैं ने हंस के कहा के नही आंटी ऐसे कोई बात नही. इतने देर मे एक दम से बोहोत ज़ोरों की बारिश शुरू हो गई. मेरे इस घर मे आने के बाद यह पहली बारिश थी तो मेरा जी चाह रहा था के मैं उप्पेर जा के बाल्कनी से बारिश देखु इसी लिए मैं ने आंटी से कहा के चलिए ऊपेर चल के बैठ ते है और बारिश का मज़ा लेते हैं.

हम दोनो ऊपेर आ गये. हमारी बाल्कनी के सामने सड़क थी और दोनो तरफ शॉप्स थे जहा सब्ज़ी, चिकन मीट और मिसिलेनीयियस आइटम्स मिल जाया करती थी एक छोटा मोटा सा बाज़ार था तकरीबन डेली इस्तेमाल की सभी चीज़ें मिल जाया करती थी. इतनी बारिश की वजह से सारा मार्केट सूना पड़ा हुआ था कभी कभी कोई इक्का दुक्का साइकल वाला या कोई आदमी बरसाती ओढ़े गुज़र जाता था. हम दोनो बाल्कनी मे नीचे फ्लोर पे ही बैठ गये और जाली मे से बाहर का सीन देखने लगे. कभी कभी बारिश का थोडा सा पानी हमारे ऊपेर भी गिर जाता था. मौसम ठंडा हो गया था शाम के 5 बजे ही ऐसा लग रहा था जैसे रात के 8 या 9 बज रहे हो ऐसा अंधेरा था. मैं जा के 2 कप गरम गरम चाइ बना का ले आई और हम चाइ पीते पीते बाहर का सीन देख रहे और इधर उधर की बातें करते करते बारिश के मज़े लेने लगे.

चाइ पीने से बदन मे थोड़ी सी गर्मी आ गई. वो मेरे लेफ्ट साइड मे बैठी थी और इधर उधर के बात करते करते पता नही आंटी को क्या सूझा के मुझ से मेरी सेक्स लाइफ के बारे मे पूछने लगी. मेरी समझ मे नही आ रहा था के क्या बताउ. आंटी एक्सपीरियेन्स्ड थी शाएद मेरी खामोशी को ताड़ गैइ और धीरे से पूछा रात को मज़ा नही आता ना ?? मैं ने ना मे सर हिलाया लैकिन कुछ ज़बान से बोला नही.

उन्हो ने मेरा हाथ अपने हाथ मे लिया और धीरे से दबाया और कहा के मुझे भी नही आता मैं भी ऐसे ही तड़पति रहती हू और मेरा हाथ अपने हाथ मे ले के उसका मसाज करने लगी. मैं हक्का बक्का उनकी कहानी सुन रही थी उन्हो ने अपनी सुहाग रात के

[size=large]बारे मे बताया जो मेरी सुहाग रात की ही तरह हुई थी और फिर बताया के कैसे वो अपनी सेक्स की प्यास को बुझाती है और उनका भी एक दूर का कोई रिलेटिव है जो सिटी मे ही रहता है आंटी के घर से ज़ियादा दूर नही है[/size]
 
[size=large]उसका घर और वो कभी कभी आंटी की चुदाई कर के उनकी प्यासी चूत की प्यास को बुझा देता है. मैं आंटी की कहानी सुन के हैरत मे पड़ गई और सोचने लगी के मैं अपनी प्यासी चूत की प्यास बुझाने के लिए क्या करू.
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अब ठंड थोड़ी सी बढ़ गई तो मैं एक बड़ी ब्लंकेट ले के आ गई और हम दोनो एक ही ब्लंकेट को ओढ़ के बैठे बारिश के मज़े ले रहे थे और अपनी अपनी चुदाई की कहानिया एक दूसरे को सुना रहे थे. आंटी मेरा हाथ अपने हाथ मे ले के मसल रही थी ब्लंकेट के अंदर और मेरे बदन मे गर्मी आ रही थी. हम दोनो अपें टाँगें मोड़ के बैठी थी कभी कभी लेग्स को क्रॉस कर के बैठ जाते कभी नीस को फोल्ड कर के. एक तो उनके हाथ का स्पर्श और बाहर का ठंडा मौसम और फिर आंटी ने सुहाग रात की और अपनी चुदाई की दास्तान स्टार्ट कर के मेरे बदन मे फिर से आग लगा दी थी मुझे सुनील से चुड़वाई हुई वो रातें याद आ रही थी जब मेरी चूत मे सुनील का लंबा मोटा लंड घुस के धूम मचा देता था और चूत फाड़ झटके मार मार के मेरी चूत को निचोड़ के अपने लंड का सारा रस मेरी चूत के अंदर छोड़ के कैसे मज़ा देता था. मेरा पूरा दिल और दिमाग़ सुनील की चुदाई मे था मुझे पता ही नही चला के कब आंटी का हाथ मेरे थाइस पे फिसलने लगा और मेरे सारे बदन मे एक मस्ती का एहसास छाने लगा और ऑटोमॅटिकली मेरी टाँगें खुल गई और मैं ने महसूस किया के आंटी का हाथ मेरे थाइ से फिसल के चूत पे टिक गया और वो चूत की धीरे धीरे मसाज करने लगी और मुझे मज़ा आने लगा.

मेरी प्यासी चूत पे आंटी के हाथ का स्पर्श और मसाज से मुझे अपने स्कूल का एक किस्सा याद आ गया. हम उन दीनो 9थ क्लास मे थे. हुआ यह था के मेरी क्लासमेट श्रुति नाम था उसका वो मेरे पड़ोस मे ही रहती थी और कभी वो मेरे घर आजाती और हम दोनो मिल के रात मे पढ़ाई करते और एक ही बेड पर सो जाते कभी मैं उसके घर चली जाती और कंबाइंड स्टडी करते वही उसके साथ उसके बेड पर ही सो जाती. एक रात वो मेरे घर मे आई हुई थी और हम रात को पढ़ाई कर के हम दोनो मेरे बेड पे लेट गये. . मेरे रूम घर मे ऊपेर के फ्लोर पे था और मोम आंड डॅड नीचे. मैं ऊपेर अकेली ही रहती थी तो हमै अछी ख़ासी प्राइवसी मिल जाती थी. दोनो पढ़ाई ख़तम कर के सोने के लिए लेट गये. श्रुति बोहोत ही शरारती थी उसने अपने मम्मी

पापा को चोद्ते हुए भी कई बार देखा था. कभी सोने का बहाना कर के कभी विंडो मे से झाँक के और फिर मुझे बता ती थी के कैसे उसके डॅड नंगे हो के उसकी मोम को नंगा कर के चोद्ते है कभी लाइट खुली रख के तो कभी लाइट बंद कर के वो चुदाई देखती रहती थी और मुझे बता देती कि उसके पापा ने आज उसकी मम्मी को कैसे चोदा और यह भी बता ती के उसकी मम्मी ने कैसे उसके पापा के लंड को चूसा और सारी मलाई खा गई.

