Parviar Mai Chudai ससुराली प्यार - SexBaba
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Parviar Mai Chudai ससुराली प्यार

hotaks444

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Nov 15, 2016
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ससुराली प्यार 

दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और छोटी सी कहानी आपकी पेशेखिदमत कर रहा हूँ अपडेट रेग्युलर मिलते रहेंगे दोस्तो वैसे तो मैने इस टाइम तीन कहानियाँ पहले ही शुरू कर रखी है पर इससे इस कहानी की अपडेट्स पर कोई फ़र्क नही पड़ेगा . दोस्तो ये कहानी ग़ज़ल की है जिसने अपनी ससुराल में क्या क्या हंगामे किए ये उसी का ताना बाना है तो दोस्तो चलिए कहानी शुरू करते हैं ग़ज़ल की ज़ुबानी .............................
 
मेरा नाम ग़ज़ल अफ़सर है. में अपनी तारीफ खुद क्या करूँ मगर मुझ देखने वाले और मेरे शोहर मुझ कहते हैं कि में एक खूबसूरत लड़की हूँ.

21 साल की उमर में मेरी एंगेज्मेंट हो गई. जब कि 5 साल बाद 26 साल की उमर में ब्याह (शादी हो) कर में अपने शोहर के घर चली आई.

जिस वक़्त की कहानी में बयान करने जा रही हूँ. उस वक़्त मेरी शादी को छह (6) महीने हुए थे. और में अपनी ससुराल और शोहर से बहुत ही खुश थी. 

मेरे ससुराल में,मेरे शोहर, मेरी सास,ससुर एक देवर और एक ननद 6 सदस्य एक बड़े घर में रहते थे.

मेरे देवर और ननद की अभी तक शादी नही हुई थी. 

मेरे शोहर अफ़सर जिन की उमर 30 साल है वो बहुत अच्छे हैं.वो ना सिर्फ़ मुझ से मोहब्बत करते हैं बल्कि मैरा हर तरह ख्याल भी रखते थे.अफ़सर एक शरीफ इंसान थे और रिज़र्व रहते थे. 

जब कि मेरा 25 साला देवर सरवर उनके मुक़ाबले में बहुत ही शरीर जोल्ली और लंबा तड़ंगा था.जो कि पहली ही नज़र में मुझे बहुत अच्छा लाघा था. 

इस की वजह शायद ये भी थी .कि वो मुझ से अक्सर बहुत मज़ाक़ करता और में उस की बातों को एंजाय करते हुए बहुत हँसती थी. 

रात को अफ़सर अख़बार वग़ैरह पढ़ने के लिए जल्द ही अपने बेड रूम में चले जाते.

जब कि में ड्रॉयिंग रूम में रात देर गये तक सरवर और उन की 23 साला छोटी बहन नाज़ के साथ गॅप शॅप में मसरूफ़ रहती. 

नाज़ एक नाज़ुक सी बहुत प्यारी लड़की थी. अपने भाइयों की तरह कद में लंबी होने के साथ साथ वो निहायत दिल कश जिस्म और इंतिहा हसीन शकल की मालिक भी थी.

उस का हुश्न इतना क़यामत खेज था कि उस को देखने वालों की नज़र उस के हुश्न पर नहीं ठहर ती थी.


जैसा कि में पहले ही बता चुकी हूँ कि मेरा देवर सरवर मुझे बहुत अच्छा लगता था.

और में उसके साथ हँसी मज़ाक़ को बहुत पसंद करती थी. बल्कि जब से उस ने मुझ से हाथा पाई वाला मज़ाक़ शुरू किया तो मुझे और भी मज़ा आने लगा.

में अपने ससुराल में अपनी इस खुश नसीबी से बहुत खुश थी. कि मेरी सास ससुर देवर और मेरी ननद नाज़ मेरे बहुत ही क़रीब थे. और इन सब के साथ मेरा खलूस और प्यार का रिश्ता कायम हो गया था.

अफ़सर मेरे साथ एक अच्छे शोहर की तरह सुलूक रखते थे. लेकिन मेरे साथ सेक्स वो सिर्फ़ एक ज़रूरत और फ़र्ज़ समझ कर करते थे. 

सेक्स के दौरान वो बस नंगे हुए चूमा चाट की अंदर डाला डिसचार्ज हुए और बस सो गये. 

जब कि इस के मुकाबले मेरी सहेलियाँ जब बातों बातों में अपनी निजी ज़िंदगी के बारे में कभी कभार बात करते हुए मुझ से अपनी अपनी शादी शुदा जिंदगी का एक्सपीरियेन्स शेयर करती थीं.

तो मुझे अंदाज़ा होता कि उन के शोहर उन से बहुत ही दिलचस्प और दिल कश सेक्स करते हैं.

