Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद - Page 6 - Sex Baba Indian Adult Forum
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Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद

"देख मुन्ना माकी चूचियाँ एक दम गोल और कितनी बड़ी बड़ी है. हम दोनो इन्हिका दूध पीकर बड़े हुए हैं. अभी भी इतनी भारी दिख रही है की जैसे दूध से भारी हुई है." यह कह कर मेने माकी एक चूची ब्रा के उपर से ही अपने हाथ में लेली और उसे हल्के हल्के दबाने लगा. फिर मेने माकी ब्रा का भी स्ट्रॅप खोल दिया और ब्रा भी बाँहों से निकाल दी. माकी सुडोल चूचियाँ अब हम दोनो भाइयों के सामने नंगी थी. में बारी बारी से माकी चूची दबाने लगा. उसके निपल को चींटी में भर मसालने लगा.

"ले मुन्ना तू भी छ्छू कर देख, कितनी मुलायम है. यह देख माका बड़ा सा निपल. इसे मुख में ले चूस. बचपन में तो तूने इसको बहुत चूसा होगा, अभी जवानी में चूस के देख तुझे मज़ा आ जाएगा. ऐसी मस्त औरत की चूचियाँ दबा दबा धीरे धीरे मस्ती ली जाती है. क्यों मा अपना दूध हम दोनो भाइयों को पिलाओगी ना." मेरी बात सुन अजय ने गप्प से माका एक निपल अपने मुख में ले लिया और उसे चुभलाते हुए चूसने लगा. मेने भी दूसरा निपल अपने मुख में ले लिया और में भी उसे ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा मानो उसके भीतर का सारा दूध निचोड़ रहा हूँ. तभी माने अपने दोनो हाथ हम दोनो भाइयों के सर के पिच्चे लगा दिए और हमारे सर अपनी चूचियों पर दबाने लगी. हम दोनो भाई भी माकी चूचियाँ मस्त होके कई देर तक चूस्टे रहे.

अजय: "भैया, माकी चूची पीने में जो मज़ा है वा ओर कोई चीज़ पीने में नहीं है. हम दोनो कितने खुश नसीब है की इस जवानी में माकी चूचियाँ एक साथ पीने को मिल रही है और मा भी कितने प्यार से अपनी चूची हमारे मुख में तेल तेल पीला रही है. मा तुम्हारी चूचियाँ अभी भी पूरी टाइट है. बहुत जान है इन में. मा तुम मस्त हो कर हम से अपनी चूचियाँ मसालवाया करो, हम से डबवाया करो, हम से चुस्वाया करो. हमें जब भी भूख लगे हमारे मुख में अपनी चूची ठूंस दिया करो."

मा: "अरे अब ये मेरी दूध पिलानेवाली चूची नहीं है बल्कि तुम दोनो के खेलने के लिए बड़ी बड़ी गेंदें हैं. खूब जी भर के इनसे खेला करो. तुम लोगों की जब भी इच्छा हो मेरी चूची मसल दिया करो, मेरी चूची पीनी हो तो उस में मुख लगा दिया करो में खुद तुम लोगों को अपने आँचल में धक प्यार से दूधु पिलावँगी."
 
में: "अभी तो तूने खाली माकी चूची का ही मज़ा लिया है. माका असली माल तो इसके घाघरे में है. घाघरे में इसने अपनी सबसे खाश चीज़ च्चिपा कर रखी है. चल अब माका घाघरा तू उतार, तुझे माकी ऐसी मस्त चीज़ का दर्शन कराता हूँ की तू मर्दों के लुंडों को छ्चोड़ उसीका दीवाना हो जाएगा." मेरी बात सुन अजय ने माको खड़ा कर लिया और खुद माके सामने घुटनों के बाल बैठ गया और घाघरे की डोर खोज कर उसे खींच दी. फिर अजय ने नडा ढीला किया और घाघरा नीचे गिरा दिया. अब माकी उभरी हुई पनटी अजय की आँखों के सामने थी.

अजय: "भैया देखो माकी चीज़ कितनी फूली हुई है." अजय की बात सुन में भी अजय के साथ माके सामने घुटनों के बाल बैठ गया. में पनटी के उपर से ही माकी छूट पर हाथ फेरने लगा. हाथ फेरते फेरते उसे मुट्ठी में कस लेता. फिर मेने माकी पनटी धीरे धीरे नीचे सरकानी शुरू कर दी. उधर गहने माने खुद उतार दिए. पनटी उतरते ही मा हमारे सामने पूरी नंगी थी. माकी बड़ी छूट के चारों ओर घने काले काले झाँत के बाल थे. छूट बहुत ही उभरी हुई थी. छूट की लाल फाँक साफ दिख रही थी. अजय जिंदगी में पहली बार इतने नज़दीक से एक औरत की छूट देख रहा था और वा एक टकटकी से छूट के दर्शन कर रहा था. तभी मेने माकी छूट की पुट्तियाँ फैला दी और अजय को छूट का च्छेद ठीक से दिखाया.

में: "मुन्ना ठीक से देख यही हम दोनो का जन्मस्थान है. हम दोनो कभी यहीं से बाहर निकले थे. देख हुमारा जन्मस्थान कितना मोहक है. क्या काले काले रेशमी बालों से भारती है. जिंदगी का असली मज़ा तो इसी चीज़ में है. यह देख माकी छूट का च्छेद, भीतर से कितना लाल और गहरा है. मेरा इतना बड़ा लंड इस में कहाँ गुम हो जाएगा पता ही नहीं चलेगा. इसे खूब जी भरके देख और इसे खूब प्यार कर. हम दोनो कितने खुशनसीब हैं की इस जवानी में माकी छूट साथ साथ देख रहे हैं और मा भी मस्त हो कर हमसे अपना खजाना लुटवा रही है."

अजय: "भैया यह तो बहुत ही प्यारी है. में इसे ठीक से देखूँगा और इसे बहुत प्यार करूँगा. भैया यह तो मेने सुना था की मर्द लोग इसके पिच्चे भागते फिरते हैं पर यह चीज़ इतनी मस्त है यह मुझे पता नहीं था. इसे देख कर ही इतनी मस्ती चढ़ रही है जितनी की मुझे खड़े लंड देख कर भी नहीं चढ़ि थी. वा मा, भैया भी कम नहीं है, वे जानते थे की माने बड़ा कीमती खजाना अपनी दोनो टाँगों के बीच च्चिपा रखा है तभी तो उसे पाने के लिए पहले वे तेरे पर लाइन मारने लगे और बाद में तुझे पटाने के लिए मुझे आयेज कर दिया." अजय की बात सुन में खड़ा हो गया और माको बिस्तर पर लिटा दिया और में खुद पलंग के किनारे पर टाँग लटका कर बैठ गया. माकी गांद मेने गोद में लेली और माके घुटने मोड़ दिए जिससे माकी छूट उभर कर पलंग के किनारे पर सामने हो गई. तभी अजय भी सरक कर पलंग के किनारे के पास बैठ गया. माकी छूट ठीक अजय के मुख के सामने थी. तभी मेने दोनो हाथ की सहयता से छूट पूरी फैला दी और जन्नत का फाटक अजय के सामने खुल गया.
 
