Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी - Page 3 - SexBaba
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Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी

मैने कहा अरे वो पुरानी साइकल देगा मैं तुझे नई साइकल लाकर देता हू ना फिर नंदू बोला मैं अब जाउ मैने कहा ठीक है उसके जाने के बाद मैने डिन्नर किया थोड़ी देर अपनी घरवालो की तस्वीरो को देखता रहा और फिर सो गया एक नये कल की उम्मीद मे …………………………………………………………………. ………………………. ……………………………… ………



अगली सुबह मैं थोड़ी जल्दी ही बाग की तरफ निकल गया लखन मुझे वही पर मिला मैने कहा हम भाई सब ठीक चल रहा है वो बोला मालिक आपकी दया है बस मैने कहा और बताओ तो वो बोला मालिक बात ये है कि बाग बहुत बड़ा है

और एक आदमी के बस की नही है रखवाली करनी 3-4 लोग चाहिए मैने कहा यार मैं तेरी बात समझता हू जल्दी ही करता हू कुछ वो बोला दो लोगो को तो मैं राज़ी कर लूँगा आने को मैने कहा वाह ये बढ़िया बात कही तूने वो बोला पर थोड़ी सी परेशानी है एक थोड़ा दारूबाज है मैने कहा बस अपना काम ठीक से करे फिर चाहे दारू पिए या जहर मुझे कोई मतलब नही

फिर वो बोला पीछे की तरफ तारबंदी करवानी है मैने कहा करवाले तुझे जो करना है काम होने के बाद बता दियो कितना खर्चा आया है फिर मैं घर आया तो देखा कि ना नंदू आया था और ना पुष्पा कुछ देर इंतज़ार किया पर कोई भी नही आया तो फिर मैं शहर के लिए निकल गया


शहर मे ऐसा उलझा कि बस फिर टाइम का पता ही नही चला आधा दिन तो तहसीलदार के ऑफीस मे लग गया कुछ पुराने नक्शे देखे और कहा कि जल्दी से मेरी पूरी ज़मीन की पैमाइश कर्वाओ फिर फोन के कनेक्षन के लिए अप्लाइ किया मैने सोचा इधर के जो भी काम है आज पूरे ख़तम करके ही घर जाउन्गा ताकि फिर कई दिन चक्कर लगाने की नोबत ही ना आए आते आते रात हो गयी थी तो बस मैं सो ही गया सुबह जब मैं उठा तो बारिश हो रही थी

बिजली थी नही मैं फ्रेश होकर आया मुझे चाइ के बड़ी तलब लगी थी पर जब पुष्पा आए तब चाइ बने पता नही क्यो मेरा मन हुवा बारिश मे भीगने को तो मैं गेट के पास आ गया और भीगने लगा ठंडी ठंडी बूंदे जब मेरे जिस्म पर पड़ रही थी तो बड़ा ही अच्छा लग रहा था मुझे दिल ऐसा खुश हुआ कि दिल फिर किया ही नही अंदर जाने को

तभी छतरी लिए पुष्पा आ गयी काले घाघरा-चोली मे क्या मस्त लग रही थी वो घाघरा उसकी जाँघो पर बिल्कुल चिपका हुवा था जिस से वी शेव मुझे सॉफ दिख रही थी वो बोली मालिक आप भीग क्यो रहे हो कही बीमार ना हो जाना मैने कहा दिल किया तो भीगने लगा तुम जाओ और जल्दी से चाइ बनाओ बड़ी तलब लगी है वो अंदर जाने लगी और एक बार मेरी नज़र उसके चुतड़ों पर ठहर गयी

ये जवानी भी एक अलग ही होती है और फिर मेरे मूह तो खून लग चुका था लक्ष्मी की लेने के बाद से मैं और भी ज़्यादा तप रहा था मुझे ज़रूरत थी एक चूत की जो मुझे ठंडा कर सके दिल तो किया कि मुट्ठी मार के हल्का हो जाउ पर फिर सोचा कि अब तो बस चूत ही मारनी है बारिश अब थोड़ी और तेज होने लगी थी तो मुझे और भी मज़ा आने लगा था

तभी पुष्पा अहाते से चिल्लाते हुवे बोली कि चाइ तैयार है आप आ जाइए पर मेरा मूड आज थोड़ा सा अलग था मैने कहा बगीचे मे ले आओ उधर ही पीऊंगा और मैं बगीचे की तरफ चल पड़ा और मेरे पीछे पीछे वो भी एक हाथ मे छतरी पकड़े और दूसरे मे कप और केतली बड़ी ही मुश्किल से संभाले हुए मेरी तरफ आने लगी मुझसे बस दो कदम ही दूर थी कि तभी उसका पैर गीली मिट्टी पर फिसला और छतरी और केतली उसके हाथो से छूट गयी

मैं जल्दी से उसकी ओर भागा और गिरने से पहले ही उसे अपनी बाहों मे थाम लिया इस कोशिश मे मेरा एक हाथ उसकी गान्ड पर आ गया और दूसरे मे उसकी चूची आ गयी उसका सारा वजन मेरी टाँग पर आ गया था मैने भी मोके का पूरा फ़ायदा उठाते हुवे उसके चूची को कसकर दबा दिया तो उसके मूह से सीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई की आवाज़ निकल गयी दो पल हम उसी पोज़िशन मे रहे फिर वो बोली मुझे खड़ा कीजिए मैं भीग रही हू तो मैने उसको खड़ा किया मैने जल्दी से छतरी उठा कर उसको दी इस बीच वो भी काफ़ी हद तक भीग गयी थी

वो थोड़ा सा घबराते हुवे बोली मालिक ग़लती हो गयी मैं अभी दूसरी छाई बना देती हूँ आगे से मैं ध्यान रखूँगी कि ऐसी ग़लती दुबारा ना हो गी मेरी नज़र तो उसके ब्लाउज मे से होते हुवे उसकी चूचियो की घाटी पर थी तो पता ही नही चला कि उसने क्या कहा फिर जब दुबारा उसने मुझे कहा तो मैने हड़बड़ाते हुवे कहा कि वो छोड़ो पहले बताओ तुम्हे कही चोट तो नही लगी ना तो वो बोली नही

फिर हम अंदर आ गये मैने कहा पहले तुम अपने कपड़ो को सूखा लो फिर दुबारा से चाइ बना लेना मैं भी तब तक कपड़े चेंज करके आता हू फिर जब मैं रसोई मे गया तो वो गॅस के पास खड़ी चाइ बना रही थी मैं बिस्कटो का डिब्बा उतारने के बहाने से उसके पिछवाड़े से बिल्कुल सट गया और थोड़ा सा आगे होते हुवे अपने लंड को उसकी गान्ड से सटा दिया

इस तरह से वो स्लॅब की पट्टी और मेरे बीच मे आ गयी मैने बस खाली निक्कर ही डाली हुवी थी तो लंड भी थोड़ा सा आज़ाद फील कर रहा था तो वो उसकी गान्ड की दरार पर रगड़ खाने लगा मुझे भी डिब्बा उतारने की कोई जल्दी नही थी पर हटना भी तो था फिर मैं वही उसके पास खड़ा हो गया और उस से बाते करने लगा उसने कहा कि मैं कल आई तो बड़े गेट पर ताला लगा था

मैने काफ़ी देर आपका इंतज़ार किया फिर शाम को भी ताला ही था तो काफ़ी राह देखने के बाद मैं वापिस चली गयी मैने कहा नंदू मिला वो बोली नही वो भी पिछले तीन दिन से नही दिखा है मैने कहा आज जाता हू उसके घर पर पता करता हू तो वो बोली मालिक बुरा ना माने तो एक बात कहूँ मैने कहा बोलो तो वो बोली कि आप इन नीच जात वालो को कुछ ज़्यादा ही मूह लगाते है

अब तो गाँव मे भी लोग यही चर्चा करते है कि एक नीच जात वाले के ज़िम्मे पूरी हवेली खुली छोड़ कर चले जाते है मैने कहा मुझे कोई फरक नही पड़ता कि लोग क्या कहते है और फिर वो भी तो एक इंसान ही है ना और फिर वो हर काम पूरी ज़िम्मेदारी से करता है पुष्पा बोली मालिक आपके विचार बड़े ठाकूरो से बिल्कुल अलग है मैने कहा तुम भी तो और गाँव वालो से बहुत अलग हो

वो बोली क्या आप भी मुझसे मसखरी कर रहे हो मैने कहा मैं तो सच बोल रहा हू तुम देखो कितनी सुंदर हो तुम्हे देखते ही लगता है जैसे ही कोई खिला हुआ गुलाब हो तो पुष्पा बुरी तरह से शरमा गयी उसके गोरे गालो पर लाली छा गयी वो बोली मैं कहाँ इतनी सुंदर हू आप तो ख़ामाखाँ मे ही इतनी तारीफ़ कर रहे है मैने उसको अपने साथ लिया और मेरे कमरे मे शीशे के सामने लाकर खड़ी कर दिया
 