हा तो वो मेरे साथ थी बेड पर. हम ऐसे ही बातें कर रहे थे वो अपने मम्मी और पापा के चुदाई के क़िस्से सुना रही थी और अचानक उसको क्या हुआ उसने पूछा किरण तेरा साइज़ क्या है मैं ने पूछा कौनसा साइज़ तो उसने मेरी चुचिओ को हाथ मे पकड़ लिया और पूछा अरे पागल इसका और हँसने लगी उसका हाथ मेरे बूब्स पे अछा लग रहा था और उसने भी अपना हाथ नही हटाया और मैं ने भी उस से हाथ निकाल ने को नही कहा और वो ऐसे ही मेरी चुचिओ को दबाने लगी.

रात तो थी ही और हम ब्लंकेट ओढ़े हुए थे और लाइट बंद थी ऐसे मे मुझे उसका मेरी चुचिओ को दबाना अछा लग रहा था मैं ने उसका हाथ नही हटाया. उन दीनो हम ब्रा नही पेहेन्ते थे तो हमै साइज़ का पता नही था मैं ने बोला के मुझे क्या मालूम तो उसने कहा ठहर मैं बता ती हू तेरा क्या साइज़ है मैं ने बोला तेरे कू कैसे मालूम तो वो हँसने लगी और बोली मुझे सब पता है और मेरे ऊपेर उछल के बैठ गई. मैं सीधे ही लेटी थी और वो मेरे ऊपेर बैठ के मेरे बूब्स को मसल रही थी अब उसने मेरी शर्ट के अंदर हाथ डाल के मसलना शुरू कर्दिआ तो मुझे और मज़ा आने लगा. मैं ने बोला हे श्रुति यह क्या कर रही है तो वो बोली के मेरे पापा भी तो ऐसे ही करते है मेरे मम्मी के साथ मैं ने देखा है जब पापा ऐसे करते हैं तो मम्मी को बोहोत मज़ा आता है बोल तुझे भी आ रहा है मज़ा या नही तो मैं ने कहा हा मज़ा तो आ रहा है तो उस ने कहा के बॅस तो ठीक है ऐसे ही लेती रह ना मज़ा ले बॅस और वो ज़ोर ज़ोर से मेरी चुचिओ को मसल्ने लगी.

मेरे ऊपेर बैठे ही बैठे उसने अपनी शर्ट भी उतार दी और मुझ से बोली के मैं भी उसके बूब्स को दबौउ तो मैं भी हाथ बढ़ा के उसके बूब्स को अपने हाथ मे ले के मसल्ने लगी. श्रुति की चुचियाँ मेरे चुचिओ से थोड़ी सी बड़ी थी. लाइट बंद होने से कुछ दिखाई नही दे रहा था बॅस दोनो एक दूसरे के चुचिओ को दबा रहे थे. ऐसे हे दबा ते दबा ते वो मेरी टांगो पे आगे पीछे होने लगी. हमारी चूते एक दूसरे से मिल रही थी और एक अजीब सा मज़ा चूत मे आने लगा. अब वो मेरे ऊपेर लेट गई और मेरी चुचि को चूसने लगी मेरे मूह

से आआआआआआआहह निकल गई और मैं उसके सर को पकड़ के अपनी चुचिओ मे घुसाने लगी थोड़ी देर ऐसे ही चूसने के बाद वो थोड़ा आगे हटी और अपनी चुचि मेरे मूह मे घुसेड डाली और मैं चूसने लगी वो भी आआहह की आवाज़ें निकाल निकाल के मज़े लेने लगी.

[size=large]अब हम दोनो मस्त हो चुके थे वो थोडा सा पीछे खिसक गई और मेरी चूत पे हाथ रख दिया तो मेरी गंद अपने आप ही ऊपेर उठ गई. हम अब कोई बात नही कर रहे थे बॅस एक दूसरे से मज़े ले रहे थे. उसने मेरी सलवार का नाडा खोल दिया और साथ मे अपना भी और खुद अपने घुटनो पे खड़ी हो के अपनी सलवार निकाल दिया और नंगी हो गई और मेरी सलवार को पकड़ के नीचे खिसका दिया और मैं ने भी अपनी गंद उठा के उसको निकालने मे सहयोग किया. अब हम दोनो नंगे थे अभी हमारी चूतो पे बॉल आने भी नही शुरू हुए थे एक दम से चिकनी चूते थी हम दोनो की.[/size]
 
[size=large]अब फिर से वो ऐसे बैठ गई जैसे हम दोनो की चूते टच हो रही थी और आगे पीछे होने लगी और बताया के मेरी मम्मी जब पापा के ऊपेर बैठ ती है तो ऐसे ही हिलती रहती है. हमारी चूते एक दूसरे से रगड़ खा रही थी और हमे बोहोत ही मज़ा आ रहा था दोनो की चिकनी चिकनी बिना बालो वाली मसके जैसे चूते आपस मे रगड़ रही थी. फिर वो थोड़ा सा नीचे को हो गई और मेरी चूत पे किस कर दिया तो मानो मैं पागल जैसी हो गई और मैं ने उसका सर पकड़ के अपनी चूत मे घुसा दिया और वो किस करते करते अब मेरी चूत के अंदर जीभ डालके चूसने लगी तो मेरे बदन मे ब्लड तेज़ी से सर्क्युलेट होने लगा और दिमाग़ मे सायँ सायँ होने लगी. मुझे लगा जैसे कोई चीज़ मेरी चूत के अंदर से बहेर आने को बे-ताब है पर नही आ रही है और मुझे लगा जैसे सारा कमरा गोल गोल घूम रहा हो इतना मज़ा आ गया मैं अपनी चूत उसके मूह मे रगार्डती रही थोड़ी देर मे यह कंडीशन ख़तम हो गई तो वो बाज़ू मे आ के लेट गई और मुझे अपनी टाँगों के बीच मे लिटा लिया और मेरा सर पकड़ के अपनी चूत मे घुसा दिया. उसकी मक्खन जैसे चिकनी चूत को किस करना बोहोत अछा लग रहा था और अब उस ने मेरे सर को पकड़ के अपनी चूत मे घुसाना शुरू कर दिया और मेरे मूह पे अपनी चूत को रगड़ने लगी उसकी चूत का टेस्ट मुझे कुछ सॉल्टी लगा पर वो टाइम ऐसा था के हम दोनो मज़े ले रहे थे और फिर उसने मेरे मूह मे अपनी चूत को तेज़ी से रगड़ना शुरू कर दिया और मूह से अजीब आवाज़ें निकालने लगी और फिर वो शांत हो गई. मेरा ख़याल है के स्कूल के दीनो मे ऐसे फ्रेंड्स जो एक दूसरे के घर रात बिता ती है यह चुचिओ को दबाना या चूत की मसाज करना या किस करना सब नॉर्मल सी बात हो गी क्योंकि
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श्रुति ने मुझे और अपनी 2 फ्रेंड्स के बारे मे बताया के वो भी ऐसे ही करते हैं शाएद यह उमर ही ऐसी होती है.

