Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी - Page 2 - SexBaba
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Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी

मैने कहा पर आप लोग भी तो मेरे परिवार का ही एक हिस्सा है आपलोग हमेशा से ही मेरे घरवालो के साथ थे तो मेरा साथ भी दीजिए तो लक्ष्मी बोली हम तो मरते दम तक आपके साथ है पर अब को अपनी विरासत संभालनी होगी वैसे भी सारी उमर हो गयी ये सुनते सुनते की मुनीम जी हवेली का सब कुछ खा गये मैने कहा दुनिया कुछ भी कहे मैं नही मानता मैं बस इतना जानता हू कि इस गाँव मे अगर कोई मेरा बचा है तो बस आप लोग ही हो

लक्ष्मी थोड़ा सा मुस्कुरा दी मुझे दुख भी था कि मेरा पूरा परिवार कैसे तबाह हो गया पर थोड़ी तसल्ली भी थी कि ये लोग मेरे पास है वो बरसते हुवे मेह को देखकर बोली कि कई सालो बाद इतनी घनघोर बारिश आई है गाँव मे आज तो रुकनी मुश्किल है मैने कहा रयचंद जी कब तक आएँगे वो बोली कि उन्हे थोड़ा टाइम और लग जाएगा कुछ कागज़ी कार्यवाही करनी है और फिर हवेली की मरम्मत और भी कई छोटे-मोटे काम है ख़तम होते ही आ जाएँगे

मैने कहा ठीक है लक्ष्मी बोली अब आप घर चलें यहाँ कब तक यू बैठे रहेंगे मैने कहा नही मैं यही रहूँगा आप मेरा सामान घर से मंगवा दीजिए और जब तक बिजली नही लग जाती रात को रोशनी का इंतज़ाम भी करवा दीजिए लक्ष्मी मुझे अकेले नही रहने देना चाहती थी पर मेरी ज़िद के आगे उसकी एक ना चली तो उसने कहा कि बारिश रुकते ही आपके लिए नया बिस्तर और ज़रूरत की कुछ चीज़ी भिजवा दूँगी पर अभी मैं जाती हू घर पे भी कई काम पड़े है और ये तेज बारिश

फिर उन्होने गोरी से कहा कि तुम देव के साथ ही रहना मैं सांझ तक वापिस आउन्गि तुम साथ रहोगी तो मुझे इनकी फिकर नही होगी इतना कहकर लक्ष्मी कार मे बैठी और चली गयी रह गये मैं और गोरी आग ठंडी होने लगी थी तो गोरी ने कुछ लकड़िया और डाल दी बारिश मे आग के पास बैठना एक अलग सा अहसास दे रहा था गोरी बोली तुम लंडन से यहाँ कैसे आए तो मैने कहा प्लेन से वो बोली अच्छा , वो बोली तुम्हारा सहर कैसा होता है मैने कहा जैसे तुम्हारे है वो बोली मैं क्या जानू मैं तो कभी सहर गयी ही नही मैने कहा क्यो वो बोली मुझे कॉन ले जाए

तो मैने कहा मैं कभी जाउन्गा तो तुमको ले चलूँगा साथ वो बोली हम तो बस दिल खुश करने को जब कभी मेला लगता है तो उसी मे घूम आते है दिल खुश हो जाता है मैने कहा ये मेला क्या होता है तो वो बोली अरे तुम्हे मेले का नही पता मैने कहा सच मे नही पता तो उसने मुझे बताया तो मैने कहा कि अबकी बार जब मेला लगेगा तो मैं भी तुम्हारे साथ चलूँगा

कुछ देर और बाते करने के बाद मैने कहा आओ गोरी कुछ कमरो को खोल कर देखते है तो वो बोली हाँ चलो तो हम लोग उपर की मंज़िल पर चले गये कुछ कमरो का ताला हम ने तोड़ डाला और देखने लगे इतना तो पक्का था कि अपने टाइम मे ये खंडहर बड़ा ही खूबसूरत था हर कमरा बड़े ही करीने से सज़ा हुवा था बस फरक इतना था कि वो सजावट वक़्त के थपेड़ो मे कही खो गयी थी मैने कहा गोरी खुशकिस्मत होंगे वो लोग जो यहाँ रहते होंगे वो बोली हाँ काश मैं भी ऐसे ही घर मे रहती

मैने कहा ये भी तो तुम्हारा ही घर है ना जब तुम्हारा दिल करे तुम आ जाना यहाँ पर काफ़ी धूल जमी हुवी थी तो हम लोग उसको सॉफ करने लगे तभी गोरी को उपर की स्लॅब पर कुछ दिखा तो वो बोली उपर कुछ है मैने कहा हाँ कुछ संदूक जैसा लग रहा है पर इसको उतारे कैसे उपर चढ़ा तो नही जाएगा मैं कुछ ढूँढ ही रहा था कि मुझे गॅलरी मे एक पुराना स्टूल दिख गया जो अब बस नाम-मात्र का ही बचा हुवा था

गोरी बोली तुम इसको कसकर पकड़ लेना मैं उपर चढ़ जाती हू मैने कहा स्टूल कही टूट ना जाए तो वो बोली अगर मैं गिरु तो तुम मुझे थाम लेना तो हम ने उसको सेट किया और गोरी उपर चढ़ ने की कोशिश करने लगी पर वो चढ़ नही पा रही थी वो बोली तुम इसको कसकर पकड़ लो मैं संदूक को खीचती हू और तुमको पकड़ा दूँगी तुम उसको नीचे रख देना मैने कहा ठीक है पर आराम से करना कही चोट ना लग जाए तुमको संदूक थोड़ा भारी था जैसे ही गोरी ने संदूक को स्लॅब से खीचा स्टूल उन दोनो का भार नही से पाया और टूट गया गोरी झटके से मेरे उपर आ पड़ी और मुझे लिए लिए ही फरश पर आ गिरी

अचानक से हुवी इस घटना से मैं संभाल नही पाया पर शूकर था कि संदूक दूसरी ओर गिरा वरना हमारे सर भी फुट सकते थे कुछ पल तो समझ ही नही आया कि क्या हुआ गोरी मुझ पर लदी हुवी थी मेरे हाथ उसके मांसल कुल्हो पर आ गये थे उसकी सुडोल छातिया मेरे सीने मे धँसी जा रही थी मेरे लिए ये अलग सा ही अहसास था वैसे गिरने से मुझे पीठ और पैर मे थोड़ी चोट लगी थी पर वो दर्द ना जाने कहाँ गायब सा हो गया था

मैने देखा गोरी अपने चेहरे को मेरी बाहों मे छुपाए मेरे उपर पड़ी थी ना चाहते हुवे भी मैने अपने हाथो से उसके दोनो कुल्हो को दबा दिया गोरी की गरम साँसे मेरे चेहरे पर पड़ रही थी मुझे पता नही कैसा रोमांच सा चढ़ने लगा गोरी ने अपनी आँखे बंद की हुवी थी एक पल मे ही मेरे सारे हार्मोंस आक्टिव हो गये थे मैने धीरे से उसके कान मे कहा गोरी , पर वो कुछ ना बोली शायद उसके लिए भी ये एक नया नया सा अहसास था

आख़िर वो भी तो जवानी मे कदम रख चुकी थी मैं उसकी पीठ सहलाने लगा तो उसने अपना मूह मेरे सीने मे छुपा लिया मैने फिर से कहा गोरी उठ जाओ पर वो टाइम पता नही हमे क्या हो गया था मैने उसे लिए लिए ही पलटी खाई और अब मैं उसके उपर वो मेरे नीचे हो गयी उसके लरजते हुवे गुलाबी होंठो की मादकता मुझे बड़ी ही सुंदर लगी और उपर से निचले होठ पर एक छोटा सा काला तिल मैं तो कुर्बान ही हो गया जैसे मुझ पर खुमारी छाने लगी

बड़ा ही नाज़ुक सा लम्हा था वो मैं अपनी भावनाओ को रोकने की पूरी कोशिश कर रहा था पर मेरा दिल मेरे काबू से बाहर हो गया था गोरी की मासूमियत से मेरा अंग-अंग जैसे एक नये रंग मे रंग गया था मैं अपने होशो-हवश खोते जा रहा था और फिर मैं थोड़ा सा गोरी के उपर झुका और उसके कोमल होंठो को अपने लबो से जोड़ लिया उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ कैसा ये अहसास था जो मेरी रूह तक मे उतर गया था
ये मेरा पहला चुंबन था किसी लड़की के साथ गोरी ने अपना मूह थोड़ा सा खोल दिया तो मैने उसके निचले होठ को अपने मूह मे भर लिया और उसको चूमने लगा मेरा लॅंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था और गोरी की योनि वाली जगह पर रगड़ खा रहा था एक अजीब सी परिस्थिति बन गयी थी मेरे लिए तो जैसे समय रुक सा ही गया था बड़ा ही अलग सा एहसास था ये पर ये सब ज़्यादा देर नही चला गोरी ने मुझे धक्का दिया और अपने से दूर कर दिया

मैं बगल मे लुढ़क गया और अपनी तेज रफ़्तार से भागती हुवी सांसो को कंट्रोल करने लगा गोरी उठ कर बैठ गयी और उसकी उपर नीचे होती चूचिया भी उसकी बदहवासी का विवरण दे रही थी बाहर घनघोर बरसात हो रही थी पर अंदर कमरे मे सन्नाटा पसर गया था कुछ देर हम दोनो खामोश ही रहे जो भी कुछ पॅलो पहले जो कुछ हुवा था उसने हम दोनो को एक अलग अहसास करवा दिया था

गोरी उठी और कमरे से बाहर जाने लगी पर दरवाजे पर जाकर ठिठक गयी और उसने नज़र भर कर मेरी ओर देखा ना जाने वो कैसी कशिश थी उसकी नज़रो मे उस पल मैं तो जैसे फ़ना ही होने लगा था मैं दो कदम आगे बढ़ा और गोरी को खीचते हुवे उसे पास की दीवार से सटा दिया और एक बार फिर से अपने लबो को उसके लाबो से जोड़ दिया गोरी ने भी अपनी बाहें मेरी पीठ पर कस दी और मैं उसके शरबती होंठो से जाम पीने लगा
 
मैं उसको ऐसे चूम रहा था जैसे कि रेगिस्तान की गरम रेत पर नंगे पैर चलते हुवे किसी मुसाफिर को पानी का दरिया मिल गया हो मैं दीवानो की तरह उसके लबो, गालो और गर्दन को चूमे जा रहा था गोरी भी मेरे साथ उस अनकही भावनाओ के तूफान मे शामिल हो गयी थी कुछ मिनिट तक हमारा ये सीन चलता ही रहा फिर मैने अपने होठ हटा लिए पर उसको अपनी बाहों मे जकड़े रहा बाहर बरसती बारिश मे एक प्रेम का अंकुर फुट पड़ा था

फिर गोरी मुझसे अलग हो गयी और गॅलरी मे आकर बारिश को देखने लगी मैं भी उसके पास आकर खड़ा हो गया पर हम दोनो ही अब चुपचाप खड़े थे मुझे समझ नही आ रहा था कि बात कैसे शुरू करू आख़िर मैने चुप्पी तोड़ते हुवे कहा कि क्या हुवा तुम चुप क्यो हो तो गोरी बोली कि तुमने ऐसा क्यो किया मैने कहा मुझे नही पता बस हो गया अपने आप मैने उसकी आँखो मे देखते हुवे कहा कि गोरी प्लीज़ मुझे ग़लत ना समझना सब कुछ अपने आप ही हो गया

तो गोरी अपनी बड़ी बड़ी आँखो को गोल गोल घूमाते हुवे बोली कि ये अच्छा है किसी को भी तुम ऐसे करो और फिर कह दो कि अपने आप हो गया ऐसा तुम्हारे लंडन मे होता होगा पर यहा नही होता अगर मेरी जगह कोई और लड़की होती तो अब तक तुम्हे बता चुकी होती तो मैने कहा फिर तुमने कुछ क्यो नही कहा तो वो मैं……….मैं……..करने लगी मैने कहा गोरी एक बात कहूँ

