Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद - Page 5 - Sex Baba Indian Adult Forum
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Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद

अपडेट-24

आज में घर कुच्छ जल्दी आ गया. माँ किचन में खाना बनाने का काम कर रही थी. में अपने रूम में आ गया और फ्रेश होकर नाइट ड्रेस
चेंज कर वापस टीवी के सामने बैठ गया. थोड़ी देर में माँ भी किचन का काम ख़तम कर मेरे पास आ कर बैठ गई.

में: "क्यों माँ, मुन्ना के आजाने से अब तुझे नींद नहीं आ रही होगी. कैसे काम चलाती हो? रात भर बिस्तर पर पड़ी इधर से उधर करवट बदलती रहती होगी और अपनी चूत में अंगुल पेलती रहती होगी. तेरे से ज़्यादा तो तेरी चूत की चिंता अब मुझे है. ऐसा करना कि आज तुम वापस सज धज कर पूरे दुल्हन वाले रूप में आना. देखना मुन्ना तुम्हें जब इस रूप में देखेगा तो हक्का बक्का हो जाएगा. वैसे भी दुल्हन
के रूप में तो तुम कयामत ढाती हो. याद हैना तेरी पहली बार तो मेने दुल्हन वाले रूप में ही ली थी. कैसे मेने तेरे एक एक करके
कपड़े उतारे थे और तुझे पूरी नंगी करके तेरी क्या जबरदस्त चुदाई की थी."

माँ: "चल बेशरम कहीं का. जब तक अजय यहाँ है, ऐसी बातें बिल्कुल नहीं. अजय को थोड़ी भी भनक नहीं लगनी चाहिए."

में: "तुझे बताया तो था कि अजय की तुम बिल्कुल चिंता मत करो. अजय तो अपने भैया का तेरे से भी ज़्यादा दीवाना है. वह तो मेरी खुशी
के लिए हरदम तैयार रहता है. तुझे मालूम है? मेरा पक्का लौंडा है वह." यह बात मेने माँ की आँखों में झाँक कर कही.

माँ: "तो क्या तूने यह भी शुरू कर रखा है? तभी अजय आजकल गहरी गहरी बातें करता है. कल मुझे अपने भैया की दुल्हन बनाने के लिए कितना ज़ोर लगा रहा था? में तो इसे उसकी नादानी समझ रही थी, अब पता चला कि वह नाटक तुम दोनो की मिलीभगत का नतीज़ा था. क्या सचमुच में तुम अजय के साथ लौंडेबाज़ी करते हो? कहाँ तो मेरा भोला सा सीधा साधा छोटा बेटा और कहाँ तुम एक नंबर का चालू. तो तूने अपने चिकने भाई को भी नहीं छोड़ा? यह तो मुझे शक़ था कि गाव में उसकी संगत कुच्छ लौंडेबाज़ किस्म के मर्दों से थी, पर तेरे
साथ वह इस हद तक खुल जाएगा, विश्वास नहीं होता. तेरी तो वह भगवान जैसी इज़्ज़त करता है. ज़रूर तूने उसके साथ ज़बरदस्ती की होगी और शरम के कारण अजय कुच्छ बोलता नहीं होगा. बेचारा मेरा मासूम बेटा. वह तेरा गधे सा मूसल कैसे झेलता होगा. बहुत ही शर्मीले किस्म का लड़का हैना, तेरे काम निपटाने तक चुपचाप पड़ा रहता होगा बेचारा."

में: "अरे माँ ऐसी बात बिल्कुल नहीं है. जानती हो अजय एक नंबर का गांडू है. तुझे चुदवाने का शायद जितना शौक़ नहीं होगा उससे ज़्यादा शौक उसे गान्ड मरवाने का है. में तो एक दिन सोया हुआ था तभी उसने मेरे लंड से अपनी गान्ड भिड़ा दी और मेरे लंड पर अपनी गान्ड दबाने लगा. एक तो मुन्ना एकदम मक्खन सा चिकना है, लड़कियों जैसा कमसिन है, औरतों जैसी मस्त भारी और फूली हुई गान्ड है और उपर से गान्ड मरवाने का पक्का शौकीन है. अब तू ही बता ऐसा मस्त लौंडा जब खुद अपनी गान्ड मेरे लंड पर दबाए तो में क्या ब्रह्मचारी बना
रह सकता था? मेने तो तेरी मस्त जवानी देख तुझे नहीं छोड़ा और आख़िर में तुझे अपने साथ सुला ही लिया फिर अजय तो मेरे साथ सोता ही है, उसे कैसे छोड़ देता? लेकिन मुन्ना भी ठीक तुम्हारी तरह मस्ती लेने का पूरा शौकीन है, भैया से खुल के मज़ा लेता है और भैया को भी पूरा मज़ा करवाता है."

माँ: "अभी तो तू कह रहा था कि तुम्हे मेरे से ज़्यादा मेरी चूत की चिंता है. मेरी फ़िक़ार लगी हुई थी कि में एक बार तेरा लंड लेलेने के बाद अब रात कैसे काटती होऊँगी. पर तेरे लंड को तो छोटे भाई की गुदाज गान्ड मारने को मिल रही है. तुझे मेरी चूत की कहाँ फिक़र है वह
तो अपने भाई की गान्ड के आगे तुझे याद भी नहीं आती होगी. तो तुम दोनो भाइयों की यह रास लीला कब से चल रही है?"

में: "देखो माँ इस मामले में तो मुन्ना ने तुम से बाज़ी मार ली. तुम तो इतनी मस्तानी चूत और गांद लेकर अंगुल करती ही रह गई थी. यह तो भला हो कि मेने ही अपनी तरफ से कोशिश की कि माँ को भी मुन्ना की तरह बड़े से लंड की ज़रूरत है और जब मेरे पास यह है तो क्यों ना माँ को दे दिया जाय? तेरी खुशी के लिए मुझे अपना लंड देने में भी कितने पापड बेलने पड़े तब कहीं जा कर में तुझे अपना लंड दे पाया. वहीं मुन्ना ने तो खुद मेरे लंड को अपनी गांद का रास्ता दिखा दिया और बेचारे लंड का क्या दोष उसे तो बिल दिखेगा तो वा तो उस में जाएगा ही."

 
माँ: "तो आज वापस मुझे दुल्हन के रूप में अपने कमरे में बुला कर तुम दोनो भाई एक साथ मेरे साथ सुहागरात मनाओगे. तो क्या तूने अजय को अपने बीच की सारी बातें बता दी?"