मैने कहा ज़रा गोर से देखो आईना और फिर वो बताओ जो मैने कहा जब तुम बिना मेकप के इतनी सुंदर हो तो जब तुम शृंगार करोगी तो कितनी सुंदर दिखोगी पुष्पा अपनी तारीफ़ सुनकर बड़ी खुश हो गयी और मुझ से थोड़ा और खुल गयी मैने कहा तुम ऐसे ही हँसती रहा करो अच्छी लगती हो उसने कहा मैं खाना बना देती हू फिर मैं शाम को आ जाउन्गी

मैने कहा जाते टाइम गेट की दूसरी चाबी ले जाना ताकि अगर मैं बाहर होउँ तो तुम घर मे आ सको वो बोली मालिक आप अन्जान लोगों पर कुछ जल्दी ही भरोसा कर लेते है मैने कहा तुम कोई अजनबी थोड़ी ही हो तो वो बोली भरोसे के लिए शुक्रिया वो रसोई मे चली गयी मैने लक्ष्मी को फोन किया तो वो बोली कि आज तो बारिश हो रही है तो वो घर पे ही है मैने कहा हवेली आ जाओ तुम्हारी बड़ी याद आ रही है

तो वो बोली कि आज गोरी भी घर पर ही है और बारिश है तो कुछ बहाना भी नही बना सकती और ऐसे ही आउन्गि तो कही मुनीम जी शक़ ना कर लें मैने कहा तुम्हारी मर्ज़ी है जब तक तडपाओगी तड़पना पड़ेगा फिर थोड़ी बातें कर फोन काट दिया पुष्पा की वजह से लंड बार बार खड़ा हो रहा था पर मैं उस से डाइरेक्ट तो कह भी नही सकता था कि चूत दे दे


तो मैं टाइम पास करने को उपर चला गया इधर के पोर्षन की अभी सफाई नही करवाई थी सब कुछ पहले जैसा ही पड़ा था बाल्कनी मे बारिश की कुछ कुछ बूंदे आ रही थी तो अच्छा लगने लगा यहाँ से काफ़ी दूर तक का नज़ारा दिखाई देता था जहाँ तक नज़र जाती बस चारो तरफ हरियाली ही हरियाली प्रकृति के इतने करीब मैने पहले खुद को नही पाया था

पता नही कितनी देर तक मैं वही पर बैठा रहा फिर मुझे ढूँढते ढूँढते पुष्पा भी उपर आ गयी और बोली मालिक आप यहाँ क्यो बैठे है सब कही ढूँढकर यहाँ आई हू मैने कहा कुछ नही थोड़ा सा दिल उदास सा हो रहा था तो एकांत मे आकर बैठ गया मैने कहा पुष्पा अकेला रहता हूँ इस घर मे तो खाली घर काटने को दौड़ता है दिल भी नही लगता

पर घर है तो रहना ही पड़ता है ना कोई सन्गि-साथी है मेरा कोई भी नही है तो वो बोली मालिक आप खुद को अकेला ना समझे हम लोग है ना आपके साथ मैने कहा वो तो है पर फिर भी जीना तो मुझे इसी अकेलेपन के साथ ही है ना और और उठकर बाल्कनी मे खड़ा हो गया पुष्पा बोली आप खुद को कभी भी अकेला ना समझना और वो भी मेरे पास आकर खड़ी हो गयी

कुछ देर तक चुप्पी रही फिर मैने कहा अगर मैं तुमसे कुछ कहूँ तो बुरा तो नही मनोगी वो बोली मेरी क्या मज़ाल जो आपकी बात का बुरा मानू आप कहिए जो कहना है मैने कहा पुष्पा वो बात ऐसी है कि कि…………………. वो बोली अब कहिए भी तो मैने कहा कि क्या तुम मुझसे दोस्ती करोगी ये सुनते ही उसके चेहरे का रंग उड़ गया और वो बोली मालिक ये आप क्या कह रहे है

मैने कहा वही जो तुमने सुना , तो वो बोली पर मालिक मैं आपसे दोस्ती कैसे कर सकती हू मैं शादी शुदा हू और फिर आपमे और मुझमे ज़मीन आसमान का फरक है आप ऐसा कैसे सोच सकते है और वैसे भी गाँवो मे ये दोस्ती वोस्ती कहाँ चलती है ये तो शहरो के चोंचले है मैने कहा देखो अभी मेरे दिल मे ख़याल आया तो बोल दिया वैसे भी मैं तुम्हे अपना समझता हू तभी तुमसे कहा

वो बोली पर मालिक मैईईईईईईई मैईईईईईईई…………………… और अपनी बात को अधूरा छोड़ दिया मैने कहा कि देखो दोस्ती मे कोई शर्त नही होती है और फिर दुनिया के आगे नही तो कम्से कम हवेली मे तो तुम मेरी दोस्त बन ही सकती हो ना वैसे कोई ज़बरदस्ती तो है नही तुम्हे अच्छा लगे तो हाँ कर देना मैं तुम्हारे जवाब का इंतज़ार करूँगा फिर हमारे दरमियाँ खामोशी छा गयी
 
थोड़ी देर बाद उसने कहा कि खाना ठंडा हो रहा है आप खा लो और नीचे चल गयी फिर मैं भी उसके पीछे पीछे नीचे आ गया फिर मैने खामोशी से खाना खाया पर पुष्पा कुछ बात नही कर रही थी तो मैने पूछा नाराज़ हो क्या वो बोली आपसे नाराज़ होकर कहा जाउन्गी मैने कहा फिर बात क्यो नही कर रही वो बोली कर तो रही हू मैने कहा देखो तुम इस बात की टेन्षन ना लो अगर तुम्हारे दिल मे हाँ हो तो हाँ कह दो और ना तो ना कह देना सिंपल सी बात है

कोई एक घंटे बाद उसने अपना सारा काम समेट दिया और बोली मैं जाती हू शाम को आउन्गि मैने कहा मोसम वैसे ही खराब है तो तुम कल ही आना वो बोली पर खाना मैने कहा जो बचा है वो ही खा लूँगा तुम उसकी चिंता ना करो और कल मैं तुम्हारा इंतज़ार करूँगा और तुम्हारे जवाब का भी मैने गेंद उसके पाले मे डाल दी थी

पुष्पा बोली पर मैं आजाउन्गी ना गरम खाना बनाने को मैने कहा कोई बात नही और वैसे भी शाम को मुझे कही जाना है इस लिए बोला फिर वो चली गयी और मैं रह गया वही पर अपने अकेले पन के साथ शाम होते होते बरसात भी थम चली थी मैने सोचा कि थोडा घूम भी आउन्गा और नंदू से पूछ आता हू कि वो आ क्यो नही रहा तो मैं पैदल ही चल पड़ा उसके घर की ओर

पैदल था और फिर कच्चा रास्ता भी बारिश से खराब हो गया था तो जब मैं नंदू के घर पहुचा तो अंधेरा हो गया था मैने किवाड़ खड़काया तो चंदा ने किवाड़ खोला और मुझे देख कर एक शरारती मुस्कान बिखेरते हुवे बोली अरे हुकुम आप यहाँ इस वक़्त मैने कहा हाँ वो मैं इस तरफ कुछ काम से आया था और पिछले कुछ दिनो से नंदू भी हवेली पर नही आ रहा तो बस पूछने आ गया

और फिर मैं अंदर घुस गया मैने कहा नंदू कहाँ है तो वो बोली कि जी वो तो अपनी बहन के ससुराल गया है कुछ काम से और थोड़े दिन मे आएगा आप हम को माफ़ करदो आप को सूचना बिना दिए ही चला गया मैने कहा कोई बात नही पर वो नही है तो थोड़ी दिक्कत हो रही है तो वो बोली हुकुम कल से उसकी जगह मैं आ जाउन्गी मैने कहा कल से क्यो तुम अभी चलो मेरे साथ हवेली

वो बोली पर मैं इस टाइम कैसे चल सकती हू मैने कहा क्यो नही आ सकती और फिर जो काम खेत मे अधूरा रह गया था वो भी तो पूरा करना है ये कहते ही मैने उसको अपने आगोश मे भर लिया और उसकी छातियो को दबाने लगा तो वो बोली आ ऐसा ना कीजिए मैने कहा चल ना हवेली आज मज़े करेंगे मैं बोला तू मुझे खुश कर मैं तुझे खुश रखूँगा

वो बोली पर मैं कैसे आउ मैने कहा मैं अभी जाता हू तू थोड़ी देर बाद आ जाना कुछ सोच कर उसने कहा जी ठीक है आप चलिए मैं आती हू तो मैं वापिस हवेली आ गया फटा फट से अपना डिन्नर निपटाया और चंदा का इंतज़ार करने लगा कि तभी लक्ष्मी का फोन आया मैने कहा रात को फोन किया क्या बात है वो बोली कुछ नही बस ऐसे ही कर लिया