मुझे अपनी सहेलियों कि ये बातें सुन कर बस एक ख्वाहिस थी. कि काश मेरे शोहर अफ़सर भी मेरे साथ ऐसा ही करें जैसे में अपनी सहेलियों की ज़ुबानी सुनती हूँ.

मेरे ससुराल वाले काफ़ी अमीर और मॉडर्न लोग हैं. जिस की वजह से उन का रहन सहन भी हम जैसे मिड्ल क्लास ख़ानदानों से काफ़ी अलग है.

इस बात का अंदाज़ा मुझे उस वक़्त हुआ. जब में शादी के बाद अपने ससुराल में रहने लगी.

मेरे अपने भाइयों के मुकावले मेरा देवर सरवर घर में शॉर्ट पहनता था. 

में चूंकि इस तरह के माहौल की आदि नही थी. इसलिए शुरू में मुझे ये बात अजीब सी लगी. मगर फिर वक़्त के साथ आहिस्ता आहिस्ता में भी इस तरह की बातों की आदि होने लगी.

जब मेरा देवर शॉर्ट्स पहन कर मेरे सामने सोफे पर बैठ कर टीवी लाउन्ज में टीवी वग़ैरह देखता. तो कई बार मेने उस के सामने से उस के लंड को शॉर्ट्स में से बाहर हल्का सा झाँकते हुए देखा था. 

जब पहली दफ़ा बैठे बैठे मेरी नज़र उस के लंड पर पड़ी थी. तो शरम और घबराहट के मारे मेरे पसीने छूट गये.

मुझे ऐसा महसूस हुआ कि जैसे अंजाने में मुझ से को बहुत बड़ा गुनाह हो गया हो.

मगर सरवर का यूँ अपने घर में अपनी ही अम्मी और बहन के सामने शॉर्ट्स पहन कर घूमना और बैठना एक मामूली सी बात थी. 

इसलिए फिर में भी इस बात की भी आदि होने लगी. और फिर में खुद भी आँखें बचा कर अक्सर उस के सामने से शॉर्ट में से बाहर आते हुए उस के बड़े लंड का दीदार करने की कोशिस करती और मुझे इम में मज़ा भी आता था.
 
मेने एक बार मोका पाकर सरवर को बाथ रूम के रोशन दान से बाथरूम में नहाते भी देखा था.

अगरचे रोशन दान उँचा होने की वजह से में सरवर के जिस्म का निचला हिस्सा तो नही देख पाई.मगर फिर भी बालों से भारी उस की छोड़ी नंगी चाहती मुझ बेचैन कर गई. 

सच तो ये कि मुझे सरवर अच्छा लगता था. और मेरे दिल में ये ख्वाहिश भी पैदा हो चुकी थी कि में काश उस के साथ सेक्स कर सकूँ.

मेरे तन बदन में मेरे देवर के औज़ार ने आग तो लगा दी थी.मगर अपनी इस क्वाहिश की तकमील करने की मुझ में हिम्मत नही पड़ रही थी.

वो कहते हैं ना कि, “व्हेइर देयर इस आ विल देयर ईज़ आ वे” या फिर उर्दू में “जहाँ चाह वहाँ राह”.

कुछ ऐसा ही मेरे साथ भी हुआ और मुझे बिल आख़िर वो मोका मिल ही गया जिस की मुझे तलाश थी.


हम लोग पूरी फॅमिली के साथ अक्सर हर हफ्ते कहीं ना कहीं घूमने फिरने जाते थे.

इस दफ़ा मेरे शोहर अफ़सर ने डम्लोटी, कराची में वक़ह प्लॅनटर नामी फार्म हाउस आने और उधर ही रात गुज़ारने का प्रोग्राम बनाया. 

और यूँ हम सारे घर वाले और ससुराली फॅमिली के काफ़ी लोग और रिश्ते दार एक दोपहर को एक साथ इस जगह चले आए.

ये फारम हाउस पोधो, दरख्तो और फूलों से घिरा हुआ था और यही वजह थी शायद उस का नाम प्लॅनटर था. 

मैने आज तक ऐसी प्लॅनटेशन नहीं देखी थी. इसलिए मुझे इधर आ कर बहुत अच्छा लग रहा था. 

मेरी साथ साथ घर के बाकी लोग भी शायद पहली बार ही इस फारम हाउस में आये थे .

इसलिए सब को ही मौसम की बहार के इस मोसम में फार्म हाउस पर मोसम को एंजाय करने में बहुत मज़ा आ रहा था. 


उस दिन शाम के वक़्त हम सब ने फार्म हाउस में बने हुए स्विम्मिंग पूल में नहाने का प्रोग्राम बनाया. 