में: "नहीं माँ तेरी मेरी पर्सनल चुदाई के बारे में मेने मुन्ना को कुच्छ भी नही बताया है और ना ही आगे बताउन्गा. तू भी उसे मत बताना. उसके सामने हम दोनों इस तरह पेश आएँगे कि जैसे सब कुच्छ पहली बार हो रहा है. इस में वापस नये के जैसा मज़ा आएगा. दूसरी बात मुन्ना और मेरे बीच अब कोई परदा नहीं रहा है. मुन्ना को में बहुत प्यार करता हूँ और मुन्ना भी मेरी उतनी ही इज़्ज़त करता है. यह समझ लो की हम दोनो भाई दो जिस्म एक जान हैं. जो कुच्छ भी मेरा है वह सब मुन्ना का है. इसलिए मुन्ना के बारे में बिल्कुल भी मत सोचो और हम दोनों भाइयों को अपनी मस्त जवानी का खुल कर मज़ा दो. एक बात तुझे ऑर बताता हूँ की मुन्ना को यह गानडुपने का शौक़ गाँव से लगा हुआ है
. वैसे तो मुन्ना मेरी ही तरह एक पूरा मर्द है, मस्ताना लंड है, जोश है, जवानी है पर अभी तक उसने औरत की चूत का स्वाद नहीं चखा है और गाँव में ना कभी इसे चखने की उसके मन में आई. उसे चूत का मज़ा देना ज़रूरी है नहीं तो कई गांडुओं को खाली गान्ड मरवाने में
ही मज़ा आता है और औरत की चूत देखते ही उनका लंड मुरझा जाता है. आगे शादी व्याह करके उसका घर भी तो बसाना है." तभी घर
की घंटी बज उठी. माँ ने उठ कर दरवाजा खोला तो अजय था.

माँ: "विजय बेटा तो आज जल्दी ही घर आ गया था, तेरा कब से खाने के लिए इंतज़ार हो रहा है. चल तू भी रेडी हो जा, में दोनो भाइयों का खाना लगाती हूँ." यह कह माँ किचन में चली गई और अजय मेरे रूम में. थोड़ी देर में हम तीनों खाने की टेबल पर थे. तीनों ने रोज की तरह हँसी मज़ाक और बातों में खाना खाया. खाना ख़तम होने पर माँ अपने कमरे में चली गई और हम दोनो भाई टीवी के सामने बैठे रहे.
थोड़ी देर बाद माँ ने कहा कि वह नहाने जा रही है. हम दोनो भाई भी अपने कमरे में आ गये. में भी शवर लेने बाथरूम में चला गया. में काफ़ी देर बाद बाथरूम से निकला तो अजय बिस्तर पर लेटा हुआ था. में भी बिस्तर पर आ कर बैठ गया. हम दोनो भाई इधर उधर की बातों में खो गये.

करीब 45 मिनिट्स यूँ ही बीत जाने के बाद 10.30 के करीब माँ हमारे कमरे में आई. माँ की आज की सजधज देखने लायक थी. वही शादी का जोड़ा, सर पर चुनर, माथे पर बिंदिया, गले में सोने का हार, हाथों में कंगन और साथ ही दुल्हन वाली नज़ाकत और शर्म. अजय एक
तक माँ को देखे जा रहा था. माँ धीरे धीरे चलती हुई आ कर हमारे साथ बिस्तर पर बैठ गई.

"लो पंडितजी महाराज दुल्हन भी तैयार हो कर शादी का जोड़ा पहन कर आ गई. चलिए चट मँगनी पट व्याह वाला काम शुरू कीजिए." माँ ने अजय की तरफ देखते हुए हंसते हुए कहा.

"माँ तू तो सचमुच में मेरी भाभी बनने के लिए दुल्हन बन कर तैयार हो कर आ गई. हां, भैया जैसा दूल्हा बड़े नसीब वालियों को मिलता है. कहीं लड़के वालों का इरादा ना बदल जाय तो तुझे तो जल्दी दिखानी ही थी. क्यों भैया, आपसे ज़्यादा तो आपकी दुल्हन को जल्दी है, तैयार हैं ना?" अजय ने मेरी ओर देखते हुए कहा.

में: "ऐसी मस्त और सुंदर दुल्हन को देख कर कोई फूटे नसीब वाला ही ना कर सकता है. मेने तो कल ही कह दिया था कि तुम्हारी पसंद मेरी पसंद है. आगे अब तुम जानो और तुम्हारा काम." मेरी बात सुन अजय ने कुच्छ देर पंडित जैसा मन्त्र पढ़ने का नाटक किया और घोषणा कर दी की हम दोनो पति पत्नी बन गये.

अजय: "भाभी आप कितनी प्यारी लग रही हो. आप जैसी सुंदर पत्नी पाकर मेरे भैया की तो तक़दीर खुल गई है. भाभी आप सजधज के भैया के साथ सुहागरात मनाने तो आ गई है पर में यहाँ से हिलने वाला नहीं. भाभी में तो रात भर यहीं बैठा बैठा आपको देखता रहूँगा."
अजय माँ को बार बार भाभी कह संबोधित कर रहा था और छेड़ रहा था.

माँ : "तू यहाँ से क्यों हिलेगा, तू तो पहले ही मेरी सौत बनके बैठा हुआ है. में तेरी सारी लीला गाँव से ही जानती हूँ. वहाँ हरदम लौंडेबाज़ों की संगत में रहता था. यहाँ भी जब ऐसे गबरू जवान भैया के साथ सोता है तो सुहागरात तो तूने बहुत पहले से ही मना ली होगी. छिप गया होगा अपने भैया से. आजकल भैया का तो तू खासम खाश बना हुआ है. भैया की हर बात में हां में हां मिलाते रहता है. साथ में तेरा सैंया भैया भी तुझे ज़्यादा ही हवा दे रहा है. में सब समझ रही हूँ. गाँव में तो तेरे मुख से बोली तक नहीं निकलती थी. यहाँ तो तू ऐसे खिल गया है जैसे लड़की शादी के कुच्छ दिनों बाद खिल जाती है. तुम मुझे कितना ही भाभी भाभी बोलो और देवर बनने की कोशिश करो पर तू मेरी सौत है मेरी सौत. समझ रहे हो ना सौत का मतलब?" माँ ने सौत शब्द पर बार बार ज़ोर देकर कहा. अजय जो इतनी देर से शेर बना हुआ था और माँ पर हाबी था, माँ की बात सुन उसकी सिट्टी-पिटी गुम हो गई और वह बूरी तरह से झेंप गया. उसने शर्म से गर्दन झुका ली.