उसने हू कहा तो मैने कहा गोरी क्या तुम मेरी दोस्त बनोगी मैं यहाँ पर बिल्कुल अकेला हूँ किसी को जानता भी नही तुम्हारे सिवा और तुम अच्छी लड़की हो तो करोगी मुझसे दोस्ती तो गोरी अपनी गर्दन हिलाते हुए बोली ना बाबा लोग कहते है ठाकूरो की ना दोस्ती अच्छी ना दुश्मनी तो मैने कहा पर मुझे तो कुछ दिन पहले ही पता चला है ना कि मैं ठाकुर हू इसमे मेरा दोष क्या तो वो बोली ठीक है मैं तुमसे दोस्ती करूँगी पर तुम माँ को मत बताना मैने कहा ठीक है

ना जाने क्यो वो मुझे क्यो अच्छी लगने लगी थी शाम हो रही थी बारिश की रफ़्तार भी काफ़ी कम हो गयी थी बस अब हल्की-हल्की फुहारे ही पड़ रही थी तो गोरी ने कहा कि काफ़ी देर हो गयी है मुझे घर जाना चाहिए मैने कहा पर तुम्हारी माँ ने कहा था कि वो आएँगी तो वो बोली बरसात अब रुक ही गयी है समझो एक काम करो तुम भी मेरे साथ घर चलो यहाँ अकेले कैसे रहोगे

हालाँकि मैं हवेली मे ही रुकना चाहता था पर ना जाने क्यो मैं उसकी बात को टाल ना सका और कहा कि ठीक है चलो तुम्हारे घर चलते है फिर हम नीचे आए मैने गेट पर एक नया ताला लगाया और हल्की हल्की फुहारो का नज़ारा लेते हुवे हम दोनो मुनीम जी के घर की ओर चल पड़े रास्ते मे वो मुझे गाँव के बारे मे बता ती जा रही थी एका-एक गोरी का साथ मुझे बड़ा ही अच्छा लगने लगा था

ऐसे ही बाते करते करते हम दोनो उसके घर पहुच गये लक्ष्मी हमे देखते ही बोली अच्छा किया जो आप लोग यहाँ आ गये बिजली का तो कोई भरोसा नही उपर से मोसम भी मेहरबान है आप आराम करो मैं कुछ देर मे भोजन की व्यवस्था करती हू मैं बैठक मे जाकर लेट गया और गोरी अपने कमरे मे चली गयी और कुछ देर बाद अपने कपड़े बदल कर आ गयी अब उसने घाघरा-चोली डाल ली थी जिसमे वो बड़ी ही प्यारी लग रही थी

मैं अपने मन मे दोनो माँ बेटियो की तुलना करने लगा दोनो ही बड़ी कॅटिली थी मैं सोचने लगा कि लक्ष्मी की चूत मिल जाए तो मुझे मज़ा ही आ जाएगा पर सवाल ये था कि लक्ष्मी मुझे चूत क्यो देगी पिछली रात भी मैं जागा था तो खाना खाते ही मुझे नींद आ गयी और सुबह जब मेरी आँख खुली तो मुझे घर मे कोई दिखाई नही दिया मैने सोचा गोरी तो स्कूल गयी होगी

पर लक्ष्मी कहाँ है मैं उसको ढूँढते हुवे घर के अंदर की तरफ चला गया तो एक दरवाजे के बाहर से मैने अंदर झाँका तो मेरे होश ही उड़ गये मेरा खुद पर काबू रखना मुश्किल हो गया मैने देखा कि लक्ष्मी लक्ष्मी कमरे मे नंगी खड़ी हुई है उसकी पीठ मेरी ओर थी जिस कारण वो मुझे नही देख पाई पर मेरी निगाह उसकी चिकनी पीठ और बड़ी सी गान्ड पर जम ही गयी थी

शायद वो कुछ देर पहले ही वो नहा कर आई होगी कुछ देर वो अपने अंगो को मसल्ति रही शायद तेल लगा रही थी फिर उसने कच्छि पहनी जब उसने अपनी टाँग उठाई तो उसकी फूली हुवी मस्त चूत देख कर मेरा लंड एक झटके मे ही खड़ा हो गया मैं क्या कहूँ उस समय क्या हालत हुवी मेरी कच्छि पह्न ने के बाद उसने घाघरा पहना हालाँकि उसी समय मुझे वहाँ से खिसक लेना चाहिए था

पर ये भी एक लालच सा ही था तो मैं खुद को वहाँ से हटा नही पाया लक्ष्मी ने बिना ब्रा पहने ही चोली पहन ली और वो अचानक से पलटी और मैं वही दरवाजे पर पकड़ा गया मैने सकपकाते हुवे कहा कि वो……………………वओूऊऊऊऊओ वो मैं आपको देखने आया था कि आप कहाँ गयी और बैठक की ओर भाग लिया थोड़ी देर बाद लक्ष्मी आई और शांत स्वर मे बोली की नाश्ता कर्लो फिर मैं खेतो की ओर जाउन्गी

मैने कहा मैं भी चालू तो वो बोली नही वकील साहब का फोन आया था थोड़ी देर मे वो हवेली पहुच जाएँगे कुछ और कागज़ी कार्यवाही करनी है उनको मैने ड्राइवर से कह दिया है वो आपको छोड़ आएगा मैने कहा उसकी ज़रूरत नही है मैं घूमते-घूमते ही निकल जाउन्गा तो लक्ष्मी बोली नही आप गाड़ी से ही जाएँगे और हाँ बिजली विभाग से भी आज लोग आएँगे तो आप देख लेना मैने कहा ठीक है फिर वो बोली और हाँ दोपहर का खाना आप इधर ही खाना तब तक मैं खेतो से वापिस आ जाउन्गा
 
फिर मुझे नाश्ता करवा कर लक्ष्मी चली गयी और कुछ देर बाद मैं भी उनके घर से बाहर निकल आया मैने ड्राइवर से कहा कि मालकिन जब आए तो तुम कह देना कि तुम ही मुझे हवेली लेकर गये थे और बाहर चल पड़ा पिछले दिनो जो बारिश हुवी थी उस से प्रकृति जैसे शृंगार कर उठी थी गाँव महक उठा था ठंडी ठंडी हवा चल रही थी पेड़ो पर कोयल कूक रही थी ऐसा वातावरण मैने तो कभी नही देखा था मैं थोड़ी दूर आगे चला तो मैने देखा कि उसी चोपाल पर कुछ लोग बैठे है तो मैं भी वही जाकर बैठ गया

मैने उन लोगो को नमस्ते किया और उनकी बात चीत मे शामिल हो गया कुछ लोगो ने कहा मुसाफिर तुम किसके मेहमान हो तो मैने राइचंद जी का नाम ले दिया मैं उनको बताना नही चाहता था कि मैं ठाकुर यूधवीर सिंग का पोता हू उनकी बातों से पता चला कि गाँव को पानी पहुचाने वाली लाइन टूट गयी है और सबको पानी के लिए नदी का सहारा लेना पड़ रहा है कई अधिकारियो के आगे गुहार लगाई पर बस आश्वासन ही मिला है कोई भी लाइन को ठीक नही कर रहा

तो मैने कहा कि पर गाँव मे पानी की टंकी तो होगी ना एमर्जेन्सी के लिए तो वो बोली कि नही टंकी भी नही है तब मुझे पता चला कि ये काफ़ी पिछड़ा हुवा गाँव है मैने कहा आप मुझे उस अधिकारी का नाम बताए जो पानी का डिपार्टमेंट संभालता है मैं आपकी समस्या को दूर करवाउन्गा तो वो लोग मेरा उपहास उड़ाते हुवे बोले मुसाफिर जब पूरे गाँव से कुछ ना हुवा तो तुम अकेले क्या कर लोगे मैने कहा एक कोशिश तो कर ही सकता हू

उनकी बातों मे मसगूल हुवा तो समय का ध्यान ही नही रहा एकाएक मुझे याद आया कि वकील साहब आ गये होंगे हवेली तो मैं वहाँ से अपने घर चल पड़ा मैं वहाँ पहुचा तो वकील के साथ वहाँ पर कुछ लोग और थे वकील ने मेरा इंट्रो उनसे करवाया तो उनमे से एक ज़िले के कलेक्टर थे और एक तहसीलदार था मैने कहा बताइए मैं आपके लिए क्या कर सकता हू

तो वकील ने कहा कि देव बाबू जब मैने डीसी साहिब को बताया कि हवेली का वारिस लॉट आया है और फिर कुछ फॉरमॅलिटीस भी करनी थी तो ये पर्सनली आपसे मिलने आए है फिर हमारी बाते होने लगी तो पता चला कि गाँव के दूसरी तरफ नाहरगढ़ की सीमा पर हमारी कोई 50 एकड़ ज़मीन है जिसपर वहाँ के ठाकुर खानदान का क़ब्ज़ा है अब तो डीसी साहब चाहते थे कि वो मामला आराम से सुलझाया जाए और ऐसी परिस्थिति ना हो जिस से की प्रशासन को प्राब्लम हो

तो मैने कहा सर आप किसी भी प्रकार की टेन्षन ना ले मैं तो अभी आया हू और मुझे अभी कुछ भी नही पता कि मेरा क्या क्या कहाँ कहाँ है एक बार मैं सबकुछ देख लूँ जान लूँ फिर आप जैसे कहेंगे वैसा ही कर लेंगे डीसी साहब मेरी बात सुनकर खुश हो गये और बोले आप से मिलकर अच्छा लगा कोई काम हो तो याद करिएगा तो मैने कहा सर आपकी मदद तो चाहिए ही चाहिए

वो बोले आप तो बस हुकम करिए मैने कहा कि सर गाँव की पानी सप्लाइ की लाइन टूटी पड़ी है और अधिकारी ठीक नही कर रहे है तो उन्होने तुरंत ही फोन मिलाया और अगले दिन तक लाइन ठीक करने का हुकम सुनाया मैने उनको धन्यवाद दिया उनके जाने के बाद मैं वकील से मुख़्तीब हुवा तो उसने फिर से मुझसे कई पेपर्स पर साइन करवाए घंटो बाद उसने कहा कि सर अब आप लीगली हवेली और सारी प्रॉपर्टी के मालिक हो गये है तो बस मैं मुस्कुरा कर रह गया

मैं वकील से बात कर ही रहा था कि तभी राइचंद जी भी आ गये उन्होने कहा कि देव बाबू सारा काम हो गया है कल शाम तक हवेली मे बिजली लग जाएगी और कुछ दिनो मे ये हवेली फिर से रहने लायक हो जाएगी राइचंद जी ने घर फोन किया और कोई आधे घंटे बाद लक्ष्मी हम सब के लिए चाइ नाश्ता ले कर आ गयी और हम कुछ और बातों पर चर्चा करने लगे

कल मुझे राइचंद जी के साथ शहर जाना था कुछ काम थे जो मेरे बिना नही हो सकते थे तो अगले दिन हम शहर चल पड़े उन्होने कहा आप को जो भी कार पसंद हो आप खरीद लीजिए मैने कहा मुझे इन सब चीज़ो की कोई आवश्यकता नही है पर वो बोले नही कार तो चाहिए ही ना और फिर कही आना जाना हो तो वो मुझे एक बड़े कार शोरुम मे ले गये और हम ने दो कार खरीदी

मैने कुछ नये कपड़े भी खरीदे और थोड़ा ज़रूरत का सामान भी लिया रात होते होते हम वापिस गाँव आ गये पूरा दिन बेहद थका देने वाला था तो आते ही मैं सीधा सो गया हवेली की सॉफ सफाई करवाई जा रही थी मैने बता दिया था कि किन दो कमरो मे रहूँगा तो उनके इंटीरियर का काम चालू था इधर राइचंद जी मुझे हर बारीकी का ज्ञान करवा रहे थे उन्होने मुझे बताया कि कितनी ज़मीन है मेरे पास और कहाँ कहाँ है मुझे तो यकीन ही नही हो रहा था कि मेरे पुरखे मेरे लिए इतना कुछ छोड़ कर गये है