और फिर मेरा शोहर अफ़सर,देवर सरवर और बाकी फॅमिली के लड़के और मर्द शॉर्ट्स और या शलवार और पाजामे में जब कि में मेरी ननद और फॅमिली की बाकी औरतें शलवार कमीज़ में ही मलबूस स्विम्मिंग पूल में उतर कर नहाने में मशगूल हो गये.

हम सब स्विम्मिंग पूल में नहा रहे थे और एक दूसरे से पानी की छेड़ छाड़ भी कर रहे थे. 

स्विम्मिंग पूल के बहुत ही शाफ़ पानी की वजह स्विम्मिंग पूल में हर चीज़ बिल्कुल वज़ह नज़र आ रही थी.

अफ़सर तो कुछ देर बाद ही बाहर चले गये थे और अपनी अम्मी अब्बू से बातें कर रहे थे. 

जब कि सरवर अपनी बहन नाज़ को तैरना( स्विम्मिंग) सिखा रहा था. और दोनो हाथों से थामे हुए उसे पानी की सतह पर हाथ पाँव चलाना सिखा रहा था.

इधर में भी अपने ध्यान में मगन फॅमिली के बच्चों और दूसरे रिश्ते दरों के साथ पानी पानी खेल रही थी.
 
इस खेल के दौरान गैर इरादी तौर पर अचानक मेरी नज़र शॉर्ट्स पहने हुए अपने ड्यूवर सरवर के जिस्म के निचले हिस्से पर पड़ी.तो में ये देख कर हैरान रह गई कि उसका लंड उस की शॉर्ट्स में खूब तना हुआ था. 

शाम का वक़्त था और रोशनी कम ज़रूर थी. लेकिन इस के बावजूद फिर भी साफ नज़र आ रहा था कि उस का लंड शॉर्ट के अंदर में खूब मचल रहा है.

में हैरान इसलिए थी. कि सरवर तो किसी गैर लड़की या अपनी किसी कज़िन को नही बल्कि अपनी ही सग़ी बहन को तैरना सिखा रहा है. तो ये कैसे हो सकता है कि उस का लंड अपनी ही सग़ी बहन नाज़ की वजह से खड़ा हो जाए. 

“हो सकता है कि मुझे कोई ग़लत फहमी हुई हो” मैने अपने आप से कहा. मगर फिर जब मेरा दिल ना माना तो मैने पानी में एक दो बार गोता लगा कर सार्वर को करीब से देखने की कॉसिश की.

तो मुझे बिल्कुल यक़ीन होगया. कि बिल्कुल ऐसा ही है जैसा मैने सोचा था.

क्यों कि इसी दौरान सरवर ने जब नाज़ की दोनो टाँगों के दरमियाँ हो कर उससे तैरने को कहा. 

तो उस वक़्त ये बात बिल्कुल सॉफ होगई कि उस ने अपना लंड नाज़ की टाँगों के बीच में टिकाया हुआ था. 

मेरी हैरानी उस वक़्त बढ़ती गई जब मैने ये देखा. कि तैरने के दौरान जब नाज़ को ये अंदाज़ा हुआ कि कोई और उन की तरफ ध्यान नही दे रहा है. तो उस ने पानी के अंदर अपना हाथ ले जा कर अपने भाई के लंड को उस की शॉर्ट्स के उपर से एक लम्हे के लिए थाम कर छोड़ दिया.

में तो ये मंज़र देख कर लरज गई कि ये कैसे मुमकिन हे. कि सगे बहन भाई आपस में इस तरह की हरकत करें.

सगे भाई बहन का तक़द्दुस ऐसे अमल मे भी हो सकता हे. ये मेने कभी सोचा भी नहीं था. इसलिए मेरे दिल में एक वहशत सी भर गई.

शाम का अंधेरा गहरा होने पर सब लोग पूल से बाहर निकल आए. 

फिर रात का खाना वाघहैरह खा कर सब आपस में गप शॅप करने लगे. लेकिन मेरे ज़हन में सरवर और नाज़ का वो मंज़र घूम रहा था. 

इस दौरान मैने नोटीस किया कि वो दोनो हमारे साथ नहीं हैं. 

मुझे ख्याल आया कि देखू तो सही कि ये दोनो कहाँ गये है. और मैं किसी को कुछ बताए बगैर ही खाने की टेबल से उठ गई.

मैने टीवी लाउन्ज में वीडियो गेम खेलते हुए अपनी फॅमिली के एक बच्चे से पूछा कि सरवर कहाँ है. तो उस ने कमरे से बाहर की तरफ इशारा करते हुए कहा कि वो उस तरफ नाज़ आपी के साथ गये हैं. 

में दबे क़दमों से उसी तरफ चल पड़ी. में ये देखना चाहती थी कि वो लोग क्या कर रहे हैं. 