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अपडेट-25

माने जब अजय को सौत कहा तो वा बूरी तरह से शर्मा गया. वैसे अजय मेरे से पूरा खुला हुवा था. मुन्ना भी मेरे साथ साथ माकी बहती जवानी में डुबकी लगाने के लिए पूरा तैयार था और अपनी ओर से माको पटाने की पूरी कोशिश भी कर रहा था पर जब उसे पता चला की उसका भैया से गांद मरवाने का राज मा पर खुल गया है तो माके सामने एक बार तो लाज आना लाज़मी था. अजय बिस्तर पर नज़रें गड़ाए चुपचाप बैठा हुवा था. तब मेने ही स्थिति को वापस सामान्या बनाने की कोशिश की.

में: "मा, मुन्ना को अपनी सौत मत समझो बल्कि मेरी जान कहो. जब मुन्ना को तूने अपनी सौत मान ही लिया है तो इसका मतलब तू मेरी रानी बन गई है. मुन्ना तो पहले से ही मेरा मस्त चिकना माल है लेकिन तुम क्यों चिंता करती हो. तुझे तो में अपने दिल की रानी बनाके रखूँगा. मेरे सपनों की रानी तो तू पहले ही थी और अब मुन्ना को सौत कह के तो तू मेरी व्याहता बीवी बन गई हो. तुझे तो खुश होना चाहिए की तुझे ड्यूवर के रूप में मेरा इतना चहेता प्यारा भाई मिला है. मेरे ओर मुन्ना के बीच तो पहले से ही कोई परदा नहीं है और आयेज तेरे और मेरे बीच भी कोई परदा नहीं रहने वाला है तो फिर हम तीनों आपस में कोई परदा क्यों रखें? चल मुन्ना खुश होज़ा माने तुझे सौत कह कर यह मान लिया है की अब से वा मेरी बीवी बन गई है. देखना, आज में तेरे सामने ही सुहाग्रात मनवँगा और तेरे सामने ही इसकी लूँगा." मेरी बात सुन अजय विजयी भाव से माकी तरफ देख मुस्करा उठा.

अजय: "मा तूने भैया की बात सुनी? देख, भैया मुझे कितना प्यार करते हैं. पर भैया दिन रात तेरे ही नाम की माला जप्ते हैं, तुझ पर तो भैया मरते हैं. तुझे तो अपने दिल की रानी बना के रखेंगे. तेरी आज तक की सारी प्यास बुझा देंगे. तुझे पता नहीं की भैया मुझे कितना मज़ा देते हैं. तू एक बार भैया से मज़ा लेलेगी तो तू खुद उनकी दीवानी हो जाएगी. मा, भैया का बहुत तगड़ा है, देखेगी तो पूरी मस्त हो जाएगी. सुना तूने, भैया ने क्या कहा? उन्होने कहा की वे मेरे सामने तेरी लेंगे. समझ रही हो ना की भैया तेरी क्या लेंगे?
 
मा: "अच्छा तो अब तू मुझे समझाएगा की पति सुहाग्रात में अपनी पत्नी की क्या लेता है. तेरे को उसके बारे में क्या पता? तेरी उमर में आते आते आजकल के छ्होकरे तो उस में दसियों बार डुबकी लगा चुके होते हैं. पर तू तो मर्दों के सकर्कांडों का शौकीन है, उन्हें अपने पिच्छावाड़े में ओतता है. मेरा बड़ा बेटा यही बोल बोल के तो मेरे सामने ही तुझे च्छेद रहा था तो में क्या इन बातों का मतलब नहीं समझती? अब जब तू भी खुल गया है तो तुझे समझाती हूँ की पति सुहाग्रात में पत्नी की क्या लेता है. हम औरतों की दोनो टाँगों के बीच एक पावरोती के लोफ सा फूला हुवा अंग होता है जिसके बीचों बीच खूब गहरा सुराख होता है. हम लोगों का यह अंग काले काले रेशमी बालों से भारती रहता है. भीतर देखने से यह बिल्कुल सुर्ख लाल रंग का दिखाई पड़ता है. हम लोगों के इस अंग से कुदरती तौर पर गढ़ा लसलसा रस निकलता रहता है जिससे यह भीतर तक पूरा चिकना रहता है, तुम्हरीवली की तरह इसमें वॅसलीन नहीं चुपाड़नी पड़ती. हर जवान मर्द इसकी फिराक़ में रहता है, इसको पाने के लिए कुच्छ भी कर सकता है, इसको पाने के लिए जवान औरतों के हज़ारों नखरे सहता है. सुहाग्रात में पति पत्नी का यही मस्त अंग लेता है. तेरे भैया भी अगर मेरे साथ आज सुहाग्रात मनाएँगे तो मेरी इसी खाश चीज़ को लेंगे और तेरे भैया को पूरी मस्त होकर आज इसका मज़ा चखवँगी."

अजय: "मा मेने तो तुम्हें भैया की दुल्हन यह सोच कर बनाया था की तुम एक बहुत शर्मोहाया वाली और आचार विचार वाली औरत हो पर तुम तो पक्की मारआडमार और बेशरम औरत निकली. कम से कम इस सुहाग्रात की बेला में तो थोड़ी लाज शरम रखती, दुल्हन की तरह शरमाती, नखरे दिखती, कहती की मुझे क्या पता तेरे भैया क्या लेंगे पर लगता है की तू तो अपनी चीज़ देने के लिए मारी जा रही है." यह कह अजय मेरी तरफ देखते हुए बोला, "भैया अब आपकी जोड़ी की सही लुगाई मिली है. आप खुद जितनी अश्लील खुली खुली बातें करते हुए मस्ती लेते हैं आपकी लुगाई उससे भी ज़्यादा खुली खुली गंदी बातें करने की शौकीन है. आप मा पर ऐसे ही लट्तू नहीं हुए. मा बिल्कुल आपकी तबीयत की औरत है, आपको माके साथ बहुत मज़ा आएगा."