अपडेट-27

मेने माँ की गान्ड अपनी गोद में रख रखी थी और अपने छोटे भाई अजय को माँ की चूत पूरी फैला कर दिखा रहा था. चूत का गहरा
और बिल्कुल लाल सुराख ठीक अजय की आँखों के सामने था. वह बड़े चाव से चूत पर झुका हुआ उसे देख रहा था.

में; "ले मुन्ना अब ठीक से देख. तेरे भैया इसीके दीवाने थे. असली मज़ा तो इसी में है. देख अपनी माँ की चूत कितनी मस्त है. ठीक से अंदर तक देख. इसे छू, इसे सहला, इसे प्यार कर, इसे चाट, इसमें अंगुल घुसा कर देख. देख माँ की चूत कितनी गदराई हुई है. इसे एक बार चोदेगा तो फिर गान्ड मरवाना भूल जाएगा. देख तेरे लिए मेने माँ की चूत छोड़ी कर दी है. अब पूरी मस्ती ले इसकी." तभी अजय ने अपनी लंबी सी जीभ निकाल कर चूत के अंदर डाल दी और वह अपनी जीभ चूत के छेद में चारों ओर फिराने लगा. उसने अपने दोनो हाथ चूत
पर रख दिए और चूत को फैलाते हुए मस्त हो उसे चाटने लगा. अजय बार बार उस विशाल चूत को पूरी अपने मुख में भरने की कोशिश कर रहा था.तभी मेने माँ को खींच कर अपनी गोद में सीधा बैठा लिया और माँ की दोनो चूचियाँ अपने हाथों में भर ली. माँ के होंठ अपने होंठों
में ले लिए और चूचियाँ दबाते हुए उसके होंठ चूसने लगा. उधर मुन्ना चूत का रस पान कर रहा था.

में: "माँ आज तो तू एक साथ दोनो भाइयों की बीवी बन गई हो और देखो तुम्हारे साथ तेरे 6 फुट दो दो बेटे एक साथ सुहागरात मना रहे हैं. तेरी तो इस उमर में आ कर तक़दीर खुल गई है. अब से तुझे दो दो जवान लंड का एक साथ मज़ा मिलेगा. अब तेरी चूत और गान्ड को
लंड की कमी नहीं खलेगी. देखो तुम कैसे एक बेटे की गोद में बैठ अपनी चूची मसलवा रही हो और दूसरे बेटे से अपनी चूत चटवा रही हो.
" में गोद में बैठी माँ की टाँगें कुच्छ उपर उठा अजय के लिए माँ की चूत फैला रहा था, जिससे कि वह भीतर तक चाट कर मज़ा ले सके.

माँ: "जब मेरे दो दो जवान गान्डू बेटे मेरे लिए बहुएँ लाने की वजाय आपस में ही गान्ड मारा मारी करने लगे तो में क्या करती. जब तुम दोनो को ही आपस में शरम नहीं है तो में फिर शरम क्यों करूँ? जब तुम दोनो खुल के गान्ड मारा मारी और लंड चूसा चूसी का खेल खेलते हो तो में फिर चूत और गान्ड वाली होकर तुम दोनों गान्डूओ और चूतियों से मज़ा क्यों ना लूँ. छोटे वाले को देखो कैसा भुक्कड़ की तरह मेरी चूत पर पिला हुआ है और जब तू अपनी माँ को नंगी करके अपनी गोद में खड़े लंड पर बैठा सकता है तो मुझे तुम से चुदने में और मराने में
कैसा परहेज? बड़ा वाला मादरचोद चूतिया है तो छोटे वाला भोसड़ी का गान्डु."

में: "मुन्ना तूने माँ की बात सुनी, हम दोनो को गान्डू और चूतिया बोल रही है. देख बहन की लोडी हमें कैसी गालियाँ दे रही है. आज इसकी सारी गर्मी निकाल देनी है. इसकी चूत और गान्ड में बहुत गर्मी है. इसे आज एक रंडी की तरह चोदना है. साली बहुत नमकीन है." फिर मेने माँ की ठुड्डी पकड़ उसका चेहरा उपर उठा लिया और उसकी आँखों में देखते हुए कहा, "अरे माँ में तो तेरे जैसी बेशरम और खुल के बात करनेवाली औरत का पक्का रसिया हूँ. तभी तो मेने तुझे पटाया है. तेरे लिए मुन्ना को भी राज़ी किया है. अब हम दोनो भाई तेरी मस्त जवानी को खुल के भोगेंगे. अबसे तुम हमारी साझे की बीवी हो. हम दोनो तुम्हारे पति हैं." यह कह मेने माँ को गोद से उतार दिया और खड़ा
हो गया. फिर मेने अजय को खड़ा किया और उसके सारे कपड़े उतारने शुरू किए साथ ही अजय भी मेरे कपड़े उतारने लगा. देखते
देखते हम दोनो भाइयों ने एक दूसरे को पूरा नंगा कर दिया. अब हम तीनों के शरीर पर वस्त्र नामकी कोई चीज़ नहीं थी. अजय का 10"
का लंड पूरा तना हुआ था. मेने अजय का लंड पकड़ माँ को दिखाते हुए कहा, "माँ अपने छोटे बेटे का लंड देख. मुन्ना का देख कितना
प्यारा 'मुन्ना' है. जब इससे चुदायेगि ना पूरी मस्त हो जाएगी." तभी अजय ने भी मेरा लंड पकड़ लिया.

अजय: "और माँ यह देख भैया का मूसल सा हल्लबि लॉडा. में तो इसे आराम से पूरा का पूरा ले लेता हूँ पर तू तो भीतर जाते ही हाय हाय करने लगेगी. तेरी तो चूत को फाड़ कर भैया भोसड़ी बना देंगे. हम चूतिए हैं तो तेरी मस्त चूत के लिए हैं और गान्डू हैं तो तेरी फूली फूली गान्ड के लिए हैं. में तो भैया के हल्लाबी लौडे से आराम से गान्ड मरा लेता हूँ पर तू अपनी सोच. भैया जब हुमच कर तेरे में पेलेंगे तब
तेरी यह कतरनी सी ज़ुबान बाहर आ जाएगी." तभी में माँ के पिछे चिपक गया और अजय माँ के आगे चिपक गया. हम दोनो मर्दाने भाइयों के बीच माँ पिसी जा रही थी. मेने माँ की चूचियाँ हाथों में समा ली और अजय माँ के होंठ चूसने लगा. में माँ की गान्ड की गर्मी लेते हुए
उसकी गान्ड पर लंड रगड़ रहा था और अजय उसकी चूत से अपना लंड टकरा रहा था.