हालाँकि रात थी लेकिन बाहर पार्क लाइट की वजह से कुछ कुछ नज़र भी आ रहा था.

नंगे पाँव में आख़िर दरख्तो के उस झुंड के पास पहुँच ही गई. जिस जगह मुझे शक था कि वो दोनो माजूद होंगे.

मैने घने दरखतों के बीच इधर उधर नज़र दौड़ाई तो आख़िर वो मुझे नज़र आ ही गये.

वो एक बड़े दरख़्त के पीछे एक दूसरे से चिमटे हुए थे. उन के मुँह एक दूसरे में जज़्ब थे और वो एक दूसरे को किस कर रहे थे. 

में खामोशी से एक पेड़ की ओट में खड़ी बहन भाई को एक दूसरे के लबों को चूस्ते,चाटते देखती रही. और हेरान होती रही.

वो दोनों काफ़ी देर एक दूसरे को किस करते रहे. 

कुछ देर बाद सरवर ने नाज़ से कहा अब वापिस चलते हैं.तुम रात को मेरे साथ ही सोना. 

नाज़ अपने भाई की बात सुन कर कहने लगी कि भाई पूरी फॅमिली के लोग इधर माजूद है.मुझ डर है कि किसी ने देख लिया तो ग़ज़ब हो जाएगा.
 
सरवर: सब लोग दिन भर के खेल कूद की वजह से थके हुए हैं,इसलिए सब लोग पक्की नींद सोएंगे. इसलिए डरो मत कुछ नही हो गा.

अपने भाई की बात सुन कर नाज़ खामोश हो गई. 

में वहीं दरख़्त की ओट में छिप कर बैठ गई और उन्दोनो को पहले वापिस जाने दिया. 

उन के जाने के कुछ देर बाद में भी अपनी जगा से उठी और वापिस कमरे में चली आई.

उस रात लोग ज़्यादा और बेड रूम कम होने की वजह से फॅमिली के सब लोगों को बेड रूम ना मिल सके. 

जिस की वजह से मुझे,अफ़सर,सरवर और नाज़ को बाहर हाल में फर्श पर बिस्तर लगा कर सोना पड़ा.

सब अपने अपने कमरों में जा कर सो गये.तो में अपने शोहर के करीब लेट गई.

जब कि हाल के दूसरे कोने में सरवर और उस की बहन अलग अलग बिस्तर बिछा कर लेट गये.

अफ़सर तो लेटते ही थोड़ी देर में सोगये. जब कि मेरी नज़र और कान हॉल के दूसरे कोने की तरफ ही थे.

लेकिन हाल में मुकम्मल अंधेरा होने की वजह से सिर्फ़ इतना नज़र आ रहा था कि वो दोनों एक दूसरे के पहलू में लेटे हुए हैं.

वो दोनो कुछ “कार्यवाही” कर रहे थे. इस बारे में यकीन से कुछ नही सकती थी. 

नींद मेरी आँखों से कोसों दूर थी. मेरी आँखों में बार बार दोनो बहन भाई की पास में मस्ती करने का सारा मंज़र गूँज रहा था.

जिस को सोच सोच कर में हैरान होने के साथ जज़्बाती भी हो गई थी .और एक दो बार अफ़सर से चिमटी भी लेकिन वो दुनियाँ जहाँ से बे खबर सोने में मस्त थे. 

में तमाम रात सो नही सकी और पूरी रात ऐसे ही जागते हुए गुज़ार दी.

इस दिन से पहले मेरी ख्वाहिस थी. कि में नाज़ की शादी अपने भाई से कर्वाऊं. लेकिन अब मेने अपना फ़ैसला बदल लिया कि ऐसा नहीं होगा.

दूसरे दिन हम सब वापिस अपने घर लौट आए.
 
घर वापिस आ कर सरवर और नाज़ आपस में नॉर्मल बिहेव कर रहे थे.

वैसे आहिस्ता आहिस्ता में भी नॉर्मल होगई थी. लेकिन फिर भी सरवर् को नाज़ के साथ देखने का जुनून मुझ पर छाया रहा. 

जब से मेने उन दोनो का मंज़र अपनी आँखों से देखा था. में बस इसी सोच में थी. कि अगर एक शख्स ये सब कुछ अपनी सग़ी बहन कर सकता है तो सग़ी भाभी से क्यों नहीं?. 

में हर वक़्त उन्दोनो के पीछे रहती कि उन्हे साफ साफ देख लूँ. क्योंकि अपनी आँखों के सामने सब कुछ देखने के बावजूद मुझ बेवकूफ़ को अब भी ये शक था. कि हो सकता है कि दोनों में सिर्फ़ छेड़ छाड़ ही हो और वो आखरी हद तक शायद ना गये हों. 