खैर तो मैं कह रही थी के आंटी का हाथ मेरी चूत पे लगने से मेरे तन बदन मे एक आग जैसे लग रही थी मेरा दिल ओ दिमाग़ अब श्रुति और मेरी गुज़री हुई पुरानी हर्कतो से हट कर आंटी के तरफ आ गया था. पता नही आंटी ने अब तक क्या बोला मैं तो अपनी और श्रुति की गुज़री हुई बातें ही याद कर रही थी उस दिन के बाद आज किसी फीमेल का स्पर्श मेरी चूत मे महसूस हो रहा था. आक्च्युयली मुझे यह फीमेल वर्सस फीमेल यानी लेज़्बियेनिज़्म पसंद नही है पर वो टाइम ऐसा ही था के मैं फिर से बहेक गई और आंटी के हाथ मे अपनी चूत दे बैठी. अंधेरा बढ़ता जा रहा था सामने की रोड पूरी तरह से खाली हो चुकी थी अब कोई भी नही चल फिर रहे थे रोड पे और हम दोनो बाल्कनी मे बैठे थे. अब आंटी की फिंगर मेरी चूत के लिप्स को खोल के ऊपेर नीचे हो रही थी कभी चूत के सुराख मे उंगली डाल देती तो कभी क्लाइटॉरिस को मसल देती तो मेरा मस्ती के मारे बुरा हाल हो जाता चूत मे से कंटिन्यू जूस निकल रहा थे पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और मुझे पता भी नही चला के कब आंटी ने मेरा हाथ ले के अपनी चूत पे रख दिया और जब मेरा हाथ उनकी चूत पर लगा तो मुझे ऐसा लगा जैसे मेरा हाथ किसी जलती हुई भट्टी या गरम चूल्‍हे (ओवेन) मैं लगा दिया हो इतनी गरम थी आंटी की चूत. मैं ने भी आंटी की चूत का मसाज शुरू कर दिया और अपनी उंगली अंदर डाल के कभी सुराख मे घुसेड देती तो कभी क्लाइटॉरिस को मसल देती तो आंटी के मूह से आआआआआआहह ऊऊऊऊऊऊऊओिईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई जैसी आवाज़ें निकल जाती. दोनो ज़ोर ज़ोर से एक दूसरे की चूतो की मसाज कर रहे थे मज़े से दोनो की आँखें बंद हो चुकी थी.

उषा आंटी ने मुझे लिटा दिया और मेरे पैरो के बीचे मे बैठ गई और झुक के मेरी चूत पे किस किया और अपनी जीभ मेरी चूत के अंदर डाल के चाटना शुरू किया तो मेरी मूह से आआआआआआआआआहह की आवाज़ निकल गयी और मैं ने आंटी का सर पकड़ के अपनी चूत मे घुसेड दिया और उसी समय मेरी अंगारे जैसे गरम चूत झड़ने लगी मेरी आँखें बंद हो चुकी थी मस्ती मे गहरी गहरी साँसें ले रही थी और फिर आंटी मेरे ऊपेर 69 की पोज़िशन मे आ गई और मेरे मूह पे अपनी चूत को रगड़ने लगी तो मेरा मूह खुल गया और उषा आंटी की चूत को वेलकम किया. उनकी गरम चूत मे से नमकीन गाढ़ा जूस निकलने लगा. मैं ने आंटी की पूरी चूत को अपने मूह मे लेके दांतो से काट डाला तो उनके मूह से चीख निकल गई आआआआआआअहह

और आआआआआआआआआआआऐययईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ऊऊऊऊऊऊऊऊओह और उनकी चूत मे से जूस निकलने लगा और वो झंडणे लगी. . बहुत देर तक हम बिना कोई बात किए ऐसे ही 69 की पोज़िशन मे लेटे रहे फिर थोड़ी देर के बाद आंटी ने कहा के आज मैं बोहोत दीनो बाद इतना झड़ी हू और बोहोत मज़ा आया. मेरा भी कुछ ऐसा ही हाल था अशोक तो मेरी चूत मे आग लगा के खुद झाड़ के सो जाते और मैं रातों मे तड़प ती रहती ऐसे मैं आंटी के चूत को चूसने से बोहोत सुकून मिला. जब कभी आंटी को झड़ना होता तो वो अपनी चूत को अछी तरह से शेव कर के मेरे पास आती और फिर हम दोनो एक दूसरे को चाट के खल्लास कर ते. आक्च्युयली मेरी चुदाई होने लगी थी अपने बॉस के साथ लैकिन मैं आंटी को इस बात का पता नही चलने देना चाहती थी मैं अपना हर सीक्रेट दूसरे से नही बता ना चाहती इसी लिए आंटी से नही कहा और उनके सामने ऐसी बनी रहती जैसे मेरी चूत बरसों की प्यासी हो और उनके साथ मुझे बोहोत ही मज़ा आता है.

[size=large]क्रमशः......................[/size]
 
किरण की कहानी पार्ट--5

लेखक-- दा ग्रेट वोरिअर

हिंदी फॉण्ट बाय राज शर्मा

गतांक से आगे........................