में: "माँ अब बता पहले किससे चुदवायेगी, अपने बड़े बेटे से या छोटे बेटे से." तभी अजय बोल पड़ा,

अजय: "नहीं भैया माँ पर पहला हक़ आपका है. माँ से व्याह आपने किया है, सुहागरात आपकी है में पहले कहाँ से आ गया? चलिए
अब अपनी चुदासी माँ की चूत की प्यास बुझाइये." मेने माँ की चूत में अंगुल डालते हुए कहा,

में: "क्यों माँ तैयार होना अपनी इस मस्त चीज़ का स्वाद चखाने के लिए?"

माँ: "मेरे लिए तो तुम दोनो एक जैसे हो कोई भी पहले आ जाओ मुझे क्या फ़र्क़ पड़ता है, तुम लोग चाहो तो दोनो एक साथ आ जाओ, दोनो को भी झेल लूँगी. विजय बेटे, मेरी चूत का तुम लोगों को स्वाद चखाने के लिए ही तो नंगी हुई हूँ. मुझे जी भर के चोदो, मेरे से जी भरके मस्ती करो. दो दो नंगे बेटों के बीच नंगी होने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा है. दो दो खड़े लंड एक साथ देख में वासना से जल रही हूँ, मुझे खुल
के भोगो मेरे प्यारों, में बिल्कुल तैयार हूँ." माँ की बात सुन में माँ को बिस्तर पर खींच लाया और उसे चित लेटा दिया. उसकी गान्ड के
नीचे एक बड़ा सा तकिया लगा दिया और उसके घुटने मोड़ चूत को उभार दिया.

में: "मुन्ना माँ की झान्ट भरी मस्त चूत देख कैसी खुल के मुझे दावत दे रही है. देख भीतर से कैसी चिकनी है. इस में तो तेरी गान्ड जैसे वॅसलीन लगाने की भी दरकार नहीं है." में माँ की चूत पर झुक गया और उसे चाटने लगा. मुन्ना ने मेरे लंड को अपने मुख में लेलिया और उसे अपने थूक से तर करते हुए चूसने लगा. कुच्छ देर चूत चाटने के बाद मेने माँ की टाँगों के बीच अपना आसन जमा लिया. मेरा लंड माँ की चूत के ठीक सामने था. अजय मेरे सामने माँ के ठीक बगल में बैठा हुआ था. उसने मेरा लंड पकड़ा और माँ की चूत के छेद से भिड़ा दिया.
फिर उसने दोनो हाथों से चूत फैला दी ताकि मेरा विशाल लंड उसमें आराम से जा सके. मेने धीरे से धक्का दिया तो माँ की लस्लसि चूत में लंड का सुपाड़ा ढुक गया. फिर धीरे धीरे लंड अंदर ठेलने लगा और कुच्छ देर में मेरा आधा लंड माँ की चूत में समा गया. अब में आधे लंड से ही माँ को चोदने लगा.

अजय: "भैया अभी तो आपका आधा ही भीतर गया है. क्या आपका पूरा इसमें नहीं जाएगा? ज़ोर लगा के ठेलिये. आज इसकी चूत फाड़ कर भाड़ सा भोसड़ा बना दीजिए." अजय की बात सुन मेने तीन चार करारे शॉट माँ की चूत में मारे और मेरा लंड जड़ तक चूत में समा गया. अब में माँ पर झुक गया और उसके होंठ चूसने लगा. उधर तीन चोथाई लंड बाहर निकालता और एक धक्के में वापस पूरा पेल देता. अभी धक्कों की स्पीड बहुत धीमी थी.

माँ: "अजय यह माँ की चूत है. ऐसे तो दो लंड एक साथ भीतर ले लूँ. ठीक से देख भैया का मूसल मेरी चूत में कितने आराम से जा रहा है. देख औरत की चूत को मरद कैसे चोदते हैं. ठीक से देखले और सीखले, आख़िर तुझे भी तो चोदनी है. तेरे भैया को मेरी जैसी बड़ी सी चूत चाहिए तो मुझे भी तेरे भैया के जैसा हल्लाबी लॉडा चाहिए. छोटी मोटी नूनी तो किसी कोने में ही अटक के रह जाएगी. ऐसे मस्ताने लंड की ही तो में पूरी शौकीन हूँ. इसीलिए जब तूने मेरी भैया से शादी की बात छेड़ी तो में फ़ौरन तैयार हो गई. में बहुत खुश हूँ कि तूने मुझे ऐसे लंड की दुल्हन बना दिया है. तेरा यह अहसान में कभी नहीं भूलूंगी. आ तेरा लंड चूस देती हूँ. ला इसे मेरे मुख में देदे." माँ की बात सुन में पूरा गरम हो गया था और अब चूत में लंड दनादन पेल रहा था. मेरे धक्कों की स्पीड बहुत ज़्यादा बढ़ गई थी और चूत फ़चा फच्च चुद रही थी
. इधर अजय ने माँ की छाती के दोनो ओर अपने घुटने जमा दिए और माँ के मुख के सामने उसका लंड लहराने लगा. माँ अजय के लंड
के सुपाडे पर अपनी जीभ फिराने लगी.

माँ: "वाह मेरे छोटे बेटे का लंड तो उसके जैसा ही मक्खन सा चिकना और प्यारा है. यह सुपाड़ा तो रसगुल्ले जैसा है. इसे तो अब रोज आइस क्रीम की कॅंडी की तरह चूसुन्गि. बड़ा बेटा तो मुझे बाज़ार की कॅंडी खिला के लाता है पर अब से में तो यह घर की ही कॅंडी चूसुन्गि."
यह कह माँ मुन्ने का लंड अपने मुख में लेने लगी. उसने आधा लंड अपने मुख में ले लिया और बाहर भीतर करते हुए थूक से तर करने लगी
. माँ अजय की गोटियों को हाथों से धीरे धीरे दबा रही थी. मेने माँ की दोनो चूचियाँ हाथों में लेली और माँ को कस के चोदने लगा.