में: "में माको अच्छी तरह से जानता हूँ. अपनी मा बहुत रंगीन तबीयत की पूरी आशिक़ मिज़ाज की औरत है. मेरी ही तरह एक बार खुल जाती है तो झुटे नखरे बिल्कुल नहीं करती, मान में कुच्छ ओर और ज़ुबान से कुच्छ ओर नहीं बोलती, जो बात सच है उसे बिना लाग लपेट के खुलके कहने की हिम्मत रखती है. फिर इस काम का मज़ा तो खूब खुल के बात करते हुए बोल बोल कर करने में ही है और यह बात भला मासे ज़्यादा कौन जानता है. तभी तो मा पर मेरी तबीयत आई है. जब घर में ही ऐसी मस्त लुगाई मौजूद है तो में दुनिया भर में ऐसी दूसरी औरत कहाँ ढूंढता फिरता. मा जैसी मस्त खेली खाई औरत अपने बनके सैंया को जब बिल्कुल खुल के बोल बोल के मस्ती कराती है तो उस मज़े का क्या कहना?"
 


अजय: "मा देखा, भैया तुम्हें कितना समाझते हैं और प्यार करते हैं. भैयाने बहुत उम्मीद से तुझसे दिल लगाया है, उन्हे निराश मत करना. मेने उसमें डुबकी नहीं लगाई तो क्या पर मुझे पता है की भैया तेरी दोनों टाँगों के बीछवाली चीज़ ही मेरे सामने लेंगे और तुम जितनी खुल के बात कर रही हो उतनी ही मस्त हो कर अपनी चीज़ देना. भैया के लेनेका मतलब ठीक से समझ रही होना, फिर नखरे मत करने लग जाना की तुझे लेने का मतलब नहीं समझ में आया."

मा: "मेने बताया ना की हम औरतों की दोनों टाँगों के बीच गहरा च्छेद होता है वैसे ही तुम मर्दों की दोनों टाँगों के बीच एक लंबा सा मोटा डंडे जैसा अंग लटकता रहता है, अब यह मुझे नहीं पता की तुम्हारी टाँगों के बीच भी ऐसी कोई चीज़ लटक रही है या नहीं क्योंकि तेरे लक्खां तो ऐसे नहीं है. जब मारद औरत की लेता है तो अपना डंडा औरत के उस लाल च्छेद के अंदर डालता है जैसे की भैया ने जब तुम्हारी मारी थी तो अपना वही दांदा तेरे पिच्छावाड़े के अंदर डाला था. मेने बताया ना की हमारी वाली चीज़ तो नॅचुरल रूप से ही चिकनी रहती है और पूरी गहरी होती है तो किसी भी मारद का चाहे जितना लंबा हो और मोटा हो वा देर साबेर उसमें पूरा चला ही जाता है. फिर मारद जैसे लोकोमोटिव के एंजिन में पिस्टन आयेज पिच्चे होता है वैसे ही अपना डंडा हमारे च्छेद में आयेज पिच्चे करते हैं. ऐसा करने में मारादों को बहुत मज़ा आता है और वे पुर जोश में भर जाते हैं. रेल की स्पीड की तरह उनका जोश बढ़ने लगता है और साथ साथ उनके पिस्टन की भी हमारे च्छेद में स्पीड बढ़ जाती है. फिर जैसे स्टेशन आने से ट्रेन फुसस्स्स करके रुक जाती है वैसे ही उनकी मंज़िल आने से उनका जोश भी ठंडा पद जाता है और उनका फूला हुवा कड़ा डंडा मुरझा कर मारे हुए चूहे जैसा लटक जाता है. अब तुम्हारी समझ में बात आई की मारद इसी तरह हम औरतों की लेते हैं. क्या भैया ने तेरा पिच्छावाड़ा भी इसी तरह लिया था?"

अजय: "मा तुम तो अभी से सौतिया दाह से जलने लगी जो बार बार मेरा पिच्छावाड़ा मेरा पिच्छावाड़ा कर रही हो तो क्या अपनी तंदूर सी फूली हुई गांद भैया से बचा लॉगी? ठीक है भैया तेरी आगेवली तो लेंगे पर क्या तेरे पिच्छावाड़े का तबला बजाने से छ्चोड़ देंगे, क्या तेरे पिच्छावाड़े में अपना हल्लाबी 11" का मूसल ठोके बिना रहेंगे. तू एक नुंबर की चुड़दकड़ है तो आयेज तो आराम से लेलेगी पर भैया जब तेरे पर सांड़ जैसे चढ़ेंगे और तेरे पिच्छावाड़े में पेलेंगे तब देखना तेरी यही ज़ुबान बाहर आ जाएगी जिससे इस समय बड़ी बड़ी बातें कर रही हो."
 


मा: "हम औरतों की छूट में इतनी ताक़त होती है की किसी भी मारद को पूरा झाड़ कर रख दें. जब तेरे भैया मेरी 15 साल से उँचुड़ी छूट का स्वाद लेंगे तो उन्हें मेरी गांद की याद भी नहीं आएगी. पर अब तू अपनी सोच की तेरी लूंदखोर गांद की खाज कौन मिटाएगा क्योंकि तेरे भैया के लंड को तो मेरी छूट से ही फ़ुर्सत नहीं मिलेगी. फिर तुझे कैसे पता की तेरे भैया मेरी गांद भी मारेंगे?"

अजय: "मा भैया की कोई भी बात और इच्छा मेरे से च्चिपी हुई नहीं है. भैया जो तुम पर इतना मरते हैं ना उसका एक बड़ा कारण तेरी फूली फूली मस्त गांद है. भैया मेरे को हरदम कहते रहते थे की मुन्ना देख माकी गांद कैसी मस्त और फूली फूली है. मुन्ना, मा जब झुक कर अपनी गांद पिच्चे उभरती है तो उसे देख मेरा लंड खड़ा हो जाता है और मेरा दिल करता है की माकी सदी उसकी कमर से उपर चढ़ा डून और उसके गोल गांद के च्छेद में एक ही बार में पूरा लंड पेल डून. और सुनो, भैया कहते रहते थे की मा जैसी मस्तानी गांद वाली औरत को तो पूरी नंगी करके अपनी गोद में बैठा लेना चाहिए और उसकी गांद की गर्मी से खड़े लंड को सेक देना चाहिए. भैया कहते हैं की माको जितना मज़ा छोड़ने में आएगा उससे ज़्यादा मज़ा तो उसकी गांद मार के आएगा. मा तेरी गांद पर तो भैया लार टपकाते हैं और भैया का लंड भी लार छ्चोड़ता है. जब तू घर में अपनी गांद मटकाती हुई इधर से उधर फुदकट्ी रहती हो ना तो भैया तुझे देख देख आहें भरते हैं और कहते रहते हैं की 'हाय मेरी राधा रानी एक बार तो सदी उपर उठा अपनी गांद दिखड़े', 'मेरी राधा जानू तूने तो मुझे अपनी गांद का दीवाना बना दिया है'. भैया मेरे से कहते रहते थे की मुन्ना मुझे एक बार माकी गांद दिलवा दे, तभी तो मेने तुझे भैया की दुल्हन बनाने के लिए इतना ज़ोर लगाया. तो मा यह ख़याल तुम मान से निकाल दो की तुम भैया से अपनी गांद बचा लॉगी. तेरी गांद में तो भैया का मूसल थूकना ही थूकना है."