अपने इसी शक को दूर करने के लिए मैने बहुत कोशिश की कि किसी तरह उन को दुबारा रंगे हाथों पकडू लेकिन मुझे मोक़ा नहीं मिल रहा था.

फिर एक दिन मेरा काम बन ही गया. 

उस दिन अफ़सर किसी काम से अम्मीं और अब्बू के साथ शहर से बाहर गये हुए थे. उन का इरादा एक दिन बाद वापिस आने का प्रोग्राम था.

उस रात में,नाज़ और सरवर ड्रॉयिंग रूम में बैठे एक इंडियन मूवी देख रहे थे.

ये इमरान हाशमी की मूवी थी. जिस में बहुत ही जज़्बाती और सेक्सी सीन थे.

मैने मूवी देखते देखते सरवर की तरह देखा तो सामने सरवर का लंड शॉर्ट के अंदर तना हुआ दिखाई दिया. 

में मूवी देखने के साथ साथ कनखियों से नाज़ और सरवर को भी देख रही थी.

मैने नोट किया कि वो दोनो खास सेक्सी सीन पर एक दूसरे को देखते और जैसे कोई ख़ुफ़िया इशारा कर रहे थे. 

में समझ गई कि आज उन का आपस में कुछ शुग़ल करने का इरादा है.

में मूवी अधूरी छोड़ कर अंगड़ाई लेते हुए अपनी जगह से उठी और कहा कि मुझे नींद आ रही है में सोने जा रही हूँ और में वहाँ से अपने कमरे में आ गई. 

में बिस्तर पर लेटी करवट बदल रही थी कि आज ज़रूर उन दोनो को देख पाऊँगी. 

मूवी की हल्की हल्की आवाज़ आ रही थी और आख़िर आवाज़ बंद होगई तो में दबे क़दमों ड्रॉयिंग रूम की तरफ गई.

ड्रॉयिंग रूम की लाइट तो जल रही थी मगर वो दोनो उधर से गायब हैं.

में आहिस्ता आहिस्ता नाज़ के कमरे की तरफ गई. तो देखा कि उस के कमरे का दरवाज़ा बंद है और कमरे में काफ़ी खामोशी है.

जिस से मुझे अंदाज़ा हो गया कि वो लोग उधर भी नही है.

में उसी तरह दबे पावं चलती हुई जब सरवर के कमरे के पास पहुँची तो बाहर ही से उस के कमरे की लाइट जलती देख कर मुझे यकीन हो गया कि वो दोनो अंदर मौजूद हैं.

मैने कमरे के बंद दरवाज़े को हाथ से हल्का सा टच किया तो खुश किस्मती से मुझे दरवाज़ा खुला मिल गया. लगता था कि शायद जल्दी में वो दरवाज़ा बंद करना भूल गये होंगे. 

सरवर के कमरे के दरवाज़े के सामने एक परदा लगा हुआ था. मैने आहिस्तगी से परदा हटाया तो देखा कि नाज़ बिल्कुल नंगी बिस्तर पर पड़ी हुई है और सरवर उस पर लेटा हुआ अपना लंड उस की चूत में डाले हुए अंदर बाहर कर रहा था. 

नाज़ ने अपनी टाँगें अपने भाई की कमर के गिर्द लिपटाई हुवी थीं. दोनो ही एक दूसरे को चूम रहे थे और नाज़ नीचे से सरवर के साथ ही उछल रही थी. 

कमरे की पूरी रोशनी में नाज़ का जिस्म साफ नज़र आ रहा था. नाज़ मेरे मुक़ाबले में बहुत ही ज़्यादा पुर कशिश थी. 

जब कि बहन की चूत में समाया हुआ सरवर का लंड दूर से ही बहुत ही बड़ा और खूब मोटा नज़र आ रहा था. 

उन दोनो की चुदाई का मंज़र देख कर मेरी चूत भीग गई थी. मेने आज पहली बार एक जवान लड़की और लड़के की चुदाई का लाइव मंज़र देखा था. जो कि सगे बहन भाई थे.

में जज़्बाती हो रही थी और दिल चाह रहा था कि में भी उन दोनो से चिमट जाऊं. 
 
मेरी दिली खाहिश थी कि अगर सरवर मुझे चोदना चाहे तो उस काम का आगाज़ खुद सरवर की जनाब से हो.

लेकिन में खुद को उन के सामने एक रंडी के रूप में पेश नही करना चाहती थी.

में अभी तक कमरे से बाहर और कमरे के पर्दे के पीछे ही खड़ी थी. 

कमरे से बाहर हाल में चूंकि मुकम्मल अंधेरा था. इसलिए उन दोनो को मेरी मौजूदगी का अहसास नही हुआ था.

उन दोनो की गरम जोश चुदाई ने मेरी चूत को पानी पानी कर दिया और अब मेरे सबर का पैमाना लबरेज होने लगा.