में: "मुन्ना इस लंड खोरनी माँ के मुख में अपना पूरा लॉडा पेल दे. पूरा भीतर ठेल दे जिससे कि इसे ठीक से साँस भी नहीं आए. इसे भी थोड़ा पता तो चले कि दो दो लंड की क्या ताक़त होती है. देख में इसे कैसे कस कस के चोद रहा हूँ और यह गान्ड उछाल उछाल कर चुदा रही है. अपनी माँ पक्की चुद्दकड है. इसकी चूत में बहुत खाज है पर में इसकी चुदाई की आज सारी खाज मिटा दूँगा." मेरी बात सुन अजय माँ के मुख में लंड ठेलने लगा और उधर माँ भी पूरा मुख खोल अपने छोटे बेटे का लंड मुख में लेने लगी. थोड़ी ही देर में मुन्ना ने अपना लंड
जड़ तक माँ के मुख में दे दिया. अब वह लंड बाहर भीतर करते हुए माँ के मुख को चोदने लगा. माँ भी मुख आगे पिछे करते हुए पूरी तन्मय होकर लंड चूस रही थी. माँ ने अजय के दोनो चुतड़ों पर अपने हाथ जमा दिए और वह उन्हें अपनी ओर दबाने लगी. अब वह पूरा लंड मुख में भर बड़े आराम से चूस रही थी.
 
अपडेट-28

अजय: "भैया माँ पक्की चुद्दकड तो है ही साथ ही पक्की लंड खोरनी भी है. देखो मेरा पूरा लंड मुख में ले कितने आराम से चूस रही है. भैया माँ को लंड चुस्वा कर तो मज़ा आ गया. जब इसको लंड चूसाने में इतना मज़ा है तो इसको चोदने में और इसकी गान्ड मारने में कितना
मज़ा आएगा?" में माँ को कस कस के चोद रहा था. अब में झड़ने के बहुत करीब था.

में: "अरे बहुत गरम माल है यह. यह हम दोनो भाइयों को खुल के मस्ती कराएगी. में तेरे को कहता था न कि एक बार इसे पटा लेने दो फिर यह घर में ही हमें इतनी मस्ती देगी कि हमे कभी भी बाहर की ओर मुख करने की ज़रूरत ही नहीं होगी. भाई में तो झड़ने जा रहा हूँ. में अपने गाढ़े रस से इसकी चूत लबालब भर दूँगा. इसके पेट में अपना बीज डालूँगा और इसे अपने बच्चे की माँ बनाउन्गा. हां भाई में झड रहा हूँ. हाय, मेरा माल माँ की .... चूत में बह रहा है..... ओह ओह में झड रहा हूँ. यह चुद्दकड औरत मेरा सारा रस निचोड़ रही है. हाय.....
मुन्ना में माँ.. आ.. आ.. की चूत में झड रहा हूँ." यह कहते कहते में झड़ने लगा. मेरे लंड से रस की धार माँ की चूत में बहने लगी. मेने माँ की चूचियाँ अपनी मुट्ठी में जकड ली और आख़िरी के धक्के बहुत तेज़ी से मारते हुए झड रहा था. तभी माँ ने भी खूब ज़ोर ज़ोर से अपनी
गान्ड उपर उच्छालनी शुरू कर दी. उसने अपनी मुत्ठियाँ अजय की गान्ड पर कस ली और बहुत तेज़ी से मुख आगे पिछे करते हुए लंड
को चूसने लगी. माँ भी मेरे साथ झड रही थी पर अजय का लंड मुख में होने की वजह से कुच्छ भी बोल नहीं पा रही थी.

अजय; "भैया मेरा भी माँ के मुख में निकल रहा है. ले माँ...आ... मेरा सारा माल गटक जा. हाय मेरी राधा भा....भीईीईई तेरे मुख में झड
कर तो बहुत मज़ा आ रहा है. हाय मेरे भाई की जोरू..... हाय मेरी प्यारी भाभिईीई. में झड रहा हूँ."

में: "मुन्ना लंड बाहर मत निकालना. सारा माल माँ के मुख में ही झाड़ दे. अपना रस इसको पिला. देख मेने इसकी चूत अपने रस से भर दी अब तू इसका मुख अपने रस से भर दे. इसको रस से सराबोर कर दे." हम तीनों लगभग एक ही समय पर झड रहे थे. धीरे धीरे बारी बारी से हम तीनों सिथिल पड़ते गये. अजय ने माँ के मुख से लंड निकाल लिया और माके बगल में ही बिस्तर पर लेट गया. में भी मुरझाए लंड
को चूत में ही डाले माँ पर ही निढाल हो गया. उधर माने भी शरीर को ढीला छोड़ दिया और आँखें बंद कर ली. हम करीब आधा घंटा
इसी तरह पड़े रहे. फिर सबसे पहले माँ उठी और उसने अपनी पैंटी पहन ली. उसने अपने बाकी के सारे कपड़े और गहने लिए और अपने रूम में चली गई. फिर में उठा और बाथरूम में फ्रेश होने के लिए घुस गया. बाथरूम से वापस आया तो अजय वैसे ही सोया पड़ा था और में भी उसकी बगल में रोज की तरह सो गया. दूसरे दिन स्टोर जाते समय सब कुच्छ स्वाभाविक था और रात की घटना की कोई चर्चा नहीं थी.

इसके दूसरे दिन रात के खाने का काम समाप्त होने पर मा नहाने के लिए बाथरूम में चली गई और में मुन्ना के साथ बाइक पर शैर को निकल गया. में मुन्ना को ले उसी पार्क में आ गया जहाँ कभी माको ले कर गया था और जहाँ नौजवान जोड़े मस्ती के लिए आते थे. हम ने पार्क के दो चक्कर लगाए और में अजय को मस्ती करते हुए जोड़े दिखा रहा था. हम ने फव्वारों का भी कुच्छ देर आनंद लिया. फिर हम
ने आइस क्रीम के 3 कप और 3 कॅंडी ली और 10 बजे के करीब वापस घर पहून्च गये. माँ ने दरवाजा खोला. माँ पूरी खिली हुई थी और महक रही थी. उसने आज सेक्सी गाउन पहन रखा था. हम तीनों मेरे कमरे में आ गये. कमरे में आते ही मेने माँ की कमर में हाथ डाल दिया
और अपना हाथ उसकी पीठ से फिराते हुए उसकी गान्ड तक ले आया.

मैं: "मुन्ना माको छू कर देख इसने इस गाउन के नीचे कुच्छ भी नहीं पहन रखा है. गाउन के नीचे पट्ठी पूरी नंगी है. देखो कितनी समझदार है कि पहले से ही नीचे कुच्छ नहीं पहन रखा है." मेरी बात सुन अजय भी गाउन पर से माकी पीठ और गान्ड पर हाथ फेरते हुए अनुभव करने की कोशिश करने लगा की सचमुच में इसने नीचे कुच्छ पहन रखा है या नहीं.