मैं घर मे अकेले रहते रहते बोर होने लगी थी. सिवाए खाना पकाने के और कोई काम ही नही था. हर दूसरे दिन एक धोबन आ के हमारे कपड़े धो जाया करती थी. बोर होने की वजह से मैं ने अशोक से कहा के अगर वो कोई माइंड ना करे तो मैं कोई जॉब करलू ता के मैं बिज़ी रह सकु. अशोक को भी अपने बिज़्नेस से फ़ुर्सत नही मिलती थी और अब तक तो उसको पता चल ही गया था के मेरी चूत उसके लंड से और उसकी चुदाई से सॅटिस्फाइ नही है तो उसने कहा ठीक है मेरा एक फ्रेंड है अपनी खुद की कंपनी चलाता है मैं उस से बात कर लूँगा तुम घर बैठे ही उसका काम कर देना ता के तुम बिज़ी भी रहो और तुम्हारा भी दिल लगा रहे. और एक दिन अशोक ने बताया के उसने अपने दोस्त को डिन्नर पे बुलाया है और साथ मैं काम की भी बात कर लेते हैं तो मैं खुश हो गई और आछे से अछा खाना बना के अपने होने वाले बॉस को खिलाना चाहती थी तो मैं किचन मे डिन्नर की तय्यारी मे बिज़ी हो गई.

रात के खाने के टाइम से पहले ही अशोक का दोस्त आ गया बेल बजा के खड़ा हो गया तो अशोक ने दरवाज़ा खोला और हेलो हाई हाउ आर यू कह के अंदर बुला लिया. मैं देख के दंग रह गई वो तो एक अछा ख़ासा स्मार्ट आदमी था. तकरीबन 6 फीट के करीब उसकी हाइट होगी गोरा रंग ब्रॉड शोल्डर्स हॅटा कॅटा मज़बूत जवान लग रहा था उसे देखते ही मेरी चूत मे एक अजीब एग्ज़ाइट्मेंट सी होने लगी और मुझे लगा के मेरी चूत गीली हो रही है. अशोक ने इंट्रोड्यूस करवाया और कहा के यह मेरे बचपन का दोस्त और क्लास मेट सलीम ख़ान सनई है और वो एक मुस्लिम है जो अपनी फाइनान्स कंपनी चलाता है.

दोनो स्कूल से कॉलेज ख़तम होने तक क्लास मेट रहे हैं और एक दूसरे से बोहोत ही फ्री हैं.

ऑफीस मे वो एसके के नाम से फेमस है. और फिर कहा एसके !! यह मेरी वाइफ है किरण. हम दोनो ने एक दूसरे को नमस्ते कहा और हम सब अंदर ड्रॉयिंग रूम मे आ के सोफे पे बैठ गये. अशोक और एसके बैठ के बातें करने लगे और मैं खाना टेबल पे रखने के लिए चली गई.

टेबल रेडी हो गई तो मैं ने दोनो से कहा के चलिए डिन्नर रेडी है. वॉश बेसिन पे हाथ धो के आ गये और रेक्टॅंगल टेबल के स्माल पोर्षन पे एसके बैठे थे और मैं और अशोक टेबल के बड़े वाले पोर्षन पे टेबल के दोनो तरफ आमने सामने (ऑपोसिट टू ईच अदर) बैठे थे. सब मिल के खाना खाने लगे एसके मेरे बनाए हुए खाने की बोहोत तारीफ कर रहे थे. खाने मे पराठे, दम का चिकेन, आलू गोश्त का खोरमा, कबाब, टोमॅटो की चटनी, पुलाव बना के उस पे बाय्ल्ड एग्स को हाफ कर के डेकरेट कर के रखा था और कस्टर्ड और आइस क्रीम थी. खाना सच मे बोहोत टेस्टी था. एसके कभी मुझे कुछ देता तो कभी मेरे पति की प्लेट मे कुछ डाल देता. खाना खा ने के बाद फिर से वो दोनो ड्रॉयिंग रूम मे जा के सोफे पे बैठे गये और मैं टेबल सॉफ कर के कॉफी बना के वही आ गई और हम सब साथ बैठ के कॉफी पीने लगे और बातें करने लगे.

अशोक ने कहा यार एसके देखो तो किरण घर मे अकेली रहती है और अकेले रहते रहते बोर हो गई है वो अपने आप को बिज़ी रखने के लिए कोई काम करना चाहती है तुम्हारे पास अगर कोई ऐसा काम हो तो बताना. एसके ने कहा यह तो बोहोत अछी बात है मेरे पास डाटा एंट्री करने का काम पड़ा हुआ है. मेरे पास का डाटा एंट्री का जो क्लर्क था वो चला गया. किरण ऑफीस से इनवाइसस और वाउचर्स घर ला सकती है और घर बैठे बैठे ही मेरा काम कर सकती है. ऑफीस तो तुम्हारे घर के करीब ही है किरण ऑफीस आ के डेली या वीक्ली काम ले के आ सकती है और घर बैठे ही काम कर सकती है मैं डेली आ के चेक करता रहूँगा और उसको गाइड करता रहूँगा. मेरे पास ऑफीस मे एक एक्सट्रा कंप्यूटर भी है मैं वो भी किरण के पास भेज दूँगा यही किसी रूम मे रख लेना और वो आराम से घर बैठे ही काम कर लेगी. अशोक ने कहा यह तो बोहोत अछी बात है किरण कल ही तुम्हारे ऑफीस आजाएगी और काम भी देख लेगी.

दूसरे दिन मैं एसके के ऑफीस को गई. ऑफीस अछा ख़ासा बड़ा था नीट और क्लीन थे सारे ऑफीस मे कार्पेट बिछी हुई है और एसके का

ऑफीस तो एक दम से शानदार एक बोहोत बड़ी सेमी सर्क्युलर टेबल जिसके एक साइड मे छोटी सी कंप्यूटर टेबल जिसपे कंप्यूटर, एलसिडी मॉनिटर और नीचे प्रिंटर भी रखा हुआ था. डोर को अंदर से लॉक करने ये खोलने के लिए उसके पास ऑटोमॅटिक बटन है. उसके रूम के बाहर एक छोटा सा कॅमरा है जिस से उसको पता चल जाता है के बाहर कौन वेट कर रहा है और उसको मिलना हो तो वो ऑटोमॅटिक लॉक का बटन प्रेस कर देता है जिस से डोर खुल जाता है और फिर अंदर से ऑटोमॅटिकली बंद भी हो जाता है. ऑफीस सेंट्रली एर कंडीशंड है. इन शॉर्ट बोहोत शानदार ऑफीस है. ऑफीस का सारा स्टाफ अपने अपने काम मे बिज़ी था. मैं ऑफीस गई तो एसके ने मुझे फॉरन अंदर बुला लिया और अपनी कुर्सी से खड़ा हो के मुझ से शेक हॅंड किया तो उसका गरम हाथ मेरे हाथ मे आते ही मेरे बदन मे बिजली दौड़ने लगी और मैं गीली होने लगी. मैं ने कहा के सर आपका ऑफीस तो वंडरफुल है एक दम से शानदार तो उसने कहा के देखो किरण मुझे यह सर वाघहैरा कहने की ज़रूरत नही है.
 