"देखा मा, मेने कहा था ना की अब मुन्ना पहलेवला मुन्ना नहीं रहा. पूरा चालू हो गया है. अब यह पहले जैसा शर्मिला और चुपचाप रहने वाला नहीं की तू इसे झिड़क कर चुप करा दे. तू अगर सेर है तो यह पूरा सवा सेर है. ऐसे भाई पर मुझे तो बहुत नाज़ है, बड़े नसीब वेल को ही ऐसा प्यारा और बड़े भाई का मान रखनेवाला भाई मिलता है." यह कह मेईएनए मुन्ना को अपने आगोश में जाकड़ लिया.
 
अपडेट-26

मुन्ना मेरे सीने से सर टिकाए माँ की ओर देख मंद मंद मुस्करा रहा था और माँ भी हम दोनों भाइयों का ऐसा प्यार देख गदगद होती हुई हंस रही थी.

में: "माँ ऐसा प्यारा भाई पाकर में तो धन्य हो गया जो भैया की खुशी के लिए कुच्छ भी कर सकता है. तूने देखा मेरी खुशी के लिए इसने तुझे भी मेरे लिए पटाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. मेरा तो इससे कुच्छ भी छिपा हुआ नहीं है, जो कुच्छ भी मेरा है वह सब इसका है. अब यदि तुम भी मुझे मिली हो तो मेरे साथ साथ तुम मुन्ना की भी हो क्योंकि मुन्ना की वजह से ही तुम मुझे मिली हो. मुन्ना ने वैसे तो मेरा व्याह
तुझसे करा दिया है पर असल में तुम हमारी साझे की लुगाई हो. हम दोनों तेरे मर्द हैं. तू बड़े नसीब वाली है कि इस उमर में तुझे हमारे जैसे दो दो जवान पति एक साथ मिले हैं."

"में तो खुद अपने दोनों बेटों का आपस में ऐसा प्यार देख बारी बारी हो रही हूँ, नहीं तो आजके जमाने में भाई भाई का दुश्मन होता है. में तो यही चाहती हूँ कि तुम दोनो की जोड़ी ऐसी ही बनी रहे. तू तो यहाँ शहर में रहता था में तो इस अजय को देख देख के ही गाँव में खुश होती रहती थी और इसीके सहारे ही जिंदगी गुज़ार रही थी. तू ऐसा भाई पाकर निहाल हो गया है तो में भी ऐसा मक्खन सा चिकना देवर पाकर खुशी से भर गई हूँ. में तो अब ऐसे प्यारे गुड्डे से देवर के साथ जी भरके खेलूँगी." यह कह माँ ने अजय को अपनी बाँहों में जकड लिया. माँ ने अजय की ठुड्डी पकड़ चेहरा उपर उठा लिया और उसके गोरे गालों की पुच्चिया लेने लगी. कभी एक गाल चूस्ति तो कभी दूसरा गाल. फिर
माँ अजय के दाढ़ी रहित गालों पर अपने गाल रगड़ने लगी. इसके बाद माँ ने अचानक उसके होंठ अपने होंठ में जकड लिए और अपने छोटे बेटे के होंठ चूसने लगी. माँ बीच बीच में अजय के होंठों पर अपनी जीभ फेर रही थी. माँ की आँखों में वासना के लाल डोरे तैर रहे थे.
तभी अजय ने माँ को अपनी बाँहों में जकड लिया और माँ के होंठ अपने होंठों में जकड लिए. उसने माँ की जीभ अपने मुख में लेली और माँ को अपनी मजबूत बाँहों में झकझोरते हुए जीभ चूसने लगा. वह बार बार माँ के होंठ मुख में भर रहा था, माँ के फूले फूले गाल मुख में भर रहा था.

में: "माँ देखा मेरा माल कितना मस्त और मीठा है कि तू भी अपने आपको रोक नहीं पाई. इसके मक्खन से चिकने गाल खाने का और इसके पतले पतले गुलाबी होंठ चूसने का मज़ा ही अलग है. में ऐसे ही इसपर थोड़ा ही मारा हूँ." उधर अजय ने माँ की चूचियाँ ब्लाउस के उपर से ही अपने हाथ में भर ली और उन्हें कस कस के दबाने लगा. वह माँ की चूचियों को मसल मसल कर उनसे खेल रहा था. माँ के चेहरे
पर झुका हुआ माँ के होंठों का रस्पान अत्यंत कामातुर होके कर रहा था. मेने इससे पहले अजय को इतने जोश में कभी नहीं देखा. जिंदगी में पहली बार नारी शरीर को पाकर वह मतवाला हो उठा था, उसके साबरा का बाँध टूट गया था. में बहुत खुश था कि मुन्ना की केवल तगड़े मर्दों में ही दिलचस्पी नहीं है बल्कि माँ जैसी मस्त औरतों में मर्दों से भी ज़्यादा उसकी दिलचस्पी है.

माँ: "क्यों रे अजय व्याह तो तूने मेरा अपने भैया से कराया है और सुहागरात तू खुद मनाने लग गया." माँ भी अजय के इस जोश से बहुत खुश दिख रही थी. माँ की बात सुन अजय ने माँ को छोड़ दिया.

में: "अरे माँ, इस में और मेरे में क्या फ़र्क़ है. आज पहली बार में मुन्ना को इतने जोश में देख रहा हूँ. देखा कैसे तुझे भभोड़ भभोड़ कर तेरे साथ मस्ती कर रहा था. तू जो इतनी देर से इसका मज़ाक उड़ा रही थी ना एक बार यह तेरी लेलेगा ना तब देखना तुझे लौंडिया जैसा
मज़ा आएगा. बोल दोनो भाइयों को बिल्कुल खुल के और पूरी बेशरम हो कर मस्ती करवाएगी ना? तू हम दोनो भाइयों से जितनी मस्त हो
कर चुदवाओगि तुझे उतना ही ज़्यादा मज़ा आएगा."