वो बोली खाना खाया तुमने मैने कहा हाँ बस अभी बर्तन रखे है वो बोली कल मैं मुनीम जी को लेकर डॉक्टर के यहाँ जा रही हू तो आते आते देर हो जाएगी तो मैने गोरी से कह दिया है कि वो स्कूल से आते ही हवेली चली जाए तो थोड़ा देख लेना मैने कहा ठीक है और जो भी बात हो मुझे फोन करके बताना फिर कुछ और बातों के बाद फोन कट हो गया और मैं चंदा की राह देखने लगा


कोई घंटे भर बाद आख़िर चंदा आ ही गयी मैने कहा बड़ी देर लगाई आते आते तो वो बोली क्या करूँ हुकुम बस देर हो ही गयी मुझसे अब रुका नही जा रहा था तो मैने चंदा की बाँह पकड़ी और उसे लाकर बेड पर पटक दिया और उस पर चढ़ गया वो बोली आराम से मालिक अब तो मैं आपकी ही हूँ मैने उसकी साड़ी को खोलना शुरू किया और ब्लाउज भी उतार कर फेक दिया अब वो पूरी नंगी मेरे सामने खड़ी थी उसका था था करता हुआ भरा हुवा जिस्म मेरे बदन मे गर्मी पैदा कर रहा था
 
मैने अपनी निक्कर निकाल दी कच्छा तो मैं वैसे भी नही पहनता था मेरा लंड देखते ही चंदा की आँखे चमकने लगी मैने उसका हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया चंदा उस पर दबाव डालते हुवे बोली काफ़ी गरम है मैने कहा तुझे देख कर ही हो गया है वो हँसी मैने उसकी गान्ड पर थपकी मारते हुवे कहा कितनी मस्त औरत है तू कब से चाह रहा था कि तुझे बिना कपड़ो के देखु आज मोका लगा है



वो मेरे लंड को हिलाने लगी और मैं उसकी चूचियो की घुंडीयों से खेलने लगा तो वो सी सी करने लगी क्या मस्त पहाड़ो की खड़ी छोटियो सी चूचियाँ थी उसकी जितना दबाता उतनी ही वो फूलती हुवी चली जाती मैने कहा चंदा ज़रा ज़रा झुक के तो खड़ी हो जैसे ही वो झुकी उफ्फ क्या मस्त नज़ारा था वो ऐसा हसीन नज़ारा कि क्या बताऊ मैं उसके झुकने पर उसके मोटे मोटे चूतड़ और भी खुल गये थे और भी बड़े लगने लगे थे औ उसकी जाँघो के बीच दबी हुवी उसके फूली हुवी काली काली चूत मेरा लंड किसी गुस्से वाले नाग की तरह झटके खाने लगा वो नज़ारा देख कर अब रुकना बड़ा ही मुस्किल था मैं उसके पीछे गया और अपने लंड को उसकी चूत पर सटा दिया चंदा के मूह से एक आह सी निकली मैने उसकी कमर को थामा और धक्का लगा ते हुवे लंड को आगे की ओर ठेल दिया



उसकी योनि की मुलायम फांको को चीरता हुवा लंड चूत मे घुसने लगा चंदा थोडा सा आगे को हो गयी तो मैने उसकी कमर से पकड़कर फिर से उसको अपनी ओर खीच लिया और स्रर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर करता हुवा मेरा लंड उसकी चूत मे आगे को सरकता गया वो एक आह भरते हुवे बोली कि क्या मार ही डालोगे कई दिनो बाद लंड ले रही हू थोड़ा आराम से मालिक



मैं खुद मस्ती मे डूब गया था मैने एक सिसकी लेते हुवे कहा कि बस हो ही गया और जो कुछ हिस्सा बचा था वो भी अंदर कर दिया चंदा थोड़ा सा आगे को और झुक गयी और अपनी गान्ड को और फैला दिया अब वो तो चुदाई की पूरी खिलाड़ी थी और हम ठहरे नोसखिए बस लक्ष्मी को ही रगड़ पाए थे मैने लंड को किनारे तक खीचा और फिर से झटके से अंदर घुसा दिया



तो चंदा आह भरते हुवे बोली मालिक आहिस्ता से इतना ज़ुल्म ना करो पर मुझे मज़ा आने लगा था आगे हाथ बढ़ा कर मैने उसकी ढाई ढाई किलो की चूचियो को पकड़ लिया और उसको चोदने लगा सच कहा था किसी ने कि जो मज़ा मेच्यूर औरतो की चुदाई मे है को कमसिन कलियों मे कहाँ लंड अब अच्छे से उसकी चूत मे फिट हो गया था तो मैने उसको झुकाए झुकाए ही चुदाई शुरू कर दी अब बस कमरे मे चंदा की सिसकारियो की ही आवाज़ आ रही थी
 
कितने मुलायम चूतड़ थे उसके जब जब मेरे अंडकोष उनसे टकराते तो बड़ी ही मधुर ध्वनी उत्पन्न होती थी जिसको केवल चुदाई का मारा ही समझ सकता था थोड़ी देर बाद मैने उसको सोफे पर पटका और उसकी टाँगो को उठा कर अपने कंधे पर रख लिया और फिर से धक्कम पेल शुरू हो गयी उसकी चूत के चिकने पानी से भीगा हुआ लंड तेज़ी से अंदर बाहर हो रहा था और चंदा भी अपनी गान्ड को पटाकने लगी थी



चुदाई का खुमार जोरो पर था पर मैं ज़्यादा देर तक उसकी वजनी टाँगो को थाम ना पाया तो उसके उपर आ गया और उसके रसीले होंठो को चूस्ते चूस्ते चंदा को चोदने लगा उसकी चूत इतनी ज़्यादा टाइट तो नही थी पर ठीक ही थी अपना काम निकाल रही थी मेरे हर धक्के पर उसकी मोटी मोटी चूचिया किसी शराबी की तरह झूम रही थी चंदा भी अब मेरा पूरा साथ दे रही थी



वो आह अया आआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआ
आआआउूुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुउउइईईईईईईईईईईईईईईईई
ईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई
ईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई करते हुए मेरे लंड को अपनी चूत मे ले रही थी वो बोली मालिक आप बहुत ही अच्छा चोदते है मुउउउउउउउउउउउउज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्जीईईईई तूऊऊऊऊऊऊऊ तोड़ ही डाला आपने आअहह आअहह फिर उसने अपनी टाँगे मेरी कमर पे लपेट दी



और अपनी गान्ड को उचका उचका कर चुदाई का मज़ा लेने लगी चूत से रिस्ता पानी उसके कुल्हो तक आ गया था साथ ही मेरी गोलियो को भी गीला कर चुका था चंदा की साँसे अब बेहद भारी हो गयी थी उसकी आँखे मस्ती से बार बार बंद हो रही थी और उपर से मैं दे दना दन तूफ़ानी धक्के लगाते हुए उसकी चूत चोदे जा रहा था कसम से बड़ा ही मज़ा आ रहा था



और फिर चंदा किसी छोटे बच्चे की तरह मुझसे चिपक गयी और एक तेज आवाज़ करते हुए ढीली पड़ गयी और चूत से पानी का फव्वारा बह चला बड़ा ही अच्छा सा एहसास था वो अब निढाल पड़ गयी थी पर मैं अभी भी लगा हुआ था तो थोड़ी देर बाद मैं भी अपनी सीमा पर आ गया मैने लंड को चूत से भर निकाला और उसके चेहरे पर अपने वीर्य की पिचकारियाँ छोड़ने लगा



एक के बाद एक कई पिचकारियो से उसका चेहरा लिसलिसे सफेद गाढ़े रस से नहा गया वो मेरे वीर्य को अपने हाथोसे पोंछते हुवे बोली चाइयीयियीयियी च्ीईीईईईईईईईईई क्या किया मालिक ऐसा भी कोई करता है क्या और अपना मूह धोने को बाहर चली गयी और मैं वही पर बैठ गया और अपनी उखड़ी सांसो को जोड़ने लगा कुछ देर बाद मैं भी बाहर आ गया और पेशाब करने लगा



फिर मैं अहाते पर पड़े तख्त पर ही लेट गया चंदा भी आ गयी मैने कहा यार अच्छा मज़ा करवाया तूने और तेरी गान्ड तो बड़ी ही प्यारी है जी कर रहा है यहाँ भी अपना लंड घुसा दूं वो बोली ना मालिक आपके मूसल को वहाँ नही ले पाउन्गी मैं मेरी जान लेनी है तो वैसे ही बता दो मैने कहा आज तो नही पर फिर कभी तो ले ही लूँगा मैने कहा लंड चुसेगी