गाँव की पानी की लाइन ठीक हो गयी थी और पानी की टंकी मैने मेरी तरफ से बनवा दी थी दिन ऐसे ही गुजर रहे थे अक्सर मैं गाँव की चोपाल पर चला जाता था लोगो को ये तो पता चला था कि हवेली का वारिस आया है पर उनको ये नही पता था कि मैं ही ठाकुर देव हू और मैने भी इस बात का ज़िक्र करना आवश्यक नही समझा 24 घंटे राइचंद साथ रहता तो फिर गोरी से भी नज़र दो-चार नही हुवी थी और लक्ष्मी के तो कहने ही क्या थे
 
दिन गुजर रहे थे मुझे यहाँ आए 15 दिन हो गये थे और आज हवेली का काम ख़तम हो गया था मैं अपने बाप-दादा के घर मे रहने के लिए आ गया था अब यहाँ का हाल देख कर कोई नही कह सकता था कि कुछ दिन पहले ये बस एक खंडहर का टुकड़ा था हालाँकि अभी भी कुछ हिस्सो को मरम्मत की ज़रूरत थी पर मैं अकेला ही रहने वाला था तो उस हिस्सो को वैसे ही रहने दिया था

शुरू शुरू मे मुझे अकेले रहने मे थोड़ा अजीब सा लगता था पर फिर आदत हो गयी और गाँव मे भी लोगो से जान पहचान होने लगी थी इधर मैं लक्ष्मी को चोद्ने की सोचता रहता था पर कुछ बात नही बन रही थी और फिर किस्मत आख़िर मुझ पर मेहरबान हो ही गयी एक दिन राइचंद जी जब गाँव मे किसी से मिलने जा रहे थे तो एक पागल सांड ने उनको अपने लपेटे मे ले लिया और उनको घसीट मारा

हम लोग तुरंत उनको हॉस्पिटल ले गये तो डॉक्टर ने बताया कि ये ठीक तो हो जाएँगे परंतु इनकी रीढ़ की हड्डी टूट गयी है तो इनका चलना फिरना अब पासिबल नही होगा ये खबर हम सब के लिए बड़ी ही दुखदायक थी ख़ासकर गोरी और लक्ष्मी के लिए मैने कहा डॉक्टर आप इनका बेस्ट इलाज करिए पर ये ठीक होने चाहिए तो डॉक्टर बोला बात ये है कि रीढ़ की हड्डी कई जगहों से टूटी है और रिकवरी नही हो पाएगी कुछ दिन मैं उनके साथ ही हॉस्पिटल मे रहा फिर उनको छुट्टी दिलवा कर घर ले आए

मैने राइचंद से कहा कि आप किसी भी तरह की चिंता ना करना आपका परिवार मेरा परिवार है मैं हर घड़ी आप लोगो के साथ हू वैसे भी मैं दिन मे दो बार उनके घर खाना खाने तो जाता ही था कई लोगो से बात की थी पर कोई भी हवेली की रसोई संभालने को राज़ी ना हुवा था लक्ष्मी उमर मे राइचंद जी से काफ़ी छोटी थी तो उसके जिस्म की ज़रूरते भी थी और मैं भी उसको भोगने को तैयार था पर शुरुआत नही हो पा रही थी

थोड़े दिन ऐसे ही गुजर गये खेतो मे गन्ने की फसल तैयार खड़ी थी और बागों मे आम भी तैयार ही हो गये थे पहले तो सब काम मुनीम जी संभाल लेते थे दूसरी ओर उन्होने भी खुद के खेत मे गन्ने लगाए हुवे थे हमे लोगो की ज़रूरत थी काम के लिए पर कोई भी गाँव वाला ठाकूरो के यहाँ काम नही करना चाहता था इस बात से मैं भी परेशान था तो मैने राइचंद से कहा कि ऐसे तो हमे बहुत नुकसान हो जाएगा

तो बोले मालिक मैं तो अब अपाहिज़ हो गया हूँ मैं खुद इस बात को लेकर चिंतित रहता हू अब कोई चमत्कार हो जाए तो ही आस है लक्ष्मी बोली फसल का नुकसान होगा तो हाथ तंग हो जाएगा मैने कहा आप लोग कोई भी टेन्षन ना लो मैं करूँगा कुछ ना कुछ बंदोबस्त और वहाँ से बाहर निकला ही था कि गोरी दिख गयी मैने कहा गोरी हवेली चलेगी क्या तो वो बोली बापू से पूछ कर आती हू और फिर हम मेरे घर आ गये गोरी बोली कुछ परेशान लगते हो

मैने कहा यार बात ये है कि फसल कटाई पे है और मेरे खेतो मे कोई काम नही करना चाहता है पहले तो तुम्हारे बापू बाहर से मजदूर लाकर काम करवा लेते थे पर उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद अब कॉन मदद करेगा दुगनी मज़दूरी पर भी गाँव वाले तैयार नही है मेरे खेतो मे काम करने को बस वो ही टेन्षन है गोरी गाँव वालो को बुरा भला कहने लगी और बोली ये तो है ही कामीने सदा से

मैने कहा दुगनी मज़दूरी पर भी कोई मेरे लिए काम करने को तैयार नही है समझ नही आता कि क्या करू मेरे पुरखो के किए करमो फल मुझे ही भुगतना होगा मैं उदास हो गया गोरी ने मेरा हाथ अपने हाथ मे लिया और बोली तुम दिल पे बोझ मत लो कुछ ना कुछ हाल निकल ही आएगा तभी उसने एक ऐसी बात बताई जिस से कुछ उम्मीद बँधी वो बोली एक रास्ता है पर ये नही पता कि काम आएगा या नही मैने कहा जो भी है जल्दी से बता

तो गोरी बोली की सालो पहले किसी बात से नाराज़ होकर ठाकुरों ने गाँव के महादेव मंदिर के दरवाजे को गाँव वालो के लिए बंद कर दिए थे और तब से आज तक मंदिर बंद ही पड़ा है अगर तुम मंदिर खोल दो तो क्या पता गाँव वालो के मन मे तुम्हारे लिए कुछ हमदर्दी हो जाए मैने कहा गोरी ठीक है कल ही चल कर मंदिर का दरवाजा खोल देता हू इसमे क्या है

तू मुझे कल सुबह ही वहाँ ले चलना तो वो बोली कि सुबह तो मुझे स्कूल जाना होता है मैं तुम्हे रास्ता बता देती हू तुम चले जाना वैसे मेरा मन तो है साथ चलने को पर स्कूल की छुट्टी नही कर सकती मैं मैने कहा चल कोई ना मैं ही देख लूँगा कुछ देर बाद गोरी बोली देर हो रही है मुझे घर जाना चाहिए मैं कहा कुछ देर और रुक जा तू आती है तो मेरा मन भी लगा रहता है

मैने उसका हाथ पकड़ लिया और गोरी को खीच कर अपने सीने से लगा लिया गोरी बोली तुम ऐसे ना किया करो मुझे कुछ- कुछ होता है मैने कहा मैं ऐसा क्या करता हू जो तुझे कुछ होता है वो बोली तुम जो ये शरारत करते हो तो मेरे मन के तार झनझणा जाते है मैने कहा गोरी इधर देख जैसे ही उसने अपना चेहरा उपर किया मैने उसके चाँद से मुखड़े को चूम लिया

गोरी मेरी बाहों मे और भी सिमट गयी मैं उसके लबों को चूमने लगा उसकी खुश्बुदार साँसे मेरे मूह मे घुलने लगी मेरा मन उन्माद मे डूबने लगा बड़ी ही कशिश थी उसमे जब जब मैं उसके पास होता था तो खुद को रोकना बड़ा ही मुश्किल हो जाता था तो एक लंबे चुंबन के बाद मैने कार स्टार्ट की और गोरी को उसके घर छोड़ने चला गया

मुनीम जी के घर से आते आते मुझे बड़ी देर हो गयी जब मैं वापिस आ रहा था तो मुझे खेतो के पास कोई पड़ा हुवा दिखाई दिया मैं गाड़ी से उतरा और देखा की एक ** साल का लड़का पड़ा हुआ था मैने गाड़ी से पानी की बोतल निकाली और उसके मूह पर कुछ छींटे मारे तो उसको होश आया मैने कहा कि अरे कॉन हो तुम और यहा क्यो पड़े वो कराहता हुवा बोला कि मेरा नाम नंदू है

मैने कहा ले थोड़ा सा पानी पी और बता कि यहाँ रास्ते पर क्यो पड़ा है तो उसने कहा कि शाम को जब वो अपनी बकरी चरा कर वापिस गाँव की तरफ आ रहा था तो गाँव के कुछ लोगो ने उसको बहुत मारा और उसकी बकरी भी छीन ली मैने कहा ऐसे कैसे वो तुझे मार सकते है तो उसने कहा मैं नीच जात का हू ना हमे तो हर कोई धमकाता रहता है

मैने कहा चल आजा बता तेरा घर कहाँ है मैं तुझे छोड़ देता हू वो बोला नही साहब मैं खुद चला जाउन्गा किसी को पता चला कि आपने मुझे गाड़ी मे बिठाया तो फिर से मेरी पिटाई होगी मैने कहा तू मुझे नही जानता तू चल अभी आजा मैं तुझे तेरे घर ले चलता हू तो वो घबराता सा गाड़ी मे बैठ गया मैने कहा भूख लगी है वो बोला हाँ साहब मैने कहा आजा तुझे कुछ ख़िलाता हू और उसको मैं हवेली ले आया

हवेली देखते ही वो और भी घबरा गया और बोला आप मुझे यहाँ क्यो लेकर आए है किसी ने मुझे यहाँ देख लिया तो मेरे लिए मुसीबत हो जाएगी मैने कहा क्या यार तू एक ही बात की पीप्नि बजा रहा है ये हवेली घर है मेरा और मैं ठाकुर देव हू इस हवेली का अंतिम बचा हुवा सदस्य वो बोला ठाकुर साहब आप मुझे नीच जात को अपने घर लेकर आए मैने कहा यार जहाँ से मैं आया हू वहाँ पर ये जात वात नही होती मैने उसको एक बिस्कुट का पॅकेट दिया और कहा कि ले अभी ये ही है इसे ही खाले

फिर उसको थोड़ा कुछ खिला कर मैं उसे उसके घर छोड़ने चला गया रास्ते मे नंदू ने बताया कि उसके परिवार मे बस वो और उसकी मान ही है उसके पिता का कई साल पहले ही देहांत हो गया था बाते करते करते हम लोग उसके घर आ गये घर तो क्या था बस एक टूटी-फूटी सी झोपड़ी थी नंदू को देख कर उसकी माँ बाहर आ गयी और मेरी ओर हाथ जोड़कर बोली बाबू मेरे बेटे से कोई ग़लती हुवी हो तो मैं आपसे माफी मांगती हू मैने कहा अरे पहले आप मेरी बात तो सुनिए

फिर मैने उनको पूरी बात बताई और कहा कि मैं नंदू की बकरी कल सुबह वापिस दिला दूँगा बात करते करते पता चला कि नंदू की माँ का नाम चंदा था उमर कोई 37-38 के फेर मे होगी पर जिस्म काफ़ी भरा हुआ था और एक घिसी हुवी सूती साड़ी उसके जिस्म को ढँकने मे असमर्थ थी फिर कुछ देर बात करने के बाद मैने कहा कि नंदू तू कल सुबह हवेली आ जाना तो वो सकुचाते हुवे बोला कि जी आ जाउन्गा

फिर मैं घर के लिए निकल पड़ा और सीधा बिस्तर पर गिर गया मेरी आँख तब खुली जब मुझे किसी ने जगाया मैने देखा कि एक लड़का खड़ा है मैने कहा कॉन है भाई तू तो वो बोला मालिक मैं नंदू कल रात को मिला था आपको मैने कहा अरे हां याद आया नंदू पर तू अंदर कैसे आया वो बोला मालिक दरवाजा खुला पड़ा था मैने कहा हो सकता है मैं रात को दरवाजा बंद करना भूल गया हुंगा