इसलिए मैने अब मज़ीद इंतिज़ार किए बगैर दरवाज़े पर लगे पर्दे को एक दम हटाया और ये कहती हुई एक दम कमरे में घुस गई कि “ ये क्या ही रहा है नाज़”.

मुझे यूँ अपने सामने देख कर उन दोनो के जिस्म एक दम रुक गये .और अब वो दोनो बेड पर बिल्कुल नंगे खौफनाक नज़रों से मुझे देख रहे थे.

मैने बहुत ही गुस्से का इज़हार करते हुए कहा” तुम दोनो को शरम आनी चाहिए,एक दूसरे के साथ इस तरह की ज़लील हरकत करते हुए. आने दो तुम अम्मी,अब्बू और तुम्हारे भाई को में उन को बता दूँगी कि तुम लोग कितने गंदे हो”.

ज्यूँ ही में बेड रूम से अपने कमरे में जाने के लिए वापिस मूडी तो नाज़ एक दम उठ खड़ी हुई और मेरे सामने आकर मेरे सीने से लिपट गई और कह ने लगी “भाभी हम से ग़लती हो गई प्लीज़ प्लीज़ आप इस बात का ज़िक्र किसी से ना करें”.

नाज़ की आँखों में आँसू थे और वो रो भी रही थी.

उस का इस तरह रोना देख कर मैने मान जाने की आक्टिंग करते हुए उस को मजीद अपने जिस्म से चिम्टा लिया उस की पेशानी पर किस करते हुए उसे कहा” अच्छा नाज़ तुम लोगों की ये हरकत राज़ रहेगी तुम लोग घबराओ नहीं”. 

इतनी देर में सरवर भी नंगा ही मेरे पीछे से लिपट गया. और कहने लगा कि “थॅंक यू भाभी आप बहुत अच्छी हैं”.

में दोनो नंगे भाई बहन के बीच में फँसी हुई थी और. दोनो के दर्मेयान मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और दिल चाह रहा था कि कहीं वो मुझे छोड़ नहीं दें. 

मैने नाज़ की आँखों में झाँकते हुए कहा”कि प्यारी बच्ची में तुम दोनो को दुखी नहीं देख सकती”.

लेकिन वो दोनो जैसे अभी तक मेरी बात का यक़ीन नहीं कर रहे थे.

दूसरी तरफ सरवर के मेरे साथ इस तरह लीपटने की वजह से उस की बहन की चूत के पानी से तर बतर हुआ उस का गरम और सख़्त लंड मेरी टाँगों के बीच से होता हुआ शलवार में छुपी हुई मेरी चूत को टच करने लगा.

सरवर के लंड को अपनी चूत के इतने नज़दीक पा कर में और भी बे काबू होने लगी और मेरी आँखें मज़े और मस्ती की वजह से खुद ब खुद ही बंद होने लगी.

जब मेरे बिल्कुल सामने खड़ी नाज़ ने मेरी बदलती हुई ये काफियत देखी तो उस ने अपने भाई सरवर को आँखों ही आँखों में कोई मखसोस इशारा किया.

इस से पहले कि में कुछ समझ पाती. सरवर ने मुझे अपनी बाहों में भरे हुए कि मेरे जिस्म को अपनी तरह मोड़ा और में एक मोम की बनी गुड़िया की तरह उस की तरफ मुड़ती चली गई.

ज्यूँ ही मेरी चुचियाँ अपने देवर की नंगी और मज़बूत छाती से टकराई, मुझे ऐसे लगा जैसे कमीज़ और ब्रा पहना होने के बावजूद मेरी चुचियों के निपल्स तन कर खड़े हो गये.

सरवर ने मेरे लबों को अपने लबों में क़ैद किया तो मेरी तो जैसे रूह ही जिस्म से फरार हो गई.

नाज़ इतनी देर में दुबारा अपने भाई के बिस्तर पर चढ़ कर लेट गई. ज्यूँ ही सरवर ने उसे बिस्तर पर जाते देखा तो साथ ही उस ने मुझे अपने मज़बूत बाजुओं में उठा कर अपनी बहन नाज़ के साथ ही बिस्तर पर लिटा दिया. 

में नाज़ के साथ लेट गई और दूसरी तरफ सरवर भी दुबारा मेरे पीछे आ कर मुझ से लिपट कर चिमट गया.

सरवर के मेरे पीछे आ कर लेटने की देर थी कि मेरे सामने से नाज़ ने आगे बढ़ कर मेरे होंठो को अपने होंठों में लिया और मेरे लिप्स पर किस्सस की बारिश कर दी.

मेरे लिए किसी औरत के साथ किस करने का ये पहला तजुर्बा था. जिस ने मेरे जिस्म में एक अजीब सी आग लगा दी.