वो इठलाई और उपर चढ़ि और अपने चेहरे को मेरी टाँगो पर झुका दिया और अपने होंठो से लंड की पप्पी ले ली मज़ा ही आ गया फिर उसने अपनी कातिल नज़रो से मेरी ओर देखा और आँख मारते हुवे लंड के सुपाडे को अपने मुँह मे भर लिया उसकी जीभ के स्पर्श से ही लंड मे सुरसुराहट होनी शुरू हो गयी और वो उत्तेजित अवस्था मे आने लगा



मैं अपने हाथोसे उसके चुतड़ों को सहलाने लगा था और बीच बीच मे चूत को भी दबाने लगा था चूत भी गीली होने लगी थी और मेरा लंड भी अब पूर्ण रूप से खड़ा हो गया था पर वो चूसे ही जा रही थी फिर मैने उसको अपने उपर से हटाया और उसको टेडी करके लेटा दिया इस पोज़िशन मे उसकी गान्ड मेरी तरफ हो गयी थी मैने उसकी एक टाँग को थोड़ा सा ऊपर किया और अपने लंड के गरम सुपाडे को रसीली चूत पर टिका दिया और एक धक्का लगा दिया सुपाडा चूत मे घुस गया



तभी मैने उसके बोबो को पकड़ लिया और उनको दबाते हुवे लंड को अंदर घुसाने लगा चंदा आह भरते हुवे बोली मालिक पूरे खिला दी हो और अपनी गान्ड को थोड़ा सा पीछे कर दिया अब मैं धीरे धीरे अपनी कमर को हिलाते हुवे उसकी चूत मारने लगा क्या गरम चूत थी उसकी एक बार जो लंड घुसा फिर बस मज़ा ही मज़ा चंदा बोली मालिक ऐसे ही फाड़ दो मेरी चूत को ऐसे ही करो बड़ा अच्छा लग रहा है



चंदा की मस्त बाते सुनकर मुझे भी जोश चढ़ने लगा और मैं कस कस के उसको चोदने लगा काफ़ी देर तक मैं उसको उसी पोज़िशन मे रगड़ता रहा फिर चंदा ने मुझे अपने उपर ले लिया और पूरा मज़ा करवाती अपनी चूत मुझे देने लगी आधे पोने घंटे तक अच्छे से बजाया उसको मैने कहा मेरा होने ही वाला है तो वो बोली मैं भी बस गयी हीईीईईई आप अंदर ही छोड़ना और फिर कुछ देर बात मेरा अंग अंग एक अलग से अहसास मे डूब गया और हम दोनो साथ साथ ही झड़ने लगे
 
रात काफ़ी हो गयी थी फिर पता नही कब मेरी आँख लग गयी सुबह जब मैं उठा तो देखा कि दस बज रहे थे मैने एक जमहाई ली और कच्छे कच्छे मे ही बाथरूम की ओर चल पड़ा फ्रेश होकर बस चाइ ही पी रहा था कि पुजारी जी आ गये कुछ बातें उनके साथ हुई तो पता चला कि मंदिर सोमवार तक इस कंडीशन मे हो जाएगा कि पूजा की जा सके मैने कहा जी जैसा आप ठीक समझे

मैने कहा मैं शाम तक आता हू उधर थोड़ी देर और बाते करने के बाद वो चले गये पुष्पा ने पूछा कि खाना लगा दूं मैने कहा नही अभी भूख नही है मैने कहा चंदा कहाँ है तो पता चला कि वो झाड़ू-पोछा लगा कर अपने घर चली गयी थी मैने पुष्पा से कहा कि आज तुम यही पर रहना मुझे कुछ काम से बाहर जाना है पीछे से गोरी आएगी तो उसके खाने पीने का इंतज़ाम कर देना और उसके साथ ही रहना जब तक मैं नही आता

असल मे मैने उसको बताया नही था कि मेरा क्या प्लान है आज मैं अपनी उस ज़मीन को देखने जा रहा था जिसे नाहर गढ़ वालो ने दबाया हुआ था तो मैने कार निकाली और चल पड़ा उस ओर करीब आधे घंटे बाद मैं वहाँ पर पहुच ही गया गाड़ी पार्क की और पैदल ही बढ़ चला उस ओर तो थोड़ा सा आगे जाने पर मैने देखा कि एक बहुत बड़े भू-भाग पर फार्महाउस टाइप कुछ बनाया गया था

कुछ ज़मीन खेती के लिए थी पर ज़्यादातर खाली ही पड़ी थी एक बड़ा सा दरवाजा बनाया गया था अंदर जाने के लिए परंतु वो बंद नही था मैने एधर-उधर देखा और अंदर प्रवेश कर गया अंदर एक साइड मे कुछ पेड़ लगे हुवे थे तो मैं उधर ही घूमने लगा तभी कुछ 5-6 आदमी मेरे पास आए और बोले के तू यहाँ पर क्या कर रहा है मैने कहा जी भाई मैं एक मुसाफिर हू ऐसे ही इधर आ निकला

तभी उनमे से एक आदमी जो काफ़ी हॅटा-कट्टा सा था मुझे घूरते हुवे बोला कि चल जा अभी इधर से और दुबारा इधर ना आना क्या तुझे पता नही कि ये ज़मीन ठाकुर भुजबल सिंग की मिल्कियत है , ठाकुर भुजबल सिंग ये नाम मैने पहली बार ही सुना था मैने उनसे कहा कि पर भाई लोगो मैने तो सुना था कि ये ज़मीन अर्जुनगढ़ के ठाकुर यूधवीर सिंग की है

ये सुनकर वो चारो काफ़ी देर तक हंसते रहे और फिर वो ही बोला कि तुझे भाई किसने कह दिया अर्जुनगढ़ के ठाकूरो का खानदान तो बरसो पहले ख़तम कर दिया हमारे ठाकुर साहब ने पर तू अभी इधर से निकल जा छोटे साहब का इधर आने का टाइम हो गया है और उनका स्वाभाव बड़ा ही गुस्से वाला है और ख़ासतोर से वो अज्नबियो को पसंद नही करते है तू जा खामखाँ मारा जाएगा

मैने कहा आने दो तुम्हारे साहब को अब मैं जब खुद चल कर यहाँ आया हू तो उनसे भी ज़रा मिलता ही चलूं वो बोले भाई तू है कॉन मैने कहा अरे तुम इसकी फिकर ना करो कि मैं कॉन हूँ वो कुछ सोच मे पड़ गये और वो लोग बोले कि बस तेरी भलाई इसी मे है कि तू यहाँ से चला जा अगर उन्होने तुझे यहा देख लिया तो तेरे साथ साथ हमारी शामत भी आ जाएगी

अब तू जा भी या हम धक्के दे कर तुझे यहाँ से बाहर फेक दे मैने कहा गुस्सा ना कर भाई मैं जा ही रहा हू वैसे भी मैं पंगा नही करना चाहता था क्योंकि अभी मैं उस हालत मे नही था मैं आकर अपनी कार के पास खड़ा हो गया और कुछ सोचने लगा मेरे दिमाग़ मे कुछ सवाल घूमड़ आए थे जिनका जवाब मुझे बस राइचंद जी ही दे सकते थे तो उनका इंतज़ार ही करना था


शाम होते होते मैं वापिस हवेली आ गया तो देखा कि पुष्पा मेरा ही इंतज़ार कर रही थी मैने पूछा गोरी कहाँ है तो वो बोली कि वो तो खाना खाते ही सो गयी है मैने कहा ठीक है और मैं अपने कमरे मे जाने लगा तो पुष्पा बोली मालिक आप कहे तो मैं थोड़ी देर बाग मे हो आउ , उनसे भी मिल आउन्गि थोड़ी देर और मुझे आम खाने का भी बड़ा मन हो रहा है

मैने कहा एक काम करो गोरी को उठा दो फिर सब लोग साथ ही चलते है मैं भी उधर का चक्कर लगा आउन्गा मैने तब तक अपने कपड़े चेंज कर लिए थे फिर कोई आधे घंटे बाद हम लोग निकल पड़े बाग की तरफ वहाँ पहुचते ही लखन ने हमारा स्वागत किया था मैने देखा कि तार बंदी लगभग हो ही गयी थी और एक नया कमरा भी आधा बन ही गया था

पुष्पा को देख कर लखन कुश हो गया था तो मैने उन दोनो को वहाँ पर छोड़ा और गोरी और मैं आगे की तरफ बढ़ चले उसका नाज़ुक हाथ मैने अपने हाथ मे थमा हुवा था बात करते करते हम दोनो काफ़ी दूर निकल आए थे बाग के लास्ट वाले हिस्से मे काफ़ी घने पेड़ थे तो थोड़ी ठंड सी भी थी और अंधेरा सा भी था तभी मुझे वो वाला पेड़ दिखाई दिया जहाँ मैने लक्ष्मी को चोदा था तो मेरे चेहरे पे स्माइल सी आ गयी