मैने कहा भाई तू थोड़ी देर बैठ मैं ज़रा फ्रेश होकर आता हू कोई आधे घंटे बाद मैने कहा नंदू मैं तेरी बकरी वापिस दिलवाउन्गा पर पहले तुझे मेरा एक काम करना हो गा वो बोला जी हुकम कीजिए मैने कहा मेरे साथ महादेव मंदिर चल तो वो बोला जी वो तो कई सालो से बंद है मैने कहा बंद है पर अब नही रहेगा फिर मैं मंदिर पहुच गया नंदू के साथ मंदिर बेशक पुराना था पर दिलकश था मैने कहा यार कोई बड़ा पत्थर तो ला और फिर मैने मंदिर के ताले को तोड़ कर कपाट खोल दिए

चर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्रररहर्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर करता हुआ लड़की का दरवाजा खुलता चला गया और मैं अंदर चला गया नंदू ने तो सॉफ मना कर दिया अंदर आने से अंदर काफ़ी जाले लगे थे जगह जगह कई जब गयी थी अंदर सफाई की सख़्त दरकार थी तो मैं नंदू को लेकर गाँव की चोपाल पर आया और जो बाबा वहाँ पर बैठते थे मैने उनको राम-राम की और कहा कि बाबा मैने महादेव मंदिर को खोल दिया है पर अंदर काफ़ी सफाई की दरकार है मुझे कुछ लोग चाहिए मदद के लिए मैं सबको पैसे भी दूँगा तो वो बाबा बोले पर वो मंदिर तो सालो से बंद था और तुम कैसे खोल सकते हो उसको

आस पास कुछ और लोग भी जमा हो गये थे मैने कहा बाबा मुझे हक था तो मैने खोल दिया वो बोले सच बता कॉन है तू मैने कहा मैं देव हू बाबा हवेली का अंतिम वारिस और मैं यहाँ अपने घरवालो की ग़लतियो को सुधारने आया हू चूँकि कुछ लोगो से मेरा मेलजोल हो चुका था तो वो बोले नही तुम ठाकुर नही हो सकते मैने कहाँ मैं ही हू और आज से मंदिर सबके लिए खुला है मतलब कोई जात-पात नही सभी एक समान

और हां मेरे घरवालो ने गाँव वालो के साथ जो भी किया हो मैं आप सब से हाथ जोड़कर उसके लिए माफी माँगता हू ये सारा गाँव मेरा है मेरा परिवार है आप लोग मुझे अपने परिवार के सदस्य के रूप मे अपनाए और हां हवेली के दरवाजे आप सब के लिए हमेशा खुले है आपका जब जी चाहे आप आ जाइए बाबा बोले बेटा तुमसे नाता सा जुड़ गया था पर तुम कुछ और ही निकले

मैने कहा नाता तो अब भी है बाबा मैं भी आप लोगो का ही बेटा-पोता हू मेरा परिवार तो रहा नही जो कुछ भी है ये गाँव ही है मेरे लिए आप चाहे मुझे दुतकारो या अपनाओ आपकी मर्ज़ी है फिर मैने नंदू को बुलाया और कहा कि बाबा कल गाँव के कुछ लोगो ने इसको मारा और इसकी बकरी छीन ली तो मैं चाहता हू कि इसका पशु इसे वापिस दिया जाए

मैने कहा बाबा आप बुजुर्ग है आप ही इस ग़रीब का न्याय करो तो बाबा ने नंदू से उनलोगो का नाम पूछा और उनको वही चोपाल पर बुला कर जलील किया और उसकी बकरी दिलवाई मैने कहा देव अब बस इस गाँव के लिए जिएगा आप लोगो से विनती है कि मंदिर की सॉफ सफाई कर देना ताकि वहाँ फिर से पूजा-अचना की जा सके फिर मैं नंदू के साथ उसके घर चला गया

उसकी माँ बोली मालिक आपने बड़ा अहसान किया हम पर जो हमारा पशु हमे वापिस दिला दिया मैने कहा आप मुझे शर्मिंदा ना करे दोपहर हो गयी थी मैने कहा अब मैं चलता हू मुझे खाना खाने जाना है क्या करू कोई भी हवेली मे काम करने को तैयार नही है मुझे बड़ी मुस्किल हो रही है मैने कहा क्या आप नंदू को हवेली मे काम करने देंगी मैं उसको अच्छी पगार दूँगा
 
मैने कहा ये उधर रहेगा तो मुझे भी अकेला पन महसूस नही होगा तो कुछ सोच कर चंदा ने हां करदी मैने कहा ठीक है नंदू तुम कल से आ जाना और मैं हवेली आ गया गर्मी बहुत थी तो मैं नाहया और थोड़ी देर लेट गया पता नही कब नींद आ गयी नींद आई तो अपने साथ सपना भी ले आई काफ़ी दिनो बाद ऐसी घेरी नीड आई थी और सपना भी जबरदस्त

सपने मे मैं लक्ष्मी की चूत मार रहा था आख़िर आजकल बस यही तो मेरी एक इच्छा थी और जैसे ही मेरा होने को हुआ किसी ने मुझे जगा दिया अपनी आँखे मल्ता हुवा मैं उठा तो देखा कि मेरी आँखो के सामने लक्ष्मी ही खड़ी थी उसने कहा यहाँ क्यो सोए पड़े हो तो मैने देखा कि मैं बरामदे मे पड़े तख्त पर ही सो गया था उसने कहा कि जल्दी तैयार हो जाओ आम के बाग मे चलना है

मैने नीचे देखा तो लॅंड ने निक्कर मे टॅंट बनाया हुवा था लक्षी की नज़र जब उस पर पड़ी तो एका एक उसके होंठो पर एक मुस्कान आ गयी मैने कहा क्या हुवा वो बोली कुछ नही तुम जल्दी चलो मैने कहा तुम बैठो मैं अभी आता हू और फिर थोड़ी देर बाद पैदल पैदल ही बाग की ओर चल पड़े लक्ष्मी ने अपने घाघरे को नाभि से काफ़ी नीचे बाँधा हुवा था तो उसका पुरा पेट और नाभि चिकनी कमर को देखकर मुझ पर जैसे नशा सा छाने लगा

मैं कुछ रुक सा गया और उसके मादकता से भरपूर चौड़े नितंबो को हिलते हुवे देखता रहा तभी वो पीछे को पलटी और बोली रुक क्यो गये जल्दी जल्दी चलो पर उसको कौन बताए कि जब वो ऐसे बिजलियाँ गिराते हुवे चलेगी तो फिर हम जैसो को होश कहाँ रह जाएगा और एक मेरा लंड था जो कि बैठने का नाम ले ही नही रहा था मैने निक्कर मे हाथ डाला और उसको अड्जस्ट किया थोड़ी दूर आगे जाने के बाद मैने कहा मैं पेशाब कर लूँ

वो बोली ठीक है और थोड़ा सा आगे जाके खड़ी हो गयी मैने अपनी निक्कर नीचे की और अपने तने हुवे लंड को बाहर निकाल लिया जैसे ही उसे खुली हवा लगी वो किसी साँप की भाँति फुफ्कारने लगा मैने तिरछी नज़रो से देखा कि लक्ष्मी चोर नज़रो से मेरी ओर ही देख रही है तो मैं थोड़ा सा और टेढ़ा हो गया ताकि वो अच्छे से मेरे लिंग का दीदार कर सके

फिर लंड से पेशाब की धार निकली और नीचे धरती पर गिरने लगी मैने देखा की लक्ष्मी बड़ी गहरी नज़रो से मेरे लंड को ही देखे जा रही थी फिर मैं उसके पास आया और बोला कि चलो जल्दी से फिर हम बाग मे आगये मैने आज तक ऐसा बाग नही देखा था पता नही कितनी दूर तक फैला हुवा था वो काफ़ी घने घने पेड़ थे और सभी पेड़ो पर ताज़ा आम लटक रहे थे पर मुझे उन आमो से ज़्यादा इंटेरेस्ट लक्ष्मी के आमो मे था

वो बोली ये तुम्हारा बाग है पता है कोई तुम्हारे लिए काम नही करना चाहता कोई चौकीदार नही है तो पता ही नही है कि कितनी चोरी हो रही है रोज अब तो बस जल्दी से कुछ लोग काम करने वाले मिल जाए तो किसी तरह से नुकसान रुके मैने कहा आप फिकर ना करे मैने गाँव के लोगो से बात की है कुछ लोग तो तैयार हो जाएँगे ही

हम चलते चलते थोड़ा और आगे की तरफ निकल आए लक्ष्मी बोली आम खाओगे मैने कहा खा लूँगा अगर आप खुद तोड़ कर खिलाओगी तो वो बोली पर मैं कैसे तोड़ पाउन्गी पेड़ तक तो मेरा हाथ पहुचेगा ही नही मैने कहा वो मुझे नही पता अपने हाथो से तोड़ कर खिलाओ तो खाउन्गा वो बोली तुम भी ना जाने कैसी कैसे ज़िद कर लेते हो मैने कहा और आप भी कभी ज़िद पूरी नही करती हो

कुछ देर बाद वो बोली ठीक है आज मैं तुम्हे अपने हाथो से ही आम तोड़कर खिलाउन्गी तुम एक काम करो मुझे उठा कर उपर करो क्या पता कोई आम मेरे हाथ लग ही जाए मैने कहा पर आप इतनी भारी हो मैं आपको कैसे उठा पाउन्गा तो वो बोली अरे कहाँ भारी हू मुनीम जी के खाट पकड़ने के बाद तो मैं कितनी दुबली हो गयी हू तो मैने कहा क्यो मुनीम जी क्या आपको मोटा होने की घुट्टी पिलाते थे क्या तो लक्ष्मी के गाल लाल हो गये वो बोली इस बात को तुम अभी नही समझोगे

मैने कहा मैं क्यो नही समझूंगा और फिर आप तो हो ही समझने के लिए तो लक्ष्मी बोली अच्छा छोड़ो इस बात को और मुझे उपर करो मैने कहा जी अभी करता हू वो बिल्कुल मेरे सामने खड़ी थी तो मैने उसके भारी भारी चुतड़ों पर से उसको उठाया और उपर कर दिया वो बोली थोड़ा सा और उपर उठाओ तो मैने थोड़ा सा और किया अब हुआ ये कि उसके मोटे चूतड़ मेरी नाक के सामने आ गये

वो उपर आम तोड़ने लगी उसके कूल्हे मेरे इतने पास थे कि मुझे पता नही क्या हुवा मैने अपना चेहरा उसके कुल्हो की दरार पर सटा दिया और अपने मूह से उनको दबाने लगा आगे की तरफ मेरे हाथ जो कि उसकी ठोस जाँघो पर थे मैने उसकी जाँघो को कसकर दबा दिया लक्ष्मी के मूह से एक आह निकल गयी मैने कहा क्या हुवा वो बोली कुछ नही तुम मुझे अच्छे से पकड़ना कही गिरा ना देना

मेरी नाक उसकी दरार मे घुसने को बेताब हो रही थी लक्ष्मी थोड़ा कसमसाने लगी पर मैं अपनी नाक को वहाँ पर रगड़ता रहा मुझे पता था कि उसने अंदर कच्छि तो पहनी नही है उसकी गान्ड के इतने करीब होने के एहसास से ही मैं उत्तेजित हो गया था तभी लक्ष्मी बोली कि मैं ऐसे आम नही तोड़ पा रही हू तुम मुझे पलटो और उन छोटी वाली टहनी की तरफ चलो तो मैने उसे उतारा और उधर ले जाकर फिर से उपर कर दिया

पर अबकी बार वो ऐसी उपर हुई कि उसकी चूत मेरे मूह पर थी अब मैं तो पागल ही होने वाला था मुझसे कंट्रोल नही हो रहा था उसकी चूत बिकलूल मेरे मूह पर ही थी मैने सोचा कि अभी सही मोका है इधर एक किस कर दूं तो मैने अपना मुँह उसकी योनि पर रख दिया जैसे लक्ष्मी को अपनी चूत पर मेरे होठ महसूस हुए उसके बदन मे कंपन होने लगा मैने कहा क्या करती हो आराम से खड़ी रहो ना वरना गिर जाओगी वो अजीब सी आवाज़ मे बोली कि सही तो खड़ी हू