अजय: "हां भैया, माँ चुदवाने के लिए और मरवाने के लिए बहुत उतावली दिखती है, इसे कपड़ा उतारने की भी देर बर्दास्त नहीं है. माँ तू तो भैया की एक ही चुदाई में चुदाने के लिए इतनी बेचैन हो गई, फिर तूने गाँव में 15 साल बिना चुदाये कैसे निकाल दिए. मेरे को कहती थी ना कि में गाँव में दोस्तों के सरकंड ओटाता हूँ तो तू क्या अपनी चूत में बेंगन और खीरे डालती थी? बता ना माँ तूने गाँव में कितने यार पाल रखे थे. तेरे जैसी चुद्दकड औरत बिना लंड के कैसे रह सकती है?"

इधर अजय माको छेड़ रहा था तभी मेने ब्रीफ को छोड़ मेरे सारे कपड़े निकाल दिए. मेने पास खड़ी माके गाउन के स्ट्रॅप्स खोल दिए और गाउन उसके शरीर से निकाल उसे मदर जात नंगी कर लिया. में सोफे पर बैठ गया.

 
माँ: "यह तू नहीं बोल रहा है बल्कि तेरे भैया का जो इंजेक्षन तेरे पिछवाड़े में लगा था ना उसका असर बोल रहा है. में तो अब अपने बड़े बेटे के हल्लबि लौडे से चुदुन्गि, उससे गान्ड मर्वाउन्गि; मोटे मोटे सरकंड पर बैठ कर तू अपनी गान्ड में पेलते रहना. मेने तो गाँव में एक भी
यार नहीं पाल रखा था पर तू गाँव के मुस्टांडों के आगे अपनी पॅंट नीची करते फिरता रहता था. उनसे गान्ड मरवा मरवा कर ही तो तेरी
गान्ड इतनी फूल गई है. तू तो एक नंबर का गान्डू है."

में: "आओ मेरी राधा रानी नाराज़ मत होओ, आओ मेरी गोद में बैठो." यह कहते हुए मेने माको अपनी गोद में खींच लिया. "देखा मुन्ना कितना बदमाश हो गया है. अपनी प्यारी प्यारी माँ से कैसी बेशर्मी की बातें कर रहा है. तू तो गोद में बैठा कर प्यार करने की चीज़ है. तू इस छोटे के ज़्यादा मुँह मत लगा करो. तू तो मेरे पास आ जाया करो. में तुझे अपनी गोद में नंगी करके बिठाउँगा और धीरे धीरे तुझे पपोलूँगा. मुन्ना, माँ में अभी भी थोड़ी लाज शरम बाकी है तभी तो इसने अपने शरीर पर गाउन डाल लिया नहीं तो देख यह नंगी कितनी मस्त लग रही है. अरे यह तो नंगी करके गोद में बिठा कर खिलाने की चीज़ है. हाय! तेरे में से कैसी मीठी मीठी मदहोश कर देनेवाली खुश्बू आ रही है. तो मेरी राधा जानू तू अपने बेटों से चुदने के लिए तैयार होके आई हो? तो क्या हुआ, अब घर में दो दो जवान लंड के होते हुए तू क्या जिंदगी भर
अपनी चूत में खीरे और बेंगन पेलती रहेगी? मुन्ना को अभी पूरी समझ नहीं आई है. ला मुन्ना माके लिए कॅंडी लेकर आया हैना वह निकाल
, माको कॅंडी चूसा. माँ कितने मन से तैयार हो कर आई थी और तूने इसका मज़ाक बना दिया."

अजय: "भैया कौन सी कॅंडी निकालूं."

में: "चल बदमाश कहीं का. अरे कल वाली नहीं आज वाली निकाल." मेरी बात सुन अजय ने आइस्क्रीम का पॅकेट खोला और तीनों कॅंडी निकाल ली. उसने एक एक कॅंडी खोल कर मुझे और माको देदि और एक खुद लेली. माँ पूरी नंगी मेरी गोद में बैठी हुई अजय को दिखा दिखा लंड की तरह कॅंडी चूसने लगी. वह पूरा मुख गोल बना आधे से ज़्यादा कॅंडी मुख में लेलेति और जैसे लंड को मुख से बाहर भीतर करते हुए चूसा जाता है वैसे ही अजय को दिखा दिखा चूसने लगी. इसके बाद तो माने हद ही कर दी. उसने कॅंडी अपनी नंगी चूत के फाटक पर फेरी और वापस चटखारे ले उसे चूसने लगी. माकी यह हरक़त देख अजय सोफे के सामने ज़मीन पर बैठ गया और कॅंडी के रस
से मीठी हुई चूत चाटने लगा. उसने फिर अपनी वाली कॅंडी थोड़ी सी माकी चूत में डाली और वापस चूत चाटने लगा. इस प्रकार कॅंडी से मीठी कर कर वह माकी मस्त चूत चाटने लगा. इधर में कभी माँ वाली कॅंडी चूस लेता तो कभी अपनी वाली माँ को चूसा देता. कई बार मेने
अपनी ठंडी कॅंडी माके निपल से लगाई और निपल चूस कर कॅंडी का दूध उस पर से साफ किया. इस प्रकार हम तीनों ने आइस्क्रीम कॅंडी ख़तम की.

में: "मुन्ना आज तो आइस्क्रीम कॅंडी का मज़ा आ गया. चल कप्स का भी मज़ा लेलेते हैं नहीं तो आइस्क्रीम गल जाएगी तब मज़ा नहीं आएगा. पहले अपने सारे कपड़े निकाल दे." मेरी बात सुन अजय भी पूरा नंगा हो गया और मेने भी सोफे से उठ कर अपना ब्रीफ निकाल दिया. में और माँ बेड के किनारे पर बैठ गये. अजय ने तीनों आइस्क्रीम के कप एक एक के हाथ में दे दिए. में माँ को दिखा जैसे चूत चाटी जाती है वैसे कप में जीभ फिरा फिरा आइस्क्रीम का स्वाद लेने लगा. मेरी देखा देखी अजय ने अपनी लंबी सी पूरी जीभ बाहर निकाल ली और कप में नीचे से उपर तक जीभ घसीट कर बहुत ही सेक्सी मुद्रा में माको दिखा आइस्क्रीम चाटने लगा. अजय पलंग के पास खड़ा था और उसका लंड
माके पास ही पूरा तना हुआ था. माँ ने एकाएक कप में से अंगुल की सहयता से बड़ा सा आइस्क्रीम का ढेला निकाल लिया और वह ठीक से अजय के लंड पर चुपड दिया. फिर माँ नीचे झुकी और आइस्क्रीम से चुपडे मीठे और ठंडे लंड को मुख में भर चूसने लगी. तभी में माँ
की चूत पर झुक गया और कप में से थोड़ी आइस्क्रीम माँ की चूत के छेद में डाल दी और वह मीठी चूत चाटने लगा. माँ ने जब लंड
चूसना बंद किया तो अजय ने भी माँ की चूत में आइस्क्रीम डाल माँ की चूत चाटी. आख़िर आइस्क्रीम खाने का बहुत ही कामुक दौर समाप्त हुवा.