गोरी पूछने लगी क्या हुआ बिना बात के ही मुस्कुरा रहे हो मैने कहा कि बस ऐसे ही अब उसको क्या बता ता कि इधर ही उसकी माँ चुदि थी मुझसे फिर हम थोड़ा और आगे चले तो बाग ख़तम ही हो गया और अब हम नदी किनारे पर आ गये थे बस ठंडी हवा चल रही थी तो एक जगह देख कर मैं और गोरी बैठ गये मैने कहा गोरी क्या बात है तू तो पहले से और भी सुंदर हो गयी है

वो बोली कहाँ तुम तो ऐसे ही कह रहे हो मैने कहा अरे नही सच्ची बोल रहा हूँ तो अपनी तारीफ सुनकर वो थोड़ा सा शरमा गयी उसके गाल सुर्ख हो गये मैं थोड़ा सा उसकी ओर और सरक गया गोरी बोली आज कहाँ गये थे तुम तो मैने उसे सबकुछ बताया वो बोली तुम्हारे पास पहले से ही सबकुछ है और फिर ना जाने कितनी ज़मीन तुम्हारी लोगो ने दबा ली है अब पहले जैसा वक़्त कहाँ रहा है और फिर तुम अकेले क्या क्या करोगे तो मेरी मानो तो जाने दो उस टुकड़े को

मैने कहा गोरी परंतु वो बस ज़मीन का टुकड़ा ही नही है मेरे पुरखो की विरासत है मैं उसको कैसे किसी और को दे दूं गोरी बोली मैने किताब मे पढ़ा है कि दुनिया मे जितनी भी लड़ाइयाँ हुई है वो या तो ज़मीन पर हुवी है या फिर औरत के लिए तुम इन पचड़ो मे ना पडो और आगे अपनी ज़िंदगी का सोचो मैने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया मैने कहा जाने दे ना अब इन बातों को अपनी बाते करते है

बाते करते करते समय का कुछ पता ही नही चला हल्का हल्का सा अंधेरा हो चला था मैने कहा आजा चल वापिस चलते है जब वो खड़ी हो रही थी तो उसका पाँव थोड़ा सा लड़खडाया और वो गिरने से बचने के लिए मेरी बाहों मे समाती चली गयी गोरी की नुकीली छातियाँ मेरे सीने मे दबाव देने लगी तो मुझ पर उसके बेपनाह खूबसूरत हुस्न का नशा सा चढ़ने लगा
 
गोरी के बदन से फुट ती कशिश मुझे उसकी ओर खीचने लगी और फिर मैने आख़िर उसके रसीले लाल लाल होटो को अपने होटो से जोड़ ही लिया गोरी ने अपने निचले होठ को थोड़ा सा खोल दिया जिसे मैने अपने मूह मे दबा लिया और उसकी मिठास का अनुभव करने लगा उसने अपनी पकड़ मेरी पीठ पर और भी तेज कर दी बस फिर हमें कुछ याद ना रहा याद रहा तो उसके खुसबुदार सांसो की महक जो मेरे मूह मे घुलने लगी थी काफ़ी देर मैं उसको चूमता ही रहा फिर कही जाकर हम अलग हुवे


गोरी ने अपनी नज़रे चुराते हुवे कहा चलो देर हो रही है वापिस चलते है मैने कहा जैसी तुम्हारी मर्ज़ी फिर आते आते काफ़ी देर हो गयी जब हम उन लोगो के पास पहुचे तो पुष्पा और लखन हमारा ही इंतज़ार कर रहे थे लखन बोला मालिक किधर रह गये थे आप इस तरफ कुछ जनवरो का भी ख़तरा रहता है और अंधेरा भी हो गया है आप ऐसे अकेले ना निकला करें मैने कहा आगे से ध्यान रखूँगा फिर थोड़ी देर और बाते हुई लखन को कुछ पैसे दिए ताकि वो बचा हुआ काम भी जल्द से जल्द पूरा करवा सकें

मैने पुष्पा से कहा कि तुम यही रुकोगी या चलोगि तो वो बोली क्या मालिक आप भी घर तो जाना ही पड़ेगा ना फिर मैने कार स्टार्ट की और हम हवेली आ गये मैने गोरी से कहा कि तुम अंदर जाओ और खाने की तैयारी करो आज मैं तुम्हारे हाथ का खाना खाना चाहूँगा तुम जाओ मैं पुष्पा को घर छोड़ कर आता हू और फिर हम गाँव की ओर चल पड़े
 
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मैने हवेली के गेट पर गाड़ी रोकी और गोरी को कहा कि तुम अंदर चलो मैं पुष्पा को उसके घर छोड़ कर आता हूँ तब तक तुम खाने की व्यवस्था देख लो तो पुष्पा बोली मालिक मैं हूँ ना मैं बना दूँगी खाना , पर मैने मना करते हुए कहा कि नही आज मैं गोरी के हाथो से बना हुआ खाना ही कहूँगा , फिर गोरी हवेली मे चली गयी और मैने कार गाँव की ओर बढ़ा दी बस्ती आने से थोड़ी देर पहले ही पुष्पा ने कहा कि मालिक गाड़ी यही पर रोक दीजिए

मैने कहा पर घर तो अभी दूर है , वो कहने लगी कि अगर कोई देखेगा कि आप मुझे गाड़ी मे छोड़ने आए है तो फिर कई बाते चलेंगी मैं हूँ औरत जात आप समझ ही सकते है तो मैने गाड़ी वही पर रोक दी वो बाहर उतर गयी मैं भी उसके पीछे पीछे उतर गया वो जाने लगी तो मैने कहा ज़रा रूको, तुमने मेरे सवाल का जवाब नही दिया अभी तक

तो उसने एक बड़ी ही गहरी जालिम नज़र से मेरी ओर देखा और फिर पलट कर तेज तेज कदमोसे बस्ती की ओर बढ़ गयी और मैं रह गया वही पर कुछ देर उसको जाते देखता रहा फिर मैं भी वापिस हवेली की तरफ बढ़ गया गाड़ी पार्क की और सीधा रसोई की तरफ हो लिया पर गोरी वहाँ पर नही थी

मैने उसको फिर कमरे मे देखा पर वो वहाँ पर भी नही थी, तो मेरे दिल थोड़ा घबरा सा गया मैं उसको पुकारते हुए इधर उधर देखने लगा कि देखा वो बाथरूम की तरफ से चली आ रही थी गीले रेशमी बाल जिन्होने उसके सूट को भी आधे से ज़्यादा भिगो दिया था माथे से टपकती शबनमी बूंदे उसके चंद्रमा से चेहरे की रोनक को और भी बढ़ा रही थी

वो बोली क्यो चिल्ला रहे हो तुम, नहाने ही तो गयी थी मैने कहा वो तुम मुझे दिखी नही तो मैं थोड़ा सा घबरा गया था वो मुस्कुराते हुवे बोली इतनी फिकर क्यो करते हो आख़िर हम आपके है ही कॉन? मैने कहा ये तो पता नही कि तुम मेरी कॉन हो पर मेरी कुछ तो हो ही और मैं भी मुस्कुरा दिया मैने कहा आगे से ज़रा बता कर जाया करो मुझे फिकर है तुम्हारी

अपने गीले रेशमी बालो को तोलिये से झटकते हुवे बड़े ही प्यार से उसने मेरी ओर देखा और बोली कि तुम बस थोड़ा सा इंतज़ार करो मैं अभी फटा फट से खाना बना देती हू और रसोई की ओर जाने लगी मैं भी उसके पीछे-पीछे रसोई मे चला गया और उस से बाते करने लगा ना जाने गोरी मे कैसी कशिश थी जो मुझे बरबस ही उसकी ओर जाने को मजबूर करती रहती थी

पता ही नही चला कि कब उसके ख़यालो मे में डूब सा गया तभी उसने मेरी तंद्रा तोड़ी और बोली कहाँ खो गये मैने कहा कुछ नही इधर ही हूँ दिल तो कर रहा था कि बस उसको हमेशा ऐसे ही देखता रहूं एकटक पर फिर मैं रसोई से बाहर आ गया गोरी जब जब मेरे पास होती थी मुझे पता नही एक अलग सा ही एहसास सा होने लगता था मैं जैसे कहीं खो सा जाता था

फिर हमने साथ साथ ही डिन्नर किया तो वो बोली मैं कहाँ सोउंगी मैने कहा इतना बड़ा घर है जहा मर्ज़ी हो उधर सो जाओ वो बोली इतने बड़े घर मे बस दो ही तो कमरे खुले है और बेड तो तुम्हारे ही कमरे मे है मैने कहा तो मेरे साथ उधर ही सो जाओ , वो बोली ना बाबा ना तुम्हारा क्या भरोसा फिर से मुझे शरारत करने लगोगे मैने कहा तो फिर क्या हुवा………