माँ: "तुम जैसों बेशर्मो के आगे बेशरम तो में पहले ही बन गई हूँ. मेने तो कभी ख्वाब में भी ऐसी बेशर्मी भरी बातें नहीं की थी जैसी तुम दोनो के सामने कर रही हूँ. लेकिन बिल्कुल खुल कर, एक दूसरे से पूरा बेशरम हो कर ऐसी बातें करने का एक अनोखा ही मज़ा है जो मेने आज तक नहीं लिया था. यह सब तुम्हारी करामात है जो मेरे साथ साथ मेरे इस भोन्दू छोटे बेटे को भी अपने जैसा बेबाक बेशरम बना लिया है. में तो तुम दोनो की एक जैसी माँ हूँ. मेरे लिए तुम दोनो में ना तो पहले फ़र्क़ था और ना ही अब. जब पूरी खुल ही गई हूँ तो जी खोल के
मस्ती करूँगी और तुम दोनों को कर्वाउन्गि. मेरे को क्या फ़र्क़ पड़ता है कि पहले कौन आता है या दोनो साथ साथ आते हो, चुदना तो मुझे हर हालत में है ही. फिर में क्यों नखरे दिखाउ और झूठी ना नुकुर करूँ. जितनी आग तुम दोनो में लगी है उतनी ही आग मेरे में भी लगी है और क्यों ना लगे आख़िर तुम दोनो भी तो मेरे ही खून हो. जितनी गर्मी तुम दोनो के भीतर है उससे ज़्यादा गर्मी मेरे में है."

अजय: "माँ भैया की बात छोड़ो, यह तो पंडितजी की दक्षिणा भर है असली मज़ा तो तेरे भैया ही लेंगे. तुम पर पहला हक़ तो भैया का ही है. मेने तो यहाँ आने के पहले तेरा कभी सपना तक नहीं देखा था. यह तो भैया की दी हुई हिम्मत है कि में तेरे साथ इतना कर सका. अब भैया शुरू भी तो करो ताकि में भी देखूं कि सुहागरात कैसे मनाई जाती है. भैया माँ कह रही हैना कि इसमें बहुत गर्मी है, आज इसकी सारी गर्मी निकाल दो. आज इसके साथ ऐसी सुहागरात मनाओ जैसी कि इसने आज तक नहीं मनाई." अजय की बात सुन मेने माँ के सर पर
चुनर ओढ़ा दी ऑर चेहरा उस चुनर से पूरा ढक दिया. इसके बाद बहुत धीरे धीरे चुनर का घूँघट उपर उठा माँ का चेहरा उजागर कर लिया. माँ ने एक लज्जाशील दुल्हन की तरह आँखें नीची कर रखी थी. फिर माँ के दोनो गालों पर हथेलियाँ रख माँ को आँखों में झाँकने लगा. माँ मंद मंद मुसका रही थी. मेने भी माँ के रसभरे होंठों का एक लंबा चुंबन लिया. फिर माँ की पीठ पर हाथ लेजा कर ब्लाउस के बटन खोलने लगा
. सारे बटन खोल कर ब्लाउस माँ की बाँहों से निकाल दिया और माँ की टाइट ब्रा में कसे कबूतर फडफडा उठे.

 
"देख मुन्ना माँ की चूचियाँ एक दम गोल और कितनी बड़ी बड़ी है. हम दोनो इन्ही का दूध पीकर बड़े हुए हैं. अभी भी इतनी भारी दिख रही है कि जैसे दूध से भरी हुई है." यह कह कर मेने माँ की एक चूची ब्रा के उपर से ही अपने हाथ में लेली और उसे हल्के हल्के दबाने लगा.
फिर मेने माँ की ब्रा का भी स्ट्रॅप खोल दिया और ब्रा भी बाँहों से निकाल दी. माँ की सुडोल चूचियाँ अब हम दोनो भाइयों के सामने नंगी थी.
में बारी बारी से माँ की चूची दबाने लगा. उसके निपल को चींटी में भर मसल्ने लगा.

"ले मुन्ना तू भी छू कर देख, कितनी मुलायम है. यह देख माँ का बड़ा सा निपल. इसे मुख में ले चूस. बचपन में तो तूने इसको बहुत चूसा होगा, अभी जवानी में चूस के देख तुझे मज़ा आ जाएगा. ऐसी मस्त औरत की चूचियाँ दबा दबा धीरे धीरे मस्ती ली जाती है. क्यों माँ अपना दूध हम दोनो भाइयों को पिलाओगी ना." मेरी बात सुन अजय ने गप्प से माँ का एक निपल अपने मुख में ले लिया और उसे चुभलाते हुए
चूसने लगा. मेने भी दूसरा निपल अपने मुख में ले लिया और में भी उसे ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा उसके भीतर का सारा दूध निचोड़ रहा हूँ. तभी माँ ने अपने दोनो हाथ हम दोनो भाइयों के सर के पिछे लगा दिए और हमारे सर अपनी चूचियों पर दबाने लगी. हम दोनो भाई भी
माँ की चूचियाँ मस्त होके कई देर तक चूस्ते रहे.

अजय: "भैया, मा, की चूची पीने में जो मज़ा है वह ऑर कोई चीज़ पीने में नहीं है. हम दोनो कितने खुश नसीब है कि इस जवानी में माँ की चूचियाँ एक साथ पीने को मिल रही है और माँ भी कितने प्यार से अपनी चूची हमारे मुख में ठेल ठेल कर पिला रही है. माँ तुम्हारी
चूचियाँ अभी भी पूरी टाइट है. बहुत जान है इन में. माँ तुम मस्त हो कर हम से अपनी चूचियाँ मसलवाया करो, हम से दब्वाया करो, हम से चुस्वाया करो. हमें जब भी भूख लगे हमारे मुख में अपनी चूची ठूंस दिया करो."

माँ: "अरे अब ये मेरी दूध पिलानेवाली चूची नहीं है बल्कि तुम दोनो के खेलने के लिए बड़ी बड़ी गेंदें हैं. खूब जी भर के इनसे खेला करो. तुम लोगों की जब भी इच्छा हो मेरी चूची मसल दिया करो, मेरी चूची पीनी हो तो उस में मुख लगा दिया करो में खुद तुम लोगों को अपने
आँचल में धक प्यार से दूधु पिलाउन्गि."