तुम मेरे लिए किरण हो और मैं तुम्हारे लिए सलीम ख़ान तुम मुझे सब की तरह एसके भी कह सकती हो लैकिन नेक्स्ट टाइम से सर नही कहना ठीक है ? मैं ने मुस्कुराते हुआ कहा ठीक है सर और हम दोनो हंस पड़े. एसके ने कॉफी के लिए ऑर्डर दे दिया जो थोड़ी ही देर मे आ गई. कप्पूसिनो की फर्स्ट क्लास खुसबू से सारा ऑफीस महेक उठा. दोनो कॉफी पीने लगे. उसके बाद उसने किसी को बुला के एक कंप्यूटर, मॉनिटर और प्रिंटर अपनी कार मे रखने के लिए कहा और थोड़ी देर के बाद वो मुझे अपनी कार मे ले के मेरे घर आ गया.

हमारे घर मे एक स्पेर रूम भी है जिस्मै कंप्यूटर रख दिया गया. कंप्यूटर की स्पेशल टेबल तो नही है लैकिन घर की ही एक टेबल पे रख दिया गया और एसके ने कंप्यूटर के कनेक्षन्स लगा दिए और कंप्यूटर स्टार्ट कर के मुझे बता दिया. कॉंनेकटिनोस लगा ने के बाद वो बाथरूम मे चला गया हाथ धोने के लिए तो मैं कॉफी बना ने लगी. हम दोनो ड्रॉयिंग रूम मे आ के बैठ गये और कॉफी पीने लगे. एसके और मैं इधर उधर की बातें करने लगे वो अपने स्कूल और कॉलेज के किससे सुना ने लगे के कैसे वो कॉलेज मे बदमाशियाँ किया करते थे लड़कियों को छेड़ते रहते थे. मैं ने कहा के आप पर तो लड़कियाँ मरती होगी तो वो हंस पड़ा और कहा नही ऐसी बात नही बस हमारे कुछ क्लास मेट्स और कुछ जूनियर्स लड़कियाँ थी हम ( एक आँख दबा के बोला ) मस्ती करते थे. इतनी देर मे लंच का टाइम हो गया तो मैं ने कहा के यही रुक जाए और साथमे खाना खा के ही जाना तो उसने कहा के किरण तुम जैसी क्यूट लड़की के साथ किसे लंच या डिन्नर करना पसंद ना होगा पर सच मे मुझे थोड़ा सा काम है हम

किसी और दिन लंच या डिन्नर ले लेंगे साथ मे. जब उसने मुझे क्यूट लड़की कहा तो मेरा चेहरा शरम से लाल हो गया जिसको उसने भी नोट किया. उसने कहा के मैं कल ऑफीस आ जाउ तब तक वो सारी चीज़ें रेडी रखेगा मेरे लिए.

दूसरे दिन मैं ऑफीस गई तो उस ने मुझे अपने कंप्यूटर के प्रोग्राम पे ही बता दिया के कैसे एंट्रीस करनी है और कहा के यह प्रोग्राम मेरे पास जो कंप्यूटर भेजा है उस पे भी है. काम उतना मुश्किल नही था जल्दी ही समझ मैं आ गयी. हा कुछ चीज़ें ऐसी थी जो के समझ मे नही आ रही थी कुछ कॅल्क्युलेशन्स थे कुछ अडिशन्स आंड सुबस्टरक्टिओन्स थे उसने कहा के जो भी मैं कर सकती हू करू वो लंच टाइम पे मेरे पास आ के जो मेरे समझ मे नही आ रहा है वो मुझे समझा देगा. मैं इनवाइसस का बंड्ल उठा के घर चली आई. ऑफीस से घर तकरीबन 15 – 20 मिनिट की वॉक है. घर आने के बाद सारे इनवाइसस और वाउचर्स को अपने सामने रख के पहले तो ऐसे ही समझने की कोशिश करती रही और थोड़ी देर के बाद एंट्री करना शुरू किया. नया नया काम शुरू किया था तो काम करने मे मज़ा आ रहा था और जोश के साथ काम कर रही थी मुझे टाइम का पता ही नही चला शाम के 3:30 हो गये और जब एसके ने बेल मारी तो मैं ने टाइम देखा उफ्फ यह तो 3:30 हो गये. मैं ने डोर खोला एसके अंदर आ गया और हम दोनो कंप्यूटर वाले रूम मे चले आए. पता नही एसके की पर्सनॅलिटी मे क्या है के मैं उसको देखते ही अपने होश खो बैठती हू और गीली होना शुरू हो जाती हू. उसने काम देखना शुरू किया. कुछ मैं ने ग़लत किया था कुछ सही किया था उस ने बताया कॅल्क्युलेशन्स वग़ैरा करना सिखाया और कुछ देर बैठ के कॉफी पी के चला गया. जितनी देर वो मेरे पास बैठा रहा उसके बदन से हल्की उठ ती हुई पर्फ्यूम की स्मेल से मैं मस्त होती रही. उसके साथ बैठना मुझे बोहोत अछा लग रहा था. मैं तो यह सोचने लगी के एसके यही मेरे साथ ही रहे तो कितना अच्छा होता और यह सोच उस टाइम ज़ियादा हो जाती जब अशोक मेरी चूत मे आग लगा देता और बुझा नही पता तो सोचती के एसके यही रहे और मेरी गरम और प्यासी चूत को चोद चोद के अपनी क्रीम चूत के अंदर डाल के उसकी प्यास बुझा दे और मेरी गरम चूत को ठंडा कर दे पर यह पासिबल नही था एक तो वो मॅरीड था और रात मेरे साथ नही रह सकता था दूसरे यह के ऑफीस के दूसरे काम भी तो देखने होते हैं और मैं एसके को अपने दिल की बात ना कह सकी पर मेरा दिल चाह रहा था के वो मेरे साथी ही रहे. वो मेरा काम देख के और कुछ काम समझा के अपने घर चला गया और मैं पता नही कियों उदास हो गई.