वो बोली बाते ना बनाओ , मुझे बहुत नींद आ रही है और फिर सुबह स्कूल भी जाना है मैने कहा तू बेड पर ही सो जा मैं बाहर सो जाता हू तो वो तो पड़ते ही सो गयी थी पर मेरी आँखो मे नींद नही थी आज पता नही क्यो मेरा मन भटक रहा था जैसे की वो मुझे कोई संकेत देना चाहता हो, कहना चाहता हो कुछ रात आधे से ज़्यादा बीत चुकी थी

चंदा की चाँदनी चारो ओर बिखरी हुई थी हवा हल्की हल्की सी चल रही थी और एक मैं था अपने अशांत मन के साथ, जब रहा नही गया तो मैं उस कमरे मे चला गया जहाँ मेरे माँ-पिता की तस्वीरे थी एक ख़ालीपन सा मेरे अंदर कितनीही बाते थी जो मैं उनके साथ करना चाहता था पर मेरी सुन ने के लिए वो नही थे वहाँ पर , मेरा गला भर आया

आख़िर मेरे पास भी तो एक दिल था , इमोशंस थे पता ही नही चला कब मेरी सूनी आँखो से आँसू निकल कर बहने लगे माँ की तस्वीर मैने दीवार से उतारी और उसको अपनी बाहों मे लेकर मैं रोने लगा टपकते आँसू तस्वीर की धूल को भिगोने लगे फिर जब रहा नही गया तो मैं वहाँ से बाहर आ गया और कुर्सी पर बैठ गया

तभी मुझे ऐसे लगा कि जैसे हवेली मे कुछ हलचल हुई हो पर वहाँ तो बस मैं और गोरी ही थे , तो फिर ये कैसी आवाज़ थी तो मैं उस ओर चला तो मैने देखा कि कुँए की तरफ से जो दीवार टूटी हुई है उधर तीन लोग थे और अंदर की तरफ ही आ रहे थे मैने सोचा कि कॉन होंगे, चोर या फिर कोई दुश्मन

तभी मुझे गोरी का ख़याल आया और मैं अंदर की ओर भागा और जो बंदूक मुझे राइचंद जी ने दी थी उसको उठाया और बाहर आया वो लोग भी अब अंदर आ चुके थे बस कुछ ही दूरी थी वैसे मैं घबरा तो गया था पर फिर भी हिम्मत करते हुए मैने थोड़ा दिलेरी दिखाते हुवे कहा कि कॉन हो तुम लोग और इतनी हिम्मत की ठाकुर यूधवीर सिंग की हवेली मे घुस गये

वो लोग थोड़ा सा सकपका गये, तभी ना जाने कैसे मेरे हाथोसे उसी टाइम गोली चल गयी हालाँकि इस से पहले मैने ऐसा कभी नही किया था पता नही कैसे शायद घबराहट के मारे पर वो गोली उनमे से एक को लग गयी और वो वही पर गिर पड़ा और उसके वो दोनो साथी तुरंत ही रफूचक्कर हो लिए गोली की आवाज़ चली तो दूर तक गयी गोरी भी दौड़ते हुए बाहर आई और अपनी सांसो को संभालते हुवे बोली देव…………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………….


देव, देव तुम ठीक तो होना ये क्या हुआ कॉन है ये आदमी बताओ मैने कहा शांत हो जाओ मैं ठीक हू तीन लोग थे पर ये यहाँ पर क्यो मैने उस आदमी के चेहरे से नकाब हटाया पर अब मुझे क्या पता वो कॉन था गोरी बुरी तरह से घबरा गयी थी और मुझसे बिल्कुल चिपक कर खड़ी थी पसीना उसके माथे से बह चला था तभी हवेली के गेट पर किसी की दस्तक हुवी तो मैं उस ओर गया एक आदमी था हाथ मे लालटेन लिए हुए

मैने कहा तुम कॉन हो वो बोला साहब इधर पास मे ही मेरा खेत है मैं उधर ही सोया हुआ था तो गोली की आवाज़ सुनी तो इधर आ गया मैने कहा अंदर आओ और गेट खोला मैने कहा कुछ लोग थे पता नही कॉन थे कोई दुश्मन या चोर थे एक को धर लिया तुम देखो ज़रा कि पहचान हो पाएगी या नही और उसको उसे दिखाया पर वो भी पहचान नही पाया

राइचंद जी हॉस्पिटल मे थे और गाँव मे मेरा कोई ऐसा था नही जिसपर मैं भरोसा कर सकूँ बड़ी मुस्किल हो गयी थी मेरे लिए मैने गोरी के घर पर फोन किया और उसके नोकर से कहा कि अभी इसी वक़्त कुछ आदमियो को लेकर हवेली आ जाओ सच तो था कि मैं बेहद घबरा गया था अगर मानलो कुछ ज़्यादा लोग हमला कर देते तो कुछ भी हो सकता था

आधे घंटे भर बाद राइचंद जी के घर से कुछ लोग हवेली पर आ गये थे मैने कहा आप सभी को यहाँ की सुरक्षा करनी है बाकी सब काम बाद मे, तभी गोरी बोली पुलिस बुला लो मैने माथे पर हाथ मारा कि ये ख़याल मेरे दिमाग़ मे क्यो नही आया सुबह होते होते 5-6 जीप मे पोलीस वाले हवेली आ गये थानेदार खुद आया था तो मैने उसको पूरी बात बताई उसने मुझे पूरी सुरक्षा का वादा किया पर सवाल ये था कि कॉन थे वो लोग????????????????????????
 
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काफ़ी तहकीकात की गई पर पता नही चला कि आख़िर वो लोग कॉन थे मुझे खुद की इतनी फिकर नही थी जितनी कि उन लोगो की थी जो हवेली मे काम करने आते थे इधर महादेव मंदिर की पूजा वाला दिन भी नज़दीक आ रहा था तो मैने तय किया कि मंदिर का काम निपट जाए फिर हवेली की टूटी दीवार की भी मरम्मत करवा लूँगा पर फिर भी कुछ आदमी तो चाहिए ही थे हवेली की चोकीदारी के लिए



आख़िर मैने लक्ष्मी को फोन लगाया और कहा कि वो कब तक आएगी तो पता चला कि उन्हे आने मे कुछ दिन और लग जाएँगे तो मैं और परेशान हो गया अब करूँ तो क्या करूँ कुछ समझ ना आया तो फिर दिल को ये कहकर समझा लिया कि कोई चोर होंगे अबकी बार कुछ होगा तो देखेंगे तो फिर बस मंदिर के प्रोग्राम की तैयारियो मे जुट गया ऐसे ही सोमवार आ ही गया



मंदिर को बहुत ही अच्छे तरीके से सजाया गया था मैने अपनी तरफ से गाँव वालो के लिए भोज का आयोजन किया था एक कोशिश की थी गाँव वालो को अपना बना ने की बस देखना बाकी था कि कामयाबी मिलती है या नही तय समय पर कार्यक्रम शुरू हुआ और अच्छे से पूजा संपन्न हो गयी और फिर भोज शुरू हो गया इन सब कामो मे शाम ही हो गयी थी मेरा पूरा दिन उधर ही लग गया था



उधर ही प्रसाद ले लिया था तो फिर इतनी भूख भी नही थी तो मैं वहाँ से निकला और गाँव से बाहर की ओर चल पड़ा जब मैं थोड़ा जंगल की ओर बढ़ा तो देखा कि एक पेड़ के नीचे कुछ लोग शराब पी रहे थे मैं भी उनके पास चला गया और राम राम करके पता पूछने के बहाने से उधर ही बैठ गया और बाते करने लगा तो पता चला कि वो लोग नाहरगढ़ के थे और अक्सर नशा करने को इधर जंगल मे आते रहते थे



अब वो लोग फुल नशे मे थे और अजीब अजीब बाते कर रहे थे तभी उनमे से एक बोला यार तूने सुना क्या अर्जुनगढ़ की हवेली मे कल गोली चल गयी एक आदमी मारा गया मैने चोन्क्ते हुए कहा नही भाई मैं तो परदेसी आदमी मुझे तो नही पता कुछ तुम ही बताओ कुछ तो वो बोला कि अरे कुछ नही यार सुना है ठाकूरो का वारिस लॉट आया है तो पक्का हमारे गाँव के मालिकों ने ही हमला करवाया होगा पर गाँव मे कोई चर्चा सुनी नही


मैने कहा भाई कुछ हमें भी बताओ इस बात के बारे मे तो एक आदमी जो खुद को स्पेशल सा समझ रहा था वो बोला भाई हम तो मजदूर आदमी है हम को कुछ नही पता पर कल जब मैं अफ़ीम के खेत मे थोड़ी अफ़ीम चुराने गया था तो वहाँ के चोकीदार आ गये तो मैं मार से बचने को छुप गया तो वो लोग कुछ बात तो कर रहे थे इसी बारे मे एक जना कह रहा था रामू तुझे क्या लगता है कि उधर हमला अपने ठाकुर सहाब ने करवाया होगा