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अपडेट-29

में: "देखा मुन्ना माके साथ मस्ती करने का मज़ा. देखो, मा कितनी खुल के मस्ती करवाती है. चलो हम तीनों साथ साथ नहाते हैं. आइस्क्रीम से बदन चिपचिपा हो गया है." यह कह हम सब मेरे बड़े बातरूम में आ गये. हम तीनों शवर के नीचे थे तभी मेने फुल फोर्स में शवर खोल दिया. ठंडे पानी की तेज़ धार हम तीनों के नंगे बदन पर पड़ने लगी. हम दोनों भाइयों ने माको हमारे बीच में लेकर बाँहों में जाकड़ लिया. मेने अपना लंड माकी गांद से भिड़ा रखा था और अजय ने झांतदार छूट से. हम कसमसाते हुए शवर में नहा रहे थे. तभी मेने एक बड़ी सी शॅमपू की बॉटल ली और ढेर सारा शॅमपू माके, अजय के और मेरे माथे पर गिरा दिया और शवर बंद कर दिया. में माके घने बालों को रग़ाद रग़ाद शॅमपू का झाग पैदा करने लगा, मा अजय के सर पर और अजय मेरे सर पर. यह बहुत ही फोम पैदा करनेवाला शांपू था इसलिए हम तीनों के सर, चेहरा और पूरा बदन फोम से भर गया. अब हम तीनों आपस में एक दूसरे के बदन रग़ाद रहे थे. मा मेरा लंड, गोतियाँ और झाँटेन रग़ाद रही थी, में अजय का लंड और उसकी गांद रग़ाद रहा था और अजय माकी छूट, चूचियाँ और गांद रग़ाद रहा था. हम एक दूसरे को रग़ाद रग़ाद कई देर नहलाते रहे. फिर मेने वापस शवर खोल दिया और कई देर फिर शवर के नीचे गुत्थम गुत्था होते हुए नहाते रहे.

कुच्छ देर बाद मेने शवर बंद कर दिया. हमारे बदन से पानी चू रहा था. अजय बातरूम के टीले लगे फ्लोर पर बैठ गया और मेरे खड़े लंड को मुख में ले चूसने लगा. उसकी देखादेखी मा भी नीचे बैठ गई और मेरी गोटियों से खेलने लगी. माने भी मेरे लंड पर मुख लगा दिया. कभी अजय उसे मुख में ले लेता और कभी मा. मा मेरी गांद दबा रही थी. तभी मुझे पेशाब करने की शंका महसूस हुई और मान में एक शरारत भरा ख़याल आया. माके मूतने का दृश्या मेरी आँखों के आयेज आने लगा. मेने सोचा की क्यों ना आज माके मुख में मूट की धार छ्चोड़ दूं. अभी यह पूरी मस्त है और एक बार इसके मुख में मेरे मूट की धार चली गई तो यह भी बिना हिचक के अपना मूत्रपान हम दोनो भाइयों को करवाएगी. यह सोच मेने अपना लंड माके मुख में पूरा तेल दिया और मूतने के लिए ज़ोर लगाया. ज़ोर लगाते ही हल्के हल्के मुत्रा धार निकल माके हलाक में गिरने लगी. पहले तो पूरी भीगी हुई माके समझ में ही नहीं आया की क्या हो रहा है पर फिर उसने मेरा लंड मुख से बाहर निकाल दिया. अब मेरे मुत्रा का वेग बढ़ गया था और मोटी धार के रूप में लंड से फोर्स के साथ निकल रहा था. माने ओर अजय दोनोने देखा की में मूट रहा हूँ. अजय यह देख पुर जोश में आ गया और उसने मेरे लंड को झट से अपने मुख में ले लिया और वा मेरा मूट गतगत पीने लगा. तोड़ा मूट अजय को पीला मेने लंड अजय के मुख से निकाल लिया और मुत्रा धार छ्चोड़ते हुए लंड को माके बंद होंठों से च्छुवा लंड मुख में देने के लिए ज़ोर लगाने लगा. मेरा मूट माके होंठों और पुर चेहरे को तार कर रहा था. मेने मा का चेहरा पकड़ उसे अपने लंड पर दबा दिया और माने मुख खोल दिया. मेने माके मुख में लंड दे दिया और तब तक माके मुख में मूटता रहा तब तक की मेरे मूट रुक नहीं गया और माने भी मेरे मूट की एक भी बूँद व्यर्थ नहीं जाने दी.
 
में: "मा कैसा लगा अपने बेटे के मूट का स्वाद? मा चलो अब तुम खड़ी हो जाओ और आज हम दोनो बेटों के सामने खड़ी खड़ी मूटो. मा में तेरी झांतदार छूट से मूट की धार बहती हुई देखना चाहता हूँ. मुन्नने तो कई बार तुझे मूटते हुए देखा है पर मेने तो आज तक किसी औरत को ही मूटते हुए नहीं देखा."

मा: "तुम बहुत शरारती हो. माको छोड़ तो तूने कल ही लिया था और आज अपना मूट पीला उसे अपनी रंडी बना लिया. जब तुम लोगों ने मुझे अपनी रंडी बना ही लिया है तो में खुद भी रंडी बन पूरा मज़ा क्यों ना लून. मुझे तुम दोनो से प्यार है, तुम दोनों के लुंडों से प्यार है, तुम्हारे वीर्या को छूट में झदाने से प्यार है और सच कहूँ तो तेरा मूट भी मुझे बहुत मजेदार लगा. उसे पी कर तो में पूरी मस्त हो गई हूँ. में एक रंडी बन गई हूँ, एक ऐसी रंडी जो पूरी बेशरम हो कर छुड़वाना चाहती है, तुम लोगों से गांद मरवाना चाहती है, तुम लोगों का मूट पीना चाहती है. तो तू मुझे मूटते हुए देखना चाहता है. अब में मूट के खाली दिखावँगी नहीं बल्कि तुम दोनों के खुले मुख में मूतुँगी. यह सोच कर ही मुझे पेशाब करने की बहुत ज़ोर से हाज़त लग गई है." यह कह मा खड़ी हो गई. में और अजय फ्लोर पर घुटनों के बाल बैठ गये और माकी छूट पर अपनी आँखें गाड़ा दी. मेने माकी छूट थोड़ी छोड़ी कर ली और छूट के च्छेद के उपर बने पेशाब के च्छेद को अजय को दिखा हुए कहा,

में: "मुन्ना देख यह माका पेशाब करने का च्छेद है. माके मूट का झरना यहीं से बहेगा."