इसी तरह से एक वीक गुज़र गया कोई ख़ास बात नही हुई बॅस यह के जितनी देर वो मेरे करीब रहता मैं मस्त रहती और फुल मूड मे रहती पर उसके चले जाने के बाद मैं उदास हो जाती. मैं तकरीबन 2 वीक्स का काम ले आई थी ऑफीस से तो ऑफीस को भी नही जाना था. सुबह उठ के नाश्ता कर के कॉफी पी के काम शुरू करती और काम के बीच बीच मे अपने काम भी करती रहती खाना बना ना या और भी छोटे मोटे काम. धोबन तो एवेरी आल्टरनेट डे आ के कपड़े धो जाया करती थी इसी तरह से रुटीन चलने लगी. उषा आंटी को भी पता चल गया था के मैं दिन मे बिज़ी रहती हू तो वो भी मुझे दिन के टाइम पे उतना डिस्टर्ब नही करती और कभी उनका मन करता तो वो शाम मे या रात मे किसी टाइम पे आ जाती और गप्पे लगा ने लगती और साथ मे वोही करते जो बाल्कनी मे किया था और फिर आंटी चली जाती और मैं मस्त हो के सो जाती.

क्रमशः...............
 
किरण की कहानी पार्ट--6



लेखक-- दा ग्रेट वोरिअर

हिंदी फॉण्ट बाय राज शर्मा

गतांक से आगे........................


एक दिन ऐसे हुआ के मैं काम कर रही थी और एसके आ गये और मेरे पीछे खड़े हो के काम देखने लगे. कभी कभी कोई मिस्टेक हो जाती तो बता देते. मैं काम मे बिज़ी थी देखा तो एसके मेरे पीछे नही थे मैं ने सोचा के शाएद काम कोईहो गा और चले गये होगे और मैं उठ के बाथरूम मे गई.बाथरूम का डोर खोल एक अंदर पैर रखते ही एक शॉक लगा एसके वाहा खड़ा पिशाब कर रहा था और उसने अपना इतना मोटा गधे जैसा लोड्‍ा हाथ मे पकड़ा हुआ था. पूरा हाथ मे पकड़ ने के बाद भी उसका लंड उसके हाथ से बाहर निकाला हुआ था और अभी वो एरेक्ट भी नही था मैं एक ही सेकेंड के अंदर पलटी और ऊहह सॉरी कह के बाहर निकल गई और सोचने लगी के अभी उसका लंड आकड़ा नही है तो यह हाल है उसके लोड्‍े का और जब अकड़ जाएगा तो क्या हाल होगा और यह तो लड़कियों की चूते फाड़ डालेगा. इसी सोच के साथ मैं दूसरे बाथरूम मे चली गई और पिशाब कर के वापस आ गई और अपने काम मे लग गई. एसके फिर से मेरे पीछे आ के खड़ा हो गया और मेरा काम देखने लगा. मैं काम तो कर रही थी पर मेरा सारा ध्यान उसके लंड मे था और उसका लंड जैसे ही मेरे मन मे आया मेरी चूत गीली होनी शुरू हो गई. एसके को भी पक्का यकीन था के मैं ने उसके लंड को देख लिया है और सब की तरह मैं भी हैरान रह गई हू.

मैं काम मे बिज़ी थी वो पीछे खड़ा था. अब उसने मेरे शोल्डर पे हाथ रख दिया और कहा के किरण तुम्हारा ध्यान किधर है. मैं गड़बड़ा गई और सोचने लगी के उसको कैसे पता चला के मैं मन मे क्या सोच रही हू और मैं खामोश रही तो उसने कहा के देखो तुम ने कितनी एंट्रीस ग़लत कर दी है. मैं और घबरा गई कियॉंके सच मे मेरा ध्यान काम मे था ही नही मेरा दिमाग़ तो एसके के लंड मे ही अटक के रह गया था.

मैं घर मे कभी शर्ट सलवार, कभी सारी और कभी कभी तो नाइटी मे ही काम करने बैठे जाती थी कियॉंके घर मे और कोई होता भी तो नही था इसी लिए जो पहना हो वैसे ही बैठ जाती थी. उस दिन मैं ने लाइट स्काइ ब्लू कलर की सारी पहनी थी जो मेरे बदन पे बोहोत अछी लग रही थी. मेरे शोल्डर्स खुले हुए थे और एसके के दोनो हाथ मेरे शोल्डर पे थे. उसके गरम हाथो के स्पर्श से मेरा सारा बदन जलने लगा और मेरी ज़बान लड़खड़ा ने लगी मैं कुछ बोलना चाहती थी और ज़बान से कुछ और निकल रहा था. मेरे सारे बदन मे जैसे बिजली का करेंट दौड़ रहा था दिमाग़ मे सायँ सायँ होने लगी थी.

एसके के दोनो हाथ अब मेरे शोल्डर्स से स्लिप हो के मेरे चुचिओ पे आ गये थे और मेरी आँखें बंद होने लगी थी. पहले ब्लाउस के ऊपेर से ही दबा ता रहा और फिर बिना हुक्स खोले के ऊपेर से ही ब्लाउस के अंदर हाथ डाल दिए. मैं उसुअल्ली घर मे रहती हू तो ब्रस्सिएर नही पेहेन्ति हू तो उसके हाथ डाइरेक्ट मेरी चुचिओ के ऊपेर आ गॅये और वो उनको मसल्ने लगा. मेरी चेर सेक्रेटरी चेर टाइप की थी जिसमे नॉर्मल चेर की तरह से बॅक रेस्ट नही था बलके पीठ की जगह पर एक छोटा सा रेस्ट था और चेर के बैठने की जगह से बॅक रेस्ट तक की पतली सी प्लास्टिक लगी हुई थी जिस से मेरा पीछे से सारा बदन एक्सपोज़्ड था एक्सेप्ट के मेरी पीठ का वो भाग जहा छोटा सा कुशन का बॅक रेस्ट था. एसके मेरे और करीब आ गया तो उसके लंड का स्पर्श मुझे मेरे बदन पे महसूस होने लगा मैं तो पहले से ही गीली हो चुकी थी उसका हाथ चुचिओ पे महसूस कर के और जब लंड मेरे बदन से लगा तो मैं अपनी जांघे एक दूसरे से रगड़ने लगी और एक ही मिनिट मे झाड़ गई और मेरे मूह से एक लंबी से आआआआआअहह निकल गई और मैं अपनी चेर पे थोड़ा सा और आगे को खिसक गई और मेरे पैर ऑटोमॅटिकली खुल गये और मेरी आँखें बंद हो गई और मैं रिलॅक्स हो गई और अब मुझे यकीन होगया के आज मेरे मंन की मुराद पूरी होने वाली है.