में: "अभी तो तूने खाली माँ की चूची का ही मज़ा लिया है. माँ का असली माल तो इसके घाघरे में है. घाघरे में इसने अपनी सबसे ख़ास चीज़ छिपा कर रखी है. चल अब माँ का घाघरा तू उतार, तुझे माँ की ऐसी मस्त चीज़ का दर्शन कराता हूँ कि तू मर्दों के लंड को छोड़
उसीका दीवाना हो जाएगा." मेरी बात सुन अजय ने माँ को खड़ा कर लिया और खुद माँ के सामने घुटनों के बल बैठ गया और घाघरे की डोर खोज कर उसे खींच दी. फिर अजय ने नाडा ढीला किया और घाघरा नीचे गिरा दिया. अब माँ की उभरी हुई पैंटी अजय की आँखों के सामने थी.

अजय: "भैया देखो माँ की चीज़ कितनी फूली हुई है." अजय की बात सुन में भी अजय के साथ माँ के सामने घुटनों के बल बैठ गया. में पैंटी के उपर से ही माँ की चूत पर हाथ फेरने लगा. हाथ फेरते फेरते उसे मुट्ठी में कस लेता. फिर मेने माँ की पैंटी धीरे धीरे नीचे सरकानी शुरू कर दी. उधर गहने माँ ने खुद उतार दिए. पैंटी उतरते ही माँ हमारे सामने पूरी नंगी थी. माँ की बड़ी चूत के चारों ओर घने काले काले झान्ट
के बाल थे. चूत बहुत ही उभरी हुई थी. चूत की लाल फाँक साफ दिख रही थी. अजय जिंदगी में पहली बार इतने नज़दीक से एक औरत की चूत देख रहा था और वह एक टकटकी से चूत के दर्शन कर रहा था. तभी मेने माँ की चूत की पुट्टियाँ फैला दी और अजय को चूत का छेद ठीक से दिखाया.

में: "मुन्ना ठीक से देख यही हम दोनो का जन्मस्थान है. हम दोनो कभी यहीं से बाहर निकले थे. देख हुमारा जन्मस्थान कितना मोहक है. क्या काले काले रेशमी बालों से भरती है. जिंदगी का असली मज़ा तो इसी चीज़ में है. यह देख माँ की चूत का छेद, भीतर से कितना लाल
और गहरा है. मेरा इतना बड़ा लंड इस में कहाँ गुम हो जाएगा पता ही नहीं चलेगा. इसे खूब जी भरके देख और इसे खूब प्यार कर. हम दोनो कितने खुशनसीब हैं कि इस जवानी में माँ की चूत साथ साथ देख रहे हैं और माँ भी मस्त हो कर हमसे अपना खजाना लुटवा रही है."

अजय: "भैया यह तो बहुत ही प्यारी है. में इसे ठीक से देखूँगा और इसे बहुत प्यार करूँगा. भैया यह तो मेने सुना था कि मर्द लोग इसके पिछे भागते फिरते हैं पर यह चीज़ इतनी मस्त है यह मुझे पता नहीं था. इसे देख कर ही इतनी मस्ती चढ़ रही है जितनी कि मुझे खड़े लंड देख कर भी नहीं चढ़ि थी. वाह माँ, भैया भी कम नहीं है, वे जानते थे कि माँ ने बड़ा कीमती खजाना अपनी दोनो टाँगों के बीच छिपा रखा है तभी तो उसे पाने के लिए पहले वे तेरे पर लाइन मारने लगे और बाद में तुझे पटाने के लिए मुझे आगे कर दिया." अजय की बात सुन में खड़ा
हो गया और माँ को बिस्तर पर लिटा दिया और में खुद पलंग के किनारे पर टाँग लटका कर बैठ गया. माँ की गान्ड मेने गोद में लेली और माँ के घुटने मोड़ दिए जिससे माँ की चूत उभर कर पलंग के किनारे पर सामने हो गई. तभी अजय भी सरक कर पलंग के किनारे के पास
बैठ गया. माँ की चूत ठीक अजय के मुख के सामने थी. तभी मेने दोनो हाथ की सहयता से चूत पूरी फैला दी और जन्नत का फाटक अजय के सामने खुल गया.

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अपडेट-26

मुन्ना मेरे सीने से सर टिकाए माकी ओर देख मंद मंद मुस्करा रहा था और मा भी हम दोनों भाइयों का ऐसा प्यार देख गदगद होती हुई हंस रही थी.

में: "मा ऐसा प्यारा भाई पाकर में तो धान्या हो गया जो भैया की खुशी के लिए कुच्छ भी कर सकता है. तूने देखा मेरी खुशी के लिए इसने तुझे भी मेरे लिए पटाने में कोई कसर नहीं छ्चोड़ी. मेरा तो इससे कुच्छ भी च्चिपा हुवा नहीं है, जो कुच्छ भी मेरा है वा सब इसका है. अब यदि तुम भी मुझे मिली हो तो मेरे साथ साथ तुम मुन्ना की भी हो क्योंकि मुन्ना की वजह से ही तुम मुझे मिली हो. मुन्ना ने वैसे तो मेरा व्यः तुझसे करा दिया है पर असल में तुम हमारी साझे की लुगाई हो. हम दोनों तेरे मर्द हैं. तू बड़े नसीब वाली है की इस उमर में तुझे हमारे जैसे दो दो जवान पति एक साथ मिले हैं."