पीछे मैं धीरे से उसके चुतड़ों को छेड़ने लगा था मैं बहुत ज़्यादा उत्तेजित हो चुका था और पता नही कैसे मैने उसकी योनि पर अपने दाँत गढ़ा दिए लक्ष्मी का बॅलेन्स बिगड़ गया और वो मुझे लिए लिए ज़मीन पर आ गिरी वो मेरे उपर थी उसका घाघरा कमर तक उठ गया था और उसकी चूत मेरे लंड पर अपना दबाव डालने लगी थी लक्ष्मी उठना चाहती थी पर मैने उसको अपनी बाहों मे दबा लिया अब वो मेरे सीने से बिकुल चिपक गयी थी

पर जल्दी ही वो अपनी स्थिति को भाँप गयी और उठ गयी उसने अपने घाघरा को सही किया मैं भी खड़ा हो गया मेरी निगाह उसके तेज़ी से उपर नीचे होते सीने पर गयी तो फिर मैं अपने होश-हवास भूल गया मैने लक्ष्मी को पेड़ के तने के सहारे लगाया और पागलो की तरह उसके काटीले होंठो को पीने लगा मैने उसको मजबूती से पकड़ लिया और उसको किस करते ही जा रहा था

मैने उस एक पल मे ही सोच लिया था कि चाहे अब कुछ भी हो जाए अब पीछे नही हटना आज लक्ष्मी की चूत मारनी ही मारनी है मैं अपना एक हाथ नीचे ले गया उसके घाघरे के नाडे को खोल दिया एक पल मे ही घाघरा उसके पैरो मे आ गिरा लक्ष्मी भी समझ गयी थी कि अब बात हद से आगे बढ़ गयी है तो उसने मुझे धक्का दिया और अपने से दूर कर दिया

और अपने घाघरे को उठा कर कमर तक चढ़ा लिया पर वो नाडा नही बाँध पाई मैं फिरसे उसके पास गया तो वो बोली देव रुक जाओ मैं उसके पास गया और बोला नही आज मैं नही रुक सकता मुझे आपकी ज़रूरत है मैं आउट ऑफ कंट्रोल हो गया था मैने उसको फिर से किस करते हुवे कहा कि प्लीज़ एक बार मुझे करने दो नही तो मैं मर जाउन्गा वो बोली पर ये ग़लत है ऐसा नही हो सकता मैं किसी और की अमानत हू मैने कहा हाँ पर आपके पति शायद आपको फिर कभी ये सुख नही दे पाएँगे

और मैने भी कई बार आपकी आँखो मे प्यास देखी है जब मैने आपको कपड़े बदलते हुवे देखा तो बड़ी मुश्किल से खुद को रोका पर आज मुझे ना रोको मैं अपना हाथ उसकी जाँघो के जोड़ पर ले गया और उसकी फूली हुवी चूत को मसल्ने लगा जैसे ही मैने उसकी चूत को मसला लक्ष्मी सिसक उठी और उसी पल मैने उसके निचले होठ को अपने होंठो मे दबा लिया उसके रसीले होंठो को मर्दन करते हुवे मैने उसकी चूत मे अपनी बीच वाली उंगली सरका दी

उसकी चूत अंदर से बहुत ही गरम थी मैं अपनी उंगली को अंदर बाहर करने लगा लक्ष्मी भी अब धीरे धीरे गरम होने लगी थी कुछ देर चूत मे उंगली करने के बाद मैं अपने हाथ उसकी पीठ पर ले गया और उसकी चोली को भी खीच कर अलग कर दिया अब वो पूरी नंगी मेरे सामने खड़ी थी मैने अपनी निक्कर नीचे की और लक्ष्मी का हाथ अपने लंड पर रख दिया उसने अपनी मुट्ठी मे मेरे लंड को पकड़ लिया और उसको दबाने लगी

आज पहली बार किसी ने मेरे लंड को छुआ था औरत का स्पर्श पाते ही वो बुरी तरह से भड़क गया कुछ देर तक लक्ष्मी ने मेरे लंड को सहालाया और फिर ज़मीन पर घुटनो के बल बैठते हुए मेरे लंड को अपने होटो मे दबा लिया मेरे लिए बिल्लकुल ही नया अहसास था ये वो अपनी जीभ मेरे लंड पर फेर रही थी मेरा पूरा बदन एक अजीब से अहसास मे डूबे जा रहा था मैने अपने हाथ उसके कंधो पर रख दिए और अब वो मेरे लंड को जोरो से चूसने लगी

बड़ा ही मज़ा आ रहा था मुझे लंड चूस्ते चूस्ते वो मेरे अंडकोषो को भी अपनी मुट्ठी मे भर के दबाने लगी थी तो मैं क्या कहूँ एक अलग ही मस्ती मेरे तन बदन मे बढ़ने लगी थी 8-10 मिनिट तक वो मेरे लंड को अपने मूह मे ही लिए रही और फिर मेरा पूरा बदन एक आनंद मे डूबता चला गया लंड से सफेद पानी निकला और लक्ष्मी के मूह मे गिरने लगा जिसे वो गाटा गॅट पी गयी

मेरे तो घुटने ही कांप गये थे लगा कि किसी ने बदन की सारी ताक़त को निचोड़ डाला हो लक्ष्मी ने अपने घाघरे से अपने फेस को सॉफ किया और फिर खड़ी होकर बोली कि अब तुम भी ऐसे ही करो अपनी चूत की ओर इशारा करते हुए और अपनी टाँगो को चौड़ा करके खड़ी हो गयी अब बारी मेरी थी मैने उसकी टाँगो के बीच बैठा और उसकी झान्टो से भरी काली चूत की पंखुड़ियो को अपने हाथो से फैला दिया और उसकी लाल लाल चूत पर अपने होठ रख दिए
 
उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ कितनी गरम चूत थी उसकी मुझे लगा कही मेरे होठ जल ना जाए उसकी चूत से कुछ खारा खारा पानी बह रहा था पर उसका टेस्ट मुझे अच्छा लगा मैने सोचा जैसे ये मेरा लंड चूस रही थी वैसे ही मुझे भी इसकी चूत को चाट कर इसको भी वैसा ही मज़ा देना चाहिए तो मैने उसकी टाँगो को थोड़ा सा और फैलाया और अपनी जीभ को उसकी मस्त चूत पर रगड़ने लगा

लक्ष्मी की टाँगे धीरे धीरे काँपने लगी और वो मेरे सर को अपनी चूत पर दबाने लगी जब बीच बीच मे मे उसकी योनि पर काट ता तो उसकी मस्त गरम आहे सुनके मेरा लंड दुबारा खड़ा होने लगा था फिर वो लरजती हुई आवाज़ मे बोली कि थोड़ी तेज़ी से अपनी जीभ चलाओ तो मैं जल्दी जल्दी अपनी जीभ उसकी योनि पर रगड़ने लगा और कोई 5 मिनिट बाद ही उसकी चूत से गाढ़ा द्रव्य निकल कर मेरे चेहरे पर गिरने लगा लक्ष्मी की साँसे बड़ी ही तेज हो गयी थी जबकि मेरा लंड दुबारा खड़ा हो गया था

थोड़ी देर बाद वो वही ज़मीन पर घोड़ी बन गयी उसका मस्त पिछवाड़ा और भी बड़ा लगने लगा था मैं उसके पीछे आया और अपने लंड को चूत पर टिका दिया लक्ष्मी ने अपने चुतड़ों को थोड़ा सा पीछे किया और मैने भी ज़ोर लगाते हुवे लंड को आगे की ओर सरका दिया जैसे ही लंड का अगला हिस्सा चूत मे घुसने लगा लक्ष्मी ने एक आह भरी और बोली थोड़ा आराम से घुआसो

पर मैं पहली बार किसी औरत की चूत मारने जा रहा था तो मैने एक तेज धक्का आगया और आधा लंड उसकी चूत मे घुस गया लक्ष्मी ने अपनी आँखे बंद कर ली मैने हाथ आगे बढ़ा कर उसकी कमर को थाम लिया और और फिर अगले शॉट मे पूरा लंड उसकी गरमा-गर्म चूत के अंदर था अब मैं धीरे धीरे धक्के लगाने लगा पर थोड़ी देर बाद अपने आप मेरी रफ़्तार बढ़ती चली गयी और लक्ष्मी मे अपनी गान्ड को बार बार हिलाते हुवे आगे पीछे कर रही थी

मुझे बड़ा ही मज़ा आने लगा था मन कर रहा था कि ज़ोर ज़ोर से लंड को आगे पीछे करू उसकी चूत मे कोई 5-7 मिनिट तक उसी पोज़िशन मे हमारी चुदाई चलती रही फिर वो उठ कर खड़ी हो गयी और सीधी खड़ी हो गयी मैं उसकी ओर देखने लगा तो उसने अपनी एक टाँग मेरी कमर पर लेपटि और लंड को चूत पर रगड़ने लगी और फिर अपनी जैसे ही मैने अपनी कमर को उचकाया लंड फिर से चूत मे घुस गया

उसकी बड़ी बड़ी चूचिया मेरे सीने मे समाने को आतुर हो रही थी फिर उसने अपने चेहरे को मेरी ओर किया और मुझे किस करने लगी बड़ा ही मज़ा आ रहा था मैं उसके मोटे चुतड़ों को दबाते हुए उसकी चूत मार रहा था हम दोनो का शरीर पसीने से भीग गया था आधे घंटे तक हम लोग एक दूसरे के जिस्मो को तोल्ते रहे फिर लक्ष्मी का शरीर कांपा और वो ढीली पड़ गयी और ठीक कुछ पलो बाद मेरा शरीर भी उस अजब से अहसास मे डूबता चला गया मेरा वीर्य उसकी चूत मे गिरने लगा

दो पल हम दोनो एक दूसरे की आँखो मे देखते रहे फिर लक्ष्मी ने अपने कपड़े उठाए और पहन ने लगी तो मैने भी अपनी निक्कर-टीशर्ट पहन ली पर अब वो मुझसे बात नही कर रही थी तो मैं उसके पास गया और कहा कि अच्छा नही लगा तुमको वो बोली तुमने मुझे खराब कर दिया मैने कहा ऐसी बात नही है आप मुझे बड़ी अच्छी लगती हो और फिर आप कितनी मस्त हो मैं खुद को रोक ही नही पाया

फिर मैने कहा आपको मेरी कसम आप सच बताना आपको अच्छा लगा या नही तो वो थोड़ा सा शरमाते हुए बोली ऐसी चुदाई तो कभी मुनीम जी ने भी नही की मेरी मैने कहा जब भी आपको ऐसी चुदाई करवानी हो आप मुझे बता देना तो वो बोली तुम बड़े शरारती और ये गुण तो तुमको विरासत मे मिले है मैं फिर से लक्ष्मी को चूमने लगा तो वो बोली काफ़ी देर हो गयी है हमे वापिस चलना चाहिए

मुझसे रुका ही नही जा रहा था रास्ते मे दो-चार बार आख़िर उसकी गान्ड को दबा ही दिया मैने वैसे भी मुझे खाना खाने तो उनके घर जाना ही था तो मैं उसके साथ ही चला गया लक्ष्मी रसोई मे चली गयी मैं मुनीम जी से बाते करने लगा मैने कहा जल्दी ही मजदूरो का इंतज़ाम हो जाएगा और फिर कुछ और बाते करने लगे थोड़ी ही देर मे खाना भी लग गया

लक्ष्मी मुझे खाना परोसते हुवे बोली कि आज तुम यही रुक जाना और हल्का सा मुस्कुरा दी मैने कहा ठीक है खाने के बाद मैं और गोरी बात करने लगे तो मैने उसको बताया कि मैने मंदिर खोल दिया है वो बोली हाँ शाम को मैं अपनी सहेली के घर गयी थी तो मैने देखा था और कुछ लोग वहाँ सफाई भी कर रहे थे मैने कहा ये तो अच्छी बात है यार गाँव वालो ने आख़िर मेरी बात मान ही ली