अजय: "भैया में तो सोचता था की जैसे हम लोगों के लंड में झड़ने का और मूतने का एक ही च्छेद है वैसे ही माका भी छोड़ने का और मूतने का एक ही च्छेद होगा पर माके तो अलग अलग हैं."

में: "अरे माके हर च्छेद का अपना अपना स्वाद है. तू देखता जा तुझे माके एक एक च्छेद की मस्ती करवाता हूँ. मा चलो अब मूतोना." मेरी बात सुन माने ज़ोर लगाया और मुत्रा च्चिद्रा से चुर्र्रर चुर्र्रर की आवाज़ से मुत्रा की तिवरा धार बह निकली. मुत्रा का रंग बिल्कुल पानी जैसा ही था. मेने फ़ौरन पूरा मुख खोल एक कप की तरह वहाँ जड़ दिया और माका वा अमृतमय मूट गतगत पीने लगा. तभी अजय ने कहा की भैया सारा अकेले मत पी जाना तोड़ा मेरे लिए भी छ्चोड़ना. अजय की बात सुनते ही मेने उस बहते झरने से मुख हटा मुन्ना का मुँह वहाँ लगा दिया. मुन्ना भी पूरा मस्त हो माका मूट पीने लगा. फिर मेने अजय का मुख वहाँ से हटा दिया और उस मुत्रा धार को अपने चेहरे पर गिरने दिया बीच बीच में अजय भी उसके सामने अपना चेहरा ले आता. हम दोनो भाई उस मादक मुत्रा स्नान का तब तक मज़ा लेते रहे जब तक मूट की धार पूरी तरह से बंद नहीं हो गई.
 
माके मूट का स्नान ख़तम होते ही मेने वापस शवर खोल दिया और कई देर हम फिर शवर के नीचे नहाते रहे. इसके बाद मेने किंग साइज़ का टवल एक साथ हम तीनों के शरीर पर लपेट लिए और उस विशाल टवल के अंदर घुसे हुए हम तीनों हिल हिल कर अपनी पीठ, छाती, कमर, गांद उस टवल पर रगड़ते हुए पोंच्छने लगे. अपने बदन से पानी को सूखा कर हम वापस कमरे में आ गये.

मा: "ठंडे पनिसे नहाने के बावजूद भी मेरा शरीर तो जला जा रहा है. पुर शरीर में जैसे आग सी लग गई है. विजय बेटे तेरे मूट में ऐसा क्या मिला हुवा था की जब से उसे पिया है तब से एकाएक मेरे शरीर में जलन होने लगी है. देखोना मेरी छूट में चिंतियाँ सी रेंग रही है. पूरी छूट भीतर से जल रही है. तुम लोग खड़े खड़े देख क्या रहे हो? मेरा कोई इलाज कारोना. नहीं तो में जल के राख हो जवँगी." ऐसा कह माने मेरे होंठ अपने मुख में ले लिए और उन पर हल्के दाँत गादाती हुई अत्यंत कामतूर हो मेरे होंठ चूसने लगी. कई देर मेरे होंठ चूसने के बाद मा अजय के भी होंठ उसी तरह चूसने लगी.

में: "मा वही हालत मेरी हो रही है. तेरे मूट का स्वाद चखने के बाद तो ऐसी मस्ती चढ़ि है जैसी की आज तक नहीं चढ़ि. में तो आज तेरी गांद मारूँगा. आज मुन्ने की बरी है. वा जिंदगी में पहली बार एक औरत की छूट छोड़ेगा और वा भी अपनी माकी. मा मुन्ने को अपनी छूट बहुत मस्त हो कर देना. उसको छूट का ऐसा चस्का लगा दे की छूट का कीड़ा बन जाय. क्यों मुन्ना माकी छूट लेगा ना? खूब मस्त हो कर माको छोड़ना. तू बहुत नसीब वाला है की जिंदगी की पहली छूट तू अपनी माकी छोड़ने जा रहा है."

अजय: "हन भैया आप दोनो का मूट पीने से जो मस्ती चढ़ि है वैसी तो आज तक नहीं चढ़ि. मेरे लंड की नसें फॅट रही है. आज तो खूब मस्ती करते हुए, मज़ा लेते हुए में अपनी इस मस्तानी माको छोड़ूँगा. इसको जब में खेतों में मूटते हुए देखता था तब इसे छोड़ने की इच्छा नहीं हुई लेकिन इस साली का मूट पीकर तो ऐसी इच्छा हो रही है की एक झटके में ही पूरा लंड इसकी छूट में जड़ तक पेल डून, इसे एक रंडी की तरह छोड़ूं और चोद चोद कर इसकी छूट का भोसड़ा बना डून." यह बोल अजय माकी छूट के सामने घुटनों के बाल बैठ गया और उसमें पूरी जीभ घुसा उसे चाटने लगा. माकी छूट का दाना जो पूरा ताना हुवा था, उस पर दाँत गाड़ाने लगा.
 
अपडेट-31

दूसरा दिन रविवार का था. आज हम तीनों ने बाहर का प्रोग्राम बनाया. ईव्निंग शो में हम एक मल्टिपलेक्स में पिक्चर देखने गये. पिक्चर ख़तम होते ही हम लवर्स' पार्क में आ गये और पार्क का एक चक्कर लगाया. फिर मस्ती भारी बातें और च्छेद छ्छाद करते हुए हुँने चाट और पाव भाजी का मज़ा लिया. फिर आइस्क्रीम चूसी और छाती. इसके बाद सुगंधित पॅयन का एक एक बीड़ा हुँने एक दूसरे को खिलाया. घर वापस पाहूंचते पाहूंचते रात के 11 बाज गये थे. मा आधा घंटे में फ्रेश होकर निघट्य में मेरे कमरे में आ गई. तब तक हम दोनो भाई भी फ्रेश हो चुके थे और शॉर्ट्स और बाणयान पहने अपनी चुदसी माका इंतज़ार कर रहे थे. पिच्छले दो टीन दिनों में ही हम तीनों आपस में पुर खुल चुके थे. में बेड पर बैठा हुवा था और मुन्ना भी मेरे बगल में बेड पर ही बैठा हुवा था. जैसे ही मा बेड पर बैठने को हुई मेने माका हाथ पकड़ लिया और खींच कर उसे अपनी गोद में बैठा लिया.