"में तो खुद अपने दोनों बेटों का आपस में ऐसा प्यार देख बलि बलि हो रही हूँ, नहीं तो आजके जमाने में भाई भाई का दुश्मन होता है. में तो यही चाहती हूँ की तुम दोनो की जोड़ी ऐसी ही बनी रहे. तू तो यहाँ शहर में रहता था में तो इस अजय को देख देख ही गाँव में खुश होती रहती थी और इसीके सहारे ही जिंदगी गुज़ार रही थी. तू ऐसा भाई पाकर निहाल हो गया है तो में भी ऐसा मक्खन सा चिकना देवर पाकर खुशी से भर गई हूँ. में तो अब ऐसे प्यारे गुड्डे से देवर के साथ जी भरके खेलूँगी." यह कह माने अजय को अपनी बाँहों में जाकड़ लिया. माने अजय की ठुड्डी पकड़ चेहरा उपर उठा लिया और उसके गोरे गालों की पूच्छियाँ लेने लगी. कभी एक गाल चूस्टी तो कभी दूसरा गाल. फिर मा अजय के दाढ़ी रहित गालों पर अपने गाल रगड़ने लगी. इसके बाद माने अचानक उसके होंठ अपने होंठ में जाकड़ लिए और अपने छ्होटे बेटे के होंठ चूसने लगी. मा बीच बीच में अजय के होंठों पर अपनी जीभ फेर रही थी. मा की आँखों में वासना के लाल डोरे टायर रहे थे. तभी अजय ने माको अपनी बाँहों में जाकड़ लिया और माके होंठ अपने होंठों में जाकड़ लिए. उसने माकी जीभ अपने मुख में लेली और माको अपनी मजबूत बाँहों में झकझोरते हुए जीभ चूसने लगा. वा बार बार माके होंठ मुख में भर रहा था, माके फूले फूले गाल मुख में भर रहा था.

में: "मा देखा मेरा माल कितना मस्त और मीठा है की तू भी अपने आपको रोक नहीं पाई. इसके मक्खन से चिकने गाल खाने का और इसके पतले पतले गुलाबी होंठ चूसने का मज़ा ही अलग है. में ऐसे ही इसपर तोड़ा ही मारा हूँ." उधर अजय ने मकई चूचियाँ ब्लाउस के उपर से ही अपने हाथ में भर ली और उन्हें कस कस के दबाने लगा. वा माकी चूचियों को मसल मसल कर उनसे खेल रहा था. माके चेहरे पर झुका हुवा माके होंठों का रास्पान अत्यंत कमतूर होके कर रहा था. मेने इससे पहले अजय को इतने जोश में कभी नहीं देखा. जिंदगी में पहली बार नारी शरीर को पाकर वा मतवाला हो उठा था, उसके साबरा का बाँध टूट गया था. में बहुत खुश था की मुन्ना की केवल तगड़े मर्दों में ही दिलचस्पी नहीं है बल्कि मा जैसी मस्त औरतों में मर्दों से भी ज़्यादा उसकी दिलचस्पी है.
 
मा: "क्यों रे अजय व्याः तो तूने मेरा अपने भैया से कराया है और सुहाग्रात तू खुद मनाने लग गया." मा भी अजय के इस जोश से बहुत खुश दिख रही थी. मा की बात सुन अजय ने माको छ्चोड़ दिया.

में: "अरे मा, इस में और मेरे में क्या फ़र्क़ है. आज पहली बार में मुन्ना को इतने जोश में देख रहा हूँ. देखा कैसे तुझे भभोड़ भभोड़ कर तेरे साथ मस्ती कर रहा था. तू जो इतनी दरसे इसका मज़ाक उड़ा रही थी ना एक बार यह तेरी लेलेगा ना तब देखना तुझे लौंडिया जैसा मज़ा आएगा. बोल दोनो भाइयों को बिल्कुल खुल के और पूरी बेशरम हो कर मस्ती करवाएगी ना? तुम हम दोनो भाइयों से जितनी मस्त हो कर चुड़वावगी तुझे उतना ही ज़्यादा मज़ा आएगा."

मा: "तुम जैसों बेशार्मों के आयेज बेशरम तो में पहले ही बन गई हूँ. मेने तो कभी ख्वाब में भी ऐसी बेशर्मी भारी बातें नहीं की थी जैसी तुम दोनो के सामने कर रही हूँ. लेकिन बिल्कुल खुल कर, एक दूसरे से पूरा बेशरम हो कर ऐसी बातें करने का एक अनोखा ही मज़ा है जो मेने आज तक नहीं लिया था. यह सब तुम्हारी करामात है जो मेरे साथ साथ मेरे इस भोंडू छ्होटे बेटे को भी अपने जैसा बेबाक बेशरम बना लिया है. में तो तुम दोनो की एक जैसी मा हूँ. मेरे लिए तुम दोनो में ना तो पहले फ़र्क़ था और ना ही अब. जब पूरी खुल ही गई हूँ तो जी खोल के मस्ती करूँगी और तुम दोनों को कारववँगी. मेरे को क्या फ़र्क़ पड़ता है की पहले कौन आता है या दोनो साथ साथ आते हो, चूड़ना तो मुझे हर हालत में है ही. फिर में क्यों नखरे दिखाओन और झूती ना नुकुर करूँ. जितनी आग तुम दोनो में लगी है उतनी ही आग मेरे में भी लगी है और क्यों ना लगे आख़िर तुम दोनो भी तो मेरे ही खून हो. जितनी गर्मी तुम दोनो के भीतर है उससे ज़्यादा गर्मी मेरे में है."

अजय: "मा भैया की बात छ्चोड़ो, यह तो पंडितजी की दक्षिणा भर है असली मज़ा तो तेरा भैया ही लेंगे. तुम पर पहला हक़ तो भैया का ही है. मेने तो यहाँ आने के पहले तेरा कभी सपना तक नहीं देखा था. यह तो भैया की दी हुई हिम्मत है की में तेरे साथ इतना कर सका. अब भैया शुरू भी तो करो ताकि में भी देखूं की सुहाग्रात कैसे मनाई जाती है. भैया मा कह रही हैईना की इसमें बहुत गर्मी है, आज इसकी सारी गर्मी निकाल दो. आज इसके साथ ऐसी सुहाग्रात मनाओ जैसी की इसने आज तक नहीं मनाई." अजय की बात सुन मेने माके सर पर चुनर ओढ़ा दी ओर चेहरा उस चुनर से पूरा धक दिया. इसके बाद बहुत धीरे धीरे चुनर का घूँघट उपर उठा माका चेहरा उजागर कर लिया. माने एक लज्जशील दुल्हन की तरह आँखें नीची कर रखी थी. फिर माके दोनो गालों पर हथेलियाँ रख माकी आँखों में झाँकने लगा. मा मंद मंद मुसका रही थी. मेने भी माके रसभरे होंठों का एक लंबा चुंबन लिया. फिर माकी पीठ पर हाथ लेजा कर ब्लाउस के बटन खोलने लगा. सारे बटन खोल कर ब्लाउस माकी बाँहों से निकाल दिया और माकी टाइट ब्रा में कसे कबूतर फड़फदा उठे.
 
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