मैने कहा गोरी कल मैं खुद वहाँ जाके सफाई के काम मे हाथ बटाउंगा और पुजारी जी को भी कहूँगा पूजा शुरू करने को मैं बोला गोरी अगर मेरे कहने से गाँव के लोग जब मंदिर आ सकते है तो फिर खेत मे काम करने क्यो नही आएँगे वो बोली देव देखो कल क्या होता है फिर लक्ष्मी ने गोरी और मुझे दूध दिया पीने को थोड़ी देर बाद गोरी बोली मुझे नींद आ रही है मैं चली सोने को

तो मैं भी अपन बिस्तर पर लेट गया और बाग मे हुवी घटना के बारे मे सोचने लगा मुझे तो यकीन ही नही आ रहा था कि लक्ष्मी की चूत मैने मार ली थी मैं बिस्तर पर करवटें बदल रहा था पर मुझे नींद नही आ रही थी फिर मेरा ध्यान लक्ष्मी से हट कर नंदू की मान चंदा पर चला गया मैने सोचा अगर लक्ष्मी की चूत मारने मे इतना मज़ा आया तो चंदा जब चुदेगि तो कितना मज़ा आएगा

मेरा लंड फिर से फुफ्कारने लगा था तो मैने अपना ध्यान हटाने को उठा और बरामदे मे आकर पानी पीने लगा घर की लाइट बंद थी मतलब सब लोग सो रहे थे तो मैं भी वापिस बिस्तर पर आ गया और सोने की कोशिश करने लगा मुझे नींद आई ही थी कि तभी कोई आया और मेरे बिस्तर पर चढ़ गया मैने कहा कॉन है तो वो साया बोला धीरे बोलो मैं हू लक्ष्मी
और मेरी बगल मे आकर लेट गयी मैने कहा आप इस वक़्त कोई आ गया तो वो बोली सब सो रहे है मुनीम जी और गोरी को मैने दूध मे नींद की गोली दे दी है मैने कहा पर आपके पास गोली कहाँ से आई वो बोली मुनीम जी जब घायल हुए थे तो दर्द से सो नही पाते थे तब डॉक्टर ने दी थी ना उनको तो कभी कभी देती ही हू आज गोरी को भी एक गोली दे दी है अब तुम हो और मैं हू

उसने मेरी निक्कर के अंदर हाथ डाल दिया और मेरे लंड को जगाने लगी मैने कहा कपड़े तो उतार दो तो उसने जल्दी से अपने कपड़े उतार दिए और मैं भी नंगा हो गया हम दोनो एक दूसरे से लिपटने लगे मैं लक्ष्मी के बड़े बड़े चुतड़ों पर हाथ फेरता हुवा बोला आप बहुत ही मस्त हो तो वो मेरे लंड को दबाती हुवी बोली कि तुम्हारा औजार भी अच्छा है

और लंड पर अपने हाथ को चलाने लगी फिर वो बोली मेरी चूची को दबाओ तो मैं अपने हाथ से उसकी चूची दबाने लगा लक्ष्मी ने एक आह भरी उसकी बड़ी बड़ी चूची मेरे हाथ मे समा ही नही रही थी जितना ज़ोर से मैं उसको दबाता उतना ही वो और भी बड़ी होती जा रही थी फिर मैने अपना मूह उसकी चूची पर लगा दिया और उसको चूसने लगा अब चूची औरत का संवेदन शील अंग होता है तो जल्दी ही लक्ष्मी के शरीर मे वासना का कीड़ा काटने लगा

10-15 मिनिट तक चूस चूस कर मैने उसकी छातियो को लाल कर दिया मैने फिर लक्ष्मी ने मुझे अपने उपर खीच लिया और मेरे लंड को अपनी बालो से भरी हुई चूत पर रगड़ने लगी वहाँ पर रागड़ाई से मुझे गुदगुदी सी होने लगी और अच्छा भी बहुत लग रह था लक्ष्मी ने अपने पाँवो को फैलाया और मुझे कहा कि अंदर डालो तो मैं उस पर झुकता चला गया

जैसे जैसे मेरा लंड उसकी चूत मे घुसता जा रहा था मुझे लग रहा था कि मैं स्वर्ग की सैर पर जा रहा हू उसकी कसी हुई चूत मेरे लंड को दबा रही थी लक्ष्मी ने अपनी टाँगो को थोड़ा सा उपर उठा लिया और अपनी बाहें मेरी पीठ पर कस दी और मेरे चेहरे को चूमने लगी मैं भी उसे किस करने लगा वो बोली धीरे-धीरे धक्के लगाओ तो मैं आहिस्ता से लंड को चूत की सैर करवाने लगा

मैं उसके कान पर काट ते हुवे बोला कि आप सच मे बहुत मस्त हो तो वो शरमा गयी और अपनी टाँगो को मेरी कमर पर लपेट दिया मैं उसके गालो को चूमते हुए चुदाई करने लगा पूरा लंड उसकी चूत से बहते पानी से भीग गया और पच-पुच की आवाज़ हो रही थी चूत और लंड के घर्षण से लक्ष्मी बहुत ही धीमी आवाज़ मे आहे भर रही थी तभी उसने पलटी खाई और मेरे उपर आ गयी और मेरे सीने पर झुकते हुए लंड पर उपर नीचे होने लगी उसकी चूचिया मेरे चेहरे से टकराने लगी थी

तो मैने उसकी ब्लॅक निप्पल को अपने मुँह मे ले लिया और सक करने लगा तो वो और भी जोश से लंड पर अपनी गान्ड मटकाने लगी उस कमरे मे बिस्तर पर हम दोनो एक बड़ा ही मजेदार खेल खेल रहे थे अब वो बड़ी ज़ोर से लंड पर कूदे जा रही थी मुझे लगा कि कही इसकी रफ़्तार से लंड टूट ना जाए पर वो खाली मेरे मन का वहम था अब वो मेरे उपर से उतर गयी

और बोली कि मेरी टाँगे अपने कंधो पर रख कर चोदो मुझे तो मैं वैसा ही करने लगा अब उसकी चूत और भी ज़्यादा गीली हो गयी थी लंड बार बार फिसले जा रहा था पर मैं रुक नही रहा था और पूरा दम लगा कर उसकी चूत को चोदे जा रहा था मैं भी अब काफ़ी आगे आ चुका था पल पल मेरी मस्ती और भी बढ़ती ही जा रही थी मैं अब उसके उपर आकर उसको चोद्ने लगा

वो भी अपनी गान्ड को उपर कर कर के चुद रही थी उसने अपनी बाहों मे मुझे कस के जाकड़ लिया था और अपने नखुनो को मेरी पीठ पर रगडे जा रही थी हमारे होठ एक दूसरे से जुड़े हुवे थे और नीचे चूत और लंड आपस मे जुड़े हुवे थे काफ़ी देर हो गयी थी हमे एक दूसरे से घुथम घुथा होते हुवे पर कहते है ना कि अगर शुरुआत है तो अंत भी होगा लक्ष्मी ने मुझे कस के जाकड़ लिया और झड़ने लगी जैसे ही उसका हुआ मेरे लंड ने भी अपना वीर्य छोड़ दिया
 
हम दोनो अपने अपने सुख को प्राप्त हो गये थे पर मैं उसके उपर ही पड़ा रहा काफ़ी देर तक लंड अपने आप सिकुड कर चूत से बाहर निकल आया था तो फिर मैं लुढ़क कर उसकी बगल मे लेट गया वो मेरे सीने पर हाथ फिराते हुवे बोली कई दिनो बाद अच्छे से झड़ी हूँ सब तुम्हारी बदोलत है मैने कहा मैं आपका शुक्रेगुजार हू जो अपने मुझे अपनी चूत का मज़ा दिया

फिर थोड़ी देर बाद वो वहाँ से चली गयी और मैं सो गया सुबह मैं उठा तब तक गोरी स्कूल जा चुकी थी और मैं भी बिना बताए हवेली की तरह निकल पड़ा गेट पर ही नंदू मिल गया मैने कहा तू कब आया वो बोला मैं तो उठते ही आ गया था और आपका इंतज़ार कर रहा था मैने गेट खोला और अंदर आ गये मैने कहा यार पानी की मोटर चला दे और बगीचे मे पानी छोड़ दे

मैं नहाने चला गया फिर मैं तैयार हुवा और कहा कि नंदू पानी देना हो गया हो तो आजा मंदिर की तरफ चलते है रास्ते मे हम पुजारी के घर भी गये और उनसे थोड़ी बात चीत की फिर हम मंदिर पहुच गये तो कुछ लड़के सफाई करने मे लगे थे तो मैने कहा आजा नंदू हम भी इनकी मदद करते है पर नंदू बोला मैं नीच जात वाला मंदिर मे नही जाउन्गा

तो मैं उसे वही छोड़ कर अंदर चला गया वो लड़के मुझे देख कर बोले अरे आप यहाँ क्यो आ गये हम लोग कर लेंगे मैने कहा कोई बात नही मैं भी आप लोगो की सहयता कर देता हू और उनलोगो के साथ जुड़ गया दोपहर तक हम लोगो ने काफ़ी काम कर दिया था और थकान से मेरा बुरा हाल हो गया था और सुबह से कुछ खाया भी नही था तो मैने उन लड़को से कहा कि यार किसी का घर पास है तो थोड़ा पानी पिला दो

तो उनमे से एक लड़का बोला ठाकुर साहब आप हमारे घर का पानी पीओगे मैने कहा तुम्हारे घर का पानी क्यो नही पियुंगा जाओ थोड़ा लेके आओ तो वो भागते हुए गया और पानी का जग ले आयगा पानी हलक मे उतरा तो रूह को चैन मिला मैने कहा आप लोग भी काफ़ी थक गये है अब बाड़ी काम बाद मे देखेंगे मैने कहा गाँव मे कोई जलपान की दुकान है क्या

तो पता चला कि स्कूल के पास एक हलवाई की दुकान है मैने उन लड़कों को कहा कि आप लोग थोड़ी देर मे मुझे वही पर मिलना फिर मैं नंदू को लेकर वहाँ पहुच गया दुकान थोड़ी छोटी सी थी तो मैने सब के लिए चाइ-समोसो और कुछ मीठे का ऑर्डर दिया वो लड़के थोड़ा संकोच कर रहे थे पर फिर मेरे साथ घुल मिल गये फिर नंदू अपने घर चला गया और मैं चोपाल की तरफ बढ़ गया

बाबा वही नीम की नीचे बैठे हुक्का पी रहे थे तो मैं भी उनके पास जाकर बैठ गया उन्होने मेरा हाल चल पूछा मैने कहा बाबा बस थोड़ा सा परेशान हू वो बोले क्या हुआ मैने कहा बाबा वो ही परेशानी है लोग चाहिए काम करने को कुछ हवेली के लिए और कुछ खेतो और बाग के लिए समझ नही आता कि क्या करू वो बोले देव तुम शाम को आ जाना मैं लोगो को मनाने की कोशिश करूँगा कोई ना कोई तो मेरी बात मान ही लेगा

मैने कहा बाबा एक समस्या और है अगर कोई खाना बनाने वाली का भी इंतज़ाम हो जाता तो ठीक रहता मैं रोज मुनीम जी के घर खाना ख़ाता हू तो अच्छा नही लगता मैं उनको परेशानी नही देना चाहता वो बोले बेटा मैं देखता हू तेरे लिए क्या कर सकता हू फिर मैं कुछ देर बाबा के पास ही रहा और फिर घर आ गया करने को कुछ था नही तो अपने माँ-बाप की तस्वीरो से ही बाते करने लगा कि क्यो वो मुझे अकेला छोड़ कर चले गये

सच तो था कि मैं खुद को बहुत ही अकेला महसूस करता था मैं खुद को कोस्ता था कि आख़िर क्यो मेरा जीवन औरो की तरह नही है दिल कर रहा था कि बस रोता ही रहूं मेरा दिल बहुत भारी सा हो गया था तो मैं बाहर आ गया और लॉन मे लगे झूले पर बैठ गया पर मेरा मन उधर भी नही लगा तो मैने मैनगेट पर ताला लगाया और गाँव से बाहर चल पड़ा और घूमते घूमते नदी किनारे आ गया आज यहाँ पर कोई नही था तो एक साइड मे बैठ गया और पानी को देखने लगा