तो दूसरा बोला नही रे ऐसा नही है ठाकुर साहब तो विलायत गये है और छोटे मालिक भी नही है तो कॉन ऐसा करेगा तो दूसरा बोला कि हाँ भाई बात तो सही है फिर भाई मैं उधर से खिसक लिया बस हमे तो इतना ही पता है फिर थोड़ी देर बाद मैं भी वहाँ से उठ कर चल दिया पर अब मेरा दिमाग़ खराब और भी हो गया था क्योंकि जो मैं सोच रहा था वैसा तो कुछ नही था फिर आख़िर कॉन थे वो लोग



मैं जब हवेली पहुचा तो बाबा और तीन-चार और लोग गेट के बाहर खड़े थे मैने कहा अरे आप सब लोग यहाँ सब ठीक तो है ना तो वो बोले ठाकुर साहब हम लोग रात को इधर ही रहेंगे और चोकीदारी करेंगे मैने कहा अरे आप सब लोग क्यो कष्ट करते है तो वो बोले जब आप गाँव वालो की मदद कर सकते है तो हमारा भी कुछ फ़र्ज़ तो बनता ही है ना



तो फिर मैं अंदर गया तो देखा कि गोरी भी थी मैने कहा माफ़ करना गोरी तुम्हारे बारे मे तो मुझे ध्यान ही नही रहा था आने मे थोड़ी देर हो गयी पर तुम यहाँ क्यो चली आई बोली मुझे तो आना ही था ना वो बोली खाना खा लो मैने कहा भूख नही है और सर भी बड़ा दुख रहा है तो बस सो ही जाता हू और अपने कमरे मे चला गया और सोने की कोशिश करने लगा फिर थोड़ी देर मे गोरी भी एक कटोरी मे थोड़ा सा तेल लेकर आ गयी और बोली लाओ मैं सर की मालिश कर देती हू तो थोड़ा आराम मिलेगा



सचमुच उसके हाथो मे जादू ही था पल भर मे ही मेरा दर्द गायब हो गया पता ही नही चला कि कब नींद आ गयी जब मैं उठा तो देखा कि गोरी मेरी बगल मे ही सोई पड़ी है तो मैने उसे नही जगाया और बाहर आ गया बाहर बाबा और बाकी सब लोगो से राम राम हुई मैं फ्रेश होने चला गया आया तबतक पुष्पा भी आ चुकी थी मैने कहा सबसे पहले बाहर जितने भी लोग है उनके लिए चाइ-नाश्ते का इंतज़ाम करो



गोरी अभी तक उठी नही थी मैने सोचा आज स्कूल नही जाएगी क्या ये पर फिर जगाया नही उसको पुष्पा ने मेरा नाश्ता टेबल पर लगा दिया था मैने चुप चाप नाश्ता किया सुबह सुबह ही मैने कुछ सोच लिया था तो मैने गाड़ी निकाली और उसको अपनी उस ज़मीन की तरफ मोड़ दिया जिस पर नाहरगढ़ वालो का कब्जा था मैं कुछ करने जा रहा था पर पता नही था कि ये सही है या ग़लत



रेतीले रास्ते पर धूल उड़ाती हुई मेरी गाड़ी सरपट दौड़ी चली जा रही थी आधे-पोने घंटे बाद मैं उस फार्महाउस के सामने था मैं गाड़ी से उतरा और अंदर चल दिया पर आज गेट पर ही उन्ही लोगो ने मुझे रोक दिया और बोले कि तुझे उसी दिन मना किया था ना की दुबारा इधर ना आना मालिक को पता चलेगा तो ठीक नही रहेगा मैने कहा पर इस ज़मीन का मालिक तो मैं ही हू



वो ठहाका लगाते हुवे बोला अबे जा जा , काहे दिमाग़ खराब करता है सुबह सुबह मैने कहा तो ठीक है जा तेरे मालिक को ही बुला ला वो खुद ही बता देगा कि मैं कॉन हू वो मुझे हड़काते हुवे बोला अगर दो मिनिट मे तू यहाँ से नही निकला तो तेरी हड्डिया सलामत नही बचेंगी मुझे भी तैश आने लगा था मैने जेब से पिस्टल निकाली और उसके माथे पर लगा दी



ऐसा होते ही उसके माथे से पसीना बह चला मैने कहा जब भी तेरा मालिक आए उस से बस इतना ही कहना कि अर्जुनगढ़ से ठाकुर देव आया था फिर मैं वापिस हो लिया मैने सोच लिया था की एक बार अपने रिश्तेदारो से मुलाकात कर ही लेनी चाहिए मैने अपनी तरफ से शुरुआत कर दी थी बस अब इंतज़ार था रेस्पॉन्स का वहाँ से मैं सीधा खेतो मे गया कई दिन हो गये थे इधर आया ही नही था तो दोपहर तक इधर का काम काज ही देखता रहा



फिर मैं वापिस हवेली आ गया लंच किया और बाहर बैठ कर बाबा से बात चीत करने लगा उन्होने कहा कि देव आप किसी भी तरह की टेन्षन ना लें अब आपको हवेली की फिकर करने की बिल्कुल भी ज़रूरत नही है इतने आदमियो की व्यवस्था हो गयी है जो ये काम संभाल सके आधे लोग दिन मे रहेंगे और आधे लोग रात को मैने कहा बाबा सब आपकी ही मेहरबानी है तो बस वो मुस्कुरा गये



फिर कुछ और मुद्दो पर बात हुई , फिर मैं उठ कर अंदर चला गया तो पुष्पा के दीदार हुए वो बोली मालिक आपके गंदे कपड़ो का ढेर लगा था मैने सारे धो दिए है मैने कहा पर इसकी क्या ज़रूरत थी चंदा कर लेती वो काम वो बोली मालिक मैने धो दिए कोई बात नही मैने कहा गोरी कहाँ है तो उसने बताया कि वो तो अपनी किसी सहेली के घर गयी है



पीले ब्लाउज और नीले घाघरे मे पुष्पा का मादक बदन और भी खिला खिला सा लग रहा था मैने कहा पुष्पा मुझे तुमसे कुछ ज़रूरी बात करनी है वो बोली मुझे मालूम है मालिक आप क्या कहना चाहते है मैने कहा यार वो नही मैं तो बस इतना पूछ रहा था कि क्या मैं तुम पर भरोसा कर सकता हू , तो पुष्पा हाथ जोड़ते हुए बोली कि मालिक आपकी वजह से मेरे जीवन मे थोड़ा सुख आया है आप कहकर तो देखो जान भी दे दूँगी …
 
देव- वक़्त आने पर तुमको मेरा एक काम करना होगा 

पुष्पा- जी जैसा आप कहे , 

तो मैने कहा अभी तुम जाओ और मेरे लिए एक कॉफी भेज देना मैने लक्ष्मी को फोन किया और मुनीम जी की तबीयत के बारे मे पूछा तो उसने बताया कि हालत कुछ ठीक नही है तो मैने कहा ठीक है मैं कल ही सहर आता हू पर वो मना करने लगी पर मैने ज़ोर देते हुवे कहा कि नही मैं आता हूँ कल



मुझे लक्ष्मी का व्यवहार कुछ अजीब सा लगा पर फिर मैने सोचा कि अब हॉस्पिटल का महॉल है तो बंदा थोड़ा चिड़चिड़ा हो ही जाता है तभी पुष्पा कोफ़ी लेकर आ गयी मैने कहा तुम बैठो ज़रा , मैने उस से पूछा कि तुम हवेली के बारे मे क्या जानती हो तो उसने बताया कि जी जितना सब लोगो को पता है उतना ही मुझे पता है पर हम एक बात याद आई कि पहले ठाकुर साहब के यहाँ एक बुजुर्ग रहते थे



वो ही उनके छोटे-मोटे काम किया करते थे मैने कहा तुमको कैसे पता पुष्पा बोली वो दरअसल हमारे घर के सामने जो परचून की दुकान है वो अक्सर वहाँ आते थे तो बस ऐसे ही पता चल गया पर जब बड़े ठाकुर का देहांत हुआ उसके बाद से मैने उनको कभी नही देखा , मैने कहा उनका कुछ नाम-पता तो वो बोली साहब अब मैं क्या जानू




मैने कहा चल कोई नही मैं पता कर लूँगा पर इस बात ने मुझे और भी उलझा दिया था खैर रात गुजर गयी भोर हुई मुझे शहर के लिए निकलना था मैने बाबा से कहा कि बाबा हवेली की ज़िम्मेदारी आप पर है मुझे आने मे देर हो सकती है क्या पता मैं शहर मे ही रुक जाउ तो वो बोले देव आप बेफिकर हो कर जाइए तो मैं चल पड़ा शहर