में: "अरे मेरी राधा रानी! मेरी गोद के होते हुए पलंग पर क्यों बैठ रही हो? तूने तो दो ही दिनों में हुमें अपने पर लट्तू कर लिया है. मुन्ना तो तेरी एक ही छुदाई में तेरा दीवाना हो गया है, तेरी छूट का रसिया बन गया है. जब तक इसने तुझे छोड़ा नहीं था तब तक तो यह पक्का गंदू था और तेरे छुड़ाने से भी ज़्यादा मस्त हो कर अपनी गांद मरवाता था. अब यह अपनी मस्तानी गांद शायद ही मुझे मारने दे क्योंकि अब यह भी तेरी छूट का दीवाना बन गया है. क्यों रे मुन्ना ठीक कह रहा हूँ ना, क्या अब भी अपने बड़े भैया को अपनी गांद दोगे?"

अजय: "भैया आप भी कैसी बातें कर रहे हो? आप जब भी इशारा करेंगे आपके लिए तो में फ़ौरन मेरी पंत नीचे सरका लूँगा. आप कहें तो अभी यह शॉर्ट्स नीचे सरका लून. मेरे भैया के लिए मेरी गांद हरदम हाजिर है. क्या भैया आप माके सामने मेरी गांद अभी मारेंगे?"

मा: "रे अजय एक पूरा मर्द होकर तुम्हें यह गांडू शौक कैसे लग गया जो मर्दों के लंड के आयेज अपनी पंत नीची करते फिरते हो. तुम मर्दों को च्छेद में डालने के लिए बनाया गया है और हम औरतों को च्छेद में लेने के लिए बनाया गया है पर तुम तो उल्टी रीत चला रहे हो और हम औरतों की तरह अपना च्छेद उघाड़ उघाड़ दिखाते फिरते हो. कल तूने एक ही छुदाई में मेरी नस नस ढीली करके रख दी थी और मुझे दो दो बार झाड़ दिया था. किसी भी औरत को अपनी दीवानी बना लेने की तुम में पूरी ताक़त है पर फिर भी तेरा यह पिच्छावाड़े में पिलवाने का शौक़, सोच के ही मुझे तो शर्म आती है."
 
अजय: "मा गाँव में में ज़रूर दो दोस्तों के साथ यह मज़ा लेता था पर जब से भैया के 11" के केले का मज़ा लिया है में तेरी कसम ख़ाके कहता हूँ की ना तो मेने किसी भी दूसरे मारद की तरफ झाँका है और ना ही कभी जिंदगी में झानकुंगा. हन भैया चाहेंगे तो मेरा ना करने का सवाल ही पैदा नहीं होता. तू क्यों जल रही है. तू भी तो मेरे प्यारे भैया का लॉडा पिलवाने की इस उमर में आ कर जब इतनी शौकीन है तो में भी भैया के लंड की थोड़ी मस्ती ले लेता हूँ तो तुझे क्या? जैसे तू खुद छुड़ाने की और अपनी गांद मरवाने की शौकीन है वैसे ही में भी अपने बड़े भैया के लॉड का दीवाना हूँ, उनसे गांद मरवाने का शौकीन हूँ. अपने बड़े भाई से गांद मरवाने में मुझे कोई शर्म नहीं है."

मा: "हन भैया का तो तू पूरा दीवाना है और तेरे भैया भी तो तेरे कम दीवाने नहीं है. आज ज़रा में भी तो तुम दोनों की यह लीला देखूं. में भी तो देखूं की एक मर्द दूसरे मर्द की कैसे गांद मारता है और दूसरा गांडू कैसे मरवाता है." मा मेरी गोद में बैठी हुई अजय से बातें कर रही थी. माकी भारी गांद की गर्मी पा मेरा लंड खड़ा होने लगा था. मेने माकी चूची निघट्य के उपर से ही पकड़ रखी थी और बहुत ही हल्के हाल्के दबा रहा था. बीच बीच में में अपनी प्यारी माके गालों की पूछियाँ भी ले रहा था. तभी मेने बगल में बैठे अजय को आयेज झुका दिया. अजय मेरा इशारा समझ गया और उसने अपनी गांद मेरे और माके आयेज उभार दी. मेने अजय की औरतों जैसी गांद पर कई ज़ोर ज़ोर की थपकीयाँ दी और उसका शॉर्ट्स उसकी टाँगों से बाहर निकाल उसकी गांद नंगी कर ली. फिर में मुन्ना की गांद के गोल च्छेद को फैलाते हुए खोदने लगा.

में: "देख मा अपने छ्होटे बेटे की गांद का मस्त गोल च्छेद जिसका तेरा बड़ा बेटा पूरा शौकीन है और तेरा छ्होटा बेटा भी देख कितने शौक़ से अपने बड़े भाई के लिए यह मज़ा देने वाला च्छेद पेश कर रहा है. अरे मा तेरे पास तो खाली च्छेद ही च्छेद है, एक भी डंडा नहीं है नहीं तो तू भी इसे छ्चोड़ती नहीं. ऐसे शौकीन लौंदे की गांद मारने का मज़ा तुम क्या जानो, क्योंकि तेरे पास मेरे जैसा लॉडा नहीं है. नहीं तो तू भी ऐसे शौकीन लौंदे को छ्चोड़ती नहीं." मेरी बातें सुन सुन धीरे धीरे मा भी मस्त हो रही थी और उसने ज़ोर से मेरे होंठों का एक चुंबन ले लिया. अब मेने पलंग की साइड टेबल के ड्रॉयर में पड़े वॅसलीन के जर से अंगुल में काफ़ी वॅसलीन लगा ली और उसे मुन्ना के च्छेद पर ठीक से माल दिया. फिर मेने धीरे धीरे एक अंगुल पूरी मुन्ना की गांद में घुसेड दी और वा अंगुल गांद में बाहर भीतर करने लगा. यह नज़ारा देख मा पूरी मस्त हो गई और ना जाने उसे क्या सूझी की वा मेरी गोद से उठ कर मुन्ना की गांद के पिच्चे घुटनों के बाल बैठ गई. उसने निघट्य सर के उपर से बाहर निकाल दी और नीचे कुच्छ भी ना पहने हुए होने की वजह से पूरी नंगी हो गई. उसने अपनी दाहिनी चूची दोनो हाथों से पकड़ी और उसका ताना हुवा निपल मुन्ना की गांद के खुले च्छेद से लगा दिया. मा च्चती का पूरा ज़ोर लगा वा निपल गांद में ठेलने लगी. मा बेटे का बहुत ही सेक्सी नज़ारा था. एक मदमस्त मा अपने गान्डू बेटे की गांद अपनी चूची से मार रही थी.
 
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