मैं अपने ख़यालो मे डूबा हुवा था कि तभी एक लड़का मेरे पास आकर खड़ा हो गया ये वोही था जिसने मुझे पानी पिलाया था वो बोला देव साहब आप यहाँ पर क्या कर रहे है मैने कहा यार पहले तो तुम मुझे अपना दोस्त ही समझो और मुझे बस देव ही कहो मैं थोड़ा सा परेशान था इसलिए इस तरफ आ निकला वो बोला मैं तो रोज ही शाम को इधर आता हू

मैने कहा तुम्हारा नाम क्या है वो बोला जी मैं ढिल्लू हू मैने कहा ढिल्लू तू पढ़ता है तो वो बोला हाँ मैं9वी मे पढ़ता हू मैने कहा तेरे घर मे कॉन कॉन है वो बोला माँ-बापू और मैं मैने कहा बापू क्या करते है बोला पहले तो मज़दूरी ही करते थे पर एक दिन छत से गिर गये तो टाँग खराब हो गयी आजकल चिलम पीकर पड़े रहते है और माँ छोटा-मोटा काम करके घर चला रही है ये बोलते बोलते वो रुआंसा हो गया

मैने कहा घबराता क्यो है पगले देख तेरे पास कम्से कम माँ बाप तो है ना मुझे देख मैं तो अनाथ हू इतना बड़ा घर है मेरा पर रहने वाला मैं एक तू जल्दी ही पढ़ लिख के नोकरी लग जाना फिर सब ठीक हो जाएगा फिर वो बोला आप परेशान क्यो हो मैने कहा यार मेरा एक आम का बाग है पर को राज़ी नही है चौकीदारी को रोज लोग आम चुरा कर ले जाते है मुझे काफ़ी नुकसान हो रहा है

बस इसी लिए थोड़ी से टेन्षन है वो बोला क्या आप मेरे बापू को चोकीदार लगा लो गे मैने कहा अगर वो काम करना चाहे तो पक्का रख लूँगा और तनख़्वाह भी औरो से ज़्यादा दूँगा तो उसकी आँखो मी चमक आ गयी वो बोला मैं कल अपने बापू को लेकर हवेली आता हू मैने कहा ठीक है फिर वो जाने को हुआ तो मैने कहा यार एक काम और है अगर कर सके तो वो बोला आप बस हुकम करो मैने कहा यार अगर कोई हवेली की रसोई को संभालने को तैयार हो तो बताना

फिर मैं चोपाल पर आ गया बाबा के कहने से कुछ लोग दुगनी मज़दूरी पर काम करने को राज़ी हो गये थे तो मैने कहा ठीक है आप लोग कल से खेतो पर आ जाना बाकी बाते वही पर करेंगे मैने कहा बाबा आपने मदद की आपका अहसान है मुझ पर , पर अभी आपकी थोड़ी और सहायता चाहिए मंदिर को फिर से पहले जैसा करना है मेरे कहने से तो लोग आना कानी करेंगे अब आप ही उधर की व्यवस्था संभाले तो बाबा बोले अगर तुम्हारी इच्छा है तो ऐसा ही होगा
 
मैने कहा बाबा जिस चीज़ की भी ज़रूरत हो आप बस आदेश करना पर ये काम जल्दीही होना चाहिए जैसे ही मैं चलने को हुवा तो बाबा बोले देव चाइ पीओगे मैने कहा बाबा आप पिलाएँगे तो ज़रूर पियुंगा तो वो बोले आओ मेरे साथ चलो तो मैं उनके साथ उनके घर आ गया बाबा ने मुझे बैठने को मुद्ढ़ा दिया और अंदर आवाज़ लगाई अरी ओ बहुरिया ज़रा दो कप चाइ तो बना मेहमान आए है घर पे

कोई दस मिनिट बाद चाइ आ गयी पर चाइ लेकर आया कॉन था ………………………. ढिल्लू मैने कहा ढिल्लू तुम यहाँ क्या कर रहे हो वो बोला देव साहब ये मेरा घर है बाबा बोले तुम जानते हो इसको मैने कहा हाँ बाबा अनजाने ही मैं उसके घर आ गया था मैने फिर बाबा को कहा कि अगर ढिल्लू के पिताजी मेरे बाग की चोकीदारी करें तो ठीक रहे बाबा बोले वो सारा दिन चिलम पीकर पड़ा रहता है वो क्या करेगा

पर अगर आपकी इच्छा है तो वो अंदर ही पड़ा होगा आप बात कर्लो तो मैने चाइ का कप रखा और अंदर चला गया ढिल्लू ने अपने बापू से मेरा परिचया करवाया और आने का मकसद बताया शुरू मे तो उसने मना किया पर फिर अच्छी तनख़्वाह की बात सुनकर मान गया हम लोग बात कर ही रहे थे कि तभी ढिल्लू की मम्मी भी आ गयी और उसके पति को काम देने के लिए मेरा शुक्रिया करने लगी

उसके बारे मे मैं आपको क्या बताऊ कितनी ही सुंदर औरत थी वो बेहद गोरी , एक दम साँचे मे ढला हुवा सुतवा शरीर जो कि ग़रीबी की मार से थोड़ा सा ढल गया था पर एक अलग ही कशिश थी उसमे मैने मन मे सोचा इस गधे को ऐसा फूल कहाँ से मिल गया पर ज़्यादा देर अपनी नज़र उस पर नही रख सकता था तभी ढिल्लू बोला मम्मी देव बाबू को हवेली की रसोई मे काम करने को कोई चाहिए आप उधर काम करने लग जाओ ना तो इनका काम भी हो जाएगा और घर की हालत भी सुधर जाएगी तो वो बोली पर मैं कैसीईईईईईईईई??? पर ढिल्लू का बापू जो मुझे थोड़ा लालची सा लगा उसने कहा मालिक ये आजाएगी हवेली मे रसोई का काम करने को कल से ही आ जाएगी

मैने कहा ठीक है मैं कल ही शहर जाके रसोई की ज़रूरत का समान खरीद लाउन्गा आप एक दो दिन मे आ जाना मैं भी खुश था कि चलो मेरी कुछ परेशानी तो दूर हुई फिर मैं उनलोगो से विदा लेकर मुनीम जी के घर चला गया और सारी बात उनको बताई तो लक्ष्मी बोली एक बार लोग आप पर थोड़ा भरोसा करने लग जाए फिर वो काम भी करने लगेंगे वो तो मुझे आज भी उधर ही रोकना चाहती थी पर मुझे सुबह जल्दी ही शहर जाना था तो मैं खाना खाते ही निकल लिया

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अगले दिन मैं जल्दी ही उठ गया और शहर जाने की तैयारी करने लगा तब तक नंदू भी आ गया था मैने उसको कहा कि मैं शाहर जा रहा हू तू मेरे आने तक इधर ही रहना घर की सफाई करना पानी भरना टंकी मे और कुछ काम दिखे तो वो भी कर देना और हाँ लखन आए तो उस से कहना कि सीधा बाग मे चला जाए और वहाँ संभाल ले फिर मैने कार स्टार्ट की और निकल पड़ा

सिटी पहुच कर मैने सबसे पहले राशन का सामान खरीदा जो भी मुझ चाहिए था कुछ देसी कुछ इंटरनॅशनल फिर मैने नंदू और ढिल्लू के लिए कुछ जोड़ी कपड़े खरीदे बॅंक गया कुछ रकम निकाली लंच भी वही पर कर लिया फिर मैं कार के शोरुम गया और कहा कि मेरी दूसरी कार की डेलिवरी अभी तक नही की है तो उन्होने बताया कि सर एक हफ्ते मे डेलिवरी हो जाएगी

मुझे तसीलदार ऑफीस भी जाना था अपनी पूरी ज़मीन की फिर से पैमाइश करवानी थी पर फिर वो काम पेडिंग ही रहने दिया अब एक दिन मे क्या क्या होता गाँव आते आते अंधेरा होने लगा था मैं तेज़ी से आगे बढ़ा चला जा रहा था पर फिर किसी को देख कर मैने ब्रेक लगा दिए और शीशा नीचे किया ये नंदू की माँ चंदा थी मैने कहा आप यहाँ इस वक़्त क्या कर रही है

किसी के खेतो मे काम करने गयी थी आते आते देर हो गयी मैने कहा अगर आप को बुरा ना लगे तो आप मेरे खेतो मे काम करने आ जाओ मैं पैसे भी दूसरो से ज़्यादा दूँगा तो वो बोली जी ठीक है मैं कल से आ जाउन्गी मैने कहा आओ बैठो मैं आपको घर छोड़ देता हू वो बोली मालिक काहे हम छोटी जात वालो को पाप लगाते हो मैं खुद चली जाउन्गी मैने कहा आप कैसी बाते करती है आप मेरे दोस्त की माँ हो आओ जल्दी और फिर मैने उनको उनके घर छोड़ा और हवेली आ गया

हॉर्न सुन कर नंदू ने गेट खोला तो मैने कार पार्क की और नंदू से कहा कि समान उतार कर अंदर रख दो मैं आता हू हाथ मूह धोके मैं फ्रेश होके आया तो देखा कि ढिल्लू है मैने कहा तुम इस टाइम यहाँ कैसे वो बोला माँ ने आपके लिए खाना और दूध भेजा है तभी नंदू बोला मालिक आपका खाना तो मुनीम जी के घर से आ गया है मैने कहा कॉन आया था तो वो बोला कि सेठानी जी आई थी
 
मैने कहा चलो कोई बात नही फिर मैने कहा नंदू तेरे लिए कुछ है और उसका पॅकेट उसको दे दिया और ढीलू का उसको मैने कहा ढिल्लू मम्मी से कहना कि कल 9 बजे तक आ जाए फिर मैने नंदू को कुछ रुपये दिए और कहा कि माँ को दे देना वो लोग खुश होते हुवे चले गये पता नही क्यो मुझे अच्छा लगा मैने गेट बंद किया और खाना खाकर सो गया अगले दिन मैने लक्ष्मी को फोन किया और कहा कि कुछ लोग खेत पर आएँगे थोड़ा सा देख लेना मैं दोपहर बाद तक आउन्गा उधर ,

वो बोली ठीक है मैं संभाल लूँगी नंदू सफाई के काम मे लगा था मैने उसको कहा कि नंदू मैं लकड़ी काटने पीछे की तरफ जा रहा हू ढिल्लू की मम्मी आए तो उसको उधर ही भेज देना वो बोला जो हुकुम मैने कुल्हाड़ी ली और पीछे की तरफ आ गया और लकड़ी काटने लगा लकड़ी की तो रोज ही ज़रूरत पड़ती रहती थी तो मैं काटने लगा काफ़ी देर तक मैं उसी काम मे बिज़ी रहा फिर मैने देखा कि ढिल्लू की मम्मी मेरी तरफ ही चली आ रही है

तो मैं पेड़ के नीचे बैठ गया और अपना पसीना पोंछने लगा वो बोली आप मालिक होकर भी ऐसे काम करते है मैने कहा मैं कोई मालिक वालिक नही हू बस आपकी तरह ही एक सामान्य इंसान हू और फिर अपना काम करने मे कैसी शरम मैने लकड़ी और कुल्हाड़ी वही पर छोड़ी और उस से कहा आओ मैं तुम्हे रसोई दिखाता हू पर रसोई की सफाई करवाना मैं भूल गया था

तो मैने नंदू को कहा कि पहले तू रसोई को चमका ताकि आज मेरे घर चूल्हा जल सके फिर मैं उस औरत को अपने कमरे मे ले आया और बैठने को कहा वो बोली मालिक मैं कैसे आपके सामने मैने कहा फिर वोही बात अगर आप ऐसा करेंगी तो मुझे बुरा लगेगा तो वो कुर्सी पर बैठ गयी मैने कहा तुम्हारा नाम क्या है तो वो बोली जी मेरा नाम पुष्पा है मैने कहा बड़ा ही सुंदर नाम है तो वो शर्मा पड़ी