हॉस्पिटल गया मुनीम जी से मिला कुछ सुस्त से लगे फिर डॉक्टर्स से तस्सली से बात की तो पता चला कि दवाइयाँ असर नही कर रही थी मैने कहा पर ऐसा कैसे हो सकता है डॉक्टर साहब तो वो बोले यही बात तो हमे भी उलझन मे डाले हुवे है तो मैने कहा ये घर कब तक जा सकेंगे तो पता चला कि हफ्ते भर बाद फिर मैने लक्ष्मी से कहा कि मुझे अकेले मे मुनीम जी से कुछ बात करनी है



तो वो बाहर चली गयी, फिर मैने उनको पिछले दिनो की घटना बताई तो वो बोले मालिक ये ज़रूर बाहर वालो से करवाया काम है वरना आप ही सोचो हवेली सालो से खामोश खड़ी है पर आज तक एक पैसे की चोरी ना हुई फिर एक दम से चोर कैसे आ सकते है बात मे दम था , मैने कहा कुछ लोग राज़ी हो गये है हवेली की चोकीदारी करने को पर कुछ हथियार भी चाहिए



तो उन्होने अपनी पुरानी डायरी निकली जेब से और फिर किसी को फोन किया बात की काफ़ी देर फिर मुझसे कहा मालिक कल तक व्यवस्था हो जाएगी आप की सुरक्षा बेहद ज़रूरी है पर तकदीर देखिए मैं अपाहिज़ खुद मोहताज हो गया हू मैने कहा आप बस आराम करे फिर काफ़ी देर तक मुनीम जी से मेरी ख़ास बाते होती रही पर रिज़ल्ट सेम था उनका शक़ भी नहरगढ़ की ओर ही था



शाम होने लगी थी मैं चलने को हुआ तो लक्ष्मी ने कहा कि आज इधर ही रुक जाओ काफ़ी दिन से इधर ही पड़ी हू तुम रहोगे तो थोड़ा होसला मिलेगा और कुछ बाते भी हो जाएँगी मैने कहा ठीक है फिर मैने हवेली फोन किया और बताया कि मैं आज नही आ पाउन्गा तो सब चोकस रहना और पुष्पा को विशेष रूप से कहा कि आज वो घर ना जाए बल्कि गोरी के साथ ही रहे कुछ और बाते उसको समझाई



राइचंद जी सो रहे थे मैने लक्ष्मी से कहा आओ बाहर चलते है कुछ खाना वाना खा कर आते है तो हॉस्पिटल से थोड़ी दूर ही एक होटेल था हम वहाँ चले गये खाते खाते बाते भी होने लगी आज काफ़ी दिन बाद लक्ष्मी के चेहरे पर मुस्कान देखी थी तो मुझे भी अच्छा लगा डिन्नर के बाद हम फिर से वापिस आ गये रात भी घिर आई थी लक्ष्मी ने राइचंदजी को खाना खिलाया फिर दूध के साथ कुछ दवाइयाँ दी



फिर एक छोटा सा बातों का दॉर चला , बाते करते करते ही मुनीम जी नींद के आगोश मे समा गये अब बचे लक्ष्मी और मैं मैने कहा सोएंगे कहाँ तो उसने कहा मैं तो नीचे ही बिस्तर लगा के सो जाती हू तुम भी मेरे पास ही सोओ गे कहा उसने अपनी निचले होठ को दाँतों से काट ते हुए कहा और फिर एक नशीली मुस्कान मुझे दी मैं समझ गया कि आज तो ये चुद के ही रहेगी



उसने फटा फट से बिस्तर बिछाया और लाइट बंद करके ज़ीरो पॉवेर वाला बल्ब जला दिया मैने कहा ये भी बंद करदो तो वो बोली रात को कई बार नर्स राउंड पे आ जाती है इस लिए इसको जलने दो फिर मैं और वो बिस्तर पर लेट गये कुछ देर तो वो शांत रही फिर उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपने बोबो पर रख दिया और दबाव डालने लगी मैं तो पहले से ही तैयार था मैने उसकी तनी हुई चूचियो को कस कर दबाना शुरू किया तो उसने मेरी पॅंट की ज़िप खोली और मेरे लंड को बाहर निकाल लिया



और मेरे आंडकोषो को अपनी मुट्ठी मे भरकर दबाने लगी तो बड़ा ही मज़ा आया मुझे मैने उसके ब्लाउज को हुको को खोला और फिर ब्रा भी हटा दी और उसकी पुस्त चूचियो पर टूट पड़ा इस उमर मे भी ऐसी कसी हुई चूचिया उफफफ्फ़ मैं तो पागल सा ही होने लगा मैं पूरे दम से उसके उभारों को दबा ने लगा लक्ष्मी हौले हौले सिसकारिया निकालने लगी उपर मैं उसकी चूचियो से खेल रहा था और नीचे वो मेरे लंड पर आनी उंगलियो का जादू चला रही थी



मैने अपने होंठो मे उसके निप्पल को दबा लिया और उस पर अपनी जीभ फिराने लगा तो लक्ष्मी के तन बदन मे बिजलिया रेंगने लगी वो मदहोश होने लगी उसकी चूचिया उसके सेंसेटिवे पायंट्स थे 10-12 मिनिट तक मैं उसके बोबो को ही पीता रहा आग अब बढ़ती ही जा रही थी फिर मैं जब उसकी साड़ी खोलने लगा तो उसने मुझे रोक दिया और अपनी साड़ी को कमर तक कर लिया और खुद ही पेंटी भी उतार दी



तो मैने उसकी योनि को अपनी मुट्ठी मे भर लिया और भीचने लगा उफ्फ क्या गरम चूत थी उसकी तभी लक्ष्मी ने अपना कमाल दिखाया और मेरे उपर आते हुवे 69 मे आ गयी और झट से मेरे लंड को अपने मूह मे दबा लिया और मज़े से चाटने लगी और अपनी योनि को मेरे चेहरे पर दबाने लगी तो मैने भी उसके मोटे मोटे कुल्हो को अपने हाथो से थाम लिया और उसकी चूत पर अपना मूह लगा दिया



जैसे ही मेरी जीभ उसकी योनि से टकराई तो उसने अपनी जाँघो मे मेरे चेहरे को भीच लिया और मस्त हो गयी वो भी कस कर अपनी खुरदरी जीभ मेरे लंड पर रगड़ रही थी मुझे लगा कि बस मैं तो गया काम से पर गजब तो जब हुआ जब उसने अपने मूह मे मेरे अंडकोसो को भर लिया मैं तो जैसे पिघल ही गया उस जादुई अहसास मे तो मैने भी अब उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया



काम रस से भीगी हुई उसकी चूत के होठ जब जब फड़फड़ाते तो कसम से बड़ा ही मज़ा आता था मुझे तो काफ़ी देर तक हम दोनो एक दूसरे के अंगो का रस पान करते रहे फिर उसने मेरे लंड को अपने मूह से बाहर निकाला और फिर अपनी चूत को वहाँ पर रगड़ने लगी उसकी रागड़ाई से मुझे बड़ा ही मज़ा आ रहा था फिर झट से वो मेरे लंड पे बैठ ती चली गई कुछ ही पॅलो मे पूरा लंड उसकी चूत मे घुस चुका था और वो करने लगी मेरी सवारी



उसकी झूलती चूचिया मेरे चेहरे से टकराने लगी तो मैने उनको अपने मूह मे भर लिया और चूसने लगा तो लक्ष्मी और भी ज़्यादा मस्ती मे आ गयी और धप धप से मेरे लंड पर कूदने लगी और मैं उसकी मोटी गान्ड को मसल्ने लगा बड़ा ही मज़ा आ रहा था फिर थोड़ी देर बाद वो उतर कर लेट गयी और मैं उसके उपर आ गया तो उसने खुद ही अपनी टाँगे उठा कर मेरे कंधे पर रख दी और मैने एक बार फिर से चूत और लंड का मिलन करवा दिया



अब शुरू हुवा धमाल , मैं कस कस के उसकी चूत पर धक्के लगाए जा रहा था लक्ष्मी ने बड़ी मुश्किल से अपनी आहो को दबाया हुवा था कुछ देर बाद मैं पूरी तरह से उसपर चढ़ गया और उसके होंठो को चूस्ते हुए चुदाई करने लगा बड़ा ही मज़ा भर गया था मेरी नस नस मे आधे घंटे से भी ज़्यादा देर तक मैं उसकी चूत मारता रहा और वो भी पूरा मज़ा ले रही थी



अब मैं झड़ने के करीब आ गया था उसका हाल भी कुछ ऐसा ही था तभी उसने मुझे कस्के अपनी बाहों मे दबा लिया और मस्ती से मेरे होंठो को चूस्ते हुए अपने काम सुख को प्राप्त करने लगी और फिर मैने भी अपना गाढ़े रस से उसकी योनि को भर दिया
 
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