एसके मेरी चुचिओ को मसल रहा था और मैं इतनी मस्त हो चुकी थी के दिखावे का विरोध भी नही कर सकी और मेरे हाथ उसके हाथ पे आ गये और मैं उसके हाथो को सहलाने लगी. उसने मेरी दोनो चुचिओ को पकड़ लिया और दबा ने लगा निपल्स को पिंच करने लगा. मैं इतनी मस्त हो चुकी थी के अपने ही हाथो से अपने ब्लाउस के हुक्स खोल ने लगी. हुक खुल गये और अब वो मेरे चुचिओ को अछी तरह से मसल रहा था और कह रहा था के आअहह किरण क्या मस्त चुचियाँ है लगता है अशोक इन्है दबाता नही मैं कुछ नही बोली खामोश रही. वो मेरे पीछे से ही झुक के मेरे नेक पे किस करने लगा और उसके लिप्स मेरे बदन पे लगते ही मेरे बदन मे एक करेंट सा दौड़ने लगा.

और ऐसे ही किस करते करते वो झुके हुए ही मेरे चुचिओ को किस करने लगा तो मेरे हाथ ऑटोमॅटिकली उसके नेक पे चले गये और मैं उसको अपनी तरफ खेचने लगी.

अब एसके मेरे पीछे से हट के मेरे सामने आ गया था. उसकी पॅंट मे से उसका लंड बहेर निकलने को बेताब था. उसने मेरा हाथ पकड़ा और मेरे हाथ को अपने लंड पे रख दिया और सच मानो मैं अपना हाथ वाहा से हटा ही नही सकी और उसने मेरे हाथ को ऐसे दबाया जैसे मेरा हाथ उसके लंड को दबा रहा हो. उसने अपनी पॅंट के ज़िप खोल दी और बोला के किरण बहेर निकाल लो तो मैं ने उसका अंडरवेर नीचे को हटा दिया और उसका लंड बहेर निकाला तो वो एक दम से उछल के मेरे मूह के सामने आ गया और मैं तो सच मे डर ही गई इतना लंबा मोटा लंड जो सर्कमसीज़्ड था और उसका मशरूम जैसा चिकना सूपड़ा चमक रहा था और जोश के मारे हिल रहा था बहेर निकाल लिया और मेरे मूह से निकल गया वववूऊओ यह क्या है एसके इतना बड़ा और मोटा यह तो किल्लर है यह तो जान ही ले लेगा तो वो हँसने लगा और बोला के आज से यह तुम्हारा ही है जब चाहो ले लेना और साथ मे अपना पॅंट नीचे कर के पॅंट उतार दिया. उसका इतना मोटा और लंबा लंड देख के मैं तो सच मे घबरा गई थी और मन मे ही सोचने लगी के यह तो मेरी चूत को फाड़ के गंद मे से बाहर निकल जाएगा. इतना मस्त सर्कमसीज़्ड लंड और उसका सूपड़ा भी बोहोत ही मोटा था बिल्कुल हेल्मेट की तरह से जैसे कोई बहुत बड़ा चिकना मशरूम हो और लंड के सूपदे का सुराख भी बोहोत बड़ा था.

मैं ने कभी इतना बड़ा और मोटा लंड नही देखा था. उसका लंड बोहोत गरम था हाथ मे लेते ही मुझे लगा जैसे कोई गरम गरम लोहे का पाइप पकड़ लिया हो. लगता है वो झातें शेव करता है आज भी उसका लंड एक दम से चिकना था बिना झतो वाला लंड बोहोत अछा लग रहा था. उसने अपनी शर्ट भी उतार दी तो मैं उसके नंगे बदन को देखते ही रह गई. सारे बदन पे हल्के हल्के से नरम नरम बाल जो बोहोत सेक्सी लग रहे थे मस्क्युलर बॉडी. उसने मुझे चेर पे से उठाया और मेरे ब्लाउस को मेरे हाथ पीछे कर के निकाल दिया और साथ मे मेरी सारी के फोल्ड्स को खोल दिया अब मैं सिर्फ़ पेटिकोट मे थी जिसका स्ट्रिंग उसने एक ही झटके मे खोल दिया और मेरा पेटिकोट किसी दासी की तरह से मेरे कदमो मे गिर पड़ा.

मैं एक दम से नंगी हो चुकी थी और वो भी. मेरी हाइट एसके की हाइट से काफ़ी कम है और जब उसने मुझे खेंच के अपने बदन से लिपटा लिया तो उसका लंड मेरे पेट मे घुसता हुआ महसूस होने लगा. लोहे की तरह से सख़्त था और मेरे पेट मे ज़ोर से चुब्ब रहा था और मेरे चुचियाँ हम दोनो के

बदन के बीच मे चिपक गयी थी. उसका नंगा बदन मेरे चुचिओ को टच हो ते ही मेरे निपल्स खड़े हो गये. इसी तरह से वो मुझ से लिपटा रहा मैं ज़ोर से उसको पकड़े रही और अपनी ग्रिप टाइट करली. मेरी चूत का हाल तो मत पूछो उसमे से जूस ऐसे निकल रहा था जैसे कोई नल्ल ( टॅप ) खुला हो और उसमे से पानी निकल निकल के बह रहा हो. उसने मेरा हाथ पकड़ के अपने लंड से लगाया तो मेरे बदन मे झुरजुरी सी आ गई पहले तो मैं डर के मारे अपना हाथ हटा लिया पर एसके ने फिर से मेरा हाथ अपने लंड पे रखा तो मैं उसको धीरे से दबाने लगी और दिल मे सोचने लगी के आज मेरी छोटी सी चूत की खैर नही आज तो ज़रूर मेरी चूत फटने वाली है. एसके के हाथ मेरे बदन पे फिसल रहे थे कभी चुचिओ को कभी गंद को और जब उसका हाथ मेरी चिकनी चूत पे लगा तो मैं बोहोट ज़ोर से काँपने लगी और साथ मे ही झड़ने लगी तो एसके ने बोला वाउ किरण तुम्हारी चूत तो मक्खन जैसी चिकनी और समंदर जैसी गीली है मज़ा आएगा इसे चोदने मे और जब उसने अपनी मोटी उंगली मेरी छोटी सी चूत के अंदर डाली तो मानो ऐसे महसूस हुआ के कोई छोटा सा लंड ही घुस्स गया हो और मेरा जूस उंगली मे ले के चूसने लगा और बोला वाहह तुम्हारी मीठी चूत का जूस भी बोह्त मीठा है और फिर से मेरी चूत मैं अपनी उंगली डाल के मेरी चूत का जूस निकाल के मेरे मूह मे दे दिया और कहा के तुम भी टेस्ट करो के तुम्हारी चूत का जूस कितना मीठा है मैं ने अपनी चूत का जूस चाट तो लिया पर मस्ती मे मेरी कुछ समझ मे नही आया के टेस्ट कैसा है.
 