मैने कहा देखो तुम्हे दो टाइम का खाना बनाना होगा बर्तन माँजने होंगे और कोई मेहमान आए तो बुलाने पर आना होगा वो बोली जी ठीक है मैने कहा अब ये भी बता दो कि तनख़्वाह कितनी लोगि तो वो बोली मालिक इतना दे देना कि गुज़ारा हो जाए मैने कहा तुम बताओ तुम कितनी लोगि फिर इसने कहा कि जी 2000 दे देना मैने कहा मैं तुमको 4000 हज़ार दूँगा पर शर्त ये है कि खाना कल की तरह ही अच्छा होना चाहिए

मैने अलमारी से पैसे निकाले और उसको दे दिए मैने कहा ये तुम्हारी तनख़्वाह अड्वान्स मे ही दे रहा हू वो बोली मालिक आपका शुक्रिया और कल जो आपने ढिल्लू को कपड़े दिए कितने महन्गे थे आप उसके पैसे काट लो मैने कहा तुम यहाँ काम करने आ रही हो तो मेरे घर की सदस्य ही हुई फिर ऐसी बात ना करना देख लो अगर रसोई ठीक हो गया हो तो एक चाइ ही पिला दो

तो वो बाहर की ओर चली गयी और मैं उसकी साड़ी से बाहर आने को बेताब गान्ड को निहारने लगा लंड मे सुरसूराहट होने लगी मैने सोचा देर सवेर इसको भी पटाना पड़ेगा थोड़ी देर बाद मैं रसोई की तरफ गया तो देखा कि वे दोनो रसोई की सफाई कर रहे है मैने कहा पुष्पा तुम क्यो कर रही हो नंदू कर लेगा तो वो बोली अब ये भी तो मेरे घर का ही काम हुआ ना मैने कहा ठीक है मैं खेतो की तरफ जा रहा हू तुम खाना बना कर रख जाना और किसी चीज़ की ज़रूरत हो तो नंदू है ही यहाँ .

कोई आधे घंटे बाद मैं खेतो पर था लक्ष्मी भी वही पर थी और किसी साहूकार से लग रहे आदमी से बात कर रही थी फिर उसने मेरा परिचय उस सेठ से करवाया तो पता चला कि वो कई साल से हमारी फसल खरीद ता आ रहा था पर इस बात कटाई मे हो रही देरी से चिंतित था मैने कहा सेठ जी आप चिंता ना करे अनाज तय तारीख पर आपकी मिल मे पहुच जाएगा तो फिर वो बोला कि ठाकुर शहाब ये आधा पैसा है आधा मैं बाद मे दे दूँगा मैने कहा जो भी हिसाब है मैने सेठ से कहा आप लक्ष्मी जी से कर ले मैं ज़रा आता हू

जिस ओर कटाई चल रही थी उस ओर जाकर मैने भी औजार लिया और फसल काटने लगा वैसे मुझे आती नही थी कटाइ पर कोशिस तो कर ही सकता था चंदा मेरे पास आई और बोली मालिक आप ये क्या कर रहे है आपके हाथो मे छाले हो जाएँगे मैने कहा मैं भी इस खेत का एक मजदूर ही हू तो मैं उनसे बाते करता हुआ कटाई करने लगा चंदा ने अपना पल्लू कमर पर बाँधा हुवा था तो उसका ब्लाउज उसकी चूचियो का भार नही उठा पा रहा था

उसकी चूचिया तो लक्ष्मी की से भी काफ़ी बड़ी थी 40 की उमर मे चंदा एक बेहद ही जबर दस्त माल थी मेरा ध्यान अब कटाई पर नही था बस उसके बोबो पर ही था चंदा भी मेरी नज़रो को भाँप गयी थी परंतु उसने अपनी चूचियो को छुपाने की ज़रा भी कोशिश नही की बल्कि बार बार मुझे अपनी हिलती चुचियाँ दिखाने लगी मेरी पॅंट मे उभार बन गया था

जिस तरफ हम लोग कटाई कर रहे थे उस तरफ बस हम दोनो ही थे उसे पता तो था ही कि मैं उसके चुचे देख लार टपका रहा हू तो उसने ये कहते हुवे कि आज गर्मी कुछ ज़्यादा है अपने ब्लाउज के उपर वाले बटन को खोल दिया तो मुझे उसकी घाटी और भी अच्छे से दिखने लगी मेरा हाल बुरा होने लगा आख़िर मैने पॅंट के उपर से अपने लंड को मसल ही दिया

फिर चंदा ने कुछ ऐसा किया कि मैं समझ गया कि एक और चूत का जुगाड़ हो ही गया वो बोली मालिक खड़े खड़े कटाई से मेरी तो कमर ही दुखने लगी है मैं बैठ कर कटाई करती हू उसने अपने साड़ी को घुटनो तक चढ़ा लिया और फिर बैठ गयी तो मेरी नज़र उसकी मोटी मोटी टाँगो पर पड़ी थी तो पूरा जबर माल थी वो फिर मुझे तड़पाने को उसने अपनी टाँगे थोड़ा सा खोल दी तो मुझे उसकी फूली हुवी चूत दिखने लगी मेरा तो गला ही सूख गया
 
चूत पर हल्के हल्के बाल थे शायद कुछ दिन पहले ही उसने बालो को काटा होगा उसने थोड़ा सा और अपनी टाँगो को खोला और मैं तो जैसे पिघल ही गया वो जान बुझ कर मुझे ये मस्त नज़ारा दिखा रही थी पर फिर मुझे आवाज़ लगाती हुवी लक्ष्मी आ गयी तो चंदा भी सही हो गयी और कटाई करने लगी लक्ष्मी बोली मुझे आपसे कुछ ज़रूरी बात करनी है आना ज़रा

तो मैने चंदा को वही पर छोड़ा और लक्ष्मी के पीछे पीछे चल पड़ा कुवे पर बने कमरे मे अब हम दोनो ही थे उसने मुझे एक पॅकेट दिया और कहा कि ये लो वो सेठ जी ये पैसे दे गये थे मैने कहा आप ही रखो मैं जब बॅंक जाउन्गा तो ले लूँगा वो बोली मैं घर जेया रही हू तुम भी चलो मैने कहा नही मैं रुकता हू इधर थोड़ा टाइम पास भी हो जाएगा

वो चलने को हुई तो मैने कहा दो मिनिट रूको और जैसे ही वो पलटी मैने उसको अपनी बाहों मे भर लिया और उसके होठोको पीने लगा पर एक छोटा सा किस ही ले पाया उसने मुझे अपने से दूर कर दिया और बोली कि क्या करते हो इधर कोई भी आ सकता है खुद का नही तो मेरा तो ख़याल करो मैने कहा पर आपसे अकेले मिलने का टाइम ही नही मिल रहा है

वो बोली एक दो दिन मे मैं हवेली आउन्गि फिर देखते है और अपनी गान्ड को कुछ ज़्यादा ही हिलाते हुवे चली गयी उसके जाने के बाद मैं भी वापिस खेतों पर आ गया शाम होने लगी थी छुट्टी का समय हो गया था तो मैं सब से थोड़ी बहुत बाते करने लगा फिर सबको पेमेंट की तो एक एक करके वो लोग अपने घर जाने लगे चंदा भी जाने की तैयारी कर रही थी पर मैं उसके साथ थोड़ा और खुलना चाहता था

तो मैं वहीं पर उस से बाते करने लग गया मैं चाहता था कि सब लोग चले जाएँ मैने कहा ज़रा कमरे मे आओ कुछ काम है तो उसने अपनी तिरछी नज़रो से मुझे देखा और मेरे पीछे पीछे आ गयी अंदर आते ही मैने उसको पकड़ लिया और उसके बड़े बड़े बोबो को दबाने लगा वो बोली आहह मालिक क्या करते हो छोड़िए मुझे मैने कहा जब तो अपनी कॅटिली जवानी दिखा दिखा कर मुझे गरम कर दिया और अब छोड़ने को कह रही हो

मैं और ज़ोर ज़ोर से उसकी चूचिया दबाने लगा चंदा एक दर्द भरी आह भरते हुवे बोली मालिक अभी छोड़ दो मुझे जाने दो घर जाकर पानी भरना है और नंदू के लिए खाना भी बनाना है मैं वादा करती हू कि फिर कभी आपको पक्का दे दूँगी मैने कहा ठीक है पर जाने से पहले अपनी इस के दर्शन तो करवाती जाओ और उसकी चूत को मसल दिया उसने अपनी साड़ी कमर तक उठाई और मुझे उसकी मस्त चूत दिखने लगी चंदा के जाने के बाद यहाँ कुछ भी नही था करने को तो मैं भी हवेली आ गया

आया तो देखा कि पुष्पा खाना बनाने मे लगी हुवी थी उसने अपनी साड़ी का पल्लू कमर पे खोसा हुवा था और आटा लगा रही थी उसकी पीठ मेरी तरफ थी उसकी मोटी गान्ड बाहर की तरफ निकली हुवी थी उफफफफफफफफ्फ़ क्या कयामत लग रही थी दिल तो किया कि अभी इसकी गान्ड मार लूँ पर वो कहते है ना कि सबर का फल मीठा होता है मैने उसको कहा की एक कप चाइ मिलेगी

तो वो पीछे को मूडी और बोली आ गये आप , आप हाथ मूह धो लीजिए मैं अभी लाती हू मैने कहा नंदू के लिए भी बना लेना वो बोली नंदू तो है नही यहाँ पर वो आम के बाग पर गया है मैने कहा वहाँ क्यो गया है तो वो बोली कि मैने सोचा कि आपके लिए आमरस बना दूं तो बस उसी लिए भेजा है मैने कहा ठीक है पर उसको तुम्हे अकेला छोड़ कर नही जाना चाहिए था

हवेली अक्सर खाली ही पड़ी रहती है वो बोली मालिक किस की इतनी हिम्मत है जो आपके घर की ओर आँख उठा कर देख सके मैने कहा पर फिर भी उसे ऐसा नही करना चाहिए था मैने कहा 2-4 दिन मे इधर भी एक फोन लगवा देता हू ताकि यहाँ से कभी भी मुझसे बात हो सके फिर मैं बाहर आ गया और वो चाइ बनाने लगी

मैने हाथ-मूह धोया और कपड़े चेंज करके बाहर बगीचे मे डाली कुर्सी पर आकर बैठ गया और कल की प्लॅनिंग करने लगा तभी पुष्पा छाई लेकर आ गयी मैने कहा तुम्हारा कप कहाँ है वो बोली जी ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, मैने कहा तुम भी तो चाइ पियो वो बोली पर मैं आपके आगे................ मैने कहा फिर वोही बात जाओ और अपना कप लेकर आओ कुछ देर बाद हम बाते करते हुवे चाइ पी रहे थे

मैने कहा तुम खाना बहुत अच्छा बनाती हो शहर के होटेल भी फैल है तुम्हारे आगे वो बोली क्या आप भी मुझे चिढ़ा रहे है मैने कहा अरे मैं सच बोल रहा हू अपनी तारीफ सुनकर वो खुश हो गयी और मुझसे थोड़ा खुलने लगी फिर वो मेरा खाना बना कर चली गयी क्योंकि उसे घर जाकर अपने परिवार के लिए भी खाना बनाना था थोड़ी देर बाद नंदू भी आ गया आम लेकर मैने कहा नंदू आगे से घर को ऐसे छोड़ कर नही जाना और अगर जाना पड़े तो मुझसे पहले बात कर लेना कुछ दिनो मे इधर फोन लगवा दूँगा

वो बोला जी हुकुम फिर उसने कहा कि हुकुम एक बात कहनी थी मैने कहा बता वो बोला अगर एक साइकल होती तो थोड़ी आसानी होती मैने कहा ले ले फिर पूछ क्यो रहा है तो वो बोला मालिक लेकर तो आप ही दोगे ना मैने कहा ठीक है अबकी बार शहर जाउन्गा तो लेता आउन्गा वो बोला हुकुम अपने गाँव मे ही एक आदमी साइकल सुधारने की दुकान चलाता है और साइकल बेचता भी है
 
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