में और नाज़ आपस में किस्सिंग में मसरूफ़ हो गये. जब कि सरवर मेरे साथ लिपटा हुआ था और उसका लंड मुझे पीछे से चुभ रहा था. 

सरवर के लंड को अपनी गान्ड में घुसा हुआ महसूस करते ही में फॉरन सीधी हो कर बिस्तर पर लेट गई.
 
मेरे इस तरह सीधा हो कर बिस्तर पर लेटते ही सरवर मेरे ऊपर आ गया और मुझे किस करने लगा. 

नाज़ भी मेरे जिस्म को सहलाने लगी और में भी खुश थी कि अब मेरी ख्वाहिश पूरी होरही है.

मेने सरवर को अपनी बाँहों में भीच लिया और सरवर ने मेरी कमीज़ ऊपर करदी. जिस से मेरी ब्रा में कसे हुए मेरे मम्मे उन दोनो बहन भाई के सामने पहली बार नीम नंगे हो गये.

नाज़ ने मुझे और अपने भाई को एक दूसरे में मगन होते देखा तो उस ने आगे बढ़ कर मेरी शलवार का नाडा खोला और मेरी शलवार उतार दी. 

में कुछ नही बोली इस दौरान सरवर मुसलसल मेरे होंठों को और में उस के होंठों को चूस रही थी. 

मेरी शलवार को उतार कर नाज़ ने अपने भाई की धक्का दे कर मेरे जिस्म के उपर से अलहदा किया. जिस की वजह से सरवर मेरे साथ ही बिस्तर पर लेट गया.

नाज़ मेरी टाँगों के दरमियाँ आ गई और मेरी चूत को चाटने लगी. तो में हैरान हो गई और अंदाज़ा लगा रही थी .कि ये दोनो शायद हर तरह से सेक्स करते हैं.

जब कि अफ़सर ने तो कभी मेरी चूत में लंड डालने के अलावा हाथ भी नहीं लगाया था. 

नाज़ जैसी मासूम और खूबसूरत लड़की की ज़ुबान मेरी ऊत को चाट रही थी और अब में क़ाबू से बाहर होगई थी. 

उधर मेरे साथ लेटा हुआ मेरा देवर सरवर मेरे मम्मो को चूसने .

दोनो बहन भाई के लिप्स मेरे चूत,मम्मो और पूरे तन बदन में एक आग बरसा रहे थे.

थोड़ी देर बाद सरवर ने नाज़ को हटाया और मेरी टाँगों के दरमियाँ आ गया.

अब नाज़ मेरे पहलू में लेट गई और मेरे मम्मो को छेड़ते हुए मुझे होंठों पर किस करने लगी. 

नाज़ के चाटने की वजह से मेरी चूत गीली हो चुकी थी. सरवर ने लंड मेरी चूत पर रखा और अंदर डालने लगा. 

वही लंड जो मेरा सपना था. जिसे में बार बार शॉर्ट में से देखती थी. आज वो ही लंड मेरे अंदर आ रहा था. 

सरवर का लंड तो में देख चुकी थे. ग़ज़ब नाक हद तक मोटा और लंबा. 

ज्यूँ ही सरवर ने अपना लंड मेरी फुद्दी में डाला. मज़े के मारे मेरी चीख निकल गई.

मेरी चीख सुनते ही नाज़ मेरे ऊपेर लेट गई और मेरे होंठो को किस करते हुए कहने लगी. “भाई ज़रा आहिस्ता करें भाभी को तकलीफ़ हो रही हे.”

सरवर ज़रा सा रुक गया कर आहिस्ता हो गया. में हैरान थी कि इतना बड़ा लंड नाज़ जैसी नाज़ुक लड़की किस तरह बर्दाश्त कर सकती होगी.

लंड पूरी तरह अंदर आ चुका था और में खुशी से दीवानी होगई थी.

ऐसा लंड ऐसा जवान और बेहोश कर देने वाला लंड में पागल होगई और सोचा कि ये होता है सेक्स. 

नाज़ को सरवर ने मेरे ऊपेर से हटा दिया और खुद मेरे होंठो पर आ गया और लंड को अंदर बाहर करने लगा. 

नाज़ मेरे पहलू में लेटे अपने नाज़ुक हाथों से मेरे मम्मो को सहला रही थी.

सरवर के लंड ने मेरी चूत की धज्जियाँ उड़ा दी थीं और मेने अपनी टाँगों को उस की कमर से लिपटा लिया था.
 
मेने ऐसे अफ़सर के साथ कभी नहीं किया था. सरवर का लोहे की तरह मज़बूत बदन मुझे अपने अंदर समा चुका था और उसका लंड बहुत ही जबरदस्त झटके लगा रहा था.