कंप्यूटर की टेबल काफ़ी बड़ी थी कंप्यूटर रखने के बाद भी काफ़ी जगह रहती थी तो एसके ने मुझे मेरे बगल से पकड़ के उठा लिया और मुझे टेबल पे बिठा दिया और वो नीचे खड़े खड़े मेरी चुचिओ को दोनो हाथो से मसल्ने लगा और एक के बाद दूसरी चुचि को चूसने लगा निपल्स को काट ने लगा तो मैं बोहोत ही मस्त और गरम हो गई और उसके आकड़े हुए लंबे लंड को अपने हाथो से पकड़ लिया. मैं उसके लंड को अपने दोनो हाथो से पकड़े हुए थी लैकिन उसका लंड फिर भी थोडा सा मेरे दोनो हाथो के बहेर निकल रहा था और मैं उसके लंड को अपने पूरे हाथ मे पकड़ नही पा रही थी इतना मोटा और बड़ा था उसका लंड जो मेरे हाथ मे नही आ रहा था. मैं उसके लंड को दोनो हाथो से पकड़ के आगे पीछे करने लगी. वो मेरे सामने खड़ा था तो उसका लंड मेरे थाइस पे लग रहा था तो मैं खुद थोड़ा सा टेबल पे सामने को खिसक गई और टेबल के एड्ज पे आ गई तो उसका लंड अब मेरी चूत पे लगने लगा जिस्मै से निकलता हुआ प्री कम मेरे चूत के अन्द्रूनि भाग को चिकना कर रहा था. मैं ने अपनी टाँगें थोड़ी और खोल ली और

उसके बॅक पे क्रॉस कर ली और उसे अपनी तरफ खेचने लगी. उसके लंड के सुपादे को अपनी चूत के लिप्स के अंदर रगड़ना शुरू कर दिया और उसके प्री कम से चिकना लंड का सूपड़ा चूत के अंदर लगने से मैं इमीडीयेट्ली झड़ने लगी इतना एग्ज़ाइट्मेंट था. इतना बड़ा तगड़ा लंड देख के डर भी लग रहा था और मज़ा भी आ रहा था.

वो कभी मेरी चुचिओ को मसल ता तो कभी मेरी गंद को दबाता. मेरा तो मस्ती के मारे बुरा हाल था. उसने चेर को टेबल के करीब पुल किया और उस पे बैठ गया और मेरे थाइस पे अपने होंठ रख दिए तो मैं टेबल के पूरे किनारे पे आ गई और अपने हाथो से उसका सर पकड़ के अपनी चूत मे घुसा दिया और अपनी टाँगें उसके शोल्डर्स पे रख के उसको अपनी तरफ खेचने लगी. उसका मूह मेरी चूत पे लगते ही मैं फिर से झड़ने लगी आज बोहोत मस्ती मे थी मैं एक तो यह के आज से पहले कभी इतना बड़ा इतना मस्त लंबा मोटा और लोहे जैसा सख़्त लंड देखा भी नही था और दूसरे यह के अशोक तो बॅस आग लगाना ही जानता था आग बुझाना नही और आज मुझे पक्का यकीन था के मेरी इतने महीनो से जलती चूत मे लगी आग आज इस तगड़े लंड से बुझ जाएगी. मेरे हाथ उसके सर को पकड़े हुए थे और मैं उसके सर को चूत के जितना अंदर हो सकता था घुसा लेना चाहती थी. वो चाट ता रहा उसकी ज़बान मेरी चूत के अंदर बोहोत मज़ा दे रही थी. कभी कभी तो पूरी चूत को अपने दांतो से पकड़ के काट लेता तो मेरी सिसकारी निकल जाती मेरी आँखें बंद थी ऊऊऊऊऊऊओह बोहोत मज़ा आ रहा था.चूत बोहोत ही गीली हो चुकी थी जूस कंटिन्यू निकल रहा था. पता नही कितने टाइम मैं झाड़ गई और एसके सारा जूस पीते रहे.

थोड़ी देर के बाद एसके खड़े हो गये और मुझे उठा लिया तो मेरी टाँगें उसके बॅक पे लिपट गई और मैं उसके बॅमबू जैसा लंड पे बैठ गई और वो मुझे ऐसे ही उठाए उठाए बेड रूम मे ले आया और मुझे आधे बेड पे लिटा दिया ऐसे के मेरी टाँगें नीचे फ्लोर पे थी और मेरा आधा बदन बेड के किनारे पे. अब एसके फिर से फ्लोर पे बैठ गया और मेरी चूत को सहलाने लगा और कहने लगा के वाउ किरण क्या मक्खन जैसी चिकनी चूत है मस्त मलाई जैसी चूत लगता है आज ही झातें सॉफ की हो तुम ने मैं कुछ भी नही बोल सक रही थी मस्ती मे आँखें बंद थी और गहरी गहरी साँसें ले रही थी. थोड़ी देर ऐसे ही चूत को सहला ते सहलाते उसने मेरी चूत को एक बार फिर से मूह मे ले के चूसना शुरू कर दिया और चूत मे से जूस कंटिन्यू निकल ने लगा और मेरी चूत मे आग लगने लगी. मेरे लेग्स उसके नेक पे थे और मैं उसके सर को पकड़ के अपनी चूत मे घुसेड रही थी और अपनी गंद हिला हिला के अपनी चूत उसके मूह मे

रगड़ रही थी. मेरी चूत मे से जूस निकलता रहा और मे झड़ती रही. थोड़ी देर के बाद वो अपनी जगह से उठा और अपने लंड के मशरूम जैसे सूपदे को मेरी चूत के लिप्स के बीच मे रख दिया तो मैं इमीडीयेट्ली उसके लंड को अपने हाथ मे ले के अपनी चूत मे रगड़ने लगी. लंड के प्री कम और चूत का जूस दोनो मिल के मेरी नाज़ुक चूत को गीला कर चुके थे मेरी चूत बोहोत ही गीली और स्लिपरी हो चुकी थी.
 
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