नाज़ मेरी टाँगों के दरमियाँ फिर से आ गई थी और मेरी चूत के साथी अपने सगे भाई के लंड को भी चाट रही थी और मुझे ये लम्हा कयामत से कम नहीं मालूम होरहा था.

मेने अपनी टाँगों और बाँहों से सरवर को जकड़ा हुआ था और उसके लंड को अपनी रूह दिल दिमाग़ और चूत हर जगह महसूस कर रही थी.

में बहुत ताक़त से सरवर के होंठों को चूस रही थी और उसकी शरीर आँखों में अपने लिए बेपनाह मोहब्बत देख रही थी. 

सरवर काफ़ी ऊपर उठ कर झटके मार रहा था और मेरा बदन शोक़्ए सेक्स में मचल रहा था.

लंड चूत में बुरी तरह फँसा हुआ था और बुरी तरह चूत के एक एक हिस्से को दहला रहा था. 

नाज़ की ज़ुबान मेरी चूत में अजीब बहार और मस्ती बिखेर रही थी. 

में तो भूल चुकी थी कि में कॉन हूँ बस एक लड़की हूँ जो ज़िंदगी में पहली बार सेक्स का मज़ा लूट रही हूँ.

इस क़सम के साथ कि में सरवर को कभी नहीं छोड़ूँगी. सरवर मेरे उपर से उठ कर फर्श पर खड़ा हो गया.

उस ने बिस्तर पर से मुझ खेंच कर मेरे जिस्म को बेड के किनरे तक लाया और फिर मेरी टाँगों को उठा कर अपने कंधे पर रख लिया और पूरी तरह मुझ पर झुक कर अंदर बाहर करने लगा. 

में जान रही थी कि ताक़त वर सेक्स और वो भी सरवर जैसे देवर से कैसे होता है.

नाज़ ने मेरी टाँगें उठी हुवी देखीं तो वो भी बिस्तर से उठ कर फर्श पर जा बैठी और फिर अपने भाई की टाँगों के बीच से होती हुई मेरी गान्ड के बिल्कुल नीचे आ कर अपनी ज़ुबान से मेरी गान्ड के सुराख को चाटने लगी. 

में तो मज़े की शिदत से मरी जा रही थी. कि किस किस जगह से क्या क्या लुफ्त आ रहा था. 

दोनो भाई बहनों ने आज मुझे अपना राज़ दार बना ने के लिये सब कुछ करने की क़सम खाली थी और में भी तो आज पहली बार सेक्स के इस नये अंदाज़ का मज़ा लूट रही थी.

सरवर ने कुछ गजब नाक झटके लगाए . जिस से में अपने पानी छोड़ने के क़रीब आ गई.
 
सरवर ने कुछ गजब नाक झटके लगाए . जिस से में अपने पानी छोड़ने के क़रीब आ गई.

मेरा देवर मेरी फुद्दि की चुदाई करते वक़्त दीवाना वार बार बार एक ही बात कह रहा था.”कि भाभी जान मुझे आपने दीवाना बना दिया है”.

में उस की बात सुन कर खुश हो गई बल्कि मदहोश हो गई. कि में जिस की दीवानी थी वो मेरा भी दिवाना बन गया. 

हक़ीकत ये थी कि आज इन दोनो बहन भाई ने मुझे उन का दिवाना बना दिया था. 

कुछ ही देर बाद सरवर मुझ में डिसचार्ज होने लगा और उस का डिसचार्ज होने का अंदाज़ ऐसा था. कि जैसे वो मेरी चूत में छूट नही बल्कि मेरी चूत को अपने लंड के पानी से नहला रहा था.

उस के लंड के पानी को अपनी चूत में महसूस कर के में भी डिसचार्ज हुई और ऐसी हुई कि जैसे में पहली बार डिसचार्ज हुई हूँ.

डिसचार्ज होते वक़्त मेरे जिस्म को ऐसे ज़ोर ज़ोर से कई झटके लगे कि मुझे यूँ महसूस हुआ जैसी मेरे सारे जिस्म का जूस निकल गया हो.

उस रात हम तीनों सुबह तक नंगे रहे और सरवर ने मेरे सामने नाज़ के साथ और एक बार फिर मेरे साथ सेक्स किया. 

अब तो मेरी ज़िंदगी का एक एक दिन खुशियों से लबरेज हो गया है. 

क्यों कि जैसा “ससुराली प्यार” मुझे अपने ससुराल में मिला. वो शायद ही दुनिया की किसी और बहू को अपने ससुराल में मिला हो.

दोस्तो ये कहानी यहीं समाप्त हो चुकी है दोस्तो फिर मिलेंगे एक और नई कहानी के साथ तब तक के लिए विदा आपका दोस्त राज शर्मा
समाप्त
दा एंड….
 
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